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MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 3 परम्परा बनाम आधुनिकता (निबन्ध, हजारी प्रसाद द्विवेदी)
परम्परा बनाम आधुनिकता अभ्यास
बोध प्रश्न
परम्परा बनाम आधुनिकता अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
परम्परा क्या है?
उत्तर:
परम्परा का शब्दार्थ है-एक से दूसरे को, दूसरे से तीसरे को तथा इसी तरह आगे को दिया जाने वाला क्रम।
प्रश्न 2.
दो शताब्दी पूर्व किस प्रकार के नाटकों की रचना अनुचित जान पड़ती थी?
उत्तर:
दो शताब्दी पूर्व दुःखान्त नाटकों की रचना अनुचित जान पड़ती थी। यवन साहित्य में दुखान्त नाटकों की बड़ी प्रसिद्धि थी।
प्रश्न 3.
मनुष्य की महिमा किसे स्वीकार है?
उत्तर:
मनुष्य की महिमा आधुनिक समाज को स्वीकार है।
प्रश्न 4.
अगली मानवीय संस्कृति का स्वरूप क्या होगा?
उत्तर:
अगली मानवीय संस्कृति मनुष्य की समता और सामूहिक मुक्ति की भूमिका पर खड़ी होगी।
प्रश्न 5.
आधुनिकता को असंयत और विश्रृंखल होने से कौन बचाता है?
उत्तर:
आधुनिकता को असंयत और विशृंखल होने से परम्परा बचेाती है। यही परम्परा आधुनिकता को आधार देती है और उसे शुष्क तथा नीरस बुद्धि विलास बनने से बचाती है।
परम्परा बनाम आधुनिकता लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भाषा की प्राप्ति किस प्रकार होती है?
उत्तर:
भाषा की प्राप्ति हमें परम्परा से होती है। यह भाषा काल-प्रवाह में बहती हुई, समकालीन सन्दर्भो को बिखेरती हुई, नये उपादानों को ग्रहण करती हुई आज हमें प्राप्त हुई है।
प्रश्न 2.
नीति वाक्य में बुद्धिमान के विषय में क्या कहा गया है?
उत्तर:
नीति वाक्य में बुद्धिमान के विषय में कहा गया है कि बुद्धिमान व्यक्ति एक पैर से खड़ा रहता है और दूसरे से चलता है। कहने का भाव यह है कि बुद्धिमान व्यक्ति परम्परा और आधुनिकता को मिलाकर चलता है।।
प्रश्न 3.
साहित्य के जिज्ञासु समझने में गलती कब कर सकते हैं?
उत्तर:
साहित्य के जिज्ञासु परिवर्तित और परिवर्तमान मूल्यों को ठीक-ठीक नहीं जानने के कारण बहुत-सी बातों के समझने में गलती कर सकते हैं।
प्रश्न 4.
चित्तगत उन्मुक्तता पर कौन-सा नया अंकुश लग रहा है?
उत्तर:
चित्तगत उन्मुक्तता पर व्यष्टि मानव के स्थान पर समष्टि मानव की प्रधानता अंकुश लगा रही है।
प्रश्न 5.
आधुनिकता सम्प्रदाय का विरोध क्यों करती है?
उत्तर:
आधुनिकता सम्प्रदाय का विरोध इसलिए करती है क्योंकि आधुनिकता गतिशील प्रक्रिया है, जबकि सम्प्रदाय स्थिति संरक्षक।
परम्परा बनाम आधुनिकता दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
परम्परा और आधुनिकता की तुलनात्मक व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
परम्परा और आधुनिकता दोनों की गतिशील प्रक्रियाएँ हैं। दोनों में अन्तर केवल यह है कि परम्परा यात्रा के बीच पड़ा हुआ अन्तिम चरण है, जबकि आधुनिकता आगे बढ़ा हुआ गतिशील कदम है।
प्रश्न 2.
पाठ के आधार पर आधुनिकता के व्यापक अर्थ समझाइए।
उत्तर:
आधुनिकता अपने आप में कोई मूल्य नहीं है। मनुष्य ने जिन अनुभवों द्वारा जिन महान् मूल्यों को प्राप्त किया है उन्हें नये सन्दर्भो में देखना ही आधुनिकता है। आधुनिकता अकस्मात् आकाश से नहीं पैदा होती है। इसकी जड़ें भी परम्परा में समाई हुई हैं। परम्परा और आधुनिकता परस्पर विरोधी नहीं हैं अपितु एक-दूसरे के पूरक हैं।
प्रश्न 3.
साहित्य के क्षेत्र में इतिहास किस प्रकार मदद करता है?
उत्तर:
साहित्य के क्षेत्र में इतिहास निखरी दृष्टि देता है जिससे आधुनिकता का बोध होता है। बिना इतिहास की नयी दृष्टि प्राप्त किए व्यक्ति साहित्य का रसास्वादन नहीं कर सकता और न ही वह भविष्य के मानव चित्र को सरस एवं कोमल बना सकता है।
प्रश्न 4.
‘आधुनिकता अपने आप में कोई मूल्य नहीं है।’-इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आधुनिकता अपने आप में कोई मूल्य नहीं है। इसका सम्बन्ध तो परम्परा से प्राप्त महान् मूल्यों को नये सन्दर्भो में देखने से होता है। परम्परा ही आधुनिकता को आधार देती है। अतः परम्परा के बिना आधुनिकता का कोई मूल्य नहीं है।
प्रश्न 5.
विचार-विस्तार कीजिए-‘कोई भी आधुनिक विचार आसमान में नहीं पैदा होता है।’
उत्तर:
विचार-विस्तार-लेखक का आशय यह है कि जो भी नया विचार आता है, उसकी जड़ें परम्परा से जुड़ी रहती हैं। कोई भी आधुनिक नया विचार यह दावा नहीं कर सकता कि वह परम्परा से कटा हुआ है। कार्य कारण के रूप में परम्परा की जड़ें बहुत गहराई तक इन आधुनिक विचारों में समाई रहती है।
परम्परा बनाम आधुनिकता भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द-समूह के लिए एक शब्द लिखिए
उत्तर:
(अ) निरन्तर चलने वाला = गतिशील
(ब) वह समय जो बीत चुका है = अतीत
(स) नीति का बोध कराने वाला वाक्य = नीति वाक्य
(द) मन के भाव = मनोभाव
(इ) महिमा से परिपूर्ण = महिमा मंडित।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम बताइए
उत्तर:
- मनोभाव = मनः + भाव = विसर्ग सन्धि।
- पुनर्जन्म = पुनः + जन्म = विसर्ग सन्धि।
- निर्बल = निः + बल = विसर्ग सन्धि।
- प्राग्ज्योतिष = प्राक् + ज्योतिष = व्यंजन सन्धि।
- (अत्याधुनिक = अति + आधुनिक = गुण सन्धि।
- महर्षि = महा + ऋषि = गुण सन्धि।
- आर्योचित = आर्य + उचित = गुण सन्धि।
- पुनरुद्धार = पुनः + उद्धार = विसर्ग सन्धि।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पदों का समास विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए
उत्तर:
- इतिहास-सम्मत = इतिहास से सम्मत = तत्पुरुष समास।
- बाल लीला = बालपन की लीला = तत्पुरुष समास।
- काल प्रवाह = काल का प्रवाह = तत्पुरुष समास।
- परम्परा-प्राप्त = परम्परा से प्राप्त = तत्पुरुष समास।
- विचार-राशि = विचारों की राशि = तत्पुरुष समास।
- देवकी पुत्र = देवकी का पुत्र = तत्पुरुष समास।
- राजच्युत = राज से च्युत = तत्पुरुष समास।
- सत्ताधारी = सत्ता को धारण करने वाला = तत्पुरुष समास।
परम्परा बनाम आधुनिकता महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न
परम्परा बनाम आधुनिकता बहु-विकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
परम्परा का शब्दार्थ है-
(क) एक से दूसरे को बढ़ाना
(ख) जीवन पद्धति को बढ़ाने वाला क्रम
(ग) दूसरे से तीसरे को बढ़ाना
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 2.
परम्परा और आधुनिकता है-
(क) एक-दूसरे के विरोधी
(ख) एक-दूसरे के पूरक
(ग) इनमें से कोई नहीं
(घ) ये दोनों।
उत्तर:
(ख) एक-दूसरे के पूरक
प्रश्न 3.
परम्परा बनाम आधुनिकता निबन्ध है- (2009)
(क) भावात्मक
(ख) विचारात्मक
(ग) विवरणात्मक
(घ) भावनात्मक।
उत्तर:
(ख) विचारात्मक
प्रश्न 4.
‘परम्परा बनाम आधुनिकता’ निबन्ध के लेखक हैं
(क) सरदार पूर्णसिंह
(ख) रामचन्द्र शुक्ल
(ग) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
(घ) विद्यानिवास मिश्र।
उत्तर:
(ग) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
प्रश्न 5.
‘सम्प्रदाय’ शब्द का प्रयोग आजकल निम्न अर्थ में लिया जाने लगा है। उसका मूल अर्थ है-
(क) गुरु परम्परा से प्राप्त आचार-विचार
(ख) मानव मन की इच्छाएँ
(ग) सहज विचार
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) गुरु परम्परा से प्राप्त आचार-विचार
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- यह सत्य है कि परम्परा भी एक …………. प्रक्रिया की देन है।
- व्यष्टि-मानव के स्थान पर …………. मानव का प्राधान्य।
- कोई भी आधुनिक विचार …………. से नहीं पैदा होता है।
- परम्परा आधुनिकता को आधार देती है,उसे शुष्क और नीरस ………… बनने से बचाती है।
- परम्परा …………. नहीं हो सकती पर भूले इतिहास को खोज निकालने का सूत्र देती है।
- आधुनिकता ………… का विरोध करती है। (2012, 15)
- ‘परम्परा बनाम आधुनिकता’ …………. निबन्ध है।। (2014)
उत्तर:
- गतिशील
- समष्टि
- आसमान
- बुद्धि-विलास
- इतिहाससम्मत
- सम्प्रदाय
- विचारात्मक।
सत्य/असत्य
- परम्परा एक गतिहीन प्रक्रिया की देन है।
- सभी पुरानी बातें परम्परा नहीं कही जाती हैं।
- परम्परा का अर्थ विशुद्ध अतीत नहीं है, बल्कि एक निरन्तर गतिशील जीवन्त प्रक्रिया है।
- आधुनिकता क्या है? शब्दार्थ पर विचार करें,तो ‘अधुना’ या इस समय जो कुछ है वही आधुनिक है।
- परम्परा और आधुनिकता एक-दूसरे के पूरक हैं।
उत्तर:
- असत्य
- असत्य
- सत्य
- सत्य
- सत्य
सही जोड़ी मिलाइए
उत्तर:
1. → (घ)
2. → (ग)
3. → (क)
4. → (ङ)
5. → (ख)
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- आधुनिकता किस प्रकार की प्रक्रिया है?
- परम्परा किसको आधार प्रदान करती है?
- परम्परा और आधुनिकता का आपस में किस प्रकार का सम्बन्ध है?
- आधुनिकता को शुष्क और नीरस बुद्धि-विलास बनने से कौन बचाता है?
- परम्परा से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
- गतिशील
- आधुनिकता को
- परस्पर पूरक
- परम्परा
- मूल्यों का रूप।
परम्परा बनाम आधुनिकता पाठ सारांश
इस प्रकार परम्परा का अर्थ विशुद्ध अतीत नहीं है बल्कि एक निरन्तर गतिशील प्रक्रिया है। उसमें हमें जो कुछ मिलता है, उस पर खड़े होकर हम आगे के लिए कदम उठाते हैं। नीति काव्य में इसी बात को इस प्रकार कहा है ‘चलत्येकम् पादेन तिष्ठत्येकेन बुद्धिमान’ अर्थात् बुद्धिमान व्यक्ति एक पैर से खड़ा रहता है,दूसरे से चलता है। यह केवल व्यक्ति का सत्य नहीं है,सामाजिक सन्दर्भ में भी यही सत्य है। खड़ा पैर परम्परा है और चलता पैर आधुनिकता। दोनों का पारस्परिक सम्बन्ध खोजना बहुत कठिन नहीं,एक के बिना दूसरे की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
प्रश्न उठता है कि आधुनिकता क्या है? इसका शाब्दिक अर्थ है कि इस समय जो कुछ है,वह आधुनिक है। लेकिन आधुनिक का यह अर्थ नहीं है, अपितु सभी भावों के मूल में पुराने संस्कार एवं अनुभव निहित हैं। आज से दो सौ वर्ष पूर्व लोग कर्मफल प्राप्ति को अपरिहार्य मानते थे तथा पुनर्जन्म में भी आस्था थी, परन्तु अब यह विश्वास डगमगाने लमा है। अब मानव में वर्तमान जीवन को समृद्ध एवं सफल बनाने की कामना जाग्रत हो गई है।
इतिहास हमारे लिए बड़ा सहायक प्रमाणित होता है। प्राचीन काल के मानवीय अनुभव हमारे साहित्यकारों की वाणी को एक नया आयाम प्रदान कर रहे हैं। आधुनिक समाज में यथार्थ रूप में मानव के गौरव को स्वीकारा गया है। भविष्य में मानवीय संस्कृति मानव की समानता एवं सामूहिक मुक्ति की भूमिका पर आश्रित होगी।
यदा-कदा मानव किसी प्रमुख विचारधारा को यथावत् सुरक्षित रखने की कोशिश करता है लेकिन वह ऐसा करने में कितना सफल होता है, यह विवाद का विषय है। आज सन्दर्भ परिवर्तित हो रहे हैं। पुरानी बातें भूतकाल के गर्भ में समा रही हैं। मानवीय मूल्यों का रूप कुछ परिवर्तित दृष्टिगोचर हो रहा है लेकिन कोई भी आधुनिक विचार अपने आप नहीं पनपता। उसकी आधारशिला परम्परा में निहित है।
निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि परम्परा आधुनिकता की आधारशिला है। मानव अपने भावों को उन्नत एवं समृद्ध बनाने के लिए परम्परा से आधार ग्रहण करता है तथा उन्हें नवीन वातावरण में पल्लवित एवं पुष्पित करने का प्रयास करता है।
परम्परा बनाम आधुनिकता संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या
(1) हमने अपनी पिछली पीढ़ी से जो कुछ प्राप्त किया है, वह समूचे अतीत की पुंजीभूत विचार राशि नहीं है। सदा नए परिवेश में कुछ पुरानी बातें छोड़ दी जाती हैं और नई बातें जोड़ दी जाती हैं। एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को हूबहू वही नहीं देती, जो अपनी पूर्ववर्ती पीढ़ी से प्राप्त करती है। कुछ-न-कुछ छंटता रहता है, बदलता रहता है, जुड़ता रहता है। यह निरन्तर चलती रहने वाली प्रक्रिया ही परम्परा है।।
कठिन शब्दार्थ :
अतीत = बीते हुए समय की। पुंजीभूत = एकत्र। परिवेश = वातावरण। पूर्ववर्ती = पहले होने वाली।
सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश ‘परम्परा बनाम आधुनिकता’ शीर्षक निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं।
प्रसंग :
इस अंश में लेखक ने परम्परा का अर्थ बताया है।
व्याख्या :
लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी जी कहते हैं कि हमने अपने से पूर्व की पीढ़ी से जो कुछ भी प्राप्त किया है, वह सम्पूर्ण बीते हुए काल की एकत्रित विचार राशि नहीं है। सृष्टि का यह नियम है कि सदा नये वातावरण के आने पर कुछ पुरानी बातें त्याग दी जाती हैं और कुछ नई बातें जोड़ दी जाती हैं। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हूबहू पहली पीढ़ी की ही सब बातें प्राप्त नहीं होती हैं। उसमें से कुछ-न-कुछ घटता-बढ़ता रहता है, यदि कुछ छंटता है तो कुछ जुड़ता भी है। इसी निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया को ही परम्परा कहा जाता है।
विशेष :
- परम्परा कोई नई चीज नहीं है अपितु एक हमेशा चलती हुई प्रक्रिया है।
- भाषा भावानुकूल।
(2) इस प्रकार परम्परा का अर्थ विशुद्ध अतीत नहीं है, बल्कि एक निरन्तर गतिशील जीवन प्रक्रिया है। उसमें हमें जो कुछ मिलता है, उस पर खड़े होकर आगे के लिए कदम उठाते हैं। नीति वाक्य में इसी बात को इस प्रकार कहा गया है-‘चलत्येकेम पादेन तिष्ठत्येकेन बुद्धिमान’ अर्थात् बुद्धिमान आदमी एक पैर से खड़ा होता है, दूसरे से चलता है।
कठिन शब्दार्थ :
अतीत = बीता हुआ। गतिशील= हमेशा चलती रहने वाली। जीवन्त = जीवन युक्त।
सन्दर्भ :
पूर्ववत्।
प्रसंग :
इस गद्यांश में लेखक ने बुद्धिमान व्यक्तियों का उदाहरण देकर परम्परा की गतिशीलता पर विचार प्रकट किये हैं।
व्याख्या :
लेखक डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी कहते हैं कि परम्परा का शुद्ध या सही अर्थ बीता हुआ समय नहीं है बल्कि परम्परा तो एक हमेशा चलती रहने वाली जीवन्त प्रक्रिया है। उस मार्ग पर चलते हुए जो कुछ भी हमें प्राप्त होता है, हम उसी पर खड़े होकर आगे का रास्ता तय करते हैं। नीति वाक्य में इसी बात को दूसरे शब्दों में इस प्रकार कहा गया है कि बुद्धिमान व्यक्ति वह होता है जो एक पैर से खड़ा रहता है और दूसरे से चलता है। कहने का भाव यह है कि अतीत का ध्यान रखते हुए ही वह आगे की ओर चलता रहता है अर्थात् अतीत और वर्तमान में मेल रखता है।
विशेष :
- लेखक ने परम्परा का सही अर्थ बताया है।
- भाषा भावानुकूल है।
(3) आधुनिकता अपने आप में कोई मूल्य नहीं है। मनुष्य |ने अनुभवों द्वारा जिन महनीय मूल्यों को उपलब्ध किया है, उन्हें नये सन्दर्भो में देखने की दृष्टि आधुनिकता है। यह एक गतिशील प्रक्रिया है। संदर्भ बदल रहे हैं, क्योंकि नई जानकारियों से नए साधन और नए उत्पादन सुलभ होते जा रहे हैं। बहुत-सी पुरानी बातें भुलाई जा रही हैं, नई सामग्रियाँ और नए कौशल नवीन सन्दर्भो की रचना कर रहे हैं।
कठिन शब्दार्थ :
महनीय = महान्। उपलब्ध = प्राप्त। गतिशील = हमेशा चलती रहने वाली। सुलभ = सरलता से प्राप्त।
सन्दर्भ :
पर्ववत्।
प्रसंग :
इस गद्यांश में लेखक ने बताया है कि आधुनिकता पुरानी महान जीवन मूल्यों को नये सन्दर्भो में देखना होता है।
व्याख्या :
लेखक डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी कहते हैं कि आधुनिकता का अपने आप में कोई मूल्य नहीं है। मनुष्य ने अपने जीवन में जिन महान् मूल्यों को प्राप्त किया है, उन्हें ही नये सन्दर्भो के रूप में देखना आधुनिकता है। यह निरन्तर चलने वाली एक प्रक्रिया है। सन्दर्भ समय एवं परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं क्योंकि नई जानकारियों से नए साधन और नए उत्पादन हमें प्राप्त होते जा रहे हैं। हम बहुत-सी पुरानी बातों को भूलते जा रहे हैं और नई सामग्री तथा नए कौशलों के उपयोग के द्वारा नवीन। सन्दर्भो की रचना कर रहे हैं।
विशेष :
- नये सन्दर्भो में किसी बात को देखना ही आधुनिकता है।
- भाषा भावानुकूल।
(4) कोई भी आधुनिक विचार आसमान से पैदा नहीं होता है। सबकी जड़ परम्परा में गहराई तक गई हुई है। सुन्दर से सुन्दर फूल यह दावा नहीं कर सकता कि वह पेड़ से भिन्न होने के कारण उससे एकदम अलग है। कोई भी पेड़ दावा नहीं कर सकता कि वह मिट्टी से भिन्न होने के कारण एकदम अलग है। इसी प्रकार कोई भी आधुनिक विचार यह दावा नहीं कर सकता कि वह परम्परा से कटा हुआ है। कार्य-कारण के रूप में, आधार-आधेय के रूप में परम्परा की एक अविच्छेद्य श्रृंखला अतीत में गहराई तक, बहुत गहराई तक गई हुई है।
कठिन शब्दार्थ :
अविच्छेद्य = विच्छेद रहित।
सन्दर्भ :
पूर्ववत्।
प्रसंग :
इस अंश में लेखक यह बताना चाहता है कि परम्परा के आधार के बिना कोई भी आधुनिकता फल-फूल नहीं सकती है।
व्याख्या :
लेखक श्री हजारी प्रसाद द्विवेदी कहते हैं कि कोई भी आधुनिक विचार अकस्मात् आकाश में गिरकर जमीन पर नहीं आता है। संसार की सभी बातों की जड़ परम्परा में गहराई तक जमी रहती है। लेखक एक उदाहरण देकर इस बात को स्पष्ट कर देना चाहता है कि जिस प्रकार सुन्दर से सुन्दर फूल का जो आज अस्तित्व है, उसके मूल में उसका वृक्ष या लता तथा वृक्ष या लता के मूल में मिट्टी का प्रभाव होता है। इसी भाँति कोई भी आधुनिक विचार यह दावा नहीं कर सकता कि वह परम्परा से बिल्कुल अलग है। सच तो यह है कि कार्य और कारण के रूप में अथवा आधार और आधेय के रूप में परम्परा की एक निरन्तर बहती हुई शृंखला अतीत में बहुत गहराई तक जमी हुई है। कहने का भाव यह है कि बिना परम्परा के कोई भी आधुनिकता नहीं आ सकती।
विशेष :
- आधुनिकता के मूल में परम्परा का होना आवश्यक है।
- भाषा भावानुकूल।