MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 7 यक्ष प्रश्न

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 7 यक्ष प्रश्न (वार्ता, संकलित)

यक्ष प्रश्न अभ्यास

वार्ता

प्रश्न 1.
विषैले तालाब के नजदीक युधिष्ठिर ने क्या देखा?
उत्तर:
युधिष्ठिर जैसे ही तालाब के पास पहुँचे, वहाँ पर उन्होंने अपने चारों भाइयों को मृत अवस्था में देखा।

प्रश्न 2.
यक्ष के, संसार के सबसे बड़े आश्चर्य सम्बन्धी प्रश्न पर युधिष्ठिर ने क्या उत्तर दिया? (2015, 18)
उत्तर:
यक्ष के, संसार के सबसे बड़े आश्चर्य सम्बन्धी प्रश्न पर युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि प्रतिदिन आँखों के समक्ष न जाने कितने प्राणियों को मौत के मुख में जाते देखकर भी बचे हुए प्राणी इस बात की इच्छा रखते हैं कि हम अमर रहें, यह कितने आश्चर्य की बात है।

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प्रश्न 3.
युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करवाने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करने के लिए इसलिए कहा क्योंकि उनके पिता की दो पत्नियाँ थीं। उनमें से एक पत्नी कुंती के पुत्र वे स्वयं थे। अतः यदि यक्ष नकुल को जीवित करेंगे तो माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित हो जायेगा। इस प्रकार दोनों का एक-एक पुत्र जीवित रहेगा।

प्रश्न 4.
यक्ष ने आशीर्वाद देते हुए युधिष्ठिर से क्या कहा? (2009)
उत्तर:
यक्ष ने युधिष्ठिर को आशीर्वाद देते हुए कहा कि मैं तुम्हारे सद्गुणों और शिष्टाचार से प्रसन्न हूँ। अब बारह वर्ष के वनवास की अवधि पूर्ण होने जा रही है लेकिन एक वर्ष तक तुम्हें अज्ञातवास करना है, वह भी सफलता से पूरा हो जायेगा। मेरे आशीर्वाद से इस अवधि में कोई भी व्यक्ति तुम्हें पहचान नहीं पायेगा।

प्रश्न 5.
वनवास की कठिनाइयों के बीच अर्जुन, भीम और युधिष्ठिर ने क्या-क्या प्राप्त किया? (2010)
उत्तर:
वनवास की कठिन घड़ी में अर्जुन, भीम और युधिष्ठिर को कुछ न कुछ अनुभव और आशीर्वाद प्राप्त हुए-

  1. अर्जुन को वनवास के समय ही इन्द्रदेव के दिव्य अस्त्र प्राप्त हुए।
  2. भीम को हनुमान से भेंट और आलिंगन करने के पश्चात् हनुमान का बल प्राप्त हुआ।
  3. युधिष्ठिर को मायावी सरोवर के समीप धर्मदेव ने दर्शन दिये तथा उन्हें गले लगाकर आशीर्वाद प्रदान किया।

इस प्रकार वनवास की कठिनाइयों के मध्य तीनों ने विभिन्न प्रकार के वरदान प्राप्त किये।

प्रश्न 6.
युधिष्ठिर के द्वारा दिये गये उत्तरों की यक्ष पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
युधिष्ठिर के द्वारा दिये गये उत्तरों को सुनकर यक्ष, युधिष्ठिर के सद्गुणों से प्रभावित हुए; क्योंकि युधिष्ठिर के द्वारा दिये गये सभी प्रश्नों के उत्तर सटीक और सार्थक थे। उन्होंने हर प्रश्न का उत्तर बुद्धि और विवेक का प्रयोग कर निरपेक्ष भाव से दिया था। यक्ष युधिष्ठिर के बुद्धि, कौशल और चातुर्य से प्रभावित थे। मन ही मन यक्ष, युधिष्ठिर के मनोभावों को भी पढ़ते जा रहे थे।

लेकिन युधिष्ठिर ने यक्ष के हर प्रश्न का उचित उत्तर देकर परीक्षा में सफलता प्राप्त की। साथ ही धर्मदेव बने यक्ष से आशीर्वाद भी प्राप्त किया। यथार्थ में मानव का विवेक एवं बुद्धि कौशल सफलता की सीढ़ी है।

प्रश्न 7.
यक्ष-युधिष्ठिर संवाद से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
यक्ष और युधिष्ठिर के संवाद से यह शिक्षा मिलती है कि मानव को कभी भी किसी की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि किसी भी वस्तु का उपयोग उस वस्तु के स्वामी से पूछकर ही करें।

ईश्वर व्यक्ति की किसी भी समय परीक्षा ले सकता है। अतः व्यक्ति को सदैव सत्य, निष्ठा और धर्म का आचरण करना चाहिए। यदि व्यक्ति सद्गुणों पर चलेगा, तो सदैव कर्तव्य के मार्ग में आगे बढ़ता रहेगा। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को सत्यनिष्ठ व धर्मनिष्ठ होना चाहिए। यही सफलता का मूलमन्त्र है।

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यक्ष प्रश्न महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

यक्ष प्रश्न बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
युधिष्ठिर ने विषैले तालाब के पास देखा
(क) दोनों भाई मूर्छित हैं
(ख) भाई अदृश्य थे
(ग) वहाँ कोई नहीं था
(घ) चारों भाई मृत से पड़े हुए थे।
उत्तर:
(घ) चारों भाई मृत से पड़े हुए थे।

प्रश्न 2.
हवा से भी अधिक तेज चलने वाला कौन है? (2009, 15)
(क) तितली
(ख) मन
(ग) मस्तिष्क
(घ) मक्खी
उत्तर:
(ख) मन

प्रश्न 3.
किस वस्तु को गँवाकर व्यक्ति धनी बनता है?
(क) प्रेम को
(ख) क्रोध को
(ग) स्त्री को
(घ) लालच को।
उत्तर:
(घ) लालच को।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. उन्होंने युधिष्ठिर के सद्गुणों से मुग्ध होकर उन्हें …………. से लगा लिया।
  2. युधिष्ठिर की माता का नाम …………. है। (2009)
  3. ………… राजा विराट बड़े शक्तिसम्पन्न थे।

उत्तर:

  1. छाती
  2. कुन्ती
  3. मत्स्याधिपति

सत्य/असत्य

  1. धैर्य मनुष्य का सबसे बड़ा साथी होता है।
  2. युधिष्ठिर ने यक्षराज से सहदेव को जीवित करवाना चाहा।
  3. बारह वर्ष तक कौरवों को अज्ञातवास करना पड़ा।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. असत्य

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सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 7 यक्ष प्रश्न img-1
उत्तर:
1. → (ग)
2. → (क)
3. → (ख)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. भीमसेन में कितने हाथियों के बराबर बल था?
  2. बर्तनों में सबसे बड़ा बर्तन कौन-सा है?
  3. हवा से भी तेज चलने वाला कौन है? (2013)
  4. मायावी सरोवर के पास युधिष्ठिर को किसके दर्शन हुए?
  5. किस चीज़ को गँवाकर मनुष्य धनी बनता है? (2014)

उत्तर:

  1. दस हजार
  2. भूमि ही सबसे बड़ा बर्तन है
  3. मन
  4. धर्मदेव
  5. लालच को।

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MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 10 दीपक की आत्मकथा

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 10 दीपक की आत्मकथा (आत्मकथा, संकलित)

दीपक की आत्मकथा अभ्यास

आत्मकथा

प्रश्न 1.
ज्ञान और दीपक के आपसी सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए। (2013, 16)
उत्तर:
ज्ञान और दीपक का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है। ज्ञान का अर्थ प्रकाश से है तथा प्रकाश का सीधा सम्बन्ध दीपक से है। जिस प्रकार दीपक चारों ओर प्रकाश फैलाता है और अन्धकार को नष्ट करता है,उसी प्रकार ज्ञान का प्रकाश भी दीपक की भाँति होता है। ज्ञान मन के अन्दर के अहंकार को नष्ट करता है तो दीपक बाहरी अन्धकार को दूर करता है। इस प्रकार दीपक और ज्ञान एक-दूसरे के सहयोगी तथा सहधर्मी एवं पूरक हैं। दोनों का एक-दूसरे पर प्रभाव देखा जा सकता है।

प्रश्न 2.
जीवन में आने वाले संघर्षों और चुनौतियों को विकास का मार्ग क्यों कहा गया है?
उत्तर:
जीवन में आने वाले संघर्षों और चुनौतियों को विकास का मार्ग इसलिये कहा है, क्योंकि ईश्वर किसी भी महान् कार्य के लिए जब किसी व्यक्ति को चुनते हैं, तब उस व्यक्ति को जीवन की चुनौती को सबसे पहले स्वीकार करना पड़ता है। जब व्यक्ति किसी चुनौती को स्वीकार करके कोई कार्य करने को आगे बढ़ता है तो उसके मन में सदा यही भाव रहता है कि मैं अपने कार्य में सफल रहूँ चाहे कार्य पूर्ण करने के लिए कितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े। जीवन एक खेल है जिसमें प्रतिपल जुटे रहकर आगे बढ़ना है। किसी कवि का निम्न कथन देखिये-
“वह नया कच्चा खिलाड़ी
खेल के जो बीच में ही,
पूछता है साथियों से,
बंद होगा खेल कब तक।”

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प्रश्न 3.
दीपक से मानव जीवन की तुलना किस रूप में की गई है? (2012, 17)
उत्तर:
दीपक से मानव जीवन की तुलना इस प्रकार की है जैसे दीपक को बनाने से पूर्व कुम्हार मिट्टी को कूटता और कंकड़-पत्थर निकालकर उसे साफ-सुथरा करके पैरों से रौंद कर, मिट्टी को गूंथ कर लौंदे का रूप देकर चाक पर रख देता है तथा धूप में सुखाकर तथा आग पर तपा कर दीपक की आकृति प्रदान करता है।

दीपक की भाँति मानव को भी संघर्ष का सामना करना चाहिए। उसे यही सोचकर संघर्ष करना चाहिए कि इन संघर्षों के उपरान्त व्यक्ति को जीवन में नया प्रकाश मिलेगा। जिस प्रकार दीपक का प्रकाश चारों ओर फैलता है। उसी प्रकार मनुष्य भी अपने सत्कर्मों के प्रकाश से इस संसार को प्रकाशित करेगा।

प्रश्न 4
‘दीपक की आत्मकथा’ नामक पाठ से आपको क्या प्रेरणा मिलती है? (2009, 11)
उत्तर:
‘दीपक की आत्मकथा’ कहानी से प्रेरणा मिलती है कि मानव को संघर्षों की भट्टी में जलकर भी दीपक की भाँति प्रकाशित होना चाहिए।

मानव का तप और त्याग दीपक की भाँति होना चाहिए दीप स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश प्रदान कर अपना जीवन अर्पित कर देता है। दीपक की भाँति मनुष्य को भी विषम परिस्थितियों से जूझना चाहिए। जीवन की सार्थकता तभी है,जब वह जीवन में दीपक की भाँति त्याग करे तथा विश्व को आलोकित करे।

प्रश्न 5.
दीपक ने किस-किस को नमन किया और क्यों?
उत्तर:
दीपक ने पाँचों तत्त्वों को नमन किया है,क्योंकि उन्हीं के सहयोग से उसके भौतिक शरीर ने साकार रूप धारण किया तथा मातृभूमि उसकी माँ है जिसे उसने कृतज्ञ भाव से नमन किया।

प्रश्न 6.
माता की कुक्षि कब धन्यता प्राप्त करती है? (2018)
उत्तर:
माता की कुक्षि तब ही धन्य होती है जब बालक में अपनी मातृभूमि के प्रति समर्पण व प्रेम की भावना हो।

प्रश्न 7.
दीप ने अपने आपको ‘सच्चा दीप’ कैसे सिद्ध किया है? (2009)
उत्तर:
दीप ने अपने दुःख और कष्ट के समय के झंझाओं को सहन करके तथा कठिन संघर्षों का सामना करके भी चुनौती को स्वीकार किया।

इस प्रकार कष्टों को सहन करके अपने आपको सच्चा दीप सिद्ध किया वास्तव में दीपक स्वयं जलकर त्याग करता है तथा लोगों को प्रकाश प्रदान कर उनके जीवन में उजाला कर देता है। इस प्रकार दीपक वास्तव में सच्चा दीप है।

प्रश्न 8.
मानव जीवन को सार्थकता कैसे प्राप्त होती है?
उत्तर:
मानव जीवन की सार्थकता तभी सम्भव है जब वह दीपक से सच्चा ज्ञान प्राप्त करे। जिस प्रकार दीपक वक्त के थपेड़ों को सहता हुआ संघर्ष करके भी स्वयं जलकर दूसरों को निरन्तर प्रकाश देकर अपना जीवन समर्पित कर देता है। उसी प्रकार मनुष्य को भी जीवन के संघर्षों और कष्टों को सहन करते हुए बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ते रहना चाहिए वास्तव में,राष्ट्र के हित में अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए दीपक से प्रेरणा लेकर निरन्तर सचेष्ट भाव से आगे बढ़ते रहना चाहिए। इसी में मानव जीवन की सार्थकता निहित है,क्योंकि जो सुख दूसरों के लिए त्याग करने में है, वैसा सुख अन्यत्र दुर्लभ है।

प्रश्न 9.
“गुरु कुम्हार सिष कुम्भ है ……… बाहर मारे चोट।” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
लेखक का कथन है गुरु तो कुम्हार है तथा शिष्य कुम्भ (घड़े) के समान है।

जिस प्रकार कुम्हार घड़े को बनाते समय हाथ से प्रहार करके उसके खोट अर्थात् टेढ़ेपन को निकालकर सीधा करता है। उसी प्रकार गुरु भी अपने शिष्य की बुराई को दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार से डाँटता-फटकारता एवं प्रताड़ित करता है।

कुम्हार मटके को सीधा करने के लिए उसमें हाथ डालकर बाहर से प्रहार कर सीधा करता है लेकिन साथ ही भीतर से सहारा भी देता है।

इसी प्रकार उत्तम गुरु भी शिष्य के विकारों को दूर करके उसके हृदय में ज्ञान का प्रकाश प्रज्ज्वलित कर उसके अन्तर्मन को प्रकाशित करता है।

वास्तव में,उत्तम गुरु ही शिष्य को श्रेष्ठता के शिखर पर पहुँचा देता है। कबीरदास जी ने तो गुरु को ईश्वर से भी अधिक उच्च स्थान प्रदान किया है। देखिये-
“गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो मिलाय॥”

इस प्रकार गुरु की महिमा अनन्त है। गुरु के बिना ज्ञान असम्भव है। चिन्तामय हृदय तथा थके हुए प्राणों को गुरु ही सांत्वना प्रदान करता है।

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दीपक की आत्मकथा महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

दीपक की आत्मकथा बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन की सार्थकता है
(क) त्याग
(ख) बल
(ग) तप
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 2.
माता की कुक्षि कब धन्यता प्राप्त करती है?
(क) तमस् को दूर कर
(ख) मूक नमन कर
(ग) मातृभूमि के प्रति कृतज्ञता का भाव रखकर
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
मिट्टी के बर्तन बनाने वाले को कहते हैं (2009)
(क) सुतार
(ख) कुम्हार
(ग) लुहार
(घ) सुनार।
उत्तर:
(ख) कुम्हार

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. मेरे तो डर के मारे ………… फूल गये।
  2. मेरी धरती भी तो कितना कुछ सहन करती है, इसीलिए तो वह …………. से भी महान है।
  3. क्योंकि त्याग के सुख का आनन्द ………… होता है, अतुलनीय होता है।

उत्तर:

  1. हाथ-पाँव
  2. स्वर्ग
  3. अनिवर्चनीय

सत्य/असत्य

  1. कुम्हार चाक को चलाते समय विचारमग्न रहता है।
  2. ‘दीपक’ को बेचकर कुम्हार अपनी जीविका नहीं चलाता है।
  3. आज भी कुछ लोग घड़े के पानी का उपयोग करते हैं।
  4. दीपक अंधकार को मिटाता है। (2014)

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य।

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 10 दीपक की आत्मकथा img-1
उत्तर:
1. → (क)
2. → (ग)
3. → (ख)

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एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. हमारा शरीर किससे मिलकर बना है?
  2. कुम्हार बर्तन को धूप में सुखाने के बाद किस पर पकाता है?
  3. कौन स्वयं जलकर भी दूसरों को प्रकाश देता है? (2015)

उत्तर:

  1. पाँच तत्त्वों से
  2. आवे पर
  3. दीपक।

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MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 9 रक्षाबंधन

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 9 रक्षाबंधन (कहानी, विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’)

रक्षाबंधन अभ्यास

कहानी

प्रश्न 1.
धनश्याम ने अपनी माता और बहिन की खोज कहाँ-कहाँ की?
उत्तर:
घनश्याम एक स्वस्थ तथा सुन्दर युवक था। जो धन कमाने दक्षिण को गया था। इस दौरान उसका अपनी माँ तथा छोटी बहन से सम्पर्क टूट गया। जो उससे बिछुड़ गये उनको विभिन्न शहरों; जैसे-कानपुर, लखनऊ, उन्नाव आदि में तलाश किया। अन्त में जब उसकी काफी कोशिश के पश्चात् भी उसकी माँ तथा बहन न मिली, तो वह निराश हो गया।

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प्रश्न 2.
नाटकीय ढंग से हुए माँ-बेटे और बहिन के मिलन दश्य का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
घनश्याम माँ तथा बहन से बिछुड़ने के पश्चात् नितान्त अकेला रह गया था। उसका एक मित्र अमरनाथ जो उसके भविष्य को लेकर चिन्तित रहता था; उसके लिए विवाह योग्य कन्या की तलाश में रहता था। काफी तलाश के पश्चात् अपने मित्र घनश्याम के योग्य एक कन्या देखी। वह अपने मित्र घनश्याम के साथ उस कन्या को देखने हेतु उसके घर पहुँचा उस कन्या का घर यहियागंज की गली में एक छोटा-सा मकान था। वहाँ उसकी माँ उसको देखकर बेहोश हो गई। अमरनाथ ने पानी लेकर घनश्याम की माता की आँखें तथा मुख धो दिये। थोड़ी देर में उसे होश आया। उसने आँखें खोलते ही फिर घनश्याम को देखा। वह शीघ्रता से उठकर बैठ गयी और बोली-ऐ, मैं क्या स्वप्न देख रही हूँ? घनश्याम क्या तू मेरा खोया घनश्याम है? या कोई और? माता ने पुत्र को उठाकर छाती से लगा लिया। लड़की यह सब देख सुनकर भैया-भैया कहती हुई घनश्याम से लिपट गयी घनश्याम ने देखा-लड़की कोई और नहीं,वही बालिका है जिसने पाँच वर्ष पूर्व उसके राखी बाँधी थी और जिसकी याद प्रायः उसे आया करती थी। इस प्रकार घनश्याम का अपनी माँ तथा बहन से मिलन हुआ।

प्रश्न 3.
“अमरनाथ एक सच्चा मित्र है।” क्यों कहा गया है? (2016)
उत्तर:
अमरनाथ एक सच्चा मित्र है,क्योंकि एक सच्चे मित्र में जो गुण होते हैं वह समस्त गुण अमरनाथ में हैं। घनश्याम एक सुन्दर धनी युवक है। वह अपने खोई माँ तथा बहिन के लिए चिन्तित रहता है। उसका मित्र अमरनाथ उसकी परिस्थितियों को समझता है। उसकी सहायता करने के लिए प्रयास करता रहता है।

हालांकि उसका मित्र घनश्याम धनी है। फिर भी वह उससे धन तथा अन्य किसी भी प्रकार के स्वार्थ की भावना नहीं रखता है। अमरनाथ के प्रयास से ही घनश्याम का बिछुड़ी हुई माँ तथा बहिन से मिलना होता है।

यद्यपि वह अपने विवाह के लिए कन्या देखने गया था लेकिन वहाँ उसकी मुलाकात अपनी खोई हुई माँ और बहिन से होती है। अमरनाथ में एक सच्चे मित्र का गुण है। जो अपने मित्र को अकेला परेशानियों में देखकर उसे छोड़ नहीं देता अपितु वह उसका हर परिस्थिति में साथ देता है। वास्तव में अमरनाथ एक उत्तम मित्र सिद्ध हुआ है।

इस सन्दर्भ में महाकवि तुलसी ने भी कहा है-
“धीरज, धर्म, मित्र और नारी,
आपति काल परखिए चारी।”

प्रश्न 4.
“यह सब मेरे ही कर्मों का फल है” घनश्याम के इस कथन के आलोक में माँ-बेटे के बिछुड़ने की घटना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
घनश्याम एक पढ़ा-लिखा स्वस्थ, सुन्दर तथा महत्त्वाकांक्षी युवक था। जैसा कि युवावस्था में होता है प्रत्येक नवयुवक के मन में उमंगें होती हैं। उसी प्रकार धन कमाने की इच्छा भी घनश्याम को थी। परिणामस्वरूप घनश्याम धन कमाने दक्षिण को चला गया। वहाँ वह धन कमाने के लिए परिश्रम में इतना डूब गया कि उसको अपनी माँ तथा बहिन का ख्याल ही न रहा। परिणामस्वरूप जब वह धन कमाकर वापिस लौटा तो उसकी माँ तथा बहिन उससे निराश होकर कहीं चली गयीं। घनश्याम को अपनी गलती का आभास हुआ। उसने अपनी माँ तथा बहन को ढूँढ़ने का बहुत प्रयास किया वह विभिन्न शहरों में भटकता रहा लेकिन काफी प्रयास के पश्चात् भी उसकी माँ तथा बहिन नहीं मिलीं। निराश होकर वह कहने लगा यह सब मेरे कर्मों का फल है। क्योंकि न मैं इतना व्यस्त होता,न ही मेरा,मेरी माँ तथा बहिन से सम्पर्क टूटता अतः घनश्याम अब पछताने लगा। अतः किसी ने उचित ही कहा है-
“जो जस करहिं सो तस फल चाखा।”

प्रश्न 5.
प्रस्तुत कहानी के माध्यम से कहानीकार क्या सन्देश देना चाहता है?
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी के माध्यम से कहानीकार ने यह बताने का प्रयत्न किया है कि खून के रिश्ते कभी झूठे नहीं होते हैं, क्योंकि यह सम्बन्ध भावात्मक होता है। व्यक्ति चाहे अपने प्रियजन से कितना भी दूर क्यों न हो लेकिन उसके हृदय में आत्मीयता अवश्य होती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताने का प्रयत्न किया है कि मनुष्य को रुपया-पैसा कमाने के चक्कर में इतना व्यस्त नहीं होना चाहिए कि आपसी सम्बन्धी बिछुड़ जायें जीवन की धूप-छाँव में व्यस्त रहते हुए भी अपने प्रियजनों को कुछ समय अवश्य देना चाहिए।

रक्षाबन्धन कहानी के द्वारा लेखक ने भाई-बहन, माँ-पुत्र के रिश्तों की गरिमा को समझाते हुए उसका महत्त्व बताया है। लेखक का कथन है मानव को कर्म करते हुए अपने आत्मीय सम्बन्धों को भूलना नहीं चाहिए। यदि वे इस प्रकार की भूल करते हैं तो उन्हें जीवन भर पछतावे के अलावा कुछ नहीं मिलता है। इस कहानी के द्वारा लेखक सन्देश देना चाहता है कि धन और सत्ता के पीछे जो मानव आवश्यकता से अधिक भागता है,उसका परिणाम हमेशा दुःखद ही होता है। अतः आवश्यकता से अधिक धन कमाने के फेर में नहीं पड़ना चाहिए। जब मानव पारिवारिक सम्बन्धों को मन-मानस में गहराई से स्थान देता है,तब रोती हुई घटाओं में हँसती हुई बहारें बरसने लगती हैं। मुसीबतों का अँधेरा उजाले में परिवर्तित हो जाता है।

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रक्षाबन्धन महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रक्षाबन्धन बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘रक्षाबन्धन’ पाठ की विधा है (2014)
(क) कविता
(ख) कहानी
(ग) आत्मकथा
(घ) संस्मरण।
उत्तर:
(ख) कहानी

प्रश्न 2.
“सब तेरे ही कर्मों से नाश हो गया”; कथन किसका है?
(क) बालिका का
(ख) घनश्याम का
(ग) बालिका की माँ का
(घ) अमरनाथ का।
उत्तर:
(ग) बालिका की माँ का

प्रश्न 3.
घनश्याम की बहन का नाम क्या था? (2009)
(क) शारदा
(ख) सुन्दरी
(ग) श्यामा
(घ) सरस्वती।
उत्तर:
(घ) सरस्वती।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. राखी बंधवा कर युवक ने जेब में हाथ डाला और ……………… निकालकर बालिका को देने लगा।
  2. मेरे हृदय में सुख शान्ति नहीं तो धन किस ……………. की दवा है।
  3. आखिर यह …………… बाँधा किसने है?

उत्तर:

  1. दो रुपये
  2. मर्ज
  3. डोरा।

सत्य/असत्य

  1. घनश्याम अपनी माँ और बहिन से बिछुड़ा नहीं था।
  2. राखी का त्योहार श्रावणी कहा जाता है।
  3. घनश्याम के पिता का निधन हो गया था।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य।

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सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 9 रक्षाबंधन img-1
उत्तर:
1. → (घ)
2. → (ख)
3. → (क)
4. → (ग)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. श्रावण मास की पूर्णिमा को कौन-सा पर्व मनाया जाता है? (2009)
  2. घनश्याम के लिए सुन्दर सी दुल्हन किसने ढूँढ़ ली?
  3. “यह सब मेरे ही कर्मों का फल है।” कथन किसका है?

उत्तर:

  1. रक्षाबन्धन
  2. अमरनाथ ने
  3. घनश्याम का।

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MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 6 निंदा रस

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 6 निंदा रस (व्यंग्य निबन्ध, हरिशंकर परसाई)

निंदा रस अभ्यास

व्यंग्य निबन्ध

प्रश्न 1.
लेखक ने निन्दकों को पास में रखने की सलाह क्यों दी है?
उत्तर:
हीनता की भावना ही निन्दा की जन्मदात्री है। निन्दा की प्रवृत्ति आलस्य तथा प्रमाद से उत्पन्न होती है। निठल्ला इन्सान दूसरों को कार्य में जुटा देखकर उनसे अकारण ईर्ष्या करने लगता है। प्रमादी मानव कार्य करने से जी चुराता है। यही अकर्मण्यता व्यक्ति को निन्दक के रूप में परिवर्तित कर देती है। निन्दा से बचने का एकमात्र साधन कर्म में प्रतिपल जुटे रहना है। कर्म से आत्म-सन्तुष्टि मिलती है।

प्रश्न 2.
अपने निन्दकों को उचित उत्तर देने का लेखक ने क्या उपाय सुझाया है?
उत्तर:
लेखक ने निन्दकों को उचित उत्तर देने का सर्वश्रेष्ठ उपाय बताया है कि कठोर श्रम से हम ईर्ष्या,जलन, ढाह आदि बुरी भावनाओं का समूल नाश कर सकते हैं। निन्दकों को उचित उत्तर देने का यही सर्वश्रेष्ठ उपाय है।

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प्रश्न 3.
निन्दा की प्रवृत्ति से बचने के लिए क्या करना चाहिए? (2009)
उत्तर;
जो इन्सान निन्दा में प्रवृत रहता है, उसका मन कमजोर तथा अशक्त होता है। उसके मन में हीनता की भावना विद्यमान रहती है। निन्दा के माध्यम से वह दूसरों को अपने से हीन तथा तुच्छ करार देता है। इस प्रकार के कृत्य से वह अपने अहम् को पारितोष देता है। निन्दा से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय काम में जुटे रहना है। कर्म में प्रवृत्त रहने से धीरे-धीरे निन्दा का अवगुण समाप्त हो जाता है। कठिन कर्म ही निन्दा को नष्ट करता है। कार्यरत मानव को दूसरे की निन्दा करने का अवकाश ही नहीं मिलता।

प्रश्न 4.
“छल का धृतराष्ट्र जब आलिंगन करे तो पुतला ही आगे बढ़ाना चाहिए।” कथन का आशय स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
पुतला निर्जीव एवं भावना-शून्य होता है। लेखक की धारणा है कि जब कोई इन्सान छल-कपट की भावना मन-मानस में छिपा कर हमसे मिले तो हमें भी ऐसे इन्सान के साथ मिलने तथा प्रेम-प्रदर्शन की औपचारिकता को ही निभाना चाहिए। इनके साथ हमें इसी भाँति मिलना चाहिए जिस तरह कि कृष्ण ने धृतराष्ट्र के समक्ष भीम की जगह पर भीम का पुतला आगे बढ़ा दिया था। इस कथन का तात्पर्य यह है कि कपटी तथा छली धृतराष्ट्र भी भीम के आलिंगन का इच्छुक न होकर,उसको मौत के घाट उतारना चाहता था।

प्रश्न 5.
“कुछ लोग बड़े निर्दोष मिथ्यावादी होते हैं।” कथन की विवेचना कीजिये। (2009, 14, 16)
उत्तर:
कुछ इन्सान बड़े निर्दोष-मिथ्यावादी स्वभाव वाले होते हैं। वे स्वभाववश झूठ का आश्रय लेते हैं। बिना किसी कारण निष्प्रयास असत्य बोलते हैं। ठीक बात उनके मुख से कभी निकलती ही नहीं है। इस प्रकार के मिथ्यावादियों के लिए लेखक ने निर्दोष शब्द का जो प्रयोग किया है, वह उचित प्रतीत होता है। जो इन्सान इस प्रकार का झूठ बोलता है, वह किसी को नुकसान नहीं पहुँचाता। वे झूठ का सहारा स्वभाववश लेते हैं। दुनिया में अक्सर लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थ हेतु या दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं, परन्तु निर्दोष मिथ्यावादी अपनी प्रकृति के वशीभूत होकर ही असत्य बोलता है।

प्रश्न 6.
इस पाठ से आपने क्या शिक्षा ग्रहण की और क्या निश्चय किया? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
हीनता की भावना से निन्दा का जन्म होता है। जिस इन्सान में हीनता की भावना होती है, निन्दक बन जाता है। हीनता की भावना से ग्रसित होकर व्यक्ति अपनी श्रेष्ठता का प्रभाव जमाना चाहता है। अपने अहम् को सन्तुष्ट करने के लिए वह निन्दा करता है। निन्दक की प्रवृत्ति आलस्य तथा प्रमाद से उत्पन्न होती है। प्रमादी मानव कार्य करने से जी चुराता है। निन्दा रस से बचने का एकमात्र साधन कर्म में प्रतिपल जुटे रहना है। कर्म से आत्म-सन्तुष्टि मिलती है। इस पाठ से हमने यह शिक्षा ग्रहण की है कि निन्दा रस से बचने के लिए हमेशा कर्म में जुटे रहना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप हमारे भीतर की निन्दा रस रूपी बुराई समूल नष्ट हो जाती है। इस पाठ के अध्ययन के उपरान्त हमने निश्चय किया कि हम प्रतिक्षण अपने कर्म में जुटे रहेंगे तथा निन्दा रस रूपी बुराई अपने हृदय से निकालकर अपना तथा आसपास के वातावरण को खुशहाल बनायेंगे।

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निन्दा रस महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निन्दा रस बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूरदास जी ने निन्दा के विषय में लिखा है
(क) ‘निन्दा सबद रसाल’
(ख) विशाल निन्द
(ग) रस निन्दा
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) ‘निन्दा सबद रसाल’

प्रश्न 2.
निन्दा का उद्गम है
(क) दीनता
(ख) निन्दक
(ग) हीनता और कमजोरी
(घ) कमजोरी।
उत्तर:
(ग) हीनता और कमजोरी

प्रश्न 3.
निन्दा कुछ लोगों की पूँजी होती है, इससे वे फैलाते हैं
(क) बुराई
(ख) प्रतिष्ठा
(ग) पूँजी
(घ) लम्बा चौड़ा व्यापार।
उत्तर:
(घ) लम्बा चौड़ा व्यापार।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. छल का धृतराष्ट्र जब आलिंगन करे, तो ………… ही आगे बढ़ाना चाहिए।
  2. निंदा रस नामक निबन्ध में ………… तत्त्व की प्रधानता है। (2009)
  3. मनुष्य अपनी ……………. से दबता है।

उत्तर:

  1. पुतला
  2. व्यंग्य
  3. हीनता।

सत्य/सत्य

  1. कुछ लोग बड़े निर्दोष मिथ्यावादी होते हैं।
  2. कठिन कर्म ही ईर्ष्या और द्वेष को जन्म देता है।
  3. बड़ी लकीर को कुछ मिटाकर छोटी लकीर बनती है।
  4. निन्दा रस व्यंग्य निबन्ध है। (2010)
  5. निंदक समाज में सम्मान के पात्र होते हैं। (2015)

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. असत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 6 निंदा रस img-1
उत्तर:
1. → (ख)
2. → (ग)
3. → (क)
4. → (घ)

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एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. लेखक ने किसको अपने पास रखने की सलाह दी है?
  2. कौन-सा रस आनन्ददायक है?
  3. किस व्यक्ति की स्थिति बड़ी दयनीय होती है?
  4. निन्दा रस के लेखक कौन हैं? (2017)

उत्तर:

  1. निन्दकों को
  2. निन्दा रस
  3. निन्दक की
  4. हरिशंकर परिसाई।

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MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 5 भगिनी निवेदिता

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 5 भगिनी निवेदिता (संस्मरण, प्रवाजिका आत्मप्राणा)

भगिनी निवेदिता अभ्यास

संस्मरण

प्रश्न 1.
स्वामी विवेकानन्द से निवेदिता की मुलाकात कब, कहाँ और कैसे हुई? (2013, 17)
उत्तर:
स्वामी विवेकानन्द से निवेदिता की मुलाकात सन् 1893 के शिकागो के विश्वधर्म सम्मेलन में हई स्वामीजी लन्दन अपने मित्रों के आग्रह पर आये थे यहीं पर मार्गरेट (निवेदिता) ने स्वामीजी के प्रवचन सुने और अपना आदर्श मान लिया।

प्रश्न 2.
स्वामी जी के साथ हिमालय यात्रा में निवेदिता को क्या अनुभव हुए?
उत्तर:
स्वामीजी के साथ हिमालय यात्रा में निवेदिता पैदल ही चलीं। मार्ग में वे पटना, वाराणसी, लखनऊ, पंजाब, रावलपिण्डी, बारामुला होते हुए कश्मीर पहुँचे। उन्होंने पहली बार भारत की पवित्र भूमि पर पाँव रखा था।

भारत के पवित्र तीर्थस्थान गाँव, पर्वत, नदियाँ तथा भारत के श्रद्धालुओं से मिलने का अवसर उन्हें प्राप्त हुआ।

वे अमरनाथ की दुर्गम यात्रा पर स्वामी जी के साथ अकेली ही गयीं इस यात्रा के पश्चात् उनकी जीवन शैली में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया। वे स्थान-स्थान पर व्याख्यान देने लगीं। उन्होंने शिक्षा के उत्थान के लिए अपनी अदम्य शक्ति लगायी और निरन्तर प्रयास किया कि सभी महिलाएँ शिक्षित हो जायें। उनका कहना था यह सम्पूर्ण देश तुम्हारा है और देश को तुम्हारी आवश्यकता है। अतः अपने मूल्यवान समय को देश के हित के लिए लगाओ।

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प्रश्न 3.
अमरनाथ यात्रा से भगिनी निवेदिता को भारत को समझने में किस प्रकार सहायता मिली?
उत्तर:
अमरनाथ यात्रा से भगिनी निवेदिता को भारत के रहन-सहन, खान-पान एवं वेश-भूषा की पर्याप्त जानकारी मिली। स्थान-स्थान पर रुकने से वहाँ के लोगों की बोली और विचारों से अवगत हुई।

भगिनी निवेदिता भारत के ज्ञान,दर्शन,संस्कृति व परम्पराओं से परिचित हुईं। वे यहाँ की संस्कृति और सभ्यता से इतना अधिक प्रभावित हुईं कि उन्होंने स्वयं को भारत की माटी में ही एकाकार (समाहित) कर लिया।

उन्होंने यहाँ महिलाओं के आचार-व्यवहार व रहन-सहन तथा वात्सल्यपूर्ण व्यवहार को देखा। यात्रा के दौरान उन्होंने प्रकृति का अपूर्व आनन्द लिया। उनका कहना था कि भारत में जितनी शान्ति है, उतनी अन्य कहीं नहीं वास्तव में इस देश की सभ्यता एवं संस्कृति, दुनिया को एक नई रोशनी प्रदान करने वाली है। यहाँ के प्रत्येक दृश्य एवं संस्कार अपनी अलौकिक छटा विकीर्ण कर रहे हैं।

प्रश्न 4.
कलकत्ता में फैले प्लेग के समय निवेदिता ने किस प्रकार सेवा की?
उत्तर:
निवेदिता ने 13 नवम्बर, सन् 1896 को कलकत्ता (कोलकाता) में अपने निवास स्थान के समीप एक बालिका विद्यालय की स्थापना की, लेकिन अगले वर्ष जैसे ही निवेदिता को कलकत्ता (कोलकाता) में प्लेग फैलने का समाचार मिला, वे अपने सभी शिष्यों के साथ टोली बनाकर रोगियों की सेवा में जुट गयीं। वे रात-दिन भूखी-प्यासी रहकर और अपनी चिन्ता छोड़कर रोगियों की चिकित्सा में निःस्वार्थ भाव से जुटी रहती थीं। रोगियों की सेवा के उपरान्त उन्हें हार्दिक प्रसन्नता प्राप्त होती थी। उन्हें रोगियों से पर्याप्त स्नेह और आदर मिलता था। उनके विषय में जिला चिकित्सा अधिकारी ने एक रिपोर्ट में लिखा है-
“निवेदिता अपने आराम, स्वास्थ्य, भोजन तक की चिन्ता न कर गन्दी बस्तियों में घूमती रहीं।”
इस प्रकार निवेदिता ने निःस्वार्थ भाव से रोगियों की सेवा की।

प्रश्न 5.
स्त्री शिक्षा पर निवेदिता के विचार स्पष्ट कीजिये। (2018)
उत्तर:
निवेदिता जब भारत आयीं, उस समय उनके मन में एक विद्यालय स्थापित करने की भावना ने जन्म लिया। अतः सन् 1896 में 13 नवम्बर को उन्होंने अपने घर के पास बालिका विद्यालय की स्थापना की थी, माँ ने इस विद्यालय का विधिवत् उद्घाटन किया। इस विद्यालय में लड़कियों को पढ़ने-लिखने के अतिरिक्त चित्रकारी, मिट्टी का काम भी सिखाया जाता था। उनको इस कार्य में अपूर्व सुख की अनुभूति होती थी। लगभग छः माह बाद धनाभाव के कारण विद्यालय चलाने में असुविधा हुई। अतः धन संग्रह के लिए वे पुनः विदेश गयीं और वहाँ उन्होंने देखा कि विदेशों में भारतवासियों की झूठी और घृणित तस्वीर प्रस्तुत की जा रही है। विशेषकर भारत की स्त्रियों की निन्दा की जा रही है। उन्होंने स्त्रियों की उचित स्थिति को व्यक्त किया।

प्रारम्भ में बालिका विद्यालय में कोई भी अपनी बालिका को नहीं भेजना चाहता था, लेकिन निवेदिता ने अपनी सेवा तथा सरल चित्तवृत्ति के द्वारा लोगों के मन को आकर्षित किया और लोगों ने अपनी बालिकाओं को विद्यालय भेजना शुरू कर दिया।

धीरे-धीरे विद्यालय बढ़ने लगा और आज भी यह विद्यालय सुव्यवस्थित रूप से चल रहा है।

प्रश्न 6.
भारतीय स्त्रियों के कौन-कौन से गुणों ने निवेदिता को प्रभावित किया? (2015)
उत्तर:
भारतीय स्त्रियों के निम्नलिखित गुणों ने निवेदिता को प्रभावित किया-
(1) ममतामयी माँ :
निवेदिता ने भारत की महिलाओं को आदर्श माँ के रूप में पाया। वात्सल्य भाव की जो छवि भारत की स्त्रियों में पायी जाती है,वह अन्यत्र दुर्लभ है। वे वास्तव में ममता और प्रेम से परिपूर्ण हैं।

(2) आदर्श पत्नी :
निवेदिता ने भारत की स्त्रियों को आदर्श पत्नी के रूप में पाया। माँ-बाप तथा सास-ससुर की सेवा का जो आदर्श भाव यहाँ की महिलाओं में है, वह अन्य कहीं नहीं है। वह अपने पति की रक्षा के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान कर देती हैं।

(3) वीरता की साक्षात् प्रतिमूर्ति :
भारत की स्त्रियाँ वीरता की साक्षात् मूर्ति हैं। रानी लक्ष्मीबाई और अहिल्याबाई इसका साक्षात् उदाहरण हैं। वास्तव में यहाँ की महिलाएँ देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाली हैं।

(4) दया और सद्भावना :
भारत की स्त्रियों में दया और सद्भावना अधिक है। यह बात निवेदिता ने यहाँ की स्त्रियों के सम्पर्क में आकर ही जानी भारत आने के बाद ही उन्हें स्त्रियों के समुचित गुणों का सही रूप में ज्ञान हुआ। वास्तव में भारत की महिलाएँ धन्य हैं। अतः किसी विद्वान ने उचित ही कहा है-
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।”

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भगिनी निवेदिता महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भगिनी निवेदिता बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भगिनी निवेदिता पर लिखा गया ‘संस्मरण’ के लेखक हैं- (2011)
(क) अजहर हाशमी
(ख) प्रवासिका आत्मप्राणा
(ग) डॉ.श्यामसुन्दर दुबे
(घ) डॉ. यतीन्द्र अग्रवाल।
उत्तर:
(ख) प्रवासिका आत्मप्राणा

प्रश्न 2.
निवेदिता ने गुरु मान लिया था
(क) दयानन्द को
(ख) रामानुजाचार्य को
(ग) विवेकानन्द को
(घ) रामानन्द को।
उत्तर:
(ग) विवेकानन्द को

प्रश्न 3.
भगिनी निवेदिता का वास्तविक नाम था (2009)
(क) मार्गरेट थेचर
(ख) मिस वीन्स
(ग) मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल
(घ) लिली।
उत्तर:
(ग) मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. उनकी लन्दन में एक संन्यासी …………… से भेंट हुई।
  2. समुद्री यात्रा पर उन्होंने अपने ……………. से बहुत कुछ सीखा।
  3. वे भारत को महान ………….. का देश कहा करती थीं।
  4. कलकत्ता में …………. फैला था। (2016)

उत्तर:

  1. विवेकानन्द
  2. गुरु
  3. महिलाओं
  4. प्लेग।

सत्य/असत्य

  1. निवेदिता भारत आकर अप्रसन्न थीं।
  2. निवेदिता गीता का निरन्तर अध्ययन करती थीं।
  3. रामकृष्ण शारदा मिशन भगिनी निवेदिता बालिका विद्यालय आज भी चल रहा है।
  4. भगिनी निवेदिता संस्मरण नहीं है। (2010)

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य

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सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 5 भगिनी निवेदिता img-1
उत्तर:
1. → (ग)
2. → (ख)
3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. निवेदिता नाम का क्या अर्थ है?
  2. शिक्षा के लिए धन एकत्र करने उन्हें कहाँ जाना पड़ा?
  3. अपने विद्यालय में उन्होंने क्या चलाना सीखा?

उत्तर:

  1. समर्पण
  2. विदेश
  3. चरखा।

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MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 4 थके हुए कलाकार से

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 4 थके हुए कलाकार से (कविता, धर्मवीर भारती)

थके हुए कलाकार से अभ्यास

कविता

प्रश्न 1.
अधबनी धरा पर अभी क्या-क्या बनना शेष है? (2015, 17)
उत्तर:
अधबनी धरा पर अभी चाँदनी पूरी तरह नहीं फैल पायी है। पुष्प की कली भी अभी अधखिली है। अभी तो इस धरा में भी अपूर्णता है, क्योंकि इसकी नींव का भी पता नहीं है। अभी तो संसार की सृष्टि का सृजन भी अधूरा है। इस कारण सभी वस्तुएँ अभी अपने आप में अपूर्ण हैं। इस धरा की सम्पूर्ण वस्तुओं का अभी विकास होना है।

प्राकृतिक वस्तुएँ इस बात का स्पष्ट संकेत दे रही हैं कि जिस भाँति उनका विकास अपूर्ण है, तद्नुकूल संसार की प्रगति भी अभी अवशेष है।

प्रश्न 2.
स्वर्ग की नींव का पता किस प्रकार लग सकता है? (2014, 17)
उत्तर:
स्वर्ग की नींव का पता अभी नहीं चल सकता है, क्योंकि धरा अभी अपूर्ण है। अतः सृष्टि का सृजन भी अपूर्ण है। अतः हे थके हुए कलाकार! तुम्हें प्रतिपल सजग रहकर धरती को स्वर्ग में परिणित करने के लिए चलते रहना चाहिए। तभी धरती पर स्वर्ग की नींव का पता चल सकता है।

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार प्रलय से कलाकार को निराश क्यों नहीं होना चाहिए?
उत्तर:
कवि के अनुसार प्रलय से कलाकार को निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि निराश होने पर कलाकार अपनी कृति को पूर्ण नहीं कर सकता। कलाकार को अपनी कृति पूर्ण करने के लिए प्रतिपल जीवन के झंझाओं से जूझने के लिए तत्पर रहना चाहिए। सबल प्राणों से तभी जीवन का संचार होगा जबकि कलाकार बिना रुके अपने सृजन में निरन्तर लगा रहेगा, क्योंकि गति का नाम ही अमर जीवन है। निम्न कथन इस बात का द्योतक हैं, देखिए-
“प्राणदीप जूझे झंझा से, फिर भी मन्द प्रकाश न हो,मेरे मीत उदास न हो।”

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प्रश्न 4.
‘थके हुए कलाकार से’ कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
थके हुए कलाकार से’ कविता के माध्यम से धर्मवीर भारती ने मानव को निरन्तर चलते रहने की प्रेरणा दी है।

कवि का कथन है कि हे देवता! तू सृष्टि की थकान का विस्मृत कर दे,क्योंकि धरती तो अभी अधूरी है। जिस मृदुल चाँदनी की कल्पना तुमने की थी, वह भी अधूरी है। ये जीवन सुगन्धि से युक्त नहीं है क्योंकि अभी कली पूर्णरूप से खिली नहीं है। इस अपूर्ण धरती पर स्वर्ग की नींव का कोई भी चिह्न नहीं है। अतः हे देवता! तू सृष्टि के सृजन को भूल कर निरन्तर चलता रह,क्योंकि चलने का अर्थ ही जीवन है। रुकने का अर्थ है सृजन को बन्द करना। यदि अन्धकार में रास्ता भूल गये हो अथवा कोई रोशनी की किरण नहीं मिल रही हो अथवा सूर्य कहीं बादलों में छिप गया हो; तुम्हें इस पथ में व्यवधान उत्पन्न करने वाली बाधाओं को परास्त करना हो। नई सृष्टि का रंगों का सपना विलुप्त हो जायेगा, यदि तुम रुक जाओगे तो संसार का सृजन रुक जायेगा। तुम्हें इस पथ पर व्यवधान से उत्पन्न होने वाली बाधाओं को परास्त करना है।

इस प्रकार इस अपूर्ण सृजन से तुम निराश मत होना और सृजन की थकान को भूलकर, यदि तुझे प्रलय से कोई निराशा हुई हो तो तुम अपनी अव्यवस्थित श्वांसों को झरोखों से शुद्ध वायु लेकर; उनमें प्राणों का संचार करना यदि कलाकार की बाँहें थक जायेंगी तो प्रलय भी अपूर्ण होगी और सृजन की योजना भी अधूरी होकर खो जायेगी।

अतः यदि इस प्रलय से तुझे निराशा हुई हो तो क्या पता इस नाश में कहीं पर मूच्छित जिन्दगी पड़ी हो अतः हे देवता! तू सृजन की थकान को भूल जा क्योंकि अभी इस धरती पर सभी वस्तुएँ अपूर्ण हैं।

प्रश्न 5.
कवि ने अधूरे सृजन से निराश न होने की बात कहकर क्या संकेत देना चाहा है?
उत्तर:
कवि ने अधूरे सृजन से निराश न होने की बात कहकर यह संकेत किया है कि हे मानव! तू निराश मत हो क्या पता इस निराशा में ही तुझे कोई आशा की किरण मिल जाये। कवि का अभिप्राय है कि कलाकार की बाहें चाहे कितनी भी थकी हों,उसे अपनी कला को अपूर्ण नहीं छोड़ना चाहिए।

कवि का कथन है कि कभी-कभी नष्ट वस्तुओं में भी जीवन होता है। कलाकार का कर्तव्य है उन वस्तुओं में जीवन डाल कर प्राणों का संचार कर दे।

जीवन में चाहे कितनी ही विपत्तियों के बादल मँडरायें,मानव को धैर्य नहीं खोना चाहिए। आशा ही एक ऐसा सम्बल जिसके माध्यम से मानव अपने मन-मन्दिर में आशा का भाव जाग्रत करके नई जिन्दगी जीने की प्रेरणा लेता है।

इस सन्दर्भ में निम्न कथन देखिये-
“जिनके जीवन में आशा नहीं, उनके लिये जगत ही तमाशा है।”

थके हुए कलाकार से महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

थके हुए कलाकार से बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘थके हुए कलाकार से’ कविता के रचयिता हैं
(क) अज्ञेय
(ख) संकलित
(ग) गजानन्द माधव
(घ) धर्मवीर भारती।
उत्तर:
(घ) धर्मवीर भारती।

प्रश्न 2.
‘थके हुए कलाकार से’ कविता के द्वारा कवि ने प्रेरणा दी है
(क) गति करने की
(ख) निरन्तर चलने की
(ग) निराश न होने की
(घ) निराश होने की।
उत्तर:
(ख) निरन्तर चलने की

प्रश्न 3.
सृष्टि का सृजनकर्ता कौन है?
(क) कलाकार
(ख) ईश्वर
(ग) मानव
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) ईश्वर

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रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. अधूरी धरा पर नहीं है कहीं, अभी ………. की नींव का भी पता।
  2. अभी अधखिली ज्योत्स्ना की कली,नहीं जिन्दगी की …………. में सनी।
  3. रुका तू, गया रुक ………. का सृजन।

उत्तर:

  1. स्वर्ग
  2. सुरभि
  3. जग।

सत्य/असत्य

  1. ‘थके हुए कलाकार से’ कविता में धर्मवीर भारती ने निरन्तर चलते रहने की प्रेरणा दी है।
  2. कलाकार प्रलय होने पर कला को त्याग देता है।
  3. इस कविता में कवि ने प्राकृतिक उपमानों का प्रयोग नहीं किया है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. असत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 4 थके हुए कलाकार से img-1
उत्तर:
1. → (ग)
2. → (क)
3. → (ख)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. ‘थके हुए कलाकार से’ के कृतिकार का नाम लिखिए। (2018)
  2. ‘थके हुए कलाकार से’ कविता में कवि ने क्या प्रेरणा दी है?
  3. कलाकार अपना सम्पूर्ण जीवन किसको समर्पित कर देता है?

उत्तर:

  1. धर्मवीर भारती
  2. निरन्तर चलने की
  3. कला को।

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MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 2 तेरे घर पहिले होता विश्व सबेरा

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 2 तेरे घर पहिले होता विश्व सबेरा (कविता, माखनलाल चतुर्वेदी)

तेरे घर पहिले होता विश्व सबेरा अभ्यास

कविता

प्रश्न 1.
‘नक्षत्रों पर बैठे पूर्वज माप रहे उत्कर्ष’ का आशय स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
नक्षत्रों पर बैठे पूर्वज माप रहे उत्कर्ष से कवि का अभिप्राय है प्रारम्भ में भारत अंग्रेजों के अधीन था लेकिन जब भारत देश स्वतन्त्र हो गया तब उन्होंने एक स्वतन्त्र वातावरण में चैन की साँस ली। कवि का कथन है कि तुमने एक स्वतन्त्र वातावरण में भारत को विजयी देखा है लेकिन अब तुम्हें हमेशा ही चैतन्य रहना है तथा देश की रक्षा के लिए सदैव उद्यत रहना है,क्योंकि हमारे पूर्वज जिन्होंने देश के लिए बलिदान करके स्वर्णिम भविष्य का सपना सँजोया था। आज उसे पुनः उत्कर्ष रूप में देखने के अभिलाषी हैं।

प्रश्न 2.
‘उपनिवेश के दाग’ को कवि ने किसे कहा है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारत अंग्रेजों के अधीन था। यह गुलामी ही भारत और भारतवासियों के लिए उपनिवेश का दाग है क्योंकि अंग्रेजों के शासन में भारतीयों को अपने ही देश में रहकर अंग्रेजों की गुलामी और चाटुकारिता करनी पड़ती थी। ऐसा न करने पर उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। इसी दासता को कवि ने उपनिवेश का दाग कहा है।

प्रश्न 3.
कवि स्वतन्त्रता को स्थायी रखने के लिए क्या चाहता है?
उत्तर:
कवि स्वतन्त्रता को स्थायी रखने के लिए यह चाहता है कि हमें हर पल सचेत रहना चाहिए, क्योंकि शत्रु कभी भी चालाकी से हमारे देश पर आक्रमण कर सकता है। अतः हे भारतभूमि के वीरो! तुम देश की रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर रहो, क्योंकि अब देश की स्वतन्त्रता का सारा भार भारतवासियों के कन्धों पर है।

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प्रश्न 4.
प्रस्तुत कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
‘तेरे घर पहिले होता विश्व सवेरा’ कविता में कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने बताया है कि वर्षों से ब्रिटिश शासन के अधीन रहने वाले भारतीयों ने स्वतन्त्र होने के उपरान्त खुली हवा में चैन की साँस ली। लेकिन कवि का कथन है कि हमें सदैव जागरूक रहना होगा। इस अग्नि को प्रज्ज्वलित करने के लिए हमें तिरंगा उड़ाकर लोगों को देश प्रेम व स्वतन्त्रता की अनुभूति करानी होगी।

युद्ध के नगाड़े भारत की विजय का गुणगान कर रहे हैं। ये आकाश में उड़ने वाले वायुयान किसके हैं। जिस प्रकार से स्वर्ण को घिस कर परखा जाता है, उसी प्रकार हमारे देश के सैनिकों को रणभूमि के लिए परख कर तैयार किया जाता है।

कवि ने पूर्व और पश्चिम को प्रहरी की संज्ञा प्रदान की है। प्रत्येक भारतवासी की प्रतिभा विलक्षण है। ये श्रम करने को तत्पर रहते हैं तथा देश की बलिवेदी पर अपने प्राणों को बलिदान करने के लिए तत्पर रहते हैं। भारतभूमि के तीन ओर समुद्र है। यहाँ पर भाग्य रूपी पतवारों के द्वारा नाव चलती है। जिस प्रकार जल में लहरें निरन्तर उठती हैं,उसी प्रकार हम भारतवासी अपने देश के झंडे की रक्षा हेतु एक सजग प्रहरी की भाँति तत्पर रहते हैं।

कवि का कथन है शत्रु को कुचलते हुए हमारा देश विजयी हो। जिस ब्रिटिश साम्राज्य के टुकड़े-टुकड़े हो गये, अब हमें उन शासकों से डरने की आवश्यकता नहीं है। आज हमारे ऊपर अपने देश की रक्षा का भार है। हम सभी भारतवासी क्रोधाग्नि से युक्त होकर हाथों में शस्त्र लेकर युद्ध करने को हर पल तैयार हैं। तुम तनिक-सा संकेत करके परीक्षा करो। तुम्हारे एक संकेत पर सैकड़ों भारतवासी मर मिटने को तैयार हो जायेंगे।

प्रश्न 5.
‘तेरे घर पहिले होता विश्व सबेरा’ कविता के माध्यम से कवि क्या सन्देश देना चाहता है?
उत्तर:
‘तेरे घर पहिले होता विश्व सबेरा’ कविता के माध्यम से कवि ने सन्देश दिया है कि भारत देश के निवासी अन्य देशों की अपेक्षा उत्तम व श्रेष्ठ हैं। सबसे पहले भारत में स्वतन्त्रता का सूर्य उदय हुआ। आज तेरे ही घर में अर्थात् भारतवासियों ने सबसे पहले स्वतन्त्र और उन्मुक्त वातावरण में साँस ली। आज हम सभी का कर्त्तव्य है कि अपने देश की रक्षा करें। देश के स्वाभिमान के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने को तत्पर रहें। हम भारतवासियों को अपने देश की तथा मातृभूमि की रक्षा के लिए सदैव सचेत रहना चाहिए।

हम सभी एकजुट होकर अपने तिरंगे की शान को बनाये रखें। यही कवि के द्वारा दिया गया सन्देश है। हम एकता के सूत्र में बँधकर ही देश के विकास एवं प्रगति का पथ प्रशस्त कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
कवि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या चाहता है? (2012, 14)
उत्तर:
कवि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चाहता है कि सभी देशवासी प्रहरी को भाँति जाग्रत रहें और वे कभी भी अपने कर्त्तव्य से विचलित न हों। जब शत्रु प्रबल वेग से आगे बढ़े तो सभी देशवासियों को एकजुट होकर विजयी बनने की प्रबल आकांक्षा रखनी चाहिए। आत्मनिर्भर रहने के लिए व्यक्ति को कर्त्तव्यनिष्ठ होना आवश्यक है। कर्त्तव्यपालन वही व्यक्ति कर सकता है जो अपनी मातृभूमि से प्यार करता हो तथा उसकी सुरक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने को तत्पर हो।

देश के नागरिकों को अपने दायित्व का बोझ होना, भुजाओं में शस्त्र तथा नेत्रों में क्रोधाग्नि प्रज्वलित करना अपेक्षित है। तेरी एक हुँकार पर करोड़ों मानव स्वयं को बलिदान करने के लिए तत्पर हैं।

तेरे घर पहिले होता विश्व सवेरा महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

तेरे घर पहिले होता विश्व सवेरा बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
तेरे घर पहिले होता विश्व सवेरा सम्बोधन है
(क) धरती के लिए
(ख) विश्व के लिए
(ग) देश के लिए
(घ) भारतभूमि के लिए।
उत्तर:
(घ) भारतभूमि के लिए।

प्रश्न 2.
उपनिवेश का दाग से कवि का आशय है
(क) बन्धन
(ख) ब्रिटिश शासन की परतन्त्रता
(ग) दासता
(घ) मुगल शासन की दासता
उत्तर:
(ख) ब्रिटिश शासन की परतन्त्रता

प्रश्न 3.
रत्नाकर शब्द किसके लिए प्रयोग किया है?
(क) रत्नों का भण्डार
(ख) लहरों के लिए
(ग) समुद्र
(घ) किसी के लिए नहीं।
उत्तर:
(ग) समुद्र

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रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. मुक्त पवन है, मुक्त गगन है, ……………. साँस गर्वीली।
  2. तेरे नभ पर उड़ जाते हैं ………… किसके?
  3. अरे ………… तुझे उड़ाएँ जगा जगा कर आग।

उत्तर:

  1. मुक्त
  2. वायुयान
  3. तिरंगे।

सत्य/असत्य

  1. कवि देश को पराधीन देखना चाहता है।
  2. यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी ने स्वतन्त्रता के पश्चात् लिखी है।
  3. ब्रिटिश राज्य में भारतवासी सुखी व प्रसन्न थे।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 2 तेरे घर पहिले होता विश्व सबेरा img-1
उत्तर:
1. → (ख)
2. → (ग)
3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. तेरे घर पहिले होता विश्व सवेरा कविता में कौन-सी भावना है?
  2. भारत देश का राष्ट्रीय ध्वज कौन-सा है?
  3. माखनलाल चतुर्वेदी ने इस कविता के द्वारा भारतवासियों को क्या प्रेरणा दी है?

उत्तर:

  1. देशप्रेम की
  2. तिरंगा
  3. देश की स्वतन्त्रता व स्वाभिमान की रक्षा करने की।

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MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 1 लोकसंस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा

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MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 1 लोकसंस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा (यात्रा वृत्तांत, डॉ. श्यामसुंदर दुबे)

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा अभ्यास

यात्रा वृत्तांत

प्रश्न 1.
अमरकंटक पहुँचने के लिए लेखक द्वारा बनाये गये मार्ग की रूपरेखा लिखिए।
उत्तर:
अमरकंटक पहुँचने के लिए लेखक ने कटनी और बिलासपुर को जोड़ने वाली रेलवे लाइन के पेण्ड्रा रोड स्टेशन पर प्रातःकाल अपनी आँखें खोलीं। पेंड्रा रोड से लगभग चालीस किलोमीटर की यात्रा बस द्वारा करनी थी।

रात का गहन अन्धकार हमारे चारों ओर था। हमारी जीप पहाड़ी की ऊँचाई पर चढ़ रही थी। चारों ओर वृक्ष थे। ये वृक्ष हवा के कारण तेजी से हिल रहे थे। ठण्ड के दिन थे। ठण्डी हवायें हमारे शरीर को छू रही थीं। इस प्रकार पहले रेल से फिर बस और जीप के द्वारा हमने अमरकंटक का मार्ग तय किया। इस प्रकार ऊँची-नीची पहाड़ियों और चट्टानों को पार करते हुए हम अमरकंटक पहुँचे।

प्रश्न 2.
‘कपिलधारा’ नामकरण से लेखक ने कपिलधारा को किस तरह व्याख्यायित किया है?
उत्तर:
कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर कपिल मुनि ने तपस्या की थी। अमरकंटक तपस्या का स्थान है। यहाँ बैठकर न जाने कितने मुनियों ने तपस्या की थी। इस तथ्य को सत्य मानते हुए लेखक ने यह माना है कि कपिलमुनि ने यहीं पर तपस्या की थी।

नर्मदा की क्षीण धारा जब उसके वास्तविक स्वरूप को प्रकट नहीं कर पाती, तब वह ‘कपिलधारा’ के रूप में पर्वतों पर खड़ी ऊँचाई से कूदती है, तब नर्मदा स्फटिक जैसी सफेदी में प्रकट होती है। अतः कपिलधारा का नाम लेखक को बार-बार कपिला गाय से जोड़ रहा है। उसे ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो कपिलधारा का नामकरण कपिला गाय की सफेदी के आधार पर ही किया गया है क्योंकि नर्मदा का जलप्रपात अपनी आकृति व रंग-रूप में एकदम कपिला गाय की भाँति सफेद दिखाई देता है। इसी जलप्रपात के नीचे की ओर एक अन्य छोटा प्रपात है। यह प्रपात लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर है, इसे दूधधारा का नाम दिया गया।

इन नामकरणों के पीछे वास्तव में गाय का रूपक ही है। कपिलधारा के रूप में जब नर्मदा नीचे की ओर जाती है, तब भूमि पर पड़ी बड़ी-बड़ी चट्टानों की छाती पिचक जाती है।

अन्त में लेखक ने यही निष्कर्ष निकाला है कि कपिला गाय एवं कपिलमुनि की तपस्या के आधार पर कपिलधारा को व्याख्यापित किया गया है।

प्रश्न 3.
मधुछत्रों का वर्णन करते हुए लेखक ने मधु को प्राप्त करने की क्या विधि बतलाई है?
उत्तर:
मधुछत्रों का वर्णन करते हुए लेखक ने कहा है कि अमरकंटक के घने जंगलों के मध्य मधुछत्रों का निवास है। अमरकंटक अपने बीहड़ों में एक अनोखा मधु क्षरित करता है। इसे प्राप्त करने के लिए ऊँची-नीची पहाड़ियों को पार करके चट्टानों में लटके मधु छत्रों से मधु प्राप्त किया जा सकता है। मधु (शहद) में दो तत्त्व विद्यमान हैं-भय और हर्ष। भय मधुमक्खियों के काटने का तथा हर्ष मधु को प्राप्त करने का मधु को तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब हम भय को त्याग दें। भय रहित होकर ही मधु का पान हर्ष के साथ किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
कुआँ पर पनहारिनें क्या कर रही थीं? वे किसके गीत गा रही थीं?
उत्तर:
कुएँ पर पनहारिनें पानी भर रही थीं। वे नर्मदा माई के गीत गा रही थीं।

प्रश्न 5.
पुराणों में नर्मदा की उत्पत्ति का वर्णन किस तरह से किया गया है?
उत्तर:
पुराणों में नर्मदा की उत्पत्ति का वर्णन इस प्रकार है-
नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है। नर्मदा जिस ऊँचाई से अपना आकार ग्रहण करती है,उसकी कोई भी निर्धारित सीमा नहीं है लेकिन नर्मदा बहुत शान्त नदी है और शान्ति से विस्तार लेती है। पुराणों में कहा जाता है कि नर्मदा नदी का जन्म शंकर जी के श्रम सीकर (पसीने की बूंदों) से हुआ है। शंकर जी के मस्तक पर जो श्रम के कारण पसीने की बूंदें थीं, उसी ने नर्मदा नदी का रूप लिया। ऐसा भी कहा जाता है कि आदि पुरुष के श्रम सीकरों से भी नर्मदा नदी का विस्तार सम्भव है। गोंडवाना की इस आदिभूमि पर करोड़ों वर्ष पूर्व नर्मदा का अस्तित्व था। इसी कारण इस नदी को सनातन नदी भी कहा जाता है। ऐसा पुराणों में उल्लेख है।

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प्रश्न 6.
नर्मदा और सोन से सम्बन्धित लोककथा लिखिए। (2011)
उत्तर:
नर्मदा और सोन के विषय में इस प्रकार की लोककथा प्रचलित है-
ये लोककथाएँ इतिहास के अमृत कुण्ड हैं। ये धाराएँ इतिहास की हैं और अनेक रूपों में फूटती हैं। नर्मदा पश्चिम की ओर प्रवाहित हुई होगी लेकिन कुछ भू-भौतिक परिवर्तनों के कारण लोगों ने इसे कथा रूप दे दिया है।

संसार में ऐसा प्रचलित है कि सोन और नर्मदा की प्रणय कथा मिथकीय सृष्टि है। यह कथा अमरकंटक में ही जन्म लेती है।

महाभारत में भी इस तथ्य की चर्चा है। ऐसा कहा जाता है जो व्यक्ति शोण और ज्योति रथ्या नदी के संगम पर तर्पण करते हैं। वे अपने देवताओं और पितरों को प्रसन्न करते हैं।

सोन नदी अपने उद्गम स्थान से सैकड़ों फुट ऊँचाई से गिरती है। इसके विपरीत नर्मदा नदी उत्स कुण्ड से निकलकर शान्त भाव से बहती है।

नर्मदा की क्षीणधारा कपिल धारा के रूप में ऊँची पहाड़ियों से कूदती हुई श्वेत जलधारा के रूप में प्रवाहित होती है।

प्रश्न 7.
‘माई की बगिया’ का वर्णन अपने शब्दों में कीजिये।
उत्तर:
‘माई की बगिया’ नर्मदा के उत्स कुण्ड से थोड़ा ऊपर है। माई की बगिया पहाड़ी ढलान पर है। यह बगिया पहाड़ी को काटकर बनाई गयी है। यहाँ एक जल धारा भी प्रवाहित होती है। यहाँ पर अनेक मन्दिर भी हैं। बगीची का रूप सुव्यवस्थित नहीं है। यहाँ गुलबकावली के फूल खिले हुए हैं। माई की बगिया ऐतिहासिक तथ्यों की ओर संकेत करती है।

एक बात का बहुत आश्चर्य है माई तो नर्मदा नदी ही है। नर्मदा बचपन में अपने सखियों के साथ खेलने आती थीं। वे नाराज होकर पश्चिम की ओर गतिशील हो गयीं, तब उनकी सहेलियाँ उनके वियोग में गुलबकावली बन गयीं। यह एक सुन्दर और मनोहर स्थान है। यहाँ फूलों की एक विशेष प्रकार की दवा बनायी जाती है। यह दवा आँखों को ठण्डक पहुँचाती है और नेत्रों को निरोगी बनाती है।

प्रश्न 8.
“विपरीत से विपरीत को पार करने की ताकत हमें अमरकंटक से निकलने वाली एक सीधी-सादी नदी ने अपने वेगवान आचरण से दी है।” इस कथन से लेखक का क्या आशय है? लिखिए।
उत्तर:
लेखक का कथन है कि अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदा नदी यद्यपि बहुत ही सरल और शान्त प्रवृत्ति की है, यह नदी एक प्रकार से नवीन जीवन प्रदान करने वाली है । लेखक ने इस नदी से अपनापन प्रकट करने का प्रयास करते हुए कहा है-जिस प्रकार नर्मदा नदी विषम परिस्थितियों में शान्त भाव से अडिग रहकर बहती है उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को विषम परिस्थितियों में इस शान्त नर्मदा नदी की भाँति जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। लेखक के कथन का अभिप्राय है कि यह शान्त नर्मदा ऊँची-नीची पहाड़ियों और चट्टानों से निकलती हुई निरन्तर बहती रहती है और पत्थरों को भी झुका देती है। इसी प्रकार मानव को भी विषम परिस्थितियों में निभीकतापूर्वक निरन्तर नर्मदा की भाँति गतिशील रहना चाहिए।

वास्तव में लेखक ने मानव को नदी की भाँति जीवन में बढ़ने की प्रेरणा दी है। वैसे भी किसी ने उचित ही कहा है-
“गति ही जीवन है, रुकना ही मृत्यु है।”

प्रश्न 9.
‘सोन और नर्मदा का जलप्रवाह’ किन-किन दिशाओं में है? (2018)
उत्तर:
सोन अपने उद्गम के साथ ही सैकड़ों फुट की ऊँचाई से नीचे गिरती है, जबकि नर्मदा अपने उत्स कुण्ड से निकलकर एकदम शांत और सूक्ष्म रूप में बहती है।

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
माई की बगिया किस स्थान पर है?
(क) नर्मदा से ऊपर
(ख) घाटी में
(ग) नर्मदा से नीचे
(घ) पहाड़ी पर।
उत्तर:
(क) नर्मदा से ऊपर

प्रश्न 2.
कपिलधारा का नाम किस तपस्वी मुनि के नाम पर रखा गया?
(क) विश्वामित्र
(ख) दुर्वासा
(ग) द्रोणाचार्य
(घ) कपिल मुनि।
उत्तर:
(घ) कपिल मुनि।

प्रश्न 3.
नर्मदा जिस स्थान से अपना स्थान ग्रहण करती है वहाँ किस आराध्य का पवित्र स्थान है?
(क) राम
(ख) शंकर
(ग) कृष्ण
(घ) गणेश।
उत्तर:
(ख) शंकर

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रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. अमरकंटक ही नहीं नर्मदा तो पूरे देश में …………… है।
  2. जब जल प्रपात नीचे गिरता है, तो वह अपने रंग में ………….. जैसा दिखता है।
  3. अमरकंटक ऐसा ही ………… क्षरित करता है।
  4. अमरकंटक की केन्द्रीय सत्ता तो ………. है। (2013)
  5. नर्मदा के उत्स कुण्ड से थोड़ा-सा ……….. चलने पर ‘माई की बगिया’ है। (2014)
  6. माई की बगिया में ………… के फूल खिलते हैं। (2015)

उत्तर:

  1. माई
  2. गाय
  3. मधु
  4. नर्मदा
  5. ऊपर
  6. गुलबकावली।

सत्य/असत्य

  1. नर्मदा नदी विश्व की आदि संस्कृति को अपने गर्भ में छिपाये हुए है।
  2. लोक कथाएँ इतिहास का अमृत कुण्ड हैं।
  3. अमरकंटक को स्मृतियों की भूमि नहीं कहा जा सकता है।
  4. माई की बगिया पहाड़ी ढलान पर है।
  5. नर्मदा का उद्गम स्थल नासिक है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 1 लोकसंस्कृति की स्मृति रेखा नर्मदा img-1
उत्तर:
1. → (ख)
2. → (ग)
3. → (क)

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एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. नर्मदा को जन्म देने वाले कौन हैं?
  2. जो अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, वे क्या करते हैं?
  3. अमरकंटक अपनी बीहड़ता में क्या क्षरित करता है?

उत्तर:

  1. शंकर
  2. अग्निष्ठोम यज्ञ
  3. मधु।

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 8 बेटियाँ पावन दुआएँ हैं

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 8 बेटियाँ पावन दुआएँ हैं (कविता, अजहर हाशमी)

बेटियाँ पावन दुआएँ हैं अभ्यास

कविता

प्रश्न 1.
कवि ने बेटियों को गौरव कथाएँ क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिये। (2009, 12, 15)
उत्तर:
कवि ने बेटियों को गौरव कथाएँ इसलिये कहा है,क्योंकि बेटियाँ संसार में ईश्वर के वरदान के समान हैं। बेटियाँ पैगम्बर और गुरु ग्रन्थ साहिब की वाणी की भाँति पवित्र हैं। बेटियाँ वेदों की ऋचाओं की भाँति ईश्वर की पवित्र वाणी हैं। बेटियाँ उन प्रार्थनाओं की भाँति हैं, जो साक्षात् ईश्वर का दर्शन कराती हैं।

शास्त्रों में भी कहा है कि नारी का सम्मान करने से ईश्वर प्रसन्न होता है-
“यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता।”

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प्रश्न 2.
‘जीवन में बेटियों का महत्त्व’ विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिये।
उत्तर:
जीवन में बेटियों का महत्त्व समझाते हुए कवि ने कहा कि वे जीवन को सुन्दर आकांक्षाओं से भर देने वाली होती हैं। बेटियाँ उन प्रार्थनाओं की भाँति हैं,जो साक्षात् ईश्वर का दर्शन कराती हैं। बेटियाँ जल की घटाओं के समान हैं। वे ही मानव को दुःख की घड़ी में सांत्वना प्रदान करती हैं। बेटियाँ ईश्वर ने इस प्रकार बनाई हैं कि वे जीवन के लू-लपटों अर्थात् कष्टों से भरे दिनों में ममता व दुलार से शान्ति प्रदान करने वाली होती हैं।

जीवन के दुःख भरे कठिनाइयों के समय वे संवेदना का मरहम लगाने वाली होती हैं। जीवन राह की कठिनाइयों में वे आशीष बन जाती हैं। पतझड़ में बसन्त की आभा विकीर्ण करती हैं।

प्रश्न 3.
‘आज के बच्चे कल के नागरिक हैं’ विषय पर दस पंक्तियाँ लिखिये।
उत्तर:

  1. आज का बच्चा ही कल का एक संभ्रान्त नागरिक होगा, यह बात अक्षरशः सत्य है।
  2. हमारे देश के बच्चे ही बड़े होने के पश्चात इसकी बागडोर थामेंगे।
  3. वे ही देश के विकास के लिए प्रयत्नशील रहेंगे।
  4. मार्ग में आने वाली समस्त बाधाओं का निराकरण करके अपने पथ को प्रशस्त करेंगे।
  5. हम यह कदापि नहीं जानते कि आगे चलकर कौन-सा बच्चा, गाँधी, नेहरू अथवा बोस की भाँति वीर और सत्यवक्ता होगा।
  6. हमें इन बच्चों को उत्साहित करके आगे बढ़ने में सहायता करनी चाहिए जिससे देश का भविष्य उज्ज्वल हो।
  7. बीज के सृदश बालक के मन-मानस में विकास की सम्भावनाएँ निहित होती हैं।
  8. इतिहास साक्षी है कि बालकों ने असम्भव कार्य को भी सम्भव किया है।
  9. बालक अच्छे बनकर देश की फुलबगिया में पुष्प के समान पल्लवित होंगे।
  10. बच्चे कल के नागरिक बनकर देश की यश-सुरभि को विकीर्ण करेंगे।

प्रश्न 4.
‘बेटियाँ’ कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
‘बेटियाँ पावन दुआएँ हैं’ इस कविता के रचयिता अजहर हाशमी हैं। उन्होंने इस कविता की रचना करके बेटियों को सम्मान प्रदान किया है। उन्होंने बेटियों के महत्त्व को स्वीकारा जो इस प्रकार है। कवि का कथन है कि बेटियाँ ईश्वर के वरदान के समान जीवन को शुभ आकांक्षाओं से भर देने वाली हैं। बेटियाँ पवित्र दुआएँ हैं, वे आशीर्वाद का साकार स्वरूप हैं। बेटियाँ पैगम्बर के अमूल्य उपदेशों की भाँति हैं और बेटियाँ ही गौतम बुद्ध के आदर्श चरित्र कथाओं की भाँति हैं। बेटियाँ गुरु ग्रन्थ साहब की वाणी की भाँति पवित्र हैं। बेटियाँ वेदों की ऋचाओं की भाँति ईश्वर की वाणी हैं। ईश्वर स्वयं इनमें निवास करता है। बेटियाँ उन प्रार्थनाओं की भॉति हैं,जो साक्षात् ईश्वर का दर्शन कराती हैं।

बेटियाँ ईश्वर ने इस प्रकार बनाई हैं कि वे जीवन के ल-लपटों से अर्थात भयंकर कष्टों से भरे दिनों को घटाओं से जल बरसाने की भाँति शीतल करने वाली हैं अर्थात् कष्ट के दिनों में सांत्वना देने वाली बेटियाँ ही होती हैं।

आज के वातावरण में वैचारिक प्रदषण बढ़ गया है। इस प्रकार के भ्रष्टाचार और अनाचार के युग में बेटियाँ वातावरण में सुगन्ध बिखेरती हुई प्रतीत होती हैं। इस भाँति जीवन के कठिन और दुःख भरे दुर्दिनों में बेटियाँ ही संवेदना प्रकट करके हमारे कष्टों पर मरहम लगाने वाली होती हैं।
बेटियों के सम्बन्ध में किसी कवि का निम्न कथन है-
“पड़े तुम्हारे पाँव जहाँ हो,
तीरथ वहाँ सबेरे का।”

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बेटियाँ पावन दुआएँ हैं महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बेटियाँ पावन दुआएँ हैं बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बेटियाँ वेदों की ऋचाओं की भाँति वाणी हैं
(क) गुरु ग्रन्थ की
(ख) वीरता की
(ग) साहस की
(घ) सभी की।
उत्तर:
(क) गुरु ग्रन्थ की

प्रश्न 2.
बेटियों को कवि ने बताया है
(क) वेदों की ऋचाएँ
(ख) पावन दुआएँ
(ग) जल की घटाएँ
(घ) ये सभी।
उत्तर:
(घ) ये सभी।

प्रश्न 3.
जब वातावरण में प्रदूषण का भ्रष्टाचार छाया हो तो बेटियाँ
(क) शुभकर्म करती हैं।
(ख) वातावरण सुगंधित करती हैं
(ग) शक्ति प्रदान करती हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) वातावरण सुगंधित करती हैं

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. दुर्दिनों के दौर में देखा बेटियाँ …………. हैं।
  2. मुस्कुरा के पीर पीती बेटियाँ ………… व्यथाएँ हैं।
  3. बेटियाँ पावन ………. हैं।

उत्तर:

  1. संवेदनाएँ
  2. हर्षित
  3. दुआएँ।

सत्य/असत्य

  1. बेटियाँ पावन दुआएँ हैं,कविता में बेटियों का महत्त्व दर्शाया है।
  2. बेटियों को गौरव कथा कहा है। (2009)
  3. बेटियों में ईश्वर स्वयं बसता है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. सत्य

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सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 8 बेटियाँ पावन दुआएँ हैं img-1
उत्तर:
1. → (ख)
2. → (ग)
3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. ‘बेटियाँ पावन दुआएँ’ हैं कविता के रचयिता कौन हैं?
  2. कवि ने बेटियों को लू-लपट को दूर करने वाली क्या कहा है?
  3. बेटियाँ प्रदूषण के युग में किसके समान हैं?

उत्तर:

  1. अजहर हाशमी
  2. जल की घटाएँ
  3. सुरभित फिजाओं के।

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MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 9 परीक्षा

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 9 परीक्षा (कहानी, प्रेमचन्द)

परीक्षा अभ्यास

बोध प्रश्न

परीक्षा अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सुजान सिंह कौन थे?
उत्तर:
सुजान सिंह देवगढ़ रियासत के दीवान थे।

प्रश्न 2.
देश के प्रसिद्ध पत्रों में विज्ञापन क्यों निकाला गया?
उत्तर:
देश के प्रसिद्ध पत्रों में देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान खोजने के लिए विज्ञापन निकाला गया था।

प्रश्न 3.
रियासत देवगढ़ में आये हुए उम्मीदवारों ने कौन-सा खेल खेलने की योजना बनाई?
उत्तर:
रियासत देवगढ़ में आये हुए उम्मीदवारों ने हॉकी का खेल खेलने की योजना बनाई।

प्रश्न 4.
किसान की गाड़ी कहाँ फंस गई थी?
उत्तर:
किसान की अनाज से भरी हुई गाड़ी नाले में फंस गई थी।

प्रश्न 5.
‘अच्छा तुम गाड़ी पर जाकर बैलों को साधो, मैं पहियों को ढकेलता हूँ ………….. “यह बात किसने किससे कही?
उत्तर:
यह बात हॉकी के खेल में चोट खाये हुए युवक ने किसान से कही है।

प्रश्न 6.
गाड़ी पर किसान के वेश में कौन था?
उत्तर:
गाड़ी पर किसान के वेश में स्वयं सरदार सुजान सिंह थे।

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परीक्षा  लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राजा दीवान सुजान सिंह का आदर क्यों करते थे?
उत्तर:
राजा दीवान सुजान सिंह का आदर उनकी अनुभवेशीलता एवं नीति कुशलता के कारण करते थे।

प्रश्न 2.
बूढ़ा जौहरी आड़ में बैठा क्या देख रहा था?
उत्तर:
बूढ़ा जौहरी आड़ में बैठा हुआ देख रहा था कि इन बगुलों में हंस कहाँ छिपा हुआ है।

प्रश्न 3.
खिलाड़ियों ने निराश और असफल किसान को किस भाव से देखा?
उत्तर:
खिलाड़ियों ने निराश और असफल किसान को बन्द आँखों से देखा जिनमें न सहानुभूति थी और न ही उनमें उदारता और वात्सल्य था।

प्रश्न 4.
परेशान किसान की सहायता किसने की?
उत्तर:
नाले में गाड़ी फंसने पर किसान अत्यधिक परेशान था। ऐसे में परेशान किसान की सहायता चुटैल खिलाड़ी पण्डित जानकीनाथ ने की।

प्रश्न 5.
युवक को किसान की तरफ देखकर क्या सन्देह हुआ?
उत्तरः
युवक को किसान की तरफ देखकर उसके सुजान। सिंह होने का सन्देह हुआ।

परीक्षा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम होता था’, इस उक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
देवगढ़ के दीवान के पद हेतु जो-जो उम्मीदवार . आये थे, उनसे बात करने पर ऐसा लगता था मानो वे सभी व्यक्ति नम्रता और सदाचार के देवता हों।

प्रश्न 2.
दीवान सुजान सिंह ने अपने उत्तराधिकारी का चयन किस प्रकार किया?
उत्तर:
दीवान सुजान सिंह अपने उत्तराधिकारी के चयन के लिए एक अनाज से भरी हुई गाड़ी को लेकर ऐसी जगह आ गया जहाँ से हॉकी के खिलाड़ी आ जा रहे थे। गाड़ी नाले में फंस गयी थी और बैलों ने जवाब दें दिया था। वह किसान बनकर बड़ी आपत्ति में फंसा हुआ था। खिलाड़ी उसकी तरफ देखते थे और यों ही चले जाते थे। उनमें उदारता और मदद करने का भाव नहीं था, पर उन लोगों में एक व्यक्ति ऐसा भी था जिसमें दया भी थी ओर साहस भी, और अन्त में वही व्यक्ति दीवान पद पर चुना गया।

प्रश्न 3.
देवगढ़ रियासत के ‘दीवान’ पद के लिए जानकी नाथ का चयन क्यों किया गया?
उत्तर:
देवगढ़ रियासत के ‘दीवान’ पद के लिए जानकी नाथ का चयन इसलिए किया गया क्योंकि उसके हृदय में साहस, आत्मबल और उदारता का वास था।

प्रश्न 4.
परीक्षा’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
कहानी का ‘परीक्षा’ शीर्षक सटीक सारगर्भित एवं उपयुक्त है क्योंकि देवगढ़ के दीवान के लिए एक योग्य, साहसी एवं दयावान दीवान का चयन करना था। अतः उसकी अनेक प्रकार से परीक्षा ली गयी और परीक्षा में सटीक उतरने पर ही उसे दीवान पद पर चुना गया।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश की व्याख्या कीजिए-
(1) इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी ……….. उन तक हमारी पहुँच नहीं है।
उत्तर:
सरदार सुजान सिंह के स्थान पर जिस व्यक्ति का चयन हुआ उसकी घोषणा करते हुए सुजान सिंह ने कहा-इस पद के लिए ऐसे पुरुष की हमें आवश्यकता थी जिसके हृदय में दया हो और साथ ही साथ आत्मबल। उसका हृदय उदार होना चाहिए, उसमें ऐसा आत्मबल हो जो किसी भी आपत्ति का वीरता के साथ सामना कर सके। इस देवगढ़ रियासत का यह सौभाग्य रहा कि उसे एक योग्य व्यक्ति मिल गया। ऐसे गुण वाले संसार में कम ही होते हैं और जो थोड़े से हैं भी वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं, उन तक हमारी पहुँच नहीं है।

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परीक्षा भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पदों का समास-विग्रह कर समास का नाम लिखिए
उत्तर:

  1. नीति-कुशल = नीति में कुशल है जो = बहुब्रीहि समास।
  2. धर्मनिष्ठ = धर्म में निष्ठ = तत्पुरुष समास।
  3. आत्मबली = आत्मा से बल वाला = कर्मधारय समास।
  4. वेद-मन्त्र = वेद का मन्त्र = तत्पुरुष समास।
  5. कृपा दृष्टि = कृपा की दृष्टि = तत्पुरुष समास।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम लिखिए
उत्तर:

  1. परीक्षा = परि + ईक्षा = दीर्घ सन्धि।
  2. मन्दाग्नि = मन्द + अग्नि = दीर्घ सन्धि।
  3. सहानुभूति = सह + अनुभूति = दीर्घ सन्धि।
  4. निराशा = निः + आशा = विसर्ग सन्धि।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए

  1. जो धर्म को न मानता हो।
  2. जो धर्म को मानता हो।
  3. उपासना करने वाला।
  4. पुत्र के प्रति स्नेह का भाव।
  5. पूजा करने वाला।

उत्तर:

  1. अधर्मी
  2. धर्मात्मा
  3. उपासक
  4. वात्सल्य
  5. पुजारी।

परीक्षा महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

परीक्षा बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘परीक्षा’ कहानी के लेखक हैं-
(क) यशपाल
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) शिवानी
(घ) प्रेमचन्द।
उत्तर:
(घ) प्रेमचन्द।

प्रश्न 2.
‘परीक्षा’ कहानी में किस स्थान की रियासत का वर्णन है?
(क) देवगढ़
(ख) जोधपुर
(ग) आनन्दपुर
(घ) रामपुर।
उत्तर:
(क) देवगढ़

प्रश्न 3.
हॉकी खेलते समय जिस नौजवान के चोट लगी उसका नाम था
(क) सुजान सिंह
(ख) रामधन
(ग) मोहन
(घ) जानकीनाथ।
उत्तर:
(घ) जानकीनाथ।

प्रश्न 4.
देवगढ़ रियासत में आये उम्मीदवारों ने कौन-सा खेल खेलने की योजना बनाई? (2009)
(क) फुटबॉल
(ख) शतरंज
(ग) हॉकी
(घ) गुल्ली डण्डा।
उत्तर:
(ग) हॉकी

प्रश्न 5.
देवगढ़ के पुराने दीवान थे (2014)
(क) शिव सिंह
(ख) अभय सिंह
(ग) सुजान सिंह
(घ) मोहन सिंह।
उत्तर:
(ग) सुजान सिंह

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रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. हाँफते-हाँफते बेदम हो गये लेकिन ………….. का निर्णय न हो सका।
  2. कहीं भूल-चूक हो जाये तो ……………. में दाग लगे।
  3. जो महाशय इस परीक्षा में पूरे उतरेंगे, वे इस उच्च पद पर ……………. होंगे।
  4. किसान ने सहमी आँखों से देखा परन्तु किसी से मदद माँगने का ………….. न हुआ।
  5. परीक्षा कहानी के लेखक …………. हैं। (2010)

उत्तर:

  1. हार-जीत
  2. बुढ़ापे
  3. सुशोभित
  4. साहस
  5. प्रेमचन्द।

सत्य/असत्य

  1. राजा साहब अनुभवहीन दीवान की इच्छा रखते थे।
  2. किसान ने उनकी तरफ सहमी आँखों से देख और उनसे मदद माँगी।
  3. गाड़ीवान के रूप में स्वयं सरदार सुजान सिंह थे।
  4. दीवान पद के विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया।
  5. जिस पुरुष ने स्वयं जख्मी होकर एक गरीब किसान की भरी हुई गाड़ी को दलदल से निकाल दिया, वह दूसरों की सहायता अवश्य करेगा।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. सत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 9 परीक्षा img-1
उत्तर:
1. → (ङ)
2. → (घ)
3. → (क)
4. → (ख)
5. → (ग)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. ‘परीक्षा’ कहानी के लेखक कौन हैं?
  2. दीवान पद की परीक्षा हेतु कितने दिन का समय निश्चित किया गया था?
  3. देवगढ़ रियासत में आये हुए उम्मीदवारों ने कौन-सा खेल खेलने की योजना बनाई?
  4. देवगढ़ रियासत के दीवान पद हेतु किस युवक का चयन किया गया?
  5. गाड़ी पर किसान के वेश में कौन बैठा था? (2009)

उत्तर:

  1. प्रेमचन्द
  2. एक महीना
  3. हॉकी
  4. पण्डित जानकीनाथ
  5. सुजान सिंह।

परीक्षा पाठ सारांश

‘परीक्षा’ कहानी प्रेमचन्द द्वारा रचित उत्तम श्रेणी की सामाजिक कहानी है। यह कहानी नैतिकता एवं मानव के आदर्श मूल्यों पर आधारित है। देवगढ़ रियासत के दीवान सुजानसिंह जब बूढ़े हो गये तब उन्होंने राजा से आज्ञा लेकर अपना पद त्याग करने का निश्चय किया, क्योंकि वे अपने जीवन के शेष दिन ईश्वर की पूजा में व्यतीत करना चाहते थे लेकिन राजा ने उन्हें ऐसा करने से पूर्व उपयुक्त नया दीवान चुनने का कार्य सौंप दिया। राजा की प्रबल इच्छा थी कि सुजानसिंह के पश्चात् जो भी नया दीवान बने वह सुजानसिंह की भाँति कर्त्तव्यनिष्ठ व ईमानदार हो।

अतः दीवान पद की नियुक्ति हेतु सुजानसिंह ने अगले दिन अखबार में विज्ञापन निकलवा दिया कि देवगढ़ के लिए एक योग्य दीवान की आवश्यकता है। जो व्यक्ति स्वयं को इस पद के योग्य समझता हो, वह स्वयं दीवान सुजानसिंह से मिले। दीवान पद का प्रत्याशी अधिक पढ़ा-लिखा न हो,लेकिन स्वस्थ व व्यवहार कुशल होना आवश्यक है। प्रत्याशी को एक माह तक दीवान सुजानसिंह के समक्ष अपने आचार-व्यवहार की परीक्षा देनी होगी। परीक्षा में सफल होने पर ही उसे दीवान पद पर नियुक्त किया जायेगा।

विज्ञापन के पश्चात् दीवान पद के उम्मीदवारों का तांता लग गया। कुछ प्रत्याशी पढ़े-लिखे व सम्भ्रान्त परिवारों के थे। कुछ पण्डित व मुल्ला भी थे। सभी इच्छुक व्यक्ति अपनी-अपनी किस्मत का परीक्षण कर रहे थे। इस पद के लिए ग्रेजुएट प्रत्याशी बहुत अधिक संख्या में आये थे। उन्होंने अपने आपको सफल उम्मीदवार दर्शाने का प्रयत्न किया। इसके लिए अपनी गलतियों को छिपाते रहे। कुछ उम्मीदवार ईश्वर में आस्था रखते थे, कुछ बिल्कुल नास्तिक थे। सुजानसिंह एक जौहरी की भाँति उम्मीदवार का चयन करने हेतु परीक्षण कर रहे थे। एक दिन नई उम्र के उम्मीदवारों ने हॉकी का खेल खेलने का निश्चय किया। देवगढ़ में यह खेल बिल्कुल नया था। सायंकाल तक खेल चलता रहा परन्तु हार-जीत का निर्णय नहीं हो पाया।

जहाँ खेल का मैदान था उसी के पास एक नाला था। चारों ओर अँधेरा छाया था। इसी समय एक किसान अनाज से भरी बैलगाड़ी लेकर आ रहा था। उसकी बैलगाड़ी नाले की कीचड़ में फँस गयी। निरन्तर प्रयत्न करने पर भी किसान अपनी गाड़ी को कीचड़ से नहीं निकाल पा रहा था। सभी खिलाड़ी खेल के बाद एक-एक करके चले गये। किसी ने किसान की ओर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसी समय एक सुन्दर-सा नवयुवक आया। उसके पैर में चोट थी लेकिन उसने लँगड़ाते हुए किसान से कहा,“क्या मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूँ। तुम बैलों को गाड़ी में बैठकर हाँको, मैं पीछे से धक्का लगाता हूँ।” उस नवयुवक के प्रयास से बैलगाड़ी कीचड़ से बाहर आ गयी। उस युवक के पैर कीचड़ में सन गये थे। किसान ने उसे आशीर्वाद दिया कि भगवान चाहेगा तो तुम्ही देवगढ़ के दीवान बनोगे।

एक माह पूरा हो गया था। दीवान के पद का चुनाव का दिन आ गया था। सभी अपना-अपना परिणाम जानने के उत्सुक थे। सुजानसिंह ने जानकीनाथ को देवगढ़ का दीवान चुनकर घोषणा कर दी कि जानकीनाथ में दीवान बनने के सभी गुण निहित हैं। वह सभी प्रकार से उपयुक्त है।

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परीक्षा संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

(1) जब रियासत देवगढ़ के दीवान सरदार सुजान सिंह बूढ़े हुए तो परमात्मा की याद आई। जाकर महाराज से विनय की कि दीनबन्धु! दास ने श्रीमान् की सेवा चालीस साल तक की, अब मेरी अवस्था भी ढल गई, राज-काज सँभालने की शक्ति नहीं रही। कहीं भूल-चूक हो जाये तो बुढ़ापे में दाग लगे। सारी जिन्दगी की नेकनामी मिट्टी में मिल जाये।

कठिन शब्दार्थ :
दीनबन्धु = गरीबों के भाई, गरीबों पर कृपा करने वाले। भूल-चूक = गलती। नेकनामी = अच्छे काम करने से मिलने वाला यश। मिट्टी में मिल जाये = नष्ट हो जाये।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश ‘परीक्षा’ नामक कहानी से लिया गया है। इसके लेखक श्री प्रेमचन्द हैं।

प्रसंग :
देवगढ़ रियासत के दीवान सुजान सिंह ने राजा से उन्हें कार्यभार से मुक्त करने की प्रार्थना की है।

व्याख्या :
देवगढ़ रियासत के दीवान सरदार सुजान सिंह जब वृद्ध हो गये तो उन्हें परमात्मा का स्मरण हुआ। वे जाकर महाराज से बोले कि हे दीनबन्धु! मैंने आपकी चालीस साल तक पूर्ण निष्ठा से सेवा की है। अब मेरी अवस्था अधिक हो गई है, मुझमें अब राज-काज सँभालने की शक्ति नहीं है। कहीं मुझसे भूल-चूक हो जाये, तो मेरे बुढ़ापे में दाग लग जायेगा। मेरी जिन्दगी की सब अच्छाइयाँ मिट्टी में मिलकर नष्ट हो जायेंगी।

विशेष :

  1. दीवान सरदार सुजान सिंह ने अपने को राजकीय कार्यभार से मुक्त करने की प्रार्थना राजा से की है।
  2. भाषा भावानुकूल है।

(2) लेकिन उसी समूह में एक ऐसा मनुष्य था जिसके। हृदय में दया थी और साहस था। आज हॉकी खेलते हुए उसके पैरों में चोट लग गई थी। लँगड़ाता हुआ धीरे-धीरे चला आता था। अकस्मात् उसकी निगाह गाड़ी पर पड़ी। ठिठक गया। उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गईं। डंडा एक किनारे रख दिया। कोट उतार डाला और किसान के पास जाकर बोला-मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूं।

कठिन शब्दार्थ :
अकस्मात् = अचानक। निगाह = दृष्टि। ठिठक गया = रुक गया।

प्रसंग :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
दीवान पद की उम्मीदवारी के लिए यों तो अनेक। लोग आये थे। सबके निराले ठाट-बाट एवं शौक थे, पर उसी समूह में एक दयावान और साहसी व्यक्ति भी था। उसी का यहाँ वर्णन है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि दीवान पद की उम्मीदवारी के लिए देश के कोने-कोने से अनेक आदमी आये थे पर उस समूह में एक ऐसा भी व्यक्ति था जिसके हृदय में दया और साहस था। हॉकी का खेल खेलते समय उसके पैर में चोट लग गयी थी, अतः वह लँगड़ाता हुआ धीरे-धीरे चला आ रहा था। अचानक उसकी दृष्टि गाड़ी पर पड़ी। वह वहीं रुक गया। जब उसने किसान की सूरत देखी तो उसे किसान की परेशानी मालूम हो गई। उसने अपना खेल का डण्डा एक तरफ रख दिया। कोट उतार लिया और किसान के पास जाकर कहने लगा कि-‘मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूं।

विशेष :

  1. लेखक ने इस व्यक्ति के हृदय में दया और साहस का दर्शन कराया है।
  2. भाषा भावानुकूल है।

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(3) इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल। हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे और रियासत के सौभाग्य से हमें ऐसा पुरुष मिल गया। ऐसे गुण वाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं, उन तक हमारी पहुँच नहीं है।

कठिन शब्दार्थ :
कीर्ति = यश। मान = सम्मान।

सन्दर्भ:
पूर्ववत्।

प्रसंग :
देवगढ़ के नये दीवान की खोज में नया दीवान मिल जाता है, उसी का वर्णन है।

व्याख्या :
सरदार सुजान सिंह के स्थान पर जिस व्यक्ति का चयन हुआ उसकी घोषणा करते हुए सुजान सिंह ने कहा-इस पद के लिए ऐसे पुरुष की हमें आवश्यकता थी जिसके हृदय में दया हो और साथ ही साथ आत्मबल। उसका हृदय उदार होना चाहिए, उसमें ऐसा आत्मबल हो जो किसी भी आपत्ति का वीरता के साथ सामना कर सके। इस देवगढ़ रियासत का यह सौभाग्य रहा कि उसे एक योग्य व्यक्ति मिल गया। ऐसे गुण वाले संसार में कम ही होते हैं और जो थोड़े से हैं भी वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं, उन तक हमारी पहुँच नहीं है।

विशेष :

  1. देवगढ़ के दीवान पद की खोज में एक आत्मविश्वासी एवं कर्मठ व्यक्ति की प्राप्ति हो गयी।
  2. भाषा भावानुकूल, सहज।

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