MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 14 प्रजातन्त्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 14 प्रजातन्त्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ

MP Board Class 10th Social Science Chapter 14 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है? (2009,13)
(i) तीसरा
(ii) दूसरा
(iii) सातवाँ
(iv) पाँचवाँ।
उत्तर:
(ii) दूसरा

प्रश्न 2.
आतंकवादी किन माध्यमों से अपनी गतिविधियाँ संचालित करते हैं ?
(i) शान्ति वार्ता
(ii) शिक्षा
(iii) राजनीति
(iv) हत्या, अपहरण
उत्तर:
(iv) हत्या, अपहरण

प्रश्न 3.
नशामुक्ति के लिए मद्यनिषेध अभियान किसने चलाया था ? (2009)
(i) जवाहरलाल नेहरू
(ii) महात्मा गांधी
(iii) स्वामी विवेकानन्द
(iv) लाल बहादुर शास्त्री।
उत्तर:
(ii) महात्मा गांधी

प्रश्न 4.
हाईस्कूल पास करने के बाद छात्रों की शिक्षा में बेरोजगारी दूर करने की दृष्टि से किस बात पर जोर देना चाहिए?
(i) व्यवसायिक शिक्षा
(ii) आध्यात्मिक शिक्षा
(iii) राजनैतिक शिक्षा
(iv) नैतिक शिक्षा।
उत्तर:
(i) व्यवसायिक शिक्षा

सही जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 14 प्रजातन्त्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ 1
उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (क)
  3. → (ख)
  4. → (ङ)
  5. → (घ)

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 14 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रजातन्त्र के समक्ष कौन-कौनसी चुनौतियाँ हैं ?
उत्तर:
साम्प्रदायिकता, जातीयता, क्षेत्रवाद, आतंकवाद, निर्धनता तथा बेरोजगारी आदि प्रजातन्त्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ हैं।

प्रश्न 2.
साम्प्रदायिकता से क्या आशय है ?
उत्तर:
अपने पंथ के प्रति निष्ठा रखकर दूसरे पथों एवं सम्प्रदायों को घृणा की दृष्टि से देखना तथा व्यापक राष्ट्रहित की उपेक्षा कर स्वयं के पंथ या सम्प्रदाय के हितों की पूर्ति में कार्य करना साम्प्रदायिकता कहलाती है।

प्रश्न 3.
मादक या नशीला पदार्थ किसे कहा जाता है ? (2018)
उत्तर:
वे पदार्थ जिनके सेवन से मस्तिष्क शिथिल हो जाए, रक्त का संचार तेज हो और उत्तेजना से क्षणिक आनन्द की अनुभूति हो, उन्हें मादक पदार्थ कहते हैं।

प्रश्न 4.
बेरोजगारी से क्या आशय है ? (2016, 18)
उत्तर:
बेरोजगारी का अर्थ-बेरोजगारी से आशय ऐसी स्थिति से है जिसमें व्यक्ति वर्तमान मजदूरी की दर पर काम करने को तैयार होता है परन्तु उसे कार्य नहीं मिलता। बेरोजगारी की स्थिति में श्रम शक्ति और रोजगार के अवसरों की असमानता बढ़ती जाती है। इससे श्रमिकों की माँग की अपेक्षा पूर्ति अधिक होती है। ऐसी स्थिति में बहुत से व्यक्ति कार्य करने योग्य तो हैं परन्तु उन्हें कार्य नहीं मिल पाता है। इसे ही बेरोजगारी कहते हैं।

प्रश्न 5.
अशिक्षा स्वस्थ जनमत में किस प्रकार बाधक है ? लिखिए।
अथवा
“निरक्षरता प्रजातन्त्र के लिए अभिशाप है।” समझाइए।
उत्तर:
अशिक्षा के कारण नागरिकों में राजनीतिक सक्रियता और सहभागिता की कमी रहती है। राजनैतिक जागरूकता की कमी लोकतन्त्र के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। साथ ही निरक्षरता के कारण लोगों में न केवल निर्धनता अपितु साम्प्रदायिकता, जातिवाद आदि की बुरी भावनाएँ पनपती हैं। इससे उनका मानसिक एवं भौतिक विकास नहीं हो पाता। इसलिए निरक्षरता प्रजातन्त्र के लिए अभिशाप है।

प्रश्न 6.
शहरी बेरोजगारी से आशय लिखिए।
उत्तर:
शहरी बेरोजगारी – शहरों में बड़ी संख्या में शिक्षा प्राप्त कर लोग बेकार बैठे रहते हैं या उन्हें अपनी योग्यता के अनुरूप रोजगार नहीं मिल पाता है। ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन भी इसका एक बहुत बड़ा कारण है। मशीनीकरण व आधुनिकीकरण के कारण अवसरों की संख्या कम हो गयी है। संक्षेप में, शहरी बेरोजगारी में औद्योगिक बेरोजगारी तथा शिक्षित बेरोजगारी को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 7.
सामाजिक असमानता किसे कहते हैं?
उत्तर:
सामाजिक असमानता – सामाजिक असमानता से तात्पर्य वास्तविक रूप में देश में प्रचलित जातिवाद और क्षेत्रवाद से है जो स्वतन्त्रता और समानता के अधिकार को वास्तविक नहीं बनने दे रहे हैं।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 14 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंख्या विस्फोट से क्या आशय है? समझाइए।
उत्तर:
जनसंख्या विस्फोट – जब जनसंख्या वृद्धि दर इतनी तेज हो जाती है कि देश में उपलब्ध संसाधन आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते तब इस स्थिति को ‘जनसंख्या विस्फोट’ कहा जाता है। जनसंख्या की तीव्र गति से वृद्धि हमारे आर्थिक विकास के सारे प्रयासों को विफल कर देती है।

हर देश में जब विकास होगा तो जन्म दर की तुलना में मृत्यु दर तीव्र गति से घटेगी और उसका परिणाम जनसंख्या में वृद्धि होगा। आज पैदा होने वाले बच्चे, जिन्हें अकाल शिशु-मृत्यु से बचा लिया जायेगा, 20-22 वर्ष बाद स्वयं बच्चे पैदा करेंगे।

प्रश्न 2.
साम्प्रदायिकता के चार कारण लिखिए। (2013)
अथवा
साम्प्रदायिकता क्या है? इसके प्रमुख कारण लिखिए। (2009)
उत्तर:
साम्प्रदायिकता मानवता और राष्ट्रीय एकता के लिये गम्भीर अभिशाप है।

साम्प्रदायिकता के कारण – साम्प्रदायिकता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

  1. फूट डालो और शासन करो की नीति – ब्रिटिश सरकार की देश को विभाजित करने की नीति ने साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया है। परिणामतः देश में वर्षों से साथ रह रहे विभिन्न सम्प्रदायों के लोगों में अविश्वास की भावना बढ़ गई जो कि साम्प्रदायिकता के रूप में आज भी विद्यमान है।
  2. राजनीतिक स्वार्थ – राजनीतिज्ञों, नेताओं और सरकारों द्वारा राजनीतिक स्वार्थ के तहत चुनाव जीतने के लिये धर्मों एवं सम्प्रदायों की माँगों को स्वीकार कर लिया जाता है और उन्हें खुश करने के प्रयास किये जाते हैं।
  3. अशिक्षा – साम्प्रदायिकता का एक कारण लोगों का अशिक्षित होना है। अशिक्षित व्यक्तियों का दृष्टिकोण संकुचित होता है। वे अपना निर्णय स्वयं नहीं ले पाते। वे कथित गुरुओं के बहकावे में आ जाते हैं। तथाकथित गुरु अपने स्वार्थ के लिए उन्हें गुमराह करते हैं।
  4. भ्रामक प्रचार – देश में होने वाली हर छोटी घटना को कुछ देश तूल देकर प्रसारित करते हैं। इससे देश में साम्प्रदायिकता की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।

प्रश्न 3.
नशे पर प्रतिबन्ध क्यों होना चाहिए? समझाइए। (2009)
उत्तर:
नशे पर प्रतिबन्ध – मादक पदार्थों के सेवन पर नियन्त्रण से व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक सन्तुलन बना रहेगा। आर्थिक सम्पन्नता बढ़ेगी। परिवार में सुख शान्ति होगी। अपराध कम होंगे। कार्यकुशलता बढ़ने से देश के उत्पादन पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा और उसमें वृद्धि होगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा। देश के विकास के लिये स्वस्थ नागरिक आवश्यक होते हैं हमारी भावी पीढ़ी स्वस्थ और सम्पन्न होगी। प्रत्येक राष्ट्र ने मादक पदार्थों के सेवन पर रोक लगाने के लिये नीति और नियम बनाये हैं और उन्हें लागू किया है। समाज में चेतना जगाने के लिये सामाजिक संस्थाएँ निरन्तर कार्य कर रही हैं।

प्रश्न 4.
जनसंख्या वृद्धि के चार कारण लिखिए। (2009, 13)
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि के कारण-भारत में जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण निम्नलिखित हैं –
(1) मृत्यु-दर में कमी – मृत्यु-दर से आशय एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या के पीछे मृतकों की संख्या से है। इस दर में भारत में काफी कमी हुई है। भारत में मृत्यु-दर में कमी के अनेक कारण हैं। इनमें प्रमुख अकालों एवं महामारियों में कमी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य-सुधार कार्यक्रमों का विस्तार, स्त्रियों में शिक्षा-प्रसार, विवाह-आयु में वृद्धि, अन्धविश्वासों में कमी, जीवन-स्तर में वृद्धि आदि हैं।

(2) ऊँची जन्म-दर-जन्म-दर से आशय एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या के पीछे बच्चों के जन्म से है। भारत में जनसंख्या वृद्धि का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि तुलनात्मक रूप से यहाँ जन्म-दर पर्याप्त ऊँची है। भारत में ऊँची जन्म-दर के अनेक कारण हैं; जैसे-बाल-विवाह, अनिवार्य विवाह, भाग्यवादिता, पारिवारिक मान्यता, धर्मान्धता, निम्न जीवन-स्तर तथा स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार।

(3) अशिक्षा तथा निम्न जीवन-स्तर-भारत में जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण यहाँ के निवासियों का निम्न जीवन-स्तर है। निर्धन व्यक्तियों के यहाँ धनी व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक सन्तानें होती हैं। अशिक्षित होने के कारण ये लोग परिवार नियोजन का महत्त्व नहीं समझते। अत: जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होती है।

(4) जलवायु-भारत में जलवायु गर्म होने के कारण युवक-युवतियाँ शीघ्रता से सन्तान उत्पन्न करने योग्य हो जाते हैं। उनके विवाह जल्दी कर दिये जाते हैं। अतः अधिक सन्तानें उत्पन्न होती हैं जिसके कारण जनसंख्या तेजी से बढ़ती है।

प्रश्न 5.
जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय लिखिए। (2010, 11, 14)
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय

जनसंख्या वृद्धि को रोकने के निम्नलिखित उपाय हैं –

  1. परिवार कल्याण – परिवार कल्याण द्वारा छोटे परिवारों के लाभों का प्रचार करना चाहिए जिससे प्रभावित होकर प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न प्रकार के कृत्रिम साधनों को प्रयोग में लाने लगे।
  2. शिक्षा तथा सामाजिक सुधार – जब तक देश में शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं होगी, परिवार नियोजन कभी भी सफलतापूर्वक कार्य नहीं कर सकता। एक अविकसित देश का अज्ञानी व्यक्ति जो सामाजिक व धार्मिक अन्धविश्वासों में जकड़ा हुआ है, परिवार नियोजन के लाभों को समझ नहीं सकेगा। अतः शिक्षा का प्रसार होना चाहिए। शिक्षा द्वारा बाल-विवाह, जातिवाद आदि सामाजिक कुरीतियाँ स्वयं समाप्त हो जाएँगी जो जनसंख्या वृद्धि में सहायक होती हैं।
  3. आर्थिक विकास – जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए समाज का समुचित आर्थिक विकास होना चाहिए। साथ ही कृषि, उद्योग, व्यापार, यातायात एवं संवाद-वाहन आदि सभी क्षेत्रों का सामूहिक विकास भी आवश्यक है इससे रोजगार के स्तर में वृद्धि होगी, आय और जीवन-स्तर में वृद्धि होगी, फलस्वरूप जनसंख्या वृद्धि पर रोक लग जायेगी।
  4. सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में वृद्धि – देश में सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में वृद्धि की जानी चाहिए, जिससे संकटकाल या वृद्धावस्था में सहारा पाने की दृष्टि से सन्तानोत्पत्ति की प्रवृत्ति को नियन्त्रित किया जा सके।
  5. विवाह की आयु सम्बन्धी नियमों का पालन – सरकार के विवाह की आयु सम्बन्धी नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए। जनसंख्या नीति के अनुसार, देश में लड़के व लड़कियों के लिए विवाह योग्य आयु क्रमश: 21 व 18 वर्ष है। इस सम्बन्ध में आवश्यक दण्ड व पुरस्कार की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
  6. प्रेरणाएँ – सीमित परिवार के सन्देश को व्यापक स्तर पर फैलाने के लिए कुछ प्रेरणाओं को अपनाना आवश्यक होता है; जैसे-सीमित परिवार वालों को वेतन वृद्धि, मकान आवण्टन, कॉलेजों में प्रवेश, रोजगार आदि की अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जाए।
  7. मनोरंजन के साधनों में वृद्धि – सन्तति निग्रह के लिए मनोरंजन के साधनों में वृद्धि की जानी चाहिए। मनोरंजन के साधनों के अभाव में सन्तान वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 14 दीर्घ उत्तराय प्रश्न

प्रश्न 1.
मादक पदार्थों का शरीर पर क्या प्रभाव होता है ? लिखिए। (2009, 11, 14)
उत्तर:
आधुनिक समय में मादक पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में किया जाने लगा है। यह चिन्ता का विषय है। मादक पदार्थों का उत्पादन विश्व के कुछ ही राष्ट्रों में होता है पर उपयोग पूरे विश्व में होता है। ऊँची कीमत पर इनकी तस्करी होती है। शराब, सिगरेट, गांजा, भाँग, अफीम, चरस, कोकीन, मारफीन तथा हेरोइन आदि मादक पदार्थ हैं।

मादक पदार्थों के प्रभाव

  1. स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव – मादक पदार्थों के सेवन से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। धीरे-धीरे शरीर शिथिल होने लगता है और रोग उसे घेर लेते हैं।
  2. मानसिक कार्यक्षमता पर प्रभाव – व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक कार्यक्षमता घट जाती है। ज्यादा कार्य करने की शक्ति नहीं रहती है।
  3. आर्थिक स्थिति पर प्रभाव – आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। परिवार पर होने वाला व्यय नशे की भेंट चढ़ जाता है। घरेलू झगड़े बढ़ जाते हैं। पारिवारिक कलह बढ़ने से बच्चों का विकास प्रभावित होता है।
  4. सामाजिक प्रतिष्ठा पर प्रभाव – सामाजिक प्रतिष्ठा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। नशा करने वाले व्यक्ति को समाज में अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता। पूरे परिवार को इसे सहना पड़ता है। समाज पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। परिवार अपमानित होता है।
  5. दुर्घटनाएँ – मादक पदार्थों के सेवन से दुर्घटनाएँ, झगड़े, व्यभिचार, चोरी आदि की घटनाएँ बढ़ने लगती हैं। समाज और देश में अशान्ति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है व कानून व्यवस्था बिगड़ती है।
  6. अनैतिक व्यापार को बढ़ावा – मादक पदार्थों की तस्करी से अनैतिक व्यापार को बढ़ावा मिलता है। इससे शासन को मुश्किल होती है। इससे वर्ग संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 2.
भारत में बेरोजगारी दूर करने के उपायों का वर्णन कीजिए। (2009, 15, 17)
अथवा
बेरोजगारी को दूर करने के पाँच उपाय लिखिए। (2012)
उत्तर:
भारत में बेरोजगारी दूर करने के उपाय

भारत में बेरोजगारी की समस्या के निवारण हेतु कुछ प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं –

  1. जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण – बेरोजगारी की समस्या के समाधान हेतु जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण किया जाना आवश्यक है। इसके लिए परिवार कल्याण कार्यक्रम का व्यापक रूप से प्रचार व इसे क्रियान्वित किया जाना चाहिए, अन्यथा बेरोजगारी की समस्या कभी समाप्त न होने वाली समस्या बनकर रह जाएगी।
  2. कटीर एवं लघु उद्योगों का विकास – देश में अधिक-से-अधिक व्यक्तियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए कुटीर तथा लघु उद्योगों का विकास किया जाना चाहिए।
  3. जन-शक्ति नियोजन – आर्थिक विकास की आवश्यकता के अनुरूप शिक्षित और प्रशिक्षित एवं कार्य-कुशल, जन-शक्ति की आपूर्ति के लिए जन-शक्ति नियोजन आवश्यक है। इससे श्रमिकों को उनकी योग्यता एवं इच्छानुसार रोजगार उपलब्ध होगा तथा सेवायोजकों को आवश्यकतानुसार कुशल श्रमिकों की उपलब्धि हो सकेगी।
  4. शहरों की ओर ग्रामीण जनता के प्रवाह पर रोक – ग्रामीण क्षेत्र से आकर शहरों में बसने की प्रवृत्ति पर रोक लगानी चाहिए। इसके लिए गाँवों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करने होंगे व अन्य आकर्षक पारिश्रमिक देना होगा।
  5. प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग – भारत में प्राकृतिक संसाधनों के विपुल भण्डार हैं जिनका यथोचित उपयोग किया जाना चाहिए। इससे अधिकाधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और बेरोजगारी की समस्या को हल किया जा सकेगा।
  6. शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन-बेरोजगारी की समस्या के समाधान हेतु वर्तमान शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन करके उसे व्यवसायोन्मुख तथा विकास की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाना चाहिए, ताकि शिक्षित युवक अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर सकें।
  7. रोजगार कार्यालयों का विस्तार-देश में रोजगार कार्यालयों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए ताकि बेरोजगारी व्यक्ति इनके माध्यम से रोजगार प्राप्त कर सकें। इनके ऊपर कठोर नियन्त्रण भी होना चाहिए ताकि इनका कार्य निष्पक्ष एवं कुशलतापूर्वक हो सके।
  8. ग्रामीण निर्माण कार्यक्रमों का विस्तार- भारत के ग्रामों में सहायक धन्धों के अभाव में बड़ी मात्रा में मौसमी बेरोजगारी पाई जाती है। यदि ग्रामों में अन्य सहायक निर्माण कार्य चालू किये जायें तो मौसमी बेरोजगारी और अल्प-रोजगार कम हो सकते हैं।
  9. स्वयं रोजगार धन्धे-वर्तमान स्थिति में बेरोजगारी दूर करने के लिए हमें ऐसे कार्यों के विकास पर बल देना चाहिए जो बेरोजगार व्यक्तियों द्वारा चलाये जाएँ। भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में अनेक ऐसे छोटे-छोटे कार्य हैं जो सुगमतापूर्वक बेरोजगारों द्वारा चलाये जा सकते हैं।

प्रश्न 3.
क्षेत्रवाद का राष्ट्रीय एकता पर क्या प्रभाव पड़ता है ? लिखिए।
उत्तर:
भारत एक विशाल राष्ट्र है। विशालता के कारण भौगोलिक, भाषायी, जातीय, साम्प्रदायिक तथा धार्मिक विभिन्नताओं का होना स्वाभाविक है। देश का कोई भाग उपजाऊ तथा कोई रेतीला तथा पथरीला है। भाषा की दृष्टि से अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। धर्म की दृष्टि से अनेक धर्मों के अनुयायी रहते हैं। इस प्रकार भारत में अनेक भाषाएँ, धर्म और रहन-सहन की विधियाँ पायी जाती हैं। परन्तु जब इन विभिन्नताओं के कारण विभिन्न वर्गों द्वारा अपनी भाषा, क्षेत्र, धर्म और अपने राज्यों के हितों को अधिक प्रधानता दी जाती है तो क्षेत्रीय आकांक्षाएँ जन्म लेती हैं।

क्षेत्रवाद का प्रभाव – क्षेत्रवाद राष्ट्र की एकता में बहुत बड़ी बाधा है। क्षेत्रवाद से प्रभावित होकर अनेक राजनीतिक दलों का निर्माण हुआ है। इनमें डी. एम. के., तेलुगूदेशम, अकाली दल तथा झारखण्ड दल आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ये दल क्षेत्रवाद की भावना से प्रेरित होकर कार्य करते हैं और राष्ट्रीय हितों की परवाह नहीं करते। इसी कारण मतदाता क्षेत्रवाद के आधार पर वोट डालते हैं और राष्ट्रीय हितों को अनदेखा कर देते हैं। क्षेत्रवाद आन्दोलनों को जन्म देता है। गोरखालैण्ड आन्दोलन, पंजाब के उग्रवादियों द्वारा खालिस्तान की माँग तथा कुछ वर्ष पूर्व दक्षिण के राज्यों द्वारा भारत से अलग होने की माँग इसके स्पष्ट उदाहरण हैं। अतः क्षेत्रवाद ने पृथक्वाद को जन्म दिया है। इनके कारण देश में समय-समय पर दंगे-फसाद आदि होते रहते हैं। इस प्रकार क्षेत्रवाद राष्ट्र की एकता में बाधक है।

प्रश्न 4.
आतंकवाद का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है ? इसे दूर करने के उपाय लिखिए। (2009, 15, 17)
अथवा
आतंकवाद का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है ? वर्णन कीजिए। (2010)
उत्तर:
मानव जाति के विरुद्ध कुछ व्यक्तियों या गिरोहों की हिंसा को आतंकवाद कहते हैं। यह लोकतन्त्र के विरुद्ध अपराध है। आतंकवाद पूरे विश्व की समस्या बन गया है। आतंकवादी विश्व भर में आतंकी गतिविधियाँ अपनाकर सबको भयभीत और असुरक्षित करना चाहते हैं। ये अनैतिक साधनों को भी न्यायसंगत ठहराते हैं। हिंसक गतिविधियों द्वारा राष्ट्र की अखण्डता और एकता को नष्ट करना चाहते हैं। कुछ विदेशी ताकतें, कट्टरपंथी ताकतें और अलगाववादी प्रवृत्तियाँ आतंकवाद को प्रोत्साहन दे रही हैं। ये विश्व शान्ति को भंग कर सबको भयभीत करना चाहते हैं। आतंकवादियों द्वारा अतिविकसित राष्ट्र अमेरिका की वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर जैसी इमारत को ध्वस्त कर दिया गया। सारा विश्व इससे स्तब्ध रह गया। हजारों जानें गईं। अपार धन की हानि हुई और असुरक्षा की भावना बढ़ गई। आतंकवाद राज्य और समाज को बाँटने का कार्य करते हैं।

आतंकवाद के प्रभाव

  1. नागरिकों में असुरक्षा की भावना जागृत हो जाती है।
  2. आर्थिक विकास के मार्ग में बाधा आती है। जिस गति से विकास कार्य करने हैं उन्हें छोड़कर बचाव कार्य करने होते हैं। इससे शासकीय योजनाएँ प्रभावित होती हैं।
  3. जन-धन की बहुत हानि होती है। निरपराध लोग मारे जाते हैं। सरकारी और निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचता है।
  4. आतंकवाद से अघोषित युद्ध जैसी स्थिति बन जाती है। कुछ राष्ट्र आतंकवाद को कूटनीतिक साधन के रूप में उपयोग करते हैं।

आतंकवाद को नियन्त्रित करने के उपाय

आज आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या के रूप में खड़ा है। यह राष्ट्रों की भौगोलिक सीमाओं को लाँघ चुका है। इसके लिए सभी राष्ट्रों को मिलकर समाधान खोजना चाहिए। सरकार को कश्मीरी आतंकवाद से निपटने के लिए कड़ा रुख अपनाना चाहिए। सुरक्षा व्यवस्था की तैनाती में कमजोर बिन्दुओं की पहचान और उन्हें दूर करने की दिशा में कार्यवाही करना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए एवं सम्पूर्ण देशवासियों को एकजुट होकर आतंकवाद का सामना करना चाहिए।

प्रश्न 5.
भारत में प्रजातन्त्र की सफलता में बाधक तत्वों को बताते हुए उन्हें करने के उपायों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय प्रजातन्त्र की सफलता में बाधक किन्हीं पाँच तत्वों को लिखिए। (2012, 16, 18)
उत्तर:
प्रजातन्त्र की सफलता में बाधक तत्व

भारतीय प्रजातन्त्र का ढाँचा संविधान पर आधारित है और राजनीतिक दलों के सहयोग से यह व्यवस्था क्रियाशील है। समय के साथ-साथ व्यवस्थाओं में कुछ कमियों आ जाती हैं जो वर्तमान व्यवस्था को चुनौती देती हैं। भारतीय प्रजातन्त्र को भी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं –

(1) निर्धनता और बेरोजगारी – देश की जनसंख्या का लगभग 26 प्रतिशत भाग निर्धनता रेखा के नीचे जीवन-निर्वाह कर रहा है। देश में शिक्षित और अशिक्षित करोड़ों नागरिकों को नियमित रोजगार का कोई साधन नहीं है। नागरिकों के उसी बड़े वर्ग के कारण लोकतन्त्र के संचालन में कठिनाई आती है।

(2) जातीयता, क्षेत्रीयता और भाषायी समस्याएँ – हमारे देश में बिना किसी भेद-भाव के सभी नागरिकों को स्वतन्त्रता और समानता के अधिकार प्रदान किए गए हैं किन्तु यथार्थ में देश में प्रचलित जातिवाद और क्षेत्रवाद स्वतन्त्रता और समानता के अधिकार को वास्तविक नहीं बनने दे रहे हैं। भारतीय प्रजातन्त्र में विश्वास करने वाले यह मानते थे कि भारत में धीरे-धीरे जातिवाद स्वतः समाप्त हो जाएगा। लेकिन व्यक्ति जब जाति को प्राथमिकता देकर राजनीतिक कार्य और व्यवहार निर्धारित करता है तब लोकतन्त्र के संचालन में अवरोध आना स्वाभाविक है।

(3) निरक्षरता – किसी भी देश में लोकतन्त्र की सफलता के लिए वहाँ के नागरिकों का साक्षर होना आवश्यक है। अशिक्षित लोग न तो अपने अधिकारों व कर्तव्यों को जानते हैं और न ही अपने मत का ठीक प्रयोग ही कर पाते हैं। इसलिए निरक्षरता प्रजातन्त्र के लिए अभिशाप है।

(4) सामाजिक कुरीतियाँ – भारतीय समाज परम्परागत समाज है। यहाँ प्रजातन्त्र की भावना के अनुकूल लोकमत की कम अभिव्यक्ति होती है। अभी भी हमारे समाज में अस्पृश्यता की भावना, महिलाओं के प्रति भेदभाव, जातीय श्रेष्ठता के भाव, सामन्तवादी मानसिकता, सामाजिक कुरीतियाँ व अन्धविश्वास आदि की भावना व्याप्त है। इस प्रकार के विचार लोकतन्त्र के मार्ग में बाधा हैं।

(5) संचार साधनों की नकारात्मक भूमिका – संचार साधनों के माध्यम से सरकार और नागरिकों के मध्य एक घनिष्ठ नाता बनता है। प्रजातन्त्र में सरकार द्वारा जनकल्याण की अनेक योजनाएँ और कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। जनसंचार के साधनों द्वारा इनका प्रसार केवल व्यावसायिक आधार पर किया जाता है। शासन और प्रशासन की सकारात्मक भूमिका के प्रति इनमें आकर्षण कम है जबकि जनमत बनाना और जनमत को दिशा देने में यह साधन प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। भारत में इनकी भूमिका इतनी सकारात्मक नहीं है जितनी होनी चाहिए।

प्रजातन्त्र की बाधाओं को दूर करने के उपाय

(1) निर्धनता और बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए शासन के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता की भी आवश्यकता है। व्यक्ति और समाज को मिलकर शासन की योजनाओं का लाभ उठाना होगा। व्यावसायिक शिक्षा और स्वरोजगार के प्रयासों में और तेजी की आवश्यकता है।

(2) शिक्षा के प्रति लोकचेतना को और अधिक विस्तार देने की आवश्यकता है। जातिवाद के विचार, क्षेत्रीयता की भावना और भाषायी अवरोधों का सम्बन्ध नागरिकों की मानसिकता से है। इन विचारों में परिवर्तन के लिए कार्य किया जा सकता है। हमें देश में निरक्षरता को दूर करने के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

(3) देश में सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध कानून हैं किन्तु अनेक लोगों को इन कानूनों से भय नहीं है, सामाजिक कानूनों का पालन सुनिश्चित करने के प्रयास आवश्यक हैं।

(4) प्रजातन्त्र में भ्रष्टाचार को कम करने, समाप्त करने तथा अपराधों को नियन्त्रित करने की अत्यन्त आवश्यकता है। अपराधियों को जल्दी सजा दी जाए। इसके लिए न्याय प्रणाली में सुधार करने चाहिए। राजनीतिक दलों की संख्या को कानून बनाकर कम करना चाहिए। राजनेताओं के लिए नैतिकता और नैतिक सिद्धान्तों का प्रशिक्षण आयोजित होते रहना चाहिए राजनीतिक दलों में सुधार के लिए नये कानूनों की आवश्यकता है। संचार साधनों की बढ़ती भूमिका के कारण उनके लिए दिशा-निर्देश और कानूनों की आवश्यकता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 14 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय

प्रश्न 1.
भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का है – (2009)
(i) 1.8 प्रतिशत
(ii) 2.0 प्रतिशत
(iii) 2.4 प्रतिशत
(iv) 2.9 प्रतिशत
उत्तर:
(iii) 2.4 प्रतिशत

प्रश्न 2.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता है – (2009)
(i) 53.7 प्रतिशत
(ii) 64.8 प्रतिशत
(iii) 67.5 प्रतिशत
(iv) 70.5 प्रतिशत।
उत्तर:
(ii) 64.8 प्रतिशत

प्रश्न 3.
भारत में बेरोजगारी का कारण है – (2009)
(i) जनसंख्या वृद्धि की तेज गति
(ii) दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली
(iii) उद्योगों में मशीनीकरण
(iv) उक्त सभी।
उत्तर:
(iv) उक्त सभी।

प्रश्न 4.
हथियारों की दौड़ का सम्बन्ध है – (2009)
(i) गरीबों से
(ii) बेरोजगारी से
(iii) आतंकवाद से
(iv) अशिक्षा से।
उत्तर:
(iii) आतंकवाद से

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. साम्प्रदायिकता ……………….. के मार्ग में एक बड़ी बाधा है।
  2. नशामुक्ति के लिए मद्यनिषेध अभियान ……………….. ने चलाया था। (2014)
  3. ‘फूट डालो और राज्य करो’ की नीति ……………….. सरकार की थी।
  4. ……………….. के प्रसार से हमारे देश में मृत्यु दर तेजी से कम हो रही है।
  5. जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का स्थान ……………….. है। (2012)

उत्तर:

  1. लोकतन्त्र एवं राष्ट्रीय एकता
  2. महात्मा गांधी
  3. अंग्रेज
  4. स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार व शिक्षा
  5. दूसरा।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
मादक पदार्थों के सेवन से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। (2013)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। (2014)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
क्षेत्रवाद राष्ट्रीय एकता का मूलाधार है। (2016)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
जनसंख्या विस्फोट से संसाधनों की कमी हो जाती है। (2010, 12, 15)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
बेरोजगारी से लोकतन्त्र को कोई खतरा नहीं है। (2015)
उत्तर:
असत्य

जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 14 प्रजातन्त्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ 2
उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (ग)
  3. → (क)
  4. → (ङ)
  5. → (घ)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या बताइए। (2009)
उत्तर:
102.7 करोड़

प्रश्न 2.
चीन में कितने बच्चों के परिवार को आदर्श माना गया है ?
उत्तर:
एक बच्चा

प्रश्न 3.
किसी व्यवसाय में आय प्राप्त करने के लिए धन लगाने को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
विनियोग

प्रश्न 4.
नशीले पदार्थों का प्रयोग, उसके व्यापार और लाने-ले जाने पर रोक को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
मद्य निषेध

प्रश्न 5.
विश्व की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग भारत में निवास करता है ? (2007)
उत्तर:
16.87 प्रतिशत

प्रश्न 6.
जनसंख्या की दृष्टि से भारत का स्थान विश्व में कौन-सा है ? (2011)
उत्तर:
दूसरा।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 14 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्रामीण बेरोजगारी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कृषि क्षेत्र में वर्ष भर कार्य नहीं रहता। छ: माह किसान बेकार रहते हैं। पूँजी का अभाव होने के कारण कुटीर उद्योगों का विकास नहीं हो पाया है। उन्हें वर्ष भर कार्य नहीं मिल पाता और उनकी कमाई में बढ़ोत्तरी नहीं हो पाती। यही ग्रामीण बेरोजगारी है।

प्रश्न 2.
विनियोग से क्या आशय है ?
उत्तर:
किसी व्यवसाय में आय प्राप्त करने के लिए धन लगाना विनियोग कहलाता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 14 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आतंकवाद के चार कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आतंकवाद के कारण–आतंकवाद के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  1. उपनिवेशवाद – शासकों द्वारा वर्षों तक अपनाई गई दमनकारी नीतियाँ उपनिवेश में नागरिकों के विद्रोह का कारण होती हैं। वे शासकों से छुटकारा पाने के लिए आतंकी गतिविधियाँ अपनाते हैं।
  2. सूचना प्रौद्योगिकी – पिछले दो दशकों में संचार साधनों में बहुत क्रान्ति आई है-टेलीविजन, इण्टरनेट, मोबाइल, फैक्स आदि के माध्यम से आतंकवादी संगठन इसका प्रयोग कर अपनी आतंकी गतिविधियाँ संचालित करने में सफल रहे.हैं।
  3. राष्ट्रों में द्वेष की भावना – एक देश द्वारा जब दूसरे देश में आतंकवादी गतिविधियों के संचालन के लिए आतंकवादी संगठनों को संरक्षण, प्रशिक्षण एवं आर्थिक सहायता दी जाती है तो ऐसी स्थिति में संचालित आतंकवाद सीमा पार संचालित आतंकवाद कहलाता है। भारत इससे प्रभावित है। भारत के पड़ोसी राष्ट्रों में अनेक आतंकवादी शिविर संचालित हो रहे हैं जो प्रशिक्षण देने का कार्य करते हैं और विश्व में आतंकवाद के प्रसार में मदद करते हैं।
  4. अपहरण व हथियारों का प्रयोग – आतंवादियों द्वारा हत्या, अपहरण, रायफल, हथगोले, मानव बम, जैविक हथियार, रासायनिक हथियारों का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2.
साम्प्रदायिकता को दूर करने के उपाय बताइए। (2016)
उत्तर:
साम्प्रदायिकता को दूर करने के उपाय – साम्प्रदायिकता को दूर करने के लिए निम्न उपाय अपनाने चाहिए –

  1. शिक्षा द्वारा – शिक्षा के पाठ्यक्रम द्वारा सभी धर्मों की अच्छाइयाँ बतायी जाएँ और छात्रों को सहिष्णुता एवं सभी धर्मों के प्रति आदर भाव सिखाया जाए।
  2. सर्वधर्म कार्यक्रमों का आयोजन – सभी सम्प्रदाय के लोगों को मिल-जुलकर सामूहिक सम्मेलन व कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए, जिससे आपसी मेलजोल से लोगों की पारस्परिक घृणा कम हो, साम्प्रदायिक वैमनस्य की भावना धीरे-धीरे समाप्त हो जाए।
  3. समान कानून – सरकार को कानून बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे समान रूप से सभी नागरिकों पर लागू हों। इन्हें लागू करने में किसी भी प्रकार का भेद-भाव जाति, धर्म, भाषा और लिंग के आधार पर नहीं करना चाहिए।
  4. राजनीति में धर्म के प्रभाव पर नियन्त्रण – चुनाव के समय धर्म के आधार पर उम्मीदवार का चुनाव नहीं करना चाहिए। राजनीति में धर्म का प्रभाव बढ़ने से धर्मनिरपेक्षता की भावना में बाधा होती है। नेताओं को राष्ट्रहित का ध्यान रखना चाहिए न कि समुदाय के हितों का।

प्रश्न 3.
मादक पदार्थों के सेवन के कारण बताइए।
उत्तर:
मादक पदार्थों के सेवन के कारण – मादक पदार्थों के सेवन के निम्न कारण हैं –

  1. मानसिक परेशानी दूर करने के लिए भी व्यक्ति मादक पदार्थों का सेवन करता है। आज जीवन में इतनी उलझनें हैं कि व्यक्ति उनसे छुटकारा पाना चाहता है। दोस्तों के आग्रह पर भी व्यक्ति मादक पदार्थों का सेवन करने लगता है।
  2. शराब पार्टियों के बढ़ते चलन और मीडिया द्वारा इनका प्रदर्शन, मयखानों में डांस, बार रूम का बढ़ता चलन, पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव मादक पदार्थों के सेवन को बढ़ावा दे रहा है।
  3. उच्च वर्ग के समकक्ष दिखने, उनके सम्पर्क में आने और व्यावसायिक पार्टियों के आयोजन में अब मादक पदार्थों का उपयोग अधिक हो रहा है।
  4. नशे के बाद की पीड़ादायक स्थिति से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति बार-बार नशा करता है। ड्रग्स लेते रहने पर यह स्थिति अधिक विषम होती जाती है, इस कारण मादक पदार्थों का सेवन बढ़ता ही जाता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 14 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंख्या विस्फोट क्या है ? समाज पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को लिखिए। (2018)
अथवा
जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न प्रमुख समस्याएँ निम्न प्रकार हैं –

  1. हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के परिणामस्वरूप भूमि पर दबाव निरन्तर बढ़ता जा रहा है। इससे भू-जोतों का आर्थिक विभाजन हुआ है तथा कृषि उत्पादकता में कमी आयी है।
  2. जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने पर प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि धीमी हो जाती है। ऐसे में निवेश का बड़ा भाग जनसंख्या के भरण-पोषण में लग जाता है तथा आर्थिक विकास के लिए निवेश का एक छोटा-सा भाग ही बचता है।
  3. जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होने पर देश में बच्चों तथा वृद्ध व्यक्तियों की संख्या बढ़ रही है। ये लोग कार्यशील जनसंख्या (15 वर्ष 60 वर्ष तक की आयु) पर आश्रित हैं। इसका कारण यह है कि यह केवल खाने वाले होते हैं, उत्पादन करने वाले नहीं। आश्रितों की जनसंख्या बढ़ने पर देश पर भार बढ़ रहा है।
  4. जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी की समस्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। सरकार जितने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराती है उससे अधिक नये लोग बेरोजगारी की लाइन में आ जाते हैं!
  5. जनसंख्या वृद्धि के कारण सरकार को आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, जनकल्याण, कानून व्यवस्था एवं सुरक्षा पर अधिक व्यय करना पड़ता है। अतः विकास कार्यों के लिए धन का अभाव हो जाता है।
  6. जनसंख्या वृद्धि के परिणामस्वरूप वस्तुओं की माँग उनकी पूर्ति की अपेक्षा बहुत अधिक बढ़ जाती है जिससे वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। इसका आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 2.
बेरोजगारी के दुष्परिणाम समझाइए।
उत्तर:
बेरोजगारी के दुष्परिणाम

बेरोजगारी के निम्नांकित दुष्परिणाम होते हैं –

  1. मानव शक्ति का आशय – कार्य करने योग्य व्यक्ति जब बेकार रहते हैं तो उनका श्रम व्यर्थ जाता है। इस तरह से बहुत से बेरोजगारों की श्रमशक्ति का उपयोग नहीं हो पाता है।
  2. आर्थिक विकास अवरुद्ध – बेरोजगारी की दशा में माँग घटती है, माँग के घटने से उत्पादन गिर जाता है। उत्पादन के कम होने से नये कल-कारखाने व उत्पादन-तकनीक में सुधार नहीं हो पाता है क्योंकि आय कम हो जाती है। पूँजी का निर्माण और विनियोग नहीं हो पाता। इससे देश के आर्थिक विकास में रुकावट आती है।
  3. संसाधनों की बर्बादी – देश में सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए बहुत बड़ी धनराशि खर्च करती है। प्रशिक्षण पर भी व्यय होता है परन्तु बेरोजगारी के कारण यह सब व्यर्थ हो जाता है।
  4. सामाजिक समस्याएँ – बेरोजगारी मानसिक और सामाजिक असन्तोष को जन्म देती है। बेरोजगार असन्तुष्ट और परेशान व अभावग्रस्त रहते हैं। इससे चोरी, डकैती, बेईमानी, नशा आदि बुराइयाँ समाज में बढ़ जाती हैं। इस प्रकार बेरोजगार व्यक्ति का नैतिक स्तर भी गिर जाता है या दूसरे शब्दों में बेरोजगारी व्यक्ति का नैतिक स्तर गिरा देती है।
  5. राजनीतिक उथल-पुथल – बेरोजगारी के कारण एक बड़ा जनसमूह सरकार के विरुद्ध हो जाता है। उनमें असन्तोष और आक्रोश उत्पन्न हो जाता है। यह स्थिति राजनैतिक अस्थिरता को जन्म देती है। सरकार पर सदा संकट बना रहता है।

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