MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 आर्थिक प्रणाली

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 आर्थिक प्रणाली

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में साधनों पर स्वामित्व होता है –
(i) सरकार का
(ii) निजी व्यक्तियों का
(iii) दोनों का
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ii) निजी व्यक्तियों का

प्रश्न 2.
पूँजीवाद में आर्थिक शक्तियों का संचालक होता है
(i) लोकतन्त्र
(ii) मूल्य तन्त्र
(iii) राज्यतन्त्र
(iv) उक्त सभी।
उत्तर:
(ii) मूल्य तन्त्र

प्रश्न 3.
समाजवाद में उपभोक्ता की सम्प्रभुता
(i) बढ़ जाती है
(ii) स्थिर रहती है
(iii) अप्रभावित रहती है
(iv) समाप्त हो जाती है।
उत्तर:
(iv) समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 4.
व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का अभाव पाया जाता है
(i) पूँजीवादी में
(ii) मिश्रित अर्थव्यवस्था में
(iii) समाजवाद में
(iv) उक्त सभी में।
उत्तर:
(iii) समाजवाद में

प्रश्न 5.
भारतीय अर्थव्यवस्था में किस प्रणाली को अपनाया गया है ?
(i) पूँजीवादी प्रणाली
(ii) समाजवादी प्रणाली
(iii) मिश्रित अर्थव्यवस्था प्रणाली
(iv) उक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(iii) मिश्रित अर्थव्यवस्था प्रणाली

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. पूँजीवाद में उत्पादन के साधनों पर ………………… का अधिकार होता है।
  2. ………………… को समाजवाद का जनक माना जाता है। (2015)
  3. ‘संयुक्त क्षेत्र’ का संचालन सरकार एवं ………………… दोनों द्वारा मिलकर किया जाता है।
  4. समाजवाद में उत्पत्ति के साधनों पर स्वामित्व ………………… का होता है।
  5. भारत में ………………… अर्थव्यवस्था को अपनाया गया है।

उत्तर:

  1. निजी व्यक्तियों
  2. कार्ल मार्क्स
  3. निजी उद्योगपतियों
  4. सरकार या समाज
  5. मिश्रित।

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 आर्थिक प्रणाली 1
उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (क)
  3. → (ख)

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 अति लघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूँजीवाद में आर्थिक प्रणाली का संचालन किस यन्त्र द्वारा होता है ?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का संचालन मूल्य यन्त्र’ के द्वारा होता है। मूल्य तन्त्र से आशय अर्थव्यवस्था में विद्यमान माँग एवं पूर्ति की शक्तियों से है।

प्रश्न 2.
समाजवाद में उत्पत्ति के साधनों पर किसका अधिकार होता है ?
उत्तर:
समाजवाद में उत्पत्ति के साधनों का स्वामित्व सरकार या समाज के पास होता है।

प्रश्न 3.
मिश्रित अर्थव्यवस्था किन दो आर्थिक प्रणालियों का मिश्रण है ?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवादी तथा समाजवादी आर्थिक प्रणालियों का मिश्रण है।

प्रश्न 4.
भारत में कौन-सी प्रणाली अपनाई गई है? (2009)
उत्तर:
भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया है।

प्रश्न 5.
मिश्रित अर्थव्यवस्था में उत्पत्ति के साधनों पर किसका अधिकार होता है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सरकारी दोनों प्रकार का नियन्त्रण होता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूँजीवाद व समाजवाद किसे कहते हैं ? लिखिए।
उत्तर:
पूँजीवादपूँजीवाद का आशय-पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को अनेक नामों से जाना जाता है; जैसे – बाजार अर्थव्यवस्था, निर्बाधवादी अर्थव्यवस्था, अनियोजित अर्थव्यवस्था आदि। पूँजीवाद को अग्र प्रकार से परिभाषित किया गया है –
लॉक्स तथा हट्स के अनुसार, “पूँजीवाद आर्थिक संगठन की एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें निजी स्वामित्व पाया जाता है और मनुष्यकृत तथा प्रकृतिदत्त साधनों का निजी लाभ के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रो. जॉन स्ट्रेची के अनुसार, “पूँजीवाद शब्द से आशय उस आर्थिक प्रणाली से है जिसमें कारखानों एवं खेतों पर व्यक्तियों का स्वामित्व होता है। पूँजीवाद में व्यक्ति विश्व प्रेम या स्नेह से नहीं वरन् लाभ के उद्देश्य से कार्य करता है।”

इस प्रकार स्पष्ट है कि पूँजीवाद में वस्तुओं के उत्पादन एवं वितरण पर निजी व्यक्तियों का अधिकार होता है तथा वे संग्रहित पूँजी का उपयोग अपने लाभ के लिए करते हैं।

समाजवाद का आशय – समाजवाद का जन्म पूँजीवादी प्रणाली के दोषों को दूर करने के लिए हुआ है। कार्ल मार्क्स को समाजवाद का जनक माना जाता है। इस आर्थिक प्रणाली में उत्पत्ति के साधनों पर व्यक्तिगत स्वामित्व न होकर सामाजिक स्वामित्व होता है।

प्रो. एच. डी. डिकिन्सन के अनुसार, “समाजवाद समाज का एक ऐसा आर्थिक संगठन है, जिसमें उत्पादन के भौतिक साधनों पर सम्पूर्ण समाज का स्वामित्व होता है और उनका संचालन एक सामान्य योजना के अनुसार ऐसी संस्थाओं द्वारा किया जाता है जो सम्पूर्ण समाज के प्रति उत्तरदायी होती हैं। समाज के सभी सदस्य समान अधिकारों के आधार पर ऐसे समाजीकृत आयोजित उत्पादन के परिणामों के लाभ प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं।”

प्रश्न 2.
पूँजीवादी आर्थिक प्रणाली की विशेषताएँ बताइए। (कोई पाँच) (2012, 13, 16)
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के लक्षण या विशेषताएँ

  1. निजी सम्पत्ति – पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को सम्पत्ति प्राप्त करने, रखने, प्रयोग करने व खरीदने-बेचने का पूरा अधिकार होता है।
  2. अधिकतम लाभ – पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार अधिकतम लाभ प्राप्त करना होता है। इसमें व्यक्ति केवल उन्हें कार्यों को करता है जिनसे उसे अधिक लाभ मिलने की सम्भावना होती है।
  3. उद्यम का चुनाव करने की स्वतन्त्रता – पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार किसी भी व्यवसाय को करने की स्वतन्त्रता होती है। यह बात श्रमिक, पूँजीवादी, किसान, उत्पादक, उपभोक्ता सभी पर लागू होती है।
  4. कीमत तन्त्र-पूँजीवादी अर्थप्रणाली में आर्थिक क्रियाओं के संचालन का कार्य कीमत यन्त्र द्वारा सम्पादित होता है, उदाहरणार्थ-एक उत्पादक उसी वस्तु का उत्पादन करेगा जिसकी माँग व कीमत अधिक है, जिससे उसे अधिकतम लाभ प्राप्त हो।
  5. साहसी का महत्त्व – पूँजीवादी प्रणाली में साहसी का महत्वपूर्ण स्थान होता है क्योंकि उसी के द्वारा उत्पादन के साधनों को एकत्रित करके उत्पादन कार्य संचालित किया जाता है तथा लाभ-हानि का जोखिम उठाया जाता है।

प्रश्न 3.
मिश्रित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं ? मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोष बताइए। (2017)
उत्तर:
“मिश्रित अर्थव्यवस्था वह आर्थिक प्रणाली है, जिसमें समाज के सभी वर्गों के आर्थिक कल्याण के लिए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र को विशिष्ट भूमिकाएँ आबंटित की जाती हैं।”

मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोष

(1) निर्बल नीति – मिश्रित अर्थव्यवस्था एक निर्बल आर्थिक नीति है, इसके अन्तर्गत निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र एक-दूसरे के पूरक के रूप में कार्य नहीं करते हैं। परिणामस्वरूप समन्वय के अभाव में दोनों ही क्षेत्र . परस्पर एक-दूसरे पर दोषारोपण करते रहते हैं जिससे अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है।

(2) अकुशलता – मिश्रित अर्थव्यवस्था से यह आशा की गयी थी कि इसमें पूँजीवाद एवं समाजवाद दोनों के गुणों का समावेश होगा परन्तु व्यवहार में इसमें एक भी व्यवस्था के गुण न आ सके। इस अर्थव्यवस्था में लालफीताशाही, भाई-भतीजावाद व भ्रष्टाचार जैसे अवगुण आ जाने के कारण कुशलता का अभाव होता है।

(3) राष्टीयकरण का भय – मिश्रित अर्थव्यवस्था में कुछ उद्योग तो स्वयं सरकार के हाथ में होते हैं साथ ही सरकार को यह अधिकार होता है कि वह जब चाहे किसी भी उद्योग को अपने हाथ में ले सकती है, फलस्वरूप निजी उद्यमियों के मस्तिष्क में सदैव राष्ट्रीयकरण का भय रहता है जिससे आर्थिक विकास की गति मन्द रहती है।

(4) राज्य का आर्थिक प्रभुत्व – मिश्रित अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत सरकार धीरे-धीरे सार्वजनिक क्षेत्र में वृद्धि करती जाती है फलस्वरूप समाजवादी शक्तियों का प्रभुत्व बढ़ता जाता है तथा समस्त अर्थव्यवस्था परलोकतन्त्र के स्थान पर साम्यवाद की स्थापना का भय बना रहता है।

(5) आर्थिक अस्थिरता – मिश्रित अर्थव्यवस्था बहत लम्बे समय तक नहीं टिक पाती है। दीर्घकाल में यह व्यवस्था या तो पूँजीवादी व्यवस्था में बदल जाती है या फिर समाजवादी अर्थव्यस्था में। इसमें स्थायित्व की कमी होती है।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था के अनेक दोष हैं। एक कहावत है, “जो व्यक्ति दो घोड़ों की सवारी करता है, गिर जाता है परन्तु मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोषों को ध्यान से देखा जाए तो पता चलता है कि यह दोष स्वयं व्यवस्था के न होकर उस सरकारी मशीनरी के हैं जो इस व्यवस्था को लागू करती है। यही कारण है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था में अनेक दोषों के होते हुए भी यह आधुनिक समय में सबसे लोकप्रिय प्रणाली है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्थिक प्रणाली का अर्थ बताते हुए इसकी विशेषताएँ लिखिए। (2009, 12, 18)
उत्तर:
आर्थिक प्रणाली का आशय

किसी राष्ट्र में आर्थिक क्रियाओं का संचालन जिस व्यवस्था से होता है उसे आर्थिक प्रणाली कहा जाता है। समाज द्वारा निर्धारित इस व्यवस्था के द्वारा ही अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित सभी निर्णय लिए जाते हैं, जैसे किन-किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाना है, उत्पादन कैसे किया जाना है, उत्पादन किसके लिए किया जाना है आदि। इन्हीं निर्णयों के आधार पर ही अर्थव्यवस्था में उपभोग, उत्पादन, विनिमय एवं वितरण का निर्धारण होता है। राष्ट्र के निवासियों का जन-जीवन इन्हीं निर्णयों पर निर्भर करता है। इस प्रकार आर्थिक प्रणाली को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है –

प्रो. डार्फमेन के अनुसार, “अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत उन सभी सामाजिक नियमों, परम्पराओं तथा संस्थाओं का समावेश होता है जो समाज के सदस्यों में विनिमय साध्य वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, व्यापार तथा उपभोग के लिए सहयोग पर नियन्त्रण रखते हैं।”

ए. जे. ब्राउन के अनुसार, “आर्थिक प्रणाली एक साधन है जिसके द्वारा लोग अपनी आजीविका का उपार्जन करते हैं।”

इस प्रकार आर्थिक प्रणाली वह प्रणाली है जिसके अन्तर्गत आर्थिक क्रियाओं का संचालन होता है। आर्थिक क्रियाओं के अन्तर्गत किसी राष्ट्र में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन, इनका उपभोग, विनिमय तथा उत्पत्ति के साधनों में उनके पारिश्रमिक के वितरण का समावेश होता है। अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि आर्थिक प्रणाली देश के आर्थिक जीवन को नियन्त्रित करती है और इसका कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत होता है।

आर्थिक प्रणाली की विशेषताएँ

आर्थिक प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. आर्थिक प्रणाली का मुख्य उद्देश्य आर्थिक समस्याओं को हल करना है।
  2. अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्याएँ हैं-क्या उत्पादन किया जाए, उत्पादन किसके लिए किया जाए और उत्पादन कैसे किया जाए ?
  3. अर्थव्यवस्था में मानवीय आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने वाले साधन सीमित मात्रा में होते हैं।
  4. आर्थिक प्रणाली के द्वारा मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए साधनों के प्रयोग के तरीकों का चुनाव किया जाता है।
  5. आर्थिक प्रणाली परिवर्तनशील होती है।
  6. आर्थिक प्रणाली का सम्बन्ध एक देश या देशों के समूह से होता है।

प्रश्न 2.
पूँजीवाद का अर्थ बताइए तथा इसके लक्षण लिखिए।
उत्तर:
पूँजीवाद का अर्थ – पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को अनेक नामों से जाना जाता है; जैसे – बाजार अर्थव्यवस्था, निर्बाधवादी अर्थव्यवस्था, अनियोजित अर्थव्यवस्था आदि। पूँजीवाद को अग्र प्रकार से परिभाषित किया गया है –
लॉक्स तथा हट्स के अनुसार, “पूँजीवाद आर्थिक संगठन की एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें निजी स्वामित्व पाया जाता है और मनुष्यकृत तथा प्रकृतिदत्त साधनों का निजी लाभ के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रो. जॉन स्ट्रेची के अनुसार, “पूँजीवाद शब्द से आशय उस आर्थिक प्रणाली से है जिसमें कारखानों एवं खेतों पर व्यक्तियों का स्वामित्व होता है। पूँजीवाद में व्यक्ति विश्व प्रेम या स्नेह से नहीं वरन् लाभ के उद्देश्य से कार्य करता है।”

इस प्रकार स्पष्ट है कि पूँजीवाद में वस्तुओं के उत्पादन एवं वितरण पर निजी व्यक्तियों का अधिकार होता है तथा वे संग्रहित पूँजी का उपयोग अपने लाभ के लिए करते हैं।

समाजवाद का आशय – समाजवाद का जन्म पूँजीवादी प्रणाली के दोषों को दूर करने के लिए हुआ है। कार्ल मार्क्स को समाजवाद का जनक माना जाता है। इस आर्थिक प्रणाली में उत्पत्ति के साधनों पर व्यक्तिगत स्वामित्व न होकर सामाजिक स्वामित्व होता है।

प्रो. एच. डी. डिकिन्सन के अनुसार, “समाजवाद समाज का एक ऐसा आर्थिक संगठन है, जिसमें उत्पादन के भौतिक साधनों पर सम्पूर्ण समाज का स्वामित्व होता है और उनका संचालन एक सामान्य योजना के अनुसार ऐसी संस्थाओं द्वारा किया जाता है जो सम्पूर्ण समाज के प्रति उत्तरदायी होती हैं। समाज के सभी सदस्य समान अधिकारों के आधार पर ऐसे समाजीकृत आयोजित उत्पादन के परिणामों के लाभ प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं।”

पूँजीवाद के लक्षण –

  1. निजी सम्पत्ति
  2. अधिकतम लाभ
  3. उद्यम का चुनाव करने की स्वतन्त्रता
  4. कीमत तन्त्र
  5. साहसी का महत्त्व

प्रश्न 3.
मिश्रित अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं एवं इस प्रणाली की क्या विशेषताएँ हैं? लिखिए। (2009, 11, 15)
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ

मिश्रित अर्थव्यवस्था में समाजवादी और पूँजीवादी तत्वों का राष्ट्र की आवश्यकतानुसार मिश्रण रहता है। यह एक इस प्रकार की आर्थिक प्रणाली है जिसमें पर्याप्त मात्रा में निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक क्षेत्र दोनों का सहअस्तित्व होता है। दोनों के कार्यकरण का क्षेत्र निर्धारित कर दिया जाता है, दोनों अपने-अपने क्षेत्र में तथा मिलकर इस प्रकार कार्य करते हैं जिससे राष्ट्र के सभी लोगों के आर्थिक कल्याण में वृद्धि होती है तथा आर्थिक विकास तीव्र गति से होता है। भारतीय योजना आयोग के अनुसार, “मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित होते हैं तथा दोनों एक इकाई के दो घटकों के रूप में कार्य करते हैं।”

मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ

मिश्रित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

(1) निजी और सार्वजनिक क्षेत्र का सहअस्तित्व – मिश्रित अर्थव्यवस्था में राष्ट्र की आर्थिक क्रियाओं को सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। दोनों ही क्षेत्र साथ-साथ कार्य करके राष्ट्र की आर्थिक प्रगति में योगदान करते हैं। निजी क्षेत्र के उपक्रमों का स्वामित्व एवं प्रबन्ध व्यक्तियों के हाथ में होता है और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सरकार के स्वामित्व एवं प्रबन्ध में कार्य करते हैं।

(2) पूँजीवाद और समाजवाद के मध्य का मार्ग – मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवाद और समाजवाद के मध्य की एक स्थिति है। इसमें पूँजीवाद तथा समाजवाद के मिश्रित गुण पाये जाते हैं। निजी क्षेत्र में जो भी उत्पादन का कार्य किया जाता है, उसमें लाभ भावना बनी रहती है, जो पूँजीवाद की प्रमुख विशेषता है। सार्वजनिक क्षेत्र का जितना भी उत्पादन होता है अथवा सार्वजनिक क्षेत्र की जो भी सम्पत्ति होती है, उस पर सामूहिक रूप से सभी व्यक्तियों का अधिकार होता है। इस प्रकार इस व्यवस्था से समाजवाद के लाभ भी प्राप्त कर लिये जाते हैं। इस प्रकार मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूँजीवाद व समाजवाद दोनों का तालमेल रहता है।

(3) एकाधिकारी प्रवृत्ति का नियन्त्रण – इसमें आय तथा धन के वितरण की असमानताएँ दूर करने के लिए प्रगतिशील कर, मृत्यु कर, उत्तराधिकारी कर तथा लाभों पर कर लगा दिये जाते हैं। इस दृष्टि से एकाधिकारी शक्तियों तथा प्रवृत्तियों को नियन्त्रित किया जाता है।

(4) सामाजिक सुरक्षा – मिश्रित अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत सामाजिक सुरक्षा; जैसे-वृद्धावस्था पेंशन, बीमारी, बीमा, बेरोजगारी, आश्रितों को लाभ, दुर्घटना और मृत्यु के विरुद्ध बीमा आदि की व्यवस्था होती है।

(5) आर्थिक नियोजन – मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास नियोजन द्वारा किया जाता है, ताकि समस्त अर्थव्यवस्था का कार्यकरण सामाजिक कल्याण तथा तीव्र आर्थिक विकास की दृष्टि से हो सके।

(6) नियन्त्रित कीमत प्रणाली – मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत प्रणाली को न तो बिल्कुल स्वतन्त्र छोड़ा जाता है और न पूर्णतः समाप्त ही किया जाता है। विभिन्न वस्तुओं की न्यूनतम व अधिकतम कीमतें निर्धारित कर दी जाती हैं।

(7) आधारभूत उद्योगों का राष्ट्रीयकरण – मिश्रित अर्थव्यवस्था में आधारभूत उद्योगों, जैसे-सुरक्षा सम्बन्धी उद्योग, डाक-तार, रेल तथा हवाई यातायात आदि का राष्ट्रीयकरण करके इन्हें सार्वजनिक क्षेत्र में रखा जाता है। इसका कारण यह है कि इन्हीं निजी क्षेत्र के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है।

प्रश्न 4. पूँजीवाद के गुण एवं दोषों की व्याख्या कीजिए। (2011)
अथवा
पूँजीवादी प्रणाली के दोष लिखिए। (2009)
उत्तर:
पूँजीवादी प्रणाली के गुण

  1. स्वयं संचालित-पूँजीवादी प्रणाली में किसी भी प्रकार का नियन्त्रण नहीं होता है, प्रत्येक व्यक्ति अपनी निजी स्वार्थ-सिद्धि के उद्देश्य से कार्य करता है। इस अर्थव्यवस्था में सभी स्वयं संचालित होते हैं।
  2. उत्पादन में वृद्धि-इस प्रणाली में प्रत्येक उत्पादन अधिकतम लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से उत्पादन में वृद्धि करना चाहता है।
  3. जीवन-स्तर में सुधार-पूँजीवाद में अधिक उत्पादन होने के कारण व्यक्तियों की आय अधिक होती है जिसके फलस्वरूप उनका जीवन-स्तर ऊँचा हो जाता है।।
  4. लचीलापन-लचीलापन इस प्रणाली का महत्वपूर्ण गुण है। यह समय तथा परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को परिवर्तित करती रहती है। अपने इसी गुण के कारण यह आज भी अधिकांश देशों में जीवित है।
  5. योग्यतानुसार पुरस्कार-पूँजीवाद के अन्तर्गत जो व्यक्ति जितना अधिक कार्यकुशल होता है, उसे उतना ही अधिक पुरस्कार मिलता है, परिणामस्वरूप व्यक्ति और अधिक उत्साह से कार्य करता है।
  6. अधिकतम सन्तुष्टि-पूँजीवाद में उपभोक्ता को सार्वभौमिक सत्ता प्राप्त होने के कारण उसको अधिकतम सन्तुष्टि की प्राप्ति होती है।

पूँजीवादी प्रणाली के दोष

  1. आर्थिक असमानताएँ-इस प्रणाली में धनी एवं निर्धन वर्ग की आय में बहुत अन्तर पाया जाता है। इस आर्थिक असमानता के कारण धनी और धनी व निर्धन और निर्धन होते चले जाते हैं।
  2. वर्ग संघर्ष-पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में समाज दो वर्गों में विभाजित होता है। पूँजीपति व श्रमिक वर्ग। इन दोनों वर्गों के मध्य निरन्तर टकराव होता रहता है और यह टकराव धीरे-धीरे वर्ग संघर्ष का रूप धारण कर लेता है।
  3. बेरोजगारी-पूँजीवाद में श्रमिकों को सदैव बेरोजगारी का भय बना रहता है पूँजीपति जब चाहे श्रमिकों की छंटनी कर काम से निकाल देते हैं। इस तरह उनका रोजगार सुरक्षित नहीं रहता है।
  4. आर्थिक साधनों का अपव्यय-पूँजीवादी प्रणाली में एक ही वस्तु का उत्पादन अलग-अलग उत्पादों द्वारा किया जाता है जिसके प्रचार तथा विज्ञापन पर बहुत व्यय करना पड़ता है जिससे वस्तुओं का मूल्य बढ़ता है।
  5. आर्थिक शोषण-इस व्यवस्था के अन्तर्गत अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी देकर उनका अनुचित शोषण किया जाता है।

प्रश्न 5.
समाजवादी आर्थिक प्रणाली क्या है ? इसकी विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
अथवा
समाजवाद की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (2010)
अथवा
समाजवाद के कोई पाँच लक्षण समझाइए। (2009)
उत्तर:
समाजवादी आर्थिक प्रणाली से आशय – लघु उत्तरीय प्रश्न 1 के उत्तर में ‘समाजवाद का आशय’ शीर्षक देखें।

समाजवादी आर्थिक प्रणाली की विशेषताएँ

समाजवादी अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

(1) उद्देश्यपूर्ण अर्थव्यवस्था-समाजवादी अर्थव्यवस्था के सुनियोजित लक्ष्य होते हैं और इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए विवेकपूर्ण सतत् प्रयास किये जाते हैं। अतः समाजवादी अर्थव्यवस्था व्यक्तिवादी अर्थव्यवस्था की भाँति अन्धी, उद्देश्यहीन व अविवेकपूर्ण नहीं होती। इसलिए समाजवादी अर्थव्यवस्था को व्यक्तिवादी अर्थव्यवस्था से भिन्न सामूहिकवादी अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

(2) उत्पादन के साधनों पर सरकारी स्वामित्व-समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत स्वामित्व के स्थान पर समाज का सामूहिक या सरकार का स्वामित्व होता है। देश के बड़े-बड़े उद्योगों, बैंक, बीमा कम्पनी, यातायात तथा संचार के साधनों आदि का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाता है और देश की सरकार को यह पूर्ण अधिकार होता है कि वह उनका संचालन अधिकतम कल्याण के लिए करे।

(3) आर्थिक नियोजन-समाजवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक नियोजन महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सरकार आर्थिक नियोजन की नीति को अपनाकर विभिन्न क्षेत्रों के लिए लक्ष्य निर्धारित करती है, क्षेत्रों में समन्वय स्थापित करती है तथा आर्थिक निर्णय लेती है। इसके लिए सरकार एक केन्द्रीय योजना अधिकारी नियुक्त करती है।

(4) प्रतियोगिता का अभाव-समाजवादी अर्थव्यवस्था में प्रतियोगिता सम्भव नहीं होती है। उत्पादन के सभी साधनों पर राज्य का अधिकार होता है। राज्य अर्थात् सरकार स्वयं साहसी एवं पूँजीगत का कार्य करता है। वह स्वयं ही किसी वस्तु का उत्पादन करने के लिए साधनों को एकत्र करता है एवं सम्पूर्ण उत्पादन व्यवस्था को संचालित करता है। इस प्रकार समाजवादी अर्थव्यवस्था में किसी प्रकार की प्रतियोगिता सम्भव नहीं होती है।

(5) सामाजिक कल्याण-समाजवादी अर्थव्यवस्था में व्यक्तिगत हित के स्थान पर सामाजिक कल्याण को महत्त्व दिया जाता है। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाओं का विश्लेषण तथा उनके बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य एक निश्चित योजना के अनुसार किया जाता है, जिसमें उत्पादन के साधनों को विभिन्न उद्योगों में इस प्रकार बाँटा जाता है कि समाज के सभी व्यक्तियों का अधिकतम कल्याण हो सके।

(6) आय की समानता-समाजवादी अर्थव्यवस्था में आय का वितरण समानता के आधार पर होता है। इस सन्दर्भ में यह महत्त्वपूर्ण है कि आय की समानता का यह आशय नहीं है कि कार्य की मात्रा या गुणवत्ता को ध्यान में रखे बिना सभी लोगों में आय का समान वितरण कर दिया जाए। इसका आशय केवल यह कि राष्ट्रीय आय को उत्पादन के सभी साधनों में उनके द्वारा दिये गये योगदान के अनुपात में समानता के आधार पर वितरित किया जाए।

(7) शोषण की समाप्ति-समाजवाद एक वर्ग रहित समाज है क्योंकि समाजवाद में उत्पादन के साधनों तथा उत्पादन पर सरकार का स्वामित्व होता है जिसके कारण समाज पूँजीपति तथा श्रमिक वर्ग में विभाजित नहीं हो पाता है। इसके अलावा उत्पादन भी सामाजिक हित में किया जाता है जिससे श्रमिकों का शोषण नहीं हो पाता है। उपभोक्ता को भी जीवन की सभी उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त हो जाती हैं।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समाजवाद में क्या पाया जाता है ?
(i) वर्ग-संघर्ष
(ii) आर्थिक अस्थिरता
(iii) प्रेरणा का अभाव
(iv) निजी उद्यम।
उत्तर:
(iii) प्रेरणा का अभाव

प्रश्न 2.
मिश्रित अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषता है
(i) आर्थिक नियोजन
(ii) आर्थिक समानता
(iii) शोषण
(iv) कीमत तन्त्र।
उत्तर:
(ii) आर्थिक समानता

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. किसी देश में आर्थिक क्रियाओं का संचालन जिस व्यवस्था से होता है उसे ……………. कहा जाता है।
  2. पूँजीवाद में उत्पादन से सम्बन्धित सभी निर्णय ……………. की इच्छा के आधार पर लिये जाते हैं।
  3. मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी आर्थिक प्रणाली है जिसमें ……………. एवं ……………. दोनों क्षेत्र साथ-साथ कार्य करते हैं।

उत्तर:

  1. आर्थिक प्रणाली
  2. उपभोक्ता
  3. सार्वजनिक निजी।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
भारतीय अर्थव्यवस्था में पूँजीवादी प्रणाली को अपनाया जाता है। (2016)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 2.
मिश्रित अर्थव्यवस्था में असीमित व्यक्तिगत स्वतन्त्रता रहती है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
पूँजीवाद में केन्द्रीय संस्था अर्थव्यवस्था का संचालन करती है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
समाजवाद में केन्द्रीय नियोजन अनिवार्य है। (2017)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
कीमत यन्त्र पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याओं का हल करता है।
उत्तर:
सत्य

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
वर्ग संघर्ष किस आर्थिक प्रणाली का लक्षण है ?
उत्तर:
पूँजीवादी

प्रश्न 2.
उत्पादन के साधनों पर समाज का स्वामित्व कौन-सी अर्थव्यवस्था में होता है ?
उत्तर:
समाजवादी

प्रश्न 3.
समाजवाद के प्रणेता का नाम लिखिए।
उत्तर:
कार्ल मार्क्स

प्रश्न 4.
समाजवादी अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याएँ कौन हल करता है ?
उत्तर:
आर्थिक नियोजन

प्रश्न 5.
विश्व में मुख्यतः कितने प्रकार की आर्थिक प्रणालियाँ पाई जाती हैं ?
उत्तर:
तीन प्रकार की।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मूल्य तंत्र क्या है ?
उत्तर:
पूँजीवाद के अन्तर्गत किसी भी वस्तु का मूल्य उनकी माँग एवं पूर्ति की शक्तियों के द्वारा निर्धारित होता है। मूल्य निर्धारण की इस प्रक्रिया को मूल्य तंत्र कहा जाता है।

प्रश्न 2.
व्यापार चक्र किसे कहते हैं ?
उत्तर:
तेजी एवं मन्दी काल की पुनरावृत्ति होने की प्रवृत्ति को व्यापार चक्र कहा जाता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समाजवादी आर्थिक प्रणाली के गुण बताइए।
अथवा
समाजवादी अर्थव्यवस्था के कोई चार गुण लिखिए। (2014, 16)
उत्तर:
समाजवादी आर्थिक प्रणाली के गुण-समाजवादी आर्थिक प्रणाली के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं।

  1. आर्थिक स्थायित्व – समाजवाद में आर्थिक स्थायित्व रहता है, क्योंकि इसमें व्यापार चक्रों के उत्पन्न होने की सम्भावना लगभग समाप्त हो जाती है। अतः इस प्रणाली में सरकार द्वारा देश की माँग व पूर्ति में
    सन्तुलन रखा जाता है।
  2. बेरोजगारी की समाप्ति – इस प्रकार की प्रणाली में सरकार अर्थव्यवस्था का संचालन इस प्रकार करती है कि सभी को रोजगार मिल सके। योजनाओं में रोजगार को प्राथमिकता दी जाती है।
  3. साधनों का अधिकतम उपयोग – समाजवादी प्रणाली में साधनों की सभी प्रकार की बर्बादी और अपव्यय को रोका जाता है। इस व्यवस्था में केवल उन्हीं वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करने का प्रयास किया जाता है जिनसे अधिकतम लोगों की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट किया जा सके।
  4. श्रमिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि – समाजवादी अर्थव्यवस्था में चूँकि श्रमिकों को उचित स्थान दिया जाता है, उनके रहन-सहन का स्तर ऊँचा किया जाता है, उन पर उत्तरदायित्व को बोझ लादा जाता है, इसलिए उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि हो जाती है, जिसका देश की आर्थिक स्थिति पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
  5. वग-संघर्ष की समाप्ति – समाजवादी व्यवस्था में एक वर्गहीन समाज होता है, इस कारण वर्ग-संघर्ष का प्रश्न ही नहीं उठता। समाजवाद में व्यक्तिगत लाभ को पूर्णतः समाप्त कर दिया जाता है, जो वर्ग-संघर्ष का आधार होता है। समाजवाद में उत्पादन के साधनों पर सरकार का स्वामित्व होता है। अतः वर्ग-संघर्ष का अन्त हो जाता है।
  6. आर्थिक समानता – समाजवादी व्यवस्था में अनुपार्जित आय को प्रायः समाप्त कर दिया जाता है। निजी सम्पत्ति को समाप्त करके भूमि तथा पूँजी सरकार के हाथ में आ जाती है, जिसके कारण लगान, ब्याज तथा लाभ अधिकांश सरकार को प्राप्त होता है। इस प्रकार समाजवाद में धन के वितरण की असमानताओं को कम करके लोगों की आय को इस प्रकार निश्चित किया जाता है जिससे कि जनसंख्या के कुल कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 2.
समाजवाद के प्रमुख दोष बताइए।
उत्तर:
समाजवाद के दोष-समाजवाद के प्रमुख दोष निम्नवत् हैं –

(1) सत्ता का केन्द्रीयकरण – समाजवाद की प्रवृत्ति केन्द्रीयकरण की है। इस सन्दर्भ में डॉ. कुमारप्पा का कहना है कि “जिस प्रकार से पूँजीवाद ने सम्पत्ति को लिया है, जो वास्तव में व्यक्तियों की थी और इसको पूँजीपतियों के हाथ में संचित कर दिया है, उसी प्रकार समाजवाद उस शक्ति को ले लेता है जो वास्तव में व्यक्तियों की है और राज्यों में केन्द्रित कर देती है।”

(2) लाल फीताशाही व नौकरशाही-इस अर्थव्यवस्था में सभी कार्य कर्मचारियों द्वारा कराया जाता है क्योंकि सभी संस्थानों का स्वामित्व सरकार के हाथ में होता है। अतः कोई भी निर्णय शीघ्र नहीं हो पाता। एक निर्णय नीचे से ऊपर तक फाइलों में ही चक्कर काटता रहता है।

(3) प्रेरणा एवं साहस की कमी – समाजवादी अर्थव्यवस्था में व्यक्ति प्रतिस्पर्धा तथा लाभ भावना की कमी, उत्तराधिकार की समाप्ति आदि के कारण प्रेरित होकर कार्य नहीं करता है। समाजवाद के लाभ भावना की प्रेरणा को महत्व ज्यादा नहीं दिया जाता, जिसके फलस्वरूप अर्थव्यवस्था सरकारी मशीन से चलती है जो हमेशा उदासीन होकर कार्य करती है। इस अर्थव्यवस्था में प्रत्येक श्रमिक सरकारी कर्मचारी होता है, इसलिए उसे अधिक कार्य करने की प्रेरणा नहीं मिलती है।

(4) सीमित व्यक्तिगत स्वतन्त्रता – समाजवादी व्यवस्था में व्यक्ति की स्वतन्त्रता का अतिक्रमण हो जाता है। समाज के हित के लिए व्यक्ति की स्वतन्त्रता का बलिदान कर दिया जाता है। व्यक्ति की स्वतन्त्रता का इस सीमा तक अंकुश होता है कि वह अपनी इच्छानुसार अपने व्यवसाय का भी चुनाव नहीं कर सकता।

(5) साधनों का अविवेकपूर्ण वितरण – समाजवादी व्यवस्था में साधनों का वितरण मनमाने ढंग से होता है। साधनों के वितरण का कोई वैज्ञानिक व विवेकपूर्ण आधार नहीं होता है। कीमत यन्त्र के अभाव के कारण साधनों का उचित वितरण नहीं हो पाता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था एवं समाजवादी अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पूँजीवादी एवं समाजवादी अर्थव्यवस्था में अन्तर
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 आर्थिक प्रणाली 2

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