MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 9 परीक्षा

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 9 परीक्षा (कहानी, प्रेमचन्द)

परीक्षा अभ्यास

बोध प्रश्न

परीक्षा अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सुजान सिंह कौन थे?
उत्तर:
सुजान सिंह देवगढ़ रियासत के दीवान थे।

प्रश्न 2.
देश के प्रसिद्ध पत्रों में विज्ञापन क्यों निकाला गया?
उत्तर:
देश के प्रसिद्ध पत्रों में देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान खोजने के लिए विज्ञापन निकाला गया था।

प्रश्न 3.
रियासत देवगढ़ में आये हुए उम्मीदवारों ने कौन-सा खेल खेलने की योजना बनाई?
उत्तर:
रियासत देवगढ़ में आये हुए उम्मीदवारों ने हॉकी का खेल खेलने की योजना बनाई।

प्रश्न 4.
किसान की गाड़ी कहाँ फंस गई थी?
उत्तर:
किसान की अनाज से भरी हुई गाड़ी नाले में फंस गई थी।

प्रश्न 5.
‘अच्छा तुम गाड़ी पर जाकर बैलों को साधो, मैं पहियों को ढकेलता हूँ ………….. “यह बात किसने किससे कही?
उत्तर:
यह बात हॉकी के खेल में चोट खाये हुए युवक ने किसान से कही है।

प्रश्न 6.
गाड़ी पर किसान के वेश में कौन था?
उत्तर:
गाड़ी पर किसान के वेश में स्वयं सरदार सुजान सिंह थे।

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परीक्षा  लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राजा दीवान सुजान सिंह का आदर क्यों करते थे?
उत्तर:
राजा दीवान सुजान सिंह का आदर उनकी अनुभवेशीलता एवं नीति कुशलता के कारण करते थे।

प्रश्न 2.
बूढ़ा जौहरी आड़ में बैठा क्या देख रहा था?
उत्तर:
बूढ़ा जौहरी आड़ में बैठा हुआ देख रहा था कि इन बगुलों में हंस कहाँ छिपा हुआ है।

प्रश्न 3.
खिलाड़ियों ने निराश और असफल किसान को किस भाव से देखा?
उत्तर:
खिलाड़ियों ने निराश और असफल किसान को बन्द आँखों से देखा जिनमें न सहानुभूति थी और न ही उनमें उदारता और वात्सल्य था।

प्रश्न 4.
परेशान किसान की सहायता किसने की?
उत्तर:
नाले में गाड़ी फंसने पर किसान अत्यधिक परेशान था। ऐसे में परेशान किसान की सहायता चुटैल खिलाड़ी पण्डित जानकीनाथ ने की।

प्रश्न 5.
युवक को किसान की तरफ देखकर क्या सन्देह हुआ?
उत्तरः
युवक को किसान की तरफ देखकर उसके सुजान। सिंह होने का सन्देह हुआ।

परीक्षा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम होता था’, इस उक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
देवगढ़ के दीवान के पद हेतु जो-जो उम्मीदवार . आये थे, उनसे बात करने पर ऐसा लगता था मानो वे सभी व्यक्ति नम्रता और सदाचार के देवता हों।

प्रश्न 2.
दीवान सुजान सिंह ने अपने उत्तराधिकारी का चयन किस प्रकार किया?
उत्तर:
दीवान सुजान सिंह अपने उत्तराधिकारी के चयन के लिए एक अनाज से भरी हुई गाड़ी को लेकर ऐसी जगह आ गया जहाँ से हॉकी के खिलाड़ी आ जा रहे थे। गाड़ी नाले में फंस गयी थी और बैलों ने जवाब दें दिया था। वह किसान बनकर बड़ी आपत्ति में फंसा हुआ था। खिलाड़ी उसकी तरफ देखते थे और यों ही चले जाते थे। उनमें उदारता और मदद करने का भाव नहीं था, पर उन लोगों में एक व्यक्ति ऐसा भी था जिसमें दया भी थी ओर साहस भी, और अन्त में वही व्यक्ति दीवान पद पर चुना गया।

प्रश्न 3.
देवगढ़ रियासत के ‘दीवान’ पद के लिए जानकी नाथ का चयन क्यों किया गया?
उत्तर:
देवगढ़ रियासत के ‘दीवान’ पद के लिए जानकी नाथ का चयन इसलिए किया गया क्योंकि उसके हृदय में साहस, आत्मबल और उदारता का वास था।

प्रश्न 4.
परीक्षा’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
कहानी का ‘परीक्षा’ शीर्षक सटीक सारगर्भित एवं उपयुक्त है क्योंकि देवगढ़ के दीवान के लिए एक योग्य, साहसी एवं दयावान दीवान का चयन करना था। अतः उसकी अनेक प्रकार से परीक्षा ली गयी और परीक्षा में सटीक उतरने पर ही उसे दीवान पद पर चुना गया।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश की व्याख्या कीजिए-
(1) इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी ……….. उन तक हमारी पहुँच नहीं है।
उत्तर:
सरदार सुजान सिंह के स्थान पर जिस व्यक्ति का चयन हुआ उसकी घोषणा करते हुए सुजान सिंह ने कहा-इस पद के लिए ऐसे पुरुष की हमें आवश्यकता थी जिसके हृदय में दया हो और साथ ही साथ आत्मबल। उसका हृदय उदार होना चाहिए, उसमें ऐसा आत्मबल हो जो किसी भी आपत्ति का वीरता के साथ सामना कर सके। इस देवगढ़ रियासत का यह सौभाग्य रहा कि उसे एक योग्य व्यक्ति मिल गया। ऐसे गुण वाले संसार में कम ही होते हैं और जो थोड़े से हैं भी वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं, उन तक हमारी पहुँच नहीं है।

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परीक्षा भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पदों का समास-विग्रह कर समास का नाम लिखिए
उत्तर:

  1. नीति-कुशल = नीति में कुशल है जो = बहुब्रीहि समास।
  2. धर्मनिष्ठ = धर्म में निष्ठ = तत्पुरुष समास।
  3. आत्मबली = आत्मा से बल वाला = कर्मधारय समास।
  4. वेद-मन्त्र = वेद का मन्त्र = तत्पुरुष समास।
  5. कृपा दृष्टि = कृपा की दृष्टि = तत्पुरुष समास।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम लिखिए
उत्तर:

  1. परीक्षा = परि + ईक्षा = दीर्घ सन्धि।
  2. मन्दाग्नि = मन्द + अग्नि = दीर्घ सन्धि।
  3. सहानुभूति = सह + अनुभूति = दीर्घ सन्धि।
  4. निराशा = निः + आशा = विसर्ग सन्धि।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए

  1. जो धर्म को न मानता हो।
  2. जो धर्म को मानता हो।
  3. उपासना करने वाला।
  4. पुत्र के प्रति स्नेह का भाव।
  5. पूजा करने वाला।

उत्तर:

  1. अधर्मी
  2. धर्मात्मा
  3. उपासक
  4. वात्सल्य
  5. पुजारी।

परीक्षा महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

परीक्षा बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘परीक्षा’ कहानी के लेखक हैं-
(क) यशपाल
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) शिवानी
(घ) प्रेमचन्द।
उत्तर:
(घ) प्रेमचन्द।

प्रश्न 2.
‘परीक्षा’ कहानी में किस स्थान की रियासत का वर्णन है?
(क) देवगढ़
(ख) जोधपुर
(ग) आनन्दपुर
(घ) रामपुर।
उत्तर:
(क) देवगढ़

प्रश्न 3.
हॉकी खेलते समय जिस नौजवान के चोट लगी उसका नाम था
(क) सुजान सिंह
(ख) रामधन
(ग) मोहन
(घ) जानकीनाथ।
उत्तर:
(घ) जानकीनाथ।

प्रश्न 4.
देवगढ़ रियासत में आये उम्मीदवारों ने कौन-सा खेल खेलने की योजना बनाई? (2009)
(क) फुटबॉल
(ख) शतरंज
(ग) हॉकी
(घ) गुल्ली डण्डा।
उत्तर:
(ग) हॉकी

प्रश्न 5.
देवगढ़ के पुराने दीवान थे (2014)
(क) शिव सिंह
(ख) अभय सिंह
(ग) सुजान सिंह
(घ) मोहन सिंह।
उत्तर:
(ग) सुजान सिंह

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रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. हाँफते-हाँफते बेदम हो गये लेकिन ………….. का निर्णय न हो सका।
  2. कहीं भूल-चूक हो जाये तो ……………. में दाग लगे।
  3. जो महाशय इस परीक्षा में पूरे उतरेंगे, वे इस उच्च पद पर ……………. होंगे।
  4. किसान ने सहमी आँखों से देखा परन्तु किसी से मदद माँगने का ………….. न हुआ।
  5. परीक्षा कहानी के लेखक …………. हैं। (2010)

उत्तर:

  1. हार-जीत
  2. बुढ़ापे
  3. सुशोभित
  4. साहस
  5. प्रेमचन्द।

सत्य/असत्य

  1. राजा साहब अनुभवहीन दीवान की इच्छा रखते थे।
  2. किसान ने उनकी तरफ सहमी आँखों से देख और उनसे मदद माँगी।
  3. गाड़ीवान के रूप में स्वयं सरदार सुजान सिंह थे।
  4. दीवान पद के विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया।
  5. जिस पुरुष ने स्वयं जख्मी होकर एक गरीब किसान की भरी हुई गाड़ी को दलदल से निकाल दिया, वह दूसरों की सहायता अवश्य करेगा।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. सत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 9 परीक्षा img-1
उत्तर:
1. → (ङ)
2. → (घ)
3. → (क)
4. → (ख)
5. → (ग)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. ‘परीक्षा’ कहानी के लेखक कौन हैं?
  2. दीवान पद की परीक्षा हेतु कितने दिन का समय निश्चित किया गया था?
  3. देवगढ़ रियासत में आये हुए उम्मीदवारों ने कौन-सा खेल खेलने की योजना बनाई?
  4. देवगढ़ रियासत के दीवान पद हेतु किस युवक का चयन किया गया?
  5. गाड़ी पर किसान के वेश में कौन बैठा था? (2009)

उत्तर:

  1. प्रेमचन्द
  2. एक महीना
  3. हॉकी
  4. पण्डित जानकीनाथ
  5. सुजान सिंह।

परीक्षा पाठ सारांश

‘परीक्षा’ कहानी प्रेमचन्द द्वारा रचित उत्तम श्रेणी की सामाजिक कहानी है। यह कहानी नैतिकता एवं मानव के आदर्श मूल्यों पर आधारित है। देवगढ़ रियासत के दीवान सुजानसिंह जब बूढ़े हो गये तब उन्होंने राजा से आज्ञा लेकर अपना पद त्याग करने का निश्चय किया, क्योंकि वे अपने जीवन के शेष दिन ईश्वर की पूजा में व्यतीत करना चाहते थे लेकिन राजा ने उन्हें ऐसा करने से पूर्व उपयुक्त नया दीवान चुनने का कार्य सौंप दिया। राजा की प्रबल इच्छा थी कि सुजानसिंह के पश्चात् जो भी नया दीवान बने वह सुजानसिंह की भाँति कर्त्तव्यनिष्ठ व ईमानदार हो।

अतः दीवान पद की नियुक्ति हेतु सुजानसिंह ने अगले दिन अखबार में विज्ञापन निकलवा दिया कि देवगढ़ के लिए एक योग्य दीवान की आवश्यकता है। जो व्यक्ति स्वयं को इस पद के योग्य समझता हो, वह स्वयं दीवान सुजानसिंह से मिले। दीवान पद का प्रत्याशी अधिक पढ़ा-लिखा न हो,लेकिन स्वस्थ व व्यवहार कुशल होना आवश्यक है। प्रत्याशी को एक माह तक दीवान सुजानसिंह के समक्ष अपने आचार-व्यवहार की परीक्षा देनी होगी। परीक्षा में सफल होने पर ही उसे दीवान पद पर नियुक्त किया जायेगा।

विज्ञापन के पश्चात् दीवान पद के उम्मीदवारों का तांता लग गया। कुछ प्रत्याशी पढ़े-लिखे व सम्भ्रान्त परिवारों के थे। कुछ पण्डित व मुल्ला भी थे। सभी इच्छुक व्यक्ति अपनी-अपनी किस्मत का परीक्षण कर रहे थे। इस पद के लिए ग्रेजुएट प्रत्याशी बहुत अधिक संख्या में आये थे। उन्होंने अपने आपको सफल उम्मीदवार दर्शाने का प्रयत्न किया। इसके लिए अपनी गलतियों को छिपाते रहे। कुछ उम्मीदवार ईश्वर में आस्था रखते थे, कुछ बिल्कुल नास्तिक थे। सुजानसिंह एक जौहरी की भाँति उम्मीदवार का चयन करने हेतु परीक्षण कर रहे थे। एक दिन नई उम्र के उम्मीदवारों ने हॉकी का खेल खेलने का निश्चय किया। देवगढ़ में यह खेल बिल्कुल नया था। सायंकाल तक खेल चलता रहा परन्तु हार-जीत का निर्णय नहीं हो पाया।

जहाँ खेल का मैदान था उसी के पास एक नाला था। चारों ओर अँधेरा छाया था। इसी समय एक किसान अनाज से भरी बैलगाड़ी लेकर आ रहा था। उसकी बैलगाड़ी नाले की कीचड़ में फँस गयी। निरन्तर प्रयत्न करने पर भी किसान अपनी गाड़ी को कीचड़ से नहीं निकाल पा रहा था। सभी खिलाड़ी खेल के बाद एक-एक करके चले गये। किसी ने किसान की ओर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसी समय एक सुन्दर-सा नवयुवक आया। उसके पैर में चोट थी लेकिन उसने लँगड़ाते हुए किसान से कहा,“क्या मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूँ। तुम बैलों को गाड़ी में बैठकर हाँको, मैं पीछे से धक्का लगाता हूँ।” उस नवयुवक के प्रयास से बैलगाड़ी कीचड़ से बाहर आ गयी। उस युवक के पैर कीचड़ में सन गये थे। किसान ने उसे आशीर्वाद दिया कि भगवान चाहेगा तो तुम्ही देवगढ़ के दीवान बनोगे।

एक माह पूरा हो गया था। दीवान के पद का चुनाव का दिन आ गया था। सभी अपना-अपना परिणाम जानने के उत्सुक थे। सुजानसिंह ने जानकीनाथ को देवगढ़ का दीवान चुनकर घोषणा कर दी कि जानकीनाथ में दीवान बनने के सभी गुण निहित हैं। वह सभी प्रकार से उपयुक्त है।

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परीक्षा संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

(1) जब रियासत देवगढ़ के दीवान सरदार सुजान सिंह बूढ़े हुए तो परमात्मा की याद आई। जाकर महाराज से विनय की कि दीनबन्धु! दास ने श्रीमान् की सेवा चालीस साल तक की, अब मेरी अवस्था भी ढल गई, राज-काज सँभालने की शक्ति नहीं रही। कहीं भूल-चूक हो जाये तो बुढ़ापे में दाग लगे। सारी जिन्दगी की नेकनामी मिट्टी में मिल जाये।

कठिन शब्दार्थ :
दीनबन्धु = गरीबों के भाई, गरीबों पर कृपा करने वाले। भूल-चूक = गलती। नेकनामी = अच्छे काम करने से मिलने वाला यश। मिट्टी में मिल जाये = नष्ट हो जाये।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश ‘परीक्षा’ नामक कहानी से लिया गया है। इसके लेखक श्री प्रेमचन्द हैं।

प्रसंग :
देवगढ़ रियासत के दीवान सुजान सिंह ने राजा से उन्हें कार्यभार से मुक्त करने की प्रार्थना की है।

व्याख्या :
देवगढ़ रियासत के दीवान सरदार सुजान सिंह जब वृद्ध हो गये तो उन्हें परमात्मा का स्मरण हुआ। वे जाकर महाराज से बोले कि हे दीनबन्धु! मैंने आपकी चालीस साल तक पूर्ण निष्ठा से सेवा की है। अब मेरी अवस्था अधिक हो गई है, मुझमें अब राज-काज सँभालने की शक्ति नहीं है। कहीं मुझसे भूल-चूक हो जाये, तो मेरे बुढ़ापे में दाग लग जायेगा। मेरी जिन्दगी की सब अच्छाइयाँ मिट्टी में मिलकर नष्ट हो जायेंगी।

विशेष :

  1. दीवान सरदार सुजान सिंह ने अपने को राजकीय कार्यभार से मुक्त करने की प्रार्थना राजा से की है।
  2. भाषा भावानुकूल है।

(2) लेकिन उसी समूह में एक ऐसा मनुष्य था जिसके। हृदय में दया थी और साहस था। आज हॉकी खेलते हुए उसके पैरों में चोट लग गई थी। लँगड़ाता हुआ धीरे-धीरे चला आता था। अकस्मात् उसकी निगाह गाड़ी पर पड़ी। ठिठक गया। उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गईं। डंडा एक किनारे रख दिया। कोट उतार डाला और किसान के पास जाकर बोला-मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूं।

कठिन शब्दार्थ :
अकस्मात् = अचानक। निगाह = दृष्टि। ठिठक गया = रुक गया।

प्रसंग :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
दीवान पद की उम्मीदवारी के लिए यों तो अनेक। लोग आये थे। सबके निराले ठाट-बाट एवं शौक थे, पर उसी समूह में एक दयावान और साहसी व्यक्ति भी था। उसी का यहाँ वर्णन है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि दीवान पद की उम्मीदवारी के लिए देश के कोने-कोने से अनेक आदमी आये थे पर उस समूह में एक ऐसा भी व्यक्ति था जिसके हृदय में दया और साहस था। हॉकी का खेल खेलते समय उसके पैर में चोट लग गयी थी, अतः वह लँगड़ाता हुआ धीरे-धीरे चला आ रहा था। अचानक उसकी दृष्टि गाड़ी पर पड़ी। वह वहीं रुक गया। जब उसने किसान की सूरत देखी तो उसे किसान की परेशानी मालूम हो गई। उसने अपना खेल का डण्डा एक तरफ रख दिया। कोट उतार लिया और किसान के पास जाकर कहने लगा कि-‘मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूं।

विशेष :

  1. लेखक ने इस व्यक्ति के हृदय में दया और साहस का दर्शन कराया है।
  2. भाषा भावानुकूल है।

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(3) इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल। हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे और रियासत के सौभाग्य से हमें ऐसा पुरुष मिल गया। ऐसे गुण वाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं, उन तक हमारी पहुँच नहीं है।

कठिन शब्दार्थ :
कीर्ति = यश। मान = सम्मान।

सन्दर्भ:
पूर्ववत्।

प्रसंग :
देवगढ़ के नये दीवान की खोज में नया दीवान मिल जाता है, उसी का वर्णन है।

व्याख्या :
सरदार सुजान सिंह के स्थान पर जिस व्यक्ति का चयन हुआ उसकी घोषणा करते हुए सुजान सिंह ने कहा-इस पद के लिए ऐसे पुरुष की हमें आवश्यकता थी जिसके हृदय में दया हो और साथ ही साथ आत्मबल। उसका हृदय उदार होना चाहिए, उसमें ऐसा आत्मबल हो जो किसी भी आपत्ति का वीरता के साथ सामना कर सके। इस देवगढ़ रियासत का यह सौभाग्य रहा कि उसे एक योग्य व्यक्ति मिल गया। ऐसे गुण वाले संसार में कम ही होते हैं और जो थोड़े से हैं भी वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं, उन तक हमारी पहुँच नहीं है।

विशेष :

  1. देवगढ़ के दीवान पद की खोज में एक आत्मविश्वासी एवं कर्मठ व्यक्ति की प्राप्ति हो गयी।
  2. भाषा भावानुकूल, सहज।

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