MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण
पाचन एवं अवशोषण NCERT प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर छाँटें –
1. आमाशय रस में होता है –
(a) पेप्सिन, लाइपेज और रेनिन
(b) ट्रिप्सिन, लाइपेज़ और रेनिन
(c) ट्रिप्सिन, पेप्सिन और लाइपेज
(d) ट्रिप्सिन, पेप्सिन और रेनिन।
उत्तर:
(a) पेप्सिन, लाइपेज और रेनिन
2. सक्कस एंटेरिकस नाम दिया गया है –
(a) क्षुद्रांत (Illiun) और बड़ी आँत के संधि स्थल के लिए
(b) आंत्रिक रस के लिए
(c) आहारनाल में सूजन के लिए
(d) परिशेषिका (Appendix) के लिए।
उत्तर:
(b) आंत्रिक रस के लिए
प्रश्न 2.
स्तंभ-I का स्तंभ-II से मिलान कीजिए –
उत्तर:
- (b) पित्त
- (d) एमाइलेज़
- (c) लाइपेज़
- (a) पैरोटिड
प्रश्न 3.
संक्षेप में उत्तर दीजिए –
- अंकुर (Villi) छोटी आँत में होते हैं, आमाशय में क्यों नहीं ?
- पेप्सिनोजन अपने सक्रिय रूप में कैसे बदलता है ?
- आहारनाल की दीवार के मूल स्तर क्या हैं ?
- वसा के पाचन में पित्त कैसे मदद करता है ?
उत्तर:
- आँत में अवशोषण के कार्य को पूरा करने के लिए विलाई पाये जाते हैं। ये अवशोषण सतह को बढ़ाते हैं। आमाशय में अवशोषण का कार्य कम या नहीं के बराबर होता है । इस कारण इसमें विलाई नहीं पाये जाते हैं।
- आमाशय में उपस्थित HCI निष्क्रिय पेप्सिनोजन को सक्रिय पेप्सिन में बदलता है।
- आहारनाल की दीवार के मूल स्तर हैं-सिरोसा, मस्कुलेरिस, सबम्यूकोसा एवं म्यूकोसा।
- पित्त वसा के पायसीकरण एवं अवशोषण में मदद करता है। पित्त छोटी आंत में क्षारीय माध्यम प्रदान करता है, जिसके फलस्वरूप अग्नाशयी एवं आंत्रीय रस में उपस्थित एंजाइम सक्रिय होकर पाचन क्रिया में भाग लेते हैं।
प्रश्न 4.
प्रोटीन के पाचन में अग्नाशयी रस की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अग्नाशयी रस में पाये जाने वाले विकरों के नाम तथा कार्य निम्न हैं –
- ट्रिप्सिन – काइम म शष बचे प्रोटीन्स को पेप्टोन्स तथा पालीपेप्टाइड्स में अपर्धाटत करता है।
- अमाइलोप्सिन – यह लार एमाइलेज के प्रभाव से बचे ग्लाइकोजेन तथा मंड को माल्टोज में बदल देता है।
- लाइपेज – काइम में शेष उपस्थित वसा को वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल में परिवर्तित करना।
- कार्बोक्सीपेस्टीडेस – यह पॉलीपेप्टाइट अणुओं को अमीनो अम्ल में विघटित कर देता है।
- न्यूक्लिएज – न्यूक्लिक अम्ल के पाचन में सहायक।
प्रश्न 5.
आमाशय में प्रोटीन के पाचन क्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आमाशय में होने वाला पाचन-आमाशय में भोजन पहुँचकर गाढ़ी लुग्दी के समान बन जाता है। इसमें जठर रस अच्छी तरह मिल जाता है। इस रूप में इसे काइम कहते हैं। जठर रस अम्लीय होता है। इसमें HCl2 पेप्सिन, रेनिन और ग्रैस्ट्रिक लाइपेज एन्जाइम होते हैं।
(1) HCl काइम को अम्लीय बनाता है और टायलिन को निष्क्रिय करता है। जीवाणुओं को नष्ट कर पेप्सिनोजन को निष्क्रिय कर पेप्सिन में बदलता है।
(2) पेप्सिन प्रोटीन अणुओं को प्रोटिओजेज़ तथा पेप्टोन्स में अपघटित करता है। रेनिन HCI एवं Ca++ आयन्स की उपस्थिति में केसीनोजन को अविलेय केसीन में बदलता है।
रेनिन + केसीन → पैराकेसीन
पैराकेसीन + Ca++ → कैल्सियम-पैराकेसीनेट कैल्सियम
पैराकेसीनेट + पेप्सिन → प्रो ओज + पेप्टोन + पॉलीपेप्टाइड
जठर लाइपेज कमजोर वसाओं को वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल में बदलता है। इसके बाद भोजन पाइलोरिक छिद्र से ग्रहणी में प्रवेश करता है।
प्रश्न 6.
मनुष्य का दन्त सूत्र लिखिए।
उत्तर:
दन्त सूत्र ऊपरी जबड़े एवं निचले जबड़े के अर्द्ध भाग में दाँतों की संख्या और उसके प्रकारों का अनुपात दर्शाता है।
\(\frac { 21234 }{ 2123 } \) × 2 =32
प्रश्न 7.
पित्त रस में कोई पाचक एंजाइम नहीं होते फिर भी यह पाचन के लिए महत्वपूर्ण है, क्यों?
उत्तर:
पित्त रस में कोई पाचक एंजाइम न होने के बावजूद निम्न कारणों से यह महत्वपूर्ण है –
- क्षारीय प्रकृति का होने के कारण यह भोजन को क्षारीय बनाता है जिससे अग्नाशयी एवं आन्त्र रस इस पर कार्य कर सकें।
- यह वसा का इमल्सीकरण कर इसे पचाने में सहायता करता है।
- यह भोजन के साथ आये जीवाणुओं को नष्ट करके पाचन में सहायता करता है।
- यह आँत की दीवार को क्रमानुकुंचन के लिए प्रेरित करके पाचन में सहायता करता है।
- यह अग्नाशयी रस के स्टिएप्सिन को उत्तेजित करके इसे क्रियाशील बनाता है जिससे यह पाचन की क्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले सके।
- यह वसा में विलेय विटामिन के अवशोषण में सहायता करता है।
प्रश्न 8.
पाचन में काइमोट्रिप्सिन की भूमिका वर्णित कीजिए। जिस ग्रंथि से यह स्रावित होता है, इसी श्रेणी के दो अन्य एंजाइम कौन-से हैं ?
उत्तर:
अग्नाशयी रस (Pancreatic Juice) में काइमोट्रिप्सिनोजन एंजाइम निष्क्रिय रूप में होता है। लेकिन ग्रहणी (Deodenum) में आकर काइमोट्रिप्सिन (Chymotrypsin) के रूप में सक्रिय हो जाता है। यह दुग्ध प्रोटीन केसीन (Casein) को जल अपघटित कर पैराकेसीन (Paracasein) में बदलता है जो कि बाद में कैल्सियम पैराकेसीनेट के रूप में बदलता है।
यह दूध को दही में बदलने की क्रिया है। काइमोट्रिप्सिन, प्रोटीन पर क्रिया कर उन्हें पॉलीपेप्टाइड्स (Polypeptides) एवं अमीनो अम्लों में बदल देता है। अग्नाशयी रस में इसी श्रेणी के दो अन्य एंजाइम हैं, प्रोकार्बोक्सीपेप्टीडेज़, एमाइलेज़ और न्यूक्लिएज।
प्रश्न 9.
पॉलीसैकेराइड और डाइसैकेराइड का पाचन कैसे होता है ?
उत्तर:
पॉलीसैकेराइड (Polysaccharides):
पॉलीसैकेराइड वसा का पाचन निम्नलिखित चरणों में होता है –
(1) आमाशय में (In stomach):
जठर रस (Gastricjuice) में उपस्थित लाइपेज(Lipase) की वसा अपघटनी क्रिया बहुत मंद होती है। यह इमल्सीकृत वसा पर ही कार्य करता है, अत: वयस्कों में इसका महत्व नहीं होता।
(2) छोटी आंत में पाचन (Digestion in small Intestine):
अग्नाशयी रस (Pancreatic Juice) में उपस्थित स्टिएप्सिन (Steapsin), यह अग्नाशयी लाइपेज एन्जाइम है जो वसा (Fat) को वसीय अम्ल (Fatty acid) तथा ग्लिसरॉल (Glycerot) में विखंडित कर देता है।
आंत्रीय रस (Intestinal Juice) में उपस्थित लाइपेज तथा फॉस्फोलाइपेजएन्जाइम वसा का पाचन करते हैं।
अग्नाशयी रस में उपस्थित एमाइलोप्सिन मण्ड (Starch) को माल्टोज में विघटित करता है।
डाइसैकेराइड (Disaccharides):
आन्त्रीय रस में सुक्रेज़ (Sucrase), माल्टेज (Maltase) तथा लैक्टेज (Lactase) नामक डाइसैकेराइडेज एन्जाइम पाये जाते हैं जो निम्न प्रकार से कार्य करते हैं –
प्रश्न 10.
यदि आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्त्राव नहीं होगा तब क्या होगा?
उत्तर:
आमाशय में HCl के निम्नलिखित कार्य हैं –
- यह टायलिन एन्जाइम की क्रियाशीलता को नष्ट करता है, क्योंकि इसके द्वारा भोजन का माध्यम अम्लीय हो जाता है।
- आमाशय में भोजन का माध्यम अम्लीय करता है, जिससे जठर रस में पाये जाने वाले एन्जाइम क्रियाशील हो जाते हैं।
- यह एन्जाइम की सक्रियता बढ़ाता है।
- हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके रक्षा करता है।
- आमाशय में उपस्थित भोजन को सड़ने से बचाता है।
- इसकी सहायता से जटिल शर्करा का विघटन सरल शर्करा में होता है।।
उपर्युक्त कार्यों को संचारित करने के कारण ही आमाशय में पाचन के लिए HCl आवश्यक है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्रावण नहीं होने पर आमाशय की उपरोक्त सभी क्रियाएँ बाधित हो जायेंगी।
प्रश्न 11.
आपके द्वारा खाये गये मक्खन का पाचन और उसका शरीर में अवशोषण कैसे होता है? विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पॉलीसैकेराइड (Polysaccharides):
पॉलीसैकेराइड वसा का पाचन निम्नलिखित चरणों में होता है –
(1) आमाशय में (In stomach):
जठर रस (Gastricjuice) में उपस्थित लाइपेज(Lipase) की वसा अपघटनी क्रिया बहुत मंद होती है। यह इमल्सीकृत वसा पर ही कार्य करता है, अत: वयस्कों में इसका महत्व नहीं होता।
(2) छोटी आंत में पाचन (Digestion in small Intestine):
अग्नाशयी रस (Pancreatic Juice) में उपस्थित स्टिएप्सिन (Steapsin), यह अग्नाशयी लाइपेज एन्जाइम है जो वसा (Fat) को वसीय अम्ल (Fatty acid) तथा ग्लिसरॉल (Glycerot) में विखंडित कर देता है।
आंत्रीय रस (Intestinal Juice) में उपस्थित लाइपेज तथा फॉस्फोलाइपेजएन्जाइम वसा का पाचन करते हैं।
अग्नाशयी रस में उपस्थित एमाइलोप्सिन मण्ड (Starch) को माल्टोज में विघटित करता है।
डाइसैकेराइड (Disaccharides):
आन्त्रीय रस में सुक्रेज़ (Sucrase), माल्टेज (Maltase) तथा लैक्टेज (Lactase) नामक डाइसैकेराइडेज एन्जाइम पाये जाते हैं जो निम्न प्रकार से कार्य करते हैं –
अवशोषण:
पाचन क्रिया के दौरान वसा पूर्णरूप से नहीं पच पाती बल्कि जल-अपघटन से वसीय अम्लों के साथ मोनो तथा डाइग्लिसरॉइड प्राप्त होते हैं। ये वसीय उत्पाद पित्त लवणों के साथ मिलकर छोटीछोटी बिन्दुकों (Globules) में विघटित हो जाते हैं जिसे मिसेल (Micelles) कहते हैं। इन मिसेलों से सुसाध्य विसरण (Facilitated diffusion) द्वारा वसीय उत्पाद तथा वसा में घुलनशील विटामिन अवशोषी कोशिकाओं में पहुँच जाते हैं। अब इन कोशिकाओं में मोनोग्लिसरॉइड, डाइग्लिसरॉइड तथा वसीय अम्ल से ट्राइग्सिलरॉइड बन जाते हैं। कुछ ट्राइग्लिसरॉइड्स फॉस्फेट से जुड़कर फॉस्फोलिपिड्स बना लेते हैं।
ये सभी वसीय पदार्थ मिश्रित होकर बड़े बिन्दुकों (Globules) में बँट जाते हैं जिन्हें काइलोमाइक्रॉन (Chylomicron) कहते हैं। ये काइलोमाइक्रॉन अवशोषी कोशिकाओं से अंकुरों (Villi) में स्थित लसीका केशिकाओं (Lymph capillaries) में चले जाते हैं जिसके कारण लसीका का रंग दुधिया हो जाता है। इस दुधिया लसीका को काइल (Chyle) तथा इन लसीका कोशिकाओं को लैक्टियल्स (Lacteals) कहते हैं । ये लैक्टियल्स बड़ी लसीका वाहिनी में खुलती है। बड़ी लसीका वाहिनियों के मिलने से वक्षीय लसीका वाहिनी (Thoracic Lymph duct) का निर्माण होता है। यहाँ से ये यकृत वाहिका तंत्र द्वारा यकृत में पहुँच जाते हैं।
प्रश्न 12.
आहारनाल के विभिन्न भागों में प्रोटीन के पाचन के मुख्य चरणों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आहारनाल में प्रोटीन का पाचन निम्न प्रकार से होता है –
- मुख गुहा में प्रोटीन का पाचन नहीं होता।
- आमाशय में पेप्सिन द्वारा प्रोटीन का पाचन अग्रानुसार होता है
- ग्रहणी में अग्नाशयी रस में उपस्थित ट्रिप्सिन तथा काइमो ट्रिप्सिन प्रकीण्व शेष बचे प्रोटीन को पॉलीपेप्टाइड तथा पेप्टोन्स में बदल देते हैं।
- अग्नाशयी रस का ही कार्बोक्सी पेप्टाइजेज़ प्रकोण्व पॉलीपेप्टाइड को अमीनो अम्ल में बदल देता है।
- इलियम की दीवार द्वारा स्रावित पॉलीपेप्टाइजेज, ट्राईपेप्टाइजेज़, डाइपेप्टाइजेज़ प्रकीण्व पॉलीपेप्टाइड को अमीनो अम्लों में बदल देते हैं।
प्रश्न 13.
गर्तदंती (Thecodont) और द्विबारदंती (Diphyodont) शब्दों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(1) गर्तदंती (Thecodont):
दाँतों में मूल (Roots) विकसित होती हैं जिनके द्वारा ये जबड़े की अस्थि में बने गहरे गर्तों (Deep sockets) में रोपित होते हैं। इन गों को कूपिकाएँ (Alveoli) कहते हैं। इस प्रकार के दाँतों को गर्तदन्ती (Thecodont) दाँत कहते हैं।
(2) द्विबारदंती (Diphyodont):
मानव के दाँत जीवन में दो अनुक्रमी समुच्चयों (Successive sets) में विकसित होते हैं अतः इस दशा को द्विबारदंती कहते हैं। जन्म के समय प्रथम समुच्चय के दाँत फूटते हैं। ये दाँत पाती या अस्थायी (Deciduous) होते हैं । इन्हें दूध के दाँत (Milk teeth) कहते हैं। दूध के दाँतों के निकलने के कुछ समय बाद इनकी मज्जा (Pulp) समाप्त हो जाती है तथा इनके मूलों को अस्थि भंजक (Osteoblast) कोशिकाएँ नष्ट कर देती हैं, परिणामस्वरूप ये गिर जाते हैं। जैसे-जैसे दूध के दाँत गिरते जाते हैं, इनका प्रतिस्थापन नये स्थायी दाँतों (Permanent teeth) द्वारा होता जाता है जो गिर जाने पर प्रतिस्थापित नहीं होते।
प्रश्न 14.
विभिन्न प्रकार के दाँतों के नाम तथा एक वयस्क मनुष्य में दाँतों की संख्या बताइए।
उत्तर:
दाँतों के नाम निम्नानुसार हैं –
- कृंतक दाँत – भोजन को काटने का कार्य करते हैं।
- रदनक दाँत – कठोर भोजन को फाडने में मदद करते हैं।
- अग्रचवर्णक एवं चवर्णक – भोजन को चबाने का कार्य करते हैं।
दंत सूत्र –
\(\frac { 8 }{ 8 } \) × 2 = \(\frac { 16 }{ 16 } \) कुल 32 दाँत
प्रश्न 15.
यकृत के क्या कार्य हैं ?
उत्तर:
यकृत केवल पाचक ग्रंथि नहीं होती है, अपितु सम्पूर्ण शरीर की महत्वपूर्ण ग्रन्थि होती है। इसे हम इसके कार्यों के आधार पर निम्न प्रकार से स्पष्ट कर सकते हैं –
- इसकी कोशिकाएँ ग्लूकोज को ग्लाइकोजन के रूप में संचित करती हैं।
- यह वसा की रासायनिक संरचना को परिवर्तित करने में पित्त रस के माध्यम से सहायता करता है ।
- यह रुधिर प्रोटीनों जैसे-थ्रॉम्बिन, फाइब्रिनोजेन इत्यादि का निर्माण करता है। यह हिपैरिन का भी स्त्रावण करता है।
- यह मृत R.B.Cs. से पित्त वर्णक का निर्माण करता है।
- इसका पित्त इस भोजन के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है।
- यकृत कोशिकाएँ अमोनिया तथा Co, की क्रिया कराके यूरिया बना देती हैं, जो वृक्क द्वारा रुधिर से अलग कर दिया जाता है।
- इसकी कुछ कोशिकाएँ कैरोटीन से विटामिन A का संश्लेषण करती हैं। इसके अलावा इसकी कोशिकाएँ विटामिन A, D और C का संचय करती हैं।
- भोजन की कमी होने पर इसकी कोशिकाओं में संचित ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदल दिया जाता है।
- जन्तुओं के शरीर में प्रोटीन का संचयन नहीं होता इस कारण आवश्यकता से अधिक अमीनो अम्लों को यकृत कोशिकाओं द्वारा पायरुविक अम्ल तथा अमोनिया में बदल दिया जाता है। यह पायरुविक अम्ल क्रेब्स चक्र में चला जाता है, इस क्रिया को डीएमीनेशन कहते हैं।
- इसके द्वारा स्रावित पित्त रस पाचन में सहायता करता है।
- रुधिर में शर्करा अधिक होने पर यह इसे वसा में बदल देता है और महत्वपूर्ण वसाओं का संचय करता है।
- आवश्यकता पड़ने पर इसकी कोशिकाएँ अमीनो अम्ल, वसीय अम्लों व ग्लिसरॉल को शर्करा में बदल देती हैं।
- यह एक ताप उत्पादक अंग भी माना जाता है और रुधिर के ताप को नियन्त्रित करता है।
पाचन एवं अवशोषण अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
पाचन एवं अवशोषण वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
प्रश्न 1.
पित्त का मुख्य कार्य है –
(a) पाचन में वसा इमल्सीफिकेशन
(b) उत्सर्जी पदार्थों का बहिर्गमन
(c) प्रकीण्वों द्वारा वसा का पाचन
(d) पाचन सम्बन्धी क्रियाओं में तालमेल।
उत्तर:
(a) पाचन में वसा इमल्सीफिकेशन
प्रश्न 2.
एमाइलेज प्रकीण्व किस पदार्थ पर किया करता है –
(a) कार्बोहाइड्रेट
(b) प्रोटीन
(c) वसा
(d) शक्कर।
उत्तर:
(c) वसा
प्रश्न 3.
लेक्टेज़ पाया जाता है –
(a) लार में
(b) पित्त रस में
(c) अग्नाशय रस में
(d) आन्त्र रस में।
उत्तर:
(d) आन्त्र रस में।
प्रश्न 4.
गॉयटर प्रभावित करती है –
(a) उपापचय को
(b) दृष्टि को
(c) स्रावण को
(d) वाणी को।
उत्तर:
(d) वाणी को।
प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-से जोड़े में पाचक एन्जाइम और उसका सब्स्ट्रेट सुसंगत है –
(a) रेनिन-प्रोटीन
(b) एमाइलेज-लेक्टोज
(c) ट्रिप्सिन-स्टार्च
(d) इनवर्टेज-सुक्रोज।
उत्तर:
(c) ट्रिप्सिन-स्टार्च
प्रश्न 6.
एन्जाइम आर्जिनेज किस अंग में पाया जाता है –
(a) मुख गुहिका
(b) आमाशय
(c) आन्त्र
(d) यकृत।
उत्तर:
(c) आन्त्र
प्रश्न 7.
पित्त लवण आहारनाल में प्रवाहित होते हैं जहाँ वे निम्न में से किसके अवशोषण के लिए आवश्यक हैं –
(a) सोडियम तथा कैल्सियम आयन
(b) वसा में विलेय विटामिन
(c) हरी सब्जियाँ
(d) कैल्सीफेरॉल।
उत्तर:
(d) कैल्सीफेरॉल।
प्रश्न 8.
आमाशय की दीवार पर आहार के यान्त्रिकीय उत्तेजन से एक हॉर्मोन निकलता है जिसका नाम है –
(a) गैस्ट्रीन
(b) प्रोजेस्टीरॉन
(c) सिक्रीटीन
(d) पैन्क्रियोजाइमिन।
उत्तर:
(b) प्रोजेस्टीरॉन
प्रश्न 9.
क्वाशियोरकर किसकी कमी से होता है –
(a) प्रोटीन
(b) कार्बोहाइड्रेट
(c) वसा
(d) लवण।
उत्तर:
(a) प्रोटीन
प्रश्न 10.
रतौंधी और जीरोफ्थैल्मिया किसकी कमी से होता है –
(a) विटामिन-C
(b) विटामिन-D
(c) विटामिन-B
(d) विटामिन-A
उत्तर:
(d) विटामिन-A
प्रश्न 11.
ट्रिप्सिन किसके पाचन से संबंधित है –
(a) कार्बोहाइड्रेट
(b) प्रोटीन
(c) वसा।
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) कार्बोहाइड्रेट
प्रश्न 12.
निम्न में से कौन-सा हॉर्मोन जठर स्राव को रोक देता है –
(a) गैस्ट्रीन
(b) सिक्रीटीन
(c) एण्टेरोगैस्ट्रीन
(d) कोलिसिस्टोकाइनिन।
उत्तर:
(d) कोलिसिस्टोकाइनिन।
प्रश्न 13.
प्रकीपव जो वसा या तेल को वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल में परिवर्तित करने को प्रेरित करता –
(a) माल्टेज
(b) सुक्रेज
(c) पेप्सिन
(d) लाइपेज।
उत्तर:
(a) माल्टेज
प्रश्न 14.
पेप्सिन एक ऐसा प्रकीण्व है, जो –
(a) क्षारीय माध्यम में आमाशय में कार्य करता है
(b) क्षारीय माध्यम में ग्रहणी में कार्य करता है
(c) अम्लीय माध्यम में आमाशय में कार्य करता है
(d) अम्लीय माध्यम में ग्रहणी में कार्य करता है।
उत्तर:
(a) क्षारीय माध्यम में आमाशय में कार्य करता है
प्रश्न 15.
कोलीसिस्टोकाइनिन पित्ताशय के स्रावण को उद्दीप्त करता है, यह स्रावित होता है श्लेष्मा झिल्ली से –
(a) आमाशय की
(b) क्षुद्रान्त्र की
(c) ग्रहणी की
(d) वृहदांत्र की।
उत्तर:
(a) आमाशय की
प्रश्न 16.
गोब्लेट सेल का कार्य क्या है –
(a) एन्जाइम का उत्पादन
(b) म्यूसिन का उत्पादन
(c) हॉर्मोन का उत्पादन
(d) HCl का उत्पादन।
उत्तर:
(b) म्यूसिन का उत्पादन
प्रश्न 17.
ग्लाइकोजन का संचय होता है –
(a) रुधिर में
(b) यकृत में
(c) फेफड़े में
(d) वृक्क में।
उत्तर:
(d) वृक्क में।
प्रश्न 18.
शाकाहारी जन्तु सेल्युलोज का पाचन कर सकते हैं क्योंकि –
(a) आमाशयी रस में इसके प्रकीण्व होते हैं
(b) सीकम के जीवाणु इसमें सहायक होते हैं
(c) आहारनाल लम्बी होती है
(d) मोलर और प्रीमोलर दाँत भोजन चबाने में सहायक हैं।
उत्तर:
(b) सीकम के जीवाणु इसमें सहायक होते हैं
प्रश्न 19.
अग्नाशय रस किसके पाचन में सहायक होता है –
(a) प्रोटीन
(b) प्रोटीन एवं वसा
(c) कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन
(d) प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट।
उत्तर:
(c) कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन
प्रश्न 20.
विटामिन B, की कमी से होने वाला रोग है –
(a) बेरी-बेरी
(b) पेलैग्रा
(c) कीलोसिस
(d) स्कर्वी।
उत्तर:
(a) बेरी-बेरी
प्रश्न 21.
थायमिन किसका नाम है –
(a) विटामिन-B
(b) विटामिन-A
(c) विटामिन-B1
(d) विटामिन-B कॉम्प्लेक्स।
उत्तर:
(c) विटामिन-B1
प्रश्न 22.
एण्टेरोकाइनेज किसको प्रेरित करता है –
(a) पेप्सिनोजन
(b) ट्रिप्सिन
(c) पेप्सिन
(d) ट्रिप्सिनोजन।
उत्तर:
(c) पेप्सिन
प्रश्न 23.
समस्त पाचन एन्जाइम होते हैं –
(a) लाइपेजेज
(b) जल-अपघटक
(c) ट्रांसफरेजेज
(d) ऑक्सीडेजेज़।
उत्तर:
(d) ऑक्सीडेजेज़।
प्रश्न 24.
खरगोश के सीकम में किसका पाचन होता है –
(a) वसा
(b) स्टार्च
(c) सेल्युलोज
(d) प्रोटीन।
उत्तर:
(b) स्टार्च
प्रश्न 25.
विटामिन D की कमी से होने वाला रोग –
(a) रिकेट्स
(b) रतौंधी
(c) स्कर्वी
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) रिकेट्स
प्रश्न 26.
पेलैग्रा रोग किस विटामिन की कमी से होता है –
(a) BF
(b)C
(c) D
(d) E.
उत्तर:
(d) E.
प्रश्न 27.
टायलिन क्रिया करता है –
(a) वसा पर
(b) प्रोटीन पर
(c) लिपिड पर
(d) स्टार्च पर।
उत्तर:
(d) स्टार्च पर।
प्रश्न 28.
लैंगरहैन्स द्वीपिकाएँ उत्पादन करती हैं –
(a) इन्सुलिन
(b) रेनिन
(c) टायलिन
(d) HCI.
उत्तर:
(a) इन्सुलिन
प्रश्न 29.
पेप्सिन उत्पादित होता है –
(a) इन्टेस्टाइन (आन्त्र)में
(b) लीवर (यकृत)में
(c) गोनैड्स में
(d) आमाशय में।
उत्तर:
(d) आमाशय में।
प्रश्न 2.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –
- पित्त वर्णकों के नाम लिखिए।
- किस विटामिन को प्रतिनपुंसक (Antisterility) विटामिन कहते हैं ?
- विटामिन-B की कमी से होने वाले रोगों के नाम लिखिये।
- जल में घुलनशील चार विटामिनों के नाम बताइये।
- अग्नाशयी रस में उपस्थित प्रकिण्वों के नाम बताइये।
- प्रोटीन की कमी से बच्चों में होने वाले दो रोगों के नाम बताइये।
- उस अंग का नाम बताइये जो बाह्य तथा अन्तःस्रावी दोनों ग्रन्थि का कार्य करता है।
- प्रोटीन को पचाने वाले दो एन्जाइमों के नाम लिखिए।
- रतौंधी किस विटामिन की कमी से होती है ?
- विटामिन C की कमी से होने वाले रोग का नाम लिखिए।
- विटामिन D की कमी से होने वाले रोग का नाम लिखिए।
- आयोडीन की कमी से होने वाले रोग का नाम लिखिए।
- टॉक्सिक प्रभावी विटामिनों के नाम लिखिए।
- आमाशय रस को उत्पन्न करने वाले प्रेरक हॉर्मोन का नाम लिखिए।
- बाइल ज्यूस द्वारा भोजन के किस घटक का पाचन होता है ?
- मनुष्य की सलाइवरी ग्रन्थि द्वारा किस एन्जाइम का स्राव होता है ?
- जठर रस का स्राव कहाँ होता है ?
- पेप्सिन किस माध्यम में उत्पन्न होता है ?
- जुगाली करने वाले जानवरों में किस प्रकार का आमाशय पाया जाता है ?
- इन्सुलिन किसके द्वारा स्रावित होता है ?
उत्तर:
- बिलिरूबिन (पीला वर्णक), बिलिवर्डिन (हरा वर्णक)
- विटामिन E
- बेरी-बेरी, पेलैग्रा
- विटामिन B1 (थायमिन), विटामिन B2(राइबोफ्लेविन), विटामिन B6 (पायरीडॉक्सिन), विटामिन C (एस्कॉर्बिक एसिड)
- एमाइलेज, लाइपेज, ट्रिप्सिन, काइमोट्रिप्सिन
- मरास्मस, क्वाशिओरकर
- पैन्क्रियाज
- ट्रिप्सिन एवं पेप्सिन
- विटामिन A
- स्कर्वी
- रिकेट्स
- गॉयटर
- विटामिन A, D, E, K
- गैस्ट्रिन
- लिपिड और वसा
- टायलिन
- आमाशय में गैस्ट्रिक ग्लैन्ड द्वारा
- अम्लीय माध्यम में
- चार भागों वाला आमाशय, (रोमान्थी आमाशय) (रूमेन, रेटीकुलम, ओमेसम, एबोमैसम)
- अग्नाशय।
प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- यकृत के स्राव को ……………. कहते हैं।
- मरास्मस रोग भोजन में …………….. की कमी से होता है।
- विलाई ……………. एवं ……………. में पाये जाते हैं।
- HCI एवं गैस्ट्रिक रस का स्रावण ………….. नामक हॉर्मोन द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- शाकाहारी जन्तुओं में सेल्युलोज का पाचन होता है क्योंकि इनका ……………. अत्यधिक विकसित होता है।
- रिकेट्स रोग ………….. की कमी से होता है। 7. पेप्सिन का निर्माण …………….. में होता है।
- पाचन क्रिया में वसा का इमल्सीकरण ……………. द्वारा होता है।
- मनुष्य का पाचन तंत्र …………….. एवं …………….. से मिलकर बना होता है।
- प्रत्येक दाँत जबड़े में बने एक साँचे में स्थित होता है, इसे ……………. कहते हैं।
- लार का निर्माण …………….. जोड़ी ग्रंथियों द्वारा होता है।
- आहारनाल की दीवार में ग्रसिका से मलाशय तक …………….. स्तर होते हैं।
उत्तर:
- पित्त
- प्रोटीन
- जेजुनम, इलियम
- एन्टीरोगैस्ट्रॉन
- सीकम
- विटामिन D
- आमाशय
- पित्त रस
- आहारनाल, सहायक ग्रंथियों
- गर्तदंती
- तीन
- चार।
प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –
उत्तर:
- (e) ट्रिप्सिन
- (d) रेटीकुलम
- (a) केसीन
- (b) विटामिन-C
- (c) HCl
पाचन एवं अवशोषण अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पित्त वर्णकों के नाम लिखिए। (कोई दो)
उत्तर:
पित्त में दो वर्णक पाये जाते हैं –
- बिलिरुबिन (Bilirubin) – पीला वर्णक
- बिलिवर्डिन (Biliverdin) – हरा वर्णक।
प्रश्न 2.
यदि ट्रिप्सिनोजेन को आमाशय में पहँचा दिया जाय तो क्या प्रोटीन का पाचन हो सकेगा?
उत्तर:
यदि ट्रिप्सिनोजेन प्रकीण्व को आमाशय में पहुँचा दिया जाय तो भी प्रोटीन का पाचन नहीं होगा। क्योंकि आमाशय में HCI की उपस्थिति के कारण वहाँ अम्लीय माध्यम होता है, जबकि ट्रिप्सिनोजेन क्षारीय माध्यम में कार्य करता है।
प्रश्न 3.
अन्तर्ग्रहित वसा को कैसे अवशोषित किया जाता है ?
उत्तर:
सबसे पहले पित्त रस वसा का इमल्शन बनाते हैं। इसका लाइपेज प्रकोण्व इसे वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल में अपघटित कर देता है। इसके बाद छोटी आँत के सूक्ष्मांकुर इसे अवशोषित करके लैक्टीयल नलिका में मिला देते हैं, जिसके द्वारा यह यकृत में पहुँचा दिया जाता है।
प्रश्न 4.
रिकेट्स क्या है ? यह किस विटामिन की कमी से होता है ?
उत्तर:
रिकेट्स (सूखा रोग) बच्चों में होने वाला एक रोग है, जिसमें अस्थियाँ कमजोर तथा लचीली हो जाती हैं, जिससे बच्चा कमजोर दिखाई देता है। यह रोग विटामिन D की कमी से होता है।
प्रश्न 5.
विटामिन A किस प्रकार दृष्टि को प्रभावित करता है, इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रेटिना स्तर के रॉड्स (संवेदी कोशिकाएँ) एक प्रकाश संवेदी वर्णक द्वारा आस्तरित रहते हैं। ये तीव्र प्रकाश में अपघटित होते रहते हैं, लेकिन विटामिन A की उपस्थिति में ये तीव्रता से पुन: संश्लेषित होते रहते हैं, लेकिन विटामिन A की कमी के कारण रोडोप्सिन का संश्लेषण नहीं हो पाता, जिससे व्यक्ति की दृष्टि प्रभावित होती है और रतौंधी रोग हो जाता है।
प्रश्न 6.
लेक्टियेल्स क्या है ? यह कहाँ पायी जाती है ?
उत्तर:
लेक्टियेल्स एक प्रकार की छोटी लसीका वाहिनी है, जो कि आँत की विलाई (villi) में पायी जाती है। यह छोटी आंत में वसीय अम्ल एवं ग्लिसरॉल का अवशोषण करती है। वसा कण की उपस्थिति के कारण लसीका का रंग दूध के समान दिखाई देता है।।
प्रश्न 7.
आमाशय में दूध का पाचन कैसे होता है ?
उत्तर:
आमाशय में दूध का पाचन-आमाशय में जठर ग्रन्थियों से जठर रस स्रावित होता है, जिसमें रेजिनोजेन प्रकीण्व पाया जाता है। यह आमाशय के अम्लीय माध्यम में रेनिन में बदल जाता है, जो दूध के घुलनशील केसीन प्रोटीन को अघुलनशील कैल्सियम पैराकेसीनेट में बदल देता है।
प्रश्न 8.
ऐनीमिया अवस्था क्या है ? इसे कैसे दूर किया जा सकता है ?
उत्तर:
ऐनीमिया ऐसी अवस्था है, जिसमें शरीर के रुधिर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। यह अवस्था आयरन की कमी से होती है। यह विटामिन B6और विटामिन B12 की कमी से भी हो सकती है। इस अवस्था को लौह तत्व, विटामिन-B तथा विटामिन B12 को लेकर दूर किया जा सकता है।
प्रश्न 9.
मनुष्य के पाचन क्रिया में बनने वाले काइम तथा काइल में अंतर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
आमाशय के दीवार की क्रमानुकुंचन गति के कारण बनी भोजन की लुग्दी को काइम कहते हैं। यह अम्लीय प्रकृति का होता है, जबकि ग्रहणी की दीवार की क्रमानुकुंचन गति के कारण बने पेस्ट को काइल कहते हैं, यह क्षारीय प्रकृति का होता है।
प्रश्न 10.
आयोडीन एवं प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग-घेघा
- प्रोटीन की कमी से होने वाला रोग-क्वाशिओरकर (मरास्मस)।
पाचन एवं अवशोषण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
उस ग्रन्थि का वर्णन कीजिए जिसमें लैंगरहैन्स के समूह पाये जाते हैं।
उत्तर:
लैंगरहैन्स के समूह अग्नाशय में पाये जाते हैं। यह हल्के गुलाबी रंग की एक ग्रन्थि है जो ग्रहणी के “U” में स्थित होती है। इसके चारों तरफ एक झिल्ली पायी जाती है जिसमें संयोजी ऊतक भरा रहता है। इसमें घनाकार स्रावी कोशिकाएँ छोटे-छोटे समूह एसीनस के रूप में व्यवस्थित
रहती हैं। ये ही अग्नाशयी रस का स्त्रावण करती निकलती है। सभी एसीनस नलिकाएँ आपस में मिलकर एक बड़ी नलिका अग्नाशयी वाहिनी बनाती हैं। यह वाहिनी अग्नाशय से मिलकर। पित्त वाहिनी के साथ ग्रहणी में खुलती हैं। अग्नाशय में अनेक पीले रंग की कोशि काओं का समूह पाया जाता है जिसे लैंगरहैन्स। के द्वीप कहते हैं। यह एक अन्तःस्रावी ग्रन्थि है जो इन्सुलिन तथा ग्लूकेगॉन हॉर्मोनों का स्रावण करती है।
अग्नाशय के कार्य:
- यह अग्नाशयी रस के रूप में ट्रिप्सिन, एमाइलेप्सिन, स्टीएप्सिन आदि प्रकीण्वों का स्रावण करता है।
- यह इन्सुलिन तथा ग्लूकेगॉन हॉर्मोन्स का स्रावण करता है।