MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 8 कोशिका : जीवन की इकाई
कोशिका : जीवन की इकाई NCERT प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
इनमें कौन-सा सही नहीं है –
(a) कोशिका की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की थी।
(b) श्लीडेन व श्वान ने कोशिका सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था।
(c) वर्चीव के अनुसार कोशिका पूर्व स्थित कोशिका से बनती है।
(d) एककोशिकीय जीव अपने जीवन के कार्य एक कोशिका के भीतर करते हैं।
उत्तर:
(a) कोशिका की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की थी।
प्रश्न 2.
नई कोशिका का निर्माण होता है –
(a) जीवाणु किण्वन से
(b) पुरानी कोशिकाओं के पुनरुत्पादन से
(c) पूर्व स्थित कोशिकाओं से
(d) अजैविक पदार्थों से।
उत्तर:
(c) पूर्व स्थित कोशिकाओं से
प्रश्न 3.
उत्तर:
- (b) सूत्रकणिका में अंतर्वलन
- (c) गॉल्जी उपकरण बिंब आकार की थैली
- (a) पीठिका में चपटे कलामय झिल्ली
प्रश्न 4.
इनमें से कौन-सा सही है –
(a) सभी जीव कोशिकाओं में केन्द्रक मिलता है।
(b) दोनों जन्तु और पादप कोशिकाओं में स्पष्ट कोशिका भित्ति होती है
(c) प्रोकैरियोटिक कोशिका की झिल्ली में आवरित अंगक नहीं मिलते हैं
(d) कोशिका का निर्माण अजैविक पदार्थों से नए सिरे से होता है।
उत्तर:
(a) सभी जीव कोशिकाओं में केन्द्रक मिलता है।
प्रश्न 5.
प्रोकैरियोटिक कोशिका में मीसोसोम क्या होता है ? इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रोकैरियोटिक कोशिका में एक विशिष्ट झिल्ली मीसोसोम पायी जाती है। इस झिल्ली का निर्माण प्लाज्मा झिल्ली के वृद्धि से होता है।
मीसोसोम के कार्य:
- कोशिका भित्ति का निर्माण
- DNA प्रतिकृतिकरण एवं पुत्री कोशिकाओं का वितरण करना
- कोशिकीय श्वसन, स्रावण आदि कार्यों में सहायता करना आदि है।
प्रश्न 6.
कैसे उदासीन विलेय जीवद्रव्य झिल्ली से होकर गति करते हैं ? क्या ध्रुवीय अणु उसी प्रकार से इससे होकर गति करते हैं ? यदि नहीं तो इनका जीवद्रव्य झिल्ली से होकर परिवहन कैसा होता है?
उत्तर:
उदासीन विलेय सान्द्रता प्रवणता के अनुसार जैसे-उच्च सान्द्रता से निम्न सान्द्रता की ओर साधारण विसरण द्वारा इस झिल्ली से बाहर होकर जाते हैं। ध्रुवीय अणु उदासीन विलेय की तरह जीवद्रव्य झिल्ली से होकर गति नहीं करते चूँकि ध्रुवीय अणु जो अध्रुवीय लिपिड द्वि-सतह से होकर नहीं जा सकते उन्हें झिल्ली से होकर परिवहन के लिए झिल्ली की वाहक प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 7.
दो कोशिकीय अंगकों के नाम बताइए जो द्विकला से घिरे होते हैं। इन दो अंगकों की क्या विशेषताएँ हैं ? इनका कार्य व रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर:
द्विकला (Double membrane) से घिरे हुए दो कोशिकीय अंगकों (Cell organelles) के नाम हैं –
- गॉल्गीकाय
- अन्तःप्रद्रव्यी जालिका।
गॉल्गीकाय की संरचना:
R.B.Cs. को छोड़कर शेष सभी कोशिकाओं में 3 से 20 तक इकाई झिल्लियों के गुच्छे पाये जाते हैं, जिन्हें गॉल्गीकाय या डिक्टियोसोम कहते हैं। ये इकाई झिल्ली के दोहरे आवरण के बने चपटे सिस्टर्नी (Cisternae), आशय (Vesicle) एवं रिक्तिकाओं (Vacuoles) के बने होते हैं। नई बनी कोशिकाओं में ये काफी विकसित होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे ह्रासित होते हुए पुरानी कोशिकाओं में पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं। इनकी उत्पत्ति केन्द्रकीय झिल्ली से होती है।
गॉल्गीकाय के कार्य:
- विभिन्न स्थानों पर निर्मित पदार्थों जैसे-एन्जाइम, हॉर्मोन व कुछ लवणों का सान्द्रण तथा स्रावण कोशिकाओं में गॉल्गी उपकरण द्वारा होता है।
- शर्करा के सरल अणुओं से कार्बोहाइड्रेट्स के जटिल र अणुओं का निर्माण होता है।
- ये समसूत्री विभाजन की अवस्था में थैलियों का निर्माण करती हैं, जो मिलकर कोशिकापट्ट बनाती है।
- ये लाइसोसोम का भी निर्माण करती है और रूपान्तरित होकर शुक्राणुओं का ऐक्रोसोम भी बनाती है।
- ये कार्बोहाइड्रेट्स व प्रोटीन का संयोजन कर ग्लाइकोप्रोटीन बनाती है।
- कोशिकाभित्ति निर्माण के लिए आवश्यक प्रोटीन का भी संश्लेषण करती है।
- अन्तःस्रावी कोशिकाओं में ये हॉर्मोन्स के स्रावण में भी मदद करती है।
- ATP उत्पन्न करने के लिए माइटोकॉण्ड्रिया को प्रेरित करते हैं।
अन्तःप्रद्रव्यी जालिका की संरचना:
कोशिका के कोशिकाद्रव्य में महीन, शाखित, सूक्ष्म नलिकाओं अथवा रिक्तिकाओं का समूह पाया जाता है, जिन्हें अन्तःप्रद्रव्यी जालिकाएँ (Endoplasmic Reticulum) कहते हैं। जब इनकी बाह्य सतह पर राइबोसोम्स चिपक जाते हैं, तब इन्हें खुरदरी अन्तःप्रद्रव्यी जालिकाएँ अन्यथा चिकनी अन्त:प्रद्रव्यी जालिकाएँ कहते हैं। इसकी खोज गार्नियर ने सन् 1897 में की थी। E.R. की रिक्तिकाएँ इकाई झिल्ली से घिरी रहती हैं तथा लम्बे चपटे कोष, अण्डाकार या वृत्ताकार आशय एवं नलिकाओं की बनी होती हैं। ये सभी रचनाएँ केन्द्रकीय झिल्ली के बहिर्गमन से बनती हैं।
अन्तःप्रद्रव्यी जालिका के कार्य:
- ये कोशिका को यान्त्रिक सहारा देने के साथ प्रोटीन संश्लेषण में मदद करते हैं।
- इनके द्वारा कोशिका के अन्दर परिवहन होता है।
- ये कोशिका विभाजन के समय केन्द्रकीय झिल्ली के निर्माण में भाग लेते हैं।
- यह एंजाइम के लिए अतिरिक्त सतह प्रदान करती है तथा ग्लाइकोजन उपापचय में सहायता देती है।
प्रश्न 8.
प्रोकैरियोटिक कोशिका की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर:
प्रोकैरियोटिक कोशिका विशेषताएँ:
ये प्राथमिक प्रकार की अविकसित कोशिकाएँ हैं, जिनके केन्द्रक के चारों तरफ केन्द्रकीय झिल्ली नहीं पायी जाती। इनकी कोशिकाओं में दोहरी भित्ति वाले कोशिकांग जैसे – माइटोकॉण्ड्रिया, क्लोरोप्लास्ट, गॉल्जीकाय व लाइसोसोम भी नहीं पाये जाते। उदाहरण–जीवाणुओं तथा नीले-हरे शैवालों की कोशिकाएँ।
प्रश्न 9.
बहुकोशिकीय जीवों में श्रम विभाजन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ऐसे जीव जिनका शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बनता है। उन्हें बहुकोशिकीय जीव (Multicellular animal) कहा जाता है। बहुकोशिकीय जीवों में अलग-अलग कार्यों को करने के लिए विशिष्ट कोशिकाएँ पायी जाती हैं। इनमें कार्यों का विभाजन होता है। इसे ही श्रम विभाजन (Division of labour) कहा जाता है। श्रम विभाजन निम्नलिखित तथ्यों से प्रदर्शित होता है –
- कुछ कोशिकाएँ अतिरिक्त कोशिकीय पदार्थों का संश्लेषण कर कोशिकाओं को जोड़ने का कार्य करती हैं।
- कुछ कोशिकाएँ संवेदनाओं को पहुँचाने का कार्य करती हैं।
- जीवों में श्वसन, उत्सर्जन, परिसंचरण आदि क्रियाएँ अलग-अलग कोशिकीय समूहों द्वारा पूर्ण की जाती हैं।
- शरीर में अनेक कोशिकाएँ प्रतिदिन नष्ट हो जाती हैं। अस्थि मज्जा द्वारा निर्मित नवीन कोशिकाएँ प्रतिदिन इनका स्थान ले लेती हैं। इसलिए ऊतकों की टूट-फूट अथवा कोशिकाओं की मृत्यु जीव को अधिक हानि नहीं पहँचाती और शीघ्र नवीन कोशिकाओं के द्वारा क्षति की पूर्ति कर ली जाती है।
प्रश्न 10.
कोशिका जीवन की मूल इकाई है, इसे संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यदि एककोशिकीय जीवों का अध्ययन करें तो ज्ञात होता है कि ये बहुकोशिकीय जीवों के शरीर के समान सभी कार्यों को स्वतन्त्र रूप से करते हैं। पोषण, श्वसन, प्रचलन, प्रजनन, उत्सर्जन, उत्तेजनशीलता इत्यादि सभी कार्य इसके द्वारा सफलतापूर्वक किये जाते हैं। इसी कारण कोशिका को एक आत्मनिर्भर इकाई माना जाता है। चूँकि इनकी कोशिकाएँ जीव शरीर के समान कार्य करती हैं, इस कारण इनकी कोशिकाओं को कोशिका न मानकर इन्हें अकोशिकीय जीव कहा जाता है।
बहुकोशिकीय जीवों की कोशिकाएँ किसी कार्य को संयुक्त रूप से करती हैं अर्थात् इनकी कोशिकाएँ कुछ हद तक दूसरी कोशिकाओं पर निर्भर रहती हैं, लेकिन यदि इनकी कोशिकाओं को भी शरीर से बाहर पोषक माध्यम में स्वतन्त्र रूप से बढ़ने दिया जाय तो ये भी एककोशिकीय जीवों के समान ही सारी जैविक क्रियाओं को स्वतन्त्र रूप से करती हैं। इनका नियन्त्रण एवं समन्वय भी कोशिका के अन्दर ही स्थित अवयवों, आनुवंशिक इकाइयों एवं प्रोटीनों के द्वारा होता है।
प्रत्येक कोशिका चारों तरफ से प्लाज्मा झिल्ली से घिरी रहती है, जिससे इसके अन्दर का जीवद्रव्य बाहरी वातावरण से पृथक् हो जाता है, इसी पृथकता के कारण कोशिका के अन्दर का संगठन अपना अलग अस्तित्व बनाये रखता है। झिल्ली के द्वारा स्वतन्त्र इकाई के रूप में घिरे रहने के कारण ही कोशिका को “अपने आप में एक कोष्ठ के रूप में आत्मनिर्भर इकाई” माना जाता है।
प्रश्न 11.
केन्द्रक छिद्र क्या है ? इसके कार्य बताइये।
उत्तर:
केन्द्रक के चारों तरफ के आवरण में निश्चित स्थानों पर केन्द्रक छिद्र (Nuclear pore) पाया जाता है। यह छिद्र केन्द्रक आवरण की दोनों झिल्लियों के संलयन (Fusion) से बनता है।
कार्य:
केन्द्रक छिद्र के द्वारा RNA एवं प्रोटीन के अणु केन्द्रक में कोशिकाद्रव्य से होकर अभिगमन करते है।
प्रश्न 12.
लयनकाय व रसधानी दोनों अंतःझिल्लीमय संरचना है। फिर भी कार्य की दृष्टि से ये अलग होते हैं, इस पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
लयनकाय (Lysosome):
लाइसोसोम का निर्माण गॉल्जीकाय के द्वारा होता है। लाइसोसोम अनेक पुटिकाओं से बनी है जिनमें सभी प्रकार के जल-अपघटनी एंजाइम (हाइड्रोलेजेस, लाइपेजेस, प्रोटोएजेस आदि) मिलते हैं। सभी एंजाइम अम्लीय माध्यम में सक्रिय होकर कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, न्यूक्लिक अम्लों का पाचन करते हैं।
रसधानी (Vacuole):
कोशिकाद्रव्य में झिल्ली द्वारा घिरे रिक्त स्थान को रसधानी कहा जाता है। रसधानी के अन्दर कोशिकाद्रव्य के अनुपयोगी पदार्थ जैसे-अतिरिक्त जल, उत्सर्जी पदार्थ एवं अन्य कोशिकीय उत्पाद भरे रहते हैं। रसधानी, एकल झिल्ली (Single membrane) से आवृत्त होती है जिसे टोनोप्लास्ट कहते हैं। पौधों की कोशिकाओं में आयन एवं दूसरे पदार्थ सांद्रता प्रवणता के विपरीत टोनोप्लास्ट से होकर रसधानी में अभिगमित होते हैं, इस कारण इनकी सांद्रता रसधानी में कोशिका द्रव्य की अपेक्षा काफी अधिक होती है।
प्रश्न 13.
रेखांकित चित्र की सहायता से निम्न की संरचना का वर्णन कीजिए –
- केन्द्रक
- तारककाय।
उत्तर:
(1) केन्द्रक (Nucleus):
यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इसके द्वारा कोशिका में होने वाली समस्त जैविक क्रियाओं का नियंत्रण किया जाता है। अतः इसे कोशिका का नियंत्रण कक्ष अथवा कोशिका का मस्तिष्क कहा जाता है। लगभग सभी कोशिकाओं में गोल, वृत्ताकार या अण्डाकार एक संरचना पायी जाती है, जिसे केन्द्रक कहते हैं। कोशिका में इसकी खोज रॉबर्ट ब्रॉउन ने सन् 1831 में की। बेलर के अनुसार- “यह कोशिकाद्रव्य से घिरी ऐसी रचना है, जिसमें कोशिका विभाजन के समय गुणसूत्रों का उदय होता है।”
इसके चारों तरफ दोहरी इकाई झिल्ली की बनी केन्द्रकीय झिल्ली पायी जाती है, जिसमें जगह-जगह पर केन्द्रकीय छिद्र पाये जाते हैं। केन्द्रकीय झिल्ली के बाहर राइबोसोम पाये जाते हैं तथा इसके अन्दर केन्द्रकद्रव्य नामक पदार्थ भरा होता है, जिसमें क्रोमैटिन नामक न्यूक्लियो प्रोटीन का जाल पाया जाता है, जो कोशिका विभाजन के समय संघनित होकर गुणसूत्र बना देता है। क्रोमैटिन जाल कहीं-कहीं पर गाढ़ा होकर हेटेरोक्रोमैटिन बनाता है इसके कम गाढ़े भाग को यूक्रोमैटिन कहते हैं। केन्द्रक में एक या अधिक नग्न संरचनाएँ पायी जाती हैं, जिन्हें केन्द्रिका कहते हैं, इन्हीं में r-RNA का संश्लेषण होता है।
केन्द्रक के कार्य (Functions of Nucleus):
- यह कोशिका में पायी जाने वाली समस्त क्रियाओं को नियन्त्रित करता है।
- यह सभी कोशिकीय RNA का उत्पादन करता है, जो प्रोटीन संश्लेषण हेतु आवश्यक होते हैं।
- यह कोशिका विभाजन में महत्वपूर्ण कार्य करता है और कोशिका वृद्धि को नियन्त्रित करता है।
- आनुवंशिक गुणों को वहन करने वाली इकाइयाँ इसी में पायी जाती हैं।
(2) तारककाय (Centriole):
ये सभी जन्तु कोशिकाओं एवं चलायमान (Motile) पादप कोशिकाओं में पाया जाता है। ये कलाविहीन (Membraneless) रचना के रूप में कोशिकाद्रव्य में केन्द्रक के पास गॉल्गीकाय से लगा हुआ पाया जाता है। एक तारककाय दो बेलनाकार संरचनाओं से मिलकर बना होता है जो तारक केन्द्र कहलाता है। दोनों तारक केन्द्र तारककाय में लम्बवत् (90° कोण पर ) स्थित होते हैं। प्रत्येक तारक केन्द्र की रचना बैलगाड़ी के पहिये के समान होती है। यह संरचनात्मक रूप से खोखले डंठल की तरह होते हैं। इसमें समांगी (Homogenous) द्रव भरा होता है जिसे सेन्ट्रोस्फीयर (Centrosphere) कहते हैं।
इसमें एक मध्य नाभि (Central hub) के चारों ओर नौ छड़ के समान रचनाएँ पायी जाती हैं। प्रत्येक छड़ तीन महीन नलिकाओं के बने होते हैं। इन नलिकाओं को मध्य से क्रमशः बाहर की ओर a,b एवं c द्वारा दिखाया जाता है। ये ट्यूब्यूलिन (Tubulin) प्रोटीन के बने होते हैं। प्रत्येक नलिका का व्यास लगभग 250Å होता है। तारक केन्द्र का व्यास 15002500Å तथा लम्बाई 3000 – 20000Å होती है।
तारककाय को दो कोशिका विभाजन के बीच की अवस्था में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। कोशिका विभाजन के समय तारककाय के दोनों तारक केन्द्र एक-दूसरे से अलग होकर कोशिका के दोनों ध्रुवों पर चले जाते हैं। साथ ही कोशिका के अंदर तर्क (Spindle fibres) का निर्माण करते हैं। विश्रामावस्था में तारक केन्द्र गुणन द्वारा पुनः अपना जोड़ा बना लेता है। इस प्रकार तारक केन्द्र से तारककाय बन जाता है।
कार्य (Functions):
- जन्तु कोशिकाओं में सेण्ट्रिओल कोशिका विभाजन को प्रारम्भ करते हैं।
- कोशिका विभाजन के समय ये तर्कुओं (Spindles) का निर्माण करते हैं।
- ये कोशिकीय पक्ष्माभों एवं कशाभिकाओं का निर्माण करते हैं।
- ये कशाभिकीय एवं पक्ष्माभ प्रचलन को प्रारम्भ तथा नियन्त्रित करते हैं।
- ये कोशिका के अन्दर आधारीय काय (Basal bodies) का निर्माण करते हैं।
- ये कोशिकीय कंकाल का निर्माण करते हैं।
- ये कोशिकीय क्रमानुकुंचन में सहायता करते हैं।
प्रश्न 14.
गुणसूत्र बिन्दु क्या है ? गुणसूत्र बिन्दु के स्थिति के आधार पर गुणसूत्र का वर्गीकरण किस रूप में होता है ? अपने उत्तर को देते हुए विभिन्न प्रकार के गुणसूत्रों पर गुणसूत्र बिन्दु की स्थिति को दर्शाने हेतु चित्र बनाइए।
उत्तर:
गुणसूत्र बिन्दु (Centromere) प्रत्येक गुणसूत्र में एक प्राथमिक संकीर्णन मिलता है, इसे ही गुणसूत्र बिन्दु (Centromere) कहा जाता है। यह बिन्दु गुणसूत्र के दो अर्धभागों (Chromatids) को जोड़ता गुणसूत्र के प्रकार-गुणसूत्र बिन्दु की स्थिति के आधार पर गुणसूत्र चार प्रकार के होते हैं –
- टीलोसेण्ट्रिक (Telocentric) – इस प्रकार के गुणसूत्र में सेन्ट्रोमियर एक किनारे पर स्थित होता हैं।
- एक्रोसेण्ट्रिक (Acrocentric) – इस प्रकार के गुणसूत्र में एक क्रोमैटिड बहुत छोटा तथा एक बड़ा होता है।
- सब-मेटासेण्ट्रिक (Sub – metacentric) – इस प्रकार के गुणसूत्र में दोनों क्रोमैटिड बराबर नहीं होते, एक भाग कुछ बड़ा होता है। ऐसे क्रोमोसोम L अथवा J प्रकार के होते हैं।
- मेटासेण्ट्रिक (Metacentric) – इस प्रकार के गुणसूत्र में दोनों क्रोमैटिड की लम्बाई बराबर होती
कोशिका : जीवन की इकाई अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
कोशिका : जीवन की इकाई वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. कोशिका की खोज किस वैज्ञानिक ने की –
(a) रॉबर्ट हुक ने
(b) रॉबर्ट ब्राउन ने
(c) श्लीडेन ने
(d) श्वान ने।
उत्तर:
(a) रॉबर्ट हुक ने
2. केन्द्रक की खोज किसने की –
(a) श्लीडेन ने
(b) राबर्ट हुक ने
(c) रॉबर्ट ब्राउन ने
(d) मेण्डल ने।
उत्तर:
(c) रॉबर्ट ब्राउन ने
3. कोशिका सिद्धान्त देने वाले वैज्ञानिक हैं –
(a) श्लीडेन एवं श्वान
(b) लैमार्क एवं ट्रेविरेनस
(c) मुईर तथा साथी
(d) माहेश्वरी एवं गुहा।
उत्तर:
(a) श्लीडेन एवं श्वान
4. टोटीपोटेन्सी से सम्बन्धित वैज्ञानिक हैं –
(a) लैमार्क
(b) हैबरलैण्ड्ट
(c) श्लीडेन
(d) श्वान।
उत्तर:
(b) हैबरलैण्ड्ट
5. कायिक कोशिका से पूर्ण विकसित जीव बनने का गुण कहलाता है –
(a) कायिक संकरण
(b) कायिक जनन
(c) टोटीपोटेन्सी
(d) प्लाज्मोलिसिस।
उत्तर:
(c) टोटीपोटेन्सी
6. प्रोकैरियॉटिक कोशिका में अनुपस्थित होती है –
(a) कोशिका भित्ति
(b) केन्द्रकीय भित्ति
(c) प्लाज्मा झिल्ली
(d) रसधानी।
उत्तर:
(b) केन्द्रकीय भित्ति
7. प्रोकैरियॉटिक कोशिकाओं का राइबोसोम होता है –
(a)70S
(b) 80s
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a)70S
8. कोशिका गमन है –
(a) सक्रिय अभिगमन
(b) विसरण
(c) परासरण
(d) निष्क्रिय अभिगमन।
उत्तर:
(a) सक्रिय अभिगमन
9. कोशिका झिल्ली द्वारा द्रव अन्तर्ग्रहण को कहते हैं –
(a) एण्डोसाइटोसिस
(b) पिनोसाइटोसिस
(c) परासरण
(d) विसरण।
उत्तर:
(b) पिनोसाइटोसिस
10. जैव-झिल्ली में प्रोटीन की मात्रा होती है –
(a)30-40%
(b) 10-20%
(c)5%
(d)60-80%.
उत्तर:
(d)60-80%.
11. जैव-झिल्ली में लिपिड की प्रतिशत मात्रा होती है –
(a)20-40%
(b)60-80%
(c)5%
(d) 10-20%.
उत्तर:
(a)20-40%
12. प्लाज्मा-झिल्ली की बाह्य तथा आन्तरिक स्तर किसकी बनी होती है –
(a) लिपिड
(b) प्रोटीन
(c) कार्बोहाइड्रेट
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) प्रोटीन
13. डेस्मोसोम्स होता है –
(a) प्लाज्मा-मेम्ब्रेन में पाया जाने वाला छिद्र।
(b) प्लाज्मा-मेम्ब्रेन की सतह पर पाया जाने वाला विशेष क्षेत्र जिस पर दूसरी कोशिका झिल्ली जुड़ी होती है।
(c) प्लाज्मा-झिल्ली के संगठन में भाग लेने वाला पदार्थ।
(d) दो कोशिका को जोड़ने वाला रसायन।
उत्तर:
(b) प्लाज्मा-मेम्ब्रेन की सतह पर पाया जाने वाला विशेष क्षेत्र जिस पर दूसरी कोशिका झिल्ली जुड़ी होती है।
14. प्लाज्मा झिल्ली की संरचना का स्तरित सिद्धान्त किसने प्रदिपादित किया –
(a) डेनियली एवं डेविडसन
(b) रॉबर्टसन
(c) रॉबर्ट ब्रॉउन
(d) सिंगर एवं निकोलसन।
उत्तर:
(a) डेनियली एवं डेविडसन
15. कोशिका का ‘पॉवर हाउस’ कहलाता है –
(a) केन्द्रक
(b) माइटोकॉण्ड्रिया
(c) गॉल्गीबॉडी
(d) हरितलवक।
उत्तर:
(b) माइटोकॉण्ड्रिया
प्रश्न 2.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –
- रॉबर्ट हुक ने सर्वप्रथम जिस शब्द का प्रयोग किया उसका नाम बताइये।
- रॉबर्ट ब्राउन ने ऑर्किड मूलों में किसकी खोज की?
- एक ऐसी तकनीक जिसके अंतर्गत कोशिका या कोशिका समूह शरीर के बाहर कृत्रिम भोज्य पदार्थों के माध्यम में जीवित रखे जाते हैं
- वो तकनीक क्या कहलाती है ?
- शरीर के बाहर जाइगोट के अलावा किसी दूसरी कोशिका से विकसित भ्रूण को क्या कहते हैं ?
- ऐसी तकनीक जिसके द्वारा कोशिकीय घटकों को अलग किया जाता है।
- प्रोटीन-संश्लेषण के समय राइबोसोम संयुक्त होकर एक छोटी श्रृंखला बनाते हैं, जो प्रोटीन-संश्लेषण में मदद करता है।
- कोशिकाद्रव्य में पाई जाने वाली इकहरी इकाई झिल्ली की बनी गोलाकार रचनाएँ जो H,O, के उपापचय से संबंधित एंजाइम रखते हैं।
- कोशिका भित्ति के विभिन्न छिद्रों से एक कोशिका का जीवद्रव्य दूसरी कोशिका के जीवद्रव्य से तंतुओं द्वारा जुड़ा होता है।
- वह क्रिया जिसके द्वारा प्लाज्मा झिल्ली द्रव पदार्थों का अंतर्ग्रहण करती है।
- जब कोई विलायक के अणु अर्धपारगम्य झिल्ली को पार करके किसी कोशिका के अन्दर प्रवेश करता है तो यह प्रक्रिया कहलाती है।
उत्तर:
- कोशिका
- नाभिक (केन्द्रक)
- ऊतक-संवर्धन
- एम्ब्रीऑइड्स (Embryoids)
- कोशिका विभेदीकरण
- पॉलीराइबोसोम
- परॉक्सीसोम
- प्लाज्मोडेस्मेटा
- पीनोसाइटोसिस
- परासरण
प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- पादप कोशिका के बाह्य आवरण को ………….. कहते हैं।
- ………. एक प्रकार का तंतुमय प्रोटीन है जो कोशिकीय अवयवों के निर्माण में भाग लेता है।
- प्रकिण्वों से भरी छोटी कायों के रूप में …………….. पाई जाती है।
- बाह्य पदार्थों के बड़े कणों को ग्रहण करने की क्रिया को …………….. कहते हैं।
- कोशिकाकला कोशिका के लिये ……………… पारगम्यता प्रदर्शित करती है।
- ………. को प्रोटीन की फैक्ट्री कहते हैं।
- कोशिका झिल्ली …………. होती है।
- आत्महत्या की थैली ………….. कोशिकांग को कहते हैं।
- कोशिका सिद्धान्त …………… ने प्रतिपादित किया।
- प्रत्येक कोशिका …………….. कोशिका से उत्पन्न होती है।
- झिल्ली बंद कोशिकांग ……………कोशिकाओं में पाये जाते हैं।
- जन्तु तथा वनस्पति कोशिका में मुख्य अन्तर …………….. का होता है।
- प्रोकैरियॉटिक कोशिका में आनुवंशिक पदार्थ …………….. में होती है।
- स्टीवर्ड ने टोटीपोटेन्सी के प्रयोग …………….. की कोशिकाओं पर किए।
उत्तर:
- कोशिका भित्ति
- क्रोमैटिन
- लाइसोसोम
- परिग्रहण
- चयनात्मक
- माइटोकॉन्ड्रिया
- नरम
- लाइसोसोम
- श्लीडेन एवं श्वान
- मातृ (पूर्ववर्ती)
- यूकैरियॉटिक
- लवकव भित्ति
- केन्द्रकीय अम्लों की श्रृंखला के रूप
- गाजर जड़ की फ्लोएम।
प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –
उत्तर:
- (b) लवक एवं माइटोकॉण्ड्रिया
- (d) लाइसोसोम
- (e) जीवद्रव्य
- (a) राइबोसोम
- (c) माइटोकॉण्ड्रिया
- (f) श्लीडेन एवं श्वान।
उत्तर:
- (b) डिक्टियोसोम
- (a) हरित लवक
- (d) R.N.A. + प्रोटीन
- (e) शुक्राणु
- (c) एन्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम
उत्तर:
- (b) एक्टिव ट्रांसपोर्ट
- (e) क्रीनेशन
- (d) परासरण
- (a) पेसिव ट्रांसपोर्ट
- (c) लाल रक्त कणिका का फटना
प्रश्न 5.
सत्य / असत्य बताइए –
- कोशिका अंतस्थ के अन्दर कार्बनिक एवं अकार्बनिक दोनों वस्तुएँ आती हैं।
- ग्रैना रहित लवक C, पादपों में पाये जाते हैं।
- लाइसोसोम जिन कोशिकाओं में उपस्थित है उन्हीं में विघटित हो जाये तो कोशिकाएँ विखंडित हो जायेंगी।
- 80S राइबोसोम की बड़ी उप इकाई 50s की होती है।
- गुणसूत्र शब्द का सबसे पहले प्रयोग वाल्डेयर ने किया।
- सेण्ट्रिओल एवं राइबोसोम कोशिका के अन्दर पाये जाने वाले दो झिल्लीयुक्त कोशिकांग हैं।
- कोशकाओं में जैविक क्रियाओं के संचालन एवं नियमन की क्षमता पाई जाती है। इसी कारण इन्हें आत्मनिर्भर इकाई कहते हैं।
- प्राथमिक अविकसित कोशिकाएँ जिनमें दोहरी झिल्ली युक्त रचनाएँ नहीं होती यूकैरियोटिक कोशिका कहलाती है।
- कायिक संकरण वह विधि है जिसके द्वारा आनुवंशिक रूप से दो भिन्न जातियों की कोशिकाओं के कोशिका द्रव्यों को मिलाया जाता है।
- कोशिकांग कोशिका के बाहर उपस्थित वे विशिष्ट रचनाएँ हैं जो कोशिका की विभिन्न उपापचयी क्रियाओं को संपादित करती हैं।
उत्तर:
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य।
कोशिका : जीवन की इकाई अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अर्द्ध स्वनियन्त्रित कोशिकांग किसे कहते हैं ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वे कोशिकांग, जो अपने प्रोटीन का संश्लेषण कर लेते हैं, स्वतन्त्र रूप से जनन कर लेते हैं तथा उनमें इनका अपना आनुवंशिक पदार्थ (DNA and RNA) होता है, अर्द्ध स्वनियन्त्रित कोशिकांग कहलाते हैं, जैसे-माइटोकॉण्ड्रिया एवं लवक।
प्रश्न 2.
लाइसोसोम को आत्महत्या की थैली कहते हैं, क्यों?
उत्तर:
लाइसोसोम में कोशिकांगों के विभिन्न संघटकों का पाचन करने वाले 25 प्रकार के प्रकीण्व जैसे-राइबोन्यूक्लियस, डिऑक्सीराइबोन्यूक्लियस, ग्लाइकोसिडेज, प्रोटिएज, फॉस्फेटेज, सल्फेटेज आदि पाये जाते हैं। किसी कारणवश जब ये एन्जाइम लाइसोसोम से बाहर आ जाते हैं, तो कोशिका के विभिन्न घटकों का विघटन हो जाता है तथा कोशिका की मृत्यु हो जाती है। इसलिए लाइसोसोम को आत्महत्या की थैली कहते हैं।
प्रश्न 3.
विसरण का महत्व लिखिए।
उत्तर:
विसरण का महत्व –
- इसके द्वारा प्रकाश-संश्लेषण तथा श्वसन के समय गैसों का आदानप्रदान होता है।
- पौधों द्वारा वाष्पोत्सर्जन के समय जल का वाष्पीकरण विसरण द्वारा ही होता है।
- पौधों में खाद्य पदार्थों के परिवहन में भी विसरण का बहुत बड़ा योगदान होता है।
- कोशिकाओं के अन्दर विविध पदार्थों का आवागमन भी विसरण के द्वारा ही होता है।
- इसके द्वारा जीव शरीर के ताप का नियमन भी होता है।
कोशिका : जीवन की इकाई लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए
- जलरागी एवं जलविरागी अणु
- निष्क्रिय एवं सक्रिय अभिगमन
- पिनोसाइटोसिस एवं फैगोसाइटोसिय।
उत्तर:
1. जलरागी एवं जलविरागी अणु:
वे अणु जो जल से बन्धुता प्रदर्शित करते हैं। जलरागी अणु कहलाते हैं, जबकि वे अणु जो जल से बन्धुता प्रदर्शित नहीं करते जलविरागी अणु कहलाते हैं। प्लाज्मा झिल्ली को बनाने वाले प्रोटीनों के कुछ अमीनो अम्ल जलरागी तथा कुछ जलविरागी होते हैं।
2. निष्क्रिय एवं सक्रिय अभिगमन:
प्लाज्मा झिल्ली के द्वारा होने वाला वह अभिगमन, जिसमें ऊर्जा खर्च नहीं होती है निष्क्रिय अभिगमन कहलाता है। जैसे–विसरण एवं परासरण द्वारा होने वाला अभिगमन। जबकि प्लाज्मा झिल्ली से होकर होने वाला वह अभिगमन, जिसमें ऊर्जा खर्च होती है सक्रिय अभिगमन कहलाता है। जैसे – K+ का प्लाज्मा झिल्ली से होकर होने वाला अभिगमन।
3. पिनोसाइटोसिस एवं फैगोसाइटोसिस:
पिनोसाइटोसिस वह क्रिया है, जिसके द्वारा प्लाज्मा झिल्ली द्रव पदार्थों का अन्तर्ग्रहण कहती है, जबकि फैगोसाइटोसिस वह क्रिया है, जिसके द्वारा प्लाज्मा झिल्ली ठोस पदार्थों का अन्तर्ग्रहण करती है।
प्रश्न 2.
सक्रिय अभिगमन के महत्व को बताइए।
उत्तर:
भक्रिय अभिगमन का महत्व –
- इस क्रिया के कारण जीवित कोशिकाओं का रासायनिक संगठन एक-सा बना रहता है।
- कोशिका के अन्दर तथा बाहर आयनों का सन्तुलन बना रहता है।
- इस क्रिया के द्वारा उपयोगी खनिज लवणों का अवशोषण किया जाता है, इस क्रिया में अवशोषण निष्क्रिय अवशोषण की अपेक्षा तीव्र गति से होता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित से सम्बन्धित खोज करने वाले वैज्ञानिक / वैज्ञानिकों के नाम लिखिए –
- कोशिका
- केन्द्रक
- कोशिकावाद
- नई कोशिकाओं का जन्म।
उत्तर:
- कोशिका – कोशिका की खोज सन् 1665 में रॉबर्ट हुक ने की थी।
- केन्द्रक- केन्द्रक की खोज सन् 1831 में रॉबर्ट ब्रॉउन ने की थी।
- कोशिकावाद – कोशिकावाद की खोज सन् 1838 में श्लीडेन एवं श्वान ने की थी।
- नई कोशिकाओं का जन्म – नई कोशिकाओं के जन्म की खोज रुडोल्फ वर्शोव ने सन् 1855 में की थी। उनके अनुसार नई कोशिकाओं का जन्म पुरानी कोशिकाओं से कोशिका विभाजन द्वारा होता है।
प्रश्न 4.
कोशिकावाद से क्या तात्पर्य है ? समझाइये।
उत्तर:
श्लीडेन एवं श्वान ने मिलकर अपने अध्ययनों के आधार पर सन् 1938 में कोशिका के सम्बन्ध में एक वाद प्रस्तुत किया जिसे कोशिकावाद या कोशिका सिद्धान्त कहते हैं । ये वाद निम्नानुसार हैं –
- सभी जीव एक या अनेक कोशिकाओं के बने होते हैं।
- सभी कोशिकाओं में एक जैसी उपापचयी क्रियाएँ होती हैं और ये जीवन की रचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई होती हैं।
- किसी भी जीव द्वारा प्रदर्शित क्रियाएँ वास्तव में उसकी कोशिकाओं के अन्दर की क्रियाओं एवं उनकी आपसी क्रियाओं का परिणाम होती हैं।
- नयी कोशिकाएँ पूर्ववर्ती कोशिकाओं से ही बनती हैं अर्थात् ये अपने-आप नहीं बनतीं।
प्रश्न 5.
कोशिका की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
श्लीडेन एवं श्वान के कोशिका सिद्धान्त के अनुसार “कोशिका सभी जीवों की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई होती है। दूसर शब्दों में हम कह सकते हैं कि, “कोशिका एक स्वतन्त्र अस्तित्व वाली सूक्ष्मतम जीवित इकाई है। आधुनिक वैज्ञानिक लोई तथा सिकेविट्स (Loewy and Sickevitz, 1963) ने कोशिका को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है – “कोशिका वरणात्मक पारगम्य झिल्ली से घिरी हुई जैविक क्रियाओं की ऐसी इकाई है, जो जावित तन्त्रों से मुक्त माध्यम में स्वयं प्रजनन कर सकती है।”
प्रश्न 6.
टोटीपोटेन्सी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पादप कोशिका की प्रत्येक कोशिका में यह क्षमता पायी जाती है कि वह विकसित होकर एक नया पौधा बना देती है। कोशिका के इस गुण को टोटीपोटेन्सी तथा इन कोशिकाओं को टोटीपोटेण्ट कहते हैं। टोटीपोटेन्सी का विचार सबसे पगले हैबरलैण्ड्ट ने सन् 1902 में दिया। बाद में स्टीवर्ड ने सन् 1950 में गाजर के जड़ की फ्लोएम कोशिकाओं से पूर्ण विकसित पादप प्राप्त करने में सफलता हासिल की। आजकल इस तकनीक से अगुणित पादपों को भी विकसित किया जाता है।
प्रश्न 7.
बहुकोशिकीयता के क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
लाभ:
- जीवों में श्रम विभाजन का प्रादुर्भाव हो जाता है, जिससे वे अधिक संगठित हो जाते हैं।
- विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा मरम्मत होने के कारण कोशिकाओं की आयु बढ़ जाती है।
- अंग-भंग होने के बाद भी जीव जीवित रहते हैं।
- जीवों में अनुकूलन की क्षमता बढ़ जाती है।
- कार्य व्यवस्थित होने के कारण बहुकोशिकीयता जीवों की आयु को बढ़ाती है।
- जीवों के आकार में वृद्धि होती है।
प्रश्न 8.
रैफाइड्स (Raphaides), स्फिरेफाइड्स तथा सिस्टोलिथ किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पौधों की संग्राहक कोशिकाओं में जैसे कॉर्टेक्स (Cortex), पिथ (Pith) की कोशिकाओं में कैल्सियम ऑक्जेलेट के छड़ाकार या सूच्याकार रवे उपस्थित हों, तो उन्हें रैफाइड्स कहा जाता है। अगर ये रवे ताराकृति (Star shaped) के रूप में होते हैं, तो उन्हें स्फिरेफाइंड्स कहा जाता है। कैल्सियम कार्बोनेट्स के रवे प्रायः अंगूर के फलों के गुच्छे सदृश होते हैं, इन्हें सिस्टोलिथ (Cystolith) कहा जाता है।
प्रश्न 9.
कोशिका सिद्धान्त के कोई पाँच अपवाद बताइये।
उत्तर:
कोशिका सिद्धान्त के अपवाद –
- विषाणु में कोशिकीय संरचना नहीं पायी जाती।
- लाल रुधिराणुओं में ऑक्सी-श्वसन नहीं होता।
- लाल रुधिराणु पूर्ण कोशिका नहीं होते, क्योंकि इनमें केन्द्रक, माइटोकॉण्ड्रिया, L.R. इत्यादि नहीं पाये जाते।
- पूर्व विकसित तन्त्रिका कोशिका में विभाजन एवं पुनर्जनन की क्षमता नहीं होती।
- यकृत तथा पेशी कोशिकाएँ विभाजन की क्षमता के बावजूद विभाजित नहीं होती, लेकिन इनमें पुनर्जनन (Regeneration) होता है।
प्रश्न 10.
परासरण का महत्व बताइए।
उत्तर:
परासरण का महत्व –
- जीवित कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली से होकर होने वाला अधिकांश अभिगमन परासरण के द्वारा ही होता है।
- मूलरोम द्वारा जल तथा जलीय जीवों विविध पदार्थों का अवशोषण परासरण के द्वारा ही होता है।
- जायलम द्वारा जल का संवहन परासरण के द्वारा होता है।
- कोशिकाओं की स्फीति दशा बनाये रखने तथा पौधों एवं जन्तुओं की कार्यिकीय क्रियाओं में भी परासरण का बहुत अधिक महत्व होता है।
प्रश्न 11.
जैव झिल्ली किसे कहते हैं ? समझाइए।
उत्तर:
सभी कोशिकाओं के चारों तरफ पतली, लचीली, वरणात्मक अर्द्धपारगम्य झिल्ली पायी जाती है, जिसे प्लाज्मा झिल्ली कहते हैं। ठीक ऐसी ही झिल्ली महत्वपूर्ण कोशिकांगों, केन्द्रक तथा रिक्तिकाओं के चारों तरफ भी पायी जाती है, जिसे उपकोशिकीय झिल्ली कहते हैं। सभी झिल्लियों को एक साथ जैव झिल्ली कहते हैं।
प्रश्न 12.
क्या होगा यदि R.B.Cs. को अतिपरासरी विलयन में रखा जाये?
उत्तर:
नमक का (0.9% से अधिक सांद्रित विलयन अतिपरासरी होता है, क्योंकि उसका परासरण दाब R.B.Cs. के कोशिकाद्रव्य से अधिक होता है। अत: इस प्रकार के विलयन में R.B.Cs. को रखने पर इनसे जल का क्षय होने के कारण इनकी कोशिका में जीवद्रव्यकुंचन हो जाता है, कोशिका में से बाहर के माध्यम में इस प्रकार के विसरण को बाह्य परासरण (Exosmosis) कहते हैं । जीवद्रव्यकुंचन के कारण R.B.Cs. की मृत्यु भी हो सकती है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए
- बाह्य एवं अन्तःपरासरण
- एक्सोसाइटोसिस एवं एण्डोसाइटोसिस
- अर्द्ध-पारगम्य एवं वरणात्मक पारगम्य झिल्ली।
उत्तर:
1. बाह्य एवं अन्तःपरासरण:
वह परासरण जिसके द्वारा कोशिका के अन्दर के पदार्थ को बाहर निकाला जाता है बाह्य परासरण कहलाता है, जबकि वह परासरण जिसमें किसी पदार्थ का परासरण कोशिका के बाहर से कोशिका के अन्दर की ओर होता है, अन्त:परासरण कहलाता है।
2. एक्सोसाइटोसिस एवं एण्डोसाइटोसिस:
एक्सोसाइटोसिस (कोशिकावमन) वह क्रिया है, जिसके द्वारा कोशिका के अन्दर की वस्तुओं को कोशिका के बाहर किया जाता है जैसे-उत्सर्जन जबकि एण्डोसाइटोसिस (कोशिका परिग्रहण) वह क्रिया है, जिसके द्वारा खाद्य पदार्थों या बड़े पदार्थों को कोशिका के अन्दर किया जाता है, कोशिकापायन एवं कोशिका भक्षण इसके उदाहरण हैं।
3. अर्द्धपारगम्य एवं वरणात्मक पारगम्य झिल्ली:
अर्द्धपारगम्य झिल्ली वह झिल्ली है, जिससे होकर सभी छोटे अणुओं का आदान-प्रदान हो सकता है, जबकि वह झिल्ली है, जिससे होकर कुछ सूक्ष्म अणुओं का आदान-प्रदान हो सकता है, जबकि कुछ अणुओं का आदान-प्रदान नहीं हो सकता। प्लाज्मा झिल्ली एक वरणात्मक पारगम्य झिल्ली है।
प्रश्न 14.
कभी-कभी रासायनिक खाद देने के बाद पौधे मुरझा जाते हैं, क्यों?
उत्तर:
जब कभी पौधों को इतनी मात्रा में रासायनिक खाद दे दी जाती है कि मृदा की सान्द्रता पौधे के अन्दर की सान्द्रता से ज्यादा हो जाती है, तब बाह्य परासरण के कारण पौधे के अन्दर का जल बाहर निकल जाता है और पौधा मुरझा जाता है।
प्रश्न 15.
क्या होगा यदि R.B.Cs. को अल्पपरासरी विलयन में रखा जाये ?
उत्तर:
0.9% से कम सान्द्रित नमक का विलयन अल्पपरासरी होता है, क्योंकि R.B.Cs. की तुलना में उसका परासरण दाब कम होता है। इस दशा में जल बाह्य माध्यम से कोशिका में प्रवेश करता है। कोशिकाओं में जल के विसरण को अन्तःपरासरण (Endosmosis) कहते हैं। इसके कारण R.B.Cs. फटकर मर सकती है।
प्रश्न 16.
“लिपिड के समुद्र में प्रोटीन के द्वीप” के नाम से किसे जाना जाता है ? और क्यों ?
उत्तर:
द्रव मोजैक मॉडल के अनुसार प्लाज्मा झिल्ली संरचनात्मक रूप से लिपिड एवं प्रोटीन की बनी होती है, जिसमें लिपिड सामान्य ताप पर (37°C) पर द्रव रूप में रहता है, जिसमें प्रोटीन के ठोस अणु तैरते रहते हैं. इस कारण प्लाज्मा झिल्ली को लिपिड के समुद्र में प्रोटीन का द्वीप कहते हैं।
प्रश्न 17.
प्लाज्मा झिल्ली के कार्यों को लिखिए।
उत्तर:
कार्य:
- यह कोशिका को एक निश्चित आकार देती है।
- यह कोशिकीय आदान-प्रदान में भाग लेती है, जिससे कोशिका का संघटन एक जैसा बना रहता है अर्थात् यह विविध उपयोगी पदार्थों को ग्रहण करती है तथा हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर करती है।
- यह कोशिकीय प्रचलन कूटपाद द्वारा तथा तरंग द्वारा सम्पन्न करती है।
- यह कोशिका जनन में भाग लेती है।
- यह जीवद्रव्य को बाहरी झटकों से बचाती है तथा जैविक कार्यों में सहयोग करती है।
प्रश्न 18.
जीवद्रव्यकुंचन क्या है ? समझाइए।
उत्तर:
जब किसी कोशिका को उसके जीवद्रव्य से अधिक सान्द्र विलयन (अतिपरासरी विलयन) में रखा जाता है, तो कोशिका के रिक्तिका का जल बाह्य परासरण के कारण बाहर जाने लगता है फलतः रिक्तिका संकुचित हो जाती है। रिक्तिका के संकुचित होने के कारण जीवद्रव्य भी संकुचित हो जाता है। इस क्रिया को जीवद्रव्यकुंचन कहते हैं।
जन्तुओं की R.B.Cs. में भी जीवद्रव्यकुंचन देखा जा सकता है। यदि जीवद्रव्य कुंचित. कोशिका को फिर से आसुत जल में रख दिया जाय तो यह पूर्ववत् हो जायेगी। जीवद्रव्यकुंचन को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं-किसी अतिपरासरी विलयन में रखने पर कोशिका के जीवद्रव्य के संकुचन को जीवद्रव्यकुंचन कहते हैं।
प्रश्न 19.
प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
प्रोकैरियोटिक कोशिका:
ये प्राथमिक प्रकार की अविकसित कोशिकाएँ हैं, जिनके केन्द्रक के चारों तरफ केन्द्रकीय झिल्ली नहीं पायी जाती। इनकी कोशिकाओं में दोहरी भित्ति वाले कोशिकांग जैसेमाइटोकॉण्ड्रिया, क्लोरोप्लास्ट, गॉल्गीकाय व लाइसोसोम भी नहीं पाये जाते। उदाहरण – जीवाणुओं तथा नीले हरे शैवालों की कोशिकाएँ। यूकैरियोटिक कोशिका – ये विकसित तथा सुगठित कोशिकाएँ हैं, जिनके केन्द्रक के चारों तरफ केन्द्रकीय झिल्ली पायी जाती है। इनमें दोहरी भित्ति वाले कोशिकांग जैसे-माइटोकॉण्ड्रिया, हरितलवक, गॉल्गीकाय इत्यादि पाये जाते हैं। उदाहरण-सभी विकसित जन्तुओं तथा पादपों की कोशिकाएँ।
प्रश्न 20.
कोशिकाओं के अन्दर सूचनाओं का प्रवाह किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
कोशिका के अन्दर तथा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में सूचनाओं एवं निर्देशों का आदान-प्रदान या प्रवाह विशिष्ट आनुवंशिक पदार्थ DNA के द्वारा होता है, लेकिन कुछ विषाणुओं में यह कार्य RNA के द्वारा किया जाता है। केन्द्रक कोशिका के मस्तिष्क का कार्य करता है। केन्द्रक में सूचनाएँ DNA के अन्दर न्यूक्लियोटाइडों के विशिष्ट क्रम के रूप में संचित रहती है। DNA द्विगुणन द्वारा इन सूचनाओं को RNA के रूप में परिवर्तित कर देता है। यह RNA केन्द्र की सूचना को राइबोसोम को देता है जो सूचनाओं के अनुसार अनेक प्रकार के प्रोटीनों को बनाता है। ये प्रोटीन कोशिकीय क्रियाओं का नियन्त्रण करते हैं।
प्रश्न 21.
कोशिका की ऊर्जा कहाँ संचित रहती है ?
उत्तर:
कोशिका की ऊर्जा A.T.P. (Adenosine tri – phosphate) के अन्दर स्थित फॉस्फेट समूह के उच्च ऊर्जा बन्धों के रूप में माइटोकॉण्ड्रिया में संचित रहती है। आवश्यकतानुसार ये बन्ध टूटकर संचित ऊर्जा को मुक्त कर देते हैं।
प्रश्न 22.
ट्रोफोप्लाज्म या कोशिकांग किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कोशिकाद्रव्य में उपस्थित वे विशिष्ट रचनाएँ जो कोशिकाओं में होने वाली विभिन्न उपापचयिक क्रियाओं को संपादित करने वाले स्थल के रूप में जानी जाती हैं, कोशिकांग कहलाती है। कोशिकांगों के समूह को ट्रोफोप्लाज्म कहते हैं।
प्रश्न 23.
एक प्रोकैरियोटिक कोशिका का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
कोशिका : जीवन की इकाई दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रोकैरियॉटिक तथा यूकैरियॉटिक कोशिका में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रोकैरियॉटिक तथा यूकैरियॉटिक कोशिका में अन्तर –