MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व
11 p-ब्लॉक तत्त्व NCERT अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
- B से TIतक
- C से Pb तक की ऑक्सीकरण अवस्थाओं की भिन्नता के क्रम की – व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
1. B से TI तक की ऑक्सीकरण अवस्थाओं की भिन्नता का क्रम –
बोरॉन तथा ऐल्युमिनियम केवल +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं, क्योंकि ये d-अथवा f- इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति के कारण अक्रिय युग्म प्रभाव नहीं दर्शाते हैं। Ga से TI तक के तत्व + 1 तथा +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं। + 1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाने की प्रवृत्ति वर्ग में नीचे की ओर जाने पर बढ़ती जाती है, क्योंकि संयोजी कोश के ns2 इलेक्ट्रॉनों की आबंध की प्रवृत्ति घटती जाती है। इसे अक्रिय युग्म प्रभाव कहते हैं। TI+ TI की अपेक्षा अधिक स्थायी है।
2. से Pb तक की ऑक्सीकरण अवस्थाओं की भिन्नता का क्रम –
कार्बन तथा सिलिकॉन केवल + 4 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं। भारी सदस्यों + 2 में ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करने की प्रवृत्ति Ge < Sn < Pb के क्रम में बढ़ती है। यह संयोजी कोश के ns इलेक्ट्रॉनों की आबंध के प्रति कम रूचि के कारण होता है (अक्रिय युग्म प्रभाव) Ge + 4 अवस्था में स्थायी यौगिक बनाता है । Sn दोनों अवस्थाओं में यौगिक बनाता है तथा लेड के यौगिक +4 अवस्था की तुलना में, + 2 अवस्था में अधिक स्थायी होते हैं।
प्रश्न 2.
TICl3 की तुलना में BCl3 के उच्च स्थायित्व को आप कैसे समझायेंगे ?
उत्तर:
बोरॉन केवल + 3 अवस्था प्रदर्शित करता है। अतः यह एक स्थायी यौगिक BCl3 बनाता है। वर्ग में नीचे आने पर अक्रिय युग्म प्रभाव क्रमशः अधिक प्रभावी होता जाता है, जिसके कारण थैलियम की + 1 ऑक्सीकरण अवस्था, + 3 ऑक्सीकरण अवस्था की अपेक्षा BCl3 अधिक स्थायी होता है।
प्रश्न 3.
बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड लुईस अम्ल के समान व्यवहार क्यों प्रदर्शित करता है ?
उत्तर:
BF3, इलेक्ट्रॉन न्यून होने के कारण, एक प्रबल लुईस अम्ल है। यह लुईस क्षार के कारण, एक प्रबल लुईस अम्ल है। यह लुईस क्षार के साथ सुगमतापूर्वक क्रिया करके बोरॉन के प्रति अष्टक पूरा करता है।
F3B + : NH3 → F3B → NH3
लुईस अम्ल लुईस क्षार
प्रश्न 4.
BCl3 तथा CCl4 यौगिक का उदाहरण देते हुए जल के प्रति इनके व्यवहार के औचित्य समझाइए।
उत्तर:
BCl3 एक इलेक्ट्रॉन न्यून अणु है। यह जल से सरलता से इलेक्ट्रॉनों का एक युग्म ग्रहण करता है तथा बोरिक अम्ल (H3BO3) तथा HCl बनाता है।
BCl3 + 3H2O → H3BO3 + 3HCl
CCl4 एक इलेक्ट्रॉन समृद्ध अणु है, जिसमें C परमाणु में d- कक्षक अनुपस्थित होते हैं । जिसके कारण यह ना तो इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण करता है और न ही देता है। अतः CCl4का जल-अपघटन नहीं होता है।
प्रश्न 5.
क्या बोरिक अम्ल प्रोटीनो अम्ल है ? समझाइए।
उत्तर:
बोरिक अम्ल प्रोटीनो अम्ल नहीं है, क्योंकि यह जल में आयनीकृत होकर प्रोटॉन नहीं देता है। यह एक लुईस अम्ल की भाँति व्यवहार करते हुए H2O अणु के हाइड्रॉक्सिल आयन से इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करता है तथा अंत में H+ आयन मुक्त करता है।
B(OH)3 + 2HOH → [B(OH)3]– + H3O+
प्रश्न 6.
क्या होता है, जब बोरिक अम्ल को गर्म किया जाता है ?
उत्तर:
प्रश्न 7.
BF3 तथा BH4– की आकृति की व्याख्या कीजिए।इन स्पीशीज में बोरॉन के संकरण को निर्दिष्ट कीजिए।
उत्तर:
BF3 में बोरॉन में 3 आबंध युग्म उपस्थित होते हैं । अतः यह sp2संकरित तथा त्रिकोणीय तथा त्रिकोणीय समतलीय संरचना का होता है जबकि [BH4] में आबंध संख्या = 4 होने के कारण संकरण sp3 तथा संरचना चतुष्फलकीय होती है।
प्रश्न 8.
ऐल्युमिनियम के उभयधर्मी व्यवहार दर्शाने वाली अभिक्रियाएँ दीजिए।
उत्तर:
Al, अम्ल तथा क्षार दोनों में घुलकर डाइहाइड्रोजन मुक्त करता है, इसका यह व्यवहार उभयधर्मी होता है।
प्रश्न 9.
इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक क्या होते हैं ? क्या BCl3 तथा SiCl4 इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक है ? समझाइए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक वे यौगिक होते हैं, जिनमें इनके अणुओं में उपस्थित केन्द्रीय परमाणु एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करने की प्रवृत्ति रखता है। इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक लुईस अम्ल भी कहलाते हैं। हाँ, BCI और SiCl, दोनों इलेक्ट्रॉन न्यून होते हैं। जहाँ B परमाणु में एक रिक्त 2p – कक्षक होता है। वहीं Si परमाणु मे रिक्त 3d-कक्षक होता है। ये दोनों परमाणु, इलेक्ट्रॉन दाता स्पीशीज से इलेक्ट्रॉन युग्मों को ग्रहण कर सकते हैं।
प्रश्न 10.
CO2-3 – तथा HCO– 3 की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर:
CO2-3आयन की अनुनादी संरचनाएँ –
HCO– 3 आयन की अनुनादी संरचनाएँ –
प्रश्न 11.
- CO2-3
- हीरा तथा
- ग्रेफाइट में कार्बन की संकरण अवस्था क्या होती है ?
उत्तर:
CO2-3 हीरा तथा ग्रेफाइट में कार्बन की संकरण अवस्थाएँ क्रमशः sp2 sp3 तथा sp2 हैं।
प्रश्न 12.
संरचना के आधार पर हीरा तथा ग्रेफाइट के गुणों में निहित भिन्नता समझाइए।
उत्तर:
हीरा तथा ग्रेफाइट में अंतर –
हीरा:
- इसमें C2 sp3संकरित अवस्था में है।
- इसमें ज्यामिति द्विविमीय परतीय होती है।
- यह उच्च घनत्व तथा उच्च क्वथनांक के साथ कठोरतम पदार्थ है।
- यह ऊष्मा तथा विद्युत् का कुचालक (मुक्त इलेक्ट्रॉन मुक्त होता है) होता है।
- इसका प्रयोग काँच काटने में, आभूषणों तथा अपघर्षक के रूप में होता है।
ग्रेफाइट:
- इसमें C2 sp2 संकरित अवस्था में है।
- इसकी ज्यामिति त्रिविमीय चतुष्फलकीय होती है।
- यह निम्न घनत्व तथा उच्च क्वथनांक के साथ मुलायम तथा चिकनाई वाला पदार्थ है।
- यह ऊष्मा तथा विद्युत् का सुचालक (चौथा इलेक्ट्रॉन की अनुपस्थिति) होता है।
- यह स्नेहक के रूप में, इलेक्ट्रोड निर्माण में, पेंसिल में, क्रूसीबल (उच्च गलनांक के कारण) आदि के निर्माण में प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित कथनों को युक्तिसंगत कीजिए तथा रासायनिक समीकरण दीजिए –
1. लेड (II) क्लोराइड, Cl2 से क्रिया करके PbCl4 देता है।
2. लेड (IV) क्लोराइड ऊष्मा के प्रति अत्यधिक अस्थायी है।
3. लेड एक आयोडाइड PbI4 नहीं बनाता है।
उत्तर:
1. लेड (Pb) की +2 ऑक्सीकरण अवस्था अर्थात् Pb(II), + 4 ऑक्सीकरण अवस्था अर्थात् Pb(IV) की अपेक्षा अधिक स्थायी क्लोराइड Pb(IV) क्लोराइड नहीं बनाएगा।
PbCl2(g) + Cl2(g) →PbCl4(g)
2. लेड की (II) ऑक्सीकरण अवस्था, (IV) ऑक्सीकरण अवस्था की तुलना में अधिक स्थायी होती है। अतः लेड (IV) क्लोराइड ऊष्मा के प्रति अत्यधिक अस्थायी होता है। यह गर्म करने पर विघटित होकर लेड (II) क्लोराइड बनाता है।
3. शक्तिशाली अपचायक होने के कारण I– आयन विलयन में Pb4+ आयन को Pb2+ आयन में अपचयित कर देता है, जिससे लेड PbI4 नहीं बना पाता है। अतः प्रायः PbI2 बनाता है।
Pb4+ + 2I– → Pb2+ + I2
प्रश्न 14.
BF3 तथा BF4 में B – F बंध लम्बाई क्रमशः 130 pm तथा 143 pm होने का कारण बताइए।
उत्तर:
BF3 में, बोरॉन sp2 – संकरित है। इसमें रिक्त कक्षक होता है। प्रत्येक में पूर्णतया भरे हुए, अप्रयुक्त कक्षक होते हैं। चूँकि ये दोनों कक्षक समान ऊर्जा-स्तर के होते हैं। अतः pr – pz पश्च बंधन होता है, जिसमें पूर्णतया भरे हुए अप्रयुक्त 2p – कक्षक द्वारा एक इलेक्ट्रॉन युग्म, B के अतिरिक्त 2p – कक्षक को स्थानांतरित होता है। इस प्रकार का बंध निर्माण पश्च बंधन कहलाता है। अत: B – Fबंध में कुछ द्विबंध व्यवहार पाया जाता है। यही कारण है कि सभी तीन B – F बंधों की बंध लम्बाई से कम होती है।
[B – F4]– आयन में, बोरॉन sp3 संकरित होती है। इसके पास रिक्त 2p – कक्षक नहीं होते हैं, जिसके कारण इसमें पश्च बंधन नहीं पाया जाता है।[B – F4]–आयन में, सभी 4B – F की पूर्णतया एकल बंध होते हैं। द्विबंध, एकल बंध की अपेक्षा छोटे होते हैं। अत: B-F बंध लम्बाई [B – F4]– (143 pm) की अपेक्षा BF3 (130 pm) में कम होती है।
प्रश्न 15.
B – Cl आबंध द्विध्रुव आघूर्ण रखता है, किन्तु BCl3 अणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है। क्यों?
उत्तर:
BCl3 में बोरॉन sp2 संकरित होती है, जिसके कारण BCl3 अणु की संरचना ज्यामिति त्रिकोणीय समतलीय होती है। यह आकार में सममित होता है तथा सममित अणुओं के लिए परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण का मान शून्य होता है (क्योंकि सभी द्विध्रुव आघूर्ण, अणु की सममितता के कारण निरस्त हो जाते हैं)।
अतः BCl3 का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है।
प्रश्न 16.
निर्जलीय HF में ऐल्युमिनियम ट्राइफ्लुओराइड अविलेय है, परन्तु NaF मिलाने पर घुल जाता है। गैसीय BF3 को प्रवाहित करने पर परिणामी विलयन में से ऐल्युमिनियम ट्राइफ्लुओराइड अवक्षेपित हो जाता है। इसका कारण बताइए।
उत्तर:
ऐल्युमिनियम ट्राइफ्लुओराइड (AIF3) अपनी सहसंयोजी प्रकृति के कारण निर्जल HF में अघुलनशील होता है। किन्तु NaF के साथ क्रिया करने पर यह एक जटिल यौगिक बनाता है जो जल में घुलनशील होता है।
(घुलनशील) जब BF3की वाष्प को जलीय विलयन में प्रवाहित कराया जाता है तो संकुल विदलित हो जाता है। इसके फलस्वरूप ऐल्युमिनियम ट्राइफ्लुओराइड पुनः अवक्षेपित हो जाता है।
प्रश्न 17.
co के विषैली होने का एक कारण बताइए।
उत्तर:
रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन के साथ ऑक्सीजन फेफड़े में संयोजित होकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाती है। हीमोग्लोबिन + ऑक्सीजन ⥨ ऑक्सीहीमोग्लोबिन। कार्बन मोनोऑक्साइड अत्यधिक विषाक्त प्रकृति की होती है। इसकी विषाक्तता रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन के साथ संयोग करने की इसकी प्रवृत्ति के कारण होता है, जिससे कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनता है।
कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन अन्दर खींची गयी ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों में ले जाने की स्थिति में नहीं होता है। इससे गला घुटने लगता है और अंत में मृत्यु हो जाती है। हीमोग्लोबिन + CO → कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन
हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि मोनोऑक्साइड, हीमोग्लोबिन की रक्त परिवहन की क्षमता को कम कर देती है।
प्रश्न 18.
CO2 की अधिक मात्रा भूमण्डलीय ताप वृद्धि के लिए उत्तरदायी कैसे है ?
उत्तर;
हम जानते हैं कि पौधों के प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 अति आवश्यक है। विभिन्न प्रकार की दहन अभिक्रियाओं से यह गैस बनकर वातावरण में मुक्त होती है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, पौधों द्वारा इसे ग्रहण किया जाता है। अत: वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड चक्र कार्य करता है और इसकी प्रतिशतता लगभग नियत रहती है। जबकि पिछले कई वर्षों में दहन अभिक्रियाएँ अत्यधिक बढ़ गयी हैं और पेड़-पौधे (जंगल) घट गये हैं।
इससे अब वातावरण में CO2 अधिकता में उपस्थित है। मेथेन की भाँति यह भी हरित गृह गैस की भाँति व्यवहार करती है और पृथ्वी के ऊष्मीय विकिरण को अवशोषित कर लेती है। कुछ ऊष्मा वातावरण में मुक्त होती है और शेष पृथ्वी की ओर पुनः विकिरित हो जाती है। इससे धीरे-धीरे भूमण्डलीय ताप वृद्धि हो जाती है एवं बड़े मौसमी परिवर्तन होते हैं।
प्रश्न 19.
डाइबोरेन तथा बोरिक अम्ल की संरचना समझाइए।
उत्तर:
डाइबोरेन की संरचना:
डाइबोरेन में, सिरे वाले चार हाइड्रोजन परमाणु तथा दो बोरॉन परमाणु एक ही तल में होते हैं। इस तल के ऊपर तथा नीचे दो सेतुबंध हाइड्रोजन परमाणु होते हैं। सिरे वाले चार – B – Hबंध नियमित बंध होते हैं, जबकि दो सेतु बंध (B – H – B) भिन्न प्रकार के होते हैं तथा इन्हें केला बंध (या विकेंद्रीय बंध) कहते हैं।
बोरिक अम्ल की संरचना-बोरिक अम्ल की परतीय संरचना होती है, जिससे H3BO3 इकाइयाँ हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़ी होती है।
प्रश्न 20.
क्या होता है ? जब –
1. बोरेक्स को अधिक गर्म किया जाता है।
2. बोरिक अम्ल को जल में मिलाया जाता है।
3. ऐल्युमिनियम की तनु NaOH से अभिक्रिया कराई जाती है।
4. BF3 की क्रिया अमोनिया से की जाती है।
उत्तर:
1. बोरेक्स को अत्यधिक गर्म करने पर सोडियम मेटाबोरेट तथा बोरिक एनहाइड्राइड का काँच के समान पारदर्शक मानक प्राप्त होता है।
2. बोरिक अम्ल ठण्डे जल में अल्प विलेय है जबकि गर्म जल में शीघ्र विलेय है। यह दुर्बल मोनो क्षारीय अम्ल की भाँति कार्य करता है। यह प्रोटीन अम्ल नहीं है परन्तु जल के एक हाइड्रॉक्साइड आयन को ग्रहण करके प्रोटॉन देने के कारण लुईस अम्ल की भाँति व्यवहार करता है।
H – OH + B(OH)3 — [B(OH)3]– + H+
3. जब ऐल्युमिनियम की क्रिया तनु NaOH से कराई जाती है तो डाइहाइड्रोजन मुक्त होती है।
2Al(s) + 2NaOH(aq) + 6H2O(l) → 2Na+[AI(OH)4]–(aq) + 3H2(g)
4. BF3 लुईस अम्ल होने के कारण, NHसे एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करके संकर यौगिक बनाता है।
प्रश्न 21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को समझाइए –
1. कॉपर की उपस्थिति में उच्च ताप पर सिलिकॉन को मेथिल क्लोराइड के साथ गर्म किया जाता है।
2. सिलिकॉन डाइऑक्साइड की क्रिया हाइड्रोजन फ्लुओराइड के साथ की जाती है।
3. CO को ZnO के साथ गर्म किया जाता है।
4. जलीय ऐलुमिना की क्रिया जलीय NaOH के साथ की जाती है।
उत्तर:
1. सिलिकॉन को कॉपर उत्प्रेरक की उपस्थिति में लगभग 300°C ताप पर मेथिल क्लोराइड के साथ गर्म करने पर निम्न क्रिया होती है –
जल अपघटन करने पर यह सिलिकॉन के बहुलकों का निर्माण करता है।
2. सिलिकॉन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन फ्लुओराइड के साथ अभिक्रिया करके सिलिकॉन टेट्राफ्लुओराइड (SiFa) बनाता है।
SiO2 + 4HF → SiF4 + 2H2O
पुनः SiF4 हाइड्रोजन फ्लुओराइड के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोफ्लुओरोसैलिसिलीक अम्ल बनाता है।
SiF4 + 2HF → H2SiF6
3. CO द्वारा जो कि एक प्रबल अपचायक है, ZnO जिंक (Zn) में अपचयित हो जाता है।
4. ये दोनों यौगिक दाब के अधिक गर्म करने पर अभिक्रिया करके एक घुलनशील संकुल बनाते हैं।
Al2O3(s)+ 2NaOH(aq) + 3H2 O(l) → 2Na[Al(OH)Al4](aq)
प्रश्न 22.
कारण बताइए –
1. सांद HNO3 का परिवहन ऐल्युमिनियम के पात्र द्वारा किया जा सकता है।
2. तनु NaOH तथा ऐल्युमिनियम के टुकड़ों के मिश्रण का प्रयोग अपवाहिका खोलने के लिए किया जाता है।
3. ग्रेफाइट शुष्क स्नेहक के रूप में प्रयुक्त होता है।
4. हीरे का प्रयोग अपघर्षक के रूप में क्यों करते हैं ?
5. वायुयान बनाने में ऐल्युमिनियम मिश्रधातु का उपयोग होता है।
6. जल को ऐल्युमिनियम पात्र में पूरी रात नहीं रखना चाहिए।
7. संचरण केबल बनाने में ऐल्युमिनियम तार का प्रयोग होता है।
उत्तर:
1. Al सांद्र HNO3 के साथ क्रिया करके अपनी सतह पर ऐल्युमिनियम ऑक्साइड की रक्षी परत बना लेता है, जो इसकी पुनः क्रियाओं को रोकती है।
अत: A निष्क्रिय हो जाता है। यही कारण है कि, सांद्र HNO3 का परिवहन ऐल्युमिनियम के पात्र द्वारा किया जाता है।
2. NaOH, AI के साथ क्रिया करके डाइहाइड्रोजन गैस मुक्त करता है । इस हाइड्रोजन गैस के दाब का प्रयोग अपवाहिका खोलने के लिए किया जाता है।
2Al(s) + 2NaOH(aq) + 2H2O(l) → 2NaAlO2(aq) + 3H2(g)
3. ग्रेफाइट की परतीय संरचना होती है। ये परतें परस्पर दुर्बल वाण्डर वाल्स आकर्षण बलों द्वारा बँधी होती हैं, अतः एक दूसरे के ऊपर फिसल सकती हैं। इसी कारण ग्रेफाइट को शुष्क स्नेहक के रूप में प्रयुक्त करते हैं।
5. हीरे में, प्रत्येक sp3 संकरित परमाणु, चार अन्य कार्बन परमाणुओं द्वारा जुड़ा रहता है। इससे परमाणुओं के त्रिविमीय जालक का निर्माण होता है। इस विस्तृत सहसंयोजक बंधन को तोड़ना कठिन कार्य होता है। अतः हीरा पृथ्वी पर पाये जाने वाला कठोरतम पदार्थ है। इसी कारण इसका प्रयोग अपघर्षक के रूप में करते हैं।
6. ऐल्युमिनियम के मिश्रधातु जैसे ड्यूरालुमीन हल्की, मजबूत तथा जंगरोधी होती है। इसी कारण इनका प्रयोग वायुयान बनाने में होता है।
7. ऐल्युमिनियम जल तथा ऑक्सीजन (जल में उपस्थित) के साथ क्रिया करके विषैले ऐल्युमिनियम ऑक्साइड की पतली परत पात्र दीवार पर बना देता है। इसलिए जल को ऐल्युमिनियम पात्र में पूरी रात नहीं रखना चाहिए।
8. ऐल्युमिनियम में विद्युत् चालकता अत्यधिक होती है। इसका प्रयोग संचरण केबल बनाने में होता है। पुनः भारानुसार AI विद्युत् चालकता Cu की अपेक्षा दुगुनी होती है।
2Al(s) + O2(g) + H2O(l) → Al2O(s) + H2(g)
प्रश्न 23.
कार्बन से सिलिकॉन तक आयनीकरण एन्थैल्पी में प्रघटनीय कमी होती है, क्यों ?
उत्तर:
आवर्त सारणी में कार्बन से सिलिकॉन की ओर चलने पर, परमाणु आकार में वृद्धि होती है, अर्थात् बाह्यतम इलेक्ट्रॉन तथा नाभिक में दूरी बढ़ती है। अतः ये इलेक्ट्रॉन नाभिक का आकर्षण बहुत कम अनुभव करते हैं, जिसके कारण इन्हें निकालना अत्यन्त आसान है। चूँकि Si परमाणु का आकार छोटा है, जिसके कारण बाह्यतम इलेक्ट्रॉन न्यूनतम आकर्षण अनुभव करते हैं। अतः इसकी आयनन एन्थैल्पी (1 इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा) न्यूनतम होती है।
प्रश्न 24.
AI की तुलना में Ga की कम परमाण्वीय त्रिज्या को आप कैसे समझाएँगे?
उत्तर:
AI तथा Ga की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाएँ निम्न हैं –
Al13= 1s2,2s22p6, 3s23p1
Ga51 = 1s2,2s22p6, 3s23p63d10, 4s2,4p1.
इनमें d – इलेक्ट्रॉनों का परिरक्षण प्रभाव अत्यन्त कम है। अत: AI से Ga की ओर चलने पर, 10 d – इलेक्ट्रॉनों का रक्षी प्रभाव बढ़े हुए नाभिकीय आवेश को निष्प्रभावी करने में असमर्थ है। अतः Ga की परमाण्विक त्रिज्या प्रभावी नाभिकीय आवेश के कारण ऐल्युमिनियम की परमाण्विक त्रिज्या से कम होती है।
प्रश्न 25.
अपरूप क्या होता है ? कार्बन के दो महत्वपूर्ण अपरूप हीरा तथा ग्रेफाइट की संरचना का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
जब कोई तत्व दो या दो से अधिक रूपों में पाया जाता है तथा इन रूपों के भौतिक गुण भिन्नभिन्न तथा रासायनिक गुण लगभग समान होते हैं, तो इस गुण को अपरूपता तथा तत्व के विभिन्न रूप अपरूप कहलाते हैं। क्रिस्टलीय कार्बन मुख्यतः दो अपररूपों –
- ग्रेफाइट तथा
- हीरा रूप में पाया जाता है।
1985 में कार्बन का एक तीसरा अपररूप फुलरीन की खोज एच. डब्लू. क्रोटो, ई. स्माले तथा आर. एफ. कर्ल द्वारा की गई। हीरे में प्रत्येक कार्बन sp3 संकरित होता है तथा चतुष्फलकीय ज्यामिति से चार अन्य कार्बन परमाणु से होता रहता है। हीरे में कार्बन परमाणुओं का त्रिविमीय जालक बना होता है। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp2 संकरित होता है तथा तीन समीपवर्ती कार्बन परमाणुओं के साथ तीन सिग्मा (6) बंध बनाता है। इसकी संरचना परतीय होती है तथा ये परतें दुर्बल वाण्डर वाल्स बलों से जुड़ी होती हैं।
कार्बन के दो अपरूपों हीरा तथा ग्रेफाइट की संरचना तथा इनके भौतिक गुणों पर प्रभाव –
- हीरा, अपनी कठोरता के कारण, अपघर्षक तथा रूपदा (dye) बनाने में प्रयुक्त होता है, जबकि ग्रेफाइट मुलायम होने के कारण पेंसिल के रूप तथा मशीनों में शुष्क स्नेहक के रूप में प्रयुक्त होता है।
- हीरा विद्युत् का चालक नहीं है, जबकि ग्रेफाइट विद्युत् का अच्छा चालक है, क्योंकि इसमें प्रत्येक कार्बन परमाणु का इलेक्ट्रॉन मुक्त अवस्था में होता है।
- हीरा पारदर्शी है, जबकि ग्रेफाइट अपारदर्शी है।
प्रश्न 26.
1. निम्नलिखित ऑक्साइड को उदासीन, क्षारीय तथा उभयधर्मी ऑक्साइड के रूप में वर्गीकृत कीजिए – CO, B,03, SiO2, AI,03, Pb02, TI2O3.
(b) इनकी प्रकृति को दर्शाने वाली रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
1. उदासीन ऑक्साइड – CO
अम्लीय ऑक्साइड – B2O3, SiO2, CO2
क्षारीय ऑक्साइड – TI2O3
उभयधर्मी ऑक्साइड – Al2O3, PbO2.
2. (i) B2O3, SiO2 तथा CO2 अम्लीय होने के कारण क्षारों के साथ क्रिया करके लवण बनाते हैं।
3. Al2O3 तथा PbO2 उभयधर्मी होने के कारण, अम्लों तथा क्षारों दोनों के साथ क्रिया करते हैं।
4. Tl2O3क्षारीय होने के कारण अम्लों के साथ क्रिया करता है।
TI2O3 + 6HCl → 2TICl3 +3H2O
प्रश्न 27.
कुछ अभिक्रियाओं में थैलियम, ऐल्युमिनियम से समानता दर्शाता है, जबकि अन्य में यह समह – 1 के धातुओं से समानता दर्शाता है। इस तथ्य को कुछ प्रमाणों के द्वारा सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
थैलियम तथा ऐल्युमिनियम दोनों वर्ग – 13 के तत्व हैं। इसके संयोजी कोश का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2np1 है। ऐल्युमिनियम केवल +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है। ऐल्युमिनियम की भाँति, थैलियम भी कुछ यौगिकों में + 3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है। उदाहरण- TI2O3, TIC, आदि। ऐल्युमिनियम की भाँति थैलियम भी अष्टफलकीय आयन जैसे [AlF6]3- तथा [TIF]3- बनाता है।
वर्ग – 1 की क्षार धातुओं के समान, थैलियम अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण + 1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है। उदाहरण- TICl, TIO आदि। क्षार धातु हाइड्रॉक्साइडों की भाँति, TIOH भी जल में विलेय है तथा जलीय विलयन प्रबल क्षारीय है। TI,SOA, क्षार धातु सल्फेटों की भाँति फिटकरी बनाता है तथा TI2O3, क्षार धातु कार्बोनेट की भाँति जल में विलेय है।
प्रश्न 28.
जब धातु X की क्रिया सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ की जाती है, तो श्वेत अवक्षेप (A) प्राप्त होता है, जो NaOH के आधिक्य में विलेय होकर विलेय संकुल (B) बनाता है। यौगिक (A) तनु HCl में घुलकर यौगिक (C) बनाता है। यौगिक (A) को अधिक गर्म किए जाने पर यौगिक (D) बनता है, जो एक निष्कर्षित धातु के रूप में प्रयुक्त होता है।X,A, B, C तथा D को पहचानिए तथा इनकी पहचान के समर्थन में उपयुक्त समीकरण दीजिए।
उत्तर:
आँकड़े सुझाते हैं कि यह धातु ‘X’ ऐल्युमिनियम है। यौगिक (A), (B), (C) और (D) के निर्माण में ऐल्युमिनियम की अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं –
1. ऐल्युमिनियम (X) को NaOH के साथ गर्म करने पर AI(OH)3 का एक सफेद अवक्षेप अर्थात् यौगिक A बनता है, जो NaOH के आधिक्य में घुलकर घुलनशील संकुल ‘B’ बनाता है।
2. यौगिक (A) तनु HCl में घुलकर ऐल्युमिनियम क्लोराइड (C) बनाता है।
Al(OH)3 + 3HCl(aq) → AlCl3(aq) + 3H2O(l)
3. AI(OH)3 गर्म करने पर ऐलुमिना (D) में बदल जाता है।
Al2O3, Al धातु के निष्कर्षण में प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 29.
निम्नलिखित से आप क्या समझते हैं(a) अक्रिय युग्म प्रभाव, (b) अपरूप, (c) श्रृंखलन।
उत्तर:
1. अक्रिय युग्म प्रभाव:
जबs – इलेक्ट्रॉनों की प्रवृत्ति स्वयं के साथ ही रहने की हो या sइलेक्ट्रॉनों की प्रवृत्ति अभिक्रिया में भाग लेने के प्रति विमुखता हो तो इस प्रवृत्ति को अक्रिय युग्म प्रभाव कहते हैं । इसका कारण यह है कि ns – इलेक्ट्रॉनों को अयुग्मित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा दो अतिरिक्त ऊर्जा दो अतिरिक्त बंध बनाने में निर्मुक्त ऊर्जा से अधिक नहीं होती है। वर्ग-13, 14, 15 के भारी सदस्य तत्व अपने संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या से कम ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं। उदाहरण के लिए TI में +1 ऑक्सीकरण अवस्था, + 3 ऑक्सीकरण अवस्था की अपेक्षा अधिक स्थायी है।
2. अपरूप:
जब कोई तत्व दो. या दो से अधिक रूपों में पाया जाता है तथा इन रूपों के भौतिक गुण भिन्न-भिन्न तथा रासायनिक गुण लगभग समान होते हैं, तो इन रूपों को अपरूप तथा इस गुण को अपरूपता कहते हैं। इसका कारण या तो अणुओं में परमाणुओं की संख्या में अंतर है (जैसे- O2 तथा O3) अथवा अणु में परमाणुओं की व्याख्या में भिन्नता होती है। [जैसे – ग्रेफाइट, हीरा तथा फुलेरीन (कार्बन के क्रिस्टलीय अपरूप)]
3. श्रृंखलन:
एक जैसे परमाणुओं की परस्पर, जुड़कर लंबी, खुली या बंद श्रृंखला बनाने का गुण श्रृंखलन कहलाता है। यह कार्बन में अधिकतम पाया जाता है तथा वर्ग में नीचे की ओर जाने पर क्रमशः घटता है। वर्ग-14 में क्रम निम्नवत् है –
C >> Si > Ge = Sn >> Pb
प्रश्न 30.
एक लवण x निम्नलिखित परिणाम देता है –
1. इसका जलीय विलयन लिटमस के प्रति क्षारीय होता है।
2. तीव्र गर्म किए जाने पर यह काँच के समान ठोस में स्वेदित हो जाता है।
3. जब X के गर्म विलयन में सान्द्र H2SO4 मिलाया जाता है, तो एक अम्ल Z का श्वेत क्रिस्टल बनता है।
उपर्युक्त अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए और X, Y तथा Z को पहचानिए।
उत्तर:
आँकड़ों से पता चलता है कि लवण ‘X’ बोरेक्स (Na2B4O7. 10H2O) है।
1. बोरेक्स का जलीय विलयन क्षारीय प्रकृति का होता है और लाल लिटमस को नीला कर देता है।
2. बोरेक्स को तेज गर्म करने पर इसका आकार बढ़ जाता है और यह क्रिस्टलन जल के अणुओं को त्यागकर ठोस (Y) बनाता है।
3. बोरेक्स, सान्द्र H2SO4 के साथ अभिक्रिया करके बोरिक अम्ल (H3BO3) बनाता है। यह विलयन में सफेद क्रिस्टलों (Z) के रूप में प्राप्त होता है।
प्रश्न 31.
निम्नलिखित के लिये संतुलित समीकरण लिखिये –
1. BF3 + LiH →
2. B2H6 + H2O →
3. NaH + B2H6 →
5. AI + NaOH + H2O →
6. B2H6 + NH2 →
उत्तर:
प्रश्न 32.
CO तथा CO2 प्रत्येक के संश्लेषण के लिए एक प्रयोगशाला तथा एक औद्योगिक विधि समझाइए।
उत्तर:
(a) कार्बन मोनोऑक्साइड –
1. औद्योगिक विधि;
गर्म कोक पर भाप प्रवाहित करने पर CO प्राप्त होती है।
2. प्रयोगशाला विधि:
सांद्र H2SO4 की उपस्थिति में फॉर्मिक अम्ल के निर्जलीकरण द्वारा CO प्राप्त होती है।
(b) कार्बन डाइऑक्साइड –
1. औद्योगिक विधि – चूने के पत्थर को गर्म करने पर CO2प्राप्त होती है।
2. प्रयोगशाला विधि – CaCO3 पर तनु HCl की क्रिया से CO2 प्राप्त होती है।
CaCO3(s) + 2HCl(aq) →CaCl2(aq)+ CO2(g)+ H2O(l)
प्रश्न 33.
बोरेक्स के जलीय विलयन की प्रकृति कौन-सी होती है –
(i) उदासीन
(ii) उभयधर्मी
(iii) क्षारीय
(iv) अम्लीय।
उत्तर:
क्षारीय।
प्रश्न 34.
बोरिक अम्ल के बहुलकीय होने का कारण
(i) इसकी अम्लीय प्रकृति है
(ii) इसमें हाइड्रोजन बन्धों की उपस्थिति है
(iii) इसकी एकक्षारीय प्रकृति है
(iv) इसकी ज्यामिति है।
उत्तर:
(ii) हाइड्रोजन बन्धों की उपस्थिति।
प्रश्न 35.
डाइबोरेन में बोरॉन का संकरण कौन:
सा होता है –
(i) sp2
(ii) sp2
(iii) sp3
(iv) dsp2
उत्तर:
(iii) sp3 संकरण।
प्रश्न 36.
ऊष्मागतिकीय रूप से कार्बन का सर्वाधिक स्थायी रूप कौन-सा है –
(i) हीरा
(ii) ग्रेफाइट
(iii) फुलेरीन्स
(iv) कोयला।
उत्तर:
(ii) कार्बन अपरूपों में ग्रेफाइट सर्वाधिक स्थायी है।
प्रश्न 37.
निम्नलिखित में से समूह-14 के तत्वों के लिए कौन-सा कथन सत्य है –
(i) +4 ऑक्सीकरण प्रदर्शित करते हैं।
(ii) +2 तथा + 4 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं।
(iii) M2- तथा M4+ आयन बनाते हैं।
(iv) M2+ तथा M4-आयन बनाते हैं।
उत्तर:
(ii) +2 और +4 ऑक्सीकरण अवस्था।
प्रश्न 38.
यदि सिलिकॉन-निर्माण में प्रारंभिक पदार्थ RSiC3 है, तो बनने वाले उत्पाद की संरचना दीजिए।
उत्तर:
एल्किलट्राइक्लोरोसिलेन के जल-अपघटन तथा इसके पश्चात् संघनन बहुलीकरण द्वारा शृंखला बहुलक (सिलिकॉन) प्राप्त होते हैं।
11 p-ब्लॉक तत्त्व अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
11 p-ब्लॉक तत्त्व वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
प्रश्न 1.
बोरिक अम्ल के बारे में कौन-सा कथन असत्य है –
(a) यह एक भास्मिक अम्ल है
(b) यह बोरॉन हैलाइड के जल-अपघटन से बनता है
(c) इसकी आकृति समतलीय होती है
(d) यह त्रिभास्मिक अम्ल है।
उत्तर:
(a) यह एक भास्मिक अम्ल है
प्रश्न 2.
डाइबोरेन में बोरॉन परमाणु का संकरण है –
(a) sp
(b) sp2
(c) sp3
(d) sp3d2
उत्तर:
(b) sp2
प्रश्न 3.
बोरिक अम्ल के बहुलीकृत होने का कारण है –
(a) अम्लीय प्रकृति
(b) H – बंध
(c) मोनो-भास्मिक प्रकृति
(d) इसकी ज्यामिति।
उत्तर:
(b) H – बंध
प्रश्न 4.
ऐल्युमिनियम का प्रमुख अयस्क है –
(a) बॉक्साइट
(b) डोलोमाइट
(c) गैलेना
(d) फेल्स्पार।
उत्तर:
(a) बॉक्साइट
प्रश्न 5.
त्रिकेन्द्रित दो इलेक्ट्रॉन बंध किसमें उपस्थित हैं –
(a) NH3
(b)B2H 6
(c) BCl3
(d) Al2Cl6
उत्तर:
(b)B2H6
प्रश्न 6.
कार्बोरंडम है –
(a) B4C
(b) SiC
(c) Al3C4
(d) CaC2
उत्तर:
(b) SiC
प्रश्न 7.
कौन-सा हैलाइड इलेक्ट्रॉन न्यून है –
(a) CCl4
(b) NCl3
(c) Cl2O
(d) BCl3
उत्तर:
(d) BCl3
प्रश्न 8.
कार्बन का स्थायी अपरूप है –
(a) हीरा
(b) ग्रेफाइट
(c) कोल
(d) ऐंथेसाइट।
उत्तर:
(b) ग्रेफाइट
प्रश्न 9.
विद्युत् चालकता किसमें नहीं है –
(a)K
(b) ग्रेफाइट
(c) हीरा
(d) Na.
उत्तर:
(c) हीरा
प्रश्न 10.
कठोरतम ज्ञात पदार्थ है –
(a) कोक
(b) कार्बोरण्डम
(c) कोरंडम
(d) हीरा।
उत्तर:
(d) हीरा।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- जब एलुमिना में Fe2O3 एवं SiO2दोनों प्रकार की अशुद्धियाँ उपस्थित रहती हैं तो इसका शोधन ………….. की विधि द्वारा किया जाता है।
- सिलिका युक्त अशुद्धि वाले बॉक्साइट खनिज को N2 की धारा में कोक के साथ 1800°C पर गर्म करने से ………….. प्राप्त होता है तथा सिलिकॉन वाष्पशील होने से अलग हो जाता है।
- समूह 13 के तत्वों के कुछ ऑक्साइड जलीय विलयन में नीले लिटमस को लाल एवं लाल लिटमस को नीला करते हों, इस प्रकार के ऑक्साइडों का विलयन ………….. कहा जाता है।
- ऐल्युमिनियम क्लोराइड द्विलक के रूप में पाया जाता है, जिसका रासायनिक सूत्र ………….. है।
- ठोस CO2 को ………….. कहते हैं।
- ओजोन परत को नष्ट करने वाला प्रमुख कारक ………….. है।
- कार्बन मोनोऑक्साइड सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन से क्रिया करके एक विषैली गैस ………….. बनाती है।
- कृत्रिम हीरे बनाने वाले सर्वप्रथम वैज्ञानिक ………….. हैं।
- जर्मेनियम एक ………….. है।
- ग्रेफाइट विद्युत् का ………….. तथा हीरा ………….. है।
उत्तर:
- हॉल की
- ऐल्युमिनियम नाइट्राइड, (AIN)
- उदासीन
- Al2Cl6
- शुष्क बर्फ
- क्लोरो फ्लोरो कार्बन
- फॉस्जीन
- मोयसाँ
- उपधातु
- कुचालक, सुचालक।
प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
उत्तर:
- (b) अम्लीय
- (c) क्षारीय
- (d) क्षारीय
- (a) उभयधर्मी
- (e) उभयधर्मी।
उत्तर:
- (e) CS2
- (c) B4C
- (a) CCl4
- (b) C2 H2
- (d) ग्रेफाइट
प्रश्न 4.
एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –
- TI की + 1 ऑक्सीकरण अवस्था + 3 की अपेक्षा अधिक स्थायी होता है।
- बोरॉन के हाइड्राइड को क्या कहते हैं ?
- Two electron three center bond’ किसे कहते हैं ? .
- कॉपर सल्फेट के विलयन में अमोनिया विलयन को अधिकता में मिलाने पर क्या होगा?
- ऐलम का सूत्र लिखिए।
- C60 कार्बन क्रिस्टल का नाम क्या है?
- कौन-सा कार्बाइड हीरे से भी कठोर है?
- कार्बन के किस गुण के कारण इसके यौगिकों की संख्या इतनी अधिक है?
- कार्बन के विद्युत् सुचालक अपररूप का नाम बताइये।
- जल ग्लॉस किसे कहते हैं?
उत्तर:
- अक्रिय युग्म प्रभाव
- बोरेन
- डाइबोरेन
- क्यूप्रिक अमोनियम सल्फेट का संकर यौगिक बनेगा.
- K2SO4Al2 (SO4)3.24H20
- बकमिंस्टर फुलेरीन
- बोरॉन कार्बाइड
- श्रृंखलन का गुण
- ग्रेफाइट
- सोडियम सिलिकेट।
11 p-ब्लॉक तत्त्व अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
क्या कारण है कि कास्टिक क्षार जैसे NaOH को ऐल्युमिनियम के बर्तन में नहीं रखा जाता?
उत्तर:
कास्टिक क्षार जैसे NaOH को ऐल्युमिनियम के पात्र में रखने पर ऐल्युमिनियम क्षार में विलेय होकर सोडियम मेटा ऐल्युमिनेट बनाता है इसीलिए क्षार को ऐल्युमिनियम के पात्र में नहीं रखा जाता। 2Al + 2NaOH + 2H2O → 2NaAlO2 + 3H2
प्रश्न 2.
साधारण ताप पर ऐल्युमिनियम जल के साथ कोई अभिक्रिया नहीं करता, क्यों?
उत्तर:
वायु की उपस्थिति में AI की सतह पर पारदर्शी असरन्ध्रमय संरक्षक ऑक्साइड पर्त बन जाती है। इस पर्त के कारण साधारण ताप पर जल के साथ कोई अभिक्रिया नहीं दर्शाता।
प्रश्न 3.
आयरन तथा ऐल्युमिनियम में ऐल्युमिनियम, आयरन की तुलना में अधिक क्रियाशील है किन्तु ऐल्युमिनियम की तुलना में आयरन पर जंग सरलता से लगता है, क्यों?
उत्तर:
वायु की उपस्थिति में ऐल्युमिनियम की सतह पर पारदर्शी असरन्ध्रमय संरक्षक ऑक्साइड पर्त बन जाती है, जिसके कारण यह साधारण ताप पर वायु में उपस्थित ऑक्सीजन तथा नमी के साथ कोई अभिक्रिया नहीं दर्शाती जबकि आयरन की सतह पर सरन्ध्रमय ऑक्साइड पर्त बनती है। जिसके कारण आयरन की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। इसीलिये आयरन पर सरलता से जंग लगता है।
प्रश्न 4.
द्विक लवण या एलम का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
द्विक लवण का सामान्य सूत्र R2SO4 M2(SO4)3 है। जहाँ R कोई एकसंयोजी धातु जैसे – Na, K, Rb, Cs या NH+4 मूल तथा M त्रिसंयोजक धातु जैसे- Fe+3 Al+3 या Cr+3 हो सकता है।
उदाहरण – K2SO4 Al2 (SO4)3.24H2O पोटाश एलम
प्रश्न 5.
ऐल्युमिनियम के अयस्कों के नाम बताइये। अयस्कों के सूत्र दीजिए।
उत्तर:
ऐल्युमिनियम के अयस्क निम्नलिखित हैं –
- बॉक्साइट – Al2O3 2H2O
- डायस्योर – Al2O3H2O2
- क्रायोलाइट – Na3AlF 6
- एलुनाइट – K2SO4 Al2 (SO4)3 2Al(OH)3
- कोरण्डम – Al2O3
- फेल्स्पार – K2OA2O3 SiO3
प्रश्न 6.
क्या होता है जब (समीकरण देकर स्पष्ट कीजिए) –
- ऐल्युमिनियम क्लोराइड को गर्म करते हैं।
- फिटकरी को गर्म करते हैं।
उत्तर:
(1) ऐल्युमिनियम क्लोराइड को गर्म करने पर Al2O3प्राप्त होता है।
2AlCl3l.6H2 O → Al2O3 + 6HCl + 3H2O
(2) फिटकरी को गर्म करने पर 200°C पर सरन्ध्र पदार्थ में बदल जाती है।
K2SO4.Al2 (SO4)3 .24H2O → K2O + Al2O3 + 4SO2 + 24H2O
प्रश्न 7.
ऐल्युमिनियम एक प्रबल अपचायक है, क्यों?
उत्तर:
वे तत्व जो रासायनिक अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन दान करके धनायन बनाते हैं, अपचायक कहलाते हैं। किसी भी तत्व की अपचायक प्रवृत्ति उसके मानक इलेक्ट्रोड विभव पर निर्भर करती है। किसी भी तत्व का मानक इलेक्ट्रोड विभव का मान जितना अधिक ऋणात्मक होगा वह तत्व उतना प्रबल अपचायक होगा। Al का मानक इलेक्ट्रोड विभव -1.67 है इसलिये ऐल्युमिनियम एक प्रबल अपचायक की तरह कार्य करता है।
प्रश्न 8.
कमरे के तापक्रम पर गैलियम द्रव क्यों है ?
उत्तर:
ठोस अवस्था में गैलियम की क्रिस्टलीय संरचना इस प्रकार की होती है कि इसकी जालक ऊर्जा बहुत कम होती है तथा कम ताप पर ही इसके परमाणुओं के बीच के धात्विक बंध टूटने लगता है। इसलिये कमरे के तापक्रम पर ही गैलियम द्रव अवस्था में प्राप्त होता है।
प्रश्न 9.
बोरॉन त्रिसंयोजी आयन नहीं बनाता, क्यों?
उत्तर:
बोरॉन के छोटे आकार के कारण इसकी आयनन ऊर्जा अत्यन्त उच्च होती है तथा तृतीय आयनन ऊर्जा का मान प्रथम आयनन ऊर्जा तथा द्वितीय आयनन ऊर्जा से अधिक होता है। इसलिये बोरॉन के संयोजी कोश से तीन इलेक्ट्रॉन का सरलता से निकाला जाना या दान करना संभव नहीं है। इसलिये बोरॉन त्रिसंयोजी आयन नहीं बनाता।
प्रश्न 10.
बोरॉन के गलनांक तथा क्वथनांक अत्यधिक उच्च क्यों हैं ?
उत्तर:
बोरॉन का क्रिस्टल परमाणुओं के बीच सहसंयोजी बंध स्थापित होकर बनता है। 2 परमाणु ‘मिलकर इकोसेहेड्रॉन नेटवर्क तैयार करते हैं, जिसके 20 त्रिभुजाकार फलक तथा 12 कोने होते हैं। यह बोरॉन को अत्यधिक कठोर बनाता है इसीलिये बोरॉन के गलनांक तथा क्वथनांक अत्यधिक उच्च होते हैं।
प्रश्न 11.
बोरॉन सामान्यतः अम्ल या क्षार से अभिक्रिया नहीं करता, वह किन परिस्थितियों में अम्ल या क्षार से अभिक्रिया करता है?
उत्तर:
बोरॉन सामान्यतः अम्ल या क्षार से अभिक्रिया नहीं करता है लेकिन अम्ल यदि प्रबल ऑक्सीकारक हो तो बोरॉन उसके साथ उच्च ताप पर अभिक्रिया कर बोरिक अम्ल बनाता है। इसी प्रकार क्षार के साथ उच्च ताप पर अभिक्रिया करके बोरेट बनाता है।
प्रश्न 12.
अकार्बनिक बेंजीन किसे कहते हैं?
उत्तर:
बोरेजीन को अकार्बनिक बेंजीन कहा जाता है इसका रासायनिक सूत्र B3N3H6 है। बोरेजीन की संरचना बेंजीन के समान चक्रीय तथा समतलीय षट्कोणीय संरचना होती है।
प्रश्न 13.
कोरण्डम किसे कहते हैं ?
उत्तर:
Al एक से अधिक क्रिस्टलीय रूपों में मिलता है। इसका सबसे अधिक कठोर क्रिस्टलीय रूप कोरन्डम कहलाता है, जो अपघर्षक की तरह कार्य करता है।
प्रश्न 14.
बोरॉन के अयस्कों के नाम बताइये। अयस्कों के सूत्र दीजिये।
उत्तर:
बोरॉन के अयस्क निम्नलिखित हैं –
- बोरेक्स – Na2 B4O710H2O
- केनाइट – Na2B4O7 2H2O
- कोलेमेनाइट – Ca3[B3HO4 (OH)3] .2H2O
- आर्थोबोरिक अम्ल – H3BO3
प्रश्न 15.
सिद्ध कीजिए कि TI+3 ऑक्सीकारक है जबकि Al+3 नहीं।
उत्तर-अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण बोरॉन परिवार में +1 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व समूह में ऊपर से नीचे आने पर बढ़ता है जबकि + 3 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व घटता है इसलिये TI+1, TI+3 की तुलना में अधिक स्थायी है, अतः
अभिक्रिया से स्पष्ट है कि TI+3 का TI+1 में अपचयन हो रहा है इसलिये TI+3 ऑक्सीकारक है लेकिन Al में Al+3 ऑक्सीकरण अवस्था संभव है। किन्तु Al+3 का ऑक्सीकारक होना संभव नहीं है।
प्रश्न 16.
क्या होता है, जब बोरॉन की अभिक्रिया कास्टिक क्षार के साथ कराई जाती है?
उत्तर:
बोरॉन साधारण ताप पर क्षार के साथ कोई अभिक्रिया नहीं दर्शाता लेकिन कास्टिक क्षार NaOH या कास्टिक पोटाश KOH के साथ अभिक्रिया कर बोरेट बनाता है तथा H2 गैस मुक्त करता है।
प्रश्न 17.
विषमानुपाती अभिक्रिया को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
गैलियम +1 तथा +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है। गैलियम की +3 ऑक्सीकरण अवस्था अधिक स्थायी होती है इसलिये गैलियम की +1 ऑक्सीकरण अवस्था वाला यौगिक + 3 ऑक्सीकरण अवस्था वाले यौगिक में ऑक्सीकृत हो जाता है।
3GaCl → 2Ga + GaCl3
प्रश्न 18.
बोरिक अम्ल लुईस अम्ल की तरह कार्य करता है प्रोटिक अम्ल की तरह नहीं, क्यों?
उत्तर:
बोरिक अम्ल में केन्द्रीय धातु बोरॉन का अष्टक पूर्ण नहीं होता है। इसके संयोजी कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं इसे अपना अष्टक पूर्ण करने के लिये एक एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म की आवश्यकता होती है। इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही होने की वजह से बोरिक अम्ल लुईस अम्ल की तरह कार्य करता है। यह जल से अभिक्रिया कराने पर H + आयन मुक्त करता है।
प्रश्न 19.
कोलेमेनाइट से बोरेक्स किस प्रकार प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर:
कोलेमेनाइट को सान्द्र सोडियम कार्बोनेट विलयन के साथ उबालने पर बोरेक्स प्राप्त होता है।
Ca2B6O11 + 2Na2CO3 → Na2B4O7 + 2NaBO2 + 2CaCO3
प्राप्त निस्यंद का सान्द्रण करने पर बोरेक्स के क्रिस्टल प्राप्त होते हैं। मातृद्रव में कार्बन डाइ-ऑक्साइड प्रवाहित करने पर बोरेक्स प्राप्त होता है।
4NaBO2 + CO2 → Na2B407 + Na2CO3
प्रश्न 20.
बोरिक अम्ल पर ऊष्मा का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
बोरिक अम्ल को 100°C ताप पर गर्म करने पर मेटाबोरिक अम्ल बनता है जो उच्च ताप पर गर्म करने पर बोरिक एनहाइड्राइड बनाता है।
प्रश्न 21.
ऐलुमिना से ऐल्युमिनियम के निष्कर्षण में क्रायोलाइट का उपयोग किया जाता है, क्यों?
उत्तर:
शुद्ध ऐलुमिना का गलनांक बहुत उच्च 2050°C होता है, परन्तु क्रायोलाइट और फ्लोरस्पार की उपस्थिति में यह 870°C पर ही पिघल जाता है। इस प्रकार क्रायोलाइट ऐलुमिना का गलनांक कम कर देता है एवं वैद्युत अपघट्य का भी कार्य करता है।
प्रश्न 22.
कैसे सिद्ध करोगे कि हीरा तथा ग्रेफाइट कार्बन के अपरूप हैं ?
उत्तर:
हीरा तथा ग्रेफाइट को वायु की उपस्थिति में दहन करने पर CO2 गैस निकलती है जिसे चूने के पानी में प्रवाहित करने पर चूने का पानी दूधिया हो जाता है। जिससे स्पष्ट है कि हीरा तथा ग्रेफाइट कार्बन के . अपरूप हैं।
Cहीरा + O2 → CO2
Cप्रेफाइट + O2 → CO2
प्रश्न 23.
क्या होगा यदि हीरे के किसी टुकड़े को दहकते चारकोल में डाल दिया जाये?
उत्तर:
यदि हीरे के टुकड़े को दहकते चारकोल में डाल दिया जाये तो वह पूर्णत: जल जाएगा और जलने के पश्चात् केवल CO2 गैस प्राप्त होती है तथा दहन के पश्चात् कोई अवशेष नहीं रहता जिससे स्पष्ट है कि हीरा कार्बन का शुद्धतम रूप है।
Cहीरा + O2 → CO2
प्रश्न 24.
कार्बन मोनोऑक्साइड के उपयोग लिखिये।
उत्तर:
- यह जल गैस (CO + H2) तथा प्रोड्यूसर गैस (CO + N2) का प्रमुख घटक है।
- कुछ धातु कार्बोनिल को बनाने के लिये प्रयुक्त होता है।
- कार्बन मोनोऑक्साइड अपचायक के रूप में प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 25.
प्रकृति में ग्रेफाइट की तुलना में हीरा कम मिलता है, क्यों? .
उत्तर:
हीरे का निर्माण कार्बन की पिघली हुई अवस्था में अत्यधिक दाब से क्रिस्टलीय रूप में परिवर्तन के कारण होता है। लेकिन प्रकृति में ऐसी अवस्था बहुत कम होती है इसलिये हीरा ग्रेफाइट की तुलना में कम मिलता है।
प्रश्न 26.
शुष्क बर्फ किसे कहते हैं ? इसके प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ठोस कार्बन डाइ-ऑक्साइड को शुष्क बर्फ कहते हैं क्योंकि इसके क्रिस्टल बर्फ के समान दिखते हैं तथा ये कागज तथा कपड़े को गीला नहीं करते हैं। – 78.5° पर द्रव हुए बिना ही ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इसका उपयोग शीतलक के रूप से खाद्य पदार्थों को सड़ने से बचाने के लिये तथा शल्य चिकित्सा में निश्चेतक के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 27.
कार्बोरण्डम क्या है ? इसका प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर:
सिलिकॉन कार्बाइड की संरचना हीरे के समान कठोर होती है इसे कार्बोरण्डम कहते हैं। इसका उपयोग धातुओं में धार बनाने के लिये तथा पीसने के लिये होता है।
प्रश्न 28.
प्रशीतक, निश्चेतक एवं विलायक के रूप में प्रयुक्त होने वाले कार्बनिक यौगिक का नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 29.
ग्रेफाइट के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ग्रेफाइट के उपयोग –
- यह विद्युत् का सुचालक है। इसलिये इसका उपयोग शुष्क सेल, विद्युत् आर्क में इलेक्ट्रोड के रूप में होता है।
- इससे पेंसिल, काला पेंट, काली स्याही बनाई जाती है।
- इसके स्नेहक गुण के कारण इसका उपयोग उच्च ताप पर मशीनों को चिकना बनाये रखने में होता है।
प्रश्न 30.
कोल की किस्मों के नाम लिखिये।
उत्तर:
कोल में उपस्थित कार्बन के आधार पर इसके निम्न प्रकार होते हैं –
- पीट – इसमें 60% कार्बन होता है।
- लिग्नाइट – इसमें 70% कार्बन होता है।
- बिटुमिनस – इसमें 80% कार्बन होता है।
- ऐन्थेसाइटइसमें 90% कार्बन होता है।
प्रश्न 31.
हीरे के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
हीरे के उपयोग –
- बहुमूल्य जवाहरात के रूप में
- काँच को काटने के काम में आता है।
- चट्टानों में छेद करने के काम आता है।
- नगों पर पॉलिश करने के काम आता है।
प्रश्न 32.
कार्बन डाइ-ऑक्साइड की प्रकृति अम्लीय है। समीकरण सहित समझाइये।
उत्तर:
कार्बन डाइ – ऑक्साइड का जलीय विलयन अम्लीय होता है।
CO2 + H2O →H2CO2 (कार्बोनिक अम्ल)
यह नीले लिटमस को लाल कर देता है तथा क्षार में क्रिया कराने पर लवण बनाता है। .
2 NaOH + CO2 → Na2CO3 + H2O
Ca (OH)2 + CO2 → CaCO3 + H2O.
प्रश्न 33.
किसी बंद कमरे में अंगीठी जलाकर क्यों नहीं सोना चाहिए?
उत्तर:
बंद कमरे में अंगीठी इसलिये नहीं जलानी चाहिए, क्योंकि अंगीठी से निकलने वाली गैस में CO की मात्रा अधिक होती है। यह श्वसन की क्रिया के द्वारा शरीर के भीतर पहुँचकर रक्त की हीमोग्लोबिन के साथ संयुक्त होकर कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाती है जो शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन एवं रक्त परिवहन में बाधा उत्पन्न कर देता है। इस कारण मनुष्य को बेहोशी आ सकती है तथा उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
प्रश्न 34.
कार्बाइड क्या होते हैं ?
उत्तर:
कार्बन के वे द्विअंगी यौगिक जो कार्बन अपने से कम ऋणविद्युती या उच्च धनविद्युती तत्व के साथ बनाता है, कार्बाइड कहलाते हैं। ये अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे –
- आयनिक कार्बाइड
- धात्विक कार्बाइड
- माध्यमिक कार्बाइड
- सहसंयोजी कार्बाइड।
प्रश्न 35.
सिलिका जेल का उपयोग लिखिए।
उत्तर:
सिलिका जेल सरन्ध्र अक्रिस्टलीय ठोस हैं जिसमें 4% नमी होती है-इसका उपयोग उत्प्रेरक के रूप में पेट्रोलियम उद्योग में होता है। क्रोमेटोग्राफी में भी प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 36.
थिक्सोट्रॉपी किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी द्रव को हिलाने से या मथने से अस्थायी रूप से उसकी श्यानता घट जाती है। इस गुण को थिक्सोट्रॉपी कहते हैं। जब SiCl4 का जल-अपघटन उच्च ताप पर किया जाता है तो प्राप्त होने वाले सिलिका में थिक्सोट्रॉपी का गुण होता है।
पॉलीएस्टर तथा एपॉक्सी रेजिन एवं पेंट की श्यानता कम करने के लिये इसका उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 37.
अंतराकाशी कार्बाइड किसे कहते हैं ?
उत्तर:
संक्रमण धातुओं के क्रिस्टल जालकों के अंतराकाशी स्थानों में जब कार्बन परमाणु समावेशित होते हैं। तो ऐसे बनने वाले कार्बाइड अंतराकाशी कार्बाइड होते हैं। ये अत्यंत कठोर होते हैं तथा इनके गलनांक उच्च होते हैं।
उदाहरण – टंगस्टन कार्बाइड, आयरन कार्बाइड।
प्रश्न 38.
मेथेनाइड तथा एसीटिलाइड क्या होते हैं ?
उत्तर:
1. जो कार्बाइड जल-अपघटित होकर मेथेन देते हैं वे मेथेनाइड कहलाते हैं।
Al4C3 +12H2O →4Al(OH)3 + 3CH4
2. जो कार्बाइड जल-अपघटित होकर एसीटिलीन देते हैं, एसीटिलाइड कहलाते हैं।
CaC2 + 2H2O → Ca(OH)2 + C2H2
प्रश्न 39.
बेरीलियम तथा कैल्सियम दोनों एक ही समूह के सदस्य हैं फिर भी कैल्सियम कार्बाइड CaC2 है जबकि बेरीलियम कार्बाइड Be2C है, क्यों?
उत्तर:
कैल्सियम कार्बाइड का जल-अपघटित होकर एसीटिलीन बनता है, अतः इसकी संरचना कैल्सियम कार्बाइड के रूप में है।
जबकि बेरीलियम कार्बाइड का जल-अपघटित होकर मेथेन बनता है, अतः इसकी संरचना बेरोलियम मेथेनाइड के रूप में होनी चाहिये।
प्रश्न 40.
सिलेन तथा जर्मेन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
Si तथा Ge के हाइड्राइड को सिलेन तथा जर्मेन कहते हैं जिसे Mn H2n+2) से दर्शाते हैं जहाँ M = Si, Ge है। सिलेन में n का मान 1 से 8 तक हो सकता है। जबकि जर्मेन में n का मान 1 से 5 तक हो सकता है।
प्रश्न 41.
सक्रिय चारकोल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
चारकोल मुलायम तथा सरन्ध्र होता है। यह रंगीन पदार्थ एवं गंध वाली गैसों को शोषित कर लेता है। यदि इसको भाप में 1100°C पर गर्म किया जाता है, तो इसकी शोषण शक्ति और बढ़ जाती है और यह सक्रिय चारकोल कहलाता है।
11 p-ब्लॉक तत्त्व लघु उत्तरीय प्रश्न – I
प्रश्न 1.
क्या होता है, जब बोरिक अम्ल को गर्म किया जाता है ?
उत्तर:
बोरिक अम्ल को गर्म करने पर विभिन्न तापों पर जल के तीन अणु मुक्त करता है तथा अन्त में बोरॉन ट्राइऑक्साइड बनाता है।
प्रश्न 2.
फिटकरी क्या है ? इसका सामान्य सूत्र बताकर इसके उपयोग बताइये।
उत्तर:
पहले पोटैशियम सल्फेट और ऐल्युमिनियम सल्फेट के द्विक लवण K2SO4 AI2 (SO4)3.24H2O को फिटकरी कहते थे। परन्तु आजकल R2SO4 : M2 (SO4)3.24H2O सामान्य सूत्र वाले सभी द्विक लवण फिटकरी कहलाते हैं । जहाँ K = एकसंयोजी धातु जैसे- Na, K, Rb, Cs आदि ।
M= त्रिसंयोजी धातु जैसे – Al, Cr, Fe इत्यादि।
उपयोग –
- जल के शोधन में
- चमड़ा रंगने में
- कागज उद्योग में
- आग बुझाने के यंत्रों में
- कपड़ों की रंगाई में
- रक्त का बहना रोकने में।
प्रश्न 3.
ऐल्युमिनियम की चार मिश्र धातुओं के नाम, संघटन एवं उपयोग लिखिये।
उत्तर:
ऐल्युमिनियम की मिश्र धातुएँ –
(1) ऐल्युमिनियम ब्रांज – Cu (90%) + Al (10%)
उपयोग –
बर्तन, सस्ते आभूषण, सिक्के बनाने में।
(2) मैग्नेलियम –
Mg (10%) + Al (90%)
उपयोग –
वायुयान, औजार और तुला बनाने में।
(3) यूरेनियम – Al(95%) + Cu (4%) + Mn (0.5%) + Mg (0.5%)
उपयोग –
वायुयान बनाने में।
(4) निकेलॉय –
AI(95%) + Cu(4%) + Ni (1%)
प्रश्न 4.
ऐल्युमिनियम ताँबे की तुलना में विद्युत् का दुर्बल सुचालक है फिर भी विद्युत् केबल में ऐल्युमिनियम का उपयोग होता है। क्यों ?
उत्तर:
कॉपर, ऐल्युमिनियम की तुलना में अच्छा सुचालक है, किन्तु ऐल्युमिनियम हल्की धातु है तथा ऐल्युमिनियम का घनत्व कॉपर की तुलना में अत्यंत कम है। इस प्रकार भारानुसार ऐल्युमिनियम कॉपर की तुलना में अच्छा चालक है। इसलिये इलेक्ट्रिक वायर तथा केबल बनाने में कॉपर के स्थान पर ऐल्युमिनियम का उपयोग ज्यादा होता है।
प्रश्न 5.
बोरॉन केवल सहसंयोजी यौगिक बनाता है, क्यों?
उत्तर:
बोरॉन के छोटे आकार तथा उच्च आयनन ऊर्जा के कारण धनायन बनाने की प्रवृत्ति अत्यन्त कम होती है। इसलिये बोरॉन तीन इलेक्ट्रॉन को त्यागकर त्रिसंयोजी आयन नहीं बना सकता है। अपना स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने के लिये यह अन्य तत्वों के परमाणु के साथ इलेक्ट्रॉन का साझा करके स्थायी यौगिकों का निर्माण करता है इसलिये बोरॉन केवल सहसंयोजी यौगिक बनाता है।
प्रश्न 6.
बोरॉन के हैलाइड प्रबल लुईस अम्ल की तरह कार्य करते हैं, क्यों?
उत्तर:
बोरॉन के संयोजी कोश में तीन इलेक्ट्रॉन होते हैं। जब यह तीन हैलोजन परमाणुओं के साथ इलेक्ट्रॉन का साझा करके बोरॉन ट्राई हैलाइड बनाता है। तब भी इस बोरॉन ट्राई हैलाइड के संयोजी कोश में कुल 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं इन्हें अभी भी अपना अष्टक पूर्ण करने के लिये एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की आवश्यकता होती है। इसलिये ये इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक है तथा इलेक्ट्रॉन ग्राही की तरह कार्य करता है तथा किसी भी इलेक्ट्रॉन युग्म दाता यौगिक द्वारा दिये गये एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण कर उप-सहसंयोजी बंध बनाते हैं तथा एक योगात्मक यौगिक का निर्माण करते हैं । इसलिये ये प्रबल लुईस अम्ल की तरह कार्य करते हैं।
प्रश्न 7.
ऐल्युमिनियम को उसके अयस्कों से अपचयन विधि द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता, क्यों?
उत्तर:
ऐल्युमिनियम प्रबल धन विद्युती होने के कारण अपचायक की तरह कार्य करता है। इसलिये ऐल्युमिनियम को सरलता से ऑक्सीकृत किया जा सकता है, आयनन ऊर्जा तथा इलेक्ट्रॉन बंधुता के आधार पर यह स्पष्ट है कि ऐल्युमिनियम इलेक्ट्रॉन दाता की तरह कार्य करता है इलेक्ट्रॉन ग्राही की तरह नहीं । इसलिये इसे अपचयित नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि ऐल्युमिनियम को उसके अयस्कों के अपचयन द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 8.
गैलियम की परमाण्विक त्रिज्या ऐल्युमिनियम से कम होती है, क्यों?
उत्तर:
गैलियम में d कक्षक में 10 इलेक्ट्रॉन होते हैं। d कक्षक की आकृति इस प्रकार की होती है कि उसका परिरक्षण प्रभाव कम प्रभावी होता है। जिसके कारण बाहरी कोश के इलेक्ट्रॉन के प्रति नाभिक का आकर्षण बल अधिक होता है जिसके फलस्वरूप बाहरी कोश के इलेक्ट्रॉन नाभिक की ओर अधिक दृढ़ता से आकर्षित होने लगते हैं। जिसके कारण गैलियम की परमाण्विक त्रिज्या में कमी आती है। इसलिये गैलियम की परमाण्विक त्रिज्या ऐल्युमिनियम से कम है।
प्रश्न 9.
क्या कारण है कि बोरॉन के हैलाइड अमोनिया तथा एमीन के साथ सहसंयोजी यौगिक बनाते हैं ?
उत्तर:
बोरॉन के संयोजी कोश में तीन इलेक्ट्रॉन होते हैं । जब यह तीन हैलोजन परमाणुओं के साथ इलेक्ट्रॉन का साझा करके बोरॉन ट्राइहैलाइड बनाता है। तब भी इस बोरॉन ट्राइहैलाइड के संयोजी कोश में कुल 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इन्हें अभी भी अपना अष्टक पूर्ण करने के लिये एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की आवश्यकता होती है। इसलिये ये इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक हैं तथा इलेक्ट्रॉन ग्राही की तरह कार्य करते हैं तथा किसी भी इलेक्ट्रॉन युग्म दाता यौगिक जैसे अमोनिया या एमीन द्वारा दिये गये एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण कर उप-सहसंयोजी बंध बनाते हैं तथा एक योगात्मक यौगिक का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 10.
बोरॉन परिवार सामान्यतः + 1 तथा + 3 ऑक्सीकरण संख्या दर्शाते हैं, क्यों ?
उत्तर:
बोरॉन परिवार के सभी सदस्यों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns- np’ है । साधारण अवस्था में इनके संयोजी कोश के p उपकोश में एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन रहता है। लेकिन उत्तेजित अवस्था में 2s का एक इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर 2p उपकोश में चला जाता है। इस प्रकार उत्तेजित अवस्था में तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं । इसलिये बोरॉन परिवार के सभी सदस्य + 1 तथा + 3 ऑक्सीकरण संख्या दर्शाते हैं।
प्रश्न 11.
बोरॉन परिवार में अक्रिय युग्म प्रभाव को समझाइये।
उत्तर:
बोरॉन परिवार के सदस्य साधारण अवस्था में +1 तथा उत्तेजित अवस्था में +3 ऑक्सीकरण संख्या दर्शाते हैं। समूह में ऊपर से नीचे आने पर +1ऑक्सीकरण संख्या का स्थायित्व बढ़ता है लेकिन +3 ऑक्सीकरण संख्या का स्थायित्व कम होता है। क्योंकि संयोजी कोश के 5 कक्षक के दो इलेक्ट्रॉन बंध निर्माण में भाग नहीं लेते। इसे अक्रिय युग्म प्रभाव कहते हैं।
जब परमाणु क्रमांक में वृद्धि होती है तो इलेक्ट्रॉन d उपकोश में प्रवेश करता है तथा d तथा f उपकोश की आकृति इस प्रकार की होती है कि उनका परिरक्षण प्रभाव न्यूनतम होता है जिसके कारण संयोजी कोश के इलेक्ट्रॉनों पर नाभिक का आकर्षण बल बढ़ जाता है तथा इस आकर्षण बल में वृद्धि 5 उपकोश के इलेक्ट्रॉनों पर p उपकोश की तुलना में अधिक होती है। इसलिये ऽ उपकोश के इलेक्ट्रॉन बंध बनाने में भाग नहीं लेते।
प्रश्न 12.
कोलमेनाइट से बोरिक अम्ल किस प्रकार प्राप्त करते हैं ?
उत्तर:
कोलमेनाइट को उबलते हुये जल में विलेय करके सल्फर डाइ ऑक्साइड गैस प्रवाहित करने पर बोरिक अम्ल व कैल्सियम बाइ सल्फाइट बनता है। कैल्सियम बाइसल्फाइट विलेय रहता है जबकि बोरिक अम्ल क्रिस्टलीत हो जाता है।
- Ca2B6O11 + 4H2 O + 4SO2 → H4 B6O11 + 2Ca(HSO3 )2
- H4 B6 O11 + 7H2O → 6H3BO3
- Ca2B6O11 + 11H2O + 4SO2 → 6H3BO3 + 2Ca(HSO3)2
प्रश्न 13.
बोरेक्स काँच क्या है ?
उत्तर:
निर्जल सोडियम टेट्राबोरेट Na2 B4O7 बोरेक्स काँच कहलाता है। साधारण बोरेक्स को उसके गलनांक के ऊपर गर्म करने पर प्राप्त होता है। यह एक रंगहीन काँच जैसा पदार्थ है। वायु से नमी शोषित करके डेकाहाइड्रेट रूप में बदल जाता है। गर्म जल में विलेय है। इसका जलीय विलयन अपघटन के कारण क्षारीय होता है। गर्म करने पर श्वेत अपारदर्शी पदार्थ में फूल जाता है। निर्जल पदार्थ 740°C पर बोरेक्स काँच देता है।
Na2B4O7 + 2H2O ⇌ H2B4O7 + 2NaOH
प्रश्न 14.
बोरेक्स पर ऊष्मा के प्रभाव को समझाइये।
उत्तर:
बोरेक्स को तीव्र गर्म करने पर इसका क्रिस्टलीय जल अलग हो जाता है तथा अंततः वह पिघल कर पारदर्शी मणिका में बदल जाता है।
बोरिक एनहाइड्राइड B2O3 धात्विक ऑक्साइडों से क्रिया कर मेटाबोरेट बनाता है। जिनका अपना विशिष्ट रंग होता है। सुहागा मणिका परीक्षण के नाम से जानी जाती है यह क्रिया भास्मिक मूलकों के परीक्षण में सहायक होती है।
प्रश्न 15.
बोरेक्स बीड परीक्षण क्या है ?
उत्तर:
बोरेक्स को गर्म करने पर क्रिस्टलन जल का निष्कर्षण करके श्वेत काँच जैसा पदार्थ देता है जो मनका बना लेता है। इस मनके में सोडियम मेटाबोरेट और बोरिक एनहाइड्राइड होता है।
Na2B4O7. 10H2O →2NaBO2 + B2O2 + 10H2O
जब इस मनके को रंगीन मिश्रण के साथ गर्म किया जाता है तो बोरिक एनहाइड्राइड धातु लवण के साथ क्रिया करके मेटा बोरेट बना लेता है जिसका एक विशेष रंगीन मनका होता है।
उदाहरण –
इस परीक्षण को करने के लिये साफ प्लेटीनम तार का छल्ला बनाकर उस पर बोरेक्स के क्रिस्टल को गर्म करके एक पारदर्शक मनका प्राप्त कर लिया जाता है। गर्म मनके को रंगीन मिश्रण के साथ छुआ देते हैं और फिर ऑक्सीकारक तथा अपचायक ज्वाला पर गर्म करते हैं । रंगों के आधार पर धातुओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 16.
बोरेक्स के कितने रूप होते हैं ? इनका संक्षिप्त में वर्णन कीजिये।
उत्तर:
बोरेक्स निम्नलिखित तीन रूपों में पाया जाता है –
(1) प्रिज्मीय बोरेक्स – यह डेकाहाइड्रेट Na2B4O7 10H2O है। यह साधारण रूप है तथा साधारण ताप पर विलयन का क्रिस्टलीकरण करने पर प्राप्त होता है।
(2) अष्टफलकीय बोरेक्स – यह बोरेक्स पेन्टा हाइड्रेट Na2B4O7 ·5H2O है। यह विलयन का 60°C से ऊपर क्रिस्टलीकरण करने पर बनता है।
(3) बोरेक्स काँच – यह निर्जल सोडियम टेट्राबोरेट Na2B4O7 है । यह साधारण बोरेक्स को उसके गलनांक के ऊपर गर्म करने पर प्राप्त होता है। यह एक रंगहीन काँच जैसा पदार्थ है। यह वायु से नमी शोषित करके डेकाहाइड्रेट रूप में बदल जाता है। इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
Na2B4O7 + 2H2O → H2B4O7 +2NaOH
प्रश्न 17.
बोरेट मूलक का परीक्षण किस प्रकार करते हैं ? ..
उत्तर:
प्रयोगशाला में अम्लीय बोरेट मूलक BO-33 का परीक्षण करने के लिये लवण को एथेनॉल तथा सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करते हैं जिससे एथिल बोरेट की वाष्प निकलती है। यह वाष्प हरे कोर की ज्वाला से जलती है। वास्तव में लवण पहले बोरिक अम्ल में परिवर्तित होता है। यह बोरिक अम्ल एथेनॉल से क्रिया कर ट्राइ एथिल बोरेट बनाता है।
H3BO3 + 3C2H5OH → BOC2H5)3 + 3H2O
प्रश्न 18.
ऐल्युमिनियम क्लोराइड की संरचना को समझाइये।
उत्तर:
ऐल्युमिनियम ट्राइक्लोराइड वास्तव में डाईमर Al2Cl6 के रूप में प्राप्त होता है। Al के संयोजी कोश में तीन इलेक्ट्रॉन होते हैं। जब यह तीन क्लोरीन के साथ इलेक्ट्रॉन का साझा करके AlCl3 का निर्माण करता है तो Al के संयोजी कोश में कुल 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसे अपना अष्टक पूर्ण करने के लिये एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में AlCl3 का ऐल्युमिनियम इसके AlCl3 के क्लोरीन का इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर अपना अष्टक पूर्ण कर लेता है।
प्रश्न 19.
कुछ अभिक्रियाओं में थैलियम, ऐल्युमिनियम से समानता दर्शाता है, जबकि अन्य में यह समूह-1 के धातुओं से समानता दर्शाता है। इस तथ्य को कुछ प्रमाणों के द्वारा सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
थैलियम तथा ऐल्युमिनियम दोनों वर्ग-13 के तत्व हैं। इसके संयोजी कोश का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns – np’ है। ऐल्युमिनियम केवल + 3 ऑक्सीकरण अवस्था, प्रदर्शित करता है। ऐल्युमिनियम की भाँति, थैलियम भी कुछ यौगिकों में + 3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है। उदाहरण- TI2O3, TIC3 आदि। ऐल्युमिनियम की भाँति थैलियम भी अष्टफलकीय आयन जैसे [AIF6]-3 तथा [TIF6]-3 बनाता है। वर्ग-1 की क्षार धातुओं के समान, थैलियम अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण + 1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है। उदाहरण- TICl, TI2O आदि। क्षार धातु हाइड्रॉक्साइडों की भाँति, TIOH भी जल में विलेय है तथा जलीय विलयन प्रबल क्षारीय है। TI2SO4, क्षार धातु सल्फेटों की भाँति फिटकरी बनाता है। TI2SO2, क्षार धातु सल्फेटों की भाँति फिटकरी बनाता है तथा TI2CO3, क्षार धातु कार्बोनेट की भाँति जल में विलेय है।
प्रश्न 20.
संरचना के आधार पर हीरा तथा ग्रेफाइट के गुणों में निहित भिन्नता समझाइए।
उत्तर:
हीरा तथा ग्रेफाइट के गुणों में भिन्नता –
हीरा:
- इसमें C, sp3 संकरित है।
- इसकी ज्यामिति त्रिविमीय चतुष्फलकीय होती है।
- यह उच्च घनत्व तथा उच्च क्वथनांक के साथ
- यह ऊष्मा तथा विद्युत् का कुचालक (मुक्त इलेक्ट्रॉन मुक्त होता है) होता है।
- इसका प्रयोग काँच काटने में, आभूषणों तथा अपघर्षक के रूप में होता है।
ग्रेफाइट:
- इसमें C, sp2 संकरित है।
- इसमें ज्यामिति द्विविमीय परतीय होती है।
- यह निम्न घनत्व तथा उच्च क्वथनांक के साथ कठोरतम पदार्थ है। मुलायम तथा चिकनाई वाला पदार्थ है।
- यह ऊष्मा तथा विद्युत् का सुचालक (चौथा इलेक्ट्रॉन की अनुपस्थिति) होता है।
- यह स्नेहक के रूप में, इलेक्ट्रोड निर्माण में, पेंसिल में, क्रूसीबल (उच्च गलनांक के कारण) आदि के निर्माण में प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 21.
बैक बॉण्डिंग को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
बोरॉन ट्राइ क्लोराइड के संयोजी कोश में कुल 6 इलेक्ट्रॉन हैं, इलेक्ट्रॉन ग्राही होने की वजह से BF लुईस अम्ल की तरह कार्य करता है तथा इसे प्रबल लुईस अम्ल होना चाहिये लेकिन यह दुर्बल लुईस अम्ल की तरह कार्य करता है। BF3 में बोरॉन sp2संकरित अवस्था में होने के कारण BF3 समतलीय अणु है। इस अणु में बोरॉन का एक 2pz कक्षक पूर्णतः रिक्त रहता है। दूसरी ओर फ्लुओरीन के 2pz कक्षक में 2 इलेक्ट्रॉन हैं। ऐसी स्थिति में बोरॉन के 2pz कक्षक तथा फ्लुओरीन के 2pz कक्षक में अतिव्यापन कर बंध बना सकते हैं। इसे बैक बॉण्डिंग कहते हैं।
प्रश्न 22.
(1) BCl3 स्थायी है किन्तु B2Cl6 का अस्तित्व नहीं जबकि AlCl3 अस्थायी है, क्यों ?
(2) AlCl3 अस्थायी है, Al2Cl6 स्थायी, इसका क्या कारण है ?
उत्तर:
(1) BCl3 स्थायी है क्योंकि BCl3 के संयोजी कोश में इलेक्ट्रॉन होते हैं लेकिन बैक बॉण्डिंग (Back Bonding) के कारण बनने वाली विभिन्न अनुनाद संरचनाएँ अनुनाद के द्वारा BCl3 को स्थायित्व प्रदान करती है। लेकिन B के पास रिक्त d कक्षक नहीं है इसलिये बोरॉन क्लोरीन परमाणु द्वारा दिये जाने वाले इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण नहीं कर पाता इसलिये B2Cl6 का बनना संभव नहीं है।
(2) AlCl3 के संयोजी कोश में कुल 6 इलेक्ट्रॉन हैं अष्टक पूर्ण न होने के वजह से AlCl3 अस्थायी है लेकिन Al2Cl6 डाईमर में ऐल्युमिनियम का रिक्त d कक्षक क्लोरीन द्वारा दिये गये एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण कर अपना अष्टक पूर्ण कर लेता है इसलिये Al2Cl6 स्थायी है।
प्रश्न 23.
निम्नलिखित यौगिकों के सूत्र एवं कोई दो उपयोग लिखिए –
(1) बोरेक्स
(2) बोरिक अम्ल।
उत्तर:
(1) बोरेक्स-सूत्र-Na2B4O7.10H2O
उपयोग –
(1) अपने प्रतिरोधी गुण के कारण औषधीय साबुन बनाने में इसका उपयोग किया जाता है।
(2) चश्में के काँच (बोरोग्लास) बनाने में।
(2) बोरिक अम्ल-सूत्र – H3BO3
उपयोग –
(1) बोरिक अम्ल का उपयोग इनेमल के निर्माण में तथा बर्तनों को चमकाने में किया जाता है।
(2) बोरिक अम्ल अपने पूतिरोधी (Antiseptic) स्वभाव के कारण आँखों को धोने में काम आता है।
11 p-ब्लॉक तत्त्व लघु उत्तरीय प्रश्न – II
प्रश्न 1.
श्रृंखलन किसे कहते हैं तथा यह प्रवृत्ति किस तत्व में सबसे अधिक है और क्यों?
उत्तर:
किसी तत्व की अपने अन्य परमाणुओं के साथ संयोग कर लंबी श्रृंखला बनाने की प्रवृत्ति को श्रृंखलन कहते हैं। यह प्रवृत्ति कार्बन में सबसे अधिक होती है, क्योंकि कार्बन के छोटे आकार तथा प्रबल बंध के कारण श्रृंखला में बनने वाले बंध अधिक प्रबल व स्थायी होते हैं। Si में यह प्रवृत्ति कार्बन से कम होती है। Ge में यह प्रवृत्ति अत्यन्त कम होती है। Sn तथा Pb में यह प्रवृत्ति नगण्य होती है।
प्रश्न 2.
हीरे की संरचना लिखिये।
उत्तर:
हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु sp3 संकरित अवस्था में होता है तथा प्रत्येक कार्बन अन्य चार कार्बन परमाणुओं से एकल सहसंयोजी बंध द्वारा जुड़ा रहता है तथा प्रत्येक कार्बन परमाणु एक समचतुष्फलक के केन्द्र पर स्थित है, तथा अन्य चार कार्बन परमाणु समचतुष्फलक के कोनों पर स्थित है। इस त्रिविमीय संरचना के कारण हीरा अत्यंत कठोर व उच्च गलनांक वाला होता है। इसमें C-C बंध लंबाई 1.54 A होता है।
प्रश्न 3.
ग्रेफाइट की संरचना लिखिये।
उत्तर:
ग्रेफाइट में प्रत्येक C परमाणु sp3संकरित अवस्था में / होता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं द्वारा एकल सहसंयोजक बंध से जुड़ा रहता है एवं प्रत्येक परमाणु का चौथा इलेक्ट्रॉन मुक्त होता है। इससे C – C बंध लंबाई 1.42 A होती है। इसमें कार्बन परमाणु एक-दूसरे के साथ जुड़कर अनेक षट्भुजीय रिंग बनाते हैं। ये रिंग आपस में मिलकर तल बनाते हैं, तथा इन पर्तों के मध्य दुर्बल वाण्डर वाल्स बल होने के कारण ये पर्ते एक-दूसरे के ऊपर आसानी से फिसल सकती हैं। अतः इसका उपयोग स्नेहक के रूप में होता है।
प्रश्न 4.
कृत्रिम ग्रेफाइट बनाने की औद्योगिक विधि का रासायनिक समीकरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कृत्रिम ग्रेफाइट अमेरिका के रसायनज्ञ एडवर्ड जी. एकीसन की विधि द्वारा बनाया जाता है। इस विधि द्वारा कोक और बालू के मिश्रण 6 को एक विद्युत् भट्टी में गर्म करते हैं जिसमें कार्बन के दो इलेक्ट्रोड लगे रहते हैं जो आपस में कार्बन कोक+बालू की एक पतली सलाखा से जुड़े रहते हैं। विद्युत धारा प्रवाहित करने पर 3000°C ताप पर कार्बन सिलिका के साथ अभिक्रिया कर सिलिकॉन कार्बाइड बनाता है, इस अभिक्रिया में आयरन ऑक्साइड उत्प्रेरक का कार्य करता है। यह सिलिकॉन कार्बाइड विघटित होकर ग्रेफाइट बनाता है।
3C + SiO2 → 2CO + SiC
SiC → Si + C (ग्रेफाइट)।
प्रश्न 5.
कृत्रिम हीरा बनाने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रेफाइट की प्याली में शर्करा, चारकोल एवं आयरन ऑक्साइड का मिश्रण लेकर उसे विद्युत् भट्टी में 3000°C ताप पर गर्म करते हैं। इसके बाद इसे गलित लेड में रखा जाता है। गलित लेड का ताप लोहे की तुलना में कम होता है जिसके कारण लोहा ठोस अवस्था में आने लगता है जिसके फलस्वरूप दाब के कारण कार्बन छोटे-छोटे हीरे के क्रिस्टल के रूप में पृथक होने लगता है। लोहे को HCl में विलेय करके पृथक् कर लिया जाता है। इस प्रकार कृत्रिम हीरा प्राप्त होता है।
प्रश्न 6.
कार्बन परमाणु की संयोजकता सम्बन्धी लेवेल तथा वाण्ट हॉफ का नियम समझाइये। अथवा, कार्बन की समचतुष्फलक प्रकृति से क्या समझते हो?
उत्तर:
कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 है इसके आधार पर प्रथम कक्ष में 2 इलेक्ट्रॉन और द्वितीय कोश में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं। अत: इसकी संयोजकता चार होती है। लेवेल तथा वाण्ट हॉफ के अनुसार यदि कार्बन परमाणु को समचतुष्फलक के केन्द्र पर स्थित माने तो चतुष्फलक की चारों भुजायें कार्बन की चारों संयोजकता को दर्शाती है, किन्हीं भी दो संयोजकताओं के बीच कोण का मान 109° 28° होता है। हेनरी के प्रयोग के अनुसार कार्बन संयोजकतायें सममित रूप में व्यवस्थित होती हैं। ये अंतरिक्ष में चतुष्फलकीय रूप से व्यवस्थित होती हैं। एक ही तल में स्थित नहीं होती हैं।
प्रश्न 7.
ग्रेफाइट में स्नेहक गुण का कारण लिखिये।
उत्तर:
ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु एक-दूसरे से सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़कर षट्कोणीय जाल बनाते हैं। ये रिंग आपस में मिलकर तल बनाते हैं। ग्रेफाइट में ऐसे कई तल एक के ऊपर एक, एक-दूसरे से 3.4A की दूरी पर होते हैं तथा प्रत्येक तल दुर्बल वाण्डर वाल्स बल के द्वारा बँधे होने के कारण एक-दूसरे पर सरलता से फिसल सकते हैं जिसके कारण ग्रेफाइट नर्म होता है तथा इसके गलनांक उच्च होते हैं। इसलिये ऐसी मशीनें जो चलने पर अधिक गर्म हो जाती हैं उनके लिये ग्रेफाइट का उपयोग स्नेहक के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 8.
हीरे का उपयोग काटने वाले औजारों में किया जाता है, क्यों?
उत्तर:
हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु sp2 संकरित अवस्था में होता है तथा प्रत्येक कार्बन अन्य चार कार्बन परमाणुओं से प्रबल सहसंयोजी बंध द्वारा जुड़ा होता है। इस प्रकार हीरे में एक चतुष्फलकीय त्रि – आयामी संरचना बन जाती है जो अत्यन्त सुदृढ़ होती है। इसलिये हीरा सबसे कठोर ज्ञात तत्व है और इसलिये इसका उपयोग काटने वाले औजारों में किया जाता है।
प्रश्न 9.
हीरे में एक विशेष चमक होती है, क्यों? अथवा, हीरे का उपयोग आभूषण बनाने में होता है, क्यों?
उत्तर:
हीरे के उच्च अपवर्तनांक होने के कारण पूर्ण आंतरिक परावर्तन इसे चमकदार एवं सुंदर बना देता है। इसलिये हीरा अत्यन्त चमकीला होता है और इसका उपयोग कीमती आभूषण बनाने में होता है।
प्रश्न 10.
ग्रेफाइट मुलायम तथा हीरा कठोर होता है, क्यों ?
उत्तर:
ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु sp2संकरित अवस्था में होता है तथा ग्रेफाइट में कार्बन का प्रत्येक परमाणु अपने निकट के तीन परमाणुओं से उसी तल में जुड़कर एक षट्कोणीय जाल बनाता है। ऐसे अनेक तल एक के ऊपर एक ढीली अवस्था में सटे रहते हैं तथा इनके मध्य दुर्बल वाण्डर वाल्स बल होते हैं जिसके कारण ग्रेफाइट की पर्ते एक-दूसरे के ऊपर सरक सकती हैं इसी गुण के कारण ग्रेफाइट मुलायम होता है। हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु sp3 संकरित अवस्था में होता है जिसमें प्रत्येक कार्बन अन्य चार कार्बन परमाणुओं द्वारा सहसंयोजी बंध द्वारा जुड़ा रहता है और एक चतुष्फलकीय त्रि-आयामी संरचना बनाता है इसलिये हीरा अत्यंत कठोर होता है।
प्रश्न 11.
हीरा विद्युत् का कुचालक है जबकि ग्रेफाइट सुचालक है, कारण स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
हीरा तथा ग्रेफाइट दोनों ही कार्बन के अपररूप हैं तथा इनके परमाणु के बाह्यतम कोश में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं। हीरे में कार्बन sp3 संकरित अवस्था में होता है तथा प्रत्येक कार्बन के चारों संयोजी इलेक्ट्रॉन अपने निकटतम चार कार्बन परमाणुओं से प्रबल सहसंयोजी बंध द्वारा जुड़े होते हैं इस प्रकार किसी भी कार्बन के पास कोई स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन नहीं होता इसलिये यह अत्यन्त कठोर व विद्युत् का कुचालक है।
ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp2 संकरित अवस्था में होता है तथा प्रत्येक कार्बन केवल तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन अपने निकटतम तीन कार्बन परमाणुओं से प्रबल सहसंयोजक बंध द्वारा जुड़े रहते हैं तथा चौथा संयोजी इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रहता है। इसलिये ग्रेफाइट में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह सरलता से हो सकता है । इसलिये ग्रेफाइट नर्म एवं विद्युत् का सुचालक होता है।
प्रश्न 12.
हीरे तथा ग्रेफाइट के भौतिक गुणों को तालिकाबद्ध कीजिए।
उत्तर:
हीरे तथा ग्रेफाइट के भौतिक गुणों की तुलना –
प्रश्न 13.
सुपर क्रिटिकल द्रव क्या होता है ?
उत्तर;
किसी भी गैस को उसके क्रिटिकल ताप से कम ताप पर दबाव बढ़ाते हुये द्रवित किया जा सकता है। जिस दाब पर किसी गैस को द्रवित किया जा सकता है उसे उस द्रव का क्रिटिकल दाब कहते हैं। लेकिन CO2 गैस के ऊर्ध्वपातन गुण के कारण इसे द्रव अवस्था में नहीं लाया जा सकता इसलिये क्रिटिकल दाब से अधिक पर यह सुपर क्रिटिकल द्रव में बदल जाती है। CO2 के लिये क्रिटिकल ताप तथा क्रिटिकल दाब क्रमशः 31°C तथा 72.9 वायुमण्डलीय दाब है।
प्रश्न 14.
कार्बन मोनो-ऑक्साइड की वे अभिक्रियाएँ लिखिये जो बताती हैं कि वे हैं
1. ज्वलनशील,
2. असंतृप्त यौगिक
3. अपचायक।
उत्तर:
1. ज्वलनशील – ऑक्सीजन की उपस्थिति में यह दहन के पश्चात् CO, गैस देती है।
CO + \(\frac {1 }{ 2 }\)O2 → CO2
2. असंतृप्त यौगिक – कार्बन मोनो-ऑक्साइड असंतृप्त यौगिक होने के कारण योगात्मक यौगिक बनाती है।
3. अपचायक – धातु ऑक्साइडों से क्रिया करके धातु अवकृत करती है।
प्रश्न 15.
कार्बन तथा सिलिकॉन में समानता तथा असमानता लिखिये।
उत्तर:
समानता –
- कार्बन तथा सिलिकॉन दोनों अधातु हैं।
- दोनों के संयोजी कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 np2 है।
- दोनों अपरूपता दर्शाते हैं।
- दोनों सहसंयोजी यौगिक बनाते हैं।
- दोनों की सहसंयोजकता 4 है।
- दोनों में शृंखलन की प्रवृत्ति होती है।
- दोनों के ऑक्साइड अम्लीय हैं।
असमानता:
कार्बन तथा सिलिकॉन में असमानताएँ –
कार्बन:
- ग्रेफाइट को छोड़कर कार्बन विद्युत् का कुचालक है।
- कार्बन की अधिकतम सहसंयोजकता 4 है।
- कार्बन में श्रृंखलन की प्रवृत्ति अधिक है।
- कार्बन बहु आबंध बनाता है।
- CO ज्ञात है।
- CCl2 जल – अपघटित नहीं होता।
सिलिकॉन:
- सिलिकॉन अर्धचालक है।
- सिलिकॉन की अधिकतम सह संयोजकता 6 है।
- सिलिकॉन में श्रृंखलन की प्रवृत्ति कम है।
- सिलिकॉन बहु आबन्ध नहीं बनाता है।
- SiO अज्ञात है।
- SiC4 जल-अपघटित नहीं होता।
प्रश्न 16.
कार्बन तथा सिलिकॉन चतुर्संयोजकता दर्शाते हैं। जबकि Ge, Sn तथा Pb द्विसंयोजी होते हैं, क्यों?
उत्तर:
कार्बन तथा सिलिकॉन के छोटे आकार के कारण इनकी आयनन ऊर्जा अत्यधिक उच्च होती है। इसलिये यह इलेक्ट्रॉन का त्याग कर आयनिक यौगिक नहीं बनाते लेकिन अपना अष्टक पूर्ण करने के लिये अन्य तत्वों के परमाणुओं के साथ इलेक्ट्रॉन का साझा करके सहसंयोजी यौगिक बनाते हैं और चतुर्संयोजकता को दर्शाते हैं। Ge, Sn तथा Pb के बड़े आकार के कारण इनकी आयनन ऊर्जा अत्यन्त कम होती है।
इसलिये यह इलेक्ट्रॉन दान करके आयनिक यौगिक भी बना सकते हैं तथा इन यौगिकों में +2 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं। अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण समूह में ऊपर से नीचे आने पर समूह में + 4 ऑक्सीकरण संख्या का स्थायित्व कम होता है। लेकिन +2 ऑक्सीकरण संख्या का स्थायित्व बढ़ता है। इसलिये यह +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं।
प्रश्न 17.
SnCl4 द्रव है जबकि SnCl2 ठोस है, क्यों?
अथवा,
टिन के एक यौगिक का अणुभार 189 तथा दूसरे का 260 है। इसके बावजूद पहला यौगिक ठोस जबकि दूसरा द्रव है। ऐसा क्यों? ।
उत्तर:
SnCl4 में Sn + 2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है तथा सहसंयोजी यौगिकों का निर्माण करता है इसलिये SnCl4 द्रव है जबकि SnCl4 में Sn + 2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है तथा आयनिक यौगिकों का निर्माण करता है इसलिये SnCl4 ठोस है।
प्रश्न 18.
Si, C के समान ग्रेफाइट संरचना नहीं बनाता, क्यों?
उत्तर:
Si ग्रेफाइट के समान संरचना नहीं बनाता, क्योंकि –
1. Si, sp2 संकरित यौगिकों का निर्माण नहीं करता जबकि ग्रेफाइट में कार्बन sp2संकरित अवस्था में होता है।
2. Si की परमाण्विक त्रिज्या कार्बन की परमाण्विक त्रिज्या से अधिक है जिसके कारण Si की इलेक्ट्रॉन बंधुता आयनन ऊर्जा इत्यादि कार्बन से कम है। जिसके कारण Si, C के समान 7 बंधों का निर्माण नहीं करता।
प्रश्न 19.
कार्बन की अधिकतम सहसंयोजकता 4 है जबकि इस समूह के अन्य सदस्यों की अधिकतम सहसंयोजकता 6 है, क्यों?
अथवा
कार्बन Si के समान उच्च ऑक्सीकरण नहीं दर्शाते, क्यों?
उत्तर:
कार्बन परिवार के सभी सदस्यों के संयोजी कोश में उत्तेजित अवस्था में 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं। इन्हें अपना अष्टक पूर्ण करने के लिये 4 अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है। इसलिये अन्य तत्वों के साथ साझा कर सहसंयोजी बंध बनाते हैं। इसलिये इनकी सहसंयोजकता 4 होती है। कार्बन में d कक्षक की उपस्थिति के कारण उच्च ऑक्सीकरण संख्या संभव नहीं है।
जबकि अन्य सदस्यों में रिक्त d कक्षक की उपस्थिति के कारण उच्च ऑक्सीकरण संख्या संभव है क्योंकि रिक्त d कक्षक की उपस्थिति के कारण इलेक्ट्रॉन ग्राही की तरह कार्य करने लगता है तथा किसी भी अन्य इलेक्ट्रॉन दाता समूह द्वारा दिये गये एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण करके उप-सहसंयोजी बंध बना सकते हैं। इसलिये इनकी अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या 6 होती है।
प्रश्न 20.
CCl4 जल – अपघटित नहीं होता जबकि SiCl4 जल – अपघटित हो जाता है, क्यों?
उत्तर:
कार्बन में रिक्त d कक्षक की अनुपस्थिति के कारण उच्चतम ऑक्सीकरण संख्या 4 है तथा d कक्षक की अनुपस्थिति के कारण यह अपनी ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि नहीं कर सकता इसलिये CCl4जल अपघटित नहीं होता। जबकि Si में रिक्त d कक्षक की उपस्थिति के कारण अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या 6 है इसलिये SiCl4 जल द्वारा दिये गये एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म को सरलता से ग्रहण कर लेता है और इस प्रकार उसकी ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि हो जाती है। जिसके कारण यह सरलता से जल-अपघटित हो जाता है।
प्रश्न 21.
CO2 गैस है जबकि SiO2 उच्च गलनांक वाला ठोस है, क्यों ?
अथवा
CO2तथा SiO2 की संरचना को समझाइये।
उत्तर:
CO2की संरचना रेखीय होती है। इसमें कार्बन sp संकरित अवस्था में होता है तथा CO2 के अणु दुर्बल वाण्डर वाल्स आकर्षण बल द्वारा आकर्षित रहते हैं। इसलिये साधारण ताप पर CO2 गैस अवस्था में होता है।
SiO2 ठोस है। इसकी संरचना त्रिविम जाल के समान होती है। इसमें प्रत्येक Si चार ऑक्सीजन परमाणु के साथ चतुष्फलकीय रूप से जुड़ा होता है। Si तथा 0 परमाणु के बीच एकल सह-संयोजी बंध होता है। यह एकल। सहसंयोजी बंध वाण्डर वाल्स की तुलना में अधिक प्रबल है। इसलिये SiO2 ठोस व कठोर है तथा इसके गलनांक उच्च होते हैं।
प्रश्न 22.
CO2तथा SiO4 में तुलना कीजिए।
उत्तर:
CO2 तथा SiO2 में तुलना| –
प्रश्न 23.
कार्बन अपने समूह के अन्य सदस्यों के समान संकुल यौगिक का निर्माण नहीं करता, क्यों?
उत्तर:
किसी भी तत्व की उपसहसंयोजी या संकुल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है –
(1) छोटी परमाण्विक त्रिज्या
(2) उच्च आवेश घनत्व
(3) d कक्षक की उपस्थिति।
कार्बन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से स्पष्ट है कि कार्बन के पास रिक्त d कक्षक अनुपस्थित होता है। इसलिये वह लिगेण्ड द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण कर संकुल यौगिक नहीं बनाता। जबकि इस समूह के अन्य सदस्यों के पास रिक्त d कक्षक होता है। जिसके कारण वह लिगेण्ड द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉन युग्म को सरलता से ग्रहण करके उपसहसंयोजी बंध बना सकते हैं। इसलिये वह सरलता से संकुल यौगिक का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 24.
M+2 आयन प्रबल अपचायक है, जबकि M+4 आयन सहसंयोजी गुण दर्शाता है, क्यों?
उत्तर:
कार्बन परिवार के सभी सदस्यों के संयोजी कोश में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं तथा M +4 अवस्था में आयनन ऊर्जा अत्यधिक उच्च होती है। इसलिये सभी तत्व अपना अष्टक पूर्ण करने के लिये अन्य तत्वों के H परमाणुओं के साथ इलेक्ट्रॉन का साझा करके सहसंयोजी यौगिक बनाते हैं। जबकि दो इलेक्ट्रॉन निकालने के लिये कम आयनन ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसलिये +2 ऑक्सीकरण अवस्था में यह आयनिक यौगिकों का निर्माण करते हैं। इलेक्ट्रॉन दान करने की प्रवृत्ति के कारण यह अपचायक की तरह कार्य करते हैं।
प्रश्न 25.
सामान्यतः टिन तथा लेड के यौगिक जैसे SnCl, तथा PbCl, का उपयोग अपचायक के रूप में जबकि SnCl, तथा PbCl का उपयोग ऑक्सीकारक के रूप में होता है, क्यों?
उत्तर:
Sn तथा Pb में +2 की तुलना में +4 ऑक्सीकरण अवस्था अधिक स्थायी है। अत: Sn+2,Sn+4 में जाने की प्रवृति रखता है जिसके कारण यह दूसरों का अपचयन करता है। Sn तथा Pb में +4 ऑक्सीकरण संख्या कम स्थायी हैं। अत: Pb+2 से Pb+4 में जाने की प्रवृत्ति रखता है। इसी कारण यह दूसरों का ऑक्सीकरण करता है।
प्रश्न 26.
कार्बन से मोनो-ऑक्साइड की आर्बिटल संरचना को समझाइये।
उत्तर:
CO में कार्बन तथा ऑक्सीजन दोनों sp संकरित अवस्था में होते हैं। कार्बन का एक sp आर्बिटल ऑक्सीजन के एक sp आर्बिटल के साथ अतिव्यापन कर ०-बंध बनाते हैं। कार्बन के तथा ऑक्सीजन के दूसरे sp आर्बिटल में एक-एक इलेक्ट्रॉन युग्म होता है, जो अनाबंधित रहता है। कार्बन के pz आर्बिटल में एक इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन के pz आर्बिटल के एक इलेक्ट्रॉन से पार्वीय अतिव्यापन करके एक L – बंध बनाता है।
अब कार्बन के py आर्बिटल में एक भी इलेक्ट्रॉन नहीं है, जबकि ऑक्सीजन के py आर्बिटल में 2 इलेक्ट्रॉन हैं। इनके बीच भी पार्वीय अतिव्यापन होकर बंध बनता है। जो लुईस संरचना में उपसहसंयोजकता को दर्शाता है।
प्रश्न 27.
सिलिका उद्यान किसे कहते हैं?
उत्तर:
सोडियम सिलिकेट के संतृप्त जलीय विलयन की नली में यदि बालू, कॉपर सल्फेट, फेरस सल्फेट, निकिल सल्फेट, कैडमियम नाइट्रेट, मैंगनीज सल्फेट और कोबाल्ट नाइट्रेट आदि के क्रिस्टल डाल दें तो दो तीन दिन पश्चात् विलयन में रंग-बिरंगे पौधे उगे हुये प्रतीत होते हैं तथा यह सिलिका उद्यान कहलाता है।
प्रश्न 28.
कार्बन मोनो-ऑक्साइड की तरह सिलिकॉन मोनो-ऑक्साइड क्यों नहीं बनता?
उत्तर:
कार्बन ऑक्सीजन के साथ एक सहसंयोजी बंध बना लेने के बाद एक बंध बना सकता है। साथ ही कार्बन के एक और रिक्त 2pz आर्बिटल के साथ ऑक्सीजन के 2pz में स्थित एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म का अतिव्यापन भी हो सकता है। क्योंकि ऑक्सीजन से एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर सके इतनी ऋणविद्युतता कार्बन में है। जबकि.Si की ऋणविद्युतता भी कम है तथा आकार भी बड़ा है। जिससे वह ऑक्सीजन के साथ 3pr – 2pz बंध नहीं बना सकता इसलिये SiO संभव नहीं है।
प्रश्न 29.
भाप अंगार गैस, कार्बोरेटेड भाप अंगार गैस तथा प्रोड्यूसर गैस बनाने के लिये संतुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर:
1. भाप अंगार गैस:
यह गैस कार्बन मोनो-ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन का मिश्रण होती है। पानी की भाप को रक्त तप्त कोक पर प्रवाहित करके बनायी जाती है।
2. कार्बोरेटेड भाप अंगार गैस-भाप अंगार गैस को तेल में पड़ी हुई गर्म ईंटों पर प्रवाहित करने पर एसीटिलीन तथा एथिलीन बनती है तथा भाप अंगार गैस से मिश्रित होकर कार्बोरेटेड भाप अंगार गैस बनती है। इसमें CO = 30%, H2 = 35%, संतृप्त हाइड्रोकार्बन = 15-20%, हाइड्रोकार्बन = 10%, N2 = 2.5-5%, CO2 = 2% होती है।
3. प्रोड्यूसर गैस:
कार्बन मोनो-ऑक्साइड तथा नाइट्रोजन का मिश्रण होती है। रक्त तप्त कोक पर वायु की सीमित मात्रा प्रवाहित करने पर प्राप्त होती है।
2C + वायु (O2 + N2) → 2CO + N2
प्रश्न 30.
सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड से सिलिका जेल किस प्रकार प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर:
सिलिकॉन की क्लोरीन से क्रिया कराने पर सिलिकॉन टेट्रा क्लोराइड प्राप्त होता है।
Si + 2Cl2 → SiCl4
SiCl4 का जल-अपघटन कराने पर सिलिकॉन टेट्रा हाइड्रॉक्साइड प्राप्त होता है।
SiCl4 + 4HOH → Si(OH)4 + 4HCl
यह सिलिकॉन टेट्रा हाइड्रॉक्साइड वास्तव में सिलिसिक अम्ल मोनोहाइड्रेट है।
Si (OH)4H2SiO3.H2O
यह सिलिसिक अम्ल गर्म करने पर सिलिका में टूट जाता है।
H2SiO3 ⥨ H2O → SiO2 + 2H2O
यही सिलिका, सिलिका जेल (SiO2 xH2O) कहलाता है।
11 p-ब्लॉक तत्त्व दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
Be तथा Al में विकर्ण संबंध लिखिए।
उत्तर:
द्वितीय एवं तृतीय आवर्त में एक-दूसरे के विकर्णतः उपस्थित तत्वों के गुणों में समानता होती है विकर्णतः उपस्थित समान गुणों वाले तत्वों के बीच संबंध को विकर्ण संबंध कहते हैं।
(1) दोनों की विद्युत् ऋणात्मकता समान होती है।
Be = 1.5 Al = 1.5
(2) Be+2 तथा Al+3 के ध्रुवित करने की क्षमता लगभग समान होती है।
(3) क्षारीय मृदा धातुएँ कोमल होती हैं परन्तु बेरीलियम ऐल्युमिनियम के समान कठोर है।
(4) Be, Al के समान सान्द्र नाइट्रिक अम्ल में निष्क्रिय हो जाता है।
(5) Be2C ऐल्युमिनियम कार्बाइड की तरह जल से अभिक्रिया कर मेथेन मुक्त करता है।
- Be2C + 2H2O + 2BeO + CH4
- Al4C3 + 12H2O → 4Al(OH)3 + 3CH4
(6) Be तथा A1 की NaOH से क्रिया कर हाइड्रोजन मुक्त करते हैं।
- Be + 2NaOH →Na2BeO2 + H2
- 2Al + 2NaOH + 2H2O → 2NaAlO2 + 3H2
(7) दोनों के ऑक्साइड उभयधर्मी है।
- BeO +2HCl → BeCl2 + H2O
- BeO + 2NaOH → Na2BeO2 + H2O
- Al2O3 + 6HCl → 2AlCl3 + 3H2O
- Al2O3 + 2NaOH → 2NaAlO2 + H2O
(8) BeCl2 तथा AlCl3, द्विलक तथा बहुलक रूप में मिलते हैं।
(9) दोनों के हाइड्रॉक्साइड जल में अविलेय हैं तथा गर्म करने पर अपघटित हो जाते हैं।
- Be(OH)2 → BeO + H2O
- 2Al(OH)3 → Al2O3 + 3H2O
(10) BeCl2 तथा AlCl3 प्रबल लुईस अम्ल है।
(11) दोनों धातुएँ हैलोजन से क्रिया कर हैलाइड बनाते हैं।
- Be + Cl2 → BeCl2
- 2Al + 3Cl2 → 2AlCl3
(12) दोनों के हैलाइड सहसंयोजक प्रवृत्ति दर्शाते हैं तथा कार्बनिक विलायकों में विलेय हैं।
प्रश्न 2.
B तथा AI में समानता तथा असमानता लिखिए।
उत्तर:
समानता:
- दोनों के संयोजी कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2np1 है।
- दोनों की सहसंयोजकता 6 है।
- दोनों की ऑक्सीकरण संख्या +3 है।
- दोनों M2O3 प्रकार के ऑक्साइड बनाते हैं।
- दोनों के यौगिक प्रबल लुईस अम्ल की तरह कार्य करते हैं।
- दोनों के ऑक्साइड उभयधर्मी प्रकृति के होते बोरॉन
असमानता:
बोरॉन तथा ऐल्युमिनियम में असमानताएँ हैं –
बोरॉन:
- बोरॉन अधातु है।
- बोरॉन विद्युत् एवं ऊष्मा का कुचालक होता है।
- इसका गलनांक बहुत अधिक है।
- ये तनु HCl एवं H2SO4 के साथ क्रिया नहीं करते
- ये सान्द्र HNO3 से क्रिया करते हैं।
- B + 3HNO3 → H3BO3 + 3NO2
- ये धातु के साथ क्रिया कर मिश्र धातु बनाते हैं।
- 3Mg + 2B → Mg2B2
- बोरॉन कई हाइड्राइड बनाता है।
- बोरॉन की अधिकतम सहसंयोजकता 4 है।
- इसके कार्बाइड सहसंयोजी हैं।
ऐल्युमिनियम:
- ऐल्युमिनियम धातु है।
- ऐल्युमिनियम विद्युत् एवं ऊष्मा का सुचालक है।
- इसका गलनांक बहुत कम है।
- ये तनु HCl एवं H2SO4 से क्रिया कर H2 मुक्त करते हैं।
- 2Al + 3H2SO4 → Al2 (SO4)3 + 3H2
- ये सान्द्र HNO3 के लिये निष्क्रिय होते हैं।
- ये धातु के साथ क्रिया कर बोराइड बनाते हैं।
- ऐल्युमिनियम का हाइड्राइड अस्थायी है।
- Al की अधिकतम सहसंयोजकता 6 है।
- इनके कार्बाइड आयनिक होते हैं तथा जल अपघटित होकर मेथेन देते हैं।
प्रश्न 3.
बोरॉन अपने समूह के अन्य सदस्यों से अपसामान्य व्यवहार दर्शाता है, समझाइये।
उत्तर:
बोरॉन अपने समूह के अन्य सदस्यों से अपसामान्य व्यवहार दर्शाता है, क्योंकि –
- बोरॉन की परमाण्विक तथा आयनिक त्रिज्या कम होती है।
- आयनन ऊर्जा उच्च होती है।
- इलेक्ट्रॉन बंधुता उच्च होती है।
- d कक्षक की अनुपस्थिति है।
अपसामान्य व्यवहार:
- बोरॉन अधातु है जबकि समूह के अन्य सदस्य धातु हैं।
- बोरॉन विद्युत् का कुचालक है जबकि अन्य सदस्य विद्युत् के सुचालक हैं।
- बोरॉन सहसंयोजी यौगिक बनाता है जबकि समूह के अन्य सदस्य आयनिक यौगिक बनाते हैं।
- बोरॉन के यौगिक जल में अविलेय लेकिन कार्बनिक विलायकों में विलेय हैं जबकि समूह के अन्य सदस्यों के यौगिक जल में विलेय हैं।
- बोरॉन अन्य सदस्यों के समान त्रिसंयोजी आयन नहीं बनाता।
- बोरॉन की अधिकतम सहसंयोजकता 4 है जबकि अन्य सदस्यों की अधिकतम सहसंयोजकता 6 है।
- बोरॉन का ऑक्साइड अम्लीय है जबकि अन्य सदस्यों के ऑक्साइड उभयधर्मी या क्षारीय प्रकृति के होते हैं।
- बोरॉन अन्य धातु के साथ क्रिया करके बोराइड बनाता है जबकि अन्य सदस्य धातुओं के साथ क्रिया करके मिश्र धातु बनाते हैं।
- बोरॉन एक से अधिक प्रकार के हाइड्राइड बनाता है जबकि अन्य सदस्य केवल एक ही हाइड्राइड बनाते हैं।
प्रश्न 4.
बोरेन क्या है ? इसकी विशेषतायें व उपयोग लिखिए।
उत्तर:
बोरॉन के हाइड्राइड को बोरेन कहा जाता है। बोरॉन दो श्रेणियों में हाइड्राइड बनाता है –
निडो बोरेन श्रेणी:
इसका सामान्य सूत्र BnHn+4 +4 है। इसके प्रथम सदस्य BH5 का अस्तित्व नहीं है, दूसरा सदस्य B2H6 सबसे महत्वपूर्ण है जिसे डाइबोरेन कहा जाता है। अन्य महत्वपूर्ण सदस्य पेंटा बोरेन B5H9 हेक्साबोरेन B6H10 है।
एरेक्नो बोरेन श्रेणी:
जिसका सामान्य सूत्र BnHn+6 है। इस श्रेणी के महत्वपूर्ण सदस्य टेट्राबोरेन B4H10,पेंटा बोरेन B5H11, हेक्सा बोरेन B6H12 हैं।
बनाने की विधि:
1. BX3की अभिक्रिया लीथियम हाइड्राइड के साथ 450K ताप पर कराने पर डाइबोरेन प्राप्त होता है।
2. बोरॉन ट्राइ हैलाइड का अपचयन लीथियम ऐल्युमिनियम टेट्राहाइड्राइड के द्वारा कराने पर डाइबोरेन प्राप्त होता है।
4BCl3 + 3LiAlH4 → 2B2H6 + 3LiCl + 3AlCl3
विशेषताएँ:
- डाइबोरेन रंगहीन गैस है जबकि उच्चतर सदस्य वाष्पशील तथा ठोस हैं।
- डाइबोरेन ऑक्सीजन की उपस्थिति में दहन के पश्चात् ऊष्मा उत्सर्जित करता है। इसलिये इसका उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में करते हैं।
- यह निम्न ताप पर स्थायी होते हैं। उच्च ताप पर यह विघटित होने लगते हैं।
उपयोग:
- रॉकेट ईंधन के रूप में
- बहुलीकरण अभिक्रिया में उत्प्रेरक के रूप में।
प्रश्न 5.
डाइबोरेन की संरचना को समझाइये।
अथवा
इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक किसे कहते हैं?
अथवा
2 इलेक्ट्रॉन -3 केन्द्रीय यौगिक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
डाइबोरेन के संयोजी कोश में कुल 12 इलेक्ट्रॉन होते हैं। जिसमें से तीन-तीन इलेक्ट्रॉन दोनों बोरॉन के संयोजी कोश में तथा एक-एक प्रत्येक हाइड्रोजन के संयोजी कोश में होता है। B2H6 के स्थायी अवस्था हेतु 16 अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। डाइबोरेन के अणु में दो समतलीय BH2 समूह होते हैं तथा दो हाइड्रोजन इन दोनों BH2 समूह के मध्य लंबवत् रूप से स्थित रहते हैं। चारों कोनों पर स्थित चारों हाइड्रोजन बोरॉन के साथ सहसंयोजी बंध द्वारा जुड़े रहते हैं।
इन्हें टर्मिनल हाइड्रोजन कहते हैं। जबकि सेतु बनाने वाले हाइड्रोजन इस तल के ऊपर व नीचे लंबवत् रूप से व्यवस्थित होते हैं तथा B – H – B बंध में इलेक्ट्रॉन की न्यूनता होती है। इस बंध संरचना में 2 इलेक्ट्रॉन 3 परमाणुओं को जोड़ने का कार्य करते हैं इसलिये इन्हें 2- इलेक्ट्रॉन 3- केन्द्र यौगिक कहते हैं तथा इलेक्ट्रॉन की न्यूनता के कारण इन्हें इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक कहते हैं।
प्रश्न 6.
बोरॉन तथा कार्बन में तुलना कीजिए।
उत्तर:
समानता:
- बोरॉन तथा कार्बन दोनों अधातु हैं।
- दोनों अपरूपता दर्शाते हैं।
- दोनों एक से अधिक प्रकार के हाइड्राइड बनाते हैं।
- दोनों के यौगिक सहसंयोजी यौगिक होते हैं।
- दोनों के यौगिक कार्बनिक विलायकों में विलेय हैं।
- बोरॉन का क्रिस्टलीय रूप भी डायमंड के समान कठोर है।
- CO2 तथा B2 O3 दोनों क्षार में विलेय होकर कार्बोनेट तथा बोरेट बनाते हैं।
2NaOH + CO2 → Na2 CO3 + H2 O
2NaOH + B5O3 → Na2 B2 O3 + H2O
असमानता:
बोरॉन तथा कार्बन में असमानताएँ –
बोरॉन:
- बोरॉन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2-2s22p1 है।
- बोरॉन की सहसंयोजकता 3 है।
- बोरॉन द्विबंध तथा त्रिबंध नहीं बनाता।
- बोरॉन के यौगिक इलेक्ट्रॉन न्यून हैं।
- कार्बन के यौगिक लुईस अम्ल नहीं हैं।
कार्बन:
- कार्बन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s22s22p1 है।
- कार्बन की सहसंयोजकता 4 है।
- कार्बन द्विबंध तथा त्रिबंध बनाता है।
- कार्बन के यौगिक इलेक्ट्रॉन न्यून नहीं हैं।
- बोरॉन के यौगिक लुईस अम्ल हैं।
प्रश्न 7.
BCl3 तथा AlCl3 की संरचना में तुलना कीजिए।
उत्तर:
BCl3 एक इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक है जो हमेशा एकलक अवस्था में मिलता है। BCl3 में बोरॉन sp2 संकरित अवस्था में होता है। इसलिये इसकी संरचना त्रिफलकीय होती है तथा बंध कोण 120° होता है। क्योंकि बोरॉन की परमाण्विक त्रिज्या छोटी होती है तथा क्लोरीन सेतु अस्थायी होता है इसलिये यह द्विलक संरचना नहीं बनाता। AlCl3 सदैव द्विलक संरचना के रूप में होता है इस द्विलक संरचना र में प्रत्येक Al परमाणु दूसरे Al से जुड़े क्लोरीन परमाणु से एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर अपना अष्टक पूर्ण कर लेता है तथा स्थायित्व प्राप्त कर लेता है।
प्रश्न 8.
गोल्ड श्मिट की ऐल्युमिनो थर्मिक विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा
थर्माइट वेल्डिंग विधि को समझाइये।
उत्तर:
कुछ धात्विक ऑक्साइडों, जैसे – Cr2O3
Fe2O3 आदि का कार्बन से अपचयन नहीं होता है। इनका अपचयन ऐल्युमिनियम चूर्ण द्वारा किया जाता है तो इस विधि को गोल्ड श्मिट ऐल्युमिनो तापी विधि या थर्माइट. विधि कहा जाता है।
Cr2O3 + 2Al → Al2O3 + 2Cr
Fe2O3 + 2Al → 2Fe + Al2O3
इस विधि में एक अग्निसह क्रूसीबल में धातु ऑक्साइड एवं Al चूर्ण जिसे थर्माइट कहते हैं, भरते हैं। इस मिश्रण में फायर क्ले का साँचा Mg फीते के द्वारा जिसके सिरे पर Mg चूर्ण एवं बेरियम परॉक्साइड की पोटली बँधी होती है, आग लगा देते हैं। अभिक्रिया के ऊष्माक्षेपी होने के कारण उच्च ताप उत्पन्न होता है और ऑक्साइड के अपचयित होने के कारण धातु मुक्त होती है। इस विधि का उपयोग टूटे हुये लोहे के गर्डर या मशीनों के पुों को जोड़ने के लिये होता है।
प्रश्न 9.
फिटकरी बनाने की विधि, गुण तथा उपयोग लिखिए।
अथवा
फिटकरी क्या है ? इसका सामान्य सूत्र लिखकर कोई एक उदाहरण दीजिए तथा फिटकरी के कोई चार उपयोग लिखिए।
उत्तर:
वे द्विक सल्फेट लवण जिनका सामान्य सूत्र R2SO4 · Al2 (SO4)3 24H2O होता है फिटकरी या एलम कहलाते हैं जहाँ R एकसंयोजी धातु जैसे – Na, K, NH4 इत्यादि और M त्रिसंयोजक धातु जैसे – Al, Fe, Cr आदि होता है।
नामकरण:
1. वे फिटकरी जिनमें त्रिसंयोजक धातु के रूप में Al रहता है उसमें उपस्थित एकसंयोजक धातु या मूलक के एकलक के नाम से जानी जाती है। जैसे –
K2SO4 . Al2 (SO4)3 24H2O (पोटाश एलम)
(NH4)SO4Al2 (SO4)3 24H2O (अमोनियम एलम)
2. वे फिटकरी जिनमें Al नहीं होता उनमें उपस्थित दोनों धातुओं के नाम से जानी जाती है।
K2SO2 Cr(SO4)3 .24H2O (पोटैशियम क्रोमियम एलम)
(NH4)2 SO4. Fe2 (SO4)3.24H2O (अमोनियम आयरन एलम)
बनाने की विधि:
(1) पोटैशियम सल्फेट के विलयन में ऐल्युमिनियम सल्फेट की सम अणुक मात्रा का विलयन मिलाकर विलयन का क्रिस्टलन करने पर एलम प्राप्त होता है।
K2SO4 + Al2 (SO4)3 + 24H2O → K2SO4 . Al2 (SO4)324H2O
(2) एलम स्टोन से:
एलम स्टोन K2SO4 Al2 (SO4)3.4Al(OH)3 को बारीक पीस कर तनु H,SO, के साथ उबाला जाता है। प्राप्त विलयन को छानकर आवश्यक मात्रा में K2SO4मिलाकर सम्पूर्ण विलयन का सान्द्रण कर क्रिस्टलन करने पर फिटकरी के क्रिस्टल प्राप्त होते हैं।
K2SO4 + Al2 (SO4)3 + 4AI(OH)3+ 6H2SO4 → K2SO4 + 3Al2 (SO4)2 + 12H2O K2SO4 + Al2 (SO4)3 + 24H2O → K2SO4 + Al2 (SO4).24H2O
गुण:
- रंगहीन, अष्टफलकीय क्रिस्टल।
- इसका जलीय विलयन जल-अपघटन के कारण अम्लीय होता है।
- जल में विलेय परन्तु ऐल्कोहॉल में अविलेय।
- गर्म करने पर 92°C पर पिघल जाता है। 200°C तक गर्म करने पर सम्पूर्ण क्रिस्टलन जल के निकल जाने के कारण सरन्ध्र होकर फूल जाता है इस प्रकार की फिटकरी को जली हुई फिटकरी कहते हैं।
उपयोग:
- रक्त के बहाव को रोकने में
- कपड़े की रंगाई और छपाई में
- चमड़ा पकाने में
- कागज को चिकना करने में
- जल को साफ करने में।
प्रश्न 10.
कार्बन अपने समूह के अन्य सदस्यों की तुलना में अपसामान्य व्यवहार दर्शाता है, क्यों? उत्तर- कार्बन अपने समूह के अन्य सदस्यों की तुलना में अपसामान्य व्यवहार दर्शाता है, क्योंकि
- परमाण्विक त्रिज्या तथा आयनिक त्रिज्या कम होती है।
- आयनन ऊर्जा उच्च होती है।
- उच्च इलेक्ट्रॉन बंधुता,
- d कक्षक की अनुपस्थिति।
अपसामान्य व्यवहार:
- कार्बन के गलनांक तथा क्वथनांक अन्य सदस्यों की तुलना में उच्च है।
- C की श्रृंखलन की प्रवृत्ति अन्य सदस्यों से अधिक है।
- कार्बन बहुआबन्ध बनाता है। जबकि अन्य सदस्य बहुआबन्ध नहीं बनाते।
- C का मोनो-ऑक्साइड ज्ञात है जबकि अन्य सदस्यों के मोनो-ऑक्साइड अज्ञात हैं।
- C की अधिकतम सहसंयोजकता 4 है जबकि अन्य सदस्यों की अधिकतम सहसंयोजकता 6 है।
- कार्बन अन्य सदस्यों की तरह संकुल यौगिकों का निर्माण नहीं करता।
- कार्बन एक से अधिक प्रकार के हाइड्राइड बनाता है जबकि अन्य सदस्य केवल एक ही प्रकार के हाइड्राइड बनाते हैं।
- CCl4 जल-अपघटित नहीं होता जबकि अन्य सदस्यों के टेट्रा हैलाइड सरलता से जल-अपघटित हो जाते हैं।
- CO2 गैस है जबकि अन्य सदस्यों के डाइऑक्साइड ठोस हैं।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए –
1. फ्रिऑन,
2. सिलिकॉन।
उत्तर:
1. फ्रिऑन:
डाइ क्लोरो डाइ – फ्लोरोमिथेन को फ्रिऑन कहते हैं, कार्बन टेट्रा क्लोराइड की अभिक्रिया HF या SbF3 के साथ SbCl5 की उपस्थिति में कराने पर फ्रिऑन बनता है। फ्रिऑन का उपयोग प्रशीतक के रूप में रेफ्रिजरेटर तथा ए.सी. में करते हैं।
2. सिलिकॉन:
सिलिकॉन एक संश्लेषित बहुलक है। जिसकी मूल इकाई R2 SiCl2 है। इसका मूलानुपाती सूत्र कीटोन के समान होता है इसलिये इन्हें सिलिकॉन नाम दिया है। एल्किल हैलाइड और Si की अभिक्रिया Cu की उपस्थिति में 575K ताप पर कराने पर डाइ-एल्किल डाइ-क्लोरो हैलाइड सिलेन प्राप्त होता है।
इनका जल:
अपघटन कराने पर Si – Cl बंध टूटने लगता है तथा Cl का प्रतिस्थापन OH समूह द्वारा होने लगता है।
OH बंध बनने के बाद संघनन होने लगता है। इस प्रक्रम में HO के अणु निकलते हैं और सिलिकॉन प्राप्त होता है।
गुण:
- रासायनिक रूप से निष्क्रिय
- जल प्रतिकर्षी
- कुचालक
- ऊष्मा द्वारा अप्रभावित या.. ऊष्मा प्रतिकर्षी।
उपयोग:
- वॉटर प्रूफ पेपर के रूप में
- स्नेहक के रूप में।
प्रश्न 12.
फुलेरीन्स पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
फुलेरीन्स कार्बन का क्रिस्टलीय अपरूप है, किन्तु इसकी गेंद के समान आकृति होती है तथा प्रत्येक गोलीय क्रिस्टल में कार्बन के 60 परमाणु होते हैं, इस प्रकार से इसके क्रिस्टल धूल के कणों के समान होते हैं। एक क्रिस्टल इकाई का सूत्र C60, Cr70, C84 होता है। C60 फुलेरीन्स को बकमिन्स्टर फुलेरीन भी कहा जाता है। ग्रेफाइट को विद्युत् आर्क में हीलियम या ऑर्गन माध्यम में वाष्पीकृत कर संघनित्र करने से धूल के समान पाउडर एकत्र होता है।
गुण:
फुलेरीन्स धूल के कण के समान होते हैं जो चिकने तथा गोल होते हैं। कार्बनिक विलायकों में विलेय होकर रंगीन विलयन देते हैं। सोडियम जैसी क्षार धातुओं से क्रिया कर Na3C60यौगिक देता है । पराबैंगनी किरणों में फुलेरीन्स का बहुलीकरण होता है। जबकि लगभग 1375K तापक्रम पर भी इनके क्रिस्टल टूटते नहीं हैं।
संरचना:
फुलेरीन्स में 20 छ: कार्बन परमाणु के चक्र तथा 12 पाँच कार्बन परमाणु के चक्र होते हैं। सभी पाँच परमाण्विक चक्र छः परमाण्विक चक्र के साथ जुड़े रहते हैं। जिससे एक गोलीय सममित आकृति प्राप्त होती है। इसीलिये Co60 फुलेरीन्स बकी बॉल के नाम से भी जाना जाता है । फुटबॉल की तरह यह पिंजरा होता है। प्रत्येक गोले का व्यास 700 pm होता है।
उपयोग:
- स्नेहक के रूप में
- क्षार धातुओं के साथ बने यौगिक अतिचालक के रूप में।
प्रश्न 13.
जियोलाइट पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जियोलाइट एक प्रकार के जटिल सिलिकेट हैं जिनमें कुछ सिलिकॉन आयनों को प्रतिस्थापित कर Al+3 आयन जुड़े रहते हैं। Si+4 तथा Al+3 आयन की संयोजकता के अंतर को संतुलित करने के लिये कुछ अन्य आयन जैसे – Na+, K+; Ca+2, Mg+2 इत्यादि उपस्थित रहते हैं। जो अणु को विद्युत् उदासीन बनाये रखते हैं। इनका सामान्य सूत्र Mx [(AIO2)x(SiO2)y] – mH2O है।
उदाहरण:
Na2[Al2Si3O10].2H2O
Ca[Al2Si7O18].6H2O
जियोलाइट की संरचना मधुमक्खी के छत्ते के समान होती है। इसमें विभिन्न आकार के छिद्र व गुहिकाएँ होती हैं। इन छिद्रों का आकार 260 pm से 740 pm के मध्य होता है इन छिद्रों में उचित आकार के अणुओं या आयनों का अवशोषण हो सकता है।
तथा गुहिकाओं के द्वारा जल आदि अणुओं का उत्सर्जन व अवशोषण हो सकता है। इसलिये इन्हें आण्विक चालनी भी कहते हैं तथा ये आकार चयन करने वाले उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं। इनके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रिया इनमें उपस्थित छिद्रों के आकार तथा अभिकारक व उत्पाद के आकार पर निर्भर करती है।
संरचना:
चतुष्फलकीय SiO-44 आयन की 24 इकाइयाँ जुड़कर जियोलाइट का एक ब्लॉक निर्मित करती है। इस घनीय अष्टफलकीय ब्लॉक या सोडालाइट केज कहते हैं। सोडालाइट केज के ये ब्लॉक चार सदस्यीय रिंग के द्वारा आपस में जुड़कर द्विविमीय अथवा त्रिविमीय नेटवर्क का निर्माण करते हैं । इस प्रकार की संरचना के कारण जियोलाइट की संरध्रता बहुत अधिक होती है। यदि सोडालाइट केज के ब्लॉक दोहरी छः सदस्यीय रिंग के द्वारा जुड़े होते हैं तो बनने वाला नेटवर्क फौजासाइट कहलाता है।
उपयोग –
- व्यावसायिक एवं घरेलू उपयोग में जियोलाइट का उपयोग आयन विनिमय द्वारा पानी को शुद्ध करने में किया जाता है।
- गैसों के पृथक्करण में – जियोलाइट की छिद्रयुक्त संरचना के उपयोग से प्राकृतिक गैसों से H2O, CO2 एवं SO2 को पृथक् किया जाता है।
- कृषि क्षेत्र में प्राकृतिक जियोलाइट क्लिनोप्टिलोलाइट (Clinoptilolite) का उपयोग भूमि उपचार में किया जाता है। यह भूमि में धीरे-धीरे पोटैशियम को मुक्त करता है।
- डिटर्जेन्ट बनाने में – कृत्रिम जियोलाइट का उपयोग डिटर्जेन्ट बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 14.
CO2की लुईस संरचना एवं अनुनाद संरचना लिखिए।
उत्तर:
संरचना:
CO2 की लुईस संरचना निम्नानुसार है –
CO2 की मानक ऊष्मा AH° f = -393.5kJ/mol होती है तथा C – O बंध लंबाई 115 pm होती है। इससे स्पष्ट है कि लुईस संरचना के आधार पर CO2 का जो स्थायित्व आना चाहिये CO2 उससे भी अधिक स्थायी है। यह तभी संभव है जब CO2 की अनुनाद संरचना संभव है। कार्बन डाइ-ऑक्साइड अग्रलिखित अनुनाद संरचना का अनुनाद संकर है।
ऑर्बिटल संरचना – CO2 में कार्बन sp संकरित अवस्था में तथा दोनों ऑक्सीजन sp2संकरित अवस्था में होते हैं। प्रत्येक ऑक्सीजन के दो-दो sp कक्षक में अनाबंधित इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं। एक sp2 कक्षक कार्बन के sp2 कक्षक के साथ अतिव्यापन करके बंध बनाता है। एक ऑक्सीजन का pzकक्षक कार्बन के pzकक्षक से पाश्वर्ती अतिव्यापन करके 7 बंध बनाता है। दूसरे ऑक्सीजन का py कक्षक कार्बन के py कक्षक से पाश्वर्ती अतिव्यापन करके 7 बंध बनाता है। इस प्रकार CO2 का अणु रेखीय होता है तथा इसका द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है।
प्रश्न 15.
(a) R2SiCl2 तथा RSiCl3के जल – अपघटन से बनने वाले सिलिकोन्स में मूलभूत अंतर क्या है ?
(b) [SiF6]-2 ज्ञात है जबकि [SiCl6]-2 नहीं, क्यों?
उत्तर:
(a) R2SiCl2 के जल-अपघटन से सिलिकोन्स का रेखीय बहुलक बनता है।
जबकि RSiCl3 के जल – अपघटन से सिलिकोन्स का द्विविमीय बहुलक बनता है।
(b) फ्लुओराइड आयनों का आकार छोटा होता है इसलिये सिलिकॉन परमाणु 6 फ्लुओराइड आयनों को समाहित कर सकता है। इसलिये [SiF6]-2 ज्ञात है जबकि क्लोराइड के बड़े आकार के सिलिकॉन क्लोराइड आयनों को समाहित नहीं कर सकता इसलिये [SiCl6]-2 अज्ञात है।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
(1) सोडियम जियोलाइट
(2) सोडियम सिलिकेट
(3) सिलिकोन्स।
उत्तर:
(1) सोडियम जियोलाइट:
सोडियम और ऐल्युमिनियम के मिश्रित सिलिकेट्स को परम्यूटिट कहते हैं। इसका सूत्र Na2 [Al2SiO8.xH3O] है। इसको सोडियम जियोलाइट या सोडियम परम्यूटिट भी कहते हैं। कठोर पानी स्तम्भ में रखते हुए परम्यूटिट से प्रवाहित पुनर्निर्माण हेतु किया जाता है। कैल्सियम और मैग्नीशियम लवण सोडियम NaCl विलयन द्वारा विस्थापित हो जाते हैं। सोडियम लवण जल को कठोर नहीं करते। इस प्रकार मृदु जल प्राप्त होता है। बाइ-सोडियम परम्यूटिट Na2P से व्यक्त किया जाये तो पानी को मृदु बनाने की अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार लिखी मृदु जल जा सकती हैं –
इस विधि द्वारा पानी की अस्थायी कठोरता भी दूर की जा सकती है।
(2) सोडियम सिलिकेट:
यह काँच की भाँति चमकदार तथा जल में विलेय है, इसी कारण यह जल काँच (Water glass) कहलाता है। यह सोडियम कार्बोनेट और बालू के मिश्रण को एक परावर्तनी भट्टी में गलाकर बनाया जाता है।
Na2CO3 + SiO2 Na2SiO3 + CO2
प्राप्त पदार्थ कड़ा होने पर काँच जैसा-ठोस कठोर जल होता है तथा जल में विलेय हो जाता है सोडियम मृदु जल सिलिकेट के संतृप्त जलीय विलयन को नली में बालू CuSO4, FeSO4, NISO4, Cd(NO3)2 MnSO4 और CO(NO3)2 आदि के क्रिस्टल डाले तो दो तीन दिन पश्चात् विलयन में रंग बिरंगे पौधे उगे हुए प्रतीत होते हैं जो सिलिका गार्डन कहलाता है।
(3) सिलिकोन्स:
ये सिलिकॉन और कार्बन क्वार्टजी यौगिकों के रेजिन है ये प्रायः रेत NaCl तथा पेट्रोलियम से बनाये जाते हैं। इनको गैस, चिपचिपे द्रव, रबर की भाँति ठोस या पत्थर के समान कठोर ठोस रुप में प्राप्त किया जा सकता है। ये कार्ब सिलिकॉन बहुलक है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions