MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 18 ‘विप्लव-गान’ (कविता, बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’)
विप्लव-गान पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
विप्लव-गान लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि की तान से कौन भस्मसात् हो रहे हैं?
उत्तर:
कवि की तान से पहाड़ भस्मसात हो रहे हैं।
प्रश्न 2.
किस वस्तु को कवि विष में बदलने की बात करता है?
उत्तर:
माता की छाती के अमृतमय दूध को कवि विष में बदलने की बात करता है।
प्रश्न 3.
विश्वम्भर की वीणा का विश्लेषण क्या है?
उत्तर:
विश्वम्भर की वीणा का विश्लेषण पोषक है।
विप्लव-गान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
विप्लव-गायन से क्या तात्पर्य है? कवि ने विप्लव के कौन से लक्षण गिनाए हैं?
उत्तर:
विप्लव-गायन से तात्पर्य है-अंध-विचारों और जीर्ण-शीर्ण सामाजिक मान्यताओं को समाप्त करने की प्रेरणा देना। कवि ने विप्लव के अनेक लक्षण गिनाए हैं, जैसे-प्राणों के लाले पड़ जाना, त्राहि-त्राहि मच जाना, नाश-सत्यानाश का धुआँधार छा जाना, आग बरसना, बादल जल जाना, पहाड़ का राख में मिल जाना, आकाश की छाती का फट जाना, तारों का खण्ड-खण्ड होना, कायरता का काँपना, रूढ़ियों का समाप्त होना, अंध-विचारों का अंत होना, सामाजिक बन्धनों का टुकड़े-टुकड़े हो जाना, संसार का भरण-पोषण करने वाली ईश्वर की वीणा का मौन हो जाना, भगवान के सिंहासन का थर्राना, चारों ओर नाश-नाश और महानाश ही की ध्वनि सुनाई देना, प्रलयंकारी दृश्य उपस्थित हो जाना आदि।
प्रश्न 2.
कवि किन-किन रूढ़ियों को समाप्त करना चाहता है?
उत्तर:
कवि परम्परागत जीर्ण-शीर्ण मान्यताओं और सभी प्रकार की भज्ञानता – व मूढ़ तथा अन्धविचारों की रूढ़ियों को समाप्त करना चाहता है।
प्रश्न 3.
नए सृजन के लिए ध्वंस की आवश्यकता क्या है? इस कथन के आधार पर कवि द्वारा वर्णित तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नए सजन के लिए ध्वंस की आवश्यकता है –
- युग की जीर्ण-शीर्ण परम्परागत मान्यताओं को समाप्त करके उनके स्थान पर नई और स्वस्थ मान्यताओं को अंकुरित किया जा सके।
- पाप-पुण्य के सद्सद्भावों की परख की जा सके।
- कायरता काँप उठे और चले आ रहे अंध मूढ़ विचार समाप्त हो जाएँ।
- लीक पर चलने की परम्परा समाप्त हो।
- नियमों-उपनियमों के बंधन टुकड़े-टुकड़े हो जाएँ।
विप्लव-गान भाव विस्तार/पल्लवन
प्रश्न.
- 1. “प्रलयंकारी आँख खुल जाए’ से तात्पर्य क्या है?
- 2. “अंधे मूढ़ विचारों की वह अचल शिला विचलित हो जाए” में कवि क्या संदेश देना चाहता है?
- 3. “कायरता काँपे, गतानुगति विगलित हो जाए” का भाव पल्लवन कीजिए।
- 4. व्याख्या कीजिए?
“नियम और उपनियमों ……… प्रांगण में घहराए।”
उत्तर:
1. “प्रलयंकारी आँख खुल जाए” से तात्पर्य है-सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रलयंकारी, क्रान्ति का आना बेहद जरूरी है। उससे ही आमूलचूल अपेक्षित परिवर्तन सम्भव है।
2. “अंधे मूढ़ विचारों की वह अचल शिला विचलित हो जाए” में कवि यह संदेश देना चाहता है कि साधारण नहीं अपितु परम्परागत रूढ़ियाँ प्रलयंकारी क्रान्ति. से ही जड़ समेत हो जाएँगी।
3. “कायरता काँपे, गतानुगति विचलित हो जाए।”
उपर्युक्त काव्यांश के द्वारा कवि ने यह भाव प्रस्तुत करना चाहा है कि अभूतपूर्व और प्रलयंकारी क्रान्ति के आने से चारों ओर उथल-पुथल मच जाता है। चारों ओर . ताजगी, नयापन और उमंग का वातावरण फैलने लगता है। इस प्रकार के वातावरण में निठल्लापन, आलस्य, उदासी, निराशा आदि विकास की बाधाएँ दूर भाग जाती हैं। इसके साथ ही चले आते हुए अंधे मूढ़ विचार और परम्परागत सामाजिक नियम-उपनियम दरकिनार होने लगते हैं। इस प्रकार की क्रान्ति सचमुच में युगों की अपेक्षाओं और आशाओं के अनुरूप खरी उतरती है।
4. व्याख्या
“नियमों और उपनियमों के….प्रागंण में घहराए।”
व्याख्या:
हे कवि! तुम्हारी ऐसा ज्ञान हो जिसे सुनकर सभी प्रकार के सामाजिक बंधन, चाहे वे किसी छोटे-छोटे नियमों से बँधे हों या बड़े-बड़े नियमों से बँधे, वे एक-एक करके खण्ड-खण्ड हो जाएँ। इसे देखकर संत का भरण-पोषण करने वाले ईश्वर की पोषण करने वाली वीणा के तार मौन हो जाएँ। इसी प्रकार महाशिव का शान्ति दण्ड टूटकर बिखर जाए और उनका सिंहासन काँप उठे। उनका पोषण करने वाला श्वासोच्छवास संसार के प्रांगण (आँगन) में घहराने लगे। फिर पूरी तरह से नाश-नाश और महानाश ही की भयंकर ध्वनि गूंज उठे। इस तरह चारों ओर ऐसा भयानक दृश्य उपस्थित हो जाए, मानो प्रलयंकारी आँखें खुल गई हों।
विप्लव-गान भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
पाप-पुण्य दो विरोधी शब्दों की जोड़ी है, इसी आधार पर पोषक, नाश, कायरता, दाएँ शब्दों की जोड़ी बनाइए
उत्तर:
शब्द
प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए –
आँखों का पानी सूखना, धूल उड़ना, प्राणों के लाले पड़ना, छाती फटना, तारे टूटना।
उत्तर:
विप्लव-गान योग्यता विस्तार
प्रश्न 1.
“नवीन” जी की इस कविता से मिलती-जुलती किसी अन्य कवि की कोई कविता खोजकर उसे विद्यालय के प्रदर्शन बोर्ड पर प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।
प्रश्न 2.
कभी आपने आँधी-तूफान का सामना किया हो तो उसका अनुभव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।
प्रश्न 3.
“नवीन” जी का सम्बन्ध उज्जैन से रहा है, हिन्दी के किन-किन साहित्यकारों का सम्बन्ध उज्जैन से रहा, उसे खोजिए और उसे सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।
विप्लव-गान परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
विप्लव-गान लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कवि की तान से आकाश में क्या छा जाता है?
उत्तर:
कवि की तान से आकाश में त्राहि-त्राहि का स्वर छा जाता है।
प्रश्न 2.
कवि किसे विचलित होने की बात करता है?
उत्तर:
कवि अंध मूढ़ विचारों की अचल शिला विचलित होने की बात करता है।
प्रश्न 3.
कवि किसकी आँखें खुल जाने की बात करता है?
उत्तर:
कवि नाश! नाश! हो महानाश!! की प्रलयंकारी आँखें खुल जाने की बात करता है।
विप्लव-गान दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कवि किससे क्या करने के लिए कहता है और क्यों?
उत्तर:
- कवि ने कवि से अपनी क्रान्तिकारी कविता की तान सुनाने के लिए कहता है। यह इसलिए कि वह उसे क्रान्ति का सूत्रधार मानता है।
- उसकी कविता के गीत युग-परिवर्तन की शक्ति रखते हैं।
- उसके गीतों में निर्माण और विनाश की स्थिति को दर्शाने की सामर्थ्य है।
- उसमें काव्य-रचना का वह गुण-प्रतिभा है, जो युगों बाद किसी कवि में दिखाई देती है।
- वह कवि की विचारधारा के ही समान नवीनता का समर्थक और पुरातनता का घोर विरोधी है।
प्रश्न 2.
प्रस्तुत कविता में प्रकृति के किन-किन रूपों का चित्रण हुआ है?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में प्रकृति के अनेक भीषण और ध्वंसकारी रूपों का चित्रण हुआ है ; जैसे-आकाश में त्राहि-त्राहि का भयंकर शोर सुनाई पड़ना, बादलों का जल उठना, पहाड़ों का राख में मिल जाना, आकाश की छाती फट जाना, तारों का खण्ड-खण्ड हो जाना, अंतरिक्ष में नाश करने वाली ध्वनि का मँडराना, शान्ति दण्ड धारण करने वाले शिव के शान्ति दण्ड का टूट जाना और उनके सिंहासन का थर्रा जाना आदि।
प्रश्न 3.
प्रस्तुत कविता के मुख्य भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि को सम्बोधित इस कविता में रचनाकार ने कवि को क्रान्ति का सूत्रधार मानते हुए उसे परम्परागत और जीर्ण-शीर्ण समाज को ध्वंस करने के लिए विप्लव-गान के माध्यम से प्रेरित किया है। कवि के गीतों में युग-परिवतन की शक्ति छिपी रहती है। यही नहीं वह अपने गीतों में प्रलय की प्रेरणाएँ भी छिपाए रहता है। इस कविता में कवि ने एक ओर ध्वंस की और दूसरी ओर सृजन की सामर्थ्य को अपनी कविता में केन्द्रीभूत किया है। इसके माध्यम से कवि ने जागृति का गान गाया। इस कविता के रचयिता ने कवि के गीतों और अंध विचारों को समाप्तकरने के लिए आह्वान किया है।
साथ ही गीतों की तान छेड़ने एवं कायरता से परिपूर्ण भावों का उन्मूलन करने के लिए अपनी क्रान्ति भावना का प्रसार करने की प्रेरणा दी है। इस कविता के रचनाकार ने इस कविता में शान्ति के मार्ग से हटकर क्रान्ति का प्रलयकारी आह्वान किया है। इस कविता में प्रकृत की भीषण और ध्वंसकारी छवियों का चित्रण है। इस प्रकार कवि इस गीत में थर्रा देने वाला परिदृश्य निर्मित करने में सफल है।
विप्लव-गान कवि-परिचय
प्रश्न 1.
‘बालकृष्ण शर्मा’ नवीन का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य के महत्त्व पर प्रकाश डालिए?
उत्तर:
जीवन-परिचय:
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का जन्म शाजापुर जिला तहसील के भयाना नामक गाँव में 8 दिसम्बर, 1897 को हुआ था। उनकी आरम्भिक शिक्षा शाजापुर में ही हुई। वहाँ से मिडिल उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने उज्जैन के माधव कॉलेज में प्रवेश लिया। कॉलेज की शिक्षा समाप्त करके वे माखनलाल चतुर्वेदी और मैथिलीशरण गुप्त के सम्पर्क में आ गए। इसके बाद कानपुर में तत्कालीन महान पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के आश्रय में रहकर क्राइस्ट चर्च कॉलेज में पढ़ाने लगे। उसी समय वे गाँधीजी के प्रभाव में आ गए। फिर वे उनके सत्याग्रह में कूद पड़े। इससे वे राजनीति में मैदान मारने लगे। उनका निधन 29 अप्रैल, 1960 को हुआ।
रचनाएँ:
‘नवीन’ जी की प्रमुख रचनाएँ कुंकुम, रश्मि रेखा, अपलक, क्वासि, विनोबा, स्तवन, प्राणार्पण हैं। आपने ‘प्रताप’ और ‘प्रभा’ नामक राष्ट्रीय धारा को आगे बढ़ाने वाली पत्रिका का वर्षों तक सम्पादन किया।
महत्त्व:
‘नवीन’ जी का भारतीय संविधान निर्मात्री परिषद के सदस्य के रूप में हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार करवाने में आपका बड़ा योगदान रहा। ‘नवीन’ जी स्वभाव से उदार, फक्कड़, आवेशी किन्तु मस्त तबियत के व्यक्ति थे।
विप्लव-गान पाठ का सारांश
प्रश्न 1.
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’-विरचित कविता ‘विप्लव-गानं’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए?
उत्तर:
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’-विरचित कवितां ‘विप्लव गान’ क्रान्ति का स्वर फूंकने वाली कविता है। इस कविता का सारांश इस प्रकार है –
कवि ने कवि को संबोधित करते हुए उसे क्रान्ति का अग्रदूत बताकर समाज में उलट-फेर कर देने के लिए आह्वान किया है। कवि को उत्साहित करते हुए कह रहा है-वह ऐसी गीतों की रचना कर गुमगुनाए कि प्राणों के लाले पड़ जाएँ, नाश और सत्यानाश का धुआँधार संसार में छा जाए। भस्मसात सब कुछ हो जाए, पाप-पुण्य का भेद मिट जाए, आकाश का वक्षस्थल फट जाए, तारे टूक-टूक हो जाएँ, कायरता काँपने लगे, रूढ़ियाँ समाप्त हो जाएँ, अन्धविश्वास की अटलता डगमगा जाए, अन्तरिक्ष में नाश करने वाली बिजली की तड़क होने लगे, नियमों-उपनियमों के सामाजिक बंधन टूट जाएँ, विश्वम्भर की पोषक की वीणा के.तार चुप हो जाएँ, शान्ति का दण्ड टूट जाए, शंकर का सिंहासन काँप उठे और चारों ओर नाश-नाश और महानाश की प्रलयंकारी दृश्य उपस्थित हो जाए।
संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या विप्लव-गान
प्रश्न 1.
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ-जिससे उथल-पुथल मच जाए,
एक हिलोर इधर से आए-एक हिलोर उधर से आए।
प्राणों के लाले पड़ जाएँ, त्राहि त्राहि रव नभ में छाए,
नाश और सत्यानाशों का धुआँधार जग में छा जाए,
बरसे आग, जलद जल जाए, भस्मसात भूधर हो जाएँ
पाप-पुण्य सदसद्भावों की, धूल उड़ उठे दाएँ-बाएँ
नभ का वक्ष-स्थल फट जाए, तारे टूक-टूक हो जाएँ
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए।
शब्दार्थ:
- उथल-पुथल – परिवर्तन।
- तान – स्वर, लय।
- प्राणों के लाले पड़ जाना – (मुहावरा) जान खतरे में पड़ जाना।
- रव – ध्वनि।
- नभ – आकाश।
- जग – संसार।
- जलद – बादल।
- भस्मसात – राख में मिल जाना।
- भूधर – पहाड़।
- वक्षस्थल – छाती।
- टूट-टूक – टुकड़े-टुकड़े।
प्रसंग:
यह पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक’ हिन्दी सामान्य भाग-1′ में संकलित और बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’-विरचित ‘विप्लव-गान’ शीर्षक कविता से उद्धत है। इसमें कवि ने कवि को सम्बोधित करते हुए उसे महान क्रान्तिकारी कविता की रचना करने के लिए समुत्साहित किया है। इस विषय में कवि ने कवि को सम्बोधित करते हए कहा है कि –
व्याख्या:
हे कवि, तुम कुछ ऐसी श्रेष्ठ और अद्भुत व बेजोड़ काव्य की रचना करके उसकी तान छेड़ों कि उसे सुनकर चारों ओर अपूर्व परिवर्तन क्रान्ति आ जाए। उससे क्रान्ति की हिलोरें कभी इधर से तो कभी उधर से आने लगें। इस प्रकार तुम अपनी कविता की ऐसी-ऐसी तान सुनाओ कि प्राणों के सब ओर लाले पड़ जाएँ और हाहाकार धरती से आकाश तक मचने लगे। चारों ओर भयंकर दृश्य ऐसे होने लगे कि नाश और सत्यानाश का धुआँधार हर जगह छा जाए। आग इस प्रकार बरसने लगे कि बादल खाक हो जाए और पहाड़ राख में मिल जाए। कभी इधर तो कभी उधर पाप-पुण्य के सत्य और असत्य भरे भावों की धूल-बंक्डर उड़ने लगे। आकाश की छाती फटने लगे और तारे खण्ड-खण्ड होने लगें। इस प्रकार हे कवि! तुम कुछ ऐसी तान छेड़ों की चारों और अपूर्व परिवर्तन (क्रान्ति) आ जाए।
विशेष:
- भाषा में ओज है और प्रवाह है।
- क्रान्तिकारी स्वर है।
- मुहावरेदार शैली है।
- वीर रस का संचार है।
- पुनरुक्ति प्रकाश (त्राहि-त्राहि) और मानवीकरण अलंकार (नभ का वक्षस्थल) है।
पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न
- प्रस्तुत पयांश का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
- कवि कवि को किस रूप में देखना चाहता हैं?
उत्तर:
1. प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने क़वि को एक अभूतपूर्व तान छेड़ने के लिए कहा है, जससे चारों ओर महान उथल-पुथल मच जाए। इसे चित्रित करने के लिए प्रयुक्त हुए भाव बड़े ही सशक्त और ओजस्वी हैं। उनके अनुसार भाषा का चयन भी कम प्रभावशाली नहीं है। भावों को हृदयस्पर्शी बनाने वाली मुहावरेदार शैली का प्रयोग अधिक सुन्दर रूप में है। बिम्ब, प्रतीक और योजना भावों के अनुसार आकर्षक हैं।
2. प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य सरल किन्तु अद्भुत है। भावों की ओजस्विता में क्रमबद्धता, प्रवाहमयता और सरसता है। रोचकता के साथ-साथ भावोत्पादकता इसकी सर्वप्रधान विशेषता है। कुछ तान सुनाने के कथ्य को उथल-पुथल मचा देने वाले भावों की योजना निश्चय ही चमत्कार उत्पन्न कर रही है।
3. कवि कवि को क्रान्ति के सूत्रधार के रूप में देखना चाहता है।
पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
प्रश्न
- कवि और कविता का नाम लिखिए।
- कवि की तान से मचने वाले उथल-पुथल किस प्रकार के हैं?
- यह उथल-पुथल किस तरह से होनी चाहिए?
उत्तर:
- कवि-बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ कविता-विप्लवगान।
- कवि की तान से मचने वाला उथल-पुथल प्रलयंकारी है।
- यह उथल-पुथल निरन्तर और चारों ओर से होना चाहिए।
प्रश्न 2.
माता की छाती का अमृतमय पय कालकूट हो जाए,
आँखों का पानी सूखे, वे शोणित की घुटें हो जाए,
एक ओर कायरता काँपे, गतानुगति विगलित हो जाए,
अन्धे मूढ़ विचारों की वह, अचल शिला विचलित हो जाए,
और दूसरी ओर कँपा देने वाला गर्जन उठ धाए,
अन्तरिक्ष में एक उसी नाशक तर्जन की ध्वनि मँडराए,
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए।
शब्दार्थ:
- पय – दूध।
- कालकूट – जहर।
- शोणित – खून।
- गतानुगति – लीक पर चलना, पिछलग्गू होना, रूढ़िवादी होना।
- विगलित – पिघलना, समाप्त होना।
- मूढ़ – मूर्ख।
- अचल – निश्चल, स्थिर, जो गतिमाम न हो।
- शिला – विशाल पत्थर।
- तर्जन – तड़कना।
प्रसंग: पूर्ववत्!
व्याख्या:
हे कवि! तुम ऐसी तान छेड़ो कि जिसे सुनकर चारों ओर सब कुछ उलट-पुलट हो जाए। माता का अमृतमय दूध भले जहूर हो जाए। आँखों का पानी सूखकर भले ही इनकी चूट में बदल जाए। इसके बावजूद तुम्हारी तान ऐसी हो कि उससे कायरता काँप उठे। सभी प्रकार की रूढ़ियाँ समाप्त हो जाएँ। अंधविश्वास और मूर्खतापूर्ण विचारों की अटल और स्थिर विशाल पत्थर विचलित हो जाए। दूसरी ओर कँपकँपी पैदा कर देने वाला गर्जन होने लगे। यही नहीं, अंतरिक्ष में भी उसी प्रकार का नाश करने वाला तर्जन की ध्वनि मँडराते लगे। हे कवि! इस प्रकार की उथल-पुथल मचाने वाली तान अब तुम जल्द ही छेड़ दो।
विशेष:
- भाषा में प्रभाव है और आज है।
- शैली ‘भावात्मक है।
- भयानक रस का संचार है।
- ‘गतानुगति विगलित’ में अनुप्रास अलंकार है।
- बिम्ब, प्रतीक और योजना यथास्थान हैं।
पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
प्रश्न
- प्रस्तुत पद्यांश का काव्य-सौन्दर्य लिखिए।
- प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रस्तुत पद्यांश का मुख्य भावं क्या है?
उत्तर:
1. प्रस्तुत पद्यांश में क्रान्तिकारी परिवर्तन की भयानकता को चित्रित करने का प्रयास किया गया है। इसके लिए प्रस्तुत हुए भावों की योजना प्रभावशाली रूप में है। चूंकि कथ्य भयानक परिवर्तन का है, फलस्वरूप तदनुरूप भाषा-शैली को अपनाया गया है। शब्द-योजना उच्चस्तरीय तत्सम शब्द की है।
2. प्रस्तुत पद्यांश में साधारण क्रान्तिकारी परिवर्तन की नहीं, अपितु भयानक क्रान्तिकारी परिवर्तन की भाव-योजना प्रस्तुत की गई है। यह प्रस्तुति बहुत ही ओजमयी, प्रवाहमयी और उत्साहमयी है। इसमें निरन्तरता, क्रमबद्धता, विविधता और मुख्यता जैसी अद्भुत विशेषताएँ हैं। फलस्वरूप यह अधिक रोचक और आकर्षक बमै गई है।
3. प्रस्तुत पद्यांश का मुख्य भाव है-भयानक और विविधतापूर्ण क्रान्तिकारी दृश्य का हृदयस्पर्शी चित्रण करना।
पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- कवि और कविता का नाम लिखिए।
- प्रस्तुत पद्यांश में मुख्य रूप से किस पर बल दिया गया है?
उत्तर:
- कवि-बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ कविता-‘विप्लव गान’
- प्रस्तुत पद्यांश में मुख्य रूप से सामाजिक रूढ़ियों और अन्ध-विश्वासों को समाप्त करने पर बल दिया गया है।
प्रश्न 3.
नियम और उपनियमों के ये बन्धन टूक-ट्रक हो जाएँ,
विश्वम्भर की पोषक वीणा के सब तार मूक हो जाएँ,
शान्ति-दण्ड टूटे-उस महारुद्र का सिंहासन थर्राए
उसकी पोषक श्वासोच्छवास, विश्व के प्रागंण में घहराए,
नाश! नाश!! हो महानाश!!! की प्रलयंकारी आँख खुल जाए,
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए!!
शब्दार्थ:
- टूक-टूक – टुकड़े-टुकड़े।
- विश्वम्भर – संसार का पालन-पोषण करने वाला, ईश्वर।
- मूक – मौन, चुप।
- महारुद्र – भगवान शंकर।
- प्रांगण – आँगन, सहन।
प्रसंग – पूर्ववत्।
व्याख्या:
हे कवि! तुम्हारी ऐसा ज्ञान हो जिसे सुनकर सभी प्रकार के सामाजिक बंधन, चाहे वे किसी छोटे-छोटे नियमों से बँधे हों या बड़े-बड़े नियमों से बँधे, वे एक-एक करके खण्ड-खण्ड हो जाएँ। इसे देखकर संत का भरण-पोषण करने वाले ईश्वर की पोषण करने वाली वीणा के तार मौन हो जाएँ। इसी प्रकार महाशिव का शान्ति दण्ड टूटकर बिखर जाए और उनका सिंहासन काँप उठे। उनका पोषण करने वाला श्वासोच्छवास संसार के प्रांगण (आँगन) में घहराने लगे। फिर पूरी तरह से नाश-नाश
और महानाश ही की भयंकर ध्वनि गूंज उठे। इस तरह चारों ओर ऐसा भयानक दृश्य उपस्थित हो जाए, मानो प्रलयंकारी आँखें खुल गई हों।
विशेष:
- भाषा धारदार है।
- उच्चस्तरीय तत्सम शब्दों की प्रधानता हैं।
- शैली चित्रमयी है।
- भयानक रस का संचार है।
- क्रान्तिकारी स्वर है।
- सामाजिक परिवर्तन का आग्रह है।
पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
- ‘शान्ति दण्ड टूटे, उस महारुद्र का सिंहासन थर्राए।’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
1. प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने सभी प्रकार के सामाजिक बंधनों को तोड़ने के लिए समूल क्रान्तिकारी परिवर्तन का उल्लेख किया है। इसके लिए कवि प्रतीकात्मक और दृष्टान्त शैली के द्वारा जो चित्र खींचा है, वह न केवल आकर्षक है, अपितु भाववर्द्धक भी है। चूँकि भयानक और अपूर्व क्रान्तिकारी परिवर्तन का विषय है। इसलिए इसे नपे-तुले, ठोस और सटीक शब्द को परोसकर भयानक रस से रोचक बना दिया गया है।
2. प्रस्तुत पद्यांश के भावों की प्रस्तुति विषयानुसार है। भयानक और अपूर्व क्रान्तिकारी परिवर्तन को चित्रांकित करने के लिए भावों की योजना प्रसंगानुसार है। उपयुक्तता और सटीकता को लिए हुए ये भाव क्रमानुसार और कथ्यानुसार हैं। कुल मिलाकर प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य देखते ही बनता है।
3. ‘शान्ति दण्ड टूटे, उस महारुद्र का सिंहासन थर्राए’ से कवि का आशय है-क्रान्ति का स्वरूप प्रलयंकारी हो जिससे वह असम्भव को सम्भव कर सके।
पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- कवि और कविता का नाम लिखिए।
- प्रस्तुत पद्यांश में किसका चित्रण हुआ है?
उत्तर:
- कवि-बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ कविता-‘विप्लव गान’।
- प्रस्तुत पद्यांश में प्रकृति के भीषण और ध्वंसकारी स्वरूपों का चित्रण हुआ है।