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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 5 वंशागति और विविधता के सिध्दांत
वंशागति और विविधता के सिध्दांत NCERT प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
मेण्डल द्वारा प्रयोगों के लिए मटर के पौधे चुनने से क्या लाभ हुये?
उत्तर
मेण्डल ने अपने आनुवंशिक प्रयोगों के लिए मटर के पौधों का चयन निम्नलिखित आधार पर किया
- मटर का जीवन-चक्र छोटा होता है, जिससे प्रयोग करने में कम समय लगता है।
- इसमें पर-परागण द्वारा सरलतापूर्वक संकरण किया जा सकता है।
- मटर में काफी स्पष्ट विपर्यायी या विपरीत लक्षण होते हैं।
- सामान्यतः मटर में स्व-परागण एवं निषेचन होता है, जिसके कारण पौधे समयुग्मजी होते हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी इसके पौधे शुद्ध लक्षण वाले बने रहते हैं।
- इसका पौधा द्विलिंगी होता है और स्व-परागण द्वारा गुणों की शुद्धता को बनाये रखता है, लेकिन यदि इसके पुष्प के पुमंगों को हटा दिया जाय तो वह एकलिंगी के समान व्यवहार करने लगता है।
- संकरण से प्राप्त संकर पौधे पूर्णत: जननक्षम होते हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में भेद कीजिये
(क) प्रभाविता और अप्रभाविता
(ख) समयुग्मजी और विषमयुग्मजी
(ग) एक संकर और द्विसंकार।
उत्तर
(क) प्रभाविता एवं अप्रभाविता-
जब एक जोड़ी विपर्यायी अर्थात् दो वैकल्पिक लक्षणों वाले शुद्ध नस्ल के जीवों में संकरण कराया जाता है, तब पहली पीढ़ी में केवल एक ही लक्षण प्रकट होता है, इसे प्रभावी लक्षण कहते हैं। दूसरे अर्थात् प्रकट न होने वाले लक्षण को अप्रभावी लक्षण कहते हैं । जैसे-जब शुद्ध लाल पुष्प वाले मटर के पौधे का संकरण शुद्ध सफेद पुष्प वाले मटर के पौधे से कराया जाता है तो पहली पीढ़ी ‘ में केवल लाल पुष्प वाले मटर के पौधे बनते हैं।
(ख) समयुग्मजी तथा विषमयुग्मजीसमयुग्मजी-
(ग) एक संकर और द्विसंकर-
जब एक जीन की वंशागति का अध्ययन किया जाता है या प्रयोग में केवल एक ही लक्षण को मुख्य रूप से लिया जाता है तो इसे एक संकर संकरण कहते है। ऐसे संकरण में F2, पीढ़ी में 3:1 का अनुपात प्राप्त होता है। जब दो जीन की वंशागति का अध्ययन किया जाता है या प्रयोग संकरण में दो जोड़े युग्म विकल्पी लिये जाते हों तब इसे द्विसंकर संकरण कहते हैं। इसमें F2, पीढ़ी में 9:3 : 3 : 1 का अनुपात मिलता है।
प्रश्न 3.
कोई द्विगुणित जीन 6 स्थलों के लिए विषमयुग्मजी है, कितने प्रकार के युग्मकों का उत्पादन संभव है ?
उत्तर
ज्ञात करने के लिए 2″ सत्र का उपयोग करते हैंजहाँ n = स्थल है।
विषमयुग्मजी जीव में 6 स्थल हैं, अतःn=6
2n = 26 अर्थात् 2x2x2x2x2x2 = 64
अतः विषमयुग्मजी जीव में 64 प्रकार के युग्मकों का उत्पादन संभव होगा।
प्रश्न 4.
एक संकर क्रॉस का प्रयोग करते हुए प्रभाविता नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
एक संकर क्रॉस वह क्रॉस या संकरण है, जिसमें केवल एक जोड़ी विपरीत गुणों की वंशागति का ही अध्ययन किया जाता है, जैसे-मटर के लम्बे पौधे (TT) का बौने पौधे (tt) के साथ कराया गया संकरण । इस संकरण में पहली पीढ़ी में केवल लम्बे पौधे बनते हैं, जबकि F2 पीढ़ी के लम्बे एवं बौने पौधों के बीच फीनोटाइपिक अनुपात 3 : 1 का अनुपात प्राप्त होता है।
जबकि इसका जीनोटाइपिक अनुपात 1: 2 : 1 अर्थात् एक शुद्ध लम्बा दो संकर लम्बे तथा एक शुद्ध बौने का होता है।
प्रश्न 5.
परीक्षार्थ संकरण की परिभाषा लिखिए और चित्र बनाइए।
उत्तर
जब F1 पीढ़ी या किसी अज्ञात आनुवंशिक व्यक्तिगत का संकरण अप्रभावी जनक के साथ कराया जाता है, तब इस संकरण को परीक्षण (परीक्षार्थ) संकरण कहते हैं ।
इस संकरण का उपयोग यह देखने के लिए किया जाता है कि अज्ञात आनुवंशिक व्यक्तिगत समयुग्मजी (Homozygous) है या विषमयुग्मजी (Heterozygous) यदि अज्ञात जीनोटाइप वाले लम्बे पौधे विषमयुग्मजी हों, तो इस संकरण से 50% लम्बी (संकर), 50% बौनी सन्तानें उत्पन्न होंगी।
प्रश्न 6.
एक ही जीन स्थल वाले समयुग्मजी मादा और विषमयुग्मजी नर के संकरण से प्राप्त प्रथम संतति पीढ़ी के फीनोटाइप वितरण का पुनेट वर्ग बनाकर प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर
प्रश्न 7.
पीले बीज वाले लम्बे पौधों (Yy Tt) का संकरण हरे बीज वाले लंबे (yyTt) पौधे से करने पर निम्नलिखित में से किस प्रकार के फीनोटाइप संतति की आशा की जा सकती है
(क) लंबे हरे
(ख) बौने हरे।
उत्तर
प्रश्न 8.
दो विषमयुग्मजी जनकों का क्रॉस, और
किया गया। मान लीजिये दो स्थल (loci) सहलग्न हैं, तो द्विसंकर क्रॉस में F1 पीढ़ी के फीनोटाइप के लक्षणों का वितरण क्या होगा?
उत्तर
दो स्थल (loci) सहलग्न विषमयुग्मजी जनकों में संकरण निम्नवत होता है
जनक (Heterozygous Parents)
दिए गए क्रॉस में G ग्रे (प्रभावी) तथा g काला (अप्रभावी) को निरूपित करता है। सामान्यत: L लंबा (प्रभावी) तथा 1 बौना (अप्रभावी) को निरूपित करता है। द्विसंकर क्रॉस की F पीढ़ी 3:1 फीनोटाइप अनुपात प्रदर्शित करती है।
प्रश्न 9.
आनुवंशिकी में टी.एच. मॉर्गन के योगदान का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर
थामस हंट मार्गन (1866-1945) को प्रायोगिक आनुवंशिकी का पिता (Father of experimental genetics) कहा जाता है। इन्होंने ड्रोसोफिला पर किये गये अपने प्रयोगों के आधार पर वंशागति के गुणसूत्रीय सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। मॉर्गन तथा वैस्टल ने सन् 1911 में इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया, इसकी प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं
- सहलग्न जीन्स समूह एक ही गुणसूत्र पर स्थित होते हैं।
- सहलग्नता की शक्ति दो सहलग्न जीन्स के बीच की दूरी पर निर्भर करती है।
- पास-पास स्थित जीन्स में सहलग्नता अधिक होती है।
- सभी सहलग्न जीन्स गुणसूत्र के निश्चित बिन्दु पर एक रेखीय क्रम में व्यवस्थित होते हैं।
प्रश्न 10.
वंशावली विश्लेषण (Pedigree Analysis) क्या है ? यह विश्लेषण किस प्रकार उपयोगी है ?
उत्तर
मानव समुदाय में वंशागतिकी के अध्ययन हेतु इच्छानुसार संकरण नहीं कराया जा सकता इसके लिए इनमें वंशागतिकी के अध्ययन के लिए सम्बन्धित मनुष्य के कुल के इतिहास का अध्ययन कर वंशागतिकी लक्षणों को एकत्रित करके एक आरेख तैयार किया जाता है, जिसे वंश वृक्ष (Family tree) कहा जाता है तथा इस प्रकार किया गया अध्ययन वंशावली विश्लेषण कहलाता है। इसमें कुछ विशिष्ट चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। इस वृक्ष में मादा को वृत तथा नर को वर्ग एवं विवाह को वर्ग एवं वृत के बीच क्षैतिज रेखा के द्वारा व्यक्त करते हैं इस क्षैतिज रेखा से लटकती हुई समानान्तर रेखा से लटकते हुए वर्ग नर तथा वृत्त मादा सन्तान को व्यक्त करते हैं। यदि संतानों की संख्या ज्यादा हो, तो इन वर्गों तथा वृतों में सन्तानों की संख्या को लिख देते हैं । जिस लक्षण का अध्ययन किया जाता है, यदि वह किसी व्यक्ति में उपस्थित हो, तो उसके वर्ग या वृत को भरा हुआ बनाते हैं तथा इसके वाहक या विषमयुग्मजी रूप में आधे भरे वर्ग या वृत के द्वारा निरूपित किया जाता है। कुल वृक्ष में मरे हुए व्यक्तियों के वर्ग या वृत में क्रॉस (X) का निशान लगा देते हैं। कुल वृक्ष के किसी व्यक्ति के फीनोटाइप में शंका होने पर खाने के सामने प्रश्नवाचक चिन्ह (?) लगा देते हैं। एक-समान जुड़वाँ बच्चों को
महत्व-वंशावली विश्लेषण से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि पैदा होने वाली संतान किन गुणों वाली हो सकती है। यदि इसका उपयोग विवाह से पूर्व किया जाये तो कई विकृतियों से बचा जा सकता है। यह आनुवंशिक समस्याओं के समाधान में मदद करता है।
प्रश्न 11.
मनुष्य में लिंग निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर
मनुष्य की प्रत्येक कोशिका में 23 जोड़े गुणसूत्र पाये जाते हैं। इनमें 22 जोड़े एक समान होते हैं, जिन्हें ऑटोसोम्स कहते हैं, 23 वाँ जोड़ा अन्यों से भिन्न होता है इसे लिंग गुणसूत्र कहते हैं। नर के 23 वें जोड़े के गुणसूत्रों में से एक बड़ा तथा एक छोटा होता है, इन्हें ‘XY’ से व्यक्त करते हैं । मादा के 23वें जोड़े के गुणसूत्र एक समान होते हैं और इन्हें ‘XX’ से व्यक्त करते हैं। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि नर में दो प्रकार के शुक्राणु बनते हैं एक तो वे जिनमें 22 + X तथा दूसरे वे जिनमें 22 + Y गुणसूत्र पाये । जाते हैं। इसके विपरीत मादा के सभी
(22+x) अण्डाणुओं में 22 +X गुणसूत्र पाये जाते हैं। निषेचन के समय जब किसी अण्डाणु से ‘X’ गुणसूत्र वाला शुक्राणु मिलता है तब पैदा होने वाली सन्तान में XX’ लिंग गुणसूत्र होते हैं अर्थात् यह सन्तान मादा होती है, लेकिन जब किसी अण्डाणु से ‘Y’ गुणसूत्र वाला शक्राण मिलता है तब पैदा होने वाली सन्तान में :XY’ लिंग गणसत्र होते हैं अर्थात यह सन्तान नर होती है। इस प्रकार मनुष्यों में लिंग के निर्धारण में, नर के गुणसूत्र का बहुत अधिक महत्व होता है। दूसरे शब्दों में, यही गुणसूत्र मनुष्य की सन्तान के लिंग का निर्धारण करता है।
प्रश्न 12.
शिशु का रूधिर वर्ग 0 है। पिता का रूधिर वर्ग A और माता का B है। जनकों के जीनो टाइप मालूम कीजिए और अन्य संतति में प्रत्याशित जीनोटाइप की जानकारी दीजिये।
उत्तर
प्रश्न 13.
निम्नलिखित शब्दों को उदाहरण सहित समझाइए
(अ) अपूर्ण प्रभाविता
(ब) सहप्रभाविता।
उत्तर
(अ) अपूर्ण प्रभाविता (Incomplete Dominance)-
जब एक जोड़े गुण का प्रभावी गुण अप्रभावी गुण को पूरी तरह दबा नहीं पाता तब एक तीसरे गुण की अभिव्यक्ति होती है। इस क्रिया को अपूर्ण प्रभाविता कहते हैं। जैसे-जब मिराबिलिस जलापाके लाल और सफेद पुष्प वाले पौधों में संकरण कराया जाता है, तो पहली पीढ़ी में लाल पुष्प के गुण पूर्ण प्रभावी न होने के कारण गुलाबी पुष्प वाले पौधे बनते हैं।
(ब) सहप्रभाविता (Co-dominance)-
सह-प्रभाविता में युग्म विकल्पी जोड़े के सदस्य प्रभावी या अप्रभावी नहीं होते हैं और दोनों ही F1 पीढ़ी में समान रूप से प्रकट होते हैं । यह प्रक्रिया सह प्रभाविता कहलाती है। उदाहरण-मानव रक्त समूह में एलील IA तथा IB सह-प्रभावी (Co-dominant) कहलाते हैं क्योंकि दोनों लक्षण प्रारूप AB में अभिव्यक्त होते हैं प्रत्येक अपना प्रतिजिन (Antigen) उत्पन्न करता है और दूसरे की अभिव्यक्ति को नहीं रोकता है।मानव में प्रभावी-अप्रभावी वंशागति की भाँति सह-प्रभाविता भी सामान्य है। एलील I तथा IB प्रभावी होते हैं और एलील Io – (IA= IB> Io) पर प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। ABO मानव रूधिर वर्ग बहुविकल्पता (Multiple allelism) को भी प्रदर्शित करते हैं । (लघु उ. प्र. 15 का भी अवलोकन करें।)
प्रश्न 14.
बिन्दु उत्परिवर्तन क्या है ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
बिन्दु उत्परिवर्तन (Point Mutation)-जीन उत्परिवर्तन जिसमें एकल नाइट्रोजन क्षारक का प्रतिस्थापन (Substitution), विलोपन (Deletion) या निवेशन (Insertion) होता है, उसे बिन्दु उत्परिवर्तन कहते हैं । जीन उत्परिवर्तन DNA द्विगुणन के समय होते हैं, जब इसमें नई न्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं का निर्माण होता है अर्थात् DNA रज्जुक संश्लेषित होते हैं । उदाहरण के लिये, मनुष्य में दात्र कोशिका अरक्तता (Sickle cell anaemia) रोग DNA के एक नाइट्रोजन क्षार के परिवर्तन के कारण हो जाता है।
प्रश्न 15.
वंशागति के गुणसूत्रवाद को किसने प्रस्तावित किया ?
उत्तर
वंशागति के गुणसूत्रवाद को सटन और बॉवेरी (Sutton and Boveri 1902) ने प्रस्तुत किया था।
प्रश्न 16.
किन्हीं दो अलिंग सूत्री आनुवंशिक विकारों का उनके लक्षणों सहित उल्लेख कीजिए।
उत्तर
(1) दात्र कोशिका-अरक्तता (सिकल सेल एनिमिया)-यह अलिंग क्रोमोसोम लग्न अप्रभावी लक्षण है जो जनकों से संतति में तभी प्रवेश करता है जबकि दोनों जनक जीन के वाहक होते हैं (विषुमयुग्मजी)। इस रोग का नियंत्रण एलील का एकल जोड़ा HbA और HbS करता है। रोग का लक्षण (फीनोटाइप) तीन संभव जीनोटाइपों में से केवल HbS (HbS HbS) वाले समयुग्मकी व्यक्तियों में दर्शित होता है। विषमयुग्मकी (HbAHbS) व्यक्ति रोगमुक्त होते हैं लेकिन वे रोग के वाहक होते हैं।
इस विकार का कारण हीमोग्लोबिन अणु की बीटा ग्लोबिन शृंखला की छठी स्थिति में एक अमीनो अम्ल ग्लूटैमिक अम्ल (Glu) का वैलीन द्वारा प्रतिस्थापन है। ग्लोबिन प्रोटीन में अमीनो अम्ल का यह प्रतिस्थापन बीटा ग्लोबिन जीन के छठे कोडान में GAG का GUG द्वारा प्रतिस्थापन के कारण होता है। निम्न ऑक्सीजन तनाव में उत्परिवर्तित हीमोग्लोबिन अणु में बहुलकीकरण हो जाता है जिसके कारण RBC का आकार द्वि-अवतल बिंब से बदलकर दात्राकार (हँसिए के आकार का) हो जाता है।
(2) फीनाइल कीटोनूरिया-यह जन्मजात उपापचयी दोष भी अलिंग क्रोमोसोम अप्रभावी लक्षण की भाँति ही वंशागति प्रदर्शित करती है। रोगी व्यक्ति में फीनाइल ऐलेनीन अमीनो अम्ल को टाइरोसीन अमीनो अम्ल में बदलने के लिए आवश्यक एक एंजाइम की कमी हो जाती है। परिणामस्वरूप फीनाइल ऐलेनीन एकत्रित होता जाता है और फीनाइल पाइरूविक अम्ल तथा अन्य व्यत्पन्नों में बदलता जाता है। इनके एकत्रीकरण से मानसिक दुर्बलता आ जाती है। वृक्क द्वारा कम अवशोषित हो सकने के कारण ये मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं।
वंशागति और विविधता के सिध्दांत अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
वंशागति और विविधता के सिध्दांत वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
युग्मविकल्पी (Allele) दृष्टि से (Aa) व्यक्ति के संकरण से उत्पन्न सन्तति का आनुवंशिक संगठन (Genetic constitution) क्या होगा
(a)AA
(b) aa
(c) 1/2 AA एवं 1/2 aa
(d) 1/4 AA, 1/2 Aa, 1/4 aa.
उत्तर
(c) 1/2 AA एवं 1/2 aa
प्रश्न 2.
AaBb जनक द्वारा ab प्रकार के युग्मकों के निर्माण का प्रतिशत होगा
(a) 75%
(b) 50%
(c) 25%
(d) 12.5%.
उत्तर
(d) 12.5%.
प्रश्न 3.
DNA पृथक्करण एवं शोधन की तकनीक का विकास किया था
(a) बीडल एवं टॉटम
(b) टेमिन एवं ब्लैकविथ
(c) वॉटसन एवं क्रिक
(d) ब्लैकविथ एवं साथी।
उत्तर
(c) वॉटसन एवं क्रिक
प्रश्न 4.
क्रोमोसोम शब्द किसने प्रस्तुत किया था
(a) जॉनसन
(b) वाल्डेयर
(c) वेण्डा
(d) डी डुवे।
उत्तर
(b) वाल्डेयर
प्रश्न 5.
एक यूकैरियोटिक गुणसूत्र में दो प्रकार के प्रोटीन पाये जाते हैं
(a) संयुग्मी और जटिल प्रोटीन
(b) हिस्टोनी और अहिस्टोनी प्रोटीन
(c) DNA और RNA
(d) हिस्टोन और DNAL
उत्तर
(b) हिस्टोनी और अहिस्टोनी प्रोटीन
प्रश्न 6.
कोशिकाद्रव्य में पाये जाने वाले आनुवंशिक पदार्थ को कहते हैं
(a) जीनोम
(b) प्लाज्मोन
(c)न्यूक्लियोसोम
(d) क्रोमैटिड।
उत्तर
(b) प्लाज्मोन
प्रश्न 7.
गुणसूत्रों का मुख्य कार्य है
(a) माता-पिता के लक्षणों को सन्तानों में वंशागत करना
(b) वृद्धि
(c) श्वसन
(d) जनन।
उत्तर
(a) माता-पिता के लक्षणों को सन्तानों में वंशागत करना
प्रश्न 8.
बैक्टीरियोफेज का आनुवंशिक पदार्थ है
(a) एक-रज्जुकी RNA
(b) एक-रज्जुकी DNA
(c) द्वि-रज्जुकी DNA
(d) एक-रज्जुकी RNA अथवा द्वि-रज्जुकी DNA
उत्तर
(d) एक-रज्जुकी RNA अथवा द्वि-रज्जुकी DNA
प्रश्न 9.
जीन शब्द संकेत करता है
(a) DNA के उस भाग को जो एक पॉलिपेप्टाइड को कोड कर सकें
(b)RNA का एक भाग
(c) सहलग्नता समूह
(d) प्रोटीन के अमीनो अम्लों का क्रम।
उत्तर
(a) DNA के उस भाग को जो एक पॉलिपेप्टाइड को कोड कर सकें
प्रश्न 10.
गुणसूत्रों पर जीन की व्यवस्था है
(a) रेखीय
(b) अण्डाकार
(c) प्रकीर्णित
(d) सर्पिल।
उत्तर
(a) रेखीय
प्रश्न 11.
केन्द्रक बाह्य आनुवंशिक पदार्थ किसमें पाया जाता है
(a) प्लास्टिडों में
(b) गुणसूत्रों में
(c) राइबोसोमों में
(d) गॉल्गी सम्मिश्र में।
उत्तर
(a) प्लास्टिडों में
प्रश्न 12.
हरितलवक वंशागतिकी का सबसे पहले वर्णन किसने किया था
(a) कोरेन्स ने
(b) मेण्डल ने
(c) वाटसन ने
(d) सटन तथा बोवेरी ने।
उत्तर
(a) कोरेन्स ने
प्रश्न 13.
मक्के में भ्रमणशील आनुवंशिक इकाइयों (Jumping genes) का पता किसने लगाया
(a) जैकब एवं मोनाड ने
(b) बीडल व टैटम ने
(c) खुराना ने
(d) बारबरा मैक्लिण्टान ने।
उत्तर
(d) बारबरा मैक्लिण्टान ने।
प्रश्न 14.
आनुवंशिक सूचना जो जनकों से सन्तानों में कोशिकाद्रव्य द्वारा आती है
(a) कोशिकाद्रव्यीय वंशागति
(b) केन्द्रकीय वंशागति
(c) आनुवंशिक कोड
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(a) कोशिकाद्रव्यीय वंशागति
प्रश्न 15.
पैत्रागतिकी कोशिकाद्रव्यी इकाई को कहते हैं
(a) हार्मोगोन
(b) प्लाज्मोजीन
(c) जीनोम
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(b) प्लाज्मोजीन
प्रश्न 16.
वह समस्त पैत्रागतिकी गुण जो कोशिकाद्रव्य द्वारा ही वंशागत होते हैं, कहलाते हैं
(a) प्लाज्मोन
(b) कैरियोटाइप
(c) इडियोग्राम
(d) फीनोटाइप।
उत्तर
(a) प्लाज्मोन
प्रश्न 17.
कोशिकाद्रव्यी नियन्त्रण व बन्ध्यता पर पाया जाता है
(a) मक्का
(b) गेहूँ
(c) चना
(d) चावल।
उत्तर
(a) मक्का
प्रश्न 18.
महिलाएँ विरलता से ही हीमोफीलिया के शरीर क्रियात्मक दोष अनुभव करती हैं, जब
(a) वे दोष के लिए विषमयुग्मजी हों
(b) वे दोष के लिए समयुग्मजी हों
(c) वे दोष के लिए वाहक हों
(d) वे हीमोफीलिया ग्रसित पतियों की पत्नियाँ हों।
उत्तर
(b) वे दोष के लिए समयुग्मजी हों
प्रश्न 19.
मधुमक्खी में लिंग निर्धारण का प्रतिरूप कहलाता है
(a) मादा एकलता
(b) एकल द्विगुणिता
(c) युग्मकी द्विगुणिता
(d) युग्मकी जनन।
उत्तर
(b) एकल द्विगुणिता
प्रश्न 20.
मनुष्य के असंसेचित अण्डाणु में होता है
(a) एक Y गुणसूत्र
(b)X तथा Y गुणसूत्र
(c)xx गुणसूत्र
(d) एक X गुणसूत्र।
उत्तर
(d) एक X गुणसूत्र।
प्रश्न 21.
यदि एक रक्त स्रावीय पुरुष तथा एक सामान्य स्त्री का विवाह हो तो सन्तान होगी
(a) सभी रक्त स्रावीय
(b) लड़कियाँ रक्त स्रावीय
(c) लड़के रक्त स्रावीय
(d) सभी सामान्य।
उत्तर
(d) सभी सामान्य।
प्रश्न 22.
एम्नियोसेण्टेसिस एक तकनीक है जिसका उपयोग किया जाता है
(a) उल्ब में अमीनो अम्ल के आंकलन में
(b) उल्ब में परिमाण माप में
(c) गर्भ के लिंग निर्धारण में
(d) गर्भ की स्थिति निर्धारण में।
उत्तर
(c) गर्भ के लिंग निर्धारण में
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. वे जीन्स जो एक ही गुणसूत्र पर रहने की प्रवृत्ति रखते हैं …………… कहलाते हैं।
2 गुणसूत्र …………….. के वाहक होते हैं।
3. उत्परिवर्तन की इकाई ………….. है।
4. कॉर्नबर्ग ने …………….. मॉडल दिया था।
5. एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में लक्षणों का बिना परिवर्तन / पुनर्योजन का स्थानान्तरण की प्रक्रिया …………… कहलाती है।
6. पैदा हुए प्रति सौ जीवों में विनिमय / पुनर्संयोजनों की संख्या को ……………. कहते हैं।
7. मनुष्य में लिंग निर्धारण …………….. गुणसूत्र द्वारा होता है।
8. मनुष्य के शुक्राणु में गुणसूत्रों की संख्या …………… होती है।
उत्तर
- सहलग्न
- पैतृक गुणों
- म्यूटॉन
- न्यूक्लियोसोम
- कंप्लीट लिंकेज
- पुनर्योगज आकृति,
- Y
- दो।
3. सही जोड़ी बनाइए
उत्तर
1.(a), 2. (c), 3. (d), 4. (b), 5. (e).
उत्तर
1. (c), 2. (d), 3. (a), 4. (b), 5. (e).
उत्तर
1.(b), 2.(e), 3. (d), 4.(a), 5. (c).
उत्तर-
1. (d), 2. (f), 3. (a), 4. (c), 5. (b).
उत्तर-1.(d), 2. (e), 3. (b), 4. (a), 5. (c), 6. (f).
4. एक शब्द में उत्तर दीजिए
1. मेंडल द्वारा प्रतिपादित आनुवंशिकी संबंधी नियम।
2 द्विलिंगी पुष्प में संकरण हेतु परागकोषों को निकालने की क्रिया।
3. जीवों में पायी जाने वाली विशिष्ट इकाई जो अगली पीढी में लक्षणों को निर्धारित करते हैं।
4. दो समान एलील्स का एक जीव में एक साथ पाये जाने की घटना।
5. दो भिन्न गुणों वाले जनकों के बीच संकरण से उत्पन्न संतति।
6. दो विपर्यायी लक्षणों वाले एलील्स के एक साथ उपस्थित होने पर एक एलील के प्रभाव दिखायी देने की घटना।
7. एक द्विविषमयुग्मजी द्वारा कितने प्रकार के युग्मक उत्पन्न होंगे?
8. दो क्रॉस का एक सेट जिसमें एक बार पादप A को नर तथा B को मादा एवं दूसरी बार पादप A को मादा तथा B को नर बनाया जाता है।
9. एक ऐसा क्रॉस जिसमें दो लक्षणों की वंशागति का अध्ययन किया जाता है।
10. ऐसी स्थिति जिसमें एक जीन, दो अथवा दो से अधिक लक्षणों को निर्धारित करते हैं।
11. मनुष्य में नीग्रो तथा श्वेत के बीच नियंत्रित विवाह अथवा संकरण के द्वारा त्वचा के रंग की वंशागति का अध्ययन किस वैज्ञानिक ने किया?
उत्तर
- मेंडलवाद
- विपुंसन
- कारक अथवा जीन
- होमो-जायगोसिटी
- संकर
- प्रभाविता
- चार
- व्युत्क्रम संकरण
- द्विसंकर क्रॉस
- बहुप्रभाविता
- डेवनपोर्ट।
वंशागति और विविधता के सिध्दांत अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी उभयलिंगी पुष्प से अपरिपक्व परागकोषों या नर जननांगों को हटाने की क्रिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर
विपुंसन
प्रश्न 2.
एक ही गुण के दो विभिन्न विपर्यायी रूपों को व्यक्त करने वाले कारकों अर्थात् जीनों को एक-दूसरे का क्या कहा जाता है ?
उत्तर
ऐलीलोमार्फ (युग्म विकल्पी)।
प्रश्न 3.
जब दो प्रभावी स्वतंत्र अपव्यूहक जीन्स एक-दूसरे के प्रभाव को पूर्ण करके एक नया लक्षण उत्पन्न करते हैं तो इस जीन्स को कौन-सा जीन्स कहते हैं ?
उत्तर
संपूरक जीन (Complementry gene)
प्रश्न 4.
केन्द्रकीय गुणसूत्र से बाहर स्थित आनुवंशिक पदार्थ को क्या कहते हैं ?
उत्तर
प्लाज्मोजीन्स।
प्रश्न 5.
जब दो भिन्न गुणों वाले एक ही जाति के सदस्यों या दो भिन्न जाति के नर एवं मादा को लैंगिक रूप से मिलाते हैं तो वह क्या कहलाता है ?
उत्तर
संकरण।
प्रश्न 6.
जब एक जीन अधिक प्रभाव दिखाता है उसे क्या कहते हैं ?
उत्तर
प्रभावी जीन।
प्रश्न 7.
कोशिका में एक गुण को व्यक्त करने वाले कारक को क्या कहते हैं ?
उत्तर
इकाई लक्षण।
प्रश्न 8.
तद्रूप प्रजनन सम (True breeding) से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर
वह लक्षण जो अनेक पीढ़ियों तक स्व-परागण के फलस्वरूप वही लक्षण प्रकट करता है।
प्रश्न 9.
मेंडल ने मटर की कितनी तद्रूप प्रजननी (True breeding) किस्मों को चुना?
उत्तर
14 तद्रूप प्रजननी मटर किस्मों की चुना।
प्रश्न 10.
मेंडल के प्रयोगों में F1 से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर
प्रथम संतति पीढ़ी (First Filial generation)
प्रश्न 11.
द्वि संकट परीक्षण संकरण में फीनोटाइप एवं जीनोटाइप का अनुपात बताइए।
उत्तर
फीनोटाइप एवं जीनोटाइप का अनुपात 1:1:1:1 होता है।
प्रश्न 12.
‘X’ काय नाम किसने दिया, मानव में लिंग निर्धारण किससे होता है।
उत्तर
हेकिंग ने ‘X’ काय नाम दिया। मानव में XX व XY से लिंग निर्धारण होता है।
प्रश्न 13.
फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन किसके कारण होता है ?
उत्तर
DNA के क्षारयुग्मों के घटने-बढ़ने से फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन होता है।
प्रश्न 14.
सहप्रभाविता का एक उदाहरण दीजिये।
उत्तर
‘A’, ‘B’ तथा ‘O’ रुधिर वर्गों के जीन्स सहप्रभावी (Codominant) होते हैं।
प्रश्न 15.
बिन्दु उत्परिवर्तन किसे कहते हैं ?
उत्तर
डी.एन.ए. के एकल क्षार युग्म (बेस पेयर) के परिवर्तन को बिन्दु उत्परिवर्तन (Point Mutation) कहते हैं।
प्रश्न 16.
किसी लक्षण विशेष की पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागति का चित्रात्मक निरूपण को क्या कहा जाता है ?
उत्तर
वंशावली (पेडिग्री)।
प्रश्न 17.
गुणसूत्र के किसी भी खण्ड का टूटकर उससे अलग हो जाने की क्रिया क्या कहलाती है?
उत्तर
विलोपन।
प्रश्न 18.
प्राकृतिक रूप से उत्पन्न किसी एलोपॉलिप्लॉयड जाति का नाम बताइए।
उत्तर
गेहूँ (ट्रिटिकम एस्टीवम)।
प्रश्न 19.
सामान्य द्विगुणित संख्या से एक अधिक गुणसूत्र वाले जीव कहलाते हैं ?
उत्तर
ट्रायसोमिक।
प्रश्न 20.
ऐसा ड्रोसोफिला जिसमें नर तथा मादा दोनों का कायिक समन्वय उपस्थित हो।
उत्तर
गायनेन्ड्रोमार्फ।
प्रश्न 21.
वह रोग जिसमें चोट लगने पर रक्त स्राव नहीं रुक पाता है।
उत्तर
हीमोफिलिया।
प्रश्न 22.
वह विशिष्ट DNA खण्ड जो आनुवांशिक इकाई की तरह कार्य करता है।
उत्तर
जीन।
प्रश्न 23.
लिंग गुणसूत्र को छोड़कर कोशिका के सभी गुणसूत्र क्या कहलाते हैं।
उत्तर
ऑटोसोम।
प्रश्न 24.
गुणसूत्र की भुजा को क्या कहते हैं ?
उत्तर
क्रोमैटिड्स।
प्रश्न 25.
लिंगसहलग्नता के किसी एक उदाहरण को लिखिए।
उत्तर
वर्णान्धता।
प्रश्न 26.
मानव तथा ड्रोसोफिला में किस प्रकार का लिंग निर्धारण पाया जाता है ?
उत्तर
X, Y प्रकार का।
प्रश्न 27.
मानव में पाये जाने वाले अलिंग सूत्री प्रभावी तथा अलिंग सूत्री अप्रभावी मेण्डलीय दोष से प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
मायोटोनिक कुपोषण (डिस्ट्रोफी), दात्र कोशिका अरक्तता (सिकल-सेल ऐनीमिया)।
प्रश्न 28.
बिन्दु उत्परिवर्तन के कारण कौन-सा रोग होता है।
उत्तर
दात्र कोशिका अरक्तास (Sickle cell anaemia)
प्रश्न 29.
उत्परिवर्तन किसे कहते हैं ?
उत्तर
जिन रासायनिक और भौतिक कारकों के द्वारा उत्परिवर्तन होता है, उन्हें उत्परिवर्तजन (म्यूटाजेन) कहते हैं।
प्रश्न 30.
मेंडल के स्वतंत्र अपव्यूहन के नियम का अपवाद क्या है ?
उत्तर
सहलग्नता।
वंशागति और विविधता के सिध्दांत लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मेण्डल की सफलता का सबसे प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर
मटर में मेण्डल ने जिन सात गुणों को चुना उन सातों गुणों में एक प्रभावी तथा दूसरा अप्रभावी होता है और उनमें प्रभावी तथा अप्रभावी के बीच की अवस्था नहीं होती है। साथ ही प्रत्येक गुण से सम्बन्धित जीन अलग-अलग गुणसूत्रों पर स्थापित होते हैं, जिसके कारण सांख्यिकी परिकलन आसानी से मेण्डल द्वारा सम्पन्न किया जा सका एवं ठोस तथा निश्चित निष्कर्ष प्राप्त करने में मेण्डल सफल रहे।
प्रश्न 2.
संकर पूर्वज संकरण तथा परीक्षण संकरण में भेद कीजिए।
उत्तर
जब किसी संकर (F1 संतति) का उसके किसी भी जनक से संकरण कराया जाता है तो इस संकरण को संकर पूर्वज संकरण (Back cross) कहते हैं, जबकि अप्रभावी जनक के साथ बैक क्रॉस या किसी अज्ञान आनुवंशिक व्यक्तिगत के साथ पूर्व अप्रभावी का संकरण परीक्षण संकरण कहलाता है।
प्रश्न 3.
प्लाज्मोजीन्स एवं योज्यजीन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
प्लाज्मोजीन्स-केन्द्रकीय गुणसूत्रों से बाहर स्थित आनुवंशिक पदार्थ को प्लाज्मोन (Plasmon) या प्लाज्मोजीन कहते हैं। सामान्य कोशिका के अन्दर लवक तथा माइटोकॉण्ड्रिया में उपस्थित आनुवंशिक पदार्थ (DNA तथा RNA) इस श्रेणी में आते हैं। योज्यजीन-कुछ जीन जोड़े में रहकर अपने गुणों की भावाकृति करते हैं। अतः ये संयुक्त रूप से उपस्थित होने पर ही गुणों को प्रदर्शित करते हैं। ऐसे जीनों के युगल को योज्य जीन कहते हैं तथा इस प्रकार की वंशागतिकी योज्यीय वंशागतिकी कहलाती है।
प्रश्न 4.
प्रभाविता (Dominance) और प्रबलता (Epistasis) में अन्तर बताइए।
उत्तर
प्रभाविता एवं प्रबलता दोनों दो क्रियाएँ हैं। इन दोनों में स्पष्ट अन्तर पाया जाता है। प्रभाविता एक ही कारक या जीन के विकल्पों के बीच की पारस्परिक या अन्योन्य क्रिया का प्रभाव है, जबकि प्रबलता दो विभिन्न कारकों या जीनों के बीच की अन्योन्य या पारस्परिक क्रिया का प्रभाव होता है।
प्रश्न 5.
मेण्डल के पृथक्करण के नियम को उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर
इस नियम के अनुसार युग्मकों के निर्माण के समय कारकों (जीवों) के जोड़ों के कारण अलगअलग हो जाते हैं और इनमें से केवल एक ही कारक ही एक युग्मक में जाता है, एक युग्मक के दोनों कारक एक साथ ही युग्मक में कभी भी नहीं जाते । इस सिद्धान्त को युग्मकों की शुद्धता का सिद्धान्त भी कहते हैं। जब मटर के लम्बे तथा बौने पौधों के बीच संकरण कराया जाता है, तो पहली पीढ़ी में सभी संकर लम्बे पौधे बनते हैं, लेकिन जब प्रथम पीढ़ी के पौधों में आपसी संकरण कराया जाता है, तो दूसरी पीढ़ी में लम्बे तथा बौने पौधों के बीच 3 : 1 का अनुपात प्राप्त होता है, जो इस बात को प्रमाणित करता है कि युग्मकों के निर्माण के समय जोड़े के जीन पृथक् हो जाते हैं।
प्रश्न 6.
जीनोटाइप एवं फीनोटाइप को उदाहरण देकर समझाइए।
अथवा
जीनोटाइप एवं फीनोटाइप के अनुपात को समझाइए।
उत्तर
जीवों का आनुवंशिक संगठन अर्थात् उनमें उपस्थित जीनों का संगठन उस जीव का जीन प्रारूप या जीनोटाइप कहलाता है, जबकि जीवों के शरीर का बाह्य संगठन अर्थात् स्वरूप उसका फीनोटाइप कहलाता है। उदाहरण-जैसे मटर के पुष्प के दो फीनोटाइप
(i) लाल पुष्प एवं
(ii) सफेद पुष्प हैं, जो संकरण के बाद F2 पीढ़ी में 3 : 1 के अनुपात में दिखाई देते है, लेकिन अगर इनमें जीनोटाइप को देखें तो F2 पीढ़ी में तीन प्रकार के जीनोटाइप
- RR,
- Rr और
- rr होंगे जिनमें 1:2: 1 का अनुपात होता है।
प्रश्न 7.
क्या कारण है कि लिंग सहलग्न रोग पुरुषों में होते हैं, स्त्रियों में नहीं ?
उत्तर
मनुष्यों में लिंग सहलग्न गुण जैसे-रंग वर्णान्धता, हीमोफिलिया, मायोपिया, गंजापन, हाइपर ट्राइकोसिस (बाह्यकर्ण में बालों का उगना) आदि के जीन ‘Y’ गुणसूत्र पर पाये जाते हैं तथा ‘Y’ गुणसूत्र का स्थानान्तरण पिता से पुत्र में होता है, यही कारण है ‘Y’ गुणसूत्र सहलग्न लक्षण केवल पुरुषों में ही देखे जाते हैं।
प्रश्न 8.
जब एक सामान्य स्त्री का विवाह एक वर्णान्ध पुरुष से होता है तो उस स्त्री से होने वाली सन्तान की वर्णान्धता की वंशागतिकी को चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर
सामान्य स्त्री तथा वर्णान्ध पुरुष से उत्पन्न सन्तानों में सभी पुत्रियाँ वाहक तथा सभी पुत्र सामान्य पैदा होंगे। अर्थात् 50% सन्तानें वाहक और 50% सन्ताने सामान्य होंगी।
प्रश्न 9.
डाउन सिण्ड्रोम से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर
जब कभी किसी व्यक्ति में गुणसूत्रीय विकृति, के कारण 21 वें जोड़े कायिक गुणसूत्र में दो के स्थान पर तीन गुणसूत्र हो तब इस प्रकार संलक्षण (सिण्ड्रोम) बनते हैं। ऐसे व्यक्ति में 45 +2 = 47 गुणसूत्र होते हैं। ऐसे व्यक्ति का ललाट चौड़ा, गर्दन छोटी, हाथ चपटे, हथेली तथा पैर मोटे एवं भद्दे, मुँह खुला, नेत्र तिरछे, जिह्वा मोटी एवं मस्तिष्क असामान्य होता है। ऐसे व्यक्ति को मंगोलियन मूर्ख कहते हैं, जिसकी 8-12 वर्ष बाद मृत्यु हो जाती है।
प्रश्न 10.
जीनोटाइप एवं फीनोटाइप में तीन अन्तर लिखिए।
उत्तर
जीनोटाइप एवं फीनोटाइप में अन्तरक्र
प्रश्न 11.
टेस्ट क्रॉस एवं बैक क्रॉस को समझाइए।
उत्तर
टेस्ट एवं बैक क्रॉस-जब किसी संकर का किसी भी जनक से संकरण कराया जाता है, तो उसे बैक क्रॉस कहते हैं। उदाहरणस्वरूप जब शुद्ध लम्बे (TT) एवं शुद्ध बौने (tt) पौधे से प्राप्त प्रथम पीढ़ी के संकर लम्बे (Tt) का संकरण किसी भी जनक से कराया जाता है, तो इसे बैक क्रॉस कहेंगे, लेकिन जब किसी अप्रभावी जनक के साथ बैक क्रॉस या किसी अज्ञात आनुवंशिक व्यक्तिगत के साथ पूर्ण अप्रभावी का संकरण कराया जाये, जिससे यह पता लगता है कि अज्ञात व्यक्तिगत समयुग्मजी है या विषमयुग्मजी तब यह क्रॉस टेस्ट क्रॉस कहलाता है।
प्रश्न 12.
ई. कोलाई के गुणसूत्र की रचना लिखिए।
उत्तर
अन्य प्रोकैरियोट जीवों के समान ई. कोलाई में भी हिस्टोन प्रोटीन नहीं पाया जाता अर्थात् गुणसूत्रों का अभाव होता है। इनका गुणसूत्र द्विवलीय DNA का बना होता है। इसका वलित जीनोम (गुणसूत्र) DNA तन्तु, अल् मात्रा में RNA प्रोटीन का बना होता है। इसके प्रत्येक गुणसूत्र (DNA तन्तु) में 40-50 वलय पाये जाते हैं, जो FNA के द्वारा बँधे रहते हैं। इसका वलियत DNA कुण्डलित हो सकता है, इसका प्रत्येक वलय 400 क्षारीय जोड़ का बना होता है। इसके कुण्डलित वलय मध्य में स्थित एक प्रोटीन से जुड़े रहते हैं।
प्रश्न 13.
व्युत्क्रम संकरण (Reciprocal cross) किसे कहते हैं ?
उत्तर
ऐला संकरण जिसमें एक ही प्रभेद (Strain) दूसरे लिंग द्वारा व्यक्त किया जाता हो जो कि प्रथम संकरण के विपरीत हो तो उसे व्युत्क्रम संकरण कहते हैं।
उदाहरण
- मादा विभेद (Strain)A से नर विभेद (B) के बीच क्रॉस एवं
- नर विभेद (A) से मादा विभेद (B) के बीच का क्रॉस । दूसरा उदाहरण पहले उदाहरण का व्युत्क्रम क्रॉस है। इन संकरणों में सन्ततियाँ (Offspring) दोनों उदाहरणों में एकसमान होगी। इस क्रॉस से यह पता लगता है कि जीनों द्वारा व्यक्त गुण महत्वपूर्ण होते हैं, चाहे वह किसी भी लिंग पर आश्रित, हो, उनसे कोई अन्तर नहीं पड़ता है।
प्रश्न 14.
रूपान्तरक जीन्स या मॉडीफायर जीन्स (Modifiergenes) किसे कहते हैं ?
उत्तर
कुछ जीन मात्रात्मक रूप में दूसरे जीनों के समलक्षणीय प्रभाव को बदल देते हैं, ऐसे जीनों को रूपान्तरक या मॉडीफायर जीन कहते हैं । ये रूपान्तरक जीन प्रभावी तथा अप्रभावी दोनों रूपों में व्यवहार कर सकते हैं। उदाहरणस्वरूप-संदमक जीन जो कुक्कुटों में पंखों के रंग को रोकने के लिए उत्तरदायी होते हैं, उन्हें कुक्कुटों के सामान्य रंग के जीनों के रूपान्तरक के रूप में माना जा सकता है। जीनों को रूपान्तरक या मॉडीफायर जीन कहते हैं। ये रूपान्तरक जीन प्रभावी तथा अप्रभावी दोनों रूपों में व्यवहार कर सकते हैं। उदाहरणस्वरूप-संदमक जीन जो कुक्कुटों में पंखों के रंग को रोकने के लिए उत्तरदायी होते हैं, उन्हें कुक्कुटों के सामान्य रंग के जीनों के रूपान्तरक के रूप में माना जा सकता है।
प्रश्न 15.
बहुयुग्म विकल्पिता (Multiple allelism) किसे कहते हैं? उदाहरणसहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर
जब किसी गुण के लिए एक जोड़ी से अधिक विकल्प जिम्मेदार हो, तो इस क्रिया को बहुयुग्म विकल्पिता कहते हैं। मानव रुधिर वर्गों की वंशागतिकी बहुयुग्म विकल्पिता का एक अच्छा उदाहरण है। मनुष्य में चार रुधिर वर्ग A, B,AB एवं o पाये जाते हैं। इनकी वंशागतिकी एक ही स्थान पर स्थित एक ही जीन के तीन विकल्पों के कारण होती है, जिन्हें IA,IB एवं IO से व्यक्त करते हैं। इनमें IA की उपस्थिति से रक्त वर्ग A, IB से रक्त वर्ग B बनता है। इसके लिए आवश्यक है कि किसी भी व्यक्ति में इन तीनों विकल्पों में से केवल एक ही विकल्प हो।
प्रत्येक जनक से एक विकल्प प्राप्त होता है, लेकिन तीन प्रकार के विकल्प होने के कारण 6 प्रकार के जीनोटाइप (‘A’ के लिए IA,IA, या IA, IB के लिए ,IB, ,IBया IB,IO AB’ के लिए IA, IB Ioके लिए ) अतः रक्त वर्ग ‘A’ तथा ‘B’ एक से अधिक युग्म विकल्पों के द्वारा वंशागत होते हैं।
प्रश्न 16.
आनुवंशिकी विभिन्नता के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
आनुवंशिकी विभिन्नताएँ निम्नलिखित कारणों से पैदा होती है
- गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन-जब किसी जीव के गुणसूत्रों की संख्या बदल जाती है, तब उन पर स्थित आनुवंशिक पदार्थ की मात्रा भी बदल जाती है,
जिसके कारण विभिन्नता पैदा होती है। - जीन उत्परिवर्तन-जीन संरचना में परिवर्तन के कारण आनुवंशिक विभिन्नता पैदा होती है।
- गुणसूत्रों की संरचना में परिवर्तन-इसके कारण जीन के विन्यास तथा संख्या में परिवर्तन हो जाता है जिससे जीवों में विभिन्नता पैदा होती है।
- लैंगिक जनन-इस जनन के समय जीन विनिमय के कारण भी विभिन्नता पैदा होती है।
प्रश्न 17.
प्रबलता को उपयुक्त उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
प्रबलता (Epistasis)-कभी-कभी दो स्वतन्त्र जीन्स जो युग्मविकल्पी नहीं होते, जीव के एक ही लक्षण को इस प्रकार प्रभावित करते हैं कि एक जीन दूसरे जीन के प्रभाव को छिपा देता है, इस क्रिया को प्रबलता कहते हैं। उदाहरण-चूहों में एक प्रभावी जीन ‘C’ अकेला काले रंग की त्वचा को अभिव्यक्त करने हेतु जिम्मेदार होता है, परन्तु इसकी उपस्थिति में दूसरा जीन ‘A’ त्वचा को ग्रे या अगौती रंग प्रदान करता है। अगर प्रभावी एलील ‘C’ और अप्रभावी ऐलील ‘c’ उपस्थित है, तो ‘A’ अगौती रंग प्रदान नहीं कर पाता, क्योंकि . अप्रभावी ऐलील ‘C’ A पर प्रबल होता है।
प्रश्न 18.
प्रायः पुरुषों में वर्णान्धता रोग हो जाता है, लेकिन स्त्रियाँ इनकी वाहक होती हैं, कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
वर्णान्धता अथवा सहलग्नता रोग के जीन ‘X’ गुणसूत्र पर अप्रभावी रूप में पाये जाते हैं। चूंकि पुरुषों में एक ही ‘X’ गुणसूत्र पाया जाता है, इस कारण जब ‘X’ गुणसूत्र पर वर्णान्धता अथवा सहलग्नता रोग का जीन होता है, तब यह गुण पुरुषों में परिलक्षित होने लगता है। इसके विपरीत स्त्रियों में दो ‘X’ गुणसूत्र होता है, इस कारण जब इनमें केवल एक ही ‘X’ गुणसूत्र वर्णान्धता (सहलग्नता) का जीन होता है, तब यह दूसरे गुणसूत्र द्वारा अप्रभावी हो जाता है और वर्णान्धता (सहलग्नता) परिलक्षित नहीं होती, लेकिन ऐसी स्त्री वर्णान्धता के गुणों के जीन का संवहन करती है और वाहक कहलाती है। स्त्रियों में वर्णान्धता तभी प्रदर्शित होती है, जब इसके जीन दोनों ‘X’ गुणसूत्रों पर हों।
प्रश्न 19.
एक हीमोफिलिया के रोगी पुरुष का विवाह यदि एक सामान्य स्त्री से कर दिया जाय तो इससे उत्पन्न संतति को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर
यदि एक हीमोफिलिया के रोगी पुरुष का विवाह सामान्य स्त्री से किया जाता है, तो उत्पन्न सन्तानों में सभी पुत्र सामान्य तथा पुत्रियाँ हीमोफिलिया की वाहक होंगी।
प्रश्न 20.
टर्नर सिण्ड्रोम क्या है ? इसके तीन लक्षण लिखिए।
उत्तर
टर्नर सिण्ड्रोम (Turner Syndrome) आनुवंशिक अनियमितता के कारण पैदा हुई एक विकृति है। इस संलक्षण से व्यक्ति की द्विगुणित कोशिका में 45 गुणसूत्र (44+X) होते हैं । इस संलक्षण वाले व्यक्ति में निम्नलिखित प्रमुख लक्षण विकसित होते हैं
- इससे ग्रसित मादा में अण्डाशय विकसित नहीं होता अर्थात् यह बन्ध्य होती है।
- इससे ग्रस्त मादा के स्तन कम विकसित होते हैं।
- इससे ग्रस्त मादा की गर्दन जालयुक्त तथा छाती चौड़ी होती है।
प्रश्न 21.
क्या कारण है कि पुरुषों में गंजापन होता है, स्त्रियों में नहीं?
उत्तर
मनुष्य में कुछ ऐसे गुण भी पाये जाते हैं कि जिनके जीन ऑटोसोम्स पर पाये जाते हैं, परन्तु इनकी अभिव्यक्ति लिंग द्वारा नियन्त्रित होती है जैसे-गंजापन।। मनुष्य में गंजापन विकिरण के कारण थायरॉयड ग्रन्थि की अनियमितता एवं आनुवंशिक कार्यों से हो सकता है। आनुवंशिक गंजापन एक ऑटोसोमल ऐलीलोमार्फ (Bb) पर निर्भर करता है। जब होमोजाइगस प्रभावी रूप (BB) होता है तो पुरुष तथा स्त्री दोनों में गंजापन विकसित हो सकता है, लेकिन हेटेरोजाइगस स्थिति (Bb) में यह गुण स्त्रियों में नहीं पाया जाता, लेकिन पुरुषों में विकसित होता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में इसके विकास के लिए नर हॉर्मोन्स की आवश्यकता होती है, जो स्त्रियों में नहीं पाया जाता इस कारण इनमें गंजापन नहीं होता। होमोजाइगस स्थिति ‘bb’ में गंजापन विकसित नहीं होता है।
प्रश्न 22.
वर्णान्ध पुरुष एवं वाहक स्त्री द्वारा उत्पन्न सन्तानों में वर्णान्धता की वंशागतिकी कैसी होगी ? रेखाचित्र द्वारा संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर
वर्णान्ध पुरुष एवं वाहक स्त्री द्वारा उत्पन्न सन्तानों में 25% पुत्र वर्णान्ध एवं 25% पुत्र सामान्य तथा 25% पुत्रियाँ वर्णान्ध एवं 25 पुत्रियाँ वाहक होंगी। दूसरे रूप में हम कह सकते हैं कि कुल उत्पन्न सन्तानों में 50% सन्तानों के वर्णान्ध होने तथा 25% सामान्य होने एवं 25% के वाहक होने की सम्भावना रहेगी।
प्रश्न 23.
क्लाइनफेल्टर्स संलक्षण किसे कहते हैं ?
उत्तर
क्लाइनफेल्टर्स सिण्ड्रोम (Klinefelter’s Syndrome)-इस सिण्ड्रोम या संलक्षण वाले मनुष्य ठिगनापन लिए, कमजोर मस्तिष्क, शरीर पर कम बल वाले तथा छोटे स्तन ग्रहण किए हुए बन्ध्य नर (Sterile male) होते हैं। यह सिण्ड्रोम एक अतिरिक्त गुणसूत्र के कारण होता है। ऐसे नर मनुष्यों में एक ‘X’ गुणसूत्र अधिक पाया जाता है, अर्थात् इनमें कुल 47 गुणसूत्र होते हैं, जिनमें 44 ऑटोसोम्स तथा तीन ‘XXY’ लिंग गुणसूत्र होते हैं।
प्रश्न 24.
एक हीमोफिलिक स्त्री एवं एक सामान्य पुरुष द्वारा उत्पन्न सन्तानों में हीमोफिलिया की वंशागतिकी को चित्र द्वारा समझाइए तथा हीमोफिलिया रोग की प्रमुख विशेषती लिखिए।
उत्तर
हीमोफिलिक लड़के चित्र-सामान्य पुरुष तथा हीमोफिलिक स्त्री की सन्ताने हीमोफिलिया की विशेषता-हीमोफिलिया रोग के रोगी में खून का थक्का देर से बनता है। एक सामान्य व्यक्ति के रुधिर के थक्का बनने में 2 से 8 मिनट का समय लगता है, जबकि हीमोफिलिया के रोगी में थक्का जमने की क्रिया में आधे घण्टे से 24 घण्टे तक का समय लगता है। हीमोफिलिक स्त्री एवं सामान्य पुरुष द्वारा उत्पन्न सन्तानों में सभी पुत्र हीमोफिलिक तथा पुत्रियाँ वाहक होंगी। अर्थात् इस प्रकार के जनकों से उत्पन्न सन्तानों में 50% सन्तानें हीमोफिलिया रोग से पीड़ित तथा 50% सन्तानें वाहक होंगी।
वंशागति और विविधता के सिध्दांत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मेण्डल के स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम की व्याख्या एक उदाहरण सहित कीजिए।
अथवा
द्विसंकरण का उदाहरण देकर युग्मकों की शुद्धता के नियम को समझाइए।
उत्तर
स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम के अनुसार जीवों के विभिन्न जोड़े के गुण एक-दूसरे को प्रभावित किये बिना ही युग्मकों तथा सन्तानों में जाते हैं। इसे युग्मकों की शुद्धता का नियम भी कहते हैं। जब मेण्डल ने मटर के दो जोड़े गुणों की वंशागतिकी के अध्ययन के लिए गोल तथा पीले बीज वाले पौधे का संकरण झुरदार तथा हरे बीज वाले पौधे के बीच कराया तो पहली पीढ़ी में प्रभाविता के नियम के अनुसार सभी प्रभावी लक्षण प्रकट हुए और सभी पौधे गोल तथा पीले बीज वाले पैदा हुए, लेकिन जब उन्होंने पहली पीढ़ी के बीजों से उत्पन्न पौधों के बीच संकरण कराया तो चार प्रकार के बीज वाले पौधे निम्नलिखित अनुपात में बने
- गोल तथा पीले बीज वाले-9
- गोल तथा हरे बीज वाले-3
- झुरींदार तथा प ले बीज वाले-3
- झुरींदार तथा हरे बीज वाले-1
उपर्युक्त परिणाम यह साबित करता है कि इस प्रयोग में गुणों के दो नये युग्म गोल तथा हरे बीज और झुरींदार तथा पीले बीज बने। यह तभी सम्भव है, जब जोड़े के गुण अर्थात् कारक युग्मकों के निर्माण के समय पृथक् हों और निषेचन के समय स्वतन्त्र रूप से अपव्यूहन करें। अर्थात् मेण्डल का द्विसंकरण स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम का पूर्णतः स्पष्टीकरण देता है।
प्रश्न 2.
पूरक जीन की क्रियाशीलता का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर
पूरक फैक्टर्स या जीन्स (Complementary Factors or Genes = 9:7 Ratio)- जब दो नॉन-ऐलीलिक जीन्स अकेले-अकेले एक ही लक्षण को अभिव्यक्त करते हैं, परन्तु जब वे एक साथ हों, तो पूर्णरूपेण भिन्न लक्षण को प्रदर्शित करते हैं, तो ऐसे जीन्स को पूरक जीन्स कहते हैं।
स्वीट पी (Sweet pea = Lathyrus odoratus) में पुष्प या तो सफेद होते हैं या पर्पल (Purple) । जब जीन्स C तथा P अकेले उपस्थित होते हैं, उदाहरण-CC pp, Cc pp, cc PP, cc Pp तो पुष्पों में सफेद रंग भावाकृत होता है। दोनों प्रभावी जीन्स की अनुपस्थिति में भी (अर्थात् ccpp) सफेद रंग के पुष्प उत्पादित होते हैं। दूसरी तरफ, जब प्रभावी जीन्स एक साथ उपस्थित हों, जैसे-CCPp, CcPP, CcPp, CCPP तो पुष्पों का रंग पर्पल हो जाता है। अत: पर्पल रंग दो प्रभावी जीन्स के पूरक प्रभाव के कारण अभिव्यक्त होता है।
उपर्युक्त उदाहरण में यह स्पष्ट है कि पुष्पों के वर्णक (Pigments) की उत्पत्ति के लिए ‘C’ तथा ‘P’ दोनों प्रभावी युग्मविकल्पियों का होना आवश्यक है। दोनों जनकों में से प्रत्येक में किसी न किसी प्रभावी विकल्पी की कमी होती है इसलिए दोनों में केवल सफेद पुष्प होते हैं।F, संतति में दोनों प्रभावी गुण एक साथ होने के कारण पर्पल उत्पादित होते हैं।
प्रश्न 3.
जीवों में उत्पन्न होने वाले आनुवंशिक विभिन्नता के कारणों को लिखिए।
उत्तर
सजीवों में आनुवंशिक विभिन्नता निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न होती है
(i) गुणसूत्रों की संरचना (Structure) में परिवर्तन के फलस्वरूप (Due to chromosomal aberration)-गुणसूत्रों की संरचना में परिवर्तन जैसे-अल्पता, गुणन, स्थानांतरण एवं प्रतिलोमीकरण आदि के कारण जीनों के विन्यास तथा संख्या में परिवर्तन हो जाता है जिससे एक ही जाति के जीवों में विविधता पैदा होती है।
(ii) गुणसूत्रों की संख्या में गुणात्मक परिवर्तन के फलस्वरूप (Due to Polyploidy)-
जब किसी जीव की मूल गुणसूत्र संख्या में गुणात्मक (Numerical) परिवर्तन हो जाता है अर्थात् उसकी संख्या बदल जाती है, तो उसे बहुगुणिता (Polyploidy) कहते हैं। गुणसूत्रों की संख्या बदल जाने के कारण इनके आनुवंशिक पदार्थ जो गुणसूत्रों पर ही स्थित होते हैं भी बदल जाते हैं, जिसके कारण जीव अपने जनकों से भिन्न हो जाता है।
(iii) जीन उत्परिवर्तन के द्वारा (By-Gene Mutation)-
जीन डी.एन.ए के प्रकार्यात्मक विशिष्ट आनुवंशिक खण्ड होते हैं। जीन की आण्विक संरचना में परिवर्तन के कारण भी आनुवंशिक विभिन्नता पैदा होती है।
(iv) लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)-
लैंगिक जनन के समय होने वाले जीन विनिमय (Crossing over) के कारण जीन पुनर्योजन (Gene recombination) तथा निषेचन के समय दो युग्मकों के मिलने के कारण भी आनुवंशिक विभिन्नता पैदा होती है।
प्रश्न 4.
आनुवंशिकता के गुणसूत्रीय सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
आनुवंशिकता का गुणसूत्रीय सिद्धान्त किसे कहते हैं ?
उत्तर
सन् 1920 में सटन एवं बॉवेरी (Sutton and Boveri) ने एक आनुवंशिकता का गुणसूत्रीय सिद्धान्त दिया। इस सिद्धान्त की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं|
- द्विगुणित कोशिकाओं में गुणसूत्र एवं कारक (जीन) जोड़ों में पाये जाते हैं।
- युग्मकों के निर्माण के समय गुणसूत्र एवं आनुवंशिक कारक (जीन) दोनों अलग-अलग हो जाते हैं।
- सभी युग्मकों में समजात गुणसूत्रों में से एक गुणसूत्र तथा कारकों के जोड़े में से भी केवल एक कारक ही आता है।
- निषेचन के बाद समजात गुणसूत्र तथा कारक पुनः जोड़े बना लेते हैं, जिसमें से जोड़े का एक गुणसूत्र तथा कारक माता के अण्डाणुओं द्वारा तथा दूसरा पिता के शुक्राणुओं द्वारा प्राप्त होता है, जिससे युग्मनज द्विगुणित हो जाता है। उपर्युक्त सिद्धान्त के अनुसार सट्टन एवं बॉवेरी ने बताया कि जीन गुणसूत्रों के ऊपर सवार रहते हैं, उन्हीं के साथ वंशागत होते हैं अर्थात् एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं।
प्रश्न 5.
घातकता या घातक फैक्टर का वर्णन कीजिए।
उत्तर
ऐसे जीन जो जीवन-चक्र के किसी समय अपनी उपस्थिति के कारण किसी जीव की मृत्यु का कारण बन सकते हैं, घातक जीवन या घातक कारक (Lethal factor) कहलाते हैं। ये भौतिक या जैवरासायनिक असामान्यताओं को उत्पन्न करते हैं, जिसके कारण मृत्यु होती है। उदाहरण-मनुष्यों में सिकिल सेल एनीमिया नामक रोग की वंशागति। मनुष्यों में एक प्रभावी जीन H सामान्य रूप से हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) का उत्पादन और R.B.Cs. को गोल आकार प्रदान करता है, जबकि अप्रभावी जीन (hs) सिकिल आकार के R.B.Cs. निर्मित करता है जिससे असामान्य हीमोग्लोबिन का उत्पादन होता है। समयुग्मजी अप्रभावी (hs hs) शिशु इस दुष्प्रभाव के कारण तुरन्त बाद ही मर जाता है, जो मनुष्य विषमयुग्मी (Hshs) होते हैं, वे सामान्यतः एनीमिया (रक्त की कमी) से पीढ़ित रहते हैं, क्योंकि इनमें सामान्य एवं सिकिल आकार वाले अर्थात् दोनों प्रकार के लाल रक्त कणिकाएँ विद्यमान रहती हैं।
प्रश्न 6.
जीन विनिमय क्या है ? समझाइए।
अथवा
जीन विनिमय क्या है ? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
अर्द्धसूत्री विभाजन की डिप्लोटीन अवस्था में होने वाली समजात गुणसूत्र खण्डों की अदलाबदली को क्रॉसिंग ओवर कहते हैं। जब डिप्लोटीन अवस्था में विकर्षण के पैदा होने के कारण समजात गुणसूत्र अलग होना प्रारम्भ करते हैं तब ये आपस में कुछ स्थानों पर संलग्न रह जाते हैं इन स्थानों को कीएज्मा कहते हैं।
किएज्मा पर चतुष्टक के सिस्टर क्रोमैटिड टूटकर फिर से क्रॉस के रूप में जुड़ जाते हैं, लेकिन गुणसूत्र खण्डों के फिर से जुड़ने की इस क्रिया में क्रोमोनिमा की अदला-बदली (पुनर्योजन) हो जाती है। गुणसूत्रों के क्रोमोनिमा की इसी अदला-बदली को परस्पर विनिमय (Crossing over) कहते हैं। इस प्रक्रिया के फलस्वरूप समजात गुणसूत्रों के बीच जीन विनिमय होता है, जिसके कारण नये-नये गुणों का प्रादुर्भाव होता है और जीवों में विभिन्नता पैदा होती है।
महत्व-
- इससे नये संयोग से युग्मक बनते हैं जिनके निषेचन से नये लक्षण युक्त जीव उत्पन्न होते हैं।
- क्रॉसिंग ओवर द्वारा गुणसूत्रों पर जीन्स की रैखिक विन्यास की पुष्टि होती है।
- क्रॉसिंग ओवर द्वारा गुणसूत्रों के आनुवंशिक मानचित्र बनाने में सहायता मिलती है ।
- जीवों में विभिन्नताएँ आती हैं, जो विकास के लिए आवश्यक हैं।
- इसका उपयोग अधिक उत्पादक जाति के पौधों के उत्पादन करने में किया जाता है।
प्रश्न 7.
हीमोफिलिया का उदाहरण देकर मनुष्य में लिंग सहलग्नता समझाइए।
अथवा
लिंग सहलग्नता क्या है ? मनुष्य में हीमोफिलिया रोग की वंशागति का इस आधार पर विवरण दीजिए।
उत्तर
ऐसे जीन्स जो लिंग गुणसूत्रों पर पाये जाते हैं, लिंग सहलग्न कहलाते हैं, जबकि इनकी वंशागति को लिंग सहलग्न वंशागति या लिंग सहलग्नता कहते हैं। रंग वर्णान्धता, हीमोफिलिया, मायोपिया, गंजापन, हाइपरट्राइकोसिस इत्यादि लक्षण मनुष्य में लिंग सहलग्नता को प्रदर्शित करते हैं।
मनुष्य में हीमोफिलिया रोग की वंशागति-मनुष्य में हीमोफिलिया रोग की जीन ‘X’ गुणसूत्र पर पाये जाते हैं। जब ये पुरुष के ‘X’ गुणसूत्र पर पाये जाते हैं, वह हमेशा हीमोफिलिक होता है, लेकिन जब ये स्त्री के एक ‘X’ गुणसूत्र पर उपस्थित होते हैं तब यह वाहक होती है, क्योंकि ऐसी स्थिति में दूसरे ‘X’ गुणसूत्र का प्रभावी जीन इसे दबा देता है। मादा तभी हीमोफिलिक होती है, जब हीमोफिलिया रोग के जीन इसके दोनों ‘X’ गुणसूत्रों पर पाये जाते हैं। हीमोफिलिया की वंशागति को निम्नलिखित उदाहरणों से समझ सकते हैं
(1) सामान्य पुरुष तथा वाहक स्त्री से उत्पन्न सन्तानों में हीमोफिलिया की वंशागतिकी-सामान्य पुरुष तथा वाहक स्त्री से उत्पन्न सन्तानों में 25% लड़के हीमोफिलिक तथा 25%, लड़के सामान्य, इसी प्रकार 25% लड़कियाँ वाहक तथा 25% सामान्य होती हैं।
(2) हीमोफिलिक पुरुष तथा सामान्य स्त्री से उत्पन्न सन्तानों में हीमोफिलिया की वंशागतिकीइस प्रकार से उत्पन्न सन्तानों में सभी पुत्र सामान्य तथा सभी पुत्रियाँ हीमोफिलिया की वहिक होती हैं।
(3) सामान्य पुरुष तथा हीमोफिलिक स्त्री द्वारा उत्पन्न सन्तानों में हीमोफिलिया की वंशागतिकीइस प्रकार से उत्पन्न सन्तानों से भी सभी पुत्र हीमोफिलिक तथा पुत्रियाँ वाहक होंगी।
(4) हीमोफिलिक पुरुष तथा वाहक स्त्री से उत्पन्न सन्तानों में हीमोफिलिया की वंशागतिकी-इस प्रकार से उत्पन्न सन्तानों में 25% पुत्र वर्णान्ध व 25% पुत्र सामान्य तथा 25% पुत्रियाँ वर्णान्ध व 25% वाहक होंगी।
प्रश्न 8.
लिंग सहलग्नता किसे कहते हैं ? लिंग जीन के प्रकारों के नाम लिखकर समझाइए।
उत्तर
टी. एच. मॉर्गन के अनुसार, एक ही गुणसूत्र पर उपस्थित जीन्स में यह प्रवृत्ति होती है कि वे मौलिक संयोजन में रहते हैं और एक ही युग्मक में प्रवेश करते हैं। जीन्स की इस प्रवृत्ति को लिंग सहलग्नता कहते हैं, जबकि लिंग गुणसूत्रों पर पाये जाने वाले जीन्स को लिंग सहलग्न जीन्स तथा इनकी वंशागतिकी को लिंग सहलग्नता कहते हैं। रंग वर्णान्धता, हीमोफिलिया इत्यादि लिंग सहलग्नता के उदाहरण हैं।
लिंग सहलग्न जीन तीन प्रकार के होते हैं
- ‘X’ सहलग्न जीन-ये लिंग सहलग्न जीन ‘X’ गुणसूत्र के असमजात खण्ड पर पाये जाते हैं।
- ‘Y’ सहलग्न जीन-ये लिंग सहलग्न जीन ‘Y’ गुणसूत्र के असमजात खण्ड पर स्थित होते हैं। ये पिता से पुत्र में जाते हैं।
- ‘XY’ सहलग्न जीन-ये जीन्स ‘X’ एवं ‘Y’ गुणसूत्र के समजात खण्डों पर युग्म विकल्प के रूप में पाये जाते हैं।
प्रश्न 9.
जीन म्यूटेशन क्या है ? कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
जीन म्यूटेशन-जीन आनुवंशिक गुणों को माता-पिता से सन्तानों में ले जाते हैं। कभी-कभी इन जीनों की संरचना अथवा व्यवस्था में अचानक कुछ परिवर्तन आ जाते हैं, फलतः सन्तानों के लक्षणों में अचानक कुछ परिवर्तन पैदा हो जाते हैं । जीवों में अचानक पैदा हुए इन्हीं परिवर्तनों को जो आनुवंशिक होते हैं उत्परिवर्तन अथवा जीन उत्परिवर्तन कहते हैं।
उत्परिवर्तन के कारण
- बीडल एवं टैटम के अनुसार, प्रजनन के समय पैदा हुए भौतिक एवं रासायनिक बलों के कारण उत्परिवर्तन पैदा होते हैं।
- रैसावस्की के अनुसार, ‘X’ Rays भी उत्परिवर्तन पैदा करती हैं। .
- मुलर के अनुसार, रेडियोधर्मी किरणें भी उत्परिवर्तन पैदा करती हैं।
- गुवर व स्थिम के अनुसार, कुछ प्रतिजैविक भी उत्परिवर्तन पैदा कर सकते हैं।
- जनन के समय ताप में अचानक होने वाला परिवर्तन भी उत्परिवर्तन के कारण हो सकते हैं।
- सूत्रयुग्मन में असफलता तथा गुणसूत्र संख्या में परिवर्तन भी उत्परिवर्तन के कारण हो सकते हैं।
प्रश्न 10.
गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन से मनुष्यों में क्या परिणाम हो सकते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
गुणसूत्रों के ऊपर ही आनुवंशिक गुणों की वाहक इकाइयाँ अर्थात् जीन्स स्थित होती हैं और इनकी संख्या एवं व्यवस्था ही जीवों के आनुवंशिक गुणों का निर्धारण करती हैं । जब इनकी संख्या, व्यवस्था या संरचना में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होता है तब जीवों का गुण भी परिवर्तित हो जाता है। जब जीवों के गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन होता है तब उन पर स्थित जीवों की संख्या तथा व्यवस्था भी बदल जाती है। जिससे ऐसी परिवर्तित संख्या वाली मानव सन्तति भी परिवर्तित हो जाती है। सामान्यतः ऐसे परिवर्तन हानिकारक ही होते हैं, जो विकृति के रूप में जीवों में दिखाई देते हैं। इसे निम्नलिखित उदाहरणों से समझ सकते हैं
(1) टर्नर सिण्ड्रोम-टर्नर सिण्ड्रोम (Turner Syndrome)-
आनुवंशिक अनियमितता के कारण पैदा हुई एक विकृति है। इस संलक्षण से व्यक्ति की द्विगुणित कोशिका में 45 गुणसूत्र (44+X) होते हैं। इस संलक्षण वाले व्यक्ति में निम्नलिखित प्रमुख लक्षण विकसित होते हैं
- इससे ग्रसित मादा में अण्डाशय विकसित नहीं होता अर्थात् यह बन्ध्य होती है।
- इससे ग्रस्त मादा के स्तन कम विकसित होते हैं।
- इससे ग्रस्त मादा की गर्दन जालयुक्त तथा छाती चौड़ी होती है।
(2) क्लाइनफेल्टर्स सिण्ड्रोम (Klinefelter’s Syndrome)-
इस सिण्ड्रोम या संलक्षण वाले मनुष्य ठिगनापन लिए, कमजोर मस्तिष्क, शरीर पर कम बल वाले तथा छोटे स्तन ग्रहण किए हुए बन्ध्य नर (Sterile male) होते हैं। यह सिण्ड्रोम एक अतिरिक्त गुणसूत्र के कारण होता है। ऐसे नर मनुष्यों में एक ‘X’ गुणसूत्र अधिक पाया जाता है, अर्थात् इनमें कुल 47 गुणसूत्र होते हैं, जिनमें 44 ऑटोसोम्स तथा तीन ‘XXY’ लिंग गुणसूत्र होते हैं।
प्रश्न 11.
लिंग गुणसूत्र के प्रकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर
लिंग गुणसूत्र मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं
(A) अविभाजित प्रकार
(B)XX एवं XY प्रकार।
(A) अविभाजित प्रकार (Undifferentiated type)-प्रारम्भिक प्रकार के जीवों (Primitive organism) या निम्नलिखित कोटि के जीवों में ‘X’ एवं ‘Y’ गुणसूत्र नहीं पाये जाते हैं। इनमें लिंग निर्धारण करने वाले जीन्स ऑटोसोम में पाये जाते हैं।
(B) Xx एवं XY प्रकार-ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं
(i)XX (Q) एवं xYo-इसमें मादा समयुग्मकी (Homogametic, XX) होता है। अत: इससे केवल एक प्रकार का अण्ड (Egg) बनता है, जबकि नर विषमयुग्मकी (Heterogametic XY) होता है। अतः इससे दो प्रकार के स्पर्म (50% X एवं 50% Y) बनते हैं। उदाहरण-ड्रोसोफिला, मनुष्य’ । पुरुषों में 22 जोड़ी ऑटोसोम एवं एक जोड़ी ‘X’ एवं ‘Y’ गुणसूत्र पाये जाते हैं, जबकि स्त्रियों में 22 जोड़ी ऑटोसोम एवं एक जोड़ी XX गुणसूत्र पाये जाते हैं।
(ii) XY(Q) एवं xxo-इसमें मादा विषमयुग्मकी होता है, क्योंकि इसमें दो प्रकार के लिंग गुणसूत्र ‘X’ एवं ‘Y’ उपस्थित होते हैं, जबकि नर समयुग्मकी (XX) होता है।
उदाहरण-पक्षियों, मछलियों एवं तितलियों में।
(iii) xYO एवंxxo-मादा में 2X गुणसूत्र होते हैं, जबकि नर में केवल एक लिंग गुणसूत्र ‘X’ होता है। उदाहरण-टिड्डों में।
प्रश्न 12.
सहलग्नता के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर
पूर्ण सहलग्नता (Complete linkage)-
जब सहलग्नता के कारण दोनीन्स के अलग होने की संभावना बिल्कुल ही न हो तो ऐसी सहलग्नता को पूर्ण सहलग्नता कहते हैं। यह दो जीन्स के बीच तभी पायी जाती है जब दोनों एक गुणसूत्र पर अत्यन्त निकट स्थिति में होते हैं। निकटता के कारण गैमिटोजेनेसिस अथवा मियोसिस के समय दोनों जीन्स के बीच क्रॉसिंग ओवर नहीं हो पाता, फलतः अगली पीढ़ी में पुनर्संयोजन प्रकार (Recombinants) की संतति प्राप्त नहीं होती। उदाहरण-ड्रोसोफिला अथवा फ्रुट फ्लाई में शरीर के रंग तथा पंख के आकार को निर्धारित करने वाले जीन्स आपस में पूर्ण सहलग्नता प्रदर्शित करते हैं। इसका वर्णन पूर्व में किया गया है।
अपूर्ण सहलग्नता (Incomplete linkage)-
जब एक गुणसूत्र पर पाये जाने वाले दो जीन्स के आपस में होने की संभावना रहती है, तो उसके बीच पायी जाने वाली सहलग्नता को अपूर्ण सहलग्नता कहते हैं। यह तब पायी जाती है, जब दोनों जीन्स गुणसूत्र पर दूरस्थ स्थित होते हैं। इनके बीच की दूरी के कारण मियोसिस के समय क्रॉसिंग ओवर की संभावना रहती है। इसके परिणाम स्वरूप ये एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। क्रॉसिंग ओवर होने अथवा सहलग्न जीन्स के अलग होने की संभावना जीन्स के बीच की दूरी पर निर्भर करती है। जीन्स के बीच की दूरी अधिक होने पर अधिक प्रतिशत में पुनर्संयोजन प्रकार की संतति F, पीढ़ी में प्राप्त होती हैं। उदाहरण-मक्के में भ्रूणपोष तथा बीज के आकार को नियंत्रित करने वाले जीन्स अपूर्ण सहलग्नता प्रदर्शित करते हैं। इसी प्रकार, मीठी मटर में पुष्प के रंग तथा परागकणों के आकार को निर्धारित करने वाले जीन्स अपूर्ण रूप से सहलग्न होते हैं।
लिंग सहलग्नता (Sex linkage)-
हम जानते हैं कि मनुष्य समेत अधिकांश स्तनधारियों में X एवं Y गुणसूत्र द्वारा लिंग निर्धारित होते हैं। Y गुणसूत्र पर केवल नर होने के लिए आवश्यक जीन्स पाये जाते हैं । इसके अलावा इस पर बाह्य कान पर पाये जाने वाले बालों के लिए (Hypertrichosis) उत्तरदायी जीन भी पाया जाता है। फिर भी Y गुणसूत्र को आनुवंशिक रूप से निष्क्रिय माना जाता है । दूसरी ओर Xगुणसूत्र पर अनेकों जीन्स पाये जाते हैं ।
मादा में पाये जाने वाले लिंग गुणसूत्र XX आपस में समजात होते हैं, अतः उनके बीच क्रॉसिंग ओवर होता है। ये जीन्स पूर्ण अथवा अपूर्ण सहलग्नता प्रदर्शित करते हैं । परंतु नर में पाये जाने वाले XY लिंग गुणसूत्र आपस में समजात नहीं होते। अतः इसके बीच क्रॉसिंग ओवर अथवा जीन विनिमय नहीं होता। अत: नर के X गुणसूत्र पर पाये जाने वाले जीन्स एक साथ अगली पीढ़ी में जाते हैं। ऐसी सहलग्नता, असत्य सहलग्नता (False linkage) कहलाती है। जीव के लिंग से संबंधित होने को लिंग सहलग्नता (Sex linkage) भी कहा जाता है।
प्रश्न 13.
सहलग्नता के सिद्धान्त को विस्तार से समझाइए।
उत्तर
सटन (Sutton) ने ड्रोसोफिलापर सहलग्नता संबंधी अनेक कार्य किये। बाद में मॉर्गन (Morgan)ने इस कार्य को निरंतर जारी रखा। सन् 1910 में मॉर्गन ने सहलग्नता सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। इस सिद्धान्त के मुख्य बिंदु निम्नानुसार हैं
- आपस में सहलग्नता प्रदर्शित करने वाले सभी जीन्स एक ही गुणसूत्र पर पाये जाते हैं। ये सहलग्न जीन्स (Linked genes) कहलाते हैं।
- एक गुणसूत्र पर पाये जाने वाले जीन्स गुणसूत्र के ऊपर रैखिक क्रम में विन्यस्त होते हैं।
- सहलग्न जीन्स अगली पीढ़ी में साथ जाना चाहते हैं, जिसके कारण पैतृक गुणों का संयोजन, पीढ़ी में बना रहता है। परंतु क्रॉसिंग ओवर के कारण यह संयोजन टूट जाता है, अर्थात् सहलग्न जीन्स अलग हो जाते हैं।
- सहलग्न जीन्स के बीच पाया जाने वाला सहलग्नता बल (Linkage force) उनके बीच की दूरी का व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात् उनके बीच दूरी बढ़ने से सहलग्नता बल कम होती है एवं दूरी कम होने पर यह बल अधिक होता है।
F α 1/d
जहाँ F = सहलग्नता बल तथा
d= दो जीन्स के बीच की दूरी है।