MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर
ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर
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प्रश्न 1.
निम्न को प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक एल्कोहॉल में वर्गीकृत कीजिये
उत्तर-
- 1°
- 1°
- 1°
- 2°
- 2°
- 3°.
प्रश्न 2.
उपरोक्त उदाहरण में एलिलिक एल्कोहॉल की पहचान कीजिये।
उत्तर
एलिलिक एल्कोहॉल,
(ii) तथा (vi) है।
प्रश्न 3.
निम्न यौगिकों के नाम IUPAC पद्धतिनुसार कीजिये
उत्तर
- 3-क्लोरोमेथिल-2-आइसोप्रोपिलपेन्टेन-1-ऑल ।
- 2, 5-डाइमेथिलहेक्सेन-1, 3-डाइऑल
- 3-ब्रोमोसाइक्लोहेक्सन-1-ऑल
- हेक्स-1-ईन-3-ऑल
- 2-ब्रोमो-3 मेथिलब्यूट-2-ईन-1-ऑल ।
प्रश्न 4.
दर्शाइए कि किस प्रकार निम्न एल्कोहॉल मेथेनल पर उपयुक्त ग्रिगनार्ड अभिकर्मक की क्रिया द्वारा बनाये जाते हैं –
उत्तर
प्रश्न 5.
निम्न अभिक्रिया के उत्पाद की संरचना बनाइये –
उत्तर
प्रश्न 6.
प्रत्येक संभावित उत्पाद की संरचना दीजिये जब निम्न एल्कोहॉल क्रिया करती है
(a) HCI -ZnCl2
(b) HBr तथा
(c) SOCl2के साथ-
- ब्यूटेन-1-ऑल,
- 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल।
उत्तर
(a) HCl + ZnCl2 के साथ (ल्यूकास अभिकर्मक)-ब्यूटेन-1-ऑल (1° एल्कोहॉल) कमरे के ताप पर ल्यूकास अभिकर्मक के साथ क्रिया नहीं करते जबकि गंदलापन उत्पन्न होता है केवल गरम करने पर, परन्तु 2-मिथाइल ब्यूटेन-2-ऑल (3° एल्कोहॉल) ल्यूकास अभिकर्मक के साथ कमरे के ताप पर तुरन्त गंदलापन देता है।
(b) HBr के साथ-दोनों ऐल्कोहॉल HBr के साथ क्रिया द्वारा संगत एल्किल ब्रोमाइड देता है।
(c) SOCl2 के साथ – दोनों ऐल्कोहॉल SOCl2 के साथ क्रिया द्वारा संगत एल्किल क्लोराइड देता है।
प्रश्न 7.
निम्न की अम्ल उत्प्रेरित निर्जलीकरण पर बनने वाले प्रमुख उत्पाद की भविष्यवाणी कीजिये
- 1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल तथा
- ब्यूटेन-1-ऑल।
उत्तर
प्रश्न 8.
फिनॉल की तुलना में ऑर्थो तथा पैरानाइट्रोफिनॉल ज्यादा अम्लीय है। संगत् फिनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनायें बनाइये।
उत्तर
p-नाइट्रो फिनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ
प्रतिस्थापी फिनॉल में इलेक्ट्रॉन निकालने वाले समूह (—R प्रभाव) जैसे – NO2समूह की उपस्थिति के कारण फिनॉल का अम्लीय स्वभाव बढ़ जाता है। आर्थो तथा पैरा-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन ज्यादा स्थायी है (बॉक्स में दिखाई गई अतिरिक्त अनुनादी संरचना के कारण) क्योंकि फिनॉल की तुलना में ऋणात्मक आवेश का फिनॉक्साइड आयन पर प्रभावी विस्थापनीकरण होता है। अतः ०, तथा p-नाइट्रोफिनॉल, फिनॉल से ज्यादा अम्लीय होते हैं।
प्रश्न 9.
निम्न अभिक्रियाओं में शामिल समीकरण लिखिये
- रीमर-टीमैन अभिक्रिया,
- कोल्बे अभिक्रिया।
उत्तर
1. रीमर-टीमैन अभिक्रिया (Reimer-Tiemann reaction) – क्षार NaOH की उपस्थिति में फीनॉल का उपचार क्लोरोफॉर्म के साथ करके अम्लीकृत किये जाने पर -CHO समूह मुख्यत: ऑर्थो स्थान पर प्रवेश करता है।
2. कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe reaction)- जब CO2 प्रवाहित करते हुए सोडियम फिनॉक्साइड को गर्म किया जाता है तब कार्बोक्सीकरण प्रक्रिया होती है। p-हाइड्रॉक्सी बेंजोइक अम्ल की सूक्ष्म मात्रा के साथ मुख्य क्रियाफल के रूप में 0-हाइड्रॉक्सी- बेंजोइक अम्ल (सैलिसिलिक अम्ल) का निर्माण होता है।
प्रश्न 10.
2-एथॉक्सी-3 मिथाइल पेन्टेन की विलियमसन संश्लेषण क्रिया लिखिये। एथेनॉल तथा 3-मिथाइल पेन्टन-2-ऑल से शुरू करते हुये।।
उत्तर
विलियमसन संश्लेषण में एल्काइल हैलाइड (19) की अभिक्रिया सोडियम एल्कॉक्साइड से कराने पर ईथर Sn2 क्रियाविधि द्वारा प्राप्त होता है। अतः एल्काइल हैलाइड एथेनॉल तथा 3-मिथाइल पेन्टेन-2ऑल के एल्कॉक्साइड आयन से प्राप्त होता है। सम्पूर्ण क्रिया निम्न है
प्रश्न 11.
1-मिथॉक्सी-4 नाइट्रोबेंजीन को बनाने के लिये निम्न में से कौन-से उपयुक्त अभिकारकों के सेट हैं और क्यों?
उत्तर
रासायनिक रूप से दोनों सेट संभावित हैं। सेट (A) में Br समूह इलेक्ट्रॉन निकालने वाले समूह-NO2 समूह के कारण सक्रिय हो जाते हैं। अत: CH3ONa का नाभिकस्नेही आक्रमण के बाद NaBr का विलोपन होने से इच्छित ईथर प्राप्त होता है।
सेट (B) में मिथाइल ब्रोमाइड पर 4-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन का नाभिकस्नेही आक्रमण जैसा उत्पाद देगा।
प्रश्न 12.
निम्न अभिक्रिया के उत्पाद की भविष्यवाणी कीजिये
(i) CH3-CH2 – CH2-O-CH3+HBr→
उत्तर
ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर
- 2, 2, 4 ट्राइमेथिल पेन्टेन-3-ऑल
- 5-एथिलहेप्टेन-2, 4 डाइऑल
- ब्यूटेन-2, 3, डाइऑल
- प्रोपेन-1, 2, 3 ट्राइऑल
- 2-मेथिलफिनॉल
- 4-मेथिलफिनॉल
- 2, 5-डाइमेथिलफिनॉल
- 2, 6-डाइमेथिलफिनॉल
- 1-मेथॉक्सी-2-मेथिल-प्रोपेन
- एथॉक्सीबेंजीन
- 1-फिनॉक्सीहेप्टेन
- 2-एथॉक्सीब्यूटेन।
प्रश्न 2.
यौगिकों की संरचना बनाइये जिनके IUPAC नाम निम्न है
- 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल
- 1-फिनाइल प्रोपेन-2-ऑल
- 3, 5 डाइमेथिलहेक्सेन-1, 3, 5 ट्राइऑल .
- 2, 3-डाइएथिलफिनॉल
- 1-एथॉक्सीप्रोपेन
- 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन
- साइक्लोहेक्सिल मिथेनॉल
- 3-साइक्लोहेक्सिल पेन्टेन-3-ऑल
- साइक्लोपेन्ट-3-ईन-1-ऑल
- 4-क्लोरो-3-एथिल ब्यूटेन-1-ऑल।
उत्तर
प्रश्न 3.
अणुसूत्र C5H12O के सभी संभावी समावयवी ऐल्कोहॉलों की संरचना तथा उनके IUPAC नाम बताइये।
उत्तर
प्रश्न 4.
समझाइये क्यों प्रोपेनॉल का क्वथनांक हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन की तुलना में ज्यादा होता है ?
उत्तर
ब्यूटेन में अणु आपस में दुर्बल वाण्डर-वाल्स आकर्षण बल द्वारा जुड़े होते हैं जबकि प्रोपेनॉल में ये आपस में प्रबल अन्तराणुक हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़े होते हैं
अतः प्रोपेनॉल का क्वथनांक ब्यूटेन से ज्यादा होता है।
प्रश्न 5.
ऐल्कोहॉल संगत हाइड्रोकार्बन की तुलना में पानी में ज्यादा घुलनशील होते हैं। समझाइये। क्यों?
उत्तर
ऐल्कोहॉल पानी के साथ हाइड्रोजन बंध बनाता तथा पानी के अणुओं के मध्य उपस्थित H-बंध को तोड़ता है। अतः ये पानी में घुलनशील होते हैं।
दूसरी तरफ हाइड्रोकार्बन पानी के साथ हाइड्रोजन बंध नहीं बनाते इसलिये पानी में अघुलनशील होते हैं।
प्रश्न 6.
हाइड्रोबोरेशन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया से क्या समझते हैं ? इसे उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर
डाइबोरेन की एल्कीन से योगात्मक अभिक्रिया द्वारा ट्राइएल्किल बोरेन्स का निर्माण हकोता है जिसका एल्किलाइन हाइड्रोजन परॉक्साइड से ऑक्सीकरण करने पर एल्कोहॉल प्राप्त होता है। इस क्रिया को हाइड्रोबोरेशन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
इस प्रक्रिया में प्राप्त ऐल्कोहॉल, मार्कोनिकॉफ नियम के विपरीत जल के एल्कीन पर प्रत्यक्ष योग से बनते हैं।
प्रश्न 7.
अणुसूत्र C7H8O के मोनोहाइड्रिक फिनॉल की संरचना व IUPAC नाम दीजिये।
उत्तर
तीन समावयवी हैं
प्रश्न 8.
आर्थो व पैरा-नाइट्रोफिनॉल के मिश्रण का पृथक्करण भाप-आसवन द्वारा करते समय समावयवी का नाम बताइये जो भाप आसवित होगा, उसका कारण दीजिये।
उत्तर
0-नाइट्रोफिनॉल भाप अस्थिर (Steam volatile) होता है जबकि p-नाइट्रोफिनॉल नहीं। 0-नाइट्रोफिनॉल में अन्तरा-आण्विक (Intermolecular) H-बंध पाया जाता है । इस कारण इसका क्वथनांक p-नाइट्रोफिनॉल से कम होता है । इसलिए यह भाप स्थिर होता है तथा इसके अशुओं के बीच अन्तः आण्विक H-बंध पाया जाता है। (संरचना के लिए पाठ्यपुस्तक देखें)।
गलनांक, क्वथनांक एवं विलेयता पर प्रतिस्थापियों का प्रभाव यह होता है कि o-हाइड्रॉक्सी व्युत्पन्नों में, अंत:अणुक (Intramolecular) हाइड्रोजन बंधन के कारण गलनांक एवं क्वथनांक निम्न होते हैं अतः ये जल में अविलेय या बहुत कम विलेय होते हैं।
इस प्रकार p-नाइट्रोफीनॉल की अपेक्षा o-नाइट्रोफीनॉल कम विलेय एवं निम्न गलनांक तथा क्वथनांक वाला होता है।
p-समावयवी की अपेक्षा o-नाइट्रोफीनॉल के अधिक वाष्पशील होने का भी यही कारण होता है।
प्रश्न 9.
क्यूमीन से फिनॉल बनाने की विधि के लिये समीकरण दीजिये।
उत्तर
प्रश्न 10.
क्लोरोबेंजीन से फिनॉल बनाने की रसायनिक अभिक्रिया दीजिये।
उत्तर
प्रश्न 11.
एथीन के जलयोजन से एथेनॉल प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिये.
उत्तर
किसी भी अम्ल की उपस्थित में एथीन पर जल का प्रत्यक्ष योग नहीं होता है। अप्रत्यक्ष रूप से एथीन को पहले सान्द्र H2SO4 में से कमरे के ताप पर गुजारा जाता है तो एथिल हाइड्रोजन सल्फेट का निर्माण होता है, जो जल के साथ गर्म करने पर अपघटित होकर एल्कोहॉल बनाता है।
पद – I – हाइड्रोनियम आयन (H3O+) के इलेक्ट्रोफिलिक आक्रमण द्वारा एल्कीन के प्रोटीनीकरण से कार्बोकेटायन का निर्माण होता है।
पद – II – कार्बोकेटायन पर यूक्लियोफिलिक आक्रमण द्वारा प्रोटीनीकृत एल्कोहॉल प्राप्त होता है।
पद – III- अप्रोटीनीकृत (loss of proton) से एल्कोहॉल का निर्माण होता है। आयन (H3O+) के इलेक्ट्रोफिलिक आक्रमण द्वारा एल्कीन के प्रोटीनीकरण से कार्बोकेटायन का निर्माण होता है।
प्रश्न 12.
आपको बेंजीन, सान्द्र H2SO4 तथा NaOH दिया गया है। इन अभिकर्मकों से फिनॉल बनाने के लिये समीकरण लिखिये।
उत्तर
प्रश्न 13.
प्रदर्शित कीजिये किस प्रकार आप संश्लेषित करेंगे
- 1-फिनाइल एथेनॉल उपयुक्त एल्कीन से
- एक एल्किल हैलाइड का उपयोग करते हुये SN2 अभिक्रिया द्वारा साइक्लोहेक्सिल मेथेनॉल।
- उपयुक्त एल्किल हैलाइड के उपयोग द्वारा पेन्ट-1-ऑल।
उत्तर
प्रश्न 14.
दो अभिक्रिया दीजिये जो फिनॉल का अम्लीय स्वभाव दर्शाये फिनॉल की अम्लीयता की तुलना एथेनॉल से कीजिये।
उत्तर
फिनॉल के अम्लीय स्वभाव को प्रदर्शित करने वाली अभिक्रियाएँ
1. सोडियम के साथ अभिक्रिया- फिनॉल, सोडियम के साथ क्रिया द्वारा H, गैस देता है।
2. NaOH के साथ क्रिया- NaOH में घोलने पर फिनॉल सोडियम फिनॉक्साइड तथा पानी देता है।
फिनॉल एथेनॉल से ज्यादा अम्लीय है इसका कारण यह है कि फिनॉल से एक प्रोटॉन निकलने के बाद बना फिनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेता है (संरचना के लिये फिनॉल का अम्लीय स्वभाव पाठ्यपुस्तक में देखें) जबकि एथेनॉल से एक प्रोटॉन निकलने के बाद बना एथॉक्साइड आयन में ऐसा नहीं होता है।
प्रश्न 15.
समझाइये क्यों ऑर्थो-नाइट्रोफिनॉल आर्थो-मिथॉक्सी-फिनॉल से ज्यादा अम्लीय होता है ?
उत्तर
NO2 समूह पर प्रबल -R तथा -1 प्रभाव के कारण OH बंध में इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है। अतः प्रोटॉन का त्यागना आसान हो जाता है।
-1 प्रभाव के कारण –OH बंध पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है तथा इसके कारण प्रोटॉन का निकलना आसान हो जाता है।
-R प्रभाव के कारण ऑक्सीजन परमाणु पर धनात्मक आवेश आता है, जिससे प्रोट्रॉन को मुक्त करना आसान हो जाता है।
इसके अलावा 0-नाइट्रोफिनॉक्साइड, जो प्रोटॉन के निष्कासन के बाद बनता है तथा अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाता है।
0-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाते है । अत: 0-नाइट्रोफिनॉल एक प्रबल अम्ल है। दूसरी तरफ …- OCH3 समूह पर + R प्रभाव के कारण O – H बंध पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता हैं इससे प्रोटॉन का निष्कासन कठिन हो जाता है।
दूसरी संरचनाएँ दो ऋणात्मक आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं तथा o-मिथॉक्सीफिनॉक्साइड आयन अस्थायी हो जाता है। अत: यह 0-नाइट्रोफिनॉल से कम अम्लीय होता है।
प्रश्न 16.
समझाइये कि बेंजीन रिंग पर जुड़ी कार्बन पर जुड़ा- OH समूह उसको इलेक्ट्रोस्नेही प्रतिस्थापन के लिये सक्रियित करता है।
उत्तर
इलेक्ट्रोफाइल के आक्रमण के दौरान -OH समूह बेंजीन रिंग पर + प्रभाव उत्पन्न करता है। इस कारण, रिंग पर इलेक्ट्रॉन घनत्व मुख्यतः ऑर्थो तथा पैरा स्थिति पर बढ़ जाता है, जिससे इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन मुख्यतः आर्थो तथा पैरा स्थिति पर होता है । (अनुनादी संरचना के लिये फिनॉल की अम्लीय स्वभाव NCERT पाठ्य-पुस्तक में देखें)।
प्रश्न 17.
निम्न अभिक्रियाओं पर समीकरण दीजिये
- प्रोपेन-1-ऑल का क्षारीय KMnO4 विलयन द्वारा ऑक्सीकरण।
- फिनॉल के साथ CS2 एवं Br, में
- फिनॉल के तनु HNO3 के साथ
- फिनॉल की क्लोरोफॉर्म के साथ जलीय NaOH की उपस्थिति में क्रिया।
उत्तर
प्रश्न 18.
निम्न को उदाहरण सहित समझाइये –
- कोल्बे अभिक्रिया
- रीमर-टीमेन अभिक्रिया
- विलियमसन-ईथर संश्लेषण
- असममित ईथर।
उत्तर-
1. एवं
2.
1. रीमर-टीमैन अभिक्रिया (Reimer-Tiemann reaction) – क्षार NaOH की उपस्थिति में फीनॉल का उपचार क्लोरोफॉर्म के साथ करके अम्लीकृत किये जाने पर -CHO समूह मुख्यत: ऑर्थो स्थान पर प्रवेश करता है।
2. कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe reaction)- जब CO2 प्रवाहित करते हुए सोडियम फिनॉक्साइड को गर्म किया जाता है तब कार्बोक्सीकरण प्रक्रिया होती है। p-हाइड्रॉक्सी बेंजोइक अम्ल की सूक्ष्म मात्रा के साथ मुख्य क्रियाफल के रूप में 0-हाइड्रॉक्सी- बेंजोइक अम्ल (सैलिसिलिक अम्ल) का निर्माण होता है।
3. विलियमसन-ईथर संश्लेषण-एल्किल हैलाइड तथा सोडियम एल्कॉक्साइड के बीच क्रिया होकर ईथर बनते हैं। यह एक नाभिक-स्नेही अभिक्रिया है जिसमें एल्कॉक्साइड आयन से हैलाइड आयन का विस्थापन होता है।
4. असममित ईथर (Asymmetric Ether)-असममित ईथर वे ईथर होते हैं जिनमें ऑक्सीजन अणु के दोनों ओर दो अलग-अलग समूह जुड़े होते हैं एवं कार्बन के अणु समान होते हैं।
उदाहरण-एथिल मेथिल ईथर (CH3-0-CH2CH3)|
प्रश्न 19.
एथेनॉल के अम्लीय निर्जलीकरण से एथीन बनाने की क्रियाविधि लिखिये।
उत्तर
एथेन बनाने के लिए एथेनॉल का अम्लीय डीहाइड्रेशन क्रिया के निम्न पद हैं
पद 1- एथिल ऑक्सोनियम आयन के निर्माण के लिए एथेनॉल का प्रोटॉनीकरण
पद 2-कार्बोकेटायन का निर्माण (दर निर्धारक पद)
पद 3-एथेन बनाने के लिए प्रोटॉन का निष्कासन (Elimination)
पद 1 में अवशोषित अम्ल पद 3 में मुक्त होते हैं । एथेन के निर्माण के बाद संतुलन को आगे की दिशा में बदलने के लिए इसे हटा दिया जाता है।
प्रश्न 20.
निम्न परिवर्तन किस प्रकार किये जाते हैं –
- प्रोपीन → प्रोपेन-2-ऑल
- बेन्जॉइल क्लोराइड → बेन्जॉइल एल्कोहॉल
- एथिल मैग्नीशियम क्लोराइड → प्रोपेन-1- ऑल
- मिथाइल मैग्नीशियम ब्रोमाइड → 2-मिथाइल प्रोपेन-2-ऑल
उत्तर
प्रश्न 21.
निम्न अभिक्रिया में प्रयोग किये जाने वाले अभिकर्मक का नाम बताइये –
- प्राथमिक ऐल्कोहॉल का कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकरण
- प्राथमिक ऐल्कोहॉल का एल्डिहाइड में ऑक्सीकरण
- फिनॉल का 2, 4, 6 ट्राइब्रोमोफिनॉल में ब्रोमीनीकरण
- बेन्जॉइल एल्कोहॉल को बेन्जोइक अम्ल में।
- प्रोपेन-2-ऑल को प्रोपीन में निर्जलीकरण
- ब्यूटेन-2-ऑन को ब्यूटेन-2-ऑल में।
उत्तर
- अम्लीकृत K2Cr2O7 या उदासीन, अम्लीय या क्षारीय KMnOA
- पिरिडिनियम क्लोरोक्रोमेट (PCC)CH2CI2 में या 573K पर Cu
- ब्रोमीन जल (Br2)H2O
- अम्लीकृत या क्षारीय KMnO4
- सान्द्र H2SO4, 443 K पर या 85% फॉस्फोरिक अम्ल, 443K पर
- Ni / H2 T NaBH4 या LiAlH4.
प्रश्न 22.
एथेनॉल का क्वथनांक मिथॉक्सीमेथेन की तुलना में उच्च होने का कारण दीजिये।
उत्तर
एथेनॉल का क्वथनांक मिथॉक्सीमेथेन की तुलना में उच्च इसलिये होता है क्योंकि एथेनॉल की अणुओं के बीच प्रबल अन्तः आण्विक हाइड्रोजन बंध उपस्थित होने के कारण अणु संगुणित रूप में होते हैं। जबकि मिथॉक्सी ईथर में इस प्रकार का H-बंध नहीं होता है।
प्रश्न 23.
निम्न ईथर के IUPAC नाम दीजिये
उत्तर
- 1-एथॉक्सी-2-मेथिल प्रोपेन
- 2-क्लोरो-1-मेथॉक्सी एथेन
- 4-नाइट्रोएनीसॉल
- 1-मेथॉक्सी प्रोपेन
- 1-एथॉक्सी-4, 4-डाइमेथिल साइक्लोहेक्सेन
- एथॉक्सी बेंजीन ।
प्रश्न 24.
विलियमसन संश्लेषण द्वारा निम्न ईथरों को बनाने के लिए अभिकर्मक का नाम तथा समीकरण लिखिये
- 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
- एथॉक्सीबेंजीन
- 2-मेथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
- 1-मेथॉक्सीएथेन।
उत्तर
प्रश्न 25.
निश्चित प्रकार के ईथरों को बनाने की विलियमसन संश्लेषण की सीमाओं को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर
विलियमसन संश्लेषण विधि की सीमाएँ
1. यदि एल्किल हैलाइड प्राथमिक हो तो अच्छा परिणाम निकलता है। यदि द्वितीयक व तृतीयक हैलाइड हो, तो प्रतिस्थापन की जगह विलोपन होता है । यदि तृतीयक हैलाइड का प्रयोग करें तो केवल एल्कीन ही बनता है ईथर नहीं । उदाहरण-CH3ONa के साथ (CH3)3 C-Br की क्रिया में 2-मेथिल प्रोपीन (आइसोक्यूटीन) बनेगा।
ऐसा इसलिये होता है क्योंकि ऐल्कॉक्साइड केवल न्यूक्लियो-फाइल ही नहीं अपितु प्रबल क्षार भी होता है। अतः एल्किल हैलाइड की क्रिया द्वारा विलोपन क्रिया करते हैं । अतः एथिल तृतीयक ब्यूटिल ईथर बनाने के लिये हमें एथिल हैलाइड तथा सोडियम तृतीयक ब्यूटॉक्साइड उपयोग करना चाहिये।
2. एरिल हैलाइड तथा विनाइल ईथर को सबस्टेट की तरह ऐरोमैटिक एलिफैटिक ईथर बनाने में नहीं होता है क्योंकि ऐरिल हैलाइड तथा विनाइल हैलाइड न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन के प्रति कम सक्रिय होते हैं।
प्रश्न 26.
प्रोपेन-1 ऑल से 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन किस प्रकार बनायेंगे, इस अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिये।
उत्तर
(b) इसे प्रोपेन-1-ऑल के निर्जलीकरण द्वारा बनाया जाता है।
प्रश्न 27.
द्वितीयक व तृतीयक एल्कोहॉल के अम्ल-निर्जलीकरण द्वारा ईथर का बनना एक उपयुक्त विधि नहीं है, कारण दीजिये।
उत्तर
1° एल्कोहॉल प्रोटोनीकृत होता है फिर दूसरा अणु उस पर आक्रमण करता है। अभिक्रिया SN2 होती है।
2° तथा 3° भी प्रोटोनीकृत होता है परन्तु दूसरा एल्कोहॉल अणु त्रिविम बाधा के कारण उस पर आक्रमण नहीं करता है। इसलिये प्रोटोनीकृत एल्कोहॉल पानी का एक अणु निकालकर स्थायी 2′ या 3° कार्बोकेटायन बनाता है, जो एक प्रोटॉन निकालकर एल्कीन बनाने को प्राथमिकता देता है।
इसी प्रकार, 3° ऐल्कोहॉल आइसोब्यूटीन बनाता है।
प्रश्न 28.
निम्न के साथ हाइड्रोजन आयोडाइड के अभिक्रिया का समीकरण लिखिये
- 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
- मेथॉक्सीबेंजीन तथा
- बेन्जॉइल एथिल ईथर।
उत्तर
प्रश्न 29.
इस कथन को समझाइये कि एरिल-एल्किल ईथर में
- एल्कॉक्सी समूह बेंजीन रिंग को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के लिये सक्रिय करता है तथा
- ये नये आने वाले प्रतिस्थापी को ऑर्थो, पैरा स्थिति पर जाने के लिये निर्देशित करता है।
उत्तर
एरिल एल्किल ईथर में +R-प्रभाव के कारण एल्कॉक्सी समूह में इलेक्ट्रॉन घनत्व बेंजीन रिंग पर बढ़ता है। एल्कॉक्सी समूह ऑर्थो, पैरा दिशात्मक होता है तथा बेंजीन रिंग को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के प्रति फीनॉल के समान सक्रिय करता है।
इन संरचनाओं में 0, p पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है जिससे नया आने वाला इलेक्ट्रोफाइल (+ आवेश स्पिीशीज) 0, p पर जाता है।
प्रश्न 30.
HI की मेथॉक्सीमेथेन के साथ क्रिया की क्रियाविधि लिखिये।
उत्तर
प्रोटोनीकृत ईथर पर I आयन द्वारा SN2आक्रमण होता है तथा मेथिल आयोडाइड तथा मेथिल ऐल्कोहॉल का मिश्रण बनता है। परन्तु यदि HI अधिकता में लिया जाता है तो (ii) में बना मेथिल एल्कोहॉल भी निम्न क्रियाविधि द्वारा मेथिल आयोडाइड में बदल जाता है।
प्रश्न 31.
निम्न अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिये –
- फ्रीडल-क्राफ्ट अभिक्रिया एनीसॉल एल्किलीकरण।
- एनीसॉल का नाइट्रीकरण
- एनीसॉल का एथेनोइक अम्ल माध्यम में ब्रोमीनीकरण
- एनीसॉल का फ्रीडल-क्रॉफ्ट एसिलीकरण।
उत्तर
1. फ्रीडल-क्रॉफ्ट अभिक्रिया-एनिसॉल में फ्रीडल-क्रॉफ्ट अभिक्रिया अर्थात् एल्किल या एरिल समूह 0, p स्थिति पर एल्किल या एरिल हैलाइड की निर्जल AICI (लूईस अम्ल) एक उत्प्रेरक की उपस्थिति में प्रवेश करता है
2. एनीसॉल का नाइट्रीकरण-नाइट्रीकरण पर ()-तथा p-नाइट्रो एनिसॉल बनता है। OCH;
3. एनीसॉल का एथेनोइक अम्ल माध्यम में ब्रोमीनीकरण-एनिसॉल में ब्रोमीनीकरण CH3COOH में बने Br, द्वारा होता (आयरन-III ब्रोमाइड उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में) है तथा पैरा-समावयवी 90% बनता है। OCH3
4. एनीसॉल का फ्रीडल-क्रॉफ्ट एसिलीकरण
प्रश्न 32.
दर्शाइये कि आप किस प्रकार निम्न ऐल्कोहॉलों का उपयुक्त एल्कीनों से संश्लेषण करेंगे
उत्तर
1. ऐल्कोहॉल निर्जलीकरण पर एल्कीन देते हैं जो एल्कीन बनते हैं वो जल के ! अणु के योग होने पर अपेक्षित ऐल्कोहॉल देते हैं। पानी का योग मारकोनीकॉफ नियमानुसार होता है। जब एल्कीन के निर्जलीकरण द्वारा दो एल्कीन बनते हैं तो देखना पड़ता है कि कौन-सा एल्कीन अपेक्षित ऐल्कोहॉल देगा।
दोनों एल्कीन, जल के एक अणु से योग करके अपेक्षित एल्कोहॉल देंगे।
2. यह दो एल्कीन बनाते हैं। ये जल के एक अणु के योग द्वारा अपेक्षित ऐल्कोहॉल देते हैं।
3.
पेन्ट-1 ईन पर जल के अणु का योग अपेक्षित एल्कोहॉल देगा। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है किOH समूह द्विबंध से जुड़ी उस C परमाणु पर जायेगा जिसमें कम संख्या हाइड्रोजन परमाणु हो । पेन्ट-2-ऑन की स्थिति में दोनों द्विबंध रखने वाले कार्बन पर एक-एक हाइड्रोजन उपस्थित है,। अत: यह एल्कीन पेन्टेन-2-ऑल तथा पेन्टेन-3-ऑल देगा।
4.
2-मेथिल साइक्लोहेक्सिल ब्यूट-2-ईन पर जल के अणु के योग द्वारा अपेक्षित एल्कोहॉल देगा, -OH समूह द्विबंध से जुड़ी उस कार्बन परमाणु पर जायेगा जिसमें H-परमाणु की संख्या कम है।
प्रश्न 33.
जब 3-मेथिल ब्यूटेन-2-ऑल की क्रिया HBr से करायी जाती है, तो निम्न क्रिया होती है
(संकेत-पद II में बने द्वितीयक कार्बोकेटायन में पुनर्विन्यास द्वारा ज्यादा स्थायी नृतीयक कार्बोकेटायन हाइड्राइड आयन के 3-कार्बन परमाणु से स्थानान्तरण द्वारा बनते हैं।)
उत्तर
ऐल्कोहॉल पहले प्रोटोनीकृत होता है फिर जल का एक अणु निकलकर कार्बोकेटायन बनाता है
अब 2° कार्बोकेटायन पुनव्यविस्थत होकर ज्यादा स्थायी तृतीयक कार्बोकेटायन Cपर निकटवर्ती कार्बन से एक — H परमाणु के निगमन द्वारा बनता है। इसे 1, 2 विस्थापन (शिफ्ट) कहते हैं। इसके बाद Br का योग होता है
ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
सोडियम, ऐल्कोहॉल में सुगमता से विलेय हो जाता है, क्योंकि
(a) ऐल्कोहॉल, जल की अपेक्षा अधिक घनत्व वाला है
(b) ऐल्कोहॉल, जल की अपेक्षा हल्का है
(c) ऐल्कोहॉल उदासीन है
(d) ऐल्कोहॉल उभयधर्मी है।
उत्तर
(d) ऐल्कोहॉल उभयधर्मी है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित चार यौगिकों में सर्वाधिक अम्लीय है
(a) फीनॉल
(b) O- नाइट्रोफीमॉल
(c) p-नाइट्रोफीनॉल
(d) m- नाइट्रोफीनॉल।
उत्तर
(c) p-नाइट्रोफीनॉल
प्रश्न 3.
फीनॉल से सैलिसिल्डिहाइड बनाने के लिए अभिक्रिया है
(a) रोजेनमुण्ड अभिक्रिया
(b) फ्रीडल-क्रॉफ्ट अभिक्रिया
(c) रीमर-टीमैन अभिक्रिया
(d) न्यूक्लियोफिलिक अभिक्रिया।
उत्तर
(c) रीमर-टीमैन अभिक्रिया
प्रश्न 4.
प्रोपेनॉल-2 को प्रोपेनोन में परिवर्तित करने वाला सर्वाधिक प्रभावी अभिकर्मक है
(a) LiAIH4
(b) Cu/300°C
(c) CO2
(d) K2Cr207.
उत्तर
(b) Cu/300°C
प्रश्न 5.
कार्बोलिक अम्ल है
(a) फीनॉल
(b) फेनिल बेंजोएट
(c) फेनिल एसीटेट
(d) मेथिल सैलिसिलेट।
उत्तर
(a) फीनॉल
प्रश्न 6.
कौन-सा यौगिक विन्टर ग्रीन के तेल के रूप में जाना जाता है
(a) फेनिल बेंजोएट
(b) फेनिल सैलिसिलेट
(c) फेनिल एसीटेट
(d) सैलाल।
उत्तर
(d) सैलाल।
प्रश्न 7.
ल्यूकास अभिकर्मक की क्रिया किसके साथ तीव्रतम होती है
(a) (CH3)3-C-OH
(b) (CH3)2CHOH
(c) CH3-(CH2)2OH
(d) CH3-CH2OH.
उत्तर
(a) (CH3)3-C-OH
प्रश्न 8.
कम ताप पर CS2 में, फोनॉल Br2 के साथ क्रिया करके देता है
उत्तर
प्रश्न 9.
तप्त Al2O3 पर एथेनॉल की वाष्प प्रवाहित करने पर कौन-सा यौगिक प्राप्त होता है
(a) एथिल ईथर
(b) ऐसीटोन
(c) ऐसिटैल्डिहाइड
(d) एथेन।
उत्तर
(a) एथिल ईथर
प्रश्न 10.
कौन-सा यौगिक एस्प्रिन है
(a) एसिटिल सैलिसिलिक अम्ल
(b) सैलिसिलिक अम्ल
(c) एसिटामाइड
(d) सैलिसिल एमाइड।
उत्तर
(a) एसिटिल सैलिसिलिक अम्ल
प्रश्न 11.
निम्न यौगिक थैलिक अम्ल से क्रिया करके अम्ल क्षार सूचक देता है
(a) क्लोरोबेंजीन
(b) फीनॉल
(c) ऐल्कोहॉल
(d) ईथर ।
उत्तर
(b) फीनॉल
प्रश्न 12.
बैकेलाइट बनता है, जब फीनॉल निम्न के साथ संघनित होता है
(a) HCHO
(b) CH3CHO
(c) C2H5CHO
(d) CH3COCH2.
उत्तर
(a) HCHO
प्रश्न 13.
निश्चेतक के रूप में प्रयुक्त होता है
(a) CH3OH
(b) C2H5OH
(c) CH3-CHO
(d) (C2H5)2O
उत्तर
(d) (C2H5)2O
प्रश्न 14.
ल्यूकास अभिकर्मक है
(a) सान्द्र HCl
(b) सान्द्र H2SO4
(c) निर्जल ZnCl2
(d) सान्द्र HCl और निर्जल ZnCl2 I
उत्तर
(d) सान्द्र HCl और निर्जल ZnCl2 I
प्रश्न 15.
निम्नलिखित द्वारा ईथर तथा ऐल्कोहॉल में विभेद कर सकते हैं
(a) Na के साथ क्रिया
(b) PCl5 से क्रिया
(c) 2, 4 डाइनाइट्रो फेनिल हाइड्रेजीन से क्रिया
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) Na के साथ क्रिया
प्रश्न 16.
शराब को विषैला बनाने के लिये प्रयुक्त किया जाता है
(a) मेथिल एल्काहाल
(b) एथिल ऐल्कोहॉल
(c) ग्लिसरीन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(a) मेथिल एल्काहाल
प्रश्न 17.
लीबरमैन नाइट्रोसो परीक्षण देता है
(a) C6H5OH
(b) CH3-OH
(c) C2H5-OH
(d) CH3-O-CH3.
उत्तर
(a) C6H5OH
प्रश्न 18.
ल्यूकास अभिकर्मक द्वारा किसका परीक्षण किया जाता है
(a) फीनॉल
(b) ईथर
(c) ऐल्डिहाइड
(d) ऐल्कोहॉल।
उत्तर
(d) ऐल्कोहॉल।
प्रश्न 19.
ऐल्कोहॉल, जल में विलेय होते हैं इसका प्रमुख कारण है
(a) O-H बंध
(b) हाइड्रोजन बन्ध
(c) सहसंयोजक बन्ध
(d) वैद्युत संयोजकता।
उत्तर
(b) हाइड्रोजन बन्ध
प्रश्न 20.
ऐथिल ऐल्कोहॉल को विरंजक चूर्ण के साथ गर्म करने पर बनता है
(a) डाइ-एथिल ईथर
(b) फीनॉल
(c) क्लोरोबेन्जीन
(d) क्लोरोफॉर्म।
उत्तर
(d) क्लोरोफॉर्म।
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
- ईथर का सामान्य सूत्र ……… है।
- फीनॉल की कोल्बे-श्मिट अभिक्रिया का मुख्य उत्पाद ……… है।
- फीनॉल का हाइड्रोजनीकरण करने पर ……… देता है।
- ऐल्कोहॉल, I2 और क्षार के साथ क्रिया करके ……… का पीला अवक्षेप देता है।
- फीनॉल के 2n चूर्ण के साथ गर्म करने पर ……… देता है।
- फॉर्मेल्डिहाइड को ……… के साथ गर्म करने पर बैकलाइट बनता है।
- डाइएथिल ईथर ……… के रूप में प्रयुक्त होता है।
- RX को NaOR के साथ गर्म करने पर ROR बनता है। इस अभिक्रिया का नाम ……… है।
- ऐल्कोहॉल ……… है, जबकि फीनॉल ……… प्रकृति का होता है।
- ऐल्कोहॉल को सान्द्र H2SO4 के साथ 160-170°C पर गर्म करने पर ……… बनता है।
- ऐथिल ऐल्कोहॉल के निर्जलीकरण से ……… तथा ……… प्राप्त किया जाता है।
- रेक्टिफाइड स्पिरिट ………% ऐल्कोहॉल तथा ……… जल का मिश्रण होता है।
उत्तर-
- CnH2n+2.0
- सैलिसिलिक अम्ल
- साइक्लो हेक्सेनॉल
- आयोडोफॉर्म (CH3J)
- बेंजीन
- फीनॉल
- निश्चेतक
- विलियमसन संश्लेषण
- उदासीन, अम्लीय
- ऐल्कीन
- इथिलीन, डाइ एथिल ईथर
- 95.5%, 4.5% |
3. उचित संबंध जोडिए’
उत्तर-
- (f)
- (d)
- (e)
- (g)
- (b)
- (a)
- (j)
- (c)
- (h)
- (i).
4. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए
- डाइएथिल ईथर Na से क्रिया नहीं करता, क्यों?
- ईथर में लगी आग जल द्वारा नहीं बुझायी जा सकती, क्यों? ।
- ईथर को जलाने पर बनता है।
- मॉल्टोज को ग्लूकोज में परिवर्तित करने वाले एन्जाइम का नाम लिखिए।
- सल्फ्यू रिक ईथर को कहते हैं।
- ईथर की HI के साथ अभिक्रिया का उपयोग किसके निर्धारण में होता है ?
- CS2 की उपस्थिति में Br2, फीनॉल से क्रिया करके बनाता है।
- विक्टर मेयर विधि में 1° ऐल्कोहॉल क्षार के साथ कौन-सा रंग देता है ?
- फोनॉल, थैलिक ऐनहाइड्राइड के साथ H2SO4 की उपस्थिति में बनाता है।
- किण्वन अभिक्रिया में कौन-सी गैस प्राप्त होती है ?
- उस प्राथमिक एल्कोहॉल का नाम बताइए जो आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है।
- क्षार NaOH की उपस्थिति में फीनॉल की अभिक्रिया क्लोरोफॉर्म के साथ कराने पर सैलिसि ल्डिहाइड प्राप्त होता है, यह अभिक्रिया कहलाती है।
उत्तर
- अम्लीय H परमाणु नहीं है,
- जल से हल्का और अविलेय,
- CO2 और H2O
- मॉल्टेज,
- डाइएथिल ईथर,
- ऐल्कॉक्सी (जीसल),
- 0- और p-ब्रोमो फीनॉल,
- लाल,
- फिनॉल्पथैलीन,
- CO2,
- C2H5-OH (एथेनॉल),
- राइमर-टीमैन अभिक्रिया।
ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ईथर की जल में विलेयता साधारण नमक का संतृप्त विलयन मिलाने से कम क्यों हो जाती है ? समझाइए।
उत्तर
ईथर की जल में विलेयता साधारण नमक के संतृप्त विलयन की उपस्थिति में कम होने का प्रमुख कारण ईथर का एक दुर्बल ध्रुवीय (Weak polar) यौगिक होना है।
नमक का संतृप्त विलयन ईथर की ध्रुवीयता को कम करता है तथा Na और Cr आयन जल के अणुओं को अपनी ओर अधिक आकर्षित करते हैं, जिससे ईथर की विलेयता जल के अणुओं के कम सम्पर्क में आने के कारण घट जाती है।
प्रश्न 2.
परिशुद्ध ऐल्कोहॉल क्या है ? इसे कैसे बनाया जाता है ?
उत्तर
100% एथेनॉल को परिशुद्ध (विशुद्ध) ऐल्कोहॉल कहते हैं। परिशोधित स्पिरिट में बेंजीन मिलाकर प्रभाजी आसवन करते हैं। 64.8% पर जल 7.4%, ऐल्कोहॉल 18.5% और बेंजीन 74.1% का स्थिर क्वथनांकी (Azeotropic) मिश्रण आसवित होता है। जल के दूर हो जाने के बाद 68:2°C पर ऐल्कोहॉल (32-4%) व बेंजीन (67.6%) का द्विअंगी मिश्रण आसवित होता है। जब सम्पूर्ण बेंजीन निकल जाती है तो 78-1°C पर विशुद्ध ऐल्कोहॉल आसवित होता है। इसमें 100% ऐल्कोहॉल होता है।
प्रश्न 3.
स्टार्च से एथिल ऐल्कोहॉल बनाने की विधि का समीकरण दीजिए एवं एन्जाइमों के नाम लिखिए।
उत्तर
एन्जाइम-
- डायस्टेज
- माल्टेज
- जाइमेज। .
प्रश्न 4.
ल्युकास अभिकर्मक क्या हैं ? इससे प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल की पहचान किस प्रकार करेंगे? वर्णन कीजिए।
उत्तर
निर्जल ZnCl2 तथा सान्द्र HCl का मिश्रण ल्युकास अभिकर्मक कहलाता है।
1. तृतीयक ऐल्कोहॉल- सामान्य ताप पर यदि ऐल्कोहॉल में ल्युकास अभिकर्मक मिलाने से तुरंत एल्किल क्लोराइड्स का सफेद तेलीय अवक्षेप बनता है तो ऐल्कोहॉल, तृतीयक ऐल्कोहॉल होगा।
2.द्वितीयक ऐल्कोहॉल- सामान्य ताप पर यदि ऐल्कोहॉल में ल्युकास अभिकर्मक मिलाने से 5 मिनट पश्चात् सफेद तेलीय एल्किल क्लोराइड का अवक्षेप प्राप्त होता है, तो ऐल्कोहॉल द्वितीयक ऐल्कोहॉल होगा।
3. प्राथमिक ऐल्कोहॉल- सामान्य ताप पर यदि ऐल्कोहॉल ल्युकास अभिकर्मक के साथ कोई अभिक्रिया नहीं दर्शाता, तो प्राथमिक ऐल्कोहॉल होगा।
प्रश्न 5.
ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक ईथरों की तुलना में उच्च होते हैं, क्यों?
अथवा, C2H5OH तथा CH3OCH3 दोनों का अणु सूत्र C2H6O है, किन्तु ऐल्कोहॉल का क्वथनांक 78.4°C तथा ईथर का क्वथनांक -240°C है। कारण समझाइए।
उत्तर
एथिल ऐल्कोहॉल में उसके अनेक अणु आपस में H-बन्ध द्वारा संगुणित (जुड़े) रहते हैं। इस प्रकार के अणुओं को वाष्पित करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ईथर के अणु एकल अवस्था में ही रहते हैं। अतः इसका क्वथनांक कम होता है।
प्रश्न 6.
मेथिलेटेड स्प्रिट या विकृतीकृत ऐल्कोहॉल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
मेथिलेटेड स्प्रिट (Methylated Spirit)- परिशोधित स्प्रिट में मेथिल ऐल्कोहॉल और अन्य विषैले पदार्थ जैसे- पिरिडीन, रबर, थिनर, पेट्रोलियम, नेफ्था आदि मिलाकर विकृत कर दिया जाता है, तब इसे मेथिलेटेड स्प्रिट या विकृतीकृत ऐल्कोहॉल कहते हैं। इसका उपयोग स्प्रिट वार्निश बनाने के लिए किया जाता हैं। इससे शराब के रूप में एथेनॉल का दुरुपयोग रुक जाता है।
प्रश्न 7.
भाप अंगार गैस से CHJOH का निर्माण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर
भाप अंगार गैस से मेथिल ऐल्कोहॉल का निर्माण जल-वाष्प के रक्त-तप्त कोयले पर प्रवाहित करने पर कार्बन मोनो-ऑक्साइड और हाइड्रोजन गैस का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे (Water gas) भाप अंगार गैस कहते हैं।
जल गैस में हाइड्रोजन गैस 2 : 1 के अनुपात में मिलाकर मिश्रण को 200 वायुमण्डलीय दाब पर 300°C ताप पर Cu, Zn व Cr के Oxides (उत्प्रेरक) पर प्रवाहित करने पर मेथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
प्रश्न 8.
निम्नांकित परिवर्तनों के रासायनिक समीकरण दीजिए
- एथेनॉल से डाईएथिल ईथर
- डाईएथिल ईथर से एथेनॉल
- एथेनॉल से एथिल एसीटेट
- ग्लूकोज से एथेनॉल।
उत्तर
1. एथेनॉल से डाईएथिल ईथर-
2. डाईएथिल ईथर से एथेनॉल
3. एथेनॉल से एथिल एसीटेट
4. ग्लूकोज से एथेनॉल
प्रश्न 9.
फीनॉल और ऐल्कोहॉल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा, सारिणी बनाकर फीनॉल एवं ऐल्कोहॉल में कोई छः अन्तर कीजिए तथा फीनॉल से सम्बन्धित लीबरमान अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
लीबरमान क्रिया- फीनॉल में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की कुछ बूंदें और थोड़ा सोडियम नाइट्राइट मिलाने से पहले गहरा नीला रंग उत्पन्न होता है। इसमें जल मिलाने पर रंग लाल हो जाता है तथा क्षारीय करने पर लाल रंग पुनः नीले रंग में बदल जाता है।
प्रश्न 10.
शुद्ध फीनॉलरंगहीन ठोस होता है, परन्तु कुछ समय पश्चात् वह गुलाबी रंग देता है, क्यों ? अथवा, ऑक्सीजन की उपस्थिति में फीनॉल किस रंग का होता है ? अभिक्रिया सहित समझाइए।
उत्तर
फीनॉल वायु के सम्पर्क में आने पर गुलाबी रंग का हो जाता है, क्योंकि वह वायु की 0, से ऑक्सीकृत होकर क्विनोन बनाता है
यह क्विनोन पुनः फोनॉल के दो अणु के साथ हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़ जाता है जिससे गुलाबी रंग का फिनोक्विनोन बनता है।
प्रश्न 11.
फीनॉल की फेरिक क्लोराइड से क्रिया बताइए।
उत्तर
फीनॉल की जाँच उदासीन FeCl3 द्वारा भी की जाती है। फीनॉल, उदासीन FeCl3 मिलाने पर एक जटिल लवण का निर्माण करते हुए बैंगनी रंग देता है।
प्रश्न 12.
ऐल्कोहॉल का क्वथनांक संगत ऐल्केन की अपेक्षा उच्च होता है, क्यों?
उत्तर
लगभग समान अणुभार वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक बहुत उच्च होते हैं। यह अंतराणुक हाइड्रोजन बंध के कारण होता है। ऐल्कोहॉल अणु हाइड्रोजन बंधों द्वारा संगुणित होते हैं जिनकी ऊर्जा लगभग 5 से 10 कि. कैलोरी मोल-होती है। अतः इन अणुओं के पृथक्करण हेतु अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो क्वथनांक में वृद्धि करते हैं । हाइड्रोकार्बन जो हाइड्रोजन बंध नहीं बनाते हैं उनके क्वथनांक सामान्यतः ऐल्कोहॉलों की अपेक्षा कम होते हैं।
प्रश्न 13.
एथिल ऐल्कोहॉल और फीनॉल दोनों में -OH समूह उपस्थित है ? क्या कारण है कि फीनॉल अम्लीय तथा ऐल्कोहॉल क्षारीय प्रभाव का है ?
अथवा, एथिल ऐल्कोहॉल तथा फीनॉल दोनों में OH समूह उपस्थित रहता है। क्या कारण है कि फीनॉल अम्लीय और ऐल्कोहॉल उदासीन प्रकृति का होता है ?
अथवा, फीनॉल के अम्लीय व्यवहार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
फीनॉल ऐल्कोहॉल की अपेक्षा प्रबल अम्लीय होते हैं, यह सम्भवत: मेसोमेरिक प्रभाव के कारण होता है। फोनॉल अग्रांकित रूपों का अनुनादी संकर है
अनुनाद के कारण ऑक्सीजन परमाणु धन आवेश प्राप्त कर लेता है, जिससे यह 0-H बन्ध के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है और प्रोटॉन की मुक्ति सहज हो जाती है।
प्रोटॉन के मुक्त होने के बाद फीनॉक्साइड आयन बनता है, जो कि अनुनाद के कारण स्थायित्व प्राप्त कर लेता है।
चूँकि ऐल्कोहॉल में अनुनाद सम्भव नहीं होता है, इसलिए इसका हाइड्रोजन परमाणु ऑक्सीजन के साथ प्रबलता से जकड़ा रहता है । ऐल्कोहॉल इस कारण लगभग उदासीन यौगिक अथवा एक अत्यन्त दुर्बल अम्ल के समान व्यवहार प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 14.
प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक ऐल्कोहॉलों में विभिन्नता दर्शाने वाली विक्टर मेयर विधि लिखिए।
उत्तर
प्रश्न 15.
विलियमसन की अविरल ईथरीकरण विधि क्या है ? क्या यह अविरल विधि है ? कारण दीजिए एवं विधि का नामांकित चित्र बनाइये।
अथवा, डाइएथिल ईथर बनाने की प्रयोगशाला विधि का नामांकित चित्र बनाइए एवं संबन्धित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर
विलियमसन की अविरल ईथरीकरण विधि-एथिल ऐल्कोहॉल और सान्द्र H2SO4 के मिश्रण को 410 K पर गरम करके बनाया जाता है।
इस अभिक्रिया में (ii) पद में H2SO4 पुनः – ऐल्कोहॉल उत्पन्न हो जाता है, जो C2H5OH से पद (i) के अनुसार क्रिया करके उसे पुनः ईथर में बदलता है। इस प्रकार यह क्रिया आगे चलती रहती है। इस कारण इस विधि को अविरल ईथरीकरण की विधि कहते हैं।
वास्तव में यह विधि निरन्तर नहीं है, क्योंकि H2SO4 का SO4 में विघटन हो जाता है तथा कुछ समय बाद H2SO4 के तनु हो जाने पर अभिक्रिया चित्र-ईथर बनाने की प्रयोगशाला विधि मंद हो जाती है तथा H2SO4 की अधिक मात्रा बाद में मिलानी पड़ती है।
प्रश्न 16.
किण्वन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
किण्वन-जटिल कार्बनिक यौगिकों का एन्जाइम उत्प्रेरक की उपस्थिति में मन्द गति से सरल कार्बनिक यौगिकों में अपघटित होने की क्रिया को किण्वन कहते हैं । यीस्ट एक अच्छा किण्वक है, यह एक जीवित पदार्थ है, जिसमें एन्जाइम उपस्थित होते हैं। इसमें माल्टेज, जाइमेज, इनवर्टेज़ आदि एन्जाइम पाये जाते हैं।
किण्वन द्वारा ग्लूकोज में यीस्ट मिलाने पर एथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
किण्वन की अनुकूल परिस्थितियाँ
- अनुकूल ताप-25-35°C के बीच होता है।
- अन्य पदार्थ-कुछ कार्बनिक लवण जैसे-अमोनियम सल्फेट या अमोनियम नाइट्रेट किण्वक के आहार का कार्य करते हैं।
- सान्द्रण-विलयन तनु हो (सान्द्रता 8-10%)।
- वायु संचार-यह क्रिया वायु की उपस्थिति में होती है।
प्रश्न 17.
- फीनॉल को बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड से किस प्रकार प्राप्त करेंगे?
- डाइएथिल ईथर की HI अम्ल के साथ क्या क्रिया होती है ?
उत्तर
1. फीनॉल बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड के जलीय विलयन का भाप आसवन करके बनाया जाता है। N2C1
2. सान्द्र HI के साथ डाइएथिल ईथर को गर्म करने पर एक अणु एथिल आयोडाइड का तथा एक अणु एथिल एल्कोहॉल बनता है।
प्रश्न 18.
ऐसी दो अभिक्रियाएँ दीजिए जिनसे फोनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित होती हो, फीनॉल की अम्लता की तुलना एथेनॉल से कीजिए।
उत्तर
फीनॉल का अम्लीय गुण निम्न अभिक्रियाओं द्वारा दर्शाया जाता है
(क)
1. सक्रिय धातुओं से क्रिया (Na, K, Mg आदि)
हाइड्रोजन गैस का उत्पन्न होना।
2. जलीय NaOH से क्रियाएँफीनॉल दुर्बल अम्ल की भाँति कार्य करता है जो NaOIl को उदासीन करता है। OH
(ख) फोनॉल की अम्लता से एथेनॉल के साथ तुलना
C2H5OH + NaOH – कोई क्रिया नहीं
लेकिन फोनॉल NaOH से क्रिया दर्शाता है जो एथेनॉल की तुलना में प्रबल अम्लता दर्शाता है।
एथेनॉल और फीनॉल का आयनीकरण निम्न है
फीनॉल और फोनॉक्साइड आयन संकरण अवस्था दर्शाता संकरण से फोनॉक्साइड आयन स्थायित्व ग्रहण करता है।
दूसरी ओर एथॉक्साइड आयन व एथेनॉल संकरण अवस्था नहीं दर्शाते अर्थात् एथॉक्साइड आयन में ऑक्सीजन पर ऋणात्मक आवेश उपस्थित रहता है। जबकि फीनॉक्साइड आयन में आवेश विस्थापित होता रहता है।
एथेनॉल का मान PKa मान 15:9 है जबकि फीनॉल के लिए PKa का मान 10.0 है। अतः फोनॉल, एथेनॉल की तुलना में कई गुना अधिक अम्लीय है।
ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ऐल्कोहॉल में निर्जलीकरण की क्रियाविधि समझाइये।
उत्तर
ऐल्कोहाल का निर्जलीकरण-एथिल ऐल्कोहॉल को सान्द्र H2SO4 के आधिक्य में गर्म करने पर ऐल्कोहाल से जल के अणु निकलने से एल्कीन बनता है।
क्रियाविधि-H2SO4 द्वारा ऐल्कोहाल का प्रोटॉनीकरण
1.
2. जल का विलोपन
3. क्षार (बाइसल्फेट आयन) द्वारा प्रोटॉन के रूप में हाइड्रोजन का निकलना
निर्मित कार्बो केटायन (I) का स्थायित्व निर्जलीकरण की सरलता निर्धारित करता है एवं कार्बो केटायन के स्थायित्व का क्रम निम्न है
CH3 < C2H5 < आइसोप्रोपिल < तृतीयक ब्यूटिल
प्रश्न 2.
शीरे से एथिल ऐल्कोहॉल कैसे प्राप्त करते हैं ? संक्षेप में समझाइए एवं क्रिया का समीकरण दीजिए।
अथवा, शीरा क्या है ? किण्वन विधि द्वारा ऐल्कोहॉल कैसे बनाया जाता है ? समझाइये।
उत्तर
गन्ने के रस से शक्कर के क्रिस्टल पृथक् कर लेने के पश्चात् पीले गाढ़े रंग का चासनी जैसा द्रव बचता है, जिसे शीरा (molasses) कहते हैं। शीरे से ऐल्कोहॉल का निर्माण निम्नलिखित पदों में किया जाता है
1. तनुकरण- शीरे में जल मिलाकर 8-10% तनु करते हैं और इसमें थोड़ी मात्रा में अमोनियम सल्फेट, अमोनियम और फॉस्फेट, सल्फ्यूरिक अम्ल मिला दिये जाते हैं।
2. किण्वन- उक्त विलयन में यीस्ट (लगभग 5%) मिला दिया जाता है। मिश्रण को 2-3 दिन के लिए 25-30°C ताप पर रख देते हैं। कुछ समय पश्चात् वायु प्रवाहित करते हैं । यीस्ट में उपस्थित एन्जाइमों की उत्प्रेरक क्रियाओं द्वारा एथेनॉल बन जाता है।
प्राप्त किण्वन द्रव को वाश (Wash) कहते हैं, जिसमें 6-10% C2H5OH तथा शेष जल और अन्य अशुद्धियाँ होती हैं।
3. आसवन- वाश का आसवन कॉफे भभके में किया जाता है। इसमें दो स्तम्भ होते हैं-विश्लेषक (analyser) तथा परिशोधक (rectifier) जो एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं।
वाश को एक सर्पिलाकार नली द्वारा परिशोधक में से प्रवाहित करते हैं । प्राप्त गर्म वाष्प को विश्लेषक के ऊपरी भाग से मन्द गति से गिराते हैं। विश्लेषक में ऊपर की ओर जा रही भाप नीचे की ओर आ रहे वाश के सम्पर्क मे आती है तथा उसमें ऐल्कोहॉल को वाष्पित करती है । ऐल्काहाल का क्वथनांक 78.3°C ह । अतः यह वाष्प में आगे बढ़ता जाता है। इन वाष्पों को संघनित करने से लगभग 90% ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
4. परिशोधन- वाश का परिशोधन प्रभाजी आसवन से करते हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित को कैसे परिवर्तित करेंगे
- मेथेनॉल से एथेनॉल
- एथेनॉल से मेथेनॉल।
उत्तर
1. मेथेनॉल से एथेनॉल
2. एथेनॉल से मेथेनॉल
प्रश्न 4.
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल में विभेद की ऑक्सीकरण एवं विहाइड्रोजनीकरण विधि को समझाइये।
उत्तर
1. ऑक्सीकरण विधि-इसे निम्न सारिणी द्वारा दर्शा सकते हैं
2. विहाइड्रोजनीकरण (Dehydrogenation) परीक्षण-जब ऐल्कोहॉल की वाष्पों को अपचयित एवं गर्म ताँबे पर 300°C पर प्रवाहित किया जाता है तब विभिन्न ऐल्कोहॉल से भिन्न-भिन्न क्रियाफल प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 5.
फीनॉल से निम्न कैसे प्राप्त करोगे-(समीकरण दीजिए)
- 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोफीनॉल,
- 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल,
- बेंजीन,
- आर्थो एवं पैरा-क्रिसॉल,
- ट्राइब्रोमो फीनॉल,
- पिक्रिक अम्ल,
- ऐनिलीन,
- फीनॉल्पथैलीन,
- p-क्रिसॉल।
उत्तर
फीनॉल से निम्न को बनाना
1. 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोफीनॉलOH
2. 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल
3. बेंजीन
4. 0-एवं p – क्रिसॉल
5. फीनॉल से ट्राइब्रोमोफीनॉल- फीनॉल की जलीय ब्रोमीन के साथ क्रिया कराने पर ट्राइब्रोमोफोनॉल बनता है।
6. फीनॉल से पिक्रिक अम्ल
7. फीनॉल से ऎनिलीन
8. फीनॉल से फीनॉल्फ्थै लीन-फीनॉल की सान्द्र H2SO4 अम्ल की उपस्थिति में थैलिक ऐनहाइड्राइड के साथ गर्म करने पर फीनॉल्पथैलीन बनती है, जो क्षार के साथ लाल रंग देती है। अत: इसका उपयोग अनुमापन में सूचक (indicator) के रूप में किया जाता है।
9. फीनॉल से पैरा-क्रिसॉल-फीनॉल की निर्जल AICI3 की उपस्थिति में मेथिल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया करने पर p- क्रिसॉल मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है और अल्प मात्रा में o- क्रिसॉल भी बनता है। इस अभिक्रिया को फ्रीडल-क्राफ्ट अभिक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 6.
निम्नांकित परिवर्तनों के रासायनिक समीकरण दीजिये
- ऐथेनॉल से डाइएथिल ईथर,
- डाइएथिल ईथरसे ऐथेनॉल,
- ऐथेनॉल से एथिल ऐसीटेट,
- ग्लूकोज से ऐथेनॉल।
उत्तर
परिवर्तनों के रासायनिक समीकरण
1. ऐथेनॉल से डाइएथिल ईथर –
2. डाइएथिल ईथर से ऐथेनॉल
3. ऐथेनॉल से एथिल ऐसीटेट
4. ग्लूकोज से ऐथेनॉल
प्रश्न 7.
लकड़ी के भंजक आसवन से मेथिल ऐल्कोहॉल का निर्माण की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
लकड़ी का 400°C पर भंजक आसवन (अर्थात् वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर) करने पर उत्पन्न होने वाली वाष्पों को संघनित्र में प्रवाहित करते हैं तथा कुछ गैसें द्रवित हो जाती हैं। यह द्रव दो परतें बनाती हैं। नीचे काष्ठ तार (Wood tar) होता है और ऊपर अम्लीय व भूरे रंग की एक परत होती है, जिसे पायरो लिग्नियस अम्ल कहते हैं। इसमें जल के अतिरिक्त ऐसीटिक अम्ल (8-10%), मेथेनॉल (2-4%) और ऐसीटोन (0-5) होता है।
पाइरो लिग्नियस अम्ल से शुद्ध मेथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त करना-पाइरो लिग्नियस अम्ल को एक ताँबे के पात्र में गर्म करते हैं और वाष्प को उबलते हुए चूने के पानी में प्रवाहित करते हैं । ऐसीटिक अम्ल अवाष्पशील कैल्सियम ऐसीटेट के रूप में पृथक् हो जाता है। इस पर H2SO4 की क्रिया से CH3COOH प्राप्त करते हैं।
2CH3COOH + Ca(OH)2 →(CH3COO)2 Ca+2H2 O
(CH3COO)2 Ca + H2S04→+2CH3.COOH + CaSO4
बिना शोषित हुए गैसों को संघनित्र के द्वारा द्रवित कर लिया जाता है। इसमें मेथिल ऐल्कोहॉल व ऐसीटोन होता है, जिसका प्रभाजी आसवन करके ऐसीटोन (56°C) व मेथिल ऐल्कोहॉलं (65°C) को अलग-अलग प्राप्त कर लेते हैं।
मेथिल ऐल्कोहॉल का शोधन- अशुद्ध मेथिल ऐल्कोहॉल में निर्जल CaCl2 मिलाते हैं, जिससे CaCl2.4CH3OH सूत्र का एक क्रिस्टलीय यौगिक (कैल्सियम क्लोराइड टेट्रा मेथेनॉल) प्राप्त होता है, इसे पृथक् करके जल के साथ उबालते हैं और आसवन करते हैं। मेथिल ऐल्कोहॉल का जलीय विलयन आसवित होता है। इसे बिना बुझा चूना (CaO) पर सुखाकर पुनः आसवित करने पर 65°C पर शुद्ध मेथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
प्रश्न 8.
फीनॉल बनाने के तीन विधियों का समीकरण दीजिए।
उत्तर
फीनॉल बनाने की विधियाँ
1. बेंजीन डाइएजोनियम लवणों का जल-अपघटन-एरोमैटिक प्राथमिक एमीन (एनिलीन) को नाइट्रस अम्ल (NaNO2 + HCI) के साथ 0-5°C ताप पर बेंजीन डाइएजोनियम लवण बनता है। इस लवण के जलीय विलयन को उबालने पर फीनॉल प्राप्त होता है।
2. सोडियम बेंजीन सल्फोनेट के क्षारीय गलन- सोडियम बेंजीन सल्फोनेट को NaOH के साथ संगलित करने पर सोडियम फीनॉक्साइड बनता है जिसे अम्लीकृत करने पर फीनॉल बनता है।
3. रेशिग विधि- बेंजीन की HCl अम्ल और वायु के मिश्रण के साथ Cu उत्प्ररेक की उपस्थिति में 230°C ताप पर गर्म करने पर क्लोरो बेंजीन बनता है। फिर इसका जल-अपघटन करने पर फीनॉल बनता है।