MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र
वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
वायु में एक-दूसरे से 30 सेमी दूरी पर रखे दो छोटे आवेशित गोलों पर क्रमशः 2 × 10-7 कूलॉम तथा 3 × 10-7 कूलॉम आवेश हैं। उनके बीच कितना बल है?
हल :
दिया है, गोलों पर आवेश q1 = 2 × 10-7 कूलॉम, q2 = 3 × 10-7 कूलॉम
तथा दूरी r = 30 सेमी = 0.3 मीटर
कूलॉम के नियम से,
गोलों के बीच कार्यरत वैद्यत बल F = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q_{1} q_{2}}{r^{2}}=9 \times 10^{9} \times \frac{2 \times 10^{2} \times 8 \times 10^{7}}{(0.3)^{2}}\)
= 6 × 10-3 न्यूटन।
प्रश्न 2.
0.4माइक्रोकूलॉम आवेश के किसी छोटे गोले पर अन्य छोटे आवेशित गोले के कारण वायु में 0.2 न्यूटन बल लगता है। यदि दूसरे गोले पर 0.8माइक्रोकूलॉम आवेश हो तो
(a) दोनों गोलों के बीच कितनी दूरी है?
(b) दूसरे गोले पर पहले गोले के कारण कितना बल लगता है?
हल :
(a) दिया है, गोलों पर आवेश q1 = 0.4 माइक्रोकूलॉम = 4 × 10-7 कूलॉम,
q2 = 0.8 माइक्रोकूलॉम = 8 × 10-7 कूलॉम
पहले गोले पर दूसरे गोले के कारण बल F12 = 0.2 न्यूटन
⇒ r = 3 x 4 x 10-2 मीटर = 12 सेमी ·
∴ गोलों के बीच दूरी = 12 सेमी।
(b) क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम से, दूसरे गोले पर पहले के कारण बल F21 = F12 = 0.2 न्यूटन।
प्रश्न 3.
जाँच द्वारा सुनिश्चित कीजिए कि \(\frac{k e^{2}}{G m_{e} m_{p}}\) विमाहीन है। भौतिक नियतांकों की सारणी देखकर इस अनुपात का मान ज्ञात कीजिए। यह अनुपात क्या बताता है?
हल :
k की विमाएँ = [ML3A-2T-4] तथा G की विमाएँ = [M-1L3T-2]
अतः राशि \(\frac{k e^{2}}{G m_{e} m_{p}}\) विमाहीन है।
आंकिक भाग का हल :
k = 9 x 109 न्यूटन-मीटर 2 /कूलॉम2
e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
G = 6.67 x 10-11 न्यूटन-मीटर/किग्रा,
me = 9.1 x 10-31 किग्रा तथा mp = 1.66 x 10-27 किग्रा
अत: यह राशि एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन के बीच लगने वाले स्थिर विद्युत बल तथा गुरुत्वीय बल के अनुपात को प्रदर्शित करती है। ___यह अनुपात बताता है कि इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन के बीच विद्युत बल गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में अधिक शक्तिशाली है।
प्रश्न 4.
(a) “किसी वस्तु का विद्युत आवेश क्वाण्टीकृत है।” इस प्रकथन से क्या तात्पर्य है?
(b) स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर विद्युत आवेशों से व्यवहार करते समय हम विद्युत आवेश के क्वाण्टमीकरण की उपेक्षा कैसे कर सकते हैं?
उत्तर :
(a) किसी वस्तु का आवेश क्वाण्टीकृत है, इस कथन का तात्पर्य यह है कि हम किसी वस्तु पर आवेश एक न्यूनतम आवेश (इलेक्ट्रॉनिक आवेश e) के सरल गुणक के रूप में ही हो सकता है। अत: किसी आवेशित वस्तु पर आवेश
q= ± ne
जहाँ n = 1, 2, 3, ……….. तथा e = 1.6x 10-19 कूलॉम
(b) स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर आवेशों से व्यवहार करते समय आवेश के क्वाण्टीकरण का कोई महत्त्व नहीं होता और इसकी उपेक्षा की जा सकती है। इसका कारण यह है कि बड़े पैमाने पर व्यवहार में आने वाले आवेश मूल आवेश की तुलना में बहुत बड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, 1 माइक्रोकूलॉम आवेश में लगभग 1013 मूल आवेश सम्मिलित हैं। ऐसी अवस्था में आवेश को सतत मानकर व्यवहार किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
जब काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं तो दोनों पर आवेश आ जाता है। इसी प्रकार की परिघटना का वस्तुओं के अन्य युग्मों में भी प्रेक्षण किया जाता है। स्पष्ट कीजिए कि यह प्रेक्षण आवेश संरक्षण नियम से किस प्रकार सामंजस्य रखता है?
उत्तर :
घर्षण द्वारा आवेशन की घटनाएँ आवेश संरक्षण नियम के साथ पूर्ण सामंजस्य रखती हैं। जब इस प्रकार की किसी घटना में दो उदासीन वस्तुओं को रगड़ा जाता है तो दोनों वस्तुएँ आवेशित हो जाती हैं। घर्षण से पूर्व दोनों वस्तुएँ उदासीन होती हैं अर्थात् उनका कुल आवेश शून्य होता है। इस प्रकार के सभी प्रेक्षणों में सदैव यह पाया गया है कि एक वस्तु पर जितना धनावेश आता है, दूसरी वस्तु पर उतना ही ऋणावेश आता है। इस प्रकार घर्षण द्वारा आवेशन के बाद भी दोनों वस्तुओं का नेट आवेश शून्य ही बना रहता है।
प्रश्न 6.
चार बिन्दु आवेश qA = 2 माइक्रोकूलॉम, qB = – 5 माइक्रोकूलॉम, qC = 2 माइक्रोकूलॉम तथा qD = – 5माइक्रोकूलॉम, 10 सेमी भुजा के किसी वर्ग ABCD के शीर्षों पर अवस्थित हैं। वर्ग के केन्द्र पर रखे 1 माइक्रोकूलॉम आवेश पर लगने वाला बल कितना है?
हल :
शीर्षों A व C पर रखे आवेश बराबर तथा सजातीय हैं अतः इनके कारण केन्द्र पर रखे आवेश पर लगे
बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O A}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O C}\) परिमाण में बराबर व दिशा में विपरीत हैं। अत: एक-दूसरे को निरस्त करेंगे।
अर्थात् \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O A}+\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O C}=0\)
इसी प्रकार शीर्षों B व D पर रखे आवेश बराबर व सजातीय हैं। अत: +2 माइक्रो इनके कारण केन्द्र पर रखे आवेश पर बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O B}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O D}\) परिमाण में कलाम बराबर व दिशा में विपरीत हैं। अत: ये भी एक-दूसरे को निरस्त करेंगे।
अर्थात् परिणामी बल शून्य है।
प्रश्न 7.
(a) स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखा एक सतत वक्र होती है अर्थात् कोई क्षेत्र रेखा एकाएक नहीं टूट सकती। क्यों?
(b) स्पष्ट कीजिए कि दो क्षेत्र रेखाएँ कभी-भी एक-दूसरे का प्रतिच्छेदन क्यों नहीं करतीं?
उत्तर :
(a) विद्युत क्षेत्र रेखा वह वक्र है जिसके प्रत्येक बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है। ये क्षेत्र रेखाएँ सतत वक्र होती हैं अर्थात् किसी बिन्दु पर एकाएक नहीं टूट सकतीं, अन्यथा उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की कोई दिशा ही नहीं होगी, जो असम्भव है।
(b) दो विद्युत क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेदित नहीं कर सकतीं; क्योंकि इस स्थिति में कटान बिन्दु पर दो स्पर्श रेखाएँ खींची जाएँगी जो उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दो दिशाएँ प्रदर्शित करेंगी जो असम्भव है।
प्रश्न 8.
दो बिन्दु आवेश qA = 3 माइक्रोकूलॉम तथा qB = -3 माइक्रोकूलॉम निर्वात में एक-दूसरे से 20 सेमी दूरी पर स्थित हैं।
(a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा AB के मध्य-बिन्दु O पर विद्युत क्षेत्र कितना है?
(b) यदि 1.5 ×10-9 कूलॉम परिमाण का कोई ऋणात्मक परीक्षण आवेश इस बिन्दु पर रखा जाए तो यह परीक्षण आवेश कितने बल का अनुभव करेगा?
हल :
(a) आवेश qA धनात्मक तथा qB ऋणात्मक है; अत: मध्य-बिन्दु O पर qA व qB दोनों के कारण विद्युत क्षेत्र की दिशा O से B की ओर होगी।
अत: मध्य-बिन्दु पर विद्युत-क्षेत्र की तीव्रता
E = EA + EB = 9 × 109 × \(\frac{q}{(O A)^{2}}\)
+ 9 × 109 × \(\frac{q}{(O B)^{2}}\) [जहाँ q = | qA| = | qB|]
= 9 × 109 \(\left[\frac{3 \times 10^{-6}}{0.1}+\frac{3 \times 10^{-6}}{0.1}\right]\)
= 5.4 × 105 न्यूटन/कूलॉम। (AB दिशा में)
(b) मध्य-बिन्दु O पर रखे गए Q = – 1.5 × 10-9 कूलॉम के आवेश पर बल
F = QE = 1.5 × 10-9 × 5.4 × 10-9
= 8.1- 10-4 न्यूटन। (OA दिशा में)
प्रश्न 9.
किसी निकाय में दो आवेश qA = 2.5 x 10-7 कूलॉम तथा qB = – 2.5 x 10-7 कूलॉम क्रमशः दो बिन्दुओं A (0, 0, – 15 सेमी) तथा B (0, 0, + 15 सेमी) पर अवस्थित हैं। निकाय का कुल आवेश तथा विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण क्या है?
हल :
निकाय का कुल आवेश
q = qA + qB = 0
(∴ दोनों आवेश परिमाण में बराबर व विपरीत चिह्न के हैं)
आवेशों के बीच की दूरी 2 a = AB = \(\sqrt{\left[(0-0)^{2}+(0-0)^{2}+(15+15)^{2}\right]}\)= 30 सेमी
ya 2a = 0.3 मीटर
∴ विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण p= qA × 2 a = 2.5 × 10-7Cx 0.3 मीटर
= 7.5 × 10-8 कूलॉम-मीटर।
इसकी दिशा बिन्दु B से A की ओर है।
प्रश्न 10.
4 × 10-9 कूलॉम-मीटर द्विध्रुव आघूर्ण का कोई विद्युत द्विध्रुव 5 × 104 न्यूटन कूलॉम-1 परिमाण के किसी एकसमान विद्युत क्षेत्र की दिशा से 30° पर संरेखित है। द्विध्रुव पर कार्यरत बल आघूर्ण का परिमाण परिकलित कीजिए।
हल :
दिया है, द्विध्रुव आघूर्ण p = 4 × 10-9 कूलॉम-मीटर, विद्युत क्षेत्र E= 5 × 104 न्यूटन कूलॉम-1, θ = 30° द्विध्रुव पर कार्यरत बल आघूर्ण t = pE sin θ = 4 × 10-9 × 5 × 104 × \(\frac{1}{2}\) = = 10-4 न्यूटन-मीटर।
प्रश्न 11.
ऊन से रगड़े जाने पर कोई पॉलीथीन का टुकड़ा 3 × 10-7 कूलॉम के ऋणावेश से आवेशित पाया
गया।
(a) स्थानान्तरित (किस पदार्थ से किस पदार्थ में ) इलेक्ट्रॉनों की संख्या आकलित कीजिए। (b) क्या ऊन से पॉलीथीन में संहति का स्थानान्तरण भी होता है?
हल :
(a) टुकड़े पर आवेश q = 3 × 10-7 कूलॉम
q = ne से,
n = \(\frac{q}{e}=\frac{3 \times 10^{-7}}{1.6 \times 10^{-19}} \)
= 1.875 × 1012
∵ पॉलीथीन का टुकड़ा ऋणावेशित है। अत: 1.875 × 1012 इलेक्ट्रॉन ऊन से पॉलीथीन पर स्थानान्तरित हुए हैं।
(b) हाँ, संहति का भी स्थानान्तरण होता है।
∵ एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान me = 9.1 × 10-31 किग्रा
∴ ऊन से पॉलीथीन में स्थानान्तरित संहति m = nme = 1.875 × 1012 × 9.1 × 10-31
= 1.7 × 10-18 किग्रा।
प्रश्न 12.
(a) दो विद्युतरोधी आवेशित ताँबे के गोलों A तथा B के केन्द्रों के बीच की दूरी 50 सेमी है। यदि दोनों गोलों पर पृथक्-पृथक् आवेश 6.5 × 10-7कूलॉम हैं तो इनमें पारस्परिक स्थिर विद्युत प्रतिकर्षण बल कितना है? गोलों के बीच की दूरी की तुलना में गोलों A तथा B की त्रिज्याएँ नगण्य हैं।
(b) यदि प्रत्येक गोले पर आवेश की मात्रा दो गुनी तथा गोलों के बीच की दूरी आधी कर दी जाए तो प्रत्येक गोले पर कितना बल लगेगा?
हल :
(a) दिया है, गोलों पर आवेश q1 = q2 = 6.5 x 10-7 कूलॉम
∵ बीच की दूरी r = 50 सेमी = 0.5 मीटर
∴ बीच की दूरी की तुलना में गोलों की त्रिज्याएँ नगण्य हैं। अत: गोले बिन्दु आवेश की भाँति व्यवहार करेंगे।
गोलों के बीच प्रतिकर्षण बल F = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q_{1} q_{2}}{r^{2}}\)
= 9 × 109 × \(\frac{6.5 \times 10^{-7} \times 6.5 \times 10^{-7}}{(0.5)^{2}}\)
= 1.521 × 10-2 न्यूटन।
(b)
अतः प्रत्येक गोले पर बल = 16 × 1.521 × 10-2
= 0.24 न्यूटन।
प्रश्न 13.
मान लीजिए प्रश्न 12 में गोले A तथा B साइज में सर्वसम हैं तथा इसी साइज का कोई तीसरा अनावेशित गोला पहले तो पहले गोले के सम्पर्क, तत्पश्चात् दूसरे गोले के सम्पर्क में लाकर, अन्त में दोनों से ही हटा लिया जाता है। अब A तथा B के बीच नया प्रतिकर्षण बल कितना है?
हल :
माना प्रारम्भ में प्रत्येक गोले ‘A’ व ‘B’ पर अलग-अलग q आवेश है। (q = 6.5 × 10-7 कूलॉम)
माना तीसरा अनावेशित गोला C है।
∵ गोले A व C समान आकार के हैं। अतः परस्पर स्पर्श कराने पर ये कुल आवेश (qA + qC = q+ 0) को आधा-आधा बाँट लेंगे।
प्रश्न 14.
चित्र 1.4 में किसी ,एकसमान स्थिर विद्युत क्षेत्र में तीन आवेशित कणों के पथचिह्न (tracks) दर्शाए गए हैं। तीनों आवेशों के चिह्न लिखिए। इनमें से किस कण का आवेश-संहति अनुपात (\(\frac{\boldsymbol{q}}{m}\)) अधिकतम है?
उत्तर :
किसी विद्युत क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् गतिमान आवेशित कण का पाश्विक विस्थापन
जहाँ x कणों द्वारा विद्युत क्षेत्र के लम्ब दिशा में तय दूरी तथा Vx, X-अक्ष की दिशा में वेग है। यदि सभी कण विद्युत क्षेत्र में समान वेग Vx से प्रवेश करते हैं तो
y ∝ \(\frac{\boldsymbol{q}}{m}\)
(∵ विद्युत क्षेत्र की लम्बाई x सबके लिए समान है)
∵कण (3) का विक्षेप सर्वाधिक है। अत: इसके लिए \(\frac{\boldsymbol{q}}{m}\) का मान सर्वाधिक होगा।
प्रश्न 15.
एकसमान विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{E}}=3 \times 10^{3} \hat{\mathbf{i}}\) न्यूटन कूलॉम पर विचार कीजिए।
(a) इस क्षेत्र का 10 सेमी भुजा के वर्ग के उस पार्श्व से जिसका तल y-z तल के समान्तर है, गुजरने वाला फ्लक्स क्या है?
(b) इसी वर्ग से गुजरने वाला फ्लक्स कितना है यदि इसके तल का अभिलम्ब X-अक्ष से 60° का कोण बनाता है?
हल :
दिया है, \(\overrightarrow{\mathbf{E}}=3 \times 10^{3} \hat{\mathbf{i}}\) न्यूटन/कूलॉम
(a) वर्ग की भुजा = 10 सेमी = 0.1 मीटर
∴ वर्ग का क्षेत्रफल ΔS = (0.1)2 मीटर2 ⇒ ∆S = 0.01 मीटर2
∵ वर्ग का तल Y-z समतल के समान्तर है।
अत: इस पर अभिलम्ब इकाई सदिश \(\hat{n}=\hat{i}\) होगा।
∴ \(\Delta \overrightarrow{\mathrm{S}}=0.01 \hat{\mathrm{i}}\) मीटर 2
∴ वर्ग के फलक से गुजरने वाला फ्लक्स \(\phi_{E}=\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \Delta \overrightarrow{\mathrm{S}}=\left(3 \times 10^{3} \hat{\mathrm{i}}\right) \cdot(0.01 \hat{\mathrm{i}})\)
= 30 न्यूटन-मीटर/कूलॉम।
(b) ∵ विद्युत-क्षेत्र X-अक्ष के अनुदिश है तथा वर्ग पर अभिलम्ब X-अक्ष से 60° का कोण बनाता है,
∴ \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{n}}\) के बीच का कोण 60° होगा।
∴ वर्ग से गुजरने वाला फ्लक्स \(\phi_{E}=\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \Delta \overrightarrow{\mathrm{S}}=E \Delta S \cos 60^{\circ}\)
= (3 x 103न्यूटन/कूलॉम) × (0.01 मीटर) × \(\frac{1}{2}\)
= 15 न्यूटन-मीटर2 / कूलॉम।
प्रश्न 16.
प्रश्न 15 में दिए गए एकसमान विद्युत क्षेत्र का 20 सेमी भुजा के किसी घन से (जो इस प्रकार अभिविन्यासित है कि उसके फलक निर्देशांक तलों के समान्तर हैं) कितना नेट फ्लक्स गुजरेगा?
हल :
एक घन के 6 फलक होंगे। इनमें से दो फलक Y-Z समतल के, दो Z-X समतल के तथा दो X-Y समतल के समान्तर होंगे।
∵ विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}=3 \times 10^{3} \hat{\mathrm{i}}\) न्यूटन/कूलॉम X-अक्ष के अनुदिश है। अतः यह Z-X तथा X-Y समतलों के समान्तर फलकों के समान्तर होगा।
∴ इन चारों फलकों से गुजरने वाला फ्लक्स शून्य होगा।
∴ विद्युत क्षेत्र एकसमान है। अत: Y-Z समतल के समान्तर फलकों में से जितना फ्लक्स एक फलक से अन्दर प्रविष्ट होगा उतना ही फ्लक्स दूसरे फलक से बाहर आएगा।
अत: घन से गुजरने वाला नेट फ्लक्स शून्य होगा।
प्रश्न 17.
किसी काले बॉक्स के पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की सावधानीपूर्वक ली गई माप यह संकेत देती है कि बॉक्स के पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स 8.0 x 103 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम है।
(a) बॉक्स के भीतर नेट आवेश कितना है?
(b) यदि बॉक्स के पृष्ठ से नेट बहिर्मुखी फ्लक्स शून्य है तो आप यह निष्कर्ष निकालेंगे कि बॉक्स के भीतर . कोई आवेश नहीं है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
हल :
(a) गाउस प्रमेय से, \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
∴ \(q=\varepsilon_{0} \phi_{E}\) = 8.854 x 10-12 x 8.0 x 103 = 7.08 x 10-8 कूलॉम
∴ बॉक्स के भीतर स्थित आवेश 0.071 माइक्रोकूलॉम है।
(b) गाउस प्रमेय से, \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
⇒ \(q=\varepsilon_{0} \phi_{E}\)
∵ \(\phi_{E}=0\) (∴ बॉक्स के भीतर नेट आवेश q= 0)
अतः इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि बॉक्स के भीतर नेट आवेश शून्य है यद्यपि उसके भीतर विभिन्न आवेश हो सकते हैं।
प्रश्न 18.
चित्र 1.6 में दर्शाए अनुसार 10 सेमी भुजा के किसी वर्ग के केन्द्र से ठीक 5 सेमी ऊँचाई पर कोई + 10 माइक्रोकूलॉम का आवेश रखा है। इस वर्ग से गुजरने वाले 5 सेमी विद्युत फ्लक्स का परिमाण क्या है?
हल :
एक ऐसे घन की कल्पना कीजिए, जिसका केन्द्र वह बिन्दु है, जिस पर आवेश रखा है तथा जिसका एक फलक. दिया गया वर्ग है।
गाउस के प्रमेय से,
घन के पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स
= \(\frac{1}{\varepsilon_{0}}\) x घन के भीतर कुल आवेश = \(\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
∵ घन के सभी 6 फलक केन्द्र के सापेक्ष समान स्थिति में हैं,
∴ प्रत्येक फलक से गुजरने वाला फ्लक्स
ΦE = \(\frac{1}{6} \times \frac{q}{\varepsilon_{0}}=\frac{10 \times 10^{-6}}{6 \times 8.854 \times 10^{-12}}\)
= 1.88 x 105 न्यूटन-मीटर2/कलॉम।
प्रश्न 19.
2.0 माइक्रोकूलॉम का कोई बिन्दु आवेश किसी किनारे पर 9.0 सेमी किनारे वाले किसी घनीय गाउसीय पृष्ठ के केन्द्र पर स्थित है। पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स क्या है?
हल :
गाउस के प्रमेय से,
घन के पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स ΦE= \(\frac{1}{\varepsilon_{0}}\) घन के भीतर स्थित कुल आवेश
∵ यहाँ घन के भीतर स्थित आवेश q = 2.0 माइक्रोकूलॉम
ΦE = \(\frac{1}{8.854 \times 10^{-12}} \) x 2.0 x 10-6
= 2. 26 x 105 न्यूटन-मीटर2 / कूलॉम।
प्रश्न 20.
किसी बिन्दु आवेश के कारण, उस बिन्दु को केन्द्र मानकर खींचे गए 10 सेमी त्रिज्या के गोलीय गाउसीय पृष्ठ पर विद्युत फ्लक्स -1.0 x 103 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम है। (a) यदि गाउसीय पृष्ठ की त्रिज्या दो गुनी कर दी जाए तो पृष्ठ से कितना फ्लक्स गुजरेगा? (b) बिन्दु आवेश का मान क्या है?
हल : (a) गाउस प्रमेय के अनुसार किसी बन्द पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स, पृष्ठ के भीतर स्थित नेट आवेश पर निर्भर करता है न कि पृष्ठ के आकार पर।
∵ त्रिज्या दोगुनी करने पर भी पृष्ठ के भीतर स्थित नेट आवेश वही बना रहता है। अतः पृष्ठ से अभी भी उतना ही फ्लक्स – 1.0 x 103 न्यूटन मीटर2/कूलॉम गुजरेगा।
(b) सूत्र \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}} \) से,
गोलीय पृष्ठ के केन्द्र पर रखा बिन्दु आवेश \(q=\varepsilon_{0} \phi_{E}\)
= 8.854 x 10-12 x (-1.0 x 103)
= – 8.854 x 10-9 कूलॉम।
प्रश्न 21.
10 सेमी त्रिज्या के चालक गोले पर अज्ञात परिमाण का आवेश है। यदि गोले के केन्द्र से 20 सेमी दूरी पर विद्युत क्षेत्र 1.5 × 103 न्यूटन/कूलॉम त्रिज्यतः अन्तर्मुखी (radially inward) है तो गोले पर नेट आवेश कितना है?
हल :
गोले के केन्द्र को केन्द्र मानते हुए 20 सेमी त्रिज्या का गाउसीय गोलीय पृष्ठ खींचा। इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र E = 1.5 × 103 न्यूटन/कूलॉम (अन्तर्मुखी है)
माना इस पृष्ठ के किसी बिन्दु पर एक सूक्ष्म अल्पांश \(\overrightarrow{d \mathrm{A}}=d A \hat{\mathrm{n}} \) लिया।
तब \(\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot d \overrightarrow{\mathrm{A}}\) = E.dA cos 180° = – E.dA
∴ पृष्ठ से गुजरने वाला कुल फ्लक्स
\(\phi_{E}=\oint_{A} \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot d \overrightarrow{\mathrm{A}}=-\oint_{A} E \cdot d A=-E \oint_{A} d A\)
= – EA = – E [4π × (0.2)2] [∵ A = 4 πr2]
परन्तु गाउस प्रमेय से, कई = \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
जहाँ q = गाउसीय पृष्ठ के भीतर नेट आवेश = चालक गोले पर कुल आवेश
∴ \(\frac{q}{\varepsilon_{0}}\) = – E [4 π × (0.2)2]
∴ चालक गोले पर आवेश q = – ε0E × 4π × (0.2)2
= – 8.854 × 10-12 × 1.5×103 × 4 × 3.14 × (0.2)2
= – 6.67 × 10-9 कूलॉम
= – 6.67 नैनोकूलॉम।
प्रश्न, 22.
2.4 मीटर व्यास के एकसमान आवेशित चालक गोले का पृष्ठीय आवेश घनत्व 80.0 माइक्रोकूलॉम/मीटर है।
(a) गोले पर आवेश ज्ञात कीजिए।
(b) गोले के पृष्ठ से निर्गत कुल विद्युत फ्लक्स क्या है?
हल :
(a) ∵ गोला एकसमान रूप से आवेशित है,
∴ गोले पर आवेश q = 4πr2σ
= 4 × 3.14 × (1.2 मीटर)2 × 80.0 माइक्रो कूलॉम/मीटर2
= 1447 माइक्रोकूलॉम
= 1.45 × 10-3 कूलॉम।
(b) गोले के पृष्ठ से निर्गत फ्लक्स
\(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}=\frac{1.45 \times 10^{-3}}{8.854 \times 10^{-12}}\)
= 1.6 × 108 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम।
प्रश्न 23.
कोई अनन्त रैखिक आवेश 2 सेमी दूरी पर 9 × 104 न्यूटन/कूलॉम विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है। रैखिक आवेश घनत्व ज्ञात कीजिए।
हल :
रैखिक आवेश घनत्व 2 के कारण दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
\(E=\frac{\lambda}{2 \pi \varepsilon_{0} r}\) [∴= 2πε0rE]
यहाँ r = 2 सेमी = 2 × 10-2 मीटर, E = 9 × 104 न्यूटन/कूलॉम
∴ रेखीय आवेश घनत्व λ= 2 × \(\frac{22}{7}\) × 8.854 × 10-12 × 2 × 10-2 × 9 × 104
= 1.0 × 10-7 कूलॉम-मीटर-1
= 10 माइक्रोकुलॉम/मीटर।
प्रश्न 24.
दो बड़ी, पतली धातु की प्लेटें एक-दूसरे के समानान्तर एवं निकट हैं। इनके भीतरी फलकों पर, प्लेटों के पृष्ठीय आवेश घनत्वों के चिह्न विपरीत हैं तथा इनका परिमाण 17.0 × 10-22 कूलॉम/मीटर है। (a) पहली प्लेट के बाह्य क्षेत्र में, (b) दूसरी प्लेट के बाह्य क्षेत्र में तथा (e) प्लेटों के बीच में विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{E}}\) का परिमाण परिकलित कीजिए।
हल :
दिया है, प्रत्येक प्लेट पर पृष्ठीय आवेश घनत्व
σ = 17.0x 10-22 कूलॉम/मीटर2
प्रत्येक एकल प्लेट के कारण प्लेट के समीप किसी बिन्दु पर क्षेत्र E = E2 =
(a) व (b) प्लेटों के बाह्य क्षेत्रों में E1 व E2 परस्पर विपरीत हैं (देखें चित्र)। अत: बाह्य क्षेत्रों में नेट विद्युत-क्षेत्र की तीव्रता E = E1 – E2 = 0 शून्य होगी।
(c) प्लेटों के बीच के स्थान में E1 व E2 दोनों एक ही दिशा में होंगे।
∴ नेट विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = E1 + E2 = \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}+\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)
E = \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}=\frac{17.0 \times 10^{-22}}{8.854 \times 10^{-12}}\)
= 1.92 x 10-10 न्यूटन/कूलॉम।
विद्युत क्षेत्र की दिशा प्लेटों के लम्बवत् धन से ऋण प्लेट की ओर होगी।
प्रश्न 25.
मिलिकन तेल बूंद प्रयोग में 2.55 x 104 न्यूटन/कूलॉम के नियत विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में 12 इलेक्ट्रॉन ‘ आधिक्य की कोई तेल बूंद स्थिर रखी जाती है। तेल का घनत्व 1. 26 ग्राम सेमी-3 है। बूँद की त्रिज्या का आकलन कीजिए। (g= 9.81 मीटर सेकण्ड-2,e = 1.6 x 10-19 कूलॉम)।
हल :
माना बूंद की त्रिज्या r है, तब
बूंद का द्रव्यमान \(m=\frac{4}{3} \pi r^{3} \rho\)
तथा बूंद पर आवेश q = ne
सन्तुलन की अवस्था में, द का भार (mg) = विद्युत बल (qE)
या \(\frac{4}{3} \pi r^{3} \rho \times g=n e E\)
∴ \(r^{3}=\frac{3 n e E}{4 \pi \rho g}\)
यहाँ n = 12,p = 1.26 ग्राम सेमी-3 = 1.26 x 103 किग्रा-मीटर-3, e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
E = 2.55 x 104 न्यूटन/कूलॉम, g = 9.81 मीटर/सेकण्ड2
∴ \(r^{3}=\frac{3 \times 12 \times 1.6 \times 10^{-19} \times 2.55 \times 10^{4}}{4 \times 3.14 \times 1.26 \times 10^{3} \times 9.81}\)
= 946 x 10 -21मीटर3
∴ बूंद की त्रिज्या r = (946 x 10-21 मीटर 3)1/3 = 9.81 x 10-7 मीटर = 9.81 x 10-4 मिमी।
प्रश्न 26.
चित्र-1.9 में दर्शाए गए वक्रों में से कौन सम्भावित स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित नहीं करते?
उत्तर :
केवल चित्र (c) सम्भावित स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित करता है।
(a) विद्युत क्षेत्र रेखाएँ सदैव चालक पृष्ठ के लम्बवत् होती हैं, इस चित्र में रेखाएँ चालक पृष्ठ के लम्बवत् नहीं
(b) क्षेत्र रेखाओं को ऋणावेश से धनावेश की ओर जाते दिखाया गया है जो कि सही नहीं है।
(d) क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को काट रही हैं जो कि सही नहीं है।
(e) क्षेत्र रेखाएँ बन्द वक्रों के रूप में प्रदर्शित की गई हैं जो कि सही नहीं है।
EXTRA SHOTS
- वैद्युत बल रेखाएँ किसी चालक के पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर लम्बवत् होती हैं।
- वैद्युत बल रेखाएँ धनावेश से प्रारम्भ होकर ऋणावेश पर समाप्त होती हैं। |
- वैद्युत बल रेखाएँ कभी बन्द वक्र नहीं बनाती हैं।
प्रश्न 27.
दिकस्थान के किसी क्षेत्र में, विद्युत क्षेत्र सभी जगह Zदिशा के अनुदिश है। परन्तु विद्युत क्षेत्र का परिमाण नियत नहीं है, इसमें एकसमान रूप से Z-दिशा के अनुदिश 105 न्यूटन कूलॉम-1 प्रति मीटर की दर से वृद्धि होती है। वह निकाय जिसका ऋणात्मक Z-दिशा में कुल द्विध्रुव आघूर्ण 10-7 कूलॉम-मीटर के बराबर है, कितना बल तथा बल-आघूर्ण अनुभव करता है?
हल :
प्रश्नानुसार, द्विध्रुव-Z-अक्ष के अनुदिश संरेखित है;
अतः
Px = 0, Py = 0, pz = – 10-7 कूलॉम-मीटर
\(\frac{\partial E}{\partial x}\)=0,\(\frac{\partial E}{\partial y}\)= 0,\(\frac{\partial E}{\partial z}\)=105न्यूटन कूलॉम-1 मीटर-1
= 0+ 0+ (-10-7) x 105
→ F = – 0.01 न्यूटन। (ऋण Z-अक्ष की दिशा में)
∵ विद्युत क्षेत्र Z-अक्ष के अनुदिश है तथा \(\overrightarrow{\mathrm{p}}\), -Z-अक्ष के अनुदिश है; अत: θ = 180°
∴ बल-आघूर्ण t = pE sin 180° = 0
प्रश्न 28.
(a) किसी चालक A, जिसमें चित्र 1.10 (a) में दर्शाए अनुसार कोई कोटर/गुहा (Cavity) है, को Q आवेश दिया गया है। यह दर्शाइए कि समस्त आवेश चालक के बाह्य पृष्ठ पर प्रतीत होना चाहिए।
(b) कोई अन्य चालक B जिस पर आवेश q है, को कोटर/गुहा (Cavity) में इस प्रकार धंसा दिया जाता है कि चालक B चालक A से विद्युतरोधी रहे। यह दर्शाइए कि चालक A के बाह्य पृष्ठ पर कुल आवेश Q+ q है चित्र-1.10 है [चित्र 1.10 (b)]।
(c) किसी सुग्राही उपकरण को उसके पर्यावरण के प्रबल स्थिर विद्युत क्षेत्रों से परिरक्षित किया जाना है। सम्भावित उपाय लिखिए।
उत्तर :
(a) हम एक ऐसी गाउसीय सतह की कल्पना करते हैं जो पूर्णतया चालक के भीतर स्थित है तथा चालक के बाह्य पृष्ठ के अत्यन्त समीप है।
∵ चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है; अत: इस गाउसीय सतह से गुजरने वाला नेट विद्युत फ्लक्स शून्य होगा।
तब गाउस प्रमेय से, q= ६0Φ = ६00 = 0
अर्थात् सतह के भीतर आवेश शून्य होगा।
अतः चालक का सम्पूर्ण आवेश उसके बाह्य पृष्ठ पर होगा।
(b) दिया है, चालक A पर कुल आवेश = Q
चालक B पर कुल आवेश = q
माना चालक A में बनी कोटर के पृष्ठ पर q1 आवेश है तथा चालक A के बाह्य पृष्ठ पर Q1 आवेश है। अब चालक A पर कुल आवेश
Q1 + q1 = Q……………….(1)
पुनः एक ऐसे गाउसीय पृष्ठ की कल्पना कीजिए जो पूर्णतः चालक ‘A’ के भीतर स्थित है परन्तु इसके बाह्य पृष्ठ . अत्यन्त समीप है।
∵ चालक के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य होता है; अत: इस पृष्ठ से गुजरने वाला कुल फ्लक्स शून्य होगा। अत: इस गाउसीय पृष्ठ के भीतर कुल आवेश = 0
अर्थात्
q1 + q = 0 ⇒ q1 = – q
∴ समीकरण (1) से, Q1 – q= Q
∴ चालक A के बाह्य पृष्ठ पर कुल आवेश Q1 = Q + q होगा।
(c) खोखले बन्द चालक के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य होता है। अत: किसी सुग्राही उपकरण को पर्यावरण के प्रबल स्थिर विद्युत-क्षेत्रों से परिरक्षित करने के लिए उसे खोखले बन्द चालक के भीतर रखना चाहिए।
प्रश्न 29.
किसी खोखले आवेशित चालक में उसके पृष्ठ पर कोई छिद्र बनाया गया है। यह दर्शाइए कि छिद्र में विद्युत क्षेत्र \(\left(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\right) \hat{\mathbf{n}}\) है, जहाँ \(\hat{\mathbf{n}}\) अभिलम्बवत् दिशा में बहिर्मुखी एकांक सदिश है तथा छिद्र के निकट पृष्ठीय आवेश घनत्व है।
उत्तर :
माना किसी खोखले चालक को कुछ धनावेश दिया गया है, जो तुरन्त ही उसके पृष्ठ पर समान रूप से वितरित हो जाता है। माना आवेश का पृष्ठ घनत्व σ है।
चालक के पृष्ठ के किसी अवयव dA पर विचार कीजिए। स्पष्ट है कि इस क्षेत्रफल अवयव पर उपस्थित आवेश की मात्रा q = σdA होगी। माना इस क्षेत्रफल अवयव के अत्यन्त समीप चालक के पृष्ठ के बाहर तथा अन्दर दो बिन्दु क्रमशः P तथा Q हैं। चूँकि बिन्दु P पृष्ठ के समीप है; अत: चालक के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\) पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की ओर होगी। माना बिन्दु P पर अवयव dA तथा शेष चालक के कारण विद्युत-क्षेत्र की तीव्रताएँ क्रमश: E1 व E2 हैं, तब स्पष्टतया E1 व E2 दोनों पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की ओर होंगी तथा परिणामी तीव्रता E, E1 व E2 के योग के बराबर होगी।
अतः E1 + E2 = \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\)
चूँकि बिन्दु Q क्षेत्रफल अवयव dA के अत्यन्त समीप परन्तु P के विपरीत ओर है; अत: इस अवयव के कारण बिन्दु Q पर क्षेत्र की तीव्रता E1 के बराबर परन्तु दिशा में विपरीत होगी, जबकि शेष चालक के कारण Q पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E2 के बराबर तथा उसी की दिशा में होगी। चूँकि बिन्दु Q चालक के अन्दर है; अतः बिन्दु Q पर परिणामी तीव्रता शून्य होगी।
अतः बिन्दु Q पर परिणामी तीव्रता E2 – E1 = 0 अथवा E1 = E2 [∵ बिन्दु Q पर E1 व E2 के विपरीत हैं।
समीकरण (1) से,
E1 = E2 = \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)
अतः शेष चालक के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
E2 = \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)
अब यदि बिन्दु P पर एक छिद्र (Hole) कर दिया जाए तो क्षेत्र अवयव dA तथा इसके कारण आन्तरिक बिन्दु Q पर विद्युत क्षेत्र E1 दोनों समाप्त हो जाएंगे।
तब विद्युत क्षेत्र E2 छिद्र के किसी बिन्दु पर केवल शेष चालक के कारण शेष रहेगा।
अतः छिद्र पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
\(\overrightarrow{\mathrm{E}}=\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}} \hat{\mathrm{n}}\)
जहाँ \(\hat{\mathbf{n}}\) छिद्र पर बहिर्मुखी दिशा में एकांक सदिश है।
प्रश्न 30.
गाउस नियम का उपयोग किए बिना किसी एकसमान रैखिक आवेश घनत्व 2 के लम्बे पतले तार के कारण विद्युत क्षेत्र के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
एकसमान रैखिक आवेश घनत्व वाले लम्बे पतले तार के कारण विद्युत क्षेत्र — माना एक लम्बे सीधे धनावेशित तार का एकसमान रैखिक आवेश घनत्व λ है। हमें इस तार के कारण किसी बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।
बिन्दु P से तार पर लम्ब PO खींचा। तार पर बिन्दु O से x दूरी पर एक O सूक्ष्म अवयव AB= dx लिया।
∵ रैखिक आवेश घनत्व = λ
∴ अवयव dx पर आवेश की मात्रा dq = λdx
इस अवयव dx के कारण बिन्दु P पर
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता dE =\(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{d q}{(A P)^{2}}\) (AP दिशा में)
माना ∠OPA = θ तथा OP=r
विद्युत क्षेत्र dE को OP के अनुदिश तथा OP के लम्बवत् दिशा में वियोजित करने पर,
OP के लम्बवत् दिशा में वियोजित घटक = dE sin θ व OP के अनुदिश दिशा में वियोजित घटक = dE cos θ
∴ तार लम्बा है तथा बिन्दु 0 के दोनों ओर जाता है। अतः एक ओर के प्रत्येक अवयव dx के संगत दूसरी ओर भी एक अन्य अवयव dx अवश्य ही ऐसा होगा कि इन दोनों के कारण OP के लम्ब दिशा में विद्युत-क्षेत्र के वियोजित घटक परस्पर निरस्त करेंगे जबकि OP की दिशा में वियोजित घटक परस्पर जुड़ जाएंगे।
अतः पूरे तार के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
E = Σ dE cos θ
परन्तु cos θ = \(\frac{O P}{A P}\)
तथा AP2 = OP2 + 0A2
⇒ AP = (r2 + x2)1/2
x= r tan θ रखने पर,
dx = r. sec2 θ dθ
x = -∞ ⇒ θ = \(-\frac{\pi}{2}\)
व x = +∞ ⇒ θ = \(\frac{\pi}{2}\)
क्षेत्र की दिशा तार के लम्बवत् तथा तार से परे होगी। यदि तार ऋणावेशित है तो क्षेत्र की दिशा तार की ओर होगी।
प्रश्न 31.
अब ऐसा विश्वास किया जाता है कि स्वयं प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन (जो सामान्य द्रव्य के नाभिकों का निर्माण करते हैं) और अधिक मूल इकाइयों जिन्हें क्वार्क कहते हैं, के बने हैं। प्रत्येक प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन तीन क्वार्को से मिलकर बनता है। दो प्रकार के क्वार्क होते हैं : ‘अप’ क्वार्क (u द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर (+\(\frac{2}{3}\)) e आवेश तथा ‘डाउन’ क्वार्क (d द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर (-\(\frac{1}{3}\)) आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन से मिलकर सामान्य द्रव्य बनाते हैं। (कुछ अन्य प्रकार के क्वार्क भी पाए गए हैं जो भिन्न असामान्य प्रकार का द्रव्य बनाते हैं।) प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के सम्भावित क्वार्क संघटन सुझाइए।
उत्तर :
दिया है, u = +\(\frac{2}{3}\)e तथा d =-\(\frac{1}{3}\)e
∵ प्रोटॉन पर आवेश = +e
⇒+\(\frac{2}{3}\)e + \(\frac{2}{3}\)e – \(\frac{1}{e}\)= +e
या u + u + d = +e
अतः प्रोटॉन 2u क्वार्क तथा 1d क्वार्क से मिलकर बना है।
COMMON ERRORS
• आवेश के क्वाण्टीकरण के अनुसार किसी वस्तु पर न्यूनतम आवेश इलेक्ट्रॉनिक आवेश (e) है। परन्तु प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन; क्वार्क से मिलकर बने होते हैं। अत: यह स्पष्ट समझ लेना आवश्यक है कि क्वार्क स्वतन्त्र रूप में नहीं पाया जाता है। अत: किसी वस्तु पर न्यूनतम आवेश में ही हो सकता है।
∵ न्यूट्रॉन पर आवेश = 0
⇒ +\(\frac{2}{3}\)e+\(\frac{1}{3}\)e-\(\frac{1}{3}\)e = 0
या u+u+d = 0
अत: न्यूट्रॉन एक u क्वार्क तथा 2d क्वार्क से मिलकर बना है।
प्रश्न 32.
(a) किसी यादृच्छिक स्थिर विद्युत क्षेत्र विन्यास पर विचार कीजिए। इस विन्यास की किसी शून्य-विक्षेप स्थिति (null-point अर्थात् जहाँ \(\overrightarrow{\mathbf{E}}=0\)) पर कोई छोटा परीक्षण आवेश रखा गया है। यह दर्शाइए कि परीक्षण आवेश का सन्तुलन आवश्यक रूप से अस्थायी है।
(b) इस परिणाम का समान परिमाण तथा चिह्नों के दो आवेशों (जो एक-दूसरे से किसी दूरी पर रखे हैं) के सरल विन्यास के लिए सत्यापन कीजिए।
उत्तर :
(a) माना शून्य विक्षेप स्थिति में रखे परीक्षण आवेश का सन्तुलन स्थायी है। अब यदि परीक्षण आवेश को सन्तुलन की स्थिति से थोड़ा-सा विस्थापित किया जाए तो आवेश पर एक प्रत्यानयन बल लगना चाहिए जो आवेश को वापस सन्तुलन की ओर ले जाए। इसका यह अर्थ हुआ कि उस स्थान पर शून्य विक्षेप बिन्दु की ओर जाने वाली क्षेत्र रेखाएँ होनी चाहिए। जबकि स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ कभी भी शून्य विक्षेप बिन्दु तक नहीं पहुँचतीं। अत: हमारी यह परिकल्पना कि परीक्षण आवेश का सन्तुलन स्थायी है, गलत है। यह निश्चित रूप से अस्थायी सन्तुलन है।
(b) माना दो बिन्दु आवेश (प्रत्येक + q) परस्पर 2a दूरी पर रखे हैं। एक बिन्दु आवेश – Q इनके मध्य-बिन्दु पर रखा है।
बिन्दु आवेशों + q,+q के कारण – Q पर कार्यरत बल बराबर तथा विपरीत होने के कारण बिन्दु आवेश – Q सन्तुलन की स्थिति में रहेगा।
अब यदि – Q आवेश को x दूरी B की ओर विस्थापित कर दें तो इस पर कार्यरत बल
स्पष्ट है कि FPB > FPA अतः कण पर नेट बल PB दिशा में लगेगा जो कण को सन्तुलन की स्थिति से दूर ले जाएगा। अतः कण का मध्य-बिन्दु C पर सन्तुलन अस्थायी है।
प्रश्न 33.
प्रारम्भ में X-अक्ष के अनुदिश υx चाल से गति करता हुआ, दो आवेशित प्लेटों के मध्य क्षेत्र में m द्रव्यमान तथा -q आवेश का एक कण प्रवेश करता है (चित्र-1.14 में कण 1 के समान)। प्लेटों की लम्बाई L है। इन दोनों प्लेटों के बीच एकसमान विद्युत क्षेत्र E बनाए रखा जाता है। दर्शाइए कि प्लेट के अन्तिम किनारे पर कण का ऊर्ध्वाधर विक्षेप \(\frac{q E L^{2}}{\left(2 m v_{x}^{2}\right)}\) है।
अथवा एक आवेशित कण किसी एकसमान विद्युत क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् दिशा में गति करता हुआ प्रवेश करता है। दिखाइए कि क्षेत्र के भीतर इस कण का गमन पथ परवलयाकार होगा।
उत्तर :
एकसमान विद्युत क्षेत्र में आवेशित कण (इलेक्ट्रॉन) का गमन-पथ-जब कण का प्रारम्भिक वेग विद्युत क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् है-माना धातु की दो समान्तर प्लेटें जिन पर विपरीत आवेश हैं, एक-दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित हैं। इन प्लेटों के बीच के स्थान में विद्युत-क्षेत्र एकसमान है। माना ऊपरी प्लेट धनावेशित है, जबकि नीचे की ।। प्लेट ऋणावेशित है। अतः विद्युत क्षेत्र E कागज के तल में नीचे की ओर दिष्ट होगा [चित्र-1.14]।
माना कोई कण जिस पर आवेश -q है तथा जो X-अक्ष के अनुदिश गतिमान है, υx वेग से विद्युत क्षेत्र E में प्रवेश करता है। चूँकि विद्युत क्षेत्र Y-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में नीचे की ओर है। अतः कण पर Y-अक्ष के अनुदिश लगने वाला बल Fy= qE
कण पर X-अक्ष के अनुदिश कोई बल कार्य नहीं करेगा।
माना कण का द्रव्यमान m है, तब इस बल के कारण कण की गति में उत्पन्न त्वरण \(a_{y}=\frac{F_{y}}{m}=\frac{q E}{m}\)
चूँकि कण का X-अक्ष के अनुदिश प्रारम्भिक वेग υx तथा त्वरण शून्य है। अत: X-अक्ष के अनुदिश t सेकण्ड में चली गई दूरी
x = υxt ………….(1)
चूँकि कण का Y-अक्ष के अनुदिश प्रारम्भिक वेग शून्य तथा त्वरण ay है। अत: Y-अक्ष के अनुदिश t सेकण्ड में चली गई दूरी
यह समीकरण y = cx2 के समरूप है तथा परवलय को प्रकट करती है। अत: विद्युत क्षेत्र में अभिलम्बवत् प्रवेश करने वाले आवेशित कण का गमन-पथ परवलयाकार होता है।
माना कण प्लेटों के बीच के क्षेत्र को बिन्दु A(x, y) पर छोड़ता है, तब
बिन्दु A के लिए x = L (∵ प्लेटों की लम्बाई = L)
पथ के समीकरण में मान रखने पर,
प्रश्न 34.
प्रश्न 33 में वर्णित कण की इलेक्ट्रॉन के रूप में कल्पना कीजिए जिसको υx = 2.0 x 106 मीटर सेकण्ड-1 के साथ प्रक्षेपित किया गया है। यदि 0.5 सेमी की दूरी पर रखी प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र E का मान 9.1x 102 न्यूटन/कूलॉम हो तो ऊपरी प्लेट पर इलेक्ट्रॉन कहाँ टकराएगा?
(|e|= 1.6 x 10-19 कूलॉम, me = 9.1 x 10-31 किग्रा)
हल :
सूत्र y = \(\frac{q E}{2 m v_{x}^{2}})\)x2 से, x2 =(\(\frac{2 m v_{x}^{2}}{q E})\)y
यहाँ E = 9.1 x 102 न्यूटन/कूलॉम, q = e = 1.6x 10-19 कूलॉम,
m= me = 9.1 x 10-31 किग्रा
υx = 2.0 x 106 मीटर सेकण्ड-1
तथा y = \(\frac{0.5}{2}\) सेमी =\(\frac{0.005}{2}\) मीटर
मान रखने पर,
∴ x = 1.12 x 10-2 मीटर = 1.12 सेमी
अत: इलेक्ट्रॉन ऊपरी प्लेट से 1.12 सेमी दूरी पर टकराएगा।
यहाँ यह माना गया है कि इलेक्ट्रॉन प्लेटों के बीच के स्थान में ठीक बीच में प्रवेश करता है। अतः प्लेट से टकराते समय इसका ऊर्ध्वाधर विक्षेप y = \(\frac{0.5}{2}\) सेमी लिया गया है।
वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LQ Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल
वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. एक बिन्दु आवेश +q किसी वियुक्तं चालक तल से d दूरी पर स्थित है। तल के दूसरी ओर के बिन्दु P पर क्षेत्र की दिशा –
(a) तल के लम्बवत् तथा तल से दूर की ओर है
(b) तल के लम्बवत् परन्तु तल की ओर है
(c) बिन्दु आवेश से दूर की ओर दिष्ट है ।
(d) अरीयतः बिन्दु आवेश की ओर है।
उत्तर :
(a) तल के लम्बवत् तथा तल से दूर की ओर है
2. कोई अर्धगोला एकसमान धनावेशित है। गोले के केन्द्र से परे इसके किसी व्यास पर स्थित बिन्दु पर जो केन्द्र से दूर है, विद्युत क्षेत्र की दिशा –
(a) इस व्यास के लम्बवत् है
(b) इस व्यास के समान्तर है
(c) इस व्यास की ओर किसी कोण पर झुकी है
(d) इस व्यास से दूर किसी कोण पर झुकी है।
उत्तर :
(a) इस व्यास के लम्बवत् है
3. चित्र में विद्यत क्षेत्र रेखाएँ दर्शायी गई हैं जिनमें एक वैद्युत द्विध्रुव P चित्र में दर्शाए अनुसार रखा है। निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है –
(a) द्विध्रुव किसी बल का अनुभव नहीं करेगा
(b) द्विध्रुव दायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा
(c) द्विध्रुव बायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा
(d) द्विध्रुव ऊपर की ओर किसी बल का अनुभव करेगा।
उत्तर :
(c) द्विध्रुव बायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा
4. नीचे दिए गए चित्रों में पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स –
(a) चित्र (iv) में सर्वाधिक है
(b) चित्र (iii) में सर्वाधिक है
(c) चित्र (ii) में चित्र (iii) के समान है, परन्तु चित्र (iv) से कम है
(d) सभी चित्रों में समान है।
उत्तर :
(d) सभी चित्रों में समान है।
वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किसी यादृच्छिक पृष्ठ में कोई द्विध्रुव परिबद्ध है। इस पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स कितना है?
उत्तर :
यादृच्छिक पृष्ठ द्वारा घिरा कुल आवेश (Σq) = q + (-q) = 0, अत: पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फलक्स + Φ = \(\frac{1}{\varepsilon_{0}} \Sigma q\) = 0
प्रश्न 2.
किसी धातु के गोलीय खोल की भीतरी त्रिज्या R, तथा बाहरी त्रिज्या R, है। इस खोल की गोलीय गुहिका के केन्द्र पर कोई आवेश Q रखा है। खोल के (i) भीतरी पृष्ठ तथा (ii) बाहरी पृष्ठ पर, पृष्ठीय आवेश-घनत्व क्या होगा?
उत्तर :
गोलीय गुहिका के केन्द्र पर रखे आवेश Q के कारण गोलीय खोल के भीतरी पृष्ठ पर – Q आवेश तथा बाहरी पृष्ठ पर +Q आवेश प्रेरित होगा।
(i) भीतरी पृष्ठ पर पृष्ठीय आवेश घनत्व = –\(\frac{Q}{4 \pi R_{1}^{2}}\)
(ii) बाहरी पृष्ठ पर पृष्ठीय आवेश घनत्व = +\(\frac{Q}{4 \pi R_{2}^{2}}\)
प्रश्न 3.
किसी एकसमान आवेशित खोखले सिलिण्डर के लिए विद्युत क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर :
प्रश्न 4.
किसी a लम्बाई के घन के फलकों से गुजरने वाला फ्लक्स कितना होगा यदि आवेश स्थित हो –
(a) A पर जो घन का एक कोना है।
(b) B पर जो किसी कोर का मध्य-बिन्दु है।
(c) C पर जो धन के किसी फलक का केन्द्र है।।
(d) D पर जो B तथा C का मध्य-बिन्दु है।
उत्तर :
(a) यदि 4-4 घन के ब्लॉक ऊपर नीचे रखे हों तथा आवेश q उनके मध्य शीर्ष A पर हो तब दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स = \(\phi_{E}=\frac{1}{8} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
(b) बिन्दु B, चार घनों के ब्लॉक में सममित रूप से स्थित होगा। अतः दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स \(\phi_{E}=\frac{1}{4} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
(c) बिन्दु C, दो घनों के ब्लॉक में सममित रूप से स्थित होगा। अतः दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला
फ्लक्स = \(\phi_{E}=\frac{1}{2} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
(d) बिन्दु D भी दो घनों के ब्लॉक में सममित रूप से स्थित होगा अतः दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स = \(\phi_{E}=\frac{1}{2} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र आंकिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
दो आवेशों q तथा -3q को X-अक्ष पर ‘d’ दूरी के पृथकन के साथ रखा गया है। तीसरे आवेश 2q को कहाँ रखा जाए ताकि यह कोई बल अनुभव न करे?
हल : माना 2q आवेश को X-अक्ष पर q आवेश से x दूरी पर, आवेशों से बाहर रखने पर वह कोई बल अनुभव नहीं करता है।
अत: 2q आवेश के लिए,
प्रश्न 2.
पाँच आवेश, जिनमें प्रत्येक q है, ‘a’ भुजा के किसी नियमित पंचभुज के कोनों पर रखे गए हैं –
(a) इस पंचभुज के केन्द्र O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा?
(b) यदि किसी एक कोने (जैसे A) से आवेश को हटा दिया जाए तो O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा?
(c) यदि A पर आवेश को – १ द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा?
उत्तर :
(a) सममिति के कारण पंचभुज के केन्द्र O पर परिणामी विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।
(b) केन्द्र 0 पर परिणामी विद्युत क्षेत्र E = 0
∴ कोने A पर स्थित आवेश q के कारण विद्युत क्षेत्र + शेष चार कोनों पर स्थित आवेशों के कारण विद्युत क्षेत्र = 0
अथवा शेष चार कोनों पर स्थित आवेशों के कारण विद्युत क्षेत्र = – (कोने A पर स्थित आवेश q के कारण विद्युत क्षेत्र)
(c) बिन्दु A पर आवेश को – q द्वारा प्रतिस्थापित कर देने पर केन्द्र O पर विद्युत क्षेत्र = (-q आवेश के कारण केन्द्र 0 पर विद्युत क्षेत्र) + (शेष चार कोनों पर स्थित आवेशों के कारण केन्द्र O पर विद्युत क्षेत्र)