MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु
परमाणु NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
प्रत्येक कथन के अन्त में दिए गए संकेतों में से सही विकल्प का चयन कीजिए
(a) टॉमसन मॉडल में परमाणु का साइज, रदरफोर्ड मॉडल में परमाण्वीय साइज से ……………. होता है। (अपेक्षाकृत काफी अधिक, भिन्न नहीं, अपेक्षाकृत काफी कम)
(b) ……………… में निम्नतम अवस्था में इलेक्ट्रॉन स्थायी साम्य में होते हैं जबकि …………………. में इलेक्ट्रॉन, सदैव नेट बल अनुभव करते हैं। (रदरफोर्ड मॉडल, टॉमसन मॉडल)
(c) …………….. पर आधारित किसी क्लासिकी परमाणु का नष्ट होना निश्चित है। (टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल)
(d) किसी परमाणु के द्रव्यमान का ……………….. में लगभग सतत वितरण होता है लेकिन ………………… में अत्यन्त असमान द्रव्यमान वितरण होता है। (टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल)
(e) ………………. में परमाणु के धनावेशित भाग का द्रव्यमान सर्वाधिक होता है। (रदरफोर्ड मॉडल, दोनों मॉडलों)
उत्तर
(a) भिन्न नहीं
(b) टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल
(c) रदरफोर्ड मॉडल
(d) टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल
(e) रदरफोर्ड मॉडल।
प्रश्न 2.
मान लीजिए कि स्वर्ण पन्नी के स्थान पर ठोस हाइड्रोजन की पतली शीट का उपयोग करके आपको ऐल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग दोहराने का अवसर प्राप्त होता है। (हाइड्रोजन 14K से नीचे ताप पर ठोस हो जाती है।) आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर
हाइड्रोजन परमाणु का नाभिक एक प्रोटॉन है जिसका द्रव्यमान (1.67×10-27 किग्रा) a-कण के द्रव्यमान (6.64 × 10-27 किग्रा) की तुलना में कम है। यह हल्का नाभिक भारी -कण को प्रतिक्षिप्त नहीं कर पाएगा, अत: x-कण सीधे नाभिक की ओर जाने पर भी वापस नहीं लौटेगा और इस प्रयोग में a-कण का बड़े कोणों पर विक्षेपण भी नहीं होगा।
प्रश्न 3.
‘पाश्चन श्रेणी’ में विद्यमान स्पेक्ट्रमी रेखाओं की लघुतम तरंगदैर्घ्य क्या है?
उत्तर :
पाश्चन श्रेणी की स्पेक्ट्रमी रेखाओं की लघुतम तरंगदैर्घ्य 820.4 नैनोमीटर है।
प्रश्न 4.
2. 3 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा अन्तर किसी परमाणु में दो ऊर्जा स्तरों को पृथक् कर देता है। उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति क्या होगी यदि परमाणु में इलेक्ट्रॉन उच्च स्तर से निम्न स्तर में संक्रमण करता है?
हल
दिया है, ऊर्जा अन्तर ΔE = 2.3 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ।
= 2.3 × 1.6 × 10-19 जूल
h = 6.62 × 10-34 जूल-सेकण्ड
∴ ΔE = hv से,
उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति γ = \(\frac { ΔE }{ h }\)
= 5.6 × 1014 हर्ट्स।
प्रश्न 5.
हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा- 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जाएँ क्या होंगी?
हल
हाइड्रोजन परमाणु की nवीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
⇒ E = – K1
या – 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = – K1 (∴ दिया है, E = – 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट)
∴ इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा K1 = 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
तथा स्थितिज ऊर्जा U1 = – 2K1
⇒ U1 = – 27.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
प्रश्न 6.
निम्नतम अवस्था में विद्यमान एक हाइड्रोजन परमाणु एक फोटॉन को अवशोषित करता है जो इसे n= 4स्तर तक उत्तेजित कर देता है। फोटॉन की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल
nवें ऊर्जा स्तर में हाइड्रोजन परमाणु की ऊर्जा
En = \(-\frac{13.6}{n^{2}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ निम्नतम अवस्था n= 1 तथा n = 4 अवस्था में इसकी ऊर्जाएँ।
E1 = \(-\frac{13.6}{1^{2}}\) = – 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
तथा E4 = \(-\frac{13.6}{4^{2}}\) = – 0.85 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ n= 1 से n = 4 तक उत्तेजित करने वाले फोटॉन की ऊर्जा
ΔE = E4 – E1 = – 0.85 + 13.6
= 12.75 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
या ΔE= 12.75 × 1.6 × 10-19 जूल।
यदि इस फोटॉन की आवत्ति ν है तो ν \(=\frac{\Delta E}{h}=\frac{12.75 \times 1.6 \times 10^{-19}}{6.62 \times 10^{-34}}\)
= 3.08 × 1015 हर्ट्स ≈ 3.1 × 1015 हर्ट्स।
तथा तरंगदैर्घ्य λ = \(\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{3.08 \times 10^{15}}\) मीटर
= 9.74 × 10-8 मीटर = 974 Δ.
प्रश्न 7.
(a) बोर मॉडल का उपयोग करके किसी हाइड्रोजन परमाणु में n = 1, 2 तथा 3 स्तरों पर इलेक्ट्रॉन की चाल परिकलित कीजिए।
(b) इनमें से प्रत्येक स्तर के लिए कक्षीय अवधि परिकलित कीजिए।
हल
(a) हाइड्रोजन परमाणु के n स्तर में इलेक्ट्रॉन की कक्षा की त्रिज्या, rn तथा इलेक्ट्रॉन की चाल υn के लिए सूत्र-
(b) nवें ऊर्जा स्तर में इलेक्ट्रॉन की कक्षीय अवधि
प्रश्न 8.
हाइड्रोजन परमाणु में अन्तरतम इलेक्ट्रॉन-कक्षा की त्रिज्या 5.3 × 10-11 मीटर है। कक्षा n= 2 और n = 3 की त्रिज्याएँ क्या हैं?
हल
हाइड्रोजन परमाणु की nवीं इलेक्ट्रॉन कक्षा की त्रिज्या rn ∝ n2
∴ \(\frac{r_{2}}{r_{1}}=\frac{2^{2}}{1^{2}}\) ⇒ r2 = 4r1
परन्तु r1 = 5.3 × 10-11 मीटर
∴ r2 = 4 × 5.3 × 10-11 मीटर
= 2.12 × 10-10 मीटर।
पुनः
\(\frac{r_{3}}{r_{1}}=\frac{3^{2}}{1^{2}}\) ⇒ r3 = 9r1
∴ r3 = 9 × 5.3 × 10-11 मीटर
= 4.77 × 10-10 मीटर।
अत: कक्षा n= 2 व 3 की त्रिज्याएँ r2 = 2.12 × 10-10 मीटर
व r3 = 4.77 × 10-10 मीटर।
प्रश्न 9.
कमरे के ताप पर गैसीय हाइड्रोजन पर किसी 12.5 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट की इलेक्ट्रॉन पुंज की बमबारी की गई। किन तरंगदैयों की श्रेणी उत्सर्जित होगी?
उत्तर
nवें ऊर्जा स्तर में हाइड्रोजन परमाणु की ऊर्जा
En = \(-\frac{13.6}{n^{2}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ n = 1, 2, 3, 4 आदि रखने पर संगत ऊर्जा-स्तरों में हाइड्रोजन परमाणु की ऊर्जाएँ हैं
E1 = – 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट,
E2 = \(-\frac{13.6}{2^{2}}\) = 3.4 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
E3 = \(-\frac{13.6}{3^{2}}\) = -1.51 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट, 3.6 .
E4 = \(-\frac{13.6}{4^{2}}\) = – 0.85 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ n = 1 से क्रमश: n = 2, n = 3 व n = 4 ऊर्जा स्तरों में जाने के लिए आवश्यक ऊर्जाएँ हैं
ΔE12 = E2 – E1 = -3.4 + 13.6
= 10.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
ΔE13 = E3 – E1 = -1.51 + 13.6
= 12.09 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
ΔE14 = E4 – E1 = -0.85+ 13.6
= 12.75 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा 12.5eV < Δ E14
परनतु 12.5eV > ΔE13
चित्र-12.1
अतः हाइड्रोजन परमाणु इलेक्ट्रॉन से ऊर्जा प्राप्त करके n = 2 अथवा n= 3 वें ऊर्जा स्तर में जा सकता है (उससे ऊपर नहीं)।
अब वें ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तरों में लौटता हुआ परमाणु फोटॉन उत्सर्जित करेगा। इस उत्सर्जन के दौरान कुल तीन संक्रमण सम्भव हैं (देखें चित्र)।
इन संक्रमणों में सम्भव ऊर्जा परिवर्तन क्रमश: ΔE31, ΔE32 व ΔE21 हैं।
जहाँ ΔE31 = ΔE13 = 12.09 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 12.09-1.6 × 10-19 जूल
ΔE32 = E3 – E2 = 1.89 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 1.89 × 1.6-10-19 जूल
ΔE21 = ΔE12 = 10.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 10.2 × 1.6 × 10-19 जूल
अत: उत्सर्जित तरंगदैर्घ्य निम्नलिखित हैं
लाइमन श्रेणी λ31 = 103 नैनोमीटर, λ21 = 122 नैनोमीटर
तथा बामर श्रेणी λ32 = 656 नैनोमीटर।
प्रश्न 10.
बोर मॉडल के अनुसार सूर्य के चारों ओर 1.5 × 1011 मीटर त्रिज्या की कक्षा में, 3 × 104 मीटर/सेकण्ड के कक्षीय वेग से परिक्रमा करती पृथ्वी की अभिलाक्षणिक क्वाण्टम संख्या ज्ञात कीजिए।
(पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 × 1024 किग्रा)
हल
दिया है, पृथ्वी का द्रव्यमान ME = 6.0 × 1024 किग्रा,
कक्षा की त्रिज्या RE = 1.5 × 1011 मीटर,
वेग υE = 3 × 104 मीटर/सेकण्ड
यदि अभिलाक्षणिक क्वाण्टम संख्या n है तो बोर मॉडल के अनुसार,
MEυERE= \(n \frac{h}{2 \pi}\)
n = MEυERE\(\frac { 2π }{h }\)
= 6.0 × 1024 × 3 × 104 × 1.5 × 1011 × \(\frac{2 \times 3.14}{6.6 \times 10^{-34}}\)
= 25.6133 × 1073 ≈ 2.6 × 1074
∴ अभिलाक्षणिक क्वाण्टम संख्या n = 2.6 × 1074.
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए जो आपको टॉमसन मॉडल और रदरफोर्ड मॉडल में अन्तर समझने हेतु अच्छी तरह से सहायक हैं।
(a) क्या टॉमसन मॉडल में पतले स्वर्ण पन्नी से प्रकीर्णित -कणों का पूर्वानुमानित औसत विक्षेपण कोण, रदरफोर्ड मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित मान में अत्यन्त कम, लगभग समान अथवा अत्यधिक बड़ा है?
(b) टॉमसन मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित पश्च प्रकीर्णन की प्रायिकता (अर्थात् -कणों का 90° से बड़े कोणों पर प्रकीर्णन) रदरफोर्ड मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित मान से अत्यन्त कम, लगभग समान अथवा अत्यधिक है?
(c) अन्य कारकों को नियत रखते हुए, प्रयोग द्वारा यह पाया गया है कि कम मोटाई के लिए, मध्यम कोणों पर प्रकीर्णित -कणों की संख्या t के अनुक्रमानुपातिक है। पर यह रैखिक निर्भरता क्या संकेत देती है?
(d) किस मॉडल में α-कणों के पतली पन्नी से प्रकीर्णन के पश्चात् औसत प्रकीर्णन कोण के परिकलन हेतु बहुप्रकीर्णन की उपेक्षा करना पूर्णतया गलत है?
उत्तर
(a) औसत विक्षेपण कोण दोनों मॉडलों के लिए लगभग समान है।
(b) टॉमसन मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित पश्च प्रकीर्णन की प्रायिकता, रदरफोर्ड मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित मान की तुलना में अत्यन्त कम है।
(c) t पर रैखिक निर्भरता यह प्रदर्शित करती है कि प्रकीर्णन मुख्यतः एकल संघट्ट के कारण होता है। मोटाई t के बढ़ने के साथ लक्ष्य स्वर्ण नाभिकों की संख्या रैखिक रूप से बढ़ती है, अतः -कणों के, स्वर्ण नाभिक से एकल संघट्ट की सम्भावना रैखिक रूप से बढ़ती है।
(d) टॉमसन मॉडल में परमाणु का सम्पूर्ण धनावेश परमाणु में समान रूप से वितरित है, अत: एकल संघट्ट a-कण को अल्प कोणों से विक्षेपित कर पाता है। अतः इस मॉडल में औसत प्रकीर्णन कोण का परिकलन, बहुप्रकीर्णन के आधार पर ही किया जा सकता है। दूसरी ओर रदरफोर्ड मॉडल में प्रकीर्णन एकल संघट्ट के कारण होता है, अतः बहुप्रकीर्णन की उपेक्षा की जा सकती है।
प्रश्न 12.
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन के मध्य गुरुत्वाकर्षण, कूलॉम-आकर्षण से लगभग 10-40 के गुणक से कम है। इस तथ्य को देखने का एक वैकल्पिक उपाय यह है कि यदि इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन गुरुत्वाकर्षण द्वारा आबद्ध हों तो किसी हाइड्रोजन परमाणु में प्रथम बोर कक्षा की त्रिज्या का अनुमान लगाइए। आप मनोरंजक उत्तर पाएँगे।
उत्तर
माना इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान me व प्रोटॉन का द्रव्यमान mp है।
तब गुरुत्वाकर्षण बल FG = \(G \frac{m_{p} \times m_{e}}{r_{n}^{2}}\)
जहाँ rn वीं कक्षा की त्रिज्या है।
यह बल इलेक्ट्रॉन को आवश्यक अभिकेन्द्र बल देता है।
इस प्रकार समीकरण (2) व (3) की तुलना करने पर हम देखते हैं कि यदि हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन के बीच स्थिर.
विद्युत बल \(\left(\frac{e \times e}{4 \pi \varepsilon_{0} r^{2}}\right)\) के स्थान पर गुरुत्वीय बल \(\left(G \frac{m_{p} \times m_{e}}{r^{2}}\right)\) कार्यरत हो तो प्रथम बोर कक्षा की त्रिज्या ज्ञात करने के r1 में \(\left(\frac{e^{2}}{4 \pi^{2} \varepsilon_{0} r^{2}}\right)\) के स्थान पर \(\left(\frac{G m_{p} \times m_{e}}{r^{2}}\right)\) रखना चाहिए।
∵ G = 6.67 × 10-11 न्यूटन-मीटर2/किग्रा2
mp = 1.67 × 10-27 किग्रा
h = 6.62 × 10-34 जूल-सेकण्ड,
me = 9.1 × 10-31 किग्रा
समीकरण (2) में उपर्युक्त मान रखने पर,
\(r_{1}=\frac{1}{9.1 \times 10^{-31}} \times\left(\frac{6.62 \times 10^{-34}}{2 \times 3.14}\right)^{2} \times \frac{1}{6.67 \times 10^{-11} \times 1.67 \times 10^{-27} \times 9.1 \times 10^{-31}}\)
= 1.21 × 1029 मीटर।
प्रश्न 13.
जब कोई हाइड्रोजन परमाणु स्तर n से स्तर (n-1) पर व्युत्तेजित होता हैं तो उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति हेतु व्यंजक प्राप्त कीजिए।n के अधिक मान हेतु, दर्शाइए कि यह आवृत्ति, इलेक्ट्रॉन की कक्षा में परिक्रमण की क्लासिकी आवृत्ति के बराबर है।
हल
nवें ऊर्जा स्तर में हाइड्रोजन परमाणु की ऊर्जा
∴ कक्षा में इलेक्ट्रॉन की क्लासिकी घूर्णन आवृत्ति
अत: समीकरण (2) एवं (3) से स्पष्ट है कि n के उच्च मानों हेतु nवीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन की क्लासिकी पूर्णन आवत्ति, हाइड्रोजन परमाणु द्वारा nवें ऊर्जा स्तर से (n – 1)वें ऊर्जा स्तर में जाने के दौरान उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति के बराबर होती है।
प्रश्न 14.
क्लासिकी रूप में किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर किसी भी कक्षा में हो सकता है। तब प्रारूपी परमाण्वीय साइज किससे निर्धारित होता है? परमाणु अपने प्रारूपी साइज की अपेक्षा दस हजार गुना बड़ा क्यों नहीं है? इस प्रश्न ने बोर को अपने प्रसिद्ध परमाणु मॉडल,जो आपने पाठ्यपुस्तक में पढ़ा है, तक पहुँचने से पहले बहुत उलझन में डाला था।अपनी खोज से पूर्व उन्होंने क्या किया होगा, इसका अनुकरण करने के लिए हम मूल नियतांकों की प्रकृति के साथ निम्न गतिविधि करके देखें कि क्या हमें लम्बाई की विमा वाली कोई राशि प्राप्त होती है, जिसका साइज, लगभग परमाणु के ज्ञात साइज (~10-10 मीटर) के बराबर है।
(a) मूल नियतांकों e, me और c से लम्बाई की विमा वाली राशि की रचना कीजिए। उसका संख्यात्मक मान भी निर्धारित कीजिए।
(b) आप पाएंगे कि (a) में प्राप्त लम्बाई परमाण्वीय विमाओं के परिमाण की कोटि से काफी छोटी है। इसके अतिरिक्त इसमें c सम्मिलित है। परन्तु परमाणुओं की ऊर्जा अधिकतर अनापेक्षिकीय क्षेत्र (non-relativistic domain) में है जहाँ की कोई अपेक्षित भूमिका नहीं है। इसी तर्क ने बोर कोcका परित्याग कर सही परमाण्वीय साइज को प्राप्त करने के लिए कुछ अन्य देखने के लिए प्रेरित किया। इस समय प्लांक नियतांक का कहीं और पहले ही आविर्भाव हो चुका था। बोर की सूक्ष्मदृष्टि ने पहचाना कि h, me और e के प्रयोग से ही सही परमाणु साइज प्राप्त होगा। अतः h, me और eसे ही लम्बाई की विमा वाली किसी राशि की रचना कीजिए और पुष्टि कीजिए कि इसका संख्यात्मक मान, वास्तव में सही परिमाण की कोटि का है।
हल
(a) दी गई राशियों के विमीय सूत्र e= [AT], me = [M], c = [LT-1]
दोनों पक्षों में विमाओं की तुलना करने पर, y + u = 0 …..(1)
z + 3u = 1 ….(2)
x – z – 4u = 0 ….. (3)
x- 2u = 0 ….. (4)
समीकरण (2) व (3) को जोड़ने पर, x – u = 1 …..(5)
समीकरण (5) में से (4) को घटाने पर, u = 1
तब y= – u = – 1, z = – 2, x = 2
अतः लम्बाई की विमा वाली अभीष्ट राशि निम्नलिखित है-
या L= 2.81 × 10-15 मीटर।
स्पष्ट है कि यह दूरी परमाणु के साइज की तुलना में लगभग 10 गुनी छोटी है।
(b) पुन: h का विमीय सूत्र [ML2T-1 है।
दोनों पक्षों में विमाओं की तुलना करने पर,
y + z + u= 0 …(1)
2z + 3u=1 …(2)
x – z – 4u = 0 …(3)
x – 2u …(4)
समीकरण (4) में से (3) को घटाने पर,
z + 2u=0
समीकरण (5) को दो से गुणा करके समीकरण (2) में से घटाने पर,
यही अभीष्ट राशि है जिसकी विमा लम्बाई की विमा के समान है।
उक्त सूत्र में मान रखने पर,
जो कि स्पष्टतया परमाणु के आमाप की कोटि की है।
प्रश्न 15.
हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा लगभग – 3.4eV है।
(a) इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा क्या है?
(b) इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा क्या है?
(c) यदि स्थितिज ऊर्जा के शून्य स्तर के चयन में परिवर्तन कर दिया जाए तो ऊपर दिए गए उत्तरों में से कौन-सा उत्तर परिवर्तित होगा?
हल
(a) माना प्रथम उत्तेजित अवस्था में कक्षा की त्रिज्या है।
∵ इलेक्ट्रॉन को अभिकेन्द्र बल, स्थिर विद्युत बल से मिलता है। अत:
⇒ U= – 2K
∴ कुल ऊर्जा E = U + K ⇒ E=- K
या – 3.4 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = – K [∵ दिया है, E = – 3.4इलेक्ट्रॉन-वोल्ट]
∴ इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा K= 3.4 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
(b) स्थितिज ऊर्जा U = – 2K ⇒ U = – 6.8 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।।
(c) यदि स्थितिज ऊर्जा के शून्य को बदल दिया जाए तो इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा तथा कुल ऊर्जा बदल जाएगी जबकि गतिज ऊर्जा अपरिवर्तित रहेगी।
प्रश्न 16.
यदि बोर का क्वाण्टमीकरण अभिगृहीत (कोणीय संवेग = \(\frac { nh }{2π }\)) प्रकृति का मूल नियम है तो यह ग्रहीय गति की दशा में भी लागू होना चाहिए। तब हम सूर्य के चारों ओर ग्रहों की कक्षाओं के क्वाण्टमीकरण के विषय में कभी चर्चा क्यों नहीं करते?
उत्तर
माना हम बोर के क्वाण्टम सिद्धान्त को पृथ्वी की गति पर लागू करते हैं। इसके अनुसार,
\(m v r=n \frac{h}{2 \pi} \Rightarrow n=\frac{2 \pi m v r}{h}\)
पृथ्वी के लिए m= 6.0 × 1024 किग्रा, υ= 3 × 104 मीटर/सेकण्ड
r = 1.49 × 1011 मीटर, h = 6.62 × 10-34 जूल-सेकण्ड
∴ \(n=\frac{2 \times 3.14 \times 6.0 \times 10^{24} \times 3 \times 10^{4} \times 1.49 \times 10^{11}}{6.62 \times 10^{-34}}\)
⇒ n = 2.49 × 1074 ⇒ n ≈ 1074
∵ n का मान बहुत अधिक है, अत: इसका यह अर्थ हुआ कि ग्रहों की गति से सम्बद्ध कोणीय संवेग तथा ऊर्जा की। तुलना में अत्यन्त बड़ी हैं। \(\frac { h }{2π }\) के इतने उच्च मान के लिए, किसी ग्रह के बोर मॉडल के दो क्रमागत क्वाण्टमीकृत ऊर्जा स्तरों के बीच ग्रह के कोणीय संवेग तथा ऊर्जाओं के अन्तर किसी ऊर्जा स्तर में ग्रह के कोणीय संवेग तथा ऊर्जा की तुलना में नगण्य हैं, इसी कारण ग्रहों की गति में ऊर्जा स्तर क्वाण्टमीकृत होने के स्थान पर सतत प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 17.
प्रथम बोर त्रिज्या और म्यूओनिक हाइड्रोजन परमाणु [अर्थात् कोई परमाणु जिसमें लगभग 207 me द्रव्यमान का ऋणावेशित म्यूऑन (μ–) प्रोटॉन के चारों ओर घूमता है।] की निम्नतम अवस्था ऊर्जा को प्राप्त करने का परिकलन कीजिए।
हल
एक म्यूओनिक हाइड्रोजन परमाणु में प्रोटॉन रूपी नाभिक के चारों ओर एक म्यूऑन (आवेश = – 1.6 × 10-19 कूलॉम, द्रव्यमान mμ = 207me) वृत्तीय कक्षा में चक्कर लगाता है।
अत: \(\frac{m_{\mu}}{m_{e}}=207\)
हाइड्रोजन परमाणु में, इलेक्ट्रॉन की nवीं कक्षा की त्रिज्या
परन्तु इलेक्ट्रॉन की प्रथम कक्षा की त्रिज्या re = 0.53Ā = 0.53 × 10-10
मीटर म्यूऑन की प्रथम कक्षा की त्रिज्या rμ = \(\frac { 1 }{ 207 }\) × 0.53 × 10-10
⇒ rμ= 2.56 × 10-13 मीटर।
पुनः प्रथम कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा Ee = \(-\frac{1}{2} \times \frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{e^{2}}{r_{e}}\)
तथा प्रथम कक्षा में म्यूऑन की ऊर्जा Eμ = \(-\frac{1}{2} \cdot \frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{e^{2}}{r_{\mu}}\)
∴ प्रथम कक्षा में हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा Ee = – 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ प्रथम कक्षा में म्यूऑन की ऊर्जा Eμ = 207 × (- 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट)
= – 2815.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= – 2.82 किलोइलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
परमाणु NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LO Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल
परमाणु बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बोर त्रिज्या को α0 = 53 पिकोमीटर लेते हुए, बोर मॉडल के आधार पर Li++ आयन की, इसके निम्नतम अवस्था में, त्रिज्या होगी (लगभग)
(a) 53 पिकोमीटर
(b) 27 पिकोमीटर
(c) 18 पिकोमीटर
(d) 13 पिकोमीटर।
उत्तर
(c) 18 पिकोमीटर
प्रश्न 2.
एक सामान्य बोर मॉडल को कई इलेक्ट्रॉनों वाले एक परमाणु के ऊर्जा स्तों की गणना के लिए प्रत्यक्षतः प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए है क्योंकि
(a) इलेक्ट्रॉन केन्द्रीय बल के अधीन नहीं हैं
(b) इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे से टकराते रहते हैं
(c) स्क्रीन प्रभाव बीच में आते हैं
(d) नाभिक तथा इलेक्ट्रॉन के बीच बल, अब कूलॉम के नियम से निर्धारित नहीं होते।
उत्तर
(a) इलेक्ट्रॉन केन्द्रीय बल के अधीन नहीं हैं
प्रश्न 3.
सामान्य बोर मॉडल के अनुसार, निम्नतम अवस्था में, हाइड्रोजन परमाणु के इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग के तुल्य है। कोणीय संवेग एक सदिश है। अतः कक्षाओं की संख्या अनन्त होगी, जिनमें कोणीय संवेग सदिश प्रत्येक सम्भव दिशा की ओर इंगित कर रहा होगा। वास्तव में यह सही नहीं है.
(a) क्योंकि बोर मॉडल कोणीय संवेग का गलत मान देता है
(b) क्योंकि इनमें से केवल एक की ऊर्जा न्यूनतम होगी
(c) कोणीय संवेग इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा में होना चाहिए
(d) क्योंकि इलेक्ट्रॉन केवल क्षैतिज कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं
उत्तर
(a) क्योंकि बोर मॉडल कोणीय संवेग का गलत मान देता है
प्रश्न 4.
o2 अणु में ऑक्सीजन के दो परमाणु होते हैं। अणु में, दो परमाणु नाभिकों के मध्य नाभिकीय बल
(a) महत्त्वपूर्ण नहीं है क्योंकि नाभिकीय बलों का परिसर न्यून होता है
(b) दो परमाणुओं को बाँधने के लिए आवश्यक स्थिर वैद्युत बलों जितने ही महत्त्वपूर्ण हैं ।
(c) नाभिकों के मध्य प्रतिकर्षणात्मक स्थिर वैद्युत बलों को निरस्त कर देते हैं
(d) महत्त्वपूर्ण नहीं है क्योंकि ऑक्सीजन नाभिक में न्यूट्रॉनों और प्रोटॉनों की संख्या बराबर होती है।
उत्तर
(a) महत्त्वपूर्ण नहीं है क्योंकि नाभिकीय बलों का परिसर न्यून होता है
प्रश्न 5.
दो H-परमाणुओं का इनके निम्नतम अवस्था में अप्रत्यास्थ संघट्ट होता है। दोनों की संयुक्त गतिज ऊर्जा में होने वाली अधिकतम कमी है
(a) 10.20eV
(b) 20.40eV
(c) 13.6eV
(d) 27.2eV.
उत्तर
(a) 10.20eV
प्रश्न 6.
उत्तेजित अवस्था में परमाणुओं का एक समूह विघटित होता है
(a) सामान्यत: निम्नतर ऊर्जा की किसी भी अवस्था तक
(b) एक निम्नतर अवस्था तक केवल तभी जब एक बाह्य विद्युत क्षेत्र द्वारा उत्तेजित किया गया हो
(c) जिनमें सभी एक-साथ एक निरन्तर अवस्था में आते हैं
(d) तो इनसे फोटॉन केवल तभी उत्सर्जित होते हैं जब उनमें संघट्ट होता है।
उत्तर
(a) सामान्यत: निम्नतर ऊर्जा की किसी भी अवस्था तक
परमाणु अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
एक हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान, एक प्रोटॉन व एक इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमानों के योग से कम है। ऐसा क्यों है?
उत्तर
हाइड्रोजन परमाणु में एक प्रोटॉन व एक इलेक्ट्रॉन होता है। इनके द्रव्यमानों का कुछ भाग नाभिकीय बन्धन ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है, इसीलिए हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान, एक प्रोटॉन व एक इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमानों के योग से कम होता है।
प्रश्न 2.
जब एक इलेक्ट्रॉन उच्चतर ऊर्जा से निम्नतर ऊर्जा स्तर में आता है तो ऊर्जा का अन्तर विद्युतचुम्बकीय विकिरण के रूप में प्रकट होता है। यह ऊर्जा के अन्य रूपों में उत्सर्जित क्यों नहीं हो सकता?
उत्तर
यह ऊर्जा अन्तर विद्युतचुम्बकीय विकिरण के रूप में ही प्रकट होती है क्योंकि इलेक्ट्रॉन केवल विद्युतचुम्बकीय रूप से ही पारस्परिक क्रिया करते हैं।
प्रश्न 3.
दो भिन्न हाइड्रोजन परमाणुलें। प्रत्येक परमाणु में इलेक्ट्रॉन उत्तेजित अवस्था में है। बोर मॉडल के अनुसार क्या यह सम्भव है कि इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा तो भिन्न हो परन्तु कक्षीय कोणीय संवेग समान हो?
उत्तर
नहीं, क्योंकि भिन्न-भिन्न ऊर्जा के इलेक्ट्रॉनों के लिए ऊर्जा स्तर n के मान भिन्न-भिन्न होंगे, अत: उनके कोणीय संवेग \(\left(m v r=\frac{n h}{2 \pi}\right)\) भी भिन्न होंगे।
परमाणु आंकिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बामर श्रेणी की Hγ रेखा को उत्सर्जित कर सकने हेतु, हाइड्रोजन परमाणु को निम्नतम अवस्था में दी जाने वाली न्यूनतम ऊर्जा कितनी होगी? यदि निकाय का कोणीय संवेग संरक्षित रहता हो, तो इस Hγ फोटॉन का कोणीय .. संवेग क्या होगा?
हल
बामर श्रेणी की Hγ रेखा उत्सर्जन के लिए संक्रमण n = 5 से n = 2 स्तर में होगा, अतः हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन को पहले n = 1 से n = 5 स्तर में ले जाने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा
ΔE = E5 – E1
= \(-\frac{13.6}{(5)^{2}}-\left(-\frac{13.6}{(1)^{2}}\right)\)
= -0.54 + 13.6
= 13.06 eV.
कोणीय संवेग संरक्षित रहने पर, .
फोटॉन का कोणीय संवेग = इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग में परिवर्तन
= L5 – L2 .
= \(\frac{5 h}{2 \pi}-\frac{2 h}{2 \pi}=\frac{3 h}{2 \pi}\)
= \(\frac{3 \times 6.6 \times 10^{-34}}{2 \times 3.14}\)
= 3.15 × 10-34 जूल-सेकण्ड।