MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा
विद्युत धारा NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
किसी कार की संचायक बैटरी का वैद्युत वाहक बल 12 वोल्ट है। यदि बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध 0.42 हो तो बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा का मान क्या होगा?
हल :
दिया है : E = 12 वोल्ट, r = 0.4Ω, imax = ?
सूत्र \(i=\frac{E}{r+R}\) से,
धारा महत्तम होगी यदि R = 0
प्रश्न 2.
10 वोल्ट वैद्युत वाहक बल वाली बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध 3Ω है, किसी प्रतिरोधक से संयोजित है। यदि परिपथ में धारा का मान 0.5 ऐम्पियर हो तो प्रतिरोधक का प्रतिरोध क्या है? जब परिपथ बन्द है तो सेल की टर्मिनल वोल्टता क्या होगी?
हल :
दिया है : E = 10 वोल्ट, r = 3Ω, i = 0.5 ऐम्पियर, बाह्य प्रतिरोध R = ?
परिषथ बन्द होने पर टर्मिनल वोल्टता V = ?
∴ बाह्य प्रतिरोध R = 20-r = 20- 3 = 17Ω .
सेल की टर्मिनल वोल्टता V = iR = 0.5 ऐम्पियर x 17Ω = 8.5 वोल्ट।
प्रश्न 3.
(a) 1Ω, 2Ω और 3Ω के तीन प्रतिरोधक श्रेणी में संयोजित हैं। प्रतिरोधकों के संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या है?
(b) यदि प्रतिरोधकों का संयोजन किसी 12 वोल्ट की बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है, से सम्बद्ध है तो प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टतापात ज्ञात कीजिए।
हल :
(a) दिया है : R1 = 1Ω, R2 = 2Ω, R3 = 3Ω
श्रेणी संयोजन का प्रतिरोध R = R1 + R2 + R3 = 1+ 2 + 3 = 6Ω
(b) E = 12 वोल्ट, R = 62, r = 0, प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टतापात = ?
यही धारा प्रत्येक प्रतिरोधक में प्रवाहित होगी। .
∴ प्रतिरोधकों की अलग-अलग वोल्टतापात V1 = iR1 = 2 ऐम्पियर x 12 = 2 वोल्ट।
V2 = iR2 = 2 ऐम्पियर x 2Ω = 4 वोल्ट। .
V3 = iR3 = 2 ऐम्पियर x 3Ω = 6 वोल्ट।
प्रश्न 4.
(a) 2Ω, 4Ω और 5Ω के तीन प्रतिरोधक पार्श्व में संयोजित हैं। संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या होगा?
(b) यदि संयोजन को 20 वोल्ट के वैद्युत वाहक बल की बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है, से सम्बद्ध किया जाता है तो प्रत्येक प्रतिरोधक से प्रवाहित होने वाली धारा तथा बैटरी से ली गई कुल धारा का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
(a) दिया है : R1 = 2Ω, R2 = 4Ω, . R3 = 5Ω
यदि पार्श्व क्रम संयोजन का प्रतिरोध R है तो.
(b) दिया है, E = 20 वोल्ट, r = 0, प्रत्येक प्रतिरोधक द्वारा ली गई धारा = ?
बैटरी से ली गई कुल धारा = ? ,
∵ प्रतिरोधक पार्श्व क्रम में संयोजित हैं, अत: प्रत्येक के सिरों का विभवान्तर समान (वै० वा० बल के बराबर) होगा।
बैटरी से ली गई कुल धारा i = i1 +i2+i3 = 10 + 5 + 4 = 19 ऐम्पियर।
प्रश्न 5.
कमरे के ताप (27.0°C) पर किसी तापन-अवयव का प्रतिरोध 100Ω है। यदि तापन-अवयव का प्रतिरोध 117Ω हो तो अवयव का ताप क्या होगा? प्रतिरोधक के पदार्थ का ताप-गुणांक 1.70x 10-4°C-1 है।
हल :
दिया है : 27.0° C ताप पर प्रतिरोध R1 = 100Ω, t1 = 27°C
प्रश्न 6.
15 मीटर लम्बे एवं 6.0 x 10-7 मीटर2 अनुप्रस्थ काट वाले तार से उपेक्षणीय धारा प्रवाहित की गई है और इसका प्रतिरोध 5.0Ω मापा गया है। प्रायोगिक ताप पर तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता क्या होगी?
हल :
दिया है : तार की लम्बाई l = 15 मीटर, अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A = 6.0 x 10-7मीटर2
तार का प्रतिरोध R = 5.0Ω, p= ?
प्रश्न 7.
सिल्वर के किसी तार का 27.5°C पर प्रतिरोध 2.1Ω और 100°C पर प्रतिरोध 2.7Ω है सिल्वर का प्रतिरोधकता ताप-गुणांक ज्ञात कीजिए।
हल :
t1 = 27.5°C पर प्रतिरोध R1 = 2.1Ω,
t2 – t1 = 100 – 27.5 = ∆t = 72.5°C
t2 = 100°C पर प्रतिरोध R2 = 2.7Ω, a = ?
प्रश्न 8.
नाइक्रोम का एक तापन-अवयव 230 वोल्ट की सप्लाई से संयोजित है और 3.2 ऐम्पियर की प्रारम्भिक धारा लेता है जो कुछ सेकण्ड में 2.8 ऐम्पियर पर स्थायी हो जाती है। यदि कमरे का ताप 27.0° C है तो तापन-अवयव का स्थायी ताप क्या होगा? दिए गए ताप-परिसर में नाइक्रोम का औसत प्रतिरोध का ताप-गुणांक 1.70 x 10-4°C-1 है।
हल :
दिया है : V = 230 वोल्ट, i1 = 3.2 ऐम्पियर तथा अन्त में i2 = 2.8 ऐम्पियर
कमरे का ताप t1 = 27.0°C का स्थायी ताप t2 = ?, α = 1.70 x 10-4°C-1
प्रश्न 9.
चित्र 3.1 में दर्शाए नेटवर्क की प्रत्येक शाखा में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए।
हल :
पाश ABDA पर किरचॉफ का नियम लगाने पर,
10i1 + 5i3 – 5i2 = 0 या 2i1 – i2 + i3 = 0 …(1)
तथा पाश BCDB से, 5(i1 – i3)- 10 (i2 + i3)- 5i3= 0
या 5i1 – 10i2 – 20i3 = 0 या i1– 2i2 – 4i3 = 0 …(2)
पाश ABCGHA से,
10i1 + 5 (i1 – i3)+10 i = 10
या 10i + 15i1 – 5i3 = 10
या 2i + 3i1 – i3 = 2……………(3)
तथा बिन्दु A पर सन्धि के नियम से, .
i1+ i1 = i ………………(4)
समी० (4) से i का मान समी० (3) में रखने पर,
5i1 + 2i2 – i3= 2 ………………..(5)
समी० (5) व (1) को जोड़ने पर,
7i1 + i2 = 2 ……………..(6)
समी० (1) को 4 से गुणा करके समी० (2) में जोड़ने पर,
9i1 – 6i2 = 0 ⇒ \(i_{2}=\frac{3}{2} i_{1}\)………….(7)
समी० (6) में मान रखने पर, 7i1 + \(\frac{3}{2}\)i1 = 2
प्रश्न 10.
(a) किसी मीटर-सेतु में जब प्रतिरोधक S = 12.5Ω हो तो सन्तुलन बिन्दु, सिरे A से 39.5 सेमी की लम्बाई पर प्राप्त होता है। R का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। व्हीटस्टोन सेतु या मीटर सेतु में प्रतिरोधकों के संयोजन के लिए मोटी कॉपर की पत्तियाँ क्यों प्रयोग में लाते हैं?
(b) R तथा S को अन्तर्बदल करने पर उपर्युक्त सेतु का सन्तुलन बिन्दु ज्ञात कीजिए।
(c) यदि सेतु के सन्तुलन की अवस्था में गैल्वेनोमीटर और सेल का अन्तर्बदल कर दिया जाए तब क्या गैल्वेनोमीटर कोई धारा दर्शाएगा?
हल :
(a) मीटर सेतु के लिए दिया है : S = 12.5Ω, l = 39.5 सेमी, R = ?
मोटी कॉपर पत्तियों का प्रयोग उनके प्रतिरोध को न्यूनतम रखने के लिए किया जाता है क्योंकि सूत्र की स्थापना में इनके प्रतिरोध पर विचार नहीं किया गया है।
(b) R व S को परस्पर बदलने पर,
\(\frac{l}{100-l}=\frac{S}{R}\) Rl = 100S-lS
\(l=\frac{100 S}{R+S}=\frac{100 \times 12.5}{8.2+12.5}=60.38\) सेमी या 60.4 सेमी
अतः अब शून्य विक्षेप बिन्दु 60.38 सेमी पर प्राप्त होगा।
(c) नहीं, इस स्थिति में गैल्वेनोमीटर कोई विक्षेप नहीं दर्शाएगा।
प्रश्न 11.
8 वोल्ट वैद्युत वाहक बल की एक संचायक बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध 0.5 2 है, को श्रेणीक्रम में 15.5Ω के प्रतिरोधक का उपयोग करके 120 वोल्ट के D.C. स्रोत द्वारा चार्ज किया जाता है। चार्ज होते समय बैटरी की टर्मिनल वोल्टता क्या है? चार्जकारी परिपथ में प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में सम्बद्ध करने का क्या उद्देश्य है?
हल :
दिया है : बैटरी का वै० वा० बल E = 8 वोल्ट, आन्तरिक प्रतिरोध r = 0.5Ω
आवेशन स्रोत का वै० वा० बल Eex = 120 वोल्ट, बाह्य प्रतिरोध R = 15.5Ω
चार्जिंग के समय बैटरी की वोल्टता V = ?
चार्जिंग के समय बैटरी की टर्मिनल वोल्टता V = E + ir
∴ टर्मिनल वोल्टता V = 8+ 7 x 0.5 = 11.5 वोल्ट।
बाह्य प्रतिरोध को जोड़ने का उद्देश्य, चार्जिंग धारा को कम रखना है। उच्च चार्जिंग धारा के कारण बैटरी के क्षतिग्रस्त होने की सम्भावना है।
प्रश्न 12.
किसी पोटेंशियोमीटर व्यवस्था में, 1.25 वोल्ट वैद्युत वाहक बल से एक सेल का सन्तुलन बिन्दु तार के 35.0 सेमी लम्बाई पर प्राप्त होता है। यदि इस सेल को किसी अन्य सेल द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो सन्तुलन बिन्दु 63.0 सेमी पर स्थानान्तरित हो जाता है। दूसरे सेल का वैद्युत वाहक बल क्या है?
हल :
दिया है : सेल E1 = 1.25 वोल्ट के लिए अविक्षेप बिन्दु की दूरी l1 = 35.0 सेमी
E2 = ?, जबकि l2 = 63.0 सेमी
विभवमापी के लिए, E ∝ l
अत: दूसरे सेल का वै० वा० बल E2 = 2.25 वोल्ट।
प्रश्न 13.
किसी ताँबे के चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व 8.5 x 1028 मीटर3 आकलित किया गया है। 3 मीटर लम्बे तार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपवाह करने में इलेक्ट्रॉन कितना समय लेता है? तार की अनुप्रस्थ-काट 2.0 x 10-6 मीटर2 है और इसमें 3.0 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है।
हल :
ताँबे के लिए, n = 8.5 x 1028 मीटर3 तार की लम्बाई l = 3 मीटर
तार का अनु० क्षे० A = 2.0 x 10-6 मीटर2 = 3.0 ऐम्पियर
प्रश्न 14.
पृथ्वी के पृष्ठ पर ऋणात्मक पृष्ठ-आवेश घनत्व 10-9 कूलॉम-सेमी-2 है। वायुमण्डल के ऊपरी भाग और पृथ्वी के पृष्ठ के बीच 400 किलोवोल्ट विभवान्तर (नीचे के वायुमण्डल की कम चालकता के कारण) के परिणामतः समूची पृथ्वी पर केवल 1800 ऐम्पियर की धारा है। यदि वायुमण्डलीय वैद्युत क्षेत्र बनाए रखने हेतु कोई प्रक्रिया न हो तो पृथ्वी के पृष्ठ को उदासीन करने हेतु (लगभग) कितना समय लगेगा? (व्यावहारिक रूप में यह कभी नहीं होता है क्योंकि वैद्युत आवेशों की पुनः पूर्ति की एक प्रक्रिया है; यथा-पृथ्वी के विभिन्न भागों में लगातार तड़ित झंझा एवं तड़ित का होना)। (पृथ्वी की त्रिज्या = 6.37 x 106 मीटर)।
हल :
पृथ्वी की त्रिज्या RE = 6.37 x 106 मीटर,
पृष्ठीय-आवेश घनत्व σ = 10-9 कूलॉम-सेमी-2 = 10-5 कूलॉम-मीटर-2
वायुमण्डल से पृथ्वी पर धारा i = 1800 ऐम्पियर
पृथ्वी के निरावेशन में लगा समय t = ?
प्रश्न 15.
(a) छह लेड एसिड संचायक सेलों, जिनमें प्रत्येक का वैद्युत वाहक बल 2 वोल्ट तथा आन्तरिक प्रतिरोध 0.015Ω है, के संयोजन से एक बैटरी बनाई जाती है। इस बैटरी का उपयोग 8.5Ω प्रतिरोधक जो इसके साथ श्रेणी सम्बद्ध है, में धारा की आपूर्ति के लिए किया जाता है। बैटरी से कितनी धारा ली गई है एवं इसकी टर्मिनल वोल्टता क्या है?
(b) एक लम्बे समय तक उपयोग में लाए गए संचायक सेल का वैद्युत वाहक बल 1.9 वोल्ट और विशाल आन्तरिक प्रतिरोध 380Ω है। सेल से कितनी अधिकतम धारा ली जा सकती है? क्या सेल से प्राप्त यह धारा किसी कार की प्रवर्तक-मोटर को स्टार्ट करने में सक्षम होगी?
हल :
(a) प्रत्येक सेल का. वै० वा० बल = 2 वोल्ट, आ० प्रतिरोध = 0.015Ω
सेलों की संख्या = 6, बाह्य प्रतिरोध R = 8.5Ω, बैटरी से ली गई धारा = ?, टर्मिनल वोल्टता = ?
∵ बैटरी में सेल श्रेणीक्रम में जुड़े हैं।
∴ बैटरी का वै० वा० बल E = 6 x 2 = 12 वोल्ट
बैटरी का आ० प्रतिरोध r = 6 x 0.015 = 0.09Ω
बैटरी की टर्मिनल वोल्टता V = iR = 1.4 ऐम्पियर x 8.5Ω = 11.9 वोल्ट।
(b) सेल का वै० वा० बल E = 1.9 वोल्ट तथा आ० प्रतिरोध r = 380Ω
E सेल से अधिकतम धारा imax = \(\frac{E}{r}=\frac{1.9}{380}\) = 0.005 ऐम्पियर।
नहीं, यह धारा किसी कार की मोटर स्टार्ट नहीं कर सकती।
प्रश्न 16.
दो समान लम्बाई की तारों में एक ऐलुमिनियम का और दूसरा कॉपर का बना है। इनके प्रतिरोध समान हैं। दोनों तारों में से कौन-सा हल्का है? अतः समझाइए कि ऊपर से जाने वाली बिजली केबिलों में ऐलुमिनियम के तारों को क्यों पसन्द किया जाता है? (ρAl = 2.63 x 10-8 ओम-मीटर, ρCu = 1.72 x 10-8 ओम-मीटर, Al का आपेक्षिक घनत्व = 2.7, कॉपर का आपेक्षिक घनत्व = 8.9)
हल :
दिया है : ρAl = 2.63 x 10-8 ओम-मीटर, Pa = 1.72 x 10-8 ओम-मीटर
dAl = 2.7 तथा dCu = 8.9
माना इन तारों के अनुप्रस्थ परिच्छेद क्रमश: AAl तथा ACu हैं।
∵ तारों के प्रतिरोध समान हैं।
स्पष्ट है कि ऐलुमिनियम के तार का द्रव्यमान, कॉपर के तार के द्रव्यमान का आधा है अर्थात् ऐलुमिनियम का तार हल्का है। यही कारण है कि ऊपर से जाने वाले बिजली के केबिलों में ऐलुमिनियम के तारों का प्रयोग किया जाता है। यदि कॉपर के तारों का प्रयोग किया जाए तो खम्भे और अधिक मजबूत बनाने होंगे।
प्रश्न 17.
मिश्रधातु मैंगनिन के बने प्रतिरोधक पर लिए गए निम्नलिखित प्रेक्षणों से आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
धारा ऐम्पियर वोल्टता वोल्
हल :
दी गई सारणी के प्रत्येक प्रेक्षण से स्पष्ट है कि \(\frac{V}{i} \approx 19.7 \Omega\)
इससे स्पष्ट है कि मैंगनिन का प्रतिरोधक लगभग पूरे वोल्टेज परिसर में ओम के नियम का पालन करता है, अर्थात् मैंगनिन की प्रतिरोधकता पर ताप का बहुत कम प्रभाव पड़ता है। –
प्रश्न 18.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) किसी असमान अनुप्रस्थ काट वाले धात्विक चालक से एकसमान धारा प्रवाहित होती है। निम्नलिखित में से चालक में कौन-सी अचर रहती है—धारा, धारा घनत्व, वैद्युत क्षेत्र, अपवाह चाल।
(b) क्या सभी परिपथीय अवयवों के लिए ओम का नियम सार्वत्रिक रूप से लागू होता है? यदि नहीं, तो उन अवयवों के उदाहरण दीजिए जो ओम के नियम का पालन नहीं करते।
(c) किसी निम्न वोल्टता संभरण जिससे उच्च धारा देनी होती है, का आन्तरिक प्रतिरोध बहुत कम होना चाहिए, क्यों?
(d) किसी उच्च विभव (H.T.) संभरण, मान लीजिए 6 किलोवाट का आन्तरिक प्रतिरोध अत्यधिक होना चाहिए, क्यों?
हल :
(a) केवल धारा अचर रहती है, जैसा कि दिया गया है।
अन्य राशियाँ अनुप्रस्थ क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती हैं।
(b) नहीं, ओम का नियम सभी परिपथीय अवयवों पर लागू नहीं होता।
निर्वात नलिकाएँ, (डायोड वाल्व, ट्रायोड वाल्व) अर्द्धचालक युक्तियाँ (सन्धि डायोड तथा ट्रांजिस्टर) इसी प्रकार की युक्तियाँ हैं।
(c) किसी संभरण से प्राप्त महत्तम धारा \(i_{\max }=\frac{E}{r}\)
∵ वै० वा० बल कम है, अत: पर्याप्त धारा प्राप्त करने के लिए आन्तरिक प्रतिरोध का कम होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त आन्तरिक प्रतिरोध के अधिक होने से सेल द्वारा दी गई ऊर्जा का अधिकांश भाग सेल के भीतर ही व्यय हो जाता है।
(d) यदि आन्तरिक प्रतिरोध बहुत कम है तो किसी कारणवश लघुपथित होने की दशा में संभरण से अति उच्च धारा प्रवाहित होगी और संभरण के क्षतिग्रस्त होने की संभावना उत्पन्न हो जाएगी।
प्रश्न 19.
सही विकल्प छाँटिए-
(a) धातुओं की मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता प्रायः उनकी अवयव धातुओं की अपेक्षा (अधिक/कम) होती
(b) आमतौर पर मिश्रधातुओं के प्रतिरोध का ताप-गुणांक, शुद्ध धातुओं के प्रतिरोध के ताप-गुणांक से बहुत (कम/अधिक) होता है?
(c) मिश्रधातु मैंगनिन की प्रतिरोधकता ताप में वृद्धि के साथ लगभग (स्वतन्त्र है/तेजी से बढ़ती है)।
(d) किसी प्रारूपी विद्युतरोधी (उदाहरणार्थ, अम्बर) की प्रतिरोधकता किसी धातु की प्रतिरोधकता की तुलना में (1022 / 1023) कोटि के गुणक से बड़ी होती है?
हल :
(a) अधिक।
(b) कम।
(c) स्वतन्त्र है।
(d) 1022
प्रश्न 20.
(a) आपको R प्रतिरोध वाले n प्रतिरोधक दिए गए हैं। (i) अधिकतम, (ii) न्यूनतम प्रभावी प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए आप इन्हें किस प्रकार संयोजित करेंगे? अधिकतम और न्यूनतम प्रतिरोधों का अनुपात क्या होगा?
(b) यदि 1Ω, 2Ω, 3Ω के तीन प्रतिरोध दिए गए हों तो उनको आप किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त
तुल्य प्रतिरोध हों :
(c) चित्र 3.4 में दिखाए गए नेटवर्कों का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त कीजिए।
हल :
(a) (i) अधिकतम प्रतिरोध के लिए उन्हें श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा।
श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोध RS = R+ R + R+…. n पद = nR
(ii) न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए इन्हें पार्श्व क्रम में जोड़ना होगा।
(b) यहाँ R1 = 1Ω, R2 = 2Ω, R3 = 3Ω
(i) \(\frac{11}{3}\)Ω का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए R1, R2 को पार्यक्रम में व R3 को श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा।
(ii) \(\frac{11}{5}\) का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए R2, R3 को पार्यक्रम में तथा R1 के श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा।
(iii) 6Ω का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए तीनों को श्रेणीक्रम मे जोड़ना होगा।
तब Req = R1 + R2 + R3 = 1+2+ 3 = 6Ω
(iv) \(\frac{6}{11}\) का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए तीनों को पार्श्वक्रम में जोड़ना होगा।
(c) (a) प्रत्येक पाश में 1Ω -1Ω श्रेणीक्रम में तथा 2Ω – 2Ω श्रेणीक्रम में हैं।
इन शाखाओं के अलग-अलग प्रतिरोध 1+ 1 = 2Ω व 2 + 2 = 4Ω
अब ये दो शाखाएँ समान्तर क्रम में जुड़ी हैं।
(b) RΩ के 5 प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं,
∴ नेटवर्क का प्रतिरोध Req = R+ R+ R+ R+ R = 5 R
प्रश्न 21.
किसी 0.5Ω आन्तरिक प्रतिरोध वाले 12 वोल्ट के एक संभरण (Supply) से चित्र 3.7 में दर्शाए गए अनन्त नेटवर्क द्वारा ली गई धारा का मान ज्ञात कीजिए। प्रत्येक प्रतिरोध का मान 1Ω है।
हल :
माना नेटवर्क का प्रतिरोध R है। यदि इस नेटवर्क में तीन . प्रतिरोध (प्रत्येक 1Ω) चित्रानुसार जोड़ दिए जाएँ तो नेटवर्क के प्रतिरोध में कोई परिवर्तन नहीं होगा। (∵ यह अनन्त नेटवर्क है।)
यहाँ R व 1Ω पार्श्वक्रम में हैं तथा 1Ω, 1Ω श्रेणीक्रम में हैं।
प्रश्न 22.
चित्र 3.9 में एक पोटेंशियोमीटर दर्शाया गया है जिसमें एक 2.0 वोल्ट और आन्तरिक प्रतिरोध 0.40Ω का कोई सेल, पोटेंशियोमीटर के प्रतिरोधक तार AB पर वोल्टतापात बनाए रखता है। कोई मानक सेल जो 1.02 वोल्ट का अचर वैद्युत वाहक बल बनाए रखता है (कुछ मिलीऐम्पियर की बहुत सामान्य धाराओं के लिए) तार की 67.3 सेमी लम्बाई पर सन्तुलन बिन्दु देता है। मानक सेल से अति न्यून धारा लेना सुनिश्चित करने के लिए इसके साथ परिपथ में श्रेणी 600 किलोओम का एक अति उच्च प्रतिरोध इसके साथ सम्बद्ध किया जाता है, जिसे सन्तुलन बिन्दु प्राप्त होने के निकट लघुपथित (shorted) कर दिया जाता है। इसके बाद मानक सेल को किसी अज्ञात वैद्युत वाहक बल के सेल से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है जिससे सन्तुलन बिन्दु तार की 82.3 सेमी लम्बाई पर प्राप्त होता है।
(a) ε का मान क्या है?
(b) 600 किलोओम के उच्च प्रतिरोध का क्या प्रयोजन है?
(c) क्या इस उच्च प्रतिरोध से सन्तुलन बिन्दु प्रभावित होता है?
(d) क्या परिचालक सेल के आन्तरिक प्रतिरोध से सन्तुलन बिन्दु प्रभावित होता है?
(e) उपर्युक्त स्थिति में यदि पोटेंशियोमीटर के परिचालक सेल का वैद्यत वाहक बल 2.0 वोल्ट के स्थान पर 1.0 वोल्ट हो तो क्या यह विधि फिर भी सफल रहेगी?
(f) क्या यह परिपथ कुछ mV की कोटि के अत्यल्प वैद्युत वाहक बलों (जैसे कि किसी प्रारूपी तापविद्युत युग्म का वैद्युत वाहक बल) के निर्धारण में सफल होगी? यदि नहीं, तो आप इसमें किस प्रकार संशोधन करेंगे?
हल :
(a) दिया है : E1 = 1.02 वोल्ट के लिए l1 = 67.3 सेमी, E2= ε के लिए l2 = 82.3 सेमी, ε ?
सूत्र E ∝ l से,
\(\frac{E_{2}}{E_{1}}=\frac{l_{2}}{l_{1}}\)
\(E_{2}=\frac{l_{2}}{l_{1}} \times E_{1}\) या \(\varepsilon=\frac{82.3}{67.3} \times 1.02\)वोल्ट = 1.25 वोल्ट
(b) 600 किलोओम का उच्च प्रतिरोध, गैल्वेनोमीटर को असन्तुलित अवस्था में प्रवाहित होने वाली उच्च धारा से बचाता है।
(c) नहीं, क्योंकि शून्य विक्षेप बिन्दु के समीप पहुँचने पर इस उच्च प्रतिरोध को लघुपथित कर दिया जाता है।
(d) नहीं
(e) नहीं, इस विधि के फल होने के लिए परिचालक सेल का वै० वा० बल मापे जाने वाले वै० वा० बल से अधिक होना आवश्यक है।
(f) नहीं, यह परिपथ कुछ मिलीवोल्ट की कोटि के अत्यल्प वै० वा० बल के मापन के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि इस स्थिति में शून्य विक्षेप बिन्दु लगभग तार के A सिरे के साथ सम्पाती होगा।
मिलीवोल्ट की कोटि के वै० वा० बल के मापन हेतु तार AB पर वोल्टतापात (विभव प्रवणता) को अत्यन्त कम करना होगा। इसके लिए परिचालक सेल के श्रेणीक्रम में एक उच्च प्रतिरोध जोड़ना होगा।
प्रश्न 23.
चित्र 3.10 दो प्रतिरोधों की तुलना के लिए विभवमापी परिपथ दर्शाता है। मानक प्रतिरोधक R = 10.0Ω के साथ सन्तुलन बिन्दु 58.3 सेमी पर तथा अज्ञात प्रतिरोध x के साथ 68.5 सेमी पर प्राप्त होता है। x का मान ज्ञात कीजिए। यदि आप दिए गए सेल से सन्तुलन बिन्दु प्राप्त करने में असफल रहते हैं तो आप क्या करेंगे?
हल :
सन्तुलन बिन्दु प्राप्त करने में असफल रहने पर, प्रतिरोधकों R व X के सिरों के बीच विभवपात कम करना होगा। इसके लिए सेल ε के श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोधक जोड़ना होगा।
प्रश्न 24.
चित्र 3.11 में किसी 1.5 वोल्ट के सेल का आन्तरिक
2.0 वोल्ट प्रतिरोध मापने के लिए एक 2.0 वोल्ट का पोटेंशियोमीटर दर्शाया गया है। खुले परिपथ में सेल का सन्तुलन बिन्दु 76.3 सेमी पर मिलता है। सेल के बाह्य परिपथ में 9.52 प्रतिरोध का एक प्रतिरोधक संयोजित करने पर A सन्तुलन बिन्दु पोटेंशियोमीटर के तार की 64.8 सेमी लम्बाई पर पहुँच जाता | 1.5 वोल्ट है। सेल के आन्तरिक प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
जब सेल खुले परपिथ पर है, तब l1 = 76.3 सेमी
जब सेल से R = 9.5Ω का प्रतिरोधक जुड़ा है, तब l1= 64.8 सेमी
विद्युत धारा NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल
विद्युत धारा बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
दो बैटरियाँ जिनमें emf E1 तथा E2 [E2 > E1] तथा आन्तरिक प्रतिरोध r1 क्रमशः तथा r2 हैं, चित्र में दर्शाए अनुसार पार्श्व क्रम में संयोजित हैं
(a) दोनों सेलों का तुल्य emf Eतुल्य , E1 तथा E2 के बीच अर्थात् E1 < Eतुल्य < E2 है
(b) तुल्य emf Eतुल्य , E1 से कम है
(c) सदैव Eतुल्य = E1 + E2 होता है
(d) Eतुल्य आन्तरिक प्रतिरोधों r1 तथा r2 पर निर्भर नहीं है।
प्रश्न 2.
इलेक्ट्रॉनों का कौन-सा अभिलक्षण चालक में धारा के प्रवाह को निर्धारित करता है –
(a) केवल अपवाह वेग
(b) केवल तापीय वेग
(c) अपवाह वेग तथा तापीय वेग दोनों
(d) न तो अपवाह और न तापीय वेग।
प्रश्न 3.
आयताकार अनुप्रस्थ काट 1 सेमी x \(\frac{1}{2}\) सेमी तथा 10 सेमी लम्बाई की कोई धातु की छड़ विपरीत फलकों पर किसी बैटरी से संयोजित है। इसका प्रतिरोध –
(a) तब अधिकतम होगा जब बैटरी 1 सेमी x \(\frac{1}{2}\) सेमी फलकों के बीच संयोजित है
(b) तब अधिकतम होगा जब बैटरी 10 सेमी x 1 सेमी फलकों के बीच संयोजित है
(c) तब अधिकतम होगा जब बैटरी 10 सेमी x \(\frac{1}{2}\) सेमी फलकों के बीच संयोजित है
(d) समान रहेगा चाहे तीनों फलकों में से किसी के बीच भी बैटरी को संयोजित करें।
प्रश्न 4.
5 वोल्ट तथा 10 वोल्ट सन्निकट emf के दो सेलों की तुलना परिशुद्ध रूप से 400 सेमी लम्बाई के विभवमापी द्वारा की जानी है
(a) विभवमापी में उपयोग होने वाली बैटरी की वोल्टता 8 वोल्ट होनी चाहिए। .
(b) विभवमापी की वोल्टता 15 वोल्ट हो सकती है तथा R को इस प्रकार समायोजित कर सकते हैं कि तार के
सिरों पर विभवपात 10 वोल्ट से थोड़ा अधिक हो।
(c) स्वयं तार के पहले 50 सेमी भाग पर विभवपात 10 वोल्ट होना चाहिए।
(d) विभवमापी का उपयोग प्रायः प्रतिरोधों की तुलना के लिए किया जाता है, विभवों के लिए नहीं।
विद्युत धारा अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
क्या किसी विद्युत नेटवर्क में किसी सन्धि के पार गति में, आवेश का संवेग संरक्षित रहता है?
उत्तर :
नहीं, सन्धि के पार गति में, आवेश का संवेग संरक्षित नहीं रहता है। जब कोई इलेक्ट्रॉन किसी सन्धि की ओर गति करता है तब वहाँ कार्यरत एकसमान वैद्युत क्षेत्र के अतिरिक्त सन्धि के तारों के पृष्ठ पर संचित आवेश के कारण भी वैद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है जोकि आवेश के संवेग की दिशा परिवर्तित कर देता है।
प्रश्न 2.
विभवमापी में तारों को संयोजित करने के लिए धातु की मोटी पट्टियों को उपयोग करने का क्या लाभ
उत्तर :
धातु की मोटी पट्टियों का प्रतिरोध नगण्य होने के कारण शून्य विक्षेप स्थिति में इनकी लम्बाई को विभवमापी के तार की लम्बाई में सम्मिलित करने की आवश्यकता नहीं होती है। अतः हमें केवल विभवमापी के सीधे तारों की लम्बाई ज्ञात करनी होती है जिसे मीटर पैमाने से सरलता से ज्ञात किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
घरों में विद्युत के लिए ताँबे (Cu) अथवा ऐलुमिनियम (Al) के तारों का उपयोग किया जाता है। ऐसा करने के पीछे किन-किन विचारों को ध्यान में रखा जाता है?
उत्तर :
घरों में विद्युत के लिए ताँबे अथवा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग करते समय निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है
(i) धातु का मूल्य कम होना चाहिए।
(ii) धातु की चालकता अधिक होनी चाहिए।
विद्युत धारा लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
दो चालक समान पदार्थ के बने हैं तथा इनकी लम्बाई भी समान है। चालक A, 1 मिमी व्यास का ठोस तार है। चालक B, 2 मिमी बाह्य व्यास तथा 1 मिमी आन्तरिक व्यास की खोखली नलिका है। प्रतिरोधों RA तथा RB का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है,
rA = \(\frac{1}{2}\) मिमी = 0.5 मिमी
rB = \(\frac{2}{2}\) मिमी = 1 मिमी,
rB = \(\frac{1}{2}\) मिमी = 0.5 मिमी
विद्युत धारा आंकिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
पहले R प्रतिरोध के n समान प्रतिरोधकों के समुच्चय को श्रेणीक्रम में emf E तथा आन्तरिक प्रतिरोध R की बैटरी से संयोजित किया गया है। परिपथ में धारा I प्रवाहित होती है तत्पश्चात् । प्रतिरोधकों को उसी बैटरी से पार्श्वक्रम में संयोजित किया गया है। यह पाया गया कि धारा 10 गुना बढ़ गई है। ‘n’ का क्या मान है?
हल :
प्रश्न 2.
चित्र में दर्शाए परिपथ में दो सेल एक-दूसरे के साथ प्रतिकूलता से, संयोजित हैं। सेल E1 का emf 6 वोल्ट तथा आन्तरिक प्रतिरोध 2Ω और सेल E2 का emf 4 वोल्ट तथा आन्तरिक प्रतिरोध 8Ω है। बिन्दु A तथा B के बीच विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
हल :
सेलों का परिणामी emf, E = E1 – E2 = 6 – 4 = 2 वोल्ट
सेलों का कुल आन्तरिक प्रतिरोध (r) = r1 + r2 = 2+ 8 = 10Ω
∴ परिपथ में धारा, \(I=\frac{E}{r}=\frac{2}{10}=0.2\) ऐम्पियर
बिन्दु A व B के बीच विभवान्तर = सेल E2 के सिरों पर विभवान्तर = E2 + Ir2
= 4 + 0.2 x 8 = 5.6 वोल्ट।
अत: VAB = 5.6 वोल्ट तथा बिन्दु B, बिन्दु A से उच्च विभव पर है।
EXTRA SHOTS
- दोनों सेल प्रतिकूलता से संयोजित हैं, अत: सेलों का परिणामी वि०वा० बल, दोनों सेलों के वि०वा० बलों के
अन्तर के बराबर होगा, अर्थात् E = E1 – E2 - सेल E1 का विवा० बल, सेल E2 के वि०वा० बल से अधिक है। अतः परिपथ में धारा की दिशा सेल E1 के अनुसार निर्धारित होगी।
सेल E2 के धन टर्मिनल से धारा प्रवेश कर रही है, अत: सेल E2 यहाँ आवेशित होगा। अत: उसके सिरों पर विभवान्तर V2 = E2 + Ir2 होगा।