MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 16 रामेश्वरम्
MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 16 प्रश्न-अभ्यास
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. (क) सही जोड़ी बनाइए
1. समुद्रराज – (क) विश्नाथ नायर
2. चरण पादुका – (ख) शिव
3. कैलाशवासी – (ग) रामचन्द्र जी
4. मदुरा के राजा – (घ) वरुण
उत्तर
1. (घ), 2. (ग), 3. (ख), 4. (क)
प्रश्न (ख)
दिए गए विकल्पों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. सबको अपने जीवन से…….होता है। (मोह/विद्रोह)
2. पामवन, रामेश्वरम् और धनुष्यकोटि एक…..के तीन विंद हैं। (चतुष्कोण त्रिकोण)
3. श्रीलंका के राजा……में रामेश्वरम् में मोदर बनवाया। (वरदरात शेखर/पराक्रमबाहु)
4. रामेश्वरम में मंदिर के अंदर………तीर्य है। (24/11)
उत्तर
1. मोह
2. त्रिकोण
3. वरदराज शेखर,
MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 16 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य से दीजिए
(क) रामेश्वरम् क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर
रामेश्वरम् चार धामों में से एक है इसलिए प्रसिद्ध है।
(ख) कैलाश जाकर शिवजी को लाने का दायित्व किसको सोंपा गया था?
उत्तर
कैलाश जाकर शिवजी को लाने का दायित्व हनुमान को सौंपा गया था।
(ग) गंधमादन पर्वत किसे कहते हैं?
उत्तर
जिस चट्टान से हनुमान जी को लंका की भूमि नजर आई थी, उसे गंधमादन पर्वत कहते हैं।
(घ) श्रीराम के कुपित होने पर समुद्रराज ने क्या किया?
उत्तर
श्रीराम के कुपित होने पर समुद्रराज ने क्षमायाचना
(ङ) किसका नाम विश्वनाथ पड़ा?
उत्तर
रामेश्वरम् के उत्तर में हनुमान जी द्वारा लाया गया शिवलिंग स्थापित है, जिसका नाम विश्वनाथ है।
MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 16 लघु उत्तीय प्रश्न
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए
(क) पामवन के पुल की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर
पामवन का पुल लोहे का बना हुआ है और समुद्र पर बांधा गया है। यह रेल पुल स्थिर नहीं है। जब जहाजों को निकलना होता है तब यह पुल उठा दिया जाता है जिससे
स्टीमर एक ओर से दूसरी ओर चली जाए।
(ख) ‘उत्सर्ग में तो आनंद है’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए
उत्तर
इस कथन का आशय यह है कि त्याग में एक संतुष्टि का भाव छिपा होता है। अपना अस्तित्व समाप्त कर किसी और के अस्तित्व में समाहित हो जाना एक आत्मिक खुशी प्रदान करता है और बलिदान को महत्ता प्रदान करता है।
(ग) रामेश्वरम् का दर्शन करना लाभदायक क्यों माना गया है?
उत्तर
रामेश्वरम् चार धामों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि रामेश्वरम का दर्शन किए बिना एक भारतीय | अपने जीवन की सिद्धि का लाभ नहीं ले पाता। इसलिए रामेश्वरम् का दर्शन करना लाभदायक माना गया है।
(घ) देवनगर से रामेश्वरम् नाम पड़ने की अन्तर्कया | स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
रावण वध के बाद ब्रह्म-हत्या दोष के निवारण के लिए श्री राम ने देवनगर में शिवलिंग की स्थापना की और वहाँ पूजा की। राम द्वारा ईश्वर की पूजा किए जाने के कारण इस स्थान का नाम रामेश्वरम् पड़ा।
(ड) धनुष्यकोटि का क्या महत्व है?
उत्तर
धनुष्यकोटि में पत्ररामनम नामक स्थान पर राम ने समुद्रराज वरुण से सागर पार करने हेतु मार्ग मांगा था। वरुण द्वारा अनुमति मिलने पर कुपित हो कर राम ने धनुष पर दाण सजा लिया था। तब वरुण ने प्रकट होकर क्षमायाचना की और मार्ग दिया।
भाषा की बात
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
दृश्य, समुद्र, प्रातःकाल, अस्तित्व, उत्सर्ग, रामेश्वरम्, स्थापत्य, गर्भगृह, संभवतः
उत्तर
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए
लालषा, हिरदय, स्थर, पंक्ती, तीरथ, मालुम, शोभाग्य, अनुमती, दृष्टीगोचर, पुराणिक।
उत्तर
लालसा, हृदय, स्थिर, पंक्ति, तीर्थ, मालूम, सौभाग्य, अनुमति, दृष्टिगोचर, पौराणिक।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
निर्माण, उदार, वतावरण, असीम, विराजमान, कलाकौशल।
उत्तर
निर्माण-मंदिर का निर्माण पूरा हो गया।
उदार-हमें उदार होना चाहिए।
वातावरण-शहर का वातावरण शुद्ध है।
असीम-मेरे मन में ईश्वर के लिए असीम श्रद्धा है।
विराजमान-बादशाह सिंहासन पर विराजमान हैं।
कलाकौशल-कारीगर का कलाकौशल देखकर सब दंग रह गए।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण शब्द छाँटकर लिखिए
1. हमारी ट्रेन लम्बी पट्टी पर चल रही थी।
2. यह रेल का पुल स्थिर नहीं है।
3. इस कूप के मधुर जल का हमने पान किया।
उत्तर
1. लम्बी
2. स्थिर
3. मधुर
रामेश्वरम्प्र संग सहित व्याख्या
1. सबको अपने……….. नहीं रहे होंगे।
शब्दार्थ-वियोग=विरह । विगत=बीता हुआ। व्यथा = कष्ट। उल्लास=खुशी। अस्तित्व =हस्ती, सत्ता । उत्सर्ग= त्याग, बलिदान। सर्वस्व-सब कुछ। आनंदाश्रु=खुशी के आँसू।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित यात्रा वृतांत ‘रामेश्वरम्’ से ली गई हैं। इसके लेखक हैं ‘महेन्द्र कुमार मानव’ । इन पंक्तियों में लेखक अपनी रामेश्वरम् यात्रा के क्रम में धरती और सागर के मिलन-स्थल पर हुए अनुभवों का वर्णन कर रहे हैं।
व्याख्या-लेखक कहते हैं कि अपने अस्तित्व को कोई भी समाप्त नहीं करना चाहता। यह बात केवल प्राणधारियों पर ही लागू नहीं होती। ऐसा नहीं है कि मनुष्य या जीव-जंतु ही अपने अंत समय में घबराहट या जीवन से तीव्र लगाव महसूस करते हैं और उसे छोड़ना नहीं चाहते। सागर किनारे जब पृथ्वी का अंत होता है तो दूर तक पानी की लहरों में पत्थर के टुकड़े दिखायी देते हैं, मानों वे अपने अस्तित्व से नाता न तोड़ पा रहे हों। परंतु कवि । कहते हैं कि बलिदान कष्टदायक ही हो यह अनिवार्य नहीं है। सर्वस्व त्याग में आत्मिक खुशी और संतोष भी छिपा होता है। हो सकता है पृथ्वी के समर्पण के आँसू उसकी खुशी के आँसू हों।
विशेष
- प्रत्येक वस्तु या जीव का कहीं न कहीं अंत निश्चित है।
- त्याग को महिमामंडित किया गया है।
2. कहते हैं …………. दिलाता है।
शब्दार्थ-अनुमति=आदेश। कुपित =क्रोधित।
प्रसंग-पूर्ववत्
व्याख्या-धनुष्यकोटि से एक पौराणिक कथा जुड़ी है। इस कथा के अनुसार भगवान राम को लंका जाने के लिए समुद्र पार करना था। अतः पञरामनम में उन्होंने समुद्रराज वरुण से मार्ग देने की प्रार्थना की। परंतु वरुण के अनुमति न देने पर वे क्रोधित हो गए और उन्होंने धनुष पर बाण चढ़ा लिया। यह देख कर वरुण भयभीत हो गए और उन्होंने राम से क्षमा माँगी। तब जाकर राम शांत हुए।
विशेष
- पौराणिक कथा का वर्णन है।
- भगवान राम की महिमा का गुणगान है।