MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 19 मीरा पदावली
MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 19 प्रश्न अभ्यास
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए.
1. सांवरी – (क) मूरत
2. कंगना के – (ख) कंवल।
3. मोहनी – (ग) सूरत
4. चरण – (घ) झनकारे
उत्तर-
1. (ग),
2. (घ),
3. (क),
4. (ख)
प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. बसो मोरे नैनन में …………………………..। (गोपाल/नंदलाल)
2. उठो लालजी ………………………….. भयो है। (भोर/शोर)
3. द्रोपदी की लाज रखी तुम ………………………….. चीर। (बढ़ायो/चलायो)
4. छुद्र घंटिका ………………………….. तट शोभित। (कटि/बैनी),
उत्तर-
1. नंदलाल,
2. भोर,
3. बढ़ायो,
4. कटि।
MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 19 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए
(क) गोपी सुबह-सुबह क्या मथती है?
उत्तर-
गोपी सुबह-सुबह दही मथती है।
(ख) मीरा हरि से क्या कहने के लिए कह रही है?
उत्तर-
मीरा हरि से लोगों के कष्ट हरने के लिए कह रही है।
(ग) भक्त के कारण हरि ने कौन-सा रूप धारण किया था?
उत्तर-
भक्त के कारण हरि ने नरहरि का रूप धारण किया था।
(घ) ग्वाल-बाल किन शब्द का उच्चारण कर रहे हैं?
उत्तर-
ग्वाल-बाल जय-जय शब्द का उच्चारण कर रहे हैं?
(ङ) मीरा नंदलाल को कहाँ बसाना चाहती है?
उत्तर-
मीरा नंदलाल को अपनी आँखों में बसाना चाहती हैं।
MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 19 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए
(क) मीरा ने वंशीवाले को जगाने के लिए भोर के किन-किन क्रियाकलापों का वर्णन किया है?
उत्तर-
मीरा ने वंशी वाले को जगाने के लिए कहा है कि घरों के द्वार खुल गए हैं। गोपियों के दही मथने से उनके कंगन की आवाज आ रही है। द्वार पर देवता और मनुष्य खड़े हैं। ग्वाल-बाल जय-जय शब्द का उच्चारण करते हुए कोलाहल मचा रहे हैं।
(ख) मीरा के पद के आधार पर श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कृष्ण की बड़ी-बड़ी आँखें, सांवरी सूरत और मूरत मन मोहने वाली है। उनके होठों पर सुशोभित मुरली अमृत रस बरसा रही है। उनके हृदय पर वैजयंती माला और कमर में छोटी-सी घंटी सुशोभित है। उनकी पायल मधुर ध्वनि कर रही है।
(ग) मीरा ने प्रभु से ‘संतन सुखदाई’ क्यों कहा है?
उत्तर-
मीरा के प्रभु भक्त वत्सल हैं। वे संतों को सुख देने वाले हैं। इसलिए मीरा ने प्रभु से ‘संतन सुखदाई’ कहा है।
(घ) द्रोपदी की लाज कृष्ण भगवान ने किस तरह बचाई थी?
उत्तर-
कृष्ण भगवान ने द्रोपदी के वस्त्र बढ़ा कर उनकी लाज बचाई थी। दुःशासन उनके वस्त्र खींचते-खींचते थक कर चूर हो गया, परंतु ईश्वर की कृपा से द्रौपदी के वस्त्र कम नहीं हुए, बढ़ते ही गए।
(ङ) कौन-कौन से उदाहरण देकर मीरा मनुष्यों की पीर दूर करने की प्रार्थना कर रही है?
उत्तर-
मीरा उदाहरण देती हैं कि प्रभु ने वस्त्र बढ़ाकर द्रौपदी की लाज रख ली। भक्त के कारण नरहरि का रूप धरा। हिरण्यकशिपु का वध किया। ऐसे ही तुम मनुष्यों की पीर दूर करो।
भाषा की बात
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
कंगन, मुरली, नूपुर, सुधारस, प्रभु, क्षुद्र, वैजन्तीमाला, हिरण्यकश्यपु।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए-
सूखदाई, कंगना, गिरीधर, मुरत, वीसाल, दोपदी।
उत्तर-
सुखदाई, कंगना, गिरिधर, मूरत, विशाल, द्रौपदी
प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिएरजनी, भोर, सुर, नर, नैन, कंवल
उत्तर-
पर्यायवाची-निशा, रैन, उषा, प्रातः, देव, देवता, मनुष्य, मानव, नेत्र, लोचन, सरोज, जलज
प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के मानक रूप लिखिए-
मोरे, ठाढ़े, सबद, उचारे, छुद्र, सोभित
उत्तर-
मानक शब्द-मेरे, खड़े, शब्द, बोले, अच्छा, शोभायमान।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिएदही, दूध, नैन, कान, ओठ
उत्तर-
तत्सम-दधि, दुग्ध, नेत्र, कण, ओष्ठ। निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए “आत्मा व परमात्मा ज्योति स्वरूप है। यह स्मरण रखने के लिए शुभ कार्यों में सर्वप्रथम दीपक प्रज्जवलित किया जाता है। इसकी लौ कर एकटक ध्यान करने से एकाग्रता व स्मरण शक्ति बढ़ती है। और यह प्रेरणा मिलती है कि ऊपर की ओर उठती हुई लौ के समान हम भी उच्च कर्म करें और चारों ओर ऊर्जा और ज्ञान का प्रकाश बिखेरें। दीपक स्वयं जलकर त्याग और बलिदान की प्रेरणा देता है।”।
प्रश्न 9.
उपर्युक्त गद्यांश में से संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया एवं विशेषण शब्दों को छाँटकर लिखें-
उत्तर-
मीरा पदावली प्रसंग सहित व्याख्या
1. जागो बंसी बारे ललना, जागो मोरे प्यारे।
रजनी बीती भोर भयो है, घर-घर खुले किनारे।
गोपी दही मथत सुनियत हैं, कंगना के झनकारे।।
उठो लालजी भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे।
ग्वाल बाल सब करत कुलाहल, जय जय सबद उचारे॥
शब्दार्थ-जागो-उठो। ललना-प्यारा बच्चा। बंसी= बांसुरी। रजनी = रात। भोर = सुबह। किवारे दरवाजे। झनकारे = झनकार, आवाज। सुर = देव। सबद-शबद। उचारे उच्चारित किए, बोले।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित ‘मीरा पदावली’ से ली गई हैं। इन पंदों में मीरा कृष्ण को जगा रही हैं।
व्याख्या-मीरा कहती हैं मेरे बंसी वाले प्यारे बाल कृष्ण, जागो। रात बीत चुकी है, सुबह हो गयी है और घर-घर के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियों के कंगन की झनकार से लगता है वे दही मथ रहीं हैं। सुबह हो गई है। देवता-मनुष्य द्वारा पर खड़े हैं। ग्वाल-बाल सब शोर कर रहे हैं और जय-जय शब्द का उच्चारण कर रहे हैं।
विशेष-
1. भक्ति भाव की महत्ता है।
2. पद लयात्मक तथा संगीतात्मक है।
2. बसो मोरे नैनन में नंदलाल।
मोहनी मूरत सांवरी सूरत, नैना बने बिसाल।
अधर सुधारस मुरली राजति, उर बैजनीमाल।
छुद्र घटिका कटि तट शोभित, नूपुर सबद रसाल।
मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भगत-बछल गोपाल॥
शब्दार्थ–बसो-निवास करो। मोरे मेरे। मोहनी-मन को मोहने वाली। सांवरी-सांवली.। बिसाल-सुशोभित। उर हृदय। कटि=कमर। तट-किनारा। नूपुर-पायल। सबद:शब्द। रसाल-मधुर। भगन-बछल-भक्त -वत्सल।
प्रसंग-पूर्ववत्
व्याख्या-मीरा कृष्ण को अपनी आंखों में बस जाने के लिए कहती हैं। कृष्ण के बड़े-बड़े नैन, सांवरी सूरत और मूरत मन मोहने वाली है। उनके होंठों पर सुशोभित – मुरली अमृतरस बरसा रही है। उनके हृदय पर वैजयंतीमाला और कमर पर छोटी-सी घंटी सुशोभित है। उनकी पायल मधुर ध्वनि कर रही है। मीरा के प्रभु संतों को सुख देने वाले और भक्त-वत्सल गोपाल हैं।
विशेष-
1. ईश्वर के रूप का वर्णन है।
2. वृत्यनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
3. पद लयात्मक तथा संगीतात्मक हैं।