MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 4 चाणक्यवचनानि

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MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 4 चाणक्यवचनानि

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 4 अभ्यासः

MP Board Class 7 Sanskrit Chapter 4 प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) अपाठितः बालः कुत्र न शोभते? [अशिक्षित बालक कहाँ शोभा नहीं देता?]
उत्तर:
सभामध्ये

(ख) महतां धनं किम्? [श्रेष्ठ लोगों का धन क्या है?]
उत्तर:
मानः

(ग) तक्षकस्य विषं कुत्र वर्तते? [तक्षक प्रजाति के सर्प में विष कहाँ होता है?]
उत्तर:
दन्ते

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(घ) प्रवासे विद्या कीदृशी भवति? [परदेश में विद्या किसके समान होती है?]
उत्तर:
मातृसदृशी

(ङ) वृश्चिकस्य विषं कुत्र वर्तते? [बिच्छू में विष कहाँ होता है?]
उत्तर:
पुच्छे

(च) मक्षिकायाः विषं कुत्र वर्तते? [मक्खी में विष कहाँ होता है?]
उत्तर:
मुखे।

Class 7 Sanskrit Chapter 4 प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो-
(क) के मानम् इच्छन्ति? [कौन सम्मान चाहते हैं?]
उत्तर:
उत्तमजना: मानम् इच्छन्ति। [उत्तम श्रेणी के व्यक्ति सम्मान चाहते हैं।।]

(ख) सुखार्थी किंन प्राप्नोति? [सुख चाहने वाले व्यक्ति को क्या प्राप्त नहीं होता?]
उत्तर:
सुखार्थी विद्याम् न प्राप्नोति। [सुख चाहने वाले व्यक्ति को विद्या प्राप्त नहीं होती।]

(ग) विद्यार्थी किंन प्राप्नोति? [विद्यार्थी को क्या प्राप्त नहीं होता?]
उत्तर:
विद्यार्थी सुखम् न प्राप्नोति। [विद्यार्थी को सुख प्राप्त नहीं होता।]

(घ) विद्या कीदृशं धनं भवति? [विद्या को किस प्रकार का धन कहा गया है?]
उत्तर:
विद्यां सर्वदाफलदायिनी भवति अतः सा गुप्तधनं भवति। [विद्या सदैव सुफल देने वाली होती है, अत: उसे गुप्त धन कहा गया है।]

(ङ) घटः कथं पूर्यते? [घड़ा कैसे भरता है?]
उत्तर:
जलबिन्दु निपातेन क्रमशः घटः जलेन पूर्णः भवति। [जल की बूंदें क्रमशः गिराने से घड़ा पूरा भर जाता है।

Class 7 Sanskrit Chapter 4 Mp Board प्रश्न 3.
कोष्ठक से उचित शब्द का चयन करके रिक्त स्थानों को भरो-
(क) ………… मानम् इच्छन्ति। (अधमाः/उत्तमाः)
(ख) विद्यार्थिनः कुतः ……….. (सुखमः/दुःखम्)
(ग) मक्षिकायाः ……….. विषम्। (पुच्छे/मुखे)
(घ) सुपुत्रेण ……….. यथा। (कुलं/वनम्)
(ङ) हंसमध्ये ……….. यथा। (बकः/बाल:)
उत्तर:
(क) उत्तमाः
(ख) सुखम्
(ग) मुखे
(घ) कुलं
(ङ) बकोः।

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Class 7th Sanskrit Chapter 4 प्रश्न 4.
अधोलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखो
(क) सुखार्थी
(ख) दुर्जनः
(ग) सत्यम्
(घ) गुणः
(ङ) धर्मः
(च) सुपुत्रः।
उत्तर:
(क) दुःखार्थी
(ख) सज्जनः
(ग) अनृतम्
(घ) अवगुणः
(ङ) अधर्मः
(च) कुपुत्रः।

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 4 प्रश्न 5.
समानार्थक शब्दों को लिखो-
(क) माता
(ख) वनम्
(ग) पुत्रः
(घ) धनम्।
उत्तर:
(क) जननी
(ख) अरण्यम्
(ग) सुतः
(घ) वित्तम्।

Class 7th Sanskrit Chapter 4 Mp Board प्रश्न 6.
पदों (शब्दों) की विभक्ति और वचन लिखो
(क) माता
(ख) पिता
(ग) उत्तमाः
(घ) विद्यानाम्
(ङ) पुष्पितेन।
उत्तर:
(क) प्रथमा-एकवचन
(ख) प्रथमा-एकवचन
(ग) प्रथमा-बहुवचन
(घ) षष्ठी-बहुवचन
(ङ) तृतीयाएकवचन।

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Sanskrit Class 7 Chapter 4 प्रश्न 7.
क्रिया पदों के धातु, वचन और पुरुष लिखो-
(क) पूर्यन्ते
(ख) सेवध्वे
(ग) इच्छन्ति
(घ) लभावहे।
उत्तर:
(क) पूर-अन्य पुरुषः-बहुवचन
(ख) सेव-मध्यम पुरुष-बहुवचन
(ग) इच्छ-अन्य पुरुषः-बहुवचन
(घ) लभ्- उत्तम पुरुष-द्विवचन।

Sanskrit Class 7 Chapter 4 MP Board प्रश्न 8.
श्लोकों के अंशों को उचित रूप से जोड़ो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 4 चाणक्यवचनानि img 1
उत्तर:
(क) → (4)
(ख) → (1)
(ग) → (2)
(घ) → (3)

Class 7 Sanskrit Chapter 4 Surbhi प्रश्न 9.
उदाहरण के अनुसार अन्वय की पूर्ति करो
(1) सुखार्थी चेत् ………… त्यजेत्, विद्यार्थी ………… सुखं ……….. , सुखार्थिनः विद्यां विद्यार्थिनः ………… कुतः।
(2) तक्षकस्य ……….. विषं, ………… मुखे विषं, ……….. पुच्छे विषं दुर्जनस्य ……… विषम्।
उत्तर:
(1) विद्या, चेत्, त्यजेत्, त्यजेत्, सुखम्।
(2) दन्ते, मच्छिकायाः, वृश्चिकस्य, तु सर्वाङ्गे।

चाणक्यवचनानि हिन्दी अनुवाद 

चाणक्यः चन्द्रगुप्तमौर्यस्य गुरुः आसीत्। सः महान राजनीतिज्ञ अर्थशास्त्रज्ञश्च आसीत्। “चाणक्यनीतिः कौटिलीयमर्थशास्त्रम्” इति द्वौ ग्रन्थौ प्रसिद्धौ स्तः। चाणक्यः नन्दवंशस्य उन्मूलनं कृत्वा चन्द्रगुप्तमौर्यं सिंहासने स्थापितवान्। तस्य वचनानि अत्र प्रस्तूयन्ते

अनुवाद :
चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु थे। वे राजनीति के एक महान ज्ञाता और अर्थशास्त्र के जानकार थे। ‘चाणक्यनीति तथा कौटिलीय अर्थशास्त्र’ इनके दो प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं। चाणक्य ने नन्दवंश का विनाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को सिंहासन पर बैठाया। उनके वचनों को यहाँ प्रस्तुत किया जाता है-

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माता शत्रुः पिता वैरी, येन बालो न पाठितः।
न शोभते सभामध्ये, हंसमध्ये बको यथा॥१॥

अनुवाद :
जिन माता और पिता ने बालकों को शिक्षा नहीं दिलायी, वे (दोनों) शत्रु हुआ करते हैं। (अशिक्षित) बालक सभा में उसी तरह शोभा नहीं पाते जिस तरह हंसों के मध्य बगुला शोभा नहीं पाता।

अधमाः धनमिच्छन्ति, धनं मानं च मध्यमाः।
उत्तमाः मानमिच्छन्ति, मानो हि महतां धनम्॥ २॥

अनुवाद :
नीच व्यक्ति धन की इच्छा किया करते हैं। मध्यम श्रेणी के व्यक्ति धन और मान-सम्मान दोनों को ही चाहते हैं। उत्तम श्रेणी के व्यक्ति मात्र सम्मान ही चाहते हैं, क्योंकि सम्मान ही महापुरुषों के लिए धन हुआ करता है।

जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः।
स हेतुः सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च॥३॥

अनुवाद :
जल की बूंदों को लगातार गिराते रहने से घड़ा भर जाता है। सभी विद्याओं, धर्म तथा धन के विषय में यही कारण हुआ करता है अर्थात् विद्या, धर्म तथा धन का संचय थोड़ा-थोड़ा करके भी बहुत अधिक हो जाता है।

सुखार्थी चेत्त्यजेत् विद्या, विद्यार्थी चेत्त्यजेत्सुखम्।
सुखार्थिनः कुतो विद्या विद्यार्थिनः कुतस्सुखम्॥४॥

अनुवाद :
सुख चाहने वाले को विद्या का त्याग कर देना चाहिए तथा विद्यार्थी को (विद्या की चाहना करने वाले को) सुख का त्याग कर देना चाहिए। सुख चाहने वाले को विद्या कहाँ और विद्यार्थी को सुख कहाँ? अर्थात् सुख की इच्छा करने वाले व्यक्ति को विद्या नहीं मिल सकती और विद्या चाहने वाले व्यक्ति को सुख नहीं मिल सकता।

तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायाः विषं मुखे।
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे, सर्वाङ्गे दुर्जनस्य तु॥५॥

अनुवाद :
तक्षक प्रजाति के सर्प के दाँत में विष होता है। मक्खी के मुख में विष होता है। बिच्छू की पूँछ में विष होता है परन्तु दुष्ट व्यक्ति के तो सम्पूर्ण शरीर में ही विष होता है।

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कामधेनुगुणा विद्या सर्वदाफलदायिनी।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तधनं स्मृतम्॥६॥

अनुवाद :
सभी फलों को प्रदान करने वाली विद्या में कामधेनु के समान गुण होते हैं। परेदश में रहने पर माता के समान विद्या होती है। इस तरह विद्या छिपा हुआ धन कहा जाता है।

एकेनापि सुवृक्षण पुष्पितेन सुगन्धिना।
वासितं तद्वनं सर्वं सुपुत्रेण कुलं यथा॥ ७॥

अनुवाद :
एक ही श्रेष्ठ वृक्ष पर फूलों के खिल जाने से उनकी अच्छी गन्ध ने उस सम्पूर्ण वन को सुगन्धित उसी प्रकार कर दिया, जिस तरह सुपुत्र के द्वारा वंश को सुगन्धित कर दिया जाता है (श्रेष्ठ बना दिया जाता है)।

चाणक्यवचनानि शब्दार्थाः

बकः = बगुला। महताम् = श्रेष्ठ लोगों का। अधमाः = निम्न कोटि के। तक्षकः = सर्प विशेष। मक्षिका = मक्खी। वृश्चिकः = बिच्छू। पुच्छे = पूँछ में। प्रवासे = यात्रा में या परदेश में रहने पर। वासितम् = सुगन्धित। कामधेनु गुणा = इच्छा पूरी करने वाली गाय के समान गुण वाली। मातृसदृशी = माता के समान।

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