MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 24 बुन्देलखण्ड केशरी-महाराजा छत्रसाल

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 24 बुन्देलखण्ड केशरी-महाराजा छत्रसाल

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 24 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) महाराजा छत्रसाल किस नाम से विख्यात हैं?
उत्तर
महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड केसरी’ के नाम से विख्यात हैं।

(ख) महाराजा छत्रसाल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर
महाराजा छत्रसाल का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया, संवत् सत्रह सौ छह (1706) अर्थात् 4 मई सन् 1649 ई. को टीकमगढ़ जिले के मोर पहाड़ी नामक स्थान पर हुआ था।

(ग) वीर चम्पतराय आजीवन किसका विरोध करते रहे?
उत्तर
महाराजा छत्रसाल के पिता वीर चम्पतराय आजीवन मुगल शासक शाहजहाँ और औरंगजेब के धर्मान्ध शासन और बहुसंख्यक प्रजा के प्रति पक्षपातपूर्ण नीतियों का विरोध करते

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(घ) बालक छत्रसाल में कौन-कौन से गुण विद्यमान थे?
उत्तर
बालक छत्रसाल में साहस, शौर्य, आत्मविश्वास, वीरता और निर्भयता के गुण कूट-कूट कर भरे थे।

(ङ) घोड़े को ‘भले भाई’ की संज्ञा क्यों दी गई ?
उत्तर
देवगढ़ युद्ध के दौरान छत्रसाल बुरी तरह घायल हो । गए थे। उनका प्यारा घोड़ा रात-भर उनकी रक्षा करता रहा। दूसरे दिन छत्रसाल के भाई अंगद राय की पहचान करने के बाद ही घोड़े ने उन्हें छत्रसाल के शिविर में जाने दिया। स्वस्थ होने पर छत्रसाल ने अपने घोड़े को भले भाई’ की उपाधि दी।

(च) छत्रपति शिवाजी ने वीर छत्रसाल को कैसे प्रेरित किया ?
उत्तर
छत्रपति शिवाजी ने वीर छत्रसाल को स्वाधीनता का मंत्र और अपनी तलवार देकर बुन्देलखण्ड को स्वतंत्र कराने के लिए प्रेरित किया।

(छ) वीर छत्रसाल ने अपनी सेना कैसे तैयार की?
उत्तर
वीर छत्रसाल के पास साधनों का घोर अभाव था। संगी-साथी भी कम ही थे। उन्होंने अपनी माता के आभूषणों को बेचकर पाँच घोड़ों और पच्चीस सैनिकों की एक छोटी-सी सेना तैयार की। उनकी इस सेना में सभी वर्गों के लोग थे।

(ज) स्वामी प्राणनाथ ने महाराजा छत्रसाल को आशीर्वाद देते हुए क्या कहा ?
उत्तर
स्वामी प्राणनाथ ने छत्रसाल को आशीर्वाद देते हुए कहा
“छत्ता तेरे राज में, धक-धक धरती होय। जित-जित घोड़ा मुख करे, तित-तित फतै होय॥”

(झ) महाराजा छत्रसाल की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर
महाराजा छत्रसाल ने प्रजा की सुख-शान्ति और समृद्धि के लिए अनेक प्रयास किए। उन्होंने न्याय व्यवस्था को सरल बनाने के लिए पंचायती व्यवस्था की स्थापना की। वे अपराधियों को कठोर दण्ड देते थे। जिससे उनके राज्य में अपराध होना कम हो गए। उनके राज्य में बच्चे, बूढ़े और महिलाएँ निर्भीकतापूर्वक कहीं भी आ-जा सकते थे।

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प्रश्न 2.
खाली स्थान भरिए

(क) महाराजा छत्रसाल ने ………… में ‘भले भाई’ का स्मारक बनवाया।
(ख) बुन्देलखण्ड की ………… भूमि भी इस संग्राम से अछूती नहीं थी।
(ग) स्वामी प्राणनाथ ………… के गुरु थे।
(घ) छत्रपति शिवाजी ने ……….. का मंत्र दिया।
(ङ) वीर छत्रसाल ने अपने दुश्मनों के …….दिए।
उत्तर
(क) धुबेला
(ख) वीर प्रसूता
(ग) महाराजा छत्रसाल
(घ) स्वाधीनता
(ङ) बके छुड़ा।

प्रश्न 3.
दिए गए उत्तरों में से सही उत्तर छाँटकर लिखिए
(क) महाराजा छत्रसाल ने पालकी में लगाकर सम्मान बढ़ाया:
(अ) भूषण का
(ब) जगनिक का
(स) सेनापति का।
उत्तर
(अ) भूषण का

(ख) महाराजा छत्रसाल की समाधि स्थित है:
(अ) पन्ना में
(ब) धुबेला में
(स) महेबा में।
उत्तर
(ब) धुबेला में

(ग) वीर छत्रसाल का जन्म हुआ था :
(अ) मोर पहाड़ी पर
(ब) गोर पहाड़ी पर
(स) मड़ोर पहाड़ी पर।
उत्तर
(अ) मोर पहाड़ी पर

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भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को वाक्य में प्रयोग कीजिए
स्वाधीन, सम्मान, समृद्धि, शौर्य, ओज, निर्भय, चुनौती, उत्तरदायी।
उत्तर
(क) स्वाधीन-छत्रसाल ने स्वाधीन पन्ना राज्य की स्थापना की।
(ख) सम्मान-छत्रसाल के दरबार में कवियों को पूरा सम्मान मिलता था।
(ग) समृद्धि-छत्रसाल ने प्रजा की सुख-शान्ति और समृद्धि के लिए अनेक प्रयत्न किए।
(घ) शौर्य-बुन्देलखण्ड में आज भी छत्रसाल की शौर्य और वीरता के गीत गाए जाते हैं।
(ङ) ओज-धुबेला में स्थित छत्रसाल का समाधिस्थल आज भी उनके शौर्य और ओज का स्मरण करा रहा है।
(च) निर्भय-छत्रसाल के राज्य में सभी लोग निर्भय होकर रहते थे।
(छ) चुनौती-छत्रसाल ने मुगलों को चुनौती देते हुए अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए युद्ध किया।
(ज) उत्तरदायी-छत्रसाल ने अपने माता-पिता की मृत्यु के उत्तरदायी विश्वासघातियों को दण्डित किया।

प्रश्न 2.
‘प्र’ उपसर्ग लगाकर बनने वाले तीन शब्द लिखिए।
उत्तर

  1. प्रसूता
  2. प्रहार
  3. प्रसाद।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में आए मूल शब्द और प्रत्यय शब्दांश को अलग-अलग लिखिए
वीरता, अछूती, जागीरदार, मार्मिक, उत्तरदायी।
उत्तर
(क) वीरता – वीर + ता
(ख) अछूती – अछूत + ई
(ग) जागीरदार – जागीर + दार
(घ) मार्मिक – मर्म + इक
(ङ) उत्तरदायी – उत्तर + दाई।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों को उनके सामने दिए गए काल के अनुसार बदलिए
(क) महाराज छत्रसाल का समाधिस्थल उनके शौर्य का स्मरण दिला रहा है। (भविष्यकाल)
(ख) वे भारत के वीर सपूत थे। (वर्तमानकाल)
(ग) शत्रु सैनिक जान बचाकर भागे। (भूतकाल)
उत्तर
(क) महाराजा छत्रसाल का समाधिस्थल उनके शौर्य का स्मरण दिलाएगा।
(ख) वे भारत के वीर सपूत हैं।
(ग) शत्रु सैनिक जान बचाकर भाग गए ।

प्रश्न 5.
संधि विच्छेद कीजिएअत्याचार, स्वाधीन, इच्छानुसार, आत्मोत्सर्ग, सहायतार्थ।
उत्तर
(क) अत्याचार = अति + आचार।
(ख) स्वाधीन = स्व + आधीन।
(ग) इच्छानुसार = इच्छा + अनुसार।
(घ) आत्मोत्सर्ग = आत्मा + उत्सर्ग।
(ङ) सहायतार्थ = सहायता + अर्थ।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए और वाक्य में प्रयोग कीजिए
दो-दो हाथ करना, छक्के छुड़ाना, नाकों चने चबाना, लोहा लेना।
उत्तर
(क) दो-दो हाथ करना – मुकाबला करना। वाक्य प्रयोग-छत्रसाल मुगलों से दो-दो हाथ करने से पहले उनकी रणनीति समझना चाहते थे।
(ख) छक्के छुड़ाना – निरुत्साह करना। वाक्य प्रयोग-देवगढ़ के युद्ध में छत्रसाल ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए।
(ग) नाकों चने चबाना – तंग करना। वाक्य प्रयोग-छत्रसाल ने मुगल सत्ता को नाकों चने चबाने के लिए विवश कर दिया था।
(घ) लोहा लेना – युद्ध करना, लड़ना। वाक्य प्रयोग-वीर दुर्गादास राठौर मुगल सत्ता को चुनौती देकर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए लोहा ले रहे थे।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए
प्रसूता, धरोहर, अस्त्र, शस्त्र, क्षति, ललकार, आत्मोत्सर्ग, पारावार, स्मारक, सिपहसालार, आधिपत्य, प्रजावत्सल, फत्तै (फतह), राजी, रैयत, ताजी, बार, बाँकौ।
उत्तर
‘शब्दकोश’ शीर्षक का अवलोकन करें।

बुन्देलखण्ड केशरी-महाराजा छत्रसाल परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या

1. देवगढ़ विजय में छत्रसाल के पुरुषार्थ को कोई महत्व नहीं दिए जाने पर छत्रसाल ने राजा जयसिंह का साथ छोड़ दिया। अब छत्रसाल का उद्देश्य भी पूरा हो गया था। उनका अगला ध्येय अपनी मातृभूमि से मुगलों के आधिपत्य को समाप्त करना था। इस कार्य में सफलता पाने के लिए छत्रसाल ने छत्रपति शिवाजी से भेंट की। छत्रपति ने उन्हें स्वाधीनता का मंत्र और अपनी तलवार देकर बुन्देलखण्ड में स्वतंत्रता का अलख जगाने भेज दिया।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘भाषा भारती’ के ‘बुन्देलखण्ड केसरी-महाराजा छत्रसाल’ नामक पाठ से अवतरित है। यह एक संकलित रचना है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में महाराजा छत्रसाल द्वारा मुगलों के चंगुल से अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से छत्रपति शिवाजी से भेंट करने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-जयपुर के राजा जयसिंह की सेना में छत्रसाल एक वीर योद्धा थे। उन्होंने राजा जयसिंह के साथ अनेक युद्धों में भाग लिया एवं अपनी वीरता का परिचय दिया। देवगढ़ की विजय में भी छत्रसाल ने बड़ी बहादुरी का परिचय देते हुए युद्ध किया और देवगढ़ पर विजय प्राप्त की। परन्तु राजा जयसिंह द्वारा छत्रसाल की वीरता एवं बहादुरी को कोई महत्व न दिए जाने के कारण छत्रसाल ने राजा जयसिंह का साथ छोड़ दिया। वैसे भी जिस उद्देश्य के लिए छत्रसाल राजा जयसिंह की सेना में सम्मिलित हुए थे, वह उद्देश्य अब पूरा हो गया था। अब उनका अगला उद्देश्य मुगलों के चंगुल से अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराना था। परन्तु यह कार्य इतना आसान नहीं था। इस उद्देश्य में सफलता प्राप्त करने के लिए उनका छत्रपति शिवाजी से मिलना और उनका मार्गदर्शन प्राप्त करना आवश्यक था। अतः छत्रसाल ने शिवाजी महाराज से भेंट की। भेंट होने पर शिवाजी ने छत्रसाल को स्वतंत्रता प्राप्त करने हेतु मंत्र दिया और अपनी तलवार उन्हें उपहारस्वरूप देकर स्वतंत्रता की ज्योति जलाने के लिए भेज दिया।

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2. स्वतंत्र पन्ना की स्थापना और राज्य विस्तार के बाद उन्होंने प्रजा की सुख-शान्ति और समृद्धि के लिए प्रयत्न किए। स्वामी प्राणनाथ के निर्देश पर पन्ना राज्य में हीरों की खदानों की खोज करवाई। उन्होंने न्याय व्यवस्था को सरल बनाने के लिए पंचायती व्यवस्था स्थापित की। वे अपराधियों को कठोर दण्ड देते थे जिससे उनके राज्य में अपराध होना कम हो गए। उनके शान्ति पूर्ण राज्य में बच्चे-बूढ़े और स्त्रियाँ निर्भीकतापूर्वक कहीं भी आ-जा सकते थे। महाराज छत्रसाल जैसे तलवार के धनी थे वैसे ही कशल और प्रजावत्सल शासक भी

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में महाराजा छत्रसाल की शासन व्यवस्था का प्रभावपूर्ण वर्णन किया गया है।

व्याख्या-महाराजा छत्रसाल द्वारा स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने और अपने राज्य का विस्तार करने के बाद अपनी प्रजा की सुख-शान्ति तथा समृद्धि के अनेक प्रयास किए गए। अपने गुरु राज्य में अपराध होना कम हो गए। उनके शान्ति पूर्ण राज्य में बच्चे-बूढ़े और स्त्रियाँ निर्भीकतापूर्वक कहीं भी आ-जा सकते थे। महाराज छत्रसाल जैसे तलवार के धनी थे वैसे ही कशल और प्रजावत्सल शासक भी

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में महाराजा छत्रसाल की शासन व्यवस्था का प्रभावपूर्ण वर्णन किया गया है।

व्याख्या-महाराजा छत्रसाल द्वारा स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने और अपने राज्य का विस्तार करने के बाद अपनी प्रजा की सुख-शान्ति तथा समृद्धि के अनेक प्रयास किए गए। अपने गुरु स्वामी प्राणनाथ के आदेश पर छत्रसाल ने पन्ना राज्य में हीरों की खदानों की खोज का काम शुरू किया। महाराजा छत्रसाल ने अपने राज्य में न्याय व्यवस्था को आसान बनाने के लिए पंचायती व्यवस्था की स्थापना की। उनके राज्य में अपराधियों को कठोर दण्ड दिया जाता था जिसके फलस्वरूप राज्य में अपराधों की संख्या बहुत कम हो गई थी। उनके राज्य में प्रजा सुखी थी, बच्चे, बूढ़े और महिलाएं बिना किसी भय के स्वतंत्रतापूर्वक कहीं भी आ-जा सकते थे। महाराजा छत्रसाल जिस प्रकार एक कुशल योद्धा थे उसी प्रकार वह शासन व्यवस्था में भी निपुण एवं पारंगत थे। वे अपनी प्रजा के सुख का ध्यान रखने वाले शासक थे।

बुन्देलखण्ड केशरी-महाराजा छत्रसाल शब्दकोश

प्रसूता = जन्म देने वाली; धरोहर = अमानत, धाती, पूर्वजों से प्राप्त सांस्कृतिक विरासत; अस्त्र = हाथ से चलाने वाले हथियार; शस्त्र = फेंक कर चलाने वाले हथियार; क्षति = हानि; ललकार = चुनौती देना; आत्मोत्सर्ग = स्वयं का बलिदान; पारावार = असीम; स्मारक = स्मरण हेतु बनाई गई कोई रचना;
सिपहसालार = सेनापति; आधिपत्य = अधिकार; प्रजावत्सल = प्रजा से पुत्रवत प्रेम करने वाला; फत्तै (फतह) = जीत, विजय; राजी = प्रसन्न, सुखी;  रैयत = प्रजा; ताजी = सजग; चुस्त = दुरुस्त; बार = बाल; बाँकी = टेढ़ा।

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 23 कर्तव्य पालन

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 23 कर्तव्य पालन

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 23 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश कब दिया था ?
उत्तर
कुरुक्षेत्र के मैदान में जब अर्जुन युद्ध करने से पीछे हट रहा था तब श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने कर्तव्यपथ पर डटे रहने के लिए उपदेश दिया था।

(ख) अर्जुन करुणा से क्यों भर उठते हैं?
उत्तर
कुरुक्षेत्र में युद्ध के मैदान में जब अर्जुन दोनों सेनाओं की ओर दृष्टि डालते हैं और वहाँ अपने ताऊ, दादा, मामा, भाई, पुत्र, मौसा, मित्र, गुरु तथा सुहृदयों आदि को देखते हैं तो उनका मन करुणा से भर उठता है।

(ग) अपने स्वजनों को युद्धभूमि में देखकर अर्जुन की क्या दशा हुई?
उत्तर
युद्ध के मैदान में अपने स्वजनों को सामने देखकर अर्जुन का बहुत बुरा हाल हुआ। उसका गला सूख गया। उसके पूरे शरीर में कम्पन्न होने लगा। उसके हाथ में थमा उसका प्रिय धनुष गाण्डीव गिर गया। उसके मन में भ्रम उत्पन्न हो गया। उसमें युद्ध के मैदान में खड़े रहने तक की शक्ति नहीं बची। उसके मन में अनायास अपनों के प्रति मोह उत्पन्न हो गया और उसने श्रीकृष्ण के सामने युद्ध न लड़ने की बात कही।

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(घ) अर्जुन युद्ध क्यों नहीं करना चाहता था ?
उत्तर
युद्ध के मैदान में दोनों सेनाओं की ओर दृष्टि डालने पर जब अर्जुन ने देखा कि दोनों ओर उसके परिजन एवं प्रियजन खड़े हैं तो उसका मन करुणा से भर गया और उसने श्रीकृष्ण के समक्ष युद्ध न करने की इच्छा व्यक्त की।

(छ) हम सुख-दुःख के बंधन से मुक्त कैसे हो सकते
उत्तर
हम सुख और दुःख दोनों स्थितियों में एकसमान रहकर सुख-दु:ख के बंधन से मुक्त हो सकते हैं।

(च) पाप-पुण्य के भ्रम से निकलने के लिए गुरुजी ने क्या उपाय बताया ? .
उत्तर
गुरुजी के अनुसार मनुष्य को कभी भी पाप-पुण्य के भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए। पाप-पुण्य के भ्रम से निकलने के लिए उपाय बताते हुए गुरुजी ने कहा कि अतीत में किये गये पापों का अँधेरा पुण्य के एक ही कार्य से दूर हो जाता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ अपने शब्दों में लिखिए

(क) “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”।
उत्तर
श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे मानव ! तुझे केवल कर्म करने का अधिकार है, उसका फल प्राप्त करने का कभी नहीं है। इसलिए मोह-माया को त्यागकर तू केवल अपने कर्म को कर, फल की इच्छा त्याग दे।

(ख) सुख और दुःख दोनों ही हमें बंधन में डालते हैं।
उत्तर
यह बिल्कुल ठीक है कि सुख और दुःख दोनों ही हमें बंधन में डालते हैं क्योंकि जब हमें सुख मिलता है तो हम इस चिन्ता में पड़ जाते हैं कि कहीं यह सुख हमसे छिन न जाये और जब हम दुःख में नहीं भी होते हैं तब भी इस चिन्ता में रहते हैं कि कहीं दु:ख न आ जाये। यही वह बंधन है जिससे हम मुक्त नहीं हो पाते हैं।

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प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) युद्ध में तू प्राणों का उत्सर्ग कर ……….. को प्राप्त होगा।
(ख) तेरा यह आचरण किसी ………. पुरुष का आचरण नहीं है।
(ग) आपने मेरे मन से अज्ञानरूपी अंधकार का नाश
कर ज्ञान रूपी ……….” फैलाया है।
उत्तर
(क) स्वर्ग
(ख) श्रेष्ठ
(ग) प्रकाश

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प्रश्न 1.
शुद्ध वर्तनी छाँटिए

(क) कुरूक्षेत्र कुरुक्षेत्र कुरुछेत्र
(ख) पश्चात पशचात पश्चिात
(ग) निशचित निचित निश्चित
(घ) सामर्थ सामर्थ्य सामरथ्य
उत्तर
(क) कुरुक्षेत्र
(ख) पश्चात
(ग) निश्चित
(घ) सामर्थ्य।

प्रश्न 2.
दी गई वर्ग पहेली में से नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द छाँटिए
अंधकार, कर्म, अनिश्चय, लाभ, बंधन, ज्ञान, पुण्य।
उत्तर
अंधकार-प्रकाश, कर्म-अकर्म, अनिश्चयनिश्चय, लाभ-हानि, बंधन-मुक्त, ज्ञान-अज्ञान, पुण्य-पाप।

प्रश्न 3.
‘एकांकी’ में आए योजक चिह्न वाले शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर
बात-चीत, माता-पिता, कृष्ण-अर्जुन, मेज-कुर्सी, धर्म-अधर्म, निश्चय-अनिश्चय, सुख-दुःख, कर्म-अकर्म, आमने-सामने, बंधु-बांधवों, पाप-पुण्य, जय-पराजय, लाभ-हानि, मोह-माया, क्या-क्या, अपने-अपने।

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प्रश्न 4.
दिए गए सामासिक पदों का विग्रह कीजिएपितृभक्त, सूत्रधार, सत्यवादी, युद्धारंभ, भगवद्गीता।।
उत्तर
पितभक्त =पिता का भक्त, सुत्रधार = सूत्र का धारक, सत्यवादी- सत्य का वादक (बोलने वाला), युद्धारंभ = युद्ध का आरम्भ, भगवद्गीता = भगवान की गीता।

प्रश्न 5.
दिए गए शब्दों में से तत्सम एवं तद्भव शब्द छाँटकर अलग कीजिए
वृक्ष, इच्छा, कर्त्तव्य, नमस्ते, सच, माता, अभिनय, मुंह।
उत्तर
तत्सम शब्द – वृक्ष, इच्छा, कर्तव्य, अभिनय।
तद्भव शब्द – नमस्ते, सच, माता, मुंह।

प्रश्न 6.
‘ही’ निपात के प्रयोग वाले वाक्य एकांकी से छाँटकर लिखिए।
उत्तर

  1. तेरा यह आचरण किसी श्रेष्ठ पुरुष का आचरण नहीं है और न ही तेरी कीर्ति को बढ़ाने वाला
  2. लेकिन केशव ! अपने ही बंधु-बांधवों से युद्ध कर न तो मैं विजय चाहता हूँ, न राज्य और न ही सुख।
  3. इसलिए इस विषय में तू व्यर्थ ही शोक कर रहा है।
  4. मैं रणभूमि में किस प्रकार भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य के विरुद्ध लडूंगा? ये दोनों ही मेरे पूजनीय
  5. अपने ही गुरुजनों और बंधु-बांधवों का वधकर मेरा किसी भी प्रकार कल्याण नहीं होगा।
  6. बुद्ध में अपने ही स्वजनों का वध कर मुझे क्या फल मिलेगा?
  7. सुख और दुःख दोनों ही हमें बंधन में डालते हैं।
  8. उसी प्रकार अतीत में किये गये पापों का पुण्य अँधेरा पुण्य के एक ही कार्य से दूर हो जाता है।
  9. जब फल की इच्छा ही नहीं होगी तो हम कर्म क्यों करेंगे?
  10. तब तो कोई भी व्यक्ति न तो वृक्ष लगाता और न ही हमें उसके फल खाने को मिलते।

प्रश्न 7.
‘ईय’ प्रत्यय लगाकर शब्द बना है ‘पूजनीय’। इसी प्रकार के पाँच अन्य शब्द लिखिए।
उत्तर
शोभनीय, दर्शनीय, कल्पनीय, माननीय, । उल्लेखनीय।

कर्तव्य पालन परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या

1. मैं हूँसूत्रधार। आज मैं धर्म-अधर्म, निश्चय-अनिश्चय, सुख-दुख, कर्म-अकर्म आदि की ओर संकेत करने वाले एक ऐसे प्रसंग से आपका साक्षात्कार कराने जा रहा हूँ जिसने ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ को जन्म दिया। कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरव और पाण्डव की सेनाएँ युद्ध के लिए आमने-सामने खड़ी हैं। युद्धारम्भ के लिए शंखनाद हो चुका है।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘कर्त्तव्यपालन’ नामक पाठ से अवतरित हैं। इसकी रचयिता डॉ. छाया पाठक हैं।

प्रसंग-कुरुक्षेत्र के मैदान पर युद्ध के आरम्भ होने से पूर्व के दृश्य का वर्णन है।

व्याख्या-सूत्रधार के रूप में काल कुरुक्षेत्र के युद्धकाल का वर्णन करते हुए कहता है कि वह महाभारत युद्ध के एक ऐसे प्रसंग के बारे में बताना चाहता है जिसके कारण महान धर्म-ग्रन्थ ‘गीता’ की रचना हुई। महाभारतकाल का यह प्रसंग मानव के समक्ष अक्सर आने वाली विभिन्न विकट स्थितियों, जैसे-धर्म-अधर्म, निश्चय-अनिश्चय, सुख-दुख, कर्म-अकर्म आदि के समाधान हेतु एक मार्गदर्शक की-सी भूमिका निभाता है। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में लड़ाई शुरू होने वाली है, बिगुल बज चुका है। एक ओर कौरवों की विशाल सेना खड़ी होती है तो दूसरी ओर पाण्डवों की सेना मोर्चा लिए हुए है।

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2. हे कृष्ण! अपने इन प्रियजनों को देखकर तो मेरा मुख सूखा जा रहा है। मेरे शरीर में कंप और रोमांच हो रहा है। हाथ से गाण्डीव धनुष गिर रहा है। मेरा मन
भी भ्रमितसा हो रहा है। मुझमें यहाँ खड़े रहने का भी सामर्थ्य नहीं है। इसलिए मैं युद्ध नहीं करना चाहता।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन श्रीकृष्ण के समक्ष युद्ध लड़ने में अपनी असमर्थता व्यक्त कर रहा है।

व्याख्या-कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्ण अर्जुन के रथ को दोनों सेनाओं के बीचोबीच खड़ा कर देते हैं। दुश्मन सेना पर जैसे ही अर्जुन दृष्टि डालता है तो अपने नाते-रिश्तेदारों, परिजनों, शुभचिन्तकों इत्यादि को सामने देख उसके होश उड़ जाते हैं। वह श्रीकृष्ण के सम्मुख युद्ध न करने की बात कहता है। वह कहता है कि अपनों के विरुद्ध युद्ध लड़ने की सोचने मात्र से उसके शरीर में कँपकँपी छूट रही है। उसके हाथ से उसका प्रिय धनुष गाण्डीव भी छूटा जा रहा है। अपनों को सामने खड़ा देखकर उसका मन भ्रमित हो रहा है। उसमें तो मैदान में खड़ा रहने तक की शक्ति नहीं रह गई है। वह श्रीकृष्ण से कहता है कि वह इन परिस्थितियों में युद्ध नहीं करना चाहता।

कर्तव्य पालन शब्दकोश

आतुर = उतावला, अधीर, उत्सुक; तीर्थाटन = तीर्थयात्रा; सामर्थ्य = क्षमता, ताकत; जिज्ञासा = उत्सुकता; आचरण = व्यवहार; संशय = आशंका/संदेह;  उत्सर्ग = आत्म बलिदान दुविधा = अनिर्णय, अंतर्द्वन्द्व।

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MP Board Class 7th Sanskrit Model Question Paper

MP Board Class 7th Sanskrit Model Question Paper (आदर्श प्रश्नपत्रम्)

प्रश्न 1.
(अ) सही विकल्प चुनकर लिखिए
(क) बदरीनाथधामास्ति
(i) गुजरातराज्ये
(ii) उड़ीसाराज्ये
(iii) कर्नाटकराज्ये
(iv) उत्तराखण्डराज्ये।
उत्तर:
(iv) उत्तराखण्डराज्ये

(ख) सिंह पीडितः आसीत्
(i) पिपासया
(ii) क्षुधया
(iii) ज्वरेण
(iv) शत्रुणा।
उत्तर:
(ii) क्षुधया

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(ग) अपदं दूरगामी अस्ति
(i) पत्रम्
(ii) पक्षी
(iii) पशुः
(iv) मनुष्यः।
उत्तर:
(i) पत्रम्

(घ) पृथिव्याः उपग्रहः अस्ति
(i) बुधः
(ii) शनिः
(iii) चन्द्रः
(iv) शुक्रः।
उत्तर:
(iii) चन्द्रः

(ङ) लोकमान्यतिलकेन आरब्धः उत्सवः अस्ति
(i) दीपोत्सवः
(ii) होलिकोत्सवः
(iii) गणेशोत्सवः
(iv) स्वतन्त्रतादिवसोत्सवः।
उत्तर:
(iii) गणेशात्सवः

(ब) दिये गये शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(खड्गं, मूलाधारः, पूर्णिमा, तक्षशिला, शूलपाणिः)
(क) धर्म एव भारतस्य एकतायाः ………….. अस्ति।
(ख) ………. विश्वविख्यातम् अध्ययनकेन्द्रमासीत्।
(ग) त्रिनेत्रधारी न च ……….. ।
(घ) …………. गृहीत्वा युद्धं कुरु।
(ङ) शुक्लपक्षे ………… तिथि भवति।
उत्तर:
(क) मूलाधारः
(ख) तक्षशिला
(ग) शूलपाणिः
(घ) खड्गं
(ङ) पूर्णिमा।

प्रश्न 2.
अधोलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखो-

एकस्मिन् पर्वते दुर्मुखः नाम महौजस्वी सिंहः वसति स्म। सः च सदैव बहूनां पशूनां वधं करोति स्म। एकदा सर्वे पशवः सिंहस्य समीपम् अगच्छन् अवदन् च मृगेन्द्र! त्वं सदैव पशूनां वधं कथं करोषि? प्रसीद वयं स्वयं तव भोजनाय प्रतिदिनम् एकैकं पशुं प्रेषयिष्यामः।

(क) पर्वते किं नाम सिंहः प्रतिवसति स्म? (पर्वत पर किस नाम का शेर रहता था?)
उत्तर:
पर्वते दुर्मुखः नाम सिंहः वसति स्म। (पर्वत पर दुर्मुख नाम का शेर रहता था।)

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(ख) सः केषां वधं करोति स्म? (वह किनका करता था?)
उत्तर:
स: बहूनां पशूनां वधं करोति स्म। (वह बहुत से पशुओं का वध किया करता था।)

(ग) के सिंहस्य समीपम् अगच्छन्? (कौन शेर के पास आये थे?)
उत्तर:
सर्वे पशवः सिंहस्य समीपम् अगच्छन् स्म। (सभी पशु शेर के पास गये थे।)

(घ) वयं प्रतिदिन किं प्रेषयिष्यामः? (हम सब प्रतिदिन किसको भेजेंगे?)
उत्तर:
वयं प्रतिदिनं एकैकं पशु प्रेषयिष्यामः। (हम सब प्रतिदिन एक-एक पशु को भेजेंगे।)
अथवा

योगेन शरीरं चित्तम् अपि स्वस्थं भवति। “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्” इति प्रसिद्धं वचनम्। स्वस्थ शरीर अध्ययनं सुकरं भवति। तेन चित्तस्य एकाग्रता भवति। कार्ये कौशलं जायते। योगस्य अभ्यासेन अनेके लाभाः सम्भवन्ति।

(क) शरीरं चित्तं न केन स्वस्थं भवति? (शरीर और चित्त किससे स्वस्थ होता है?)
उत्तर:
योगेन शरीरं चित्तं न स्वस्थं भवति। (योग से शरीर और चित्त स्वस्थ होता है।)

(ख) धर्मस्य आद्यं साधनं किम् अस्ति? (धर्म का आदि साधन क्या है?)
उत्तर:
धर्मस्य आद्यं साधनं शरीरं अस्ति। (धर्म का आदि साधन शरीर है।)

(ग) स्वस्थे शरीरे किं सुकरं भवति? (स्वस्थ शरीर में क्या आसान होता है?)
उत्तर:
स्वस्थ शरीरे अध्ययनं सुकरं भवति। (स्वस्थ शरीर में अध्ययन आसान होता है।)

(घ) कार्ये किं जायते? (कार्य करने पर क्या पैदा होता है?)
उत्तर:
कार्ये कौशलं जायते। (कार्य करने पर कुशलता पैदा होती है।)

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प्रश्न 3.
अधोलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखो-
माता शत्रुः पिता वैरी, येन बालो न पाठितः।
न शोभते सभामध्ये, हंसमध्ये बको यथा।।

(क) यया बालो न पाठितः सा माता कीदृशी? (जिस माता के द्वारा बालक को शिक्षित नहीं कराया जाता बह माता कैसी होती है?)
उत्तर:
सा माता शत्रुः अस्ति। (वह माता शत्रु होती है)

(ख) येन बालो न पाठितः स पिता कीदृशः? (जिस पिता के द्वारा बालक को शिक्षित नहीं कराया जाता वह पिता कैसा होता है?)
उत्तर:
सः पिता वैरी अस्ति। (वह पिता बैरी होता है।)

(ग) यः न पठितवान् स: कुत्र न शोभते? (जो अशिक्षित है वह कहाँ शोभा नहीं देता?)
उत्तर:
सः सभामध्ये न शोभते। (वह सभा के बीच शोभा नहीं देता।)

(घ) यः न पठितवान् सः कथं न शोभते? (जो अशिक्षित है वह कैसे शोभा नहीं देता?)
उत्तर:
सः हंसमध्ये बको यथा न शोभते। (वह हंसों के बीच बगुले की तरह शोभा नहीं देता।)
अथवा

वरमेको गुणी पुत्रो न मूर्ख-शतान्यपि।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति, न च तारागणा अपि॥

(क) कः पुत्रः वरम् अस्ति? (कौन-सा पुत्र श्रेष्ठ होता है?)
उत्तर:
गुणी पुत्रः वरम् अस्ति। (गुणवान पुत्र श्रेष्ठ होता है।)

(ख) कति मूर्खपुत्राः न वराणि? (कितने मूर्ख पुत्र अच्छे नहीं होते हैं?)
उत्तर:
शतानि मूर्खपुत्राः न वराणि। (सौ मूर्ख पुत्र अच्छे नहीं होते हैं।)

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(ग) कः तमो हन्ति? (कौन अन्धकार को नष्ट कर देता है?)
उत्तर:
चन्द्रः तमो हन्ति। (चन्द्रमा अन्धकार को नष्ट कर देता है।)

(घ) क तमो न घ्नन्ति? (कौन अन्धकार को नष्ट नहीं कर पाते हैं?)
उत्तर:
ताराः तमो न घ्नन्ति। (तारे अन्धकार को नष्ट नहीं कर पाते हैं।)

प्रश्न 4.
(अ) पाठ्य पुस्तक से कण्ठस्थ किया हुआ एक श्लोक लिखो जो इस प्रश्न-पत्र में न हो।
उत्तर:
विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्तिः परेषां परिपीडनाय।
खलस्य साधोः विपरीतमेतत्, ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय।।

(ब) श्लोक को पूरा करो
जलबिन्दुं …………… क्रमशः …………. घटः।
स ………… सर्वविद्यानां ……….. च धनस्य च ॥
उत्तर:
निपातेन, पूर्यते, हेतु, धर्मस्य।

(स) पाठ्य पुस्तक से कण्ठस्थ की हुई एक सूक्ति लिखो।
उत्तर:
आचार: परमो धर्मः।

प्रश्न 5.
(अ) अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखो
(क) प्रयत्नेन के विश्वप्रियाः? (प्रयत्न करने से कौन विश्वप्रिय बन गये?)
उत्तर:
भारतीयाः

(ख) के उत्सवप्रियाः भवन्ति? (कौन उत्सवप्रिय होते हैं?)
उत्तर:
जनाः

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(ग) सिक्खानां दशमः गुरुः क आसीत्? (सिक्खों के दसवें गुरु कौन थे?)
उत्तर:
गुरुगोविन्दसिंहः

(घ) सुप्तोऽपि नेत्रे कः न निमीलयति? (सोने पर भी दोनों नेत्रों को कौन बन्द नहीं करती है?)
उत्तर:
मत्स्यः

(ङ) कस्य सहायतां प्रभुः करोति? (प्रभु किसकी सहायता करते हैं?)
उत्तर:
श्रमशीलस्य

(च) केन कार्याणि सिद्धयन्ति? (किससे कार्य सिद्ध हो जाते हैं)
उत्तर:
उद्यमेन

(ब) अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखो
(क) मठानि किमर्थ स्थापितानि? (मठों की स्थापना किसलिए की गई?)
उत्तर:
धर्मरक्षार्थं वेदान्ततत्त्वानां प्रचारार्थम् च मठानि स्थापितानि। (धर्म की रक्षा और वेदान्त तत्वों के प्रचार के लिए मठों की स्थापना की गई।)

(ख) कौ द्वौ पक्षौ भवतः? (कौन से दो पक्ष होते हैं?)
उत्तर:
शुक्लपक्षः कृष्णपक्ष: च इति दौ पक्षौ भवतः। (शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष नामक दो पक्ष होते हैं।)

(ग) भास्कराचार्यः किं प्रतिपादितवान्? (भास्कराचार्य ने क्या प्रतिपादित किया?)
उत्तर:
भास्कराचार्यः गुरुत्वाकर्षणसिद्धांत π (पै) इति गणितचिह्नस्य मानं त्रैराशिकनियमादीन् प्रतिपादितवान्। (भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त, गणित चिह्न π (पाई) का मान, त्रैराशिक नियम आदि का प्रतिपादन किया।)

(घ) परोपकारः किमर्थ भवति? (परोपकार किसके लिए होता है)
उत्तर:
परोपकारः पुण्याय भवति। (परोपकार पुण्य के लिए होता है।)

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(ङ) बालचरस्य प्रथमा प्रतिज्ञा का अस्ति? (बालचरस्य की पहली प्रतिज्ञा क्या है?)
उत्तर:
‘ईश्वरं स्वदेशं प्रति च कर्त्तव्यपालनं’ बालचरस्य प्रथमा प्रतिज्ञा अस्ति। (‘ईश्वर और अपने देश के प्रति कर्त्तव्य का पालन करना’ बालचर की पहली प्रतिज्ञा है।)

(च) सुलभा कस्य मूर्तिम् अपश्यत्? (सुलभा ने किसकी मूर्ति को देखा?)
उत्तर:
सुलभा मुनेः पतञ्जले: मूर्तिम् अपश्यत्। (सुलभा मे मुनि पतञ्जलि की मूर्ति को देखा।)

प्रश्न 6.
(अ) अधोलिखित शब्दों के रूप तीनों वचनों में लिखो-
(क) लेखनी-पञ्चमी विभक्ति
(ख) सर्व-तृतीया विभक्ति (पुल्लिङ्ग)
(ग) मधु-चतुर्थी विभक्ति।
उत्तर:
MP Board Class 7th Sanskrit Model Question Paper img 1

(ब) अधोलिखित के धातुरूप निर्देशानुसार तीनों वचनों में लिखो-
(क) पठ्-लोट्लकारः (आज्ञार्थकः), उत्तमपुरुषः।
(ख) गम् (गच्छ्)-विधिलिङ्लकारः, प्रथमपुरुषः।
(ग) वन्द-(आत्मनेपद) लट्लकारः, मध्यमपुरुषः।
उत्तर:
MP Board Class 7th Sanskrit Model Question Paper img 2

(स) अधोलिखित में रेखांकित शब्दों के कारक नाम लिखो-
(क) खगः वृक्षे निवसति।
(ख) रामः पठति।
(ग) हिमालयात् गङ्गा प्रभवति।
(घ) राजा ब्राह्मणाय धनं ददाति।
उत्तर:
(क) अधिकरणकारकम् (सप्तमी विभक्तिः)
(ख) कर्तृकारकम् (प्रथमा विभक्तिः)
(ग) अपादानकारकम् (पञ्चमी विभक्तिः)
(घ) सम्प्रदानकारकम् (चतुर्थी विभक्तिः)

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प्रश्न 7.
(अ) अधोलिखित शब्दों के धातु और प्रत्यय अलग करो-
(क) विलिख्य
उत्तर:
विलिख्या = वि (उपसर्गः) + लिख् (धातुः) + य (ल्यप्)

(ख) कृतवान्
उत्तर:
कृतवान् = कृ धातुः + क्तवतु प्रत्ययः

(ग) लिखित्वा
उत्तर:
लिखित्वा = लिख (धातुः) + त्वा (क्त्वा प्रत्ययः)

(घ) क्रीडितः।
उत्तर:
क्रीडितः = क्रीड् धातुः + क्त प्रत्ययः

(ब) अधोलिखित के उपसर्ग अलग करो-
(क) उपकरोति
(ख) अनुधावति
(ग) पराजयते
(घ) उद्भवति।
उत्तर:
(क) उप
(ख) अनु
(ग) परा,
(घ) उत्।

(स) अधोलिखित में से अव्यय चुनकर लिखो-
(क) धेनु
(ख) अतः
(ग) नगरम्
(घ) पुरतः
(ङ) मा।
उत्तर:
(ख) अतः
(घ) पुरतः
(ङ) मा।

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प्रश्न 8.
(अ) अधोलिखित शब्दों की सन्धि विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखो-
(क) देवर्षिः
(ख) अजन्तः
(ग) पावकः
(घ) सुबन्तः।
उत्तर:
(क) देवर्षिः = देव + ऋषिः (स्वरसन्धिः)
(ख) अजन्तः = अच् + अनतः (व्यञ्जनसन्धिः)
(ग) पावकः = पौ + अकः (स्वरसन्धिः)
(घ) सुबन्तः = सुप् + अन्तः (व्यञ्जनसन्धिः)

(ब) अधोलिखित शब्दों के समास विग्रह करके समास का नाम लिखो-
(क) चौरभयम्
(ख) पंचवटी
(ग) उपकृष्णम्।
उत्तर:
(क) चौरभयम्-चौराद् भयम् (तत्पुरुषसमासः)
(ख) पंचवटी-पञ्चानां वटानां समाहारः (द्विगुसमास:)
(ग) उपकृष्णम्-कृष्णस्य समीपम् (अव्ययीभावसमासः)

(स) अधोलिखित संख्याओं को संस्कृत में लिखो-
(क) 14
(ख) 18
(ग) 16
उत्तर:
(क) 14-चतुर्दश
(ख) 18-अष्टादश
(ग) 16-षोडश।

प्रश्न 9.
अधोलिखित शब्दों से पत्र को पूरा करो-
(भ्रमणार्थं, स्वास्थ्यम्, प्रणामाः, परीक्षा, कुशलिनी)

खजूरीपन्थतः
3 जनवरी, 20……….

पूज्यमातः! …………..
अहम् ईश्वरस्य कृपया ………….. अस्मि।
भवत्याः ………….. कथम् अस्ति?
अहं अस्मिन् मासे ………. गमिष्यामि। आगामिमासे मम ……….. अस्ति। पितृचरणौ वन्दे।

भवत्याः पुत्री
शैलजा

उत्तर:
प्रणामाः, कुशलिनी, स्वास्थ्यम्, भ्रमणार्थम्, परीक्षा।

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प्रश्न 10.
अधोलिखित में से किसी एक विषय पर पाँच वाक्यों में संस्कृत में निबन्ध लिखो
(क) मम विद्यालयः
उत्तर:

  1. मम विद्यालयः ‘खाईखेड़ा’ ग्रामे स्थितः अस्ति।
  2. विद्यालयस्य भवनम् अतीवसुन्दरम् अस्ति।
  3. अहं विद्यालयं गत्वा गुरून् प्रणमामि।
  4. विद्यालये एकम् उद्यानम् अपि अस्ति।
  5. विद्यालये एक विशालं क्रीडाक्षेत्रम् अस्ति।

(ख) पुस्तकम्
उत्तर:

  1. पुस्तकानि मह्यम् अतीव रोचन्ते।
  2. पुस्तकानि ज्ञानस्य भण्डारः भवन्ति।
  3. पुस्तकानि अस्माकं मित्राणि सन्ति।
  4. पुस्तकानां सङ्गति लाभप्रदा भवति।
  5. अस्माभिः पुस्तकानि रक्षणीयानि।

(ग) उद्यानम्
उत्तर:

  1. उद्यानम् अत्यन्तं रमणीयं भवति।
  2. बालकाः उद्यानं क्रीडन्ति।
  3. उद्याने तडागः अपि अस्ति।
  4. जनाः उद्यानं भ्रमणार्थं गच्छन्ति।
  5. खगाः वृक्षेषु निवसन्ति।

(घ) धेनुः।
उत्तर:

  1. धेनुः अस्माकं माता अस्ति।
  2. धेनूनां विविधाः वर्णाः भवन्ति।
  3. धेनुः तृणानि भक्षयति।
  4. धेनुः जनेभ्यः मधुरं पयः प्रयच्छति।
  5. वयं धेनुं मातृरूपेण पूजयामः।

अथवा
अधोलिखित शब्दों की सहायता से पाठ्य पुस्तक में चित्र देखकर संस्कृत में पाँच वाक्य लिखो-
(धेनुः, कृषकः, गृहाणि, वृक्षौ, क्षेत्रम्)
उत्तर:
(1) गोपालः धेनुम् दुहति।
(2) कृषकः तापं शीतं वृष्टिं सहित्वा कृषिकर्म करोति।
(3) ग्रामे बहूनि गृहाणि सन्ति।
(4) ग्रामे दौ वृक्षौ स्तः।
(5) प्रात:काले कृषकाः स्व-स्व क्षेत्रम् गत्वा कृषिकर्माणि कुर्वन्ति।

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 13 अगर नाक न होती

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 13 अगर नाक न होती

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 13 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) नाक को किस बात का प्रतीक माना जाता है?
उत्तर
नाक को इज्जत व प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता

(ख) आदमी सामान्यतः नाक रगड़ने को कब मजबूर हो जाता है?
उत्तर
जब आदमी का बुरा वक्त आता है या उसे किसी से कोई काम करवाना होता है, तब वह सारा अक्खड़पन भूल जाता है और वह हजार बार नाक रगड़ने को मजबूर हो जाता है।

(ग) असली हींग और देशी घी की पहचान में नाक का क्या उपयोग है?
उत्तर
नाक से ही असली हींग और देशी घी की पहचान कर सकते हैं। नाक की सहायता से सँघकर असली और नकली की पहचान करते हैं। इसलिए नाक का सूंघने की अपनी इसी विशेषता के कारण बड़ा महत्व है, उपयोग है।

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(घ) नाक हीटर का काम कैसे करती है ?
उत्तर
बाहर की ठण्डी हवा को नाक गरम करती है और तब उसे अन्दर जाने देती है। हवाओं को गरम करने के कारण ही नाक हीटर का काम करती है।

(ङ) नाक में कौन-से आभूषण पहने जाते हैं ?
उत्तर
नाक में सोने की हीरे-मोती जड़ी नथ, नथुनी, लौंग, बुलाक, आदि आभूषण पहने जाते हैं।

(च) नाक के लिए कोई चार उपमाएँ लिखिए
उत्तर
नाक को प्रायः निम्नलिखित चार उपमाएँ देकर वर्णित किया गया है

  1. सारस जैसी लम्बी
  2. चिलगोजे जैसी छोटी
  3. चोथ जैसी चपटी
  4. पकौड़ा जैसी मोटी।

प्रश्न 2.
इन कर्मेन्द्रियों को उनके कामों (कार्यों से मिलाओ और सामने लिखो

(1) सूंघना – (क) आँख
(2) छूना – (ख) कान
(3) देखना – (ग) नाक
(4) सुनना – घ) मुँह
(5) चखना – (ङ) त्वचा
उत्तर
(क)→ (3),(ख)→(4),(ग)→(1),(घ)→ (5),(ङ) → (2)

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भाषा अध्ययन

ग्रान 1.
इस पाठ में आये हुए-तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्द छाँटकर लिखिए
उत्तर
तत्सम् = मनोवैज्ञानिक, मृत्यु, उच्छ्वास, प्रदूषण, पर्यावरण।
तद्भव = ब्याह, रूठ, सहेली, हेकड़ी, शिख, नख, पाँव।
देशज = छोछक, नकटा, नथुनी, बुलाक, असली, नकसुरा, छन्ना।
विदेशी = कूलर, टी.वी., फ्रिज, प्लास्टिक सर्जरी, कटलेट।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सम्बन्ध बोधक अव्ययों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए
के सामने, के बिना, के नीचे, के ऊपर, की ओर, के बदले की अपेक्षा, के साथ।
उत्तर
मेरे घर के सामने स्थित पेड़ के नीचे वे बैठते हैं। उस पेड़ के ऊपर पक्षी रहते हैं।
बालक माता-पिता के बिना सुस्त दिखते हैं।
रवीन्द्र के बदले उसके साथ मोहन खेत की ओर गया,
क्योंकि उसकी अपेक्षा मोहन ताकतवर है।

प्रश्न 3.
‘नाक’ शब्द से अनेक मुहावरे बनते हैं। निम्नलिखित तालिका में ‘नाक’ शब्द जोड़कर मुहावरे बनाइए
रखना, कटना, ऊंची रखना, फुलाना, रहना, के नीचे, चने चबाना।
उत्तर
नाक रखना। नाक कटना। नाक ऊँची रखना। नाक फुलाना। नाक रहना। नाक के नीचे। नाकों चने चबाना।
मुहावरों का अर्थ-इज्जत का बचाव करना। इज्जत चली जाना। सम्मान बनाये रखना। गुस्सा हो जाना। इज्जत या सम्मान का बना रहना। उपस्थिति में परेशान करना।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पीछे ‘दिखाना’ शब्द जोड़ने से बने मुहावरों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए
आँख, अँगूठा, दाँत, पीठ, जीभ, आईना।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 13 अगर नाक न होती 1

प्रश्न 5.
‘कितना’ और ‘अगर’ शब्द लगाकर पाँच वाक्य बनाओ।
उत्तर

  1. ‘कितना’ अच्छा होता ‘अगर’ वह परीक्षा में पास हो जाता।
  2. ‘कितना अच्छा होता ‘अगर’ मेरा मित्र आज यहाँ आ जाता।
  3. ‘कितना’ अच्छा होता ‘अगर’ वह मेरी सहायता कर देता।
  4. ‘कितना अच्छा होता ‘अगर’ वह मेरे साथ यात्रा में होता।
  5. ‘कितना’ अच्छा होता ‘अगर’ वह मेरे विद्यालय में प्रवेश लेता।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों को दिए गये उदाहरण के अनुसार बदलिए
(क) वे मौके की तलाश में रहते हैं कि कब, कैसे, किसी की नाक रगड़ दें।
(ख) यह कोशिश रहती है कि उसकी नाक न कटे।
(ग) आज तुम्हें अच्छा गाना सुनाती हूँ।
(घ) सेठ जी अपने बच्चे के जन्म दिन पर सभी को दावत खिलाते हैं।
उत्तर
(क) वे मौके की तलाश में रहते हैं कि कब, कैसे, किसी की नाक रगड़वा दें।
(ख) यह कोशिश रहती है कि उसकी नाक न कटवा दें। (ग) आज तुम्हें अच्छा गाना सुनवाती हूँ।
(घ) सेठ जी अपने बच्चे के जन्मदिन पर सभी को दावत खिलवाते हैं।

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प्रश्न 7.
उदाहरण के अनुसार क्रियारूप परिवर्तन करके लिखिए
खाना, जाना, गाना, पढ़ना, हँसना, रोना, सोना, धोना।
उत्तर

  1. खाकर, खाया
  2. जाकर, गया
  3. गाकर, गाया
  4. पढकर, पढ़ा
  5. हँसकर, हंसा
  6. रोकर, रोया
  7. सोकर, सोया
  8. धोकर, धोया।

प्रश्न 8.
नीचे उर्दू के शब्द दिए गये हैं, उनके हिन्दी शब्द लिखिए
औकात, आदमी, खानदान, इल्जाम, वक्त, तलाश, जिन्दगी, मर्द।
उत्तर

  1. क्षमता
  2. मनुष्य
  3. कुटुम्ब
  4. दोष
  5. समय
  6. अन्वेषण
  7. जीवन
  8. पुरुष।

अगर नाक न होती परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या

1. नाक की चिन्ता में आदमी का जीना मुहाल हो गया है। नाक रखने की खातिर लोग मुकदमेबाजी में बरबाद हो जाते हैं, कर्ज लेकर भी व्याह-शादी, भात-छोछक आदि में अन्धाधुन्ध खर्च करते हैं। जन्म पर ही नहीं, मृत्यु पर भी दावत खिलाते हैं। खरीदने की औकात न होने पर भी महंगी किश्त देकर टी.वी., फ्रिज या कूलर आदि ले आते हैं, क्योंकि नाक नीची होने से डरते हैं। लोग अपनी धाक जमाने के लिए नाक ऊँची रखते हैं।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘अगर नाक न होती’ नामक पाठ से अवतरित हैं। इसके लेखक ‘गोपाल बाबू शर्मा हैं।

प्रसंग-इस पाठ में लेखक ने अपनी व्यंग्य शैली में नाक के रखने या नाक के कट जाने जैसे मुहावरों का प्रयोग करके बताया है, कि आदमी इस खातिर न जाने कितने आडम्बर युक्त कार्य करता है।

व्याख्या-लेखक कहता है कि आज आदमी अपनी इज्जत रखने की चिन्ता में बड़ी कठिनाई से जीवन जी रहा है। अपनी नाक रखने की (इज्जत रखने की) चिन्ता लगी रहती है, अतः वह मुकदमेबाजी में धन खर्च कर देता है और नष्ट हो जाता है। चाहे उसे ऋण (कर्ज) लेना पड़े. फिर भी विवाह, भात-छोछक जैसे कामों के ऊपर आँख बन्द करके व्यय करता है। लोग बच्चे के जन्म की खुशी पर दावत देते हैं, साथ ही वे मृत्युभोज देकर भी अपना नाम कमा लेने की बात करते हैं। उनकी उतनी हैसियत न हो, पर कितना भी महँगा टी. वी. हो, फ्रिज हो या कूलर हो, इन सबको वे खरीदते हैं। किश्त का ऋण चुकाने के लिए वे परेशान हो सकते हैं, परन्तु उन्हें अपनी नाक नीची होने का भय सताता रहता है। अपनी नाक रखने के लिए (इज्जत बचाने के लिए) वे गलत और अनुचित काम करने से भी पीछे नहीं हटते हैं।

2. नाक के कारण आदमी को नाकों चने चबाने पड़ते हैं। नाक बड़ी जल्दी कटती है और प्रायः बिना किसी हथियार के ही कट जाती है। आदमी की अपनी नाक के साथ खानदान की नाक भी जुड़ी रहती है। कभी कोई ऐसी-वैसी बात हो जाए, लड़का घर से रूठकर भाग जाए, कोई झूठ-मूठा इलजाम जान को लग जाए, तो अपनी ही नहीं, पूरे खानदान की नाक कट जाती है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-अपनी इज्जत रखने के लिए (नाक रखने के लिए) आदमी अनेक तरह की कोशिश करता है।

व्याख्या-आदमी यदि अपनी इज्जत बचाना चाहता है, तो उसे अच्छा खासा परिश्रम करना पड़ता है। आज आदमी की नाक (इज्जत) बड़ी जल्दी ही चली जाती है (कट जाती है), इस काम के लिए उसे किसी हथियार आदि का प्रयोग भी नहीं करना पड़ता। अकेले उस आदमी की ही नहीं, उसके परिवार के, उसके सम्बन्धी लोगों की भी नाक चट से कट जाती है। उनकी इज्जत चली जाती है। छोटी-मोटी घटना के घट जाने से उस आदमी के सम्बन्धियों आदि की भी इज्जत समाप्त हो जाती है। चाहे उनके घर-परिवार में छोटी-से-छोटी घटना ही क्यों न घट जाए-वह भी बहुत महत्वपूर्ण बात मानी जाती है।

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3. जब आदमी का बुरा वक्त आता है, या उसे किसी सेकोई काम करवाना होता है, तब वह सारी हेकड़ी भूल जाता है। एक बार क्या हजार बार नाक रगड़ता है। जब कोई गलती हो जाती है, तब भी आदमी को अपनी नाक रगड़नी पड़ती है। जिन लोगों में बदले या ईर्ष्या की भावना होती है, वे भी मौके की तलाश में रहते हैं कि कब, कैसे किसी की नाक रगड़वा दें।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-आदमी के ऊपर बुरे समय के आने पर भी उसे अपनी इज्जत बचाने के लाले पड़ सकते हैं।

व्याख्या-आदमी के जब खराब दिन आते हैं, तो वह अपना सारा अक्खड़पन भूल जाता है। उसे अपने काम करवाने के लिए अनेक बार अपनी इज्जत की परवाह न करते हुए भी नीचे दर्जे का व्यवहार करने पर उतारू रहना पड़ता है। अपनी गलती के लिए भी आदमी को अपनी आत्मा के विरुद्ध आचरण अपनाना पड़ता है। ऐसी विपरीत दशा में, कुछ लोग जो जलनशील स्वभाव के होते हैं अथवा जो बदला लेना चाहते हैं, वे भी अपने ऐसे मौके की तलाश जारी रखते हैं, जिसमें वे अपने विरोधी की नाक काटना चाहते हैं। वे उसे नीचा दिखाना चाहते हैं।

4. गुस्सा भी बहुत से लोगों की नाक पर रखा रहता है। उनसे जरा कुछ कहा नहीं कि बिना बात नाक फुला लेते हैं। नाक में जितनी कमियाँ या बुराइयाँ हैं, उससे ज्यादा अच्छाइयाँ हैं इसलिए जिनकी नाक नहीं होती है, वे भी नाक लगाते हैं, भले ही इस बात पर कोई दूसरा नाक भौंह सिकोड़े तो सिकोड़ता रहे।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-बहुत जल्दी ही नाराज हो जाने वाले आदमियों पर – व्यंग्य कसा जा रहा है।

व्याख्या-लेखक कहता है कि कुछ लोग इस तरह के होते हैं कि वे छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाते हैं। उनसे चाहे, उनके फायदे की ही बात क्यों न कही जायें, परन्तु फिर भी वे अपनी नाक फुला लेते हैं अर्थात् अपना क्रोध प्रकट कर बैठते हैं। इस तरह नाक से सम्बन्धी अनेक बुराइयाँ हो सकती हैं, अनेक कमियाँ हो सकती हैं, परन्तु हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नाक से अनेक लाभ भी हैं, क्योंकि शरीर के एक अंग होने की दशा में नाक अपना अलग ही महत्व रखती है जिसे कटने से – बचाये रखने के लिए अति खर्चीले काम भी करने पड़ते हैं।

अगर नाक न होती शब्दकोश

मुहाल = कठिन औकात = हैसियत; हेकड़ी = अकड़, अड़ना; फ्रन्ट = मुकाबला या सामना; नक्कूशाह- अपने आपको बड़ा समझने वाला; निःश्वास = श्वास निकाल देना, बिना सांस लिए; नाक नीची होना – अपमानित होना; नाक बचाना = सम्मान की रक्षा करना; भात-छोछक = विवाह अथवा बच्चे के जन्म के समय पर मामा के द्वारा दिया जाने वाला । भेंट; फुरेरी = सींक व तिनके के सिरे पर लिपटी हुई रुई जिस पर इत्र, तेल आदि चुपड़ा जाता है; चोथ = गाय, भैंस का गोबर,सुतवाँ = लम्बी, पतली; उच्छ्वास = लम्बी साँसें, गहरी साँसे; नाक रखना = सम्मान रखना; नाक जमाना = प्रभाव छोड़ना; नाकों चने चबाना = बहुत कष्ट सहना; असम्मानित होना = अनादरित होना; मान न मान मैं तेरा मेहमान = जबरदस्ती करना; नाक फुलाना = रूठ जाना; हाथ के तोते उड़ जाना = घबरा जाना; नानी याद आना = बड़े संकट में पड़ जाना; न बैठने देना = चैन न लेने देना; नाक नचाना = परेशान करना; सिर खाना = परेशान करना; नाक का बाल बनना बहुत प्रिय होना; आँख दिखाना = हीनता प्रकट करना; पीठ दिखाना =घर के लिए भाग जाना; नाक रगड़ना-मिन्नतें करना; गुस्सा नाक पर रखा होना – जल्दी नाराज हो जाना; सोने में सुहागा – अच्छी वस्तु में और अधिक अच्छाई; चार चाँद लगाना – सुन्दरता बढ़ जाना नाक पर मक्खी तक न बैठने देना- अपने विरुद्ध कुछ भी न सुनना; नाक के नीचे होना = उपस्थिति में, मौजूदगी में, नाक रहना = सम्मान बचे रहना; मुँह की खाना = घर जाना, अपमानित होना; सिंगट्टा दिखाना = बेवकूफ बना देना, प्रार्थना न सुनना; दाँत दिखाना = हीनता प्रकट करना।

MP Board Class 7th Hindi Solutions

MP Board Class 7th Sanskrit परिशिष्टम्

MP Board Class 7th Sanskrit परिशिष्टम्

1. सादरं समीहताम्
(आदर सहित करना चाहिए)

सादरं समीहताम् ……….. जीवनं प्रदीयताम्। सादरं॥

अनुवाद :
हमें आदर सहित (इन कार्यों को) करना चाहिए। ईश्वर की वन्दना करनी चाहिए। श्रद्धा सहित अपनी मातृभूमि की अच्छी तरह से अर्चना करनी चाहिए। चाहे विपत्ति हो अथवा बिजलियाँ चमक रही हों, अथवा मस्तक पर बार-बार आयुध (हथियार) गिर रहे हों, परन्तु (हमें) धैर्य नहीं खोना चाहिए। वीरता के भाव को बनाये रखना चाहिए। चित्त में निर्भय होकर (हमें) (अपने) कदम आगे बढ़ाने चाहिए (रखने चाहिए)। इस प्रकार (श्रेष्ठ कार्य) आदरपूर्वक करने चाहिए।

यह (मातृभूमि) प्राणदायिनी है, यह (मुसीबतों से) रक्षा करने वाली है। यह (हमें) शक्ति, मुक्ति तथा भक्ति देने वाली है और अमृत देने वाली है। इस कारण तो यह वन्दनीय है, सेवा किये जाने योग्य है। अभिनन्दन किये जाने योग्य है। इसलिए हमें इस (मातृभूमि) के लिए अभिमानपूर्वक अपना जीवन दे देना चाहिए। (इस तरह) यह (सारा कार्य) आदरपूर्वक करना चाहिए।

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2. कृत्वा नवदृढ़ संकल्पम्
(नया पक्का संकल्प करके)

कृत्वा ……… नित्यनिरन्तर गतिशीलाः।

अनुवाद :
नया पक्का संकल्प करके नये सन्देश वितरित करते हुए, नया संगठन निर्मित करते हैं। नया इतिहास रचते हैं।

नये युग का निर्माण करने वाले, राष्ट्र की उन्नति की आकांक्षा करने वाले, त्याग ही जिनके लिए धन है, ऐसे वे त्यागपूर्ण कार्यों में लगे रहने वाले हम कार्यों के करने में चतुर और बुद्धि में तेज हैं। नया पक्का संकल्प करके।

भेदभाव को मिटाने के लिए, दीन और दरिद्रों का उद्धार करते हुए, दुःखों से तप्त लोगों को आश्वासन; (धैर्य बँधाते हुए), किये हुए संकल्पों का दैव स्मरण करते रहें। नये पक्के संकल्पों को करके।

प्रगति के मार्ग से विचलित न हों। परम्पराओं की हम रक्षा करें। उत्साह से युक्त होकर, उद्वेग से रहित होकर नित्य और निरन्तर गतिशील बने रहे। नये पक्के संकल्प करके।

3. अवनितलं पुनरवतीर्णा स्यात्
(पृथ्वीतल पर फिर से अवतार लें)

अवनितलं ……… यतामहे कृति शूराः।

अनुवाद :
पृथ्वी तल पर फिर से अवतार लें। संस्कृत रूपी गंगा की धारा के लिए धैर्यशाली भगीरथवंश हमारा है। हम तो पक्का इरादा करने वाले हैं।

यह संस्कृत रूपी गंगा की धारा विद्वानों रूपी भगवान शंकर के शिरों पर गिरती रहे। यह नित्य ही (सबकी) वाणियों में बहती रहे। व्याकरण के विद्वानों के मुख में यह प्रवेश करती रहे। जनमानस में बार-बार बहती रहे। हजारों पुत्र उद्धार प्राप्त करें और जन्म के विकारों से पार हो जायें अर्थात् मुक्ति प्राप्त कर लें। हम धीर भगीरथवंशी हैं और हमारा पक्का इरादा है।

हम प्रत्येक गाँव को जायें। संस्कृत की शिक्षा प्रदान करें। सभी को तृप्ति (सन्तुष्टि) देने तक अपने क्लेशों को न गिनें। प्रयत्न करने पर क्या प्राप्त नहीं होता है, ऐसे हमारे विचार हैं। हम धीर भगीरथवंशी हैं।

जो संस्कृतरूपी माता (हमारी) संस्कृति की मूल है, जिसकी विस्तृत रूप में व्याप्ति है। वह संस्कृत वाङ्मय हो जाय अर्थात् प्रत्येक की वाणी में समा जाये। वह संस्कृत भाषा प्रत्येक मनुष्यों की जिह्वा (वाणी) रूपी माला में सदैव सुशोभित बनी रहे। हम कर्मवीर पुरुष (उस) देववाणी को (संस्कृत को) जनवाणी बनाने के लिए प्रयत्न करते रहें। हम धीर भगीरथवंशी है।

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4. वन्दे भारतमातरम्
(भारत माता की वन्दना करता हूँ)

वन्दे भारतमातरम् ………. नान्यद्देशहितद्धि ऋते।

अनुवाद :
बोलो, मैं भारत माता की वन्दना करता हूँ, माता की वन्दना करता हूँ, भारत माता की। वन्दना करता हूँ माता की, वन्दना करता हूँ माता की। भारत माता की।

यह (भारत माता) श्रेष्ठ वीरों की माता है, त्यागीजनों और धैर्यशाली लोगों की (यह माता है)। मातृभूमि के लिए और लोक कल्याण के लिए नित्य ही अपने मन को समर्पित करने वाले लोगों की (यह जन्मभूमि है) क्रोध पर जीत पाने वाले पुण्यकर्म करने वाले, धन को तिनके के समान समझने वाले, माता की सेवा के द्वारा अपने जीवन में सार्थकता लाने वाले लोगों की यह जन्मभूमि है। (1)

गाँव-गाँव में कर्म का उपदेश देने वाले, तत्व के जानने वाले, धर्म के कार्यों में लगे रहने वाले, धन का संचय केवल त्याग के लिए करने वाले तथा इस संसार में धर्म अनुकूल ही इच्छाएँ करने वाले लोगों की यह जन्मभूमि है। अज्ञान के नाश से युक्त तथा क्षण भर में ही परिवर्तनशील शरीर वाले अपने अन्दर आदरपूर्ण बुद्धि धारण किये हुए जो यहाँ जन्म लेते हैं, वे स्वयं अपने आप को जन्म लेकर धन्य मानते हैं, (उनकी यह भारतमाता जन्मभूमि है)। (2)

हे माता (जन्मभूमि?), तुम से धन, मन, अधिकार, बुद्धि और शारीरिक बल प्राप्त हुआ है। मैं (किसी भी कार्य का) कर्ता नहीं हूँ, तुम ही कार्य कराने वाली हो, मेरे द्वारा किये गये कर्म के फल में कोई आसक्ति नहीं है। हे माता! तुम्हारे शुभ (कल्याणकारी) चरणों में मेरा यह जीवन पुष्प अर्पित है। इससे बढ़कर कोई भी मेरे लिए अन्य मंत्र नहीं है, मैं कोई भी अन्य प्रकार से नहीं सोचता हूँ, इसके अतिरिक्त अन्य किसी देश के हित में कुछ भी नहीं सोचता। (3)

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MP Board Class 7th Sanskrit निबन्ध-लेखनम्

MP Board Class 7th Sanskrit निबन्ध-लेखनम्

निबन्ध लेखन से छात्र/छात्राओं के अन्दर उनके रचना कौशल का विकास होता है, साथ ही कल्पनाशक्ति भी तीव्र होती जाती है। किसी भी विषय-वस्तु पर अपने विचार प्रस्तुत करने की स्वतंत्र अभिव्यक्ति विकास प्राप्त करती है। इसके लिए यहाँ कुछ निबन्ध दिये जाते हैं-

(1) सत्यम्

  1. सत्यात् परो नान्यः धर्मः।
  2. यद् वस्तु यथा भवति, तस्य तथैव कथनं सत्यमस्ति।
  3. विश्वस्य सर्वाणि वस्तूनि सत्यस्य एव आश्रितानि।
  4. सत्य वादिनः जनः समाजे सम्मानम् प्राप्नोति।
  5. सत्यस्य रक्षार्थम् महाराजः हरिश्चन्द्रः सर्वस्वम् अत्यजत्।
  6. सुखसमृद्धिहेतो सत्याचरणम् करणीयम्।

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(2) परोपकारः

  1. अन्येषां पुरुषाणाम् उपकरणं परोपकारः कथ्यते।
  2. स्वार्थ परित्यज्य अन्येषां हित चिन्तनम्, तस्य च सम्पादनम् परोपकारः।
  3. परोपकारेण जनः प्रगतिम् प्राप्नोति।
  4. प्रकृतिः अपि सर्वेणाम् कल्याणं करोति।
  5. परोपकाराय मेघाः वर्षन्ति।
  6. वृक्षाः अपि परोपकाराय फलन्ति।
  7. परोपकारिणाम् जीवनं सफलम्।

(3) विद्यामहिमा

  1. विद्या कस्यापि विषयस्य उचितम् ज्ञानम् ददाति।
  2. विद्या विनयम् ददाति।
  3. विद्या एव समृद्धेः मूलम्।
  4. विद्या प्रच्छन्नं धनम्।
  5. विद्याहीनः जनः पशुतुल्यः भवति।

(4) भारतदेशः

  1. भारतवर्षः एकः विशाल देशः।
  2. अस्य उत्तर दिशायाम् हिमालयः अस्ति।
  3. अस्य दक्षिणतः महासागरः अस्य चरणौ प्रक्षालयति।
  4. अनेक नद्यः हिमालयात् निर्गच्छन्ति।
  5. देवाः अपि अत्र आगत्य निवसितुं वाञ्छन्ति।

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दृष्टव्यः :
गायन्ति देवा किल गीतकानि, धन्यास्तु ये भारत भूमिभागे। स्वर्गायवर्गास्पदहेतुभूते, भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्॥

(5) पुस्तकम्

  1. पुस्तकानि मह्यम् अतीव रोचन्ते।
  2. पुस्तकानि ज्ञानस्य भण्डारः भवन्ति।
  3. पुस्तकानि अस्माकं मित्राणि सन्ति।
  4. पुस्तकानां सङ्गति लाभप्रदा भवति।
  5. अस्माभिः पुस्तकानि रक्षणीयानि।

(6) उद्यानम्

  1. उद्यानम् अत्यन्तं रमणीयं भवति।
  2. बालकाः उद्यानं क्रीडन्ति।
  3. उद्याने तडागः अपि अस्ति।
  4. जनाः उद्यानं भ्रमणार्थं गच्छन्ति।
  5. खगाः वृक्षेषु निवसन्ति।

(7) विद्यालयः

  1. मम विद्यालयः ‘खाईखेड़ा’ ग्रामे स्थितः अस्ति।
  2. विद्यालयस्य भवनम् अतीवसुन्दरम् अस्ति।
  3. अहं विद्यालयं गत्वा गुरून् प्रणमामि।
  4. विद्यालये एकम् उद्यानम् अपि अस्ति।
  5. विद्यालये एक विशालं क्रीडाक्षेत्रम् अस्ति।

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(8) धेनुः

  1. धेनुः अस्माकं माता अस्ति।
  2. धेनूनां विविधाः वर्णाः भवन्ति।
  3. धेनुः तृणानि भक्षयति।
  4. धेनुः जनेभ्यः मधुरं पयः प्रयच्छति।
  5. वयं धेनुं मातृरूपेण पूजयामः।

(9) महापुरुषः-आजादचन्द्रशेखरः

  1. पुरुषः महत्कार्यं कृत्वा महापुरुषः भवति।
  2. समाजहितार्थं राष्ट्रहितार्थं च यानि कार्याणि भवन्ति, तानि एव महत्कार्याणि भवन्ति।
  3. चन्द्रशेखर आजादः एवमेव राष्ट्रसेवी महापुरुषः आसीत्।
  4. 1906 ख्रीस्ताब्दे आजादचन्द्रशेखरस्य जन्म अभवत्।
  5. आजादचन्द्रशेखर: 1931 ख्रीस्ताब्दे इलाहबादनगरे (प्रयागनगरे) वीरगतिं प्राप्नोत्।

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MP Board Class 7th Sanskrit पत्र-लेखनम्

MP Board Class 7th Sanskrit पत्र-लेखनम्

पत्रलेखन रचना का महत्वपूर्ण अंग है। प्रायः प्रत्येक व्यक्ति को पत्र, प्रार्थना-पत्र इत्यादि लिखने पड़ते हैं। मार्गदर्शन के लिए महत्वपूर्ण पत्र यहाँ दिये जाते हैं

1. पितरम् प्रति पुत्रस्य पत्रम्
(पिता के लिए पुत्र का पत्र)

राजकीय विद्यालयः
इन्दौरनगरः (मध्य प्रदेश)
दिन. 21.07.20…

पूज्याः पितृचरणाः
सादरं कोटिशः प्रणामाः
अत्र कुशलं तत्रास्तु। मुद्राभिः सह पत्रं प्राप्तम्। राजकीय विद्यालये मम प्रवेशः अभवत्। मम त्रैमासिकी परीक्षा अक्टूबरमासे भविष्यति। अहं तथा परिश्रयम् प्रयत्नम् वा करिष्यामि यथा अहं सर्वासु परीक्षा विषयेतु प्रथमं स्थानम् प्राप्नुयम्। पूज्या जननी कामपि चिन्ताम् न करोत्। अत्र कापि कठिनता नास्ति। पूज्यायाः मातुः चरणकमलयोः कोटिशः साष्टाङ्ग प्रणामाः।

शुभशीर्वादाकांक्षी
विश्वनाथः
कक्षा सप्तमः

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2. पुत्रं प्रति पितुः पत्रम्
(पुत्र के लिए पिता का पत्र)

गोकुल निवासः
बडनगरम्
इन्दौर
दि. 07.08.20…

वत्स विश्वनाथ!
कोटिशः शुभाशीर्वादाः।
अत्रकुशलं तत्रास्तु।
तव पठनम् सम्यक्रूपेण चलति इति ज्ञात्वा वयं सर्वे प्रसन्नाः। सुपुत्रात् इयमेव आशास्ति यत् स स्वसन्तोषजनकेन उत्तम परिणामेन पितरौ सन्तोषयेत्। धनस्य कापि चिन्ता न कार्या। वयं समये समये धनं प्रेषयिष्यामः। त्वं सर्वोत्तमम् परिणामम् दर्शय, वयं यथेच्छं धनं दास्यामः। माता तुभ्यं सस्नेहं शुभाशीर्वादम् ददाति। पत्रम् प्रेषणीयम्।

तव हितैषी पिता
रामचन्द्रः।

3. प्रधानाचार्य प्रति शिष्यस्य प्रार्थनापत्रम्

माननीयाः प्रधानाचार्य महोदयाः
राजकीय विद्यालयः
इन्दौरनगरम्।
मान्याः।
सादरं सविनयम् निवेदनमिदं यत् मम पितुः वेतनम् अतिन्यूनम्। अन्ये च मे भ्रातरः अस्मिन्नेव विद्यालये षष्ट कक्षायाम् पठन्ति। अतः मम सविनयं निवेदनम् यत् मह्यम् निःशुल्का शिक्षा प्रदेया। पितुः वेतन-प्रमाणपत्रम् संलग्नम् अस्ति, अशास्ति यत् मम विषये भवताम् उदार: दृष्टिकोणः भविष्यति।

कृपाकांक्षी भवच्छिष्यः
विश्वनाथ
कक्षा सप्तमः।

4. प्रधानाचार्य प्रति शिष्यस्य प्रार्थनापत्रम्

श्रीमन्तः
प्रधानाचार्य महोदयाः
राजकीय विद्यालयः
इन्दौरनगरम्, मध्यप्रदेशः।
महोदयाः
सादरं सविनयं निवेदनं यह अहं तीव्रज्वरेण पीड़ितः अस्मि। अतः विद्यालये उपस्थातुम् सर्वथा असमर्थः। कृपया दशदिवसानाम् मह्यम् अवकाशप्रदानेन अनुग्रहः कार्यः। वैद्यराजस्य प्रमाणपत्रं संलग्नम्।

भवदाज्ञाकारी
विश्वनाथः
कक्षा सप्तमः।

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5. प्रधानाचार्यं प्रति प्रार्थनापत्रम्

श्रीमन्तः
प्रधानाचार्य महोदयाः
राजकीय विद्यालयः
इन्दौर नगरम् (मध्य प्रदेश)
मान्याः!
सविनयं निवेदनम् यत् मम ज्येष्ठभ्रातुः विवाहः अस्या मेव दशभ्याम् तिथौ अस्ति। वर-यात्रा भोपालनगरम् गमिष्यति। वरयात्रायां ममापि गमनम् अनिवार्यम्। अतः अहं पञ्च दिवसानाम् अवकाशस्य प्रार्थनां करोमि।

भवच्छिष्यः
विश्वनाथः
कक्षा सप्तमः।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 12 नींव का पत्थर

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 12 नींव का पत्थर

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 12 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) जूही के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता है’हँसना’। आपको जूही की हँसी से क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर
हँसना बहुत जरूरी है। जूही के चरित्र की यह बहुत बड़ी विशेषता है। जूही की हँसी सभी को प्रेरणा देती है कि वे मृत्यु से भी भयभीत नहीं हो सकेंगे। उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी हँसना चाहिए। इस प्रकार हम अपनी मंजिल की ओर बढ़ते जा सकते हैं।

(ख) “वीरता कलंकित न हो, सुशोभित हो” इसके लिए कौन-कौन से कार्य करना चाहिए?
उत्तर
वीरता तभी कलंकित होती है जब हम अपने कर्त्तव्य के पालन में पीछे रहते हैं। कर्त्तव्यपालन से मिलने वाली सफलता वीरता को सुशोभित करती है। इसलिए मातृभूमि की आजादी की रक्षा के काम में अडिग बना रहना चाहिए। मातृभूमि की सेवा हमारे बलिदान को चाहती है।

(ग) निम्नांकित के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए
(क) लक्ष्मीबाई
(ख) मुन्दर
(ग) तात्या।
उत्तर
(क) लक्ष्मीबाई – महारानी लक्ष्मीबाई अपनी मातृभूमि से बहुत प्रेम करती हैं। वे उसकी आजादी की रक्षा में अपना सर्वस्व लुटा देती हैं। वे आजादी के लिए लगातार लड़ती रहती हैं। दृढ़ प्रतिज्ञ लक्ष्मीबाई हँसते-हँसते आजादी की बलि वेदी पर स्वयं को न्योछावर कर देती हैं। देशभक्ति, जनसेवा और राष्ट्र सेवा के लिए सब कुछ त्यागने के लिए तत्पर रहती हैं।

(ख) मुन्दर – मुन्दर महारानी लक्ष्मीबाई की सहेली है। वह फिरंगियों (अंग्रेजों) के आगमन की सूचना पर व्याकुल हो उठती और चाहती है कि उन्हें एकदम वहाँ से खदेड़ देना चाहिए। वह आज्ञापालक और वीरता के गुणों से युक्त है। वह स्वराज्य की पुजारिन है।

(ग) तात्या – तात्या लक्ष्मीबाई के एक सहयोगी हैं। वे प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम (1857) के सेनानी हैं। वे मातृभूमि की सुरक्षा और स्वराज्य की नींव का आधार है। वे निर्भीक होकर शत्रु से लोहा लेते रहे।

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प्रश्न 2. निम्नांकित कथनों का आशय स्पष्ट कीजिए
(क) हम सब मिलकर या तो स्वराज्य प्राप्त करके रहेंगे या स्वराज्य की नींव का पत्थर बनेंगे।
(ख) सूर्य का तेज अनन्त सूर्य में विलीन हो गया।
उत्तर
(क) स्वराज्य प्राप्त करने में सफलता हम सब के सम्मिलित प्रयासों से सम्भव है। आजादी मिल भी सकती है। अन्यथा आजादी के लिए किये गये अपने प्रयासों के द्वारा स्वराज्य की नींव का पत्थर तो बन ही जायेंगे, जो आजादी के भवन को ऊँचा और मजबूत बनाने में सहायक होगा।

(ख) लक्ष्मीबाई की सेना का सेनापति रघुनाथ राव महारानी लक्ष्मीबाई के सर्वस्व त्याग पर कहता है कि लक्ष्मीबाई सूर्य जैसे तेज से युक्त ीं। उनका तेज सूर्य के कभी भी समाप्त न होने वाले तेज में विलीन हो गया। कहने का तात्पर्य यह है कि सूर्य के अन्तहीन तेज से स्वयं चूकने वाली वीरांगना अब उसी तेज में विलीन हो गयी और अमर हो गयी।

प्रश्न 3.
निम्नांकित कश्चन किसके द्वारा कहे गये
(क) स्वराज्य की लड़ाई स्वराज्य मिलने पर ही समाप्त हो सकती है, बाई साहब। (…… ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ख) महारानी जी, विश्वास दिलाता हूँ कि आपकी पवित्र देह को छूने का साहस केवल पवित्र अग्नि ही कर सकेगी। (…… ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ग) मैं किसी के लिए सरदार हो सकता हूँ, पर आपके लिए तो सेवक ही हूँ। (……… ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(घ) आज हमें स्वामिभक्त से ज्यादा देशभक्तों की आवश्यकता है। (ने जूही से कहा)
उत्तर
(क) (मुन्दर ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ख) (रघुनाथ राव ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ग) (तात्या ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(घ) (लक्ष्मीबाई ने जूही से कहा।)

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भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
अस्तबल, प्रतिज्ञा, रणभूमि, समर्पित, स्वराज्य।
उत्तर
शुद्ध उच्चारण के लिए विद्यार्थी लगातार इन शब्दों को पढ़ें और कोशिश करें कि ये शब्द सही रूप से उच्चारित हो रहे हैं या नहीं। अध्यापक महोदय की सहायता ले सकते हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए
विलासप्रियता, जनसेवक, स्वामिभक्त, मरहमपट्टी।
उत्तर
विलासप्रियता = विलासप्रियता राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा करने में एक सबसे बड़ी बाधा है।
जनसेवक = जनसेवक ही स्वराज्य के सच्चे पहरेदार हैं।
स्वामिभक्त = स्वामिभक्त की अपेक्षा देशभक्त बनिए।
मरहमपट्टी = अनेक घायलों की मरहमपट्टी करके उनका इलाज किया।

प्रश्न 3.
सही शब्द पर सही (✓) का निशान लगाइए
(क) दुर्भाग्य, दुरभाग्य, र्दुभाग्य, दुभार्य।
(ख) लक्ष्मिबाई, लछमीबाई, लक्ष्मीबाई, लक्षमीबाई।
(ग) सुरक्षीत, सुरक्षित, सूरछित, सुरशित।
(घ) समीत, समरपित, समर्पित, स्मर्पित।
(ङ) युधघोस, युधघोष, युधघोश, युद्धघोष।
उत्तर
(क) दुर्भाग्य
(ख) लक्ष्मीबाई
(ग) सुरक्षित
(घ) समर्पित
(ङ) युद्धघोष।

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प्रश्न 4.
नीचे दिये गये शब्द समूहों का प्रयोग करते हुए प्रत्येक से एक-एक वाक्य बनाइए
(क) क्या से क्या हो गया ?
(ख) कहाँ से कहाँ पहुँच गई?
(ग) नहीं, नहीं।
(घ) कौन कहता है?
उत्तर
(क) सोचते थे कि इस वर्ष वह परीक्षा में सफल हो सकेगा, परन्तु वह तो असफल ही रहा। क्या से क्या हो गया ? यह तो सोचा ही नहीं था।
(ख) उसकी पुत्री एक साधारण छात्रा थी, परन्तु वह तो आई.ए.एस. में सफल हो गयी। देखो तो वह कहाँ से कहाँ पहुंच गई ?
(ग) राधा ने उसे अपने घर ठहरने के लिए आग्रह किया परन्तु वह तो नहीं, नहीं ही कहती रही।
(घ) कौन कहता है कि मैंने उसकी सहायता नहीं की है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रत्येक शब्द के दो-दो वाक्य छाँटकर लिखिए
कौन, कहाँ, कब, किसने, किसे।
उत्तर

  1. कौन कहता है, आप अकेली हैं, महारानी ?
    कौन सी बात की बाई साहब?
  2. कब हमने सोचा था, ऐसा भी होगा।
    कब क्या हो जाये, कह नहीं सकते।
  3. किसने ग्वालियर से झाँसी की ओर कूच किया ?
    किसने सम्मान पाया है ? देशभक्त ने या स्वामिभक्त ने।
  4.  मेरी सहायता की किसे है दरकार।
    उसने किसे सहायता के लिए वचन दिया।

प्रश्न 6.
दिए गए संवादों का हाव-भाव से वाचन कीजिए
रघुनाथ राव-महारानी, आपने सुना ?
लक्ष्मीबाई-क्या, रघुनाथ राव ?
जूही-क्या हुआ सरदार?
रघुनाथ राव-महारानी, जनरल यूरोज की सेना ने मुरार की सेना को हरा दिया।
जूही-(काँपकर) क्या पेशवा की सेना हार गई ?
उत्तर
इन संवादों को विशेष हाव-भाव से वाचन करने के लिए अपने आचार्य महोदय की सहायता ले सकते हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थी शब्द लिखिए
सफलता, दुर्भाग्य, आकाश, चेतन, दुर्बल, दुश्मन।
उत्तर
शब्द – विपरीतार्थी शब्द
सफलता – असफलता
दुर्भाग्य – सौभाग्य
आकाश – पाताल
चेतन – अचेतन
दुर्बल – सबल
दुश्मन – मित्र

प्रश्न 8.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
हिमालय अड़ जाना, नींद खुलना, पीठ दिखाना, कलेजे पर पत्थर रखना।
उत्तर
हिमालय अड़ जाना – जीवन में सफलता के मार्ग में कभी-कभी हिमालय अड़ जाता है।
नींद खुलना – मुरार की सेना पर अंग्रेजों की फौज के आक्रमण ने उनकी नींद खोल दी।
पीठ दिखाना – भारतीय सैनिक युद्धक्षेत्र में कभी भी पीठ नहीं दिखाते।
कलेजे पर पत्थर रखना – कलेजे पर पत्थर रखकर, उसने अपने प्राणप्रिय से वियोग प्राप्त किया।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों के समास विग्रह करते हुए समास के नाम लिखिए
देशभक्त, रणभूमि, पेड़-पौधे, वीरबाला, फूल-पत्ती, शुभ-अशुभ, युद्धघोष।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 12 नींव का पत्थर 1

नींव का पत्थर परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

1. स्वराज्य को आते देखती हूँ, परन्तु दूसरे ही क्षण मार्ग में हिमालय अड़ जाता है। जूही, मैंने प्रतिज्ञा की थी कि अपनी झाँसी नहीं दूंगी। लेकिन झाँसी हाथ से निकल गई। (अत्यन्त धीमे स्वर में) झाँसी हाथ से निकल गई जूही। (सहसा तीव्रतर होकर) नहीं, नहीं, झाँसी हाथ से नहीं निकली। मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा-भारती के ‘नींव का पत्थर’ नामक पाठ से ली गई हैं। इस पाठ के लेखक विष्णु प्रभाकर हैं।

प्रसंग-महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजी सेना के खिलाफ युद्ध कर रही हैं। वे झाँसी पर अंग्रेजों का अधिकार नहीं होने देंगी। वे अपनी आजादी के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं।

व्याख्या-महारानी लक्ष्मीबाई अपनी सखी जूही से कहती हैं कि वह एक क्षण तो आशावान हो उठती हैं कि वह स्वराज्य (आजादी) प्राप्त कर लेंगी। परन्तु दूसरे ही क्षण आजादी के मार्ग में बाधा आ खड़ी होती है। यह बाधा हिमालय पर्वत जैसी अति दुर्गम हो जाती है। लक्ष्मीबाई ने यह प्रतिज्ञा की हुई थी कि वह कभी भी अपनी झाँसी पर दुश्मनों का अधिकार नहीं होने देंगी। वह भावनाओं में खो जाती हैं और कहती हैं कि झाँसी उनके हाथों से निकल गई है, परन्तु एकदम ही वह अपनी प्रतिज्ञा को याद करके कह उठती हैं कि वह अपनी झाँसी को नहीं देंगी। झाँसी उनके हाथ से नहीं निकल सकती। वह कभी भी झाँसी पर शत्रुओं का अधिकार नहीं होने देंगी।

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2. मैं जानती हूँ कि मैं झाँसी लेकर रहूँगी, लेकिन क्या तुम नहीं जानती कि उस दिन बाबा गंगादास ने कहा था फिर मिट जाना, जब तक हम विलास-प्रियता को छोड़कर जन-सेवक नहीं बन जाते, तब तक स्वराज्य नहीं मिल सकता। वह मिल सकता है केवल सेवा, तपस्या और बलिदान से।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-महारानी लक्ष्मीबाई स्वराज्य को प्राप्त करने के लिए सेवा, तपस्या और बलिदान को महत्वपूर्ण मानती हैं।

व्याख्या-लक्ष्मीबाई को उनकी सखी जूही बताती है कि उनके साथ वे सभी (देशवासी) हैं। लक्ष्मीबाई इस बात को भली-भाँति जानती भी हैं कि पूरी जनता का सहयोग उनके साथ है। अत: वे झाँसी को फिर से अपने अधिकार में लेकर ही रहेंगी। लक्ष्मीबाई अपनी सखी से कहती हैं कि बाबा गंगादास का उपदेश तो वह जानती ही है। उन्होंने कहा था झाँसी (मातृभूमि) की आजादी के लिए हमें मर-मिट जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि हम जब तक विलासी बने रहेंगे, तब तक आम आदमी की सेवा करने वाले हम लोग नहीं हो सकते तथा आजादी को भी प्राप्त नहीं कर सकते। स्वराज्य को केवल सेवा के कार्यों से, तपस्या से और स्वयं को बलिदान करने की भावना से प्राप्त किया जा सकता है।

3. उन्होंने यह भी तो कहा था कि स्वराज्य प्राप्ति सेबढ़कर है, स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार करना; स्वराज्य की नींव का पत्थर बनना। सफलता
और असफलता देव के हाथ में है, लेकिन नींव का पत्थर बनने से हमें कौन रोक सकता है? वह हमारा अधिकार है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-महारानी लक्ष्मीबाई की सहेली जूही अपने इस वार्तालाप में स्वराज्य स्थापना के लिए स्वराज्य की नींव का पत्थर बनने को अनिवार्य बतलाती है।

व्याख्या-महारानी लक्ष्मीबाई को जूही बाबा गंगादास के उपदेश के बारे में याद दिलाती हुई कहती है कि उन्होंने बतलाया था कि स्वराज्य को प्राप्त करने से भी बढ़कर यह जरूरी है कि स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार की जाये फिर स्वराज्य की नींव का ऐसा पत्थर जड़ा जाये कि उस पर आजादी के भवन का निर्माण होता चला जाये। उस आजादी को प्राप्त करने में जो भी सफलता और असफलता हाथ लगेगी, वह तो देवता के अधीन है, परन्तु आजादी की नींव का पत्थर बनने में हमारे लिए कोई भी बाधा नहीं डाल सकता। स्वराज्य को प्राप्त करना, हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।

नींव का पत्थर शब्दकोश

निराशा = हताश, जो हर आशा छोड़ चुका है; फिरंगी = अंग्रेज; कूच = प्रयाण, प्रस्थान; रणभूमि = युद्ध क्षेत्र, कलंक = दाग, धब्या; मुलाहिजा = लिहाज, सम्मान; अस्तबल = घोड़े बाँधने का स्थान; व्यूह = जमावड़ा, युद्धभूमि में सैनिकों को विशेषरूप में खड़ा करना; कृतज्ञ = उपकार मानने वाला।

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MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi विविधप्रश्नावलिः 3

प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) अनागतविधाता कुत्र अगच्छत्? [अनागतविधाता कहाँ चली गई?]
उत्तर:
अन्यज्जलाशयं

(ख) धीवराः कदा जलाशयं अगच्छन्? [धीवर कब जलाशय पर चले गये?]
उत्तर:
प्रभाते

(ग) क: योगस्य प्रवर्तकः? [योग का प्रवर्तक कौन था?]
उत्तर:
पतञ्जलिः

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(घ) अगस्त्य किम् रचितवान्? [अगस्त्य ने किसकी रचना की?)
उत्तर:
विद्युत्कोशः

(ङ) कति जनाः नित्यदुःखिता? [कितने लोग प्रतिदिन दुखी होते हैं?]
उत्तर:
षट्

(च) शन्नोवरुणः’ इति ध्येयवाक्यं कस्याः सेनायाः अस्ति? [शन्नोवरुणः’ किस सेना का ध्येय वाक्य है?]
उत्तर:
जल सेनायाः

(छ) राज्ञी दुर्गावती कस्मिन् क्षेत्रे जाता? [रानी दुर्गावती किस क्षेत्र में जन्मी थी?
उत्तर:
मध्यप्रदेशस्यमण्डलाक्षेत्रे

(ज) विपरीतबुद्धिः कदा भवति? [बुद्धि किस समय विपरीत हो जाती है?]
उत्तर:
विनाशकाले।

प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) प्रभाते धीवराः किं अकुर्वन्? [प्रात:काल में धीवरों ने क्या किया?]
उत्तर:
प्रभाते धीवराः जलाशयं गत्वा जालं प्रसार्य मत्स्यान् अगृह्णन्। [प्रातःकाल धीवरों ने जलाशय पर जाकर जाल फैलाकर मछलियों को पकड़ लिया।]

(ख) मत्स्यानाम् नामानि कानि? [मछलियों के नाम क्या हैं?]
उत्तर:
मत्स्यानां नामानि-अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा, यद्भविष्यत्। [मछलियों के नाम-अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्यत् था।]

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(ग) स्वस्थ शरीरे किं सुकरं भवति? [स्वस्थ शरीर में क्या आसान होता है?]
उत्तर:
स्वस्थ शरीरे अध्ययनं सुकरम् भवति। [स्वस्थ शरीर से अध्ययन आसान है।]

(घ) बालचराणाम् का प्रथमा प्रतिज्ञा? [बालचरों की प्रथम प्रतिज्ञा कौन-सी है?]
उत्तर:
बालचरस्य प्रथमा प्रतिज्ञा अस्ति-‘ईश्वरं स्वदेशं प्रति च कर्त्तव्य पालनं’। [बालचर की पहली प्रतिज्ञा है-ईश्वर और अपने देश के प्रति कर्त्तव्य का पालन करना।]

(ङ) कस्य धनं दानाय भवति? [किसका धन दान के लिए होता है?]
उत्तर:
साधोः धनं दानाय भवति। [सज्जन का धन दान के लिए होता है।

(च) प्रकाशनिस्सारणेन के भोजनं कुर्वन्ति? [प्रकाश निस्सारण से भोजन कौन बनाते हैं?]
उत्तर:
प्रकाशनिस्सारणेन पादपाः भोजनां कुर्वन्ति। [प्रकाश निस्सारण से वृक्ष भोजन बनाते हैं।]

(छ) दलपतशाहः कस्य राज्यस्य शासकः आसीत [दलपतशाह किस राज्य का शासक था?]
उत्तर:
दलपतशाह: गोंडवाना राज्यस्य शासकः आसीत् [दलपतशाह गोंडवाना राज्य का शासक था।]

(ज) कीदृशं वचः दुर्लभं भवति? [कैसा वचन दुर्लभ होता है?]
उत्तर:
हितं मनोहरि च वचः दुर्लभं भवति। [हितकारी और मनोहारी वचन दुर्लभ होता है।

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प्रश्न 3.
अपेक्षित परिवर्तन करो
(क) बालचराः (एकवचनम्)
(ख) दलपतशाहस्य (तृतीया विभक्तिः)
(ग) प्राणायामस्य (सप्तमी विभक्तिः)
(घ) आगमनाय (प्रथमा विभक्तिः)
(ङ) साधोः (बहुवचनम्)
(च) रसायनम् (बहुवचनम्)
उत्तर:
(क) बालचरः
(ख) दलपतशाहेन
(ग) प्राणायामे
(घ) आगमनम्
(ङ) साधूनाम्
(च) रसायनानि।।

प्रश्न 4.
उचित विकल्प से वाक्यों को पूरा करो
(क) परोपकारः ……….. अस्ति। (पुण्याय/पापाय/धर्माय)
(ख) दुर्गावती यशः शरीरेण अद्यापि ………। (जीवन्ति/अजीवत्/जीवति)
(ग) पतञ्जलिः आयुर्वेदं ……… अरचयत्। (शरीराय/मनसे/वाण्यै)
(घ) महर्षिः कणादः ………. जनकः। (परमाणुवादस्य/योगस्य/शल्यक्रियायाः)
(ङ) स्थलसेना ……….. देशरक्षणं करोति। (आकाशमार्गात्/स्थलात्/जलमार्गात्)
(च) विनाशकाले ………..। ( अनुकूलबुद्धि/विपरीतबुद्धिः/सद्बुद्धिः)
उत्तर:
(क) पुण्याय
(ख) जीवति
(ग) शरीराय
(घ) परमाणुवादस्य
(ङ) स्थलात्
(च) विपरीतबुद्धिः।।

प्रश्न 5.
अधोलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों के लिए प्रश्न बनाओ
(क) मृतं प्रत्युत्पन्नमतिं धीवराः जालात् बहिः अकुर्वन।
(ख) धीवराः मत्स्यान् जाले बध्वा नेष्यन्ति?
(ग) रेखागणितं शुल्बसूत्रे अस्ति।
(घ) पृथ्वी सूर्यं परिक्रमति।
(ङ) लोककल्याणं दुर्गावत्याः आदर्शः आसीत्।
(च) सेनाः त्रयः प्रकाराः।
(छ) उद्यमेन कार्याणि सिध्यन्ति।
उत्तर:
(क) मृतं प्रत्युत्पन्नमतिम् धीवरः कुतः बहिः अकरोत्?
(ख) धीवरा मत्स्यान् कस्मिन् बध्वा नेष्यन्ति?
(ग) रेखागणितं कस्मिन् सूत्रे अस्ति?
(घ) पृथ्वी कम् परिक्रमति?
(ङ) दुर्गावत्याः किम् आदर्शः आसीत्?
(च) सेनायाः कति प्रकाराः?
(छ) केन कार्याणि सिध्यन्ति?

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प्रश्न 6.
उचित का जोड़ मिलाओ
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3 img 1
उत्तर:
(क) → (6)
(ख) → (5)
(ग) → (4)
(घ) → (3)
(ङ) → (1)
(च) → (2)

प्रश्न 7.
शुद्ध वाक्यों के समक्ष ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्यों के समक्ष ‘न’ लिखो
(क) संसर्गजाः दोषगुणाः न भवन्ति।
(ख) दुर्गावती मालवक्षेत्रे राज्यम् अकरोत्।
(ग) पतञ्जलि: धनुर्वेद अरचयत्।
(घ) बालचराः देशसेवां कुर्वन्ति।
(ङ) साधोः धनं दानाय भवति।
(च) बोधायन: पाइथागोरसतः पूर्वं अभवत् ।
उत्तर:
(क) न
(ख) न
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) आम्
(च) आम्

प्रश्न 8.
समानार्थक शब्दों का मेल करो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3 img 2
उत्तर:
(क) → (6)
(ख) → (5)
(ग) → (1)
(घ) → (2)
(ङ) → (3)
(च) → (4)

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प्रश्न 9.
विपरीतार्थक शब्दों का मेल करो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3 img 3
उत्तर:
(क) → (6)
(ख) → (5)
(ग) → (4)
(घ) → (3)
(ङ) → (2)
(च) → (1)

प्रश्न 10.
कोष्ठक से चित शब्द चुनकर रिक्त स्थान की पूर्ति करो-
[क्रीत्वा, नीत्वा, केतुं, आगत्य, गतवान, दातुं, जलाशये, प्रविश्य]
(क) मत्स्याः ……….. निवसन्ति स्म।
(ख) मोहनः भोजनं ………. विद्यालयं ……….।
(ग) सः पुस्तकं ……….. गृहकार्यं कृतवान्।
(घ) सः लेखनी ………. आपणं गतवान्।
(ङ) ततः गृहं ……….. पत्रं लिखितवान्।
(च) सः आपणतः भगिन्यै ………… उपहारम् आनीतवान्।
(छ) रात्रौ शयनकक्षं ………… सुप्तवान्।
उत्तर:
(क) जलाशये
(ख) नीत्वा, गतवान्
(ग) क्रीत्वा
(घ) ऋतुम्
(ङ) आगत्य
(च) दातुं
(छ) प्रविश्य।

प्रश्न 11.
उचित विकल्प से वाक्यों को पूरा करो
(क) विद्या ………… भवति। (ज्ञानस्य/ज्ञानाय)
(ख) औषधिः ……….. उन्मूलयति। (रोगान/रोगाणाम्)
(ग) अहं सप्तम ………… पठामि। (कक्षायाः/कक्षायाम्)
(घ) आर्यभट्टः ………… गतिम् ज्ञातवान्। (प्रकाशाय/प्रकाशस्य)
(ङ) दुर्गावती …………. राज्यम् अकरोत्। (चातुर्येण/चातुर्यम्)
(च) वायुसेना ………….. राष्ट्र रक्षति। (वायुमार्गे/वायुमार्गात्)
उत्तर:
(क) ज्ञानाय
(ख) रोगान्
(ग) कक्षायाम्
(घ) प्रकाशस्य
(ङ) चातुर्येण
(च) वायुमार्गात्।

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प्रश्न 12.
उचित क्रियापद से बाक्य पूरा करो
(क) आगामिमासे अहं जबलपुरं ………….। (आगच्छम्/गमिष्यामि)
(ख) ह्यः भोजने मिष्टान्नं …………..। (अस्ति/आसीत्)
(ग) त्वं योग कक्षा …………. (प्रविशति/प्रविश्)
(घ) वयं सर्वे देशसेवां …………..। (कुर्मः/कुर्वन्ति)
(ङ) मयूराः वने ……………। (नृत्यति/नृत्यन्ति)
(च) शरीरे द्वे नेत्रे ……………..। (भवन्ति/भवतः)
उत्तर:
(क) गमिष्यामि
(ख) आसीत्
(ग) प्रविश
(घ) कुर्वन्ति
(ङ) नृत्यन्ति
(च) भवतः।

प्रश्न 13.
अन्वय की पूर्ति करो
(क) ……गुणी पुत्रः वरं ………… शतानि अपि ………… च। एकः ………. तमः ……….. तारागणाः ……….. च ……….. ।
(ख) यथायथा ……… , मनः कल्याणे …………। तथा ……….. अस्य सर्वार्थाः …………. अत्र ………… न।।
उत्तर:
(क) एकः, मूर्ख, न। चन्द्रः, हन्ति, अपि, न।
(ख) पुरुषः, कुरुते। तथा, सिध्द्यन्ते, संशयः।

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 महाराजा श्री अग्रसेन

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 महाराजा श्री अग्रसेन

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 22 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) महाराजा अग्रसेनजी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर
महाराजा अग्रसेनजी का जन्म आज से 5125 वर्ष पूर्व आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को हरियाणा राज्य के हिसार जिले के प्रताप नगर में हुआ था। उनके पिता का नाम महाराजा वल्लभ था।

(ख) अग्रवाल समाज के प्रवर्तक कौन थे तथा इस समाज के कितने गोत्र प्रचलित हैं ?
उत्तर
महाराजा श्री अग्रसेनजी अग्रवाल समाज के प्रवर्तक थे। इस समाज के 18 गोत्र प्रचलित हैं।

(ग) महाराजा अग्रसेन ने राज्य में किस परिपाटी का चलन प्रारम्भ किया ?
उत्तर
महाराजा अग्रसेन ने एक परिपाटी बनाई थी कि यदि कोई व्यक्ति उनके अग्रोहा राज्य में आकर बसता है, तो प्रत्येक व्यक्ति परिवार उसे एक ईंट और एक रुपया देगा।

(घ) अग्रसेनजी के राज्य में लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था कैसे बनाई गई ?
उत्तर
महाराजा अग्रसेन ने अपने राज्य में सुव्यवस्था बनाए रखने हेतु 18 गणराज्य बनाए। प्रत्येक गणराज्य से एक-एक निर्वाचित प्रतिनिधि होता था। ये प्रतिनिधि शासन परिषद के सदस्य होते थे। इनके परामर्श से ही राज्य का शासन चलता था।

(ङ) महाराजा अग्रसेन ने पशुबलि प्रथा क्यों बन्द की ?
उत्तर
स्वभाव से धार्मिक महाराजा श्री अग्रसेन को यज्ञों से बहुत लगाव था। उस समय यज्ञों में पशुबलि की कुप्रथा प्रचलित थी। उन्होंने सोचा कि यज्ञ जैसे पवित्र कार्य में पशुबलि क्यों? वे हिंसा को दुष्कर्म और घोर पाप मानते थे। वे कहते थे कि यदि हम किसी को जीवनदान नहीं दे सकते तो हमें किसी के प्राण लेने का कोई अधिकार नहीं है। अतः उन्होंने पशुबलि प्रथा पर रोक लगा दी।

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भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
पाठ में से संयोजक चिह्न वाले शब्द छाँटकर लिखिए। जैसे-देख-समझकर।
उत्तर
प्रस्तुत पाठ में प्रयुक्त संयोजक चिह्न वाले शब्द हैं-अपना अपना, अपनी-अपनी, ऊँच-नीच, जाति-पाँति, एक-एक, बड़े-बड़े, जन-जन, सोने-चाँदी इत्यादि।

प्रश्न 2. निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
पाठ पढ़ाना, आमादा रहना, नींव रखना, पेट पालना, लकीर के फकीर, कूपमण्डूक।
उत्तर
(क) पाठ पढ़ाना-रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी वीरता से अंग्रेजों को युद्ध-कौशल का अच्छा पाठ पढ़ाया।
(ख) आमादा रहना-वीरू की क्या कहें दरोगा जी ? वह तो सदैव लड़ने पर आमादा रहता है।
(ग) नींव रखना-1857 के गदर ने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की नींव रखी।
(घ) पेट पालना-महँगाई के इस समय में गरीब के लिए अपना पेट पालना किसी चुनौती से कम नहीं है।
(ङ) लकीर के फकीर-लकीर के फकीर बने रहने से कुछ नहीं होगा। हमें समय के साथ बदलना सीखना होगा।
(च) कूपमण्डूक-हम अपनी उन्नति का खुद कितना ही विंदोरा क्यों न पीटें ? लेकिन दुनिया के परिदृश्य में हमारी स्थिति कूपमण्डूक जैसी ही है।

प्रश्न 3.
निम्नांकित शब्दों की वर्तनी शुद्ध करके लिखिए
अव्यवस्थीत, आर्दश, नीवार्चित, लक्ष्मि, अननय, वेश्य, दुस्कर्म, सहनूभूति।
उत्तर
अव्यवस्थित, आदर्श, निर्वाचित, लक्ष्मी, अनुनय, वैश्य, दुष्कर्म, सहानुभूति।

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महाराजा श्री अग्रसेन परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या

1. देवभूमि भारत को अवतारों की क्रीड़ास्थली कहा जाता है। इस पवित्र भूमि में भगवान श्रीराम, योगीराज श्रीकृष्ण, महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी और गुरु नानक जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया। इसी पावन धरती में एक ऐसे ही महामानव का जन्म हुआ, जिसने समूची मानवता को सर्वप्रथम समाजवाद का पाठ पढाया। वह महान विभूति थे अग्रोहा नरेश महाराजा श्री अग्रसेन।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश ‘महाराजा अग्रसेन’ नामक पाठ से अवतरित है। यह एक संकलित रचना है।

प्रसंग-इन पंक्तियों में समय-समय पर भारतभूमि पर पैदा होने वाले महापुरुषों का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-विश्व में अपने धर्मों, रीति-रिवाजों, भाषाओं, बोलियों एवं पहनावों के लिए सुप्रसिद्ध भारतभूमि जिसे देवभूमि भी कहा जाता है, सदैव से ही अनेक महापुरुषों की जन्मस्थली रही है। किसी ने ठीक ही कहा है कि इस पवित्र भूमि पर जन्म लेने के लिए मानव तो क्या ईश्वर तक लालायित रहते हैं। यह वही गौरवशाली भूमि है जिसने भगवान श्रीराम. योगीराज श्रीकृष्ण, महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी और गुरु नानक जैसे अनेक महापुरुषों को अपनी कोख से जन्म दिया है। इसी पावन भूमि पर एक ऐसे महान व्यक्ति का जन्म हुआ जिसने सम्पूर्ण मानव जाति को सबसे पहले समाजवाद का पाठ पढ़ाया। वह महामानव थे अग्रोहा नामक नगर के राजा महाराजा श्री अग्रसेन।

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