MP Board Class 9th Hindi Vasanti Solutions Chapter 5 ऋतु वर्णन

MP Board Class 9th Hindi Vasanti Solutions Chapter 5 ऋतु वर्णन (पद्माकर)

ऋतु वर्णन अभ्यास-प्रश्न

ऋतु वर्णन लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बसंत की छटा कहाँ-कहाँ दिखाई दे रही है?
उत्तर
वसंत की छटा सब जगह दिखाई दे रही है।

प्रश्न 2.
एक ऋतु विशेष को ऋतुराज क्यों कहा गया है?
उत्तर
एक ऋतु विशेष को ऋतुराज कहा गया है। यह इसलिए कि उसका स्वरूप और प्रभाव अन्य ऋतुओं से हर प्रकार बढ़कर आकर्षक, सरस और सहज है।

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प्रश्न 3.
पद्माकर ने शरद ऋतु के सौंदर्य का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर
पद्माकर ने शरद ऋतु के सौंदर्य का वर्णन बड़े ही भाववर्द्धक रूप में किया है। कवि ने शरद ऋतु के वर्णन को प्रभावशाली बनाने के लिए उसके विविध रूपों को प्रस्तुत किया है।

ऋतु वर्णन दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘पद्माकर प्रेम और उल्लास के कुशल कवि हैं।’ इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पद्माकर रीतिकाल के सुप्रसिद्ध कवि हैं। उनकी ‘जगद्विनोद’ रचना को प्रेम और उल्लास का सागर माना जाता है। इनकी कविता रसिक लोगों का कंठाहार है। भावुकता, तन्मयता और चमत्कार उनकी कविताओं में एक साथ दिखाई देते हैं।

प्रश्न 2.
पद्माकर का वसंत वर्णन अद्वितीय है, कारण लिखिए।
उत्तर
पद्माकर का वसंत वर्णन अद्वितीय है। उसकी अद्वितीय होने का कारण यह है कि उसमें व्यापकता, सरसता और कल्पना की सुन्दर त्रिवेणी प्रवाहित हुई है। लयात्मकता, संगीतात्मकता और क्रमबद्धता का त्रिवेग है, जो निरन्तरता से अधिक प्रभावशाली बन गया है। पद्माकर के वसंत वर्णन के अद्वितीय होने का तीसरा कारण है-हमारे परिवेश को न केवल प्रभावित करने का है, अपितु उसे स्वस्थ और सम्पन्न बनाने का भी है।

प्रश्न 3.
पद्माकर के काव्य की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर
पद्माकर के काव्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. पद्माकर का काव्य अत्यंत सरस और कौशलपूर्ण है।
  2. उनके काव्य में मधुर-मधुर कल्पनाएँ हैं जो स्वाभाविक और हाव-भावपूर्ण हैं।
  3. उनके काव्य में अलंकारों की छटा विभिन्न उपमानों की सजीवता लिए हुए है।
  4. उनके काव्य में शृंगार रस का सागर उमड़ता है।
  5. उनके काव्य में विषयों की विविधता को प्रकट करने वाली भाषा मौजूद है।

प्रश्न 4.
निम्न पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

वीथिन में, ब्रज में नवेलिन में बेलिन में,
बनन में बागन में बगरयो वसंत है।
उत्तर
उपर्युक्त पक्तियों का आशय यह है कि ऋतुराज वसंत का आगमन प्रकत में रहा है। वह व्यापक रूप से हो रहा है। इसलिए मनुष्य के साथ-साथ प्रकृति के और स्वरूप उससे प्रभावित हो रहे हैं। उसका प्रभाव सबको उल्लसित और उमंगित कररहा है।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित काव्यांश की व्याख्या सन्दर्भ-प्रसंग सहित लिखिए।

कूलन में केलि में कछारन में कुंजन में
क्यारिन में कलित कलीन किलकन्त है।
कहै पदमाकर परागहू में पौनहूं में,
पातन में पिक में पलासन पगन्त है।
उत्तर
नदियों के तट पर, केलियों में, कछारों में, कुंजों में, क्यारियों में वसंत उल्लासपूर्ण किलकारी मार रहा है। कविवर पदमाकर का पुनः कहना है कि फूलों के परागों में, हवाओं में, पेड़-पौधों के पत्तों में, कोपलों में, पलाशों में वसंत की सरसता लिए हुए है। द्वार-द्वार में, दिशाओं में, दूर देश-परदेश में, दीपों में, सभी दिशाओं में वसंत की चमक-दमक है। गलियों में, ब्रज में, बेलों में, वनों में, बागों में वसंत का साम्राज्य फैला हुआ है।

ऋतु वर्णन भाषा-अध्ययन/काव्य-सौंदर्य

प्रश्न 1.
‘कलित कलीन किलकन्त’ में अनुप्रास अलंकार है। पठित पाठ के आधार पर पाँच उदाहरण दीजिए।
उत्तर
1. ‘पलासन – पगन्त’
2. देस – देसन
3. दीप -दीपन
4. दीप – दिगन्त
5. बगर्यो – बसंत

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
देश, जीवन, अखण्ड, योग्यता, प्रकाश।
उत्तर
शब्द – विलोम शब्द
देश – विदेश
जीवन – मरण
अखण्ड – खण्ड
योग्यता – अयोग्यता
प्रकाश – अंधकार।

ऋतु वर्णन योग्यता – विस्तार

प्रश्न 1. अनेक कवियों ने ऋतु-वर्णन से संबंधित कविताएँ लिखी हैं, अपने शिक्षक की सहायता से ऋतु-वर्णन से संबंधित कविताएँ संकलित कीजिए।
प्रश्न 2. आपको कौन-सी ऋतु सबसे अच्छी लगती है? क्यों? अखबारों तथा पुरानी पत्रिकाओं से चित्र काटकर चित्र-युक्त निबंध तैयार करें इसे ‘फीच’ लेखन कहते हैं जिसकी जानकारी अपने शिक्षक से लीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

ऋतु वर्णन परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वसंत की छटा किस रूप में दिखाई देती है?
उत्तर
वसंत की छटा अत्यन्त सहज, मनमोहक और व्यापक रूप में दिखाई देती है।

प्रश्न 2.
वसंत किसका प्रतीक है?
उत्तर
वसंत सम्पन्नता और उल्लास का प्रतीक है।

प्रश्न 3.
वसंत का आगमन कब होता है?
उत्तर
वसंत का आगमन पतझड़ के बाद होता है।

ऋतु वर्णन दीर्य उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पद्माकर ने बसंत और शरद इन दोनों ऋतुओं की किन प्रमुख विशेषता को सामने लाया है?
उत्तर
पद्माकर ने वसंत और शरद इन दोनों ऋतुओं की निम्नलिखित विशेषताओं को सामने लाने का प्रयास किया है :
1. वसंत ऋतु की विशेषताएँ

  • वसंत मानवीय अनुभूतियों का प्रतीक है।
  • वसंत मानव जीवन को विकसित करने का प्रतीक है।
  • वसंत सौंदर्यवर्द्धक और उत्साहवर्द्धक है।
  • वसंत व्यापक सम्पन्नता का प्रमुख कारक है।

2. शरद ऋतु की विशेषताएँ

  • शरद सरसता और सरलता का प्रतीक है।
  • शरद में मधुरता और सुन्दरता है।
  • शरद की चाँदनी प्रेमरस को सरलतापूर्वक प्रवाहित करती है।

प्रश्न 2.
पद्माकर का साहित्यिक महत्त्वाकंन कीजिए।
उत्तर
पद्माकर रीतिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। पद्माकर का साहित्यिक महत्त्वांकन करते हुए आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा है “उनकी मधुर कल्पना ऐसी स्वाभाविकता और हाव-भावपूर्ण मूर्ति-विधान करती है कि पाठक भावों की प्रत्यक्ष अनुभूति में मग्न हो जाता है।” संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि पद्माकर की कविता में रीतिकाल की कविता की सभी महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ मौजूद हैं।

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प्रश्न 3.
पद्माकर विरचित कविता ‘ऋतु-वर्णन’ का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पद्माकर का ऋतु-वर्णन अत्यधिक अनूठा और बेजोड़ कवित्त है। विभिन्न प्रकार की ऋतुओं के सौंदर्य-बोध को उन्होंने अनेक तरह से अपनी कविता में प्रस्तुत किया है। ऋतुओं की बदलती सुन्दरता का क्रियाशील वर्णन उनके काव्य को एक अलग ही आकर्षण प्रदान करता है। कविवर पदमाकर ने वसंत ऋतु को विकसित प्रक्रिया का वर्णन मानवीय अनुभूतियों के स्तर पर तो किया ही है। इसके साथ ही वसंत की नयनाभिराम छटा भी उनकी कविताओं में प्राप्त होती है। वसंत हमारे परिवेश को कैसे प्रभावित कर सम्पन्न करता है? यह उनकी प्रस्तुत कविता से बड़ी सहजता से स्पष्ट हो जाता है। शरद वर्णन में वह राधा-कृष्ण को नहीं भूल पाते। शरद की चाँदनी, उन्हें प्रभावित करती है। इस कविता में कवि ने उद्दीपन भाव को व्यक्त किया है।

ऋतु वर्णन कवि-परिचय

प्रश्न
कविवर पद्माकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
जीवन-परिचय-रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि पद्माकर का जन्म उत्तर-प्रदेश के बाँदा में सन् 1753 में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित मोहनलाल भट्ट था। वे तैलंग ब्राह्मण थे। यही नहीं वे एक उच्चकोटि के विद्वान और रसिक कवि भी थे। पद्माकर बचपन से ही अपने पिता की कविताओं को सुन-सुनकर काव्य-रचना करने लगे। उनका निधन 1836 में हुआ।

रचनाएँ-पदमाकर के छः प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं, जो इस प्रकार हैं-जगविनोद, ‘पद्माभरण’, ‘हिम्मत बहादुर’, ‘विरुदावली’, ‘गंगालहरी’, ‘प्रबोध-पचीसी’ और ‘राम-रसायन।’
साहित्यिक महत्त्व-पद्माकर रीतिकाल के चुने हुए कवियों में से एक हैं। उनका काव्य-स्वरूप अधिक आकर्षक है। पद्माकर के साहित्यिक महत्त्व का वर्णन करते हुए आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा है “उनकी मधुर कल्पना ऐसी स्वाभाविक और हाव-भावपूर्ण मूर्ति-विधान करती है कि पाठक भावों की प्रत्यक्ष अनुभूति में मग्न हो जाता है।”

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि पद्माकर का काव्य-विधान विभिन्न प्रकार के काव्य-लक्षणों से पुष्ट है। उनकी भाषा ब्रजभाषा है, जो बहुत ही सरल और सजीव है।
भावुकता, तन्मयता और चमत्कार तो उनकी कविताओं के निश्चित आधार हैं। कुल मिलाकर वे एक युगीन महाकवि ठहरते हैं।

ऋतु वर्णन कविता का सारांश

प्रश्न-कवि पद्माकर-विरचित कविता ‘ऋतु-वर्णन’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
कवि पद्माकर-विरचित कविता ‘ऋतु-वर्णन’ के दो भाग हैं-‘वसंत’ और ‘शरद’ । ‘वसंत’ कविता में कवि ने वसंत ऋतु के व्यापक प्रवेश का अत्यन्त भावपूर्ण वर्णन किया है। ‘शरद’ कविता में कवि ने शरद ऋतु की सुन्दरता तब और मन मोह लेती है, जब कवि राधा-कृष्ण के रासमण्डल का चित्रण करता है। शरद ऋतु की चाँदनी की छटा निश्चित रूप से प्रभावशाली है।

वसंत:

ऋतु वर्णन  संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

पद की सप्रसंग व्याख्या, काव्य-सौन्दर्य एवं विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

1. कूलन में केलि में कछारन में कुंजन में,
क्यारिन में कलित कलीन किलकन्त है।

कहै पद्माकर परागहू में पौनहूं में,
पातन में, पिक में पलासन पगन्त है।

द्वारे में दिसान में दुनी में देस देसन में,
देखो दीप दीपन में दीपत दिगन्त है।

बीथिन में ब्रज में नवेलिन में बेलिन में,
बनन में बागन में बगरयो बसन्त है।

शब्दार्थ-कूलन-नदी के तट पर। किलकन्त-उल्लास से किलकारी मारना । पौनहूं-पवन। पिक-कोयल। दिगन्त-समस्त दिशाओं में। बीथिन-गलियों में।
नवेलिन-युवती, तरुणी।

प्रसंग-प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य पुस्तक ‘वासंती-हिन्दी-सामान्य’ में संकलित तथा महाकवि पदमाकर द्वारा विरचित कविता ‘वसंत’ से लिया गया है। इसमें कवि ने वसंत ऋतु के व्यापक प्रवेश का चित्रण किया है। इस विषय में कवि का कहना है

व्याख्या-नदियों के तट पर, केलियों में, कछारों में, कुंजों में, क्यारियों में वसंत उल्लासपूर्ण किलकारी मार रहा है। कविवर पदमाकर का पुनः कहना है कि फूलों के परागों में, हवाओं में, पेड़-पौधों के पत्तों में, कोपलों में, पलाशों में वसंत की सरसता लिए हुए है। द्वार-द्वार में, दिशाओं में, दूर देश-परदेश में, दीपों में, सभी दिशाओं में वसंत की चमक-दमक है। गलियों में, ब्रज में, बेलों में, वनों में, बागों में वसंत का साम्राज्य फैला हुआ है।

विशेष-

  1. भाषा ब्रजभाषा है।
  2. लय और संगीत का सुन्दर मेल है।
  3. वर्णनात्मक शैली है।
  4. पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  5. शृंगार रस का संचार है।

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1. पद पर आरित काव्य-सौंदर्य संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(i) प्रस्तुत पद के काव्य-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(ii) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(iii) बसंत उल्लास से कहाँ-कहाँ किलकारी मार रहा है?
उत्तर
(i) प्रस्तुत पद में वसंत ऋतु के सुखद आगमन को विविध काव्य-सौंदर्य से चित्रित किया गया है। ब्रजभाषा की शब्दावली के द्वारा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का चमत्कार शृंगार रस से पुष्ट हुआ है।
(ii) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य वसंत ऋतु के आगमन की विविधा को अच्छी तरह से दर्शाने वाला है। इस प्रकार इस पद का भाव-सौंदर्य अपनी सरसता और सरलता के साथ स्वाभाविकता को प्रस्तुत कर हृदयस्पर्शी बन गया है।
(iii) वसंत अपने उल्लास से नदियों के तटों पर केलियों में, कछारों में, कुंजों में किलकारी मार रहा है।

2. पद पर आधारित विषय-वस्तु से संबंधित प्रश्नोत्तर ।

प्रश्न
(i) बसंत को किस रूप में चित्रित किया गया है?
(ii) वसंत का अन्य ऋतुओं से बढ़कर क्या महत्त्व है?
उत्तर-
(i) वसंत को मनुष्य के रूप में चित्रित किया गया है।
(ii) वसंत का अन्य ऋतुओं से बढ़कर महत्त्व है। यह इसलिए कि वह अपने आगमन से हमारे जीवन में आनंद की झड़ी लगा देता है। वसंत के आने से प्रकृति के प्रत्येक स्वरूप में उल्लास और सरसता का संचार होने लगता है।

शरद:

ऋतु वर्णन
  संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

पद की सप्रसंग व्याख्या, काव्य-सौंदर्य एवं विषय-वस्तु से संबंधी प्रश्नोत्तर

2. तालन पै ताल पै तमालन पै मालन पै,
वृन्दावन बीथिन बहान बंसीवट पै।

कहै पदमाकर अखण्ड रासमण्डल पै,
मण्डित उमण्डि महा कालिंदी के तट पै॥

छिति पर छान पर छाजत छतान पर,
ललित लतान पर लाड़िली की लट पै।

आई भली छाई यह सरद-जुन्हाई, जिहि,
पाई छवि आज ही कन्हाई के मुकुट पै॥

शब्दार्थ-तालन-तालाबों। तमालन-तमाल नामक वृक्षों में। मालन-मालाएँ। बीविन-गलियाँ। बहार-शोभा। बंसीवट-जिस पर बैठकर कृष्ण बंशी बजाते थे। अखण्ड रासमण्डल-निरन्तर रासलीला। मण्डित-सुशोभित उमण्डि-घिरना, घुमड़ना। महाकालिन्दी-यमुना का बड़ा रूप। ठिति-पृथ्वी। छान-छप्पर की छत। छाजत छतान-छाया हुआ। ललित लतान-सुन्दर लताएँ। सरद जुन्हाइ-शरद की चाँदनी। कन्हाइ-कृष्ण।

प्रसंग-प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य-पुस्तक वासंती हिंदी सामान्य’ में संकलित तथा महाकवि पद्माकर-विरचित कविता ‘शरद’ से लिया गया है। इसमें कविवर पदमाकर ने शरद ऋतु के स्वरूप-प्रभाव का अनूठा चित्र खींचते हुए कहा है कि

व्याख्या-तालाबों में, तमाल नामक पेड़ों में, मालाओं में वृन्दावन की गलियों में और बंशीवट में शरद ऋतु की चाँदनी की बहार आई हुई है। कविवर पद्माकर का कहना है कि शरद ऋतु की चाँदनी में निरन्तर रासलीलाएँ हो रही हैं। यमुना के तट पर भ्रमण करना बहुत ही शोभा दे रहा है। इस प्रकार पृथ्वी पर, छप्पर की छत पर, सुन्दर-सुन्दर लताओं पर, युवतियों की लटों पर शरद ऋतु की चाँदनी छायी हुई बहुत ही अच्छी लग रही है। इसकी सुन्दरता तो आज कृष्ण के मुकुट पर पड़ने से और ही बढ़ गई है।

विशेष-

  1. ब्रजभाषा की शब्दावली।
  2. पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  3. शृंगार रस का प्रवाह।
  4. चित्रमयी शैली है।

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1. पद पर आधारित काव्य-सौंदर्य संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(i) प्रस्तुत पद के काव्य-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(ii) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(iii) प्रस्तुत पद में वृन्दावन का क्या उल्लेख हुआ है?
उत्तर
(i) प्रस्तुत पद का काव्य-सौंदर्य अनुप्रास अलंकार से चमत्कृत है। इसे शृंगार रस से पुष्ट करके चित्रमयी शैली के द्वारा अधिक मनमोहक बनाने का प्रयास किया गया है।
(ii) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य शरद-पूर्णिमा की चाँदनी की सरसता को क्रमशः उजागर करने में सफल दिखाई देता है। भावों की सरलता उनकी प्रवाहमयता के कारण और रोचक हो गई है।
(iii) प्रस्तुत पद में वृन्दावन की गलियों में शरद की चाँदनी का उल्लासपूर्ण उल्लेख हुआ है।

2. पद पर आधारित विषय-वस्तु से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न
(i) प्रस्तुत पद में किसका चित्रण हुआ है?
(ii) प्रस्तुत पद का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर
(i) प्रस्तुत पद में शरद ऋतु की चाँदनी का अत्यन्त प्रभावशाली, रोचक और आकर्षक चित्रण हुआ है।
(ii) प्रस्तुत पद का शरद की चाँदनी का प्रकृति के विभिन्न तत्त्वों को सरसतापूर्वक प्रभावित करने का चित्रण करना मुख्य भाव है। यह भाव हर प्रकार से हमारे सोए हुए भावों को जगाता है।

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