MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 7 उड़ता चल कबूतर

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 7 उड़ता चल कबूतर (यात्रा वृत्तांत, रामवृक्ष बेनीपुरी)

उड़ता चल कबूतर अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
सोनभद्र नदी किस प्रदेश में बहती है?
उत्तर:
सोनभद्र नदी बिहार प्रदेश में बहती है।

प्रश्न 2.
यूरोप यात्रा पर जाने के लिए किसने पत्र लिखा?
उत्तर:
यूरोप यात्रा पर जाने के लिए सन् 1947 ई. में आचार्य नरेन्द्र देव ने पत्र लिखा।

प्रश्न 3.
जयप्रकाश जी को किस-किसकी चिन्ता थी?
उत्तर:
जयप्रकाश जी को दैनिक-पत्र ‘जनता’ की चिन्ता थी और आगामी आम चुनाव की भी चिन्ता थी।

प्रश्न 4.
बिहार से चलने के बाद लेखक का प्लेन कौन-से शहर में उतरा?
उत्तर:
बिहार से चलने के बाद लेखक का प्लेन बनारस शहर में उतरा।

प्रश्न 5.
शरीर की भंगिमा द्वारा भाव प्रकट करने वाले व्यक्ति का नाम क्या था?
उत्तर:
शरीर की भंगिमा द्वारा भाव प्रकट करने वाले व्यक्ति का नाम उदय शंकर था।

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प्रश्न 6.
ननिहाल जाते समय लेखक की हाथी के साथ क्या घटना घटी?
उत्तर:
ननिहाल जाते समय लेखक एक हाथी पर चढ़कर ऊँचे आसन पर बैठकर आनन्द लेना चाहता था पर हाथी की वह सवारी भीतरी मन को जितना आनन्द नहीं दे पाई उससे ज्यादा मन में भय बैठा गई थी।

प्रश्न 7.
बर्नार्ड शा ने अंग्रेजों के बारे में क्या लिखा है?
उत्तर:
बर्नार्ड शा ने अंग्रेजों के बारे में लिखा है कि इस कौम के दिल में कोई इरादा जागता है तो वह इस तरह उसे छिपाकर रखती है कि एक दिन यह इरादा एक ज्वलन्त विश्वास में परिणत हो जाता है और इस विश्वास की अखण्ड ज्योति, इसमें इतनी शक्ति पैदा कर देती है कि वह जो चाहती है, उसे करके ही दम लेती है।

प्रश्न 8.
ब्रजनन्दन आजाद ने तार के द्वारा क्या सूचना दी?
उत्तर:
ब्रजनन्दन आजाद ने तार के द्वारा विलायत जाने की तैयारी करने की सूचना दी।

प्रश्न 9.
गोरे अंग्रेज ने हिन्दी के बारे में क्या कहा?
उत्तर:
गोरे अंग्रेज ने हिन्दी के बारे में कहा कि आजकल हिन्दी को लोग संस्कृत बना रहे हैं। प्रेमचन्द की हिन्दी कितनी अच्छी थी। पटना के हिन्दी अखबार तक ऐसी हिन्दी लिखते हैं कि उनका अर्थ समझने के लिए डिक्शनरी की जरूरत होती है।

प्रश्न 10.
दिल्ली के राजभवन में कौन-कौन से चित्र लगे थे?
उत्तर:
दिल्ली के राजभवन में वायसराय के चित्र, अंग्रेजों द्वारा बनाये गये भवनों के चित्र, उन युद्धों के चित्र जिनमें विजयी बनकर अंग्रेज भारत के शासक हुए। सुरक्षा की दृष्टि से ये चित्र राजभवन को म्यूजियम मानकर लगा दिये गये थे।

प्रश्न 11.
हवाई जहाज यात्रा के समय नीचे के दृश्यों का वर्णन लेखक ने किस प्रकार किया है?
उत्तर:
हवाई जहाज यात्रा के समय नीचे के दृश्यों का वर्णन करते हुए लेखक कहता है कि ऊपर उड़ने पर ताड़ के वृक्ष छोटे-छोटे लगते हैं। धरती की सीमाएँ जैसे सिमटी जा रही हैं। खेत ऐसे लग रहे हैं जैसे मुसल्लम धारीदार चादर हो। तेजधूप में गंगा का कछार हिमालय की सीढ़ी का पहला जीना जैसा लग रहा था। नीचे की सारी चीजें छोटी होती जा रही हैं। ताड़-खजूर आम-नीम सब छोटे-छोटे से पौधे लग रहे हैं। पृथ्वी शतरंज की एक लम्बी विसात सी लगती है। जैसे-जैसे हम ऊँचे चढ़ते जाते हैं भेदभाव मिटते जाते हैं, सीमाएँ नष्ट हो जाती हैं और एकरूपता बढ़ती जाती है।

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प्रश्न 12.
अन्तर्मन और बहिर्मन का परस्पर क्या सम्बन्ध है? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक वस्तु के दो पहलू होते हैं-आन्तरिक और बाह्य। इसी प्रकार मानव मन के भी दो पहलू होते हैं-अन्तर्मन और बहिर्मन। जब किसी वस्तु के प्रति हमारा आकर्षण अधिक होता है तो हमारा बहिर्मन उस वस्तु को प्राप्त करने का प्रयास करता है। अभिप्राय यह है कि अन्तर्मन किसी के भी बारे में सोचता रहता है, योजनाएँ बनाता रहता है पर उन योजनाओं को कार्य रूप में परिणत नहीं कर पाता है। उन योजनाओं को कार्य रूप में ‘परिणत करता है बहिर्मन। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अन्तर्मन का कार्य योजना बनाना है और उसे क्रिया रूप में परिणत करता है बहिर्मन। अत: इन दोनों का परस्पर अटूट सम्बन्ध है। एक के बिना दूसरे का काम नहीं चल सकता है।

प्रश्न 13.
बनारस में उदय शंकर जी से लेखक की क्या बातचीत हुई?
उत्तर:
जब लेखक बिहार से चलकर बनारस हवाई अड्डे पर उतरा तो उसने लॉन में किसी को बैठा देखा। उसे देखकर लेखक की जो बातचीत हुई, वह इस प्रकार है-“क्षमा करें, क्या आप उदय शंकर हैं?”

“जी हाँ, आप मुझे पहचानते हैं?” जी, मैं भी एक छोटा-मोटा कलाकार ही हूँ। जिसे आप शरीर की भंगिमा द्वारा प्रकट करते हैं, उसे मैं कलम द्वारा उतारने की कोशिश करता हूँ।”

“अपने कला-केन्द्र के बारे में कुछ बता ………”
हाँ, सोच रहा हूँ, 1952 में उसे अल्मोड़ा के बदले देहरादून में खोलूँ। देहरादून बड़ी अच्छी जगह है।” मैने बताया लेखनीधारी का बेटा राइफलधारी बनने जा रहा है। “देश को उसकी भी जरूरत है। अच्छा किया है।”

प्रश्न 14.
भावार्थ स्पष्ट कीजिए-“ज्यों-ज्यों ऊँचे चढ़िए भेदभाव मिटते जाते हैं। सीमाएँ नष्ट होती जाती हैं, एकरूपता बढ़ती जाती है।”
उत्तर:
भावार्थ-लेखक कहता है कि ज्यों-ज्यों हम हवाई जहाज के द्वारा ऊपर आकाश की ओर बढ़ते जाते हैं, नीचे की सब वस्तुएँ एकसी दिखाई देने लगती हैं। इस यात्रा में सीमाएँ नष्ट होती जाती हैं और ऐसा लगता है कि सारा संसार, सारी पृथ्वी एक ही है।

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MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 11 यशस्वी पत्रकार दादा साहेब आप्टे

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 11 यशस्वी पत्रकार दादा साहेब आप्टे (संजय त्रिवेदी)

यशस्वी पत्रकार दादा साहेब आप्टे अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
दादा साहेब आप्टे ने किस समाचार एजेंसी की स्थापना की एवं उसका संचालन किया?
उत्तर:
तमाम भारतीय भाषाओं को एक सूत्र में बाँधने के उद्देश्य से दादा साहेब आप्टे ने सन् 1948 में एक बहुभाषी समाचार एजेंसी ‘हिंदुस्तान समाचार’ की स्थापना की और सफलतापूर्वक लम्बे समय तक उसका संचालन किया। उनके द्वारा स्थापित यह समाचार एजेंसी आज भी भारतीय पत्रकारिता की सेवा कर रही है।

प्रश्न 2.
दादा साहेब आप्टे का जन्म कहाँ हुआ?
उत्तर:
यशस्वी पत्रकार दादा साहेब आप्टे का जन्म सन् 1905 ई. में गुजरात के बड़ोदरा नामक नगर में हुआ था।

प्रश्न 3.
वकालत करते समय दादा साहेब की मुलाकाल किस महापुरुष से हुई थी?
उत्तर:
अपनी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा बड़ोदरा (गुजरात) में पूर्ण कर दादा साहेब आप्टे ने मुम्बई से एल-एल.बी. की परीक्षा उत्तीर्ण की और मुम्बई उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की। इसी दौरान आप्टे की मुलाकात उस समय के जाने-माने अधिवक्ता तथा भारतीय संस्कृति के विद्वान बैरिस्टर कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी से हुई। श्री आप्टे को मुंशी का मार्गदर्शन मिला तो उनकी प्रतिभा को चार चाँद लग गए।

प्रश्न 4.
किसने भारतीय भाषाओं की श्रीवृद्धि के लिए दादा साहेब आप्टे की सराहना की?
उत्तर:
भारतीय भाषाओं को एक सूत्र में पिरोने एवं उनकी श्रीवृद्धि के लिए दादा साहेब आप्टे ने अपना समूचा जीवन लगा दिया। इसके लिए उन्होंने 1948 में पहली स्वदेशी राष्ट्रीय समाचार एजेंसी ‘हिंदुस्तान समाचार’ की स्थापना की। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारतीय भाषाओं की श्रीवृद्धि के लिए किए जा रहे इस प्रयास की सरहना की। वास्तव में, भारतीय भाषाओं की इस समाचार एजेंसी को स्थापित कर श्री आप्टे. ने राष्ट्रीय एकता और सद्भावना पैदा करने का महत्वपूर्ण काम किया।

प्रश्न 5.
स्वतंत्र भारत की पहली स्वदेशी समाचार एजेंसी कौन-सी थी?
उत्तर:
स्वतंत्र भारत की पहली स्वदेशी समाचार एजेंसी ‘हिंदुस्तान समाचार’ थी। यशस्वी पत्रकार दादा साहेब आप्टे ने। तमाम भारतीय भाषाओं को एक सूत्र में बाँधने के उद्देश्य से सन् 1948 में इसकी स्थापना की थी।

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प्रश्न 6.
दादा साहेब ने पत्रकारिता की परम्पराओं और कार्य पद्धति को सीखने के लिए कहाँ काम किया?
उत्तर:
दादासाहेब आप्टे को प्रारम्भ से ही लेखन और पत्रकारिता में गहरी रुचि थी। इसलिए वे राष्ट्रसेवा में पत्रकारिता के माध्यम से योगदान करना चाहते थे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारिता की परम्पराओं ओर कार्यपद्धति को सीखने के लिए यूनाइटेड प्रेस ऑफ इण्डिया (यू.पी.आई.) में काम किया। वहाँ अनुभव प्राप्त करने के बाद श्री आप्टे ने ‘हिंदुस्तान समाचार’ नाम से भारतीय भाषाओं की संवाद समिति गठित की।

प्रश्न 7.
आप्टे जी ने हिंदी के किस प्रख्यात कवि की कृति का मराठी में अनुवाद किया?
उत्तर:
दादा साहेब आप्टे ने हिंदी के प्रख्यात कवि जयशंकर प्रसाद की चर्चित एवं लोकप्रिय कृति ‘कामायनी’ का मराठी में अनुवाद किया।

प्रश्न 8.
भारतीय संस्कृति और सभ्यता के लिए दादा साहेब ने लगभग कितने देशों की यात्राएँ की?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रचार के लिए दादा साहेब आप्टे ने विश्व के लगभग 22 देशों की यात्रा की।

प्रश्न 9.
दादासाहेब आप्टे किन-किन भाषाओं के जानकार थे?
उत्तर:
दादा साहेब आप्टे एक यशस्वी यायावर पत्रकार थे। वे हिंदी, मराठी, गुजराती, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा पर अपना अधिकार रखते थे।

प्रश्न 10.
दादा साहेब ने महाराष्ट्र के किस संत पर अंग्रेजी में शोध प्रबंध लिखा?
उत्तर:
दादा साहेब आप्टे ने महाराष्ट्र के सामाजिक जीवन में अत्यन्त लोकप्रिय और सम्मानित समर्थ गुरु रामदास के जीवन पर अंग्रेजी में शोध प्रबन्ध लिखकर उनके योगदान से विश्व मानवता को परिचित कराया।

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MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 10 जीवन दृष्टि

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 10 जीवन दृष्टि (लघु प्रसंग)

जीवन दृष्टि अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
विक्रम साराभाई कौन थे?
उत्तर:
विक्रम साराभाई एक महान् वैज्ञानिक थे। आपने राष्ट्रीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्थान (इसरो) की स्थापना की है।

प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार अच्छे पुरुष कौन होते हैं?
उत्तर:
लेखक के अनुसार अच्छे पुरुष उन सुन्दर फूलों के समान होते हैं जो अपनी उदारता से सुगंध और शहद देते हैं। बिना किसी चाह के प्रेम और सुन्दरता बाँटते हैं और जब अपना काम कर लेते हैं तो चुपचाप गिर जाते हैं। कहने का भाव यह है कि अच्छे पुरुष अपने कार्यों से समाज और देश में अच्छे जन उपयोगी कार्य करते हैं। इन कार्यों के करने में उनका कोई स्वार्थ नहीं होता है और जब वे अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं तो चुपचाप इस लोक से गमन कर जाते हैं।

प्रश्न 3.
विद्यालय के छात्रों को किस बात के लिए पुरस्कृत किया गया था?
उत्तर:
विद्यालय के छात्रों को उनके अच्छे आचरण एवं श्रेष्ठ चरित्र के लिए पुरस्कृत किया गया था।

प्रश्न 4.
बुढ़िया माँ कलकत्ता क्यों गई थी?
उत्तर:
बुढ़िया माँ कलकत्ता गंगा स्नान के लिए गयी थी।

प्रश्न 5.
कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश का नाम क्या था?
उत्तर:
कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश का नाम श्री गुरुदास वन्द्योपाध्याय था।

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प्रश्न 6.
‘इसरो’ की स्थापना कहाँ और कैसे हुई?
उत्तर:
‘इसरो’ की स्थापना पालीथुरा, थुम्बा (केरल) में महान वैज्ञानिक प्रो. विक्रम साराभाई के अथक प्रयासों से हुई थी।

प्रश्न 7.
विक्रम साराभाई किस बात पर शोध कर रहे थे?
उत्तर:
विक्रम साराभाई अन्तरिक्ष की किरणों पर शोध कर रहे थे। आप राष्ट्रीय अनुसन्धान संस्थान की स्थापना के लिए 400 एकड़ भूमि भूमध्य रेखा के पास चाहते थे।

प्रश्न 8.
‘संसार की स्थिति भी ऐसी ही है’ के माध्यम से किस स्थिति की बात कही गई है ?
उत्तर:
‘संसार की स्थिति भी ऐसी ही है’ के माध्यम से लेखक ने बताया है कि हम आपस में बिना दूसरे की भावना को समझे अकारण ही लड़ाई-झगड़ा किया करते हैं। हमें भाषा, जाति या देश के भेदभाव के कारण आपस में टकराना नहीं चाहिए अपितु परस्पर एक-दूसरे की भावना को समझकर प्रेम और शान्ति का वातावरण बनाना चाहिए।

प्रश्न 9.
न्यायाधीश अपने आसन से क्यों खड़े हो गये?
उत्तर:
न्यायाधीश श्री गुरुदास वन्द्योपाध्याय अपनी बूढ़ी धाय माँ (पालन करने वाली माँ) को न्यायालय कक्ष के दरवाजे पर खड़े देखकर अपने आसन से खड़े हो गये।

प्रश्न 10.
गुरुदास ने बुढ़िया माँ का परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर:
गुरुदास ने बुढ़िया माँ का परिचय देते हुए कहा कि ये मेरी माँ हैं, इन्होंने मुझे दूध पिलाकर पाला है।

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प्रश्न 11.
गुरुदास बुढ़िया माँ से किस प्रकार मिले?
उत्तर:
गुरुदास भूमि पर लेटकर उस बुढ़िया को दण्डवत् प्रणाम करके मिले।

प्रश्न 12.
धर्म और विज्ञान राष्ट्र उत्थान में सहयोगी हैं। प्रसंग के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धर्म और विज्ञान राष्ट्र उत्थान में शत-प्रतिशत सहयोगी हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमें ‘इसरो’ की स्थापना में मिलता है। जब विक्रम साराभाई राष्ट्रीय अनुसन्धान संस्थान (इसरो) की स्थापना के लिए भूमध्य रेखा के निकटवर्ती क्षेत्र की भूमि चाहते थे। उन्हें यह भूमि केरल राज्य के थुम्बा क्षेत्र में दिखाई दी। इस भूमि पर उस क्षेत्र के ईसाइयों तथा बिशप परेरा का आवास था। जब विक्रम साराभाई ने राष्ट्र के निर्माण के लिए इस भू-भाग (जो लगभ 400 एकड़ में था) को माँगा तो आदरणीय फादर डॉक्टर पीटर परेरा बिशप के विज्ञान को धर्म से जोड़कर यह भूमि सहर्ष ‘इसरो’ की स्थापना के लिए दान में दे दी।

प्रश्न 13.
ओछे और अच्छे पुरूषों की क्या पहचान है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ओछे लोग वे होते हैं जो सदैव अपने स्वार्थ की बातें करते हैं। वे कभी भी यह नहीं सोचते कि हमारे इन स्वार्थ पूर्ण कार्यों से अन्य व्यक्तियों, समाज और राष्ट्र को क्या हानि उठानी पड़ेगी।

इसके विपरीत जो अच्छे पुरूष होते हैं वे उस सुन्दर पुष्प के समान होते हैं जो अपनी सुगन्ध एवं मिठास रूपी सत्कार्यों से अन्य व्यक्तियों, समाज एवं राष्ट्र की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करते हैं। वे राष्ट्रहित में अपना सर्वस्व निछावर करने में भी गर्व का अनुभव करते हैं।

प्रश्न 14.
गुरुदास की कौन-सी विशेषता ने उन्हें महान् बनाया? समझाइए।
उत्तर:
गुरुदास एक नम्र, शीलवान, विद्वान एवं मातृभक्त इन्सान थे। वे कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति थे। अंग्रेजी काल में इतना सम्मान का पद पाने वाले वे प्रथम भारतीय थे। इतना ऊँचा पद पाकर भी अहंकार से दूर थे। जब उनकी निर्धन धाय माँ अपने भीगे वस्त्रों को पहने न्यायालय के कक्ष के दरवाजे पर आ जाती है तो वे अपनी कुर्सी छोड़कर उसे दण्डवत् प्रणाम करते हैं तथा कोर्ट के सभी काम बन्द करके उसे अपने घर ले जाते हैं तथा उसकी सेवा सुश्रूषा करते हैं। उपर्युक्त विशेषताओं के कारण गुरुदास वन्द्योपाध्याय महान् बन गये थे।

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MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 9 प्रेरणा दीप

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 9 प्रेरणा दीप (पौराणिक कथा संदर्भ, संकलित)

प्रेरणा दीप अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
रामायण के रचयिता कौन हैं?
उत्तर:
रामायण के रचयिता महर्षि बाल्मीकि हैं।

प्रश्न 2.
नदी के तट पर किस पक्षी का जोड़ा था?
उत्तर:
नदी के तट पर क्रौञ्ज पक्षी का जोड़ा था।

प्रश्न 3.
बाल्मीकि के शिष्य का नाम क्या था? बताइए।
उत्तर:
बाल्मीकि के शिष्य का नाम भारद्वाज था।

प्रश्न 4.
राम के वंश का नाम लिखिए।
उत्तर:
राम के वंश का नाम सूर्यवंशी इक्ष्वाकु था।

प्रश्न 5.
कौरव सेना के सेनानायक का नाम क्या था?
उत्तर:
कौरव सेना के सेनानायक का नाम भीष्म पितामह था।

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प्रश्न 6.
युधिष्ठिर कौरव की सेना में क्यों गये थे?
उत्तर:
युधिष्ठिर कौरव की सेना में भीष्म पितामह एवं अन्य गुरुजनों के चरण स्पर्श करने तथा उनसे आशीर्वाद लेने गये थे।

प्रश्न 7.
बाल्मीकि ने निषाद को क्या और क्यों अभिशाप दिया?
उत्तर:
बाल्मीकि ने निषाद को यह अभिशाप दिया कि “तू अब आने वाले समय में कभी भी प्रतिष्ठा (सम्मान) को प्राप्त नहीं कर सकेगा। क्योंकि तूने कामासक्त क्रौञ्ज के जोड़े में से नर क्रौञ्च का वध कर दिया है।”

प्रश्न 8.
बाल्मीकि को ध्यान के समय ब्रह्मा जी ने दर्शन देकर क्या कहा?
उत्तर:
बाल्मीकि जब ध्यान लगाकर बैठे हुए थे तभी सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी ने दर्शन देकर उनसे कहा-“ऋषिवर मेरी ही इच्छा वाणी अनायास आपके मुँह से निकली और श्लोक रूप में इसलिए निकली है कि आप अनुष्टुप् छन्दों में रामचन्द्र के सम्पूर्ण चरित्र का वर्णन कीजिए। श्रीराम कथा संक्षेप में आप नारदजी से सुन ही चुके हैं। मेरे राम, लक्ष्मण, सीता और राक्षसों का गुप्त अथवा सब वृत्तान्त आपकी आँखों के सामने आ जाएगा, होगा वह भी दिखाई पड़ेगा। अतः जो आप लिखे यथार्थ और सत्य होगा। इस प्रकार आपकी लिखित रामायण इस लोक में अमर हो जायेगी।”

प्रश्न 9.
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने विराट स्वरूप में क्या दिखलाया?
उत्तर:
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखलाया जिसे देखकर अर्जुन काँप उठे। उन्होंने देखा कि एक विशाल अग्नि-ज्वाला, जिसमें चारों ओर से कीड़े-मकोड़े आते हैं और समाकर भस्म हो जाते हैं। उसी तरह समस्त कौरव भी कृष्ण के मुख में समा रहे हैं। इसे देखकर अर्जुन का मोह भंग हो गया और उन्होंने भगवान कृष्ण की वन्दना की।

प्रश्न 10.
माता सत्यवती से भीष्म ने क्या प्रतिज्ञा की थी?
उत्तर:
माता सत्यवती से भीष्म ने प्रतिज्ञा की थी कि वे राजा के पक्ष में रहेंगे तथा उसी की ओर से युद्ध करेंगे। लेकिन धर्म और सत्य की सदैव विजय होती है अतः विजयी पाण्डव ही होंगे।

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प्रश्न 11.
तमसा नदी की प्राकृतिक सुन्दरता का वर्णन करो।
उत्तर:
तमसा नदी का प्राकृतिक सौन्दर्य बहुत मनोहारी था। इस समय बसन्त ऋतु का आगमन हो चुका था। नदी का जल अत्यन्त स्वच्छ एवं पवित्र था। यहाँ तक कि उसका तल भी स्पष्ट नजर आ रहा था। जल के किनारे पक्षी बैठे थे तथा उसमें मछलियाँ तैर रही थीं। नदी के किनारे हरे-भरे जंगल थे। कुछ पक्षी तो पेड़ों पर बैठे थे तथा कुछ नदी के किनारे। कुछ पक्षी नदी के जल में अपनी चोंच डुबोकर पानी पी रहे थे। इस प्रकार इस प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेते हुए पक्षी विचरण कर रहे थे।

प्रश्न 12.
नारद जी की वाणी याद आने पर बाल्मीकि ने नारद जी से क्या पूछा ? तथा नारद जी ने क्या उत्तर दिया? लिखिए।
उत्तर:
एक बार बाल्मीकि जी निषाद को दिये गये कठोर शाप की चिन्ता में मग्न थे कि उसी समय उन्हें नारद जी की वाणी याद आयी। उन्होंने नारद जी से पूछा था-“हे देवर्षि, मुझे किसी ऐसे पुरुष का नाम बताइये जो गुणवान, बलवान एवं धर्मात्मा हो, जो सत्य पर दृढ़ रहता हो, अपने वचन का पक्का हो, सबका हित करने वाला हो, विद्वान हो और जिससे बढ़कर सुन्दर कोई दूसरा न हो।”

इस प्रश्न को सुनकर नारदजी ने कहा था कि मैं ऐसे एक ही पुरूष को जानता हूँ। वे इक्ष्वाकु वंश के राजा दशरथ के पुत्र राम हैं। वे सब तरह से गुणवान और रूपवान हैं और जब क्रोध करते हैं तब डर के मारे देवता और दानव भी काँप उठते हैं।

प्रश्न 13.
श्रीकृष्ण का कर्मयोग संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर:
युद्ध क्षेत्र में जब अर्जुन ने देखा कि कौरव सेना तथा पाण्डव सेना दोनों में ही उनके आत्मीय एवं परिवारीजन हैं और वे दोनों ही एक-दूसरे को राज्य प्राप्ति के लिए मारने को उद्यत हैं तो अर्जुन दु:खी हो जाते हैं और अपना गाण्डीव धनुष रथ में एक तरफ रखकर रथ के पिछले भाग में बैठ जाते हैं।

जब श्रीकृष्ण ने अर्जुन की इस मोह ग्रसित दशा को देखा तो उन्होंने अपना विराट स्वरूप दिखाकर अर्जुन का मोह भंग किया तत्पश्चात् उन्होंने अर्जुन को कर्मयोग का उपदेश देते हुए कहा कि आत्मा अजर और अमर है। इसलिए हे अर्जुन! तुम शोक मत करो तथा युद्ध करो।

प्रश्न 14.
कुरुक्षेत्र में खड़ी सेनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कुरुक्षेत्र में ग्यारह अक्षौहिणी सेना कौरवों की ओर थीं ओर सात अक्षौहिणी सेना पाण्डवों की ओर थीं। दोनों सेनाएँ आमने-सामने व्यूह-रचना के तरीके से खड़ी थीं। कौरव सेना के प्रधान सेनापति भीष्म पितामह थे तथा पाण्डव सेना के आगे धनुर्धारी अर्जुन थे। अर्जुन के रथ का नाम नंदिघोष था जिसके सारथी स्वयं भगवान श्रीकृष्ण थे। कौरव सेना के सेनापति भीष्म पितामह के रथ के साथ ही रथी दुःशासन था तथा थोड़ी दूरी पर मुक्ताओं से जड़ित सुन्दर रथ पर कौरवराज दुर्योधन था। पास ही गुरू द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा थे। इस प्रकार कौरवों एवं पाण्डवों की अपार सेना एक अद्भुत रोमांचकारी दृश्य उपस्थित कर रही थी।

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MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 8 जीवन का झरना

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 8 जीवन का झरना (कविता, आरसी प्रसाद सिंह)

जीवन का झरना अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्झर किन गुणों के आधार पर आगे बढ़ता है?
उत्तर:
निर्झर अपनी निरन्तर गति और यौवन के गुणों के आधार पर आगे बढ़ता है। उसके जीवन में विपत्तियों से जूझने की क्षमता है।

प्रश्न 2.
निर्झर को किन-किन बाधाओं को पार करना पड़ता है?
उत्तर:
निर्झर को मार्ग में आने वाली चट्टानों एवं वृक्षों आदि की बाधाओं को पार करना पड़ता है।

प्रश्न 3.
निर्झर क्या कहता है?
उत्तर:
निर्झर कहता है कि निरन्तर बिना कोई चिन्ता किए आगे बढ़ते जाओ। मार्ग में चाहे कैसी भी विपत्ति आये उससे घबराओ मत अपितु उसका बहादुरी से मुकाबला करो।

प्रश्न 4.
जीवन रूपी निर्झर के दोनों किनारे कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
जीवन रूपी निर्झर के दो किनारे हैं-सुख और दुःख। जिस प्रकार दिन-रात का, लाभ-हानि का जोड़ा रहता है उसी प्रकार सुख-दुःख का भी जोड़ा रहता है। जब व्यक्ति के पुण्य उदय होते हैं तब वह सुख भोगता है और पाप के उदय होने पर दुःख भोगता है।

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प्रश्न 5.
निर्झर की सिर्फ एक ही धुन है, वह कौन सी हैं?
उत्तर:
निर्झर की सिर्फ एक ही धुन है, वह है निरन्तर चलने की और मस्ती में गाते हुए चलने की अर्थात् वह दुःख एवं विपत्ति की चिन्ता न करते हुए निरन्तर अपनी मस्ती के गीत गाते हुए विघ्न-बाधाओं को पार करते हुए निरन्तर चलता रहता है।

प्रश्न 6.
कविता के आधार पर मनुष्य कैसे बढ़ता है?
उत्तर:
कविता के आधार पर मनुष्य संघर्ष करता हुआ, विघ्न बाधाओं को पार करता हुआ बढ़ता है। जिस प्रकार झरना कठोर-से-कठोर चट्टानों को तोड़कर अपनी राह बनाता हुआ आगे बढ़ता जाता है उसी प्रकार मनुष्य को भी मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर भगाकर निरन्तर आगे-ही-आगे बढ़ते चला जाना चाहिए।

प्रश्न 7.
कविता के आधार पर निर्झर की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
कविता के आधार पर निर्झर की तीन विशेषताएँ इस प्रकार हैं-प्रथम विशेषता है सदैव मस्त रहना, द्वितीय विशेषता है यौवन जैसा जोश लेकर सदैव गतिशील बना रहना। मार्ग में चाहे जैसी भी बाधाएँ, (विपरीत परिस्थितियाँ) आएँ उनसे बिना विचलित हुए अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर आगे बढ़ते जाना और तृतीय विशेषता है कभी भी पीछे मुड़कर न देखना अर्थात् अतीत की यादों को याद कर व्यर्थ ही अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ न करना।

प्रश्न 8.
निर्झर को बाधाओं को पार करने के लिए क्या करना पड़ता है?
उत्तर:
निर्झर को मार्ग में आने वाली चट्टानों एवं वृक्षों को अपने सामने से हटाकर अपना मार्ग प्रशस्त करना पड़ता है। जीवन के उतार-चढ़ाव के समान ही कभी उसकी लहरें ऊपर चढ़ती हैं तो कभी नीचे गिरती हैं। इन संकटों से वह कभी भी विचलित न होकर निरन्तर आगे-ही-आगे बढ़ता जाता है।

प्रश्न 9.
निर्झर क्या कहना चाहता है और क्यों?
उत्तर:
निर्झर कहता है कि हमें विघ्न और विपत्तियों की चिन्ता न कर निरन्तर आगे बढ़ते जाना चाहिए। मार्ग में आने वाली बाधाओं को अपनी बहादुरी एवं सूझ-बूझ से दूर हटा दो और आगे ही आगे बढ़ते जाओ। पीछे मुड़कर अर्थात् अतीत को मत देखो क्योंकि उससे कुछ भी मिलने वाला नहीं है। निरन्तर आलस्य को त्यागकर हर क्षण अपने जीवन को गतिमान बनाये रखो क्योंकि गति ही जीवन है। जिस दिन व्यक्ति निष्क्रिय हो जाएगा उस दिन निर्जीव व्यक्ति के समान बन जाएगा और यह निष्क्रिता ही मरण का दूसरा नाम है।

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MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 6 सिपाही का पत्र

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 6 सिपाही का पत्र (कविता, शिवमंगल सिंह ‘सुमन’)

सिपाही का पत्र अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
सिपाही ने अपना पत्र किसको सम्बोधित करते हुए लिखा है?
उत्तर:
सिपाही ने अपना पत्र देशवासियों को सम्बोधित करते हुए लिखा है।

प्रश्न 2.
पंचायत का रेडियो किसका सहारा है?
उत्तर:
पंचायत का रेडियो सैनिक की माता का सहारा है।

प्रश्न 3.
सिपाही अपना पत्र कहाँ से लिख रहा है?
उत्तर:
सिपाही अपना पत्र गंगा, यमुना और ब्रहापुत्र के मुहाने से लिख रहा है। वह वहाँ अपने देश की सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात है।

प्रश्न 4.
सिपाही युद्ध को राम-राज के रूप में क्यों स्वीकार करता है?
उत्तर:
सिपाही युद्ध को राम-राज के रूप के रूप में इसलिए स्वीकार करता है क्योंकि वह जीवन मूल्यों तथा मानवता की रक्षा के लिए लड़ रहा है। उसका मानना है कि राम-काज की सिद्धि में यदि यह क्षणभंगुर शरीर चला भी जाए तो यह पुण्य का काम होगा।

प्रश्न 5.
अपनी माँ को विश्वास दिलाते हुए सिपाही क्या कहता है?
उत्तर:
अपनी माँ को विश्वास दिलाते हुए सिपाही कहता है कि हे माँ! तू धीरज मत खो। मेरे सिर पर तुम्हारे आशीषों की छाया है। मैं तुम्हारा ही नाम ले लेकर इन नरभक्षी दुष्टों से उलझ रहा हूँ। मैं तेरे दूध की शपथ खाकर कहता हूँ कि मैं वीरमाताओं के यश को कलंकित नहीं करूँगा और इन शत्रुओं को छठी का दूध याद दिला दूंगा। मैं जब भी युद्ध क्षेत्र से विजय प्राप्त कर लौहँगा तो अपने माथे पर तेरी चरणरज लगा-लगाकर आनन्दित हो उलूंगा। मैं किसी भी दशा में तेरी कोख को कलंकित नहीं होने दूंगा।

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प्रश्न 6.
सिपाही अपने बच्चों को क्या सिखाना चाहता है?
उत्तर:
सिपाही अपने बच्चों को यह सिखाना चाहता है कि वे अपने पिता की भाँति देशभक्त एवं कर्त्तव्यपरायण व्यक्ति बनें। नन्हें-मुन्ने आग से खेलना सीखें। वह उन बच्चों को वीरता, धैर्य एवं आत्म बलिदान का पाठ पढ़ाना चाहता है।

प्रश्न 7.
“ऐसा सौभाग्य बड़ी मुश्किल से मिलता है।”-इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऐसा सौभाग्य बड़ी मुश्किल से मिलता है-यह कथन कवि ने मातृभूमि की सुरक्षा में तैनात सिपाही की आन्तरिक भावनाओं को व्यक्त किया है। सिपाही का कथन है कि वह अपनी मातृभूमि की आजादी की सुरक्षा के लिए बलिदान होने का इच्छुक है। मातृभूमि उसकी माँ है और वह उसका पुत्र है।

सिपाही का कथन है कि देश की सेवा के लिए समर्पण करने का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही मिलता है। वह अपने बलिदान को कभी भी कलंकित नहीं होने देगा।

प्रश्न 8.
सिपाही अपनी उदास पत्नी के प्रति क्या भावना व्यक्त करता है?
उत्तर:
सिपाही अपनी उदास पत्नी के प्रति इस प्रकार की भावना व्यक्त करता है-“मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम बहुत दुर्बल हो रही हो। बार-बार हिचकी भरती हुई एवं पीपल के पत्ते के समान झकझोरी-सी लग रही हो।

मुझे यह कदापि उम्मीद नहीं थी कि तुम अपने मन में कायरता के भाव उत्पन्न करोगी। इस मंगलमय बेला में चण्डी का द्वार खोल उपासना में जुट जाओ। यह अकेला मेरा प्रश्न नहीं है यह तो राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न है। देश पर संकट आया हुआ है, ऐसे में देश हितार्थ अपना-अपना उत्सर्ग करने की सबमें होड़ लगी हुई है। तुम धैर्य धारण करो, अपनी सन्तानों को कर्तव्य निष्ठा एवं देश प्रेम का पाठ पढ़ाओ। बलिदान ही मानव का गौरव है। मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर है।

प्रश्न 9.
इस कविता के आधार पर युद्ध क्षेत्र का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
सीमा पार से शत्रु सेना ने देश पर आक्रमण कर दिया है। देश के वीर सैनिक सीमाओं की रक्षा के लिए बहुत ऊँचे दुर्गम पर्वतों पर अपनी जान की बाजी लगाकर शत्रु से संघर्ष कर रहे हैं। देश के सैनिकों का एकमात्र लक्ष्य अपने देश की सुरक्षा करना है। वे सरहदों पर रहकर न माँ की चिन्ता करते हैं, न पत्नी की और न बच्चों की। वे तो देश की रक्षा हेतु अपने प्राणों को बलिदान करने को तैयार हैं। वे यह मानते हैं कि युद्ध क्षेत्र में बलिदान देने से भारत माता की अनुपम सेवा होगी।

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MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 5 विश्व मन्दिर

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 5 विश्व मन्दिर (सामाजिक निबन्ध, वियोगी हरि)

विश्व मन्दिर अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक अपना विश्व मन्दिर कहाँ निर्मित करना चाहता है?
उत्तर:
लेखक अपना विश्व मन्दिर भारत की तपोभूमि पर ही निर्मित करना चाहता है।

प्रश्न 2.
परमेश्वर का महामन्दिर किसे कहा गया है?
उत्तर:
परमेश्वर का महामन्दिर इस समस्त विश्व को कहा गया है। यह समस्त विश्व उसी घट-घट व्यापी का घर है जब हम उसे अपने दिल के मन्दिर में बैठा लेंगे तो सर्वत्र हमें सुख शान्ति एवं आनन्द मिलेगा। उसके आने से अविद्या की अँधेरी रात समाप्त हो जाएगी और प्रेम का आलोक सर्वत्र बिखर जाएगा। यह महामन्दिर सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय होगा। यह महामन्दिर किसी एक धर्म सम्प्रदाय का न होकर सर्व धर्म सम्प्रदायों का समन्वय मन्दिर होगा।

प्रश्न 3.
विश्व मन्दिर हमें कब दिखाई देगा?
उत्तर:
यह विश्व मन्दिर हमें प्रेम के प्रकाश में दिखाई देगा।

प्रश्न 4.
समन्वय मन्दिर किसके लिए होगा?
उत्तर:
समन्वय मन्दिर सभी धर्म एवं सम्प्रदायों के लिए होगा। यह किसी विशेष धर्म या सम्प्रदाय के लिए नहीं होगा।

प्रश्न 5.
विश्व मन्दिर की दीवारों पर किन-किन धर्म ग्रन्थों के महावाक्य खुदे होंगे? धर्म ग्रन्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्व मन्दिर की दीवारों पर वेद के मन्त्र, कुरान की आयतें, अवेस्ता की गाथाएँ, बौधों के सुत्त, इंजील के सरमन, कन्फ्यू शियस के सुवचन, कबीर के सबद और सूर के भजन आप उस मन्दिर की पवित्र दीवारों पर पढ़ सकेंगे।

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प्रश्न 6.
इस काल्पनिक विश्व मन्दिर में “मैं-तू न होगा।” इस वाक्य का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त कथन का भाव यह है कि उस काल्पनिक विश्व मन्दिर में साधकगण लोक सेवा एवं विश्व प्रेम का प्रचार-प्रसार करेंगे। धार्मिक झगड़े से ऊबे हुए या घबराये हुए शान्ति प्रिय साधक वहाँ बैठकर दिव्य प्रेम की साधना किया करेंगे। उस मन्दिर में ‘मैं’ और ‘तू’ का झगड़ा नहीं होगा। वहाँ तो वही एक प्रभु होगा जो सबका होगा।

प्रश्न 7.
काल्पनिक विश्व मन्दिर के भव्य और दिव्य रूप को देखकर विपक्षियों के मन में कौन-से भाव जाग्रत होंगे?
उत्तर:
काल्पनिक विश्व मन्दिर के भव्य और दिव्य रूप को देखकर विपक्षियों के मन में प्रेम एवं सत्य की भावनाएँ जन्म लेंगी। चारों ओर स्नेह ही स्नेह होगा। सभी एक साथ मिलकर स्नेह का प्रसाद वितरित कर रहे होंगे। विपक्षियों का भी प्रवेश मन्दिर में वर्जित नहीं होगा।

प्रश्न 8.
समन्वय मन्दिर में बैठकर लोग क्या करेंगे?
उत्तर:
समन्वय मन्दिर में किसी विशेष धर्म या सम्प्रदाय का प्रवेश न होगा अपितु वहाँ तो सर्वधर्म सम्प्रदायों के लोगों का वास रहेगा। वह सबके लिए होगा, सबका होगा। यहाँ बैठकर लोग सत्य, प्रेम एवं करुणा का सन्देश दुनिया को सुनायेंगे। उसमें आपसी मन-मुटाव तथा तू-तू, मैं-मैं का झगड़ा नहीं होगा।

प्रश्न 9.
विश्व मन्दिर पाठ का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
‘विश्व मन्दिर’ पाठ का प्रमुख उद्देश्य है कि समस्त विश्व में धर्म, जाति देश एवं दिशा के आधार पर भेद-भाव को समाप्त करके सर्वत्र एकता, सहानुभूति एवं सह-अस्तित्व की भावना को जाग्रत करना है। इसी बन्धुत्व भाव से रहते हुए हमें जगत् पिता के दर्शन हो जाएँगे।

प्रश्न 10.
लेखक ने काल्पनिक विश्व मन्दिर के निर्माण की कल्पना किस उद्देश्य से की है? लिखिए।
उत्तर:
लेखक ने काल्पनिक विश्व मन्दिर के निर्माण की कल्पना सब धर्म एवं सम्प्रदायों में आपसी सहमति एवं सहृदयता जगाने की भावना से की है। उसकी दीवारों पर संसार के सभी प्रचलित धर्म ग्रन्थों के समन्वय सूचक महावाक्य दीवारों पर खुदे होंगे। किसी भी धर्मवाक्य में भेद न दिखाई देगा। सबका एक ही लक्ष्य एक ही मतलब होगा। उसकी दीवारों पर खुदे हुए प्रेम मन्त्र मानवों के मन से संशय और भ्रम का पर्दा उठायेंगे तथा उनसे अनेकता में एकता की झलक दिखाई देगी।

प्रश्न 11.
विश्व मन्दिर की स्थापना की आवश्यकता लेखक क्यों अनुभव करता है?
उत्तर:
विश्व मन्दिर की स्थापना की आवश्यकता लेखक इसलिए अनुभव करता है क्योंकि इससे यह समस्या समाप्त हो जाएगी कि यह राम का निवास स्थल है या नहीं। ईश्वर की सार्वभौमिकता प्रश्नों की परिधि से बाहर रहेगी। सर्वसामान्य के हितों की रक्षा हो पाएगी। इसकी स्थापना से संशय, नास्तिकता एवं भेदभाव की भावना समाप्त हो जाएगी। इसमें सभी धर्म, वर्ण एवं जातियों के लोग प्रवेश पाने में समर्थ होंगे। इसमें पापी-पुण्यात्मा तथा ऊँचा-नीच का भेद नहीं होगा।

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MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 4 वैद्यराज जीवक

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 4 वैद्यराज जीवक (वैज्ञानिक निबन्ध, घनश्याम ओझा)

वैद्यराज जीवक अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवक किस शास्त्र के विद्वान थे?
उत्तर:
जीवक आयुर्वेदिक चिकित्साशास्त्र के विद्वान थे।

प्रश्न 2.
जीवक के मन में किनके दर्शन की इच्छा थी?
उत्तर:
जीवक के मन में बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध के दर्शन की इच्छा थी।

प्रश्न 3.
राजकुमार अभय के प्रति जीवक ने अपनी कृतज्ञता कैसे व्यक्त की?
उत्तर:
अयोध्या नगरी में एक सेठ की बीमार पत्नी के सफल इलाज के फलस्वरूप सेठ द्वारा जीवक को सहस्र स्वर्ण मुद्राएँ दी गयीं। राजगृह पहुँचकर जीवक ने अपने प्रतिपालक राजकुमार अभय को सेठ द्वारा दी गयी सारी स्वर्ण मुद्राएँ देकर कृतज्ञता ज्ञापित की।

प्रश्न 4.
अवंती नरेश से तेज चलने वाला हाथी माँगने के पीछे जीवक का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
अवन्ती नरेश पीलिया रोग से पीड़ित थे और इस रोग का इलाज गाय के घी के सेवन से ही हो सकता था पर अवन्ती नरेश को घी से उल्टी आती थी। बिना घी के सेवन के उपचार नहीं हो सकता था। जीवक इसी समस्या से उलझे हुए थे तभी उन्होंने अवन्ती नरेश से तेज चलने वाला हाथी माँगा। हाथी मिल जाने पर जीवक ने घी के साथ राजा को औषधि देने का ऐसा समय बताया जबकि वे हाथी पर सवार होकर अवन्ती राज्य की सीमा पार कर चुके होते। यदि दवाई का अनुकूल प्रभाव उनकी उपस्थिति में न होता तो उन्हें दण्ड का भागी होना पड़ता। इसी भय से उन्होंने राजा से तेज गति से चलने वाला हाथी माँगा।।

प्रश्न 5.
जीवक के खाली हाथ लौटने पर भी आचार्य ने उन्हें परीक्षा में उत्तीर्ण क्यों कहा?
उत्तर:
तक्षशिला के आचार्य ने जीवक की परीक्षा लेने के लिए यह प्रश्न दिया था कि वत्स संसार में ऐसी किसी वनस्पति को खोजो जिसमें औषधीय गुण न हो। जीवक ने अनेक दिनों तक अथक परिश्रम किया पर उसे एक भी वनस्पति ऐसी न मिली जिसमें औषधीय गुण न हों। यद्यपि जीवक अपने आचार्य के प्रश्न का उत्तर नहीं ढूँढ़ सका था। पर फिर भी आचार्य ने उसे परीक्षा में उत्तीर्ण कह दिया। क्योंकि आचार्य जी जानते थे कि मेरे द्वारा प्रस्तुत किया गया प्रश्न वास्तव में गलत था।

प्रश्न 6.
जीवक ने कौन-सा संकल्प लिया था?
उत्तर:
जीवक ने यह संकल्प लिया था कि वे कठिन परिश्रम और तप से योग्यता हासिल करेंगे तथा कभी भी किसी पर आश्रित बनकर नहीं रहेंगे और अपनी सामर्थ्य के अनुसार सबकी सहायता करेंगे।

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प्रश्न 7.
सम्राट बिम्बसार के पुत्र ने ‘जीवक’ नाम क्यों दिया?
उत्तर:
महाराज बिम्बसार के पुत्र राजकुमार ‘अभय’ को यह नवजात शिशु एक मिट्टी के ढेर पर पड़ा हुआ मिला था। इतनी विषम परिस्थिति में भी वह जीवित था इसलिए उसका नाम ‘जीवक’ रख दिया गया।

प्रश्न 8.
आचार्य द्वारा जीवक को विदा करते समय कौन-सी सीख दी गई थी? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
जीवक को जब कोई भी वनस्पति औषधीय गुणों से हीन नहीं दिखाई दी तथा सभी में उन्हें सजीवता के दर्शन हुए तो इस बात से प्रसन्न होकर तक्षशिला के आचार्य ने उसे उसकी अन्तिम परीक्षा में उत्तीर्ण कर दिया तथा उसे आशीर्वाद दिया। जीवक को विदाई देते समय आचार्य ने उन्हें शिक्षा दी कि तुम्हें ऋग्वेद में जो रोग एवं उनके उपचार बताए हैं, उन्हें तुम्हें आगे बढ़ाना है। भारद्वाज, अत्रेय, धन्वंतरि, चरक एवं सुश्रुत आदि आचार्यों ने इस कार्य को आगे बढ़ाया है। इन सभी ने वनस्पतियों में भी प्राणियों के समान जीवन माना है। अत: इसी कार्य को तुम्हें और आगे बढ़ाना है। यह कहकर आचार्य चुप हो गये। यह उपदेश सुनकर जीवक बहुत प्रसन्न हुआ।

प्रश्न 9.
जीवक द्वारा किन-किन रोगियों की चिकित्सा की गयी? विवरण दीजिए।
उल्लर:
अपने आचार्य से दीक्षा प्राप्त करके तथा उनसे विदा लेकर जीवक राजगृह लौट आये। राजगृह वापस आने के बाद जीवक ने दो असाध्य रोगियों को शल्य क्रिया द्वारा स्वस्थ बनाया। उन्होंने एक युवक के पेट की शल्य क्रिया करके उसकी उलझी हुई आँतों की गाँठे खोलकर तथा पुनः सिलाई करके औषधि का लेप लगाया। दूसरी शल्य क्रिया एक सेठ के मस्तिष्क की करके उसे नया जीवन प्रदान किया था।

अयोध्या नगरी में सात वर्षों से सिर की पीड़ा से तड़प रही नगर सेठ की पत्नी का बिना शल्य क्रिया के ही उपचार कर दिया था। इसी भाँति उन्होंने अवंती नरेश चंदप्रद्योत के पीलिया रोग का इलाज किया था।

प्रश्न 10.
जीवक को ऐसा क्यों लगा कि वे भगवान बुद्ध के कृपापात्र बन गये हैं?
उत्तर:
आयुर्वेद का पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर जीवक वैद्य बहुत सन्तुष्ट थे पर वे उस युग के महान् धर्म प्रवर्तक भगवान बुद्ध के दर्शन करना चाहते थे। संयोग से उन्हें भगवान बुद्ध की चिकित्सा का अवसर प्राप्त हो गया। भगवान बुद्ध के पाँव में धारदार पत्थर से चोट लग गई थी। इससे पाँव से खून बहने लगा था। जीवक ने औषधियों का लेप करके पैर पर पट्टी बाँध दी। लेकिन पट्टी के एक निश्चित सीमा के बाद खोलने का उन्हें ध्यान नहीं रहा। इससे वे बड़े दुःखी हुए।

इधर भगवान बुद्ध ने जीवक के मन की बात जानकर स्वयं पट्टी खोल दी थी। भगवान बुद्ध से सुबह भेंट होने पर भगवान ने जीवक को स्वयं ही बताया कि “जीवक जब तुम मेरी पट्टी खोलने के लिए चिंतित हो रहे थे, तभी मैंने उस पट्टी को खोल दिया था।” जीवक ने आश्चर्य से भगवान बुद्ध की ओर देखा और वे उनके चरणों में नतमस्तक हो गये। उन्हें यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि भगवान बुद्ध ने उनके मन को अपने मन से जोड़ लिया है, वे उनके कृपापात्र बन चुके हैं।

प्रश्न 11.
सेठ के मस्तिष्क की शल्य क्रिया करने के पूर्व जीवक ने क्या शर्त रखी?
उत्तर:
सेठ के मस्तिष्क की शल्य क्रिया करने से पूर्व जीवक ने एक शर्त रखी थी कि तुम्हें इक्कीस महीने तक बिस्तर पर लेटना होगा। सात महीने दाईं तरफ, सात महीने बाईं तरफ और सात महीने सीधे।

पर सेठ सात महीने के स्थान पर सात दिन भी एक तरफ नहीं लेट पाया तो जीवक ने सात, सात दिन में ही उसे करवटें बदलवा कर स्वस्थ कर दिया था। उन्होंने सेठ से कहा कि मैं आपको केवल इक्कीस दिन ही विश्राम देना चाहता था लेकिन आपके धैर्य की कमी को देखकर मैंने इक्कीस दिनों को इक्कीस महीने बताया था।

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MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 3 हल्दीघाटी

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 3 हल्दीघाटी (कविता, श्यामनारायण पाण्डेय)

हल्दीघाटी अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
चेतक को प्रलय मेघ-सा क्यों कहा गया है?
उत्तर:
चेतक को प्रलय मेघ-सा इसलिए कहा गया है क्योंकि वह रणभूमि में शत्रु सेना पर प्रलय काल के मेघ के समान भयंकरता से टूट पड़ता था।

प्रश्न 2.
राणा प्रताप की तलवार को किसके समान कहा गया है?
उत्तर:
राणा प्रताप की तलवार को विषयुक्त नागिन, विद्युत् एवं जिह्वा निकाले हुए चण्डी के समान कहा गया है।

प्रश्न 3.
अजब विषैली नागिन किसे कहा गया है?
उत्तर:
अजब विषैली नागिन राणा प्रताप की तलवार को कहा गया है।

प्रश्न 4.
मानसिंह के हाथी की कमर क्यों झुक गई?
उत्तर:
मानसिंह ने राणा प्रताप के ऊपर भाले से प्रहार करना चाहा तभी राणा प्रताप ने उस प्रहार को थाम कर इस तरह का झटका दिया कि हाथी की भी कमर झुक गई।

प्रश्न 5.
अम्बर कलंक किसे और क्यों कहा गया है?
उत्तर:
अम्बर कलंक का अर्थ होता है आकाश को कलंकित करने वाला। अम्बर कलंक मानसिंह को कहा गया है क्योंकि मानसिंह ने मेवाड़ पर आक्रमण करने का षड्यंत्र रचा था। अकबर तो राणा प्रताप के शौर्य एवं रणकौशल से भयभीत था। लेकिन मानसिंह के उकसाने पर और उसी के नेतृत्व में हल्दी घाटी पर आक्रमण किया गया। मेवाड़ की धरती के आकाश को कलंकित करने के कारण ही मानसिंह को अम्बर कलंक कहा गया है।

प्रश्न 6.
‘तो फिर लड़ ले भाला लेकर’ यह किसने, किससे कहा?
उत्तर:
‘तो फिर लड़ ले भाला लेकर’ यह कथन राणा प्रताप ने मानसिंह से कहा।

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प्रश्न 7.
प्रताप के भाले के वार से मानसिंह कैसे बचा? उसके बदले में कौन मारा गया?
उत्तर:
प्रताप के भाले के वार से मानसिंह हौंदे के तल में छिपकर बच सका पर भाले के वार से हाथी का चालक पीलवान मारा गया।

प्रश्न 8.
हल्दी घाटी कहाँ स्थित है और क्यों प्रसिद्ध है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हल्दी घाटी अरावली पर्वत श्रेणियों के मध्य स्थित है। इस क्षेत्र में अकबर द्वारा भेजी गयी सेना ने मानसिंह के नेतृत्व में हमला किया। यह युद्ध एक भयनाक युद्ध था। अकबर, राणा प्रताप की शक्ति से डरता था पर मानसिंह के उकसाने पर उसने युद्ध किया। इस युद्ध में अकबर की सेना का बहुत नुकसान हुआ। महाराणा प्रताप सैनिकों की कमी के कारण युद्ध तो नहीं जीत पाये पर उन्होंने हार कभी भी स्वीकार नहीं की। भामाशाह से धन की मदद मिलने पर उन्होंने अपनी सेना को फिर इकट्ठा किया और वे देश की स्वतंत्रता के लिए जंगल-जंगल भटकते फिरे पर अपनी प्रतिज्ञा से पीछे नहीं हटे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में राणा प्रताप का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ है।

प्रश्न 9.
चेतक के शौर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक अत्यन्त तीव्र गति से दौड़ता था। वह दौड़ने में हवा को कभी को भी मात देता था। उसको चलाने के लिए चाबुक का प्रयोग नहीं किया जाता था। वह तो इशारे में ही उड़ जाता था। वह शत्रुओं को रौंदता हुआ युद्ध क्षेत्र से निकल जाता था। चौकड़ी भरते समय वह आकाश में उड़ने लगता था। तलवारों के युद्ध में भी वह बिना किसी डर के सरपट दौड़ जाता था।

वह शत्रु सेना पर प्रलय काल के बादलों के समान आक्रमण करता था। वह हाथी के मस्तक पर अपने आगे के दोनों पैर गड़ाकर उन्हें रोक देता था।

प्रश्न 10.
राणा प्रताप के युद्ध कौशल व वीरोचित व्यवहार का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
राणा प्रताप एक महान वीर योद्धा था। वह शत्रुओं से जरा भी नहीं डरता था। राणा प्रताप युद्धक्षेत्र में शत्रुओं के सिरों को एक झटके में काट डालता था। जब भी राणा का आक्रमण होता था शत्रुदल में आतंक मच जाता था और वे इधर-उधर बचने के लिए भागने लग जाते थे। उसकी तलवार शत्रुओं के सिर काट-काटकर लहराती रहती थी। उसकी तलवार को देखकर ऐसा लगता था मानो रणचण्डी अपनी जीभ पसार कर खून पीने के लिए व्याकुल हो रही है।

महान् योद्धा होते हुए भी वीरोचित व्यवहार शत्रु से भी करता था। जब प्रताप के प्रहार से मानसिंह का भाला टूट गया था। वह चाहता तो इस मौके का लाभ उठाकर मानसिंह का वध कर सकता था पर उसने ऐसा नहीं किया अपितु मानसिंह से पुनः भाला हाथ में लेने को कहा। जब मानसिंह ने दुबारा भाला ले लिया तो राणा प्रताप ने हँसकर कहा-हे मानसिंह अब तू बस कर युद्ध हो चुका। अब यदि तू अपनी खैर चाहता है तो अपनी जान बचाकर यहाँ से भाग जा। जब मानसिंह नहीं माना तो राणा ने ऐसा भीषण प्रहार किया कि हाथी का हौदा टूट गया और मानसिंह ने उसमें छिपकर अपनी जान बचाई लेकिन दूसरे ही क्षण राणा के प्रहार से पीलवान की मौत हो गई। इस प्रकार हम देखते हैं कि राणा जहाँ महान् योद्धा था वहीं वह शत्रु के निशस्त्र होने पर उस पर वार नहीं करता था।

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MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 2 पुस्तक

MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 2 पुस्तक (आत्मकथा, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी)

पुस्तक अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य पुस्तकों से कौन-कौन-से गुण अर्जित करता है?
उत्तर:
मनुष्य पुस्तकों से सदाचार, प्रेम, करुणा, परोपकार तथा न्याय आदि मानवीय गुण अर्जित करता है।

प्रश्न 2.
सत् साहित्य की रचना कब होती है?
उत्तर:
जब कवि का विवेक या ज्ञान उल्लास का रूप धारण करता है तभी सत् साहित्य की रचना होती है।

प्रश्न 3.
इस पाठ में वर्णित दो महाकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
इस पाठ में लेखक ने तुलसीकृत रामचरितमानस और महाकवि व्यास रचित ‘महाभारत’ महाकाव्यों की चर्चा की है।

प्रश्न 4.
चिरन्तन आनन्द और गौरव किसमें निहित है?
उत्तर:
चिरन्तन आनन्द और गौरव सत् साहित्य में निहित है। जब कवि का विवेक आनन्द का रूप ग्रहण करता है, तब सत् साहित्य का निर्माण होता है।

प्रश्न 5.
मुझमें किसी दूसरे की आत्मा निवास करती है से क्या आशय है? समझाइए।
उत्तर:
‘मुझमें किसी दूसरे की आत्मा निवास करती है’ से यह आशय है कि एक पुस्तक की रचना में रचनाकार की साधना ही प्रमुख तथा अपूर्व प्रकाश सम्पन्न होती है। उसके अन्तर्गत उल्लास, सुख, सुषमा, शौर्य, आतंक एवं विस्मय जब किसी रचनाकार के हृदय स्थल में रसरूप में परिणत होते हैं, तभी पुस्तक की रचना होती है। वास्तव में पुस्तक में लेखक की आत्मा का प्रकाश ही निहित होता है।

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प्रश्न 6.
‘किताब का यथार्थ मूल्य’ किसमें निहित है?
उत्तर:
किताब का यथार्थ मूल्य तो पुस्तक में निहित ज्ञान में होता है। ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। किताब एक अमूल्य कोश है। पुस्तक रचनाकार के आनन्द का स्रोत है। वास्तव में किताब का यथार्थ मूल्य रचनाकार के यश, गौरवपूर्ण चिन्तन और उल्लास में होता है जिसका रसास्वादन पाठक किया करते हैं।

प्रश्न 7.
व्यक्ति द्वारा किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य किए जाते हैं?
उत्तर:
जीवन निर्वाह के लिए धन की आवश्यकता होती है। अतः व्यक्ति द्वारा किसी-न-किसी रूप में इसी अर्थसिद्धि के लिए अर्थात् उद्देश्य की पूर्ति के लिए काम करना पड़ता है।

प्रश्न 8.
पुस्तक एक निष्प्राण ग्रंथ क्यों नहीं है?
उत्तर:
पुस्तक एक निष्प्राण ग्रंथ नहीं हो सकती क्योंकि उसमें कवि/लेखक की आत्मा का प्रकाश समाया हुआ है। पुस्तक में कवि/लेखक का ज्ञान, अनुभव एवं अध्यवसाय समाया रहता है। इन्हीं गुणों को धारण कर मानव सच्चा मानव बनता है। वह समाज एवं मानवता को सन्मार्ग पर ले जाता है जिससे जीवन में समरसता और आनन्द की वर्षा होती है।

प्रश्न 9.
संसार में सफलता की कसौटी क्या है?
उत्तर:
संसार में जब ज्ञान आनन्द के रूप में प्रतिष्ठित होता है तब सत् साहित्य का निर्माण होता है। इसके विपरीत जब वह व्यवसाय के रूप में परिणत हो जाता है तब वह लाभ-हानि एवं लेन-देन का एक उपकरण मात्र रह जाता है। सामान्यतः अपनी इच्छा की पूर्ति को ही मानव सफलता की कसौटी मानता है लेकिन यह भावना चिरस्थायी नहीं है। यदि हममें आत्मबल है, दृढ़ संकल्प है तो हमारा कोई काम असफल नहीं होगा। अतः संसार में सफलता की कसौटी प्राप्त करने के लिए हमें इन गुणों का संचय अपने में करना चाहिए।

प्रश्न 10.
जिन्हें केवल उदरपूर्ति की चिन्ता रहती है वे किस महत्व को नहीं जानते?
उत्तर:
जिन्हें केवल उदरपूर्ति की चिन्ता रहती है वे ज्ञान के गौरव के महत्त्व को नहीं जानते हैं। जो ज्ञान के महत्त्व को नहीं जानते वे न सत् साहित्य की महिमा को जानते हैं और न विज्ञान की शक्ति को।

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