MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 10 मध्यकालीन भारत
MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 पाठान्त अभ्यास
MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
सही विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
महमूद गजनवी कहाँ का शासक था?
(i) मुल्तान
(ii) मुहम्मद गौरी
(iii) बहमनी
(iv) मुहम्मद तुगलक।
उत्तर:
(ii) मुहम्मद गौरी
प्रश्न 2.
गुलाम वंश का संस्थापक कौन था? (2008,09)
(i) इल्तुतमिश
(ii) गजनी
(iii) कुतुबुद्दीन ऐबक
(iv) ईराक।
उत्तर:
(iii) कुतुबुद्दीन ऐबक
प्रश्न 3.
सन् 1266 ई. में दिल्ली सल्तनत की सत्ता किसने सँभाली?
(i) इल्तुतमिश
(ii) रजिया
(iii) कुतुबुद्दीन ऐबक
(iv) बलबन।
उत्तर:
(iv) बलबन।
प्रश्न 4.
तराइन के प्रथम युद्ध में गौरी को किसने घायल किया?
(i) पृथ्वीराज
(ii) कृष्णराय
(iii) गोविन्दराज
(iv) दीपकराज।
उत्तर:
(i) पृथ्वीराज
प्रश्न 5.
हरिहर-बुक्का ने किस नगर की स्थापना की?
(i) बहमनी साम्राज्य
(ii) विजय नगर साम्राज्य
(iii) दिल्ली सल्तनत
(iv) मोहम्मद नगर।
उत्तर:
(ii) विजय नगर साम्राज्य
प्रश्न 6.
अफजल खाँ का वध किसने किया?
(i) शिवाजी
(ii) राजाराम
(iii) शाहू
(iv) ताराबाई।
उत्तर:
(i) शिवाजी
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
- प्राचीन चोल शासकों का वर्णन …………. में किया गया है।
- परमार वंश का संस्थापक …………. था। (2018)
- महमूद गजनवी ने भारत पर कुल ………… बार आक्रमण किये।
- बलवन ने शासन संचालन के लिये ……….. नीति का अनुसरण किया था।
उत्तर:
- संगम साहित्य
- उपेन्द्रराज
- 17
- लौह और रक्त।
सत्य असत्य
प्रश्न 1.
शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई था।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 2.
हल्दीघाटी का युद्ध अकबर और रानी दुर्गावती के बीच हुआ था।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 3.
जहाँगीर के बाद शाहजहाँ सम्राट बना।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
हुमायूँ बाबर का बड़ा पुत्र था।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 5.
कृष्णदेव राय ने जांबवती कल्याण ग्रन्थ की रचना की थी।
उत्तर:
सत्य।
MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
महमूद गजनवी ने भारत पर कितने आक्रमण किये?
उत्तर:
महमूद गजनवी ने भारत पर कुल 17 बार आक्रमण किये।
प्रश्न 2.
भारत में मुगल साम्राज्य की नींव किसने डाली थी?
अथवा
भारत में मुगल साम्राज्य की नींव किसने और किस परिस्थिति में डाली ? (2010)
उत्तर:
भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखने वाला बाबर था जो मध्य एशिया के राज्य फरगाना के शासक का पुत्र एवं तैमूर का वंशज था। बाबर के आक्रमण के समय उत्तरी-दक्षिणी भारत में राजनीतिक अस्थिरता थी। आपसी फूट, संघर्ष एवं षडयंत्र का बोलबाला था। इस राजनीतिक अव्यवस्था का बाबर ने पूरा लाभ उठाया।
प्रश्न 3.
विजयनगर की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
विजयनगर की स्थापना का श्रेय हरिहर तथा बुक्का नामक दो भाइयों को दिया जाता है।
प्रश्न 4.
बहमनी साम्राज्य का संस्थापक कौन था?
उत्तर:
बहमनी राज्य की स्थापना हसन जफर खाँ (बहमनशाह) ने 1347 ई. में की थी।
प्रश्न 5.
दीन-ए-इलाही धर्म किसने चलाया था?
उत्तर:
अकबर ने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक धर्म का प्रचलन किया था। ‘दीन’ का अर्थ है-धर्म तथा ‘इलाही’ का अर्थ है-ईश्वर। इस प्रकार दीन-ए-इलाही का अर्थ हुआ ‘ईश्वर का धर्म’।
प्रश्न 6.
गुरु गोविन्दसिंह कौन थे?
उत्तर:
गुरु गोविन्दसिंह सिक्खों के दसवें एवं अन्तिम गुरु थे। इन्होंने 1699 ई. में खालसा नामक एक संगठन की स्थापना की थी।
MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इल्तुतमिश कौन था? उसने कठिनाइयों पर कैसे विजय प्राप्त की ? (2008, 09)
उत्तर:
इल्तुतमिश इलबारी कबीले का तुर्क था। बाल्यकाल में ही उसके ईर्ष्यालु भाइयों ने उसे दास के रूप में जमालुद्दीन नामक व्यापारी के हाथ बेच दिया था। जमालुद्दीन उसको गजनी से दिल्ली लाया। इल्तुतमिश के गुणों से प्रभावित होकर कुतुबुद्दीन ऐबक ने उसे जमालुद्दीन से खरीद लिया। पहले उसे ऐबक ने ग्वालियर का गवर्नर नियुक्त किया तथा कुछ काल के पश्चात् ‘बरन’ का शासक बनाया गया। कुतुबुद्दीन उसके गुणों से पहले ही बहुत प्रभावित हो चुका था। अतः अपनी पुत्री का विवाह उसके साथ कर उसे बदायूँ का सूबेदार नियुक्त कर दिया। कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के पश्चात् इल्तुतमिश आरामशाह को पराजित कर 1211 ई. में दिल्ली का सुल्तान बना। अपनी प्रतिभा तथा योग्यता से उसने लगभग 25 वर्षों तक शासन कर दिल्ली सल्तनत को शक्तिशाली बनाया।
इल्तुतमिश ने अपनी कठिनाइयों का समाधान निम्न प्रकार से किया –
- चालीस मण्डल का गठन :
इल्तुतमिश ने अपने विरोधियों का दमन करने के लिए तथा अपनी स्थिति को दृढ़ करने के लिए अपने प्रति निष्ठावान् चालीस अमीरों का दल बनाया तथा उन्हें प्रशासन के मुख्य पदों पर नियुक्त किया। - यल्दौज का दमन :
यल्दौज गजनी का सुल्तान था। इल्तुतमिश ने तराइन के मैदान में यल्दौज से युद्ध कर उसे पराजित किया। - कुबाचा का दमन :
इल्तुतमिश ने 1227 ई. में कुबाचा पर आक्रमण किया तथा उसे पराजित कर अपनी अधीनता में किया।
प्रश्न 2.
अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था क्या थी ? (2008, 09, 13, 15, 18)
उत्तर:
अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियन्त्रण व्यवस्था सैनिक सुधारों से सम्बन्धित थी। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य था ऐसी बाजार व्यवस्था करना जिससे कम वेतन पर भी सैनिक सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें। इस व्यवस्था का लाभ दिल्ली की जनता को भी मिला। अलाउद्दीन ने राशनिंग व्यवस्था भी क्रियान्वित की थी। मौसम के अचानक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए उसने शासकीय अन्न भण्डार बनाये थे। उसने वस्तुओं के मूल्यों का निर्धारण मनमाने ढंग से न कर उत्पादन लागत के अनुसार करवाया था। बरनी ने अपने ग्रन्थ ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ में बाजार नियन्त्रण व्यवस्था का विस्तृत विवरण व वस्तुओं के मूल्य की सूची दी है।
प्रश्न 3.
तुगलक वंश ने दिल्ली सल्तनत पर कैसे सत्ता स्थापित की ? विवेचना कीजिए। (2009)
उत्तर:
गयासुद्दीन तुगलक, तुगलक वंश का संस्थापक था। अलाउद्दीन खिलजी को मृत्यु के पश्चात् जो अशान्ति फैली इसे वह सह न कर सका। 1320 ई. में वह सिंहासन छीनने वाले नेता नासिरुद्दीन खुसरो को हटाकर दिल्ली का सुल्तान बना। सुल्तान बनने के बाद उसने वारंगल, उड़ीसा और बंगाल के लिए सैनिक अभियान चलाये।
प्रश्न 4.
शेरशाह की शासन व्यवस्था का भारतीय इतिहास में क्या योगदान है? (2009, 10, 12, 16, 18)
उत्तर:
शेरशाह सूरी-शेरशाह सूरी मध्यकालीन भारतीय शासकों में अपना विशेष महत्त्व रखता है। उसने केवल पाँच वर्ष ही शासन किया था, परन्तु इस अल्पकाल में उसने साम्राज्य का विस्तार करने के साथ-साथ उच्चकोटि की प्रशासन व्यवस्था को भी कुशलतापूर्वक लागू किया था। शेरशाह ने जनता के हितों को सर्वोपरि रखा तथा कुशल प्रशासन की नींव रखी जिसका लाभ मुगलों को मिला। उसके प्रमुख कार्य निम्न प्रकार हैं –
- सैनिक प्रशासन, न्याय व्यवस्था एवं भू-राजस्व के क्षेत्र में अनेक कार्य प्रारम्भ किये जिनका अनुसरण बाद में अकबर ने किया।
- शेरशाह ने अपने साम्राज्य को ‘सरकारों’ एवं सरकारों को ‘परगनों’ में विभाजित किया।
- जनसाधारण की सुविधा के लिए शेरशाह ने चार प्रमुख सड़कों का निर्माण करवाया-ग्राण्ड ट्रंक रोड, आगरा-बुरहानपुर, आगरा-चित्तौड़-जोधपुर तथा लाहौर-मुल्तान।
- शेरशाह ने सड़कों के दोनों और छायादार वृक्ष लगवाये तथा दो-दो कोस की दूरी पर सरायों का निर्माण करवाया।
- शेरशाह ने शिक्षा के प्रसार के लिए मकतब तथा मदरसों की स्थापना करवायी।
- अनाथ तथा निर्धनों के लिए नि:शुल्क भोजन हेतु लंगर खोले गये।
प्रश्न 5.
पृथ्वीराज चौहान का भारतीय इतिहास में क्या योगदान रहा? लिखिए। (2008, 09, 12, 13, 14, 16, 18)
उत्तर:
पृथ्वीराज चौहान-पृथ्वीराज चौहान दिल्ली और अजमेर का योग्य, वीर, प्रतिभावान शक्तिशाली सम्राट था। उसके पास उत्तम सेना व सेनापति थे। पृथ्वीराज का समकालीन कवि ‘चंदवरदाई’ था। इस कवि ने ‘पृथ्वीराज रासो’ नामक ग्रन्थ की रचना की जिसमें पृथ्वीराज की यश गाथा का बड़ा ओजस्वी वर्णन है। पृथ्वीराज का 1191 ई. में मुहम्मद गौरी के साथ तराइन का प्रथम युद्ध हुआ। इस युद्ध में पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह पराजित किया। गौरी अपनी अपमानजनक पराजय को भूल न सका और उसने पुनः तैयारी के साथ तराइन के मैदान में 1192 ई. में पृथ्वीराज से दूसरा युद्ध किया जो तराइन का द्वितीय युद्ध कहलाता है। इस युद्ध में पृथ्वीराज पराजित हुआ तथा मुहम्मद गौरी विजयी हुआ।
प्रश्न 6.
महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास में क्यों प्रसिद्ध है? (2008, 14, 15, 17)
अथवा
महाराणा प्रताप पर टिप्पणी लिखिए। (2009, 11).
उत्तर:
महाराणा प्रताप मेवाड़ का वीर साहसी राजपूत राजा था। वह राणा उदयसिंह का पुत्र था तथा राणा सांगा का वंशज था। उसने अपनी राजधानी कुम्भलनेर को बनाया था। अकबर ने उससे सम्बन्ध स्थापित करने के लिए सन्धि के प्रयास किये पर उसे सफलता नहीं मिली तो उसने 18 जून, 1576 ई. में हल्दीघाटी के मैदान में मानसिंह की अध्यक्षता में शक्तिशाली सेना मेवाड़ पर आक्रमण करने के लिए भेजी। दोनों की सेनाओं में विकट संग्राम हुआ। मानसिंह युद्ध में विजयी हुआ। महाराणा प्रताप की सेना युद्ध में पराजित होकर भाग गयी। हल्दीघाटी की पराजय के पश्चात् महाराणा प्रताप ने वनों तथा पर्वतों को अपना निवास बनाया तथा मुगलों के साथ अनवरत संघर्ष जारी रखा तथा उनके आगे नतमस्तक नहीं हुआ। 1597 ई. में महारणा प्रताप का स्वर्गवास हो गया।
MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मोहम्मद गौरी व महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किस उद्देश्य से किए थे व उन्हें सफलता मिलने के क्या कारण थे? लिखिए।
अथवा
महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किस उद्देश्य से किये थे? (2008)
अथवा
मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किस उद्देश्य से किये थे? (2008)
उत्तर:
महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण करने के निम्नलिखित उद्देश्य थे –
- भारत की अपार धन-सम्पदा को लूटना महमूद गजनवी का प्रमुख उद्देश्य था।
- महमूद गजनवी का अन्य प्रमुख उद्देश्य भारत में इस्लाम धर्म का प्रसार करना था।
- महमूद गजनवी एक महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति था। वह भारत पर आक्रमण कर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करना चाहता था।
- कुछ इतिहासकारों का मत है खलीफा के आदेश से ही उसने भारत पर आक्रमण किया था। परन्तु कुछ इतिहासकार उस मत का खण्डन करते हैं।
- महमूद गजनवी मूर्तियों तथा मूर्ति पूजकों को भी नष्ट करना चाहता था।
मुहम्मद गौरी के भारत पर आक्रमण के उद्देश्य :
मुहम्मद गौरी के भारत पर आक्रमण के निम्नलिखित उद्देश्य थे –
- मुहम्मद गौरी एक विशाल साम्राज्य का निर्माण करना चाहता था। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने भारत पर आक्रमण किया।
- गौरी एक धर्मप्रिय मुसलमान था अतः वह भारत में मूर्ति-पूजा का विनाश करने तथा इस्लाम का प्रसार करना चाहता था।
- गौरी का अन्य उद्देश्य भारत की अपार धनराशि को लूटना भी था।
- गौरी पंजाब के गजनवी वंश का भी अन्त करना चाहता था।
- इस युग में सैनिक यश को बहुत महत्त्व दिया जाता था। अत: गौरी ने विजय और यश की कामना से प्रेरित होकर भी भारत पर आक्रमण किया था।
प्रश्न 2.
राजा कृष्णदेव राय की शासन व्यवस्था व जनता पर उसके प्रभाव का वर्णन कीजिए। (2009, 16)
अथवा
विजयनगर की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर:
कृष्ण देव राय विजयनगर का महानतम् शासक था। उसने अपने शासन काल में विजय नगर को चरम सीमा पर पहुँचा दिया।
विजय नगर की शासन व्यवस्था की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं –
(1) केन्द्रीय शासन :
- राजा :
राजा राज्य का सबसे बड़ा अधिकारी होता था। शासन की सम्पूर्ण शक्ति उसी में निहित थी, उसका आदेश ही कानून था। शासन, न्याय तथा सेना आदि की शक्तियाँ उसके हाथों में रहती थीं। राजा निरंकुश होते हुए भी अत्याचारी नहीं था। वह जन-कल्याण को ध्यान में रखकर शासन करता था। - मन्त्रिपरिषद् :
राजा को शासन कार्यों में परामर्श देने के लिए एक मन्त्रिपरिषद् होती थी, परन्तु राजा मन्त्रिपरिषद् का परामर्श मानने के लिए बाध्य नहीं था। मन्त्रियों की नियुक्ति राजा द्वारा होती थी। - राजदरबार :
विजयनगर के शासक मुस्लिम शासकों के समान राजदरबार की शोभा पर विशेष ध्यान देते थे। शासन की समस्त कार्यवाही राजदरबार में ही होती थी। दरबार के मन्त्रियों, सामन्तों, पुरोहितों तथा कवियों को सम्मान दिया जाता था। - वित्त व्यवस्था :
विजयनगर में राजकीय आय का प्रमुख साधन भूमि-राजस्व था। किसानों से उनके उत्पादन का 1/3, 1/4 तथा 1/6 भाग राजस्व के रूप में वसूल किया जाता था। - न्याय व्यवस्था :
विजयनगर साम्राज्य में मुख्य न्यायाधीश राजा होता था तथा उसका निर्णय ही अन्तिम माना जाता था। हिन्दू परम्पराओं तथा नियमों के आधार पर न्याय विधान बनाया हुआ था। दण्ड व्यवस्था अत्यधिक कठोर थी। गाँवों में ग्राम पंचायतों द्वारा न्याय प्रदान किया जाता था। - सैनिक व्यवस्था :
विजयनगर की सैनिक व्यवस्था जागीरदारी प्रथा पर आधारित थी। सेना दो प्रकार की थी-एक केन्द्रीय या सम्राट की सेना, दूसरी प्रान्तपतियों की सेना। आवश्यकता पड़ने पर प्रान्तपति अपनी सेना राजा के पास सहायता के लिए भी भेजते थे।
(2) प्रान्तीय शासन :
सम्पूर्ण विजयनगर साम्राज्य 6 प्रान्तों में विभाजित था। प्रत्येक प्रान्त में एक प्रान्तपति या सूबेदार नियुक्त किया जाता था। सूबेदार राज-परिवार का सदस्य अथवा प्रभावशाली सामन्त होता था। सूबेदारों की अपनी-अपनी सेनाएँ होती थीं। आवश्यकता पड़ने पर सूबेदारों को राजा की सैनिक सहायता भी करनी पड़ती थी।
(3) स्थानीय शासन :
विजयनगर राज्य के प्रान्त अनेक ‘नाडुओं’ (जिलों) में विभाजित थे। प्रत्येक ‘नाडु’ अनेक नगरों तथा ग्रामों में विभाजित था। इस प्रकार ग्राम शासन की सबसे छोटी इकाई थी। गाँवों का प्रबन्ध ग्राम सभाओं द्वारा किया जाता था। ग्राम सभा में गाँव प्रमुख भाग लेते थे। ‘महानापकाचार्य’ नामक राजकर्मचारी स्थानीय शासन का निरीक्षण करता था।
प्रश्न 3.
अकबर की राजपूत व धार्मिक नीतियों की विवेचना कीजिए। (2008, 12, 15, 17)
अथवा
अकबर की राजपूत नीति की विवेचना कीजिए। (2009, 13, 14)
अथवा
अकबर की राजपूत नीति के क्या परिणाम निकले? समझाइए। (2008)
अथवा
अकबर की धार्मिक नीति बताइए। (2010) [संकेत- ‘धार्मिक नीति’ शीर्षक देखें।]
अथवा
अकबर की धार्मिक नीति के क्या परिणाम निकले? समझाइए। (2008) [संकेत- ‘अकबर की धार्मिक नीति व परिणाम’ शीर्षक देखें।]
उत्तर:
अकबर की राजपूत नीति-अकबर की राजपूत नीति की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं –
- अकबर ने राजपूतों को मुगल प्रशासन में उच्च पद प्रदान किये।
- राजपूतों के प्रति मित्रता भावना व सहयोग भावना की नीति रखी।
- अकबर ने राजपूत राजकुमारियों से विवाह भी किया।
- पराजित राजपूत राजाओं को सम्मान दिया तथा उन्हें आन्तरिक प्रशासन की स्वतन्त्रता दी।
- जिन राजपूत राजाओं ने अकबर की अधीनता नहीं स्वीकार की उनसे उसने युद्ध करने की नीति अपनायी।
अकबर की राजपूत नीति के निम्नलिखित परिणाम निकले :
- राजपूत मुगलों के मित्र तथा स्वामी भक्त बन गये।
- राजपूत मुगल साम्राज्य के विस्तार में सहायक हुए।
- मानसिंह, भगवानदास तथा राजपूत मनसबदारों ने मुगल शत्रुओं को पराजित करने में सहयोग दिया।
- अकबर द्वारा राजपूतों के प्रति जो सहयोग व प्रेम भावना का प्रदर्शन हुआ उससे हिन्दू और मुसलमानों के मध्य कटुता की भावना समाप्त हो गयी।
- अकबर को राजपूतों में से अनेक सुयोग्य सेनापति, कुशल प्रशासक तथा महान् कूटनीतिज्ञ मिले।
अकबर की धार्मिक नीति :
विभिन्न धर्मों के वाद-विवाद सुनने के पश्चात् अकबर ने अनुभव किया प्रत्येक धर्म में अच्छाई है, परन्तु संकीर्ण विचारों के धर्मान्ध व्यक्तियों द्वारा की गयी जटिल टीकाओं तथा रूढ़िवादी विचारों के कारण धर्म का भ्रमपूर्ण अर्थ किया जाता है। अतः इस विद्वेष तथा धर्म की अनुचित धारणा को समाप्त करने के लिए उसने सभी धर्मों की अच्छाइयों का समन्वय करके एक नवीन धर्म ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की।
धार्मिक नीति के परिणाम :
अकबर द्वारा प्रतिपादित धार्मिक नीति के निम्नलिखित परिणाम निकले –
- हिन्दू और मुसलमानों के मध्य दीर्घकाल से चली आ रही कटुता की भावना समाप्त हुई तथा वे एक-दूसरे के निकट आये।
- कला, साहित्य तथा संस्कृति के क्षेत्र में भी हिन्दू-मुस्लिम संस्कृतियों में समन्वय हुआ।
- अकबर की धार्मिक नीति के कारण राजपूत मुगल साम्राज्य के सहायक बन गये तथा विस्तार में भी उन्होंने अपूर्व सहयोग दिया।
- भारत की बहुसंख्यक जनता हिन्दू थी जो अकबर की धार्मिक नीति से प्रभावित होकर मुगल साम्राज्य की सहयोगी हो गयी। इस प्रकार अकबर की धार्मिक नीति ने उसे एक राष्ट्रीय शासक बना दिया।
- धार्मिक नीति के कारण गैर-मुस्लिम जनता में से अकबर को कुशल, योग्य प्रशासक तथा वीर रण-कुशल सैनिक भी प्राप्त हुए जिससे मुगल साम्राज्य को दृढ़ता मिली।
प्रश्न 4.
भारत में मुगल सत्ता का प्रतिरोध करने में किन-किन भारतीय राजाओं एवं शासकों की भूमिका रही? उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में मुगल सत्ता का प्रतिरोध :
भारत में मुगल सत्ता का प्रतिरोध करने में मेवाड़ के शासक राणा सांगा, महाराणा प्रताप, गोंडवाना की रानी दुर्गावती तथा मराठा शासक शिवाजी, सिक्ख गुरु गोविन्द सिंह प्रमुख थे।
राणा सांगा :
मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने बाबर को खानवा के मैदान में कड़ी टक्कर दी। दुर्भाग्य से राणा सांगा पराजित हुए मगर जब तक वह जीवित रहे उन्होंने हार नहीं मानी। 1528 ई. को राणा सांगा की मृत्यु हो गई। राणा सांगा की मृत्यु के बाद मुगल सत्ता का प्रतिरोध महाराणा उदयसिंह (1537-1572 ई.) ने किया।
महाराणा प्रताप :
उदयसिंह की 1572 ई. में मृत्यु के पश्चात् उनका पुत्र महाराणा प्रताप मेवाड़ का शासक बना। महाराणा प्रताप ने जीवित रहने तक, मुगल सत्ता के प्रमुख शासक अकबर को कड़ी चुनौतियाँ दी। मुगल सत्ता को टक्कर देने के लिए महाराणा प्रताप ने मेवाड़ को संगठित किया। उन्होंने जनसम्पर्क द्वारा राज्य में मुगल सत्ता के विरुद्ध व्यापक जागरण चलाया। इन उपायों से मेवाड़ में एक सूत्रता आई और सम्पूर्ण मेवाड़ मुगल सत्ता के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ। राणा प्रताप को अपने राज्य के कुछ भागों को खोना पड़ा मगर हार नहीं मानी। उन्होंने लगातार मुगलों से युद्ध जारी रखा और अपने खोये हुए प्रदेशों के अनेक भागों को प्राप्त कर लिया। इस प्रकार महाराणा प्रताप ने अपने देश के प्रति मरते दम तक वीरता और साहस का परिचय दिया।
रानी दुर्गावती:
रानी दुर्गावती महोला की चंदेल राजकुमारी थी। अपने पति दलपति शाह की मृत्यु के बाद उसने अपने अवयस्क पुत्र वीरनारायण की संरक्षिका के रूप में राज्य का कार्यभार ग्रहण किया। दिल्ली के सम्राट अकबर ने गढ़ा राज्य की विशालता और धन सम्पन्नता के बारे में सुना तो उसने अपनी साम्राज्य लिप्सा की पूर्ति के लिए अपने सेनापति आसफ खाँ को विशाल सेना के साथ गढ़ा पर आक्रमण करने के लिए भेज दिया। रानी दुर्गावती ने अकबर की अधीनता के स्थान पर उसकी सेनाओं से युद्ध करने का निश्चय किया। रानी ने अत्यन्त वीरता के साथ आसफ खाँ की सेनाओं के साथ युद्ध किया, वह लड़ते-लड़ते गम्भीर रूप से घायल हो गई। घायलावस्था में दुर्गावती आगे युद्ध जारी रखने में असमर्थ हो गईं किन्तु वह नहीं चाहती थीं कि अकबर के सैनिक उसको बन्दी बनाकर अपमानित करें। इसलिए उसने स्वयं को कटार मारकर अपना बलिदान कर दिया। पुत्र वीरनारायण भी युद्ध करता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ।
छत्रपति शिवाजी :
शिवाजी का मध्यकालीन भारतीय इतिहास में महत्त्व इस कारण है क्योंकि उनका राजनीतिक आदर्श तथा लक्ष्य हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना था। उन्होंने बड़ी वीरता के साथ मुगल सम्राट औरंगजेब से संघर्ष किया तथा कभी भी सिर नहीं झुकाया। कट्टर हिन्दू होते हुए भी वे मुसलमानों को सम्मान देते थे। खफीखाँ के शब्दों में, “शिवाजी ने यह नियम बनाया था कि लूट के समय उसके सैनिक मस्जिदों, कुरान तथा स्त्रियों को किसी प्रकार नुकसान न पहुँचाएँ।”
गुरुगोविन्द सिंह :
मुगल प्रशासन ने 1675 ई. में गुरु तेगबहादुर को फाँसी का हुक्म दिया जिससे सिक्ख समुदाय औरंगजेब से बहुत नाराज हो गया। दसवें गुरु गोविन्दसिंह ने सिक्खों को सैनिक के रूप में संगठित कर मुगल सेनाओं के विरुद्ध युद्ध करने के लिए तैयार किया। गुरु गोविन्दसिंह ने 1699 ई. में खालसा नामक एक संगठन की स्थापना की। यह एक जाति विहीन सैनिक संगठन था जिसमें सभी लोगों को बिना जाति भेद के शामिल करने की व्यवस्था थी। सिक्ख समुदाय ने मुगल साम्राज्य के समक्ष चुनौतियाँ खड़ी कर दीं।
इन भारतीय राजाओं व शासकों ने मुगल शासकों से अपनी स्वतन्त्रता के बदले न तो मित्रता की और न ही समर्पण किया, बल्कि वीरता के साथ मुगलों को हर मोड़ पर कड़ी चुनौतियाँ दीं।
प्रश्न 5.
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण लिखिए। (2008,09, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18)
अथवा
मुगल साम्राज्य के पतन के कोई पाँच कारण लिखिए और किसी एक कारण को विस्तार से लिखिए। (2011)
उत्तर:
मुगल साम्राज्य के पतन के निम्नलिखित कारण थे –
(1) निरंकुश तथा केन्द्रीभूत शासन :
मुगलकालीन शासन व्यवस्था पूर्णतया निरंकुश तथा केन्द्रीभूत थी। निरंकुश तथा केन्द्रीभूत शासन में शासन की समस्त शक्तियाँ सम्राट के हाथों में केन्द्रित रहती हैं। ऐसी शासन व्यवस्था उस समय ही दृढ़ रहती है, जबकि सम्राट योग्य तथा कुशल हो। औरंगजेब के पश्चात् मुगल वंश के शासक अपने पूर्वज शासकों की तरह योग्य तथा कुशल नहीं थे। अत: वे मुगल साम्राज्य को सुरक्षित तथा संगठित नहीं रख सके। अतः ऐसी दशा में मुगल साम्राज्य का पतन होना अनिवार्य था।
(2) औरंगजेब की धार्मिक नीति :
अकबर ने जिस धार्मिक सहिष्णुता तथा सुलहकुल की नीति को अपनाया था उसे औरंगजेब ने पूर्णतया त्याग दिया था। उसने हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया तथा हिन्दूओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का प्रयास किया था। उसकी इस धार्मिक नीति के कारण ही हिन्दू तथा सिक्ख मुगल साम्राज्य के विरोधी हो गये। साथ ही बुन्देलों, जाटों, मराठों तथा राजपूतों ने विद्रोह कर मुगल साम्राज्य को हिला दिया।
(3) साम्राज्य की विशालता :
औरंगजेब के शासनकाल तक मुगल साम्राज्य इतना विशाल हो गया था कि उस पर व्यवस्थित ढंग से शासन करना तथा शान्ति की व्यवस्था करना एक जटिल समस्या थी। साम्राज्य की विशालता के कारण ही दूर के प्रान्तों पर भी नियन्त्रण रखना कठिन हो गया था।
(4) औरंगजेब के अयोग्य उत्तराधिकारी :
औरंगजेब के समस्त उत्तराधिकारी अयोग्य थे। वे सब नाममात्र के सम्राट थे। वे परस्पर अपनी समस्याओं में ही उलझे रहते थे तथा शासन की सुरक्षा की ओर तनिक भी ध्यान नहीं देते थे।
(5) औरंगजेब द्वारा दीर्घकाल तक युद्ध करना :
औरंगजेब ने अपने शासन के पहले पच्चीस वर्ष उत्तरी भारत में विद्रोहों को दबाने में व्यतीत किये। इसी प्रकार दक्षिण के अभियान में भी उसका पर्याप्त समय लगा जिससे उसकी शक्ति पर्याप्त दुर्बल हो गयी। परिणामस्वरूप औरंगजेब के कुछ काल के बाद ही मुगल साम्राज्य का पतन हो गया।
(6) उत्तराधिकार के नियमों का अभाव :
मुगलों में उत्तराधिकार के कोई निश्चित नियम नहीं थे। परिणामस्वरूप सम्राट की मृत्यु के पश्चात् राजपुत्रों में सिंहासन प्राप्त करने के लिये परस्पर संघर्ष छिड़ जाता था। इस प्रकार के संघर्षों ने मुगल साम्राज्य को छिन्न-भिन्न कर दिया।
(7) औरंगजेब की दक्षिण की नीति :
औरंगजेब की दक्षिण की नीति भी मुगल साम्राज्य के पतन का कारण सिद्ध हुई। उसने अपने शासन के 25 वर्ष दक्षिण में संघर्ष करने में ही व्यतीत किये। परिणामस्वरूप वह उत्तरी भारत की ओर ध्यान ही नहीं दे पाया जिससे स्थान-स्थान पर विद्रोह होने लगे तथा मुगल साम्राज्य सैनिक, प्रशासनिक तथा आर्थिक दृष्टि से खोखला हो गया।
(8) मराठों का उत्थान :
मराठों के उत्थान ने भी मुगल साम्राज्य पर आघात किया। शिवाजी से संघर्ष करने से मुगल सेना अत्यन्त दुर्बल हो गयी तथा औरंगजेब के लिए मराठे जीवन-पर्यन्त सिरदर्द बने रहे। औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् भी मराठे मुगलों से संघर्ष करते रहे।
(9) आर्थिक दुर्बलता :
अकबर के पश्चात् समस्त मुगल शासकों ने अपना समय साम्राज्य विस्तार तथा युद्धों के करने में लगाया, जिससे साम्राज्य की आर्थिक व्यवस्था जर्जर हो गयी।
इस प्रकार निरन्तर युद्ध, स्वेच्छाचारी शासन, अयोग्य उत्तराधिकारी, धर्म आधारित शासन, सैन्य शक्ति में ह्रास, गुटबन्दी आदि मुगल साम्राज्य के पतन में सहायक हुए।
टिप्पणी लिखिए
प्रश्न 1.
(1) महाराणा प्रताप
(2) रानी दुर्गावती
(3) छत्रपति शिवाजी। (2008)
अथवा
शिवाजी भारतीय इतिहास में क्यों प्रसिद्ध हैं? वर्णन कीजिए। (2009, 17)
उत्तर:
छत्रपति शिवाजी-शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल, 1627 ई. में शिवनेर के किले में हुआ था। उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले तथा माता का नाम जीजाबाई था। जीजाबाई एक धर्मात्मा, सदाचारिणी तथा बुद्धिमान स्त्री थीं। उन्होंने शिवाजी को धर्म नेताओं तथा साधु-सन्तों की शिक्षा का ज्ञान कराकर उनमें धर्मनिष्ठा का विकास किया। रामदास तथा तुकाराम ने उनमें हिन्दू धर्म तथा राष्ट्र प्रेम की भावना का विकास किया। शिवाजी के प्रारम्भ के नौ वर्ष शिवनेर, बैजपुर, शिवपुर आदि में व्यतीत हुए। शाहजी भोंसले ने दादा कोणदेव को शिवाजी का संरक्षक नियुक्त किया था। कोणदेव ने उन्हें प्रशासनिक तथा सैनिक शिक्षा दी। 18 वर्ष की अल्प आयु में ही शिवाजी ने पूना के आस-पास रायगढ़, कोंकण तथा तोरण के किलों पर अधिकार जमा लिया था। दादा कोणदेव की मृत्यु के पश्चात् शिवाजी ने अपनी जागीर का विस्तार किया तथा मराठों को संगठित कर मराठा राज्य की स्थापना की।
MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इतिहासकारों के अनुसार ईसा की कौन-सी शताब्दी को मध्यकाल का आरम्भ माना जाता है?
(i) ईसा की छठी शताब्दी
(ii) ईसा की सातवीं शताब्दी
(iii) ईसा की आठवीं शताब्दी
(iv) ईसा की दसवीं शताब्दी।
उत्तर:
(iii) ईसा की आठवीं शताब्दी
प्रश्न 2.
तराइन का प्रथम युद्ध हुआ
(i) 1030 ई. में
(ii) 1150 ई. में
(iii) 1170 ई. में
(iv) 1191 ई. में।
उत्तर:
(iv) 1191 ई. में।
प्रश्न 3.
मुहम्मद गौरी के आक्रमण के समय कन्नौज का शासक था
(i) मिहिर भोज
(ii) पृथ्वीराज चौहान
(iii) जयचन्द
(iv) धर्मपाल।
उत्तर:
(iii) जयचन्द
प्रश्न 4.
तालीकोट का युद्ध हुआ
(i) 1565 ई. में
(ii) 1585 ई. में
(iii) 1505 ई. में
(iv) 1525 ई. में।
उत्तर:
(i) 1565 ई. में
प्रश्न 5.
अकबर का जन्म हुआ
(i) 1505 ई. में
(ii) 1530 ई. में
(iii) 1542 ई. में
(iv) 1545 ई. में।
उत्तर:
(iii) 1542 ई. में
प्रश्न 6.
नूरजहाँ पत्नी थी
(i) अकबर की
(ii) हुमायूँ की
(iii) बाबर की
(iv) जहाँगीर की।
उत्तर:
(iv) जहाँगीर की।
प्रश्न 7.
पानीपत का द्वितीय युद्ध हुआ था
(i) अकबर और आदिल शाह में
(ii) अकबर और हेमू में
(iii) अकबर और उजवेको में
(iv) अकबर और अधमखाँ में।
उत्तर:
(ii) अकबर और हेमू में
प्रश्न 8.
महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम था
(i) मेवाड़
(ii) पूजा
(iii) रामशाह
(iv) चेतक।
उत्तर:
(iv) चेतक।
प्रश्न 9.
रानी दुर्गावती का विवाह हुआ था
(i) दलपति शाह से
(ii) बाजबहादुर से
(iii) आसफ से
(iv) मानसिंह से।
उत्तर:
(i) दलपति शाह से
प्रश्न 10.
पुरन्दर की सन्धि की गई
(i) 1605 ई. में
(ii) 1645 ई. में
(iii) 1665 ई. में
(iv) 1685 ई. में।
उत्तर:
(iii) 1665 ई. में
प्रश्न 11.
खालसा नामक संगठन की स्थापना की
(i) गुरुनानक ने
(ii) गुरु तेगबहादुर ने
(iii) गुरु गोविन्दसिंह ने
(iv) उपर्युक्त में कोई नहीं।
उत्तर:
(iii) गुरु गोविन्दसिंह ने
रिक्त स्थान पूर्ति
- मुगल शासनकाल में सही ढंग से भू-मापन …………. ने कराया। (2008)
- ताजमहल का निर्माण मुगल शासक …………. ने कराया। (2008, 09)
- शिवाजी की माता का नाम …………. था। (2016)
- मेवाड़ का शासक ………… था। (2012)
उत्तर:
- शेरशाह सूरी
- शाहजहाँ
- जीजाबाई
- महाराणा प्रताप।
सत्य असत्य
प्रश्न 1.
गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था। (2010)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 2.
हुमायूँ बाबर का बड़ा पुत्र था।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 3.
कुतुबमीनार आगरा में है। (2009)
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 4.
जजिया हिन्दुओं पर लगाया गया कर था। (2011)
उत्तर:
सत्य।
सही जोड़ी मिलाइए
उत्तर:
- → (ख)
- → (घ)
- → (ङ)
- → (क)
- → (ग)
- → (च)
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
प्रश्न 1.
खजुराहो के मन्दिरों का निर्माण किसने किया? (2008)
उत्तर:
चन्देल वंश के शासकों ने
प्रश्न 2.
महमूद गजनवी ने भारत पर कितने बार आक्रमण किए? (2017)
उत्तर:
17 बार
प्रश्न 3.
अफजल खाँ का वध किया था। (2008)
उत्तर:
छत्रपति शिवाजी
प्रश्न 4.
एलोरा के मन्दिरों का निर्माण किस काल में हुआ? (2017)
उत्तर:
गुप्तकाल में
प्रश्न 5.
अकबर द्वारा चलायी गयी धार्मिक नीति। (2009)
उत्तर:
दीन-ए-इलाही।
MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अध्ययन की दृष्टि से मध्यकाल को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
मध्यकाल को अध्ययन की दृष्टि से दो भागों में बाँटा गया है। आठवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक के काल को पूर्व मध्यकाल कहते हैं। तेरहवीं शताब्दी से अठारहवीं शताब्दी तक का काल उत्तर मध्यकाल के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 2.
प्रसिद्ध विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना धर्मपाल ने की थी। यह बौद्ध धर्म की शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था।
प्रश्न 3.
प्रसिद्ध भोजपुर मन्दिर एवं भोपाल का बड़ा तालाब किस राजा ने बनवाये?
उत्तर:
प्रसिद्ध भोजपुर मन्दिर एवं भोपाल का बड़ा तालाब राजा भोज के काल के बने हैं।
प्रश्न 4.
चौहान वंश का सर्वाधिक प्रतापी शासक कौन था?
उत्तर:
चौहान वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली और अन्तिम शासक पृथ्वीराज चौहान था।
प्रश्न 5.
मुहम्मद गौरी कहाँ का शासक था? उसने भारत पर कब और कहाँ आक्रमण किया था?
उत्तर:
मुहम्मद गौरी गजनी का शासक था, उसने भारत पर प्रथम आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर किया था।
प्रश्न 6.
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था?
उत्तर:
तराइन का प्रथम युद्ध 1191 ई. में मुहम्मद गौरी तथा पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ था।
प्रश्न 7.
तराइन का द्वितीय युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था? इस युद्ध का क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
तराइन का द्वितीय युद्ध 1192 ई. में मुहम्मद गौरी तथा पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ था। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान पराजित हुआ तथा उसकी हत्या कर दी गयी।
प्रश्न 8.
कुतुबुद्दीन ऐबक कौन था? उसने कौन-सी इमारत बनवायी थी?
उत्तर:
कुतुबुद्दीन ऐबक मुहम्मद गौरी का प्रमुख गुलाम था। तराइन के द्वितीय युद्ध के पश्चात् मुहम्मद गौरी ने उसे अपने भारतीय साम्राज्य का शासक नियुक्त किया था। दिल्ली स्थित कुतुबमीनार को बनवाने का श्रेय उसी को दिया जाता है।
प्रश्न 9.
रजिया सुल्तान कौन थी?
उत्तर:
रजिया सुल्तान इल्तुतमिश की पुत्री थी तथा दिल्ली सल्तनत की प्रथम महिला सुल्तान थी।
प्रश्न 10.
चालीस गुलामों के दल का गठन किस सुल्तान ने किया था?
उत्तर:
इल्तुतमिश ने चालीस गुलामों के दल का गठन किया था।
प्रश्न 11.
पागल बादशाह तुगलक वंश के किस शासक को माना जाता है?
उत्तर:
मुहम्मद तुगलक को।
प्रश्न 12.
पानीपत का प्रथम युद्ध कब हुआ था ? इस युद्ध के क्या परिणाम निकले?
उत्तर:
पानीपत का प्रथम युद्ध 1526 ई. में हुआ था। इस युद्ध में बाबर की विजय के साथ मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई।
प्रश्न 13.
चौसा का युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था?
उत्तर:
चौसा का युद्ध 1539 ई. में हुमायूँ और शेरखाँ के मध्य हुआ था।
प्रश्न 14.
हुमायूँ की मृत्यु कब और कैसे हुई?
उत्तर:
1556 ई. को पुस्तकालय की छत से उतरते समय पैर फिसलने से हुमायूँ की मृत्यु हो गई।
MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मध्यकाल से क्या आशय है? इसका अन्त कौन-सी शताब्दी में माना जाता है?
उत्तर:
मध्यकाल का आशय :
मध्यकाल से आशय उस काल से लिया जाता है, जो प्राचीन काल और आधुनिक काल के मध्य का समय था। इतिहासकारों ने ईसा की आठवीं शताब्दी को मध्यकाल का प्रारम्भ तथा अठारहवीं शताब्दी को उसका अन्त माना है। मध्यकाल का प्रारम्भ आठवीं शताब्दी को इसलिए माना जाता है क्योंकि इस समय भारत के सामाजिक जीवन में अनेक परिवर्तन हो रहे थे और इन परिवर्तनों ने भारत के सामाजिक जीवन के अनेक पक्षों को प्रभावित किया था। जीवन के राजनीतिक और आर्थिक पक्षों पर उनका प्रभाव पड़ा जैसे सामाजिक जीवन, धर्म, भाषा, कला आदि सभी क्षेत्रों को इन परिवर्तनों ने प्रभावित किया। इसलिए आठवीं शताब्दी को मध्यकाल का प्रारम्भ माना जाता है। इसी प्रकार अठारहवीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के पतन और अंग्रेजों के आने से भी अनेक परिवर्तन हुए। इसीलिए मध्यकाल का अन्त अठारहवीं शताब्दी को माना जाता है।
प्रश्न 2.
मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत
मध्यकालीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए हमारे पास पुरातात्विक व साहित्यिक स्रोत उपलब्ध हैं, जो निम्न प्रकार हैं
- पुरातात्विक स्रोत :
इसमें स्मारक, मूर्तियाँ, मन्दिर, मस्जिद, मीनारें, किले, दीवारों पर कलाकृति, चित्रकला, मुद्राएँ, धातु पत्रक आदि। - साहित्यिक स्रोत :
इसमें राजतंरगिणी, तुज्क-ए-बाबरी, पृथ्वीराज रासो, पद्यावत तथा अकबरनामा आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 3.
हर्ष के पश्चात् भारत की राजनैतिक स्थिति में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात् भारत में राजनैतिक रिक्तता की स्थिति निर्मित हो गई और विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति के कारण सामन्ती शक्तियों ने देश की राजनैतिक एकता को छिन्न-भिन्न कर दिया। इसी दौरान भारत में अनेक राजवंश उत्पन्न हो गये। जैसे उत्तर भारत में गुर्जर प्रतिहार, पालवंश, चालुक्य, परमार, चौहान मुख्य राजवंश थे। दक्षिण भारत में पल्लव, राष्ट्रकूट, कल्याणी के चालुक्य, चेर, पाण्ड्य, चोल प्रमुख साम्राज्य थे।
प्रश्न 4.
पल्लव कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पल्लव :
पल्लवों का उदय कृष्णा नदी के दक्षिण प्रदेश (आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु) में हुआ। नरसिंह वर्मन प्रथम और नरसिंह वर्मन द्वितीय इस वंश के प्रतापी शासक हुए। कालान्तर में चालुक्य, पाण्ड्य और राष्ट्रकूटों से पल्लवों के संघर्ष चलते रहे। लगभग 899 ई. में इस वंश के अन्तिम शासक अपराजित वर्मन को चोलों ने हराकर इस राज्य पर अपना अधिकार कर लिया। पल्लव राजाओं ने लगभग 500 वर्षों तक शासन किया।
प्रश्न 5.
चालुक्य कौन थे? चालुक्य प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। (2008, 11)
उत्तर:
चालुक्य :
चालुक्य वंश ने दक्षिण भारत में छठी शताब्दी ई. के मध्य से आठवीं शताब्दी के मध्य शासन किया। इसकी राजधानी कर्नाटक (वातापी) थी, तथा यहीं से इस वंश का राजनैतिक उत्कर्ष हुआ, इसलिए इन चालुक्यों को बादायी (वातापी) के चालुक्य कहा जाता है। चालुक्य राजाओं ने दक्षिण भारत को राजनीतिक एकता के सूत्र में एकीकृत करने का प्रयास किया। इनके प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार थीं –
- राजतन्त्र शासन प्रणाली प्रचलित थी। सम्राट प्रशासन तन्त्र का केन्द्र बिन्दु होता था।
- अपने विजय करे हुए प्रदेशों पर सामन्तों को शासन करने का अधिकार प्रदान किया।
- ग्राम, शासन की सबसे छोटी इकाई थी।
- चालुक्यों ने लगभग दो सौ वर्षों तक शासन किया।
प्रश्न 6.
चोल प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए। (2008, 09, 10)
उत्तर:
दक्षिण भारत का प्राचीनतम शक्तिशाली राजवंश चोल था। प्राचीन चोल शासकों का वर्णन संगम साहित्य में किया गया है। चोल राजवंश अपने प्रशासनिक सुधार कार्यों के लिए इतिहास में जाना जाता है।
चोल प्रशासन की विशेषताएँ –
- चोल शासन का स्वरूप राजतन्त्रात्मक था। राजा ही शासन का प्रमुख संचालक था।
- साम्राज्य प्रान्तों में जो मण्डलम कहलाते थे, बँटा हुआ था। मण्डलम को वलनाडुओं (जिलों) में विभाजित किया गया था।
- शासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी व महत्त्वपूर्ण इकाई ग्राम सभा तीन भागों में अर्थात् उर (आम लोगों की सभा), सभा (विद्वान, ब्राह्मण), नगरम् (व्यापारी, दुकानदार, शिल्पी) में विभाजित थी।
- ग्राम की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए अनेक समितियाँ गठित थीं।
- राज्य की आय का मुख्य स्रोत भूमि तथा व्यापार कर थे।
प्रश्न 7.
नीचे दिये गये राजवंशों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए
(i) राष्ट्रकूट
(ii) चेर राज्य
(iii) पाण्डय राज्य।
उत्तर:
(i) राष्ट्रकूट :
इस वंश के प्रारम्भिक नरेश का नाम नन्नराज था। इस वंश के द्वितीय शासक (650 से 665 ई.) ने साम्राज्य विस्तार के लिए अनेक कार्य किये। राष्ट्रकूट शासक दक्षिण भारत में अपनी शक्ति का साम्राज्य विस्तार के लिये जाने जाते हैं। कन्नौज तथा उत्तर भारत पर अधिकार करने के लिये राष्ट्रकूटों को गुर्जर प्रतिहार व पाल वंश से सतत् संघर्ष करना पड़ा। जिससे इनकी शक्ति कमजोर हो गई। लगभग 973 ई. में चालुक्य शासक तैलप द्वितीय ने अन्तिम राष्ट्रकूट शासक कर्क द्वितीय को पराजित कर उसके राज्यों पर अपना अधिकार कर लिया।
(ii) चेर राज्य :
चेर वंश की स्थापना प्राचीन काल में हुई थी इसका उल्लेख अशोक के शिलालेखों में मिलता है। इनके राज्य में मलाबार, त्रावणकोर और कोचीन सम्मिलित थे। चेर राज्य के बन्दरगाह व्यापार के बड़े केन्द्र थे। ये अधिक समय तक शासन नहीं कर सके। आठवीं शताब्दी में पल्लवों ने, दसवीं शताब्दी में चोलों ने तथा तेरहवीं शताब्दी में पाण्डयों ने चेर राज्य पर अधिकार किया।
(iii) पाण्डय राज्य :
पाण्डय राज्य प्राचीन तमिल राज्यों में प्रमुख था। जिसकी राजधानी मदुरै थी। पाण्डय राजाओं में अतिकेशरी भारवर्मन प्रसिद्ध शासक रहा।
प्रश्न 8.
गुर्जर प्रतिहार वंश का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
गुर्जर प्रतिहार :
प्रतिहार वंश का संस्थापक नागभट्ट प्रथम था। इसने सम्पूर्ण मालवा तथा पूर्वी राजस्थान को अपने अधीन कर लिया था। नागभट्ट के पश्चात् दो छोटे-छोटे शासक हुए जिनके शासन का विशेष उल्लेख नहीं है। इनके पश्चात् चौथा महत्त्वपूर्ण शासक वत्सराज हुआ जिसने साम्राज्य विस्तार के प्रयास किये। वत्सराज के पश्चात् क्रमश: नागभट्ट द्वितीय, रामचन्द्र, मिहिर भोज, महेन्द्र पाल, भोज द्वितीय तथा महिपाल आदि शासक हुए। महिपाल के पश्चात् प्रतिहार वंश का पतन हो गया। गुर्जर प्रतिहार राजवंश ने आठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक शासन किया।
प्रश्न 9.
पाल वंश और चालुक्य वंश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पालवंश :
इस वंश का संस्थापक गोपाल था। इस वंश के प्रमुख शासक धर्मपाल व देवपाल थे। कन्नौज पर अधिकार को लेकर पाल शासकों का प्रतिहारों और राष्ट्रकूटों से संघर्ष होता रहा। बंगाल के पालवंश के शासकों ने आठवीं शताब्दी के मध्य में उत्तर भारत में एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया।
चालुक्य वंश :
गुजरात के सोलंकी (चालुक्य वंश) का संस्थापक मूलराज था। यह राजवंश दो शाखाओं बादामी के चालुक्य और कल्याणी के चालुक्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ। पुलकेशिन इस राजवंश का महान् राजा था। इस वंश के शासक भीम प्रथम के समय महमूद गजनवी ने गुजरात पर आक्रमण किया था, जिसमें भीम प्रथम पराजित हुआ था।
प्रश्न 10.
राजा भोज कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राजा भोज परमार वंश का एक महान् तथा प्रतिभाशाली शासक था। वह सिन्धुराज का पुत्र था। वह महान् विजेता, उच्चकोटि का लेखक, कवि विद्यानुरागी और विद्वान् था। उसकी राजसभा में अनेक विद्वान् और कवि आश्रय पाते थे। उसके अनेक मन्दिर, राज प्रासाद, तालाब निर्मित कराये। प्रसिद्ध भोजपुर मन्दिर एवं भोपाल का बड़ा तालाब राजा भोज के काल में बने हैं। उसके समय में धारा नगरी (वर्तमान मध्य प्रदेश का धार जिला) साहित्य और संस्कृति का संगम केन्द्र थी। डॉ. डी. जी. गांगुली के अनुसार, “जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हुई भोज की ये सभी उपलब्धियाँ, उसे मध्ययुगीन भारत के महानतम् शासकों में एक स्थान प्रदान करती है।
प्रश्न 11.
नीचे दिये गये राजवंशों के बारे समझाइए
(i) चाहमान (चौहान) वंश
(ii) चंदेल वंश।
उत्तर:
(i) चाहमान (चौहान) वंश :
इस वंश का प्रथम स्वतन्त्र शासक विग्रहराज द्वितीय था। इस वंश का राज्य जोधपुर और जयपुर के मध्यवर्ती सांभर प्रदेश तक विस्तृत था। इस वंश के अजयराज ने अजयमेरु (अजमेर) नगर की नींव डाली। चौहान वंश का सबसे शक्तिशाली और अन्तिम शासक पृथ्वीराज चौहान था।
(ii) चंदेल वंश :
चन्देल वंश की स्थापना नवीं शताब्दी के प्रारम्भ में हुई थी। बुन्देलखण्ड में चंदेल शासकों का प्रभुत्व था। इस राज्य की राजधानी खुजराहो थी। इस वंश के प्रमुख शासक नन्नुक, यशोवर्मन, धंग, विद्याधर, कीर्तिवर्मन, परमार्दिदेव थे। चन्देल राजाओं का शासनकाल प्रगति की दृष्टि से सुविख्यात है।
प्रश्न 12.
उत्तर मध्यकाल के विषय में क्या जानते हैं?
उत्तर:
उत्तर मध्यकाल-तेरहवीं शताब्दी से अठारहवीं शताब्दी का काल उत्तर मध्यकाल के रूप में जाना जाता है। इस काल में भारत में एक के बाद एक विदेशी आक्रमणकारियों ने अपनी विध्वंसक गतिविधियों को जारी रखा जिसका समय-समय पर भारतीयों ने कड़ा प्रतिरोध किया। कठिन संघर्ष के बाद आक्रमणकारी भारत में अपना शासन स्थापित कर सके।
प्रश्न 13.
महमूद गजनवी के आक्रमणों का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महमूद गजनवी के आक्रमणों से भारत पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े –
- पंजाब गजनवी साम्राज्य का अंग बन गया।
- राजपूत राजाओं की सैनिक शक्ति को गहरा आघात लगा।
- महमूद के आक्रमण से तुर्कों को भारत की राजनीतिक दुर्बलता का ज्ञान हुआ, जिससे अन्य आक्रमणकारियों को प्रोत्साहन मिला।
- भारत की अपार धन-सम्पदा को महमूद लूट कर ले गया तथा लाखों लोगों की हत्या हुई।
- महमूद गजनवी के आक्रमणों से भारतीय स्थापत्य-कला तथा मूर्ति-कला को गहरा आघात लगा क्योंकि उसने मथुरा, कन्नौज, नगरकोट तथा सोमनाथ के मन्दिरों तथा उनकी मूर्तियों को पूर्णतया नष्ट कर दिया।
प्रश्न 14.
रजिया सुल्तान कौन थी? उसने किस प्रकार से विद्रोहों का दमन किया?
अथवा
रजिया सुल्तान पर टिप्पणी लिखिए। (2009)
उत्तर:
सुल्तान रजिया इल्तुतमिश की होनहार तथा विदुषी व प्रतिभाशाली पुत्री थी। 1236 ई. में इल्तुतमिश के पुत्र की मृत्यु के पश्चात् रजिया दिल्ली की शासिका बनी। इल्तुतमिश रजिया की योग्यता तथा प्रतिभा से विशेष प्रभावित था। मिन्हाज ने लिखा है कि इल्तुतमिश से जब उसके उत्तराधिकारी के विषय में पूछा गया तो उसका कहना था-“मेरे पुत्रों में कोई भी सुल्तान बनने योग्य नहीं है। मेरी मृत्यु के पश्चात् आप देखेंगे कि कोई भी इतना योग्य नहीं है जो इस देश पर शासन कर सके।” इल्तुतमिश ने रजिया को समुचित शिक्षा भी प्रदान की थी।
रजिया ने तत्कालीन विद्रोहों का दमन बड़ी कुशलता तथा रणनीति से किया। बदायूँ, झाँसी, मुल्तान तथा लाहौर के प्रान्तपतियों ने अपनी सेनाओं को लेकर दिल्ली को घेर लिया था। रजिया अत्यन्त साहसी महिला होने के साथ-साथ कूटनीतिज्ञ भी थी। उसने बड़ी चतुरता और कूटनीति से विद्रोही प्रान्तपतियों में फूट डलवा कर लोगों ने विद्रोह किया जिसका रजिया ने शक्तिशाली सेना भेजकर दमन कर दिया।
प्रश्न 15.
अलाउद्दीन खिलजी के ऊपर टिप्पणी लिखिए। (2011)
उत्तर:
अलाउद्दीन महत्त्वाकांक्षी था। उसकी इच्छा सम्पूर्ण भारत का सुल्तान बनने की थी। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने उत्तर भारत में सिन्ध, मुल्तान, गुजरात, जालौर, जैसलमेर, रणथम्भौर, चित्तौड़, उज्जैन एवं चंदेरी पर आक्रमण किया और उन पर विजय प्राप्त की। उसने एक विशाल सेना तथा गुप्तचर विभाग का गठन किया। उसने विद्रोही सरदारों तथा अमीरों की शक्ति को कुचल दिया। 1316 ई. में अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के साथ ही खिलजी वंश का पतन आरम्भ हो गया।
प्रश्न 16.
मुहम्मद बिन तुगलक की प्रमुख योजनाओं को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाएँ-मुहम्मद तुगलक अत्यन्त महत्त्वाकांक्षी सुल्तान था। वह अपनी महत्त्वाकांक्षी योजनाओं के कारण विश्व इतिहास में प्रसिद्ध हो गया। दोआब कर वृद्धि, दिल्ली के स्थान पर दौलताबाद (देवगिरि) को राजधानी बनाने की योजना, सोना-चाँदी के सिक्कों के स्थान पर ताँबे के सिक्के (सांकेतिक मुद्रा) का चलन, विजयों की कथित योजना बनाना आदि ऐसी योजनाएँ थीं जिनको कार्य रूप में परिणत किया गया और फिर वापस भी ले लिया गया। योजनाओं को बनाना, लागू करना और वापस लेना, धन और समय की बर्बादी थी।
प्रश्न 17.
तैमूर कौन था? उसके भारत पर आक्रमण करने के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
समरकन्द का शासक तैमूर अत्यधिक साहसी, वीर और महत्त्वाकांक्षी था। भारत की अपार धन-सम्पत्ति उसे भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित कर रही थी। साथ ही उसके भारत में आक्रमण का उद्देश्य धार्मिक भी था। 1398 ई. में एक विशाल सेना के साथ भारत में प्रवेश किया और शीघ्र ही दिल्ली पर अधिकार कर लिया। तैमूर की भारत पर शासन की इच्छा नहीं थी। अत: लूट-पाट, भीषण नरसंहार एवं कृषि को अपार हानि पहुँचाकर वह वापस समरकन्द चला गया।
प्रश्न 18.
इब्राहीम लोदी का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
सिकन्दर लोदी की मृत्यु के पश्चात् अफगान अमीरों ने सर्वसम्मति से उसके पुत्र इब्राहीम लोदी को 1517 ई. में सिंहासन पर बैठाया। उसने ‘इब्राहीम शाह’ की उपाधि धारण की। उसकी विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य अपने पिता द्वारा प्रारम्भ किये गये विजय कार्य को पूरा करना था। सर्वप्रथम उसने ग्वालियर पर आक्रमण किया तथा ग्वालियर के राजा विक्रमाजीत को पराजित कर अपना सामन्त बना लिया। इब्राहीम ने मेवाड़ के राणा सांगा पर भी आक्रमण किया परन्तु इब्राहीम लोदी इस युद्ध में पराजित हुआ। इब्राहीम लोदी का पंजाब के सूबेदार दौलत खाँ से मतभेद हो गया था। दौलत खाँ ने काबुल के शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए निमन्त्रित किया। 1526 ई. में बाबर ने भारत पर आक्रमण कर दिया। पानीपत के मैदान में इब्राहीम लोदी की भयंकर पराजय हुई। इस युद्ध में ही दिल्ली सल्तनत का अन्त हो गया तथा भारत में मुगल वंश की नींव पड़ी।
प्रश्न 19.
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना का विवरण दीजिए।
उत्तर:
मुहम्मद तुगलक के शासनकाल में विजयनगर राज्य की स्थापना हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 ई. में की थी। ये दोनों भाई वारंगल के शासक प्रताप रुद्रदेव काकतीय के कोषागार में कार्य करते थे। जब वारंगल पर मुसलमानों का अधिकार स्थापित हो गया तो बन्दी बनाकर उन्हें दिल्ली भेज दिया गया। परन्तु मुहम्मद तुगलक ने उन्हें मुक्त कर अनगोड़ी का प्रदेश उनको दे दिया। इस प्रदेश में दोनों भाइयों ने विजयनगर राज्य की स्थापना की। हरिहर इस प्रदेश का प्रथम शासक हुआ तथा उसकी मृत्यु के पश्चात् उसका भाई बुक्का शासक हुआ।
प्रश्न 20.
तालीकोट के युद्ध के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
तालीकोट का युद्ध मुस्लिम राज्यों की संयुक्त सेना तथा विजयनगर के मन्त्री रामराय के मध्य 1565 ई. में कृष्णा नदी के तट पर हुआ था। रामराय ने अहमदनगर पर आक्रमण करके उसे तहत-नहस कर दिया था तथा मस्जिदों को तोड़ा तथा कुरान का अपमान किया। रामराय के अत्याचारों से मुस्लिम राज्यों में रोष फैल गया। अत: बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुण्डा तथा बीदर की सम्मिलित सेनाओं ने विजयनगर पर आक्रमण किया। 1565 ई. में तालीकोट के युद्ध में रामराय को भयंकर पराजय मिली, वह पकड़ा गया तथा अहमदनगर के सुल्तान ने उसकी हत्या कर दी।
प्रश्न 21.
नरसिंह सालुव कौन था? उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
नरसिंह सालुव :
नरसिंह सालुव वीर, शक्तिशाली और योग्य शासक था। उसने साम्राज्य में हो रहे विद्रोहों को दबाया और बहमनी राज्य द्वारा जीते गये प्रदेशों पर पुनः अधिकार किया। उसने शक्तिशाली सेना के गठन के लिए अरब व्यापारियों से श्रेष्ठ घोड़े क्रय किये। वह साहित्यानुरागी था। इसके काल में प्रसिद्ध ग्रन्थ जेमनी भारतम् लिखा गया। नरसिंह सालुव की 1490 ई. में मृत्यु हो गई।
प्रश्न 22.
बहमनी राज्य की स्थापना किस प्रकार हुई?
उत्तर:
बहमनी राज्य की स्थापना दक्षिण भारत में मुहम्मद तुगलक के विरुद्ध विद्रोह की भावना से हुई थी। इस राज्य की नींव रखने वाला हसन गंगू था जो अमीर उमरा की सहायता से 1347 ई. में अलाउद्दीन बहमनशाह के नाम से स्वतन्त्र शासक बन बैठा। इस प्रकार दक्षिण भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना बहमनी राज्य के नाम से हुई। बहमनशाह, मुहम्मदशाह, फिरोजशाह, अहमदशाह तथा अलाउद्दीन द्वितीय आदि प्रमुख बहमनी शासक थे। अलाउद्दीन बहमनशाह ने गुलबर्गा में अपनी राजधानी स्थापित की तथा उसका नाम अहसनाबाद रखा। इस काल में मुहम्मद तुगलक उत्तरी भारत की समस्याओं में उलझा हुआ था। अत: दक्षिण भारत में बहमनी राज्य को फलने-फूलने का पर्याप्त अवसर मिला।
प्रश्न 23.
मध्यकालीन भारतीय सम्राटों में अकबर का नाम विशेष उल्लेखनीय है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अकबर :
मध्यकालीन भारतीय सम्राटों में अकबर का नाम विशेष उल्लेखनीय है। उसे भारत का एक राष्ट्रीय शासक कहा जाता है। हुमायूँ की मृत्यु के पश्चात् 1556 ई. में वह मुगल सम्राट बना। जब वह सम्राट बना उस समय मुगल साम्राज्य की सीमा अत्यन्त सीमित थी। अकबर ने अनेक युद्ध कर विजय प्राप्त की तथा एक विशाल साम्राज्य की नींव डाली। अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति का पालन दिया तथा राजपूतों को अपना मित्र बनाया। समस्त धर्मों के उत्तम सिद्धान्तों का समन्वय करके उसने दीन-ए-इलाही धर्म चलाया। हिन्दुओं को उसने योग्यता के आधार पर उच्च पदों पर भी नियुक्त किया। उसके शासन काल में कला और साहित्य का भी विकास हुआ। इन कारणों से ही अकबर को एक राष्ट्रीय शासक कहते हैं।
प्रश्न 24.
जहाँगीर का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
उत्तर:
जहाँगीर :
जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त, 1569 ई. में हुआ था। उसका बचपन का नाम सलीम था। अकबर की मृत्यु के बाद 1605 ई. मुगल सिंहासन पर आसीन हुआ। जहाँगीर ने अनेक विवाह किये थे जिनमें शेर अफगान की विधवा नूरजहाँ से किया गया विवाह प्रमुख था। जहाँगीर नूरजहाँ से इतना प्रभावित था कि उसने सम्पूर्ण राज्य का भार उसी पर छोड़ दिया। जिसके परिणामस्वरूप उसका अन्तिम समय कष्ट में व्यतीत हुआ। जहाँगीर के एक पुत्र खुर्रम (शाहजहाँ) ने विद्रोह कर दिया जिसके कारण राज्य की स्थिति चिन्ताजनक हो गई। 1627 ई. में जहाँगीर की मृत्यु हो गयी।
प्रश्न 25.
शाहजहाँ कौन था? उसके मुगल साम्राज्य के विस्तार का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर:
शाहजहाँ :
शाहजहाँ जहाँगीर का पुत्र था। वह एक योग्य, प्रतिभाशाली तथा साहसी शहजादा था। जहाँगीर के शासन काल में वह दक्षिण का सूबेदार रह चुका था तथा अनेक सैनिक सफलताएँ भी प्राप्त की थीं। 1628 ई. में वह मुगल सिंहासन पर बैठा। शासक बनते ही उसके खानजहाँ लोदी का विद्रोह, बुन्देलखण्ड तथा नुरपूर के जमींदार जगतसिंह के विद्रोहों का दमन किया। पुर्तगालियों से युद्ध कर उन्हें खदेड़ दिया। उसने अपने राज्य को मजबूत बनाने के उद्देश्य से दक्षिण भारत के अहमदनगर, गोलकुण्डा, बीजापुर पर आक्रमण किये। मराठों के साथ भी मुगल सेना का संघर्ष हुआ। शाहजहाँ के चार पुत्र दाराशिकोह, शाहशुजा, औरंगजेब तथा मुराद थे। शाहजहाँ के जीवनकाल में ही सिंहासन के लिए संघर्ष प्रारम्भ हो गया था जिसमें औरंगजेब को सफलता मिली।
प्रश्न 26.
औरंगजेब के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
औरंगजेब :
शाहजहाँ 1657 ई. में बीमार पड़ा। उसके पुत्रों में उत्तराधिकार का युद्ध छिड़ गया। औरंगजेब ने अपने सभी भाइयों व सम्बन्धियों का रक्त बहाकर 1658 ई. में सिंहासन पर अधिकार कर लिया। उसने अपने पिता शाहजहाँ को आगरा के लाल किले में बन्दी बना दिया। 1666 ई. में शाहजहाँ की बन्दी के रूप में मृत्यु हुई।
औरंगजेब ने राजपूतों, जाटों, सिक्खों और मराठों को भी अपना विरोधी बना लिया जिसके कारण राज्य में निरन्तर विद्रोह हुए। शिवाजी ने उसकी हिन्दू विरोधी नीति के कारण उसका सामना किया और एक स्वतन्त्र मराठा राज्य की नींव डाली। सिक्खों के नवें गुरु तेगबहादुर ने विद्रोह किया जिनका औरंगजेब ने वध करवा दिया। तब गुरु गोविन्दसिंह ने सिक्ख सेना (खालसा) को तैयार किया। दुर्गादास राठौड़ जैसे राजपूतों ने औरंगजेब को चुनौतियाँ दीं। 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु हो गयी और उसी के साथ ही मुगल साम्राज्य का पतन भी प्रारम्भ हो गया।
MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आठवीं शताब्दी में उत्तरी भारत के पाँच प्रमुख राजवंशों के नाम लिखिए और किसी एक राजवंश का वर्णन कीजिए। (2011)
उत्तर:
आठवीं शताब्दी में उत्तरी भारत के प्रमुख राजवंश निम्नलिखित हैं-
- गुर्जर प्रतिहार
- पालवंश
- चालुक्य वंश (सोलंकी)
- परमार वंश
- चंदेल वंश।
गुर्जर प्रतिहार :
प्रतिहार वंश का संस्थापक नागभट्ट प्रथम था। इसने सम्पूर्ण मालवा तथा पूर्वी राजस्थान को अपने अधीन कर लिया था। नागभट्ट के पश्चात् दो छोटे-छोटे शासक हुए जिनके शासन का विशेष उल्लेख नहीं है। इनके पश्चात् चौथा महत्त्वपूर्ण शासक वत्सराज हुआ जिसने साम्राज्य विस्तार के प्रयास किये। वत्सराज के पश्चात् क्रमश: नागभट्ट द्वितीय, रामचन्द्र, मिहिर भोज, महेन्द्र पाल, भोज द्वितीय तथा महिपाल आदि शासक हुए। महिपाल के पश्चात् प्रतिहार वंश का पतन हो गया। गुर्जर प्रतिहार राजवंश ने आठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक शासन किया।