MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार
MP Board Class 9th Science Chapter 15 पाठ के अन्तर्गत के प्रश्नोत्तर
प्रश्न शृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 229
प्रश्न 1.
अनाज, दाल, फल तथा सब्जियों से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
अनाज से कार्बोहाइड्रेट, दाल से प्रोटीन तथा फल एवं सब्जियों से विटामिन्स एवं मिनरल्स मिलते हैं।
प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 230
प्रश्न 1.
जैविक तथा अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
फसल उत्पादन को प्रभावित करने वाले जैविक कारक:
- रोग, कीट तथा निमेटोड फसल उत्पादन को कम करते हैं।
- कुछ बैक्टीरिया नाइट्रोजन स्थिरीकरण द्वारा वायुमण्डल की नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स में बदल देते हैं जिससे फसल उत्पादन बढ़ता है।
फसल उत्पादन को प्रभावित करने वाले अजैविक कारक:
- सूखा (अनावृष्टि), बाढ़ (अतिवृद्धि), क्षारकता, पाला आदि फसल उत्पादन को कम कर देते हैं।
- उचित ताप, वायु, सूर्य का प्रकाश आदि फसल उत्पादन को बढ़ाते हैं।
प्रश्न 2.
फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं?
उत्तर:
ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण-चारे वाली फसलों के लिए लम्बी तथा सघन शाखाएँ तथा अनाज के लिए बौने पौधे ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण होते हैं। इन फसलों को उगाने से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 231
प्रश्न 1. वृहत् पोषक क्या है? इन्हें वृहत् पोषक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम एवं सल्फर वृहत् पोषक कहलाते हैं। इन पोषकों की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है इसलिए इन्हें वृहत् पोषक कहते हैं।
प्रश्न 2.
पौधे अपना पोषक कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
पौधे अपना पोषक मृदा, हवा एवं पानी से प्राप्त करते हैं।
प्रश्न शृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 232
प्रश्न 1.
मिट्टी की उर्वरकता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक के उपयोग की तुलना कीजिए।
उत्तर:
उर्वरक फसलों का उत्पादन बढ़ाते हैं अर्थात् कम समय में अधिक उत्पादन लेकिन इनका लगातार तथा अधिक उपयोग मृदा की उर्वरकता को शनैः-शनैः घटाता है, जबकि खाद के उपयोग से मृदा की उर्वरकता दीर्घ अवधि तक बनी रहती है।
प्रश्न श्रृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 235
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी परिस्थिति में सबसे अधिक लाभ होगा और क्यों?
(a) किसान उच्चकोटि के बीज का उपयोग करें, सिंचाई न करें अथवा उर्वरक का उपयोग न करें।
(b) किसान सामान्य बीजों का उपयोग करें, सिंचाई करें तथा उर्वरक का उपयोग करें।
(c) किसान अच्छी किस्म के बीजों का प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियों को अपनाएँ।
उत्तर:
परिस्थिति (c) सबसे अधिक लाभदायक रहेगी क्योंकि सबसे अधिक फसल उत्पादन के लिए आवश्यक है कि अच्छी किस्म के बीजों का उपयोग किया जाए, सिंचाई की जाए, उर्वरकों का प्रयोग हो एवं फसल को नुकसान से बचाने के लिए सुरक्षा विधियों का प्रयोग किया जाए।
प्रश्न शृंखला-6 # पृष्ठ संख्या 235
प्रश्न 1.
फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियों तथा जैव नियन्त्रण क्यों अच्छा समझा जाता है?
उत्तर:
निरोधक विधियों और जैव नियन्त्रण से उत्पादों की गुणवत्ता सुरक्षित रहती है। बीजों की अंकुरण क्षमता बनी रहती है तथा उत्पाद की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। इसलिए फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियन्त्रण को अच्छा समझा जाता है।
प्रश्न 2.
भण्डारण की प्रक्रिया में कौन से कारक अनाज को हानि पहुँचाने के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
भण्डारण की प्रक्रिया में अनाज को हानि पहुँचाने वाले कारक:
1. जैविक कारक:
कीट, कृन्तक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु।
2. अजैविक कारक (भौतिक कारक):
नमी का होना तथा उचित ताप का अभाव।
प्रश्न श्रृंखला-7 # पृष्ठ संख्या 236
प्रश्न 1.
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है और क्यों?
उत्तर:
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः संकरण विधि का उपयोग किया जाता है क्योंकि इससे एक ऐसी संतति प्राप्त होती है जिसमें दोनों नस्लों के अच्छे ऐच्छिक गुण विद्यमान होंगे।
प्रश्न शृंखला-8 # पृष्ठ संख्या 237
प्रश्न 1.
निम्नलिखित की विवेचना कीजिए –
“यह रुचिकर है कि भारत में कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पौष्टिकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तित करने के लिए सबसे अधिक सक्षम हैं। अन्य रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।”
उत्तर:
कुक्कुट (मुर्गियाँ) जो भोजन ग्रहण करती हैं वे प्रायः कृषि के उपोत्पाद से प्राप्त सस्ता रेशेदार आहार होता है जो मनुष्यों के सर्वथा अनप्रयुक्त तथा अपशिष्ट होता है। इनसे मनुष्यों को जो अण्डे एवं माँस के रूप में खाद्य पदार्थ प्राप्त होते हैं वे उच्च पौष्टिकता वाला पशु प्रोटीन आहार होता है। इस प्रकार भारत में कुक्कुट अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पौष्टिकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तित करने के लिए सक्षम होते हैं।
प्रश्न श्रृंखला-9 # पृष्ठ संख्या 238
प्रश्न 1.
पशुपालन तथा कुक्कुट पालन की प्रबन्धन प्रणाली में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर:
पशुपालन एवं कुक्कुट पालन की प्रबन्धन प्रणाली में समानताएँ –
- दोनों के लिए उचित, स्वच्छ, हवादार, रोशनी युक्त एवं संक्रमणरहित आवास की व्यवस्था करना।
- दोनों के लिए आहार एवं जल की व्यवस्था करना।
- दोनों को बीमारियों से बचाने के उपाय एवं टीकाकरण।
- दोनों को अच्छे उत्पादन के लिए संकरण द्वारा अच्छी नस्लें तैयार करना।
प्रश्न 2.
ब्रौलर तथा अण्डे देने वाली लेयर में क्या अन्तर है? इनके प्रबन्धन के अन्तर को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ब्रौलर तथा अण्डे देने वाली लेयर में अन्तर:
ब्रौलर को माँस उत्पादन के लिए तथा लेयर को अण्डे उत्पादन के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
ब्रौलर तथा अण्डे देने वाली लेयर के प्रबन्धन में अन्तर:
ब्रौलर के आवास, पर्यावरण तथा पोषक सन्तुलित आहार का विशेष ध्यान रखना होता है। ब्रौलर के आहार में प्रोटीन तथा वसा की प्रचुर मात्रा आवश्यक है तथा अण्डे देने वाले कुक्कुटों के आहार में विटामिन ‘A’ तथा ‘K’ की अधिक मात्रा आवश्यक है।
प्रश्न श्रृंखला-10 # पृष्ठ संख्या 239
प्रश्न 1.
मछलियाँ कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
मछलियाँ प्राप्त करने की दो अग्र विधियाँ हैं –
- प्राकृतिक स्रोत से मछलियाँ पकड़ना।
- मछली पालन या मत्स्य संवर्धन।
प्रश्न 2.
मिश्रित मछली संवर्धन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
मिश्रित मछली संवर्धन से एक साथ पाँच-छ: स्पीशीज की मछलियों का प्रचुर मात्रा में उत्पादन किया जा सकता है।
प्रश्न श्रृंखला-11 # पृष्ठ संख्या 240
प्रश्न 1.
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खियों में कौन से ऐच्छिक गुण होने चाहिए?
उत्तर:
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खियों के ऐच्छिक गुण –
- मधु एकत्रित करने की अधिकतम क्षमता।
- निर्धारित छत्ते में अधिक समय तक रहने की प्रवृत्ति।
- तीव्र प्रजनन की प्रवृत्ति।
- कम डंक मारने की प्रवृत्ति।
प्रश्न 2.
चरागाह क्या है? और ये मधु उत्पादन से कैसे सम्बन्धित है?
उत्तर:
चरागाह:
मधुमक्खियों के चरागाह वे क्षेत्र कहलाते हैं जहाँ मधुमक्खियाँ फूलों से मकरन्द एवं पराग कण एकत्रित करती हैं।”
चरागाहों का मधु उत्पादन से सम्बन्ध:
मधु की गुणवत्ता एवं मात्रा मधुमक्खियों के चरागाह अर्थात् उनको मधु एकत्रित करने के लिए उपलब्ध फूलों पर निर्भर करती है। चरागाह की पर्याप्त उपलब्धता एवं पुष्पों की किस्में मधु के स्वाद को निर्धारित करती हैं।
MP Board Class 9th Science Chapter 15 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
फसल उत्पादन की एक विधि का वर्णन कीजिए जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।
उत्तर:
अधिक पैदावार के लिए फसल उत्पादन की अन्तराफसलीकरण विधि-इस विधि में दो अथवा दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खेत में निर्दिष्ट पैटर्न पर उगाते हैं। कुछ पंक्तियों में एक प्रकार की फसल तथा उसके एकान्तर में स्थित दूसरी पंक्तियों में दूसरे प्रकार की फसल उगाते हैं। इससे अधिक पैदावार प्राप्त होती है।
प्रश्न 2.
खेतों में खाद तथा उर्वरकों का प्रयोग क्यों करते हैं?
उत्तर:
पौधों की वृद्धि के लिए पोषक पदार्थों की आवश्यकता होती है। इन पोषकों की कमी से पौधों की शारीरिक क्रियाओं, जनन, वृद्धि एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए खेतों में खाद तथा उर्वरकों के रूप में पोषकों को मिलाना आवश्यक है। इसलिए इनका प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 3.
अन्तराफसलीकरण तथा फसल चक्र के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
अन्तराफसलीकरण तथा फसल चक्र के लाभ:
- कम कृषि लागत में फसल की उपज में वृद्धि।
- भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखते हुए भूमि का समुचित उपयोग।
- आर्थिक जोखिम कम होता है तथा आय में वृद्धि होती है।
- एक साथ अनेक प्रकार के शुद्ध बीजों का उत्पादन सरल होता है।
- खरपतवारों को नियन्त्रित करने में सहायता मिलती है।
प्रश्न 4.
आनुवंशिक फेरबदल क्या है? कृषि प्रणालियों में यह कैसे उपयोगी है?
उत्तर:
आनुवंशिक फेरबदल:
“फसल सुधार के लिए ऐच्छिक गुणों वाले जीन का डालना जिससे आनुवंशिकीय रूपान्तरित फसल प्राप्त होती है, आनुवंशिक फेरबदल कहलाता है।”
आनुवंशिक फेरबदल की कृषि प्रणालियों में उपयोगिता:
इस प्रक्रिया से हमको ऐच्छिक गुणों वाले उन्नत किस्म के कृषि उत्पाद एवं अच्छी गुणवत्ता वाले विशेष बीज उपलब्ध होते हैं।
प्रश्न 5.
भण्डारगृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?
उत्तर:
भण्डारगृहों (गोदामों) में अनाज की हानि:
- नमी, सीलन एवं ताप का अभाव अनाज को बदरंग कर देते हैं तथा अनाज सड़ भी जाता है।
- अनाज की अंकुरण क्षमता कम हो जाती है।
- कीट, कृन्तक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु अनाज को नष्ट कर देते हैं तथा पेस्ट (चूहे) अनाज को खा जाते हैं।
- अनाज का वजन कम हो जाता है तथा गुणवत्ता खराब होने से बाजार मूल्य भी कम होता है।
प्रश्न 6.
किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ कैसे लाभदायक हैं?
उत्तर:
पशुपालन की प्रणालियों से किसानों को उचित पशु आवास का प्रबन्धन, पशुओं के उचित आहार, प्रजनन प्रबन्धन, पशुओं में फैलने वाले रोगों और उनके उचित उपचार की जानकारी मिलती है। इससे पशु उत्पादन को बढ़ाने में सहायता मिलती है। इस प्रकार किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ लाभदायक हैं।
प्रश्न 7.
पशुपालन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
- पशुपालन से भोज्य पदार्थ दूध की आपूर्ति होती है।
- पशुपालन से कृषि कार्यों (हल चलाना, सिंचाई करना, बोझा ढोना आदि) के लिए पशु उपलब्ध होते हैं।
प्रश्न 8.
उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन के प्रबन्धन में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर:
उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन एवं मधुमक्खी पालन के प्रबन्धन में निम्न समानताएँ हैं –
- उचित आवास की व्यवस्था करना।
- उनके सन्तुलित एवं पौष्टिक आहार की व्यवस्था करना।
- उनको नीरोग रखने के लिए व्यवस्था करना।
- उनके प्रजनन की उचित व्यवस्था करना।
प्रश्न 9.
प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
प्रग्रहण मत्स्यन:
प्राकृतिक स्रोतों से मछली पकड़ने की विधि प्रग्रहण मत्स्यन कहलाती है। इसमें तालाबों, नदियों तथा समुद्रों से पारम्परिक तरीकों से मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। इससे मछली उत्पादन अधिक मात्रा में नहीं हो पाता।
मेरीकल्चर:
मत्स्यपालन की वह विधि जिसके द्वारा समुद्र में मछलियों का संवर्धन किया जाता है। मेरी कल्चर कहलाती है। इसमें आर्थिक महत्व की मछलियों का संवर्धन किया जा सकता है।
जल संवर्धन:
ताजा जल स्रोत; जैसे नाले, नदियाँ, तालाब, पोखर आदि में जहाँ प्रग्रहण विधि से मत्स्य उत्पादन अधिक नहीं होता वहाँ संवर्धन द्वारा अधिकांश मत्स्य उत्पादन किया जाता है। इस प्रणाली को जल संवर्धन कहते हैं। इस प्रणाली द्वारा मछली उत्पादन अधिक होता है।
MP Board Class 9th Science Chapter 15 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
MP Board Class 9th Science Chapter 15 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किस पौधे से तेल प्राप्त होता है?
(a) मसूर
(b) सूरजमुखी
(c) फूलगोभी
(d) गुड़हल
उत्तर:
(b) सूरजमुखी
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा कार्बोहाइड्रेट का स्रोत नहीं है?
(a) चावल
(b) बाजरा
(c) ज्वार
(d) चना
उत्तर:
(d) चना
प्रश्न 3.
देश की खाद्य समस्या के हल के लिए निम्नलिखित में से कौन आवश्यक है?
(a) उत्पादन का बढ़ाना तथा खाद्यान्न का भण्डारण
(b) लोगों को आसानी से खाद्यान्न का मिलना
(c) लोगों के पास अन्न खरीदने के लिए धन का होना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 4.
खरपतवार फसलों को निम्नलिखित में से किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
(a) वृद्धि करने से पहले ही खेत में पादप को नष्ट करके
(b) पादप की वृद्धि को प्रभावित करके
(c) पादप के अन्य संसाधनों में प्रतियोगिता के कारण पोषक पदार्थ की उपलब्धता में कमी करके
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(c) पादप के अन्य संसाधनों में प्रतियोगिता के कारण पोषक पदार्थ की उपलब्धता में कमी करके
प्रश्न 5.
मधुमक्खी की निम्नलिखित जातियों (स्पीशीज) में से कौन-सी स्पीशीज इटली की है।
(a) ऐपिस डॉर्मेटा
(b) ऐपिस फ्लोरी
(c) ऐपिस सेरना इण्डिका
(d) ऐपिस मेलीफेरा
उत्तर:
(d) ऐपिस मेलीफेरा
प्रश्न 6.
पशुपालन निम्नलिखित उद्देश्यों में से किसके लिए किया जाता है?
(i) दुग्ध उत्पादन
(ii) कृषि कार्य
(iii) माँस उत्पादन
(iv) अण्डा उत्पादन
(a) (i), (ii) तथा (iii)
(b) (ii), (iii) तथा (iv)
(c) (ii) तथा (iii)
(d) (iii) तथा (iv)
उत्तर:
(a) (i), (ii) तथा (iii)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-से पशु भारतीय हैं?
(i) बॉस इण्डिकस
(ii) बॉस डोमेस्टिका
(iii) बॉस बुबेलिस
(iv) बॉस बुल्गैरिस
(a) (i) तथा (iii)
(b) (ii) तथा (iii)
(c) (i) तथा (iv)
(d) (ii) तथा (iv)
उत्तर:
(a) (i) तथा (iii)
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन-सी विदेशी नस्ल है?
(i) ब्रॉन
(ii) जर्सी
(ii) ब्राउन स्विस
(iv) जर्सी स्विस
(a) (i) तथा (iii)
(b) (ii) तथा (iii)
(c) (i) तथा (iv)
(d) (ii) तथा (iv)
उत्तर:
(b) (ii) तथा (iii)
प्रश्न 9.
मुर्गीपालन निम्नलिखित में से किसकी वृद्धि के लिए किया जाता है?
(i) अण्डा उत्पादन
(ii) पंख उत्पादन
(iii) चिकनमाँस
(iv) दुग्ध उत्पादन
(a) (i) तथा (iii)
(b) (i) तथा (ii)
(c) (ii) तथा (iii)
(d) (iii) तथा (iv)
उत्तर:
(a) (i) तथा (iii)
प्रश्न 10.
कुक्कुट (मुर्गियाँ) निम्नलिखित रोगजनकों में से किसके प्रति सुग्राह्य हैं?
(a) विषाणु
(b) जीवाणु
(c) कवक
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी
प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन-सी मछली जल की सतह से भोजन प्राप्त करती है?
(a) रोहू
(b) मृगल
(c) सामान्य कार्प
(d) कटला
उत्तर:
(b) मृगल
प्रश्न 12.
पशुपालन में निम्नलिखित में से किसका वैज्ञानिक प्रबन्धन किया जाता है?
(i) पशु प्रजनन
(ii) पशु संवर्धन
(iii) पशुधन
(iv) पशुओं का पालन-पोषण
(a) (i), (ii) तथा (iii)
(b) (ii), (iii) तथा (iv)
(c) (i), (ii) तथा (iv)
(d) (i), (iii) तथा (iv)
उत्तर:
(b) (ii), (iii) तथा (iv)
प्रश्न 13.
निम्नलिखित पोषकों में से कौन-सा पोषक उर्वरकों में उपलब्ध नहीं होता है?
(a) नाइट्रोजन
(b) फॉस्फोरस
(c) आयरन
(d) पोटैशियम
उत्तर:
(c) आयरन
प्रश्न 14.
अन्न भण्डारण के नियन्त्रण और रोकथाम के लिए कौन-सा उपाय किया जाता है?
(a) भण्डारण कक्ष की भली-भाँति स्वच्छता
(b) उत्पाद को अच्छी तरह सुखाना
(c) धूमन
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी
प्रश्न 15.
दुग्ध उत्पादन में अपार वृद्धि कहलाती है –
(a) श्वेत क्रान्ति
(b) हरित क्रान्ति
(c) नीली क्रान्ति
(d) ये सभी
उत्तर:
(a) श्वेत क्रान्ति
प्रश्न 16.
मछली उत्पादन में अपार वृद्धि कहलाती है –
(a) श्वेत क्रान्ति
(b) हरित क्रान्ति
(c) नीली क्रान्ति
(d) ये सभी
उत्तर:
(c) नीली क्रान्ति
प्रश्न 17.
कृषि उत्पादन में अपार वृद्धि कहलाती है –
(a) श्वेत क्रान्ति
(b) हरित क्रान्ति
(c) नीली क्रान्ति
(d) ये सभी
उत्तर:
(b) हरित क्रान्ति
रिक्त स्थानों की पूर्ति
1. अरहर ……… का एक अच्छा स्रोत है।
2. बरसीम ……की एक मुख्य फसल है।
3. वर्षा ऋतु में होने वाली फसल को ………….. फसल कहते हैं।
4. ……. विटामिनों से भरपूर होती है।
5. ………… फसल शीत ऋतु में होती है।
6. खेती जो उर्वरक, शाकनाशी तथा पीड़कनाशी जैसे रसायनों की अनुपस्थित में होती है उसे …….. कहते हैं।
7. गेहूँ और मूंगफली का एक ही खेत में साथ-साथ उगाने को ………. कहते हैं।
8. सोयाबीन और मक्का को एकान्तर पंक्ति में एक ही खेत में उगाने को ………… कहते हैं।
9. एक भूमि के टुकड़े में विभिन्न फसलों को पूर्व नियोजित तरीके को क्रमवार उगाने को …………. कहते हैं।
10. गोखरू (जैन्थियम) तथा गाजर घास (पारथेनियम) आमतौर पर ………….. कहे जाते हैं।
11. किसी बीमारी का कारक जीव ……….. कहलाता है।
12. दीप्तिकाल पादपों में ……….. को प्रभावित करता है।
13. खरीफ की फसल की खेती ………… से ………….. तक की जाती है।
14. रबी की खेती …………. से ……….. की जाती है।
15. धान, मक्का, मूंग तथा उड़द ……. फसलें हैं।
16. गेहूँ, चना, मटर, सरसों ……… फसलें हैं।
17. पादपों की वृद्धि के लिए कुल ………….. पोषक तत्व आवश्यक होते हैं।
18. …………. तथा …………. पादपों को वायु से प्राप्त होते हैं।
19. पादपों को ……….. की आपूर्ति जल द्वारा होती है।
20. पादपों को ….. पोषकों की आपूर्ति मृदा से होती है।
21. कुल ……….. पोषकों की बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है और इन्हें ………. कहते हैं।
22. कुल ……….. पोषकों की अल्पमात्रा में आवश्यकता होती है और इन्हें ………… कहते हैं।
उत्तर:
- प्रोटीन
- चारे
- खरीफ
- वनस्पति
- रबी
- जैविक कृषि
- मिश्रित फसल
- अन्तरफसलीकरण
- फसल चक्र
- खरपतवार
- रोगजनक
- पुष्पन
- जून, अक्टूबर
- नवम्बर, अप्रैल
- खरीफ
- रबी
- सोलह
- कार्बन, ऑक्सीजन
- हाइड्रोजन
- तेरह
- छ:, बृहद पोषक
- सात, सूक्ष्म पोषक।
सही जोड़ी बनाना
I.
उत्तर:
- → (ii)
- → (iii)
- → (i)
- → (iv)।
II.
उत्तर:
- → (iii)
- → (v)
- → (iv)
- → (i)
- → (ii)।
सत्य/असत्य कथन
1. श्वेत क्रान्ति का अर्थ दुग्ध उत्पादन को बढ़ाना है।
2. नीली क्रान्ति का अर्थ मत्स्य उत्पादन को बढ़ाना है।
3. पर्यावरणीय गुणवत्ता के साथ समझौता किए बिना खाद्य उत्पादन में वृद्धि संधारणीय कृषि कहलाती है।
4. संकरण का अर्थ है आनुवंशिक रूप से दो असमान पादपों के बीच क्रासिंग कराना।
5. दो किस्मों के बीच किया जाने वाला संकरण, अन्तरास्पीशीजी संकरण कहलाता है।
6. किसी पादप में वांछित गुणों वाले जीन डालने से आनुवंशिकीय रूपान्तरित फसल प्राप्त होती है।
7. दो स्पीशीजों के पौधों के बीच किया जाने वाला संकरण अन्तरावैरायटी संकरण कहलाता है।
8. खाद में जैव पदार्थों की मात्रा अधिक होती है और पोषक पदार्थों की मात्रा कम होती है।
9. खाद रेतीली मृदा में जलधारण क्षमता को बढ़ाती है।
10. खाद चिकनी मृदा से अतिरिक्त जल को बाहर निकालने में सहायता करती है।
11. ,खाद का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण को प्रदूषित करता है, क्योंकि यह जन्तु के उत्सर्जित अपशिष्ट से बनी होती है।
उत्तर:
- सत्य
- सत्य
- सत्य
- सत्य
- सत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- सत्य
- असत्य
- असत्य।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
प्रश्न 1.
कृषि उत्पादन में अपार वृद्धि क्या कहलाती है?
उत्तर:
हरित क्रान्ति।
प्रश्न 2.
दुग्ध उत्पादन में अपार वृद्धि क्या कहलाती है?
उत्तर:
श्वेत क्रान्ति।
प्रश्न 3.
मत्स्य उत्पादन में अपार वृद्धि क्या कहलाती है?
उत्तर:
नीली क्रान्ति।
प्रश्न 4.
श्वेत क्रान्ति के जनक का नाम लिखिए।
उत्तर:
डॉ. वर्गीस कुरियन।
प्रश्न 5.
भारतीय मधुमक्खी का जन्तु वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर:
ऐपिस सेरना इण्डिका।
प्रश्न 6.
जिन पोषकों की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। उनको क्या कहते हैं?
उत्तर:
वृहद् पोषण।
प्रश्न 7.
जिन पोषकों की अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है उन्हें क्या कहते हैं?
उत्तर:
सूक्ष्म पोषक।
प्रश्न 8.
व्यावसायिक रूप से तैयार पादप पोषक क्या कहलाते हैं?
उत्तर:
उर्वरक।
प्रश्न 9.
जन्तुओं के अपशिष्ट एवं पौधों के कचरे से बने पादप पोषक क्या कहलाते हैं।
उत्तर:
खाद।
प्रश्न 10.
इटली की मधुमक्खी का नाम क्या है?
उत्तर:
ऐपिस मेलीफेरा।
प्रश्न 11.
कुक्कुट पालन में किसकी उन्नत नस्लें विकसित की जाती हैं? (2018)
उत्तर:
कुक्कुट (मुर्गी)।
MP Board Class 9th Science Chapter 15 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मिश्रित खेती से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मिश्रित खेती:
“जब किसी फार्म पर फसलों के उत्पादन के साथ-साथ कोई अन्य कृषि आधारित व्यवसाय भी अपनाया जाता है, तब कृषि की यह प्रणाली मिश्रित खेती (कृषि) कहलाती है।”
प्रश्न 2.
फसल चक्र को लाभ सहित समझाइए।
उत्तर:
फसल चक्र:
“किसी निश्चित समय में फसलों की पूर्व योजनानुसार क्रम में अदल-बदल कर बोना, जिससे कि भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट न हो, फसल चक्र कहलाता है। फसल चक्र का प्रमुख लाभ भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखकर फसलों का उत्पादन करना है।
प्रश्न 3.
खाद किसे कहते हैं?
उत्तर:
खाद:
“जन्तुओं के अपशिष्ट एवं पादप कचरे से निर्मित तथा प्रचुर मात्रा में कार्बनिक पदार्थों से युक्त पादप पोषक खाद कहलाते हैं।”
प्रश्न 4.
उर्वरक किसे कहते हैं?
उत्तर:
उर्वरक:
“व्यावसायिक रूप से निर्मित तथा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम प्रदान करने वाले पादप पोषक उर्वरक कहलाते हैं।
प्रश्न 5.
अन्तराफसलीकरण से क्या समझते हो?
उत्तर:
अन्तराफसलीकरण:
“वह फसल पैटर्न जिसमें दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खेत में निर्दिष्ट पैटर्न पर उगाते हैं, अन्तराफसलीकरण कहलाता है।
प्रश्न 6.
खरपतवार किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
खरपतवार:
“कृषि योग्य भूमि में उगने वाले अनावश्यक पौधे जो कृषि को हानि पहुँचाते हैं, खरपतवार कहलाते हैं।”
प्रश्न 7.
पशुपालन किसे कहते हैं?
उत्तर:
पशुपालन:
“पशुधन के प्रबन्धन को पशुपालन कहते हैं। इसके अन्तर्गत अनेक कार्य एवं व्यवस्थाएँ आती हैं। जैसे- भोजन व्यवस्था, आवास व्यवस्था, रोगों पर नियंत्रण एवं प्रजनन कराना।
प्रश्न 8.
आनुवंशिक रूप से रूपान्तरित फसलें क्या होती हैं? भारत में उगायी जाने वाली एक ऐसी फसल का नाम बताइए।
उत्तर:
आनुवंशिक रूपान्तरित फसलें:
“वे फसलें जिनमें वांछित लक्षण प्राप्त करने के लिए किसी दूसरे स्रोत से प्राप्त जीन को प्रवेश कराकर विकसित किया गया हो, आनुवंशिक रूपान्तरित (G.M.) फसल कहलाती है।”
उदाहरण:
बीटी कपास जी. एम. फसल का उदाहरण है।
प्रश्न 9.
उर्वरक का अधिक उपयोग पर्यावरण के लिए क्यों हानिकारक है?
उत्तर:
उर्वरक का अत्यधिक उपयोग पर्यावरणीय प्रदूषण पैदा करता है क्योंकि इसकी अप्रयुक्त मात्रा वायु, जल एवं मृदा प्रदूषण पैदा करती हैं तथा भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है।
प्रश्न 10.
संकरण तथा दीप्तिकाल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
संकरण:
“आनुवंशिक रूप से भिन्न जीवों में क्रॉस कराना संकरण कहलाता है।”
दीप्तिकाल:
“सूर्य के प्रकाश की अवधि जो पौधे को मिलती है, दीप्तिकाल कहलाती है।”
प्रश्न 11.
“कृषि पद्धतियाँ तथा फसल की पैदावार का सम्बन्ध पर्यावरणीय परिस्थितियों से होता है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न फसलों तथा कृषि प्रणालियों की विभिन्न जलवायु अवस्थाएँ, तापमान, दीप्तिकाल की आवश्यकताएँ, उनकी वृद्धि तथा जीवन चक्र के पूर्ण होने के लिए होती हैं। कुछ फसलों को वर्षा ऋतु (खरीफ फसल) तथा कुछ को शीत ऋतु (रबी फसल) में बोया जाता है।
प्रश्न 12.
यदि किसी गाँव में पूरे साल कम वर्षा हुई है, तो आप किसानों को अच्छी फसल लेने के लिए क्या उपाय सुझाएँगे?
उत्तर:
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में किसानों को दिए जाने वाले सुझाव –
- जलाभाव सहिष्णु तथा जल्दी पकने वाली किस्मों की खेती करें।
- मृदा को अधिक ह्यूमस से समृद्ध करें क्योंकि यह जलधारण क्षमता बढ़ाती है और मृदा लम्बे समय के लिए जलधारण करती है।
प्रश्न 13.
हरी खाद तैयार करने के लिए इन कथनों को सही क्रम में लिखिए –
(a) हरे पौधे मृदा में अपघटित हो जाते हैं।
(b) खाद बनाने के लिए हरे पौधे उगाये जाते हैं या फसली पौधों के भागों का इस्तेमाल किया जाता है।
(c) पौधे खेत में जोत दिये जाते हैं, जो मृदा में मिल जाते हैं।
(d) अपघटन के बाद हरी खाद बन जाती है।
उत्तर:
(b)→ (c)→ (a)→ (d).
प्रश्न 14.
“कृषि पद्धतियों में अधिक लागत से अधिक पैदावार होती है।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
कृषि प्रणालियों में अच्छी लागत से अधिक पैदावार होती है क्योंकि अच्छी आर्थिक स्थिति वाले किसान अधिक धन लगाकर विभिन्न विकसित कृषि पद्धतियाँ, कृषि तकनीकों एवं कृषि उपकरणों तथा साधनों का उपयोग करके अधिक पैदावार कर सकते हैं।
प्रश्न 15.
फसल सुधार में संकरण की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संकरण अन्तरकिस्मीय, अन्तरस्पीशीज अथवा अन्तरवंशीय हो सकता है। अच्छे लक्षणों वाली वांछित दो फसलों को चयनित करके उन जनक फसलों को संकरण करके नई फसल प्राप्त की जाती है। संकरण की इस विधि से हम अधिक उपज वाली, रोग प्रतिरोधी तथा पीड़करोधी फसल तैयार कर सकते हैं।
प्रश्न 16.
मधुमक्खी पालन हमें अच्छे चरागाह में क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
अच्छे चरागाहों में मधुमक्खियों को अधिक मात्रा में पुष्प रस एवं अच्छी गुणवत्ता वाला मकरन्द प्राप्त होता है। इसके फलस्वरूप मधुमक्खियाँ अधिक मात्रा में तथा अच्छी गुणवत्ता का शहद बनाती हैं। इसलिए मधुमक्खी पालन हमको अच्छे चरागाह में करना चाहिए।
प्रश्न 17.
वे विधियाँ बताइए जिनसे कीट फसल की पैदावार को प्रभावित करता है।
उत्तर:
कीट पौधों के भागों विशेषकर पत्तियों को काटकर, कोशिकाओं का वेधन करके तथा कोशिकाओं का रस चूसकर फसल की पैदावार को कम करके प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 18.
पशुओं के भोजन के दो प्रकारों के नाम तथा उनके कार्य लिखिए।
उत्तर:
- रूक्षांश-ये प्रायः रेशे प्रदान करते हैं।
- सान्द्र-ये प्रोटीन तथा प्रचुर मात्रा में पोषक उपलब्ध कराते हैं।
प्रश्न 19.
यदि कुक्कुट (मुर्गियाँ) आकार में बड़ी होती तथा उनमें ग्रीष्म अनुकूलन की क्षमता नहीं होती तो क्या होता? कुक्कुटों को छोटे आकार का और उन्हें ग्रीष्म अनुकूलित बनाने के लिए क्या उपाय किया जाता है?
उत्तर:
कुक्कुट पक्षियों का बड़ा आकार (शरीर की सतही क्षेत्रफल की अधिकता) और ग्रीष्म-अनुकूलित न होने के कारण अण्डा उत्पादन में कमी आ जाती है। कुक्कुटों का छोटा आकार एवं ग्रीष्म अनुकूल प्राप्त करने के लिए कुक्कुटों में संकरण कराया जाता है।
MP Board Class 9th Science Chapter 15 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
उन्नत फसलों में पाए जाने वाले कुछ लाभदायक लक्षणों की सूची बनाइए।
उत्तर:
उन्नत फसलों में सुधार के बाद फसल के लाभदायक लक्षण हैं –
- अधिक पैदावार
- उत्तम पोषण गुणवत्ता
- जैविक तथा अजैविक तनाव से प्रतिरोधकता
- परिपक्वन में परिवर्तन
- व्यापक अनुकूलता
- इच्छित शस्य-विज्ञान लक्षण।
प्रश्न 2.
फसल उत्पादन में जैव पदार्थ क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
जैव पदार्थ फसलों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि –
- यह मृदा की संरचना सुधारने में सहायता करता है।
- यह बलुई मृदा में जल भराव की क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।
- मृत्तिका मृदा में अधिक जैव पदार्थ जल निकासी में सहायता करते हैं।
- ये जल प्लावन को रोकने में सहायता करते हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समूह बनाइए तथा उन्हें ऊर्जा देने वाले, प्रोटीन देने वाले, तेल देने वाली तथा चारा देने वाली फसलों में वर्गीकृत कीजिए –
गेहूँ, चावल, बरसीम, मक्का, चना, जई, अरहर, सूडान घास, मंसूर, सोयाबीन, मूंगफली, अरंडी तथा सरसों।
उत्तर:
- ऊर्जा देने वाले-गेहूँ, चावल, मक्का।
- प्रोटीन देने वाले-चना, अरहर, मंसूर, सोयाबीन।
- तेल देने वाले-मूंगफली, अरंडी, सरसों, सोयाबीन।
- चारा देने वाले-बरसीम, जई, सूडान घास।
प्रश्न 4.
कम्पोस्ट तथा वर्मी कम्पोस्ट में अन्तर बताइए।
उत्तर:
कम्पोस्ट:
“कम्पोस्ट का बनना एक ऐसी क्रिया है जिसमें फसलों के अपशिष्ट, जन्तुओं के अपशिष्ट; जैसे-मल-मूत्र, पशुओं के मल-मूत्र, वनस्पतियों के अपशिष्ट, घरेलू अपशिष्ट, भूसा, उखाड़े हुए खरपतवार आदि का अपघटन करके खाद की तरह प्रयुक्त किया जाता है। – वर्मी कम्पोस्ट-ऐसा कम्पोस्ट जो केंचुओं का प्रयोग करके जैव पदार्थों से तैयार किया जाता है। इससे अपघटन की क्रिया तीव्र हो जाती है तथा अच्छी गुणवत्ता की खाद प्राप्त होती है।
प्रश्न 5.
इटली की एक मधुमक्खी की किस्म ऐपिस मेलीफेरा को शहद उत्पादन के लिए भारत लाया गया है। इस मधुमक्खी के उन गुणों का उल्लेख कीजिए जिनमें यह अन्य किस्मों से बेहतर मानी जाती है।
उत्तर:
इटली की मधुमक्खी ऐपिस मेलीफेरा के विशिष्ट गुण निम्न हैं –
- इनका दंश कम होता है।
- इनकी मधु संग्रहण क्षमता अधिक होती है।
- यह अपने छत्ते में ठीक प्रकार से लम्बे समय तक रहती है।
- इसकी प्रजनन क्षमता अच्छी है।
प्रश्न 6.
खरपतवार नियन्त्रण के लिए विभिन्न विधियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
खरपतवार के नियन्त्रण के विभिन्न उपाय निम्न हैं –
- यान्त्रिक विधि से निकालना।
- बीच की क्यारी अच्छी तरह बनाना ताकि खरपतवार की वृद्धि न हो।
- समय से फसल बोना ताकि खरपतवार की वृद्धि न हो।
- अन्तरफसलीकरण तथा फसल चक्र द्वारा खरपतवार का नियन्त्रण करना।
प्रश्न 7.
मत्स्य संवर्धन के दो गुण तथा दो दोष बताइए। (2019)
उत्तर:
मत्स्य संवर्धन के गुण:
- कम क्षेत्र से अधिक मात्रा में वांछित मछलियों को प्राप्त किया जा सकता है।
- मछलियों में सुधार किया जा सकता है।
मत्स्य संवर्धन के दोष:
- जैव-विविधता का संकट उत्पन्न हो सकता है।
- केवल आर्थिक महत्व की तथा बहुमूल्य मछलियों का ही संवर्धन किया जायेगा।
प्रश्न 8.
मिश्रित मछली संवर्धन से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
मिश्रित मछली (मत्स्य) संवर्धन:
“पाँच या छः स्पीशीजों जिनमें विदेशी एवं स्वदेशी दोनों प्रकार की मछलियाँ सम्मिलित होती हैं, को एक ही तालाब में संवर्धन करने की विधि मिश्रित मछली (मत्स्य) संवर्धन कहलाती है।” इन स्पीशीज का चयन इनकी अशन प्रवृत्तियों के आधार पर किया जाता है ताकि भोजन के लिए इनमें स्वयं प्रतिस्पर्धा न हो। परिणामस्वरूप तालाब के प्रत्येक भाग में भोजन उपलब्ध रहता है। उदाहरण के लिए, कतला सतहभोजी है, रोहू मध्यक्षेत्र भोजी है तथा मृगाल और सामान्य कार्प अधःस्तल-भोजी होती है।
प्रश्न 9.
पीड़कनाशी का उपयोग बहुत सही सान्द्रण तथा बहुत सही विधि से क्यों किया जाता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पीड़कनाशी का उपयोग उपयुक्त सान्द्रण में तथा उचित विधि से करना होता है क्योंकि यदि इसका अधिक मात्रा में उपयोग हो गया तो –
- मृदा को नुकसान पहुँचता है तथा मृदा की उर्वरकता कम हो जाती है।
- जैव पदार्थों की पुनः पूर्ति रुक जाती है।
- मृदा के सूक्ष्म कण नष्ट हो जाते हैं।
- वायु, जल तथा मृदा प्रदूषण उत्पन्न होता है।
प्रश्न 10.
कुक्कुट (मुर्गियों) की बीमारियों से रोकथाम के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर:
कुक्कुट (मुर्गियों) की बीमारियों से रोकथाम के उपाय –
- कुक्कुट फार्म को साफ (स्वच्छ) तथा संक्रमण रहित रखना चाहिए।
- रोगाणुनाशी का समय-समय पर छिड़काव करना चाहिए।
- कुक्कुटों का उपयुक्त टीकाकरण कराते रहना चाहिए।
- कुक्कुटों को पौष्टिक सन्तुलित आहार देना चाहिए।
- पशु चिकित्सकों से समय-समय पर जाँच कराते रहना चाहिए।
प्रश्न 11.
मछली पालन की महत्ता एवं उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
मछली पालन की उपयोगिता एवं महत्ता:
- यह उद्योग कम समय एवं लागत वाला लाभकारी उद्योग है।
- मछली प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज पदार्थों का एक अच्छा स्रोत है, अतः मछली पालन से कुपोषण की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- यह व्यापार बेरोजगारी समाप्त करके आर्थिक स्थायित्व प्रदान कर सकता है।
- यह व्यवसाय खेती के साथ-साथ अतिरिक्त अधिक आय प्रदान कर सकता है।
प्रश्न 12.
मधुमक्खी पालन की महत्ता एवं उपयोगिता लिखिए। (2019)
उत्तर:
मधुमक्खी पालन की महत्ता एवं उपयोगिता:
- पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों वाला शहद प्राप्त होता है।
- इससे मोम प्राप्त होता है जिसका उपयोग औषधियाँ, मलहम, क्रीम, पॉलिश, वेसलीन एवं मोमबत्ती बनाने में होता है।
- मधुमक्खियाँ परागण क्रिया में भाग लेकर फसल की पैदावार बढ़ाती हैं।
- इस उद्योग का संचालन निर्धन एवं अल्पशिक्षित ग्रामीण भी कर सकते हैं।
प्रश्न 13.
सिंचाई के चार स्त्रोतों का वर्णन कीजिए। (2018)
उत्तर:
सिंचाई के जल स्त्रोत एवं विधियाँ:
1. नहर:
नदी या बाँधों से पानी सिंचाई के लिए नहरों द्वारा दूर-दराज तक पहुँचाया जाता है। इससे खेतों को पानी मिलता है।
2. नलकूप:
-बोरिंग करके जमीन में पाइप डाल दिए जाते हैं फिर उसमें सबमर्सीबल पम्प फिट कर दी जाती है जिससे जमीन के अन्दर से सिंचाई के लिए पानी प्राप्त किया जाता है।
3. चरस:
यह एक चमड़े का बहुत बड़ा थैला होता है जिसमें मोटा रस्सा बाँधकर कुए से बैलों के द्वारा पानी खींचा जाता है।
4. रहट:
यह युक्ति कुए में स्थापित कर दी जाती है इसमें छोटी-छोटी अनेकों बाल्टियाँ चेन द्वारा लगी होती हैं जो एक पहिए पर घूमती हुई नीचे कुए के जल तक जाती है तथा वहाँ से जल लाकर देती हैं।
प्रश्न 14.
हरी खाद क्या है? इसके लाभ लिखिए। (2019)
उत्तर:
हरी खाद:
“जो खाद खेतों में हरे पौधों के अपघटन से तैयार की जाती है, हरी खाद कहलाती है।” इसको तैयार करने के लिए खेतों में ढेंचा, पटसन, मूंग अथवा ग्वार आदि बोया जाता है, जिसे बड़ा होने पर खेत में ही जोत दिया जाता है और अपघटन के बाद उसे हरी ग्वाद बनने के लिए छोड़ दिया जाता है।
हरी खाद के लाभ:
- यह खाद हरे पौधों; जैसे-ढेंचा, पटसन, मूंग एवं ग्वार के अपघटन से बनाई जाती है। अतः हानिकारक रसायनों से मुक्त होती है।
- यह खाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है।
MP Board Class 9th Science Chapter 15 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए –
1. वर्मी कम्पोस्ट (2018, 19)
2. हरी खाद (2018, 19)
3. जैव उर्वरक (2019)।
उत्तर:
1. वर्मी कम्पोस्ट:
“कम्पोस्ट खाद की एक किस्म जिसमें जैव पदार्थ और पोषक पदार्थों की पर्याप्त मात्रा विद्यमान रहती है, जिसे बनाने में जन्तुओं के उत्सर्जी पदार्थ एवं पादपों के अवशेषों का शीघ्र अपघटन करने के लिए केंचुओं का उपयोग किया जाता है, वर्मी कम्पोस्ट कहा जाता है।”
2. हरी खाद:
“जो खाद खेतों में हरे पौधों के अपघटन से तैयार की जाती है, हरी खाद कहलाती है।” इसको तैयार करने के लिए खेतों में ढेंचा, पटसन, मूंग अथवा ग्वार आदि बोया जाता है, जिसे बड़ा होने पर खेत में ही जोत दिया जाता है और अपघटन के बाद उसे हरी ग्वाद बनने के लिए छोड़ दिया जाता है।
3. जैव उर्वरक:
“जीव जो पादपों को पोषक देते हैं तथा जिनका उपयोग पौधों के द्वारा उर्वरक के रूप में किया जाता है, वे जैव उर्वरक कहलाते हैं।” उदाहरण के लिए, नीली-हरी शैवाल जो चावल के खेतों में मृदा के अन्दर नाइट्रोजन स्थिरीकरण द्वारा नाइट्रेट्स बनाते हैं वे जैव उर्वरक होते हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए –
1. मछली पकड़ना तथा मछली संवर्धन
2. मिश्रित फसल तथा अन्तरफसलीकरण
3. मधुमक्खी पालन तथा कुक्कुट पालन।
उत्तर:
1. मछली पकड़ना, प्राकृतिक संसाधनों से मछली निकालने की विधि होती है जबकि मछली संवर्धन, मत्स्य उत्पादन द्वारा मछली प्राप्त करना है।
2. मिश्रित खेती में दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ ही एक ही खेत में उगाते हैं, जबकि अन्तरफसलीकरण में दो या अधिक फसलों को एक साथ एक ही खेत में निश्चित पैटर्न में उगाते हैं। जैसे अलग-अलग पंक्तियों में।
3. मधुमक्खी पालन, मधु (शहद) का उत्पादन करने के लिए मधुमक्खियों को पालने की प्रक्रिया है जबकि कुक्कुट पालन अण्डे और माँस का उत्पादन करने के लिए घरेलू कुक्कुट (मुर्गियाँ) को पालने की प्रक्रिया होती है।
प्रश्न 3.
संलग्न चित्र में खेती की दो फसलों को (प्लाट ‘A’ तथा प्लाट ‘B’) क्रमशः खाद तथा रासायनिक उर्वरक से दर्शाया गया है, दूसरे पर्यावरणीय कारकों को यथावत्र रखते हुए ग्राफ का अवलोकन कीजिए तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
1. ग्राफ ‘B’ पैदावार में अचानक वृद्धि तथा शनैः-शनैः कमी क्यों दिखाता है?
2. ग्राफ ‘A’ की सबसे ऊँची चोटी कुछ विलम्बित है, क्यों?
3. दोनों ग्राफों के पैटर्न अलग होने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
1. रासायनिक उर्वरक को डालने से अधिक मात्रा में N, P, K पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं जिससे उत्पादन में अचानक वृद्धि हो जाती है। लगातार अधिक मात्रा में प्रयोग किए गए रासायनिक उर्वरक उन सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देते हैं जो मृदा में जैव पदार्थों की पुनः पूर्ति करते हैं। इससे मृदा की उर्वरक शक्ति में कमी आने लगती है। इस कारण ग्राफ ‘B’ पहले पैदावार में अचानक वृद्धि तथा शनैः-शनैः पैदावार में कमी दिखाता है।
2. खाद, मृदा में पोषकों की आपूर्ति धीरे-धीरे अल्प मात्रा में करती है क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में जैव पदार्थ होते हैं। यह मृदा को पोषकों से समृद्ध करती है और उसकी उर्वरकता बढ़ाती है। इसके कारण मृदा की उर्वरकता कम नहीं होती और फसल उत्पादन भी कम नहीं होता है। इसलिए ग्राफ ‘A’ की सबसे ऊँची चोटी कुछ विलम्बित होती है।
3. दो ग्राफों का अन्तर दर्शाता है कि खाद का उपयोग लम्बी अवधि के लिए लाभदायक है क्योंकि जब खाद की मात्रा बढ़ाई जाती है तो यह उच्च उत्पादन को बढ़ाए रखती है।
उर्वरकों का उपयोग यदि लम्बे समय के लिए किया जाये तो मृदा की उर्वरकता शनैः-शनैः कम होती जाती है और इसलिए फसल का उत्पादन भी कम होता जाता है। इस कारण दोनों ग्राफों के पैटर्न अलग-अलग हैं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए – (2019)
1. मधुमक्खी पालन
2. मुर्गीपालन
3. फसल पैटर्न
4. अनाज का भंडारण।
उत्तर:
1. मधुमक्खी पालन:
मधु (शहद) और मोम के उत्पादन करने के लिए मधुमक्खियों को पालने की प्रक्रिया मधुमक्खी पालन कहलाती है। शहद का सर्वत्र उपयोग होता है अतः इसके लिए मधुमक्खी पालन का उद्यम एक कृषि उद्योग बन गया है। शहद एवं मोम का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। …
2. मुर्गीपालन:
अण्डे और माँस का उत्पादन करने के लिए मुर्गियों को पालने की प्रक्रिया मुर्गीपालन कहलाती है। मुर्गीपालन में उन्नत मुर्गी की नस्लें विकसित की जाती हैं। अंडों के लिए अंडे देने वाली (लेअर) तथा माँस के लिए ब्रौलर मुर्गीपालन किया जाता है।
3. फसल पैटर्न:
“किसी निश्चित समय में फसलों की पूर्व योजनानुसार क्रम में अदल-बदल कर बोना, जिससे कि भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट न हो, फसल चक्र कहलाता है। फसल चक्र का प्रमुख लाभ भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखकर फसलों का उत्पादन करना है।
4. अनाज का भंडारण:
अनाज (कृषि उत्पाद) का जैविक एवं अजैविक कारकों से सुरक्षित भण्डार की प्रक्रिया अनाज का भण्डारण कहलाती है। जैविक कारक कीट, कृन्तक, कवक, चिचड़ी तथा जीवाणु हैं तथा अजैविक कारक भण्डारण के स्थान पर उपयुक्त नमी व ताप का अभाव है। ये कारक अनाज की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं, वजन कम कर देते हैं तथा अंकुरण करने की क्षमता कम कर देते हैं।