MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi विविधप्रश्नावलिः 3

प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) अनागतविधाता कुत्र अगच्छत्? [अनागतविधाता कहाँ चली गई?]
उत्तर:
अन्यज्जलाशयं

(ख) धीवराः कदा जलाशयं अगच्छन्? [धीवर कब जलाशय पर चले गये?]
उत्तर:
प्रभाते

(ग) क: योगस्य प्रवर्तकः? [योग का प्रवर्तक कौन था?]
उत्तर:
पतञ्जलिः

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(घ) अगस्त्य किम् रचितवान्? [अगस्त्य ने किसकी रचना की?)
उत्तर:
विद्युत्कोशः

(ङ) कति जनाः नित्यदुःखिता? [कितने लोग प्रतिदिन दुखी होते हैं?]
उत्तर:
षट्

(च) शन्नोवरुणः’ इति ध्येयवाक्यं कस्याः सेनायाः अस्ति? [शन्नोवरुणः’ किस सेना का ध्येय वाक्य है?]
उत्तर:
जल सेनायाः

(छ) राज्ञी दुर्गावती कस्मिन् क्षेत्रे जाता? [रानी दुर्गावती किस क्षेत्र में जन्मी थी?
उत्तर:
मध्यप्रदेशस्यमण्डलाक्षेत्रे

(ज) विपरीतबुद्धिः कदा भवति? [बुद्धि किस समय विपरीत हो जाती है?]
उत्तर:
विनाशकाले।

प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) प्रभाते धीवराः किं अकुर्वन्? [प्रात:काल में धीवरों ने क्या किया?]
उत्तर:
प्रभाते धीवराः जलाशयं गत्वा जालं प्रसार्य मत्स्यान् अगृह्णन्। [प्रातःकाल धीवरों ने जलाशय पर जाकर जाल फैलाकर मछलियों को पकड़ लिया।]

(ख) मत्स्यानाम् नामानि कानि? [मछलियों के नाम क्या हैं?]
उत्तर:
मत्स्यानां नामानि-अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा, यद्भविष्यत्। [मछलियों के नाम-अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्यत् था।]

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(ग) स्वस्थ शरीरे किं सुकरं भवति? [स्वस्थ शरीर में क्या आसान होता है?]
उत्तर:
स्वस्थ शरीरे अध्ययनं सुकरम् भवति। [स्वस्थ शरीर से अध्ययन आसान है।]

(घ) बालचराणाम् का प्रथमा प्रतिज्ञा? [बालचरों की प्रथम प्रतिज्ञा कौन-सी है?]
उत्तर:
बालचरस्य प्रथमा प्रतिज्ञा अस्ति-‘ईश्वरं स्वदेशं प्रति च कर्त्तव्य पालनं’। [बालचर की पहली प्रतिज्ञा है-ईश्वर और अपने देश के प्रति कर्त्तव्य का पालन करना।]

(ङ) कस्य धनं दानाय भवति? [किसका धन दान के लिए होता है?]
उत्तर:
साधोः धनं दानाय भवति। [सज्जन का धन दान के लिए होता है।

(च) प्रकाशनिस्सारणेन के भोजनं कुर्वन्ति? [प्रकाश निस्सारण से भोजन कौन बनाते हैं?]
उत्तर:
प्रकाशनिस्सारणेन पादपाः भोजनां कुर्वन्ति। [प्रकाश निस्सारण से वृक्ष भोजन बनाते हैं।]

(छ) दलपतशाहः कस्य राज्यस्य शासकः आसीत [दलपतशाह किस राज्य का शासक था?]
उत्तर:
दलपतशाह: गोंडवाना राज्यस्य शासकः आसीत् [दलपतशाह गोंडवाना राज्य का शासक था।]

(ज) कीदृशं वचः दुर्लभं भवति? [कैसा वचन दुर्लभ होता है?]
उत्तर:
हितं मनोहरि च वचः दुर्लभं भवति। [हितकारी और मनोहारी वचन दुर्लभ होता है।

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प्रश्न 3.
अपेक्षित परिवर्तन करो
(क) बालचराः (एकवचनम्)
(ख) दलपतशाहस्य (तृतीया विभक्तिः)
(ग) प्राणायामस्य (सप्तमी विभक्तिः)
(घ) आगमनाय (प्रथमा विभक्तिः)
(ङ) साधोः (बहुवचनम्)
(च) रसायनम् (बहुवचनम्)
उत्तर:
(क) बालचरः
(ख) दलपतशाहेन
(ग) प्राणायामे
(घ) आगमनम्
(ङ) साधूनाम्
(च) रसायनानि।।

प्रश्न 4.
उचित विकल्प से वाक्यों को पूरा करो
(क) परोपकारः ……….. अस्ति। (पुण्याय/पापाय/धर्माय)
(ख) दुर्गावती यशः शरीरेण अद्यापि ………। (जीवन्ति/अजीवत्/जीवति)
(ग) पतञ्जलिः आयुर्वेदं ……… अरचयत्। (शरीराय/मनसे/वाण्यै)
(घ) महर्षिः कणादः ………. जनकः। (परमाणुवादस्य/योगस्य/शल्यक्रियायाः)
(ङ) स्थलसेना ……….. देशरक्षणं करोति। (आकाशमार्गात्/स्थलात्/जलमार्गात्)
(च) विनाशकाले ………..। ( अनुकूलबुद्धि/विपरीतबुद्धिः/सद्बुद्धिः)
उत्तर:
(क) पुण्याय
(ख) जीवति
(ग) शरीराय
(घ) परमाणुवादस्य
(ङ) स्थलात्
(च) विपरीतबुद्धिः।।

प्रश्न 5.
अधोलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों के लिए प्रश्न बनाओ
(क) मृतं प्रत्युत्पन्नमतिं धीवराः जालात् बहिः अकुर्वन।
(ख) धीवराः मत्स्यान् जाले बध्वा नेष्यन्ति?
(ग) रेखागणितं शुल्बसूत्रे अस्ति।
(घ) पृथ्वी सूर्यं परिक्रमति।
(ङ) लोककल्याणं दुर्गावत्याः आदर्शः आसीत्।
(च) सेनाः त्रयः प्रकाराः।
(छ) उद्यमेन कार्याणि सिध्यन्ति।
उत्तर:
(क) मृतं प्रत्युत्पन्नमतिम् धीवरः कुतः बहिः अकरोत्?
(ख) धीवरा मत्स्यान् कस्मिन् बध्वा नेष्यन्ति?
(ग) रेखागणितं कस्मिन् सूत्रे अस्ति?
(घ) पृथ्वी कम् परिक्रमति?
(ङ) दुर्गावत्याः किम् आदर्शः आसीत्?
(च) सेनायाः कति प्रकाराः?
(छ) केन कार्याणि सिध्यन्ति?

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प्रश्न 6.
उचित का जोड़ मिलाओ
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3 img 1
उत्तर:
(क) → (6)
(ख) → (5)
(ग) → (4)
(घ) → (3)
(ङ) → (1)
(च) → (2)

प्रश्न 7.
शुद्ध वाक्यों के समक्ष ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्यों के समक्ष ‘न’ लिखो
(क) संसर्गजाः दोषगुणाः न भवन्ति।
(ख) दुर्गावती मालवक्षेत्रे राज्यम् अकरोत्।
(ग) पतञ्जलि: धनुर्वेद अरचयत्।
(घ) बालचराः देशसेवां कुर्वन्ति।
(ङ) साधोः धनं दानाय भवति।
(च) बोधायन: पाइथागोरसतः पूर्वं अभवत् ।
उत्तर:
(क) न
(ख) न
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) आम्
(च) आम्

प्रश्न 8.
समानार्थक शब्दों का मेल करो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3 img 2
उत्तर:
(क) → (6)
(ख) → (5)
(ग) → (1)
(घ) → (2)
(ङ) → (3)
(च) → (4)

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प्रश्न 9.
विपरीतार्थक शब्दों का मेल करो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3 img 3
उत्तर:
(क) → (6)
(ख) → (5)
(ग) → (4)
(घ) → (3)
(ङ) → (2)
(च) → (1)

प्रश्न 10.
कोष्ठक से चित शब्द चुनकर रिक्त स्थान की पूर्ति करो-
[क्रीत्वा, नीत्वा, केतुं, आगत्य, गतवान, दातुं, जलाशये, प्रविश्य]
(क) मत्स्याः ……….. निवसन्ति स्म।
(ख) मोहनः भोजनं ………. विद्यालयं ……….।
(ग) सः पुस्तकं ……….. गृहकार्यं कृतवान्।
(घ) सः लेखनी ………. आपणं गतवान्।
(ङ) ततः गृहं ……….. पत्रं लिखितवान्।
(च) सः आपणतः भगिन्यै ………… उपहारम् आनीतवान्।
(छ) रात्रौ शयनकक्षं ………… सुप्तवान्।
उत्तर:
(क) जलाशये
(ख) नीत्वा, गतवान्
(ग) क्रीत्वा
(घ) ऋतुम्
(ङ) आगत्य
(च) दातुं
(छ) प्रविश्य।

प्रश्न 11.
उचित विकल्प से वाक्यों को पूरा करो
(क) विद्या ………… भवति। (ज्ञानस्य/ज्ञानाय)
(ख) औषधिः ……….. उन्मूलयति। (रोगान/रोगाणाम्)
(ग) अहं सप्तम ………… पठामि। (कक्षायाः/कक्षायाम्)
(घ) आर्यभट्टः ………… गतिम् ज्ञातवान्। (प्रकाशाय/प्रकाशस्य)
(ङ) दुर्गावती …………. राज्यम् अकरोत्। (चातुर्येण/चातुर्यम्)
(च) वायुसेना ………….. राष्ट्र रक्षति। (वायुमार्गे/वायुमार्गात्)
उत्तर:
(क) ज्ञानाय
(ख) रोगान्
(ग) कक्षायाम्
(घ) प्रकाशस्य
(ङ) चातुर्येण
(च) वायुमार्गात्।

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प्रश्न 12.
उचित क्रियापद से बाक्य पूरा करो
(क) आगामिमासे अहं जबलपुरं ………….। (आगच्छम्/गमिष्यामि)
(ख) ह्यः भोजने मिष्टान्नं …………..। (अस्ति/आसीत्)
(ग) त्वं योग कक्षा …………. (प्रविशति/प्रविश्)
(घ) वयं सर्वे देशसेवां …………..। (कुर्मः/कुर्वन्ति)
(ङ) मयूराः वने ……………। (नृत्यति/नृत्यन्ति)
(च) शरीरे द्वे नेत्रे ……………..। (भवन्ति/भवतः)
उत्तर:
(क) गमिष्यामि
(ख) आसीत्
(ग) प्रविश
(घ) कुर्वन्ति
(ङ) नृत्यन्ति
(च) भवतः।

प्रश्न 13.
अन्वय की पूर्ति करो
(क) ……गुणी पुत्रः वरं ………… शतानि अपि ………… च। एकः ………. तमः ……….. तारागणाः ……….. च ……….. ।
(ख) यथायथा ……… , मनः कल्याणे …………। तथा ……….. अस्य सर्वार्थाः …………. अत्र ………… न।।
उत्तर:
(क) एकः, मूर्ख, न। चन्द्रः, हन्ति, अपि, न।
(ख) पुरुषः, कुरुते। तथा, सिध्द्यन्ते, संशयः।

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MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः

MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः

1. शब्दरूपाणि

(क) संज्ञा शब्द रूप

अकारान्त (पुल्लिङ्ग) राम :
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 1
अनुकरण :
राम के समान ही बालक, गज, वानर, सूर्य, चन्द्र, नृप आदि सभी अकारान्त पदों के रूप चलेंगे।

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इकारान्त (पुल्लिङ्ग) हरि :
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 2
अनुकरण :
हरि के समान ही मुनि, गिरि, रवि, कपि, कवि, निधि, मणि, ऋषि आदि शब्दों के रूप चलेंगे।

अकारान्त (स्त्रीलिङ्ग) रमा (लक्ष्मी) :
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 3
अनुकरण :
रमा के समान ही लता, माया, वाटिका, बालिका, पाठशाला, विद्या, वसुन्धरा आदि स्त्रीलिंग शब्दों के रूप चलेंगे।

उकारान्तः (पुल्लिङ्ग) “भानु” शब्द :
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 4
अनुकरण :
गुरु, तरु, शिशु, साधु इत्यादयः।

इकारान्त स्त्रीलिङ्ग “मति” शब्द :
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 5
अनुकरण :
बुद्धि, गति, रात्रि इत्यादयः।

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ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गः “लेखनी” शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 6
अनुकरण :
जननी, नदी, द्रोणी, गौरी इत्यादयः।

उकारान्तः स्त्रीलिङ्ग “धेनु” शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 7
अनुकरण :
रेणु, रज्जु इत्यादयः।

इकारात नपुंसकलिङ्ग “वारि” शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 8

उकारान्तः नपुंसकलिङ्ग “मधु” शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 9

(ख) सर्वनाम शब्द रूप

दकारान्तः पुल्लिङ्ग “एतद्” (यह) शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 10

दकारान्तः स्त्रीलिङ्ग “एतद्” (यह) शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 38

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दकारान्तः नपुंसकलिङ्ग “एतद्” (यह) शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 11
तृतीया से सप्तमी तक पुल्लिङ्ग के समान रूप होते हैं।

दकारान्तः पुल्लिङ्ग “यद्” (जो) शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 38

दकारान्तः स्त्रीलिङ्ग “यद्” (जो) शब्द :
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 12

दकारान्तः नपुंसकलिङ्ग “यत्” (जो) शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 13
तृतीया से सप्तमी तक पुल्लिङ्ग के समान रूप होते हैं।

पुल्लिङ्ग “सर्व’ (सब) शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 14

स्त्रीलिङ्ग “सर्व” (सब) शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 15

नपुंसकलिङ्ग “सर्व” (सब) शब्दः
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 16
तृतीया से सप्तमी विभक्ति एक पुल्लिङ्ग के समान रूप होते हैं। यद्-तद आदि सर्वनाम शब्दों में सम्बोधन नहीं होता है।

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2. धातुरूपाणि

(क) परस्मैपदम्-

“पठ्’ (पढ़ना) धातुः लोट्लकारः (आज्ञार्थ)
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 17

“पठ्’ (पढ़ना) धातुः विधिलिङ्गलकारः
(चाहिए अर्थ)
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 18

“गम्” (जाना) धातुः लोट्लकारः (आज्ञार्थ):
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 19

“गम्” (जाना) धातुः विधिलिङ्गलकारः
(चाहिए अर्थ)
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 20

(ख) आत्मनेपदम्-

“लभ्” (पाना) धातुः लट्लकारः (वर्तमानकाले):
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 21

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“सेव” (सेवा करना) धातुः लट्लकारः
(वर्तमानकाले)
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 39

“वन्द्” (वन्दना करना) धातुः लट्लकारः
(वर्तमानकाले)
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 22
इसी तरह भाष्, यत्, रम्, सह, शिक्ष, रुच् (रोच्) वृत् (वत्), वृध् (वर्ध), शुभ् (शोभ) इत्यादि धातुरूप होते हैं।

3. संस्कृतसंख्या (११ तः २० पर्यन्तम्)

एकादश – ११ (बहुवचनं)
द्वादश – १२ (बहुवचनं)
त्रयोदश – १३ (बहुवचनं)
चतुर्दश – १४ (बहुवचनं)
पञ्चदश – १५ (बहुवचन)
षोडश – १६ (बहुवचन)
सप्तदश – १७ (बहुवचनं)
अष्टादश – १८ (बहुवचन)
नवदश, एकोनविंशतिः – १९ (बहुवचन)
विंशतिः – २० (बहुवचन)
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 23

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4. कारकपरिचयः

जिसका सम्बन्ध साक्षात् क्रिया के साथ होता है, उसे कारक कहते हैं। कारक छः होते हैं। सम्बन्ध को कारक नहीं माना गया है किन्तु विभक्तियाँ सात होती हैं।-
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 24

कतृकारकम् (प्रथमा विभक्तिः)
यथा-
रामः पठति।
श्यामः गच्छति।

कर्मकारकम् (द्वितीया विभक्तिः)
यथा-
रामः विद्यालयं गच्छति।
मोहनः पुस्तकं पठति।

करणकारकम् (तृतीया विभक्तिः)
यथा-
रामः बाणेन रावणं हन्ति।
सीता रामेण सह वनं गच्छति।

सम्प्रदानकारकम् (चतुर्थी विभक्तिः)
यथा-
राजा ब्राह्मणाय धनं ददाति।
गुरवे नमः।

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अपादानकारकम् (पञ्चमी विभक्तिः)
यथा-
वृक्षात् पत्रं पतति।
हिमालयात् गङ्गा प्रभवति।

सम्बन्धः (षष्ठी विभक्तिः)
यथा-
रामः दशरथस्य पुत्रः अस्ति।
सीतायाः पतिः रामः अस्ति।

अधिकरणकारकम् (सप्तमी विभक्तिः)
यथा-
खगः वृक्षे निवसति।
मीन: नद्याम् अस्ति।

सम्बोधनम्-
यथा-
भो राम ! भवान् कुत्र गच्छति?
हे मोहन ! अत्र आगच्छ।

प्रस्तुत पद्य के आधार पर कारकों को स्मरण करना सरल है।-
कर्ता कर्म च करणं सम्प्रदानं तथैव च।
अपादानाधिकरणमित्याहुः कारकाणि षट्॥

5. सन्धिपरिचयः

(क) स्वरसन्धिः

स्वरसन्धि के भेद, प्रयोग और अभ्यास-
दीर्घसन्धिः
अ/आ + अ/आ = आ – हिम + आलयः = हिमालयः
इ/ई + इ/ई = ई – रवि + इन्द्रः = रवीन्द्रः
उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ – भानु + उदयः = भानूदयः
ऋ/ऋ + ऋ/ऋ = ऋ – पितृ + ऋणम्: = पितृणम्

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गुणसन्धिः
अ/आ + इ/ई = ए – सुर + इन्द्रः = सुरेन्द्रः
अ/आ + उ/ऊ = ओ – महा + उत्सवः = महोत्सवः
अ/आ + ऋ/ऋ = अर् – देव + ऋषिः = देवर्षिः
अ/आ + लृ = अल् – तव + लृकारः = तवल्कारः

वृद्धिसन्धिः
अ/आ + ए/ऐ = ऐ – सदा + एव = सदैव
अ/आ + ए/ऐ = ऐ – अत्र + एव = अत्रैव
अ/आ + ओ/औ = औ – महा + ओषधिः= महौषधिः
अ/आ + ओ/औ = औ – महा + ओजस्वी= महौजस्वी

यण सन्धिः
यदि असमान स्वर आगे आता है, तो-
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 25

अयादि सन्धिः
यदि असमान स्वर आगे आता है, तो निम्न प्रकार से परिवर्तन होकर नया शब्द बन जाता है-
ए + असमानस्वरः = अय् – ने + अनम् = नयनम्
ऐ + असमानस्वरः = अय् – गै + अकः =गायक:
ओ + असमानस्वरः = अव् – पो + अनः = पवनः
औ + असमानस्वरः = आव् – पौ + अकः = पावकः

पूर्वरूप सन्धिः
ए + अ = ऽ (अवग्रह चिह्न) – वने + अपि = ‘वनेऽपि
ओ + अ = ऽ (अवग्रह चिह्न) – को + अपि = कोऽपि

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(ख) व्यञ्जनसंधि-

श्चुत्व सन्धिः
त् + ज् – सत् + जनः = सज्जनः
त् + च् – सत् + चित् = सच्चित्
स् + श् – कस् + चित् = कश्चित्

अन्यानि उदाहरणानि :
क् + ग् – दिक् + गजः = दिग्गजः
च् + ज् – अच् + अन्तः = अजन्तः
त् + द् – जगत् + ईशः = जगदीशः
प् + ब् – सुप् + अन्तः = सुबन्तः
ध् + द् – बुध् + धिः = बुद्धिः
द् + .त् – सद् + कारः = सत्कारः

अनुस्वार सन्धि :
(1) ‘म्’ के बाद यदि कोई भी व्यंजन अक्षर होता है, तो ‘म्’ का अनुस्वार \(\left( \dot { – } \right) \) हो जाता है।
सत्यम् + वद् = सत्यं वद
पुस्तकम् + पठति = पुस्तकं पठति

(2) ‘म्’ के बाद स्वर अक्षर के आने पर ‘म्’ अनुस्वार नहीं होता-
पुस्तकम् + आनय = पुस्तकम् आनय/पुस्तकमानय
सत्यम् + अस्ति = सत्यम् अस्ति/सत्यमस्ति

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6. समासपरिचयः

शब्दानाम् अर्थानुसारं योजनं समासः। (शब्दों के अर्थ के अनुसार योजन करना ही समान होता है।) यथा-
रामस्य भक्तः = रामभक्तः – रामस्य भक्तः
कार्यस्य आलयः = कार्यालयः – कार्यस्य आलयः।

1. तत्पुरुष समासः
(क) राष्ट्रभक्तः – राष्ट्रस्य भक्तः।
(ख) चौरभयम् – चौराद् भयम् ।
(ग) दीनदानम् – दीनाय दानम्।
(घ) राजपुरुषः – राज्ञः पुरुषः।

2. कर्मधारय समासः
(क) नीलकमलम् – नीलं कमलम्
(ख) कृष्णसर्पः – कृष्णः सर्पः
(ग) घनश्यामः – घन इव श्यामः

3. द्विगु समासः
प्रथमपदं सङ्ख्यावाचकं भवति।
(क) पञ्चवटी – पञ्चानां वटानां समाहारः।
(ख) अष्टाध्यायी – अष्टानाम् अध्यायानां समाहारः।

4. द्वन्द्वः समासः
अत्र पदद्वयं प्रमुखं भवति।
(क) रामलक्ष्मणौ-रामः च लक्ष्मणः च/रामश्च लक्ष्मणश्च
(ख) कृष्णार्जुनौ-कृष्णः च अर्जुनः च/कृष्णश्च अर्जुनश्च

5. बहुब्रीहि समासः
अन्यपदस्य अर्थस्य प्रधानता भवति।
(क) पीताम्बरः – पीतम् अम्बरं यस्य सः। (विष्णुः)
(ख) चन्द्रशेखरः – चन्द्रः शेखरे यस्य सः। (शिव:)

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6. अव्ययीभाव समासः
प्रथमशब्दः अव्ययम् भवति।
(क) उपकृष्णम् – कृष्णस्य समीपम्।
(ख) प्रतिगृहम् – गृहं गृहं प्रति।
(ग) यथाशक्ति – शक्तिम् अनतिक्रम्य।

7. अव्ययपरिचयः

अव्यय शब्द पर लिङ्ग, वचन और विभक्ति का प्रभाव नहीं होता, अतः इसके अर्थ में भी कोई परिवर्तन नहीं होता है।
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 26

अव्यय प्रयोग (वाक्य रचना)-

  1. पुरा एका राज्ञी राज्यम् अकरोत्।
    (प्राचीन काल में एक रानी राज्य करती थी।)
  2. बालकाः तत्र क्षेत्रे क्रीड़न्ति।
    (बालक वहाँ मैदान में खेलते हैं।)
  3. सत्वरम् इह आगच्छः।
    (यहाँ शीघ्र आओ।)
  4. सः पुनः आगच्छति।
    (वह फिर आता है।)
  5. पृष्ठात् अधः सः पतति।
    (छत से नीचे वह गिरता है।)
  6. ग्रामम् परितः वृक्षाः सन्ति।
    (गाँव के चारों ओर वृक्ष हैं।)
  7. सा उच्चैः प्रालपत्।
    (उसने ऊँचे स्वर में विलाप किया।)
  8.  सः यथा विचारयति तथा करोति।
    (वह जैसा सोचता है, वैसा करता है।)
  9. सः पठति अतः विद्यालयम् गच्छति।
    (वह पढ़ता है, इसलिए विद्यालय जाता है।)
  10. धिक् ! कापुरुषम्।
    (कायर पुरुष को धिक्कार है।)
  11. सः सर्वत्र भ्रमति।
    (वह सब जगह घूमता है।)
  12. कक्षात् बहिः गच्छ।
    (कक्षा से बाहर जाओ।)
  13. सः मम पुरतः वसति एव।
    (वह मेरे सामने ही रहता है।)
  14. यदा गरंजति तदा वर्षति।
    जब गरजता है तब वर्षा होती है।
  15. मा लिख।
    (मत लिखो।)

8. प्रत्ययपरिचयः

क्त्वा प्रत्ययः-“कर” अथवा “करके” इसका अर्थ होता है।
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 27

ल्यपप्रत्ययः :
“कर” अथवा “करके” के अर्थ में ल्यप होता है। ल्यप् प्रत्यय में धातु से पूर्व उपसर्ग हुआ करता है।
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 28

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क्त, क्तवतु प्रत्ययौ- (क्त्य, क्तवतु प्रत्ययों का प्रयोग भूतकाल में होता है।)
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 29

9. उपसर्गः

(उपसर्ग धातु शब्द से पहले प्रयुक्त होकर धातु अथवा शब्द के अर्थ को बदल देता है।)
यथा-
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 30

नये शब्द-प्र + गतिः= प्रगति, अनु + भवति = अनुभवति, अप + करोति = अपकरोति, उत् + खनति = उत्खनति, उत् + लिखितः = उल्लिखितः, प्र + हारः = प्रहारः, आ + हारः = आहारः इत्यादि।

10. अनुवाद के नियम

संस्कृत में अनुवाद करने के लिए मुख्य रूप से हमें विभक्ति (कारक) वचन, लिङ्ग, पुरुष, शब्द और धातु का ज्ञान होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए-प्रथम पुरुष के एकवचन के कर्ता के साथ धातु का प्रथम पुरुष एकवचन का रूप प्रयोग होगा।
जैसे-वह जाता है-सः गच्छति।
प्रथम पुरुष :
वह दोनों जाते हैं-तौ गच्छतः।

के कर्ता :
वे सब जाते हैं-ते गच्छन्ति।

मध्यम पुरुष :
तुम जाते हो-त्वम् गच्छसि।

के कर्ता :
तुम दोनों जाते हो-युवाम् गच्छथः।
तुम सब जाते हो-यूयम् गच्छथ।

उत्तम पुरुष :
मैं जाता हूँ-अहम् गच्छामि।

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के कर्ता :
हम दोनों जाते हैं-आवाम् गच्छावः।
हम सब जाते हैं-वयम् गच्छामः।

इस प्रकार शब्द और धातु के वचन व पुरुष समान होंगे। तीनों लिंग के शब्द रूप भिन्न होने पर भी धातु रूप एक ही प्रयोग किये जाते हैं। जैसे-
(1) लड़की पढ़ती है-बालिका पठति।
(2) लड़का पढ़ता है-बालकः पठति।
(3) पत्रः गिरता है-पत्रम् पतति।
संस्कृत के व्याकरण के नियमों को हम इस प्रकार जानेंगे।

पुरुष या कर्ता :
कर्ता (पुरुष) तीन प्रकार के होते हैं-प्रथम या अन्य पुरुष, मध्यम पुरुष, उत्तम पुरुष।

प्रथम या अन्य पुरुष :
जिसके सम्बन्ध में कोई बात की जाये। जैसे-वे, सीता, लड़के, वह, दोनों, वे सब आदि।

मध्यम पुरुष :
जिससे बात की जाए। जैसे-तुम, तुम दोनों, तुम सब।

उत्तम पुरुष :
जो बात करता है। जैसे-मैं, हम दोनों, हम सब।

तीनों पुरुष तीन वचनों के साथ प्रयोग होते हैं। इनका प्रयोग धातु रूपों के साथ उसी क्रम से होता है। इनके रूप इस प्रकार से चलते हैं-
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 31

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इसी प्रकार से धातु रूप भी चलते हैं। यथा पठ् धातु के रूप (वर्तमान काल) में क्रमशः तीनों पुरुष के साथ बनाने पर अनुवाद इस प्रकार बनेगा-
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 32

कारक, चिह्न और विभक्ति-
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 33

वर्ण परिचय :
वर्ण दो प्रकार के हैं-स्वर और व्यंजन।

स्वर :
इन्हें किसी अन्य वर्ण के सहयोग के बिना उच्चारित किया जा सकता है। ये 13 हैं-
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं और अः।

व्यंजन :
व्यंजनों का उच्चारण करने के लिए स्वरों की सहायता की आवश्यकता होती है। व्यंजन 33 हैं-
क् ख् ग् घ् ङ च् छ् ज् झ् ञ ट ठ् ड् ढ् ण् त् थ् द् ध् न् प् फ् ब् भ् म् य् र् ल् व् श् ष् स् ह्।

इनका उच्चारण करने के लिए प्रत्येक व्यंजन में ‘अ’ स्वर मिलाना पड़ता है; यथा-कमल लिखने के लिए-
क् + अ = क; म् + अ = म; ल् + अ = ल = कमल।
इसी प्रकार प्रत्येक व्यंजन में स्वर अ को मिलाकर पढ़ते हैं।

वर्ण समूह और उच्चारण स्थान :
वर्णों के उच्चारण स्थान के आधार पर उनका समूह हाता है जो निम्नलिखित है-
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 34

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वचन :
संस्कृत में तीन वचन होते हैं-एकवचन, द्विवचन, बहुवचन।

एकवचन :
इससे किसी एक व्यक्ति अथवा वस्तु का बोध होता है। जैसे- राम, सीता, गीता आदि।

द्विवचन :
इससे दो वस्तुओं आदि का बोध होता है। जैसे-दो बालक, दो पुस्तकें, दो फल आदि।

बहुवचन :
इससे दो से अधिक वस्तुओं, स्थान या व्यक्तियों का बोध होता है। जैसे-लड़के, किताबें, स्त्रियाँ, बालिकाएँ आदि।

संस्कृत में अनुवाद बनाते समय प्रत्येक शब्द तथा धातु के साथ इन तीनों वचनों में से वाक्यानुसार किसी का भी प्रयोग होता है।

विभक्तियों का प्रयोग  :
चिह्न के आधार पर वाक्य में उसी विभक्ति का प्रयोग होगा। यथा-
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 35

लिङ्ग :
संस्कृत में तीन लिङ्ग होते हैं-पुल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग।

पुल्लिङ्ग :
पुरुषवाचक शब्द पुल्लिङ्ग कहलाते हैं। जैसे-राम, मोहन, सोहन आदि।

स्त्रीलिङ्ग :
स्त्रीवाचक शब्द स्त्रीलिङ्ग कहलाते हैं। जैसे-सीता, गीता, लता, नदी, स्त्री आदि।

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नपुंसकलिङ्ग :
जिन शब्दों से किन्हीं भौतिक वस्तुओं अथवा निर्जीव वस्तुओं आदि का बोध होता है। जैसे-फल, पुस्तक, कलम आदि।

(1) संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
MP Board Class 7th Sanskrit व्याकरण-खण्डः img 36

(2) संस्कृत में अनुवाद कीजिए-

  1. यह घोड़ा मेरा है।
    एषः मम अश्वः।
  2. चोर भ्रमित हो गया।
    चौरः भ्रमितम् अभवत्।
  3. किसान चतुर था।
    कृषकः चतुरः आसीत्।
  4. चोर ने घोड़ा चुराया था।
    चौरः अश्वम् अचोरयत्।
  5. हमारा भारत महान है।
    अस्माकं भारतं महान् अस्ति।
  6. हमारे देश का साहित्य बहुत समृद्ध है।
    अस्माकं देशस्य साहित्यम् अति समृद्धम् अस्ति।
  7. चण्डरव नाम का एक सियार था।
    चण्डरवः नाम्नः एकः शृगालः आसीत्।
  8. चण्डरव ने शोर सुना।
    चण्डरवः ध्वनिं श्रुतवान्।
  9. महान व्यक्तियों का धन सम्मान है।
    महताम् जनानां धनं सम्मानम् अस्ति।
  10. प्रवासकाल में विद्या माता के समान है।
    प्रवासकाले विद्या मातृसमा अस्ति।
  11. मेरी माता कार्य के लिए बाहर जाती हैं।
    मम माता कार्याय बहिः गच्छति।

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(3) संस्कृत में अनुवाद कीजिए-

  1. मानव जीवन के चार प्रयोजन हैं।
    मानव जीवनस्य चतुः प्रयोजनानि सन्ति।
  2. ‘निर्वाण’ मोक्ष का दूसरा नाम है।
    निर्वाणं मोक्षस्य अपरं नाम अस्ति।
  3. वीर व्यक्ति प्रयत्न से पर्वत पार करते हैं।
    वीराः प्रयासेन पर्वतान् पारयन्ति।
  4. प्रयत्न से वैभव प्राप्त करते हैं।
    प्रयत्नेन वैभवं प्राप्नुवन्ति।
  5. मयूर भारत देश का राष्ट्रीय पक्षी है।
    मयूरः भारतदेशस्य राष्ट्रीय पक्षी अस्ति।
  6. व्याघ्र पशुओं में तेजस्वी तथा पराक्रमी है।
    व्याघ्रः पशुषु तेजस्वी पराक्रमी च अस्ति।
  7. हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी है।
    अस्माकं राष्ट्रभाषा हिन्दी अस्ति।
  8. गाँव के लोगों का जीवन सरल होता है।
    ग्रामस्य जनानां जीवनं सरलम् भवति।
  9. गाँव के हाट में विविध दुकानें होती हैं।
    ग्रामस्य हाटे विविधाः आपणाः सन्ति।
  10.  यह वीर बालक दुष्यन्त और शकुन्तला का पुत्र है।
    अयं वीरः बालक : दुष्यंतस्य शकुंतलायाः च पुत्रः अस्ति।

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MP Board Class 7th Sanskrit परिशिष्टम्

MP Board Class 7th Sanskrit परिशिष्टम्

1. सादरं समीहताम्
(आदर सहित करना चाहिए)

सादरं समीहताम् ……….. जीवनं प्रदीयताम्। सादरं॥

अनुवाद :
हमें आदर सहित (इन कार्यों को) करना चाहिए। ईश्वर की वन्दना करनी चाहिए। श्रद्धा सहित अपनी मातृभूमि की अच्छी तरह से अर्चना करनी चाहिए। चाहे विपत्ति हो अथवा बिजलियाँ चमक रही हों, अथवा मस्तक पर बार-बार आयुध (हथियार) गिर रहे हों, परन्तु (हमें) धैर्य नहीं खोना चाहिए। वीरता के भाव को बनाये रखना चाहिए। चित्त में निर्भय होकर (हमें) (अपने) कदम आगे बढ़ाने चाहिए (रखने चाहिए)। इस प्रकार (श्रेष्ठ कार्य) आदरपूर्वक करने चाहिए।

यह (मातृभूमि) प्राणदायिनी है, यह (मुसीबतों से) रक्षा करने वाली है। यह (हमें) शक्ति, मुक्ति तथा भक्ति देने वाली है और अमृत देने वाली है। इस कारण तो यह वन्दनीय है, सेवा किये जाने योग्य है। अभिनन्दन किये जाने योग्य है। इसलिए हमें इस (मातृभूमि) के लिए अभिमानपूर्वक अपना जीवन दे देना चाहिए। (इस तरह) यह (सारा कार्य) आदरपूर्वक करना चाहिए।

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2. कृत्वा नवदृढ़ संकल्पम्
(नया पक्का संकल्प करके)

कृत्वा ……… नित्यनिरन्तर गतिशीलाः।

अनुवाद :
नया पक्का संकल्प करके नये सन्देश वितरित करते हुए, नया संगठन निर्मित करते हैं। नया इतिहास रचते हैं।

नये युग का निर्माण करने वाले, राष्ट्र की उन्नति की आकांक्षा करने वाले, त्याग ही जिनके लिए धन है, ऐसे वे त्यागपूर्ण कार्यों में लगे रहने वाले हम कार्यों के करने में चतुर और बुद्धि में तेज हैं। नया पक्का संकल्प करके।

भेदभाव को मिटाने के लिए, दीन और दरिद्रों का उद्धार करते हुए, दुःखों से तप्त लोगों को आश्वासन; (धैर्य बँधाते हुए), किये हुए संकल्पों का दैव स्मरण करते रहें। नये पक्के संकल्पों को करके।

प्रगति के मार्ग से विचलित न हों। परम्पराओं की हम रक्षा करें। उत्साह से युक्त होकर, उद्वेग से रहित होकर नित्य और निरन्तर गतिशील बने रहे। नये पक्के संकल्प करके।

3. अवनितलं पुनरवतीर्णा स्यात्
(पृथ्वीतल पर फिर से अवतार लें)

अवनितलं ……… यतामहे कृति शूराः।

अनुवाद :
पृथ्वी तल पर फिर से अवतार लें। संस्कृत रूपी गंगा की धारा के लिए धैर्यशाली भगीरथवंश हमारा है। हम तो पक्का इरादा करने वाले हैं।

यह संस्कृत रूपी गंगा की धारा विद्वानों रूपी भगवान शंकर के शिरों पर गिरती रहे। यह नित्य ही (सबकी) वाणियों में बहती रहे। व्याकरण के विद्वानों के मुख में यह प्रवेश करती रहे। जनमानस में बार-बार बहती रहे। हजारों पुत्र उद्धार प्राप्त करें और जन्म के विकारों से पार हो जायें अर्थात् मुक्ति प्राप्त कर लें। हम धीर भगीरथवंशी हैं और हमारा पक्का इरादा है।

हम प्रत्येक गाँव को जायें। संस्कृत की शिक्षा प्रदान करें। सभी को तृप्ति (सन्तुष्टि) देने तक अपने क्लेशों को न गिनें। प्रयत्न करने पर क्या प्राप्त नहीं होता है, ऐसे हमारे विचार हैं। हम धीर भगीरथवंशी हैं।

जो संस्कृतरूपी माता (हमारी) संस्कृति की मूल है, जिसकी विस्तृत रूप में व्याप्ति है। वह संस्कृत वाङ्मय हो जाय अर्थात् प्रत्येक की वाणी में समा जाये। वह संस्कृत भाषा प्रत्येक मनुष्यों की जिह्वा (वाणी) रूपी माला में सदैव सुशोभित बनी रहे। हम कर्मवीर पुरुष (उस) देववाणी को (संस्कृत को) जनवाणी बनाने के लिए प्रयत्न करते रहें। हम धीर भगीरथवंशी है।

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4. वन्दे भारतमातरम्
(भारत माता की वन्दना करता हूँ)

वन्दे भारतमातरम् ………. नान्यद्देशहितद्धि ऋते।

अनुवाद :
बोलो, मैं भारत माता की वन्दना करता हूँ, माता की वन्दना करता हूँ, भारत माता की। वन्दना करता हूँ माता की, वन्दना करता हूँ माता की। भारत माता की।

यह (भारत माता) श्रेष्ठ वीरों की माता है, त्यागीजनों और धैर्यशाली लोगों की (यह माता है)। मातृभूमि के लिए और लोक कल्याण के लिए नित्य ही अपने मन को समर्पित करने वाले लोगों की (यह जन्मभूमि है) क्रोध पर जीत पाने वाले पुण्यकर्म करने वाले, धन को तिनके के समान समझने वाले, माता की सेवा के द्वारा अपने जीवन में सार्थकता लाने वाले लोगों की यह जन्मभूमि है। (1)

गाँव-गाँव में कर्म का उपदेश देने वाले, तत्व के जानने वाले, धर्म के कार्यों में लगे रहने वाले, धन का संचय केवल त्याग के लिए करने वाले तथा इस संसार में धर्म अनुकूल ही इच्छाएँ करने वाले लोगों की यह जन्मभूमि है। अज्ञान के नाश से युक्त तथा क्षण भर में ही परिवर्तनशील शरीर वाले अपने अन्दर आदरपूर्ण बुद्धि धारण किये हुए जो यहाँ जन्म लेते हैं, वे स्वयं अपने आप को जन्म लेकर धन्य मानते हैं, (उनकी यह भारतमाता जन्मभूमि है)। (2)

हे माता (जन्मभूमि?), तुम से धन, मन, अधिकार, बुद्धि और शारीरिक बल प्राप्त हुआ है। मैं (किसी भी कार्य का) कर्ता नहीं हूँ, तुम ही कार्य कराने वाली हो, मेरे द्वारा किये गये कर्म के फल में कोई आसक्ति नहीं है। हे माता! तुम्हारे शुभ (कल्याणकारी) चरणों में मेरा यह जीवन पुष्प अर्पित है। इससे बढ़कर कोई भी मेरे लिए अन्य मंत्र नहीं है, मैं कोई भी अन्य प्रकार से नहीं सोचता हूँ, इसके अतिरिक्त अन्य किसी देश के हित में कुछ भी नहीं सोचता। (3)

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MP Board Class 7th Sanskrit निबन्ध-लेखनम्

MP Board Class 7th Sanskrit निबन्ध-लेखनम्

निबन्ध लेखन से छात्र/छात्राओं के अन्दर उनके रचना कौशल का विकास होता है, साथ ही कल्पनाशक्ति भी तीव्र होती जाती है। किसी भी विषय-वस्तु पर अपने विचार प्रस्तुत करने की स्वतंत्र अभिव्यक्ति विकास प्राप्त करती है। इसके लिए यहाँ कुछ निबन्ध दिये जाते हैं-

(1) सत्यम्

  1. सत्यात् परो नान्यः धर्मः।
  2. यद् वस्तु यथा भवति, तस्य तथैव कथनं सत्यमस्ति।
  3. विश्वस्य सर्वाणि वस्तूनि सत्यस्य एव आश्रितानि।
  4. सत्य वादिनः जनः समाजे सम्मानम् प्राप्नोति।
  5. सत्यस्य रक्षार्थम् महाराजः हरिश्चन्द्रः सर्वस्वम् अत्यजत्।
  6. सुखसमृद्धिहेतो सत्याचरणम् करणीयम्।

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(2) परोपकारः

  1. अन्येषां पुरुषाणाम् उपकरणं परोपकारः कथ्यते।
  2. स्वार्थ परित्यज्य अन्येषां हित चिन्तनम्, तस्य च सम्पादनम् परोपकारः।
  3. परोपकारेण जनः प्रगतिम् प्राप्नोति।
  4. प्रकृतिः अपि सर्वेणाम् कल्याणं करोति।
  5. परोपकाराय मेघाः वर्षन्ति।
  6. वृक्षाः अपि परोपकाराय फलन्ति।
  7. परोपकारिणाम् जीवनं सफलम्।

(3) विद्यामहिमा

  1. विद्या कस्यापि विषयस्य उचितम् ज्ञानम् ददाति।
  2. विद्या विनयम् ददाति।
  3. विद्या एव समृद्धेः मूलम्।
  4. विद्या प्रच्छन्नं धनम्।
  5. विद्याहीनः जनः पशुतुल्यः भवति।

(4) भारतदेशः

  1. भारतवर्षः एकः विशाल देशः।
  2. अस्य उत्तर दिशायाम् हिमालयः अस्ति।
  3. अस्य दक्षिणतः महासागरः अस्य चरणौ प्रक्षालयति।
  4. अनेक नद्यः हिमालयात् निर्गच्छन्ति।
  5. देवाः अपि अत्र आगत्य निवसितुं वाञ्छन्ति।

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दृष्टव्यः :
गायन्ति देवा किल गीतकानि, धन्यास्तु ये भारत भूमिभागे। स्वर्गायवर्गास्पदहेतुभूते, भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्॥

(5) पुस्तकम्

  1. पुस्तकानि मह्यम् अतीव रोचन्ते।
  2. पुस्तकानि ज्ञानस्य भण्डारः भवन्ति।
  3. पुस्तकानि अस्माकं मित्राणि सन्ति।
  4. पुस्तकानां सङ्गति लाभप्रदा भवति।
  5. अस्माभिः पुस्तकानि रक्षणीयानि।

(6) उद्यानम्

  1. उद्यानम् अत्यन्तं रमणीयं भवति।
  2. बालकाः उद्यानं क्रीडन्ति।
  3. उद्याने तडागः अपि अस्ति।
  4. जनाः उद्यानं भ्रमणार्थं गच्छन्ति।
  5. खगाः वृक्षेषु निवसन्ति।

(7) विद्यालयः

  1. मम विद्यालयः ‘खाईखेड़ा’ ग्रामे स्थितः अस्ति।
  2. विद्यालयस्य भवनम् अतीवसुन्दरम् अस्ति।
  3. अहं विद्यालयं गत्वा गुरून् प्रणमामि।
  4. विद्यालये एकम् उद्यानम् अपि अस्ति।
  5. विद्यालये एक विशालं क्रीडाक्षेत्रम् अस्ति।

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(8) धेनुः

  1. धेनुः अस्माकं माता अस्ति।
  2. धेनूनां विविधाः वर्णाः भवन्ति।
  3. धेनुः तृणानि भक्षयति।
  4. धेनुः जनेभ्यः मधुरं पयः प्रयच्छति।
  5. वयं धेनुं मातृरूपेण पूजयामः।

(9) महापुरुषः-आजादचन्द्रशेखरः

  1. पुरुषः महत्कार्यं कृत्वा महापुरुषः भवति।
  2. समाजहितार्थं राष्ट्रहितार्थं च यानि कार्याणि भवन्ति, तानि एव महत्कार्याणि भवन्ति।
  3. चन्द्रशेखर आजादः एवमेव राष्ट्रसेवी महापुरुषः आसीत्।
  4. 1906 ख्रीस्ताब्दे आजादचन्द्रशेखरस्य जन्म अभवत्।
  5. आजादचन्द्रशेखर: 1931 ख्रीस्ताब्दे इलाहबादनगरे (प्रयागनगरे) वीरगतिं प्राप्नोत्।

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MP Board Class 7th Sanskrit पत्र-लेखनम्

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पत्रलेखन रचना का महत्वपूर्ण अंग है। प्रायः प्रत्येक व्यक्ति को पत्र, प्रार्थना-पत्र इत्यादि लिखने पड़ते हैं। मार्गदर्शन के लिए महत्वपूर्ण पत्र यहाँ दिये जाते हैं

1. पितरम् प्रति पुत्रस्य पत्रम्
(पिता के लिए पुत्र का पत्र)

राजकीय विद्यालयः
इन्दौरनगरः (मध्य प्रदेश)
दिन. 21.07.20…

पूज्याः पितृचरणाः
सादरं कोटिशः प्रणामाः
अत्र कुशलं तत्रास्तु। मुद्राभिः सह पत्रं प्राप्तम्। राजकीय विद्यालये मम प्रवेशः अभवत्। मम त्रैमासिकी परीक्षा अक्टूबरमासे भविष्यति। अहं तथा परिश्रयम् प्रयत्नम् वा करिष्यामि यथा अहं सर्वासु परीक्षा विषयेतु प्रथमं स्थानम् प्राप्नुयम्। पूज्या जननी कामपि चिन्ताम् न करोत्। अत्र कापि कठिनता नास्ति। पूज्यायाः मातुः चरणकमलयोः कोटिशः साष्टाङ्ग प्रणामाः।

शुभशीर्वादाकांक्षी
विश्वनाथः
कक्षा सप्तमः

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2. पुत्रं प्रति पितुः पत्रम्
(पुत्र के लिए पिता का पत्र)

गोकुल निवासः
बडनगरम्
इन्दौर
दि. 07.08.20…

वत्स विश्वनाथ!
कोटिशः शुभाशीर्वादाः।
अत्रकुशलं तत्रास्तु।
तव पठनम् सम्यक्रूपेण चलति इति ज्ञात्वा वयं सर्वे प्रसन्नाः। सुपुत्रात् इयमेव आशास्ति यत् स स्वसन्तोषजनकेन उत्तम परिणामेन पितरौ सन्तोषयेत्। धनस्य कापि चिन्ता न कार्या। वयं समये समये धनं प्रेषयिष्यामः। त्वं सर्वोत्तमम् परिणामम् दर्शय, वयं यथेच्छं धनं दास्यामः। माता तुभ्यं सस्नेहं शुभाशीर्वादम् ददाति। पत्रम् प्रेषणीयम्।

तव हितैषी पिता
रामचन्द्रः।

3. प्रधानाचार्य प्रति शिष्यस्य प्रार्थनापत्रम्

माननीयाः प्रधानाचार्य महोदयाः
राजकीय विद्यालयः
इन्दौरनगरम्।
मान्याः।
सादरं सविनयम् निवेदनमिदं यत् मम पितुः वेतनम् अतिन्यूनम्। अन्ये च मे भ्रातरः अस्मिन्नेव विद्यालये षष्ट कक्षायाम् पठन्ति। अतः मम सविनयं निवेदनम् यत् मह्यम् निःशुल्का शिक्षा प्रदेया। पितुः वेतन-प्रमाणपत्रम् संलग्नम् अस्ति, अशास्ति यत् मम विषये भवताम् उदार: दृष्टिकोणः भविष्यति।

कृपाकांक्षी भवच्छिष्यः
विश्वनाथ
कक्षा सप्तमः।

4. प्रधानाचार्य प्रति शिष्यस्य प्रार्थनापत्रम्

श्रीमन्तः
प्रधानाचार्य महोदयाः
राजकीय विद्यालयः
इन्दौरनगरम्, मध्यप्रदेशः।
महोदयाः
सादरं सविनयं निवेदनं यह अहं तीव्रज्वरेण पीड़ितः अस्मि। अतः विद्यालये उपस्थातुम् सर्वथा असमर्थः। कृपया दशदिवसानाम् मह्यम् अवकाशप्रदानेन अनुग्रहः कार्यः। वैद्यराजस्य प्रमाणपत्रं संलग्नम्।

भवदाज्ञाकारी
विश्वनाथः
कक्षा सप्तमः।

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5. प्रधानाचार्यं प्रति प्रार्थनापत्रम्

श्रीमन्तः
प्रधानाचार्य महोदयाः
राजकीय विद्यालयः
इन्दौर नगरम् (मध्य प्रदेश)
मान्याः!
सविनयं निवेदनम् यत् मम ज्येष्ठभ्रातुः विवाहः अस्या मेव दशभ्याम् तिथौ अस्ति। वर-यात्रा भोपालनगरम् गमिष्यति। वरयात्रायां ममापि गमनम् अनिवार्यम्। अतः अहं पञ्च दिवसानाम् अवकाशस्य प्रार्थनां करोमि।

भवच्छिष्यः
विश्वनाथः
कक्षा सप्तमः।

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MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 16 नीति दशक

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MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 16 नीति दशक

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti प्रश्न-अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ियाँ बनाइए
1. डार-पात = (क) लाख विकाय
2. जहाँ पुष्प. = (ख) सम लाभ
3. जहाँ सजन = (ग) फल, फूल
4. गुण कूँ गाहक = (घ) तहँ प्रीति
5. समय लाभ = (ङ) तहँ वास
उत्तर
1. (ग), 2. (ङ), 3. (घ), 4. (क), 5. (ख)

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प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उचित शब्द का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. कबीर ने ……………… को दूर न करने की सलाह दी है। (प्रशंसक निंदक)
2. जब तक ………………. नहीं होता तब तक मित्र नहीं बनते। (वित्त/चित्त)
3. रहिमन ……………….. अंबु बिन, रवि ताकर रिप होय। (अंबुद/अंबुज)
4. विचार पूर्वक कार्य करने से ………….. राजी रहते हैं। (निजलोक सर्वलोक)
उत्तर
1. निंदक
2. वित्त
3. अंबुज
4. सर्वलोक।

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए

(क)
कवि ने अमोल किसे कहा है?
उत्तर
कवि ने बोली को अमोल कहा है।

(ख)
कबीर के अनुसार तन-मन को निर्मल कौन करता है?
उत्तर
सबका मान करने से तन-मन निर्मल हो जाता है।

(ग)
वृंद कवि के अनुसार प्रेम का वास कहाँ होता है?
उत्तर
कवि द्वंद के अनुसार प्रेम का वास प्रेमी के हृदय में होता है।

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(घ)
रहीम कवि ने अनुसार ऊख और प्रेम में गाँठ पड़ जाने से क्या होता है?
उत्तर
कवि ने अनुसार ऊख में गाँठ पड़ने से रस में कमी आती है जबकि प्रेम में गाँठ पड़ने से रस में कमी आती है जबकि प्रेम में गाँठ पड़ने पर प्रीत में कमी आती है।

(ङ)
बंद कवि ने सब लोगों के प्रसन्न रखने के लिए कौन-सा उपचार करने के लिए कहा है?
उत्तर
कवि के अनुसार कुछ भी निर्णय लेने से पहले सबकी सुननी चाहिए तथा स्वयं के और सबके विचारों से निष्कर्ष निकालना चाहिए।

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में लिखिए

(क)
कबीर ने तराजू में तौलने के लिए किसे और क्यों कहा है?
उत्तर
कबीर ने बोली को तौलने के लिए कहा है क्योंकि बोली से बने बनाए घर उजड़ भी सकते हैं और संवर भी सकते हैं इसलिए सोच समझ कर बोलना चाहिए।

(ख)
कवि ने किस गुण की कीमत कौड़ी के समान बताई है?
उत्तर
कवि ने उस गुण की कीमत कौड़ी के समान बताई जिसे कोई स्वीकार नहीं करता अर्थात जिस गुण से समाज व लोगों को कोई लाभ नहीं होता वह ना के बराबर होता है।

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(ग)
रहीम ने बबूल के पेड़ को क्यों खराब कहा है?
उत्तर
रहीम ने बबूल के पेड़ को इसलिए खराब कहा है क्योंकि उसमें कोई फल-फूल नहीं होते अर्थात जो व्यक्ति स्वयं स्वार्थी हो, यदि वह किसी को सीख दे तो वह अनर्थक लगता है।

(घ)
‘ससि सुकेस’ दोहे में किन-किन को एक समान बताया है?
उत्तर
‘ससि सुकेस’ दोहे में ससि, सुकेस, साहस, सलिल, मान तथा सनेह को एक समान कहा गया है क्योंकि ये सारे बढ़ने पर बढ़ते चले जाते है और घटने पर घटते चले जाते हैं।

(ङ)
वृंद कवि ने सज्जन और पुष्प की क्या विशेषाएँ बताई है?
उत्तर
जिस प्रकार पुष्प अपनी खुशबू और मनमोहकता से सबको सम्मोहित कर देता है उसी प्रकार एक सज्जन व्यक्ति समाज में अपने अच्छे और निस्वार्थ कार्यों से सबको आकर्षित करता है।

भाषा की बात

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध उच्चारण कीजिए
निर्मल, वित्त, अम्बुज, ऊख, प्रीति, स्नेह, सर्व
उत्तर
निर्मल, वित्त, अंबुज, ऊख, प्रीति, स्नेह, सर्व।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिएआमोल, मित्तर, शसि, सजजन, गांठ, जहाँ, चतूर
उत्तर
शब्द = शुद्ध वर्तनी
आमोल = अमोल
मित्तर = मित्र
सजजन = सज्जन
गांठ = गाँठ
जहाँ = जहाँ
चतूर = चतुर

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
निर्मल, पुष्प, समय, पेड़
उत्तर
शब्द = पर्यायवाची शब्द
निर्मल = शुद्ध, स्वच्छ
पुष्प = फूल, कुसुम
समय = वक्त
पेड़ = तरु, वृक्ष

प्रश्न 7.
नीचे दिए गए शब्दों में से उपसर्ग छाँटिएअमोल, निर्मल, सुकेस, सजन, सुवास, अनादर, दुर्भावना
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 16 नीति दशक 1

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों को पृथक-पृथक वाक्यों में प्रयोग कीजिए
तराजू, निंदक, मान, विचार, उपचार, वित्त
उत्तर
शब्द = वाक्य
तराजू = मनुष्य को स्वयं सद्भाव के तराजू में तोलना चाहिए।
निंदक = निंदक व्यक्ति की भी बुराई नहीं करनी चाहिए।
मान = बड़ों का मान करना चाहिए।
विचार = मनुष्य अपना विकास अच्छे विचारों के साथ करता है।
वित्त = आजकल जिसके पास वित्त होता है, सब उसके पीछे भागते हैं।

नीति दशक पाठ का परिचय

(कबीर)

प्रस्तुत पंक्तियों में कबीर के कुछ दोहों का वर्णन किया गया है जिनमें उन्होंने जीवन की कुछ सच्चाइयों से अवगत कराया है। उन्होंने कहा है कि व्यक्ति को बोलने से पहले सोचना चाहिए क्योंकि मुख से निकला प्रत्येक शब्द अमूल्य है। इसी प्रकार जब किसी गुण को सार्थकता मिलती है तब वह खूब फलता-फूलता है किंतु जब गुण का महत्त्व समाप्त हो जाता है तो वह कौड़ी के समान हो जाता है। निंदा करने वाले से निंदा नहीं करनी चाहिए बल्कि उसकी तरफ से मन निर्मल रखना चाहिए।

नीति दशक संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. बोली एक अमोल है, जो कोई बोले जानि।
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।।

शब्दार्थ – अमोल = अमूल्य; अमूल्य = अमूल्य, तौलि = तौलना; आनि = आना।

संदर्भ-प्रस्तुत दोहे की पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-7 के पाठ-16 ‘नीति दशक’ से ली गई है। इसके रचचिता कबीर है।

प्रसंग-इसमें व्यक्ति की बोली के महत्त्व के बारे में बताया गया है।

व्याख्या
प्रस्तुत दोहे में कबीर ने कहा है कि बोली अमूल्य होती है। मुँह से निकला प्रत्येक बोल वही जानता है जो वह बोलता है। हमें सोच-समझकर और तौल कर कुछ बोलना चाहिए।

विशेष

  • दोहे की भाषा प्रवाहमय है।
  • बोली को महत्त्व दिया गया है।

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2. जब गुण कूँ गाहक मिले, तब गुण लाख बिकाइ।
जब गुण गाहक नहीं, तब कौड़ी बदले जाइ।

शब्दार्थ-गाहक = ग्राहक, ग्रहण करने वाला; कौड़ी = महत्त्वहीन।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-इसमें गुण के महत्त्व को दर्शाया गया।

नीति दशक रहीम का परिचय

रहीम का जन्म सन् 1556 ई. में लाहौर में हुआ था। वे अकबर के संरक्षक बैराम खां के पत्र थे। उनका पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। अकबर के नौ रत्नों में वे भी एक थे। वे अकबर के प्रधान सेनापति, मंत्री और वीर योद्धा थे।

1. आप न काहू काम के, डार पात फल फूल ।
औरत को रोकत फिरे, रहिमन पेड़ बबूल।।

शब्दार्थ-रोकत-रोकना।

संदर्भ-प्रस्तुत दोहे की पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम-भारती’ (हिंदी सामान्य’) भाग-7 के पाठ-16 ‘नीति दशक’ से ली गई है। इसके रचयिता ‘रहीम’ हैं।

प्रसंग-इसमें उन लोगों के विषय में कहा गया है जो कपटी है।

व्याख्या-प्रस्तुत दोहे में रहीम ने उन लोगों के विषय में कहा है जो स्वयं कपटी और स्वार्थी हैं तथा सारे दिन पाप के कार्य करते हैं फिर भी दूसरों को गलत काम करने से रोकते हैं।

विशेष

  • भाषा सरल और प्रवाहमय है।
  • स्वार्थी लोगों द्वारा दी गई सीख को दर्शाया गया है।

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2. समय लाभ समय लाभ सम लाभ नहिं,
समय चूंकि सम चूक।
चतुरन चित रहिमन लगी,
समय चूंकि की हूक ॥

शब्दार्थ-वित्तत = धन, पूंजी।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-इसमें चतुर व्यक्तित्व के बारे में कहा गया है।

व्याख्या-प्रस्तुत दोहे में रहीम ने कहा है कि जब व्यक्तिको लाभ का समय मिले या ईश्वर अवसर प्रदान करे तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए। एक बार समय निकलने पर अवसर भी हाथ से चला जाता है। एक चतुर और समझदार व्यक्ति अवसर को अपने हाथ में नहीं जाने देता।

विशेष

  • भाषा सरल और प्रवाहमय है।
  • समय की सार्थकता को प्रकट किया गया है।

3. जब लगि वित्त न आपुने, तब लगि मित्त न कोय।
रहिमन अंबुज अंबु बिन, रवि ताकर रिपु होय।।

शब्दार्थ-मित्त = मित्र; अंबुज = कमल; अंबु = पानी; रवि = सर्य; रिपु = शत्रु, दुश्मन।

संदर्भ-पूर्ववत् ।
प्रसंग-इसमें स्वार्थ के बारे में कहा गया है।

व्याख्या- प्रस्तुत दोहे में बताया गया है कि जब तक हमारे पास पैसा होता है तब तक हमारे पास मित्र होते हैं और उसके नहीं रहने पर मित्र भी चले जाते हैं। इसी | तरह बिना पानी के सूर्य भी कमल का दुश्मन बन जाता है।

विशेष

  • भाषा सरल और प्रवाहमय है
  • इसमें लालच के संदर्भ में कहा गया है।

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4. रहिमन खोजे ऊख में, जहाँ रसनि की खानि
जहाँ गाँठ तहं रस नहीं, यही प्रीति में हानि॥

शब्दार्थ-ऊख = गन्ना; रसनि = रस; खानिखान।

संदर्भ-पूर्ववत्
प्रसंग-इसमें प्रेम के मध्य ठीस को उजागर किया गया है।

व्याख्या-प्रस्तुत दोहे में रहीम ने गन्ने का उदाहरण लिया है कि जिस प्रकार गन्ने में रस भरा होता है और इससे आनंद भी मिलता है परंतु हमें उसकी गाँठों को नहीं भूलना चाहिए जिनमें रस नहीं होता उसी प्रकार अधिक प्रेम में भी गाँठ आ सकती है। .

विशेष

  • भाषा सरल और प्रवाहमय है।
  • इसमें सुख-दुख को दर्शाया गया है।

5. ससि सुकेस साहस सलिल मान सनेह रहीम।
बढ़त बढ़त बढ़ि जात है, घटत घटत घटि सीम।।

शब्दार्थ-ससि = चंद्रमा; सुकेस = बाल, सलिल = पानी, जल।

संदर्भ-पूर्ववत्।
प्रसंग-इसमें चंद्रमा, केस आदि के बढ़ने और घटने पर विचार किया गया है।

व्याख्या-प्रस्तुत दोहे में रहीम ने कहा है कि चंद्रमा, बाल, साहस, पानी, माम और प्रेम आदि जितनी तेजी से बढ़ते है उतनी तेजी से ही कम होते चले जाते हैं अर्थात जीवन में कुछ भी स्थिर नहीं है, सबकी नियती और चाल में अंतर आना स्वाभाविक है।

विशेष

  • निरतंरशीलता को दर्शाया गया है।
  • भाषा सरल एवं प्रवाहमय है।

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नीति दशक वृंद का परिचय

वृंद का पूरा नाम वृंदावन दास था। वे रीतिकाल के सुप्रसिद्ध कवि थे। उनका जन्म सन् 1643 ई. में मेड़ना नामक गाँव में हुआ था, जो जोधपुर, राजस्थान में है। उनका कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत था। वे अपने आश्रदयाताओं के साथ सदा यात्रा करते रहे। वे कृष्णगढ़ नरेश महाराज राजसिंह के गुरु थे। वे उनके साथ औरगजेब की फौज में ढाका तक गए थे।

1. जहाँ सहन तहं प्रीति है, प्रीति तहाँ सुख ठौर।
जहाँ पुष्प तहं वास है, जहाँ बास तहं मौर।।

शब्दार्थ-ठौर = स्थान; प्रीति = प्रेम; पुष्प = फूल।

संदर्भ-इस दोहे के रचयिता महाकवि वृंद हैं।
प्रसंग-इसमें प्रेम की सार्थकता के बारे में बताया गया है।

व्याख्या-प्रस्तुत दोहे में महाकवि वृंद प्रेम की सार्थकता को प्रकट करते हुए कहते हैं कि सच्चे प्रेम का सुख तभी प्राप्त होता है जब प्रेमी भी प्रेम में डूबा हो। जहाँ फूलों का वास होगा, वहीं मोर भी घूमेगा। अतः प्रेम अतुल्नीय है।

विशेष

  • भाषा सरल एवं प्रवाहमय है।
  • प्रेम को अतुल्नीय बताया गया है।

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2. सुनिए सबही की कही, करिए सहित विचार।
सर्व लोक राजी रहै, सो कीजे उपचार।।

शब्दार्थ-सर्वलोक = सभी लोग, सारा संसार; हिये = हृदय।

संदर्भ-पूर्ववत्।
प्रसंग-सब लोगों के सुनने पर बल दिया गया है।

व्याख्या-प्रस्तुत दोहे में कवि वृंद ने व्यक्ति विशेष से कहा है कि हमें कुछ भी निर्णय लेने से पहले सबकी राय सुननी चाहिए, तत्पश्चात विचार करना चाहिए। अंतत, ऐसा निर्णय लेना चाहिए, तत्पश्चात, विचार करना चाहिए। अंतत ऐसी निर्णय लेना चाहिए। जिसमें जिससे सभी संबंधित लोग एकमत हो। अर्थात हमें कोई भी कार्य जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए।

विशेष

  • भाषा सरल एवं प्रवाहमय है।
  • इसमें कार्य की सार्थकता पर बल दिया गया है।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 19 देशहिताय

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 19 देशहिताय

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 19 अभ्यासः

प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) सिद्धार्थः कस्यां कक्षायां पठति? [सिद्धार्थ किस कक्षा में पढ़ता है?]
उत्तर:
‘सप्तम कक्षायां’

(ख) देशः कस्य तुल्यः अस्ति? [देश किसके समान है?]
उत्तर:
मातृतुल्यः

(ग) “शन्नोवरुणः’ इति कस्याः ध्येयवाक्यम् अस्ति? [‘शन्नो वरुण’ किसका ध्येय वाक्य है?]
उत्तर:
जलसेनायाः

(घ) देशसेवायाः सर्वेषां मार्गाणाम् उद्देश्यं किम्? [देशसेवा के सभी मार्गों का क्या उद्देश्य है?]
उत्तर:
‘देशहितम्’

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(ङ) सिद्धार्थस्य मित्रं कः? [सिद्धार्थ का मित्र कौन है?]
उत्तर:
सुधीशः।

प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) बालचरः इत्युक्ते किं ज्ञायते? [बालचर कहे जाने से क्या प्रतीत होता है?]
उत्तर:
‘बालचरः’ इति बालानां एका सेवासंस्था अस्ति। [‘बालचर’ नामक बालकों की एक सेवा संस्था है।]

(ख) राष्ट्रियछात्रसेनायाः’ (एन.सी.सी.) ध्येयवाक्यं किम्? [राष्ट्रीय छात्र सेना का ध्येय वाक्य क्या है?]
उत्तर:
राष्ट्रियछात्रसेनायाः (एन.सी.सी.) ध्येयवाक्यं ‘अहं न भवान्’ इति। [राष्ट्रीय छात्र सेना का ध्येय वाक्य “मैं नहीं, आप” है।]

(ग) सेनायाः त्रिविधप्रकाराः के सन्ति? [सेना के तीन भेद कौन से हैं?]
उत्तर:
सेनायाः त्रिविधप्रकाराः सन्ति-जल सेना, वायु सेना, स्थल सेना च। [सेना के तीन भेद हैं-जल सेना, वायु सेना और स्थल सेना।]

(घ) बालचरस्य प्रथमा प्रतिज्ञा का अस्ति? [बालचर की पहली प्रतिज्ञा क्या है?]
उत्तर:
बालचरस्य प्रथमा प्रतिज्ञा अस्ति-‘ईश्वरं स्वदेशं प्रति च कर्त्तव्य पालनं’। [बालचर की पहली प्रतिज्ञा है-ईश्वर और अपने देश के प्रति कर्त्तव्य का पालन करना।]

(ङ) छात्रजीवने देशसेवायाः मार्गों को? [छात्र जीवन में देश सेवा के कौन से दो मार्ग हैं?]
उत्तर:
छात्रजीवने देश सेवायाः मार्गौ–’राष्ट्रीय छात्र सेना’, ‘राष्ट्रीय सेवायोजना’ च। [छात्र जीवन में देशसेवा के दो मार्ग (उपाय) हैं- ‘राष्ट्रीय छात्र सेना’ तथा ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’।]

प्रश्न 3.
रेखांकित शब्द के आधार पर प्रश्न बनाओ
(क) ‘सिद्धार्थ:’ सप्तम्यां कक्षायां पठति।
(ख) गणवेशधारिणः वयं बालचराः स्मः।
(ग) “सर्वेषां सहायता” इति द्वितीया प्रतिज्ञा।
(घ) जलसेना जलमार्गात् देशसुरक्षां करोति।
(ङ) बालचरः एकं ग्रामं जनसेवायै गच्छति।
उत्तर:
(क) कः सप्तम्यां कक्षायां पठति?
(ख) गणवेशधारिणः वयं के स्मः?
(ग) ‘सर्वेषां का’ इति द्वितीया प्रतिज्ञा?
(घ) जलसेना कस्मात् देश सुरक्षां करोति?
(ङ) बालचरः एक ग्रामं कस्याथै गच्छति?

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प्रश्न 4.
मिलान करो-
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 19 देशहिताय img 1
उत्तर:
(क) → (2)
(ख) → (3)
(ग) → (1)
(घ) → (4)

प्रश्न 5.
कोष्ठक से चुनकर वाक्य बनाओ-
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 19 देशहिताय img 2
उत्तर:
(क) अहम् लिखामि।
(ख) अहम् गच्छामि।
(ग) अहम् करोमि।
(घ) अहम् प्रेरयामि।
(ङ) भवान् पठति।
(च) भवान् गच्छति।
(छ) भवान् प्रेरयति।
(ज) भवान् रक्षति।
(झ) वयम् अनुपालयामः।
(ब) वयम् कुर्मः।
(ट) वयम् विचरामः।
(ठ) वयम् गच्छामः।
(ड) वयम् भवामः।
(ढ) अहम् शृणोमि।

प्रश्न 6.
उदाहरण के अनुसार रूप लिखो
धातुएँ :
लिख्, दृश् (पश्य), वद्, क्रीड, उपविश।
लकार :
लट्, लोट् (सभी पुरुष व सभी वचनों में)
उत्तर:
लट् लकार (वर्तमान में)
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 19 देशहिताय img 3

लोट् लकार (आज्ञायां)
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 19 देशहिताय img 4

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प्रश्न 7.
कोष्ठक में दिये गये शब्दों से रिक्त स्थानों को पूरा करो
(कक्षायां, ग्रामम्, सेवासंस्था, मातृतुल्यः, सेना, बालचराः, के मार्गाः, ताः प्रतिज्ञाः, मार्गाभ्याम्)
(क) कस्यां ………।
(ख) एकं ……….।
(ग) एका ……….।
(घ) गणवेशधारिणः ………।
(ङ) काः प्रतिज्ञाः ……….।
(च) देशः ……….।
(छ) एताभ्यां ………।
(ज) एषा ……..।
उत्तर:
(क) कक्षायां
(ख) ग्रामम्
(ग) सेवासंस्था
(घ) बालचरा
(ङ) ताः प्रतिज्ञाः
(च) मातृतुल्यः
(छ) मार्गाभ्याम्
(ज) सेना।

देशहिताय हिन्दी अनुवाद

सुधीश: :
मित्र सिद्धार्थ! भवान् कस्यां कक्षायां पठति?

सिद्धार्थः :
अहं सप्तमकक्षायां पठामि। सुधीशः-एतद् वेशं धृत्वा भवान् कुत्र गच्छति?

सिद्धार्थ :
मित्र! पश्यतु मम गणवेशम्। अहं बालचरः। अतः जनसेवायै एक ग्रामं गच्छामि।

सुधीश: :
‘बालचरः’ इत्युक्ते किं ज्ञायते?

सिद्धार्थः :
बालचरः इति बालानां एका सेवासंस्था अस्ति। तस्याः सदस्यः भूत्वा वयं देशसेवां कर्तुं समर्थाः भवामः।

अनुवाद :
सुधीश :
हे मित्र सिद्धार्थ! आप किस कक्षा में पढ़ते हो?

सिद्धार्थ :
मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता हूँ। सुधीश-यह वेश धारण करके आप कहाँ जा रहे हो?

सिद्धार्थ :
मित्र! मेरे गणवेश को देखो। मैं बालचर हैं। इसलिए मनुष्यों की सेवा के लिए एक गाँव को जा रहा हूँ।

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सुधीश :
‘बालचर’ इसके कहने से क्या ज्ञात होता है?

सिद्धार्थ :
‘बालचर’ नामक बालकों की एक सेवा संस्था है। उसके सदस्य बनकर हम देश सेवा करने में समर्थ होते हैं।

सुधीश: :
बालचरो भूत्वा भवान् किं किं करोति?

सिद्धार्थः :
गणवेशधारिणः वयं बालचराः सर्वत्र विचरामः। वयं देवालयेषु मेलापकेषु हट्टेषु जनसमूहेषु सामाजिकार्यक्रमेषु भूकम्पादि आपात्कालेषु च उत्साहेन जनानां साहाय्यं कुर्मः। प्रतिज्ञाः अपि अनुपालयामः।

सुधीश: :
काः ताः प्रतिज्ञाः?

सिद्धार्थः :
प्रथमा तु ‘ईश्वरं स्वदेशं प्रति च कर्त्तव्यपालनं’, द्वितीया तावत् ‘सर्वेषां सहायता’ तृतीया प्रतिज्ञा ‘संस्थायाः अनुशासनस्य पालनम्’ इति।

अनुवाद :
सुधीश :
बालचर होकर आप क्या-क्या करते हो?

सिद्धार्थ :
गणवेश धारण किये हुए हम सभी बालचर सर्वत्र घूमते हैं। हम सब मन्दिरों में, मेलों में, हाटों में (पैठ में), मनुष्यों की भीड़ में, सामाजिक कार्यक्रमों में और भूकम्प आदि आपातकाल में उत्साहपूर्वक मनुष्यों की सहायता करते हैं। प्रतिज्ञा का भी पालन करते हैं।

सुधीश :
वह कौन सी प्रतिज्ञा है?

सिद्धार्थ :
पहली (प्रतिज्ञा है) ‘ईश्वर और अपने देश के प्रति कर्त्तव्य का पालन’, दूसरी (प्रतिज्ञा है) ‘सबकी सहायता करना’, तीसरी (प्रतिज्ञा है) ‘संस्था के अनुशासन का पालन करना।’

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सुधीशः :
भवन्तं सेवायै कः प्रेरयति? सिद्धार्थः-देशस्तु मातृतुल्यः। मातृसेवायै सर्वे समानयोग्याः। आत्मप्रेरणया एव देशसेवां कुर्मः।

सुधीशः :
कथमहं देशसेवां कर्तुं शक्नोमि? के ते मार्गाः?

सिद्धार्थ: :
देशसेवायाः बहवः मार्गाः सन्ति। छात्रजीवने ‘राष्ट्रियछात्रसेना (एन.सी.सी.)’ इति। ‘राष्ट्रियसेवायोजना (एन.एस.एस.)’ इति देशसेवामार्गौ। ‘एकता अनुशासनञ्च’ राष्ट्रियछात्रसेनायाः ध्येयवाक्यम् एवञ्च ‘अहं न भवान्’ इति राष्ट्रियसेवायोजनायाः ध्येयवाक्यमस्ति। एताभ्यां मार्गाभ्यां वयं व्यक्तित्वविकासेन सह समाजसेवां देशसेवां च कर्तुं शक्नुमः।

अनुवाद :
सुधीश-आपको सेवा करने के लिए कौन प्रेरणा देता है?

सिद्धार्थ :
देश तो माता के समान है। माता की सेवा के लिए सभी समान रूप से योग्य हैं (सक्षम हैं)। आत्मा से प्राप्त प्रेरणा से ही देश की सेवा करते हैं।

सुधीश :
मैं किस तरह देश सेवा कर सकता हूँ? वे कौन से उपाय हैं?

सिद्धार्थ :
देश सेवा के बहुत से योग्य उपाय हैं। विद्यार्थी जीवन में “राष्ट्रीय छात्र सेना (एन. सी. सी.)” होती हैं। ‘राष्ट्रीय सेवायोजना’ (एन. एस. एस.) देश सेवा के उपाय हैं। ‘एकता और अनुशासन’ राष्ट्रीय छात्र सेना का ध्येय वाक्य ही है और ‘मैं नहीं आप’ भी राष्ट्रीय सेवायोजना का ध्येय वाक्य हैं। इन दोनों उपायों से (मार्गों से) हम सभी व्यक्तित्व विकास के साथ ही समाजसेवा और देश सेवा करने में समर्थ हैं।

सुधीशः :
छात्रजीवनस्य अनन्तरं देशसेवायाः के मार्गाः?

सिद्धार्थ: :
जल-वायु-स्थलसेना इति त्रिविधसेनाप्रकाराः देशसेवायाः एव मार्गाः सन्ति।

सुधीश: :
मित्र! एतासां सेनानां विषये किञ्चित् विवरणं ददातु।

सिद्धार्थ: :
जलसेनायाः ध्येयवाक्यं ‘शन्नोवरुणः’ इति अस्ति। एषा जलमार्गात् देशरक्षां करोति। वायुसेना ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ इति ध्येयवाक्यं स्वीकृत्य आकाशमार्गात् देशं रक्षति। स्थलसेनायाः ध्येयवाक्यं-‘सेवा अस्माकं धर्मः’ इति। एषा स्थलात् देशरक्षणं करोति।

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सुधीश: :
भवतु, ज्ञातं देशहितमार्गाणां विषयेः, किन्तु एतेषु कः भेदः।

सिद्धार्थ: :
न कोऽपि भेदः। एते सर्वे जाति-धर्म-भाषाभेदरहिताः देशसेवायाः विभिन्नाः मार्गाः वर्तन्ते। सर्वेषामुद्देश्यं तु एकम् एव ‘देशहितम्’ इति।

अनुवाद :
सुधीश :
छात्र जीवन के बाद देशसेवा के कौन से उपाय हैं?

सिद्धार्थ :
जल सेना, वायु सेना तथा थल सेना, जो तीन प्रकार की सेना है, (वह भी) देशसेवा के उपाय हैं।

सुधीश :
हे मित्र! इन सभी सेनाओं के विषय में कुछ विवरण दीजिए।

सिद्धार्थ :
‘जल सेना’ का ध्येय वाक्य ‘शन्नोवरुण:’ (वरुण देवता हमारा कल्याण करे) है। यह जलमार्ग से देश की रक्षा करती है। वायुसेना ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ (आकाश प्रकाश से युक्त हो) इस ध्येय वाक्य को स्वीकार करके आकाशमार्ग से देश की रक्षा करती है। स्थल सेना (थल सेना) का ध्येय वाक्य है-‘सेवा (ही) हमारा धर्म है।’ यह स्थल से देश की रक्षा करती है।

सुधीश :
ठीक है, देश की भलाई के मार्गों (उपायों) के विषय में जानकारी मिली। किन्तु इनमें कौन सा भेद है?

सिद्धार्थ :
कोई भी भेद नहीं है। ये सभी जाति-धर्म और भाषा के भेद से रहित देश सेवा के विभिन्न मार्ग (उपाय) हैं। सभी का एक ही उद्देश्य ‘देश की भलाई (कल्याण)’ है।

देशहिताय शब्दार्थाः

धृत्वा = पहनकर। जनसेवायै = लोगों की सेवा के लिए। मेलापकेषु = मेलों में। हट्टेषु = बाजारों में। मातृतुल्यः = माता के समान।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

Question 1.
Construct ∆DEF such that DE = 5 cm, DF = 3 cm and m ∠EDF = 90°.
Solution:
Steps of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 1

1. Draw a line segment DE = 5 cm.
2. At Q, draw an angle EDX = 90°.
3. From ray DX, cut off DF = 3 cm.
4. Join EF.
Then, DEF is the required triangle.

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3

Question 2.
Construct an isosceles triangle in which the lengths of each of its equal sides is 6.5 cm and the angle between them is 110°.
Solution:
Steps of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 2
1. Draw a line segment BC = 6.5 cm.
2. At B draw an ∠CBX =110°.
3. From ray BX, cut off BA = 6.5 cm.
4. Join AC.
Then, ABC is the required isosceles triangle.

Question 3.
Construct ∆ABC with BC = 7.5 cm, AC = 5 cm and m∠C = 60°?
Solution:
Steps of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 3
1. Draw a line segment BC = 7.5 cm.
2. At C, draw ∠BCX = 60°.
3. From ray .CX, cut off CA = 5 cm.
4. Join AB.
Then, ABC is the required triangle.

MP Board Class 7th Maths Solutions

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.2

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.2

Question 1.
Construct ∆XYZ in which XY = 4.5 cm, YZ = 5 cm and ZX = 6 cm.
Solution:
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.2 1
Steps of Construction :
1. Draw a line segment YZ = 5 cm.
2. With centre Y and radius 4.5 cm, draw Y an arc.
3. With centre Z and radius 6 cm draw another arc intersecting the previous arc at X.
4. Join YX and ZX. Then, XYZ is the required triangle.

Question 2.
Construct an equilateral triangle of side 5.5 cm.
Solution:
Steps of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.2 2
1. Draw a line segment BC = 5.5 cm.
2. With B as centre and radius equal to 5.5 cm (= BA), draw an arc.
3. With C as centre and radius equal to 5.5 cm (= CA), draw another arc intersecting the previous arc at A.
4. Join AB and AC.
Then, ABC is the required equilateral triangle.

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.2

Question 3.
Draw ∆PQR with PQ = 4 cm, QR = 3.5 What type of triangle is this?
Solution:
Steps of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.2 3
1. Draw a line segment QR = 3.5 cm.
2. With Q as centre and radius equal to 4.0 cm (= QP), draw another arc intersecting the previous arc at P.
3. With R as centre and radius equal to 4.0 cm (= PR), draw another arc intersecting the previous arc at P.
4. Join PQ and PR
Then, PQR is the required triangle.
From above construction, ∆PQR is an isosceles triangle.

Question 4.
Construct ∆ABC such that AB = 2.5 cm, BC = 6 cm and AC = 6.5 cm. Measure ∠B.
Solution:
Steps of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.2 4
1. Draw a line segment BC = 6 cm.
2. With B as centre and radius equal to 2.5 cm. (AB) draw an arc.
3. With C as centre and radius equal to 6.5 cm (AC), draw another arc intersecting the
4. Join AB and AC.
Then, ABC is the required triangle.
On measuring, we find that ∠B = 90°.

MP Board Class 7th Maths Solutions

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.1

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.1

Question 1.
Draw a line, say AB, take a point C outside it. Through C, draw a line parallel to AB using ruler and compasses only.
Solution:
Step of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.1 1
1. Take any point P on line AB.
2. Take any point C (Given) outside AB and join PC.
3. With P as centre and a convenient radius, draw an arc cutting line AB at R and PC at S.
4. Now with C as centre and the same radius as in Step 3, draw an arc intersecting PC at T.
5. With T as centre and radius equal to R draw an arc intersecting the previous arc at N.
6. Now, join CN and produce it on both sides to form a line EF.
Thus, EF is the required line parallel to AB and passing through the given point C.

Question 2.
Draw a line l. Draw a perpendicular to l at a xy n point on l. On this perpendicular choose a point X, 4 cm away from l. Through X, draw a line m parallel to l.
Solution:
Steps of Constructions :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.1 2
1. Draw a line l and take any point P on it.
2. With P as centre and any suitable radius draw an arc intersecting line l at A and B.
3. With A as centre and radius equal to more than AP draw an arc.
4. Again with B as centre and same radius as in Step 3 draw another arc to intersects the previous arc at C.
5. Join PC and produce it to Q.
Then PQ is the required perpendicular.
6. Now with P as centre and radius equal to 4 cm, draw an arc to intersect PQ at X, such that PX = 4 cm.
7. With X as centre and a convenient radius draw an arc intersecting PQ at D.
8. Again with D as centre and same radius as in Step 7 draw an arc to intersect the previous arc at E.
9. Join XE and produce if to form a line m.
Thus, m is the required line.

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.1

Question 3.
Let l be a line and P be a point not on l. Through P, draw a line m parallel to l. Now join P to any point Q on l. Choose any other point R on m. Through R, draw a line parallel to PQ. Let this meet l at S. What shape do the two sets of parallel lines enclose?
Solution:
Steps of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.1 3
1. Draw a line l and take any point P outside it.
2. Take any point Q on line l
3. Join QP.
4. With Q as centre and any suitable radius, draw an arc intersecting line l and QP at A and B respectively.
5. Now with P as centre and same radius as in Step 4, draw an arc on the opposite side of PQ to intersect PQ at C.
6. Again with C as centre and radius equal to AB, draw an arc to intersect the previous arc at D.
7. Join PD and produce it in both directions to obtain the required line m.
8. Further take any point R on m.
9. Through R, draw a line RS || PQ by following the steps explained above.
The shape of the figure enclosed by these lines is a parallelogram QPRS.

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