MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 22 रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण
रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण NCERT प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित की परिभाषा लिखिए –
(1) बहिःस्रावी ग्रंथियाँ
(2) अंतःस्रावी ग्रंथियाँ
(3) हॉर्मोन।
उत्तर:
(1) बहिःस्रावी ग्रंथियाँ (Exocrine glands):
ऐसी ग्रंथियाँ, जिनमें एपीथिलियल कोशाओं का स्तर हो तथा नलिकाएँ पायी जाती हों बहिःस्रावी ग्रंथियाँ कहलाती हैं। इन ग्रंथियों के द्वारा एन्जाइम का स्रावण होता है।
(2) अंतःस्रावी ग्रंथियाँ (Endocrine glands):
ऐसी ग्रंथियाँ जिनमें नलिकाओं का अभाव हो तथा वे अपने स्राव (हार्मोन) सीधे रक्त में मुक्त करते हो, अंत:स्त्रावी ग्रंथियाँ कहलाती है।
(3) हॉर्मोन (Hormones):
हार्मोन एक अपोषकीय (non-nutrient) रासायनिक पदार्थ है, जो थोड़ी मात्रा में उत्पन्न होकर कोशिकाओं के बीच मैसेंजर का कार्य करता है।
प्रश्न 2.
हमारे शरीर में पाई जाने वाली अन्तःस्रावी ग्रंथियों की स्थिति चित्र बनाकर प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
निम्न द्वारा स्रावित हॉर्मोन का नाम लिखिए –
- हाइपोथैलेमस
- पीयूष ग्रंथि
- थायरॉइड
- पैराथायरॉइड
- अधिवृक्क ग्रंथि
- अग्नाशय
- वृषण
- अण्डाशय
- थायमस
- एट्रियम
- वृक्क
- जठर-आंत्रीय पथ।
उत्तर:
- हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) – थाइरोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (TRH), एड्रीनोकॉर्टिकाट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (ARH), गोनेडोट्रोपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (GnRH), मिलेनोसाइट रिलीजिंग हॉर्मोन (MRH), प्रोलैक्टिन रिलीजिंग हॉर्मोन (PRH).
- पीयूष ग्रंथि (Pituitary gland) – थायरॉइड स्टीमुलेटिंग हॉर्मोन (TSH), ग्रोथ हॉर्मोन (GH), एड्रीनो कॉर्टिको ट्रॉपिक हॉर्मोन (ACTH), गोनेडोट्रॉपिन (FSH, ICSH and LH). ऑक्सीटोसिन, वैसोप्रेसीन।
- थायरॉइड (Thyroid) – थायरॉक्सिन, कैल्सीटोनिन।
- पैराथायरॉइड (Parathyroid) – पैराथॉर्मोन (PTH).
- अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal gland) – एड्रीनेलीन, नोरएड्रीनेलीन, मिनरेलोकॉर्टिकॉइड, ग्लूकोकॉर्टिकॉइड।
- अग्नाशय (Pancrease) – इन्सुलिन, ग्लूकेगॉन।
- वृषण (Testes) – एन्ड्रोजन (टेस्टोस्टेरॉन)।
- अण्डाशय (Ovary) – एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टीरॉन।
- थायमस (Thymus) – थायमोसीन।
- एट्रियम (Atrium) – एट्रियल नेट्रीयूरेटिक फैक्टर (ANF)।
- वृक्क (Kidney) – ऐरेथ्रोप्वाइटीन।
- जठर-आंत्रीय पथ (G.I. Tract) – गैस्ट्रीन, सेक्रेटीन, कोलीसिस्टोकाइनिन।
प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये –
हॉर्मोन – लक्ष्य ग्रन्थि
- हाइपोथैलैमिक हॉर्मोन – …………..,……………..
- थाइरोट्रॉपीन (टी.एस.एच.) – …………………….
- कार्टिकोट्रापीन (ए.सी.टी.एच.) – ………………….
- गोनैडोट्रॉपिन (एल.एच.एफ.एस.एच.) – ………………..
- मेलानोट्रॉफिन (एम.एस.एच.) – ………………………..
उत्तर:
- पीयूष ग्रन्थि
- थायरॉइड ग्रंथि
- एड्रीनल ग्रंथि
- वृषण एवं अण्डाशय
- हाइपोथैलेमस।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित हॉर्मोन के कार्यों के बारे में टिप्पणी लिखिए –
- पैराथाइरॉइड हॉर्मोन (पी.टी.एच.)
- थायरॉइड हॉर्मोन
- थाइमोसिन
- एंड्रोजेन
- एस्ट्रोजेन
- इन्सुलिन एवं ग्लूकेगॉन।
उत्तर:
(1) पैराथाइरॉइड हॉर्मोन- पैराथायरॉइड ग्रन्थि से पैराथॉर्मोन नामक हॉर्मोन स्रावित होता है।
कार्य:
यह आँत की दीवार और वृक्क नलिकाओं में Ca अवशोषण की गति को बढ़ाता है। पेशी संकुचन, हृदय स्पन्दन, अस्थि निर्माण इत्यादि में सहयोग करता है । इसके अल्पस्रावण से टिटनस रोग होता है। बाल्यावस्था में कमी होने पर दाँत, हड्डियाँ व मस्तिष्क कम विकसित रह जाते हैं। हॉर्मोन के अतिस्रावण से ऑस्टियोपोरोसिस, हाइपर कैल्सिमिया एवं गुर्दे की पथरी जैसे रोग हो जाते हैं।
(2) थायरॉइड हॉर्मोन:
(1) थायरॉक्सिन या टेट्राआयोडोथायरोनिन या T. (Thyroxine or Tetraiodothyronine or T.) – केण्डॉल (1914) ने सबसे पहले इस हॉर्मोन के रवे प्राप्त किये। इस हॉर्मोन का लगभग 65% भाग आयोडीन होता है। यह हमारे शरीर तथा उनकी कोशिकाओं में निम्नलिखित कार्यों को करता
- यह उपापचयी क्रियाओं पर नियन्त्रण करता है। थायरॉक्सिन मुख्यतः कोशिकाओं की माइटोकॉण्ड्रिया की संख्या तथा माप को नियन्त्रित कर ऑक्सीकरण उपापचयी क्रियाओं को नियन्त्रित करता है।
- यह शरीर की वृद्धि एवं भिन्नन के लिए आवश्यक है। यदि मेढक के भेक शिशु की थायरॉइड ग्रन्थि को निकाल दिया जाये तो यह मेढक में रूपान्तरित नहीं हो पाता।
- उपापचयी नियन्त्रण के कारण यह शरीर के ताप का भी नियन्त्रण करता है।
- यह सामान्य वृद्धि को नियन्त्रित करता है।
- यह ऊतक में पाये जाने वाले अन्तरकोशिकीय पदार्थों की मात्रा को नियन्त्रित करता है।
(2) ट्राइआयोडोथायरोनिन (Tri-iodothyronine):
इसे T, भी कहते हैं। यह भी टायरोसीन अमीनो अम्ल और आयोडीन के मिलने से बनता है। इसका लगभग 10% भाग टायरोसीन अमीनो अम्ल का बना होता है, यह थायरॉक्सिन के समान ही है, लेकिन थायरॉक्सिन की अपेक्षा चार गुना अधिक प्रभावी होता है। कोशिकाओं में जाकर थायरॉक्सिन भी T, में बदल जाता है।
(3) थायरोकैल्सिटोनिन (Thyrocalcitonine):
यह हॉर्मोन प्रोटीन होता है और थायरॉइड के स्ट्रोमा में पायी जाने वाली पैरापुटिका कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता है। यह हॉर्मोन रुधिर तथा मूत्र में Ca की मात्रा को नियन्त्रित करता है।
(3) थाइमोसिन-ये T:
लिम्फोसाइट के विभेदीकरण में मुख्य भूमिका निभाते हैं, जो कोशिका माध्य प्रतिरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है । इसके अतिरिक्त थाइमोसिन तरल प्रतिरक्षा के लिए प्रतिजैविक के उत्पादन को भी प्रेरित करते हैं। जिसके फलस्वरूप वृद्धों की प्रतिरक्षा कमजोर पड़ जाती है।
(4) एंड्रोजेन (टेस्टोस्टीरॉन) के प्रमुख कार्य:
- यह नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के विकास को प्रेरित करता है।
- यह नर में बाह्य लैंगिक लक्षणों जैसे-हाथ-पैर में बाल उत्पन्न होने, मूंछों को उगाने, आवाज के भारी होने आदि को प्रेरित करता है।
- यह वृषण में शुक्राणु के निर्माण को उत्तेजित करता है।
- यह शरीर में ऊतकों के निर्माण को प्रभावित करता है।
(5) एस्ट्रोजेन-यह मुख्यतः
अण्डाशय द्वारा स्रावित होता है। इसके अलावा यह ऐड्रीनल ग्रन्थि एवं प्लैसेण्टा द्वारा भी अल्पमात्रा में स्रावित होता है। यह हॉर्मोन्स मादा के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों को नियन्त्रित करता है। इसके प्रभाव से लड़कियों में गर्भाशय, योनि, भग तथा स्तनों का विकास एवं बगल तथा जघन क्षेत्रों में बालों का उगना, शरीर में वसा के जमाव के कारण चिकनाहट, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण, रजोधर्म के प्रारम्भ होने इत्यादि क्रियाओं का नियन्त्रण किया जाता है। इसकी कमी से लैंगिक परिपक्वता देर से, तथा अधिकता से जल्दी आती है।
(6) इन्सुलिन एवं ग्लूकेगॉन:
इन्सुलिन एक प्रोटीन युक्त हॉर्मोन है जो ग्लूकोज समस्थापन के नियमन में मुख्य भूमिका निभाता है। इन्सुलिन लक्ष्य कोशिकाओं में ग्लूकोज से ग्लाइकोजन बनने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है। ग्लूकेगॉन एक पेप्टाइड हॉर्मोन है जो सामान्य रक्त शर्करा के स्तर के नियमन में मुख्य भूमिका निभाता है। ग्लूकेगॉन मुख्य रूप से यकृत कोशिकाओं पर कार्य कर ग्लाइकोजन अपघटन को प्रेरित करता है जिसके फलस्वरूप रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।
प्रश्न 6.
निम्न के उदाहरण दीजिए –
- हाइपरग्लाइसीमिक हॉर्मोन एवं हाइपोग्लाइसीमिक हॉर्मोन
- हाइपर कैल्सिमिक हॉर्मोन
- गोनेडोट्रॉपिक हॉर्मोन
- प्रोजेस्टीरॉन हॉर्मोन
- रक्तदाब निम्नकारी हॉर्मोन
- एंड्रोजेन एवं एस्ट्रोजेन।
उत्तर:
- ग्लूकेगॉन एवं इन्सुलिन
- पैराथायराइड हॉर्मोन
- ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH) और पुटिका प्रेरक हॉर्मोन (FSH)
- प्रोजेस्टीरॉन
- एट्रीयल नेट्रियूरेटिक कारक (ANF)
- एंड्रोजन मुख्य रूप से टेस्टेस्टीरॉन है तथा एस्ट्रोजेन का स्रावण अण्डाशय द्वारा होता है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित विकार किस हॉर्मोन की कमी के कारण होते हैं –
- मधुमेह
- ग्वॉयटर
- क्रीटिनिज्म।
उत्तर:
- मधुमेह, इन्सुलिन हॉर्मोन की कमी से होती है।
- ग्वॉयटर, थायरॉक्सिन हॉर्मोन की कमी से होती है।
- क्रीटिनिज्म, थायरॉक्सिन हॉर्मोन की कमी से होता है।
प्रश्न 8.
एफ. एस. एच. (E.S.H.) की कार्यविधि को संक्षिप्त में समझाइये।
उत्तर:
फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (ES.H.) मादाओं के अण्डाशय में पुटकों (Follicles) के परिपक्वन तथा अण्डाशय द्वारा एस्ट्रोजन के स्रवण को उत्तेजित करता है। पुरुषों में यह हॉर्मोन शुक्राणुजनन की क्रिया को प्रेरित करता है।
प्रश्न 9.
उत्तर:
- (b) थायरॉइड
- (d) पैराथायरॉइड
- (a) हाइपोथैलेमस
- (c) पीयूष ग्रंथि
रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. डायबिटीज मैलीट्स किसके न बनने के कारण होता है –
(a) ग्लूकेगॉन
(b) इन्सुलिन
(c) कैल्सीटोनिन
(d) वैसोप्रेसिन।
उत्तर:
(b) इन्सुलिन
2. नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के लिए आवश्यक हॉर्मोन है –
(a) टेस्टोस्टीरॉन
(b) प्रोजेस्टीरॉन
(c) एस्ट्रोजेन
(d) रिलैक्सिन।
उत्तर:
(a) टेस्टोस्टीरॉन
3. मादा में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के लिए आवश्यक हॉर्मोन है –
(a) टेस्टोस्टीरॉन
(b) प्रोजेस्टीरॉन
(c) एस्ट्रोजेन
(d) रिलैक्सिन।
उत्तर:
(c) एस्ट्रोजेन
4. E.S.H. और L.H. दोनों हॉर्मोन को मिलाकर कहते हैं –
(a) आपातकालीन हॉर्मोन
(b)G.TH.
(c) न्यूरो हॉर्मोन
(d) दाबरोधी हॉर्मोन।
उत्तर:
(b)G.TH.
5. निम्न में कौन-सी कोशिकाएँ प्रतिरक्षियों का निर्माण करती हैं –
(a)C – कोशिकाएँ
(b) T-कोशिकाएँ
(c) B-कोशिकाएँ
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) B-कोशिकाएँ
6. हिस्टेमीन किसके द्वारा स्रावित होता है –
(a)R.B.Cs
(b) W.B.Cs
(c)(a) तथा (b) दोनों से
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) W.B.Cs
7. एण्टीजन पर सीधे आक्रमण करती है –
(a) B-कोशिकाएँ
(b) C-कोशिकाएँ
(c)T- कोशिकाएँ
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c)T- कोशिकाएँ
8. B-लिम्फोसाइट कहाँ परिपक्व होती है –
(a) अस्थिमज्जा
(b) प्लीहा
(c) वृक्क
(d) थाइमस।
उत्तर:
(a) अस्थिमज्जा
9. किस रोगाणु के कारण इण्टरफेरॉन का स्त्रावण होता है –
(a) वायरस
(b) बैक्टीरिया
(c) प्रोटोजोआ
(d) फफूंद।
उत्तर:
(b) बैक्टीरिया
10. हॉर्मोन्स होते हैं –
(a) अमीनो अम्ल के व्युत्पन्न
(b) पेप्टाइड्स
(c) स्टीराइड्स
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।
11. अंधेरे में कौन-सा हॉर्मोन ज्यादा स्त्रावित होता है –
(a) इन्सुलिन
(b) एड्रीनेलिन
(c) थायरॉक्सिन
(d) मिलैटोनिन।
उत्तर:
(d) मिलैटोनिन।
12. कुफ्फर कोशिकाएँ पाई जाती हैं –
(a) अग्न्याशय में
(b) यकृत में
(c) अण्डाशय में
(d) वृषण में।
उत्तर:
(b) यकृत में
13. इन्सुलिन उत्पन्न होता है –
(a) अल्फा कोशाओं से
(b) बीटा कोशाओं से
(c) एड्रीनल कॉर्टेक्स से
(d) वृषण से।
उत्तर:
(b) बीटा कोशाओं से
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये –
- मेलेटोनिन हॉर्मोन ……………….. द्वारा स्रावित होता है।
- प्रोजेस्टीरॉन हॉर्मोन ……………….. द्वारा स्रावित किया जाता है।
- ………………… की कमी से घेघा रोग होता है।
- इन्सुलिन की कमी से ………………. रोग हो जाता है।
- सोमैटोट्रॉपिन के अल्पस्राव से ………………. होता है।
- ……………….. एक एण्टीडाइयूरेटिक।
- लैंगरहैन्स के द्वीप ……………….. में पाये जाते हैं।
- संकटावस्था में जीवन रक्षी हॉर्मोन ……………….. ग्रन्थि से स्रावित होते हैं।
- आमाशय द्वारा जठर रस के स्रावण का प्रेरक हॉर्मोन ……………… है।
- ……………….. हॉर्मोन की कमी से मानव बौना रह जाता है।
- T-लिम्फोसाइट का निर्माण …………….. में होता है।
- ……………….. सुरक्षा की द्वितीय पंक्ति बनाती है।
- ……………….. कोशिकाएँ हिस्टामीन का स्रावण करती हैं।
- एण्टीबॉडीज का निर्माण ……………….. में होता है।
- ……………….. प्रति विषाणु प्रोटीन है।
उत्तर:
- पीयूष ग्रन्थि
- कार्पस ल्यूटियम
- आयोडीन
- मधुमेह
- बौनापन
- वैसोप्रेसिन
- अग्नाशय
- अधिवृक्क
- गैस्ट्रिन
- सोमैटोट्रॉपिन हॉर्मोन
- बोन मैरो
- न्यूट्रोफिल्स
- मास्ट
- लिम्फोसाइट
- इण्टरफेरॉन।
प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
उत्तर:
- (c) थायरॉक्सिन
- (d) दुग्ध स्राव
- (e) प्रोजेस्टीरॉन
- (a) टेस्टोस्टीरॉन
- (b) सोमैटोट्रॉपिन
उत्तर:
- (d) B-कोशिकाएँ
- (f) लिम्फोसाइट।
- (a) इसाक्स तथा लिण्डरमैन
- (b) हेल्पर
- (c) एण्टीबॉडी का संश्लेषण
- (e) जन्मजात
प्रश्न 4.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –
पश्च पीयूष ग्रन्थि के हॉर्मोन कहाँ संश्लेषित होते हैं ?
रुधिर के अन्दर Ca की मात्रा को नियन्त्रित करने वाले हॉर्मोन का नाम लिखिए।
- हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि कौन-सी है ?
- पीयूष ग्रन्थि की अग्रपाली में बनने वाले दो हॉर्मोनों के नाम लिखिए।
- किस हॉर्मोन को प्रसव हॉर्मोन कहते हैं ?
- अग्न्याशय के अन्तःस्रावी भाग तथा उससे संबंधित हॉर्मोन के नाम लिखिए।
- टेस्टोस्टीरॉन स्रावित करने वाली कोशाओं के नाम लिखिए।
- उस हॉर्मोन का नाम तथा स्रोत बताइए, जो स्त्रियों के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों एवं अंगों में परिवर्तन लाता है।
- मनुष्य की उस ग्रन्थि का नाम बताइए, जो पाचक प्रकोण्व और हॉर्मोन दोनों का स्राव करती है।
- उस हॉर्मोन का नाम बताइये जो दुग्ध स्रावण को प्रेरित करता है।
- न्यूरोहाइपोफाइसिस से क्या उत्पन्न होता है ?
- सीक्रिटिन हॉर्मोन किसके स्रावण को प्रेरित करता है ?
- किस ऊतक के कारण पशुओं की आँखें रात्रि में चमकती हैं ?
- यकृत में पायी जाने वाली भक्षी कोशिका का नाम क्या है ?
- एण्टीबॉडी का निर्माण किसकी उपस्थिति के कारण होता है ?
- किसी अस्थायी अन्तःस्रावी ग्रन्थि का नाम लिखिए।
उत्तर:
- थैलेमस की तंत्रिकीय संवेदी कोशिकाओं में
- पैराथॉर्मोन
- यकृत
- T.S.H. और S.T.H.,
- ऑक्सीटोसिन
- आइसलैट्स ऑफ लैंगरहैन्स, इन्सुलिन, ग्लूकेगॉन
- वृषण की अंतराली कोशिका
- एस्ट्रोजन
- अग्न्याशय
- प्रोलैक्टिन हॉर्मोन
- वैसोप्रेसिन और ऑक्सीटोसिन
- अग्न्याशय रस
- टैपीटम
- कुफ्फर कोशिकाएँ
- एण्टीजन
- प्लेसेण्टा।
रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संकटकालीन हॉर्मोन किसे कहते हैं ? यह किस ग्रंथि से स्त्रावित होता है ?
उत्तर:
संकटकालीन हॉर्मोन एड्रीनेलीन हॉर्मोन को कहते हैं। यह अधिवृक्क ग्रंथि के मज्जा भाग से . स्रावित होता है।
प्रश्न 2.
थायरॉक्सिन के अल्पस्रावण से होने वाले दो रोगों के नाम लिखिये।
उत्तर:
थायरॉक्सिन के अल्पस्रावण से होने वाले दो रोग निम्न हैं –
- जड़वामनता (Cretinism)
- घेघा
- हाशीमोटो
- मिक्सीडीमा।
प्रश्न 3.
अग्न्याशय के अंतःस्रावी भाग तथा उससे संबंधित हॉर्मोन का नाम बताइये।
उत्तर:
अग्न्याशय के अंतःस्रावी भाग हैं लैंगरहँस की द्वीप इनसे संबंधित हॉर्मोन हैं –
- इंसुलिन
- ग्लूकेगॉन
- सामेटोस्टैटिन।
प्रश्न 4.
पीयूष की अग्रपालि में बनने वाले दो हॉर्मोन्स के नाम बताइए।
उत्तर:
- थायरॉइड उत्प्रेरक हॉर्मोन (T.S.H.)
- वृद्धि उत्प्रेरक हॉर्मोन (S.TH.)।
प्रश्न 5.
किस हॉर्मोन को प्रसव हॉर्मोन कहते हैं ?
उत्तर:
ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन को प्रसव हॉर्मोन कहते हैं, क्योंकि यह गर्भावस्था के अन्तिम समय में गर्भाशय की अनैच्छिक पेशियों को संकुचित करके प्रसव को आसान बनाता है तथा प्रसव के बाद गर्भाशय को सामान्य अवस्था में भी लाता है।
प्रश्न 6.
स्तनधारियों में पायी जाने वाली अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
स्तनधारियों में निम्नलिखित अन्त:स्रावी ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं –
- पीयूष
- थायरॉइड
- पैराथायरॉइड
- ऐड्रीनल
- थायमस
- अग्न्याशय
- जनन ग्रन्थियाँ।
प्रश्न 7.
प्रोजेस्टीरॉन एवं रिलैक्सिन हॉर्मोन्स कहाँ उत्पन्न होते हैं ? इनके कार्य लिखिए।
उत्तर:
प्रोजेस्टीरॉन हॉर्मोन कॉर्पस ल्यूटीयम से निकलता है। इस हॉर्मोन द्वारा गर्भधारण एवं स्तन ग्रन्थियों का विकास होता है। अण्डाशय, प्लैसेन्टा, गर्भाशय से गर्भावस्था में रिलैक्सिन हॉर्मोन का स्रावण होता है। इस हॉर्मोन द्वारा जनननाल (Birth canal) चौड़ी हो जाती है एवं शिशु जन्म में सरलता होती है।
प्रश्न 8.
मनुष्य में वृद्धि के लिए उत्तरदायी हॉर्मोन के नाम लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य में वृद्धि के लिए उत्तरदायी हॉर्मोन पीयूष ग्रंथि के स्रावित होने वाला सोमैटोट्रॉपिक हॉर्मोन है। इसे वृद्धि हॉर्मोन भी कहते हैं। थॉयराइड ग्रंथि से स्रावित थायरॉक्सिन हॉर्मोन भी शरीर की वृद्धि व भिन्नन के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 9.
हॉर्मोन की रासायनिक प्रकृति क्या है ?
उत्तर:
हॉर्मोन को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है –
- स्टीरॉइड हॉर्मोन (Steroid hormones) – एल्डोस्टीरॉन, कार्टीसॉल, प्रोजेस्टीरॉन, टेस्टोस्टीरॉन।
- अमीनो अम्ल (Amino acid) – थायरॉक्सिन एवं एपिनेफ्रीन।
- पेप्टाइड एवं प्रोटीन हॉर्मोन्स (Peptide and protein hormone) – कैल्सिटोनिन, पैराथॉर्मोन, इन्सुलिन, ग्लूकैगॉन।
प्रश्न 10.
ओसटाइसिस फाइब्रोसा सिस्टिका (Osteitis fibrosa cystica) क्या है ?
उत्तर:
पैराथॉर्मोन के अधिक स्रावण के कारण यह रोग होता है। रुधिर एवं मूत्र में Ca+2 आयन बढ़ते हैं। हड्डियों में कैल्सियम का जमाव अधिक होने लगता है।
रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित हॉर्मोन के स्रोत एवं कार्य लिखिए –
- थायरॉक्सिन
- इन्सुलिन
- एड्रीनेलीन
- एस्ट्रोजन
- ऑक्सीटोसिन।
उत्तर:
हॉर्मोन्स के स्त्रोत एवं कार्य –
प्रश्न 2.
इन्सुलिन स्त्रावित करने वाली कोशिका का नाम देते हुए इन्सुलिन के तीन कार्य लिखिए।
उत्तर:
इन्सुलिन अग्नाशय में स्थित आइसलेट्स ऑफ लैंगरहैन्स की बीटा कोशिकाओं द्वारा स्रावित किया जाता है। इन्सुलिन के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –
- यह रक्त शर्करा की मात्रा को नियन्त्रित करता है तथा यकृत कोशिकाओं में ग्लूकोज को ग्लाइकोजन में बदलता है।
- यह वसीय अम्ल और ग्लूकोज से ऐडिपोज ऊतक (Adipose tissue) के संश्लेषण की क्रिया में भाग लेता है। यह वसा के ऑक्सीकरण को रोकता है।
- यह ऊतकों में अमीनो अम्लों से प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया में भाग लेता है।
- यह शरीर में प्रोटीन उपापचय की क्रिया को घटाता है।
प्रश्न 3.
फीरोमोन्स क्या हैं ? समझाइए।
उत्तर:
फीरोमोन्स शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कार्लसन और ब्यूटेनेण्ड्ट (Karlson and Butenandt, 1959) ने किया। ये हॉर्मोन्स से मिलते-जुलते, लेकिन बहिःस्रावी ग्रन्थियों में बनने वाले ऐसे रासायनिक पदार्थ हैं, जो कुछ सूचनाओं को उसी जाति के दूसरे जीवों को गन्ध या दूसरे उद्दीपनों द्वारा पहुँचा देते हैं। इन्हें एक्टोहॉर्मोन्स (Ectohormones) भी कहते हैं।
उदाहरणस्वरूप, मादा रेशम कीट बॉम्बीकॉल या जीप्लूर (Bombycol or Gyplure) नामक फीरोमोन्स का स्रावण करती है, जो नर को प्रजनन के लिए आकर्षित करता है। इसी प्रकार सामाजिक कीट जैसे-चींटियाँ, दीमक व मधुमक्खियाँ फीरोमोन्स के कारण एक स्थान पर सरलता से एकत्रित हो जाती हैं। फीरोमोन्स सूचनाओं को बहुत दूर तक संचरित करते हैं।
प्रश्न 4.
थायरॉइड की आत्महत्या (हाशीमोटो रोग) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
हाशीमोटो रोग ((Hashimoto’s disease):
जब कभी थायरॉक्सिन की कमी से होने वाले प्रभावों को दूर करने के लिए दी जाने वाली दवाएँ पदार्थ के समान व्यवहार करने लगती हैं, तब ऐसी स्थिति में शरीर में इनके प्रतिरक्षी (Antibodies) बनने लगते हैं, जो थायरॉइड ग्रन्थि को ही नष्ट कर देते हैं, इस स्थिति से उत्पन्न रोग को ही हाशीमोटो रोग कहते हैं। चूँकि इसमें थायरॉइड ग्रन्थि शरीर में बने पदार्थ के कारण समाप्त होती है इस कारण इसे ‘थायरॉइड की आत्महत्या’ कहते हैं।
प्रश्न 5.
हॉर्मोन्स की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
हॉर्मोन्स निम्नलिखित दो प्रकारों से अपनी क्रिया को सम्पन्न करते हैं –
(1) कोशिकाकला के स्तर पर अधिकांश हॉर्मोन (प्रोटीन) कोशिकाकला से जुड़कर इसमें उपस्थित ऐड्रीनिल साइक्लेज नामक प्रकीण्व को प्रेरित कर देते हैं, जो कोशिकाद्रव्य के ATP अणुओं को विघटित कर देता है। ATP का अपघटन कोशिकाओं के उपापचय को कई प्रकार से प्रभावित करता है।
(2) जीन स्तर पर प्रोटीन का संश्लेषण करके-कुछ हॉर्मोन (स्टीरॉइड) लक्ष्य कोशिकाओं के केन्द्रक में पहुँचकर सुप्त जीन को सक्रिय या सक्रिय जीन को निष्क्रिय कर देते हैं । इनकी इस क्रिया से mRNA का निर्माण प्रभावित होता है। इसके बाद इसी mRNA के अनुसार कोशिकाओं में प्रोटीन तथा प्रकीण्वों का संश्लेषण होता है, जो कोशिका की उपापचयी क्रिया, वृद्धि, रचना और विकास इत्यादि को बदल देता है।
प्रश्न 6.
लिंग हॉर्मोन्स क्या हैं ? किन्हीं दो लिंग हॉर्मोन्स का वर्णन कीजिए।
अथवा
कॉर्पस ल्यूटीयम द्वारा स्रावित हॉर्मोन का नाम तथा कार्य लिखिए।
उत्तर:
लिंग हॉर्मोन्स-जीवों में लैंगिक क्रियाओं तथा द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के विकास के नियन्त्रक हॉर्मोन्स को लैंगिक हॉर्मोन्स कहते हैं । एण्ड्रोजेन्स नर तथा एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टीरॉन व रिलैक्सिन मादा हॉर्मोन्स हैं।
(1) एस्ट्रोजेन: यह मुख्यतः
अण्डाशय द्वारा स्रावित होता है। इसके अलावा यह ऐड्रीनल ग्रन्थि एवं प्लैसेण्टा द्वारा भी अल्पमात्रा में स्रावित होता है। यह हॉर्मोन्स मादा के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों को नियन्त्रित करता है। इसके प्रभाव से लड़कियों में गर्भाशय, योनि, भग तथा स्तनों का विकास एवं बगल तथा जघन क्षेत्रों में बालों का उगना, शरीर में वसा के जमाव के कारण चिकनाहट, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण, रजोधर्म के प्रारम्भ होने इत्यादि क्रियाओं का नियन्त्रण किया जाता है। इसकी कमी से लैंगिक परिपक्वता देर से, तथा अधिकता से जल्दी आती है।
(2) प्रोजेस्टीरॉन:
कॉर्पस ल्यूटीयम प्रोजेस्टीरॉन नामक हॉर्मोन स्रावित करता है। यह गर्भाशय को निषेचित अण्ड को ग्रहण करने के लिए तैयार करता है साथ ही वह गर्भधारण के बाद गर्भाशय तथा अण्डे की दीवार में सम्बन्ध बने रहने को प्रेरित करता है। गर्भधारण के बाद यह स्तनों के विकास को भी नियन्त्रित करता है। निषेचन हो जाने पर यह उपर्युक्त कार्यों के साथ अण्डाशयी पुटिका के निर्माण को रोकता है, लेकिन निषेचन न होने की स्थिति में यह गर्भाशय तथा स्तनों को प्रारम्भिक स्थिति में ले आता है।
प्रश्न 7.
प्रोटीनयुक्त हॉर्मोन स्रावण करने वाली अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के नाम लिखिए। उत्तर-प्रोटीनयुक्त हॉर्मोन निम्नलिखित अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित होता है –
- अन्तःस्रावी ग्रन्थि का नाम:
- थायरॉइड
- पैराथायरॉइड
- अग्नाशय
- पीयूष ग्रन्थि का अग्र पिण्ड
- प्रोलैक्टिन पीयूष ग्रन्थि का मध्य पिण्ड
- पीयूष ग्रन्थि का पश्च पिण्ड
हॉर्मोन का नाम:
- थायरॉक्सिन
- पैराथॉर्मोन
- इन्सुलिन, ग्लूकेगॉन
- TSH, ACTH, FSH, LH, GH,
- M.S.H.
- ऑक्सीटोसिन।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए –
- हॉर्मोन एवं एन्जाइम
- तंत्रिकीय एवं अन्तःस्रावी नियमन।
उत्तर:
(1) हॉर्मोन एवं एन्जाइम में अन्तर –
हॉर्मोन (Hormone):
- ये अमीनो अम्ल, प्रोटीन, पेप्टाइड और स्टीरॉइड होते हैं।
- ये नलिकाविहीन ग्रन्थियों में बनते हैं।
- इनका अणुभार बहुत कम होता है। इस कारण ये जैव झिल्लियों से परासरित हो जाते हैं।
- ये क्रिया के बाद विघटित होकर नष्ट हो जाते हैं।
- ये क्रिया को कम या अधिक करते हैं।
एन्जाइम (Enzyme):
- ये हमेशा जटिल प्रोटीन होते हैं।
- ये नलिकायुक्त ग्रन्थियों में बनते हैं।
- इनका अणुभार बहुत अधिक होता है इस कारण ये जैव कलाओं से विसरित नहीं होते हैं।
- ये क्रिया के बाद भी विघटित नहीं होते।
- ये क्रिया को केवल अधिक करते हैं।
(2) तंत्रिकीय एवं अन्तःस्रावी नियमन में अन्तर –
तंत्रिकीय नियमन (Neuro system):
- इसमें सूचनाओं का स्थानान्तरण ऐक्सॉनों में विद्युत् आवेग के रूप में तथा सिनॉप्सों में रसायनों द्वारा होता है।
- इसमें सूचनाओं का प्रवाह तीव्र गति से होता है।
- इसकी अनुक्रिया कम समय तक रहती है।
- इसमें अनुक्रिया निश्चित स्थान पर होती है।
अन्तःस्रावी नियमन (Endocrinal system):
- इसमें सूचनाओं का स्थानान्तरण रसायनों के द्वारा रुधिर के माध्यम से होता है।
- इसमें सूचनाओं का प्रवाह धीमी गति से होता है।
- इसमें अनुक्रिया अधिक समय तक रहती है।
- इसमें अनुक्रिया बड़े क्षेत्र में होती है।
प्रश्न 9.
ऐडीनल कॉर्टेक्स द्वारा होने वाली विभिन्न अनियमितताओं को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
ऐड्रीनल कॉर्टेक्स द्वारा उत्पन्न अनियमितताएँ निम्नलिखित हैं –
(1) ऐडीसन रोग (Addison disease):
इस रोग का अध्ययन थॉमस ऐडीसन ने किया था। यह ग्लूकोकार्टिकॉइड के अल्पस्रावण से होता है। इस रोग में रोगी की पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं, त्वचा पर ताम्र रंग के चकते पड़ जाते हैं। शरीर में निर्जलीकरण के कारण रुधिर दाब घट जाता है और पाचन सम्बन्धी विकार पैदा हो जाते हैं।
(2) हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia):
यह भी ग्लूकोकार्टीकॉइड की कमी के कारण होता है। इस रोग में मस्तिष्क, यकृत तथा हृदय की पेशियों की क्रिया घट जाती है। शरीर का ताप भी गिर जाता है।
(3) कॉन्स रोग (Conn’s disease):
यह मिनरलोकार्टिकॉइड की कमी से होता है। इसमें तन्त्रिकाओं में गड़बड़ी होकर पेशियों में अकड़न आ जाती है और मनुष्य की मृत्यु हो जाती है।
(4) कुशिंग रोग (Cushing syndrome):
यह रोग कार्टिसोल हॉर्मोन के अतिस्रावण द्वारा होता है। इस रोग में रोगी के वक्षीय भाग में असामान्य रूप से वसा का जमाव हो जाता है।
(5) ऐड्रीनल विरिलिज्म (Adrenal virilism):
यह रोग स्त्री में एण्ड्रोजन के अधिक बनने से होता है। इस रोग में स्त्रियों में पुरुषों के समान लक्षण जैसे-चेहरे पर दाढ़ी, मूंछों का आना, आवाज का भारी होना तथा बाँझ होना आदि हैं।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित कार्यों से सम्बन्धित हॉर्मोन्स के नाम लिखिये –
- शिशु के जन्म के समय पेल्विक स्नायु को नरम करना।
- शिशु जन्म के तुरन्त बाद स्तन ग्रन्थियों से दुग्ध का निकलना।
- नर तथा मादा में युग्मकजनन को प्रेरित करना।
उत्तर:
- रिलैक्सिन
- प्रोलैक्टिन
- एण्ड्रोजेन एवं एस्ट्रोजेन
प्रश्न 11.
थायरॉइड ग्रन्थि की अतिसक्रियता के मानव-शरीर पर प्रभाव लिखिये।
उत्तर:
थायरॉइड ग्रन्थि की अंतिसक्रियता से थायरॉक्सिन हॉर्मोन की अधिकता हो जाती है, जिसका शरीर पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है –
- उपापचयी क्रियाएँ बढ़ने के कारण शरीर का तापक्रम बढ़ जाता है, जिसके कारण मनुष्य को जाड़े में भी गर्मी महसूस होती है।
- थायरॉइड ग्रन्थि का आकार बढ़ जाता है, इसे ग्रेब्स रोग कहते हैं।
- पाचन तेजी से होने के कारण भूख अधिक लगती है तथा शरीर का भार बढ़ जाता है।
- मनुष्य चिड़चिड़ा हो जाता है।
- हृदय के धड़कन की गति तीव्र हो जाती है।
- आँखें चौड़ी, खुली व बाहर की ओर उभरी दिखाई देती हैं। इस रोग को एक्जोप्थैलिक ग्वॉइटर कहते हैं।
प्रश्न 12.
- वृषण की किस कोशिका द्वारा नर लिंग हॉर्मोन का स्त्रावण होता है ?
- LH हॉर्मोन को अन्तराकोशिकीय स्टीमुलेटिंग हॉर्मोन क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
1. नर लिंग हॉर्मोन (Male sex hormones):
टेस्टोस्टीरॉन का स्रावण सेमीनीफेरस ट्यूब्यूल्स के चारों ओर पायी जाने वाली कोशिकाओं द्वारा होता है, इन्हें लेडिग कोशिकाएँ (Leydig cell) कहते हैं।
2. LH को ICSH कहते हैं, क्योंकि यह इण्टरस्टिशियल कोशिका एवं लेडिग कोशिका (Leyding cell) को टेस्टोस्टीरॉन के स्रावण के लिए उत्तेजित करती है।
प्रश्न 13.
संकटकालीन हॉर्मोन किसे कहते हैं ? यह हॉर्मोन किस प्रकार संकटकालीन परिस्थिति में हमें बचाता है ?
उत्तर:
ऐड्रीनेलीन हॉर्मोन, अधिवृक्क ग्रन्थि के मज्जा भाग से स्रावित होता है, इसे संकटकालीन हॉर्मोन कहते हैं। यह हॉर्मोन अरेखित पेशियों को उत्तेजित करता है, जिससे शरीर के बाहर तथा अन्दर की ओर की रुधिर केशिकाओं की दीवार संकुचित हो जाती है, फलस्वरूप रुधिर दाब बढ़ जाता है, हृदय तेजी से धड़कने लगता है, शरीर के रोम खड़े हो जाते हैं; पुतली फैल जाती है, पसीना आने लगता है, आँसू गिरने लगते हैं, रुधिर का थक्का तेजी से बनता है तथा श्वसन की दर बढ़ जाती है। इन सब कारणों को एक साथ डर जाना कहते हैं। वास्तव में यह तब होता है, जब कोई संकट आ जाता है।
उस समय ऐड्रीनेलीन का स्राव तेजी से होने लगता है, जिससे उपर्युक्त लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जब कभी संकट आता है या हम डर जाते हैं, उस समय अचानक ऐड्रीनेलीन का स्राव अधिक होने लगता है, जिससे उपर्युक्त लक्षण दिखाई देते हैं। साथ ही यकृत में ग्लाइकोजेन का ग्लूकोज में परिवर्तन तेजी से होता है और मनुष्य में संकट से लड़ने की क्षमता या भयभीत होने पर भागने की क्षमता आ जाती है। इसी कारण इस हॉर्मोन को संकटकालीन हॉर्मोन (Emergency hormone) भी कहते हैं।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित हॉर्मोन्स किस अंतःस्रावी ग्रंथि से स्रावित होते हैं ? प्रत्येक हॉर्मोन के कार्य लिखिए –
- पैराथॉर्मोन
- कार्टीसोन
- सोमैटोट्रॉपिक
- मिलैटोनिन।
उत्तर:
रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पीयूष ग्रन्थि की स्थिति रचना का वर्णन करते हुए इसके द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स के नाम लिखिए।
अथवा
शरीर की मास्टर ग्रंथि कौन-सी है ? इसकी संरचना तथा इसके द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स के कार्यों का वर्णन कीजिये।
अथवा
निम्न बिन्दुओं के आधार पर पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित पाँच हॉर्मोन्स के नाम एवं कार्य लिखिये –
- नाम
- उद्भव स्थान
- उत्तेजित होने वाले अंग
- कार्य
- अधिकता या कमी का प्रभाव।
अथवा
पीयूष ग्रन्थि की अग्रपालि द्वारा स्रावित हॉर्मोन के नाम व कार्य लिखिए। (कोई पाँच)
उत्तर:
पीयूष ग्रन्थि (Pituitary gland):
स्थिति एवं संरचना (Position and Structure) – यह मटर के समान सबसे छोटी ग्रन्थि है, जो कि मस्तिष्क में स्थित होती है। यह अग्रमस्तिष्क के डायेनसैफेलॉन भाग के नीचे की दीवार से कपाल की स्फीनॉइड अस्थि के सेलाटर्सिका (Sellaturcica) नामक गड्ढे में लटकी रहती है। यह ग्रन्थि भ्रूण की ग्रसनी एवं मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस से निकलती है। इस ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि भी कहते हैं, क्योंकि यह ग्रन्थि अन्य सभी ग्रन्थियों के स्रावण पर नियन्त्रण रखती है।
संरचना (Structure):
यह 1 सेमी लम्बी, 5-6 ग्राम वजन वाली ग्रन्थि है। संरचनात्मक दृष्टि से यह तीन पिण्डों में विभाजित होती है।
(A) अग्रपालि (Anterior lobe):
पीयूष ग्रन्थि का 75% भाग बनाता है। इसमें तीन प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती हैं। परिधि-बेसोफिल्स, केन्द्रकीय-ऐसिडो- Pars tuberalis Brain floor फिल्स एवं बिखरी हुई अवस्था में क्रोमोफिल्स पायी जाती है। अग्रपालि द्वारा निम्नलिखित 6 हॉर्मोन स्रावित होते हैं –
- सोमैटोट्रॉपिकहॉर्मोन (STH);
यह शरीर की वृद्धि को नियन्त्रित करता है। यदि यह STH हॉर्मोन अधिक बनता है, तो अधिक अमीनो अम्ल शरीर की कोशिका में पहुँचते हैं। STH के असाधारण स्राव से महाकायता, एक्रोमेगाली, बौनापन तथा साइमण्ड रोग होता है। - थायरोट्रॉपिक हॉर्मोन (TSH):
यह हॉर्मोन थायरॉइड ग्रन्थि के स्राव को नियन्त्रित करता है। - एड्रीनोकॉर्टिकोट्रॉपिक हॉर्मोन (ACTH):
यह हॉर्मोन अधिवृक्क ग्रन्थि के कॉर्टेक्स की वृद्धि तथा इसमें निकलने वाले हॉर्मोन्स के स्राव को नियन्त्रित करता - फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH):
यह हॉर्मोन स्त्रियों में अण्डाशय से अण्ड तथा पुरुषों में वृषण से शुक्राणुओं के बनने को उत्तेजित करता है। - ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन (LH):
यह हॉर्मोन अण्डाशय में कॉर्पस ल्यूटीयम के बनने तथा वृषण में इण्टरस्टीशियल कोशिकाओं की क्रियाओं को उत्तेजित करता है। - प्रोलैक्टिन या लैक्टोजेनिक या ल्यूटीयोट्रॉपिक हॉर्मोन (LTH):
यह हॉर्मोन स्तन ग्रन्थियों से दूध के स्राव को उत्तेजित करता है।
(B) मध्य पालि (Middle lobe):
मनुष्य में यह भाग अल्पविकसित होता है एवं एक झिल्लीनुमा संरचना के रूप में पाया जाता है। MSH हॉर्मोन मध्य पालि से स्रावित होता है, परन्तु मनुष्य में यह अग्रपालि द्वारा स्रावित होता है।
(C) पश्च पालि (Posterior lobe):
यह सम्पूर्ण ग्रन्थि का 1/4 भाग है। यह भाग तंत्रिका ऊतक के समान होता है, क्योंकि इसमें हाइपोथैलेमस के तंत्रिका स्रावी कोशिकाओं के ऐक्सॉन पाये जाते हैं, पश्च पालि द्वारा दो प्रकार के हॉर्मोन स्रावित होते हैं-1. वैसोप्रेसीन या प्रतिमूत्रक हॉर्मोन-यह प्रतिमूत्रक हॉर्मोन (ADH) वृक्क नलिकाओं के दूरस्थ छोर तथा संग्रह नलिकाओं में मूत्र के जल अवशोषण की दर बढ़ा देता है। इससे जल रुधिर परिवहन में पहुँच जाता है तथा मूत्र की मात्रा कम हो जाती है, किन्तु ADH की कमी से मूत्र अधिक मात्रा में बनता है।
2. ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन:
यह हॉर्मोन माँ के गर्भाशय की अनैच्छिक पेशियों के सिकुड़ने को उत्तेजित कर शिशु जन्म में सहायक है। स्तन ग्रन्थियों से दूध के स्राव को भी उत्तेजित करता है।
प्रश्न 2.
थायरॉइड ग्रन्थि की स्थिति, संरचना तथा इसके द्वारा स्रावित हॉर्मोनों के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
थायरॉइड ग्रन्थि की स्थिति:
यह ग्रन्थि मनुष्य के गर्दन में श्वासनली व स्वर यन्त्र के जोड़ के अधर-पार्श्व तल पर दोनों तरफ एक-एक की संख्या में स्थित होती है। इसका उद्गम भ्रूण की ग्रसनी भाग के जिह्वा के आधार से होता है। संरचना-यह मनुष्य की सबसे बड़ी लगभग 30-35 ग्राम की अन्तःस्रावी ग्रन्थि है, जो दो पॉलियों की बनी होती है। दोनों पालियाँ श्वासनली के इधर-उधर स्थित होती हैं तथा संयोजी ऊतक की एक पतली अनुप्रस्थ पट्टी से जुड़ी होती है, जिसे इस्थमस (Isthmus) कहते हैं। स्त्रियों की थायरॉइड पुरुषों की अपेक्षा थोड़ी बड़ी होती है।
संरचनात्मक दृष्टि से इसके चारों तरफ संयोजी ऊतक का आवरण होता है, जिसके अन्दर संयोजी ऊतक के ही एक ढीले आधार स्ट्रोमा (Stroma) में गोल व खोखली पुटिकाएँ व्यवस्थित रहती हैं। पुटिकाओं (Follicles) की दीवार घनाकार ग्रन्थिल कोशिकाओं की बनी होती है। पुटिकाओं की गुहा में एक गाढ़े रंग का आयोडीन युक्त कोलॉडडी द्रव भगा रहता है. जिसे आयोडोथाय ग्लोब्यूलिन (Iodothy globulin) कहते हैं, जो जेली जैसा पारदर्शक द्रव है।
इसी में इस ग्रन्थि के हॉर्मोन निष्क्रिय अवस्था में रहते हैं। यह मनुष्य की एकमात्र ऐसी अन्तःस्रावी ग्रन्थि है, जो हॉर्मोन्स को निष्क्रिय अवस्था में पुटिका कोशिकाओं द्वारा स्रावित करते हैं। थायरॉइड ग्रन्थि में पुटिकाओं के अलावा कुछ कोशिकाओं के ठोस गुच्छे भी पाये जाते हैं, जिन्हें पैरापुटिकीय अथवा C कोशिकाएँ कहते हैं।
टीप-चित्र के लिए
थायरॉइड हॉर्मोन:
(1) थायरॉक्सिन या टेट्राआयोडोथायरोनिन या T. (Thyroxine or Tetraiodothyronine or T.) – केण्डॉल (1914) ने सबसे पहले इस हॉर्मोन के रवे प्राप्त किये। इस हॉर्मोन का लगभग 65% भाग आयोडीन होता है। यह हमारे शरीर तथा उनकी कोशिकाओं में निम्नलिखित कार्यों को करता
- यह उपापचयी क्रियाओं पर नियन्त्रण करता है। थायरॉक्सिन मुख्यतः कोशिकाओं की माइटोकॉण्ड्रिया की संख्या तथा माप को नियन्त्रित कर ऑक्सीकरण उपापचयी क्रियाओं को नियन्त्रित करता है।
- यह शरीर की वृद्धि एवं भिन्नन के लिए आवश्यक है। यदि मेढक के भेक शिशु की थायरॉइड ग्रन्थि को निकाल दिया जाये तो यह मेढक में रूपान्तरित नहीं हो पाता।
- उपापचयी नियन्त्रण के कारण यह शरीर के ताप का भी नियन्त्रण करता है।
- यह सामान्य वृद्धि को नियन्त्रित करता है।
- यह ऊतक में पाये जाने वाले अन्तरकोशिकीय पदार्थों की मात्रा को नियन्त्रित करता है।
(2) ट्राइआयोडोथायरोनिन (Tri-iodothyronine):
इसे T, भी कहते हैं। यह भी टायरोसीन अमीनो अम्ल और आयोडीन के मिलने से बनता है। इसका लगभग 10% भाग टायरोसीन अमीनो अम्ल का बना होता है, यह थायरॉक्सिन के समान ही है, लेकिन थायरॉक्सिन की अपेक्षा चार गुना अधिक प्रभावी होता है। कोशिकाओं में जाकर थायरॉक्सिन भी T, में बदल जाता है।
(3) थायरोकैल्सिटोनिन (Thyrocalcitonine):
यह हॉर्मोन प्रोटीन होता है और थायरॉइड के स्ट्रोमा में पायी जाने वाली पैरापुटिका कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता है। यह हॉर्मोन रुधिर तथा मूत्र में Ca की मात्रा को नियन्त्रित करता है।
प्रश्न 3.
नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ क्या हैं ? थायरॉइड, ऐड्रीनल, अण्डाशय एवं अग्नाशय ग्रन्थि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ ऐसी ग्रन्थियाँ हैं, जिसमें स्रावित पदार्थ हॉर्मोन नलिकाओं में प्रवाहित न होकर रुधिर परिवहन तंत्र द्वारा ऊतकों या अंगों में पहुँचते हैं।
(1) थायरॉइड ग्रन्थि (Thyroid gland):
यह शरीर के गर्दन में श्वासनली एवं स्वर यंत्र के अधर पार्श्वतल पर स्थित होती है। यह मनुष्य की सबसे बड़ी नलिकाविहीन ग्रन्थि है। इसके चारों ओर संयोजी ऊतक का स्तर पाया जाता है। संयोजी ऊतक से बने स्ट्रोमा भाग में गोल एवं खोखली संरचना पायी जाती है, जिसे पुटिका (Follicle) कहते हैं। यह घनाकार ग्रन्थिल ऊतक का बना होता है, जिसमें गाढ़े रंग का आयोडीनयुक्त कोलॉइडी द्रव भरा रहता है। इस ग्रन्थि द्वारा थायरॉक्सिन हॉर्मोन स्रावित होता है, जो शरीर की उपापचयी क्रियाओं का नियन्त्रण करता है।
(2) एड्रीनल ग्रन्थि (Adrenal gland):
दोनों वृक्कों के शीर्ष पर टोपी के समान संरचना पायी जाती है, जिसे एड्रीनल या अधिवृक्क ग्रन्थि कहते हैं । इस ग्रन्थि का वजन 4-6 ग्राम होता है। यह ग्रन्थि तन्तुमय संयोजी स्तर द्वारा घिरी रहती है। इस ग्रन्थि को दो भागों में बाँटा गया है-(a) कॉर्टेक्स (Cortex), (b) मेड्यूला (Medulla).
(a) कॉर्टेक्स (Cortex):
यह मीजोडर्म से बनने वाला भाग है, जो कि सम्पूर्ण ग्रन्थि का 90% होता है। इसे तीन भागों में विभाजित किया गया है –
- जोना ग्लोमरुलोसा
- जोना फैसीकुलेटा
- जोना रेटिकुलेरिस। इसके द्वारा स्रावित हॉर्मोन स्टीरॉइड प्रकृति के होते हैं।
इसके द्वारा लिंग हॉर्मोन, मिनरैलोकॉर्टिकॉइड, कार्टीसोन ग्लूकोकॉर्टिकॉइड स्रावित होते हैं। ऐड्रीनेलिन हॉर्मोन को संकटकालीन हॉर्मोन कहते हैं। इस हॉर्मोन की कमी के कारण ऐडीसन रोग हो जाता है। इसका नियन्त्रण पीयूष ग्रन्थि द्वारा स्रावित ACTH करता है।
(b) मेड्यूला (Medulla):
यह सम्पूर्ण ग्रन्थि का 10% भाग है। इसका नियन्त्रण स्वायत्त तंत्रिका तंत्र द्वारा होता है। इसके द्वारा ऐड्रीनेलिन एवं नॉर-ऐड्रीनेलिन हॉर्मोन का स्रावण होता है।
(3) अण्डाशय (Ovary):
स्त्रियों में अण्डाशय की संख्या 2 होती है। इसमें उपस्थित कॉर्पस ल्यूटीयम द्वारा निम्नलिखित हॉर्मोन का स्रावण होता है –
- एस्ट्रोजन
- प्रोजेस्टीरॉन
- रिलैक्सिन।
(4) अग्न्याशय (Pancreas):
इसकी उत्पत्ति भ्रूण के आँत से होती है। यह मिश्रित ग्रन्थि है। इसमें अग्न्याशय रस बनता है, जो नलिकाओं में प्रवाहित होता है। आइसलेट्स ऑफ लैंगरहैन्स कोशिकाओं द्वारा इन्सुलिन एवं ग्लूकेगॉन का स्रावण होता है। इन्सुलिन रुधिर में ग्लूकोज की मात्रा बनाए रखता है। इन्सुलिन की कमी से डायबिटीज रोग होता है।