MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 20 गमन एवं संचलन
गमन एवं संचलन NCERT प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कंकाल पेशी के एक सार्कोमियर का चित्र बनाइए और विभिन्न भागों को चिन्हित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
पेशी संकुचन के सी तंतु सिद्धान्त को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
पेशी संकुचन के सी तंतु (Sliding filament) सिद्धान्त के अनुसार पेशी संकुचन की क्रिया पतले पेशी तंतुओं के मोटे तंतुओं के ऊपर सरकने (Sliding) से होती है।
प्रश्न 3.
पेशीय संकुचन के प्रमुख चरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक रेखित पेशी तन्तु की मोटाई 14 (म्यू) होती है इसमें गहरे एवं हल्के रंग की पट्टियाँ पाई जाती हैं। गहरे रंग की पट्टी को A एवं हल्के रंग की पट्टी को (Isotropic) I बैण्ड कहते हैं। I पट्टी के मध्य गहरे रंग की हल्की पट्टी होती है जिसे “Z” रेखा या क्राऊस की झिल्ली (Krause’s membrane) कहते हैं। दो पासपास “Z” रेखा के बीच का भाग सार्कोमीयर कहलाता है जो कि संकुचनशील होता है। A पट्टी के मध्य में एक हल्के रंग की पट्टी होती है । जिसे “H” क्षेत्र कहते हैं। संकुचन के समय “H” क्षेत्र गायब हो जाता है। “H” क्षेत्र को टेन्सन की रेखा भी कहते हैं।
पेशीय गति या संकुचन शिथिलन की क्रियाविधि:
पेशीय गति की क्रिया – विधि का सबसे मान्य सिद्धान्त हक्सले (1965) के द्वारा बताया गया है, इस सिद्धान्त को फिसलन तन्तु सिद्धान्त (Sliding filament theory) कहते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार पेशियाँ हमेशा किसी उद्दीपन के आवेग के कारण संकुचित या शिथिलित होती हैं जिसके कारण जन्तुओं में गति एवं प्रचलन की क्रिया होती है। जब कोई आवेग तन्त्रिका द्वारा पेशी को पहुँचाया जाता है तो यह उत्तेजित हो जाती है और इसमें उपस्थित ATPase.
ATPase प्रकीण्व के कारण अपघटित होकर ऊर्जा को मुक्त कर देता है। इस ऊर्जा के कारण “I” बैण्ड्स पर . स्थित एक्टीन उसके सार्कोमीयर में स्थित मायोसीन के ऊपर आ जाता है और एक एक्टिन का सिरा दूसरे एक्टिन के सिरे के ऊपर चला जाता है जिसके कारण सार्कोमीयर की लम्बाई कम हो जाती है।
इस प्रकार से सार्कोमियर के संकुचित या छोटे होने से मायोफाइब्रिल्स भी संकुचित हो जाते हैं, फलतः पेशी भी संकुचित हो जाती है। इसके विपरीत जब एक्टिन तथा मायोसीन अपने स्थानों पर सरक जाते हैं तथा सार्कोमियर को पूर्णरूप से शिथिल कर देते हैं तब पेशियाँ शिथिल (फैल) हो जाती हैं।
प्रश्न 4.
सत्य / असत्य बताइए –
- एक्टिन पतले तंतु में स्थित होता है।
- रेखित पेशी रेशे का H – क्षेत्र मोटे और पतले, दोनों तंतुओं को प्रदर्शित करता है।
- मानव कंकाल में 206 अस्थियाँ होती हैं।
- मनुष्य में 11 जोड़ी पसलियाँ होती हैं।
- उरोस्थि शरीर के अधर भाग में स्थित होती है।
उत्तर:
- सत्य
- सत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य।
प्रश्न 5.
इनके बीच अंतर बताइए –
- एक्टिन और मायोसिन पेशी तन्तु।
- श्वेत और लाल पेशी तन्तु।
- अंस और श्रोणि मेखला।
उत्तर:
(i) ऐक्टिन एवं मायोसिन पेशी तन्तु में अन्तर –
ऐक्टिन तंतु (Actin filament):
- रेखित पेशी में हल्के रंग की पट्टी जिसे ‘I’ पट्टी कहते हैं, ऐक्टिन प्रोटीन की बनी होती है।
- ‘I’ पट्टी के मध्य में गहरा भाग या रेखा पायी जाता है, जिसे ‘H’ क्षेत्र कहते हैं।
- संकुचन के समय ‘I’ पट्टी गायब हो जाती है एवं दो ‘Z’ रेखाएँ पास-पास आ जाती हैं।
मायोसिन तन्तु (Myosin filament):
- रेखित पेशी तन्तु में गहरे रंग की पट्टी जिसे ‘A’ पट्टी कहते हैं, मायोसिन प्रोटीन की बनी होती है।
- ‘A’ पट्टी के मध्य हल्के रंग का एक भाग पाया जाती है, जिसे ‘Z’ रेखा कहते हैं।
- संकुचन के समय ‘A’ पट्टी में कोई परिवर्तन नहीं होता है, परन्तु ‘H’ क्षेत्र गायब हो जाता है।
(ii) श्वेत पेशी तन्तु एवं लाल पेशी तन्तु में अन्तर –
श्वेत पेशी तन्तु (White muscle fibres):
- मोटे आकार की होती है।
- हीम प्रोटीन मायोग्लोबिन के कारण लाल रंग की होती है।
- संकुचन तेजी से होता है।
- इनमें माइटोकॉण्ड्रिया अधिक संख्या में पाये जाते हैं।
- ऑक्सीजन संरक्षण की क्षमता कम होती है।
- लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है, जिससे पेशीय थकान उत्पन्न होती है।
- अनॉक्सी श्वसन द्वारा ऊर्जा उत्पन्न होती है।
लाल पेशी तन्तु (Red muscle fibres):
- पतले आकार की होती है।
- हीम प्रोटीन मायोग्लोबिन नहीं पाया जाता है।
- संकुचन धीरे-धीरे होता है।
- इनमें माइटोकॉण्डिया कम संख्या में पाये जाते हैं।
- ऑक्सीजन संरक्षण की क्षमता अधिक होती है। लैक्टिक अम्ल का निर्माण नहीं होता है।
- ऑक्सी श्वसन द्वारा ऊर्जा उत्पन्न होती है।
(iii) अंस मेखला एवं श्रोणि मेखला में अन्तर –
अंस मेखला (Pectoral girdle):
- यह वसीय गुहा के अन्तरांगों की रक्षा करती है।
- अग्रपाद को जुड़ने का स्थान देती है।
- शरीर के अग्र भाग को जुड़ने का स्थान देती है।
- यह पेशियों को जुड़ने का स्थान प्रदान करती है।
श्रोणि मेखला (Pelvic girdle):
- यह गर्भाशय तथा दूसरे अन्तरांगों को सुरक्षा देती है।
- यह पश्चपाद को जुड़ने का स्थान देती है।
- यह पेशियों को जुड़ने का स्थान देती है।
- यह उछलने-कूदने में लगने वाले झटकों से सुरक्षा प्रदान करती है।
प्रश्न 6.
स्तंभ-I का स्तंभ-II से मिलान कीजिए –
उत्तर:
- (d) अनैच्छिक
- (b) पतले तंतु
- (a) मायोग्लोबिन
- (c) सीवन (Suture)
प्रश्न 7.
मानव शरीर की कोशिकाओं द्वारा प्रदर्शित विभिन्न गतियाँ कौन-सी है ?
उत्तर:
मानव शरीर की कोशिकाओं में मुख्यत: तीन प्रकार की गतियाँ पायी जाती है –
- अमीबीय
- पक्ष्माभी
- पेशीय।
1. अमीबीय गति:
मानव शरीर में कुछ विशिष्ट कोशिकाएँ जैसे-महाभक्षकाणु और श्वेताणु रुधिर में अमीबीय गति प्रदर्शित करते हैं। कोशिका कंकालतंत्र जैसे-सूक्ष्मतंतु की अमीबीय गति में सहयोगी होते हैं।
2. पक्ष्माभी गति:
मनुष्य के अधिकांश नलिकाकार अंगों में जो पक्ष्माभ से आस्तरित होते हैं, पक्ष्माभ गति होती है। श्वासनली में पक्ष्माभों की समन्वित गति से वायुमंडलीय वायु के साथ प्रवेश करने वाले धूल कणों एवं बाह्य पदार्थों को हटाने में मदद मिलती है। मादा में प्रजनन मार्ग डिंब का परिवहन पक्ष्माभ गति की सहायता से होती है।
3. पेशीय गति:
मनुष्यों में पादों, जिव्हा, जबड़ों आदि की गति के लिये पेशीय गति आवश्यक है। पेशियों के संकुचन के गुण का प्रभावी उपयोग मनुष्य और अधिकांश बहुकोशिकीय जीवों के चलन और अन्य प्रकार की गतियों में होता है। चलन के लिये पेशीय, कंकाल और तंत्रिका तंत्र की पूर्ण समन्वित क्रिया की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 8.
आप किस प्रकार से एक कंकाल पेशी और हृदय पेशी में विभेद करेंगे?
उत्तर:
ऐच्छिक पेशी, अनैच्छिक पेशी तथा हृदयक पेशी में अंतर –
प्रश्न 9.
निम्नलिखित जोड़ों के प्रकार बताइए –
- एटलस / अक्ष(ऐक्सिस)
- अँगूठे के कार्पल / मेटाकार्पल
- फैलेंजेस के बीच
- फीमर/ ऐसिटाबुलम
- कपालीय अस्थियों के बीच
- श्रोणि मेखला की प्युबिक अस्थियों के बीच।
उत्तर:
- धुराग्र संधि (PivotJoint)
- सैडल संधि (Saddle Joint)
- ग्लाइडिंग संधि (Gliding Joint)
- कंदुक-खल्लिका संधि (Boll and Socket Joint)
- तंतुमय संधि (Fibrous Joint)
- उपास्थिमय संधि (Cartilagenous Joint)
प्रश्न 10.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- सभी स्तनधारियों में (कुछ को छोड़कर) ………….. ग्रीवा कशेरुक होते हैं।
- मायोफाइब्रिल के पतले तंतुओं में 2 ‘F’ ऐक्टिन और दो अन्य दूसरे प्रोटीन जैसे ………….. और …………. होते हैं।
- प्रत्येक मानव पाद में फैलेंजेस की संख्या ……………
- पेशी रेशा में कैल्सियम ……………. में भंडारित होता है।
- ……………… और …………… पसलियों की जोड़ियों को प्लावी पसलियाँ (Floating ribs) कहते हैं।
- मनुष्य का कपाल ……………….. अस्थियों से बना होता है।
उत्तर:
- 7
- ट्रोपोमायोसीन, ट्रोपोनीन
- 14
- पेशीद्रव्य जालिका (सार्कोप्लाज्मिक रेटीकुलम)
- 11वीं और 12 वीं,
- 8.
गमन एवं संचलन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
गमन एवं संचलन वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. बॉल एवं सॉकेट सन्धि में दो अस्थियों की आपस की रगड़ निम्नलिखित में किस पदार्थ से कम होती है –
(a) पेरीकार्डियल द्रव
(b) म्यूसिन
(c) साइनोवियल द्रव
(d) सीलोमी द्रव।
उत्तर:
(c) साइनोवियल द्रव
2. मनुष्य के कन्धे की सन्धि होती है –
(a) हिन्ज सन्धि
(b) कन्दुक-खल्लिका सन्धि
(c) अचल सन्धि
(d) पाइवोट सन्धि।
उत्तर:
(b) कन्दुक-खल्लिका सन्धि
3. साइनोवियल सन्धि का एक उदाहरण वह है जो –
(a) दो कशेरुकाओं के बीच पाया जाता है
(b) दो करोटि अस्थियों के बीच पाया जाता है
(c) ह्यूमरस और अल्ना के बीच पाया जाता है
(d) पूँछ की कशेरुकाओं के बीच पाया जाता है।
उत्तर:
(c) ह्यूमरस और अल्ना के बीच पाया जाता है
4. बाइसेप्स एवं ट्राइसेप्स के विषय में क्या सही है
(a) ये इच्छा के नियन्त्रण में हैं पर थकती नहीं हैं
(b) इनमें रेखित और अरेखित पेशियों के लक्षण हैं और वे थकती नहीं हैं
(c) ये अग्रपाद और पश्चपाद में पायी जाती हैं और सार्कोलेमा से संबद्ध नहीं होती हैं
(d) ये सार्कोलेमा से परिबद्ध होती हैं और थक सकती हैं।
उत्तर:
(d) ये सार्कोलेमा से परिबद्ध होती हैं और थक सकती हैं।
5. स्तनियों में ग्रीवा कशेरुका की संख्या होती है –
(a) 5
(b) 7
(c) 10
(d) 12.
उत्तर:
(b) 7
6. स्तनियों में अंस मेखला का प्रत्येक अर्धभाग बना होता है –
(a) इलियम का
(b) आसनास्थि का
(c) जंघनास्थि का
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।
7. स्तनियों में नीचे का जबड़ा बना होता है –
(a) दंतकास्थियों का
(b) जंभिका का
(c) जंभिका पूर्वी का
(d) तालव का।
उत्तर:
(a) दंतकास्थियों का
8. हैवर्सियन नाल क्या कार्य करती है –
(a) अस्थि की लम्बाई का
(b) अस्थि में कोमल ऊतक का निर्माण
(c) रुधिर वाहिनियों, तन्त्रिका व अन्य गतिशील कोशिकाओं के अस्थि के भीतरी लैमेली में स्थान बनाना
(d) वोल्कमान नाल बनाना।
उत्तर:
(c) रुधिर वाहिनियों, तन्त्रिका व अन्य गतिशील कोशिकाओं के अस्थि के भीतरी लैमेली में स्थान बनाना
9. पेशी संकुचन के लिए कौन-सा तत्व आवश्यक है –
(a) Na +
(b) K +
(c) Mg +
(d) Ca +
उत्तर:
Ca+
10. सार्कोमियर किन दो पट्टियों के बीच का भाग है –
(a) H – पट्टियाँ
(b) Z – पट्टियाँ
(c) A – पट्टियाँ
(d) I – पट्टियाँ।
उत्तर:
(b) Z – पट्टियाँ
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- खोपड़ी की. अस्थियों में ……………. संधि पाई जाती है।
- कंकालीय गति ……………. पेशियों के कारण होती है।
- ……………. मानव शरीर की सबसे छोटी अस्थि होती है।
- मायोग्लोबिन ……………. को संचित करने का कार्य करती है।
- हैवर्सियन तंत्र ……………….. में पाया जाता है।
- उपास्थि …………….. प्रोटीन की बनी होती है।
- पेशियों का लाल रंग ……………… के कारण होता।
- मनुष्य की पसलियाँ .. ……………… से जुड़ी होती हैं।
- लिगामेन्ट ……………….. को जोड़ने का कार्य करता है।
- साइनोवियल द्रव ………………. में उपस्थित होता है।
उत्तर:
- अचल संधि
- ऐच्छिक पेशियाँ
- स्टेपीस
- ऑक्सीजन
- अस्थियों में
- कॉण्ड्रिन
- मायोग्लोबिन
- उरोस्थि
- अस्थियों
- स्वतंत्र चलायमान अस्थि में।
प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
उत्तर:
- (c) स्पर्शक
- (d) नाल पाद
- (e) कूटपाद।
- (a) सिलिया
- (b) सीटी
उत्तर:
- (b) कंदुक-खल्लिका संधि
- (c) कब्जा संधि
- (d) अस्थि-अस्थि
- (e) अस्थि-मांसपेशी
- (a) कर्ण
प्रश्न 4.
एक शब्द में उत्तर दीजिये –
- एक युवा पुरुष के शरीर में कितनी हड्डियाँ पायी जाती हैं ?
- ह्यूमरस तथा रेडियो अल्ना के बीच किस प्रकार की संधि पाई जाती है ?
- केंचुआ और तारामछली के प्रचलन अंगों के नाम लिखिए।
- किस मसल में अधिक माइटोकॉण्ड्रिया होते हैं ?
- मनुष्य में पसलियों की संख्या कितनी होती है ?
- ग्लीनॉइड गुहा कहाँ पाई जाती है ?
- एसीटाबुलम कहाँ पायी जाती है ?
- मनुष्य के कंकाल तंत्र की सबसे छोटी अस्थि का नाम बताइये।
- मनुष्य के शरीर की सबसे लम्बी अस्थि का नाम बताइये।
- अस्थि और पेशियों को जोड़ने वाले ऊतक का नाम लिखिए।
- अस्थि किस प्रोटीन की बनी होती है ?
- कंकालीय गति किन पेशियों के कारण होती है ?
- पेशियों के संकुचन के लिए आवश्यक तत्व का नाम लिखिए।
- पेशियों में थकान किसके कारण होती है ?
- अमीबा का प्रचलन अंग कौन-सा है ?
उत्तर:
- 206 हड्डियाँ
- कब्जा संधि
- केंचुआ-सीटी, तारामछली-ट्यूब फीट
- लाल मसल फाइबर,
- 12 जोड़ी
- अंस मेखला के पार्श्व में
- श्रोणि मेखला में
- कर्ण की स्टेपीस
- फीमर
- टेन्डन
- ओसीन
- ऐच्छिक पेशियाँ
- कैल्सियम
- लैक्टिक अम्ल के कारण
- कूटपाद।
गमन एवं संचलन अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पेशी स्फुट (Muscle Twitch) क्या है ?
उत्तर:
जब किसी पेशी तन्तु को एक बार उद्दीपन प्राप्त होता है, तो उसमें एक बार संकुचन होता है,यही केवल एक बार पेशी तन्तु का संकुचन पेशी स्फुट कहलाता है। इस प्रक्रिया के तुरन्त बाद पेशी में शिथिलन होता है।
प्रश्न 2.
मानव शरीर में सबसे लम्बी अस्थि का नाम लिखिए।
उत्तर:
मानव शरीर की सबसे लम्बी अस्थि फीमर (Femur) अस्थि है।
प्रश्न 3.
मनुष्य में कशेरुकाओं एवं पसलियों की संख्या कितनी होती है ?
उत्तर:
मनुष्य में कशेरुकाओं की संख्या 26 एवं पसलियों की संख्या 24 है।
प्रश्न 4.
ऑर्थाइटिस क्या है ?
उत्तर:
ऑर्थाइटिस वास्तव में संधियों में होने वाला प्रकार का शोथ (Inflammation) है । यह रोगाणुओं के संक्रमण, ऐलर्जी अथवा हॉर्मोनल असन्तुलन के कारण होता है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित जन्तुओं के प्रचलन अंगों के नाम लिखिये (i) पैरामीशियम, (ii) हाइड्रा, (iii) केंचुआ, (iv) ऑक्टोपस, (v) स्टार फिश।
उत्तर:
- पक्ष्माभिका
- स्पर्शक
- सीटी (शूक)
- मांसल पाद
- ट्यूब फीट।
गमन एवं संचलन लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अस्थि संधि क्या है ? निम्न अस्थियों से संबंधित संधियों के नाम लिखिए –
- घुटने की संधि
- अंस मेखला की ग्लीनॉइड गुहा तथा श्रोणि मेखला की एसीटाबुलम के साथ ह्यूमरस तथा फीमर अस्थि की संधि,
- कोहनी की संधि
- खोपड़ी की अस्थियों की संधि
- अँगूठे के कार्पल्स एवं मेटाकार्पल्स के बीच की संधि
- एड़ी की संधि।
उत्तर:
वह स्थान जहाँ पर दो या दो से अधिक अस्थियाँ आपस में इस प्रकार मिलें कि उनमें गति हो सके या नहीं हो सके तो इस स्थान को अस्थि संधि या संधि कहते हैं।
- घुटने की संधि – कब्जा संधि
- अंस मेखला की ग्लीनॉइड गुहा तथा श्रोणि मेखला की एसीटाबुलम के साथ ह्यूमरस तथा फीमर अस्थि की संधि – कंदुक-खल्लिका संधि
- कोहनी की संधि – कब्जा संधि
- खोपड़ी की अस्थियों की संधि – अचल संधि
- अँगूठे के कार्पल्स एवं मेटाकार्पल्स की संधि – सैडल संधि
- एड़ी की संधि – कब्जा संधि।
प्रश्न 2.
पेशियों द्वारा कंकाल में गति कैसे होती है ?
उत्तर:
हमारे शरीर के कंकाल ऐच्छिक पेशियों के द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। जब पेशी तन्तु कंकाल को किसी पेशी से जोड़ते हैं, तब इन्हें टेण्डन कहते हैं, लेकिन जब पेशी तन्तु कंकाल से कंकाल को जोड़ते हैं। तब इन्हें लिगामेण्ट्स कहते हैं। पेशी कोशिकाएँ पेशी तन्तुओं की बनी होती हैं, जिनमें संकुचन तथा शिथिलन का गुण पाया जाता है। इसी कारण पेशी कोशिकाओं में भी संकुचन तथा शिथिलन का गुण पाया जाता है। इन्हीं पेशियों के संकुचन तथा शिथिलन के कारण कंकाल में गति होती है।
प्रश्न 3.
कंकाल तन्त्र के कार्य लिखिए।
उत्तर:
एक कशेरुकी जन्तु का अन्त:कंकाल निम्नलिखित मुख्य कार्यों को करता है –
- यह शरीर के कोमल अंगों जैसे-हृदय, मस्तिष्क इत्यादि की रक्षा करता है।
- यह शरीर को आधार प्रदान करके उसको एक निश्चित आकार देता है।
- कंकाल तन्त्र उत्तोलक की तरह कार्य करके गति तथा प्रचलन की क्रिया को सम्पादित करता है।
- इसकी मोटी अस्थियों की मज्जा में R.B.Cs और W.B.Cs. का निर्माण होता है।
प्रश्न 4.
लाल पेशी तन्तु श्वेत पेशी तन्तु की तुलना में लम्बे समय तक कार्य करते हैं, क्यों?
अथवा
लाल पेशी तन्तु क्या हैं ? ये बिना थके लम्बे समय तक संकुचित रह सकते हैं, क्यों ? कारण बताइए।
उत्तर:
हमारे शरीर की कुछ पेशियों में ऑक्सीजन को संगृहीत करने के लिए मायोग्लोबीन नामक प्रोटीन पाया जाता है । यह अपने अन्दर O2 को संगृहीत करके रखता है। इसका रंग लाल होता है, इस कारण इसको धारण करने वाली पेशियाँ लाल दिखाई देती हैं इन पेशियों को ही लाल पेशी तन्तु कहते हैं। जया पेशियों का मायोग्लोबीन O2 को संगृहीत करके ऑक्सी मायोग्लोबीन बना देता है।
जब इन पेशियों को देर तक संकुचन शिथिलन करना होता है, तब भी उन्हें मायोग्लोबीन के कारण बराबर 0, मिलती रहती है, जिससे इनमें लैक्टिक अम्ल का निर्माण नहीं हो पाता, इस कारण ये पेशियाँ बिना थके लम्बे समय तक कार्य करती रहती हैं। श्वेत पेशी तन्तुओं में मायोग्लोबीन नहीं होता, जिसके कारण इनमें लैक्टिक अम्ल का जमाव हो जाता है और ये देर तक कार्य नहीं कर पातीं।
प्रश्न 5.
पेशियों को संकुचन के लिए ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है ?
उत्तर:
पेशी संकुचन के लिए ऊर्जा ATP से प्राप्त होती है। मायोसीन ATPase एन्जाइम की उपस्थिति में ATP का विखण्डन होता है –
एक अन्य उच्च ऊर्जा युक्त यौगिक क्रिएटिन फॉस्फेट (CP) पेशियों में पाया जाता है। यह यौगिक ATP की निरन्तरता को बनाए रखता है। क्रिएटिन फॉस्फेट ADP से क्रिया करके ATP एवं क्रिएटिन बनाता है।
जब संकुचन पूर्ण हो जाता है, तब क्रिएटिन ATP से क्रिया करके क्रिएटिन फॉस्फेट बना लेता है –
ATP + क्रिएटिन → ADP + क्रिएटिन फॉस्फेट (CP)
प्रश्न 6.
अचल सन्धि एवं सिनोवियल सन्धि में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अचल सन्धि एवं सिनोवियल सन्धि में अन्तर –
अचल सन्धि (Fixed joint):
- इस प्रकार की सन्धि में अस्थियाँ तन्तुमय संयोजी ऊतक के बन्ध द्वारा जुड़ी रहती हैं, इसे सीवन (Suture) कहते हैं।
- इस प्रकार की सन्धि में किसी प्रकार की गति नहीं पायी जाती है।
- खोपड़ी (Skull) में उपस्थित सन्धियाँ अचल होती हैं।
सिनोवियल सन्धि (Synovial joint):
- लिगामेण्ट का बना सन्धि कैप्स्यूल पाया जाता है।
- इसमें सिनोवियल गुहा पायी जाती है, जिसमें सिनोवियल द्रव पाया जाता है। इस कारण इस सन्धि को सिनोवियल सन्धि कहते हैं।
- इस प्रकार की सन्धि गतिशील होती है।
- गति करने वाली सभी अस्थियों में इस प्रकार कीसन्धि पायी जाती है।
प्रश्न 7.
ऑक्सीजन ऋण (Oxygen debt) क्या है ?
उत्तर:
भारी काम या कसरत करते समय पेशियाँ ऊर्जा की पूर्ति के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त नहीं कर पातीं। इस कारण ये ग्लाइकोलिसिस के द्वारा अनॉक्सी रूप से ATP का उत्पादन करने लगती हैं और पेशियों में लैक्टिक अम्ल जमा होने लगता है। इस समय सामान्य अवस्था के अनुपात में O2 की खपत बढ़ जाती है। इसी O2 की अतिरिक्त खपत को पेशियों का 02 ऋण कहते हैं।
इस अतिरिक्त O2 का उपयोग लैक्टिक अम्ल के ऑक्सी-ऑक्सीकरण में किया जाता है, जिसके द्वारा ATP और क्रिएटिन फॉस्फेट का उत्पादन किया जाता है। कुछ मात्रा में ऑक्सीजन ऋण की पूर्ति मायोग्लोबीन के द्वारा की जाती है, जो O2 को भविष्य के उपयोग के लिए बाँधकर रखता है। एथलीटों की ट्रेनिंग उनकी पेशियों के ऑक्सी संकुचन की दर को बढ़ा देती है। इसी कारण एथलीटों में नॉनएथलीटों की अपेक्षा ऑक्सीजन ऋण की कम आवश्यकता होती है।
प्रश्न 8.
श्रोणि मेखला का नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर:
श्रोणि मेखला
प्रश्न 9.
मानव कंकाल तंत्र के विभिन्न भागों के नाम एवं हड्डियों की संख्या बताइए।
उत्तर:
मानव कंकाल तंत्र के विभिन्न भागों के नाम एवं हड्डियों की संख्या को निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है –
प्रश्न 10.
‘पेशी स्फुट’ व ‘टीटेनस’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पेशी स्फुट (Muscle twitch):
जब किसी पेशी को एक बार उद्दीपन प्राप्त होता है, तो उसमें एक बार संकुचन होती है। पेशी तन्तु के इस एक बार हुए संकुचन को पेशी स्फुट (Muscle twitch) कहते हैं। इस क्रिया के तुरन्त बाद पेशी में शिथिलन होता है।
टीटेनस (Tetanus):
इन पेशियों की एक बार स्थायी संकुचन अवस्था है, जो कई लगातार पैदा होने वाले आवेगों के संलयन से पैदा होती है। वास्तव में जब पेशियों में संकुचन पैदा करने वाले आवेग स्थायी रूप से पैदा होने लगते हैं, तब पेशियाँ संकुचित ही रह जाती हैं। इसी अवस्था को टीटेनस कहते हैं। इसके कारण मृत्यु भी हो सकती है।
गमन एवं संचलन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सन्धि क्या हैं ? मनष्य के शरीर में पायी जाने वाली विभिन्न प्रकार की सन्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन्धि (Joints):
वह स्थान जहाँ पर दो या अधिक सन्धियाँ आपस में इस प्रकार मिलें कि उनमें गति हो सके, वह स्थान सन्धि कहलाता है। सन्धि के प्रकार (Types of Joints)-गति के आधार पर सन्धियाँ तीन प्रकार की होती हैं –
(A) पूर्ण सन्धि
(B) अपूर्ण सन्धि
(C) अचल सन्धि।
(A) पूर्ण सन्धि (Perfect joint):
इस प्रकार की सन्धि में सन्धि स्थान पर पाई जाने वाली हड्डियाँ गतिशील होती हैं। इसमें सन्धि कैप्सूल पाया जाता है। सन्धि कैप्सूल में सिनोवियल गुहा पाई जाती है जो चारों ओर से सिनोवियल झिल्ली द्वारा घिरी रहती है। इस गुहा में सिनोवियल द्रव पाया जाता है। लिगामेण्ट द्वारा दोनों अस्थियाँ आपस में जुड़ी रहती हैं एवं अपने स्थान से नहीं हटती हैं।
(1) गेंद एवं प्याला सन्धि (Ball and Socketjoint):
इस सन्धि में एक अस्थि का सन्धि सिरा गेंद के समान होता है जो दूसरी अस्थि के प्याले के समान संरचना वाले भाग पर फिट रहता है। इस प्रकार गेंद वाली अस्थि चारों दिशाओं में आसानी से घूम सकती है। जैसे-अंस मेखला की ग्लीनॉइड गुहा, जो प्याले के समान होती है, में ह्यूमरस का गेंद वाला भाग फिट रहता है। श्रोणि मेखला की एसीटाबुलम का आकार प्याले के समान है जिस पर फीमर का गेंद वाला भाग फिट रहता है।
(2) कब्जा सन्धि (Hinge joint):
इस प्रकार की सन्धि में गति केवल एक दिशा में होती है, जैसेकुहनी, घुटना एवं कलाई की सन्धि।
(3) प्रसर सन्धि (Gliding joint):
इस प्रकार की सन्धि में अस्थियाँ आसानी से एक-दूसरे के ऊपर फिसल जाती हैं, जैसे रेडियो-अल्ला एवं कलाई के बीच पाई जाने वाली सन्धियाँ।
(4) खूटीदार सन्धि (Pivot joint):
इस प्रकार की सन्धि में अस्थि का एक भाग नुकीला उभारयुक्त होता है एवं दूसरी अस्थि में इस उभार के लिए गड्ढा पाया जाता है। इस सन्धि में एक अस्थि गोलाई में चारों ओर घूम सकती है, जैसे-करोटि एवं मेरुदण्ड के बीच पाई जाने वाली सन्धि।
(5) सैडल सन्धि (Saddle joint):
यह गेंद एवं प्याला सन्धि के समान होती है, परन्तु यह कम विकसित होती है, जैसे-अँगूठे में कार्पल एवं मेटाकार्पल के बीच पाई जाने वाली सन्धि।
(B) अपूर्ण सन्धि (Imperfect joint):
इस प्रकार की सन्धि में लिगामेण्ट एवं सिनोवियल गुहा का अभाव होता है, जैसे-श्रोणि मेखला में दो प्यूबिस के बीच पाई जाने वाली सन्धि । इन सन्धियों पर मामूली गति होती है।
(C) अचल सन्धि (Immovable joint):
इस प्रकार की सन्धि में अस्थियाँ अपने स्थान से नहीं हटती हैं। खोपड़ी में पाई जाने वाली अस्थियों के बीच इसी प्रकार की सन्धि पाई जाती है।
प्रश्न 2.
अक्षीय कंकाल क्या है ? मनुष्य के अक्षीय कंकाल में पायी जाने वाली विभिन्न अस्थियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अक्षीय कंकाल:
शरीर का मुख्य अक्ष बनाने वाले कंकाल को अक्षीय कंकाल कहते हैं। इसके अन्तर्गत करोटि, हाइऑइड, कशेरुक दण्ड, स्टर्नम तथा पसलियाँ आती हैं।
(1) करोटि या खोपड़ी:
सिर के कंकाल को करोटि या खोपड़ी कहते हैं। यह कुल 29 अस्थियों से मिलकर बना होता है। खोपड़ी की अस्थियाँ सीवनों (Sutures) के द्वारा आपस में दृढ़ता से जुड़ी होती हैं। खोपड़ी एक छिद्र के द्वारा कशेरुक दण्ड की केन्द्रीय नाल से जुड़ी रहती हैं, जिसे महारन्ध्र कहते हैं। मानव खोपड़ी निम्नलिखित भागों में विभाजित रहती है –
(i) क्रेनियम या मस्तिष्क बॉक्स (Cranium or Brain Box):
यह मस्तिष्क के चारों ओर पाया जाता है तथा 8 अस्थियों, 1 फ्रन्टल (Frontal), 2 पेराइटल (Parietal), 2 टेम्पोरल (Temporal) एवं 1-1 ऑक्सिपिटल (Occipital), स्फीनॉइड (Sphenoid) एवं एथिमॉइड (Ethemoid) से मिलकर बना होता है।
(ii) चेहरे की अस्थियाँ (Facial bones):
ये अस्थियाँ खोपड़ी में चेहरे का भाग बनाती हैं। इनकी कुल संख्या 14 होती हैं। 2 नेजल (Nasal), 2 मैक्जिलरी (Maxillary), 2 स्क्वेमोजल (Squamosal), 1 मैण्डिबल (Mandible), 2 लैक्राइमल (Lacrymal), 2 पैलेटाइन (Palatine), 2 टर्बिनल (Turbinals) एवं 1 वोमर (Vomer).
(iii) कर्ण अस्थियाँ (Ear bones):
खोपड़ी में उपस्थित कर्ण में 3 जोड़ी कर्णास्थियाँ, 2 मेलियस (Melleus), 2 इंकस (Incus) एवं 2 स्टेपिस (Stapes).
(2) हाइऑइड (Hyoid):
यह जीभ को आधार प्रदान करने वाली अस्थि है।
(3) कशेरुक दण्ड (Vertebral Column):
मनुष्य तथा शेष सभी कशेरुकियों की पृष्ठ सतह पर बीच में सिर से लेकर शरीर के एकदम पीछे या पूँछ तक एक मोटी छड़ के समान संयुक्त अस्थि पायी जाती है, जिसे कशेरुक दण्ड या मेरुदण्ड कहते हैं। यह भ्रूण के नोटोकॉर्ड (Notochord) से विकसित होता है और अनेक छोटी-छोटी अस्थियों का बना होता है, जिन्हें कशेरुकाएँ (Vertebrae) कहते हैं। मनुष्य के कशेरुक दण्ड में 26 कशेरुकाएँ पायी जाती हैं, लेकिन प्रारम्भिक अवस्था में इनकी संख्या 33 होती है। कशेरुक दण्ड की पहली कशेरुका को एटलस कहते हैं। इसी के ऊपर सिर टिका रहता है।
(4) स्टर्नम या उरोस्थि (Sternum):
वक्ष के अधर तल में मध्य रेखा में वक्ष की सम्पूर्ण लम्बाई में स्थित अस्थि को उरोस्थि (Sternum) कहते हैं । मनुष्य की उरोस्थि केवल एक छड़नुमा अस्थि की बनी होती है। इसके तीन भाग होते हैं-मैनूब्रियम (Manubrium), काय (Body) एवं जिफॉइड प्रवर्ध (Xiphoid process)। उरोस्थि से ही 12 जोड़ी पसलियाँ (Ribs) जुड़ी रहती हैं। उरोस्थि सीने (Chest) के अग्र भाग को आधार प्रदान करती है।
(5) पसलियाँ (Ribs):
वक्ष का पार्श्व भाग कई पतली-पतली मुड़ी अस्थियों का बना होता है, जिन्हें पसलियाँ कहते हैं। अधिकांश पसलियाँ कशेरुक दण्ड तथा स्टर्नम से जुड़ी होती हैं, जबकि कुछ केवल कशेरुक दण्ड से जुड़ी होती हैं। मनुष्य में कुल 24 पसलियाँ पायी जाती हैं।
प्रश्न 3.
अनुबन्धीय कंकाल क्या है ? मानव शरीर में उपस्थित अनुबन्धीय कंकाल का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
अनुबन्धीय या उपांगीय कंकाल (Appendicular skeleton):
शरीर के मुख्य अक्ष के इधर – उधर अर्थात् दोनों पार्यों में पाया जाने वाला कंकाल उपांगीय कंकाल कहलाता है। यह निम्नलिखित भागों अर्थात् अस्थि समूहों का बना होता है –
(1) भुजास्थियाँ (Limb bones):
मनुष्य के शरीर में दो प्रकार की भुजास्थियाँ पायी जाती हैं –
(I) अग्र भुजा की अस्थियाँ (Bones of fore arms):
मनुष्य के शरीर में दो अग्र भुजाएँ होती हैंप्रत्येक अग्रभुजा 27 अस्थियों से मिलकर बनी होती है – Bones of fore arms)-मनुष्य के शरीर में दो अग्र भुजाएँ होती हैंप्रत्येक अग्रभुजा 27 अस्थियों से मिलकर बनी होती है –
- ह्यूमरस-अग्र बाहु की अस्थि – 1
- रेडियस-पूर्व बाहु की अस्थि – 1
- अल्ना-पूर्व बाहु की अस्थि – 1
- कार्पल्स-कलाई की अस्थियाँ – 8
- मेटाकार्पल्स-हथेली की अस्थियाँ-2
- (f) अँगुलास्थियाँ या फैलेंजस-अँगुली की अस्थियाँ-14
(II) पश्च भुजा की अस्थियाँ (Bones of Hind arm):
पैर को पश्च भुजा कहते हैं। पश्चपाद (पैर) कई भागों जाँघ (Thigh), पिण्डली (Shank), घुटना (Knee), टखना (Ankle), तलवा (Sole) एवं उँगलियों (Fingers) का बना होता है। मनुष्य की प्रत्येक पश्च भुजा 30 अस्थियों से मिलकर बनी होती है।
(2) मेखलाएँ (Girdles):
कशेरुकी जन्तुओं में अग्रपाद तथा पश्चपाद को अक्षीय कंकाल पर साधने के लिए दो चाप पाये जाते हैं, जिन्हें मेखलाएँ कहते हैं। अग्र भुजा (हाथ) को साधन वाली मेखला अंस मेखला (Pectoral girdle) तथा पश्च पाद को साधने वाली मेखला श्रोणि मेखला (Pelvic girdle) कहलाती है।
(I) अंस मेखला (Pectoral girdles):
अंस मेखला कंधे वाले भाग में पायी जाती है तथा यह अग्र भुजा या हाथ को साधने का कार्य करती है। अंस मेखला के दोनों पार्यों में अग्र भुजा की ह्यूमरस (Humerus) अस्थि के जुड़ने के लिए एक – एक गुहा पायी जाती है, जिसे ग्लीनॉइड गुहा (Glenoid cavity) कहते हैं। ह्यूमरस इसी गुहा के साथ कन्दुक-उलूखल सन्धि (Ball and Socket joint) के द्वारा जुड़ा रहता है।
यह एक माध्यमिक संरचना के रूप में होती है, जिसके द्वारा शरीर का वजन अग्र भुजा में स्थानान्तरित रहता है। अंस मेखला दो प्रकार की अस्थियों 2 स्कैपुला (Scapula) एवं 2 क्लैविकल (Clavical) से मिलकर बना होता है।
(II) श्रोणि मेखला (Pelvic girdle):
यह पश्च पाद को साधने वाली मेखला है। श्रोणि मेखला के दोनों पार्यों में पैर की फीमर (Femur) अस्थि को जोड़ने के लिए एक गुहा पायी जाती है, जिसे ऐसीटाबुलम गुहा (Acctabulum cavity) कहते हैं। फीमर इसी गुहा के साथ कन्दुक – उलूखल सन्धि (Ball and Socket joint) के द्वारा जुड़ा रहता है। श्रोणि मेखला दो अर्द्धाशों (Halves) की बनी होती है। प्रत्येक अर्द्धाश में तीन प्रकार की अस्थियाँ पायी जाती हैं-
- इलियम (Ilium) – पृष्ठ भाग में।
- इस्चियम (Ischium) – अधर भाग में।
- प्यूबिस (Pubis) – अधर भाग में।