MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 9 जैव अणु
जैव अणु NCERT प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
वृहत् अणु क्या है ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जो अम्ल अविलेय अंश में पाये जाते हैं उन्हें वृहत् अणु या वृहत् जैव अणु कहते हैं। उदाहरण – प्रोटिन, पॉलीसैकेराइड्स, न्यूक्लिक अम्ल।
प्रश्न 2.
ग्लाइकोसिडिक, पेप्टाइड तथा फास्फोडाइएस्टर बंधों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. ग्लाइकोसिडिक बंध (Glycosidic bond):
ग्लाइकोसिडिक बंध एक प्रकार का क्रियात्मक समूह है जिसमें एक कार्बोहाइड्रेट (शर्करा) अणु दूसरे कार्बोहाइड्रेट या अन्य समूह के अणुओं से जुड़कर बनता हैं।
2. पेप्टाइड बंध (Peptide bond):
किसी भी पॉलीपेप्टाइड या प्रोटीन में अमीनो अम्ल पेप्टाइड बंध द्वारा जुड़े होते हैं, जो एक अमीनो अम्ल के कार्बोक्सिल ( – COOH) समूह व अगले अमीनो अम्ल के अमीनो समूह ( – NH2) के बीच अभिक्रिया के उपरान्त जल अणु निकलने के बाद बनता है।
3. फॉस्फोड़ाइएस्टर बंध (Phosphodiester bond):
न्यूक्लिक अम्लों (DNA, RNA) में एक न्यूक्लियोटाइड के एक शर्करा के 3′-कार्बन अनुवर्ती न्यूक्लियोटाइड के शर्करा के 5 कार्बन से फॉस्फेट समूह जुड़ा होता है। शर्करा के फॉस्फेट व हाइड्रॉक्सिल समूह के बीच का बंध एक एस्टर बंध होता है। एस्टर बंध दोनों तरफ मिलता है अत: इसे फॉस्फोडाइएस्टर-बंध कहते हैं।
प्रश्न 3.
प्रोटीन की तृतीयक संरचना से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जब किसी प्रोटीन में अमीनो अम्ल एक रैखिक क्रम में श्रृंखलाबद्ध रहते हैं, तो इस प्रकार की संरचना को Polypeptide chain प्राथमिक संरचना (Primary structure) कहते हैं, लेकिन जब श्रृंखला विभिन्न क्रमों में व्यवस्थित होकर या कुण्डलित होकर गेंद अथवा हैलिक्स का रूप ले लेती है तो इस प्रकार की संरचना को द्वितीयक संरचना (Secondary structure) कहते हैं। द्वितीयक संरचना में प्रोटीन की स्थिरता श्रृंखला के कुण्डलों में स्थित हाइड्रोजन बन्धों पर निर्भर करती है।
बन्ध ज्यादा बन जाने के कारण द्वितीयक संरचना वाले प्रोटीन ज्यादा स्थिर होते हैं। कभी-कभी द्वितीयक संरचना वाले प्रोटीन में लम्बी पेप्टाइड श्रृंखला का कुण्डलीकरण (Coilling) तथा वलन (जटिलता) बन जाने के कारण प्रोटीन और संघनित हो जाते है। इस संरचना को तृतीयक संरचना (Tertiary structure) कहते हैं जैसे-ग्लोब्यूलर प्रोटीन, मायोग्लोबीन (Myoglobin)। इस संरचना के कारण प्रोटीन की स्थिरता और बढ़ जाती है।
प्रश्न 4.
10 ऐसे रुचिकर सूक्ष्म जैव अणुओं का पता लगाइए जो कम अणुभार वाले होते हैं व इनकी संरचना बनाइए। ऐसे उद्योगों का पता लगाइए जो इन यौगिकों का निर्माण विलगन द्वारा करते हैं ? खरीदने वाले कौन हैं ? मालूम कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
प्रोटीन में प्राथमिक संरचना होती है, यदि आपको जानने हेतु ऐसी विधि दी गई है, जिसमें प्रोटीन के दोनों किनारों पर अमीनो अम्ल है तो क्या आप इस सूचना को प्रोटीन की शुद्धता अथवा समांगता (Homogeneity) से जोड़ सकते हैं ?
उत्तर:
प्रोटीन में अमीनो अम्ल के क्रम व इसके स्थान के बारे में जैसे कि पहला, दूसरा और तीसरा इसी प्रकार अन्य कौन-सा अमीनो अम्ल होगा, की जानकारी को प्रोटीन की प्राथमिक संरचना कहते हैं। कल्पना करें कि प्रोटीन एक रेखा है तो इसके बाएँ सिरे पर प्रथम एवं दाँये सिरे पर अंतिम अमीनो अम्ल मिलता है। प्रथम अमीनो अम्ल को नाइट्रोजन सिरा (Nitrogen end) तथा अंतिम अमीनो अम्ल को कार्बन सिरा (Carbon end) अमीनो अम्ल कहते हैं। एक प्रोटीन की शुद्धता अथवा समांगता को एक प्रोटीन के दोनों किनारों पर अमीनो अम्ल की शुद्धता अथवा समांगता को निश्चित करना कठिन है क्योंकि किनारों पर बहुत सारे अमीनो अम्लों की उपस्थिति होती है।
प्रश्न 6.
चिकित्सीय अभिकर्ता (Therapeutic agents) के रूप में प्रयोग आने वाले प्रोटीन का पता लगाइए व सूचीबद्ध कीजिए। प्रोटीन की अन्य उपयोगिताओं को बताइए। (जैसे-सौन्दर्य प्रसाधन आदि)
उत्तर:
प्रोटीन एवं इसके कार्य:
(1) प्रोटीन जीवतत्व की संरचना का मुख्य घटक है। उदाहरणस्वरूपबाल, त्वचा, नाखून, सींग, पंख इत्यादि में किरैटिन (Keratin); उपास्थि में कोलेजन (Collagen); अस्थि में ओसीन (Ossein) नामक प्रोटीन पाया जाता है।
(2) यह एन्जाइम के रूप में जैव – उत्प्रेरक का कार्य करता है, सभी एन्जाइम प्रोटीन नहीं होते हैं।
(3) यह कोशिका झिल्ली में विभिन्न तत्वों और यौगिकों के स्थानान्तरण के लिये वाहक का कार्य करता हैं।
(4) कुछ प्रोटीन जैसे परमियेजेज (Permeases) एक वाहक (Carrier) के रूप में कार्य करते हैं, जो विभिन्न पदार्थों को कोशिका झिल्ली के बाहर भी जीवों में स्थानान्तरण का कार्य करता है। हीमाग्लोबीन जन्तुओं में 02 तथा पौधों में P-Protein विभिन्न प्रकार के कार्बनिक पदार्थों का स्थानान्तरण करता है। इसी तरह मायोग्लोबिन मांसपेशियों में ऑक्सीजन को संगृहीत करने का कार्य करती है।
(5) कुछ हॉर्मोन्स (जैसे कि पिट्यूटरी हॉर्मोन, पैराथायरॉइड हॉर्मोन, इन्सुलिन) भी प्रोटीन ही होते हैं, जो शरीर में नियंत्रण तथा समन्वय का कार्य करते हैं। यह हॉर्मोन विभिन्न जैवीय क्रियाओं जैसे-वृद्धि, प्रजनन तथा उपापचयी क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
(6) कुछ प्रोटीनों जैसे कि ऐक्टिन (Actin) तथा मायोसिन (Myocin) में संकुचनशीलता का गुण पाया जाता है, जिससे ये गति और प्रचलन में भी सहायता करते हैं।
(7) शरीर में बनने वाले प्रतिरक्षी भी एक प्रकार के प्रोटीन हैं । इस प्रकार ये रोगों से रक्षा करते हैं।
(8) कुछ जीव इन्हें भोज्य पदार्थों के रूप में संचित करते हैं, जैसे- अण्डे में यह ऐल्ब्यूमिन (Albumin) और योक (Yolk) तथा गेहूँ में ग्लूटीन (Glutein) के रूप में संचित किया जाता है।
(9) यह आवश्यकता पड़ने पर टूटकर शरीर को ऊर्जा भी देते हैं।
(10) प्रोटीन्स लक्षणों के आनुवंशिक संचरण (Hereditary transmission) में भी मुख्य भूमिका अदा . करती हैं, क्योंकि प्रोटीन्स गुणसूत्रों में न्यूक्लियोप्रोटीन्स के रूप में उपस्थित होते हैं।
(11) रुधिर में पाये जाने वाले प्रोटीन्स शॉम्बिन एवं फाइब्रिनोजेन (Thrombin and fibrinogen) चोट लगने पर रुधिर के थक्काकरण में सहायता करता है।
(12) यह कोशिकीय स्राव के रूप में स्रावित होकर कई महत्वपूर्ण कार्यों को सम्पादित करता है। म्यूकस ग्रन्थियों द्वारा स्रावित श्लेष्मा ग्लाइकोप्रोटीन होता है, जो ऊतकों के घर्षण को कम करता है। इसी प्रकार, रेशम कीटों एवं मकड़ियों द्वारा स्रावित फाइब्रोइन (Fibroin) प्रोटीन सूखकर धागे या तन्तु का रूप ले लेता है।
प्रश्न 7.
ट्राइग्लिसराइड के संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भंडारित लिपिडों का एक समूह ट्राइग्लिसराइड है जिसके अन्तर्गत वसाएँ तथा तेल आते हैं। वसाओं तथा तेलों को लिपिड कहते हैं। ये जल में अघुलनशील तथा अध्रुवीय विलायकों जैसे – क्लोरोफॉर्म, ईथर, बेन्जीन आदि में विलेय होते हैं और C, H तथा O के बने होते हैं, लेकिन इनमें O का अनुपात कार्बोहाइड्रेट की तुलना में कम होता है। ये एक अणु ग्लिसरॉल तथा तीन अणु वसीय अम्लों के मिलने से बनते हैं। उदाहरणवनस्पति घी, मोम, लेसिथिन्स।
प्रश्न 8.
क्या आप प्रोटीन की अवधारणा के आधार पर वर्णन कर सकते हैं कि दूध का दही अथवा योगर्ट में परिवर्तन किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
दूध में दुग्ध प्रोटीन केसीन (Casein) पाया जाता है, जिसके कारण दूध का रंग सफेद रहता है। कैसीन का पोषण महत्वपूर्ण होता है, इसमें मनुष्य के शरीर के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल पाये जाते हैं। दूध को दही में बदलना रासायनिक परिवर्तन के कारण होता है। लैक्टोबेसीलस बैक्टीरिया दूध की लैक्टोज शुगर को लैक्टिक अम्ल में बदल देता है तथा प्रोटीन को जमाने में सहायता करता है। जमे हुए केसीन प्रोटीन को दही या योगर्ट कहा जाता है।
प्रश्न 9.
क्या आप व्यापारिक दृष्टि से उपलब्ध परमाणु मॉडल (वाल एवं स्टिक नमूना) का प्रयोग करते हुए जैव-अणुओं के प्रारूपों को बना सकते है ?
उत्तर:
जी हाँ, व्यापारिक दृष्टि से उपलब्ध परमाणु मॉडल का प्रयोग करते हुए जैव-अणुओं के प्रारूपों को बना सकते हैं।
प्रश्न 10.
अमीनो अम्लों को दुर्बल क्षार से अनुमापन (Titrate) कर अमीनो अम्लों में वियोजी क्रियात्मक समूहों का पता लगाने का प्रयास कीजिए। .
उत्तर:
जब अमीनो अम्ल का दुर्बल क्षार से अनुमापन करवाया जाता है। तब यह वियोजित होकर दो क्रियात्मक समूह (Functional groups) प्रदान करता है –
- कार्बोक्सिलक समूह ( – COOH समूह)
- अमीनो समूह (-NH2 समूह)
प्रश्न 11.
ऐलेनीन अमीनो अम्ल की संरचना बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
गोंद किससे बने होते हैं ? क्या फेविकोल इससे भिन्न है ?
उत्तर:
गोंद कार्बोहाइट्रेट्स (जैसे – A गैलेक्ट्रोज, A गैलेक्ट्रोनिक अम्ल) से बना प्राकृतिक पदार्थ है। इन्हें पेड़-पौधों की छालों से प्राप्त किया जाता है। फेविकोल, प्राकृतिक गोंद से भिन्न होते हैं। यह एक प्रकार का संश्लेषित उत्पाद (Synthetic product) है।
प्रश्न 13.
प्रोटीन, वसा तथा तेल, अमीनो अम्लों का विश्लेषणात्मक परीक्षण बताइए एवं किसी भी फल के रस, लार, पसीना तथा मूत्र में इनका परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
1. प्रोटीन का विश्लेषणात्मक परीक्षण –
जैन्थोप्रोटिक परीक्षण –
2. वसा का विश्लेषणात्मक परीक्षण –
पायसीकरण परीक्षण –
3. तेल का विश्लेषणात्मक परीक्षण –
कागज ( पेपर) परीक्षण –
4. स्टार्च का विश्लेषणात्मक परीक्षण –
आयोडीन परीक्षण –
प्रश्न 14.
पता लगाइए कि जैव मंडल में सभी पादपों द्वारा कितने सेल्यूलोज का निर्माण होता है। इसकी तुलना मनुष्यों द्वारा उत्पादित कागज से करें। मानव द्वारा प्रतिवर्ष पादप पदार्थों की कितनी खपत की जाती है ? इसमें वनस्पतियों की कितनी हानि होती है ?
उत्तर:
लगभग एक बिलियन टन प्रतिवर्ष सभी पौधों द्वारा सेल्यूलोज का निर्माण इस वायुमंडल में होता है। इससे सत्रह (17) पूर्ण पौधे बनते हैं। जिसमें एक टन प्रति पेपर है। पौधों का उपयोग मनुष्य और भी आवश्यकता की पूर्ति के लिए करता है। जैसे-लकड़ी, खाद्य, दवाई इत्यादि। अतः यह गणना करना कठिन है कि मनुष्य द्वारा कितने पौधों की खपत होती है।
प्रश्न 15.
एन्जाइम के महत्वपूर्ण गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एन्जाइम के गुण निम्नलिखित हैं –
1. उत्प्रेरक के गुण:
प्रत्येक एन्जाइम एक विशेष प्रकार के जैव-रासायनिक प्रतिक्रिया की दर को बढ़ाता हैं। उत्प्रेरक के समान ही इसकी आवश्यकता थोड़ी मात्रा में होती है अभिक्रिया के पश्चात् एन्जाइम की संरचना प्रभावित नहीं होती।
2. कोलॉइडल अवस्था:
सभी एन्जाइम प्रोटीन से बने होते हैं एवं ये कोलॉइडल अवस्था प्रदर्शित करते हैं, ये जलरागी होते हैं। उभयधर्मी होने के कारण ये अम्ल के साथ क्षार के समान तथा क्षार के साथ अम्ल के समान अभिक्रिया करते हैं।
3. विशिष्टता:
एन्जाइम एक विशिष्ट प्रकार के जैव-रासायनिक क्रिया को ही उत्प्रेरित करता है। उदाहरण के लिए, सुक्रेज नामक एन्जाइम सुक्रोज पर एवं लैक्टेज एन्जाइम लैक्टोज शर्करा पर ही कार्य करता है।
4. उत्क्रमणीयता:
प्रायः सभी एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाएँ उत्क्रमणीय प्रकृति की होती हैं। उदाहरण के लिए सुक्रेज एन्जाइम सुक्रोज को तोड़कर ग्लूकोज एवं फ्रक्टोज में बदल देता है साथ ही दोनों को मिलाकर सुक्रोज का निर्माण करता है।
5. संवेदनशीलता:
सभी एन्जाइम ताप pH के प्रति अति संवेदनशील होते हैं। निम्न तापक्रम से उच्च तापक्रम की ओर एन्जाइम सक्रियता धीरे-धीरे एक सीमा तक बढ़ती है। परन्तु उच्च तापमान पर इसकी सक्रियता समाप्त हो जाती है। अधिकांश एन्जाइम 50°C पर निष्क्रिय हो जाते हैं। pH के प्रति भी एन्जाइम की इसी प्रकार की संवेदनशीलता देखी जाती है। विभिन्न एन्जाइम की क्रियाशीलता अलग – अलग pH पर होती है। उदाहरण के लिए, डायस्टेज एन्जाइम उदासीन माध्यम में, सुक्रेज एन्जाइम थोड़े अम्लीय माध्यम में तथा ट्रिप्सिन अम्लीय माध्यम व क्षारीय दोनों माध्यम में कार्य करते हैं।
6. उच्च आण्विक भार:
प्रोटीन स्वभाव के होने के कारण एन्जाइम अणुओं का अणुभार कुछ हजार से लेकर कई लाख तक होता है। उदाहरण के लिए, जीवाणुओं में फेरीडॉक्सीन का अणुभार 6000 एवं पाइरुवेट डिहाइड्रोजिनेज का अणुभार 46,00,00) होता है।
7. उच्च क्रियाशीलता:
जैव-रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करने के लिए एन्जाइम के कम ही अणुओं की आवश्यकता होती है। एन्जाइम का एक अणु अभिकारक के अनेक अणुओं पर कार्य करने में सक्षम होते हैं। अभिकारक अणुओं की वह संख्या जो एन्जाइम के अणु द्वारा एक मिनट में परिवर्तित किये जाते हैं, टर्नओवर संख्या कहलाती है। विभिन्न एन्जाइमों की टर्नओवर संख्या अग्रानुसार हैं –
- कार्बनिक एन्हाइड्रेज 36 मिलियन,
- केटेलेज़-5 मिलियन
- सुक्रेज या इन्वर्टेज 10.000
- फ्लेवोप्रोटीन-901
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जैव अणु वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. जिन लिपिड्स में N2 तथा कार्बोहाइड्रेट्स पाये जाते हैं, वे कहलाते है –
(a) ग्लाइकोलिपिड्स
(b) क्रोमोलिपिड्स
(c) फॉस्फोलिपिड्स
(d) अमीनोलिपिड्स।
उत्तर:
(a) ग्लाइकोलिपिड्स
2. लेसीथीन्स है –
(a) फॉस्फोलिपिड्स
(b) क्रोमोलिपिड्स
(c) अमीनोलिपिड्स
(d) ग्लाइकोलिपिड्स।
उत्तर:
(a) फॉस्फोलिपिड्स
3. वसा तथा तेल क्षारों द्वारा अपघटित होकर बनाते हैं –
(a) साबुन
(b) वनस्पति घी
(c) संतृप्त वसाएँ
(d) असंतृप्त वसाएँ।
उत्तर:
(a) साबुन
4. मुक्त अमीनो वर्ग तथा कार्बोक्सिलिक वर्ग वाले यौगिक कहलाते हैं –
(a) ग्लूकोज
(b) न्यूक्लियोटाइड
(c) अमीनो अम्ल
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) अमीनो अम्ल
5. ऊर्जा स्थानान्तरण में भाग लेने वाले न्यूक्लियोटाइड हैं –
(a) NAD
(b) FAD
(c)FMN
(d) ATP.
उत्तर:
(d) ATP.
6. प्रोटीन की इकाई है –
(a) वसीय अम्ल
(b) मोनोसैकेराइड्स
(c) अमीनो अम्ल
(d) ग्लिसरॉल।
उत्तर:
(c) अमीनो अम्ल
7. न्यूक्लिक अम्ल किसके बहुलक हैं –
(a) अमीनो अम्ल
(b) न्यूक्लियोसाइड
(c) न्यूक्लियोटाइड
(d) ग्लोब्यूलीन।
उत्तर:
(c) न्यूक्लियोटाइड
8. पेप्टाइड बॉण्ड पाये जाते हैं –
(a) प्रोटीन में
(b) वसा में
(c) न्यूक्लिक अम्ल में
(d) कार्बोहाइड्रेट में।
उत्तर:
(a) प्रोटीन में
9. ग्लाइकोसाइडिक बन्ध किसमें पाये जाते हैं –
(a) न्यूक्लिक अम्ल में
(b) प्रोटीन में
(c) पॉलीसैकेराइड में
(d) मोनोसैकेराइड में।
उत्तर:
(c) पॉलीसैकेराइड में
10. आनुवंशिकी का नियन्त्रण किसके द्वारा किया जाता है –
(a) DNA GRI
(b)RNA GRI
(c) प्रायः सभी में DNA द्वारा, लेकिन कुछ जीवों में RNA द्वारा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) प्रायः सभी में DNA द्वारा, लेकिन कुछ जीवों में RNA द्वारा
11. निम्न में से कौन प्रोटीन नहीं है –
(a) मायोसीन
(b) एक्टिन
(c) हीमेटीन
(d) एल्ब्यूमिन।
उत्तर:
(c) हीमेटीन
12. तत्काल ऊर्जा देने वाला स्रोत है –
(a) ग्लूकोज
(b)NADH
(c) ATP
(d) पाइरुविक अम्ल।
उत्तर:
(c) ATP
13. ATP की खोज किसने की –
(a) कार्ल लोमान
(b) लिपमैन
(c) बामैन
(d) ब्लैकमैन।
उत्तर:
(a) कार्ल लोमान
14. कौन-सा नाइट्रोजीनस क्षार केवल RNA में पाया जाता है –
(a) सायटोसीन
(b) एडीनीन
(c) यूरेसिल
(d) ग्वानीन।
उत्तर:
(c) यूरेसिल
15. कोशिका के अन्दर सर्वाधिक भिन्नता प्रदर्शित करने वाले अणु हैं –
(a) खनिज-लवण
(b) लिपिड्स
(c) प्रोटीन्स
(d) कार्बोहाइड्रेट।
उत्तर:
(c) प्रोटीन्स
16. DNA के डबल हेलिकल संरचना को प्रतिपादित करने वाले वैज्ञानिक थे –
(a) नीरेनबर्ग
(b) कोर्नबर्ग
(c) हॉली एवं नीरेनबर्ग
(d) वॉट्सन एवं क्रिक।
उत्तर:
(d) वॉट्सन एवं क्रिक।
17. पौधों के लिए खास महत्व नहीं रखने वाला तत्व है –
(a) Ca
(b) Zn
(c)Cu
(d) Na.
उत्तर:
(d) Na.
18. DNA के एक चक्र में न्यूक्लियोटाइड्स पाये जाते हैं –
(a) 9
(b) 10
(c) 11
(d) 12.
उत्तर:
(b) 10
19. निम्न में से कौन-सा सूक्ष्म खनिज होता है –
(a) Ca
(b) N
(c) Mg
(d) Mn.
उत्तर:
(d) Mn.
20. DNA एवं RNA में समानता पायी जाती है –
(a) दोनों में एक प्रकार का पिरीमिडीन पाया जाता है
(b) दोनों में थायमिन होता है
(c) दोनों में एक प्रकार की शर्करा पायी जाती है
(d) दोनों न्यूक्लियोटाइड्स के पॉलीमर होते हैं।
उत्तर:
(d) दोनों न्यूक्लियोटाइड्स के पॉलीमर होते हैं।
21. कोलेस्टीरॉल है एक –
(a) सरल लिपिड्स
(b) जटिल लिपिड्स
(c) व्युत्पन्न लिपिड्स
(d) प्रोटीन।
उत्तर:
(c) व्युत्पन्न लिपिड्स
22. एन्जाइम का कौन-सा गुण नहीं है –
(a) वे प्रोटीन होते हैं
(b) वे जीव रासायनिक क्रियाओं के वेग को बढ़ाते हैं
(c) वे क्रिया में वैशेषिक होते हैं
(d) वे क्रिया में उपयोगी होकर समाप्त हो जाते हैं।
उत्तर:
(d) वे क्रिया में उपयोगी होकर समाप्त हो जाते हैं।
23. प्रोटीन-संश्लेषण कहाँ पर होता है –
(a) राइबोसोम में
(b) माइटोकॉण्ड्रिया में
(c) क्रोमोसोम में
(d) सेण्ट्रोसोम में।
उत्तर:
(a) राइबोसोम में
24. कोशिका में पाचक एन्जाइम अधिकतर कहाँ होते हैं –
(a) राइबोसोम में
(b) लाइसोसोम में
(c) गॉल्गीकाय में
(d) कोशिका भित्ति में।
उत्तर:
(b) लाइसोसोम में
25. एन्जाइम प्रोटीन होते हैं, इसे किसने बताया –
(a) पाश्चर ने
(b) ल्यूवेनहॉक ने
(c) मिलर ने
(d) समनर ने।
उत्तर:
(d) समनर ने।
26. अकार्बनिक प्रोस्थेटिक समूह कहलाता है –
(a) को-एन्जाइम
(b) ऐक्टीवेटर
(c) हॉर्मोन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(b) ऐक्टीवेटर
27. एमाइलेज प्रकिण्व का क्रियाधार है –
(a) वसा
(b) प्रोटीन
(c) स्टार्च
(d) सुक्रोज।
उत्तर:
(c) स्टार्च
28. डायस्टेज प्रकिण्व किसे पचाता है –
(a) स्टार्च
(b) प्रोटीन
(c) वसा
(d) अमीनो अम्ल।
उत्तर:
(a) स्टार्च
29. को-एन्जाइम सामान्य रूप से होते हैं –
(a) प्रोटीन्स
(b) विटामिन्स
(c) धातु आयन्स
(d) लिपिड्स।
(c) हामा
उत्तर:
(b) विटामिन्स
30. एपोएन्जाइम कार्य करते हैं –
(a) स्वतंत्र रूप से
(b) प्रोटीन के साथ मिलकर
(c) को-एन्जाइम के साथ मिलकर
(d) लिपिड के साथ मिलकर।
उत्तर:
(c) को-एन्जाइम के साथ मिलकर
31. एन्जाइम के सक्रिय स्थलों को रोककर इसे निष्क्रिय बनाना कहलाता है –
(a) एलोस्टीरिक निरोधन
(b) अन्य उत्पाद निरोधन
(c) प्रतिस्पर्धी निरोधन
(d) अप्रतिस्पर्धी निरोधन।
उत्तर:
(c) प्रतिस्पर्धी निरोधन
32. किस एन्जाइम को सर्वप्रथम खेल के रूप में प्राप्त किया जाता है –
(a) एमाइलेज
(b) राइबोन्यूक्लिऐज
(c) पेप्सिन
(d) यूरियेज।
उत्तर:
(d) यूरियेज।
33. निम्न में से कौन-सा प्रोटीन ऐन्जाइमेटिक एवं संरचनात्मक दोनों स्वभाव का होता है –
(a) मायोसीन
(b) ट्रिप्सिन
(c) एक्टिन
(d) कोलेजन।
उत्तर:
(a) मायोसीन
34. भिन्न संरचना परन्तु समान कार्य करने वाले एन्जाइम कहलाते हैं –
(a) प्रोएन्जाइम
(b) आइसोएन्जाइम
(c) को-एन्जाइम
(d) होलोएन्जाइम।
उत्तर:
(b) आइसोएन्जाइम
35. फिडबैक इन्हीबीशन किसके द्वारा नियंत्रित होता है –
(a) एन्जाइम द्वारा
(b) बाह्य कारकों द्वारा
(c) अन्त्य उत्पाद द्वारा
(d) अभिकारक द्वारा।
उत्तर:
(c) अन्त्य उत्पाद द्वारा
36. एन्जाइम उत्प्रेरक से भिन्न होते हैं –
(a) प्रोटीन होने के कारण
(b) प्रतिक्रिया में खर्च हो जाने के कारण
(c) उच्च ताप पर कार्य करने के कारण
(d) उच्च विसरण क्षमता होने के कारण।
उत्तर:
(a) प्रोटीन होने के कारण
37. ताला-चाबी सिद्धान्त किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया था –
(a) फीशर
(b) कौसलैण्ड
(c) बुक्नर
(d) कुहने।
उत्तर:
(a) फीशर
38. एन्जाइम सक्रियता के लिए सबसे अच्छा तापक्रम रेंज है –
(a) 30°- 50°
(b) 15°- 25°
(c)20°- 30°
(d) 40°- 50°
उत्तर:
(a) 30°- 50°
39. रासायनिक रूप से प्रकिण्व है –
(a) प्रोटीन
(b) कार्बोहाइड्रेट
(c) वसा
(d) विटामिन।
उत्तर:
(a) प्रोटीन
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- बहुत से सूक्ष्म अणु आपस में मिलकर या संघनित होकर दीर्घ अणुओं का संश्लेषण करते हैं …………. कहलाता है।
- संतृप्त वसीय अम्लों की कार्बन श्रृंखला में …………… बंध पाया जाता है।
- किसी पदार्थ के आयन के साथ व्यवस्थित रूप से जमा हुए जल के अणुओं को ………….. कहते हैं।
- एक अमीनो समूह व एक कार्बोक्सिलिक समूह से मिलकर बने यौगिक को …………… कहते हैं।
- जल का …………. बहुत अधिक होता है इस कारण इसकी सतह जल्दी टूटती नहीं।
- DNA से m – RNA का बनना ………….. कहलाता है।
- अधिकांश एन्जाइम ……………. तापक्रम पर ही क्रियाशील रहते हैं।
- …………… जीवित कोशिकाओं में बनते हैं परन्तु स्वयं जीवित नहीं होते।
- …………… प्रत्येक कोशिका में आवश्यक प्रकिण्वों के संश्लेषण के संदेशवाहक होते हैं।
- प्रकिण्वों के वर्गीकरण का आधार ………….. है।
- पादपों में प्रकिण्व ……………. में होते हैं।
- कार्बोहाइड्रेट में कार्बन, हाइड्रोजन और ………. पाये जाते हैं।
- DNA तथा RNA …………….. के उदाहरण हैं।
- लैक्टोज़ …………. तरह का कार्बोहाइड्रेट है।
उत्तर:
- बहुलीकरण
- एकल बंध
- रुद्ध जल
- अमीनो अम्ल
- पृष्ठ तनाव
- अनुलेखन
- 37°C
- प्रकिण्व
- D.N.A.
- उत्प्रेरित होने वाली क्रिया
- शरीर की सभी जीवित कोशिकाओं
- ऑक्सीजन
- न्यूक्लिक अम्ल
- डाइसैकेराइड्स।
प्रश्न 3.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –
- किसी कोशिका में पाये जाने वाली सभी अणुओं को एक साथ क्या कहते हैं ?
- तंत्रिकीय कार्यों में सहायता एवं रुधिर के थक्का बनने में भूमिका निभाने वाले खनिज का नाम लिखिये।
- सुक्रोज, माल्टोज व लैक्टोज किस डाइसैकेराइड के अंतर्गत आता है ?
- बाल, त्वचा, नाखून, सींग, पंख में उपस्थित प्रोटीन का नाम बताइये।
- चावल में प्रोटीन के अनुपात में क्या ज्यादा पाया जाता है ?
- किस एन्जाइम की क्रियाशीलता के लिये धातु आयन की आवश्यकता होती है।
- वह एन्जाइम जो मंड को शर्करा में बदलता है क्या कहलाता है ?
- “एन्जाइम प्रोटीन है।” बताने वाले वैज्ञानिक का नाम क्या है ?
- जल – अपघटनी एन्जाइम समूह क्या है ?
- कोशिका में उपस्थित संपूर्ण प्रकिण्वों में से कितने प्रतिशत केवल माइटोकॉण्ड्रिया में होते हैं ?
उत्तर:
- कोशिकीय पूल
- पोटैशियम
- ओलिगोसैकेराइड
- किरैटिन
- कार्बोहाइड्रेट
- कोएन्जाइम,
- एमाइलेजेज
- समनर
- एस्टेरेज
- 70%
प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –
उत्तर:
- (c) नाभिक
- (d) कोशिका भित्ति
- (a) म्यूसिन
- (e) दूध
- (b) लिपिड
- (f) प्रोटीन-संश्लेषण।
उत्तर:
- (e) होलोएन्जाइम।
- (d) एन्जाइम
- (a) संदमन
- (b) N.A.D.P.
- (c) स्टार्च
प्रश्न 5.
सत्य / असत्य बताइए –
- एन्जाइम के त्रिआयामी रचना के कारण ये अकार्बनिक उत्प्रेरक की तुलना में अधिक कार्यशील होते हैं।
- प्रकिण्वों में तीन भिन्न प्रकार के बंधन स्थल पाये जाते हैं।
- एन्जाइम में विकृतिकरण कई कारकों से होती है, मुख्य कारक हैं ताप।
- किण्वक एवं उत्प्रेरक में कोई अंतर नहीं होता।
- R.N.A. एवं D.N.A. पॉलीमरेजेज कोशिकाद्रव्य में नहीं केन्द्रक में होते हैं।
- केन्द्रकीय अम्लों के आधार इकाई जो एक नाइट्रोजनी क्षार, एक पेण्टोज शर्करा व एक से तीन तक फॉस्फेट समूह वाले सूक्ष्म जैविक अणु न्यूक्लियोटाइड कहलाते हैं।
- जिन अमीनो अम्लों का संश्लेषण हमारे शरीर की कोशिकाओं में नहीं होता उन्हें गैर अनिवार्य अमीनो अम्ल कहते हैं।
- हाइड्रोकार्बन श्रृंखला का वह सिरा,जो जल के प्रति स्वयं को आकर्षित करता है जल विरागी कहलाता है।
- वे लिपिड, जो अन्य लिपिडों के जलीय अपघटन से बनते हैं वलय संरचना वाले होते हैं सहचारी लिपिड कहलाते हैं।
- प्यूरिन में दो और पिरीमिडीन में एक रिंग वाली संरचना होती है।
उत्तर:
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- सत्य
- असत्य
- असत्य
- सत्य
- सत्य।
जैव अणु अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
किरैटिन किसे कहते हैं ?
उत्तर;
किरैटिन (Keratin) एक प्रकार का सरल ऐल्ब्यूमिनॉइड्स प्रोटीन है, जो जल तथा सभी उदासीन विलायकों में अविलेय, लेकिन प्रबल अम्लों तथा क्षारों में विलेय होता है। यह संयोजी ऊतकों तथा जन्तुओं के बाह्य आवरण (बाल, नाखून, सींग इत्यादि) में पाया जाता है, इसे स्क्ले रोप्रोटीन भी कहते हैं।
प्रश्न 2.
किन्हीं दो पॉलिसैकेराइड्स के नाम लिखिए, जो कि कोशिका में रक्षक आवरण बनाते हैं।
उत्तर:
- सेल्युलोज-पादप कोशिका भित्ति में।
- काइटिन-कीटों के बाह्य कंकाल तथा कवक कोशिका भित्ति में।
प्रश्न 3.
प्रोटीन के विकृतीकरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
उच्च ताप, दाब तथा दूसरी प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रोटीन की संरचना में पाये जाने वाले कई बन्ध टूट जाते हैं, जिससे उनकी मूल संरचना तथा गुण बदल जाते हैं, इन्हीं परिवर्तनों को प्रोटीन विकृतीकरण कहते हैं।
प्रश्न 4.
केन्द्रकीय अम्ल क्या है ?
अथवा
नाभिकीय अम्ल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सामान्यतः केन्द्रक में उपस्थित उन अम्लों को जो आनुवंशिकता तथा प्रोटीन संश्लेषण के लिए जिम्मेदार होती हैं , केन्द्रकीय अम्ल कहते हैं, ये कोशिकाद्रव्य में भी पाये जाते हैं और दो प्रकार के होते हैं –
- DNA एवं
- RNA I
प्रश्न 5.
निम्नलिखित जोड़ी के शब्दों में एक-एक अन्तर लिखिए –
- प्यूरीन एवं पिरिमिडीन
- न्यूक्लियोसाइडं एवं न्यूक्लियोटाइड
- स्टार्च एवं ग्लाइकोजन
- फाइब्रस एवं ग्लोब्यूलर प्रोटीन।
उत्तर:
1. प्यूरीन एवं पिरिमिडीन – प्यूरीन क्षारकों में दो वलय पाये जाते हैं, जबकि पिरिमिडीन क्षारकों में केवल एक ही वलय पाया जाता है।
2. न्यूक्लियोसाइड एवं न्यूक्लियोटाइड – न्यूक्लियोसाइड नाइट्रोजनी क्षार एवं पेण्टोज शर्करा के बने होते हैं, जबकि न्यूक्लियोटाइड एक अणु नाइट्रोजनी क्षारक, एक अणु पेण्टोज शर्करा तथा एक से तीन फॉस्फेट समूहों के बने होते हैं।
3. स्टार्च एवं ग्लाइकोजन- स्टार्च पौधों एवं अनाजों में पाया जाने वाला संगृहीत खाद्य पदार्थ हैं, जबकि ग्लाइकोजन जन्तुओं की यकृत कोशिकाओं तथा पेशियों में संगृहीत खाद्य पदार्थ है।
4. फाइब्रस एवं ग्लोब्यूलर प्रोटीन – फाइब्रस प्रोटीन वे प्रोटीन हैं, जिनमें पेप्टाइड डाइ-सल्फाइड एवं हाइड्रोजन बन्ध लम्बा श्रृंखला के समान अणु बनाते हैं, जबकि ग्लोब्यूलर प्रोटीन ऐसे प्रोटीन हैं, जिनमें बन्ध इस प्रकार स्थित होते हैं कि जिससे ये मुड़ी हुई या लूप जैसे श्रृंखला वाले अणु बनाते हैं।
प्रश्न 6.
डेक्स्ट्रीन क्या है ? इसका महत्व बताइए।
उत्तर:
स्टार्च का आंशिक रूप से जल-अपघटन करने पर डेक्स्ट्रीन प्राप्त होता है अर्थात् यह स्टार्च संश्लेषण की मध्यस्थ अवस्था है। ये जल में घुलनशील होते हैं तथा इनका उपयोग कोशिका के अन्दर चिपकाने वाले एवं जोड़ने वाले पदार्थ के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 7.
काइटिन क्या है ?
उत्तर:
काइटिन एक पॉलिसैकेराइड है, जो ग्लूकोज के ही समान मोनोसैकेराइड का बना होता है, लेकिन इसमें नाइट्रोजन पाया जाता है। आर्थोपोड्स जन्तुओं की कड़ी त्वचा काइटिन की ही बनी होती है। वैसे तो यह नरम चमड़े के समान होता है, लेकिन कैल्सियम कार्बोनेट अथवा प्रोटीन के मिल जाने के कारण कठोर हो जाता है।
प्रश्न 8.
अगर-अगर क्या है ? समझाइए।
उत्तर:
यह समुद्री शैवाल जैसे:
ग्रैसिलैरिया, गेलिडियम, कॉन्ड्रस, जिगारटिनिया आदि में म्यूसिलेज के रूप में पाया जाने वाला एक पॉलिसैकेराइड है, जिनका उपयोग संवर्धन माध्यमों में किया जाता है। यह उदासीन प्रकृति का होता है। इसका उपयोग दवाओं की गोली, सौन्दर्य प्रसाधन के निर्माण में तथा कब्जियत को दूर करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 9.
व्युत्पन्न प्रोटीन क्या हैं ?
उत्तर:
सरल एवं संयुग्मी प्रोटीनों के अपघटन से बने प्रोटीनों को व्युत्पन्न प्रोटीन कहते हैं। ये प्रोटीन के स्वरूप बदलने तथा उनके बन्ध के टूटने से बनते हैं। प्रोटीओज, पेप्टोन्स, डाइपेप्टाइड, ट्राइपेप्टाइड, टेट्रापेप्टाइड इसी श्रेणी में आते हैं। किसी प्रोटीन का जलीय अपघटन करने पर कई मध्यवर्ती उत्पाद (व्युत्पन्न प्रोटीन) बनते हैं, अन्त में अमीनो अम्ल निर्मित होते हैं –
प्रश्न 10.
कोशिका के वृहत् अणुओं के नाम बताइए।
उत्तर:
- कोशिका के वृहत अणु निम्नलिखित हैं –
- पॉलिसैकेराइड
- प्रोटीन
- न्यूक्लिक अम्ल।
प्रश्न 11.
किण्वक को जैव-उत्प्रेरक क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
किण्वक (Enzymes) जीवित कोशिकाओं (जीवों) में होने वाली रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं इस कारण इन्हें जैव उत्प्रेरक (Bio-catalysts) कहते हैं।
प्रश्न 12.
किण्वक संदमन (Enzyme inhibition) क्या है ?
उत्तर;
प्रकृति में कुछ ऐसे पदार्थ पाये जाते हैं, जो प्रकीण्वों की सक्रियता को कम या समाप्त कर देते हैं, उन्हें प्रकीण्व निरोधक कहते हैं, जबकि निरोधन की यह क्रिया प्रकीण्व निरोधन या किण्वक संदमन कहलाती है।
प्रश्न 13.
उत्प्रेरक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
प्रकृति में कुछ ऐसे रसायन पाये जाते हैं, जो रासायनिक क्रियाओं की दर को बढ़ा देते हैं, इन्हें उत्प्रेरक कहते हैं । ये रासायनिक क्रिया में स्वयं भाग नहीं लेते।
प्रश्न 14.
एन्जाइम क्या हैं ? समझाइए।
उत्तर:
जीवों के शरीर में होने वाली रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करने वाले उत्प्रेरकों को जैव उत्प्रेरक या विकर या प्रकिण्व (Enzyme) कहते हैं। ये शरीर से बाहर भी उत्प्रेरक का कार्य कर सकते हैं। रासायनिक दृष्टि से सभी प्रकीण्व ग्लोब्यूलर प्रोटीन होते हैं।
प्रश्न 15.
सम-प्रकीण्व (Isoenzyme) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
कुछ प्रकीण्व अलग-अलग संरचना के होते हुए भी एकसमान कार्य करते हैं, इन्हें सम-प्रकीण्व कहते हैं।
प्रश्न 16.
सक्रियण ऊर्जा (Activation energy) क्या है ? समझाइए।
उत्तर:
सक्रियता ऊर्जा, ऊर्जा की वह मात्रा है जो किसी पदार्थ को क्रियाशील स्थिति में लाने के लिए आवश्यक होती है। इसी ऊर्जा को कम करके एन्जाइम किसी क्रिया की दर को बढ़ा देता है।
प्रश्न 17.
सह-कारक (Co-factors) क्या है ?
उत्तर:
कुछ प्रकिण्वों को क्रियाशील होने के लिए प्रोटीन भाग के अलावा कुछ रासायनिक अवयवों की आवश्यकता होती है। ये अतिरिक्त अवयव ही को-फैक्टर्स कहलाते हैं। ये को-फैक्टर्स अकार्बनिक आयन, जैसे – Fe+2, Mn+2, Zn+2‘ अथवा जटिल कार्बनिक अणु जैसे-विटामिन, थायमीन आदि हो सकते हैं। जब यह अतिरिक्त अवयव कार्बनिक अणु होता है, तब इसे सह-प्रकीण्व (Co-enzyme) कहते हैं।
प्रश्न 18.
प्रोस्थेटिक समूह को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
कुछ प्रकीण्वों का अपने को-फैक्टर अथवा को-एन्जाइम से बहुत गहरा सम्बन्ध नहीं होता, जबकि कुछ प्रकीण्वों के को-फैक्टर अथवा को-एन्जाइम, एन्जाइम के स्थायी अंश बन जाते हैं। ऐसे कोएन्जाइम अथवा को-फैक्टर को प्रोस्थेटिक समूह कहते हैं।
प्रश्न 19.
एन्जाइम के दो सबसे महत्वपूर्ण विशिष्ट लक्षणों को बताइए।
उत्तर:
- उच्च उत्प्रेरकी दक्षता – उत्प्रेरकी दक्षता को इस बात से समझ सकते हैं कि एक औंस पेप्सिन, दो टन अण्डे के एल्बुमिन को 24 से 48 घण्टे में पचा सकते हैं।
- उच्च स्तरीय विशिष्टता – इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक पदार्थ के लिए विशिष्ट प्रकार का एन्जाइम होता है।
प्रश्न 20.
प्रकीण्व तीव्रता से क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कार्बोनिक एनहाइड्रेज एक तीव्रतम कार्य करने वाला प्रकीण्व है। इसका एक अणु प्रति मिनट बिना प्रभावित हुए CO2 के तीन करोड़ साठ लाख अणुओं का जलीय संयोजन कर कार्बोनिक अम्ल में बदल देता है।
प्रश्न 21.
ऐपोएन्जाइम तथा होलोएन्जाइम में अन्तर बताइए।
उत्तर:
प्रकीण्वों के प्रोटीनीय भाग को ऐपोएन्जाइम कहते हैं, जबकि किसी प्रकीण्व के प्रोटीनीय तथा अप्रोटीनीय भाग को एक साथ होलोएन्जाइम कहते हैं।
जैव अणु लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रकिण्वों की क्रियाशीलता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
एन्जाइम क्रिया को प्रभावित करने वाले चार कारकों को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
एन्जाइम क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं –
- प्रकिण्व सान्द्रता – एक निश्चित सीमा तक प्रकिण्व सान्द्रता बढ़ाने पर रासायनिक क्रिया की दर बढ़ती है, लेकिन एक सीमा के बाद किण्वभोज की सान्द्रता न बढ़ाने पर रासायनिक क्रिया प्रभावित नहीं होती, क्योंकि प्रकिण्वों के सक्रिय स्थान खाली रह जाते हैं।
- पदार्थ की सान्द्रता – पदार्थ की सान्द्रता एक सीमा तक बढ़ाने पर रासायनिक क्रिया की दर बढ़ती है, लेकिन सभी सक्रिय स्थान भर जाने पर पदार्थ की सान्द्रता का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- pH सान्द्रता – प्रत्येक प्रकिण्व एक निश्चित pH पर कार्य करता है, इस कारण pH बढ़ाने पर तथा घटाने पर एक सीमा तक रासायनिक क्रिया की दर बढ़ती तथा घटती है।
- तापक्रम – प्रत्येक प्रकिण्व एक निश्चित ताप पर कार्य करता है, इससे कम तथा अधिक ताप करने पर रासायनिक क्रिया की दर घटती है।
- निरोधक – कुछ कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायन भी प्रकिण्व की क्रियाविधि को कम कर देते हैं इन्हें प्रकिण्व निरोधक कहते हैं।
- सक्रिय कारक – वे पदार्थ जो प्रकिण्वों की क्रिया को बढ़ा देते हैं, इन्हें सक्रिय कारक कहते हैं।
- उत्पाद सान्द्रता – यदि जैव-रासायनिक क्रिया में बनने वाले उत्पादों को नहीं हटाया गया तो ये भी रासायनिक क्रिया की दर को घटा देते हैं।
प्रश्न 2.
एक्सो तथा एण्डोएन्जाइम को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
एक्सोएन्जाइम:
वे एन्जाइम हैं, जो कोशिका में बनने के बाद उसी कोशिका में कार्य न करके प्लाज्मा झिल्ली से परासरण की क्रिया द्वारा बाहर आ जाते हैं और जनक कोशिका के बाहर ही उत्प्रेरण का कार्य करते हैं। आहार नाल में पाचन क्रिया हेतु उत्पन्न एन्जाइम पेप्सिन, ट्रिप्सिन आदि इसी श्रेणी में आते एण्डोएन्जाइम-वे एन्जाइम हैं, जो कोशिका के अन्दर ही निर्मित होकर कोशिका के अन्दर ही रासायनिक क्रिया को उत्प्रेरित करते हैं। कोशिकीय श्वसन में कार्य करने वाले माइटोकॉण्ड्रिया के एन्जाइम इसी श्रेणी में आते
प्रश्न 3.
किण्वक के दो जैविक महत्व बताइए।
उत्तर:
महत्व:
- किण्वक (प्रकिण्व) हमारे शरीर में भोजन को पचाकर भोज्य पदार्थों को हमारे शरीर के उपयोग योग्य बनाते हैं।
- प्रकिण्व भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण की क्रियाओं को प्रेरित कर शरीर की ऊर्जा उत्पादन में मदद करते हैं।
प्रश्न 4.
एन्जाइम का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एन्जाइमों का महत्व (Importance of Enzymes):
एन्जाइमों का उपापचयी क्रिया में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है तथा यह जीवन की हर क्रियाओं में सम्मिलित है। ये हमारे शरीर के अन्दर चलने वाली पाचन, स्वांगीकरण, अवशोषण जैसी रासायनिक क्रियाओं में सम्मिलित होकर उसे नियन्त्रित करते हैं। इन्हीं के द्वारा जीवद्रव्य का संश्लेषण होता है, जिनके फलस्वरूप वृद्धि एवं टूट – फूट की मरम्मत सम्भव होती है। ये श्वसन में ऊर्जा मुक्ति का नियन्त्रण करते हैं, जिसका उपयोग श्वसन, पेशीय, शारीरिक एवं मानसिक कार्यों में होता है।
प्रश्न 5.
एन्जाइम एवं अकार्बनिक उत्प्रेरक में कौन-कौन सी समानताएँ होती हैं ?
उत्तर:
समानताएँ:
- क्रियाकारी पदार्थ की तुलना में अकार्बनिक उत्प्रेरक तथा एन्जाइमों की अल्प मात्रा में आवश्यकता पड़ती है।
- दोनों ही क्रिया के पश्चात् अपरिवर्तनीय होते हैं अर्थात् उनमें रासायनिक व मात्रात्मक परिवर्तन नहीं होता।
- दोनों पदार्थ क्रिया के समय क्रियाकारक पदार्थ के साथ थोड़ी देर के लिए संकुल बनाते हैं।
प्रश्न 6.
DNA न्यूक्लियोटाइड कौन-से अणओं से मिलकर बनते हैं?
उत्तर:
DNA के न्यूक्लियोटाइडों के घटक अणु –
न्यूक्लियोटाइड (Nucleotides):
- डी-ऑक्सीराइबो ऐडीनीलिक अम्ल
- डी-ऑक्सीराइबो ग्वानिलिक अम्ल
- डी-ऑक्सीसाइटीडीलिक अम्ल
- डी-ऑक्सीथायमीडीलिक अम्ल
घटक अणु (Component molecule):
- डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा + ऐडीनीन + फॉस्फेट
- डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा + ग्वानीन + फॉस्फेट
- डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा + साइटोसीन + फॉस्फेट
- डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा + थायमीन + फॉस्फेट।
प्रश्न 7.
DNA और RNA में चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
DNA और RNA में अन्तर –
DNA:
- ये मुख्य रूप से केन्द्रक में पाये जाते हैं।
- ये दोहरी न्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के बने होते हैं।
- इनमें डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा पायी जाती है।
- इनमें ऐडीनीन, ग्वानीन, साइटोसीन एवं थायमीन क्षारक पाये जाते हैं।
- इनमें प्यूरीन तथा पिरिमिडीन क्षारकों का अनुपात समान अनुपात समान होता है।
RNA:
- ये मुख्यतः कोशिकाद्रव्य में पाये जाते हैं।
- ये इकहरी न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला के बने होते होते हैं।
- इनमें राइबोज शर्करा पायी जाती है।
- इनमें थायमीन की जगह पर यूरेसिल क्षारक शेष DNA के समान होते हैं।
- इनमें प्यूरीन और पिरिमिडीन का नहीं होता।
प्रश्न 8.
रचनात्मक पॉलिसैकेराइड पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वे पॉलिसैकेराइड जो शरीर निर्माण में भाग लेते हैं, रचनात्मक पॉलिसैकेराइड कहलाते हैं। सेल्युलोज तथा काइटिन इसके प्रमुख उदाहरण हैं-
सेल्युलोज:
यह एक रेशेदार पॉलिसैकेराइड है, जो प्रकृति में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। पौधों की कोशिका भित्ति सेल्युलोज की ही बनी होती है। यह लकड़ी तथा कपास में बहुत अधिक पाया जाता है।
काइटिन:
यह ग्लूकोज के समान अणुओं का बना पॉलिसैकेराइड है, जो आर्थोपोड्स जन्तुओं का बाहरी आवरण बनाता है। Ca तथा प्रोटीन से संयुक्त होकर यह कड़ा हो जाता है।
प्रश्न 9.
आर.एन.ए. की संरचना को समझाइए।
उत्तर:
RNA वह नाभिकीय अम्ल हैं जो पॉलि राइबोन्यूक्लियोटाइड की इकहरी श्रृंखला का बना होता है। राइबोन्यूक्लियोटाइड के निर्माण के समय ऐडीनीन, ग्वानीन, साइटोसिन तथा यूरेसिल में से कोई एक क्षारक राइबोज शर्करा से जुड़कर चार प्रकार के राइबोन्यूक्लियोसाइडों का निर्माण करता है, जो फॉस्फोरिक अम्ल से फॉस्फेट लेकर चार प्रकार के न्यूक्लियोटाइड बनाते हैं। ये न्यूक्लियोटाइड आपस में जुड़कर पॉलि राइबोन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला बना देते हैं। यही शृंखला RNA होती है RNA बनने वाले चारों प्रकार के न्यूक्लियोसाइड तथा न्यूक्लियोटाइड निम्नलिखित हैं –
प्रश्न 10.
RNA के तीन प्रकारों के नाम एवं उनकी संक्षेप में उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
आर.एन.ए. तीन प्रकार के होते हैं उनकी प्रमुख उपयोगिता निम्नानुसार हैं –
1. संदेश वाहक आर.एन.ए. (m – RNA) – ये केन्द्रक में DNA द्विगुणन से बनते हैं तथा इसके सन्देश को न्यूक्लियोटाइडों के विशेष क्रम के रूप में कोशिकाद्रव्य के राइबोसोम तक लाते हैं, जो इन्हीं के अनुसार प्रोटीन का संश्लेषण करता है।
2. स्थानान्तरण आर.एन.ए. (t-RNA) – ये कोशिकाद्रव्य में पाये जाते हैं तथा m-RNA से छोटे होते हैं। ये कोशिकाद्रव्य से विशिष्ट अमीनो अम्लों को राइबोसोम तक पहुँचाते हैं।
3. राइबोसोमल आर.एन.ए. (r-RNA) – ये राइबोसोम में पाये जाते हैं, इनका अणुभार बहुत अधिक होता है इसी में m-RNA के अनुसार अमीनो अम्ल जुड़कर प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम के अन्दर करते हैं।
प्रश्न 11.
ग्लोब्यूलर प्रोटीन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ग्लोब्यूलर प्रोटीन वे प्रोटीन हैं, जिनके बन्ध इस तरह स्थित होते हैं कि इनकी पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला वलयित या लूप के समान हो जाती है। ये जल में घुलनशील होते हैं। जैविक क्रियाओं के महत्वपूर्ण प्रोटीन एन्जाइम इस श्रेणी में आते हैं। ग्लोब्यूलर प्रोटीन की वलयित संरचना को द्वितीयक संरचना कहते हैं। उदाहरण-सभी प्रकीण्व, ऐल्ब्यूमिन, हीमोग्लोबीन तथा सर्प एवं बिच्छू के विष इसी प्रकार के प्रोटीन हैं।
प्रश्न 12.
पेप्टाइड बन्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर:
एक अमीनो अम्ल का अमीनो समूह दूसरे अमीनो अम्ल के कार्बोक्सिलिक समूह से मिलकर जल .एक अणु को विमुक्त करता है तथा एक बन्ध बनाता है, जिसे पेप्टाइड बन्ध कहते हैं। बहुत से अमीनो अम्ल इसी बन्ध के द्वारा जुड़कर पॉलिपेप्टाइड अर्थात् प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं –
प्रश्न 13.
अकार्बनिक उत्प्रेरक तथा एन्जाइम में अन्तर लिखिए।
अथवा
एन्जाइम एवं उत्प्रेरक में अन्तर लिखिये।
उत्तर:
अकार्बनिक उत्प्रेरक तथा एन्जाइम में अन्तर –
अकार्बनिक उत्प्रेरक (Inorganis catalyst):
- ये खनिज आयनों के छोटे अणु होते हैं।
- ये कई क्रियाओं को उत्प्रेरित कर सकते हैं।
- इनकी सक्रियण के लिए अन्य पदार्थों की आवश्यकता नहीं होती। करते हैं।
- ये pH के प्रति कम संवेदनशील होते हैं।
एन्जाइम (Enzyme):
- ये जटिल रचना वाले प्रोटीन होते हैं।
- ये केवल एक या कुछ विशिष्ट क्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं।
- कुछ विशेष अणु इनकी क्रियाशीलता को नियन्त्रित आवश्यकता नहीं होती। करते हैं।
- ये pH के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
प्रश्न 14.
एन्जाइम के दो सबसे महत्वपूर्ण विशिष्ट लक्षणों को बताइए।
उत्तर:
- उच्च उत्प्रेरकीय दक्षता – उत्प्रेरकीय दक्षता को इस बात से समझ सकते हैं कि एक औंस पेप्सिन, दो टन अण्डे के ऐल्ब्यूमिन को 24 से 28 घण्टे में पचा सकते हैं।
- उच्च स्तरीय विशिष्टता – इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक पदार्थ के लिए विशिष्ट प्रकार का एन्जाइम होता है।
प्रश्न 15.
सक्रिय क्षेत्र (Active site) क्या है ? समझाइए।
उत्तर:
प्रकिण्वों के अणुओं में कुछ ऐसे स्थान पाये जाते हैं, जिससे क्रियाधार जुड़ते हैं, इन स्थानों से क्रियाधारों का ज्यादा लगाव होता है, इन स्थानों को ही सक्रिय स्थान कहते हैं। इनका स्वरूप निश्चित होता है, यदि यह स्वरूप बदल जाय तो प्रकिण्व उत्प्रेरण का कार्य नहीं कर पाता। सक्रिय स्थान वास्तव में रासायनिक बन्धों के स्थान होते हैं।
प्रश्न 16.
एन्जाइम किसे कहते हैं ? इनकी विशिष्टताओं को समझाइए।
उत्तर:
एन्जाइम की परिभाषा:
जीव शरीर में होने वाली रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करने वाले उत्प्रेरकों को जैव-उत्प्रेरक या विकर या प्रकीण्व (Enzyme) कहते हैं। ये शरीर से बाहर भी उत्प्रेरक का कार्य कर सकते हैं। रासायनिक दृष्टि से सभी प्रकिण्व ग्लोब्यूर प्रोटीन होते हैं।
एन्जाइम की विशिष्टताएँ:
- सभी एन्जाइम ग्लोब्यूलर प्रोटीन होते हैं।
- ये जीवित कोशिकाओं में बनते हैं और जैविक क्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं, लेकिन जीव कोशिका के बाहर भी कार्य कर सकते हैं।
- ये सूक्ष्म मात्रा में ही रासायनिक क्रिया को उत्प्रेरित कर देते हैं तथा क्रिया के बाद भी अप्रभावी रहते हैं।
- ये कोलॉइडल प्रकृति के होते हैं तथा क्रिया की गति बढ़ाने के साथ कभी-कभी इसको प्रारम्भ भी करते
- ये 24-25°C पर क्रियाशील रहते हैं 37°C ताप सबसे अधिक उपयुक्त है। ये 60°C या उससे ऊपर नष्ट हो जाते हैं।
- ये जीवद्रव्य में घुलित अवस्था में पाये जाते हैं।
- एक विशेष प्रकार का एन्जाइम विशेष क्रिया को ही उत्प्रेरित करता है।
- ये एक विशेष pH पर ज्यादा सक्रिय होते हैं।
- एन्जाइम क्रियाधार के अणुओं की सक्रियण ऊर्जा को कम करके अभिक्रिया को उत्प्रेरित करते हैं।
प्रश्न 17.
प्रोटीन के चार प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
कार्य:
- प्रोटीन जीव तन्त्र के संरचनात्मक घटक के रूप में कार्य करते हैं।
- ये एन्जाइम के रूप में जैव-उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।
- ये कोशिका झिल्ली के अन्दर उपस्थित रहकर विभिन्न तत्वों एवं यौगिकों के स्थानान्तरण के लिए। वाहक का कार्य करते हैं।
- कुछ प्रोटीन हॉर्मोन (जैसे-इन्सुलिन) के रूप में नियन्त्रण एवं समन्वय का कार्य करते हैं।
- ये आवश्यकतानुसार टूटकर शरीर को ऊर्जा भी देते हैं।
प्रश्न 18.
प्रोटीन की परिभाषा लिखकर इनकी उपयोगिता संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
प्रोटीन जीवद्रव्य में पाये जाने वाले जटिल कार्बनिक यौगिक हैं, जो अमीनो अम्लों के बहुलीकरण से बनते हैं। कुल 20 पकार के अमीनो अम्ल विभिन्न प्रकार के क्रमों में व्यवस्थित होकर तथा एक-दूसरे से पेप्टाइड बन्ध द्वारा जुड़कर हजारों प्रकार के प्रोटीनों का निर्माण करते हैं। जन्तु शरीर का लगभग 20% भाग प्रोटीनों का ही बना होता है।
प्रश्न 19.
वॉटसन तथा क्रिक द्वारा प्रस्तुत DNA का प्रतिरूप बनाइए।
उत्तर:
वॉटसन तथा क्रिक द्वारा प्रस्तुत DNA का प्रतिरूप चित्रानुसार है –
प्रश्न 20.
DNA द्विगुणन को समझाइए।
उत्तर:
DNA की श्रृंखला अपने ही समान दूसरी श्रृंखला बना सकती है, DNA की इसी क्रिया को DNA द्विगुणन कहते हैं। वॉटसन एवं क्रिक के अनुसार द्विगुणन के समय DNA की दोनों श्रृंखलाओं के क्षारों के हाइड्रोजन बन्ध टूट जाते हैं फलतः दोनों शृंखलाएँ अलग हो जाती हैं। प्रत्येक कोशिका के कोशिकाद्रव्य तथा केन्द्रक में स्वतन्त्र न्यूक्लियोटाइड्स पाये जाते हैं, ये DNA की इकहरी श्रृंखला के न्यूक्लियोटाइड के साथ जोड़ी बना देते हैं, स्वतन्त्र ऐडीनीन न्यूक्लियोटाइड, खुली शृंखला के थायमीन न्यूक्लियोटाइड और ग्वानीन, साइटोसिन न्यूक्लियोटाइड से जुड़ते हैं। इसके बाद शर्करा अणु अपने फॉस्फेट घटक से जुड़कर खुली श्रृंखला के ही समान नई श्रृंखला बना देते हैं। इस प्रकार प्रत्येक खुली श्रृंखला पुनः नया कुण्डलित DNA बना देती है।
प्रश्न 21.
संयुग्मी प्रोटीन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखकर कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सरल प्रोटीन के साथ जब कोई गैस प्रोटीन भाग जुड़ जाता है, तब इसे संयुग्मी प्रोटीन कहते हैं। इस प्रोटीन का गैर प्रोटीन भाग प्रोस्थेटिक समूह कहलाता है अर्थात् संयुग्मी प्रोटीन का जलीय – अपघटन कराने पर अमीनो अम्लों के साथ एक अप्रोटीनीय भाग भी प्राप्त होता है। प्रोटीन + प्रोस्थेटिक समूह → संयुग्मी प्रोटीन उदाहरण – हीमोग्लोबिन, लेसीथिन।
ग्लोबिन + हीम → हीमोग्लोबिन
प्रोटीन + लिपिड → लिपोप्रोटीन (लेसीथिन)
संयुग्मी प्रोटीनों का वर्गीकरण उनमें उपस्थित प्रोस्थेटिक समूह के आधार पर करते हैं, जैसे-न्यूक्लियोप्रोटीन, म्यूकोप्रोटीन, क्रोमोप्रोटीन, फॉस्फोप्रोटीन तथा मैटेलोप्रोटीन।
प्रश्न 22.
केन्द्रकीय अम्लों के कार्यों की विवेचना कीजिए।
अथवा
केन्द्रकीय अम्लों की उपयोगिता समझाइए।
उत्तर:
केन्द्रकीय अम्ल हमारे लिए बहुत अधिक उपयोगी होते हैं, उनके प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं –
- ये आनुवंशिक गुणों की इकाई की तरह कार्य करते हैं। पादप विषाणुओं में जिनके आनुवंशिक गुणों का वहन RNA द्वारा होता है। शेष का DNA द्वारा होता है।
- ये प्रकीण्वों (प्रोटीन) का निर्माण करते हैं।
- ये प्रोटीन संश्लेषण के द्वारा शरीर की उपापचयी क्रियाओं का नियन्त्रण करते हैं।
- ये गुणसूत्रों का निर्माण करते हैं।
- RNA वृद्धि की तीव्रता को बढ़ाता है।
- ये जीवों में उत्परिवर्तन तथा जैव-विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं।
जैव अणु दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कोशिका के वृहत् अणु से क्या तात्पर्य है ? प्रमुख वृहत् अणुओं का नाम लिखकर किसी एक का सम्पूर्ण विवरण दीजिए।
उत्तर:
कोशिका के वृहत् अणु:
कोशिका के सूक्ष्म अणुओं के बहुलीकरण से बने निम्नलिखित गुणधर्म वाले यौगिकों को कोशिका का वृहत् अणु कहते है –
- इनके अणु रासायनिक दृष्टि से बड़े होते हैं।
- इनका अणुभार अपेक्षाकृत अधिक होता है।
- इनकी विलेयशीलता कम होती है।
- इनकी आण्विक संरचना सरल शाखित या अशाखित एवं कुण्डलित हो सकती है।
- ये सूक्ष्म अणुओं के बहुलक होते हैं।
कोशिका के प्रमुख वृहत् अणु –
- पॉलिसैकेराइड
- प्रोटीन
- न्यूक्लिक अम्ल।
पॉलिसैकेराइड:
पॉलिसैकेराइड अणु बहुलीकरण द्वारा पॉलिसैकेराइड का निर्माण करते हैं अर्थात् पॉलिसैकेराइड वे कार्बोहाइड्रेट हैं, जो जलीय अपघटन कराने पर 10 या अधिक मोनोसैकेराइड अणु देते हैं। इनका मूलानुपाती सूत्र (C6H10O5), होता है। इनमें ‘n’ का मान 11 से लेकर 10,000 तक हो सकता है। ये दो प्रकार के होते हैं –
1. खाद्य संग्रह करने वाले पॉलिसैकेराइड:
ये पॉलिसैकेराइड हैं, जीव शरीर में भोज्य पदार्थों के संग्रहण का कार्य करते हैं। स्टार्च, अगर, गोंद, पेक्टिन, प्रमुख पादपों के तथा ग्लाइकोजन प्रमुख जन्तुओं के खाद्य संग्रह करने वाले पॉलिसैकेराइड हैं।
2. रचनात्मक पॉलिसैकेराइड:
वे पॉलिसैकेराइड जो शरीर निर्माण में भाग लेते हैं, रचनात्मक पॉलिसैकेराइड कहलाते हैं। सेल्युलोज तथा काइटिन इसके प्रमुख उदाहरण हैं-
सेल्युलोज:
यह एक रेशेदार पॉलिसैकेराइड है, जो प्रकृति में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। पौधों की कोशिका भित्ति सेल्युलोज की ही बनी होती है। यह लकड़ी तथा कपास में बहुत अधिक पाया जाता है।
काइटिन:
यह ग्लूकोज के समान अणुओं का बना पॉलिसैकेराइड है, जो आर्थोपोड्स जन्तुओं का बाहरी आवरण बनाता है। Ca तथा प्रोटीन से संयुक्त होकर यह कड़ा हो जाता है।
पॉलिसैकेराइड की उपयोगिता –
- पॉलिसैकेराइड जीव संरचना के प्रमुख अवयव हैं।
- ये जीवों के संचित भोज्य पदार्थ का कार्य करते हैं और टूटकर ऊर्जा देते हैं।
- ये जीवों की कोशिका (सेल्युलोज) एवं शरीर (काइटिन) के लिए रक्षक आवरण बनाते हैं।
- म्यूसिलेज के रूप में ऊतकों तथा कोशिकाओं को बाँधने का कार्य करते हैं।
उपर्युक्त जैविक उपयोगों के अलावा इनका उपयोग व्यावहारिक रूप से कपड़ा, रस्सी, वार्निश, फोटोग्राफी, स्टार्च, ऐल्कोहॉल, खिलौने, बटन, कंघा इत्यादि बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 2.
नाभिकीय अम्ल किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ? इनकी क्या उपयोगिता है ?
उत्तर:
नाभिकीय अम्ल C, H, O, N व फॉस्फोरस के बने न्यूक्लियोटाइड्स के बहुलक अर्थात् पॉलिन्यूक्लियोटाइड्स हैं, जो जीवों के आनुवंशिक गुणों का नियन्त्रण करते हैं। इनको बनाने वाले न्यूक्लियोटाइड्स एक अणु नाइट्रोजनी क्षार, एक अणु पेण्टोज शर्करा तथा एक से तीन अणु फॉस्फेट समूहों के बने होते हैं। इनके नाइट्रोजनी क्षार दो प्रकार के होते हैं –
1. प्यूरीन:
- ऐडीनीन
- ग्वानीन।
2. पिरिमिडीन:
- साइटोसीन
- थायमीन
- यूरेसिल।
इनकी पेण्टोज शर्कराएँ दो प्रकार की होती हैं –
- राइबोज शर्करा
- डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा।
सबसे पहले नाइट्रोजनी क्षार शर्करा से मिलकर न्यूक्लियोसाइड बनाते हैं। इनके बाद इनसे फॉस्फेट समूह जुड़कर न्यूक्लियोटाइड बना देते हैं। ये न्यूक्लियोसाइड जुड़कर पॉलि न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला बना देते हैं। यह श्रृंखला ही संगठित होकर नाभिकीय अम्ल बना देती है।
नाभिकीय अम्लों के प्रकार-नाभिकीय अम्ल दो प्रकार के होते हैं –
- डी – ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक ऐसिड या DNA
- राइबोन्यूक्लिक ऐसिड या RNA I
प्रश्न 3.
एन्जाइमों के जैविक महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एन्जाइमों के जैविक महत्व:
1. जैव:
रासायनिक विश्लेषण में चिकित्सा हेतु हमें अपने शरीर के अनेक पदार्थों का विश्लेषण करवाना होता है। यूरिएज नामक एन्जाइम का उपयोग रक्त में उपस्थित यूरिक अम्ल तथा यूरिया की मात्रा ज्ञात करने के लिए किया जाता है। इसी प्रकार सुक्रोज एवं रेफीनेज की मात्रा क्रमशः सुक्रेज तथा मेलीबायेज एन्जाइम की सहायता से ज्ञात की जाती है।
2. रक्त के थक्के घोलने में:
उच्च रक्त चाप के कारण कभी-कभी मस्तिष्क तथा धमनियों में रक्त के थक्के बनकर जमा हो जाते हैं, यह जान लेवा होता है, इन थक्कों को यूरोमाइसेज नामक एन्जाइम द्वारा हटाया जाता है।
3. रक्त के समूह में परिवर्तन:
हमारे नवीन शोधों के अनुसार मानव का रक्त समूह R. B.Cs. में उपस्थित शर्कराओं के द्वारा निर्धारित होता है। इन शर्कराओं पर विशिष्ट एन्जाइम पाये जाते हैं। इन एन्जाइम द्वारा विघटित करके रक्त समूह A, B या AB को रक्त समूह 0 में बदला जाता है।।
4. त्वचा से बालों को हटाना:
चमड़ा उद्योग या शृंगार हेतु त्वचा को हटाना आवश्यक होता है। यह कार्य अग्न्याशयी एन्जाइम्स की सहायता से किया जाता है।
5. घावों को भरना:
मनुष्य के घावों को भरने के लिए सुअर के अग्न्याशय से प्राप्त प्रोटीन पाचक एन्जाइम का उपयोग किया जाता है। ये एन्जाइम मानव शरीर के प्रोटीन पाचक एन्जाइम को घाव के स्थान से नष्ट करते हैं।
6. मक्खन निर्माण में:
जन्तु रेनिन या रीनेट का उपयोग प्रमुख रूप से मक्खन एवं चीज बनाने में किया जाता है। वास्तव में यह दूध में उपस्थित कैसीन नामक प्रोटीन को आपस में जोड़कर चीज़ एवं मक्खन को अलग कर देता है।
7. फलों के रस उत्पादन में:
अंगूर, सेब आदि फलों से प्राप्त रस के शोधन के लिए कुछ एन्जाइम का प्रयोग किया जाता है। इस कार्य के लिए खासकर पेक्टिनेज नामक एन्जाइम महत्वपूर्ण होता है। यह रस में उपस्थित पेक्टिन को नष्ट कर रस को अधिक स्वादिष्ट बनाता है। उदाहरण – एल्कोहॉल उत्पादन समस्त विश्व में यीस्ट द्वारा या इससे प्राप्त इन्वर्टेज एवं जाइमेज नामक एन्जाइम की सहायता से किया जाता है।