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MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन
हाइड्रोजन NCERT अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में इसकी स्थिति को युक्तिसंगत ठहराइए।
उत्तर:
हाइड्रोजन आवर्त सारणी में स्थित प्रथम तत्व है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s1 है। यह क्षार धातुओं की भाँति, एक इलेक्ट्रॉन का त्याग करके H+ आयन बना सकता है। यह हैलोजनों की भाँति, एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके H आयन भी बना सकता है। क्षारीय धातुओं की भाँति यह ऑक्साइड, हैलाइड तथा सल्फाइड बनाता हैं। यद्यपि क्षारीय धातुओं के विपरीत इसकी आयनन एन्थैल्पी उच्च होती है तथा सामान्य स्थितियों में यह धात्विक व्यवहार प्रदर्शित नहीं करता है। वास्तव में आयनन एन्थैल्पी के पदों में यह हैलोजनों से अधिक समानता प्रदर्शित करता है।
हैलोजनों के समान, यह द्विपरमाणुक अणु बनाता है, तत्वों से क्रिया करके हाइड्राइड तथा अनेक सहसंयोजी यौगिक बनाता है। यद्यपि हैलोजनों के विपरीत इसकी क्रियाशीलता बहुत कम होती हैं। अतः उपरोक्त गुणों के आधार पर, आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को क्षार धातुओं के साथ वर्ग-1 तथा प्रथम आवर्त अथवा हैलोजन के साथ वर्ग-17 तथा प्रथम आवर्त में रखना चाहिए। यद्यपि क्षार धातुओं तथा हैलोजनों के साथ गुणों में समानता के साथ-साथ, यह क्षार धातुओं तथा हैलोजनों के साथ गुणों में विभिन्नता भी दर्शाता है। अत: इसे आवर्त सारणी में पृथक स्थान दिया जाना चाहिए।
प्रश्न 2.
हाइड्रोजन के समस्थानिकों के नाम लिखिए तथा बताइए कि इन समस्थानिकों का दव्यमान अनुपात क्या है ? ।
उत्तर:
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक है-प्रोटियम \(\left(_{1}^{1} \mathrm{H}\right)\), ड्यूटीरियम (\(\left(_{1}^{2} \mathrm{H}\right)\) या D) और ट्रीटियम (\(\left(_{1}^{3} \mathrm{H}\right)\)या T)। तीनों समस्थानिकों का द्रव्यमान अनुपात है –
प्रश्न 3.
सामान्य परिस्थितियों में हाइड्रोजन एक परमाण्विक की अपेक्षा द्विपरमाण्विक रूप में क्यों पाया जाता है ?
उत्तर:
एक परमाणुक रूप में हाइड्रोजन के प्रथम कोश में एक इलेक्ट्रॉन (1s1) होता है जबकि द्विपरमाणुक अवस्था का प्रथम कोश पूर्ण (1s2)होता है। इसका तात्पर्य है कि द्विपरमाणुक रूप में हाइड्रोजन (H2) उत्कृष्ट गैस हीलियम का विन्यास प्राप्त कर लेता है। अतः यह काफी स्थायी होती है।
प्रश्न 4.
कोल गैसीकरण से प्राप्त डाइ-हाइड्रोजन का उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर:
कोल गैसीकरण अभिक्रिया में, जल की वाष्प को प्रवाहित करके CO और H2 का मिश्रण बनाया जाता है जिसे सिन गैस भी कहा जाता है
कोल भाप सिन गैस डाइहाइड्रोजन का उत्पादन सिन गैस में उपस्थित CO(g) की आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप के साथ क्रिया द्वारा बढ़ाया जा सकता है।
CO(g) या CO2(g) के निकलने के साथ ही अभिक्रिया अग्र दिशा में विस्थापित हो जाती है।
प्रश्न 5.
विद्युत् – अपघटन विधि द्वारा डाइहाइड्रोजन वृहत् स्तर पर किस प्रकार बनाई जा सकती है? इस प्रक्रम में वैद्युत-अपघट्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर:
अम्लीकृत जल का प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों द्वारा वैद्युत – अपघटन करने पर हाइड्रोजन प्राप्त होती है।
वैद्युत अपघट्य की भूमिका जल का चालन करना है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए –
उत्तर:
प्रश्न 7.
डाइहाइड्रोजन की अभिक्रियाशीलता के पदों में H – H बन्ध की उच्च एन्थैल्पी के परिणामों की विवेचना कीजिए?
उत्तर:
H – H आबन्ध की उच्च आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी के कारण, हाइड्रोजन कमरे के तापमान पर अपेक्षाकृत अक्रियाशील रहती है । यद्यपि उच्च तापों पर अथवा उत्प्रेरक की उपस्थिति में, यह अनेक धातुओं तथा अधातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्राइड बनाती है।
प्रश्न 8.
हाइड्रोजन के –
- इलेक्ट्रॉन न्यून
- इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध तथा
- इलेक्ट्रॉन समृद्ध यौगिकों से आप क्या समझते हैं? उदाहरणों द्वारा समझाइए।
उत्तर:
1. इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड:
इन हाइड्राइड्स की लुईस संरचना लिखने पर, इनमें इलेक्ट्रॉन की संख्या अपर्याप्त है, इसका उदाहरण डाइबोरेन [B2H6] है। अतः आवर्त सारणी के 13वें वर्ग के सभी तत्वों के हाइड्राइड इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक बनाते हैं, BH3, AIH3, GaH3, InH3, TIH3 से लुईस अम्ल की भाँति कार्य करते हैं।
2. इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध हाइड्राइड:
इन हाइड्राइड की लुईस संरचना में इनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर्याप्त होती है। [8e–s] आवर्त सारणी के वर्ग 14 के तत्वों के हाइड्राइड इसके अन्तर्गत आते हैं। इनकी आकृति चतुष्फलकीय होती है।
उदाहरण – CH4, SiH4, GeH4, SnH4, PbH4
3. इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड:
- इन हाइड्राइड्स में उपस्थित केन्द्रीय परमाणु पर इलेक्ट्रॉन आधिक्य एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होते हैं।
- आवर्त सारणी के वर्ग 15, वर्ग 16 व वर्ग 17 के तत्वों के हाइड्राइड इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड्स कहलाते हैं।
प्रश्न 9.
संरचना एवं रासायनिक अभिक्रिया के आधार पर बताइए कि इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड के कौन-कौन से अभिलक्षण होते हैं ?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइडों में सामान्य सहसंयोजी आबंधों के निर्माण हेतु इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर्याप्त नहीं होती है। उदाहरण के लिए, BF3, में B (F : \(\overset { F }{ \underset { B }{ ¨ } } \) : F) के संयोजी कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इन हाइड्राइडों का आकार त्रिकोणीय समतलीय होता है।
ये हाइड्राइड लुईस अम्ल अर्थात् इलेक्ट्रॉन ग्राही के भाँति कार्य करते हैं। जैसे –
इलेक्ट्रॉनों की कमी पूरा करने के लिए, ये हाइड्राइड बहुलक के रुप में पाये जाते हैं। जैसे – B2H4 B4H10, (AlH3)n आदि। ये हाइड्राइड अत्यधिक क्रियाशील होते हैं। ये धातुओं, अधातुओं तथा उनके यौगिकों के साथ सुगमतापूर्वक क्रिया करते हैं। उदाहरण के लिए –
B2H6(g) + 3O6(g) → B2O6(s) + 3H2O(g)
प्रश्न 10.
क्या आप आशा करते हैं कि (CnH2n+2) कार्बनिक हाइड्राइड्स लुईस अम्ल या क्षार की भाँति कार्य करेंगे ? अपने उत्तर को युक्तिसंगत ठइराइए।
उत्तर:
(CnH2n+2) प्रकार के कार्बन हाइड्राइड, इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड है। इनके पास सहसंयोजी आबंध बनाने हेतु पर्याप्त इलेक्ट्रॉन हैं। अतः ये न तो लुईस अम्ल और न ही लुईस क्षार की भाँति व्यवहार करेंगे।
प्रश्न 11.
अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड (Non stoichiometric hydride) से आप क्या समझते हैं ? क्या आप क्षारीय धातुओं से ऐसे यौगिकों की आशा करते हैं ? अपने उत्तर को न्यायसंगत ठहराइए।
उत्तर:
ये हाइड्राइड अनेक d – ब्लॉक के तत्वों (वर्ग – 7, 8 तथा 9 की धातुओं को छोड़कर) तथा fब्लॉक के तत्वों द्वारा बनते हैं। हाइड्राइड सदैव अरससमीकरणमितीय अर्थात् हाइड्रोजन की कमी वाले होते हैं। इन हाइड्राइडों में हाइड्रोजन परमाणु अंतरकाशी स्थानों को घेरता है।
उदाहरण – LaH2.87, YbH2.55, TiH15-1.8, PdH0.6-0.8आदि।
इस प्रकार के हाइड्राइड क्षारीय धातुओं द्वारा नहीं प्राप्त किए जा सकतें हैं। क्षारीय धातुओं द्वारा आयनिक अथवा लवणीय हाइड्राइड प्राप्त होते हैं। जो रससमीकरणमितीय होते है। क्षारीय धातुएँ अत्यधिक धनविद्युती होती है अतः ये इलेक्ट्रॉन H-परमाणु को स्थानांतरित करके H आयन बनाती है। ये H आयन जालक की रिक्तियों में समा जाते हैं।
प्रश्न 12.
हाइड्रोजन भण्डारण के लिए धात्विक हाइड्राइड किस प्रकार उपयोगी है ? समझाइए।
उत्तर:
कुछ धातुएँ जैसे पैलेडियम (Pd), प्लेटिनम (Pt) आदि अपनी हाइड्राइड बनाने वाली सतह पर हाइड्रोजन के विशाल आयतन को अवशोषित करने की क्षमता रखती हैं। वास्तव में हाइड्रोजन (H) परमाणुओं के रूप में धातु के पृष्ठ पर वियोजित हो जाता है। इन परमाणुओं को समायोजित करने के लिए धातु जालक फैल जाता है और गर्म करने पर अधिक अस्थायी हो जाता है।
हाइड्राइड हाइड्रोजन मुक्त करके पुनः धात्विक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इसी तरीके से उत्पन्न हाइड्रोजन ईंधन की तरह प्रयुक्त हाइड्रोजन के संग्रहण एवं परिवहन में प्रयुक्त की जा सकती है। अतः धातु हाइड्राइड हाइड्रोजन अर्थ-व्यवस्था में बहुत उपयोगी भूमिका निभाता है।
प्रश्न 13.
बर्तन और वेल्डिंग में परमाण्विय हाइड्रोजन अथवा ऑक्सी हाइड्रोजन टॉर्च किस प्रकार कार्य करती है ? समझाइए।
उत्तर:
धात्विक हाइड्राइडों में हाइड्रोजन, H-परमाणु के रुप में अधिशोषित हो जाती है। संक्रमण धातुओं में हाइड्रोजन परमाणु के इस अधिशोषण का प्रयोग हाइड्रोजन भंडारण के रुप में होता हैं । Pd, Pt जैसी धातुएँ हाइड्रोजन के वृहत् आयतन को समायोजित कर सकती हैं । इस गुण की हाइड्रोजन भंडारण तथा ऊर्जा स्रोत के रुप में प्रयोग की प्रबल संभावना है। धात्विक हाइड्राइड गर्म करने पर अपघटित होकर हाइड्रोजन तथा अंतिम धातु देते हैं।
प्रश्न 14.
NH3, H2O तथा HF में से किसका हाइड्रोजन बन्ध का परिमाण उच्चतम अपेक्षित है और क्यों ?
उत्तर:
चूँकि F की वैद्युतऋणात्मकता का मान अधिकतम है। अत: HF में हाइड्रोजन पर धनावेश तथा फ्लुओरीन पर ऋणावेश का परिमाण सर्वाधिक होगा जिसके कारण H आबंधन का स्थिर वैद्युत आकर्षण बल H-F में अधिकतम होगा।
प्रश्न 15.
लवणीय हाइड्राइड, जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके झाग उत्पन्न करती है। क्या इसमें CO2 (जो एक सुपरिचित अग्निशामक है) का उपयोग हम कर सकते हैं ? समझाइए।
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइड (NaH या CaH2) जल के साथ क्रिया करता है तो अभिक्रिया इतनी ज्यादा ऊष्माक्षेपी होती है कि उत्पन्न हाइड्रोजन आग पकड़ लेती है।
उदाहरण के लिए –
- NaH(s) + H2O(aq) → NaOH(aq) + H2(g) + ऊष्मा
- CaH2(s) + 2H2O(aq) → Ca(OH)2(aq) + 2H2(g)
प्रायः अग्निशामक के रूप में प्रयोग की जाने वाली CO2 को इस स्थिति में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह अभिक्रिया में निर्मित हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया करके कार्बोनेट बनाएगी। इससे अग्र अभिक्रिया की दर बढ़ जाएगी।
2NaOH(aq) + CO2(g) → Na2CO3(aq) + H2O(aq)
प्रश्न 16.
निम्नलिखित को व्यवस्थित कीजिए –
- CaH2, BeH2, तथा TiH2, को उनकी बढ़ती हुई विद्युत् चालकता के क्रम में
- LiH, NaH तथा CSH आयनिक गुण के बढ़ते हुए क्रम में
- H-H, D-D तथा F_F को उनके बन्ध – वियोजन एन्थैल्पी के बढ़ते हुए क्रम में
- NaH, MgH2, तथा H2O को बढ़ते हुए अपचायंक गुण के क्रम में।
उत्तर:
1. BeH2 < CaH2 < TiH2
2. बढ़ता हुआ आयनिक गुण LiH < NaH < CsH
बढ़ता हुआ आयनिक गुण LiH < NaH < CsH क्रम में घटता है। यह आयनिक गुण पर विपरीत प्रभाव डालता है अर्थात् उपर्युक्त के अनुसार बढ़ जाता है।
3. बढ़ती हुई बन्ध वियोजन एन्थैल्पी – F – F < H – H < D – D
कारण:
फ्लुओरीन की बन्ध-वियोजन एन्थैल्पी दो F परमाणुओं पर उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के एकाकी युग्मों में प्रतिकर्षण के कारण बहुत कम (242.6 kJ mol-1) होता है। H2 और D2 में से H-H की बन्धवियोजन एन्थैल्पी (435.88 kJ mol-1) D-D (443:35 kJ mol-1) की अपेक्षा कम होती है।
4. बढ़ता हुआ अपचायक गुण H2O < MgH2 < NaH
कारण – NaH आयनिक प्रकृति का होता है। अतः यह प्रबल अपचायक होता है। H2O और MgH2 सहसंयोजी प्रकृति के होते हैं। परन्तु H2O की आबन्ध वियोजन ऊर्जा अत्यधिक होती है। अत: यह MgH2 से अधिक दुर्बल अपचायक है।
प्रश्न 17.
H2O तथा H2O2 की संरचनाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर:
जल में ऑक्सीजन sp3 – संकरित है।
आबंध युग्म:
आबंध युग्म प्रतिकर्षण की अपेक्षा एकाकी युग्म प्रतिकर्षण की प्रबलता के कारण, HOH आबंध कोण 109.5° से 104.5° तक घट जाता है। जिसके कारण जल की संरचना बंधित होती है।
यह एक प्रबल ध्रुवीय अणु है। हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना अध्रुवीय होती है। H2O2 के द्विध्रुव आघूर्ण का मान दर्शाता है कि H2O2के चारों परमाणु एक ही तल में स्थित नहीं होते हैं। H2O2 की संरचना की तुलना 94° कोण पर खुली हुई किताब से कर सकते हैं। इसमें H – O – H आबंध कोण 97° का होता है।
प्रश्न 18.
जल के स्वतः प्रोटोनीकरण से आप क्या समझते हैं ? इसका क्या महत्व है ?
उत्तर:
जल के स्वतः प्रोटोनीकरण का तात्पर्य जल का स्वतः आयनीकरण होता है –
स्वतः प्रोटोनीकरण के कारण, जल की प्रकृति उभयधर्मी होती है। अतः यह अम्लों तथा क्षारों दोनों से क्रिया करता है। उदाहरण के लिए –
प्रश्न 19.
F2 के साथ जल की अभिक्रिया से ऑक्सीकरण तथा अपचयन के पदों पर विचार कीजिए एवं बताइए कि कौन-सी स्पीशीज ऑक्सीकृत/अपचयित होती है ?
उत्तर:
इन अभिक्रियाओं में, जल अपचायक का कार्य करता है। अतः यह स्वयं ऑक्सीजन अथवा ओजोन में ऑक्सीकृत हो जाता है। क्लोरीन ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करती है तथा स्वयं F आयन में अपचयित हो जाती है।
प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए –
- Pb(s) + H202(aq) →
- MnO–4(aq) + H202(aq)) →
- Ca0(s) + H2O(g) →
- AlCl3(g) + H2O(l) →
- Ca3N2(s) + H2O(l) →
उपर्युक्त को –
- जल – अपघटन
- अपचयोपचय (Redox) तथा
- जलयोजन अभिक्रियाओं में वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
- PbS(s) + 4H2O2(aq) → PbSO4(s)+ 4H2O(l)(अपचयोपचय अभिक्रिया)
- 2MnO–4(aq) + 6H+(aq) + 5H2O2(aq) → 2Mn 2+(aq) + 8H2O(l) + 5O2(g) (अपचयोपचय अभिक्रिया)
- CaO(s) + H2O(g) → Ca(OH)2(aq) (जलयोजन अभिक्रिया)
- AlCl3(g) + 3H2O(l) → Al(OH)3(s) + 3HCl(l) (जल-अपघटन अभिक्रिया)
- Ca3N2(s) + 6H2O(l) → 3Ca(OH)2(aq) + 2NH3(aq) (जल-अपघटन अभिक्रिया)
प्रश्न 21.
बर्फ के साधारण रूप की संरचना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डलीय दाब पर बर्फ एक त्रिविम हाइड्रोजन आबंधित संरचना है। बर्फ में प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु चतुष्फलकीय रुप में चार ऑक्सीजन परमाणुओं से जुड़ा है अर्थात् प्रत्येक ऑक्सीजन युग्म में एक हाइड्रोजन परमाणु होता है। इस कारण बर्फ एक खुले पिंजरे की आकृति बनाती है। प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु चार हाइड्रोजन परमाणु से घिरा रहता है। इनमें से दो हाइड्रोजन परमाणु सहसंयोजी आबंध से व दो हाइड्रोजन परमाणु हाइड्रोजन आबंध से जुड़े होते हैं। क्रिस्टल जालक में खाली जगह होती है अत: बर्फ का घनत्व जल से कम होता है।
प्रश्न 22.
जल की अस्थायी एवं स्थायी कठोरता के क्या कारण है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल में कैल्सियम बाइकार्बोनेट तथा मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट की उपस्थिति के कारण अस्थायी कठोरता उत्पन्न होती है। जल में विलेय लवणों कैल्सियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड, कैल्सियम सल्फेट तथा मैग्नीशियम सल्फेट आदि के कारण स्थायी कठोरता उत्पन्न होती है।
प्रश्न 23.
संश्लेषित आयन विनिमयक विधि द्वारा कठोर जल के मृदुकरण के सिद्धान्त एवं विधि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
संश्लेषित आयन विनिमयक रेजिन विधि निम्नलिखित दो प्रकार की होती है –
(1) धनायन:
विनिमयक रेजिन ये रेजिन – SO3H समूह युक्त वृह्द कार्बनिक अणु होते हैं तथा जल में अविलेय होते हैं। इनकी NaCl से क्रिया कराकर R-Na में परिवर्तित किया जाता है। रेजिन R-Na, कठोर जल में उपस्थित Mg2+(aq) तथा Ca2+ आयनों से विनिमय करके इसे मृदुजल बना देता है।
2RNa(s) + Ma2+(aq) → R2M(s) + 2Na+(aq) (M = Ca2+ या Mg2+)
रेजिन में NaCl का जलीय विलयन मिलाने पर इसका पुनर्जनन कर लिया जाता है। शुद्ध विरवणिजित तथा विआयनित जल को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त प्राप्त जल को क्रमशः धनायन विनिमयक तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन में प्रवाहित करते हैं।
धनायन:
विनिमयक प्रक्रम में, H का विनिमय जल में उपस्थित Na+, Ca2+, Mg2+ आदि आयनों से हो जाता है।
2RH(s) + M2+(aq) ⥨ MR2(s) + 2H+(aq) (H+ के रूप में धनायन विनिमय रेजिन) इस प्रक्रम में प्रोटानों का निर्माण होता है तथा जल अम्लीय हो जाता है।
(2) ऋणायन:
विनिमयक प्रक्रम में OH– का विनिमय जल में उपस्थित Cr–, HCO3–, SO2-4 आयनों द्वारा होता है।
R\(\stackrel{+}{\mathrm{N}}\)H2(s) OH– विस्थापित अमोनियम हाइड्रॉक्साइड ऋणायन रेजिन है।
इस प्रकार मुक्त OH– आयन, H+ आयनों को उदासीन कर देते हैं। अंत में उत्पन्न धनायन तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन को क्रमशः तनु अम्ल तथा तनु क्षारीय विलयनों से क्रिया कराके पुर्नजनित कर लिया जाता है।
प्रश्न 24.
जल के उभयधर्मी स्वभाव को दर्शाने वाले रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
जल का स्वभाव उभयधर्मी होता है। यह अम्ल तथा क्षार दोनों की भाँति कार्य करता है। स्वयं से प्रबल अम्लों के साथ यह क्षार की भाँति व्यवहार करता हैं। जबकि स्वयं से प्रबल क्षारों के प्रति यह अम्ल की भाँति व्यवहार करता है।
प्रश्न 25.
हाइड्रोजन परॉक्साइड के ऑक्सीकारक एवं अपचायक रूप को अभिक्रियाओं द्वारा समझाइए।
उत्तर:
H2O2 अम्लीय तथा क्षारीय माध्यमों में ऑक्सीकारक तथा अपचायक, दोनों की भाँति कार्य कर सकता है। उदाहरण –
(1) अम्लीय माध्यम में ऑक्सीकारक –
(2) क्षारीय माध्यम में ऑक्सीकारक –
(3) अम्लीय माध्यम में अपचायक –
(4) क्षारीय माध्यम में अपचायक –
प्रश्न 26.
विखनिजित जल से क्या तात्पर्य है? यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर:
जो जल सभी विलेय खनिज लवणों से मुक्त होता है, विखनिजित जल कहलाता है। विखनिजित जल को प्राप्त करने के लिए जल को क्रमशः धनायन-विनिमयक रेजिन तथा ऋणायन-विनिमयक रेजिन से प्रवाहित करते हैं। धनायन – विनिमयक में जल में उपस्थित Ca2+, Mg2+, Na+ तथा अन्य धनायन, H+ आयनों द्वारा विनियमित होकर दूर जाते है जबकि ऋणायन-विनिमयक में जल में उपस्थित Cl–, SO42-
प्रश्न 27.
क्या विखनिजित या आसुत जल पेय-प्रयोजनों में उपयोगी है ? यदि नहीं, तो इसे उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है ?
उत्तर:
विखनिजित या आसुत जल पेय-प्रयोजनों में उपयोगी नहीं है। इनमें कुछ उपयोगी लवणों को उचित मात्रा में मिलाकर पेय योग्य बनाया जा सकता है।
प्रश्न 28.
जीवमण्डल एवं जैव प्रणालियों में जल की उपादेयता को समझाइए ?
उत्तर:
सभी सजीवों के शरीर का मुख्य भाग जल द्वारा निर्मित होता है। मानव शरीर में लगभग 65% तथा कुछ पौधों में लगभग 95% भाग जल होता है। सभी सजीवों को जीवित रखने के लिए जल एक महत्वपूर्ण यौगिक है। अन्य द्रवों की तुलना में, जल को विशिष्ट ऊष्मा, तापीय चालकता, पृष्ठ तनाव, द्विध्रुव आघूर्ण तथा परावैद्युतांक के मान उच्च होते हैं।
इन्हीं गुणों के कारण जीवमंडल में जल की भूमिका अति महत्वपूर्ण होती है। जीवों के शरीर तथा जलवायु के सामान्य ताप को बनाए रखने के लिए, जल की वाष्पन ऊष्मा तथा उच्च ऊष्मा धारिता ही उत्तरदायी होती है। यह वनस्पत्तियों तथा प्राणियों के उपापचय में अणुओं के अभिगमन के लिए उत्तम विलायक का कार्य करता है। जल पौधों में प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए भी आवश्यक है। जो कि वातावरण में O2 मुक्त करती है।
प्रश्न 29.
जल का कौन-सा गुण इसे विलायक के रूप में उपयोगी बनाता है ? यह किस प्रकार के यौगिक –
- घोल सकता है और
- जल- अपघटन कर सकता है ?
उत्तर:
उच्च द्विध्रुव आघूर्ण तथा उच्च परावैद्युतांक के कारण जल विलायक के रुप में उपयोगी होता है।
- यह आयनिक यौगिकों तथा उन सहसंयोजी यौगिकों जिनमें जल के साथ H-आबंध पाया जाता है। (जैसे-एथेनॉल, चीनी, ग्लूकोस आदि)को घोल सकता है।
- जल अनेक धात्वीय तथा अधात्वीय ऑक्साइडों, हाइड्राइड, कार्बाइड, फॉस्फाइड तथा अन्य लवणों का जल-अपघटन कर सकता है।
उदाहरणार्थ –
P4O10(s) + 6H2O(l) →4H3PO4(aq)
CaH2(s) + 2H2O(l) → Ca(OH)2(aq) + 2H2(g)
Al4C3(s) + 12H2O(l) → 4AI(OH)3 + 3CH4
प्रश्न 30.
H2O एवं D2O के गुणों को जानते हुए क्या आप मानते हैं कि D2O का उपयोग पेयप्रयोजनों के रूप में लाया जा सकता है ?
उत्तर:
भारी जल (D2O) जीवित प्राणी, पादप तथा जन्तुओं के लिए काफी हानिकारक होता है, क्योंकि यह उनमें होने वाली अभिक्रियाओं की दरों को मन्द कर देता है। यह जीवन का समर्थन करने में असफल होता है तथा इसकी जैवमण्डल में कोई उपयोगिता नहीं होती है।
प्रश्न 31.
जल-अपघटन (Hydrolysis) तथा जलयोजन (Hydration) पदों में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
जल के H+ आयन तथा OH– आयनों का किसी लवण के क्रमशः ऋणायन तथा धनायन के साथ स्वतः क्रिया करके मूल अम्ल तथा क्षार बनाने की क्रिया जल – अपघटन कहलाती है।
दूसरी ओर, जलयोजन का अर्थ आयनों तथा अणुओं में H2O के योग द्वारा जलयोजित आयन अथवा जलयोजित लवणों का निर्माण होता है।
प्रश्न 32.
लवणीय हाइड्राइड किस प्रकार कार्बनिक यौगिकों से अति सूक्ष्म जल की मात्रा को हटा सकते हैं?
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइड जैसे NaH, CaH2 आदि कार्बनिक यौगिकों में उपस्थित अति सूक्ष्म जल से क्रिया करते हैं तथा संगत धातु हाइड्रॉक्साइड बनाते हैं तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
वास्तव में लवणीय हाइड्राइड M+H– में, H– प्रबल ब्रॉन्स्टेड क्षार होते हैं अतः ये जल से सुगमतापूर्वक क्रिया करते हैं।
प्रश्न 33.
परमाणु क्रमांक 15, 19, 23 तथा 44 वाले तत्व यदि हाइड्रोजन से अभिक्रिया कर हाइड्राइड बनाते हैं, तो उनकी प्रकृति से आप क्या आशा करेंगे? जल के प्रति इनके व्यवहार की तुलना कीजिए।
उत्तर:
- परमाणु क्रमांक (Z) = 15 वाला तत्व, फॉस्फोरस, p – ब्लॉक का सदस्य है अतः यह सहसंयोजक हाइड्राइड, बनाता है।
- परमाणु क्रमांक (Z) = 19 वाला तत्व, पोटैशियम, s – ब्लॉक सदस्य है अत: यह आयनिक हाइड्राइड बनाता है।
- परमाणु क्रमांक (Z) = 23 वाला तत्व वैनेडियम, d – ब्लॉक तथा वर्ग-5 का सदस्य है। यह अन्तराकाशी हाइड्राइड (VHI6) बनाता है। यह अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड है।
- परमाणु क्रमांक (Z) = 44 वाला तत्व रुथेनियम, d – ब्लॉक तथा वर्ग-8 का सदस्य है। यह कोई हाइड्राइड नहीं बनाता है क्योंकि वर्ग-7, 8 तथा 9 के तत्व हाइड्राइड नहीं बनाते हैं (हाइड्राइड रिक्ति)। जल के साथ,केवल आयनिक हाइड्राइड, KH क्रिया करके डाइहाइड्रोजन गैस मुक्त करता है।
प्रश्न 34.
जब ऐल्युमिनियम (III) क्लोराइड एवं पोटैशियम क्लोराइड को अलग-अलग –
- सामान्य जल
- अम्लीय जल एवं
- क्षारीय जल से अभिकृत कराया जाएगा, तो आप किन-किन विभिन्न उत्पादों की आशा करेंगे? जहाँ आवश्यक हो, वहाँ रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर:
AlCl3, दुर्बल क्षार, Al(OH)3, तथा प्रबल अम्ल, HCl का लवण है। अतः सामान्य जल से क्रिया कराने पर इसका जल-अपघटन हो जाता है।
AlCl3(s) + 3H2O(l) → Al(OH3(s) + 3H+(aq)+ 3Cl–(aq)
इसका जलीय विलयन अम्लीय प्रकृति का होता है। अम्लीय जल में उपस्थित H+ आयन AI(OH)3 से क्रिया करके Alt+(aq) आयन तथा HO उत्पन्न करते हैं। अतः अम्लीय जल में, AlCl3(s), Al3+ तथा CITaa) आयनों के रूप में रहता है। क्षारीय जल में AlCl3 अग्र उत्पाद उत्पन्न करता है –
KCl प्रबल अम्ल, HCl तथा प्रबल क्षार, KOH का लवण है। यह सामान्य जल में जल-अपघटित नहीं होता है। यह जल में केवल अपघटित होकर K+(aq) तथा Cr–(aq) आयन देता है।
का जलीय विलयन उदासीन होता है। अतः अम्लीय जल में अथवा क्षारीय जल में, इसके आयन और कोई क्रिया नहीं करते हैं।
प्रश्न 35.
H2O2 विरंजन कारक के रूप में कैसे व्यवहार करता है ? लिखिए।
उत्तर:
H2O2 नवजात ऑक्सीजन उत्पन्न करने के कारण विरंजक की भाँति कार्य करता है।
H2O2 → H2O + O
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ
यह रेशम, बाल, वस्त्र, कागज की लुग्दी, ऊन, तेल, वसा आदि का विरंजन करता है।
प्रश्न 36.
निम्नलिखित पदों से आप क्या समझते हैं –
- हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था
- हाइड्रोजनीकरण
- सिन-गैस
- भाप अंगारगैस सृति अभिक्रिया तथा
- ईंधन सेल।
उत्तर:
1. हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था:
हाइड्रोजन का मुख्य उपयोग एवं संभावनाएँ निकट भविष्य में इसका प्रदूषण रहित (स्वच्छ) ईंधन के रूप में उपयोग है। हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का मूल सिद्धांत ऊर्जा का द्रव हाइड्रोजन अथवा गैसीय हाइड्रोजन के रूप में अभिगमन तथा भंडारण है।
2. हाइड्रोजनीकरण:
किसी द्विबंध या त्रिबंध युक्त कार्बनिक यौगिकों में उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन का संयोग हाइड्रोजनीकरण कहलाता है। वनस्पति तेलों को निकिल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजनीकरण कराने पर खाद्य वसा (मार्गेरीन तथा वनस्पति घी) प्राप्त होता है।
3. सिन-गैस:
CO तथा H2 का मिश्रण सिन-गैस अथवा संश्लेषित गैस अथवा जल गैस कहलाता है। हाइड्रोकार्बन अथवा कोक की उच्च ताप पर एवं उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से अभिक्रिया कराने पर सिन-गैस प्राप्त होती है।
आजकल सिन-गैस को वाहितमल, अखबार, लकड़ी का बुरादा एवं छीलन आदि से भी प्राप्त किया जाता है। कोल से सिन-गैस के उत्पादन को, कोल-गैसीकरण प्रक्रम कहते है।
4. भाप अंगार गैस सृति अभिक्रिया:
जल गैस में डाइहाइड्रोजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए CO को 500°C पर आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से क्रिया कराते हैं।
सिन-गैस / जल गैस उपरोक्त क्रिया को भाप अंगार गैस सृति अभिक्रिया कहते हैं।
5. ईंधन सेल:
ईंधन सेल में ईंधन के दहन से उत्पन्न ऊर्जा को सीधे वैद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रकार के ईंधन सेल का उदाहरण हाइड्रोजन ऑक्सीजन ईंधन सेल है। यह किसी प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न नहीं करता है। ईंधन सेल, 70-85% रूपान्तरण क्षमता के साथ वैद्युत उत्पन्न करता है।
हाइड्रोजन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
हाइड्रोजन वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. निम्न में से कौन – सी धातु H2 का अधिशोषण करती है –
(a) Zn
(b) Pb
(c) AI
(d) K.
उत्तर:
(b) Pb
प्रश्न 2.
हाइड्रोजन का रेडियोऐक्टिव समस्थानिक कहलाता है –
(a) प्रोटियम
(b) ड्यूटीरियम
(c) भारी हाइड्रोजन
(d) ट्राइटियम।
उत्तर:
(d) ट्राइटियम।
प्रश्न 3.
H2O2 का 1 ml N.T.P. पर 10 mlo, देता है, यह है
(a) 10 आयतन HO2
(b) 20 आयतन H2O2
(c) 30 आयतन H2O2
(d) 40 आयतन H202
उत्तर:
(a) 10 आयतन HO2
प्रश्न 4.
भारी जल प्राप्त किया जाता है –
(a) जल को उबालकर
(b) जल के प्रभावी आयतन द्वारा
(c) जल के निरंतर विद्युत् विच्छेद द्वारा
(d) H2O2 को गर्म करके।
उत्तर:
(c) जल के निरंतर विद्युत् विच्छेद द्वारा
प्रश्न 5.
ऑर्थो तथा पैरा हाइड्रोजन में किस बात का अंतर है –
(a) परमाणु क्रमांक
(b) द्रव्यमान संख्या
(c) इलेक्ट्रॉन चक्रण
(d) नाभिकीय चक्रण।
उत्तर:
(d) नाभिकीय चक्रण।
प्रश्न 6.
कौन-से हाइड्राइड सामान्यतः सरल अनुपात में नहीं होते हैं –
(a) आयनिक
(b) आण्विक
(c) अंतराकाशीय
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(c) अंतराकाशीय
प्रश्न 7.
आयनिक हाइड्राइड का उदाहरण नहीं है –
(a) LiH
(b) CaH2
(c) CsH
(d) GeH2.
उत्तर:
(d) GeH2.
प्रश्न 8.
H2O2के अणु में H-0 0 बंध कोण होता है –
(a) 99.5°
(b) 95.9°
(c) 97°
(d) 100.5°
उत्तर:
(c) 97°
प्रश्न 9.
रॉकेट के लिये नोदक का कार्य करता है –
(a) N2 + O2
(b) H2 + O2
(c) O2 + Ar
(d) H2 + N2.
उत्तर:
(b) H2 + O2
प्रश्न 10.
कैलगॉन प्रक्रम में, निम्न में कौन सा उपयोग होता है –
(a) सोडियम बहु मेटाफॉस्फेट
(b) जलयुक्त सोडियम ऐल्युमिनियम सिलिकेट
(c) धनायन विनिमय रेजिन
(d) ऋणायन विनिमय रेजिन।
उत्तर:
(a) सोडियम बहु मेटाफॉस्फेट
प्रश्न 11.
अभिकारक जो जल की कठोरता ज्ञात करने में प्रयोग किया जाता है –
(a) ऑक्जेलिक अम्ल
(b) डाइसोडियम लवण EDTA
(c) सोडियम सिट्रेट
(d) सोडियम थायोसल्फेट।
उत्तर:
(b) डाइसोडियम लवण EDTA
प्रश्न 12.
‘CO2, H20 तथा H,0, को उनके अम्लीयता के बढ़ते क्रम में लिखिए –
(a) CO2 <H2O2 < H2O
(b) H2O< H2O2<CO2.
(c) H2O< H2O2> CO2
(d) H2O2> CO2 > H2O
उत्तर:
(b) H2O< H2O2 <CO2.
प्रश्न 2.
- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये –
- गलित NaH के विद्युत् – विच्छेदन से ऐनोड पर ………….. गैस मुक्त होती है।
- कैलगॉन …………….. का व्यापारिक नाम है।
- कैल्सियम फॉस्फाइड पर जल की क्रिया से …………….. बनती है।
- ……………… जल साबुन के साथ कम झाग देता है।
- जल की कठोरता ……………… और ……………… के लवणों के कारण होती है।
- ……………… जीवधारियों में होने वाली क्रियाओं के अध्ययन में ट्रेसर का कार्य करता है।
- Al या …………. के सान्द्र विलयन की क्रिया से हाइड्रोजन मुक्त होती है।
- CO + H2 का मिश्रण ……………….. कहलाती है।
- 2N H2O2 का आयतन क्षमता ……………….. होगी।
- पैलेडियम द्वारा हाइड्रोजन का अवशोषण ……………….. कहलाता है।
उत्तर:
- H2
- सोडियम हेक्सा मेटाफॉस्फेट
- फॉस्फीन
- कठोर
- Ca, Mg
- भारी जल
- NaOH
- जल गैस
- 11.2 आयतन
- अधिशोषण
प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
उत्तर:
- (d) अम्लीय
- (f) क्षारीय
- (a) ड्यूटिरो फॉस्फीन
- (b) तेल गैस
- (c) H2O2
- (e) अम्लीय
- (i) जीवाणुनाशक
- (g) मंदक
- (h) रॉकेट ईंधन
प्रश्न 4.
एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –
- किस यौगिक में हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण अवस्था ऋणात्मक होती है ?
- H2O2 का विरंजक गुण ऑक्सीकरण के कारण है अथवा अपचयन के कारण।
- हाइड्रोजन की खोज किसने की ?
- परमाणु भट्टियों में मंदक के रूप में किसका उपयोग किया जाता है ?
- H2O2 Cl2 को किसमें अपचयित कर देता है ?
- H2O2 का विरंजक गुण निर्भर करता है।
- कौन-सा ऑक्साइड तनु अम्ल से क्रिया करके H2O2 देता है ?
- जल की तुलना में एथेनॉल का वाष्पन तेजी से होता है। क्यों ?
- किस प्रकार के तत्व जालक हाइड्राइड बनाते हैं ?
- जालक हाइड्राइड का क्या उपयोग है ?
उत्तर:
- CaH2
- H2O2 सरलता से ऑक्सीजन देने के कारण यह विरंजक पदार्थ है। अत: H2O2 का विरंजक गुण ऑक्सीकरण के कारण है। H2O2
- H2O + [O]
- हेनरी केवेण्डिस
- भारी जल (D2O)
- HCl में
- नवजात ऑक्सीजन के कारण
- Na2CO2, BaC2
- दुर्बल हाइड्रोजन बंध के कारण
- d – तथा f – ब्लॉक के तत्व
- H2के भण्डारण एवं हाइड्रोजनीकरण क्रियाओं को उत्प्रेरित करने में।
हाइड्रोजन अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जल की अस्थायी एवं स्थायी कठोरता के क्या कारण हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल में कैल्सियम बाइकार्बोनेट तथा मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट की उपस्थिति के कारण अस्थायी कठोरता उत्पन्न होती है। जल में विलेय लवणों कैल्सियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड, कैल्सियम सल्फेट तथा मैग्नीशियम सल्फेट आदि के कारण स्थायी कठोरता उत्पन्न होती है।
प्रश्न 2.
बेरीलियम सहसंयोजी हाइड्राइड बनाता है जबकि कैल्सियम आयनिक हाइड्राइड क्यों?
उत्तर:
उच्च विद्युत् ऋणात्मकता के कारण Be (1.5) सहसंयोजी हाइड्राइड बनाता है। जबकि Ca की विद्युत् ऋणात्मकता कम होती है।
प्रश्न 3.
हाइड्रोजन बनाने की यूनो विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऐल्युमिनियम की अभिक्रिया गर्म कास्टिक सोडा के साथ गर्म करने पर ऐल्युमिनियम कास्टिक सोडा में विलेय हो जाती है और हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है।
प्रश्न 4.
अशुद्ध हाइड्रोजन का शुद्धिकरण किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
प्लेटिनम ब्लैक या पैलेडियम धातु पर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करने पर धातु द्वारा हाइड्रोजन का अधिशोषण हो जाता है। इसे अधिधारण कहते हैं। अशुद्ध हाइड्रोजन का इस प्रकार शुद्धिकरण किया जा सकता है क्योंकि पैलेडियम द्वारा केवल शुद्ध हाइड्रोजन का अधिशोषण होता है।
प्रश्न 5.
कठोर जल से होने वाली हानियाँ लिखिए।
उत्तर:
कठोर जल से होने वाली हानियाँ –
- कपड़े धोने से झाग उत्पन्न करने के लिये अधिक साबुन खर्च होता है।
- कठोर जल का उपयोग प्रयोगशाला में तथा दवाइयों में इंजेक्शन के लिये नहीं किया जा सकता है।
- इसका सेवन संधिवात, गठिया आदि से पीड़ित व्यक्तियों के लिये हानिकारक होता है।
प्रश्न 6.
हाइड्रोजन बनाने की तीन विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पानी की भाप को 600 – 900°C पर तप्त लोहे पर प्रवाहित करने पर हाइड्रोजन गैस बनती है। यह अभिक्रिया उत्क्रमणीय है। अतः हाइड्रोजन को क्रिया क्षेत्र से हटाते रहना आवश्यक है।
3Fe + 4H2O ⥨ Fe3O4 + 4H2
प्रश्न 7.
उस विधि का वर्णन कीजिए जो जल की अस्थायी तथा स्थायी दोनों प्रकार की कठोरता दूर कर देता है।
उत्तर:
रासायनिक विधि-इस विधि से जल की अस्थायी तथा स्थायी दोनों प्रकार की कठोरता समाप्त हो जाती है। इस विधि में NaOH या Na2CO3 में से कोई पदार्थ मिलाने पर Ca या Mg अविलेय लवण बनाकर पृथक् हो जाता है।
- CaCl2 + Na2Co3 → CaCO3 + 2NaCl
- MgCl2 + Na2CO3 → MgCO3 + 2NaCl
- MgSO4 + Nal2CO3 → sMgCO3 + Na2SO4
प्रश्न 8.
H2O2 की सान्द्रता किस प्रकार व्यक्त करते हैं ?
उत्तर:
H2O2विलयन की सान्द्रता ऑक्सीजन के N. T. P. पर उस आयतन के बराबर होती है जो उस विलयन के एकांक आयतन को गर्म करने पर उत्पन्न होती है। जैसे 10 आयतन H2O2का तात्पर्य है कि 1 ml H2O2 को गर्म करने से N.T.P. पर 10 ml O2 प्राप्त होती है।
प्रश्न 9.
हाइड्रोजन के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन के उपयोग –
- अपचायक के रूप में
- तेल के हाइड्रोजनीकरण से वसा बनाने के लिये
- कोल चूर्ण के साथ-साथ अभिकृत करके कृत्रिम पेट्रोल बनाने के लिये
- काँच उद्योग में काँच को धीरे-धीरे ठण्डा करने में।
प्रश्न 10.
तेल गैस क्या है तथा इसे कैसे प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर:
यह गैस मिट्टी के तेल के भंजन से बनायी जाती है। मिट्टी के तेल की पतली धार लोहे के रक्त तप्त रिटार्ट में डाली जाती है जिससे बड़े अणु टूटकर मेथेन, एथिलीन, एसीटिलीन में टूट जाती है। इसका उपयोग बर्नरों को जलाने में किया जाता है।
प्रश्न 11.
कोल गैस क्या है ? इसका रासायनिक संघटन लिखिए।
उत्तर:
कोल गैस कई गैसों का मिश्रण है जिनमें हाइड्रोजन भी एक अवयवी गैस है। कोल गैस का प्रतिशत संगठन निम्न प्रकार से है
- H2 = 43.55%,
- CH4 = 25.35%
- CO2 = 0.3%
- CO = 4.11%
- N2= 2 – 12%
- O2 = 0 – 1.5% कोल गैस का उपयोग ईंधन के अतिरिक्त प्रकाश उत्पन्न करने के लिये प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 12.
सोडियम पर जल की अभिक्रिया कराने पर गैस उत्पन्न होती है। उसका नाम व सूत्र लिखिए।
उत्तर:
अत्यधिक क्रियाशील धातु जैसे-सोडियम, पोटैशियम, कैल्सियम पर साधारण ताप पर जल की अभिक्रिया कराने पर हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है।
- 2Na +2H2O → 2NaOH + H2
- Ca + 2H2 O → Ca(OH)2 + H2
प्रश्न 13.
मृदु जल और कठोर जल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मृदु जल:
साबुन के साथ रगड़ने पर शीघ्रता से और अधिक झाग देने वाला जल मृदु जल कहलाता है।
उदाहरण-आसुत जल, वर्षा का जल आदि।
कठोर जल:
साबुन के साथ रगड़ने पर देर से तथा कम झाग देने वाला जल कठोर जल कहलाता है। और साबुन फटकर थक्के बनाता है।
उदाहरण – समुद्र का जल।
प्रश्न 14.
आसुत जल क्या है ? इसका एक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
आसवन विधि से प्राप्त शुद्ध जल आसुत जल कहलाता है। इसका उपयोग औषधि बनाने में एवं प्रयोगशाला में विलयन बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 15.
भारी जल की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर:
- भारी जल मुख्य रूप से नाभिकीय रिएक्टरों में मंदक के रूप में प्रयुक्त होता है।
- यह अभिक्रियाओं की क्रियाविधि के अध्ययन में ट्रेसर यौगिक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- अन्य ड्यूटीरियम यौगिकों जैसे – CD4 , D2SO4 आदि के निर्माण में इसका प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 16.
हाइड्रोजन परॉक्साइड का तनु विलयन गर्म करके सान्द्र क्यों नहीं किया जा सकता इसका सान्द्र विलयन किस प्रकार कर सकते हैं ?
उत्तर:
H2O2 का तनु विलयन गर्म करके सान्द्रित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह अपने गलनांक से काफी नीचे ही अपघटित हो जाता है।
2H2O2 → 2H2O + O2
जल से निष्कर्षित 1% H2O2का कम दाब पर आसवन करके 30%(द्रव्यमानानुसार) तक सान्द्रित करते हैं। पुनः इसका सावधानीपूर्वक कम दाब पर आसवन करके 85% तक सान्द्रण किया जाता है। अवशेष जल को हिमशीतित करके शुद्ध हाइड्रोजन परॉक्साइड प्राप्त की जाती है।
प्रश्न 17.
परॉक्साइडों से हाइड्रोजन परॉक्साइड के निर्माण हेतु सल्फ्यूरिक अम्ल की अपेक्षा, फॉस्फोरिक अम्ल अधिक उपयुक्त होता है। क्यों ?
उत्तर:
H2SO4, H2O2 के अपघटन में उत्प्रेरक की भाँति व्यवहार करता है। अत: परॉक्साइडों से H2O2 के निर्माण में H2SO4 की अपेक्षा दुर्बल अम्ल जैसे – H3PO4, H2CO3 आदि उपयुक्त रहते हैं।
प्रश्न 18.
किसी क्षारीय धातु का आयनिक हाइड्राइड प्रभावी सहसंयोजक व्यवहार प्रदर्शित करता है तथा यह ऑक्सीजन तथा क्लोरीन के प्रति लगभग अक्रियाशील होता है। इसका प्रयोग अन्य उपयोगी हाइड्राइडों के संश्लेषण में करते हैं। इस हाइड्राइड का सूत्र लिखिये।इसकी AlCl के साथ अभिक्रिया भी लिखिए।
उत्तर:
यह आयनिक हाइड्राइड LiH है। सबसे छोटी Li धातु के कारण इसका व्यवहार सहसंयोजी भी होता है। LiH अत्यधिक स्थायी है। यह ऑक्सीजन तथा क्लोरीन के प्रति अत्यधिक अक्रियाशील है। यह Al2Cl6 के साथ अभिक्रिया करके लीथियम ऐल्युमिनियम हाइड्राइड बनाता है।
8LiH + Al2Cl6 → 2LiAlH4 + 6LiCl
प्रश्न 19.
कठोर जल साबुन के साथ शीघ्रता से झाग क्यों नहीं देता?
उत्तर:
कठोर जल में Ca तथा Mg के बाइ कार्बोनेट, सल्फेट तथा क्लोराइड में से कोई भी लवण विलेय रहता है। साबुन उच्च कार्बनिक वसा अम्ल के सोडियम लवण होते हैं जो Ca एवं Mg के लवणों से क्रिया करके अवक्षेप देते हैं।
2C17H35COONa + MgSO4 → (C17H35COO)2 Mg + Na2SO4
जल में से जब तक ये लवण पूरी तरह से अवक्षेपित नहीं हो जाते तब तक साबुन से झाग नहीं बनता और साबुन व्यर्थ हो जाता है।
प्रश्न 20.
H2O2 के कोई चार उपयोग लिखिए।
उत्तर:
H2O2 के उपयोग –
- यह जीवाणुनाशी के रूप में कान, दाँत आदि धोने के काम आता है।
- प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
- रॉकेटों में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- पुराने तैल चित्रों को ठीक करने में इसका उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 21.
भाप अंगार गैस से हाइड्रोजन के औद्योगिक निर्माण की विधि लिखिए।
उत्तर:
गर्म भाप को रक्त तप्त कोक पर प्रवाहित करके वाटर गैस बनाते हैं।
इस प्रकार प्राप्त H2 व CO2 के मिश्रण को वायुमण्डलीय दाब पर पानी में प्रवाहित करने पर CO2 शोषित हो जाती है तथा H2 शेष रहती है।
प्रश्न 22.
चालकता जल किसे कहते हैं ? इसके उपयोग लिखिए।
उत्तर:
कोलरॉश ने जल का निम्न दाब पर क्वार्ट्स के बने उपकरण में 42 बार आसवन करके अत्यन्त शुद्ध जल प्राप्त किया। यह चालकता जल कहलाता है। आसुत जल में कुछ पोटैशियम परमैंगनेट मिलाकर मजबूत काँच के बने रिटार्ट में उसका एक बार पुनः आसवन कर लेते हैं। इसका उपयोग चालकता निर्धारण में होता है।
प्रश्न 23.
ड्यूटीरियम क्या है ? इसके दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ड्यूटीरियम हाइड्रोजन का समस्थानिक है। इसे भारी हाइड्रोजन भी कहते हैं। इसके नाभिक में एक प्रोटॉन एवं एक न्यूट्रॉन होता है तथा नाभिक के चारों ओर एक इलेक्ट्रॉन घूमता रहता है। अर्थात् इसकी द्रव्यमान संख्या दो तथा परमाणु क्रमांक 1 है। इसे \(_{1}^{2} \mathrm{H}\) या D से दर्शाते हैं। भारी जल के वैद्युत् अपघटन से कैथोड पर ड्यूटीरियम प्राप्त होता है।
उपयोग:
- इसका उपयोग कृत्रिम तत्वान्तरण में प्रक्षेपक कण ड्यूट्रॉन के रूप में।
- रासायनिक एवं जैव रासायनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधि ज्ञात करने पर।
प्रश्न 24.
सोडियम डाइहाइड्रोजन के साथ क्रिया करके क्रिस्टलीय आयनिक ठोस बनाता है। यह यौगिक अवाष्पशील तथा अचालक प्रकृति का होता है। यह जल के साथ शीघ्रता से क्रिया करके डाइहाड्रोजन गैस बनाता है। इस यौगिक का सूत्र लिखिए तथा इसकी जल के साथ क्रिया लिखिए। इस ठोस के गलित का वैद्युत-अपघटन कराने पर क्या होगा?
उत्तर:
सोडियम डाइहाइड्रोजन के साथ क्रिया करके सोडियम हाइड्राइड बनाता है जो कि एक क्रिस्टलीय आयनिक ठोस है।
2Na + H2 → 2Na+ H–
यह जल के साथ शीघ्रता से क्रिया करके H, गैस बनाता है।
2NaH + 2H2O → 2NaOH + 2H2
ठोस अवस्था में NaH में वैद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है। परन्तु गलित अवस्था में यह एनोड पर H, तथा कैथोड पर Na मुक्त करता है।
प्रश्न 25.
फ्लुओरीन तथा जल के मध्य रेडॉक्स अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
फ्लुओरीन प्रबल ऑक्सीकारक है। यह HO को O2 तथा O2 में ऑक्सीकृत करता है।
प्रश्न 26.
समझाइये कि HCl गैस तथा HF द्रव क्यों है ?
उत्तर:
Cl की अपेक्षा F का आकार छोटा तथा वैद्युत ऋणात्मकता अधिक है। अतः यह Cl की अपेक्षा अधिक प्रबल H – आबंध बनायेगा। यही कारण है कि HF द्रव है तथा HCl गैस है।
प्रश्न 27.
D2O2 के निर्माण की एक रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
जल में विलेय D2SO4 की क्रिया BaO2 से कराने पर D2O2 प्राप्त होता है।
BaO2 +D2SO4 → BaSO4 +D2O2
प्रश्न 28.
H,O, को अधिक समय तक संचित क्यों नहीं किया जा सकता है ?
उत्तर:
H2O2 में परॉक्साइड बंध होता है। इस बंध की उपस्थिति के कारण यह अस्थायी होता है और अपघटित होने लगता है।
2H2O2 → 2H2O + O2 फलस्वरूप H2O2 को अधिक समय तक संचित नहीं किया जा सकता है । यह अपघटन की क्रिया काँच से उत्प्रेरित हो जाती है। इसलिये काँच की बोतल में अपघटन क्रिया और तीव्र हो जाती है। इसे रोकने या मंद करने के लिये मोम व अस्तर लगी रंगीन बोतल में संचित किया जाता है।
प्रश्न 29.
H2O2 प्रति क्लोर कहलाती है, क्यों?
उत्तर:
उन रंगीन पदार्थों में जिनमें विरंजन क्लोरीन द्वारा किया जाता है क्लोरीन की कुछ मात्रा शेष रह जाती है। इस प्रकार शेष क्लोरीन को दूर करने के लिये H2O2का उपयोग किया जाता है इस गुण के कारण इसे प्रति क्लोर कहते हैं।
Cl2 + H2O2 →2HCl + O2
प्रश्न 30.
अस्थायी कठोर जल को बुझे हुये चूने के साथ उबालने पर वह मृदु हो जाता है, क्यों?
उत्तर:
जब अस्थायी कठोर जल को बुझे हुये चूने के साथ उबाला जाता है तब अस्थायी कठोर जल में उपस्थित Ca व Mg के बाइ कार्बोनेट अघुलनशील कार्बोनेट में बदल जाता है जिन्हें छानकर दूर कर देते हैं।
प्रश्न 31.
लवणीय हाइड्राइड जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके आग उत्पन्न करती है। क्या इसमें CO2(जो एक सुपरिचित अग्निशामक है) का उपयोग हम कर सकते हैं? समझाइए।
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइड (NaH, CaH2 आदि) जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके धातु ऑक्साइड तथा डाइहाइड्रोजन उत्पन्न करते हैं।
प्रश्न 32.
कारण दीजिए –
- झीलों के पानी का तली की अपेक्षा सतह की ओर गमन।
- बर्फ जल पर तैरती है।
उत्तर:
1. द्रव (Liquid water) जल की अपेक्षा बर्फ का घनत्व अधिक होता है। शीतकाल में, झील के पानी का तापमान घटने लगता है। चूँकि ठंडा पानी भारी होता है। अत: यह पानी की तली की ओर गति करता है तथा तली का गर्म पानी सतह की ओर गति करता है। यह प्रक्रिया चलती रहती है। 277 K पर जल का घनत्व अधिकतम होता है।
अतः सतह जल के तापमान में कमी से घनत्व में कमी होगी। सतह से जल का तापमान घटता रहता है और अन्त में जल जम जाता है। अतः निम्न तापमान पर बर्फ की सतह जल के ऊपर तैरती है। इसी कारण सतह से तली की ओर जल लगातार बर्फ के रूप में जमता रहता है।
2. द्रव जल (Liquid water) की अपेक्षा, बर्फ का घनत्व कम होता है अत: बर्फ जल पर तैरती है।
प्रश्न 33.
यदि द्रव जल तथा बर्फ के टुकड़े के समान द्रव्यमान लिये जायें तो द्रव जल की अपेक्षा बर्फ का घनत्व कम होता है ?
उत्तर:
बर्फ में H2O अणु द्रव जल की भाँति सघन नहीं होते हैं। बर्फ की जालक संरचना में रिक्त अवकाश होते हैं। जिसके कारण इसका आयतन अधिक तथा घनत्व कम होता है।
हाइड्रोजन लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
H2O2 पुराने तैलचित्रों को ठीक करने में प्रयुक्त होता है, उचित तर्क द्वारा समझाइये।
उत्तर:
पुरानी तैलचित्र जो बेसिक लेड कार्बोनेट से बनी हुई होती है। समय के साथ धीरे-धीरे काली पड़ जाती है क्योंकि वायुमण्डल में उपस्थित HS गैस तैलचित्र के सफेद लेड ऑक्साइड को काले लेड सल्फाइड में बदल देती है।
PbO+ H2S → PbS + H2O
ऐसे तैलचित्रों को H2O2 से धोने पर काला लेड सल्फाइड ऑक्सीकृत होकर PbSO4 में बदल जाता है और तस्वीर में पुनः चमक आ जाती है।
प्रश्न 2.
हाइड्रोजन के सभी समस्थानिकों के आरेख बनाकर उनके नाम लिखिये।
उत्तर:
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं –
- साधारण हाइड्रोजन या प्रोटियम – \(_{1}^{1} \mathrm{H}\)
- भारी हाइड्रोजन या ड्यूटीरियम – \(_{1}^{2} \mathrm{H}\) या D
- ट्राइटियम – \(_{1}^{3} \mathrm{H}\)
संरचना आरेख:
तुलना:
प्रश्न 3.
ऑर्थो तथा पैराहाइड्रोजन को समझाइये।
उत्तर:
सन् 1927 में हाइजेनबर्ग ने बताया कि हाइड्रोजन अणु दो प्रकार के होते हैं। प्रत्येक हाइड्रोजन अणु में दो हाइड्रोजन परमाणु होते हैं। इसके इलेक्ट्रॉन के चक्रण सदैव विपरीत दिशा में होता है। लेकिन इलेक्ट्रॉन की भाँति नाभिक भी अपनी दूरी पर चक्रण करते हैं। हाइड्रोजन अणु में जब दोनों हाइड्रोजन परमाणु के नाभिकों का चक्रण एक ही दिशा में होता है तो उसे ऑर्थो हाइड्रोजन कहते हैं और जब नाभिकों का चक्रण विपरीत दिशा में होता है तो उसे पैरा हाइड्रोजन कहते हैं। आर्थो तथा पैरा हाइड्रोजन के रासायनिक गुणों में कोई अंतर नहीं होता है। लेकिन उनके भौतिक गुणों में अंतर होता है। यह अंतर उनके अणुओं की आंतरिक ऊर्जा में अंतर के कारण होता है।
प्रश्न 4.
बॉयलर में कठोर जल का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता है ?
उत्तर:
उद्योगों में बॉयलर का उपयोग भाप बनाने में किया जाता है। बॉयलरों में कठोर जल का उपयोग नहीं किया जाता। यदि कठोर जल को बॉयलर में प्रयोग किया जाता है तो Ca और Mg के लवण बॉयलर के अंदर की सतह पर पपड़ी के रूप में जम जाते हैं। यह पपड़ी ऊष्मा की कुचालक होती है जिससे ईंधन का अपव्यय होता है। इस कुचालक पपड़ी के कारण बॉयलर को बहुत अधिक गर्म करना पड़ता है जिससे पानी गर्म हो सके। उच्च ताप पर बाहरी सतह का Fe वायु की O2 से अभिक्रिया करके Fe3O4 बना लेता है।
कभी-कभी अंदर की पपड़ी में दरार हो जाती है जिससे गर्म जल की Fe की सतह से सीधी अभिक्रिया हो सकती है तथा Fe3O4 व H2 बनते हैं। हाइड्रोजन एक ज्वलनशील गैस है जिससे विस्फोट का भय रहता है। कठोर जल में यदि MgCl2 हो, तो वह पानी से अभिक्रिया करके HCl बनाता है। यह अम्ल बॉयलर का संक्षारण करता रहता है।
MgCl2 +H2O → Mg(OH)Cl+ HCl
प्रश्न 5.
क्या होता है जबकि –
- कैल्सियम हाइड्राइड की पानी से क्रिया कराते हैं।
- H2O2 को अम्लीय KMnO2 विलयन में मिलाते हैं।
- पोटैशियम फेरीसायनाइड के क्षारीय विलयन को H2O2 से क्रिया कराते हैं।
- उच्च ताप तथा उच्च दाब पर Fe की उपस्थिति में H2की अभिक्रिया N2 के साथ कराते हैं।
उत्तर:
1. कैल्सियम हाइड्राइड की पानी से क्रिया कराने पर H2 बनता है।
CaH2 + 2H2O →Ca(OH)2 + 2H2
2. H2O2 को अम्लीय KMnO4 में मिलाने पर KMnO4का गुलाबी रंग उड़ जाता है।
2KMnO4 + 3H2SO4 + 5H2O2 → K2SO4 + 2MnSO4 + 8H2O + 5O2
3. पोटैशियम फेरीसायनाइड के क्षारीय विलयन में H,O, मिलाने पर पोटैशियम फेरोसायनाइड में अपचयित हो जाता है।
2K3[Fe(CN)6] + 2KOH + H2O2 → 2K4[Fe(CN)6] +2H2O + O2
4. उच्च ताप तथा उच्च दाब पर Fe उत्प्रेरक तथा Mo उत्प्रेरक वर्धक की उपस्थिति में हाइड्रोजन की अभिक्रिया N, से कराने पर अमोनिया प्राप्त होता है।
प्रश्न 6.
हाइड्रोजन परॉक्साइड की निम्नलिखित से अभिक्रिया लिखिये –
- O2
- PbS
- KI
- Cl2
- H2S.
उत्तर:
- हाइड्रोजन परॉक्साइड ओजोन से क्रिया कर ऑक्सीजन देता है।
H2O2 + O3 →H2O + 2O2 - हाइड्रोजन परॉक्साइड PbS को PbSO4 में ऑक्सीकृत कर देता है।
PbS + 4H2O2 → PbSO4 + 4H2O - हाइड्रोजन परॉक्साइड KI को आयोडीन में ऑक्सीकृत कर देता है।
2KI + H2O2 2KOH + I2 - हाइड्रोजन परॉक्साइड Cl, को HCl में अपचयित कर देती है।
Cl + H2O2 → 2HCl + O2 - हाइड्रोजन परॉक्साइड HS को सल्फर में ऑक्सीकृत कर देती है।
H2S + H2O2 → 2H2O + S
प्रश्न 7.
क्या आप आशा करते हैं कि (C,Han+2) कार्बनिक हाइड्राइड्स लुईस अम्ल या क्षार की भाँति कार्य करेंगे? अपने उत्तर को युक्ति संगत ठहराइए।
उत्तर:
(CnH2n+2) प्रकार के कार्बन हाइड्राइड्स, इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड है। इनके पास सहसंयोजी आबंध बनाने हेतु पर्याप्त इलेक्ट्रॉन हैं । अतः ये न तो लुईस अम्ल और न ही लुईस क्षार की भाँति व्यवहार करेंगे।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए –
उत्तर:
प्रश्न 9.
भाप अंगार गैस क्या है ? इसका संघटन लिखते हुये इसके उपयोग लिखिये।
उत्तर:
भाप अंगार गैस:
यह गैस कार्बन मोनोऑक्साइड तथा हाइड्रोजन का मिश्रण है। रक्त तप्त कोक पर जलवाष्प प्रवाहित करने पर कार्बन मोनोऑक्साइड तथा हाइड्रोजन का मिश्रण (भाप अंगार गैस) प्राप्त होता है।
संगठन –
- H2 = 49%
- N2 = 4%,
- CO = 44%
- CO2 = 2.7%
- CH4 = 0.3%
उपयोग –
- भट्टियों में ईंधन के रूप में
- कार्बोरेटेड भाप अंगार गैस बनाने में
- अमोनिया के निर्माण में
- असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों के साथ प्रकाश देने में।
प्रश्न 10.
जल की अस्थायी कठोरता कैसे दूर करते हैं ?
उत्तर:
अस्थायी कठोरता दूर करने की दो विधियाँ हैं –
(1) उबालकर:
उबालने पर Ca और Mg के विलेय बाइ कार्बोनेट अविलेय कार्बोनेट में बदल जाते हैं और अवक्षेपित हो जाते हैं।
- Ca(HCO3)2 + CaCO3 + H2O+CO2
- Mg(HCO3)2 + MgCO3 + H2O+CO2
(2) क्लार्क विधि-अस्थायी कठोर जल में चूने के पानी की निश्चित मात्रा मिलाने पर विलेय बाइ कार्बोनेट अविलेय कार्बोनेट बना लेते हैं जो अवक्षेपित हो जाते हैं।
- Ca(HCO3)2 + Ca(OH)2 →2CaCO3 +2H2O
- Mg(HCO3)2 + Ca(OH)2 →MgCO3 +CaCO3 + 2H2O.
प्रश्न 11.
हाइड्रोजन परॉक्साइड की लुईस संरचना बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना को समझाइये।
उत्तर:
H2O2 का द्विध्रुव आघूर्ण 2.1 D है। इससे स्पष्ट होता है कि संरचना असमतलीय है। X – किरणे एवं अन्य भौतिक विधियों से विदित होता है कि H,O, की संरचना खुली पुस्तक के समान होती है। H2O2 अणु को दो OH के रूप में लिखते हैं। H – O – O – H परन्तु दोनों OH समूह एक ही तल में नहीं हैं । गैसीय स्थिति में तल 111.5° का कोण बनाते हैं।
0-0 परमाणु दोनों तलों के संधि स्थल पर और परमाणु दोनों तलों पर 94.8° का O – O – H कोण बनाते हैं। बंध दूरी H – O = 0.95A और 0 – 0 = 1-47 A होती है। क्रिस्टलीय स्थिति में H बंध के कारण थोड़ा अंतर होता है। तलों के बीच का कोण 90.2°, कोण O – O – H = 101.9° बंध दूरी O – H = 0.994 होती है। और O-O= 1.46वें होता है।
प्रश्न 13.
समझाइये H2O2 ऑक्सीकारक और अपचायक दोनों प्रकार का कार्य करता है।
उत्तर:
H2O2 सरलता से अपघटित होकर ऑक्सीजन परमाणु मुक्त करता है इसलिये यह प्रबल ऑक्सीकारक है। परन्तु जब यह अन्य ऑक्सीकारक के साथ क्रिया करता है तो ऑक्सीकारकों से सक्रिय ऑक्सीजन का एक परमाणु आसानी से पृथक् कर देता है।
ऑक्सीकारक प्रकृति –
- 2Kl + H2O2 → 2KOH + I2
- Na2SO3 + H2O2 → Na2SO4 + H2O
- H2S + H2O2 → 2H2O + S
अपचायक प्रकृति –
- H2O2+ O2 → H2O2 + 2O2
- PbO2 + H2O2 → PbO+ H2O + O2
- Cl2 + H2O2 → 2HCl + O2
प्रश्न 14.
कैलगॉन क्या है ? इसकी सहायता से जल की कठोरता कैसे दूर की जा सकती है ?
उत्तर:
पॉली हेक्सा मेटाफॉस्फेट को कैलगॉन कहते हैं । इसका रासायनिक संगठन Na2 [Na4 (PO4)6] होता है । कठोर जल में कैलगॉन की थोड़ी मात्रा डालने पर कैलगॉन कठोर जल में उपस्थित Ca और Mg लवणों से क्रिया कर उनके विलेय संकुल यौगिक बना लेता है। यह संकर यौगिक आयनन पर Ca2+और Mg2+ आयन नहीं देता है जिससे जल इन आयनों से मुक्त रहता है।
Na2[Na4 (PO3)6] + CaSO4 → Na2[CaNa2 (PO3)6] + Na2SO4
Na2 [CaNa2 (PO3)6] + CaSO4 → Na2[Ca(PO3)6] + Na2SO2
प्रश्न 15.
हाइड्रेट कितने प्रकार के होते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
जल अनेक धातु लवणों के साथ संयुक्त होकर हाइड्रेट बनाता है। ये तीन प्रकार के होते हैं –
1. जटिल आयन कैटायन जल – जटिल आयन में केन्द्रीय धातु के साथ लिगैण्ड बनाकर कैटायन में उपस्थित रहता है।
उदाहरण-हेक्सा एक्वा क्रोमियम (III) क्लोराइड [Cr(H2O6)]Cl3
2. जटिल आयन ऑक्सीऐनायन जल-जटिल आयन में ऑक्सी ऐनायन के साथ जल अणु उपस्थित रहता है।
3. क्रिस्टलीय जल – क्रिस्टल जालक में अणु के भीतर खाली जगह में अणु उपस्थित रहते हैं जिसे क्रिस्टलन जल कहते हैं। कुछ धातु लवण रखा रहने पर संयुक्त जल को खो देते हैं। इसको उत्फुलन कहते हैं तथा अनेक पदार्थ वायु में रखे रहने पर वायु से जल सोख लेते हैं। इस क्रिया को प्रस्वेदन कहते हैं।
उदाहरण – Na2SO4 , 10H2O,MgSO4, 7H2O
प्रश्न 16.
जल की कठोरता दूर करने की परम्यूटिट विधि को समझाइये।
उत्तर:
इस विधि में कठोर जल को मृदु करने के लिये परम्यूटिट नामक पदार्थ का उपयोग करते हैं। ये पदार्थ जियोलाइट भी कहलाते हैं। जियोलाइट, सोडियम तथा ऐल्युमिनियम के मिश्रित जलयोजित सिलिकेट हैं। इनका सूत्र Na2 Al2 Si2O8 xH2O है। इसे संक्षिप्त में Na2Z द्वारा दर्शाते हैं। कठोर जल को जब जियोलाइट के ऊपर प्रवाहित करते हैं तो Ca और Mg जियोलाइट प्राप्त होते हैं जो अवक्षेपित होकर नीचे बैठ जाते हैं। इस प्रकार जल मृदु हो जाता है।
- Na2Z + CaCl2 → Ca2 + 2 NaCl
- Na2Z + MgSO4 → Na2SO4 + MgZ
अधिक समय तक जियोलाइट का उपयोग करने पर जियोलाइट की क्षमता कम हो जाती है। इसे पुनः सक्रिय करने के लिये 10% NaCl विलयन मिलाते हैं।
CaZ + 2NaCl → Na2Z + CaCl2
प्रश्न 17.
जल अणु की संरचना दर्शाइये तथा उसके अच्छे विलायक होने का कारण दीजिये।
उत्तर:
जल के अणु में दो H परमाणु तथा एक 0 परमाणु आपस में सहसंयोजक बंध द्वारा जुड़े होते हैं। जल की संरचना उल्टे V के आकार की होती है। जिसमें H – 0 – H बंध 104°28′ होता है। जिसमें केन्द्रीय परमाणु ऑक्सीजन 3 संकरित अवस्था में होता है। इस प्रकार H2O अणुओं में दो sp3σ बंध होते हैं। तथा ऑक्सीजन पर 2 एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं। तथा एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म – एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रतिकर्षण के कारण बंध कोण 109°28′ से गिरकर 104°28′ होता है।
जल का विलायक गुण:
जल एक उत्तम विलायक है। क्योंकि जल का अणु ध्रुवीय है तथा इसके अणुओं के मध्य H बंध होता है। ध्रुवीय तथा उच्च परावैद्युतांक स्थिरांक होने के कारण जल में आयनिक यौगिक तथा ध्रुवीय सह-संयोजी यौगिक विलेय हो जाते हैं। H बंध के कारण वे यौगिक भी जल में विलेय हैं जो जल के साथ हाइड्रोजन बंध बना सकते हैं।
प्रश्न 18.
भारी जल का निर्माण किस प्रकार करते हैं ? इसके गुण लिखिए।
उत्तर:
साधारण जल के प्रभाजी आसवन से-साधारण जल के 6000 भाग में लगभग 1 भाग भारी जल होता है साधारण जल में से भारी जल को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् किया जाता है। भारी जल का क्वथनांक साधारण जल के क्वथनांक से अधिक होता है। इसलिये साधारण जल का प्रभाजी आसवन करने पर साधारण जल पहले आसवित होता है तथा भारी जल अवशेष के रूप में रह जाता है।
भौतिक गुण:
भारी जल रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन द्रव है। इसका हिमांक 3.8°C तथा क्वथनांक 101-4°C होता है। रासायनिक गुण –
(1) वैद्युत अपघटन:
किसी वैद्युत अपघट्य की उपस्थिति में भारी जल का वैद्युत अपघटन कराने पर कैथोड पर ड्यूटीरियम तथा एनोड पर O2 गैस प्राप्त होती है।
(2) नाइट्राइडों के साथ अभिक्रिया – भारी जल की अभिक्रिया नाइट्राइडों के साथ कराने पर भारी अमोनिया बनता है।
प्रश्न 19.
जल का घनत्व 4°C पर अधिकतम होता है, क्यों ?
उत्तर:
जब बर्फ पिघलकर द्रव अवस्था में आती है तो बर्फ में उपस्थित पिंजरानुमा संरचना टूट जाती है। हाइड्रोजन बंध की संख्या में कमी आती है तथा H बंध टूटने के कारण बर्फ की संरचना के खाली स्थान में जल के अणुओं के व्यवस्थित होने के कारण जल के अणु अत्यधिक निकट आने लगते हैं जिससे जल का घनत्व बढ़ने लगता है तथा 4°C पर यह घनत्व अधिकतम हो जाता है लेकिन 4°C के पश्चात् ताप में वृद्धि करने पर जल के अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि के कारण जल के अणु दूर-दूर जाने लगते हैं। जिसके फलस्वरूप इसके आयतन में वृद्धि हो जाती है और घनत्व में कमी आने लगती है।
प्रश्न 20.
उन हाइड्राइड वर्गों का नाम बताइए जिनसे H2O2, B2H6तथा NaH संबंधित है।
उत्तर:
H2O – सहसंयोजक या आण्विक हाइड्राइड(इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड)
B2H6 – सहसंयोजक या आण्विक हाइड्राइड(इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड)
NaH – आयनिक या लवणीय हाइड्राइड।
हाइड्रोजन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संश्लेषित आयन विनिमयक विधि द्वारा कठोर जल के मृदुकरण के सिद्धान्त एवं विधि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
संश्लेषित आयन विनिमय रेजिन विधि निम्नलिखित दो प्रकार की होती है –
1. धनायन – विनिमयक रेजिन- ये रेजिन, – SO3H समूह युक्त वृहद् कार्बनिक अणु होते हैं तथा जल में अविलेय होते हैं। इनकी NaCI से क्रिया कराकर R-Na में परिवर्तित किया जाता है। रेजिन R – Na, कठोर जल में उपस्थित Mg2+ तथा Ca2+ आयनों से विनिमय करके इसे मृदु जल बना देता है।
2RNa(s)+ M2+(aq) → R2M(s) + 2Na2+(aq) (M = Ca2+ या Mg2+)
रेजिन में NaCl का जलीय विलयन मिलाने पर इसका पुनर्जनन कर लिया जाता है। शुद्ध विखनिजित तथा विआयनित जल को प्राप्त करने के लिए उपरोक्त प्राप्त जल को क्रमश: धनायन-विनिमयक तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन में प्रवाहित करते हैं। धनायन-विनिमयक प्रक्रम में, H’ का विनिमय जल में उपस्थित Nat, Cat, Mg2+ आदि आयनों से हो जाता है।
(H’ के रूप में धनायन विनिमय रेजिन) इस प्रक्रम में प्रोटॉनों का निर्माण होता है तथा जल अम्लीय हो जाता है।
2. ऋणायन-विनिमयक प्रक्रम में, OH– का विनिमय जल में उपस्थित Cl–, HCO–3, SO2-4 आयनों द्वारा होता है।
R\(\stackrel{+}{\mathrm{N}}\)H3 OH– विस्थापित अमोनियम हाइड्रॉक्साइड ऋणायन रेजिन है।
इस प्रकार मुक्त OH– आयन, H+ आयनों को उदासीन कर देते हैं। अंत में उत्पन्न धनायन तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन को क्रमशः तनु अम्ल तथा तनु क्षारीय विलयनों से क्रिया कराके पुनर्जनित कर लिया जाता है।
प्रश्न 2.
प्रयोगशाला में हाइड्रोजन बनाने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रयोगशाला विधि-दानेदार जस्ते पर तनु H2SO4 की अभिक्रिया कराने पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है। वुल्फ बोतल में जस्ता लेकर थिसिल फनल द्वारा उसमें तनु H2SO4मिलाते हैं। साधारण ताप पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है जिसे गैस जार में जल के ऊपर एकत्रित कर लेते हैं।
शोधन – इस प्रकार प्राप्त हाइड्रोजन में आर्सीन, फॉस्फीन, H2S, SO2,CO2,NO2, जलवाष्प की अशुद्धि होती है।
इन अशुद्धियों को दूर करने के लिये हाइड्रोजन को विभिन्न पदार्थों से भरी U नली में क्रम से प्रवाहित करते हैं।
- AgNO3विलयन से भरी नली में जिसमें ASH3 और PH3 अवशोषित हो जाते हैं।
- PbNO3 विलयन से भरी U नली में H2S अवशोषित हो जाता है।
- KOH विलयन से भरी U नली में SO2,CO2 और NO2 अवशोषित हो जाती है।
- निर्जल CaCl2 या P2O5 से भरी U नली जो जलवाष्प को अवशोषित कर लेती है।
प्रश्न 3.
डिमिनरलाइज्ड पानी क्या है ? इसे कैसे प्राप्त किया जाता है ? अथवा, कठोर जल के मृदुकरण की आयन विनिमय विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पानी में उपस्थित धनायन और ऋणायन को दूर करने के बाद प्राप्त जल को डिमिनरलाइज़्ड पानी कहते हैं, यह आसुत जल की तरह अच्छा होता है। इसके लिये दो प्रकार के आयन विनिमय रेजिन प्रयोग में लाए जाते हैं।
1. धनायन विनिमय रेजिन-यह अम्लीय रेजिन है इसे RSO3H से दर्शाते हैं। कठोर जल को इनके ऊपर प्रवाहित करने से कठोर जल में उपस्थित Ca+ और Mg+2 सभी धनायन रेजिन की हाइड्रोजन को विस्थापित करके उनका स्थान लेते हैं।
- 2RSO3H + CaCl2 → (RSO3)2Ca + 2H + 2Cl–
- 2RSO3H + MgSO4 → (RSO3)2Mg + 2H+ + SO42-
यह H+ आयन जल को अम्लीय कर देता है।
2. ऋणायन विनिमय रेजिन:
यह क्षारकीय रेजिन होता है इन्हें RNH2 सूत्र से दर्शाते हैं। यह जल से क्रिया करके RNH+3OH बनाता है।
R – NH2 + H2O → RNH+3OH–
थनायन विनिमय रेजिन के बाद जब इस रेजिन के ऊपर जल प्रवाहित करते हैं तो जल में उपस्थित क्लोराइड, सल्फेट आदि ऋण आयन रेजिन के OH– आयन को मुक्त कर देते हैं।
RNH3OH + Cl– → RNH3Cl + OH–
2RNH3OH + SO42- → (RNH3)2SO4 + 2OH–
यह OH– जल में मिलाकर उसमें अधिकता में उपस्थित H+ को उदासीन कर देता है।
H+ + OH– → H2O
इस प्रकार दूसरे कक्ष से निकलने वाला जल सभी प्रकार धनायन, ऋणायन, अम्लीयता एवं क्षारीयता से युक्त होता है।
प्रश्न 4.
हाइड्राइड किसे कहते हैं ? विभिन्न प्रकार के हाइड्राइड को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
जब हाइड्रोजन अक्रिय गैसों को छोड़कर किसी धातु या अधातुओं से संयोग करती है तो बनने वाले यौगिक हाइड्राइड कहलाते हैं। ये हाइड्राइड बनने वाले रासायनिक बंध की प्रकृति के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं –
1. आयनिक हाइड्राइड:
जब हाइड्रोजन प्रबल धन विद्युती तत्वों के साथ संयोग करता है तो इस प्रकार के हाइड्राइड आयनिक प्रकृति के होते हैं।
2Li + H2 → 2LiH
2 Na + H2 → 2NaH
इन्हें सेलाइन हाइड्राइड भी कहते हैं।
गुण –
- ये प्रायः अवाष्पशील ठोस पदार्थ हैं।
- ये सफेद क्रिस्टलीय ठोस हैं। इनके क्रिस्टल की संरचनात्मक इकाई आयन है।
- इनके गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होते हैं।
- इन हाइड्राइड के घनत्व बनने वाली धातुओं की तुलना में कम होते हैं।
- ये विद्युत् के सुचालक हैं।
- आयनिक हाइड्राइडों के जलीय विलयन क्षारीय होते हैं।
NaH + H2O → NaOH + H2 - वायुमण्डलीय ऑक्सीजन ऑक्सीकृत होकर ये ऑक्साइड में बदल जाते हैं।
CaH2 + O2 → Cao + H2O
उपयोग:
- अपचायक के रूप में
- ठोस ईंधन के रूप में।
2. सहसंयोजी हाइड्राइड:
जब हाइड्रोजन p – ब्लॉक तत्वों तथा s – ब्लॉक तत्वों में Be व Mg के साथ संयोग करता है तो सहसंयोजी हाइड्राइड बनाता है क्योंकि इनकी ऋणविद्युता में कम अंतर होता है। इन्हें आण्विक हाइड्राइड भी कहते हैं।
गुण –
- कम गलनांक व क्वथनांक वाले वाष्पशील यौगिक हैं।
- विद्युत् के दुर्बल चालक या कुचालक होते हैं।
- इनके अणुओं के मध्य दुर्बल वाण्डर वाल्स होता है।
- विद्युत् ऋणता के अंतर के अनुसार इनके जलीय विलयन अम्लीय या क्षारीय होते हैं।
- ये इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक होते हैं।
- एक समूह में ऊपर से नीचे आने पर हाइड्राइडों का स्थायित्व कम होता है।
3. धात्विक हाइड्राइड;
d – ब्लॉक के तत्व तथा s – ब्लॉक के Be, Mg हाइड्रोजन से संयोग करके धात्विक हाइड्राइड बनाते हैं। इन्हें अंतराकाशीय हाइड्राइड भी कहते हैं। क्योंकि हाइड्रोजन धात्विक परमाणुओं के बीच अंतराकाश में व्यवस्थित हो जाते हैं।
गुण:
- ये कठोर, धात्विक चमक वाले होते हैं।
- ये विद्युत् व ऊष्मा के सुचालक होते हैं।
- इनका घनत्व उन धातुओं से कम होता है जिससे ये बनते हैं।
- ये असममित होते हैं।
- ये अपनी सतह पर हाइड्रोजन की पर्याप्त मात्रा को अधिशोषित करते हैं। इसे हाइड्रोजन का अधिधारण कहते हैं।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए –
उत्तर:
प्रश्न 6.
D2O को जल से किस प्रकार प्राप्त करते हैं ? D2O तथा H2O के भिन्न-भिन्न भौतिक गुणों का वर्णन कीजिए।D,O की न्यूनतम तीन अभिक्रियाएँ दीजिए जिनमें हाइड्रोजन का ड्यूटीरियम से विनिमय होता है।
उत्तर:
(a) भारी जल, D2O का उत्पादन जल के वैद्युत – अपघटन द्वारा करते हैं।
(b) भौतिक गुण –
- D2O रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन द्रव है। 11.6°C पर इसका घनत्व अधिकतम -1.1071 gml– है (जल का 4°C पर)।
- सामान्य जल की अपेक्षा भारी जल में लवणों की विलेयता कम होती है क्योंकि यह सामान्य जल की अपेक्षा अधिक श्यान होता है।
- (i) D2O के लगभग सभी भौतिक स्थिरांकों के मान H2O की अपेक्षा अधिक होते हैं। यह H – परमाणु की अपेक्षा D – परमाणु के उच्च नाभिकीय द्रव्यमान H2O की अपेक्षा D2O में प्रबल H – आबंध के कारण होता है।
(c) हाइड्रोजन की ड्यूटीरियम से विनिमय अभिक्रियाएँ
- NaOH + D2O → NaOD + HOD
- HCl + D2O → DCl+ HOD
- NH4Cl + D2O → NH2DCl + HOD
प्रश्न 7.
पाँच आयतन H2O2 विलयन की सांद्रता की गणना कीजिए।
उत्तर:
5 आयतन H2O2विलयन का अर्थ है कि NTP पर, 5 आयतन H2O2विलयन के IL के अपघटन पर 5 L2O2 प्राप्त होती है।
NTP पर 22.4 O2 प्राप्त होती है = 68g H2O2 से
∴ NTP पर 5L, O2 प्राप्त होगी = \(\frac { 68 × 5. }{ 22.4 }\)15.17g = 15gH2O2 से
परन्तु NTP पर, 5L, O2 उत्पन्न होती है = 5 आयतन H2O2 विलयन के 1L से।
∴ H2O2 विलयन की सांद्रता = 15 g L-1
अथवा H2O2 विलयन की प्रतिशत सांद्रता = \(\frac { 15 }{ 100 }\) × 100 = 15%