MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र
पारितंत्र NCERT प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये
1. पादपों को …………… कहते हैं, क्योंकि ये कार्बन डाइऑक्साइड का स्थिरीकरण करते हैं।
2. पादप द्वारा प्रमुख पारितंत्र का पिरामिड (संख्या का)…………… प्रकार का होता है।
3. एक जलीय पारितंत्र में, उत्पादकता का सीमाकारक …………… है।
4. हमारे पारितंत्र में सामान्य अपरदन …………… है।
5. पृथ्वी पर कार्बन का प्रमुख भण्डार …………… हैं।
उत्तर
- उत्पादक
- उल्टा
- प्रकाश
- केंचुआ
- समुद्र एवं वायुमण्डल।
प्रश्न 2.
एक खाद्य श्रृंखला में निम्नलिखित में सर्वाधिक संख्या किसकी होती है
(a) उत्पादक
(b) प्राथमिक उपभोक्ता
(c) द्वितीयक उपभोक्ता
(d) अपघटक।
उत्तर
(d) अपघटक।
प्रश्न 3.
एक झील में द्वितीयक (दूसरी) पोषण स्तर होता है
(a) पादप प्लवक
(b) प्राणी प्लवक
(c) नितलक (बेन्थॉस)
(d) मछलियाँ।
उत्तर
(b) प्राणी प्लवक
प्रश्न 4.
द्वितीयक उत्पादक है
(a) शाकाहारी (शाकभक्षी)
(b) उत्पादक
(c) मांसाहारी (मांसभक्षी)
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(a) शाकाहारी (शाकभक्षी)
प्रश्न 5.
प्रासंगिक सौर विकिरण में प्रकाश-संश्लेषणात्मक सक्रिय विकिरण का क्या प्रतिशत होता है
(a) 100%
(b) 50%
(c) 1-5%
(d) 2-10%
उत्तर
(b) 50%
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए
(क) चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरदन खाद्य श्रृंखला,
(ख) उत्पादन एवं अपघटन
(ग) ऊर्ध्ववर्ती (शिखरांश) व अधोवर्ती पिरामिड।
उत्तर
(क) चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरदन खाद्य श्रृंखला
1. चारण खाद्य श्रृंखला (Grazing food chain)–चारण खाद्य श्रृंखला पादपों से प्रारंभ होकर छोटे जंतुओं से बड़े जंतुओं की ओर चलती है। जैसे
यह ऊर्जा के स्रोत हेतु प्रत्यक्ष रूप से और विकिरण पर निर्भर होती है।
2. अपरदन खाद्य श्रृंखला (Detritus food chain)-यह खाद्य श्रृंखला मृत जीवों से प्रारंभ होकर सूक्ष्मजीवों की ओर चलती है। जैसे
यह ऊर्जा के स्रोत हेतु सौर विकिरण पर निर्भर नहीं होती।
(ख) उत्पादन तथा अपघटन में अंतर
(ग) उर्ध्ववर्ती पिरामिड व अधोवर्ती पिरामिड में अंतर
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए
(क) खाद्य श्रृंखला तथा खाद्य जाल (वेष)
(ख) लिटर (कर्टक) एवं अपरद
(ग) प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादकता।
उत्तर
(क) खाद्य श्रृंखला व खाद्य जाल में अन्तर
(ख) लिटर (कर्टक) एवं अपरद
(ग) प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादकता।
प्रश्न 8.
पारिस्थितिक तंत्र के घटकों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
पारिस्थितिक तन्त्र किसे कहते हैं ? किसी तालाब पारितन्त्र के मुख्य घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
पारिस्थितिक तन्त्र-टेंसले के अनुसार, “वातावरण के जीवीय तथा अजीवीय घटकों की समन्वित प्रणाली को पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं।” तालाब परितन्त्र के घटक-तालाब के घटक भी एक प्रारूपिक घटकों के ही समान निम्नलिखित प्रकार के होते हैं
(A) अजैविक घटक-तालाब का मुख्य अजीवीय घटक जल होता है, जिसमें सभी कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायन घुले रहते हैं।
(B) जीवीय घटक-तालाब पारितन्त्र में सभी जीवीय घटक पाये जाते हैं
(1) उत्पादक-प्लवक जैसे-वॉलवॉक्स, पेण्डोराइना, ऊडोगोनियम, स्पाइरोगायरा इत्यादि के अलावा हाइड्रिला, सेजिटेरिया, युट्रिकुलेरिया, ऐजोला, ट्रापा, लेना, टाइफा, निम्फिया आदि पादप तालाब पारितन्त्र उत्पादक वर्ग का निर्माण करते हैं।
(2) प्राथमिक उपभोक्ता-इस श्रेणी में जन्तु प्लवक डेफ्निया, साइक्लोप्स, पैरामीशियम, अमीबा आदि आते हैं।
(3) द्वितीयक एवं तृतीयक उपभोक्ता-छोटी शाकाहारी मछलियों को खाने वाली बड़ी मछलियाँ द्वितीयक उपभोक्ता एवं सारस तथा मांसाहारी मछली खाने वाले आदमी जल तन्त्र के तृतीयक उपभोक्ता की तरह कार्य करते हैं।
(4) अपघटक-विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव इसके अन्तर्गत रखे जाते हैं, जो जन्तुओं एवं पादपों के मृत शरीर को विघटित करके फिर से उनके अवयवों को भूमि में मिला देते हैं, जिससे उत्पादक उनका उपयोग कर सकें। कवक सिफैलोस्पोरियम, क्लैडोस्पोरियम, पायथियम, कवुलेरिया, सैप्रोलिग्निया तथा जीवाणु इस श्रेणी के उदाहरण हैं।
नोट- वातावरण के मुख्य घटक निम्नानुसार हैं
(A) अजैविक घटक-ये दो प्रकार के होते हैं
- ऊर्जा-प्रकाश, ताप तथा रासायनिक पदार्थों की ऊर्जा।
- पदार्थ-पानी, मिट्टी, लवण इत्यादि।
(B) अजैविक घटक-ये तीन प्रकार के होते हैं
- उत्पादक-हरे पौधे।
- उपभोक्ता-प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक।
- अपघटक-जीवाणु एवं कवक।
प्रश्न 9.
पारिस्थितिक पिरामिड को पारिभाषित कीजिए तथा जैव मात्रा या जैव भार तथा संख्या के पिरामिडों की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर
पोषी स्तर-आहार श्रृंखला या पारिस्थितिक-तन्त्र के उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के विभिन्न स्तरों को पोषक स्तर कहते हैं। दूसरे शब्दों में आहार श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी पोषी या पोषक स्तर कहलाती आहार शंकु या पारिस्थितिक शंकु- यदि पारितन्त्र के विभिन्न पोषक स्तरों के जीवों को उनकी शेर संख्या, जीवभार तथा उनमें संचित ऊर्जा की मात्राओं बाघ के अनुपात को चित्र द्वारा व्यक्त करें तो एक शंकु जैसी आकृति प्राप्त होती है जिसे आहार शंकु कहते हैं। ये
1. जीव संख्या का शंकु- जब आहार श्रृंखला को पोषक स्तरों का शंकु पोषक स्तरों में उपस्थित जीवों की संख्या के आधार पर बनाते हैं तो इसे जीव संख्या का शंकु कहते हैं। यदि हम संख्या को आधारानें तो उत्पादकों की संख्या सबसे अधिक तथा इसके बाद के पोषक स्तरों के जीवों की संख्या क्रम से कम होती जाती है इस कारण इसका शंकु सीधा बनता है, लेकिन एक वृक्ष को आधार मानने पर यह उल्टा बनता है।
2. जीव भार का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र में संख्या के स्थान पर जीवों के कुल भार के आधार पर पोषी स्तरों को देखें तो उल्टे तथा सीधे, अर्थात् दोनों प्रकार के शंकु बनते हैं।
3. ऊर्जा का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र के विभिन्न जैविक घटकों में संचित ऊर्जा को आधार मानकर शंकु का निर्माण करें तो इसे ऊर्जा का शंकु कहते हैं यह शंकु हमेशा सीधा बनता है, क्योंकि प्रत्येक पोषी स्तरों में ऊर्जा में कमी आती जाती है। (लघु उत्तरीय प्रश्न क्र. 6 का चित्र देखें।) ऊर्जा के शंकु को सीधा बनने का कारण-चूँकि प्रत्येक पोषी स्तर में ऊर्जा की मात्रा कम होती जाती है इस कारण ऊर्जा का शंकु हमेशा सीधा ही बनता है।
तालाब के जैव भार काशंकु-किसी पारिस्थितिक तन्त्र में जीवित जीवों का इकाई क्षेत्र में शुष्कभार जीव भार कहलाता है। सामान्यत: उत्पादकों का भार सबसे ज्यादा होता है ।
इसके बाद भार क्रमशः कम होता जाता है इस कारण जीवभार का शंकु सीधा बनता है, लेकिन तालाब पारिस्थितिक तन्त्र इसका अपवाद है अर्थात् उपभोक्ता यह उल्टा बनता है क्योंकि तालाब में शैवालों अर्थात् उत्पादों का भार सबसे कम होता है। कीटों और दूसरे सूक्ष्म जीवों का भार उत्पादक उत्पादों से ज्यादा होता है। इसी प्रकार छोटी मछलियों का भार कीटों से ज्यादा और उन पर आश्रित बड़ी मछलियों का भार सबसे ज्यादा होता है|
प्रश्न 10.
प्राथमिक उत्पादकता क्या है ? उन कारकों की संक्षेप में चर्चा कीजिए जो प्राथमिक उत्पादकता को प्रभावित करते हैं
उत्तर
हरे पादपों द्वारा उत्पादित द्रव्यों की कुल मात्रा को प्राथमिक उत्पादन (Primary production) कहा जाता है। इसे प्रति इकाई समय में प्रति इकाई क्षेत्रफल में उत्पादित जैव भार या संचित ऊर्जा के रूप में व्यक्त करते हैं । सामान्यतया इसे ग्राम/मीटर वर्ष के रूप में व्यक्त किया जाता है। प्राथमिक उत्पादकता दो प्रकार की होती है-
- सकल (Gross) तथा
- नेट (Net) या वास्तविक या शुद्ध।
प्राथमिक उत्पादकों द्वारा ऊर्जा के पूर्ण अवशोषण की दर को या कार्बनिक पदार्थों यथा जैव भार के कुल उत्पादन की दर को सकल प्राथमिक उत्पादकता (Gross primary productivity) कहते हैं तथा उत्पादकों को श्वसन क्रिया के पश्चात् बचे हुए जैव भार या ऊर्जा की दर को वास्तविक या नेट प्राथमिक उत्पादकता कहते हैं अर्थात् वास्तविक या नेट प्राथमिक उत्पादकता (NPP) = सकल प्राथमिक उत्पादकता (GPP)-श्वसन दर (R)।
प्राथमिक उत्पादकता, प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारकों से सर्वाधिक प्रभावित होती है जैसे-विकिरण, तापमान, प्रकाश, मृदा की आर्द्रता आदि। जलीय पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकता प्रकाश के कारण सीमित रहती है। महासागरों (गहरे) में पोषक तत्व (जैसे-नाइट्रोजन, फॉस्फोरस आदि) उत्पादकता को सीमित करते हैं।
प्रश्न 11.
अपघटन की परिभाषा दीजिए तथा अपघटन की प्रक्रिया एवं उसके उत्पादों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
आपने शायद सुना होगा कि केंचुए किसान के मित्र होते हैं, क्योंकि ये खेतों और बगीचों में जटिल कार्बनिक पदार्थों का खण्डन करने के साथ-साथ मृदा को भुरभुरा बनाते हैं। इसी प्रकार अपघटक (Decomposer) जटिल कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्वों जैसे CO2, जल व पोषक पदार्थों में खण्डित
करने में सहायता करते हैं तथा इस प्रक्रिया को अपघटन (Decomposition) कहते हैं।
पादपों के मृत अवशेष ‘ जैसे–पत्तियाँ, छाल, टहनियाँ, पुष्प एवं प्राणियों के मृत अवशेष, मल सहित अपरद (Detritus) बनाते हैं जो कि अपघटन हेतु कच्चे माल का काम करते हैं। इस प्रक्रिया में कवक, जीवाणुओं, अन्य सूक्ष्मजीवों के अतिरिक्त छोटे प्राणियों जैसे-निमेटोड, कीट, केंचुए आदि का मुख्य योगदान रहता है। अपघटन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण चरण-खण्डन, निक्षालन अपचयन, ह्यूमीफिकेशन (Humification), खनिजीकरण है।
ह्यूमीफिकेशन तथा खनिजीकरण की प्रक्रियाएँ अपघटन के समय मृदा में सम्पन्न होती हैं। हयूमीफिकेशन के कारण एक गहरे रंग के क्रिस्टल रहित पदार्थ का निर्माण होता है जिसे ह्यूमस (Humus) कहते हैं । ह्यूमस सूक्ष्मजैविकी क्रियाओं के लिये उच्च प्रतिरोधी होता है और इसका अपघटन बहुत धीमी गति से होना है। स्वभाव से कोलॉइडल होने के कारण यह पोषक के भण्डार का कार्य करता है। ह्यूमस पुनः सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित होता है और खनिजीकरण प्रक्रिया के द्वारा अकार्बनिक पोषक उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 12.
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा के प्रवाह को समझाइए।
अथवा
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह क्या है? खाद्य श्रृंखला में इसका ह्रास होता है, क्यों?
अथवा
पारितन्त्र में ऊर्जा के प्रवाह से क्या तात्पर्य है ? किसी पारितन्त्र में विभिन्न पोषी स्तरों पर ऊर्जा का किस प्रकार से ह्रास होता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह-किसी पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा स्रोत से ग्रहण की गई ऊर्जा को उत्पादकों से विभिन्न उपभोक्ताओं और अपघटकों की ओर भोजन के रूप में स्थानान्तरण होने की क्रिया को ऊर्जा का प्रवाह कहते हैं। पारितन्त्र में ऊर्जा का ह्रास-सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा के एक या दो प्रतिशत भाग को हरे पौधे प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया के द्वारा संगृहीत करते हैं तथा भोज्य पदार्थों में रासायनिक बन्ध के रूप मे इकट्ठा कर लेते हैं।
डॉ. कैलाश चन्द्र (1972) के अनुसार-पौधों द्वारा भोज्य पदार्थों के रूप में संचित ऊर्जा का लगभग 90% स्वयं की जैविक क्रियाओं और उसके शरीर के बाहर ऊष्मा के रूप में निकल जाता है। शेष 10% भाग संचित भोज्य पदार्थ के रूप में प्राथमिक उपभोक्ताओं द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। इसी प्रकार प्राथमिक उपभोक्ता भी प्राप्त
ऊर्जा का 90% भाग खर्च कर देते हैं और 10% भाग अगली पारितन्त्र श्रेणी को स्थानांतरित कर देते हैं। पारितन्त्र में यही क्रम चलता रहता है और अन्त में अपघटक मृत जीवों के शरीर में बची शेष ऊर्जा के कुछ भाग को बाहरी वातावरण में मुक्त कर देते हैं और कुछ का स्वयं उपयोग कर लेते हैं । इस प्रकार पारितन्त्र में ऊर्जा का एक दिशीय प्रव ना रहता है तथा प्रत्येक स्तर में इसमें कमी आती रहती है। अतः पारितन्त्र में आहार-श्रृंखला जितनी छोटी होगी, ऊर्जा का ह्यस उतना ही कम होगा।
प्रश्न 13.
एक पारिस्थितिक तंत्र में एक अवसादी चक्र की महत्वपूर्ण विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर
एक पारिस्थितिक तंत्र में अवसादी चक्र की महत्वपूर्ण विशिष्टताएँ निम्नलिखित हैं
- अवसादन चक्र जैव-भू रसायन चक्र (Biogiochemical cycle) का एक प्रकार है।
- अवसादी चक्र (Sedimentary cycle) में पोषक तत्वों का संचय पृथ्वी की चट्टानों में होता है। उदाहरण के लिए, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम, सल्फर आदि के चक्र।
- ये चक्र अपेक्षाकृत अधिक धीमें होते हैं। ये अधिक परिपूर्ण (Perfect) भी नहीं होते क्योंकि चक्रित तत्व किसी भी संचय स्थल में फँसकर रह जाते हैं तथा चक्रण से बाहर हो जाते हैं। अतः इनकी प्रकृति में उपलब्धता पर गहरा प्रभाव पड़ता है, हो सकता है यह रूकावट सैकड़ों से सहस्रों वर्षों के लिए बनी रहे।
प्रश्न 14.
एक पारिस्थितिक तंत्र में कार्बन चक्रण की महत्वपूर्ण विशिष्टताओं की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
सजीवों के शुष्क भार का 49% भाग कार्बन से बना होता है। समुद्र में 71% कार्बन विलेय के रूप में विद्यमान है। यह सागरीय कार्बन भण्डार वायुमण्डल में CO2, की मात्रा को नियमित करता है। कुल भूमण्डलीय कार्बन का केवल 1% भाग ही वायुमण्डल में समाहित है। जीवाश्मी ईंधन भी कार्बन के भण्डार का प्रतिनिधित्व करता है। कार्बन चक्र वायुमण्डल, सागर तथा जीवित व मृतजीवों द्वारा सम्पन्न होता है। जैवमण्डल में प्रकाश संश्लेषण के द्वारा प्रतिवर्ष 4×1013 कि.ग्रा. कार्बन का स्थिरीकरण होता है। एक महत्वपूर्ण कार्बन की मात्रा CO2, के रूप में उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के श्वसन क्रिया के माध्यम से वायुमण्डल में वापस आती है। इसके साथ ही भूमि, कचरा सामग्री एवं मृत कार्बनिक पदार्थों के अपघटन प्रक्रिया द्वारा भी CO2, की काफी मात्रा अपघटकों द्वारा छोड़ी जाती है।
यौगिकीकृत कार्बन की कुछ मात्रा अवसादों में नष्ट होती है और संचरण द्वारा निकाली जाती है। लकड़ी के जलाने, जंगली आग एवं जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण, कार्बनिक सामग्री, ज्वालामुखीय क्रियाओं आदि के अतिरिक्त स्रोतों द्वारा वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त करता है।
कार्बन चक्र में मानवीय क्रियाकलापों का महत्वपूर्ण प्रभाव है। तेजी से जंगलों का विनाश तथा परिवहन एवं ऊर्जा के लिए जीवाश्मी ईंधनों को जलाने आदि से, महत्वपूर्ण रूप से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त करने की दर बढ़ी है।
पारितंत्र अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
पारितंत्र वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है
(a) सौर ऊर्जा
(b) हरे पौधे
(c) भोज्य पदार्थ
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(a) सौर ऊर्जा
प्रश्न 2.
वृक्ष का पारिस्थितिक तंत्र में संख्या का पिरामिड होगा
(a) उल्टा
(b) सीधा
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) उल्टा
प्रश्न 3.
मनुष्य होता है
(a) उत्पादक
(b) मांसाहारी
(c) सर्वाहारी
(d) शाकाहारी।
उत्तर
(c) सर्वाहारी
प्रश्न 4.
मानव निर्मित पारिस्थितिक तंत्र है
(a) वन
(b) तालाब
(c) मछली घर
(d) झील।
उत्तर
(c) मछली घर
प्रश्न 5.
इनमें से अपघटक है
(a) जीवाणु व कवक
(b) शैवाल
(c) चूहे
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(a) जीवाणु व कवक
प्रश्न 6.
खाद्य श्रृंखला प्रारंभ होती है
(a) प्रकाश-संश्लेषण से
(b) श्वसन से
(c) अपघटन से
(d) N2 के स्थिरीकरण से।
उत्तर
(a) प्रकाश-संश्लेषण से
प्रश्न 7.
खाद्य जाल बनती है
(a) एक खाद्य श्रृंखला से
(b) दो खाद्य श्रृंखला से
(c) परस्पर जुड़ी खाद्य श्रृंखलाओं से
(d) तीन खाद्य श्रृंखला से।
उत्तर
(c) परस्पर जुड़ी खाद्य श्रृंखलाओं से
प्रश्न 8.
इकोसिस्टम शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किया था
(a) टेन्सले ने
(b) ओडम ने
(c) रीटर ने
(d) मिश्रा व पुरी ने।
उत्तर
(a) टेन्सले ने
प्रश्न 9.
प्राथमिक या प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता कहलाते हैं
(a) स्वपोषी
(b) शाकाहारी
(c) मांसाहारी
(d) रक्तभक्षी।
उत्तर
(b) शाकाहारी
प्रश्न 10.
खाद्य श्रृंखला के प्रारंभिक जीव होते हैं
(a) प्रकाश-संश्लेषी
(b) परजीवी
(c) सहजीवी
(d) मृतोपजीवी।
उत्तर
(a) प्रकाश-संश्लेषी
प्रश्न 11.
सही खाद्य श्रृंखला है
(a) घास, टिड्डे, मेढक, साँप, बाज़
(b) घास, मेढक, साँप, मोर
(c) घास, मोर, टिड्डे, बाज़
(d) घास, साँप, शशक
उत्तर
(a) घास, टिड्डे, मेढक, साँप, बाज़
प्रश्न 12.
झील के पारिस्थितिक तंत्र में जैवभार का पिरामिड होता है
(a) सीधा
(b) उल्टा
(c) उल्टा व सीधा दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(b) उल्टा
प्रश्न 13.
‘बायोसीनोसिस’ शब्द का उपयोग करने वाले वैज्ञानिक
(a) थाइनमैन
(b) कार्ल मोबियस
(c) एस.ए. फोर्ब्स
(d) फ्रेडरिक
उत्तर
(b) कार्ल मोबियस
प्रश्न 14.
ऊर्जा का पिरामिड होता है
(a) हमेशा सीधा
(b) हमेशा उल्टा
(c) उल्टा व सीधा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) हमेशा सीधा
प्रश्न 15.
समुदाय व पर्यावरण की मिली-जुली इकाई कहलाती है
(a) परितंत्र
(b) खाद्य जाल
(c) खाद्य श्रृंखला
(d) पारिस्थितिक शंकु।
उत्तर
(a) परितंत्र
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये
1. दो समीपस्थ जीवोमों के मध्य उपस्थित संक्रमण क्षेत्र ……………… कहलाता है।
2. …………….. ने सर्वप्रथम इकोसिस्टम शब्द का उपयोग किया था।
3. पारिस्थितिक तंत्रों में ऊर्जा का मूल स्रोत ……………… होता है।
4. नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाला बैक्टीरिया ……………… कहलाता है।
5. प्रत्येक पारिस्थितिक तंत्र ऊर्जा के लिए ……………… पर आश्रित होता है।
6. पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन को ……………… कहते हैं।
7. किसी स्थान विशेष पर उपस्थित समस्त पौधे उस स्थान का ……………… बनाते हैं।
8. बड़े पारिस्थितिक तंत्र को ……………… कहते हैं।
उत्तर
- इकोटोन
- टेन्सले
- सूर्य प्रकाश
- राइजोबियम
- सौर ऊर्जा
- समस्थिरता
- पादप जाल
- जीवोम।
3. सही जोड़ी बनाइए
I. ‘A’ – ‘B’
1. पारिस्थितिक तंत्र – (a) प्राथमिक उपभोक्ता
2. भेड़िया, मोर – (b) ऊर्जा प्रवाह
3. शेर, साँप, चीता – (c) एक बन्द तंत्र
4. पृथ्वी – (d) पारिस्थितिकी की मूल क्रियात्मक इकाई
5. 10% नियम – (e) द्वितीयक उपभोक्ता
6. भेड़, बकरी – (f) तृतीयक उपभोक्ता।
उत्तर
1. (d), 2. (e), 3. (f), 4. (c), 5. (b), 6. (a).
II. ‘A’ – ‘B’
1. ए. जी. टेन्सले – (a) सरलतम पारिस्थितिक तंत्र
2. सर्वाधिक स्थायी पारिस्थितिक तंत्र – (b) इकोसिस्टम
3. पारिस्थितिकी की मूल इकाई – (c) मेक्रोफाइट्स
4. सबसे कम स्थायी पारिस्थितिक तंत्र – (d) पारिस्थितिक तंत्र
5. जलकाय सतह के जीव – (e) जटिलतम पारिस्थितिक तंत्र।
उत्तर
1. (b), 2. (e), 3. (d), 4. (a), 5. (c)
4. एक शब्द में उत्तर दीजिए
1. पारिस्थितिक तन्त्र के दो घटकों के नाम लिखिये।
2. इकोसिस्टम शब्द का प्रयोग किसने किया था ?
3. कौन-सा पारिस्थितिक तन्त्र सर्वाधिक स्थायी होता है ?
4. उस पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये जो सबसे कम स्थायी होता है।
5. सर्वाधिक स्तरीकरण प्रदर्शित करने वाले पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये।
6. किन्हीं दो प्रकार की खाद्य श्रृंखलाओं के नाम लिखिये।
7. बहुत-सी खाद्य श्रृंखलाओं के परस्पर जुड़ने के कारण निर्मित संरचना को क्या कहते हैं ?
8. पारिस्थितिक तंत्र की मूल इकाई का नाम लिखिये।
9. सर्वाधिक उत्पादकता प्रदर्शित करने वाले पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये।
10.जलकाय की सतह पर पाये जाने वाले जीवों को क्या कहते हैं ?
11.दो समीपस्थ जीवोमों के मध्य उपस्थित संक्रमण क्षेत्र को क्या कहते हैं ?
12.अनुक्रमण शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किसने किया था ?
13.नग्न चट्टान से प्रारंभ होने वाला अनुक्रमण ।
14.मरुक्रमण कहाँ से प्रारंभ होता है ?
उत्तर
- जैविक घटक, अजैविक घटक
- ए.जी. टेन्सले
- महासागरीय
- मरुस्थलीय
- जलीय
- चारण, अपरद
- खाद्य जाल
- उत्पादक
- महासागरीय
- बेन्थोज
- इकाटोन
- हुल्ट (1885)
- लिथोसियर
- चट्टानों से।
पारितंत्र अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मृदा निर्माण की प्रक्रिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर
पीडोजिनेसिस।
प्रश्न 2.
ऊर्जा का पिरामिड कैसा होता है ?
उत्तर
हमेशा सीधा।
प्रश्न 3.
कौन-सा पारिस्थितिक तन्त्र सर्वाधिक स्थायी होता है ?
उत्तर
जटिलतम पारिस्थितिक तंत्र
प्रश्न 4.
बहुत सी खाद्य श्रृंखलाओं के परस्पर जुड़ने के कारण निर्मित संरचना को क्या कहते हैं?
उत्तर
खाद्य जाल।
प्रश्न 5.
सर्वाधिक उत्पादकता प्रदर्शित करने वाले पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये।
उत्तर
उष्ण कटिबंधीय पारिस्थितिक तंत्र।
प्रश्न 6.
पारिस्थितिक तंत्र में कवक एवं जीवाणु क्या कहलाते हैं ?
उत्तर
सूक्ष्म उपभोक्ता या अपघटक।
प्रश्न 7.
एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर तक कितनी ऊर्जा पहुँचती है ?
उत्तर
10%।
प्रश्न 8.
रसायन संश्लेषी जीवाणु किस प्रकार का घटक है ?
उत्तर
स्वपोषित।
प्रश्न 9.
प्रो. आर. मिश्रा द्वारा पारिस्थितिक तंत्र के अनुसार दिये गये शब्द को लिखिए।
उत्तर
इकोकोज्म (Ecocosm)।
प्रश्न 10.
हरे पादपों का कौन-सा पोषण स्तर है ?
उत्तर
पोषण स्तर प्रथम।
प्रश्न 11.
उत्पादक के लिए परिवर्तक शब्द किसने दिया था ?
उत्तर
इ.जे. कोरोमेन्डी (E.J. Koromandy) ने।
प्रश्न 12.
किन्हीं दो अवसादी चक्रों के नाम लिखिए।
उत्तर
- फॉस्फोरस चक्र
- सल्फर चक्र।
प्रश्न 13.
ऊर्जा के स्तूप (पिरामिड) हमेशा होते हैं ?
उत्तर
सीधा।
प्रश्न 14.
अपघटकों के उदाहरण हैं ?
उत्तर
जीवाणु एवं कवक।
प्रश्न 15.
ऊर्जा के 10% का नियम किसने दिया ?
उत्तर
लिण्डेमान ने।
प्रश्न 16.
पौधे नाइट्रोजन को किस रूप में ग्रहण करते हैं ?
उत्तर
नाइट्रोजन के यौगिक (नाइट्रेट आयन NO5 ) के रूप में।
प्रश्न 17.
दो प्रकार के खाद्य श्रृंखलाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
चारण खाद्य श्रृंखला, अपरदन खाद्य शृंखला।
पारितंत्र लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तंत्र के जैविक व अजैविक घटकों के नाम लिखिये।
उत्तर
वातावरण के मुख्य घटक निम्नानुसार हैं
(A) अजैविक घटक-ये दो प्रकार के होते हैं
- ऊर्जा-प्रकाश, ताप तथा रासायनिक पदार्थों की ऊर्जा।
- पदार्थ-पानी, मिट्टी, लवण इत्यादि।
(B) अजैविक घटक-ये तीन प्रकार के होते हैं
- उत्पादक-हरे पौधे।
- उपभोक्ता-प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक।
- अपघटक-जीवाणु एवं कवक।
प्रश्न 2.
वायुमण्डल के विभिन्न घटकों के नाम तथा उनका अनुपात लिखिए।
उत्तर
वायुमण्डल के घटकों के नाम तथा उनका अनुपातनाम
- नाम – अनुपात
- ऑक्सीजन – 20%
- नाइट्रोजन – 79%
- कार्बन-डाइऑक्साइड – 0.03%
- हाइड्रोजन – 0.00005%
इसके अलावा शेष गैसें, जैसे-हीलियम, आर्गन, नियॉन तथा क्रिप्टॉन अत्यल्प मात्रा में पायी जाती हैं।
प्रश्न 3.
अपमार्जक एवं अपघटक में अन्तर बताइए।
उत्तर
अपमार्जक वे जीव हैं, जो दूसरे जीवों के मृत शरीर को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। जैसेगिद्ध। जबकि अपघटक वे जीव हैं, जो मृत जीवों के शरीर को उनके अवयवों में विघटित कर देते हैं, जैसेजीवाणु एवं कवक।
प्रश्न 4.
जीवोम एवं परितन्त्र में अन्तर बताइए।
उत्तर
किसी निश्चित क्षेत्र में आपस में जुड़े वातावरणीय तथा जीवीय घटकों को एक साथ परितन्त्र कहते हैं। यह जल की एक बूंद से लेकर समुद्र इतना बड़ा हो सकता है, जबकि बहुत बड़े परितन्त्र को जीवोम कहते हैं। जैसे-महासागर।
प्रश्न 5.
पारिस्थितिक तंत्र के जैविक घटकों के नाम लिखिये।
उत्तर
(1) उत्पादक-सभी हरे–पौधे (दूब, जौ, आम आदि)।
(2) उपभोक्ता-
- प्राथमिक उपभोक्ता-सभी शाकाहारी जन्तु (बकरी, टिड्डे, चूहा, हिरण आदि)।
- द्वितीयक उपभोक्ता-शाकाहारियों को खाने वाले मांसाहारी (सियार, लोमड़ी, मेंढक आदि)।
- तृतीयक उपभोक्ता-द्वितीयक उपभोक्ता को खाने वाले जन्तु (शेर, बाघ, सर्प आदि)।
(3) अपघटक-वे जीव जो मृत जीवों के शरीर को अनेक अवयवों में अपघटित कर देते हैं। (जीवाणु, कवक)
प्रश्न 6.
केवल चित्र की सहायता से घास पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का सीधा पिरामिड बनाकर समझाइए।
उत्तर
प्रश्न 7.
प्रकृति में नाइट्रोजन चक्र को समझाइये।
उत्तर
वायु में नाइट्रोजन पर्याप्त मात्रा में पायी जाती है। बादल की बिजली और वर्षा के कारण यह नाइट्रोजन ऑक्साइड के रूप में मृदा में मिल जाती है। इसके अलावा कुछ सूक्ष्म जीव भी वायुमंडल की N2 को नाइट्रोजन के ऑक्साइडों (नाइट्राइट, नाइट्रेट) में बदल देते हैं जिसे पौधे अवशोषित करके अपने लिए आवश्यक प्रोटीन बनाते हैं इनसे यह प्रोटीन जन्तुओं में जाता है और जब जीव मरते हैं तो अपघटक जीवों के प्रोटीन की N2 को गैस के रूप में पुनः वातावरण में मुक्त कर देते हैं।
प्रश्न 8.
प्रकृति में सल्फर चक्र को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर
प्रश्न 9.
जलवायु के प्रकाश कारक का पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर
प्रकाश पारिस्थितिक-तन्त्र का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो सम्पूर्ण पारितन्त्र को ऊर्जा देता है। हरे पौधे इसे अवशोषित कर प्रकाश-संश्लेषण करते हैं । इसी कारण प्रकाश की तीव्रता, अवधि इत्यादि का पादपों की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है। प्रकाश तीव्रता की आवश्यकता के आधार पर पादप दो प्रकार के होते हैं
- हेलियोफाइट्स-ये तेज प्रकाश में अच्छी वृद्धि करते हैं, अर्थात् इनमें तेज प्रकाश में संश्लेषण की क्षमता होती है।
- सायोफाइट्स-ये कम प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण करते हैं, अर्थात् ये छायादार स्थानों में उगते हैं।
प्रश्न 10.
आहार जाल का अर्थ स्पष्ट करते हुए एक आहार जाल का रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर
खाद्य-जाल-पारितन्त्र का कोई भी जीव एक से अधिक खाद्य श्रृंखलाओं का सदस्य हो सकता है। ऐसा होने पर वह विभिन्न आहार श्रृंखलाओं के बीच एक कड़ी का काम करता है। इस प्रकार एक जैव समुदाय की सभी आहार श्रृंखलाएँ मिलकर एक जाल का रूप ले लेती हैं जिसे खाद्य जाल या आहार जाल कहते हैं।
उदाहरण-घास पारितन्त्र में टिड्डे, चूहे, शशक, हिरण आदि पाये जाते हैं, जिन्हें मेढक, पक्षी, भेड़िया आदि जन्तु खाकर एक खाद्य जाल की संरचना करते हैं इस पारितन्त्र में एक भी श्रृंखला सीधी नहीं रह पाती है।
प्रश्न 11.
प्रकृति में कैल्सियम चक्र को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर
प्रश्न 12.
वृक्ष एवं तालाब पारिस्थितिक तंत्र के घटकों के संख्या का पिरामिड बनाइये।
उत्तर
प्रश्न 13.
तालाब पारिस्थितिकी तन्त्र के उपभोक्ता समुदाय को 66-75 शब्दों में समझाइए।
उत्तर
तालाब एक सरल तथा कृमि पारितन्त्र है जिसके अन्दर उपभोक्ता वर्ग के जीव निम्नानुसार होते
- प्राथमिक उपभोक्ता-इसमें तालाब के शाकाहारी जन्तु प्लवक आते हैं, जैसे-डैफनिया, साइक्लोस, पैरामीशियम, अमीबा। इसके अलावा कुछ नितलस्थ जन्तु, जैसे-अनेक प्रकार की मछलियाँ, क्रस्टेशिया, मोलस्क, कीट तथा भुंग आदि भी प्राथमिक उपभोक्ता की तरह व्यवहार करते हैं।
- द्वितीयक उपभोक्ता-छोटी शाकाहारी मछलियों तथा कीटों को खाने वाली बड़ी मछलियाँ, मेढक, इत्यादि जीव इस श्रेणी में आते हैं।
- तृतीयक उपभोक्ता-द्वितीयक उपभोक्ताओं को ग्रहण करने वाले जीव सारस, बगुला एवं मांसाहारी मछलियाँ इस श्रेणी में आते हैं।
प्रश्न 14.
किसी तालाब पारिस्थितिक-तन्त्र के जैवभार के शंकु को समझाइए।
उत्तर
तालाब के जैव भार काशंकु-किसी पारिस्थितिक तन्त्र में जीवित जीवों का इकाई क्षेत्र में शुष्कभार जीव भार कहलाता है। सामान्यत: उत्पादकों का भार सबसे ज्यादा होता है ।
इसके बाद भार क्रमशः कम होता जाता है इस कारण जीवभार का शंकु सीधा बनता है, लेकिन तालाब पारिस्थितिक तन्त्र इसका अपवाद है अर्थात् उपभोक्ता यह उल्टा बनता है क्योंकि तालाब में शैवालों अर्थात् उत्पादों का भार सबसे कम होता है। कीटों और दूसरे सूक्ष्म जीवों का भार उत्पादक उत्पादों से ज्यादा होता है। इसी प्रकार छोटी मछलियों का भार कीटों से ज्यादा और उन पर आश्रित बड़ी मछलियों का भार सबसे ज्यादा होता है
पारितंत्र दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पारिस्थितिक-तन्त्र में पोषी स्तरों से आप क्या समझते हैं ? विभिन्न प्रकार के आहार शंकुओं का वर्णन कीजिए। संक्षेप में समझाइए कि ऊर्जा शंकु सदैव सीधे ही क्यों होगी?
उत्तर
पोषी स्तर-आहार श्रृंखला या पारिस्थितिक-तन्त्र के उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के विभिन्न स्तरों को पोषक स्तर कहते हैं। दूसरे शब्दों में आहार श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी पोषी या पोषक स्तर कहलाती
आहार शंकु या पारिस्थितिक शंकु- यदि पारितन्त्र के विभिन्न पोषक स्तरों के जीवों को उनकी शेर संख्या, जीवभार तथा उनमें संचित ऊर्जा की मात्राओं बाघ के अनुपात को चित्र द्वारा व्यक्त करें तो एक शंकु जैसी आकृति प्राप्त होती है जिसे आहार शंकु कहते हैं। ये
1. जीव संख्या का शंकु- जब आहार श्रृंखला को पोषक स्तरों का शंकु पोषक स्तरों में उपस्थित जीवों की संख्या के आधार पर बनाते हैं तो इसे जीव संख्या का शंकु कहते हैं। यदि हम संख्या को आधारानें तो उत्पादकों की संख्या सबसे अधिक तथा इसके बाद के पोषक स्तरों के जीवों की संख्या क्रम से कम होती जाती है इस कारण इसका शंकु सीधा बनता है, लेकिन एक वृक्ष को आधार मानने पर यह उल्टा बनता है।
2. जीव भार का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र में संख्या के स्थान पर जीवों के कुल भार के आधार पर पोषी स्तरों को देखें तो उल्टे तथा सीधे, अर्थात् दोनों प्रकार के शंकु बनते हैं।
3. ऊर्जा का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र के विभिन्न जैविक घटकों में संचित ऊर्जा को आधार मानकर शंकु का निर्माण करें तो इसे ऊर्जा का शंकु कहते हैं यह शंकु हमेशा सीधा बनता है, क्योंकि प्रत्येक पोषी स्तरों में ऊर्जा में कमी आती जाती है। (लघु उत्तरीय प्रश्न क्र. 6 का चित्र देखें।) ऊर्जा के शंकु को सीधा बनने का कारण-चूँकि प्रत्येक पोषी स्तर में ऊर्जा की मात्रा कम होती जाती है इस कारण ऊर्जा का शंकु हमेशा सीधा ही बनता है।
प्रश्न 2.
स्थलीय बायोम से क्या तात्पर्य है ? ये कितने प्रकार के होते हैं ? किसी एक बायोम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर
स्थलीय बायोम-प्राकृतिक रूप से बड़े-बड़े क्षेत्रों में फैले पारितन्त्रों को बायोम कहते हैं अर्थात् बायोम बड़े पारिस्थितिक तन्त्र हैं। अगर बायोम भूमि पर हो तब उसे स्थलीय बायोम कहते हैं । स्थलीय बायोम निम्न प्रकार के हो सकते हैं
(अ) वनीय बायोम-ये निम्न प्रकार के हो सकते हैं
- ऊष्ण कटिबन्धीय वन
- शीतोष्ण कटिबन्धीय वन
- टैगा वन।
(ब) घास स्थलीय बायोम-ये निम्न प्रकार के हो सकते हैं
- ऊष्ण कटिबन्धीय एवं
- शीतोष्ण कटिबन्धीय।
(स) रेगिस्तानी बायोम
(द) टुण्ड्रा बायोम
घास स्थलीय बायोम या पारितन्त्र-वह बायोम (पारितन्त्र) है जिसमें लम्बी-लम्बी घासें पायी जाती हैं इसकी भूमि उपजाऊ होती है। यहाँ पर लगभग 25 से 75 सेमी. औसतन वार्षिक वर्षा होती है। इस पारितन्त्र (बायोम) के घटक निम्नानुसार होते हैं-
(A) अजीवीय घटक-इसमें भूमि के कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ तथा जलवायुवीय घटक आते हैं
(B) जीवीय घटक-इसके जीवीय घटक निम्नानुसार होते हैं.
- उत्पादक-इस वर्ग में घासें, शाकीय पादप तथा झाड़ियाँ आती हैं।
- प्राथमिक उपभोक्ता-इस क्षेत्र के शाकाहारी जन्तुओं में गाय, भैंस, बकरियाँ, भेड़, हिरन, खरगोश, चूहे, कीट, पक्षी प्रमुख होते हैं।
- द्वितीयक उपभोक्ता-कई प्रकार के मांसाहारी जीव जो प्राथमिक उपभोक्ताओं का भक्षण करते हैं, द्वितीयक उपभोक्ता कहलाते हैं। साँप, पक्षी, लोमड़ी, भेड़िया आदि इस समूह के प्राणी हैं।
- तृतीयक उपभोक्ता-ये जीवधारी द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाने के कारण उच्च मांसाहारी कहलाते हैं, क्योंकि इस पारितन्त्र में इन्हें खाने वाला दूसरा जीव नहीं होता। बाज, मोर इसी श्रेणी में रखे जाते हैं।
- अपघटक-अनेक प्रकार के सूक्ष्मजीवी कवक जीवाणु एवं एक्टिनोमाइसीट्स घास के मैदान के अपघटक होते हैं। ये उत्पादकों तथा उपभोक्ताओं के मृत शरीर व उत्तार्जी पदार्थों को विघटित करके उन्हें पुनः अजीवित घटकों में बदल देते हैं, जो पुनः पेड़-पौधों को प्राप्त हो जाते हैं।
प्रश्न 3.
पारिस्थितिक तंत्र में खनिजों के चक्रीकरण को समझाइये।
उत्तर
जैव-भूगर्भीय रासायनिक चक्र—पारितन्त्र या प्रकृति में पोषक पदार्थों और मानव निर्मित वस्तुओं सहित (रासायनिक खादों, दवाओं इत्यादि के रूप में प्रयुक्त पदार्थ) दूसरे कई अन्य पदार्थ अजीवीय से जीवीय और पुन: अजीवीय घटकों में एक चक्र के रूप में प्रवाहित होते रहते हैं, इस चक्र को जैव-भूगर्भीय रासायनिक चक्र या खनिजों का चक्रीकरण कहते हैं। प्रमुख चक्र हैं N2 चक्र, O2 चक्र, कार्बन चक्र आदि।
सल्फर चक्र-प्रकृति में यह तत्व रूप में मिलती है, कुछ जीवाणु इसे सल्फेट में बदल देते हैं, जिसे पौधे ग्रहण कर लेते हैं, पौधों से यह जन्तुओं में आती है और जब ये सब मरते हैं, तब जीवाणु इन्हें H2S और तात्विक रूप में मुक्त कर देते हैं, जो जीवाणुओं द्वारा पुनः SC के रूप में रूपान्तरित कर दी जाती है
कैल्सियम चक्र-भूमि से पादप Ca को लवण के रूप में ग्रहण करते हैं उनसे इसे जन्तु ग्रहण करते हैं, जहाँ यह अस्थियों के कवचों में उपस्थित रहता है। जब पादप एवं जन्तु मरते हैं, तब इनके शरीर का अपघटन जीवाणुओं द्वारा किया जाता है और इनके शरीर की Ca को फिर से प्रकृति में मुक्त कर दिया जाता है