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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्त्व
p-ब्लॉक के तत्त्व NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
ट्राइहैलाइडों की अपेक्षा पेंटाहैलाइड अधिक सहसंयोजी क्यों होते हैं ?
उत्तर
केन्द्रीय परमाणु की जितनी अधिक धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था होगी उसकी ध्रुवण क्षमता उतनी ही अधिक होगी। जिसके कारण केन्द्रीय परमाणु और हैलोजन परमाणु के मध्य बने बन्ध का सहसंयोजी लक्षण बढ़ जाता है। पेन्टाहैलाइड में केन्द्रीय परमणु +5 ऑक्सीकरण अवस्था में है जबकि ट्राइहैलाइड में यह +3 ऑक्सीकरण अवस्था में है। अतः ट्राइहैलाइडों की अपेक्षा पेन्टाहैलाइड अधिक सहसंयोजी होते हैं।
प्रश्न 2.
वर्ग-15 के तत्वों के हाइड्राइडों में BiH3 सबसे प्रबल अपचायक क्यों है ?
उत्तर
वर्ग-15 के सभी तत्वों में Bi परमाणु सबसे बड़ा है। अत: Bi-H आबन्ध दूरी सबसे अधिक और Bi-H बन्ध वियोजन एन्थैल्पी सबसे कम है। यही कारण है कि Bi-H बन्ध, वर्ग के दूसरे हाइड्राइडों की तुलना में आसानी से वियोजित (टूट) हो जाता है जिसके कारण BiH3 सबसे प्रबलतम अपचायक है।
प्रश्न 3.
N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील क्यों है ?
उत्तर
N ≡ N में आबंध एन्थैल्पी उच्च होती है ऐसा pπ-pπ आबंध के कारण है अत: N2 कम क्रियाशील है। यह केवल उच्च ताप पर क्रियाशील होता है।
प्रश्न 4.
अमोनिया की लब्धि को बढ़ाने के लिये आवश्यक स्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
व्यापक स्तर पर अमोनिया हैबर प्रक्रम द्वारा बनाई जाती है।
N2(g) +3H2(g) ⇌ 2NH3(g) (ΔfH°= -92.4 kJ mol-1
ली-शातेलिए नियम के अनुसार, उच्च दाब अमोनिया निर्मित करने के लिए अनुकूल होता है। अमोनिया उत्पादन के लिए अन्य अनुकूलतम परिस्थितिया निम्न प्रकार हैं –
- ताप- लगभग 700 K
- दाब- 200 वायुमण्डलीय दाब या 200 x 105Pa
- उत्प्रेरक-आयरन ऑक्साइड
- वर्धक-मॉलिब्डेनम, MO या K2O तथा Al2O3
प्रश्न 5.
Cu2+ विलयन के साथ अमोनिया कैसे क्रिया करती है ?
उत्तर
अमोनिया Cu2+ आयन के नीले रंग के विलयन से क्रिया करता है तथा गहरे नीले रंग का विलयन बनाता है।
Cu+2(aq) +4NH3(aq) ⇌ [Cu(NH3)4]2+(aq)
प्रश्न 6.
N2O5 में नाइट्रोजन की सहसंयोजकता क्या है ? ।
उत्तर
N2O5 की संरचना से ज्ञात होता है कि N2O5 में N की सहसंयोजकता चार है।
प्रश्न 7.
PH3 से PH+4 का आबंध कोण अधिक है, क्यों ?
उत्तर
PH3 व PH+4 में P की संकरण अवस्था sp3 है। PH4+ आयन में चारों उपकक्षक आबंधित है। जबकि PH3 में फॉस्फोरस पर इलेक्ट्रॉन युग्म होता है जो कोण के मान को प्रतिकर्षण के कारण कम करते हैं। सामान्यतया 109°2s’. से कम होता है।
प्रश्न 8.
क्या होता है जब श्वेत फॉस्फोरस को CO2के अक्रिय वातावरण में सान्द्र कॉस्टिक सोडा विलयन के साथ गर्म करते हैं ?
उत्तर
श्वेत फॉस्फोरस को CO2 के अक्रिय वातावरण में सान्द्र कॉस्टिक सोडा विलयन के साथ गर्म करने पर PH3 (फॉस्फीन)उत्पन्न होती है।
प्रश्न 9.
क्या होता है जब PCl5 को गर्म करते हैं ?
उत्तर
PCl5 में 5P-Cl बन्ध है जिसमें तीन निरक्षीय P-Cl आबन्ध (लम्बे) तथा दो अक्षीय आबन्ध छोटे हैं। दोनों अक्षीय आबन्ध, निरक्षीय आबन्धों से बड़े होते हैं क्योंकि निरक्षीय आबन्ध युग्मों की तुलना में अक्षीय आबन्ध युग्मों पर अधिक प्रतिकर्षण होता है। जब PCl5 को गर्म किया जाता है तो कम स्थायी दोनों अक्षीय आबन्ध टूट जाते हैं तथा PCl3 बनता है।
हल्का गर्म करने पर PCl5 उर्ध्वपातित हो जाता है परन्तु अधिक गर्म करने से वियोजित हो जाता है।
प्रश्न 10.
PCl5 की भारी पानी में जल अपघटन अभिक्रिया का संतुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर
PCl5 + D2O → POCl3 + 2DCl.
प्रश्न 11.
H3PO4 की क्षारकता क्या है ?
उत्तर
H3PO4 अणु में P-OH तीन आबंध होते हैं। इसलिए यह तीन क्षारकता दर्शाता है।
प्रश्न 12.
क्या होता है जब H3PO3 को गरम करते हैं ?
उत्तर
गरम करने पर H3PO4 असमानुपातिक गुण दर्शाता है तथा यह असमानुपातिक होकर आर्थोफॉस्फोरिक अम्ल तथा फॉस्फीन देता है।
प्रश्न 13.
सल्फर के महत्वपूर्ण स्रोतों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर-
सल्फर की उपलब्धता तथा स्रोत भूपर्पटी में सल्फर की उपलब्धता केवल 0.03 से 0.1% है। संयुक्त अवस्था में निम्न रूपों में पाई जाती हैं –
(i) सल्फेटों के रूप में-उदाहरण- जिप्सम (CaSO4. 2H2O), एप्सम लवण (MgSO4.7H2O), बेराइट (BaSO4).
(ii) सल्फाइड़ों के रूप में- उदाहरण- गेलेना (PbS), यशद ब्लैंड (ZnS), कॉपर पाइराइट (CuFeS2)
सल्फर की सूक्ष्म मात्रा ज्वालामुखी में हाइड्रोजन सल्फाइड के रूप में पाई जाती है। कार्बनिक पदार्थों जैसे –
अंडे, प्रोटीन, लहसुन, प्याज, सरसों, बाल तथा ऊन में सल्फर होती है।
प्रश्न 14.
वर्ग-16 के तत्वों के हाइड्राइडों के तापीय स्थायित्व के क्रम को लिखिये।
उत्तर
वर्ग-16 के तत्वों के हाइड्राइडों का तापीय स्थायित्व H-E आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी के अनुक्रमानुपाती होता है। वर्ग में नीचे जाने पर, आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी घटती है क्योंकि आबन्ध लम्बाई बढ़ती है। अतः आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी का घटता हुआ क्रम निम्न है
H2O > H2S > H2Se > H2Te > H2Po.
तापीय स्थायित्व का क्रम भी इसी प्रकार है।
प्रश्न 15.
H2O एक द्रव तथा H2S गैस क्यों है ?
उत्तर
H2O के अणुओं के मध्य प्रबल हाइड्रोजन बंध उपलब्ध होता है जबकि H2S अणुओं के मध्य हाइड्रोजन आबंध नहीं होता अतः जल द्रव है तथा H2S गैस।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से कौन-सा तत्व ऑक्सीजन के साथ सीधे अभिक्रिया नहीं करता –
Zn, Ti, Pt, Fe.
उत्तर
Pt नोबल धातु होने के कारण ऑक्सीजन से सीधे क्रिया नहीं करता। Zn, Ti तथा Fe सक्रिय धातु होने के कारण ऑक्सीजन से सीधे क्रिया करते हैं।
प्रश्न 17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए –
(i) C2H4 + O2 →
(ii) 4Al + 3O2→
उत्तर
(i) C2H4 + 3O2 → 2CO2(g) + 2H2O
(ii) 4Al + 3O2 → 2Al2O3
प्रश्न 18.
O3 एक प्रबल ऑक्सीकारक की तरह क्रिया क्यों करती है ?
उत्तर
O3 एक प्रबल ऑक्सीकारक है क्योंकि यह आसानी से नवजात ऑक्सीजन मुक्त करती है।
प्रश्न 19.
O3 का मात्रात्मक आकलन कैसे किया जाता है ?
उत्तर
जब ओजोन को पोटैशियम आयोडाइड विलयन की अधिकता में क्रियाशील किया जाता है तब आयोडीन उत्पन्न होती है । जब उत्पन्न आयोडीन I2 को सोडियम थायोसल्फेट से क्रियाशील किया जाता है तब मात्रात्मक रूप से O3 गैस की गणना करता है।
2I–+H2O(l) + O3(g) → 2OH–(aq) + I2(s) + O2(g)
प्रश्न 20.
तब क्या होता है जब सल्फर डाइऑक्साइड को Fe(III) लवण के जलीय विलयन में से प्रवाहित करते हैं ?
उत्तर
Fe (III) आयन विलयन से SO2 गैस को गुजारा जाता है तब Fe (III) आयन अपचयित होकर Fe (II) आयन में बदल जाते हैं।
2Fe+3 + SO2 + 2H2O → 2Fe+2 + SO42- + 4H+
प्रश्न 21.
दो S-O आबन्धों की प्रकृति पर टिप्पणी कीजिए जो SO2 अणु बनाते हैं क्या SO2 अणु के ये दोनों S-O आबन्ध समतुल्य हैं ?
उत्तर
SO2 अणु में दोनों S-O बन्धों की प्रकृति सहसंयोजी है। दोनों की आबन्ध लम्बाई (143 pm) समान है। यह दो विहित रूपों का अनुनाद संकर है। (संरचना के लिये पाठ्यपुस्तक देखें)
प्रश्न 22.
SO2 की उपस्थिति का पता कैसे लगाया जाता है ?
उत्तर
यह तीखी गंध वाली रंगहीन गैस है। इसकी उपस्थिति का पता निम्न दो परीक्षणों द्वारा किया जाता है –
(a) यह अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट (VII) विलयन को रंगहीन कर देती है।
(b) यह अम्लीय पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन का रंग नारंगी से हरा कर देती है।
प्रश्न 23.
उन तीन क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए जिनमें H2SO4 महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उत्तर
H2SO4 के उपयोग –
- इसका उपयोग वर्णकों, प्रलेपों तथा रंजकों के मध्यवर्तियों के उत्पादन में किया जाता है।
- यह पेट्रोलियम के शोधन में प्रयोग किया जाता है।
- इसका उपयोग उर्वरकों के उत्पादन में किया जाता है।
प्रश्न 24.
संस्पर्श प्रक्रम द्वारा H2SO4 की मात्रा में वृद्धि करने के लिए आवश्यक परिस्थितियों को लिखिए।
उत्तर
सम्पर्क विधि द्वारा H2SO4 उत्पादन की मुख्य रासायनिक समीकरण निम्न है –
2SO2(g)+ O2(g) ⇌ 2SO3(g) (ΔfH°= -1966kJmol-1)
अभिक्रिया उत्क्रमणीय, ऊष्माक्षेपी तथा आयतन के घटते क्रम में प्रेरित होती है।
∴ कम, ताप व उच्च दाब, प्रभावी कारक है H2SO4 के उत्पादन में लेकिन ताप बहुत कम नहीं होना चाहिए। नहीं तो अभिक्रिया धीमी हो जाएगी।
अतः 720 K ताप व 2 बार वायुदाब तथा V2O5 उत्प्रेरक अभिक्रिया को यदि प्रदान करता है।
प्रश्न 25.
जल में H2SO2 के लिए \(K_{a_{2}}<<K_{a_{1}}\) क्यों है ?
उत्तर
जल में H2SO4 प्रबल अम्ल है क्योंकि आयनित होकर H3O+ तथा HSO–4 आयन बनाता है। HSO–4(aq); से H3O+ बनने की आयतन मान कम है जब अत: \(K_{a_{2}}<<K_{a_{1}}\)
प्रश्न 26.
आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी, इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी तथा जलयोजन एन्थैल्पी जैसे प्राचलों को महत्व देते हुए F2 तथ Cl2 की ऑक्सीकारक क्षमता की तुलना कीजिए।
उत्तर
F2 तथा Cl2 के तुलनात्मक परमाण्विक गुण
उपरोक्त आँकड़ों से स्पष्ट है कि आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान क्लोरीन के लिए उच्च हैं लेकिन जलयोजन एन्थैल्पी का मान फ्लुओरीन के लिए बहुत उच्च है। उन दोनों के प्रभावों की क्षतिपूर्ति करता है। यह मान ही फ्लुओरीन को क्लोरीन की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक बनाता है।
हैलोजनों की तुलनात्मक ऑक्सीकारक सामर्थ्य को उनकी जल के साथ अभिक्रिया से और अधिक समझा जा सकता है।
2F2(g) +2H2O(l) → 4H+(aq) + 4F–(aq) + O2(g)
Cl2(g) +H2O (l) → HCl (aq) + HOCl(aq)
प्रश्न 27.
दो उदाहरणों द्वारा फ्लुओरीन के असामान्य व्यवहार को दर्शाइये।
उत्तर
फ्लुओरीन के दो असामान्य व्यवहार इस प्रकार हैं –
(i) यह केवल एकमात्र ऑक्सी-अम्ल बनाती है जबकि अन्य हैलोजन अनेक ऑक्सी-अम्ल बनाते हैं।
(ii) प्रबल हाइड्रोजन बन्ध के कारण हाइड्रोजन फ्लुओराइड (HF) द्रव है (क्वथनांक 293 K) जबकि दूसरे हाइड्रोजन हैलाइड गैस हैं।
प्रश्न 28.
समुद्र कुछ हैलोजन का मुख्य स्रोत है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर
हैलोजन के लिए महासागर प्रमुख स्रोत है समुद्री जल में क्लोराइड, ब्रोमाइड और आयोडीन के लवण मिलते हैं। जब पानी को सुखाया जाता है तब लवणों को प्राप्त करते हैं।
KCl, MgCl2. 6H2O. तथा 0.5% मात्रा में आयोडीन।
प्रश्न 29.
Cl2 की विरंजक क्रिया का कारण बताइये।
उत्तर
क्लोरीन की विरंजन क्रिया ऑक्सीकरण के कारण है। जब क्लोरीन जल से क्रिया करती है तो यह नवजात ऑक्सीजन देती है जो रंगीन पदार्थों को विरंजित करती है।
Cl2 +H2O → 2HCl + [O]
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ
लोरीन का विरंजक प्रभाव स्थायी होता है। यह नमी की उपस्थिति में वानस्पतिक अथवा कार्बनिक पदार्थों को विरंजित करती है।
प्रश्न 30.
उन कुछ विषैली गैसों के नाम बताइये जो क्लोरीन गैस से बनाई जाती है।
उत्तर
(i) फॉस्जीन (COCl2)
(ii) अश्रुगैस (CCl3.NO2)
प्रश्न 31.
I2 की अपेक्षा ICl अधिक क्रियाशील क्यों है ?
उत्तर
ICl में उपस्थित, I-Cl आबन्ध, I2 में उपस्थित I-Iआबन्ध की तुलना में दुर्बल होते हैं। अतः ICl, I2 की तुलना में अधिक क्रियाशील है।
प्रश्न 32.
हीलियम को गोताखोरी के उपकरणों में उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर
रक्त में बहुत कम विलेयता के कारण हीलियम का उपयोग गोताखोरी के उपकरणों में किया जाता है।
प्रश्न 33.
निम्नलिखित समीकरण को संतुलित कीजिए –
XeF6 + H2O →XeO2F2 + HF
उत्तर
XeF6 + 2H2O →XeO2F2 + 4HF.
प्रश्न 34.
रेडॉन के रसायन का अध्ययन करना कठिन क्यों था?
उत्तर
रेडॉन एक रेडियोधर्मी तत्व है जिनकी अर्धआयु बहुत कम है अत: इनकी रासायनिक शास्त्र को समझना कठिन है।
p-ब्लॉक के तत्त्व NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
वर्ग 15 के तत्वों के सामान्य गुणधर्मों को उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, ऑक्सीकरण अवस्था, परमाण्विक आकार, आयनन एन्थैल्पी तथा विद्युत्ऋणात्मकता के संदर्भ में विवेचना कीजिए।
उत्तर
आवर्त सारणी के समूह 15 में पाँच तत्वों-नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), आर्सेनिक (As), एण्टीमनी (Sb) तथा बिस्मथ (Bi) का समावेश है। इन तत्वों को सम्मिलित रूप से ‘प्रिकोजन’ कहा जाता है तथा उनके यौगिकों को ‘प्रिकोनाइड’ कहते हैं। इसका ग्रीक में अर्थ होता है-दम घुटने वाला (क्योंकि वायुमंडल की आयतनानुसार 21% ऑक्सीजन को हटा दिया जाए तो शेष बची नाइट्रोजन में दम तो घुटेगा ही)।
निम्न बिन्दुओं पर इनकी विवेचना इस प्रकार है –
1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration)-इनके संयोजकता कक्ष में पाँच इलेक्ट्रॉन होते हैं तथा इस कक्ष का सामान्य विन्यास ns2np3 से प्रदर्शित होता है। जहाँ, n= 2 से 6 तक होता है। अंतिम से पहले वाले कक्ष में N में 2, फॉस्फोरस में 8 तथा अन्य में 18 इलेक्ट्रॉन होते हैं। np3 में स्थित तीन इलेक्ट्रॉन हुंड के नियम के अनुसार, npx1npy1npz1 के रूप में वितरित होते हैं। यह विन्यास अर्द्धपूरित अवस्था में होने के कारण स्थायित्व प्रदर्शित करता है। यही कारण है कि ये तत्व अधिक क्रियाशीलता प्रदर्शित नहीं करते।
2. आयनन एन्थैल्पी (Ionization enthalpy)-(a) समूह 14 (कार्बन परिवार) के तत्वों की तुलना में समूह 15 (नाइट्रोजन परिवार) के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी अपेक्षा से अधिक होती है।
(b) उसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर आयनन एन्थैल्पी घटती है।
3. विद्युत् ऋणविद्युतता (Electronegativity)-समूह 14 के तत्वों की तुलना में समूह 15 के तत्वों की ऋणविद्युतता अधिक होती है। इसका कारण परमाण्विक त्रिज्या का घटना तथा नाभिकीय आवेश का बढ़ना है।
4. परमाण्विक आकार (Atomic shape)-समूह 15 में ऊपर से नीचे जाने पर विद्युत्ऋणता में कमी होती जाती है, इसका कारण परमाणु त्रिज्या का बढ़ना तथा आवरण प्रभाव का बढ़ना है। .
5. ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state)-समूह 15 के तत्वों का संयोजकता कक्ष का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2np3 होने के कारण इन तत्वों की संभावित ऑक्सीकरण अवस्थाएँ -3, +3 तथा +5 हो सकती हैं।
N तथा P अपने यौगिकों में -3 ऑक्सीकरण अवस्था में होते हैं। इनकी उच्च विद्युत्ऋणता तथा छोटा आकार इसका कारण है। अधिक विद्युत्धनी तत्वों से संयोगकर, ये नाइट्राइड तथा फॉस्फाइड बनाते हैं । जैसे Mg3N2 तथा Mg3P2, जिसमें N तथा P की ऑक्सीकरण अवस्था -3 है।
किंतु समूह में नीचे जाने पर यह प्रवृत्ति कम होती जाती है क्योंकि परमाणु का आकार भी बढ़ता है तथा विद्युत्ऋणता भी घटती हैं अपने से अधिक विद्युत्ऋणी तत्वों से जब ये संयोग करते है, तो धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करने लगते हैं।
फॉस्फोरस तथा आगे के तत्व +3 एवं +5 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं। +3 ऑक्सीकरण अवस्था अधिक स्थायी होती है। समूह में नीचे जाने पर +5 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व घटता जाता है।
+5 ऑक्सीकरण अवस्था के लिये ns2np3 के सभी पाँचों इलेक्ट्रॉन निकलना आवश्यक है किंतु समूह में नीचे जाने पर ns2 इलेक्ट्रॉनों की अक्रियता बढ़ती जाती है। यह इलेक्ट्रॉन युग्म अलग नहीं होता, इसलिए इसे
“अक्रिय इलेक्ट्रॉन युग्म” (Inert electron pair) कहते हैं। इसके प्रभाव से मात्र ns3 के तीन इलेक्ट्रॉन निकल पाते हैं जो +3 ऑक्सीकरण अवस्था के लिए जिम्मेदार हैं। जिस प्रभाव के कारण +5 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व समाप्त हो जाता है, उसे अक्रिय युग्म प्रभाव (Inert pair effect) कहते हैं। इसीलिए BiCl3 का अस्तित्व है, BiCl5 का नहीं।
प्रश्न 2.
नाइट्रोजन की क्रियाशीलता फॉस्फोरस से भिन्न क्यों है ?
उत्तर
नाइट्रोजन द्विपरमाणुक रूप में पाया जाता है। नाइट्रोजन के दो परमाणुओं के बीच त्रिबन्ध (N≡N) की उपस्थिति के कारण इसकी आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी (941.4 kJ mol-1) अधिक है। इस प्रकार नाइट्रोजन अपने तत्व रूप में अक्रिय है।
इसके विपरीत फॉस्फोरस (श्वेत या पीला) P4 अणु से बना होता है, क्योंकि N≡N त्रिबन्ध की अपेक्षा (941.4 kJ mol-1), P-P एकल बन्ध काफी दुर्बल (213 kJ mol-1) होता है। अतः फॉस्फोरस, नाइट्रोजन की अपेक्षा बहुत अधिक क्रियाशील है।
प्रश्न 3.
वर्ग 15 के तत्वों की रासायनिक क्रियाशीलता की प्रवृत्ति की विवेचना कीजिए।
उत्तर
रासायनिक क्रियाशीलता (Multiple bonding and Chemical reactivity) –
(a) समूह 15 के तत्व क्रियाशीलता के मामले में बहुत भिन्नता रखते हैं। अधिक विद्युत्ऋणी होने के बावजूद नाइट्रोजन अक्रिय है। N2 की अक्रियता का कारण अणु में त्रिबंध का होना तथा अत्यधिक बंधन ऊर्जा (941.4 kJ mol-1) का होना है।
फॉस्फोरस की परमाणुकता 4 है। चारों P परमाणु एक चतुष्फलक के शीर्षों पर स्थित होते हैं तथा आपस में जुड़े होते हैं। इस प्रकार से फॉस्फोरस की तीन सहसंयोजकताएँ पूर्ण होती हैं।
sp3 संकरण में बनने वाला 109°28′ का कोण इसमें लुप्त रहता है तथा 60° का कोण होता है। इस वजह से श्वेत रंग का P4 एक अत्यंत ‘तनाव’ युक्त अणु होता है जो इसे सक्रिय बनाता है। दूसरी ओर लाल रंग का फॉस्फोरस खुली श्रृंखला में होने के कारण अपेक्षाकृत निष्क्रिय होता है। As, Sb तथा Bi भी क्रियाशील नहीं है।।
(b) दो नाइट्रोजन परमाणुओं के बीच Pπ-Pπ बंध के कारण त्रिबंध होता है। फॉस्फोरस में Pπ-Pπ बंध संभव है। ऐसे बंधन मुक्त यौगिकों के उदाहरण – POX3,RN = PX3,R3P = O,R3P = CR2 (R = एल्किल समूह)।
फॉस्फोरस तथा आर्सेनिक में Pπ-Pπ बंध भी बनाने की क्षमता है। ऐसा ये संक्रमण तत्वों के साथ करते हैं। :P(C2H5), तथा :As(C6H5)3 लिगेण्ड के रूप में रहकर संक्रमण धातु के साथ यह बंध बनाते हैं। अभी हाल में P = C, P≡ C, P = N, P = P तथा As = As समूहों से युक्त यौगिकों का भी संश्लेषण किया गया है।
प्रश्न 4.
NH3 हाइड्रोजन बंध बनाती है। परंतु PH3नहीं बनाती क्यों ?
उत्तर
नाइट्रोजन और हाइड्रोजन की विद्युत्ऋणात्मकताओं में अपेक्षाकृत अधिक अन्तर होने से इनके बीच बने सहसंयोजी बन्ध की प्रकृति ध्रुवीय है। यही कारण है कि NH3 अणुओं के बीच H-आबन्ध बनाता है।
फॉस्फोरस तथा हाइड्रोजन की विद्युतऋणात्मकताएँ समान हैं यही कारण है कि P-H सहसंयोजी बन्ध अध्रुवीय होता है। अतः PH3 अणुओं के बीच H-आबन्ध नहीं बनते हैं।
प्रश्न 5.
प्रयोगशाला में नाइट्रोजन कैसे बनाते हैं ? संपन्न होने वाली अभिक्रिया के रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर
(i) N2 के विरचन की प्रयोगशाला विधि – जलीय अवस्था में अमोनियम क्लोराइड और सोडियम नाइट्राइट क्रिया कर N2 बनाते हैं। अभिक्रिया में थोड़ी मात्रा में NO और HNO3 बनाता है जिन्हें H2SO4 और K2Cr2O7 की क्रिया से हटाया जाता है।
प्रश्न 6
अमोनिया का औद्योगिक उत्पादन कैसे किया जाता है?
उत्तर
अमोनिया निर्माण की हैबर विधि
(a) सिद्धान्त – एक आयतन नाइट्रोजन गैस और तीन आयतन हाइड्रोजन गैस आपस में क्रिया करके अमोनिया बनाती है। यह एक ऊष्माक्षेपी क्रिया है। इसमें अमोनिया के बनने से आयतन में कमी होती है, क्योंकि कुल चार आयतन अभिकारक से दो आयतन क्रियाफल प्राप्त होते हैं । अतः ली-शातेलिये के सिद्धान्त के अनुसार अमोनिया के अधिक उत्पादन हेतु N2 तथा H2 का अधिक सान्द्रण कम ताप एवं उच्च दाब ही उपयुक्त परिस्थिति होगी।
(b) अभिक्रिया का समीकरण –
(c) विधि-वायु को, शुद्ध N2 तथा वॉटर गैस से प्राप्त H2 को क्रमशः 1 : 3 अनुपात में मिलाकर 200 वायुमण्डलीय दाब से संपीडक में प्रवेश कराते हैं । इसमें Fe चूर्ण एवं उत्प्रेरक वर्धक Mo रखा होता है। इस कक्ष का ताप 450-500°C तक नियंत्रित रखते हैं। उत्प्रेरक कक्ष से निकलने वाली गैसों में 10% से 15% तक NH3 रहती है। इसे संघनित्र की सहायता से ठंडा करके अलग कर लेते हैं। शेष अनुपयुक्त गैस को पम्प की सहायता से पुनः उत्प्रेरक कक्ष में पहुँचा दिया जाता है।
(d) सावधानियाँ-(1) N2 और H2 शुद्ध अवस्था एवं शुष्क अवस्था में होनी चाहिए, क्योंकि अशुद्धियाँ उत्प्रेरक को विषाक्त कर देती हैं । (2) ताप एवं दाब नियन्त्रित होने चाहिए।
(e) क्लोरीन की अधिकता में क्रिया
3Cl2 +8NH3 → N2 + 6NH4Cl.
प्रश्न 7.
उदाहरण देकर समझाइए कि कॉपर धातु HNO3 के साथ अभिक्रिया करके किस प्रकार भिन्न उत्पाद दे सकती है ?
उत्तर-
कॉपर धातु की HNO3 के साथ अभिक्रिया के उत्पाद, प्रयुक्त HNO3 की प्रयोग की जाने वाली सान्द्रता पर निर्भर करते हैं।
(i) कॉपर धातु, तनु HNO3 के साथ अभिक्रिया करके नाइट्रोजन (II) ऑक्साइड देता है।
3Cu + 8HNO3 (तनु) → 3Cu(NO3)2+4H2O + 2NO
(ii) कॉपर धातु, सान्द्र HNO, के साथ अभिक्रिया करके नाइट्रोजन (IV) ऑक्साइड या नाइट्रोजन डाइऑक्साइड NO2 देता है।
Cu + 4HNO3 (सान्द्र) →Cu(NO3)2+ 2H2O + 2NO2
प्रश्न 8.
NO2 तथा N2O5 के अनुनादी संरचनाओं को लिखिए।
उत्तर-
प्रश्न 9.
HNH कोण का मान, HPH, HAsH तथा HSbH कोणों की अपेक्षा अधिक क्यों है ?
(संकेत-NH3 में sp3संकरण के आधार तथा हाइड्रोजन ओर वर्ग के दूसरे तत्वों के बीच केवल s-p आबंधन के द्वारा व्याख्या की जा सकती है।)
उत्तर
वर्ग-15 के हाइड्राइडों में केन्द्रीय परमाणु E (जहाँ E = N, P, As, Sb, Bi)sp3 संकरित है। वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर इसकी विद्युत्ऋणात्मकता घटती है परन्तु आकार बढ़ता है। जिससे केन्द्रीय परमाणु के चारों ओर बन्धन इलेक्ट्रॉन युग्मों के मध्य प्रतिकर्षण बलों में निरन्तर कमी आती है। इस प्रकार वर्ग के नीचे जाने पर आबन्ध कोण घटता जाता है।
प्रश्न 10.
R3P = O पाया जाता है जबकि R3N= O नहीं क्यों ( R = ऐल्किल समूह)?
उत्तर- नाइट्रोजन ऑक्सीजन के साथ dπ-pπ बन्ध नहीं बना पाता है क्योंकि इसके संयोजकता कोश में d-कक्षक अनुपस्थित होते हैं। अतः इसकी सहसंयोजकता 3 तक सीमित है। परन्तु, R3N = O में नाइट्रोजन की संयोजकता 5 होनी चाहिये। अतः यह यौगिक नहीं पाया जाता। फॉस्फोरस में d-कक्षक उपस्थिति होता है जिसके कारण यह dπ-pπ बन्ध बना सकता है तथा अपनी सहसंयोजकता 4 से अधिक दिखा सकता है। अतः फॉस्फोरस R3P = O बनाता है जिसमें इसकी सहसंयोजकता 5 है।
प्रश्न 11.
समझाइए कि क्यों NH3 क्षारकीय है जबकि BiH3 केवल दुर्बल क्षारक है।
उत्तर
NH3 और BiH3 में केन्द्रीय परमाणु पर इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होता है जिस कारण से लुईस क्षार की भांति व्यवहार करते हैं। NH3 से BiH3 तक क्षार गुण का होता है क्योंकि परमाणु आकार बढ़ने से इलेक्ट्रॉन घनत्व कम होता जाता है। अतः इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागने की प्रवृत्ति कम होती है। इसलिए क्षारक गुण घटता है।
प्रश्न 12.
नाइट्रोजन द्विपरमाणुक अणु के रूप में पाया जाता है तथा फॉस्फोरस P4 के रूप में क्यों?
उत्तर
नाइट्रोजन का छोटा आकार होता है तथा वैद्युत्ऋणात्मकता प्रबल है जिससे pπ-pπ बहुआबंध बनाता है । अतः नाइट्रोजन अपने ही परमाणु के साथ त्रिआबंध बनाता है। फॉस्फोरस परमाणु का आकार बड़ा है तथा नाइट्रोजन की तुलना में वैद्यत्ऋणात्मकता कम है। अतः pπ-pπ आबंध बनाने की क्षमता कम है। इसलिए फॉस्फोरस व फॉस्फोरस परमाणु के मध्य एकल आबंध बनते हैं। अत: P, के रूप में होता है।
प्रश्न 13.
लाल फॉस्फोरस तथा श्वेत फॉस्फोरस के गुणों की मुख्य भिन्नताओं को लिखिए।
उत्तर
लाल फॉस्फोरस तथा सफेद फॉस्फोरस के गुणों में तुलना –
प्रश्न 14.
फॉस्फोरस की तुलना में नाइट्रोजन श्रृंखलन गुणों को कम प्रदर्शित करता है, क्यों?
उत्तर
छोटा आकार तथा अनाबंध इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण आबंध युग्म के साथ प्रतिकर्षण दर्शाता है जबकि p-फॉस्फोरस का आकार बड़ा है जिसके कारण अनाबंध इलेक्ट्रॉन युग्म व आबंध इलेक्ट्रॉन युग्म में प्रतिकर्षण कम होता है। परिणामस्वरूप N-N एकल आबंध दुर्बल तथा P-P एकल आबंध प्रबल होता है। अत: N आबंध प्रबलता कम दर्शाता है या शृंखलन गुण कम दर्शाता है।
प्रश्न 15.
H3PO3 की असमानुपातन अभिक्रिया दीजिए।
उत्तर- ऑर्थोफॉस्फोरस अम्ल गर्म करने पर असमानुपातित होकर आर्थोफॉस्फोरिक अम्ल तथा फॉस्फीन देता है।
प्रश्न 16.
क्या PCI5 ऑक्सीकारक और अपचायक दोनों कार्य कर सकता है ? तर्क दीजिए।
उत्तर
PCl5 में, P की ऑक्सीकरण संख्या +5 है जो अधिकतम है। इसे यह और नहीं बढ़ा सकता। अत: PCl5, अपचायक का कार्य नहीं कर सकता है। परन्तु यह अपनी ऑक्सीकरण संख्या +5 से घटाकर +3 कर सकता है अतः यह ऑक्सीकारक का कार्य कर सकता है।
उदाहरण –
प्रश्न 17.
O, S, Se, Te तथा Po को इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, ऑक्सीकरण अवस्था तथा हाइड्राइड निर्माण के संदर्भ में आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में रखने का तर्क दीजिए।
उत्तर-
समूह-16 के तत्वों को समग्र रूप से केल्कोजन कहा जाता है।
(i) समूह-16 के तत्वों में प्रत्येक में 6-संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं। इन तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2np4 होता है। जहाँ, n का मान 2 से 6 तक बदल सकता है।
(ii) ऑक्सीकरण अवस्था- चूँकि इन तत्वों में 6-संयोजी इलेक्ट्रॉन विद्यमान होते हैं, (ns2, np4) अतः ये -2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार केवल ऑक्सीजन ही प्रभावी रूप से -2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते है, अर्थात् ये उच्च विद्युत् ऋणात्मक होते हैं। ये -1 (H2O2), 0 (O2) और +2 (OF2) ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करते हैं । इस प्रकार समूह में नीचे आने पर तत्वों की विद्युत् ऋणात्मकता में निरंतर कमी होने के कारण -2 ऑक्सीजन अवस्था के स्थायित्व में भी कमी आती है। इस समूह के भारी तत्व d-कक्षक की उपस्थिति के अनुसार +2, +4 एवं +6 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं।
(iii) हाइड्राइड्स का निर्माण-ये तत्व H2E प्रकार के हाइड्राइड्स का निर्माण करते हैं। जहाँ, E= O, S, Se, Te, PO होता है। ऑक्सीजन तथा सल्फर को H2E2 प्रकार के हाइड्राइड्स का निर्माण करते हैं। ये हाइड्राइड्स पूर्णतया परितवर्तनशील गुण वाले होते हैं।
प्रश्न 18.
क्यों डाइऑक्सीजन एक गैस है जबकि सल्फर एक ठोस है ?
उत्तर
लघु आकार वाले ऑक्सीजन अणु में अन्तरा इलेक्ट्रॉनिक प्रतिकर्षण के कारण O-O आबन्ध, S-S आबन्ध की तुलना में दुर्बल होता है। उच्च विद्युत्ऋणात्मकता और आकार छोटा होने के कारण, ऑक्सीजन pr-pr बहुआबन्ध बनाती है। अतः यह द्विपरमाणुक अणु के रूप में विद्यमान है जो एक-दूसरे से दुर्बल वाण्डर वाल्स बलों द्वारा जुड़े होते हैं । इस प्रकार ऑक्सीजन कमरे के ताप पर गैस रूप में उपस्थित है। सल्फर की pπ-pπ बहुआबन्ध बनाने की प्रवृत्ति कम है। परमाणु आकार बड़ा तथा कम विद्युत्ऋणात्मकता होने के कारण यह मजबूत S-S एकल आबन्ध बनाती है। यही कारण है कि सल्फर शृंखलन गुण दर्शाती है तथा बहुपरमाणुक अणु Sg रूप में विद्यमान होती है। अतः सल्फर कमरे के ताप पर ठोस रूप में विद्यमान होती है।
प्रश्न 19.
यदि O → O– तथा O → O2- के इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी मान पता हो, जो क्रमश: 141 तथा 702 kJ morl-1है, आप कैसे स्पष्ट कर सकते हैं कि O2- स्पीशीज वाले ऑक्साइड अधिक बनते हैं न कि O– वाले ?
(संकेत-यौगिकों के बनने में जालक ऊर्जा कारक को ध्यान में रखिए)
उत्तर
O→ O– तथा O → O2- के लिए क्षय इलेक्ट्रॉन लब्धि मान होता है। 141 तथा 702 kJ mol-1 क्रमश: बहुत से ऑक्साइड O2- आयन रखते हैं, न कि O– आयन क्योंकि कुल एन्थैल्पी मान ऋणात्मक होता
प्रश्न 20.
कौन-से एरोसोल्स ओजोन हैं ?
उत्तर
क्लोरोफ्लुओरो कार्बन या फ्रियॉन।
प्रश्न 21.
संस्पर्श प्रक्रम द्वारा H2SO4 के उत्पादन का वर्णन कीजिए।
उत्तर
निर्माण-सल्फ्यूरिक अम्ल का औद्योगिक निर्माण अधिकतर संपर्क विधि से किया जाता है जिसके लिए कच्चे माल के रूप में सल्फर अथवा आयरन पायराइटीज को लिया जाता है।
सिद्धांत-शुद्ध एवं शुष्क SO2 तथा वायु के मिश्रण को उत्प्रेरक V2O5 पर प्रवाहित करने से, वह SO3 में ऑक्सीकृत हो जाती है, जो जल से क्रिया करके H2SO4 बनाता है।
2SO2 + O2 → 2SO3 + 45.2 kcal
SO3 + H2O → H2SO4
विधि-विधि का क्रमबद्ध वर्णन निम्नलिखित है –
- सल्फर बर्नर (Sulphur or pyrite burner)-भट्ठियों (B) में शंधक को जलाकर SO2 बनायी जाती है।
- धूल कक्ष (Dust chamber)-बनी हुई so2 धूल कक्ष D से गुजरती है। यहाँ आने वाले वाष्पीय मिश्रण पर जल-वाष्प का फुहारा छोड़ा जाता है। भाप द्वारा भीगकर धूल के कण भारी हो जाते हैं और नीचे बैठ जाते हैं।
- शीतक पाइप (Cooling pipes)-गैसीय मिश्रण अब शीतक पाइपों से गुजरता है, जिससे ताप कम होकर 100°C हो जाता है।
- धोवन स्तम्भ (Washing tower or scrubber)- इस कक्ष (W) में क्वार्ट्ज के टुकड़े भरे होते हैं और ऊपर से ठण्डे पानी की फुहार चालू रहती है। गैसीय मिश्रण यहाँ से गुजरते समय उसमें बचे धूल के कण और जल में विलेय अशुद्धियाँ हट जाती हैं।
- शुष्क स्तम्भ (Drying tower)-ऊँचे बने हुए इस कक्ष (D) में क्वार्ट्ज के टुकड़े भरे होते हैं और ऊपर से सान्द्र गंधकाम्ल का फुहारा चलता रहता है। गैसें इस कक्ष में नीचे से प्रवेश करती हैं। गंधकाम्ल के द्वारा गैसें शुष्क होकर आगे बढ़ती हैं।
- आर्सेनिक शोधक-इस स्तम्भ (P) में फेरिक हाइड्रॉक्साइड रहता है। गैसों में उपस्थित आर्सेनिक के ऑक्साइड यहाँ सोख लिए जाते हैं।
परीक्षण कक्ष (Testing chamber)-इस प्रकार शुद्ध किया हुआ गैसीय मिश्रण सम्पर्क कक्ष में भेजने के पूर्व उसका परीक्षण किया जाता है। परीक्षण कक्ष (T) में प्रकाश की तेज किरण पुंज भेजी जाती है। यदि धूल आदि के कण हों तो वे चमक जाते हैं तब इस गैसीय मिश्रण को पुन:शुद्ध किया जाता है। पूर्ण शुद्ध और परीक्षित गैसीय मिश्रण अब गर्म कर (H द्वारा) सम्पर्क कक्ष (R) में भेजा जाता है।
सम्पर्क कक्ष (Contact chamber)-यह लोहे, का बना एक बड़ा कक्ष (R) होता है जिसमें लोहे के कई पाइप होते हैं। इन पाइपों में उत्प्रेरक वेनेडियम पेण्टॉक्साइड (V2O5) या प्लैटिनम युक्त ऐस्बेस्टॉस या अन्य उपयुक्त उत्प्रेरक भरा रहता है। इनका ताप 450°C रखा जाता है। शुद्ध एवं परीक्षित सल्फर डाइऑक्साइड और हवा का गर्म मिश्रण इन पाइपों में उत्प्रेरक के सम्पर्क में रहकर आगे बढ़ता है और सल्फर ट्राइऑक्साइड (SO3) बनाता है।
कैलोरी क्रिया ऊष्माक्षेपी होने से अब ताप स्वयं ही मिलने लगता है।
अवशोषक स्तम्भ (Absorption tower)- बनी हुई सल्फर ट्राइऑक्साइड को सान्द्र गन्धकाम्ल के फुहारे लगे कक्ष (A) में भेजा जाता है । गन्धकाम्ल SO3 अवशोषित होकर उसे और अधिक सान्द्र बनाती है। यह अम्ल SO3 की अधिकता के कारण कुहरा जैसी धूम्र से कक्ष भर जाता है। प्राप्त हुआ अम्ल सधूम गंधकाम्ल (Fuming sulphuric acid) या ओलियम (Oleum) कहलाता है।
H2SO4 + SO3 → H2S2O7
ओलियम में आवश्यकतानुसार जल मिलाकर उससे वांछित सान्द्रता वाला गन्धकाम्ल प्राप्त कर लिया जाता है।
H2S2O7 + H2O → 2H2SO4
So3 जल में तेजी से और सूं-सूं की आवाज के साथ घुलती है।
उपकरण का नामांकित चित्र –
नोट-विस्तृत वर्णन हेतु NCERT पाठ्य-पुस्तक देखें।
प्रश्न 22.
SO2 किस प्रकार से एक वायु प्रदूषक है?
उत्तर-
- कम सान्द्रता में भी यह पौधों के लिए हानिकारक है। यह क्लोरोफिल बनने की प्रक्रिया को मंद करती है। पत्तियों का कटना-फटना तथा हरे रंग का क्षय (क्लोरोसिस) इसके कारण है।
- SO2 वायु में उपस्थित नमी से क्रिया करके सल्फ्यूरस अम्ल बनाती है जो अम्ल वर्षा का कारण है। यह इमारतों के संगमरमर को नष्ट करती है तथा पौधों, जानवरों तथा मनुष्यों में अनेक रोग उत्पन्न करती है।
SO2 + \(\frac{1}{2}\) O2 + H2O → H2SO4
प्रश्न 23.
हैलोजन प्रबल ऑक्सीकारक क्यों होते हैं ?
उत्तर
एक इलेक्ट्रॉन तत्काल प्रतिग्रहण कर लेने की प्रवृत्ति के कारण हैलोजनों की प्रबल ऑक्सीकारक प्रकृति होती है। कम आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी, उच्च विद्युत्ऋणात्मकता तथा अधिक ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन लब्धि के कारण हैलोजन प्रबलता से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति रखते हैं।
x2 +2e– → 2x–
इस प्रकार ये एक अच्छे ऑक्सीकारक है।
प्रश्न 24.
स्पष्ट कीजिए कि फ्लुओरीन केवल एक ही ऑक्सी-अम्ल, HOF क्यों बनाता है ?
उत्तर
उच्च विद्युत्ऋणात्मकता, छोटे आकार तथा d-कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण फ्लुओरीन ऑक्सी-अम्लों में केवल +1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है। यह अन्य सदस्यों की तरह +3, +5 और +7 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करती। यही कारण है कि अन्य हैलोजनों की अपेक्षा यह केवल एकमात्र ऑक्सी-अम्ल HOF बनाती है। HOFO, HOFO2 और HOFO3 नहीं।
प्रश्न 25.
व्याख्या कीजिए कि क्यों लगभग एक समान विद्युत्-ऋणात्मकता होने के पश्चात् भी नाइट्रोजन हाइड्रोजन आबंध निर्मित करता है, जबकि क्लोरीन नहीं ?
उत्तर
ऑक्सीजन परमाणु में केवल दो कक्षक होते हैं 1s22s22p4 जबकि क्लोरीन में तीन कक्षक 1s22s22p63s23p5 अतः ऑक्सीजन परमाणु का आकार छोटा होता है। हाइड्रोजन आबंध के लिए आवश्यक’ शर्त छोटा आकार होता है । छोटा आकार हाइड्रोजन आबंध बनने में सहायक है। अतः ऑक्सीजन हाइड्रोजन से आबंध बनाकर हाइड्रोजन आबंध बनाता है जबकि क्लोरीन नहीं।
प्रश्न 26.
ClO2 के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर
(i) क्लोरीन डाइऑक्साइड ClO2 प्रबल ऑक्सीकारक है।
(ii) यह प्रबल क्लोरीकारक है और इसकी ब्लीच क्षमता Cl2 की तुलना में 30 गुना अधिक है।
प्रश्न 27. हैलोजन रंगीन क्यों होते हैं ?
उत्तर
हैलोजन समूह के समस्त तत्व रंगीन होते हैं, उनका रंग परमाणु संख्या में वृद्धि के साथ गहरा होता जाता है।
पीला हरा-पीला भूरा बैंगनी हैलोजनों में रंग उनके अणुओं द्वारा दृश्य प्रकाश (Visible light) के अवशोषण के कारण होता है। अणुओं द्वारा दृश्य प्रकाश के अवशोषण के फलस्वरूप बाह्यतम इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर पर चले जाते हैं, जिसके कारण ये तत्व रंगीन दिखाई देते हैं। उदाहरणार्थ-फ्लुओरीन का आकार अत्यन्त छोटा होने के कारण बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण अधिक होता है तथा बाह्यतम इलेक्ट्रॉन को उत्तेजित करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। फ्लुओरीन परमाणु अधिक ऊर्जा वाले बैंगनी विकिरणों को अवशोषित करते हैं, अत: वे हल्के पीले दिखाई देते हैं। जबकि आयोडीन परमाणु का आकार बड़ा होता है। बाह्यतम इलेक्ट्रॉन नाभिक से काफी दूर रहते हैं। उन्हें उत्तेजित करने के लिए कम ऊर्जा वाले पीले विकिरणों की आवश्यकता होती है। दृश्य प्रकाश से पीले रंग के विकिरण के अवशोषण के कारण वे बैंगनी दिखाई देते हैं।
प्रश्न 28.
जल के साथ F2 तथा Cl2 की अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर
प्रश्न 29.
आप HCl से Cl2 तथा Cl2 से HCl को कैसे प्राप्त करेंगे? केवल अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर
(i) Cl2 का HCl से निर्माण
MnO2 +4HCl → MnCl2 + Cl2 + 2H2O
(ii)
प्रश्न 30.
एन-बार्टलेट Xe तथा PtF6 के बीच अभिक्रिया कराने के लिए कैसे प्रेरित हुए ?
उत्तर- एन-बार्टलेट ने निम्न अभिक्रिया द्वारा एक लाल रंग के यौगिक O2+: [PtF6]– को बनाने में सफलता प्राप्त की
O2(g) + PtF6(g) → O2+[PtF6]–
उन्होंने अनुभव किया कि ऑक्सीजन और जिनॉन की प्रथम आयनन एन्थैल्पी लगभग समान हैं।
O2 की lE1 = 1175 kJmol-1
Xe की lE1 = 1170 kJmol-1
इससे उन्होंने O2+ [PtF2]– जैसा ही जिनॉन का यौगिक बनाने पर विचार किया तथा Xe और PtF6 को मिलाकर लाल रंग के एक-दूसरे यौगिक Xe+PtF6– के विरचन में सफलता प्राप्त की।
प्रश्न 31.
निम्नलिखित में फॉस्फोरस की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ क्या हैं ?
(i) H3PO3, (ii) PCl3, (iii) Ca3P2, (iv) Na3PO4, (v) POF3.
उत्तर-
(i) माना H3PO3 की ऑक्सीकरण अवस्था
3x (+1) + x + 3x (-2) = 0, x = +3
(ii) PCl3 = x + 3(-1) = 0 or x = +3
(iii) Ca3P2 = 3 x (+2) + 2x = 0 or x = -3
(iv) Na3PO4 = 3 x (+1) + x + 4 x (-2) = 0 x = +5
(v) POF3 = x + (-2) + 3 x (-1) = 0 or x = +5.
प्रश्न 32.
निम्नलिखित के लिए संतुलित समीकरण दीजिए –
(i) जब NaCl को MnO, की उपस्थिति में सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गरम किया जाता है।
(ii) जब क्लोरीन गैस को Nal के जलीय विलयन में से प्रवाहित किया जाता है।
उत्तर
(i) सम्पूर्ण अभिक्रिया 4NaCl + MnO2 + 4H2SO4 → MnCl2 + 4NaHSO4 + 2H2O + Cl2
(ii) Cl2(g) + 2NaI(aq)→ 2NaCl(aq) + I2(s)
प्रश्न 33.
जीनॉन फ्लु ओराइड, XeF2, XeF4 तथा XeF6 कैसे बनाए जाते हैं ?
उत्तर
जीनॉन फ्लु ओराइड (Xenon Fluoride)-जीनॉन के तीन फ्लुओराइड महत्वपूर्ण है – XeF2, XeF4 तथा XeF6 । ये सभी यौगिक जीनॉन तथा फ्लुओरीन के बीच निकिल की नलिका में उच्च ताप तथा दाब पर बनाए गये हैं –
प्रश्न 34.
किस उदासीन अणु के साथ ClO– समइलेक्ट्रानी है? क्या एक अणु लुइस क्षारक है ?
उत्तर
ClO– सहइलेक्ट्रॉन गुण दर्शाता है ClF के साथ क्योंकि दोनों में 26 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
प्रश्न 35.
XeO3 और XeOF4 बनाने की प्रक्रिया बताइए।
उत्तर
XeF4 और XeF6 का जल अपघटन करने पर XeO3 बनता है।
6XeF4 +12H20 → 4Xe + 2XeO3 + 24F+3O2
XeF6 +3H2O → XeO3 +6HF
XeF6 के आंशिक अपघटन से XeOF4 बनता है
XeF6 + H2O → XeOF4 +2HF
प्रश्न 36.
निम्नलिखित प्रत्येक समुच्चय को सामने लिखे गुणों के अनुसार सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए
(i) F6, Cl2, Br2, I2 आबंध वियोजन एन्थैल्पी बढ़ते क्रम में
(ii) HF, HCl, HBr, HI अम्ल सामर्थ्य बढ़ते क्रम में।
(iii) NH3, PH3, ASH3, SbH3, BiH3 – क्षारक सामर्थ्य बढ़ते क्रम में।
उत्तर
(i) I2 <F2 < Br2 <Cl2
(ii) HF <HCl< HBr <HI
(iii) BiH3 < SbH3 < ASH3 < PH3 < NH3
प्रश्न 37.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक अस्तित्व में नहीं है ?
(i) XeOF4, (ii) NeF2, (iii) XeF2, (iv) XeF6.
उत्तर-
NeF2 नहीं बन सकता।
प्रश्न 38.
उस उत्कृष्ट गैस स्पीशीज का सूत्र देकर संरचना की व्याख्या कीजिए जो कि इनके साथ समसंरचनीय है-.
(i) ICl4–, (ii) IBr2– , (iii) BrO3–.
उत्तर
(i) XeF4 तथा ICl4– सहइलेक्ट्रॉन गुण दर्शाते हैं दोनों की संरचना वर्ग समतल है।
(ii) XeF2 व IBr2– सहइलेक्ट्रॉन गुण दर्शाते हैं दोनों रेखीय है।
(iii) XeO3 व BrO3–, पिरामिड आकृति के हैं तथा सह-इलेक्ट्रॉन दर्शाते हैं। संरचना के लिये पाठ्यपुस्तक देखिए।
प्रश्न 39.
उष्कृष्ट गैसों के परमाण्विक आकार तुलनात्मक रूप से बड़े क्यों होते हैं ?
उत्तर
उत्कृष्ट गैसों के परमाण्विक आकार तुलनात्मक रूप से बड़े होते हैं क्योंकि इनकी त्रिज्याएँ, वाण्डरवाल्स त्रिज्याएँ होती हैं जिनका मान सहसंयोजी त्रिज्याओं तथा धात्विक त्रिज्याओं से अपेक्षाकृत अधिक होता है। जबकि एक ही आवर्त में दूसरे सदस्यों की त्रिज्याएँ सहसंयोजक त्रिज्याएँ या धात्विक त्रिज्याएँ होती हैं जिनका मान कम होता है।
प्रश्न 40.
निऑन तथा ऑर्गन गैसों के उपयोग सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर
निऑन –
- 1000 वोल्ट तथा 2 mm दाब पर जब नियॉन की नली से विद्युत् विसर्जन किया जाता है, तो चमकदार नारंगी रंग की प्रतिदीप्ति बनती है। इसलिए इसका उपयोग साइन बोर्ड में किया जाता है। अन्य गैसों के साथ मिलकर विभिन्न रंग मिलते हैं, इसलिए विज्ञापन बोर्डो में इसका भरपूर उपयोग होता है।
- हरितगृहों में नियॉन लैम्पों का उपयोग होता है, क्योंकि यह क्लोरोफिल निर्माण में तथा पौधों की वृद्धि को बढ़ाता है।
- विद्युत् उपकरणों में सुरक्षा के तहत इसका उपयोग होता है।
ऑर्गन-
- विद्युत् बल्बों में लगे टंगस्टन के फिलामेण्ट की आयु बढ़ाने के लिए इसे भरा जाता है।
- रेडियो वाल्व तथा रेक्टिफायर (Rectifires) में।
- प्रतिदीप्ति नलिका (जैसे-ट्यूबलाइट) में मयूरी वाष्प के साथ इसे भरा जाता है।
- कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं में अक्रिय वातावरण निर्माण करने में तथा वेल्डिंग में अक्रिय वातावरण निर्माण करने में।
p-ब्लॉक के तत्त्व अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
p-ब्लॉक के तत्त्व वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. (A) सही विकल्प चुनकर लिखिए –
प्रश्न 1.
किस यौगिक में ऑक्सीजन + 2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है –
(a) H2O
(b) Na2O
(c) OF2
(d) MgO.
उत्तर
(c) OF2
प्रश्न 2.
लाल-भूरे रंग की गैस निर्मित करती है, जब वायु द्वारा नाइट्रिक ऑक्साइड ऑक्सीकृत होती है। वह गैस है –
(a) Na2O2
(b) Na2O4
(c) NO2
(d) N2O3.
उत्तर
(c) NO2
प्रश्न 3.
फॉस्फोरस के एक ऑक्सी अम्ल का सूत्र H3PO4 है, वह है –
(a) द्वि क्षारकीय अम्ल
(b) एक क्षारकीय अम्ल
(c) त्रिक्षारकीय अम्ल
(d) चतुष्क्षारकीय अम्ल।
उत्तर
(c) त्रिक्षारकीय अम्ल
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्रारूपिक धातु है –
(a) P
(b) As
(c) Sb
(d) Bi.
उत्तर
(d) Bi.
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में कौन-सा ऑक्साइड अनु चुम्बकीय है –
(a) NO2O4
(b) NO2
(c) P4O6
(d) N2O5
उत्तर
(b) NO2
प्रश्न 6.
अमोनिया को शुष्क बनाया जाता है –
(a) H2SO4 से
(b) P2O5 से
(c) अजलीय CaCl2
(d) कोई नहीं।
उत्तर
(d) कोई नहीं।
प्रश्न 7.
नाइट्रिक अम्ल, आयोडीन को परिवर्तित करता है –
(a) आयोडिक अम्ल में
(b) हाइड्रोआयोडिक अम्ल में
(c) आयोडीन पेन्टॉक्साइड में
(d) आयोडीन नाइट्रेट में।
उत्तर
(a) आयोडिक अम्ल में
प्रश्न 8.
अमोनिया एक लुइस बेस है यह धनायनों के साथ संकर लवण बनाती है। निम्न धनायनों में कौन NH3 के साथ संकर लवण नहीं बनाता है –
(a) Ag+
(b) Cu2+
(c) Cd2+
(d) Pb2+
उत्तर
(d) Pb2+
प्रश्न 9.
अमोनिया विलयन पर्याप्त घुल जाता है
(a) Hg2Cl2 में
(b) PbCl2 में
(c) AgI में
(d) Cu(OH)2 में।
उत्तर
(d) Cu(OH)2 में।
प्रश्न 10.
P2O5 के एक अणु को ऑर्थो-फॉस्फोरिक अम्ल में परिवर्तित करने के लिए जल के अणुओं की आवश्यकता होती है –
(a) 2
(b) 3
(c) 4
(d) 5.
उत्तर
(b) 3
प्रश्न 11.
So2 के विरंजन क्रिया का कारण है –
(a) अपचयन
(b) ऑक्सीकरण
(c) जल-अपघटन
(d) इसकी अम्लीय प्रकृति।
उत्तर
(a) अपचयन
प्रश्न 12.
जब SO2 अम्लीय K2Cr2O7 विलयन में प्रवाहित की जाती है –
(a) विलयन नीला हो जाता है
(b) विलयन रंगहीन हो जाता है
(c) SO2 अपचयित हो जाती है
(d) हरा क्रोमिक सल्फेट बनता है।
उत्तर
(d) हरा क्रोमिक सल्फेट बनता है।
प्रश्न 13.
P2O3 से निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल बनता है –
(a) H4P2O7
(b) H3PO4
(c) H3PO3
(d) HPO3.
उत्तर
(c) H3PO3
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में कौन-सा हैलाइड सबसे अधिक अम्लीय है –
(a) PCl5
(b) SbCl3
(c) BrCl3
(d) CCl4.
उत्तर
(a) PCl5
प्रश्न 15.
सल्फ्यूरिक अम्ल के औद्योगिक निर्माण में प्रयुक्त उत्प्रेरक है –
(a) Al2O3
(b) CrO3
(c) V2O5
(d) MnO2.
उत्तर
(c) V2O5
प्रश्न 16.
फॉस्फोरस ट्राइ हैलाइड के जल-अपघटन से प्राप्त होते हैं –
(a) एक एकक्षारकीय अम्ल तथा एक द्विक्षारकीय अम्ल
(b) एक एकक्षारकीय अम्ल तथा एक त्रिक्षारकीय अम्ल
(c) एक एकक्षारकीय अम्ल तथा एक लवण
(d) दो द्विक्षारकीय अम्ल।
उत्तर
(a) एक एकक्षारकीय अम्ल तथा एक द्विक्षारकीय अम्ल
प्रश्न 17.
निम्नलिखित अभिक्रिया में –
P4 + 3NaOH + 3H2O → PH3 + 3NaH2PO2
(a) फॉस्फोरस ऑक्सीकृत हुआ है
(b) फॉस्फोरस ऑक्सीकृत और अवकृत दोनों हुआ है
(c) फॉस्फोरस अवकृत हुआ है
(d) सोडियम ऑक्सीकृत हुआ है।
उत्तर
(b) फॉस्फोरस ऑक्सीकृत और अवकृत दोनों हुआ है
प्रश्न 18.
हास्य गैस है –
(a) NO
(b) N2O
(c) N2O3
(d) N2O5.
उत्तर
(b) N2O
प्रश्न 19.
सफेद फॉस्फोरस (P) में नहीं होता है –
(a) छ: P-P एकल बंध
(b) चार P-P एकल बंध
(c) चार एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म
(d) P-P-P कोण 60° का।
उत्तर
(b) चार P-P एकल बंध
प्रश्न 20.
NH4Cl तथा NaNO2 विलयन को गर्म करने पर प्राप्त होती है –
(a) N2O
(b) N2
(c) NO2
(d) NH3
उत्तर
(b) N2
प्रश्न 21.
मेटा फॉस्फोरिक अम्ल का सूत्र है
(a) H3PO4
(b) HPO3
(c) H3PO3
(d) H2PO2.
उत्तर
(b) HPO3
प्रश्न 22.
वह गैस जो जल पर एकत्रित नहीं की जा सकती है-
(a) Na
(b) O2
(c) SO2
(d) PH5
उत्तर
(c) SO2
(B) सही विकल्प चुनकर लिखिए –
प्रश्न 1.
क्लोरीन विरंजन गुण निम्न में से एक की उपस्थिति में ही होता है –
(a) शुष्क वायु
(b) नमी
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) शुद्ध ऑक्सीजन।
उत्तर
(b) नमी
प्रश्न 2.
He, Ar, Kr और Xe में से कौन-सा तत्व सबसे कम संख्या में यौगिक बनाता है –
(a) He
(b) Ar
(c) K
(d) Xe.
उत्तर
(a) He
प्रश्न 3.
चमकीले विद्युत् विज्ञापनों में किस गैस का उपयोग होता है –
(a) जेनॉन
(b) आर्गन
(c) निऑन
(d) हीलियम।
उत्तर
(c) निऑन
प्रश्न 4.
मोनाजाइट स्रोत है –
(a) Ne
(b) Ar
(c) Kr
(d) He.
उत्तर
(d) He.
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-से अवयवों की सीधी अभिक्रिया से प्राप्त नहीं होता –
(a) XeF2
(b) XeF4
(c) XeO3
(d) XeF6.
उत्तर
(a) XeF2
प्रश्न 6.
कौन-सा हैलाइड न्यूनतम स्थायी है, जिसका अस्तित्व सन्देहात्मक है –
(a) CI4 .
(b) GeI4
(c) SnI4
(d) PbI4.
उत्तर
(d) PbI4.
प्रश्न 7.
निम्न में से तीव्रतम अम्ल कौन-सा है –
(a) HBr
(b) HCl
(c) HF
(d) HI.
उत्तर
(d) HI.
प्रश्न 8.
निम्न में से कौन सबसे अधिक ऋणविद्युती है –
(a) F
(b) Cl
(c) Br
(d) I.
उत्तर
(a) F
प्रश्न 9.
कौन-सा हैलोजन कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में रहता है –
(a) F
(b) Cl
(c) Br
(d) I.
उत्तर
(d) I.
प्रश्न 10.
इलेक्ट्रॉन बन्धुता अधिकतम है –
(a) F
(b) Cl
(c) Br
(d) I.
उत्तर
(b) Cl
प्रश्न 11.
हैलोजन परमाणु के बाह्यतम् कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है –
(a) s2p5
(b) s2p3
(c) s2p6
(d) s2p4
उत्तर
(a) s2p5
प्रश्न 12.
निम्न में से सबसे अधिक क्षारीय गुण प्रदर्शित करने वाला तत्व है –
(a) F
(b) Cl
(c) Br
(d) I.
उत्तर
(d) I.
प्रश्न 13.
सबसे प्रबल अपचायक है –
(a) F–
(b) Br–
(c) I–
(d) Cl–.
उत्तर
(c) I–
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से सबसे दुर्बल अम्ल है –
(a) HF
(b) HCl
(c) HBr
(d) HI.
उत्तर
(a) HF
प्रश्न 15.
ऑक्सीकारक गुण सबसे अधिक होता है –
(a) I2
(b) Br2
(c) F2
(d) Cl2.
उत्तर
(c) F2
प्रश्न 16.
किस अक्रिय गैस का अष्टक पूर्ण नहीं है
(a) हीलियम
(b) निऑन
(c) आर्गन
(d) क्रिप्टॉन।
उत्तर
(a) हीलियम
प्रश्न 17.
कौन-सा हैलोजन ऊर्ध्वपातित होता है
(a) क्लोरीन
(b) ब्रोमीन
(c) आयोडीन
(d) फ्लुओरीन।
उत्तर
(c) आयोडीन
प्रश्न 18.
निम्न में से कौन-सा उत्कृष्ट गैस जल में सर्वाधिक विलेय है –
(a) He
(b) Ar
(c) Ne
(d) Xe.
उत्तर
(d) Xe.
प्रश्न 19.
KI के घोल में I2 सुगमता से घुलकर बनाती है –
(a) I
(b) KI2
(c) KI
(d) KI3
उत्तर
(d) KI3
प्रश्न 20.
दमा के मरीजों के लिए श्वसन में प्रयुक्त गैस जिसे ऑक्सीजन में मिलाते हैं –
(a) N2
(b) Cl2
(c) He
(d) Ne.
उत्तर
(c) He
प्रश्न 21.
डीकन विधि का उपयोग इसके निर्माण में होता है –
(a) विरजंक चूर्ण
(b) क्लोरीन
(c) नाइट्रिक अम्ल
(d) सल्फ्यूरिक अम्ल।
उत्तर
(b) क्लोरीन
प्रश्न 22.
समुद्री घास निम्न के औद्योगिक निर्माण का स्रोत है –
(a) क्लोरीन
(b) ब्रोमीन
(c) आयोडीन
(d) फ्लुओरीन।
उत्तर
(c) आयोडीन
प्रश्न 23.
विद्युत् बल्ब में कौन-सी गैस भरना ज्यादा उपयोगी है –
(a) He
(b) Ne
(c) Ar
(d) Kr.
उत्तर
(c) Ar
2. (A) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- N2 O एक ……….. ऑक्साइड है।
- कैरो अम्ल का रासायनिक सूत्र ……… होता है।
- सान्द्र नाइट्रिक अम्ल जिसमें ……….. घुली रहती है, इसके कारण इसका रंग गहरा भूरा होता है।
- नाइट्रोजन के ऑक्साइड में ……….. तथा ………. अनुचुम्बकीय है।
- पायरो फॉस्फोरिक अम्ल ………. क्षारकीय अम्ल है।
- H2S गैस को सान्द्र H2SO4 द्वारा शुष्क नहीं किया जा सकता, क्योंकि H2S उसे ……… कर देती है।
- सधूम सल्फ्यूरिक अम्ल SO3 में घुलकर ………… बनाता है।
- H2S2O8 (मार्शल अम्ल)में S की ऑक्सीकरण अवस्था …………..होती है।
- NH3 को HCl के साथ संयोग करके ………….. का सफेद धूम्र देता है।
- समूह 16 के तत्वों को ………….. कहते हैं।
- …………. प्रशीतक के रूप में उपयोग आती है।
उत्तर
- उदासीन
- H2SO5
- NO2
- NO; NO2
- चतुष्क
- अपचयित
- ओलियम
- + 6
- NH4Cl
- कैल्कोजन
- द्रव NH3 .
(B) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- सर्वोच्च इलेक्ट्रॉन बन्धुता …………. की होती है।
- नमी की उपस्थिति में क्लोरीन …………. का कार्य करती है।
- ब्लीचिंग पाउडर को ………… भी कहा जाता है।
- सामान्य ताप पर ब्रोमीन ………………. है।
- AX5 अन्तर हैलोजन यौगिक की आकृति …………. होती है।
- क्लोरीन की खोज …………. ने की थी।
- नील बर्टलेट ने सर्वप्रथम उत्कृष्ट यौगिक ……….. बनाया है।
- सबसे अधिक इलेक्ट्रॉन बन्धुता रखने वाला तत्व ……….. है।
- हैलोजन के ऑक्सी अम्लों में ………… संकरण पाया जाता है।
- गैस जो हल्की होने की कारण ………… वायुयानों के टायर में भरी जाती है।
- विज्ञापनों के लिए अक्रिय गैस ………………का सर्वाधिक उपयोग होता है।
- समूह 17 के तत्व सामान्यतया …………….. कहलाते हैं।
- ………….. रेडियोऐक्टिव अक्रिय गैस है।
उत्तर
- क्लोरीन
- विरंजक
- कैल्सियम क्लोरोहाइपो क्लोराइड,
- द्रव
- वर्ग पिरामिडीय
- शीले
- Xe[PtF6 ],
- क्लोरीन,
- sp3
- हीलियम,
- Ne (निऑन),
- हैलोजन,
- रेडॉन।
3. (A) एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –
- पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा कौन करती है ?
- कसीस का तेल जिसे किंग ऑफ केमिकल कहा जाता है, इसका रासायनिक नाम बताइए।
- प्रशीतन में किस गैस का उपयोग किया जाता है ?
- जल का घनत्व किस ताप पर सर्वाधिक होता है ?
- सल्फ्यूरिक अम्ल में SO3 गैस विलेय करने पर क्या बनता है ?
- एक प्रतिक्लोर का नाम लिखिए।
- हाथी दाँत, तेल आदि के विरंजन में किस गैस का उपयोग किया जाता है ?
- अमोनियम लवण क्षारीय नेसलर अभिकर्मक से क्रिया करके किस रंग का अवक्षेप देता है ?
- N से Bi की ओर जाने पर Bi +3 ऑक्सीकरण अवस्था अधिक स्थायी होता है +5 की अपेक्षा, क्यों?
- प्रकृति में आयतन के अनुसार N2 का प्रतिशत बताइए।
उत्तर
- ओजोन परत
- सल्फ्यूरिक अम्ल
- NH3
- 4°C
- ओलियम
- SO2
- ओजोन
- भूरे
- अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण
- 80%.
(B) एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –
- रेडियो एक्टिव हैलोजन का नाम बताइए।
- विद्युत् बल्बों में नाइट्रोजन के साथ किस उत्कृष्ट गैस का उपयोग किया जाता है ?
- कैन्सर के उपचार में उपयोग आने वाली उत्कृष्ट गैस का नाम लिखिए।
- कार्नेलाइट का सूत्र लिखिए।
- वायुमण्डल में किस उत्कृष्ट गैस की उपलब्धता सर्वाधिक है ?
- XeF6 की आकृति क्या होती है ?
- फ्लुओरीन का एक उपयोग लिखिए।
- XeO3 में किस प्रकार का संकरण पाया जाता है ?
- F की ऑक्सीकरण अवस्था कितनी है ?
- प्रयोगशाला में क्लोरीन किस अभिक्रिया से बनाते हैं ? केवल समीकरण लिखिए।
- AX3 प्रकार के अन्तर हैलोजन यौगिक की आकृति क्या होती है ?
- हैलोजन अम्लों की शक्ति का सही क्रम लिखिए।
- कौन-सी उत्कृष्ट गैसें यौगिक नहीं बनाती हैं ?
- F किस उत्कृष्ट गैस के साथ यौगिक बनाता है ?
- समुद्री शैवाल किस हैलोजन का मुख्य स्रोत है ?
उत्तर-
- ऐस्टेटीन
- Ar
- Rn
- KCI.MgCl2.6H2 O
- आर्गन
- विकृत अष्टफलकीय
- फ्लुओरो कार्बन बनाने में, जिसका उपयोग रेफ्रिजरेशन में होता है,
- sp3
- -1
- MnO2 + 4HCl → MnCl2 +2H2 O + Cl2
- T आकृति की,
- HF < HCI< HBr < HI,
- He, Ne एवं Ar,
- Xe,
- आयोडीन।
4. उचित सम्बन्ध जोड़िए –
I.
उत्तर
1. (d), 2. (c), 3. (a), 4. (b), 5. (1), 6. (g), 7. (e), 8. (i), 9. (j), 10. (h).
II.
उत्तर
1. (e), 2. (c), 3. (b), 4. (a), 5. (d).
III.
उत्तर
1. (e)
2. (d)
3. (b)
4. (a)
5. (c).
p-ब्लॉक के तत्त्व अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सान्द्र गंधक अम्ल उच्च क्वथनांक वाला तैलीय द्रव क्यों है ?
उत्तर
H2SO4 अणुओं के बीच हाइड्रोजन बंध होने के कारण यह उच्च क्वथनांक वाला तैलीय द्रव है।
प्रश्न 2.
डाइनाइट्रोजन (N) कमरे के ताप पर कम क्रियाशील क्यों है ?
उत्तर
N≡N बंध की उच्च बन्ध एन्थैल्पी के कारण डाइनाइट्रोजन कमरे के ताप पर काफी अक्रिय है।
प्रश्न 3.
N2 गैस है जबकि P4 एक वाष्पशील ठोस, क्यों ?
उत्तर
N2 अणु में N≡N के बीच त्रिबंध होता है तथा यह पूर्णत: अध्रुवीय अणु होता है, इसमें वाण्डर वाल्स बल नगण्य होता है इसलिए यह गैसीय अवस्था में होता है एवं P4 अणु की संरचना चतुष्फलकीय होती है। इसमें चतुष्फलकीय अणु दुर्बल वाण्डर वाल्स बंध द्वारा जुड़कर क्रिस्टलीय रूप ले लेता है। .
प्रश्न 4.
HCIO, HBro एवं HIO के अम्लीय प्रबलता का क्रम लिखिए।
उत्तर
HCIO से HIO तक हाइपो हैलस अम्लों की प्रबलता घटती है –
HCIO > HBrO > HIO.
प्रश्न 5.
क्लैथेट यौगिक क्या है ? .
उत्तर
किसी यौगिक के क्रिस्टल जालक के होल या रिक्तिको में छोटे आकार के तत्व जैसे उत्कृष्ट गैसों के समा जाने या प्रवेश करने से क्लैथ्रेट यौगिक प्राप्त होते है। उदाहरण-Kr3 (β क्विनॉल)।
प्रश्न 6.
1 परमाणु की तुलना में F परमाणु की ऋणविद्युत्ता अधिक है फिर भी HF की अम्लीय प्रबलता HI की अपेक्षा कम होती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
F परमाणु का आकार छोटा होने के कारण H-F बंध की बंध वियोजन H-I बंध की अपेक्षा बहुत उच्च होती है जिसमें । परमाणु का आकार बड़ा होता है।
प्रश्न 7.
कौन-कौन-सी उत्कृष्ट गैसे रासायनिक यौगिक बना सकती हैं ?
उत्तर
Kr एवं Xe अत्यधिक विशिष्ट परिस्थितियों के अन्तर्गत यौगिक बना सकती है।
प्रश्न 8.
फ्लुओरीन, क्लोरीन की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक क्यों है ?
उत्तर
फ्लुओरीन, क्लोरीन से अधिक विद्युत्-ऋणात्मक होने के कारण इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की अधिक क्षमता रखता है, फलस्वरूप फ्लुओरीन, क्लोरीन की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक है।
प्रश्न 9.
F2O को फ्लुओरीन का ऑक्साइड नहीं माना जाता है, क्यों?
उत्तर-फ्लुओरीन आवर्त सारणी का सर्वाधिक ऋणविद्युती तत्व है। इसकी ऋणविद्युत्ता 0 से अधिक होती है। नामकरण पद्धति में कम ऋणविद्युती तत्व का नाम पहले एवं अधिक ऋणविद्युती तत्व का नाम बाद में लिखते हैं इसलिए F2O या OF2 को ऑक्सीजन डाइफ्लुओराइड कहा जाता है।
प्रश्न 10.
अंतर हैलोजन यौगिक हैलोजन की अपेक्षा अधिक क्रियाशील होते हैं, क्यों ? .
उत्तर-
दो भिन्न हैलोजन के बीच बना बंध (A-B), शुद्ध हैलोजन (एक ही प्रकार के हैलोजन) परमाणु के बीच बने बंध (A-A या B-B) की तुलना में ज्यादा ध्रुवीय और दुर्बल होता है इसलिए अन्तर हैलोजन यौगिक अधिक क्रियाशील होते हैं।
प्रश्न 11.
हीलियम और निऑन फ्लुओरीन के साथ यौगिक नहीं बनाते हैं, क्यों ?
उत्तर
He और Ne के संयोजकता कक्ष में d-ऑर्बिटल नहीं होने के कारण इनके इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर Xe के समान उच्च ऊर्जा के d-कक्षक में नहीं जा सकते इसलिए He और Ne फ्लुओरीन के साथ यौगिक नहीं बनाते हैं।
p-ब्लॉक के तत्त्व लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सामान्य ताप पर H2O द्रव है जबकि H2S गैस है, क्यों ? जल का क्वथनांक उच्च क्यों होता है ?
उत्तर
जल के अणु में Oxygen परमाणु उच्च विद्युत्-ऋणात्मक होता है। जिसके कारण जल के अन्य अणुओं से H- बन्धन (Inter molecular hydrogen bonding) करता है। फलस्वरूप जल के समस्त अणु संगुणित हो जाते हैं, जिससे क्वथनांक उच्च हो जाता है।
H2S में हाइड्रोजन बंध नहीं पाये जाने के कारण इसके अणुओं में संगुणन नहीं होता तथा गैसीय अवस्था में रहता है। जबकि H2O द्रव अवस्था में।
प्रश्न 2.
फॉस्फोरस के पाँच ऑक्सी अम्लों के नाम लिखकर उनकी संरचना सूत्र दर्शाइए।
उत्तर
फॉस्फोरस के पाँच ऑक्सी अम्लों के नाम –
- हाइपो फॉस्फोरस अम्ल (H3PO2) एक क्षारकीय
- हाइपो फॉस्फोरिक अम्ल (H4P2O6) चतुर्भारकीय
- फॉस्फोरस अम्ल (H3PO3) द्विक्षारकीय
- ऑर्थो-फॉस्फोरिक अम्ल (H3PO4) त्रिक्षारकीय
- पायरो फॉस्फोरिक अम्ल (H4P2O7) चतुर्धारकीय।
प्रश्न 3.
ऑक्सीजन का व्यवहार अपने समूह के अन्य तत्त्वों से भिन्न है। कारण लिखिए।
उत्तर
ऑक्सीजन के असंगत व्यवहार के निम्न कारण हैं –
- परमाणु आकार का छोटा होना।
- विद्युत्-ऋणात्मकता का मान अधिक होना।
- d-कक्षक का उपलब्ध न होना।
- इसकी आयनन ऊर्जा उच्च होती है।
प्रश्न 4.
क्या कारण है कि ऑक्सीजन एक गैस है, जबकि सल्फर एक ठोस है ?
उत्तर
ऑक्सीजन द्वि-परमाणुक अणु O2 बनाता है। इसमें ऑक्सीजन के विभिन्न अणु दुर्बल अन्तरअणुक वाण्डर वाल बल द्वारा बँधे होते हैं। अतः ऑक्सीजन सामान्य ताप पर गैस होती है।
दूसरी ओर सल्फर आठ परमाणुओं की जटिल आण्विक संरचना बनाता है। अतः सल्फर के इस S8 अणु का आण्विक द्रव्यमान अधिक होने के कारण यह ठोस अवस्था में होता है।
प्रश्न 5.
जल उदासीन होता है किन्तु H2S एक दुर्बल अम्ल है, क्यों ?
उत्तर
जल के अणुओं में प्रबल H-बन्ध पाये जाने के कारण इनके अणु परस्पर संगुणित अवस्था में रहते हैं, जिससे इसके वियोजन स्थिरांक (Ka) का मान कम होता है। अत: जल उदासीन द्रव है। जबकि H2S में S की ऋणविद्युत्ता अधिक नहीं होने के कारण हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना पाता तथा सल्फर का परमाणु आकार ऑक्सीजन के परमाणु चित्र-S, अणु की संरचना आकार से बड़ा होता है। जिससे यह हाइड्रोजन का प्रोटॉन के रूप में मुक्त होने के लिए सहायक होता है। अतः H2S दुर्बल अम्ल है।
प्रश्न 6.
प्रयोगशाला में अमोनिया गैस को शुष्क करने के लिए अनबुझे चूने का ही प्रयोग किया जाता है। कारण लिखिए।
उत्तर
प्रयोगशाला में अमोनियम क्लोराइड (नौसादर) और क्षार या बुझा हुआ चूना विलयन को कठोर काँच के फ्लास्क में गर्म करने पर अमोनिया गैस बनती है। इसे बिना बुझे हुए चूने द्वारा शुष्क कर हवा के अधोविस्थापन द्वारा एकत्रित कर लिया जाता है।
अमोनिया को चूने के अलावा अन्य जल शोषक पदार्थों (H2SO4, P2O5, CaCl2) से शुष्क नहीं किया जा सकता क्योंकि वह उनसे क्रिया करती है। अमोनिया के, जल में अत्यधिक विलेय होने से जल के ऊपर भी एकत्रित नहीं किया जा सकता।
2NH3 + H2SO4 → (NH4)2SO4बनता है।
CaCl2 + 8NH3 → CaCl2 . 8NH3 योगात्मक यौगिक बनता है।
6NH3 + P2O5 +3H2O → 2(NH4)3 PO4 बनता है।
प्रश्न 7.
SO2 तथा Cl2 की विरंजन क्रिया में अन्तर लिखिए।
अथवा, क्लोरीन द्वारा फूलों का विरंजन स्थायी होता है जबकि SO2 द्वारा अस्थायी होता है, कारण समझाइए।
उत्तर
SO2 द्वारा विरंजन-नमी की उपस्थिति में SO2 गैस वनस्पतियों के रंगीन पदार्थ को अपचयन द्वारा रंगहीन बना देती है। यह विरंजन अस्थायी होता है, क्योंकि वायुमण्डल की ऑक्सीजन द्वारा रंगहीन पदार्थ का ऑक्सीकरण हो जाता है तथा वह रंगीन पदार्थ में बदल जाता है।
Cl2 द्वारा विरंजन-Cl2 द्वारा विरंजन ऑक्सीकरण क्रिया से होता है। नमी की उपस्थिति में यह वनस्पतियों एवं रंगीन वस्तुओं का विरंजन कर देती है । Cl2 और जल की क्रिया से नवजात ऑक्सीजन बनती है, जो रंगीन पदार्थ को ऑक्सीकरण द्वारा रंगहीन पदार्थ में बदल देती है।
Cl2 + H2O →HCl + HClO
HClO→ HCI +O
रंगीन पदार्थ + O → रंगहीन पदार्थ
Cl2 द्वारा किया गया विरंजन स्थायी होता है।
प्रश्न 8.
सल्फर के किन्हीं पाँच ऑक्सी अम्लों के सूत्र एवं संरचना लिखिए।
उत्तर
सल्फर के प्रमुख ऑक्सी अम्ल तथा उसमें सल्फर की ऑक्सीकरण अवस्था निम्नलिखित हैं –
प्रश्न 9.
H2SO4 के निर्माण की सीस कक्ष विधि के प्रयुक्त ग्लोबर स्तम्भ के कोई चार कार्य लिखिए।
उत्तर
ग्लोबर स्तम्भ के मुख्यत: चार कार्य हैं –
- सीस कक्ष का अम्ल जिसमें जल की अशुद्धि होती है। SO2 से मिलकर H2SO4 बनाता है जिससे इस अम्ल का सान्द्रण 80% तक हो जाता है।
- गैलूसैक स्तम्भ से प्राप्त नाइट्रीकृत H2SO4 में से N2 के ऑक्साइड मुक्त हो जाते हैं।
- बर्नर से प्राप्त SO2 तथा NO2 का मिश्रण 50 से 80°C तक ठण्डा हो जाता है।
- इस स्तम्भ में कुछ SO2 का SO3 में ऑक्सीकरण हो जाता है।
प्रश्न 10.
अम्लराज क्या है ? इसका उपयोग लिखिए।
उत्तर
अम्लराज (Aqua regia)—यह 1 भाग सान्द्र HNO3 तथा 3 भाग सान्द्र HCl को मिलाने से बनता है।
उपयोग–अम्लराज Au, Pt और Ir को घोलने के लिए प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 11.
सल्फ्यूरिक अम्ल के निर्माण में संपर्क विधि को सीस कक्ष विधि से अधिक उपयुक्त क्यों माना जाता है ?
उत्तर
- सम्पर्क विधि से प्राप्त अम्ल शुद्ध होता है किन्तु सीस कक्ष विधि से प्राप्त अम्ल अशुद्ध होता है।
- सम्पर्क विधि के संयंत्र के लिये कम स्थान लगता है जबकि सीस कक्ष विधि के संयंत्र के लिये अधिक स्थान चाहिए।
- सम्पर्क विधि में ठोस उत्प्रेरक प्लैटिनीकृत एस्बेस्टस प्रयुक्त होता है जबकि सीस कक्ष विधि में प्रयुक्त उत्प्रेरक गैसीय होता है जिसका प्रवाह नियमित रखना आवश्यक है।
- सम्पर्क विधि संयंत्र को लगाने में सीस कक्ष संयंत्र की तुलना में कम खर्च आता है।
- सम्पर्क विधि में प्राप्त अम्ल अधिक सान्द्र होता है किन्तु सीस कक्ष विधि में तनु अम्ल प्राप्त होता है।
प्रश्न 12.
PH3 का क्वथनांक NH3 से कम होता है, क्यों ?
उत्तर
नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों की विद्युत्-ऋणात्मकता में बड़ा अन्तर होने के कारण NH3 अणु अन्तर आण्विक H- बन्ध बनाने में भाग लेता है इसलिए NH3 एक संगुणित अणु के रूप में विद्यमान रहता है। इन हाइड्रोजन बन्धों को तोड़ने के लिए ऊर्जा की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।
जबकि PH3 हाइड्रोजन बन्ध बनाने में भाग नहीं लेता है इसलिए यह अखण्डित अणु के स्वरूप में विद्यमान नहीं रह पाता इसलिए PH3 का क्वथनांक NH3 से कम ही पाया जाता है।
प्रश्न 13.
फॉस्फीन बनाने की प्रयोगशाला विधि का नामांकित चित्र बनाइए तथा रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर
प्रयोगशाला में फॉस्फीन गोल पेंदी के फ्लास्क में सफेद फॉस्फोरस और NaOH को CO2 एवं तेल गैस के अक्रिय वातावरण में गर्म करके बनायी जाती है। मुक्त फॉस्फीन में अपद्रव्य के रूप में फॉस्फोरस डाइहाइड्राइड होने के कारण इसमें बड़ी शीघ्रता से आग लग जाती है। गैस के बुलबुले वायु के सम्पर्क में आते ही वलयाकार धुएँ के चक्र बनाते हैं। NaOH के स्थान पर ऐल्कोहॉली KOH भी प्रयुक्त कर सकते हैं।
फॉस्फीन PH3 बनाने की प्रयोगशाला विधि का नामांकित चित्र –
अभिक्रिया समीकरण –
प्रश्न 14.
नाइट्रोजन का अपने समूह 15 से भिन्नता एवं समूह 16 के गन्धक से विकर्ण सम्बन्ध रखती है, समानता एवं भिन्नता का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
नाइट्रोजन की अन्य तत्वों से भिन्नता के कारण निम्नलिखित हैं –
- नाइट्रोजन के परमाणु आकार का छोटा होना।
- उच्च ऋणविद्युत्ता का होना।
- बहु-बन्ध बनाने की प्रवृत्ति का होना।
- d-ऑर्बिटलों का अभाव होना।
नाइट्रोजन का गन्धक से विकर्ण सम्बन्ध-नाइट्रोजन समूह 15 का तत्व है जबकी गन्धक समूह 16 का तत्व, परन्तु दोनों समानता प्रदर्शित करते हैं।
इन तत्वों में मुख्य समानताएँ निम्नलिखित हैं –
- दोनों ही तत्व अधातु हैं।
- दोनों ही तत्व ऋणविद्युती हैं।
- दोनों ही तत्वों के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं।
- दोनों ही तत्व अस्थायी सहसंयोजक ऑक्सी हैलाइड तथा हैलाइड बनाते हैं।
प्रश्न 15.
पायरो फॉस्फोरिक अम्ल की संरचना लिखिए।
उत्तर
पायरो फॉस्फोरिक अम्ल में फॉस्फोरस की ऑक्सीकरण संख्या +5
है। यह चतुर्भारकीय अम्ल है। पायरो शब्द ऐसे अम्लों के लिए प्रयुक्त होता है जो दो अणुओं को गर्म करने पर एक जल अणु की कमी से प्राप्त होता है। इसका रासायनिक सूत्र H4P2O7,(P2O5.2H2O) है।
प्रश्न 16.
ऑक्सीजन -2 से +2 तक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है, जबकि इस समूह के अन्य तत्व + 2, +4 तथा + 6 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं। इसका कारण लिखिए।
उत्तर
ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था – 2 है, परन्तु H2O2, O2,O2F2 तथा OF2 आदि में यह क्रमशः – 1, 0, +1 तथा +2 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करता है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s22s22p22p1y2p1z है एवं ऑक्सीजन के पास nd कक्षक रिक्त नहीं होते हैं, जिससे इसकी संयोजकता इससे अधिक नहीं होती। ऑक्सीजन के अतिरिक्त अन्य तत्वों के पास nd कक्षक रिक्त होते हैं, जिससे आवश्यकतानुसार ns तथा np कक्षक के इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरित होकर इनमें आ जाते हैं, किन्तु ऑक्सीजन में ऐसी परिस्थिति नहीं है।
प्रश्न 17.
समझाइए ऑक्सीजन का अणुसूत्र O2 है, जबकि सल्फर का ss है।
उत्तर
ऑक्सीजन परमाणु का आकार छोटा होता है अतः यह स्वयं के साथ स्थायी द्विबन्ध बनाने की क्षमता रखता है। अतः इसका अणु सूत्र O2 है जबकि सल्फर परमाणु का आकार बड़ा होने के कारण यह बहुबन्ध नहीं बनाता है, इसलिए यह S2 के रूप में नहीं रहता है। इसके साथ ही साथ S-S बन्ध ऊर्जा अधिक होने के कारण इसमें श्रृंखलन का गुण ऑक्सीजन से अधिक होता है, इसलिए सल्फर S रूप में रहता है जिसमें प्रत्येक सल्फर परमाणु अन्य सल्फर परमाणुओं से एकल सहसंयोजी बन्ध द्वारा जुड़कर सिकुड़ी हुई रिंग (Puckered ring) जैसी संरचना बनाता है।
प्रश्न 18.
नाइट्रोजन के महत्वपूर्ण ऑक्साइडों की संरचना लिखिए।
उत्तर-
नाइट्रोजन के ऑक्साइडों की संरचना –
प्रश्न 19.
ओजोन के निर्माण की सीमेन-हालस्के ओजोनाइजर विधि को समझाइए तथा नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर
ओजोन की अधिक मात्रा में बनाने के लिए सीमेन और हालस्के का ओजोनाइजर (Siemen’s and Halske’s ozonizer) प्रयुक्त किया जाता है, जो ढलवाँ लोहे का बॉक्स होता है। बक्से में दो-दो की कतारों में लगभग दस-बारह काँच की नलियाँ होती हैं। इन नलियों में ऐल्युमिनियम के इलेक्ट्रोड लगे होते हैं। नली में से शुष्क वायु प्रवाहित करते हैं तथा इलेक्ट्रोडों से 800-1000 वोल्ट विभव पर विद्यत धारा प्रवाहित करते । हैं। उपकरण को ठण्डा रखने के लिए उसके चारों ओर जल प्रवाहित करते हैं। लोहे के पात्र का भू-सम्पर्क कर देते हैं। क्रिया के पश्चात् बाहर आयी हुई वायु ओजोन मिश्रित होती है।
प्रश्न 20.
H2O की तुलना में H2S प्रबल अपचायक है, क्यों? कोई तीन कारण दीजिए।
उत्तर
H2O की अपेक्षा H2S एक प्रबल अपचायक है क्योंकि H2S अपना हाइड्रोजन आसानी से मुक्त कर देता है H2O नहीं, इसके मुख्य कारण हैं
- H2O में H-बन्ध होता है जिससे हाइड्रोजन मुक्त करने में अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- S का आकार ऑक्सीजन से बड़ा होता है।
- ऑक्सीजन की विद्युत्-ऋणता सल्फर से अधिक होती है।
प्रश्न 21.
सल्फ्यूरस अम्ल अपचायक क्यों है ?
उत्तर
क्योंकि H2SO3 के सल्फर परमाणु पर अभी भी एक अनाबंधित इलेक्ट्रॉन होता है, इस इलेक्ट्रॉन युग्म को खोकर H,SO, का सल्फर परमाणु अपनी उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में आ सकता है। इसलिए H2SO3 अपचायक की तरह कार्य करता है।
प्रश्न 22.
उत्कृष्ट गैसों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर
उत्कृष्ट गैसों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं –
प्रश्न 23.
कारण स्पष्ट कीजिए –
(a) HF द्रव है, जबकि अन्य हैलोजन के हाइड्राइड सामान्य ताप पर गैस है।
(b) फ्लुओरीन, पॉलीहैलाइड नहीं बनाता ।
उत्तर
(a) फ्लुओरीन की ऋणविद्युत्ता अन्य हैलोजनों से सर्वोच्च होती है। अत: HF अणु H बंध द्वारा संयुग्मित होते हैं। इसके साथ ही साथ HF का क्वथनांक अन्य हैलोजन अम्लों से अधिक होता है, इसलिए HF द्रव होता है, जबकि हैलोजन के हाइड्राइड कमरे के ताप पर गैस होते हैं।
(b) फ्लुओरीन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s22s2p5 है। इसके संयोजकता कोश में रिक्त d-कक्षक की अनुपस्थिति के कारण यह उच्च ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करता है और इसीलिए यह पॉलीहैलाइड नहीं बनाता है।
आर्गन
प्रश्न 24.
कारण दीजिए –
(a) उत्कृष्ट गैसें एकपरमाणुक होती हैं।
(b) उत्कृष्ट गैसों की परमाणु त्रिज्याएँ सबसे अधिक होती हैं।
(c) उत्कृष्ट गैसों की आयनन ऊर्जा सर्वोच्च होती है।
उत्तर
(a) उत्कृष्ट गैसों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में एक भी अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं इसलिए वे रासायनिक बन्ध नहीं बनाते हैं और एकपरमाणुक होते हैं।
(b) उत्कृष्ट गैसों के बाह्यतम् कोश पूर्णतः भरे होते हैं तथा उत्कृष्ट गैसों के परमाणुओं की वाण्डर वाल्स त्रिज्या का मान अन्य परमाणुओं के सहसंयोजक त्रिज्या के मान से अधिक होता है।
(c) उत्कृष्ट गैसों के बाह्य कोश में सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं, अतः इन्हें अयुग्मित करने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिससे इनकी आयनन ऊर्जा अपने-अपने आवर्गों में सर्वोच्च होती है।
प्रश्न 25.
प्राप्य क्लोरीन से आप क्या समझते हैं ? समीकरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
ब्लीचिंग पाउडर तनु H2SO4 के आधिक्य (अथवा CO2) से क्रिया करके क्लोरीन गैस मुक्त करता है।
CaOCl2 + H2SO4→ CaSO4 + H2O + Cl2
CaOCl2 + CO2 → CaCO3 + Cl2
इस प्रकार मुक्त क्लोरीन “प्राप्य क्लोरीन” कहलाता है। एक अच्छे नमूने में 35-38% प्राप्य क्लोरीन होती है।
प्रश्न 26.
हीलियम के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर
हीलियम के उपयोग- (1) दमा के रोगियों को हीलियम ऑक्सीजन का मिश्रण साँस लेने के लिए दिया जाता है।
(2) वायु की अपेक्षा हीलियम का भार कम होने के कारण इसे वायुयानों के टायरों में भरा जाता है। ,
प्रश्न 27.
XeF2 तथा XeF4 की संरचना समझाइए।
उत्तर
XeF2 की संरचना-XF2 में Xe, sp3d संकरित अवस्था में होता है। इसलिए इसकी संरचना त्रिभुजीय द्विपिरामिडीय होनी चाहिए। लेकिन 3 एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की उपस्थिति के कारण XeF2 की संरचना रेखीय होती है।
XeF2 की संरचना – Xe की उत्तेजित अवस्था में 5p-कक्षक के 2 इलेक्ट्रॉन 54-कक्षक में जाकर sp2d2 संकरण बनाते हैं। इन 6 संकरित कक्षकों में से चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन XeF4 बनाते हैं। दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की उपस्थिति के कारण संरचना वर्ग समतलीय होती है।
प्रश्न 28.
फ्लुओरीन केवल एक ही ऑक्सीकरण अवस्था (-1) प्रदर्शित करता है, क्यों?
उत्तर
फ्लुओरीन की विद्युत्-ऋणात्मकता सबसे अधिक होती है। अत: वह हमेशा -1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है। साथ ही फ्लुओरीन के संयोजकता कोश में d-कक्षक नहीं पाये जाते, अत: उसकी कोई उत्तेजित अवस्था नहीं हो सकती। इसके फलस्वरूप वह कोई उच्च ऑक्सीकरण अवस्था नहीं दर्शाता।
प्रश्न 29.
क्लोरीन के किन्हीं तीन प्रमुख ऑक्सी अम्लों के सूत्र, संरचना एवं उनकी ऑक्सीकरण अवस्थाएँ लिखिए।
उत्तर
संरचना-HClO की संरचना-HClO के ClO आयन में केन्द्रीय परमाणु क्लोरीन sp3 संकरण द्वारा चार संकर कक्षक बनाता है, जिनमें से तीन पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म और चौथा ऑक्सीजन परमाणु के d-कक्षक से अतिव्यापन करके σ-बन्ध बनाता है। इनकी आकृति रेखीय हो जाती है।
HClO4 की संरचना-इसके केन्द्रीय परमाणु Cl में sp3 संकरण होता है, इस प्रकार ClO4 आयन की संरचना चतुष्फलकीय होती है।
प्रश्न 30.
ब्लीचिंग पाउडर की विरंजन क्रिया को समझाइए।
उत्तर
जिस वस्त्र का विरंजन करना होता है, उसे Na2CO3 विलयन के साथ उबालकर चिकनाई हटा लेते हैं। फिर उसे घिर्रियों की सहायता से अनेक बड़े पत्थरों के टबों में ले जाया जाता है। वस्त्र को पहले एक ऐसे पात्र में डुबाया जाता है, जिसमें विरंजक चूर्ण (CaOCl2) का तनु विलयन भरा रहता है । वस्त्र को इस पात्र से निकाल कर दूसरे पात्र में डुबाते हैं, जिसमें तनु H2SO4 भरा रहता है । तनु H2SO4 की विरंजक चूर्ण की क्रिया से क्लोरीन गैस निकलती है, जो वस्त्र का विरंजन कर देती है।
अब इसे तीसरे पात्र में, जिसमें सोडियम थायो-सल्फेट या हाइपो का विलयन होता है डुबा देते हैं। हाइपो द्वारा क्लोरीन की अधिक मात्रा समाप्त हो जाती है। इसके पश्चात् कपड़े को चौथे टब में ले जाया जाता है, जिससे इसे पानी में खूब धोते हैं । यहाँ कपड़े में लगे सारे रासायनिक पदार्थों को धोकर निकाल दिया जाता है। इसके बाद कपड़े को गर्म रोलरों पर दबाया जाता है, जिससे कपड़ा सूख जाता है तथा इस्तरी करने के बेलनों से कपड़े की सिकुड़न दूर कर दी जाती है। अन्त में रंग उड़े कपड़े को छड़ पर गोल करके लपेट देते हैं।
प्रश्न 31.
उत्कृष्ट गैसें निष्क्रिय क्यों होती हैं ?
उत्तर
उत्कृष्ट गैसें निम्नलिखित कारणों से निष्क्रिय होती हैं –
- उत्कृष्ट गैसें निष्क्रिय होती हैं, क्योंकि इनका अष्टक पूर्ण होता है, जो तत्व की सबसे अधिक स्थायी अवस्था है। इनके परमाणु में कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होता है।
- उत्कृष्ट गैसों की आयनन ऊर्जा अति उच्च होती है तथा इलेक्ट्रॉन बन्धुता एवं ऋणविद्युत्ता शून्य होती है, अतः ये न तो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं, न त्यागते हैं और न ही साझा करते हैं। अत: ये निष्क्रिय होते हैं।
प्रश्न 32.
फ्लुओरीन की अन्य हैलोजनों से भिन्नता के कोई तीन कारण दीजिए।
उत्तर
फ्लुओरीन के अन्य हैलोजनों से भिन्नता के निम्न कारण हैं –
- फ्लुओरीन की बन्ध ऊर्जा अत्यन्त कम 158 kJ मोल-1 है, जिसके कारण F2 से अभिक्रिया हेतु बहुत कम सक्रियण ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- फ्लुओरीन परमाणु का आकार अन्य हैलोजनों की तुलना में छोटा होता है, फलस्वरूप फ्लुओरीन का अन्य परमाणुओं के साथ बना सहसंयोजी बन्ध प्रबल होता है।
- फ्लुओरीन की ऋणविद्युत्ता अन्य हैलोजनों से अधिक होती है, अत: यह आसानी से F आयन बना सकता है। ऋणविधुत्ता अधिक होने के कारण यह दूसरे तत्वों को उनके यौगिकों से प्रतिस्थापित कर देता है।
प्रश्न 33.
जीनॉन उत्कृष्ट गैस है, फिर भी यह यौगिक बनाती है, क्यों ? इसके दो यौगिक के संरचना सूत्र दर्शाइए।
उत्तर
सन् 1962 में नील बार्लेट ने देखा कि ऑक्सीजन PtF6 से क्रिया करके O2[PtF6 ] बनाता है। उन्होंने सोचा कि ऑक्सीजन और जीनॉन की प्रथम आयनन ऊर्जा लगभग बराबर होती है। इसी आधार पर उन्होंने Xe व PtF6 की सीधी अभिक्रिया द्वारा प्रथम यौगिक Xe[Ptf6 ] बना लिया, जो नारंगी पीले रंग का ठोस था।
प्रश्न 34.
फ्लुओरीन, क्लोरीन की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक है, कारण दीजिए।
उत्तर
फ्लुओरीन, क्लोरीन की तुलना में निम्नलिखित कारणों से प्रबल ऑक्सीकारक है—
- F परमाणु का आकार Cl परमाणु से छोटा होता है।
- F की ऋणविद्युत्ता Cl से अधिक होती है।
- फ्लुओरीन की वियोजन ऊर्जा क्लोरीन से बहुत कम होती है।
- फ्लुओरीन का E0 का मान क्लोरीन से अधिक होता है।
प्रश्न 35.
क्लोरीन गैस बनाने की प्रयोगशाला विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर
प्रयोगशाला विधि-हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और MnO2 की क्रिया से-एक फ्लास्क में MnO2 लिया जाता है। थिसिल फनल द्वारा सान्द्र HCI डाला जाता है। HCl की मात्रा इतनी डाली जाती है कि MnO2 पूर्ण रूप से ढंक जाये। फ्लास्क को धीरे-धीरे गर्म करते हैं, जिससे हरे-पीले रंग की Cl2 गैस निकलती है।
MnO2 + 4HCl → MnCl2 + 2H2O+Cl2
प्राप्त Cl2 गैस में HCl और जल वाष्प की अशुद्धियाँ होती हैं, जो क्रमशः जल और सान्द्र H2SO4 में प्रवाहित करने से दूर हो जाती है।
प्रश्न 36.
उत्कृष्ट गैसों के पाँच भौतिक गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
उत्कृष्ट गैसों के भौतिक गुण –
- परमाणु त्रिज्या उत्कृष्ट गैसों की आयनिक त्रिज्या वाण्डर वाल्स त्रिज्या के संगत है। समूह में ऊपर से नीचे जाने पर वाण्डर वाल्स त्रिज्या बढ़ती जाती है।
- आयनन ऊर्जा—इनका स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होने के कारण आयनन ऊर्जा बहुत अधिक होती है। आयनन ऊर्जा का मान परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ घटता जाता है।
- इलेक्ट्रॉन बन्धुता—इनके स्थायी विन्यास ns2np6 के कारण उत्कृष्ट गैसों में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति नहीं होती है। इस कारण इनकी इलेक्ट्रॉन बन्धुता लगभग शून्य होती है।
- गलनांक एवं क्वथनांक इनके परमाणुओं में दुर्बल आकर्षण बल होने के कारण इन गैसों के गलनांक एवं क्वथनांक कम होते हैं। समूह में ऊपर से नीचे जाने पर m.p. और b.p. का मान क्रमशः बढ़ता जाता है।
- द्रवीकरण-उत्कृष्ट गैसें सुगमता से द्रवीभूत नहीं होती हैं । इसका कारण इनमें दुर्बल वाण्डर वाल्स बलों का होना है।
प्रश्न 37.
हैलोजन के हाइड्राइडों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
हैलोजन, हाइड्रोजन से योग करके वाष्पशील हैलाइड बनाते हैं, जिनका सामान्य सूत्र HX है।
x2 + H2 → 2HX
इन हाइड्राइडों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- भौतिक अवस्था सामान्य परिस्थितियों में HCl, HBr और HI गैस तथा HF द्रव है।
- स्थायित्व समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर हाइड्राइडों का स्थायित्व घटता है। H सबसे अधिक तथा HI सबसे कम स्थायी है।
- अपचायक प्रवृत्ति समूह में ऊपर से नीचे जाने पर HF से HI तक अपचायक गुण बढ़ता है।
- बन्ध की प्रकृति सभी हैलाइड सहसंयोजी प्रकृति के होते हैं, किन्तु कुछ में आयनिक लक्षण भी होते हैं। आयनिक लक्षण HF से HI तक क्रमशः घटता है।
- अम्लीय शक्ति सभी जल में आयनित होकर अम्ल की तरह व्यवहार करते हैं। इन अम्लों की शक्ति HF से HI की ओर बढ़ती है।
प्रश्न 38.
समूह 17 के तत्व (हैलोजन) रंगीन होते हैं, क्यों?
उत्तर
हैलोजन समूह के समस्त तत्व रंगीन होते हैं, उनका रंग परमाणु संख्या में वृद्धि के साथ गहरा होता जाता है।
हैलोजनों में रंग उनके अणुओं द्वारा दृश्य प्रकाश (Visible light) के अवशोषण के कारण होता है। अणुओं द्वारा दृश्य प्रकाश के अवशोषण के फलस्वरूप बाह्यतम् इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर पर चले जाते हैं, जिसके कारण ये तत्व रंगीन दिखाई देते हैं। उदाहरणार्थ-फ्लोरीन का आकार अत्यन्त छोटा होने के कारण बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण अधिक होता है तथा बाह्यतम् इलेक्ट्रॉन को उत्तेजित करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। फ्लुओरीन परमाणु अधिक ऊर्जा वाले बैंगनी विकिरणों को अवशोषित करते हैं, अत: वे हल्के पीले दिखाई देते हैं जबकि आयोडीन परमाणु का आकार बड़ा होता है । बाह्यतम् इलेक्ट्रॉन नाभिक से काफी दूर रहते हैं। उन्हें उत्तेजित करने के लिए कम ऊर्जा वाले पीले विकिरणों की आवश्यकता होती है। दृश्य प्रकाश से पीले रंग के विकिरण के अवशोषण के कारण वे बैंगनी दिखाई देते हैं।
प्रश्न 39.
फ्लुओरीन केवल +1 या-1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है जबकि अन्य हैलोजन तत्व इसके अतिरिक्त +3, +5 एवं +7 ऑक्सीकरण अवस्था भी दर्शाते हैं, क्यों ?
उत्तर
फ्लुओरीन केवल +1 या-1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है जबकि अन्य हैलोजन तत्व जैसेCl, Br तथा I, +3, +5, +7 ऑक्सीकरण अवस्था भी दर्शाते हैं क्योंकि शेष हैलोजन Cl, Br व I में रिक्त d-कक्षक भी उपस्थित होता है। जिसके फलस्वरूप उत्तेजित अवस्था में इलेक्ट्रॉन d-कक्षक में जाने से क्रमशः 3,5, 7 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हो जाते हैं। यही कारण है कि ये हैलोजन क्रमशः +3, +5 एवं +7 ऑक्सीकरण अवस्था भी दर्शाते हैं।
प्रश्न 40.
कारण स्पष्ट कीजिए(a) आयोडीन कुछ धात्विक गुण प्रदर्शित करता है। (b) हैलोजन प्रबल ऑक्सीकारक होते है, क्यों?
उत्तर
(a) आयोडीन की आयनन ऊर्जा कुछ कम होती है, अतः यह अपने संयोजकता कोश के एक इलेक्ट्रॉन को मुक्त कर कुछ अभिक्रियाओं में I आयन देता है। इसलिए यह कुछ धात्विक गुण रखता है।
I → I+ + e
(b) सभी हैलोजनों की इलेक्ट्रॉन बंधुता अधिक होती है, अतः इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रकृति अधिक होती है, इसलिए हैलोजन प्रबल ऑक्सीकारक है। ऑक्सीकारक क्षमता F से I की ओर जाने पर घटती है।
F2> Cl2> Br2 > I2 अतः फ्लुओरीन सबसे प्रबल ऑक्सीकारक है।
प्रश्न 41.
हैलोजन श्रेणी में फ्लुओरीन अन्य सदस्यों की तुलना में सबसे अधिक सक्रिय है, किन्हीं तीन बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
फ्लुओरीन की क्रियाशीलता के निम्नलिखित कारण हैं –
1. परमाणु त्रिज्या-फ्लुओरीन की परमाणु त्रिज्या छोटी होती है तथा इसके नाभिक पर उच्च धन आवेश होता है। इसलिये यह शीघ्रता से सहसंयोजी बंध बनाते हैं।
2. विद्युत् ऋणात्मकता-इसकी विद्युत् ऋणात्मकता का मान आवर्त सारणी के सभी तत्वों की विद्युत् ऋणात्मकता से अधिक है।
3. ऑक्सीकारक गुण-फ्लोरीन अन्य हैलोजन की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक है। इसलिये यह सरलता से इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋण आयन बना सकता है।
p-ब्लॉक के तत्त्व दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ओजोन की निम्नलिखित पर रासायनिक समीकरण दीजिए –
(1) K2MnO4
(2) I2
(3) Ag2O
(4) CH2== CH2
(5) PbS.
उत्तर
(1) पोटैशियम मैंगनेट से पोटैशियम परमैंगनेट बनता है।
2K2MnO4 + H2O + O3 → 2KMnO4 + 2KOH +O2
(2) आयोडीन ऑक्सीजन से क्रिया करके आयोडिक अम्ल देता है।
I2 + H2O + 5O3 → 2HIO3 + 5O2
(3) सिल्वर ऑक्साइड अवकृत होकर सिल्वर देता है।
Ag2O + O3 →2Ag + 2O2
(4) एथिलीन ओजोनॉइड बनाता है।
(5) Pbs को PbSOA में ऑक्सीकृत कर देता है।
PbS + 4O3 → PbsO4 +4O2
प्रश्न 2.
नाइट्रिक अम्ल के निर्माण की ओस्टवाल्ड विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर
ओस्टवाल्ड की विधि-1 आयतन अमोनिया और 8 आयतन वायु का मिश्रण प्लैटिनम की जाली (Platinum-gauze) के ऊपर 800°C ताप पर प्रवाहित किया जाता है तो 90% अमोनिया का नाइट्रिक ऑक्साइड में ऑक्सीकरण हो जाता है।
बनी हुई नाइट्रिक ऑक्साइड को बची हुई ऑक्सीजन कक्ष में भेजा जाता है, जिससे वह नाइट्रोजन परॉक्साइड में बदल जाती है।
2NO +O2 → 2NO2
यह NO, शोषक कक्ष में भेज दी जाती है, जहाँ ऊपर से धीरे-धीरे जल गिरता रहता है। जल और NO, के संयोग से तनु नाइट्रिक अम्ल बन जाता है।
2NO2 + H2O → HNO2 + HNO3
3HNO2 → HNO3 + H2O + 2NO.
प्रश्न 3.
नाइट्रोजन अपने समूह के तत्वों से किन-किन गुणों में भिन्नता प्रदर्शित करता है, और क्यों?
उत्तर
नाइट्रोजन निम्न कारणों से अपने समूह के अन्य तत्वों से भिन्नता प्रदर्शित करता है –
- परमाणु का छोटा आकार,
- उच्च विद्युत्-ऋणात्मकता,
- बहु बन्ध बनाने की प्रवृत्ति
- संयोजकता में वृद्धि के लिए d-उपकक्ष का उपलब्ध न होना।
गुणों में भिन्नता-
- नाइट्रोजन निष्क्रिय गैस है जबकि अन्य सदस्य क्रियाशील ठोस हैं ।
- नाइट्रोजन अणु द्विपरमाणुक (N2) है जबकि अन्य तत्वों के अणु चतुःपरमाणुक (P4, AS4, Sb4) हैं ।
- नाइट्रोजन जटिल यौगिक नहीं बनाता जबकि अन्य तत्व रिक्त d-कक्षक की उपस्थिति के कारण जटिल यौगिक बनाते हैं।
- नाइट्रोजन के अनेक ऑक्साइड (N2O, NO, N2O3, N2O4, N2O5) ज्ञात हैं। अन्य तत्वों के इतने ऑक्साइड नहीं बनते।
- NH2 उच्च क्वथनांक वाला द्रव है जबकि अन्य हाइड्राइड गैस हैं ।
- नाइट्रोजन अपने यौगिक में श्रृंखलन गुण प्रदर्शित करता है जबकि अन्य तत्वों में शृंखलन गुण नहीं पाया जाता ।
- नाइट्रोजन अपरूपता प्रदर्शित नहीं करता जबकि अन्य तत्व कई अपरूपों में ज्ञात हैं ।
- नाइट्रोजन संकुल आयन नहीं बनाता जबकि अन्य तत्व संकुल आयन बनाते हैं जैसे, PF4–SbF6–आदि।
प्रश्न 4.
ब्रॉडी ओजोनाइजर का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर
यह काँच की U आकार की नली होती है। भीतर नली में तनु H2SO4 डालकर Pt का तार डाला जाता है। काँच के सम्पूर्ण उपकरण को काँच के बर्तन में लटका देते हैं। इसमें भी H2SO4 भरा होता है। बाहरी बर्तन में भी Pt का इलेक्ट्रोड लगा देते हैं। U नली से शुष्क O2 प्रवाहित करते हैं। तीव्र विद्युत् विसर्जन से .ओजोनीकृत ऑक्सीजन प्राप्त होती है। इसमें ओजोन की मात्रा 20% होती है।
प्रश्न 5.
नाइट्रोजन परिवार के हाइड्राइडों का निम्न बिन्दुओं पर वर्णन कीजिए –
(i) नाम व सूत्र, (ii) क्षारीय गुण, (iii) अपचायक गुण, (iv) बंध कोण, (v) गलनांक एवं क्वथनांक।
उत्तर
(i)
(ii) क्षारीय गुण-NH3 से BiH3 की ओर जाने पर क्षारीयता घटती जाती है। क्योंकि नाइट्रोजन के छोटे आकार के कारण एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की उपस्थिति से इस पर इलेक्ट्रॉन घनत्व उच्च होता है।
(iii) अपचायक गुण-NH3 से BiH3 की ओर जाने पर अपचायक क्षमता बढ़ती है।
(iv) बंध कोण-समूह में ऊपर से नीचे चलने पर बन्ध कोण घटता जाता है क्योंकि केन्द्रीय परमाणु की विद्युत्-ऋणात्मकता घटती है।
(v) गलनांक तथा क्वथनांक (m.p. and b.p.) – जहाँ तक गलनांक अथवा क्वथनांक का प्रश्न है, समूह 15 के तत्व कोई क्रमिकता प्रदर्शित नहीं करते। N से लेकर As तक गलनांक बढ़ता जाता है, जबकि पुनः Sb तथा Bi तक घटता है। क्वथनांक N से Bi तक लगातार बढ़ता जाता है। . .
प्रश्न 6.
ऑक्सीजन परिवार के हाइड्राइडों का निम्न बिन्दुओं पर वर्णन कीजिए –
(i) नाम व सूत्र, (ii) ऊष्मीय स्थायित्व, (iii) अपचायक गुण, (iv) अम्लीय गुण, (v) सहसंयोजक गुण।
उत्तर
(i)
(ii) ऊष्मीय स्थायित्व-हाइड्राइडों का ऊष्मीय स्थायित्व नीचे की ओर घटता है क्योंकि परमाणु आकार में वृद्धि से बंध शक्ति घटती है।
(iii) अपचायक गुण – H2O अपचायक नहीं है। H2S से H2Te तक अपचायक गुण बढ़ता है क्योंकि बंध शक्ति कम होने से हाइड्रोजन देने की प्रकृति बढ़ती है।
(iv) अम्लीय गुण-सभी दुर्बल अम्लीय प्रकृति के होते हैं। H2O से H2Te तक अम्लीय प्रकृति बढ़ती है क्योंकि हाइड्राइडों द्वारा सरलता से H’ दिया जाता है।
(v) सहसंयोजक गुण-हाइड्रोजन के बाह्यतम् कक्ष में एक इलेक्ट्रॉन होता है इससे वह ऑक्सीजन परिवार के अन्य तत्वों से सहसंयोजक बंध बनाकर अपना बाह्यतम् कक्ष पूर्ण करता है।
प्रश्न 7.
क्लोरीन निर्माण की विधि का निम्न बिन्दुओं के आधार पर वर्णन कीजिए –
(1) नेल्सन सेल का नामांकित चित्र, (2) सिद्धान्त तथा (3) डीकन विधि।
उत्तर
क्लोरीन का निर्माण ब्राइन NaCl के विद्युत्-अपघटन द्वारा किया जाता है इसमें क्लोरीन उपजात के रूप में प्राप्त होती है। नेल्सन सेल-यह इस्पात की टंकी में बेलनाकार ऐस्बेस्टॉस की तह लगी इस्पात की छिद्र युक्त नली लगाकर चित्र में दिखाये अनुसार बनाया जाता है। इस्पात की यह छिद्र युक्त नली कैथोड का कार्य करती है। इस नली में NaCl का विलयन भरकर इस्पात की टंकी में लटका देते हैं। इस विलयन में कार्बन की छड़ लगाकर उसे ऐनोड बनाया जाता है। विद्युत् प्रवाहित करने पर NaCl का विद्युत्-अपघटन हो जाता है। क्लोरीन ऐनोड पर मुक्त होकर बाहर निकल जाती है और सोडियम आयन ऐस्बेस्टॉस की तह को पार कर कैथोड पर मुक्त होने के बाद टंकी में आने वाली भाप से क्रिया करके NaOH विलयन बनाता है, जो अलग निकाल दिया जाता है। NaCl प्रयुक्त होने वाले सभी विद्युत्-अपघटनी सेलों में अभिक्रिया अग्रानुसार होती है –
(2) डीकन विधि-क्लोरीन का उत्पादन पहले डीकन विधि द्वारा किया जाता था, जिसमें HCl अम्ल गैस को उत्प्रेरक क्यूप्रिक क्लोराइड (CuCl2) की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ 450°C पर गर्म किया जाता था।
प्रश्न 8.
क्लोरीन की निम्न के साथ होने वाली अभिक्रिया का समीकरण दीजिए –
(1) NH3 (2) NaOH, (3) H2O, (4) विरंजन गुण।।
उत्तर
क्लोरीन की अभिक्रिया –
(1) अमोनिया से क्रिया-अभिक्रिया दो प्रकार की होती है –
(a) अमोनिया के आधिक्य में अमोनियम क्लोराइड और नाइट्रोजन बनती है।
(b) यदि क्लोरीन की अधिकता हो तो एक विस्फोटक पदार्थ नाइट्रोजन ट्राइक्लोराइड बनता है।
NH3 +3Cl2 → NCl3 + 3HCl
(2) NaOH से क्रिया –
(a) ठण्डे और तनु कॉस्टिक सोडा से अभिक्रिया कर क्लोराइड और हाइपोक्लोराइट बनाती है।
Cl2 + 2NaOH → NaCl+NaClO + H2O
(b) गर्म और सान्द्र कॉस्टिक सोडा के साथ क्रिया कर क्लोराइड और क्लोरेट बनाती है।
3Cl2 + 6NaOH → NaClO3 +5NaCl +3H2O
(3) जल से क्रिया-Cl2 जल में घुलकर क्लोरीन जल बनाती है। यह हाइपोक्लोरस अम्ल होता है, जो बाद में HCl में विघटित हो जाता है।
[Cl2 + H2O → HOCl + HCl] x 2
2HOCl→2HCl + O2
2Cl2 + 2H2O → 4HCl + O2
(4) विरंजन गुण-नमी की उपस्थिति में क्लोरीन विरंजन का कार्य करती है तथा वनस्पतियाँ और रंगीन वस्तुओं का रंग उड़ा देती है। यह क्रिया ऑक्सीकरण के कारण होती है। अतः विरंजन स्थायी होती है।
Cl2 +H2 O → HClO + HCl
HCIO → HCl + O
रंगीन पदार्थ +(O) → रंगहीन पदार्थ ।
प्रश्न 9.
उत्कृष्ट गैसों के पृथक्करण की डेवार विधि का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए –
उत्तर
डेवार विधि –
सिद्धांत – नारियल का कोयला या काष्ठ कोयला विभिन्न तापक्रमों पर विभिन्न गैसों का अधिशोषण करता है।
विधि – चित्रानसार उपकरण में उत्कृष्ट गैसों का मिश्रण लिया जाता है। शीत कुण्ड में रखे उपकरण में नारियल का कोयला भरा होता है, इसमें-100°C पर Xe, Kr तथा Ar का अधिशोषण हो जाता है। अनाशोषित He और Ne के मिश्रण को – 180°C पर नारियल के कोयले के सम्पर्क में रखा जाता है, जिससे निऑन पूर्ण रूप से अधिशोषित हो जाती है तथा He मुक्त अवस्था में बची रहती है। इसे चारकोल का ताप
बढ़ाकर Ne पृथक् कर लेते हैं।
Ar, Kr और Xe अधिशोषित चारकोल को द्रव वायु के ताप (- 193°C) पर रखे एक अन्य चारकोल के सम्पर्क में लाने पर Ar इस चारकोल में अधिशोषित हो जाती है। Kr और Xe वाले चारकोल का ताप – 90°C कर देने पर Kr निकल जाती है और Xe चारकोल के साथ बची रहती है। अब विभिन्न गैसें अधिशोषित चारकोल का ताप बढ़ाकर प्राप्त कर ली जाती हैं।
प्रश्न 10.
समूह 17 के तत्वों को हैलोजन क्यों कहते हैं ? हैलोजन के निम्नलिखित गुणों की प्रकृति समझाइए
(1) ऑक्सीकरण अवस्था, (2) विद्युत्-ऋणात्मकता, (3) ऑक्सीकारक गुण, (4) अन्य तत्वों के साथ बन्ध बनाने की प्रकृति।
उत्तर
हैलोजन शब्द का अर्थ है समुद्री लवण बनाने वाला। वर्ग 17 के प्रथम चार सदस्य समुद्री जल में लवण के रूप में पाये जाते हैं । अत: वर्ग 17 के तत्वों को हैलोजन कहते हैं।
हैलोजनों में गुणों की प्रकृति –
(1) ऑक्सीकरण अवस्थाएँ-हैलोजनों की सामान्य ऑक्सीकरण संख्या – 1 होती है। फ्लुओरीन को छोड़कर अन्य हैलोजनों की ऑक्सीकरण संख्या +7 तक पाई जाती है।
F → -1
Cl → -1, + 1, + 3, +5, +7
Br → -1, + 1, +3,+5
I → -1, +1, + 3, +5, +7
अन्तिम कोश अष्टक विन्यास प्राप्त करने हेतु एक इलेक्ट्रॉन लेते या साझा करते समय, जब ये अपने से कम ऋणविद्युती तत्व से संयुक्त होते हैं तो इनकी ऑक्सीकरण अवस्था – 1 होती है और यदि अपने से अधिक ऋणविद्युती तत्वों से संयुक्त होते हैं, तो ऑक्सीकरण अवस्था + 1 होती है। HF, HCl व HI में हैलोजन की ऑक्सीकरण अवस्था -1 तथा ClF BrF, IF, HClO, HBrO, HIO में हैलोजन की ऑक्सीकरण अवस्था + 1 है।
फ्लुओरीन सर्वाधिक ऋणविद्युती तत्व है तथा हमेशा – 1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है। F परमाणु के संयोजकता कोश में d-कक्षक नहीं होते, जिससे यह किसी उत्तेजित अवस्था में नहीं आ पाता, जिसके कारण यह कोई उच्च ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करता। _
F को छोड़कर शेष अन्य हैलोजन परमाणुओं के संयोजकता कोश में d-कक्षक होते हैं, जिससे p तथा s कक्षकों के इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर इन कक्षकों में पहुँच सकते हैं, जिसके कारण ये +3, +5, +7 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं । ब्रोमीन परिरक्षण प्रभाव (Screening effect) की अधिकता के कारण +7 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करता।
(2) विद्युत्-ऋणात्मकता-इस समूह के तत्वों की विद्युत्-ऋणात्मकता अन्य समूह के तत्वों से अधिक होती है तथा F से At तक घटती है । ज्ञात तत्वों में फ्लुओरीन की विद्युत्-ऋणात्मकता सर्वाधिक है, जिसका मान 4 दिया गया है।
(3) ऑक्सीकारक गुण-हैलोजन प्रबल ऑक्सीकारक है। इन तत्वों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता अधिक होती है। अतः इनमें इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की क्षमता अधिक है। इस कारण ये प्रबल ऑक्सीकारक होते हैं। ऑक्सीकारक गुण के घटने का क्रम इस प्रकार है- F2> Cl2 > Br2 >I2
(4) अन्य तत्वों के साथ बन्ध बनाने की प्रकृति-हैलोजन, धातु अथवा विद्युत् धनात्मक तत्वों के साथ आयनिक बन्ध बनाते हैं । हैलोजन परमाणु का आकार बढ़ने के साथ-साथ आयनिक बन्ध बनाने की प्रकृति कम होती जाती है। उदाहरण-AIF3 आयनिक है, जबकि AlCl2 सहसंयोजक है। ये अधातुओं के साथ सहसंयोजक बन्ध बनाते हैं।
(a) हाइड्राइड-सभी हैलोजन HX प्रकार के हाइड्राइड बनाते हैं। HF द्रव है, जबकि HCI, HBr व HI गैसें हैं।
(b) हैलोजन ऑक्सीजन से सीधे क्रिया नहीं करते, ये अप्रत्यक्ष रूप से बनाये जाते हैं। उदाहरणऑक्सीजन डाइफ्लुओराइड, OF2 को NaOH पर F2 की क्रिया द्वारा बनाया जाता है।
2F2 + 2NaOH → 2 NaF + OF2 + H2O.
प्रश्न 11:
ब्लीचिंग पाउडर का निम्नलिखित बिन्दुओं पर वर्णन कीजिए –
(i) बनाने की विधि
(ii) गुण
(iii) उपयोग।
उत्तर
(i) बनाने की विधि-बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की क्रिया से ब्लीचिंग पाउडर (विरंजक चूर्ण) बनता है।
Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 +H2O
ब्लीचिंग पाउडर बनाने के लिए दो प्रकार के संयन्त्र होते हैं।
(1) हेसेनक्लेवर संयन्त्र-इसमें अनेक क्षैतिज बेलन होते हैं जिनमें घूमने वाले शेफ्ट लगे होते हैं। ऊपर से बुझा हुआ चूना डाला जाता है, जो घूमने
वाले शेफ्ट से एक बेलन से दूसरे में होता हुआ नीचे कम पहुँच जाता है। इसमें नीचे की ओर से क्लोरीन प्रवाहित की जाती है। नीचे आता हुआ Ca(OH)2 तथा नीचे से ऊपर जाती हुई क्लोरीन आपस में क्रिया कर ब्लीचिंग पाउडर बनाते हैं। इसे नीचे ग्राही में एकत्र कर लेते हैं।
(2) बेकमेन संयन्त्र-आजकल विरंजक चूर्ण को बेकमेन संयन्त्र द्वारा बनाया जाता है। यह लोहे का एक ऊर्ध्वाधर स्तम्भ होता है जिसमें नीचे से थोड़ा ऊपर क्लोरीन तथा गर्म वायु के अन्दर जाने का रास्ता होता है तथा ऊपर एक कीप लगी रहती है। ऊपरी सिरे पर अप्रयुक्त क्लोरीन एवं वायु के एक निकास द्वार होता है। स्तम्भ के अन्दर की ओर क्षैतिज खाने के बने होते हैं। प्रत्येक खाने में घूमने वाली रेक लगी होती है तथा नीचे जाने पर यह ऊपर आती क्लोरीन से क्रिया कर ब्लीचिंग पाउडर में परिवर्तित हो जाती है।
(ii) ब्लीचिंग पाउडर के गुण –
(1) यह सफेद रंग का चूर्ण है, जिसमें क्लोरीन की प्रबल गन्ध होती है।
(2) यह ठण्डे जल में विलेय है। किन्तु चूने की उपस्थिति के कारण स्वच्छ विलयन नहीं बनता है।
चित्र-बेकमेन संयंत्र
(3) ठण्डे पानी में हिलाकर छानने पर ठण्डा छनित विलयन क्लोराइड हाइपोक्लोराइड आयनों की अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करता है, जबकि गर्म करने पर यह क्लोराइड तथा क्लोरेट आयनों की उपस्थिति को प्रदर्शित करता है।
(4) तनु अम्लों की कम मात्रा से क्रिया-तनु अम्लों की अपर्याप्त मात्रा से ब्लीचिंग पाउडर की क्रिया कराने पर हाइपोक्लोरस अम्ल मुक्त होता है, जो नवजात ऑक्सीजन देने के कारण ऑक्सीकारक तथा विरंजक का कार्य करता है।
(5) तनु अम्लों की अधिक मात्रा से क्रिया-ब्लीचिंग पाउडर तनु अम्लों की अधिक मात्रा से क्रिया कर क्लोरीन गैस मुक्त करता है।
CaOCl2 + H2SO4 → CaSO4 + H2O + Cl2
इस प्रकार मुक्त क्लोरीन ‘प्राप्य क्लोरीन’ (Available chlorine) कहलाती है। एक अच्छे नमूने (Sample) में 35 – 38% प्राप्य क्लोरीन होती है।
(6) अपघटन उत्प्रेरक कोबाल्ट क्लोराइड की अल्प मात्रा की उपस्थिति में अपघटित होकर ऑक्सीजन देता है।
2CaOCl2 → 2CaCl2 + O2
अधिक समय तक रखा रहने पर इसका स्वतः ऑक्सीकरण हो जाता है तथा यह कैल्सियम क्लोरेट, कैल्सियम क्लोराइड के मिश्रण में परिवर्तित हो जाता है।
6CaoCl2→ Ca(ClO3)2 +5CaCl2
(iii) उपयोग–(1) जल को कीटाणुओं तथा रोगाणुओं से मुक्त करने में।
(2) क्लोरोफॉर्म के निर्माण में।
(3) ऊन को सिकुड़ने से बचाने के लिए।
(4) कपड़े, कागज के कारखानों में विरंजक के रूप में।
प्रश्न 12.
अन्तर हैलोजन यौगिक किन्हें कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ? प्रत्येक प्रकार का एक-एक उदाहरण देकर संरचना खींचिए।
उत्तर
हैलोजन परिवार के सदस्यों की ऋणविद्युतता में अन्तर होने के कारण दो भिन्न हैलोजनों का संयोग सम्भव हो जाता है जब दो भिन्न हैलोजन आपस में मिलकर द्विअंगी यौगिक बनाते हैं तो उन्हें अन्तर हैलोजन यौगिक कहते हैं।
ये यौगिक चार प्रकार के होते हैं इसका सामान्य सूत्र AXn होता है। जहाँ n = 1, 3, 5, 7 है।
1. AX – CIF, BrF, BrCI, IBr, ICI
2. AX3 – ClF3, BrF3, ICl3
3. AX5 – BIF5, IF5
4. AX7 – IF7
1. AX प्रकार-जैसे-CIF, BrCl, IBr, ICl.
इनकी आकृति रेखीय (Linear) होती है। चित्र के अनुसार ClF में क्लोरीन का मूल अवस्था (Ground state) में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास दिखाया गया है। इसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है, जो दूसरे हैलोजन परमाणु से सहसंयोजी बन्ध बनाकर अन्तरा-हैलोजन यौगिक बनाता है।
2. AX3 प्रकार-इनकी T-आकृति होती है। जैसे-ClF3 अणु इनका केन्द्रीय परमाणु X में sp3d संकरण होता है।
3. AX5 (IF5, BrF5 आदि) प्रकार-इस प्रकार के यौगिकों में sp3d2 संकरण होता है। इनकी संरचना वर्ग पिरामिडीय होती है, जिसमें एक स्थान पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म रहता है। जैसे-चित्र में IF5 अणु का बनना दिखाया गया है।
4. AX7(IF7) प्रकार-इसकी आकृति पंचभुजीय पिरामिडीय होती है, जो कि sp3d3 संकरण से बनती है। IF7 अणु में होने वाला sp3d3 संकरण
प्रश्न 13.
अक्रिय गैसों के उपयोग लिखिए।
उत्तर
अक्रिय गैसों के उपयोग (Uses of Noble Gases) –
हीलियम के उपयोग-1. हीलियम का घनत्व बहुत कम है। यह हाइड्रोजन के बाद सबसे हल्की गैस है। मौसम का पता लगाने वाले गुब्बारों में आजकल हाइड्रोजन और हीलियम के मिश्रण का उपयोग किया जाता है।
2. गोताखोरों द्वारा गहरे समुद्र में साँस लेने के लिए हीलियम और ऑक्सीजन के मिश्रण का उपयोग किया जाता है। इसका कारण यह है, कि हीलियम गैस नाइट्रोजन की अपेक्षा अधिक दाब पर रक्त में कम विलेय है।
3. दमा (Asthma) के रोगियों को भी हीलियम-ऑक्सीजन का मिश्रण स्वाँस लेने के लिए दिया जाता है।
4. वायु की अपेक्षा हीलियम का भार कम होता है इसलिए बड़े वायुयानों के टायरों में इसे भरा जाता है।
5. निम्न ताप के मापन में प्रयुक्त गैस थर्मामीटर में इसका उपयोग होता है।’
6. अक्रिय गैस होने के कारण यह सिग्नल लैम्प, निर्वात् नलिकाओं (Vacuum tubes), रेडियो ट्यूब तथा विद्युत-ट्रांसफॉर्मरों में भरने के काम आती है।
आर्गन के उपयोग-
- हीलियम के समान इसका भी उपयोग ऐल्युमिनियम व स्टेनलेस स्टील के वेल्डिंग के लिए अक्रिय वातावरण उत्पन्न करने के लिए होता है। .
- विद्युत् बल्बों में 25% नाइट्रोजन के साथ आर्गन गैस भरी जाती है।
- इसका उपयोग रेडियो वाल्वों में किया जाता है।
- विभिन्न रंगों का प्रकाश उत्पन्न करने के लिए आर्गन को निऑन के साथ विसर्ग नली में मिश्रित किया जाता है।
निऑन के उपयोग-
- निऑन प्रकाश का उपयोग विज्ञापनों के लिए किया जाता है। निऑन से हरा प्रकाश उत्पन्न करने के लिए निऑन के साथ पारे की वाष्प मिला देते हैं।
- निऑन लैम्पों का उपयोग हवाई जहाजों के संकेतक के रूप में होता है। निऑन प्रकाश बहुत दूर तक दिखता है तथा कोहरे का भी उस पर प्रभाव नहीं होता।
क्रिप्टॉन (Kr) और जीनॉन (Xe) के उपयोग-
- आर्गन के स्थान पर इनका भी उपयोग विद्युत् बल्बों में किया जा सकता है, परन्तु ये महँगी है।
- इन गैसों का उपयोग क्षणदीप्ति फोटोग्राफी (Flash photography) में किया जाता है।
- क्रिप्टॉन का उपयोग प्रतिदीप्नि (Fluorescence), तापदीप्ति (Incandescence) तथा विसर्जन लैम्पों में अधिक हो रहा है।
- क्रिप्टॉन लैम्प का उपयोग हवाई जहाज के उतरने के स्थान पर चिन्ह (Sign) के रूप में होता है। यह लैम्प एक मिनट में 40 बार चमकता है।
रेडॉन (Rn) के उपयोग-1. कैन्सर के उपचार में तथा रेडियोधर्मी सम्बन्धी शोध कार्य में प्रयुक्त होता है।
2.X-किरणों के उपस्थापन (Substitute) के रूप में, प्रौद्योगिकी रेडियोलॉजी में।