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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Chapter 15 माटी वाली (विद्यासागर नौटियाल)
माटी वाली पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
माटी वाली लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
माटी वाली के भरण-पोषण का आधार क्या था?
उत्तर
माटी वाली के भरण-पोषण का आधार घर-घर में लाल मिट्टी देते रहना था।
प्रश्न 2.
माटी वाली को लोग क्यों पहचानते थे?
उत्तर
घर-घर में लाल मिट्टी देते रहने के उस काम को करने वाली माटी वाली अकेली थी। इसलिए उसको लोग पहचानते थे।
प्रश्न 3.
माटी वाली के पास अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?
उत्तर
माटी वाली के पास अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय नहीं था। यह इसलिए कि वह अपने काम में बहुत ही व्यस्त रहती थी।
प्रश्न 4.
टिहरी शहर में आपाधापी क्यों मची थी?
उत्तर
टिहरी शहर में आपाधापी मची थी। यह इसलिए कि टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया है। शहर में पानी भरने लगा है।
माटी वाली लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से लेखक का क्या आशय है?
उत्तर
भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से लेखक का आशय है-अगर भूख तेज हो तो सामान्य भोजन भी अत्यधिक स्वादिष्ट और सरस लगता है।
प्रश्न 2.
टिहरी गाँव में माटी वाली का रहना जरूरी क्यों था?
उत्तर
टिहरी गाँव में माटी वाली का रहना जरूरी था। यह इसलिए कि उसकी झोपड़ी गाँव के एक ठाकुमार की जमीन पर खड़ी थी। उसकी एवज में उसे कई तरह के कामों की बेगार करनी होती थी।
प्रश्न 3.
‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए’ यह बात किस संदर्भ में कही गई है?
उत्तर
‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए’ यह बात उस संदर्भ में कही गई है जब टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया। शहर में पानी भरने लगा। शहर में आपाधापी मची थी। और माटी वाली अपनी झोपड़ी के बारह बैठी थी।
प्रश्न 4.
माटी वाली का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर
देखिए कहानी का सारांश।
माटी वाली भाषा-अनुशीलन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित सामासिक शब्दों का समास विग्रह कर नामोल्लेख कीजिए।
चौमासा, जमीन-जायजाद, शहरवासी, बेकाम।
उत्तर
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से तत्सम, तद्भव, देशज और आगत शब्द छाँटिए
मुश्किल, माटी, कंकर, टेम, स्वादिष्ट, बक्त, बाँध।
उत्तर
तत्सम शब्द – स्वादिष्ट
तद्भव शब्द – माटी, कंकर
देशज शब्द – टेम, बाँध
आगत शब्द – मुश्किल, वक्त।
प्रश्न 3.
दिए गए वाक्यों को प्रश्नवाचक और निषेधावचक वाक्यों में परिवर्तित कीजिए
(क) तू बहुत भाग्यवान है।
(ख) कामिनी दौड़ती हुई वहाँ पहुँची।
उत्तर
प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए
पीने योग्य, जो पढ़ा न गया हो, जिसे कोई न जानता हो, बिना इच्छा के कराया गया काम, जहाँ पर भोजन पकाया जाता है।
उत्तर
वाक्यांश – एक शब्द
पीने योग्य – पेय
जो पढ़ा न गया हो। – अपठित
जिसे कोई न जानता हो – अज्ञेय
बिना इच्छा के कराया गया काम – अवांछित
जहाँ पर भोजन पकाया जाता है – पाकशाला।
प्रश्न 5.
उचित विराम चिहों का प्रयोग कीजिए
ठकुराइन जी जो जमीन जायजादों के मालिक हैं वे तो कहीं न कहीं ठिकानों पर जायेंगे ही पर में सोचती हूँ मेरा क्या होगा मेरी तरफ देखने वाला तो कोई भी नहीं।
उत्तर
“ठकुराइन जी! जो जमीन-जायदादों के मालिक हैं। वे तो कहीं-न-कहीं ठिकानों पर जायेंगे ही, पर मैं सोचती हूँ। मेरा या होगा? मेरी तरफ़ देखने वाला तो कोई भी नहीं है।”
प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए
(क) हमको वहाँ जाना है।
(ख) घर में वह सिर्फ अकेला है।
(ग) पाँच रुपया की जरूरत है।
(घ) हल्ला सुनते-सुनते कान पक गया।
उत्तर
(क) मुझे वहाँ जाना है।
(ख) घर में वह अकेला है।
(ग) पाँच रुपये की जरूरत है।
(घ) हल्ला सुनते-सुनते कान पक गए।
माटी वाली योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1.
बाँध बनाने जैसे जनहितैषी कार्यों से भी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इन्हें किस तरह से दूर किया जा सकता है? चर्चा कीजिए।
प्रश्न 2.
किसी बाँप का अनुमानित चित्र बनाइए और शिक्षक की सहमति से कक्षा में लगाइए।
प्रश्न 3.
पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता। मालकिन के इस कवन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।
माटी वाली परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘माटी बाली’ कहानी का प्रतिपाय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
प्रस्तुत कहानी ‘माटी वाली’ में लेखक विद्यासागर नौटियाल ने मिट्टी बेचकर अपना भरण-पोषण करने वाली निर्धन और अभावग्रस्त स्त्री की जीवन-यापन पद्धति को अत्यंत मार्मिक ढंग से चित्रित किया है। माटी और कंटर ही मानो गाँव में उसकी पहचान बन गए हैं।
कहानी में वर्णित स्त्री अपने अच्छे या बरे भाग्य के बारे में ज्यादा नहीं सोचती। पुरुषार्थी भावना से जीते हुए परिवार चलाना, कभी अपनी दरिद्रता की बात या दुखड़ा किसी से न कहना उस स्त्री का स्वभाव है। वह अपने जीवन की विषम परिस्थितियों का सामना बड़ी हिम्मत से करती है। विस्थापित (बेघर) होने का भय भी उसे किसी प्रकार विचलित नहीं कर पाता। कहानी मर्मस्पर्शी है।
प्रश्न 2.
टिहरी शहर के लोग ‘माटी वाली’ क्यों जानते हैं?
उत्तर
टिहरी शहर के लोग माटी वाली को जानते हैं। इसके कई कारण हैं। उदाहरण के लिए टिहरी शहर में शायद कोई घर नहीं होगा जिसे वह न जानती हो या जहाँ उसे न जानते हों, घर के कुल निवासी, बरसों से वहाँ रहते आ रहे किराएदार, उनके बच्चे तलक। घर-घर में लाल मिट्टी देते रहने के उस काम को करने वाली वह अकेली है। उसका कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं। उसके बगैर तो लगता है, टिहरी शहर के कई एक घरों में चूल्हों का जलना तक मुश्किल हो जाएगा।
प्रश्न 3.
माटी बेचने से हुई आमदनी से माटी वाली क्या सोचती हुई अपने घर पहुँच गई?
उत्तर
माटी बेचने से हुई आमदनी से उसने एक पाव प्याज खरीद लिया। प्याज को कूटकर वह उन्हें जल्दी-जल्दी तल लेगी। बुढे को पहले रोटियाँ दिखाएगी ही नहीं। सब्जी तैयार होते ही परोस देगी उसके सामने दो रोटियाँ। अब वह दो रोटियाँ भी नहीं खा सकता। एक ही रोटी खा पाएगा या हद से हद डेढ़ । अब उसे ज्यादा नहीं पचता। बाकी बची डेढ़ रोटियों से माटी वाली अपना काम चला लेगी। एक रोटी तो उसके पेट में पहले ही जमा हो चुकी है। मन में यह सब सोचती. हिसाब लगाती हुई वह अपने घर पहुँच गई।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए
1. माटी बाली है
1. कहानी
2. उपन्यास
3. कविता
4. एकांकी।
उत्तर
1. कहानी
2. ‘माटी वाली’ में उल्लेख है
1. गढ़वाल शहर का
2. नैनीताल शहर का
3. अल्मोड़ा शहर का
4. टिहरी शहर का।
उत्तर
4. टिहरी शहर का।
3. माटी वाली है
1. एक लाचार युवती
2. एक लाचार बुढ़िया
3. एक मेहनती-सम्पन्न औरत
4. एक बीमार बुढ़िया।
उत्तर
2. एक लाचार बुढ़िया
4. माटी वाली के पास था
1. एक थैला
2. एक कंटर
3. एक बोरा
4. एक गटूठर
उत्तर
2. एक कंटर
5. माटी वाली रोटियाँ ले जाती थी
1. अपने बच्चों के लिए
2. अपने लिए
3. अपने बुड्ढे के लिए
4. गरीबों के लिए।
उत्तर
3. अपने बुड्ढे के लिए
प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए।
1. वह न रहे तो लोगों के सामने रोज की एक ………….. पैदा हो जाएगी। (उलझन, समस्या)
2. शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके ………….. को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। (कंटर, बुड्ढे)
3. उसे घर पहुंचने में एक …………… तो लग ही जाता है। (दिन, घण्टा)
4. उसका बुड्ढा अपनी …………… को छोड़कर जा चुका था। (पत्नी, मोटी)
5. माटी वाली …………… से माटी लाती थी। (नदी, माटाखान)
उत्तर
- समस्या
- कंटर
- घण्टा
- मोटी
- माटाखान।
प्रश्न 6.
सही जोड़ी का मिलान किजिए
आस्था के स्वर – डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
फूल और काँटे – उषा वर्मा
तुम्हारी विरासत – डॉ. एन.ई. विश्वनाथ
कल्पवृक्ष – मीराबाई
राग-सोरठा – दिवाकर वर्मा।
उत्तर
आस्था के स्वर – दिवाकर वर्मा
फूल और काँटे – डॉ. एन. ई. विश्वनाथ
तुम्हारी विरासत – उषा वर्मा
कल्पवृक्ष – डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
राग-सोरठा – मीराबाई।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए।
1. शहर के अंदर कहीं माटाखान है नहीं।
2. घर-घर जाकर माटी बेचने वाली नाटे कद की एक लाचार बुढ़िया-माटी वाली।
3. अपनी चीज का मोह बहुत अच्छा होता है।
4. माटी वाली को जमीन का एक टुकड़ा है।
5. माटी वाली की जिंदगी शहर के तमाम घरों में माटी देते गुजर गई।
उत्तर
- सत्य
- सत्य
- असत्य
- असत्य
- सत्य।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए
1. भूख तो अपने में क्या होती है?
2. रोटियों को देखते ही किसका चेहरा खिल उठेगा?
3. माटी वाली किसमें गुजारा करती है?
4. माटी बेचने से हुई आमदनी से उसने एक पाव क्या खरीद लिया?
5. माटी वाली माटी कहाँ से लाती है?
उत्तर
- साग
- बुड्ढे का
- झोपड़ी में
- प्याज
- माटाखान से।
माटी वाली लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
माटी वाली न रहे, तो क्या पैदा हो जाएगी?
उत्तर
माटी वाली न रहे तो लोगों के सामने रसोई और भोजन कर लेने के बाद अपने चूल्हे-चौके की लिपाई करने की समस्या पैदा हो जायेगी।
प्रश्न 2.
माटी वाली को क्या चिंता थी?
उत्तर
माटी वाली को यह चिंता थी कि जो जमीन-जायदादों के मालिक हैं, वे तो कहीं-न-कहीं ठिकाने पर जायेंगे ही, लेकिन उसका क्या होगा? उसकी तरफ़ देखने वाला तो कोई भी नहीं है।
प्रश्न 3.
टिहरी बाँध पुनर्वास के साहब ने माटी वाली से क्या पूछा?
उत्तर
टिहरी बाँध के पुनर्वास के साहब ने माटी वाली से पूछा कि वह रहती कहाँ है?
प्रश्न 4.
गाँव के हर आने-जाने वाले से माटी वाली क्या कह रही थी?
उत्तर
गाँव के हर आने-जाने वाले से माटी वाली एक ही बात कह रही थी-“गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”
माटी वाली लेखक-परिचय
जीवन-परिचय-श्री विद्यासागर नौटियाल का हिन्दी के आधुनिक गधकारों में एक जाना-पहचाना नाम है। आपका हिन्दी कहानी के क्षेत्र में अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है। विद्यालयी और विश्वविद्यालयी शिक्षा समाप्त करके आपने अपने लेखन-क्षेत्र का विस्तार किया। यों तो आपने अपने शिक्षा के आरंभिक दौर में ही लेखन-कर्म के प्रति अपने को समर्पित करना शुरू कर दिया है। परिणामस्वरूप उसमें क्रमशः विस्तार होता गया।
रचनाएँ-विद्यासागर नौटियाल की अनेक कहानियाँ और निबंध प्रकाशित हो चुके हैं। ‘माटी वाली’ आपकी अत्यधिक चर्चित कहानी है।
भाषा-शैली-विद्यासागर नौटियाल के साहित्य की भाषा-शैली में किसी प्रकार की कृत्रिमता नहीं है। वह बिना लागलपेट के तथ्यों को प्रस्तुत करने में समर्थ दिखाई देती है। आपकी भाषा की शब्दावली में तत्सम और तद्भव हैं तो देशज शब्द भी कम नहीं हैं। आपकी भाषा में आए हुए शब्दों में खासतौर से जो देशज शब्द आए हैं, वे किसी विशेष अंचल के हैं। आपकी शैली मुख्य रूप से वर्णनात्मक और भावात्मक है। कहीं-कहीं वह चित्रमयी और अलंकृत भी हो गई है। इस प्रकार आपकी शैली के कई रूप हैं। उनसे आपने अपने कथ्य के तथ्य को सामने लाने में सफलता काफी हद तक हासिल की है।
साहित्य में स्थान-विद्यासागर नौटियाल का हिन्दी के आधुनिक कथाकारों-गद्यकारों में लोकप्रिय स्थान है। आपका स्थान समकालीन रचनाकारों में जहाँ सम्मानपूर्ण है, वहीं आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरक स्वरूप भी है।
माटी वाली कहानी का सारांश
‘माटी वाली विद्यासागर नौटियाल की एक मर्मस्पर्शी कहानी है। इसमें ‘माटी वाली’ नामक एक विस्थापित (बेघर) स्त्री की कथा कही गई है। हिन्दी शहर में ऐसा कोई नहीं है जो उसे नहीं जानता है। उसके बिना तो मानो टिहरी शहर के कई एक घरों में चूल्हे का जलना तक कठिन हो जाएगा। घरों की सफाई के लिए वही घर-घर माटी वेचती है। वह नाटे कद की एक लाचार बुढ़िया है। उसके पास अपने अच्छे-बुरे के बारे में सोचने का समय नहीं है। एक बार किसी घर की मालकिन में माटी वाली को अपने कंटर की माटी कच्चे आँगन के एक कोने में उड़ेल देने को कहा। इसके बाद उसे दो रोटियाँ दे दी। उसने चुपके से अपने हाथ में थामी उन दो रोटियों में से एक को मोड़कर कपड़े में लपेटकर बाँध लिया। दूसरे को खाने का दिखावा करने लगी। मालकिन द्वारा दी गई चाय को वह सूसू करके रोटी के टुकड़ों के साथ सुड़कने लगी। फिर उसने चाय की खूब तारीफ़ की। फिर उसने आधुनिक जमाने में स्टील के बढ़ते हुए बर्तनों के बारे में मालकिन से कुछ देर बात करती रही। दूसरे दिन भी उसे मिट्टी ले आने के आदेश से दो रोटियाँ मिल गई। उन्हें भी उसने अपने कपड़े में बाँध लिया कि लोग जानें कि वह ये रोटियाँ अपने बुड्ढे के लिए ले जा रही है।
उसका गाँव शहर से दूर है। इसलिए घंटा भर पहुँचने में लग जाता है। पूरा दिन माटाखान में मिट्टी खोदकर अलग-अलग स्थानों में ले जाने में बीत जाता है। उसके पास जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं है। उसकी झोपड़ी एक ठाकुमर की जमीन पर खड़ी है। इसके लिए उसे बेगार करनी पड़ती है। माटी बेचने से हुई आमदनी से उसने एक पाव प्याज खरीद उसे तलने को सोचने लगी। फिर उसने सोचा उसका एक ही रोटी खा पाएगा या डेढ। ऐसी सोचती हुई वह घर पहुँची तो उसने देखा कि उसका बुड्ढा अब नहीं रहा। टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया है। शहर में पानी भरने लगा हैं शहर में आपाधापी मची हैं। शहरवासी घरों को छोड़कर भागने लगे हैं। पानी भर जाने से सबसे पहले कुछ श्मशान घाट डूब गए हैं। माटी वाली अपनी झोपड़ी के बाहर बैठी है। गाँव के हर आने-जाने वाले से एक ही बात कहती जा रही है-“गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”
माटी वाली संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या
(1) उसका गाँव शहर के इतना पास भी नहीं है। कितना ही तेज चलो फिर भी घर पहुँचने में एक घण्टा तो लग ही जाता है। रोज सुबह निकल जाती है वह अपने घर से। पूरा दिन माटाखान में मिट्टी खोदने, फिर विभिन्न स्थानों में फैले घरों तक उसे ढोने में बीत जाता है। घर पहुंचने से पहले रात घिरने लगती है। उसके पास अपना कोई खेत नहीं। जमीन का एक भी टुकड़ा नहीं। झोपड़ी, जिसमें वह गुजारा करती है, गाँव के एक ठाकुमर की जमीन पर खड़ी है। उसकी जमीन पर रहने की एवज में उस भले आदमी के घर पर भी माटी वाली को कई तरह के कामों की बेगार करनी होती है।
शब्दार्थ-एवज-बदले। बेगार-बेगारी।
संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ 10वीं में संकलित कहानीकार विद्यासागर नौटियाल लिखित कहानी ‘माटी वाली’ से है।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में कहानीकार ने ‘माटी वाली’ एक बड़ढी औरत के दैनिक जीवन के विषय में यह बतलाना चाहा है कि
व्याख्या-माटी वाली का गाँव शहर से दूर था। जब वह अपने गाँव से पैदल चलकर शहर आती थी तो वह बहुत तेज चलती थी ताकि जल्दी से पहुँचकर काम कर सके। फिर भी उसे लगभग एक घण्टा लग ही जाता था। इस प्रकार वह रोज ही सुबह-सुबह अपने घर से निकल जाती थी। फिर शहर आकर वह दिन भर माटाखान में मिट्टी खोदती थी। इसके बाद वह अलग-अलग स्थानों पर उसे ढो-ढोकर पहुँचाती थी। उससे लोगों की जरूरतें पूरी होती थीं। शाम होने पर वह घर लीटने लगती थी। उसके जीवन का दुखद पक्ष यह भी था कि उसकी अपने कोई जमीन नहीं थी। वह जिस झोपड़ी में रहती थी, वह भी उसकी अपनी नहीं थी। वह किसी एक ठाकुमर की थी। उस पर अपना गुजर-बसर करने के लिए उस ठाकुमार के घर पर उसे कई प्रकार छोटे-बड़े बेगार करने पड़ते थे।
विशेष-
- माटी वाली की जीवन-दशा पर प्रकाश है।
- वाक्य-गठन अर्थपूर्ण है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘माटी वाली’ का दैनिक जीवन कैसा था?
उत्तर
‘माटी वाली’ का दैनिक जीवन बड़ा ही संघर्षपूर्ण था। उसे घोर परिश्रम करना पड़ता था। फिर भी वह विस्थापित थी। इसके लिए वह बेगार करती थी।
विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उपर्युक्त गधांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त गद्यांश के द्वारा लेखक ने ‘माटी वाली’ के दैनिक जीवन-स्वरूप को प्रेरक रूप में प्रस्तुत किया है। इससे कड़ी मेहनत करने और आत्मनिर्भर होने की सीख मिलती है।