MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति
विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
30 किलोवोल्ट इलेक्ट्रॉनों के द्वारा उत्पन्न x-किरणों की
(a) उच्चतम आवृत्ति तथा
(b) निम्नतम तरंगदैर्घ्य प्राप्त कीजिए।
हल
दिया है, V = 30 किलोवोल्ट = 30 × 103 वोल्ट
∴ इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा E = eV
x-किरण उत्पादन में लक्ष्य से टकराने वाले इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा x-किरण फोटॉनों की ऊर्जा में बदल जाती है।
(a) यदि किसी फोटॉन की आवृत्ति ν है तो
फोटॉन की ऊर्जा E = hν
∴ ν = \(\frac { E }{ h }\)
स्पष्ट है कि यदि इलेक्ट्रॉन की सम्पूर्ण ऊर्जा एक x-किरण फोटॉन के रूप में विकिरित हो तो फोटॉन की आवृत्ति . महत्तम होगी।
∴ \(v_{\max }=\frac{e V}{h}=\frac{1.6 \times 10^{-19} \times 30 \times 10^{3}}{6.62 \times 10^{-34}}\)
⇒ νmax. = 7.24 × 1018 हर्ट्स।
(b) ∵ X-किरणें प्रकाश के वेग से चलती हैं,
अतः c = νλ
⇒ λ = \(\frac { c }{ ν }\)
∴ λmin = \(\frac{c}{\nu \max }\)
= 0.0414 नैनोमीटर।
प्रश्न 2.
सीज़ियम धातु का कार्य-फलन 2.14 इलेक्ट्रॉन वोल्ट है। जब 6 × 1014 हर्ट्स आवृत्ति का प्रकाश धातु-पृष्ठ पर आपतित होता है, इलेक्ट्रॉनों का प्रकाशिक उत्सर्जन होता है।
(a) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गतिज ऊर्जा,
(b) निरोधी विभव और
(c) उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम चाल कितनी है?
हल
दिया है, कार्य-फलन W या Φo= 2.14 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = 2.14 × 1.6 × 10-19 जूल,
आपतित प्रकाश की आवृत्ति ν = 6 × 1014 हर्ट्स,
h = 6.6 × 10-34 जूल-सेकण्ड
(a) आइन्स्टीन के सूत्र से,
उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की महत्तम गतिज ऊर्जा
Emax = hν – W
= 6.6 × 10-34 × 6 x 1014 – 2.14 × 1.6 × 10-19
= 39.6 × 10-20 जूल – 34.2 × 10-20 जूल
= 5.4 × 10-20 जूल
= \(\frac{5.4 \times 10^{-20}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.34 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
(b) यदि निरोधी विभव V0 है तो
eVo = Emax (जूल में)
निरोधी विभव V0 = \(\frac{E_{\max }}{e}\)
(c) यदि इलेक्ट्रॉनों की महत्तम चाल υ max है तो
\(E_{\max }=\frac{1}{2} m v_{\max }^{2}\)
⇒
∴ इलेक्ट्रॉनों की महत्तम चाल
\(v_{\max }=\sqrt{\frac{2 \times 5.4 \times 10^{-20}}{9.1 \times 10^{-31}}}\) (∵ m= इलेक्ट्रॉनों का द्रव्यमान)
= 3.44 × 105 मीटर/सेकण्ड।
प्रश्न 3.
एक विशिष्ट प्रयोग में प्रकाश-विद्युत प्रभाव की अन्तक वोल्टता 1.5 वोल्ट है। उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गतिज ऊर्जा कितनी है?
हल
दिया है, अन्तक वोल्टता Vo = 1.5 वोल्ट
∴ इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा
Emax = eVo
= 1.6 × 10-19 × 1.5 जूल
= 2.4 × 10-19 जूल
= 1.5 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
प्रश्न 4.
632.8 नैनोमीटर तरंगदैर्घ्य का एकवर्णी प्रकाश एक हीलियम-नियॉन लेसर के द्वारा उत्पन्न किया जाता है। उत्सर्जित शक्ति 9.42 मिलीवाट है।
(a) प्रकाश के किरण पुंज में प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा तथा संवेग प्राप्त कीजिए।
(b) इस किरण पुंज के द्वारा विकिरित किसी लक्ष्य पर औसतन कितने फोटॉन प्रति सेकण्ड पहुँचेंगे? (यह मान लीजिए कि किरण पुंज की अनुप्रस्थ काट एकसमान है जो लक्ष्य के क्षेत्रफल से कम है) तथा
(c) एक हाइड्रोजन परमाणु को फोटॉन के बराबर संवेग प्राप्त करने के लिए कितनी तेज चाल से चलना होगा?
हल
दिया है, उत्सर्जित शक्ति P= 9.42 मिलीवाट = 9.42 × 10-3 वाट
फोटॉन की तरंगदैर्घ्य λ = 632.8 नैनोमीटर = 632.8 × 10-9 मीटर
(a) प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा E = \(\frac { hc }{ λ }\)
=\(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{632.8 \times 10^{-9}}\) जूल
= 3.14 × 10-19 जूल।
= 1.05 × 10-27 किग्रा-मीटर/सेकण्ड।
(b) माना लक्ष्य पर प्रति सेकण्ड n फोटॉन पहुँचते हैं, तब
n × एक फोटॉन की ऊर्जा = उत्सर्जित शक्ति
⇒
\(=\frac{9.42 \times 10^{-3}}{3.14 \times 10^{-19}}=3 \times 10^{16}\)
(c) हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान
m= 1.67 × 10-27 किग्रा
माना इसकी चाल υ है, तब हाइड्रोजन परमाणु का संवेग
mυ = 1.05 × 10-27
⇒चाल υ = \(\frac{1.05 \times 10^{-27}}{1.67 \times 10^{-27}}\)
= 0.63 मीटर/सेकण्ड।
प्रश्न 5. पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने वाला सूर्य-प्रकाश का ऊर्जा-अभिवाह (फ्लक्स) 1.388 × 103 वाट/मीटर है। लगभग कितने फोटॉन प्रति वर्ग मीटर प्रति सेकण्ड पृथ्वी पर आपतित होते हैं? यह मान लें कि सूर्य-प्रकाश में फोटॉन का औसत तरंगदैर्घ्य 550 नैनोमीटर है।
हल
दिया है, सूर्य-प्रकाश में फोटॉन का तरंगदैर्घ्य
λ = 550 नैनोमीटर = 550 × 10-9 मीटर
प्रति मीटर2 क्षेत्रफल पर ऊर्जा आपतन दर
Φ = 1.388 × 103 वाट/मीटर2
प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा E= \(\frac { hc }{ λ }\)
= \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{550 \times 10^{-9}}\)
= 3.6 × 10-19 जूल।
माना प्रति मीटर2 क्षेत्रफल पर n फोटॉन प्रति सेकण्ड गिरते हैं, तब
ऊर्जा फ्लक्स Φ = n × एक फोटॉन की ऊर्जा (E)
∴ \(n=\frac{\phi}{E}=\frac{1.388 \times 10^{3}}{3.6 \times 10^{-19}}\)
= 3.85 × 1021
≈ 4 × 1021.
प्रश्न 6.
प्रकाश-विद्युत प्रभाव के एक प्रयोग में, प्रकाश आवृत्ति के विरुद्ध अन्तक वोल्टता की ढलान 4.12 × 10-15 वोल्ट-सेकण्ड प्राप्त होती है। प्लांक स्थिरांक का मान परिकलित कीजिए।
हल
∴आइन्स्टीन के प्रकाश-विद्युत समीकरण से,
\(e V_{0}=h\left(v-v_{0}\right) \quad \Rightarrow \quad V_{0}=\frac{h}{e}\left(v-v_{0}\right)\)
अतः अन्तक वोल्टता-आवृत्ति वक्र का ढाल m = \(\frac { h}{ e }\)
परन्तु दिया है, m = 4.12 × 10-15 वोल्ट-सेकण्ड
अत: \(\frac { h}{ e }\) = 4.12 × 10-15 वोल्ट-सेकण्ड
∴ प्लांक नियतांक h = e × 4.12 × 10-15
=1.6 × 10-19 × (4.12 × 10-15)
h = 6.59 × 10-34 जूल-सेकण्ड।
प्रश्न 7.
एक 100 वाट सोडियम बल्ब (लैम्प) सभी दिशाओं में एकसमान ऊर्जा विकिरित करता है। लैम्प को एक ऐसे बड़े गोले के केन्द्र पर रखा गया है जो इस पर आपतित सोडियम के सम्पूर्ण प्रकाश को अवशोषित करता है। सोडियम प्रकाश का तरंगदैर्घ्य 589 नैनोमीटर है।
(a) सोडियम प्रकाश से जुड़े प्रति फोटॉन की ऊर्जा कितनी है?
(b) गोले को किस दर से फोटॉन प्रदान किए जा रहे हैं?
हल
दिया है, λ = 589 × 10-9 मीटर, बल्ब की विकिरित शक्ति P = 100 वाट
(a) प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा E = \(\frac { hc }{ λ }\)
\(=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{589 \times 10^{-9}}\) जूल
= 3. 38 × 10-19 जूल।
अथवा E = \(\frac{3.38 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
= 2.1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
(b) माना गोले को फोटॉन प्रदान करने की दर n प्रति सेकण्ड है।
तब n x एक फोटॉन की ऊर्जा = बल्ब की विकिरित शक्ति
⇒
= \(\frac{100}{3.38 \times 10^{-19}}\)
= 3 × 1020 फोटॉन/सेकण्ड।
प्रश्न 8.
किसी धातु की देहली आवृत्ति 3.3 × 1014 हर्ट्स है। यदि 8.2 × 1014 हर्ट्स आवृत्ति का प्रकाश धातु . पर आपतित हो तो प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन के लिए अन्तक वोल्टता ज्ञात कीजिए।
हल
दिया है, देहली आवृत्ति ν = 3.3 × 1014 हर्ट्स,
आपतित प्रकाश की आवृत्ति ν = 8.2 × 1014 हर्ट्स,
अन्तक वोल्टता Vo = ?
उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की महत्तम गतिज ऊर्जा
Emax = h (ν – νo) = 6.62 × 10-34 (8.2 × 1014 – 3.3 × 1014)
= 32.44 × 10-20 जूल
सूत्र eVo = Emax से,
अन्तक वोल्टता V0 = \(\frac{E_{\max }}{e}=\frac{32.44 \times 10^{-20}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= 2.0 वोल्ट।
प्रश्न 9.
किसी धातु के लिए कार्य-फलन 4.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। क्या यह धातु 330 नैनोमीटर तरंगदैर्घ्य के आपतित विकिरण के लिए प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन देगा?
उत्तर
दिया है : कार्य-फलन W = 4.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = 4.2 × 1.6 × 10-19 जूल
आपतित तरंगदैर्घ्य λ = 330 नैनोमीटर
सूत्र w = \(\frac{h c}{\lambda_{0}}\) से
देहली तरंगदैर्घ्य λ0 = \(\frac{h c}{W}=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{4.2 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= 2.95 × 10-7 मीटर
λ0 = 295 × 10-9 मीटर = 295 नैनोमीटर
∵ λ = 330 नैनोमीटर > λ0 = 295 नैनोमीटर
अत: λ = 330 नैनोमीटर के विकिरण के लिए प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन नहीं होगा।
प्रश्न 10.
7.21 × 1014 हर्ट्स आवृत्ति का प्रकाश एक धातु-पृष्ठ पर आपतित है। इस पृष्ठ से 6.0 × 105 मीटर/सेकण्ड की उच्चतम गति से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित हो रहे हैं। इलेक्ट्रॉनों के प्रकाश उत्सर्जन के लिए देहली आवृत्ति क्या है?
हल
आपतित प्रकाश की आवृत्ति ν = 7.21 × 1014 हर्ट्स
इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम चाल υmax = 6.0 × 105 मीटर/सेकण्ड
इलेक्ट्रॉनों का द्रव्यमान m = 9.1 × 10-31 किग्रा
∴ इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा
\(E_{\max }=\frac{1}{2} m v_{\max }^{2}=\frac{1}{2} \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(6.0 \times 10^{5}\right)^{2}\)
= 1.64 × 10-19 जूल
आपतित फोटॉन की ऊर्जा hν = 6.62 × 10-34 × 7.21 × 1014
= 4.77 × 10-19 जूल।
Emax = hν – hνo से,
hνo = hν – Emax
∴ देहली आवृत्ति ν0 = \(\frac{E_{\max }-h v}{h}=\frac{(4.77-1.64) \times 10^{-19}}{6.62 \times 10^{-34}}\)
= 4.7 × 1014 हर्ट्स।
प्रश्न 11.
488 नैनोमीटर तरंगदैर्घ्य का प्रकाश एक आर्गन लेसर से उत्पन्न किया जाता है, जिसे प्रकाश-विद्युत प्रभाव के उपयोग में लाया जाता है। जब इस स्पेक्ट्रमी रेखा के प्रकाश को उत्सर्जक पर आपतित किया जाता है, तब प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों का निरोधी (अन्तक) विभव 0.38 वोल्ट है। उत्सर्जक के पदार्थ का कार्य-फलन ज्ञात कीजिए।
हल
दिया है, आपतित तरंगदैर्घ्य λ = 488 × 10-9 मीटर
अन्तक विभव Vo = 0.38 वोल्ट, W = ?
फोटॉन की ऊर्जा. E = \(\frac { hc }{ λ }\) = \(\frac{6.6 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{488 \times 10^{-9}}\) = 4.07 × 10-9 जूल
जबकि उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की महत्तम गतिज ऊर्जा
Emax = eVo = 1.6 × 10-19 × 0.38
= 0.608 × 10-19 जूल
∴Emax = hν – Φ0 से,
कार्य-फलन W = hν – Emax
= 4.07 × 10-19 – 0.608 × 10-19
= 3.46 × 10-19 जूल।
अथवा W = \(\frac{3.46 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 2.16 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
प्रश्न 12.
56 वोल्ट विभवान्तर के द्वारा त्वरित इलेक्ट्रॉनों का
(a) संवेग और
(b) दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए।
हल
दिया है, त्वरक विभव V = 56 वोल्ट, इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m = 9.1 × 10-31 किग्रा,
e= 1.6 × 10-19 कूलॉम
(a) ∴ इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा = \(\frac { 1 }{ 2 }\)mv2 = eV
⇒ \(v=\sqrt{\frac{2 e V}{m}}=\sqrt{\frac{2 \times 1.6 \times 10^{-19} \times 56}{9.1 \times 10^{-31}}}\)
= 4.44 × 106 मीटर/सेकण्ड
∴ इलेक्ट्रॉनों का संवेग p = mυ
= 9.1 × 10-31 × 4.44 × 106
= 4.04 × 10-24 किग्रा-मीटर/सेकण्ड।
(b) इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य
\(\lambda=\frac{12.27}{\sqrt{V}} \mathrm{A}=\frac{12.27}{\sqrt{56}} \mathrm{A}=1.64 \mathrm{A}\)
⇒ λ = 1.64 × 10-10 मीटर
= 0.164 × 10-9 मीटर
= 0.164 नैनोमीटर।
अथवा λ = \(\frac { h}{ p }\) = \(\frac{6.62 \times 10^{-34}}{4.04 \times 10^{-24}}\) मीटर
= 0.164 × 10-9 मीटर
= 0.164 नैनोमीटर।
प्रश्न 13.
एक इलेक्ट्रॉन जिसकी गतिज ऊर्जा 120 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है, उसका
(a) संवेग,
(b) चाल और
(c) दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य क्या है?
हल
दिया है,
इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा E = 120 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
(a) ∵ \(E=\frac{1}{2} m v^{2}=\frac{m^{2} v^{2}}{2 m}=\frac{p^{2}}{2 m}\)
∴ इलेक्ट्रॉन का संवेग p= \(\sqrt{2 m E}\)
= \(\left(2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times 120 \times 1.6 \times 10^{-19}\right)^{1 / 2}\)
= 5.91 × 10-24 किग्रा-मीटर/सेकण्ड।
(b) p= mυ से,
इलेक्ट्रॉन की चाल υ =\(\frac{p}{m}=\frac{5.91 \times 10^{-24}}{9.1 \times 10^{-31}}\)
= 6.5 × 106 मीटर/सेकण्ड
(c) इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य
λ = \(\frac { h}{ p }\) = \(\frac{6.62 \times 10^{-34}}{5.91 \times 10^{-24}}\)= 0.112 × 10-9 मीटर
= 0.112 नैनोमीटर।
प्रश्न 14.
सोडियम के स्पेक्ट्रमी उत्सर्जन रेखा के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य 589 नैनोमीटर है। वह गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए जिस पर
(a) एक इलेक्ट्रॉन और
(b) एक न्यूट्रॉन का दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य समान होगा।
हल
दिया है, λ = 589 नैनोमीटर = 589 × 10-9 मीटर, me = 9.1 × 10-31 किग्रा,
mn = 1.67 × 10-27 किग्रा
(a) माना इलेक्ट्रॉन की अभीष्ट ऊर्जा E1 है, तब
इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा E1 = \(\frac{\left(6.62 \times 10^{-34}\right)^{2}}{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(589 \times 10^{-9}\right)^{2}}\) = 6.94 x 10-25 जूल।
= \(\frac{6.94 \times 10^{-25}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = 4.34 × 10-6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
(b) खण्ड (a) की भाँति, न्यूट्रॉन की ऊर्जा
\(E_{2}=\frac{h^{2}}{2 m_{n} \lambda^{2}}=\frac{\left(6.62 \times 10^{-34}\right)^{2}}{2 \times 1.67 \times 10^{-27} \times\left(589 \times 10^{-9}\right)^{2}}\)
= 3.782 × 10-28 जूल।
= \(\frac{3.782 \times 10^{-28}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = 2.36 x 10-9 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
प्रश्न 15.
(a) एक 0.040 किग्रा द्रव्यमान का बुलेट जो 1.0 किमी/सेकण्ड की चाल से चल रहा है,
(b) एक 0.060 किग्रा द्रव्यमान की गेंद जो 1.0 मीटर/सेकण्ड की चाल से चल रही है और
(c) एक धूल-कण जिसका द्रव्यमान 1.0 × 10-9 किग्रा और जो 2.2 मीटर/सेकण्ड की चाल से अनुगमित हो रहा है, का दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य कितना होगा?
हल
(a) दिया है, m = 0.040 किग्रा, υ = 1.0 किमी/सेकण्ड = 1000 मीटर/सेकण्ड
∴ दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{h}{m v}=\frac{6.62 \times 10^{-34}}{0.040 \times 1000}\)
= 1.655 × 10-35 मीटर
≈ 1.7 × 10-35 मीटर।
(b) दिया है : m = 0.060 किग्रा, υ = 1.0 मीटर/सेकण्ड-1
∴ दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{h}{m v}=\frac{6.62 \times 10^{-34}}{0.060 \times 1.0}\)
= 1.1 × 10-32 मीटर।
(c) दिया है, m = 1.0 x 10-9 किग्रा, υ = 2.2 मीटर/सेकण्ड
∴ दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{h}{m v}=\frac{6.62 \times 10^{-34}}{1.0 \times 10^{-9} \times 2.2}\)
= 3.01 × 10-25 मीटर।।
प्रश्न 16.
एक इलेक्ट्रॉन और एक फोटॉन प्रत्येक का तरंगदैर्घ्य 1.00 नैनोमीटर है।
(a) इनका संवेग,
(b) फोटॉन की ऊर्जा और
(c) इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
हल
यहाँ λ = 1.00 नैनोमीटर = 1.0 × 10-9 मीटर, h = 6.62 × 10-34 जूल-सेकण्ड,
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m = 9.1 × 10-31 किग्रा
(a) सूत्र λ = \(\frac { h}{ p }\) = से, p = \(\frac { h }{ λ }\)
∴ प्रत्येक का संवेग \(p=\frac{6.62 \times 10^{-34}}{1.0 \times 10^{-9}}\)
= 6.62 × 10-25 किग्रा-मीटर/सेकण्ड।
(b) फोटॉन की ऊर्जा E = \(\frac { hc }{ λ }\) = pc .
= 6.62 × 10-25 × 3 × 108
= 19.86 × 10-17 जूल।
अथवा \(E=\frac{19.86 \times 10^{-17}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 1.24 × 103 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
(c) इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा \(E=\frac{p^{2}}{2 m}=\frac{\left(6.62 \times 10^{-25}\right)^{2}}{2 \times 9.1 \times 10^{-31}}\)
= 2.41 × 10-19 जूल।
अथवा \(E=\frac{2.41 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 1.51 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
प्रश्न 17.
(a) न्यूट्रॉन की किस गतिज ऊर्जा के लिए दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य 1.40 × 10-10 मीटर होगा?
(b) एक न्यूट्रॉन, जो पदार्थ के साथ तापीय साम्य में है और जिसकी 300 K पर औसत गतिज ऊर्जा – kT है, का भी दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए।
हल
(a) दिया है, न्यूट्रॉन की दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य 2 = 1.40 × 10-10 मीटर .
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान m = 1.67 × 10-27 किग्रा
अब न्यटॉन की गतिज ऊर्जा E = \(\frac{p^{2}}{2 m}=\frac{h^{2}}{2 m \lambda^{2}}\) (∵p = \(\frac { h }{ λ }\))
\(=\frac{\left(6.62 \times 10^{-34}\right)^{2}}{2 \times 1.67 \times 10^{-27} \times\left(1.40 \times 10^{-10}\right)^{2}}\)
= 6.69 × 10-21 जूल।
अथवा \(E=\frac{6.69 \times 10^{-21}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 4.18 × 10-2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
(b) दिया है, T = 300 K, k = 1.38 × 10-23 जूल-K-1
∴ न्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा E = \(\frac{3}{2} k T=\frac{3}{2} \times 1.38 \times 10^{-23} \times 300\)
= 6.21 × 10-21 जूल
∵ E = \(\frac{h^{2}}{2 m \lambda^{2}}\) ∴ λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m E}}\)
∴ दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य = \(\lambda=\frac{6.62 \times 10^{-34}}{\sqrt{2 \times 1.67 \times 10^{-27} \times 6.21 \times 10^{-21}}}=\frac{6.62 \times 10^{-34}}{4.55 \times 10^{-24}}\)
= 1.45 × 10-10 मीटर = 0.145 नैनोमीटर।
प्रश्न 18.
यह दर्शाइए कि विद्युतचुम्बकीय विकिरण का तरंगदैर्घ्य इसके क्वाण्टम (फोटॉन) के तरंगदैर्ध्य के बराबर है।
उत्तर
माना किसी विद्युतचुम्बकीय विकिरण की तरंगदैर्घ्य 2 तथा आवृत्ति । है।
तब λ = \(\frac { c }{ v }\) (∵ c = vλ)
इस विकिरण के फोटॉन का गतिज द्रव्यमान
m = \(\frac { h }{ cλ }\)
∴ फोटॉन का संवेग p = mc (∵ फोटॉन का वेग = c)
\(=\frac{h}{c \lambda} \times c=\frac{h}{\lambda}\)
∴ फोटॉन का दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य
\(\lambda^{\prime}=\frac{h}{p}=\frac{h}{h / \lambda} \quad \Rightarrow \quad \lambda^{\prime}=\lambda\)
अतः फोटॉन की दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य = विकिरण की तरंगदैर्घ्य।
प्रश्न 19.
वायु में 300 K ताप पर एक नाइट्रोजन अणु का दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य कितना होगा? यह मानें कि अणु इस ताप पर अणुओं के वर्ग-माध्य चाल से गतिमान है। ( नाइट्रोजन का परमाणु द्रव्यमान = 14.0076 u)
हल
दिया है, T= 300 K, , k = 1.38 × 10-23 जूल-K-1
नाइट्रोजन के 1 अणु का द्रव्यमान m = 2 × 14.0076 u
= 2 × 14.0076 × 1.67 × 10-27 किग्रा
= 46.78 × 10-27 किग्रा [∵ 1u = 1.67 × 10-27 किग्रा]
यदि अणु की वर्ग-माध्य-मूल चाल υ है तो
1 अणु की गतिज ऊर्जा \(\frac{1}{2} m v^{2}=\frac{3}{2} k T \Rightarrow v=\sqrt{\frac{3 k T}{m}}\)
∴ अणु की चाल \(v=\sqrt{\frac{3 \times 1.38 \times 10^{-23} \times 300}{46.78 \times 10^{-27}}}\)
= 515 मीटर/सेकण्ड।
∴ नाइट्रोजन अणु का दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{h}{m v}=\frac{6.62 \times 10^{-34}}{46.78 \times 10^{-27} \times 515}\)
= 2.75 × 10-11 मीटर
= 0.028 नैनोमीटर।
प्रश्न 20.
(a) एक निर्वात नली के तापित कैथोड से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की उस चाल का आकलन कीजिए, जिससे वे उत्सर्जक की तुलना में 500 वोल्ट के विभवान्तर पर रखे गए ऐनोड से टकराते हैं। इलेक्ट्रॉनों के लघु प्रारम्भिक चालों की उपेक्षा कर दें। इलेक्ट्रॉन का आपेक्षिक आवेश अर्थात् \(\frac { e }{ m }\) = 1.76 x 1011 कूलॉम/किग्रा है।
(b) संग्राहक विभव 10 मेगावोल्ट के लिए इलेक्ट्रॉनों की चाल ज्ञात करने के लिए उसी सूत्र का प्रयोग करें, जो (a) में काम में लाया गया है। क्या आप इस सूत्र को गलत पाते हैं? इस सूत्र को किस प्रकार सुधारा जा सकता है?
हल
(a) त्वरक विभव V= 500 वोल्ट
इलेक्ट्रॉन का आपेक्षिक आवेश \(\frac { e }{ m }\) = 1.76 x 1011 कूलॉम/किग्रा
माना ऐनोड से टकराते समय इलेक्ट्रॉनों का वेग υ है, तब
इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा में वृद्धि
= 13.26 × 106 मीटर/सेकण्ड
∴ इलेक्ट्रॉनों की चाल υ ≈ 1.33 × 107 मीटर/सेकण्ड।
(b) पुन: इलेक्ट्रॉन की चाल υ = \(=\sqrt{2 \times \frac{e}{m} \times V}\) [∵V= 10 मेगावोल्ट = 10 x 106 V]
=\(\sqrt{2 \times 1.76 \times 10^{11} \times 10 \times 10^{6}}\)
= 18.76 × 108 मीटर/सेकण्ड।
∵ इलेक्ट्रॉन की यह चाल निर्वात में प्रकाश की चाल c= 3 × 108 मीटर/सेकण्ड से अधिक है तथा हम जानते हैं कि कोई द्रव्य कण निर्वात में प्रकाश के वेग के बराबर अथवा अधिक चाल से नहीं चल सकता।
इससे स्पष्ट है कि इस दशा में उक्त सूत्र \(\left(\mathrm{K.E}=\frac{1}{2} m v^{2}\right)\) सही नहीं हो सकता।
इस दशा में इलेक्ट्रॉन की सही चाल ज्ञात करने के लिए सापेक्षता के विशिष्ट सिद्धान्त का उपयोग करना होगा।
इस सिद्धान्त के अनुसार यदि कोई द्रव्य कण प्रकाश के वेग के तुलनीय वेग से गति करता है तो उसका गतिज द्रव्यमान निम्नलिखित होगा
\(m=\frac{m_{0}}{\sqrt{\left(1-\frac{v^{2}}{c^{2}}\right)}}\)
तब कण की गतिज ऊर्जा में वृद्धि निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होगी
∴ इलेक्ट्रॉन की चाल υ = 0.9988 × c
= 0.9988 × 3 × 108
= 2.99 × 108 मीटर/सेकण्ड।
प्रश्न 21.
(a) एक समोर्जी इलेक्ट्रॉन किरण-पुंज जिसमें इलेक्ट्रॉन की चाल 5.20 × 106 मीटर/सेकण्ड है, पर एक चुम्बकीय क्षेत्र 1.30 × 10-4 टेस्ला किरण-पुंज की चाल के लम्बवत् लगाया जाता है। किरण-पुंज द्वारा आरेखित वृत्त की त्रिज्या कितनी होगी, यदि इलेक्ट्रॉन के \(\frac { e }{ m }\) का मान 1.76 × 1011 कूलॉम/किग्रा है।
(b) क्या जिस सूत्र को (a) में उपयोग में लाया गया है वह यहाँ भी एक 20 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट इलेक्ट्रॉन किरण-पुंज की त्रिज्या परिकलित करने के लिए युक्तिपरक है? यदि नहीं, तो किस प्रकार इसमें संशोधन किया जा सकता है?
[नोट : प्रश्न 20 (b) तथा 21 (b) आपको आपेक्षिकीय यान्त्रिकी तक ले जाते हैं जो पुस्तक के विषय के बाहर है। यहाँ पर इन्हें इस बिन्दु पर बल देने के लिए सम्मिलित किया गया है कि जिन सूत्रों को आप (a) में उपयोग में लाते हैं वे बहुत उच्च चालों अथवा ऊर्जाओं पर युक्तिपरक नहीं होते। यह जानने के लिए कि ‘बहुत उच्च चाल अथवा ऊर्जा’ का क्या अर्थ है? अन्त में दिए गए उत्तरों को देखें।]
हल
(a) दिया है, इलेक्ट्रॉन के लिए \(\frac{e}{m_{0}}\) = 1.76 x 1011 कूलॉम/किग्रा
B= 1.30 × 10-4 टेस्ला υ = 5.20 × 106 मीटर/सेकण्ड
यदि इलेक्ट्रॉन के पथ की त्रिज्या r है तो ।
अथवा r= 22.7 सेमी।
(b) यहाँ इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा \(\frac { 1 }{ 2 }\)mυ2 = 20 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
इलेक्ट्रॉन की चाल v = 2.65 × 109 मीटर/सेकण्ड
∵ इलेक्ट्रॉन की चाल निर्वात में प्रकाश की चाल से अधिक है। अत: पथ की त्रिज्या का परिकलन करने के लिए सामान्य सूत्र का प्रयोग नहीं किया जा सकता अपितु आपेक्षिकीय यान्त्रिकी का प्रयोग करना होगा।
अतः त्रिज्या के सूत्र \(r=\frac{m_{0} v}{e B}\) में m के स्थान पर इलेक्ट्रॉन का गतिज द्रव्यमान रखना होगा।
यहाँ इलेक्ट्रॉन गतिज द्रव्यमान \(m=\frac{m_{0}}{\sqrt{\left(1-v^{2} / c^{2}\right)}}\)
∴ \(r=\frac{m_{0}}{\sqrt{\left(1-v^{2} / c^{2}\right)}} \times \frac{v}{e B}=\frac{1}{\sqrt{\left(1-v^{2} / c^{2}\right)}}\left(\frac{m_{0}}{e} \times \frac{v}{B}\right)\)
उक्त सूत्र से पथ की त्रिज्या की गणना की जा सकती है।
प्रश्न 22.
एक इलेक्ट्रॉन गन जिसका संग्राहक 100 वोल्ट विभव पर है, एक कम दाब (~10-2 मिमी Hg) पर हाइड्रोजन से भरे गोलाकार बल्ब में इलेक्ट्रॉन छोड़ती है। एक चुम्बकीय क्षेत्र जिसका मान 2.83 × 10-4 टेस्ला है, इलेक्ट्रॉन के मार्ग को 12.0 सेमी त्रिज्या के वृत्तीय कक्षा में वक्रित कर देता है। (इस मार्ग को देखा जा सकता है क्योंकि मार्ग में गैस आयन किरण-पुंज को इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करके और इलेक्ट्रॉन ग्रहण के द्वारा प्रकाश . उत्सर्जन करके फोकस करते हैं; इस विधि को ‘परिष्कृत किरण-पुंज नली’ विधि कहते हैं।) आँकड़ों से \(\frac { e }{ m }\) का मान निर्धारित कीजिए।
हल
दिया है, इलेक्ट्रॉनों के लिए त्वरक विभव V = 100 वोल्ट, B= 2.83 × 10-4 टेस्ला ,
पथ की त्रिज्या r = 12.0 सेमी = 0.12 मीटर
इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा \(\frac { 1 }{ 2 }\)mυ2 = ev
= 1.73 × 1011 कलॉम/किग्रा।
प्रश्न 23.
(a) एक x-किरण नली विकिरण का एक सतत स्पेक्ट्रम जिसका लघु तरंगदैर्घ्य सिरा 0.45 A पर है, उत्पन्न करता है। विकिरण में किसी फोटॉन की उच्चतम ऊर्जा कितनी है?
(b) अपने (a) के उत्तर से अनुमान लगाइए कि किस कोटि की त्वरक वोल्टता (इलेक्ट्रॉन के लिए) की इस नली में आवश्यकता है?
हल
(a) X-किरण विकिरण में
λmin = 0.45 A = 45 × 10-12 मीटर
∴ विकिरण में फोटॉन की उच्चतम ऊर्जा
Emax = \(\frac{h c}{\lambda_{\min }}\)
\(=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{45 \times 10^{-12}}\)
= 4.42 × 10-15 जूल।
अथवा Emax= \(\frac{4.42 \times 10^{-15}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 2.76 × 104 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 27.6 किलोइलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
(b) माना लक्ष्य से टकराने वाले इलेक्ट्रॉनों को उक्त ऊर्जा प्रदान करने के लिए त्वरक विभव V की आवश्यकता
तब इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा E = eV
त्वरक विभव V = \(\frac{E}{e}=\frac{E_{\max }}{e}=\frac{4.42 \times 10^{-15}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
∴ अभीष्ट त्वरक विभव V = 27.6 किलोवोल्ट।
प्रश्न 24.
एक त्वरित्र (accelerator) प्रयोग में पॉजिट्रॉनों (e+) के साथ इलेक्ट्रॉनों के उच्च-ऊर्जा संघट्टन पर, एक विशिष्ट घटना की व्याख्या कुल ऊर्जा 10.2 बिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट के इलेक्ट्रॉन-पॉजिट्रॉन युग्म के बराबर ऊर्जा की दो /-किरणों में विलोपन के रूप में की जाती है। प्रत्येक γ-किरण से सम्बन्धित तरंगदैर्यों के मान क्या होंगे? (1 बिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट= 109 इलेक्ट्रॉन- वोल्ट)
हल
घटना में विलुप्त इलेक्ट्रॉन-पॉजिट्रॉन की कुल ऊर्जा = 10.2 × 109 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
यह ऊर्जा दोनों γ-फोटॉनों में बराबर-बराबर बँट जाएगी।
∴ प्रत्येक γ-फोटॉन की ऊर्जा = \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10.2 × 109 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10.2 x 109 x 1.6 x 10-19 जूल
= 8.16 × 10-10 जूल
परन्तु E = \(\frac { hc }{ λ }\)
∴ फोटॉन की तरंगदैर्घ्य λ = \(\frac { hc }{ λ }\) = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{8.16 \times 10^{-10}}\) मीटर
या λ = 2.43 × 10-16 मीटर।
प्रश्न 25.
आगे आने वाली दो संख्याओं का आकलन रोचक हो सकता है। पहली संख्या यह बताएगी कि रेडियो अभियान्त्रिक फोटॉन की अधिक चिन्ता क्यों नहीं करते। दूसरी संख्या आपको यह बताएगी कि हमारे नेत्र ‘फोटॉनों की गिनती’ क्यों नहीं कर सकते, भले ही प्रकाश साफ-साफ संसूचन योग्य हो?
(a) एक मध्य तरंग (medium wave) 10 किलोवाट सामर्थ्य के प्रेषी, जो 500 मीटर तरंगदैर्घ्य की रेडियो तरंग उत्सर्जित करता है, के द्वारा प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या।
(b) निम्नतम तीव्रता का श्वेत प्रकाश जिसे हम देख सकते हैं (~10-10 वाट/मीटर2) के संगत फोटॉनों की संख्या जो प्रति सेकण्ड हमारे नेत्रों की पुतली में प्रवेश करती है। पुतली का क्षेत्रफल लगभग 0.4 सेमी2 और श्वेत प्रकाश की औसत आवृत्ति को लगभग 6 × 1014 हर्ट्स मानिए।
हल
(a) प्रेषी की शक्ति P = 10 किलोवाट = 104 वाट
उत्सर्जित फोटॉनों की तरंगदैर्घ्य λ = 500 मीटर
∴ प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा E = \(\frac { hc }{ λ }\) = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{500}\)
= 3.98 × 10-28 जूल
∴ प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या
\(n=\frac{P}{E}=\frac{10^{4}}{3.98 \times 10^{-28}}\)
= 2.51 × 1031 फोटॉन/सेकण्ड।
हम देख सकते हैं कि 10 किलोवाट सामर्थ्य के प्रेषी द्वारा प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या काफी अधिक है। अतः फोटॉनों की अलग-अलग ऊर्जा की उपेक्षा करके रेडियो तरंगों की कुल ऊर्जा को सतत माना जा सकता है।
(b) श्वेत प्रकाश की औसत आवृत्ति ν = 6 × 1014 हर्ट्स
∴ श्वेत प्रकाश की फोटॉन की ऊर्जा E = hν
= 6.62 × 10-34 × 6 × 1014
= 3.97 × 10-19 जूल
आँख द्वारा संसूचित न्यूनतम तीव्रता = 10-10 वाट/मीटर2
इस स्थिति में आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की न्यूनतम शक्ति
P= 10-10 वाट/मीटर2 × (0.4 × 10-4) मीटर2
= 4 × 10-15 वाट
∴ आँख में प्रति सेकण्ड प्रवेश करने वाले फोटॉनों की संख्या
\(n=\frac{P}{E}=\frac{4 \times 10^{-15}}{3.97 \times 10^{-19}}\)
= 1.01 × 104 फोटॉन/सेकण्ड।
यद्यपि यह संख्या रेडियो प्रेषी द्वारा प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या से अत्यन्त कम है परन्तु आँख के सूक्ष्म क्षेत्रफल की दृष्टि से इतनी अधिक है कि हम आँख पर गिरने वाले फोटॉनों के अलग-अलग प्रभाव को संसूचित नहीं कर पाते अपितु प्रकाश के सतत प्रभाव का अनुभव करते हैं।
प्रश्न 26.
एक 100 वाट पारद (Mercury) स्रोत से उत्पन्न 2271A तरंगदैर्ध्य का पराबैंगनी प्रकाश एक मॉलिब्डेनम धातु से निर्मित प्रकाश सेल को विकिरित करता है। यदि निरोधी विभव – 1.3 वोल्ट हो तो धातु के कार्य-फलन का आकलन कीजिए। एक He-Ne लेसर द्वारा उत्पन्न 6328 A के उच्च तीव्रता (~105वाट/मीटर2) के लाल प्रकाश के साथ प्रकाश सेल किस प्रकार अनुक्रिया करेगा?
हल
दिया है, λ1 = 2271 A = 2271 × 10-10 मीटर के लिए,
निरोधी विभव V0 = – 1.3 वोल्ट, e= – 1.6 × 10-19 कूलॉम
∴ आपतित फोटॉन की ऊर्जा E = \(\frac { hc }{ λ }\)
= \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{2271 \times 10^{-10}}\)
= 8.745 × 10-19 जूल
जबकि उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की महत्तम गतिज ऊर्जा
Emax = eV0
= (-1.6 × 10-19) × (-1.3)
= 2.08 × 10-19 जूल
∴ Φ0 या W = \(\frac { hc }{ λ }\) – w से,
Φ0 = \(\frac { hc }{ λ }\) – Emax
∴धातु का कार्यफलन W = \(\frac{h c}{\lambda_{1}}\) – Emax
= 8.745 × 10-19 – 2.08 × 10-19
W = 6.665 × 10-19 जूल।
या W = \(\frac{6.665 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 4.17 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
पुन: W = \(\frac{h c}{\lambda_{0}}\) से,
देहली तरंगदैर्घ्य λ0 = \(\frac { hc }{ w }\) = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{6.665 \times 10^{-19}}\)
= 2.979 × 10-7 मीटर
λ0 = 2979A
∵ दूसरी दशा में आपतित तरंगदैर्घ्य
λ2 = 6328A > λ0
अत: प्रकाश सेल इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं करेगा और कोई धारा प्रवाहित नहीं होगी।
प्रश्न 27.
एक नियॉन लैम्प से उत्पन्न 640.2 नैनोमीटर (1 नैनोमीटर = 10-9 मीटर) तरंगदैर्ध्य का एकवर्णी विकिरण टंगस्टन पर सीजियम से निर्मित प्रकाश-संवेदी पदार्थ को विकिरित करता है। निरोधी वोल्टता 0.54 वोल्ट मापी जाती है। स्रोत को एक लौह-स्रोत से बदल दिया जाता है। इसकी 427.2 नैनोमीटर वर्ण-रेखा उसी प्रकाश सेल को विकिरित करती है। नयी निरोधी वोल्टता ज्ञात कीजिए।
हल
दिया है, λ1 = 640.2 नैनोमीटर = 640.2 × 10-9 मीटर
निरोधी वोल्टता V1 = 0.54 वोल्ट, λ2 = 427.2 नैनोमीटर
= 427.2 × 10-9 मीटर के लिए निरोधी विभव V2 = ?
आइन्स्टीन के प्रकाश-विद्युत समीकरण से,
Emax = \(\frac { hc }{ λ }\) – W या eV0 = \(\frac { hc }{ λ }\)-w [∵Emax = eV0 ]
प्रथम दशा में, eV1 = \(\frac{h c}{\lambda_{1}}\) – W ….(1)
दूसरी दशा में, eV2 = \(\frac{h c}{\lambda_{2}}\) – W …(2) [ ∵ सेल वही है, अत: Φ0 नियत है]
समीकरण (2) में से (1) को घटाने पर,
∴ अभीष्ट निरोधी विभव V2 = V1 + 0.97 = 1.51 वोल्ट।
प्रश्न 28.
एक पारद लैम्प, प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन की आवृत्ति निर्भरता के अध्ययन के लिए एक सुविधाजनक स्रोत है क्योंकि यह दृश्य-स्पेक्ट्रम के पराबैंगनी (UV) से लाल छोर तक कई वर्ण-रेखाएँ उत्सर्जित करता है। रूबीडियम प्रकाश सेल के हमारे प्रयोग में, पारद (Mercury) स्रोत की निम्न वर्ण-रेखाओं का प्रयोग किया गया
λ1 = 3650 A
λ2 = 4047Ā
λ3= 4358 A
λ4 = 5461A
λ5 = 6907A
निरोधी वोल्टताएँ, क्रमशः निम्न मापी गईं हैं
Vo1 = 1.28 वोल्ट,
Vo2 = 0.95 वोल्ट,
Vo3 = 0.74 वोल्ट,
Vo4 = 0.16 वोल्ट,
Vo5 = 0 वोल्ट
(a) प्लांक स्थिरांक का मान ज्ञात कीजिए।
(b) धातु के लिए देहली आवृत्ति तथा कार्यफलन का आकलन कीजिए।
[नोट-उपर्युक्त आँकड़ों से h का मान ज्ञात करने के लिए आपको e = 1.6 × 10-19 कूलॉम की आवश्यकता होगी। इस प्रकार के प्रयोग Na, Li, K आदि के लिए मिलिकन ने किए थे। मिलिकन ने अपने तेल-बूंद प्रयोग से प्राप्त e के मान का उपयोग कर आइन्स्टीन के प्रकाश विद्युत समीकरण को सत्यापित किया तथा इन्हीं प्रेक्षणों से h के मान के लिए पृथक् अनुमान लगाया।]
हल
किसी दी गई तरंगदैर्घ्य λ के लिए संगत आवृत्ति
अब दिए गए आँकड़े निम्न प्रकार हैं1
ν1 = 8.2 × 1014 हर्ट्स
ν2 = 7.4 × 1014 हर्ट्स
ν3 = 6.9 × 1014 हर्ट्स
ν4 = 5.5 × 1014 हर्ट्स
ν5= 4.3 × 1014 हर्ट्स
Vo1 = 1.28 वोल्ट
Vo2 = 0.95 वोल्ट
Vo3 = 0.74 वोल्ट
Vo4 = 0.16 वोल्ट
Vo5 = 0 वोल्ट
उपर्युक्त आँकड़ों के आधार पर ν तथा V0 के बीच खींचा गया ग्राफ निम्नांकित चित्र में प्रदर्शित है।
उक्त ग्राफ से स्पष्ट है कि प्रथम चार बिन्दु एक सरल रेखा में हैं तथा ‘,
देहली आवृत्ति νo = 5.0 × 1014 हर्ट्स
∵ पाँचवें बिन्दु के लिए, ν5 < νo
अतः इस दशा में इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन रोकने हेतु निरोधी विभव की आवश्यकता नहीं होती।
(a) ग्राफ का ढाल \(\frac{\Delta V_{0}}{\Delta v}=\frac{V_{A}-V_{B}}{v_{A}-v_{B}}\)
∴ प्लांक नियतांक h = e × ग्राफ का ढाल
= 1.6 × 10-19 × 4.1 × 10-15
≈ 6.6 × 10-34 जूल-सेकण्ड।
(b) ग्राफ से देहली आवृत्ति νo = 5 × 1014 हर्ट्स।
कार्य-फलन W = hν0
= 6.6 × 10-34 × 5 × 1014 हर्ट्स
= 3.3 × 10-19 जूल।
अथवा W = \(\frac{3.3 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 2.06 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
≈ 2.1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
प्रश्न 29.
कुछ धातुओं के कार्य-फलन निम्न प्रकार दिए गए हैं
Na : 2.75 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट; K : 2.30 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट; Mo : 4.17 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट; Ni : 5.15 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट। इनमें धातुओं में से कौन प्रकाश सेल से 1 मीटर दूर रखे गए He-Cd लेसर से उत्पन्न 3300 A तरंगदैर्घ्य के विकिरण के लिए प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन नहीं देगा? लेसर को सेल के निकट 50 सेमी दूरी पर रखने पर क्या होगा?
हल
He-Cd लेसर से उत्पन्न तरंगदैर्घ्य
λ = 3300 A = 3.3 × 10-7 मीटर
इस विकिरण के एक फोटॉन की ऊर्जा
E = \(\frac { hc }{ λ }\)
= \(\frac{6.6 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{3.3 \times 10^{-7}}\)
= 6 × 10-19 जूल
= \(\frac{6 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 3.75 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ Mo तथा Ni के लिए कार्य-फलन, उक्त विकिरण के एक फोटॉन की ऊर्जा से अधिक है, अतः उक्त दोनों धातु प्रकाश विद्युत उत्सर्जन नहीं देंगे।
यदि लेसर को 1 मीटर के स्थान पर 50 सेमी दूरी पर रख दें तो भी उक्त परिणाम में कोई अन्तर नहीं आएगा, क्योंकि लेसर को समीप रखने पर धातु पर गिरने वाले प्रकाश की तीव्रता तो बढ़ जाएगी, परन्तु एक फोटॉन से सम्बद्ध ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
प्रश्न 30.
10-5 वाट/मीटर2 तीव्रता का प्रकाश सोडियम प्रकाश सेल के 2 सेमी2 क्षेत्रफल के पृष्ठ पर पड़ता है। यह मान लें कि ऊपर की सोडियम की पाँच परतें आपतित ऊर्जा को अवशोषित करती हैं तो विकिरण के तरंग-चित्रण में प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन के लिए आवश्यक समय का आकलन कीजिए। धातु के लिए कार्य-फलन लगभग 2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट दिया गया है। आपके उत्तर का क्या निहितार्थ है?
हल
दिया है, प्रकाश की तीव्रता I = 10-5 वाट/मीटर2
सेल का क्षेत्रफल A = 2 × 10-4 मीटर2,
कार्य-फलन W = 2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ सोडियम परमाणु की लगभग त्रिज्या
r= 10-10 मीटर
∴ सोडियम परमाणु का लगभग क्षेत्रफल
πr2 = 3.14 × 10-20 ≈ 10-20 मीटर2
∴ एक परत में उपस्थित सोडियम परमाणुओं की संख्या
∵ 5 परतों में परमाणुओं की संख्या n= 5 × 2 × 1016 = 1017
∵ सोडियम के एक परमाणु में एक चालन इलेक्ट्रॉन होता है, अत: इन n परमाणुओं में n चालन इलेक्ट्रॉन होंगे। सेल पर प्रति सेकण्ड आपतित प्रकाशिक ऊर्जा
= I × A
= 10-5 × 2 × 10-4
= 2 × 10-9 वाट
∵ कुल ऊर्जा सोडियम की पाँच परतों द्वारा अवशोषित होती है, अत: तरंग सिद्धान्त के अनुसार यह ऊर्जा पाँच परतों के n इलेक्ट्रॉनों में समान रूप से बँट जाती है।
∴ एक इलेक्ट्रॉन को प्रति सेकण्ड प्राप्त होने वाली ऊर्जा
= 2 × 10-26 जूल/सेकण्ड
∵ कार्य-फलन Φ0 = 2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 2 × 1.6 × 10-19 जूल
अर्थात् 1 इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित कराने के लिए आवश्यक ऊर्जा = 3.2 × 10-19 जूल
∴ किसी इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित होने में लगा समय t = पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त करने में लगा समय
उत्तर का निहितार्थ- इस उत्तर से स्पष्ट है कि प्रकाश के तरंग सिद्धान्त के अनुसार प्रकाश विद्युत-उत्सर्जन की घटना में एक इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित होने में लगने वाला समय बहुत अधिक है जो कि इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन में लगे प्रेक्षित समय (लगभग 10-9 सेकण्ड) से मेल नहीं खाता। इससे स्पष्ट है कि प्रकाश का तरंग सिद्धान्त प्रकाश विद्युत उत्सर्जन की व्याख्या नहीं कर सकता।
प्रश्न 31.
x-किरणों के प्रयोग अथवा उपयुक्त वोल्टता से त्वरित इलेक्ट्रॉनों से क्रिस्टल-विवर्तन प्रयोग किए जा सकते हैं। कौन-सी जाँच अधिक ऊर्जा सम्बद्ध है? (परिमाणिक तुलना के लिए, जाँच के लिए तरंगदैर्घ्य को 1A लीजिए, जो कि जालक (लेटिस) में अन्तर-परमाणु अन्तरण की कोटि का है) (me = 9.11 × 10-31 किग्रा)।
हल
दिया है, x-किरण फोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन की तरंगदैर्घ्य λ= 1A = 10-10 मीटर
∴ x-किरण फोटॉन की ऊर्जा E = \(\frac { hc }{ λ }\) = \(\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{10^{-10}}\) = 1.986 x 10-15 जूल
∵ इलेक्ट्रॉन की दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λ = \(\frac { h}{ p }\)
∴ इलेक्ट्रॉन का संवेग p = \(\frac { h }{ λ }\)
इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा \(E=\frac{1}{2} m v^{2}=\frac{m^{2} v^{2}}{2 m}\)
⇒ \(E=\frac{p^{2}}{2 m}=\frac{h^{2}}{2 m \lambda^{2}}\)
= \(\frac{\left(6.62 \times 10^{-34}\right)^{2}}{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(10^{-10}\right)^{2}}\)
= 2.40 × 10-17 जूल
स्पष्ट है कि x-किरण फोटॉन की ऊर्जा समान तरंगदैर्घ्य के इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा से अधिक है।
(b) दिया है, कमरे का तापमान T = 27 + 273 = 300K
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn = 1.675 × 10-27 किग्रा
बोल्ट्समान नियतांक k = 1.38 × 10-23 जूल/मोल-K
कमरे के ताप पर न्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा
∴ न्यूट्रॉन का संवेग p= mnυ =\(\sqrt{3 m_{n} k T}\)
अत: न्यूट्रॉन की दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य
= 1.45 A
स्पष्ट है कि 27°C के न्यूट्रॉन की दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य, क्रिस्टलों में अन्तरापरमाण्विक दूरी के साथ तुलनीय है। अत: यह न्यूट्रॉन क्रिस्टल विवर्तन प्रयोग के लिए उपयुक्त है।
इससे स्पष्ट है कि न्यूट्रॉनों को क्रिस्टल विवर्तन प्रयोगों में उपयोग में लाने के लिए उन्हें वातावरण के साथ तापीकृत करना चाहिए।
प्रश्न 33.
एक इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में 50 किलोवोल्ट वोल्टता के द्वारा त्वरित इलेक्ट्रॉनों का उपयोग किया जाता है। इन इलेक्ट्रॉनों से जुड़े देब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। यदि अन्य बातों (जैसे कि संख्यात्मक द्वारक आदि) को लगभग समान लिया जाए, इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता की तुलना पीले प्रकाश का प्रयोग करने वाले प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से किस प्रकार होती है?
हल
दिया है, इलेक्ट्रॉनों का त्वरक विभवान्तर V= 50 किलोवोल्ट = 50 × 103 वोल्ट
∴ इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा E = eV जूल
∴ इलेक्ट्रॉन की दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λe = \(\frac { h}{ p }\)
जबकि पीले प्रकाश की तरंगदैर्घ्य λy = 5900 A
∵ किसी प्रकाशिक यन्त्र की विभेदन क्षमता \(\propto \frac{1}{\lambda}\)
प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता 0.05481
अर्थात् इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता, प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता की 105 गुनी होती है।
प्रश्न 34.
किसी जाँच की तरंगदैर्घ्य उसके द्वारा कुछ विस्तार में जाँच की जा सकने वाली संरचना के आकार की लगभग आमाप है। प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की क्वार्क (quark) संरचना 10-15 मीटर या इससे भी कम लम्बाई के लघु पैमाने की है। इस संरचना को सर्वप्रथम 1970 दशक के प्रारम्भ में, एक रेखीय त्वरित्र (Linear accelerator) से उत्पन्न उच्च ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों के किरण-पुंजों के उपयोग द्वारा, स्टैनफोर्ड, संयुक्त राज्य अमेरिका में जाँचा गया था। इन इलेक्ट्रॉन किरण-पुंजों की ऊर्जा की कोटि का अनुमान लगाइए। (इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा 0.511 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है।)
हल
क्वार्क संरचना का आमाप, λ = 10-15 मीटर,
इलेक्ट्रॉन का विराम द्रव्यमान mo = 9.1 × 10-31 किग्रा
∴ इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा
\(E_{0}=m_{0} c^{2}=9.1 \times 10^{-31} \times\left(3 \times 10^{8}\right)^{2}\)
= 8.19 × 10-14 जूल
सूत्र λ = \(\frac { h}{ p }\) से, संवेग p=\(\frac { h}{ λ }\)
⇒\(p=\frac{6.62 \times 10^{-34}}{10^{-15}}\)
= 6.62 × 10-34 जूल
∴ आपेक्षिक सिद्धान्त के अनुसार, \(E^{2}=\dot{m}_{0}^{2} c^{4}+p^{2} c^{2}=\left(m_{0} c^{2}\right)^{2}+p^{2} c^{2}\)
अत: रेखीय त्वरित्र से निकलने वाले इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा 109 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट (अथवा बिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट) की कोटि की है।
प्रश्न 35.
कमरे के ताप (27°C) और 1 वायुमण्डल दाब पर He परमाणु से जुड़े प्रारूपी दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए और इन परिस्थितियों में इसकी तुलना दो परमाणुओं के बीच औसत दूरी से कीजिए।
हल
कमरे का ताप T = 27+ 273 = 300 K
He का परमाणु द्रव्यमान = 4 ग्राम
1 ग्राम मोल (4 ग्राम) हीलियम में परमाणुओं की संख्या = NA = 6.02 × 1023
= 0.7274 ≈ 0.73A.
यहाँ गैस का दाब P = 1.01 × 105 पास्कल · तथा T = 300 K
= 3.4 × 10-9 मीटर = 34 A.
इससे स्पष्ट है कि परमाणुओं के बीच की दूरी, दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य से लगभग 50 गुनी बड़ी है।
प्रश्न 36.
किसी धातु में 27°C पर एक इलेक्ट्रॉन का प्रारूपी दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए और इसकी तुलना धातु में दो इलेक्ट्रॉनों के बीच औसत पृथक्य से कीजिए जो लगभग 2 × 10-10 मीटर दिया गया है।
[नोट-प्रश्न 35 और 36 प्रदर्शित करते हैं कि जहाँ सामान्य परिस्थितियों में गैसीय अणुओं से जुड़े तरंग पैकेट अ-अतिव्यापी हैं; किसी धातु में इलेक्ट्रॉन तरंग पैकेट प्रबल रूप से एक-दूसरे से अतिव्यापी हैं। यह सुझाता है कि जहाँ किसी सामान्य गैस में अणुओं की अलग पहचान हो सकती है, किसी धातु में इलेक्ट्रॉन की एक-दूसरे से अलग पहचान नहीं हो सकती। इस अप्रभेद्यता के कई मूल निहितार्थताएँ हैं जिन्हें आप भौतिकी के अधिक उच्च पाठ्यक्रमों में जानेंगे]
हल
परम ताप T = 27 + 273 = 300K
इस ताप पर इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा \(E=\frac{1}{2} m v^{2}=\frac{3}{2} k T\)
⇒\(v=\sqrt{\frac{3 k T}{m}}\)
\(\lambda=\frac{h}{p}=\frac{h}{\sqrt{3 m k T}}\)
[m = 9.1 × 10-31 किग्रा, k= 1.38 × 10-23 जूल/मोल-K]
∴ इलेक्ट्रॉन की दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{6.62 \times 10^{-34}}{\sqrt{\left(3 \times 9.1 \times 10^{-31} \times 1.38 \times 10^{-23} \times 300\right)}}\)
= 62 × 10-10 मीटर = 62A.
जबकि दो इलेक्ट्रॉनों के बीच की दूरी ro = 2 × 10-10 मीटर
∴ \(\frac{\lambda}{r_{0}}=\frac{62}{2}=31\)
अर्थात् दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य, इलेक्ट्रॉनों के बीच की दूरी की 31 गुनी है।
प्रश्न 37.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) ऐसा विचार किया गया है कि प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के भीतर क्वार्क पर आंशिक आवेश होते है \(\left[\left(+\frac{2}{3}\right) e ;\left(-\frac{1}{3}\right) e\right]\) यह मिलिकन तेल-बूंद प्रयोग में क्यों नहीं प्रकट होते?
(b) \(\frac { e }{ m }\) संयोग की क्या विशिष्टता है? हम e तथा m के विषय में अलग-अलग विचार क्यों नहीं करते?
(c) गैसें सामान्य दाब पर कुचालक होती हैं, परन्तु बहुत कम दाब पर चालन प्रारम्भ कर देती हैं। क्यों?
(d) प्रत्येक धातु का एक निश्चित कार्य-फलन होता है। यदि आपतित विकिरण एकवर्णी हो तो सभी प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन समान ऊर्जा के साथ बाहर क्यों नहीं आते हैं? प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों का एक ऊर्जा वितरण क्यों होता है?
(e) एक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा तथा इसका संवेग इससे जुड़े पदार्थ-तरंग की आवृत्ति तथा इसके तरंगदैर्घ्य के साथ निम्न प्रकार सम्बन्धित होते हैं -E = hν, p = \(\frac { h }{ λ }\)
परन्तु λ का मान जहाँ भौतिक महत्त्व का है, ” के मान (और इसलिए कला चाल A का मान) का कोई भौतिक महत्त्व नहीं है। क्यों?
उत्तर
(a) भिन्नात्मक आवेश वाले क्वार्क न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन के भीतर इस प्रकार सीमित रहते हैं कि प्रोटॉन में उपस्थित क्वार्कों के आवेशों का योग +e तथा न्यूट्रॉन में उपस्थित क्वार्कों के आवेशों का योग शून्य बना रहता है तथा ये क्वार्क पारस्परिक आकर्षण बलों द्वारा बँधे रहते हैं। जब इन्हें अलग करने का प्रयास किया जाता है तो बल और अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं और इसी कारण वे एक-साथ बने रहते हैं। इसीलिए प्रकृति में भिन्नात्मक आवेश मुक्त अवस्था में नहीं पाए जाते अपितु वे सदैव इलेक्ट्रॉनिक आवेश के पूर्ण गुणज के रूप में ही पाए जाते हैं।
(b) इलेक्ट्रॉन की गति समीकरणों eV= \(\frac { 1 }{ 2 }\) mv2, eE = ma तथा evB= \(\frac{m v^{2}}{r}\) द्वारा निर्धारित होती है। इनमें से प्रत्येक में e तथा m दोनों एक साथ आए हैं। इससे स्पष्ट है कि इलेक्ट्रॉन की गति के लिए e अथवा m पर अकेले-अकेले विचार करने के स्थान पर \(\frac { e }{ m }\) पर विचार किया जाता है।
(c) सामान्य दाब पर गैसों में विसर्जन के कारण उत्पन्न आयन कुछ ही दूरी तय करने तक गैस के अन्य अणुओं से टकराकर उदासीन हो जाते हैं और इस कारण सामान्य दाब पर गैसों में विद्युत चालन नहीं हो पाता। इसके विपरीत अत्यन्त निम्न दाब पर गैस में अणुओं की संख्या बहुत कम रह जाती है। इस कारण उत्पन्न आयन अन्य अणुओं से टकराने से पूर्व ही विपरीत इलेक्ट्रॉड तक पहुँच जाते हैं।
(d) कार्य-फलन से, धातु में उच्चतम ऊर्जा स्तर अथवा चालन बैण्ड में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा का ज्ञान होता है। परन्तु प्रकाश विद्युत उत्सर्जन में इलेक्ट्रॉन अलग-अलग ऊर्जा स्तरों से निकल कर आते हैं। अत: उत्सर्जन के बाद उनके पास भिन्न-भिन्न ऊर्जाएँ होती हैं।
(e) किसी द्रव्य कण की ऊर्जा का निरपेक्ष मान (न कि संवेग) एक निरपेक्ष स्थिरांक के अधीन स्वेच्छ होता है। यही कारण है कि द्रव्य तरंगों से सम्बद्ध तरंगदैर्घ्य λ का ही भौतिक महत्त्व होता है न कि आवृत्ति ν का। इसी कारण कला वेग νλ. का भी कोई भौतिक महत्त्व नहीं होता।
विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LO Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल
विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किसी कण को H ऊँचाई से गिराया जाता है। ऊँचाई के फलन के रूप में कण दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य निम्न में से किसके __ अनुक्रमानुपाती होती है
(a) H
(b) H1/2
(c) H0
(d) H-1/2
उत्तर
(d) H-1/2
प्रश्न 2.
नाभिक से 1 Mev ऊर्जा द्वारा बन्धित प्रोटॉन को नाभिक से बाहर निकालने के लिए आवश्यक फोटॉन की तरंगदैर्घ्य लगभग कितनी होती है
(a) 1.2 नैनोमीटर
(b) 1.2 × 10-3 नैनोमीटर
(c) 1.2 × 10-6 नैनोमीटर
(d) 1.2 × 101 नैनोमीटर।
उत्तर
(b) 1.2 × 10-3 नैनोमीटर
प्रश्न 3.
निर्वातित प्रकोष्ठ में रखे धातु के पृष्ठ पर आपतित इलेक्ट्रॉनों को किसी पुंज (जिसमें प्रत्येक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा E0 है) पर विचार कीजिए। इस पृष्ठ से
(a) कोई इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं होगा क्योंकि केवल फोटॉन ही इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित कर सकते हैं
(b) इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित हो सकते हैं परन्तु प्रत्येक की ऊर्जा E0 होगी
(c) अधिकतम ऊर्जा E0 – Φ + सहित, (Φ धातु का कार्य-फलन है) किसी भी ऊर्जा के इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित हो सकते हैं
(d) अधिकतम ऊर्जा E0 सहित किसी भी ऊर्जा के इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित हो सकते हैं।
उत्तर
(d) अधिकतम ऊर्जा E0 सहित किसी भी ऊर्जा के इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित हो सकते हैं।
प्रश्न 4.
एक प्रोटॉन, एक न्यूट्रॉन, एक इलेक्ट्रॉन तथा एक a-कण की ऊर्जा परस्पर बराबर है तो उनकी दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्यों में तुलना इस प्रकार की जा सकती है
(a) λp = λn > λe > λα
(b) λα < λp = λn > he
(c) λ2 < λp = λn > λα
(d) λe = λp = λn = λα.
उत्तर
(b) λα < λp = λn > he
प्रश्न 5.
कोई इलेक्ट्रॉन जिसका प्रारम्भिक वेग \(v=v_{0} \hat{\mathrm{i}}\) है किसी चुम्बकीय क्षेत्र \(\mathrm{B}=B_{0} \hat{\mathrm{j}}\) में गतिमान है। इस इलेक्ट्रॉन की
दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य
(a) अचर रहती है
(b) समय के साथ बढ़ती है
(c) समय के साथ घटती है।
(d) आवर्ती रूप से बढ़ती और घटती है।
उत्तर
(a) अचर रहती है
विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किसी प्रोटॉन और किसी -कण को समान विभवान्तर द्वारा त्वरित किया गया है। दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λp एवं λα परस्पर किस प्रकार सम्बन्धित हैं? उत्तर
प्रश्न 2.
(i) प्रकाश-विद्युत प्रभाव की व्याख्या करते समय हमने यह माना था कि आवृत्ति का फोटॉन किसी इलेक्ट्रॉन से संघट्ट करता है और अपनी ऊर्जा उसको हस्तान्तरित कर देता है। इससे हमें उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा, E अधिकतम के लिए निम्न प्रकार का समीकरण प्राप्त होता है
Eअधिकतम = hν-Φ0
जहाँ Φ0 धातु का कार्य-फलन है। यदि कोई इलेक्ट्रॉन दो फोटॉन (प्रत्येक की आवृत्ति । है) अवशोषित करता है, तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा क्या होगी?
(ii) निरोधी विभव सम्बन्धी हमारी विवेचना में दो फोटॉन अवशोषण के इस प्रकरण पर विचार क्यों नहीं किया गया?
उत्तर
(i) इलेक्ट्रॉन द्वारा दो फोटॉन अवशोषित करने पर उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा,
Eअधिकतम = 2hν-Φ0
(ii) एक ही इलेक्ट्रॉन द्वारा दो फोटॉन अवशोषित करने की प्रायिकता बहुत कम है। अत: इस प्रकरण पर विचार नहीं किया जाता है।
प्रश्न 3.
कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो लघु तरंगदैर्घ्य के फोटॉन को अवशोषित करते हैं और दीर्घ तरंगदैर्घ्य के फोटॉन उत्सर्जित करते हैं। क्या ऐसे स्थायी पदार्थ भी हो सकते हैं जो दीर्घ तरंगदैर्घ्य के फोटॉन अवशोषित करके लघु तरंगदैर्यों का प्रकाश उत्सर्जित करें।
उत्तर
लघु तरंगदैर्घ्य के फोटॉन, जिनकी ऊर्जा उच्च होती है; को अवशोषित कर दीर्घ तरंगदैर्घ्य के फोटॉन, जिनकी ऊर्जा निम्न होती है; को उत्सर्जित करना सरलता से सम्भव है। दीर्घ तरंगदैर्घ्य के फोटॉन, जिनकी ऊर्जा कम होती है; को अवशोषित कर लघु तरंगदैर्घ्य के फोटॉन, जिनकी ऊर्जा अधिक होती है; को उत्सर्जित करने के लिए पदार्थ को ऊर्जा आपूर्ति करनी होगी तथा किसी भी स्थायी पदार्थ के लिए ऐसा करना सम्भव नहीं है।
प्रश्न 4.
क्या फोटॉन अवशोषित करने वाले सभी इलेक्ट्रॉन फोटो इलेक्ट्रॉनों के रूप में निष्क्रमित होते हैं?
उत्तर
नहीं, फोटॉन अवशोषित करने वाले सभी इलेक्ट्रॉन, फोटो इलेक्ट्रॉन के रूप में निष्क्रमित नहीं होते हैं क्योंकि अधिकांश इलेक्ट्रॉन धातु में ही प्रकीर्णित हो जाते हैं और केवल कुछ ही इलेक्ट्रॉन धातु से बाहर निष्क्रमित हो पाते हैं।
विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
25 एवं 2, दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य के दो कण A एवं B मिलकर कोई कण C बनाते हैं। इस प्रक्रिया में संवेग संरक्षण होता है। कण C के दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य का परिकलन कीजिए (गति एकविमीय है)।
हल
कण C का संवेग = (कण A का संवेग) + (कण B का संवेग)
PC = PA + PB.
परन्तु संवेग p = \(\frac { h }{ λ }\), जहाँ λ. कण के संगत दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य है।
विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति आंकिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
दो प्रकाश स्रोत हैं जिनमें प्रत्येक 100 वाट शक्ति उत्सर्जित करता है। इनमें से एक 1 नैनोमीटर तरंगदैर्घ्य की x-किरणें और दूसरा 500 नैनोमीटर का दृश्य प्रकाश उत्सर्जित करता है। दी गई तरंगदैर्यों के लिए x-किरणों के फोटॉनों की संख्या तथा दृश्य प्रकाश के फोटॉनों की संख्या का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल
दिया है : शक्ति (P) = 100 वाट, λ1 = 1 नैनोमीटर = 1 × 10-9 मीटर,
λ2 = 500 नैनोमीटर = 500 × 10-9 मीटर
P= n1 E1=n2 E2
या \(n_{1} \frac{h c}{\lambda_{1}}=n_{2} \frac{h c}{\lambda_{2}}\)
या \(\frac{n_{1}}{n_{2}}=\frac{\lambda_{1}}{\lambda_{2}}=\frac{1 \times 10^{-9}}{500 \times 10^{-9}}=\frac{1}{500}\)
या n1 : n2 = 1 : 500.
प्रश्न 2.
600 नैनोमीटर की तरंगदैर्घ्य के प्रकाश से उद्भासित किसी धातु की सतह से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम ऊर्जा मापी गई। यह पाया गया कि 400 नैनोमीटर तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का उपयोग करने पर इससे उत्सर्जित होने वाले इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम ऊर्जा दोगुनी हो गई। धातु का कार्य-फलन (ev में) ज्ञात कीजिए।
हल
λ1 = 600 नैनोमीटर, λ2 = 400 नैनोमीटर
प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा, Ek = E – W = \(\frac { hc }{ λ }\) – W
प्रश्न 3.
कोई विद्यार्थी दो पदार्थ A एवं B लेकर प्रकाश-विद्युत प्रभाव सम्बन्धी प्रयोग करता है। Vनरोधी तथा ν का ग्राफ चित्र-11.3 में (v)| दर्शाया गया है।
(i) A एवं B में किस पदार्थ का कार्य-फलन अधिक है?
(ii) इलेक्ट्रॉन का विद्युत आवेश = 1.6 × 10-19 कूलॉम लेकर 15 प्रयोग से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर A एवं B दोनों के लिए h का 1 मान ज्ञात कीजिए।
टिप्पणी कीजिए कि क्या यह आइन्स्टीन के सिद्धान्त के अनुरूप
हल
(i) पदार्थ B के लिए देहली आवृत्ति (νo) का मान पदार्थ A से अधिक है। अत: पदार्थ B का कार्य-फलन (W = hνo) अधिक होगा।
(ii) दिए गए ग्राफ का ढलान = \(\frac { h }{ e }\)
पदार्थ A के लिए ग्राफ का ढलान = \(\frac { h }{ e }\)
\(=\frac{2}{(10-5) \times 10^{14}}=\frac{2}{5 \times 10^{14}}\)
∴ पदार्थ A के लिए, h = \(\frac{2}{5 \times 10^{14}} \times 1.6 \times 10^{-19}\)
= 6.04 × 10-34 जूल-सेकण्ड
पदार्थ B के लिए ग्राफ का ढलान = \(\frac { h }{ e }\)
\(=\frac{2.5}{(15-10) \times 10^{14}}=\frac{2.5}{5 \times 10^{14}}\)
∴ पदार्थ B के लिए, h = \(\frac{2.5}{5 \times 10^{14}} \times 1.6 \times 10^{-19}\)
= 8 × 10-34 जूल-सेकण्ड।
दोनों पदार्थों के लिए h के मान भिन्न-भिन्न हैं, अत: यह प्रयोग आइन्स्टीन के सिद्धान्त के अनुरूप नहीं है।