MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य
चुम्बकत्व एवं द्रव्य NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
भू-चुम्बकत्व सम्बन्धी निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) एक सदिश को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए तीन राशियों की आवश्यकता होती है। उन तीन स्वतन्त्र राशियों के नाम लिखिए जो परम्परागत रूप से पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती हैं।
(b) दक्षिण भारत में किसी स्थान पर नति कोण का मान लगभग 18° है। ब्रिटेन में आप इससे अधिक नति कोण की अपेक्षा करेंगे या कम की?
(c) यदि आप ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में भू-चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का नक्शा बनाएँ तो ये रेखाएँ पृथ्वी के अन्दर जाएँगी या इससे बाहर आएँगी?
(d) एक चुम्बकीय सुई जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है, यदि भू-चुम्बकीय उत्तर या दक्षिण ध्रुव पर रखी हो तो यह किस दिशा में संकेत करेगी?
(e) यह माना जाता है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक चुम्बकीय द्विध्रुव के क्षेत्र जैसा है जो पृथ्वी के केन्द्र पर रखा है और जिसका द्विध्रुव आघूर्ण 8 × 10225 जूल टेस्ला-1 है। कोई ढंग सुझाइए जिससे इस संख्या के परिमाण की कोटि जाँची जा सके।
(f) भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि मुख्य N-S चुम्बकीय ध्रुवों के अतिरिक्त, पृथ्वी की सतह पर कई अन्य स्थानीय ध्रुव भी हैं, जो विभिन्न दिशाओं में विन्यस्त हैं। ऐसा होना कैसे सम्भव है?
उत्तर :
(a) पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होने वाली तीन राशियाँ निम्नलिखित हैं-
- नति कोण अथवा नमन कोण δ
- दिक्पात का कोण θ
- पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव BH
(b) चूँकि ब्रिटेन, दक्षिण भारत की तुलना में पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के अधिक समीप है, अतः यहाँ नति कोण अधिक होगा। वास्तव में ब्रिटेन में नति कोण लगभग 70° है।।
(c) ऑस्ट्रेलिया, पृथ्वी के दक्षिण गोलार्द्ध में स्थित है। चूंकि पृथ्वी के दक्षिण ध्रुव से चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ बाहर निकलती हैं, अत: ये पृथ्वी से बाहर निकलती प्रतीत होंगी।
(d) चूँकि ध्रुवों पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र ऊर्ध्वाधर होता है, अतः ध्रुवों पर लटकी चुम्बकीय सुई (जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है) ऊर्ध्वाधर दिशा की ओर इंगित करेगी।
(e) यदि हम मान लें कि पृथ्वी के केन्द्र पर M चुम्बकीय-आघूर्ण का चुम्बकीय द्विध्रुव रखा है तो पृथ्वी के चुम्बकीय निरक्ष पर स्थित बिन्दुओं की इस द्विध्रुव के केन्द्र से दूरी पृथ्वी की त्रिज्या के बराबर होगी।
निरक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र \(B=\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{M}{r^{3}}\)
∴ \(M=\frac{4 \pi B r^{3}}{\mu_{0}} \)
प्रयोगों द्वारा पृथ्वी के चुम्बकीय निरक्ष पर B = 0.4 गॉस = 0.4 × 10-4 टेस्ला तथा
r = RE = 6.4 × 106 मीटर
= 10.5 × 1022
ऐम्पियर-मीटर 2 स्पष्ट है कि पृथ्वी के चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण का यह मान 8 × 1022 जूल टेस्ला-1 के अत्यन्त निकट है। इस प्रकार पृथ्वी के चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण के परिमाण की कोटि की जाँच की जा सकती है।
(f) यद्यपि पृथ्वी का सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र, एकल चुम्बकीय द्विध्रुव के कारण माना जाता है अपितु स्थानीय स्तर पर चुम्बकित पदार्थों के भण्डार अन्य चुम्बकीय ध्रुवों का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) एक जगह से दूसरी जगह जाने पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र बदलता है। क्या यह समय के साथ भी
साथ भी बदलता है? यदि हाँ, तो कितने समय अन्तराल पर इसमें पर्याप्त परिवर्तन होते हैं?
(b) पृथ्वी के क्रोड में लोहा है, यह ज्ञात है। फिर भी भूगर्भशास्त्री इसको पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का स्रोत नहीं मानते। क्यों?
(c) पृथ्वी के क्रोड के बाहरी चालक भाग में प्रवाहित होने वाली आवेश धाराएँ भू-चुम्बकीय क्षेत्र के लिए उत्तरदायी समझी जाती हैं। इन धाराओं को बनाए रखने वाली बैटरी (ऊर्जा स्रोत) क्या हो सकती है?
(d) अपने 4-5 अरब वर्षों के इतिहास में पृथ्वी अपने चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कई बार उलट चुकी होगी। भूगर्भशास्त्री, इतने सुदूर अतीत के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में कैसे जान पाते हैं?
(e) बहुत अधिक दरियों पर (30,000 किमी से अधिक) पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र अपनी द्विध्रुवीय आकृति से काफी भिन्न हो जाता है। कौन-से कारक इस विकृति के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?
(1) अन्तरातारकीय अन्तरिक्ष में 10-12 टेस्ला की कोटि का बहुत ही क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र होता है। क्या इस क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र के भी कुछ प्रभावी परिणाम हो सकते हैं? समझाइए।
उत्तर :
(a) यद्यपि यह सत्य है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र समय के साथ बदलता है, परन्तु चुम्बकीय-क्षेत्र में प्रेक्षण योग्य परिवर्तन के लिए कोई निश्चित समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती। इसमें सैकड़ों वर्ष का समय भी लग सकता है।
(b) यह सुज्ञात तथ्य है कि पृथ्वी के क्रोड में पिघला हुआ लोहा है परन्तु इसका ताप लोहे के क्यूरी ताप से कहीं अधिक है। इतने उच्च ताप पर यह (लौहचुम्बकीय नहीं हो सकता) कोई चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न नहीं कर सकता।
(c) यह माना जाता है कि पृथ्वी के गर्भ में उपस्थित रेडियोऐक्टिव पदार्थों के विघटन से प्राप्त ऊर्जा ही आवेश धाराओं की ऊर्जा का स्रोत है।
(d) प्रारम्भ में पृथ्वी के गर्भ में अनेकों पिघली हुई चट्टानें थीं जो समय के साथ धीरे-धीरे ठोस होती चली गईं। इन चट्टानों में मौजूद लौह-चुम्बकीय पदार्थ उस समय के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के अनुरूप संरेखित हो गए। इस प्रकार भूतकाल का पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र इन चट्टानों में चुम्बकीय पदार्थों के अनुरूपण में अभिलेखित है। इन चट्टानों का भूचुम्बकीय अध्ययन उस समय के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ज्ञान प्रदान करता है।
(e) पृथ्वी के आयनमण्डल में अनेकों आवेशित कण विद्यमान रहते हैं जिनकी गति एक अलग चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। यही चुम्बकीय क्षेत्र, पृथ्वी तल से अधिक दूरी पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को विकृत कर देता है। आयनों के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र सौर पवन पर निर्भर करता है।
(f) सूत्र R = \(\frac{m v}{q B}\) से, \(R \propto \frac{1}{B}\)
इससे स्पष्ट है कि अत्यन्त क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण अति विशाल त्रिज्या का मार्ग अपनाता है जो कि थोड़ी दूरी में लगभग सरल रेखीय प्रतीत होता है, अत: छोटी दूरियों के लिए सूक्ष्म चुम्बकीय क्षेत्र अप्रभावी प्रतीत होते हैं परन्तु बड़ी दूरियों में ये प्रभावी विक्षेपण उत्पन्न करते हैं।
प्रश्न 3.
एक छोटा छड़ चुम्बक जो एकसमान बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र 0.25 टेस्ला के साथ 30° का कोण बनाता है, पर 4.5 × 10-2 जूल का बल आघूर्ण लगता है। चुम्बक के चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण क्या है?
हल :
दिया है : B= 0.25 टेस्ला, θ = 30°, r = 4.5 × 10-2 जूल, M = ?
t= MB sin θ से,
\(M=\frac{\tau}{B \sin \theta}=\frac{4.5 \times 10^{-2}}{0.25 \times 0.5}\) (∵ sin 30° = 0.5)
∴ चुम्बकीय-आघूर्ण M = 0.36 जूल टेस्ला-1।
प्रश्न 4.
चुम्बकीय-आघूर्ण m = 0.32 जूल टेस्ला-1 वाला एक छोटा छड़ चुम्बक, 0.15 टेस्ला के एकसमान बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा है। यदि यह छड़ क्षेत्र के तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो क्षेत्र के किस विन्यास में यह (i) स्थायी सन्तुलन और (ii) अस्थायी सन्तुलन में होगा? प्रत्येक स्थिति में चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा का मान बताइए।
हल :
दिया है : m = 0.32 जूल टेस्ला-1
B= 0.15 टेस्ला ।
(i) जब चुम्बक का चुम्बकीय-आघूर्ण क्षेत्र की दिशा में संरेखित होगा तो चुम्बक स्थायी सन्तुलन की स्थिति में होगा।
इस स्थिति में स्थितिज ऊर्जा U0 = – MB cos 0° [∵ Uθe = – MB cos θ]
= – 0.32 × 0.15 × 1
= – 0.048 जूल
या = 4.8×10-2 जूल।
(ii) जब चुम्बकीय-आघूर्ण, क्षेत्र के विपरीत दिशा में संरेखित होगा (θ = 180°) तो चुम्बक अस्थायी सन्तुलन की स्थिति में होगा। इस स्थिति में स्थितिज ऊर्जा U180° = – MB cos 180°
= – 0.32 × 0.15 × (-1)
= + 0.048 जूल
= 4.8 × 10-2 जूल।
प्रश्न 5.
एक परिनालिका में पास-पास लपेटे गए 800 फेरे हैं तथा इसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 2.5 × 10-4 मीटर2 है और इसमें 3.0 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है। समझाइए कि किस अर्थ में यह परिनालिका एक छड़ चुम्बक की तरह व्यवहार करती है? इसके साथ जुड़ा हुआ चुम्बकीय-आघूर्ण कितना है?
हल :
दिया है : N = 800, i = 3.0 ऐम्पियर, A = 2.5 × 10-4 मीटर2
∴ चुम्बकीय-आघूर्ण M = NiA = 800 × 3.0 × 2.5 × 10-4
= 0.60 जूल टेस्ला-1 ।
∵ परिनालिका को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाने पर दण्ड चुम्बक के समान ही इस पर भी एक बल-युग्म कार्य करता है, अत: यह दण्ड-चुम्बक के समान व्यवहार करती है।
प्रश्न 6.
यदि प्रश्न 5 में बताई गई परिनालिका ऊर्ध्वाधर दिशा के परितः घूमने के लिए स्वतन्त्र हो और इस पर क्षैतिज दिशा में एक 0.25 टेस्ला का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए, तो इस परिनालिका पर लगने वाले बल आघूर्ण का परिमाण उस समय क्या होगा, जब इसकी अक्ष आरोपित क्षेत्र की दिशा से 30° का कोण बना रही हो?
हल :
दिया है : B= 0.25 टेस्ला
पूर्व प्रश्न में,. M = 0.60 जूल टेस्ला-1
θ = 30°
∴ परिनालिका पर बल-आघूर्ण t = MB sin θ = 0.60 × 0.25 × \(\frac { 1 }{ 2 }\)
= 0.075 जूल = 7.5 × 10-2 जूल।
प्रश्न 7.
एक छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय-आघूर्ण 1.5 जूल टेस्ला-1 है, 0.22 टेस्ला के एक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश रखा है।
(a) एक बाह्य बल आघूर्ण कितना कार्य करेगा यदि यह चुम्बक को चुम्बकीय क्षेत्र के (i) लम्बवत्, (ii) विपरीत दिशा में संरेखित करने के लिए घुमा दें।
(b) स्थिति (i) एवं (ii) में चुम्बक पर कितना बल आघूर्ण होता है?
हल :
दिया है : M = 1.5 जूल टेस्ला-1,
B= 0.22 टेस्ला ।
(a) सूत्र W = – MB (cosθ2 – cosθ1) से,
(i) चुम्बक को θ1 = 0° से θ2 = 90° तक घुमाने में बल-आघूर्ण द्वारा कृत कार्य
W = – 1.5 × 0.22 [cos 90° – cos 0°]
= – 0.33 × (0- 1)= 0.33 जूल। (ii) चुम्बक को 01 = 0° से 02 = 180° तक घुमाने में बल आघूर्ण द्वारा कृत कार्य
W = – 1.5 × 0.22 [cos 180° – cos 0°]
= – 0.33 [ – 1 – 1] = 0.66 जूल।
(b) (i) स्थिति (i) में चुम्बक पर कार्यरत बल आघूर्ण
t= MB sin 90°
= 1.5 × 0.22 × 1 = 0.33 जूल।
(ii) स्थिति (ii) में चुम्बक पर कार्यरत बल-आघूर्ण
T= MB sin 180° = 0
प्रश्न 8.
एक परिनालिका जिसमें पास-पास 2000 फेरे लपेटे गए हैं तथा जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 1.6 × 10-4 मीटर2 है और जिसमें 4.0 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है, इसके केन्द्र से इस प्रकार लटकाई गई है कि यह एक क्षैतिज तल में घूम सके।
(a) परिनालिका के चुम्बकीय-आघूर्ण का मान क्या है?
(b) परिनालिका पर लगने वाला बल एवं बल आघूर्ण क्या है, यदि इस पर, इसकी अक्ष से 30° का कोण बनाता हुआ 7.5 × 10-2 टेस्ला का एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए?
हल :
दिया है : कुल फेरे
N = 2000,
A = 1.6 × 10-4 मीटर2
i = 4.0 ऐम्पियर
B = 7.5 × 10-2 टेस्ला
(a) परिनालिका का चुम्बकीय-आघूर्ण
M = NiA = 2000 × 4.0 × 1.6 × 10-4
= 1.28 ऐम्पियर-मीटर2।
(b) सूत्र t = MB sin θ से,
अक्ष से θ = 30° के कोण पर लगे चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल आघूर्ण
t = 1.28 × 7.5 × 10-2 × \(\frac { 1 }{ 2 }\)
= 4.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर
= 0.048 न्यूटन-मीटर। :: क्षेत्र एकसमान है, अत: परिनालिका पर कार्यरत बल शून्य होगा।
प्रश्न 9.
एक वृत्ताकार कुंडली जिसमें 16 फेरे हैं, जिसकी त्रिज्या 10 सेमी है और जिसमें 0.75 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है, इस प्रकार रखी है कि इसका तल 5.0 × 10-2 टेस्ला परिमाण वाले बाह्य क्षेत्र के लम्बवत् है। कुंडली, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् और इसके अपने तल में स्थित एक अक्ष के चारों तरफ घूमने के लिए स्वतन्त्र है। यदि कुंडली को जरा-सा घुमा कर छोड़ दिया जाए तो यह अपनी स्थायी सन्तुलनावस्था के इधर-उधर 2.0 सेकण्ड-1 की आवृत्ति से दोलन करती है। कुंडली का अपने घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण क्या है?
हल :
दिया है : N = 16, r = 0.10 मीटर, i = 0.75 ऐम्पियर, B= 5.0 × 10-2 टेस्ला
घूर्णन आवृत्ति γ = 2.0 सेकण्ड-1, जड़त्व-आघूर्ण I = ?
कुंडली का चुम्बकीय-आघूर्ण
M = NiA = Ni × πr2
= 16 × 0.75 × 3.14 × (0.10)2
= 0.377 ऐम्पियर-मीटर2
∴ जड़त्व-आघूर्ण \(I=\frac{0.377 \times 5.0 \times 10^{-2}}{4 \times(3.14)^{2} \times(2.0)^{2}}\)
= 1.2 × 10-4 किग्रा-मीटर।
प्रश्न 10.
एक चुम्बकीय सुई चुम्बकीय याम्योत्तर के समान्तर एक ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है। इसका उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से 22° के कोण पर नीचे की ओर झुका है। इस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज अवयव का मान 0.35 गाउस है। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का परिमाण ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव
BH = 0.35 गाउस
जबकि नति कोण δ = 22°
यदि पृथ्वी का सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र B है तो BH = B cos δ से,
\(B=\frac{B_{H}}{\cos \delta}=\frac{0.35}{\cos 22^{\circ}}\)
\(=\frac{0.35}{0.9272}\) = 0.38 गाउस।
प्रश्न 11.
दक्षिण अफ्रीका में किसी स्थान पर एक चुम्बकीय सुई भौगोलिक उत्तर से 12° पश्चिम की ओर संकेत करती है। चुम्बकीय याम्योत्तर में संरेखित नति-वृत्त की चुम्बकीय सुई का उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से 60° उत्तर की
ओर संकेत करता है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव मापने पर 0.16 गाउस पाया जाता है। इस स्थान पर पृथ्वी के क्षेत्र का परिमाण और दिशा बताइए।
हल :
दिया है : नति कोण 6 = 60° जबकि दिक्पात का कोण θ = 12° उत्तर से पश्चिम की ओर BH = 0.16 गाउस
BH = B cos δ से,
\(B=\frac{B_{H}}{\cos \delta}=\frac{0.16}{\cos 60^{\circ}}\)
\(=\frac{0.16}{0.5}\) = 0.32 गाउस
अत: इस स्थान पर पृथ्वी का सम्पूर्ण क्षेत्र 0.32 गाउस है जिसकी दिशा भौगोलिक याम्योत्तर से 12° पश्चिम की ओर क्षैतिज से 60° के कोण पर ऊपर की ओर है।
प्रश्न 12.
किसी छोटे छड़ चुम्बक का चुम्बकीय-आघूर्ण 0.48 जूल टेस्ला-1 है। चुम्बक के केन्द्र से 10 सेमी की दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर इसके चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा बताइए यदि यह बिन्दु (i) चुम्बक के अक्ष पर स्थित हो, (ii) चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर स्थित हो।
हल :
दिया है : M = 0.48 जूल टेस्ला-1, r = 0.10 मीटर, B= ?
(i) जब बिन्दु चुम्बक के अक्ष पर है तब चुम्बकीय क्षेत्र
= 0.96 × 10-4 टेस्ला ।
अथवा Bax = 0.96 गाउस दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर
(ii) जब बिन्दु चुम्बक के लम्ब समद्विभाजक पर है तो चुम्बकीय क्षेत्र
Beq= \(\frac { 1 }{ 2 }\)Bax = \(\frac { 1 }{ 2 }\) × 0.96
= 0.48 गाउस ( उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर)।
प्रश्न 13.
क्षैतिज तल में रखे एक छोटे छड़ चुम्बक का अक्ष, चुम्बकीय उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश है। सन्तुलन बिन्दु चुम्बक के अक्ष पर, इसके केन्द्र से 14 सेमी दूर स्थित है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 0.36 गाउस एवं नति कोण शून्य है। चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर इसके केन्द्र से उतनी ही दूर (14 सेमी) स्थित किसी बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र क्या होगा?
हल :
दिया है : पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र B= 0.36 गाउस, नति कोण δ = 0°
अक्ष पर सन्तुलन बिन्दु की दूरी r = 0.14 मीटर
माना सन्तुलन बिन्दु पर चुम्बक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र Bax है
तब सन्तुलन की अवस्था में ,
Bax = BH⇒ Bax = B cos δ = B
ये क्षेत्र परस्पर विपरीत होंगे।
अभिलम्ब समद्विभाजक पर, इतनी ही दूरी पर चुम्बक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
Beq = \(\frac { 1 }{ 2 }\)Bax⇒ Beq= \(\frac { 1 }{ 2 }\)B
परन्तु यहाँ पृथ्वी का क्षेत्र BH = B तथा चुम्बक का क्षेत्र दोनों एक ही दिशा में हैं, अतः यहाँ परिणामी क्षेत्र
B1 = Beq + B = \(\frac { 1 }{ 2 }\)B + B
= \(\frac { 3 }{ 2 }\)B = \(\frac { 3 }{ 2 }\) × 0.36 = 0.54 गाउस।
इसकी दिशा पृथ्वी के क्षेत्र के अनुदिश होगी।
प्रश्न 14.
यदि प्रश्न 13 में वर्णित चुम्बक को 180° से घुमा दिया जाए तो सन्तुलन बिन्दुओं की नई स्थिति क्या होगी?
हल :
इस स्थिति में, सन्तुलन बिन्दु अभिलम्ब समद्विभाजक पर प्राप्त होगा।
अक्षीय स्थिति में सन्तुलन बिन्दु हेतु
अन्तिम स्थिति में, प्रश्न के अनुसार rax = 0.14 मीटर
req = \(\frac{0.14}{(2)^{1 / 3}}\) × 2-1/3
= 0.111 मीटर = 11.1 सेमी।
अत: सन्तुलन बिन्दु निरक्षीय स्थिति में केन्द्र से 11.1 सेमी की दूरी पर मिलेगा।
प्रश्न 15.
एक छोटा छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय-आघूर्ण 5.25 × 10-2 जूल टेस्ला-1 है, इस प्रकार रखा है कि इसका अक्ष पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् है। चुम्बक के केन्द्र से कितनी दूरी पर, परिणामी क्षेत्र पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा से 45° का कोण बनाएगा, यदि हम (a) अभिलम्ब समद्विभाजक पर देखें, (b) अक्ष पर देखें? इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण 0.42 गाउस है। प्रयुक्त दूरियों की तुलना में चुम्बक की लम्बाई की उपेक्षा कर सकते हैं।
हल :
दिया है : M = 5.25 × 10-2जूल टेस्ला-1
पृथ्वी का क्षेत्र BH = 0.42 गाउस
(a) माना ऐसा, चुम्बक के निरक्ष पर उसके केन्द्र से req दूरी पर होता है।
इस बिन्दु पर चुम्बक के कारण क्षेत्र
प्रश्न 16.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) ठण्डा करने पर किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ का नमूना अधिक चुम्बकन क्यों प्रदर्शित करता है? ( एक ही चुम्बककारी क्षेत्र के लिए)
(b) अनुचुम्बकत्व के विपरीत, प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का प्रभाव लगभग नहीं होता। क्यों?
(c) यदि एक टोरॉइड में बिस्मथ का क्रोड लगाया जाए तो इसके अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र उस स्थिति की तुलना में (किंचित) कम होगा या (किंचित) ज्यादा होगा, जबकि क्रोड खाली हो?
(d) क्या किसी लौहचुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकशीलता चुम्बकीय क्षेत्र पर निर्भर करती है? यदि हाँ, तो उच्च चुम्बकीय क्षेत्रों के लिए इसका मान कम होगा या अधिक? . (e) किसी लौह चुम्बक की सतह के प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ सदैव लम्बवत् होती हैं [यह तथ्य उन स्थिरविद्युत क्षेत्र रेखाओं के सदृश है जो कि चालक की सतह.के प्रत्येक बिन्दु पर लम्बवत् होती हैं। क्यों?
(f) क्या किसी अनुचुम्बकीय नमूने का अधिकतम सम्भव चुम्बकन, लौहचुम्बक के चुम्बकन के परिमाण की कोटि का होगा?
उत्तर :
(a) ताप के घटने पर पदार्थ के परमाण्वीय चुम्बकों का ऊष्मीय विक्षोभ कम हो जाता है जिसके कारण इन चुम्बकों के बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में संरेखित होने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। –
(b) प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के परमाणु ऊष्मीय विक्षोभ के कारण, भले ही किसी भी स्थिति में हों, उनमें बाह्य
चुम्बकीय क्षेत्र के कारण, प्रेरित चुम्बकीय-आघूर्ण सदैव ही बाह्य क्षेत्र के विपरीत दिशा में प्रेरित होता है। इस प्रकार प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का कोई प्रभाव नहीं होता।
(c) चूँकि बिस्मथ एक प्रतिचुम्बकीय पदार्थ है, अत: चुम्बकीय क्षेत्र अपेक्षाकृत कुछ कम हो जाएगा।
(d) लौहचुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकशीलता बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र पर निर्भर करती है तथा तीव्र चुम्बकीय, क्षेत्र के लिए इसका मान कम होता है।
(e) जब दो माध्यम किसी स्थान पर मिलते हैं जिनमें से एक के लिए µ >>1 हो तो इनके सीमा पृष्ठ पर क्षेत्र रेखाएँ लम्बवत् हो जाती हैं।
(1) हाँ, किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ का अधिकतम सम्भव चुम्बकत्व, लौहचुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन के परिमाण की कोटि का हो सकता है। परन्तु किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ को इस कोटि तक चुम्बकित करने के लिए अति उच्च चुम्बकीय क्षेत्र की आवश्यकता होती है जिसे प्राप्त करना व्यवहार में सम्भव नहीं है।
प्रश्न 17.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) लौहचुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन वक्र की अनुत्क्रमणीयता, डोमेनों के आधार पर गुणात्मक दृष्टिकोण से समझाइए।
(b) नर्म लोहे के एक टुकड़े के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल, कार्बन-स्टील के टुकड़े के शैथिल्य लप के क्षेत्रफल से कम होता है। यदि पदार्थ को बार-बार चुम्बकन चक्र से गुजारा जाए तो कौन-सा टुकड़ा अधिक ऊष्मा ऊर्जा का क्षय करेगार
(c) लौह चुम्बक जैसा शैथिल्य लूप प्रदर्शित करने वाली कोई प्रणाली स्मृति संग्रहण की युक्ति है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
(d) कैसेट के.चुम्बकीय फीतों पर परत चढ़ाने के लिए या आधुनिक कम्प्यूटर में स्मृति संग्रहण के लिए, किस तरह के लौहचुम्बकीय पदार्थों का इस्तेमाल होता है? ।
(e) किसी स्थान को चुम्बकीय क्षेत्र से परिरक्षित करना है। कोई विधि सुझाइए।
उत्तर :
(a) जब बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र को शून्य कर दिया जाता है तो भी लौहचुम्बकीय पदार्थ के डोमेन अपनी प्रारम्भिक स्थिति में नहीं लौट पाते अपितु उनमें कुछ चुम्बकन शेष रह जाता है। यही कारण है कि लौहचुम्बकीय पदार्थों का चुम्बकन वक्र अनुत्क्रमणीय होता है।
(b) किसी पदार्थ के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल एक पूर्ण चुम्बकन चक्र में होने वाली ऊर्जा-हानि को प्रदर्शित करता है। यह ऊर्जा-हानि ही पदार्थ में ऊष्मा के रूप में उत्पन्न होती है। चूंकि कार्बन-स्टील के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल अधिक है, अत: इसमें अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी अर्थात् कार्बन-स्टील का टुकड़ा अधिक ऊष्मा क्षय करेगा।
(c) किसी लौहचुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन उस पर लगाए गए बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र के चक्रों की संख्या पर निर्भर करता है। इस प्रकार किसी लौह चुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन उस पर लगाए गए चुम्बकन चक्र की सूचना दे सकता है। इस प्रकार चुम्बकन चक्र की स्मृति, चुम्बकित पदार्थ के नमूने में एकत्र हो जाती है।
(d) इस कार्य के लिए सिरेमिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है।
(e) किसी स्थान को चुम्बकीय क्षेत्र से परिरक्षित करने के लिए उस स्थान को नर्म लोहे के रिंग से घेर देना चाहिए। इससे चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ, नर्म लोहे के रिंग से होकर गुजर जाती हैं तथा रिंग के भीतर प्रवेश नहीं कर पातीं।
प्रश्न 18.
एक लम्बे, सीधे, क्षैतिज केबल में 2.5 ऐम्पियर धारा, 10° दक्षिण-पश्चिम से 10° उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर भौगोलिक याम्योत्तर के 10° पश्चिम में है। यहाँ पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 0.33 गाउस एवं नति कोण शून्य है। उदासीन बिन्दुओं की रेखा निर्धारित कीजिए। (केबल की मोटाई की उपेक्षा कर सकते हैं।)
(उदासीन बिन्दुओं पर, धारावाही केबल द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र, पृथ्वी के क्षैतिज घटक के चुम्बकीय क्षेत्र के समान एवं विपरीत दिशा में होता है।)
हल :
दिया है : पृथ्वी का क्षेत्र B= 0.33 × 10-4 टेस्ला, नति कोण δ = 0°
∴ पृथ्वी के क्षेत्र का क्षैतिज घटक BH = B cos δ = 0.33 × 10-4 टेस्ला
माना उदासीन बिन्दु तार से a दूरी पर है, तब
इस प्रकार, उदासीन बिन्दु रेखा केबल के समान्तर ऊपर की ओर केबल से 1.5 सेमी की दूरी पर होगी।
प्रश्न 19.
किसी स्थान पर एक टेलीफोन केबल में चार लम्बे, सीधे, क्षैतिज तार हैं जिनमें से प्रत्येक में 1.0 ऐम्पियर की धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 0.39 गाउस एवं नति कोण 35° है। दिक्पात कोण लगभग शून्य है। केबल के 4.0 सेमी नीचे और 4.0 सेमी ऊपर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्रों के मान क्या होंगे?
हल :
पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र
B = 0.39 × 10-4 टेस्ला, δ = 35°, i= 1.0 ऐम्पियर
पृथ्वी के क्षेत्र का क्षैतिज अवयव
BH = B cos δ = 0.39 × cos 35°
= 0.39 × 0.819
= 0.319 गाउस (दक्षिण से उत्तर)
तथा ऊर्ध्वाधर अवयव
BV = B sin δ = 0.39 × sin 35° = 0.39 × 0.573
= 0.224 गाउस
चार केबलों के कारण उनसे a = 4.0x 10-2 मीटर की दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र
= 0.2 × 10-4 टेस्ला = 0.2 गाउस
केबल के ऊपर चुम्बकीय क्षेत्र B’ क्षैतिजतः दक्षिण से उत्तर की ओर तथा केबल के नीचे यह क्षेत्र क्षैतिजतः उत्तर से दक्षिण की ओर होगा।
केबल के नीचे चुम्बकीय क्षेत्र
यहाँ BH व B’ परस्पर विपरीत हैं।
∴ क्षैतिज अवयव
अत: केबल के नीचे नेट चुम्बकीय क्षेत्र 0.254 गाउस है जो क्षैतिज से 62° के कोण पर है।
केबल के ऊपर चुम्बकीय क्षेत्र
यहाँ BH व B’ एक ही दिशा में हैं।
∴ क्षैतिज अवयव
B’H = BH + B’ = 0.319 + 0.2 = 0.519 गाउस
जबकि BV = 0.224 गाउस
अत: नेट चुम्बकीय क्षेत्र 0.57 गाउस है जो क्षैतिज से 23° के कोण पर है।
प्रश्न 20.
एक चुम्बकीय सुई जो क्षैतिज तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है, 30 फेरों एवं 12 सेमी त्रिज्या वाली एक कुंडली के केन्द्र पर रखी है। कुंडली एक ऊर्ध्वाधर तल में है और चुम्बकीय याम्योत्तर से 45° का कोण बनाती है। जब कुंडली में 0.35 ऐम्पियर धारा प्रवाहित होती है, चुम्बकीय सुई पश्चिम से पूर्व की ओर संकेत करती है।
(a) इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज अवयव का मान ज्ञात कीजिए।
(b) कुंडली में धारा की दिशा उलट दी जाती है और इसको अपनी ऊर्ध्वाधर अक्ष पर वामावर्त दिशा में (ऊपर से देखने पर ) 90° के कोण पर घुमा दिया जाता है। चुम्बकीय सुई किस दिशा में ठहरेगी? इस स्थान पर चुम्बकीय दिक्पात शून्य लीजिए।
हल :
(a) दिया है : कुंडली में फेरों की संख्या N = 30
धारा i = 0.35 ऐम्पियर, त्रिज्या a = 0.12 मीटर
कंडली के केन्द्र पर चम्बकीय क्षेत्र \(B=\frac{\mu_{0} N i}{2 a}=\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 30 \times 0.35}{2 \times 0.12}\)
= 0.55 गाउस
यह क्षेत्र कुंडली के तल के लम्बवत् है।
∵ चुम्बकीय सुई पूर्व-पश्चिम दिशा में ठहरती है, अतः इस स्थान पर नेट चुम्बकीय क्षेत्र पूर्व पश्चिम दिशा में होगा।
यह तभी सम्भव है जबकि क्षेत्र B का उत्तर-दक्षिण दिशा में अवयव BH को सन्तुलित कर ले।
अर्थात् BH = B cos 45° = 0.55 × \(\frac{1}{\sqrt{2}}\)
पृथ्वी के क्षेत्र का क्षैतिज अवयव BH = 0.39 गाउस।
(b) चित्र-5.4 (b) से स्पष्ट है कि इस बार नेट चुम्बकीय क्षेत्र पूर्व से पश्चिम की ओर होगा। अतः चुम्बकीय सुई पूर्व से पश्चिम की ओर संकेत करेगी।
प्रश्न 21.
एक चुम्बकीय द्विध्रुव दो चुम्बकीय क्षेत्रों के प्रभाव में है। ये क्षेत्र एक-दूसरे से 60° का कोण बनाते हैं और उनमें से एक क्षेत्र का परिमाण 1.2 × 10-2 टेस्ला है। यदि द्विध्रुव स्थायी सन्तुलन में इस क्षेत्र से 15° का कोण बनाए, तो दूसरे क्षेत्र का परिमाण क्या होगा?
हल :
दिया है : B1 = 1.2 × 10-2 टेस्ला, B2 = ?
∵ द्विध्रुव एक क्षेत्र से 15° का कोण बनाता है, अत: दूसरे क्षेत्र से 45° का कोण बनाएगा।
सन्तुलन की स्थिति में दोनों के कारण द्विध्रुव पर कार्यरत बल-युग्म के आघूर्ण परस्पर सन्तुलित हो जाएँगे।
∴ MB1 sin 15o = MB2 sin 45°
B2= \(\frac{B_{1} \sin 15^{\circ}}{\sin 45^{\circ}}\)
= \(\frac{1.2 \times 10^{-2} \times 0.2588}{0.707}\)
450
150
= 4.39 × 10-3 टेस्ला
= 4.4 x 10-3 टेस्ला ।
प्रश्न 22.
एक समोर्जी 18 किलो इलेक्ट्रॉन-वोल्ट वाले इलेक्ट्रॉनों के किरण पुंज पर जो शुरू में क्षैतिज दिशा में गतिमान हैं, 0.04 गाउस का एक क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र, जो किरण पुंज की प्रारम्भिक दिशा के लम्बवत् है, लगाया गया है। आकलन कीजिए 30 सेमी की क्षैतिज दूरी चलने में किरण पुंज कितनी दूरी ऊपर या नीचे विस्थापित होगा? (me = 9.11 × 10-31 किग्रा, e= 1.60 × 10-19 कूलॉम)।
[नोट : इस प्रश्न में आँकड़े इस प्रकार चुने गए हैं कि उत्तर से आपको यह अनुमान हो कि T.V. सेट में इलेक्ट्रॉन गन से पर्दे तक इलेक्ट्रॉन किरण पुंज की गति भू-चुम्बकीय क्षेत्र से किस प्रकार प्रभावित होती है।
हल :
दिया है : B= 0.04 गाउस = 4 x 10-6 टेस्ला ।
माना इलेक्ट्रॉनों का वेग υ x है, तब \(\frac { 1 }{ 2 }\)meυ x2 = K ⇒ υ x = \(\sqrt{\frac{2 K}{m_{e}}}[latex]
इलेक्ट्रॉन, चुम्बकीय क्षेत्र के कारण वृत्तीय मार्ग पर गति करते हैं जिसकी त्रिज्या । निम्नलिखित है –
माना इलेक्ट्रॉन-पुंज बिन्दु A पर चुम्बकीय क्षेत्र में क्षैतिज दिशा में प्रवेश करते हैं तथा क्षैतिज दिशा में x = 0.30 मीटर दूरी तय करने तक बिन्दु B पर पहुँच जाते हैं, तब (चित्र से),
sin θ = [latex]\frac{x}{R}=\frac{0.30}{11.3}\)= 0.0265
θ = sin-1(0.0265) = 1.52°
∴ इलेक्ट्रॉनों का ऊपर अथवा नीचे की ओर विस्थापन
y= OA – OC = R – R cos θ = R (1 – cosθ) = 11.3 (1 – 0.9996)
= 4.0 × 10-3 मीटर अथवा
y = 4 मिमी।
प्रश्न 23.
अनुचुम्बकीय लवण के एक नमूने में 2.0 × 1024 परमाणु द्विध्रुव हैं जिनमें से प्रत्येक का द्विध्रुव आघूर्ण 1.5 × 10-23 जूल टेस्ला-1 है। इस नमूने को 0.64 टेस्ला के एक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है और 4.2 K ताप तक ठण्डा किया गया। इसमें 15% चुम्बकीय संतृप्तता आ गई। यदि इस नमूने को 0.98 टेस्ला के चुम्बकीय क्षेत्र में 2.8 K ताप पर रखा हो तो इसका कुल द्विध्रुव आघूर्ण कितना होगा? (यह मान सकते हैं कि क्यूरी नियम लागू होता है।)
हल :
दिया है : N = 2.0 × 1024, m = 1.5 × 10-23 जूल टेस्ला -1, B1 = 0.64 टेस्ला, T1= 4.2 K, चुम्बकीय संतृप्तता M1 = 15%, B2 = 0.98 टेस्ला, T2 = 2.8 K,
चुम्बकीय संतृप्तता M2 = ?
चुम्बकीय संतृप्तता की स्थिति में,
पदार्थ का चुम्बकीय-आघूर्ण M = Nm = 2.0 × 1024 × 1.5 × 10-23 = 30 जूल टेस्ला-1
प्रथम स्थिति में,
चम्बकीय-आघूर्ण M1 = M का 15% = \(\frac{15 M}{100}=\frac{15 \times 30}{100}\) = 4.5 जल टेस्ला-1
∵ क्यूरी नियम लागू होता है। अतः
प्रश्न 24.
एक रोलैंड रिंग की औसत त्रिज्या 15 सेमी है और इसमें 800 आपेक्षिक चुम्बकशीलता के लौह चुम्बकीय क्रोड पर 3500 फेरे लिपटे हुए हैं। 1.2 ऐम्पियर की चुम्बककारी धारा के कारण इसके क्रोड में कितना घुम्बकीय क्षेत्र (\(\overrightarrow{\mathbf{B}}\)) होगा?
हल :
दिया है : औसत त्रिज्या a = 0.15 मीटर, μr = 800, N = 3500, i = 1.2 ऐम्पियर, B= ?
प्रश्न 25.
किसी इलेक्ट्रॉन के नैज चक्रणी कोणीय संवेग \(\overrightarrow{\mathbf{s}}\) एवं कक्षीय कोणीय संवेग \(\overrightarrow{1}\) के साथ जुड़े चुम्बकीय-आघूर्ण क्रमशः \(\overrightarrow{\mu_{\mathrm{S}}}\) और \(\overrightarrow{\mu_{1}}\) हैं। क्वाण्टम सिद्धान्त के आधार पर (और प्रयोगात्मक रूप से अत्यन्त परिशुद्धतापूर्वक पुष्ट) इनके मान क्रमशः निम्न प्रकार दिए जाते हैं –
μs = – \(\left(\frac{e}{2 m}\right) \overrightarrow{\mathrm{i}}\) एवं μl= – \left(\frac{e}{2 m}\right) \overrightarrow{\mathbf{1}}
इनमें से कौन-सा व्यंजक चिरसम्मत सिद्धान्तों के आधार पर प्राप्त करने की आशा की जा सकती है? उस चिरसम्मत आधार पर प्राप्त होने वाले व्यंजक को व्युत्पन्न कीजिए।
हल :
व्यंजक \(\vec{\mu}_{1}=-\left(\frac{e}{2 m}\right) \overrightarrow{1}\), चिरसम्मत सिद्धान्तों के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है।
माना इलेक्ट्रॉन r त्रिज्या की वृत्तीय कक्षा में चक्कर लगा रहा है तथा इसका परिक्रमण काल T है, तब
परिक्रमण के कारण कक्षा में धारा i = \(\frac{e}{T}\)
∴ परिक्रमण के कारण उत्पन्न चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण
जबकि कक्षा में घूमते इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग
∵ इलेक्ट्रॉन का आवेश e ऋणात्मक है, अतः \(\vec{\mu}_{1} व \overrightarrow{1}\) सदिशों की दिशाएँ परस्पर विपरीत होंगी। . :
∴ सदिश रूप में लिखने पर, = \(\overrightarrow{\mu_{1}}=-\left(\frac{e}{2 m}\right) \overrightarrow{1}\)
चुम्बकत्व एवं द्रव्य NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LO Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल
चुम्बकत्व एवं द्रव्य बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को पृथ्वी के केन्द्र पर स्थित बिन्दु द्विध्रुव के क्षेत्र का प्रतिरूप माना जा सकता है। इस द्विध्रुव का अक्ष पृथ्वी के अक्ष से 11.3° का कोण बनाता है। मुम्बई में द्विक्पात लगभग शून्य है, तब –
(a) पृथ्वी पर दिक्पात का मान 11.3° पश्चिम से 11.3° पूर्व के बीच परिवर्तित होता है।
(b) निम्नतम दिक्पात शून्य अंश (0°) है।
(c) द्विध्रुव अक्ष तथा पृथ्ट के अक्ष को धारण करने वाला तल ग्रीनविच से गुजरता है।
(d) समस्त पृथ्वी पर दिक्पात सदैव ऋणात्मक होना चाहिए।
उत्तर :
(a) पृथ्वी पर दिक्पात का मान 11.3° पश्चिम से 11.3° पूर्व के बीच परिवर्तित होता है।
प्रश्न 2.
कमरे के ताप पर किसी स्थायी चुम्बक में –
(a) प्रत्येक अणु का चुम्बकीय-आघूर्ण शून्य होता है
(b) सभी अलग-अलग अणुओं के शून्येतर चुम्बकीय-आघूर्ण होते हैं जो पूर्णत: संरेखित होते हैं।
(c) कुछ डोमेन अंशत: संरेखित होते हैं
(d) सभी डोमेन पूर्णत: संरेखित होते हैं।
उत्तर :
(c) कुछ डोमेन अंशत: संरेखित होते हैं
चुम्बकत्व एवं द्रव्य अतिं लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉन की भाँति प्रोटॉन में भी चक्रण तथा चुम्बकीय-आघूर्ण होता है, तब पदार्थों के चुम्बकत्व में इसमें प्रभाव की उपेक्षा क्यों की जाती है?
उत्तर :
इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय-आघूर्ण \(\left(\mu_{e}\right)=\frac{e h}{4 \pi m_{e}}\)
इसी प्रकार, प्रोटॉन का चुम्बकीय-आघूर्ण \(\left(\mu_{p}\right)=\frac{e h}{4 \pi m_{p}}\)
परन्तु mp >> me अतः μe >> μp
अतः पदार्थों के चुम्बकत्व में इलेक्ट्रॉन की तुलना में प्रोटॉन के चुम्बकीय-आघूर्ण की उपेक्षा की जाती है।
प्रश्न 2.
आण्विक दृष्टिकोण से प्रतिचुम्बकत्व, अनुचुम्बकत्व तथा लौहचुम्बकत्व की चुम्बकीय प्रवृत्तियों की ताप निर्भरता की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
प्रतिचुम्बकत्व इलेक्ट्रॉनों की कक्षीय गति के कारण उत्पन्न होता है, अतः यह ताप से अधिक प्रभावित नहीं होता है। अनुचुम्बकीय तथा लौहचुम्बकीय पदार्थों के अणुओं में अपना परिणामी । चुम्बकीय-आघूर्ण होता है तथा प्रत्येक अणु स्वयं एक चुम्बकीय द्विध्रुव होता है। इन पदार्थों में चुम्बकत्व इन चुम्बकीय द्विध्रुवों के बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश संरेखण के कारण उत्पन्न होता है। ताप वृद्धि पर संरेखण विक्षोभित होता है जिसके परिणामस्वरूप इन पदार्थों की चुम्बकशीलता ताप वृद्धि पर घट जाती है।
प्रश्न 3.
चित्र में दर्शाए अनुसार तीन सर्वसम छड़ चुम्बकों को समान तल में केन्द्र पर रिवट द्वारा जड़ दिया गया है। इस निकाय को विराम अवस्था में किसी धीरे-धीरे परिवर्तित होने वाले चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। यह पाया गया है कि चुम्बकों के निकाय में कोई गति नहीं हुई। एक चुम्बक के उत्तर-दक्षिण ध्रुवों को चित्र में दर्शाया गया है। अन्य दो चुम्बकों के ध्रुव निर्धारित कीजिए।
उत्तर :
चुम्बकों के निकाय में कोई गति नहीं हुई है, अत: परिणामी चुम्बकीय-आघूर्ण m = 0.
इसके लिए एकमात्र सम्भव स्थिति चित्र में दर्शायी गई है।