MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें
वैद्युत चुम्बकीय तरंगें NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न: 1.
चित्र 8.1 में एक संधारित्र दर्शाया गया है जो 12 सेमी त्रिज्या की दो वृत्ताकार प्लेटों को 5.0 सेमी की दूरी पर रखकर बनाया गया है। संधारित्र को एक बाह्य स्त्रोत (जो चित्र में नहीं दर्शाया गया है) द्वारा आवेशित किया जा रहा है। आवेशकारी धारा नियत है और इसका मान 0.15 ऐम्पियर है।
(a) धारिता एवं प्लेटों के बीच विभवान्तर परिवर्तन की दर का परिकलन कीजिए।
(b) प्लेटों के बीच विस्थापन धारा ज्ञात कीजिए।
(c) क्या किरचॉफ का प्रथम नियम संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर लागू होता है? स्पष्ट कीजिए।
हल :
दिया है : प्लेट की त्रिज्या r = 0.12 मीटर, बीच की दूरी d = 0.05 मीटर
आवेशन धारा i= 0.15 ऐम्पियर
(a) संधारित्र की धारिता \(C=\frac{\varepsilon_{0} A}{d}\)
[∵ A =πr2 = 3.14 × (0.12)2]
\(=\frac{8.854 \times 10^{-12} \times 3.14 \times(0.12)^{2}}{0.05}\)
= 8.01 × 10-12F= 8.01 pF.
किसी क्षण संधारित्र पर आवेश q= CV ⇒ V=\(\frac { q }{ C }\)
∴\(\frac{d V}{d t}=\frac{1}{C} \frac{d q}{d t}=\frac{1}{C} i\) ( ∵ \(\frac{d q}{d t}=i\) )
∴ विभवान्तर परिवर्तन की दर \(\frac{d V}{d t}=\frac{0.15}{8.01 \times 10^{-12}}\)
= 1.87 × 1010 वोल्ट सेकण्ड-1.
(b). प्लेटों पर विस्थापन धारा \(i_{D}=\varepsilon_{0} \frac{d \phi_{E}}{d t}\)
जहाँ कै ΦE प्लेटों के बीच स्थित किसी बन्द लूप से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स है।
∵ प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र \(E=\frac{q}{\varepsilon_{0} A}\)
∴ यदि लूप का क्षेत्रफल A है तो
(c) हाँ, किरचॉफ का प्रथम नियम संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर भी लागू होता है क्योंकि
प्लेट तक आने वाली चालन धारा = प्लेट से आगे जाने वाली विस्थापन धारा
प्रश्न 2.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र (चित्र 8.2), R = 6.0 सेमी त्रिज्या की दो वृत्ताकार प्लेटों से बना है और इसकी धारिता C = 100 pF है। संधारित्र को 230 वोल्ट, 300 रेडियन सेकण्ड-1 की (कोणीय) आवृत्ति के किसी स्त्रोत से जोड़ा गया है।
(a) चालन धारा का r.m.s. मान क्या है?
(b) क्या चालन धारा विस्थापन धारा के बराबर है?
(c) प्लेटों के बीच, अक्ष से 3.0 सेमी की दूरी पर स्थित बिन्दु पर B का आयाम ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : Vrms = 230 वोल्ट, ω = 300 रेडियन सेकण्ड-1, C = 100 × 10-12F. ..
त्रिज्या R = 0.06 मीटर
(a) चालनं धारा का rms मान \(i_{r m s}=\frac{V_{r m s}}{1 / \omega C}=V_{r m s} \omega C\)
= 230 × 300 × 100 × 10-12
= 6.9 × 10-6 ऐम्पियर
= 6.9 माइक्रोऐम्पियर।
(b) हाँ, संधारित्र के लिए सदैव ही चालन धारा विस्थापन धारा के बराबर होती है, भले ही धारा दिष्ट हो अथवा प्रत्यावर्ती।
(c) प्लेटों के बीच r= 0.03 मीटर त्रिज्या के बन्द लूप पर विचार कीजिए जिसका तल प्लेटों के तल के समान्तर है। इस लूप के प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण समान तथा दिशा स्पर्शरेखीय होगी जबकि वैद्युत क्षेत्र E लूप के तल के प्रत्येक बिन्दु पर समान तथा इसकी दिशा लूप के तल के लम्बवत् होगी।
प्रश्न 3.
10-10 मीटर तरंगदैर्घ्य की x-किरणों, 6800 A तरंगदैर्घ्य के प्रकाश तथा 500 मीटर की रेडियो तरंगों के लिए किस भौतिक राशि का मान समान है?
हल :
उक्त तीनों प्रकार की तरंगों की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्तियाँ भिन्न-भिन्न हैं परन्तु ये सभी वैद्युतचुम्बकीय तरंगें हैं, अत: इन सबकी निर्वात में चाल (c = 3 x 108 मीटर सेकण्ड-1) समान है। .
प्रश्न 4.
एक समतल वैद्युतचुम्बकीय तरंग निर्वात में Z-अक्ष के अनुदिश चल रही है। इसके वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के सदिश की दिशा के बारे में आप क्या कहेंगे? यदि तरंग की आवृत्ति 30 मेगाहर्ट्स हो तो उसकी तरंगदैर्घ्य कितनी होगी?
हल :
वैद्यत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के सदिशों की दिशाएँ तरंग संचरण की दिशा (Z-अक्ष) के लम्बवत् अर्थात् :समतल के समान्तर होंगी तथा परस्पर भी लम्बवत् होंगी। ::
∵ आवृत्ति υ = 30 × 106 हर्ट्स
तथा चाल c = 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
∴ तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{30 \times 10^{6}}\) = 10 मीटर।
प्रश्न 5.
एक रेडियो 7.5 मेगाहर्ट्स से 12 मेगाहर्ट्स बैण्ड के किसी स्टेशन से समस्वरित हो सकता है। संगत तरंदैर्घ्य बैण्ड क्या होगा?
हल :
दिया है, आवृत्ति बैण्ड υ1 = 7.5 × 106 हर्ट्स से υ2 = 12 × 106 हर्ट्स ।
चाल c = 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
∴ \(\lambda_{1}=\frac{c}{v_{1}}=\frac{3 \times 10^{8}}{7.5 \times 10^{6}}\) = 40 मीटर
तथा \(\lambda_{2}=\frac{c}{v_{2}}=\frac{3 \times 10^{8}}{12 \times 10^{6}}\) = 25 मीटर
∴ संगत तरंगदैर्घ्य बैण्ड 25 मीटर – 40 मीटर होगा।
प्रश्न 6.
एक आवेशित कण अपनी माध्य साम्यावस्था के दोनों ओर 109 हर्ट्स आवृत्ति से दोलन करता है। दोलक द्वारा जनित वैद्युतचुम्बकीय तरंगों की आवृत्ति कितनी है?
हल :
हम जानते हैं कि त्वरित अथवा कम्पित आवेशित कण कम्पित वैद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है। यह वैद्युत क्षेत्र, कम्पित चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। ये दोनों क्षेत्र मिलकर वैद्युतचुम्बकीय तरंग उत्पन्न करते हैं; जिसकी आवृत्ति, कम्पित कण के दोलनों की आवृत्ति के बराबर होती है। ..
∴ तरंगों की आवृत्ति υ = 109 हौ।
प्रश्न 7.
निर्वात में एक आवर्त वैद्युतचुम्बकीय तरंग के चुम्बकीय क्षेत्र वाले भाग का आयाम B0 = 510 नैनो टेस्ला है। तरंग के वैद्युत क्षेत्र वाले भाग का आयाम क्या है?
हल :
निर्वात में, B0 = 510 नैनोटेस्ला ।
= 510 × 10-9 टेस्ला
यदि निर्वात में वैद्युत क्षेत्र वाले भाग का आयाम = Eo
तब \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) ⇒ Eo = cBo
Eo = 3 × 108 × 510 × 10-9
= 153 वोल्ट मीटर-1।
प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि एक वैद्युतचुम्बकीय तरंग के वैद्युत क्षेत्र का आयाम E0 = 120 न्यूटन/कूलॉम है तथा इसकी आवृत्ति υ = 50.0 मेगाहर्ट्स है। (a) Bo , ω , k तथा λ ज्ञात कीजिए, (b) E तथा B के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। .
हल :
दिया है : E0 = 120 न्यूटन कूलॉम-1,
υ = 50.0 × 106 हर्ट्स .
तरंग वेग c= 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
(a) सूत्र \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) से,
\(B_{0}=\frac{E_{0}}{c}=\frac{120}{3 \times 10^{8}}\) = 4.0 × 10-7 टेस्ला
= 400 नैनोटेस्ला ।
ω = 2 πυ = 2 × 3.14 × 50 × 106
= 3.14 × 108 रेडियन सेकण्ड-1
Eok= Bo ω से,
\(k=\frac{B_{0} \omega}{E_{0}}=\frac{400 \times 10^{-9} \times 3.14 \times 10^{8}}{120}\)
= 1.05 रेडियन मीटर-1।
\(\lambda=\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{50 \times 10^{6}}\)= 6 मीटर।
(b) माना तरंग X-अक्ष की दिशा में गतिशील है, तब वैद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र क्रमश: Y. तथा Z-अक्ष की दिशाओं में माने जा सकते हैं।
प्रश्न 9.
वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न भागों की पारिभाषिकी पाठ्यपुस्तक में दी गई है। सूत्र E = hυ (विकिरण के एक क्वांटम की ऊर्जा के लिए : फोटॉन) का उपयोग कीजिए तथा em (वैद्युतचुम्बकीय) वर्णक्रम (वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम) के विभिन्न भागों के लिए इलेक्ट्रॉन वोल्ट (ev) के मात्रक में फोटॉन की ऊर्जा निकालिए। फोटॉन ऊर्जा के जो विभिन्न परिमाण आप पाते हैं वे वैद्युतचुम्बकीय विकिरण के स्रोतों से किस प्रकार सम्बन्धित हैं?
हल :
सूत्र E = hυ जूल = \(\frac{h c}{\lambda}\) जूल = \(\frac{h c}{e \lambda} \mathrm{e} \mathrm{V}\)
∵ h = 6.62 × 10-34 जूल सेकण्ड-1, c= 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
e = 1.6 × 10-19C
∴ \(E=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{1.6 \times 10^{-19} \times \lambda}=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{\lambda}\) इलेक्ट्रॉन वोल्ट (ev)
(1) γ-किरणें-इन किरणों का माध्य तरंगदैर्घ्य 10-12 मीटर है। अत:
\(E_{1}=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-12}}=1.24 \times 10^{6} \mathrm{eV}\)
≈ 106 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।
अत: γ -किरणों की माध्य ऊर्जा 106 इलेक्ट्रॉन वोल्ट होती है।
(2) x-किरणें-इनकी माध्य तरंगदैर्घ्य 10-9 मीटर है।
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-9}} \approx 10^{3} \text { setagity alteel }\)
≈ 10 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।
इनकी माध्य ऊर्जा 103 इलेक्ट्रॉन वोल्ट होती है।
(3) पराबैंगनी विकिरण–इनकी माध्य तरंगदैर्घ्य 10-8 मीटर होती है।
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-8}}=1.24 \times 10^{2} \mathrm{eV}\)
≈102 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।
(4) दृश्य-प्रकाश–इनकी माध्य तरंगदैर्ध्य 10-6 मीटर होती है।
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-6}}\)
= 1.24 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।
(5) सूक्ष्म तरंगें-इनकी माध्य तरंगदैर्ध्य 10-2 मीटर है जिसके लिए .
\(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-2}}\)
= 1.24 × 10-4 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।
(6) रेडियो तरंगें—इनकी माध्य तरंगदैर्घ्य 103 मीटर है। .
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{3}}\)
= 1.24 × 10-9 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।
उक्त ऊर्जा परिणामों से स्पष्ट होता है कि γ-किरणें नाभिक के संक्रमण से निकलती हैं, X-किरणें पराबैंगनी विकिरण तथा दृश्य प्रकाश परमाणुओं के संक्रमण के कारण उत्सर्जित होते हैं।
प्रश्न 10.
एक समतल em (वैद्युतचुम्बकीय) तरंग में वैद्युत क्षेत्र, 2.0 × 1010 हर्ट्स आवृत्ति तथा 48 वोल्ट मीटर-1 आयाम से ज्या वक्रीय रूप से दोलन करता है।
(a) तरंग की तरंगदैर्घ्य कितनी है?
(b) दोलनशील चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम क्या है?
(c) यह दर्शाइए कि \(\overrightarrow{\mathbf{E}}\) क्षेत्र का औसत ऊर्जा घनत्व, \(\overrightarrow{\mathbf{B}}\) क्षेत्र के औसत ऊर्जा घनत्व के बराबर है। [c= 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1]
हल :
दिया है : E0 = 48 वोल्ट मीटर-1, वैद्युत क्षेत्र की आवृत्ति = 2.0 × 1010 हर्ट्स
(a) ∵ तरंग की आवृत्ति υ = वैद्युत क्षेत्र की आवृत्ति = 2 × 1010 हर्ट्स
∴ तरंग की तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{2 \times 10^{10}}\)
= 1.5 × 10-2 मीटर।
(b) \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) से, चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम \(B_{0}=\frac{E_{0}}{c}=\frac{48}{3 \times 10^{8}}\)
= 1.6 × 10-7 टेस्ला ।
प्रश्न 11.
कल्पना कीजिए कि निर्वात में एक वैद्युतचुम्बकीय तरंग का वैद्युत क्षेत्र E = {(3.1 न्यूटन/कूलॉम) cos [(1.8 रेडियन मीटर-1) y+ (5.4 × 106 रेडियन सेकण्ड-1)t}}\(\hat{\mathbf{i}}\)
(a) तरंग संचरण की दिशा क्या है?
(b) तरंगदैर्घ्य λ कितनी है?
(c) आवृत्ति υ कितनी है?
(d) तरंग के चुम्बकीय क्षेत्र सदिश का आयाम कितना है?
(e) तरंग के चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक लिखिए। .
हल’:
दिया है, E = {(3.1) cos [1.8y+ 5.4 × 106 t]}\(\hat{\hat{\mathbf{\imath}}}\).
जहाँ E न्यूटन/कूलॉम में, दूरी मीटर में तथा समय सेकण्ड में है।
इसकी तुलना E = Eo cos (ky + ωt) \(\hat{\hat{\mathbf{\imath}}}\) से करने पर,
k = 1.8 रेडियन मीटर-1, ω = 5.4 × 106 रेडियन सेकण्ड-1
E0 = 3.1 न्यूटन कूलॉम-1
(a) पद ky में गुणांक y से स्पष्ट है कि यह तरंग ऋणात्मक Y-अक्ष के अनुदिश गतिशील है।
(b)
∵ \(k=\frac{2 \pi}{\lambda} \)
∴ \(\lambda=\frac{2 \pi}{k}\)
या तरगदध्य तरंगदैर्घ्य \lambda=\frac{2 \times 3.14}{1.8}= 3.48 मीटर ≈ 3.5 मीटर।
= 1.8
(c) ω = 2 πυ से, \(\nu=\frac{\omega}{2 \pi}\)
∴ आवृत्ति \(v=\frac{5.4 \times 10^{6}}{2 \times 3.14}\)
= 8.6 × 105 हर्ट्स
= 0.86 मेगाहर्ट्स।
(d) ∵ E0 = 3.1 न्यूटन कूलॉम-1, c = 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
∴ \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) से, चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम \(B_{0}=\frac{E_{0}}{c}=\frac{3.1}{3 \times 10^{8}}\)
= 10 × 10-8 टेस्ला
= 10 नैनोटेस्ला।
(e) ∵ तरंग ऋणात्मक Y-अक्ष की दिशा में गतिशील है तथा वैद्युत क्षेत्र के कम्पन X-अक्ष की दिशा में हैं, अत: चुम्बकीय क्षेत्र के कम्पन Z-अक्ष की दिशा में होंगे। ∴ चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक ।
B= Bo cos (ky + ωt) \(\hat{\mathbf{k}}\)
= 10 नैनोटेस्ला cos (1. 8 रेडियन मीटर-1 y+ 5.4 x 106 रेडियन सेकण्ड-1t) \(\hat{\mathbf{k}}\)
प्रश्न 12.
100 वाट वैद्युत बल्ब की शक्ति का लगभग 5% दृश्य विकिरण में बदल जाता है।
(a) बल्ब से 1 मीटर की दूरी पर
(b) 10 मीटर की दूरी पर दृश्य विकिरण की औसत तीव्रता कितनी है?
यह मानिए कि विकिरण समदैशिकतः उत्सर्जित होता है और परावर्तन की उपेक्षा कीजिए।
हल:
दृश्य विकिरण में उत्सर्जित शक्ति = \(\frac{5}{100} \times 100\) = 5 वाट
(a)
\(=\frac{5}{4 \times 3.14 \times 1}\) = 0.4 वाट मीटर2।
(b) r = 10 मीटर की दूरी पर औसत शक्ति = \(\frac{5}{4 \times 3.14 \times(10)^{2}}\)
= 0.004 वाट मीटर2।
प्रश्न 13.
em वर्णक्रम (वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम) के विभिन्न भागों के लिए लाक्षणिक ताप परिसरों को ज्ञात करने के लिए λm T= 0.29 सेमी K सूत्र का उपयोग कीजिए। जो संख्याएँ आपको मिलती हैं, वे क्या बतलाती हैं?
हल :
λmT = 0.29 सेमी K सूत्र से स्पष्ट है कि 22 को सेमी में प्रयोग किया गया है,
अतः λm = λm ×10-8Å
∴ λmT = 0.29 सेमी K
⇒ λm x 10-8 × T = 0.29
\(T=\frac{29 \times 10^{6}}{\lambda_{m}(\hat{A})} K\)
(a) λm = 10-12 मीटर = 10-2Å के लिए, (-किरणे)
T = 2.9 × 109 K.
(b) λm = 10-10 मीटर = 1Å के लिए, (x-किरणे)
T = 2.9 × 107 K.
(c) λm = 10-6 मीटर = 104Å के लिए, (दृश्य प्रकाश)
T = 29 × 102 = 2900 K.
(d) λm = 1 मीटर = 1010 Å के लिए,
T = 2.9 × 10-3 K आदि।
उक्त परिणाम स्पेक्ट्रम के विभिन्न तरंगदैर्घ्य परास प्राप्त करने हेतु आवश्यक परम ताप प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 14.
वैद्युतचुम्बकीय विकिरण से सम्बन्धित नीचे कुछ प्रसिद्ध अंक, भौतिकी में किसी अन्य प्रसंग में वैद्युतचुम्बकीय दिए गए हैं। स्पेक्ट्रम के उस भाग का उल्लेख कीजिए जिससे इनमें से प्रत्येक सम्बन्धित है।
(a) 21 सेमी (अन्तरातारकीय आकाश में परमाण्वीय हाइड्रोजन द्वारा उत्सर्जित तरंगदैर्ध्य)
(b) 1057 मेगाहर्ट्स (लैंब-विचलन नाम से प्रसिद्ध, हाइड्रोजन में, पास जाने वाले दो समीपस्थ ऊर्जा स्तरों से उत्पन्न विकिरण की आवृत्ति)
(c) 2.7 K (सम्पूर्ण अन्तरिक्ष को भरने वाले समदैशिक विकिरण से सम्बन्धित ताप-ऐसा विचार जो विश्व में बड़े धमाके ‘बिग बैंग’ के उद्भव का अवशेष माना जाता है।)
(d) 5890 Å – 5896 Å (सोडियम की द्विक रेखाएँ) ।
(e) 14.4 keV [57 Fe नाभिक के एक विशिष्ट संक्रमण की ऊर्जा जो प्रसिद्ध उच्च विभेदन की स्पेक्ट्रमी विधि से सम्बन्धित है (मॉसबौर स्पेक्ट्रोस्कॉपी)।
हल :
(a) दी गई तरंगदैर्घ्य 10-2 मीटर क्रम की है, जो लघु रेडियो तरंग क्षेत्र में पड़ती है।
(b) यह आवृत्ति 109 हर्ट्स की कोटि की है, जो लघु रेडियो तरंग क्षेत्र में पड़ती है।
(c) λm T = 0.29 सेमी K से, T= 2.7 कूलॉम के लिए,
यह तरंगदैर्घ्य माइक्रो तरंगों के क्षेत्र में पड़ती है।
(d) दी गई तरंगदैर्ध्य 10-6 मीटर की कोटि की हैं जो दृश्य विकिरण क्षेत्र में पड़ती हैं।
(e) E = 14.4 kev = 14.4 × 103 eV
परन्तु \(E=\frac{h c}{\lambda e} \mathrm{eV}\)
∴ संगत तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{h c}{e E}=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{1.6 \times 10^{-19} \times 14.4 \times 10^{3}}\)
= 8.6 × 10-11 मीटर
⇒ λ≈ 10-10 मीटर = 1 Å
यह तरंगदैर्घ्य x-किरण क्षेत्र में पड़ती है।
प्रश्न 15.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए
(a) लम्बी दूरी के रेडियो प्रेषित्र लघु-तरंग बैण्ड का उपयोग करते हैं। क्यों?
(b) लम्बी दूरी के TV प्रेषण के लिए उपग्रहों का उपयोग आवश्यक है। क्यों?
(c) प्रकाशीय तथा रेडियो दूरदर्शी पृथ्वी पर निर्मित किए जाते हैं किन्तु x-किरण खगोल विज्ञान का अध्ययन पृथ्वी का परिभ्रमण कर रहे उपग्रहों द्वारा ही सम्भव है। क्यों?
(d) समतापमण्डल के ऊपरी छोर पर छोटी-सी ओजोन की परत मानव जीवन के लिए निर्णायक है। क्यों?
(e) यदि पृथ्वी पर वायुमण्डल नहीं होता तो उसके धरातल का औसत ताप वर्तमान ताप से अधिक होता है या
कम?
(f) कुछ वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि पृथ्वी पर नाभिकीय विश्व युद्ध के बाद ‘प्रचण्ड नाभिकीय शीतकाल’ होगा जिसका पृथ्वी के जीवों पर विध्वंसकारी प्रभाव पड़ेगा। इस भविष्यवाणी का क्या आधार है?
उत्तर :
(a) ये तरंगें पृथ्वी के आयनमण्डल से परावर्तित होकर वापस पृथ्वी तल की ओर लौट आती हैं और इसी कारण बिना ऊर्जा खोए पृथ्वी पर लम्बी दूरियाँ तय कर पाती हैं।
(b) बहुत लम्बी दूरी के सम्प्रेषण के लिए अति उच्च आवृत्ति की तरंगों की आवश्यकता होती है। आयनमण्डल इन तरंगों को पृथ्वी की ओर परावर्तित नहीं कर पाता। अतः ये तरंगें आयनमण्डल से पार निकल जाती हैं। इन्हें वापस पृथ्वी पर भेजने के लिए उपग्रह की आवश्यकता होती है।
(c) चूँकि पृथ्वी का वायुमण्डल x-किरणों को अवशोषित कर लेता है। अत: x-किरण खगोलविज्ञान का अध्ययन वायुमण्डल से ऊपर उपग्रहों द्वारा ही सम्भव है।
(d) यह ओजोन परत सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली मानव जीवन के लिए हानिकारक पराबैंगनी तरंगों को अवशोषित कर लेती है। अतः ओजोन परत, पृथ्वी पर मानव जीवन की सुरक्षा के लिए अति महत्त्वपूर्ण है।
(e) यदि पृथ्वी पर वायुमण्डल नहीं होता तो हरित गृह प्रभाव नहीं होता। इससे पृथ्वी का ताप वर्तमान ताप की तुलना में कम होता।
(f) प्रचण्ड नाभिकीय युद्ध के बाद पृथ्वी धूल तथा गैसों के विशाल बादल से घिर जाएगी जिसके कारण सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाएगी ओर पृथ्वी बहुत अधिक ठण्डी हो जाएगी।
वैद्युत चुम्बकीय तरंगें NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल
वैद्युत चुम्बकीय तरंगें बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कार्बन मोनोक्साइड के एक अणु को कार्बन एवं ऑक्सीजन परमाणुओं में विघटित करने के लिए 11 eV ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस विघटन के लिए उपयुक्त वैद्युतचुम्बकीय विकिरण की न्यूनतम आवृत्ति होती है –
(a) दृश्य क्षेत्र में
(b) अवरक्त क्षेत्र में
(c) पराबैंगनी क्षेत्र में
(d) माइक्रोतरंग क्षेत्र में।
उत्तर :
(c) पराबैंगनी क्षेत्र में
प्रश्न 2.
ऊर्जा फ्लक्स 20 W/सेमी2 का प्रकाश एक अपरावर्ती पृष्ठ पर अभिलम्बवत् आपतित होता है। यदि पृष्ठ का क्षेत्रफल 30 सेमी2 हो तो 30 मिनट में (पूर्ण अवशोषण के लिए) प्रदत्त कुल संवेग होगा –
(a) 36 × 10-5 किग्रा मीटर/सेकण्ड
(b) 36 × 10-4 किग्रा मीटर/सेकण्ड
(c) 108 × 104 किग्रा मीटर/सेकण्ड
(d) 1.08 × 107 किग्रा मीटर/सेकण्ड।
उत्तर :
(b) 36 × 10-4 किग्रा मीटर/सेकण्ड
प्रश्न 3.
100 W के बल्ब से 3 मीटर की दूरी पर पहुँचने वाले विकिरणों से उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E है। उतनी ही दूरी पर 50 W के बल्ब से आने वाले प्रकार के विकिरणों के कारण उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता होगी
(a) \(\frac{E}{2}\)
(b) 2E
(c) \(\frac{E}{\sqrt{2}}\)
(d) √2E
उत्तर :
(d) √2E.
प्रश्न 4.
यदि E एवं B क्रमशः वैद्युतचुम्बकीय तरंगों के वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र (सदिश) हों तो . वैद्युतचुम्बकीय तरंगों की संचरण दिशा है –
(a) E के अनुदिश
(b) B के अनुदिश
(c) B × E के अनुदिश
(d) E × B के अनुदिश ।
उत्तर :
(d) E × B के अनुदिश ।
प्रश्न 5.
वैद्युतचुम्बकीय तरंग की तीव्रता में वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र घटकों के योगदानों का अनुपात होता है
(a) c : 1
(b) c2 : 1
(c) 1 :1
(d) √c : 1.
उत्तर :
(c) 1 : 1
प्रश्न 6.
एक द्विध्रुव ऐन्टिना से वैद्युत चुम्बकीय तरंगें बाहर की ओर विकिरित होती हैं जिनके वैद्युत क्षेत्र सदिश का आयाम E0 है। वैद्युत क्षेत्र Eo, जो ऊर्जा संचार का प्रमुख वाहक है, स्रोत से दूरी के साथ इसका परिमाण –
(a) \(\frac{1}{r^{3}}\) के अनुसार घटता है …
(b) \(\frac{1}{r^{2}}\) के अनुसार घटता है ..
(c) \(\frac{1}{r}\) के अनुसार घटता है
(d) अचर बना रहता है। [
उत्तर :
(c) \(\frac{1}{r}\) के अनुसार घटता है
वैद्युत चुम्बकीय तरंगें अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किसी सुवाह्य रेडियो का प्रसारक स्टेशन के सापेक्ष अभिविन्यास महत्त्वपूर्ण क्यों होता है?
उत्तर :
वैद्युतचुम्बकीय तरंगें समतल ध्रुवित होती हैं, अत: अभिग्राही ऐन्टिना इन तरंगों के वैद्युतचुम्बकीय भाग के समान्तर होना चाहिए।
प्रश्न 2.
माइक्रोवेव ओवन जल अणु युक्त खाद्य पदार्थ का ऊष्मन सर्वाधिक प्रभावी ढंग से क्यों करता है?
उत्तर :
माइक्रोवेव ओवन जल अणुयुक्त खाद्य पदार्थ का ऊष्मन सर्वाधिक प्रभावी ढंग से करता है क्योंकि माइक्रोवेव की आवृत्ति, जल के अणुओं की अनुनाद आवृत्ति के बराबर होती है।
प्रश्न 3.
किसी समान्तर प्लेट संधारित्र पर आवेश q= qo cos 2πυt के अनुसार परिवर्तित होता है। इसकी प्लेटें बहुत विशाल (क्षेत्रफल = A) हैं और एक-दूसरे के बहुत पास-पास रखी हैं (पृथकन = d)। कोर प्रभावों को नगण्य मानते हुए संधारित्र में विस्थापन धारा की गणना कीजिए।
उत्तर :
संधारित्र में विस्थापन धारा ID = IC = \(\frac{d}{d t}\left(q_{0} \cos 2 \pi v t\right)\)
= qo (- sin 2πυ t) × 2πυ
= -qo 2 πυ.sin 2 πυ t
प्रश्न 4.
परिवर्तनीय आवृत्ति का एक ac स्रोत एक संधारित्र से जुड़ा है। आवृत्ति में कमी करने पर विस्थापन धारा किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर :
संधारित्र का धारितीय प्रतिघात \(\left(X_{C}\right)=\frac{1}{\omega C}=\frac{1}{2 \pi f C}\)
आवृत्ति f कम करने पर, धारितीय प्रतिघात XC बढ़ेगा जिसके परिणामस्वरूप चालन धारा (IC) घटेगी। परन्तु IC = ID, अत: विस्थापन धारा कम हो जाएगी।
वैद्युत चुम्बकीय तरंगें लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
वैद्युतचुम्बकीय तरंगें जिनकी तरंगदैर्ध्य –
(i) λ1 है, उपग्रह संचार में प्रयुक्त होती हैं। .
(ii) λ2 है, जलशोधित्रों में जीवाणुनाश के लिए प्रयुक्त होती हैं।
(iii) λ3 है, भूमिगत पाइप लाइनों में तेल के रिसाव के संसूचन के लिए उपयोग में लायी जाती हैं।
(iv) λ4 है, धुंध और कोहरे की स्थिति में वायुयान उड़ान पथ पर दृश्यता में सुधार लाने के लिए उपयोग में लायी जाती हैं।
(a) इन वैद्युतचुम्बकीय विकिरणों को पहचानिए और बताइए कि ये वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किस भाग से सम्बन्धित हैं।
(b) इन तरंगदैर्यों को परिमाण के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
(c) प्रत्येक की एक अन्य उपयोगिता लिखिए।
उत्तर :
(a) λ1 → सूक्ष्म तरंगें या माइक्रोवेव
λ2 → पराबैंगनी तरंगें
λ3 → x-किरणें
λ4 → अवरक्त किरणें
(b) λ3 < λ2 < λ4 < λ1
(c) सूक्ष्म तरंगें → रेडार
पराबैंगनी तरंगें → नेत्र शल्यता
x-किरणें → अस्थिभंग क्रमवीक्ष्ण
अवरक्त किरणें → प्रकाशीय संचार
वैद्युत चुम्बकीय तरंगें आंकिक प्रस्नोत्तर
प्रश्न 1.
आपको एक 2 μF का समान्तर प्लेट संधारित्र दिया गया है। आप इसकी प्लेटों के बीच के अन्तराल में 1 मिलीऐम्पियर की तात्क्षणिक विस्थापन धारा कैसे स्थापित करेंगे?
हल :
दिया हैं, C = 2 μF = 2 × 10-6F, ID = 10-3 मिलीऐम्पियर
विस्थापन धारा (ID) = C \(\frac{d V}{d t}\) × 1 × 10-3 = 2 × 10-6 \(\frac{d V}{d t}\)
∴ \(\frac{d V}{d t}\) = \(\frac{1}{2}\) × 103 = 500 वोल्ट/सेकण्ड
अत: 500 वोल्ट/सेकण्ड की दर से परिवर्तित विभवान्तर लगाकर लक्षित विस्थापन धारा उत्पन्न सकेगी।