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MP Board Class 12th Special Hindi काव्य-बोध प्रश्नोत्तर
(क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय
प्रश्न
1. समस्त भाव प्रधान साहित्य कहलाता है
(अ) काव्य,
(ब) गद्य,
(स) गद्य-काव्य,
(द) दोहा।
उत्तर-
(अ) काव्य,
2. ‘वाक्यं रसात्मकं काव्यम्’ परिभाषा है
(अ) आचार्य विश्वनाथ की,
(ब) पण्डितराज जगन्नाथ की,
(स) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की,
(द) भामह की।
उत्तर-
(अ) आचार्य विश्वनाथ की,
3. ‘रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्’ परिभाषा है
(अ) आचार्य विश्वनाथ की,
(ब) पण्डितराज जगन्नाथ की,
(स) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की,
(द) भामह की।
उत्तर-
(ब) पण्डितराज जगन्नाथ की,
4. ‘वक्रोक्ति काव्यस्य जीवितम्’ परिभाषा है
(अ) आचार्य विश्वनाथ की,
(ब) पण्डितराज जगन्नाथ की,
(स) कुन्तक की,
(द) भामह की।
उत्तर-
(स) कुन्तक की,
5. सामान्यतया काव्य के कुल इतने भेद बताये गये हैं?
(अ) एक,
(ब) दो,
(स) तीन,
(द) चार।
उत्तर-
(द) चार।
6. मुक्तक काव्य में होता है
(अ) छन्दों का पूर्वापर सम्बन्ध,
(ब) वृहत् कथा अंकन,
(स) छन्द का स्वतः पूर्ण,
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(स) छन्द का स्वतः पूर्ण,
7. प्रबन्ध काव्य के भेद हैं
(अ) एक,
(ब) दो,
(स) तीन,
(द) चार।
उत्तर-
(ब) दो,
8. महाकाव्य में होता है
(अ) जीवन का खण्ड चित्रण,
(ब) जीवन का वृहत् चित्रण,
(स) जीवन का चित्रण नहीं,
(द) युद्ध का चित्रण।
उत्तर-
(ब) जीवन का वृहत् चित्रण,
9. दृश्य काव्य के अन्तर्गत आते हैं
(अ) नाटक और प्रहसन,
(ब) नाटक और कहानी,
(स) नाटक और व्यंग्य,
(द) प्रहसन और कहानी।
उत्तर-
(अ) नाटक और प्रहसन,
10. काव्य के मुख्य रूप से गुण हैं
(अ) एक,
(ब) दो,
(स) तीन,
(द) चार।
उत्तर-
(स) तीन,
11. चित्त की उत्तेजना वृत्ति से सम्बन्ध होता है ([2012]
(अ) ओज गुण का,
(ब) प्रसाद गुण का,
(स) माधुर्य गुण का,
(द) किसी का नहीं।
उत्तर-
(अ) ओज गुण का,
12. “राजा शिवराज के नगारन की धाक सुनि केते बादशाहन की छाती दरकति है।” में गुण
(अ) माधुर्य गुण,
(ब) ओज गुण,
(स) प्रसाद गुण,
(द) कोई नहीं।
उत्तर-
(ब) ओज गुण,
13. “हे प्रभो आनन्ददाता ! ज्ञान हमको दीजिए।” में गुण है
(अ) माधुर्य गुण,
(ब) प्रसाद गुण,
(स) ओज गुण,
(द) कोई नहीं।
उत्तर-
(ब) प्रसाद गुण,
14. भावों के उद्वेलन के लिए कितने अवयव बताये गये हैं?
(अ) एक,
(ब) दो,
(स) तीन,
(द) सात।
उत्तर-
(स) तीन,
15. उत्तेजना के मूल काव्य को कहते हैं
(अ) विभाव,
(ब) अनुभाव,
(स) उद्दीपन,
(द) संचारी भाव।
उत्तर-
(अ) विभाव,
16. करुण रस का स्थायी भाव है [2012]
(अ) उत्साह,
(ब) शोक,
(स) विस्मय,
(द) जुगुप्सा।
उत्तर-
(ब) शोक,
17. वीर रस का स्थायी भाव है [2014]
(अ) क्रोध,
(ब) रौद्र,।
(स) उत्साह,
(द) शोक।
उत्तर-
(स) उत्साह,
18. “खूब लड़ी मरदानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी।” में रस है
(अ) रौद्र,
(ब) भयानक,
(स) वीर,
(द) करुण।
उत्तर-
(स) वीर,
19. काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्द कहलाते हैं [2015]
(अ) शब्द-शक्ति
(ब) छन्द,
(स) गुण,
(द) अलंकार।
उत्तर-
(द) अलंकार।
20. जहाँ कारण के बिना भी कार्य होता है, वहाँ अलंकार है [2016]
(अ) विभावना,
(ब) विशेषोक्ति,
(स) व्यतिरे 5,
(द) विरोधाभास।
उत्तर-
(अ) विभावना,
21. ‘कवित्त’ के प्रत्येक चरण में वर्ण होते हैं [2010]
(अ) 31,
(ब) 33,
(स) 36,
(द) 28.
उत्तर-
(अ) 31,
22. दुर्मिल सवैया में वर्गों की संख्या होती है [2017]
(अ) छब्बीस,
(ब) अट्ठाईस,
(स) बत्तीस,
(द) चौबीस।
उत्तर-
(द) चौबीस।
रिक्त स्थानों की पूर्ति
1. ………………….. ने काव्य को ‘सगुणावलंकृतौ पुनः क्वापि’ कहा है।
2. …………………..” काव्य के दो भेद,महाकाव्य और खण्डकाव्य हैं।
3. आदिकवि वाल्मीकि कृत रामायण एक ………………….. है।
4. ………………….. महाकाव्य के एक देश या अंश का अनुसरण करने वाला है।
5. जिस काव्य में गद्य तथा पद्य मिश्रित रूप से प्रयुक्त होता है, उसे ………………….. काव्य कहते हैं।
6. ………………….. “काव्य के अन्तर्गत नाटक और प्रहसन आते हैं।
7. साहित्य में काव्य के ………………….. गुण प्रमुख हैं।
8. जिस काव्य-रचना को सुनने से मन में उत्तेजना पैदा होती है, उस कविता में ………………….. गुण होता है।
9. सहृदय के हृदय में स्थित अस्थायी भाव को ………………….. कहते हैं। [2011]
10. आश्रय की बाह्य शारीरिक चेष्टाएँ ………………….. कहलाती हैं। [2010]
11. ‘शान्त रस’ का स्थायी भाव ………………….. है।
12. ‘वीभत्स रस’ का स्थायी भाव ………………….. है। [2017]
13. आचार्यों के अनुसार दसवाँ रस ………………….. रस है।
14. काव्य में जहाँ एक शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,वहाँ ………………….. अलंकार होता है।
15. जहाँ कारण के बिना या कारण के विपरीत कार्य की उत्पत्ति का वर्णन किया जाये, वहाँ ………………….. अलंकार होता है।
16. ………………….. के दो प्रकार,मात्रिक और वर्णिक होते हैं।
17. जिन छन्दों में मात्राएँ गिनी जाती हैं, ………………….. छन्द कहलाते हैं।
18. कवित्त छन्द के प्रत्येक चरण में ………………….. होते हैं।’ [2014]
19. रोला और उल्लाला से मिलकर बनने वाला छन्दः ………………….. “है। [2016]
20. छप्पय छन्द …………………. से मिलकर बनता है। [2012]
21. ………………….. सवैया के प्रत्येक चरण में सात सगण और दो गुरु होते हैं।
उत्तर–
1. मम्मट, 2. प्रबन्ध, 3. महाकाव्य, 4. खण्डकाव्य, 5. चम्पू, 6. दृश्य, 7. तीन, 8. ओज,
9. संचारी भाव, 10. अनुभाव,11. निर्वेद, 12. जुगुप्सा, 13. वात्सल्य, 14. श्लेष, 15. विभावना,
16. छन्द, 17. मात्रिक, 18. 31 वर्ण, 19. छप्पय, 20. रोला व उल्लाला, 21. मत्तगयंद।
सत्य/असत्य
1. प्रबन्ध काव्य के दो भेद,महाकाव्य और खण्डकाव्य होते हैं।
2. महाकाव्य में सम्पूर्ण जीवन का चित्रण होता है। [2017]
3. महाकाव्य का कलेवर विस्तृत होता है। [2011]
4. श्याम नारायण पाण्डेय द्वारा रचित ‘हल्दी घाटी का युद्ध’ एक सुप्रसिद्ध महाकाव्य है।
5. चम्पू काव्य के अन्तर्गत नाटक और प्रहसन आते हैं।
6. जिसमें गद्य तथा पद्य मिश्रित रूप से प्रयुक्त होता है,उसे चम्पू काव्य कहते हैं।
7. ‘प्रेमभक्ति ‘ का मूल आधार ‘रति’ है। [2009]
8. ओज गुण शांत रस की कविताओं में पाया जाता है। [2010]
9. प्रसाद गुण की रचना में ‘ट’ वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण) और सभी कठोर व्यंजनों का आधिक्य होता है।
10. माधुर्य गुण का सम्बंध चित्त की उत्तेजना वृत्ति से है। [2014]
11. हास्य रस का स्थायी भाव हास होता है।
12. भयानक रस का स्थायी भाव विस्मय होता है।
13. शान्त रस का स्थायी भाव निर्वेद है।
14. श्रृंगार रस का स्थायी भाव ह्रास होता है। [2009]
15. वीर रस का स्थायी भाव क्रोध होता है। [2009]
16. करुण रस का स्थायी भाव शोक होता है। [2016]
17. कविता का आभूषण अलंकार है। [2009]
18. जब एक ही शब्द की भिन्न अर्थ में आवृत्ति होती है,तो वहाँ यमक अलंकार होता है।
19. जहाँ किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु को लक्ष्य में रखकर कोई बात किसी दूसरे के लिये कही जाती है,वहाँ व्याजनिन्दा अलंकार होता है।
20. समस्त प्रसिद्धकरण के उपस्थित रहने पर भी कार्य सम्पन्न न हो, वहाँ विभावना अलंकार होता है। [2009]
21. जहाँ कारण के न रहते हुए भी कार्य हो जाता है, वहाँ विभावना अलंकार होता है। [2009]
22. जहाँ कारण के बिना कार्य का होना कहा जाता है,वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है। [2012]
23. मात्रिक छन्द और वर्णिक छन्द,छन्द के दो प्रकार हैं।
24. बाईस से लेकर छब्बीस वर्षों तक के छन्द सवैया कहलाते हैं। [2012]
25. रोला और उल्लाला छन्दों के मिलने से छप्पय छन्द बनता है।
26. कविता पढ़ते समय विराम या रुकने को तुक कहते हैं। [2011]
उत्तर-
1. सत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. असत्य, 6. सत्य, 7. सत्य, 8. असत्य, 9. असत्य, 10. असत्य,
11. सत्य, 12. असत्य, 13. सत्य, 14. असत्य, 15. असत्य, 16. सत्य, 17. सत्य, 18. सत्य, 19. असत्य,
20. असत्य, 21. सत्य, 22. असत्य, 23. सत्य, 24. सत्य, 25. सत्य, 26. असत्य।
सही जोड़ी मिलाइये
उत्तर-
(1) → (स),
(2) → (इ),
(3) → (ब),
(4) → (अ),
(5) → (द)।
उत्तर-
(1) → (अ),
(2) → (स),
(3) → (इ),
(4) → (ब),
(5) → (द)।
उत्तर-
(1) → (द),
(2) → (अ),
(3) → (इ),
(4) → (स),
(5) → (ब)।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
प्रश्न 1.
काव्य के कितने भेद होते हैं? [2015]
उत्तर-
काव्य के दो भेद होते हैं।
प्रश्न 2.
विस्तृत कलेवर वाले काव्य को क्या कहते हैं? [2012]
उत्तर-
महाकाव्य।
प्रश्न 3.
जिस काव्य के छन्दों का पूर्वापर सम्बन्ध न हो, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर-
मुक्तक काव्य।
प्रश्न 4.
गद्य-पद्य मिश्रित रचना को क्या नाम दिया गया है?
उत्तर-
चम्पू काव्य।
प्रश्न 5.
जिस रचना को सुनने से चित्त में उत्तेजना पैदा होती हो, उसमें कौन-सा गुण होता
उत्तर-
ओज गुण।
प्रश्न 6.
रस के अंगों के नाम लिखिए। [2016]
उत्तर-
(1) स्थायी भाव,
(2) विभाव,
(3) अनुभाव,
(4) संचारी या व्यभिचारी भाव।
प्रश्न 7.
वीभत्स रस का स्थायी भाव क्या है? [2009]
उत्तर-
जुगुप्सा (घृणा)।
प्रश्न 8.
उत्तेजना के मूल कारण को क्या कहते हैं?
उत्तर-
विभाव।
प्रश्न 9.
दसवाँ रस किसे माना गया है? [2012]
उत्तर-
वात्सल्य रस को।
प्रश्न 10.
वात्सल्य रस को दसवें रस के रूप में स्थापित करने वाले कवि का क्या नाम [2009]
उत्तर-
सूरदास।
प्रश्न 11.
जहाँ उपमेय को उपमान से भी श्रेष्ठ बताया जाये, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है? [2014]
उत्तर-
व्यतिरेक।
प्रश्न 12.
जब कथन में देखने और सुनने पर निन्दा सी जान पड़े किन्तु वास्तव में प्रशंसा हो, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है? [2010]
उत्तर-
व्याजस्तुति।
प्रश्न 13.
जहाँ किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु को लक्ष्य में रखकर किसी अन्य से कोई बात कही जाये, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है? 2017]
उत्तर-
अन्योक्ति अलंकार।
प्रश्न 14.
रोला और उल्लाला के संयोग से कौन-सा छन्द बनता है?
उत्तर-
छप्पय छन्द।
प्रश्न 15.
दुर्मिल सवैया का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर-
चन्द्रकला।
प्रश्न 16.
आधुनिक काल के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए। [2012]
उत्तर-
‘प्रिय प्रवास’ तथा ‘कामायनी’।
(ख) अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
हिन्दी के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर-
रामचरितमानस’ तथा ‘पद्मावत’ हिन्दी के श्रेष्ठ महाकाव्य हैं।
प्रश्न 2.
‘वाक्यं रसात्मकं काव्यम्’ किसकी परिभाषा है?
उत्तर-
रसात्मकं वाक्यं काव्यम्’ आचार्य विश्वनाथ द्वारा दी गई काव्य की परिभाषा है।
प्रश्न 3.
पण्डितराज जगन्नाथ ने काव्य की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर-
पण्डितराज जगन्नाथ ने काव्य की परिभाषा देते हुए लिखा है-‘रमणीयार्थ प्रति पादकः शब्दः काव्यम्’ अर्थात् रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द ही काव्य कहलाते हैं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्ति में गुण बताइये हे,प्रभो आनन्ददाता ! ज्ञान हमको दीजिए।’
उत्तर-
इस पंक्ति में प्रसाद गुण’ है।
प्रश्न 5.
ओज गुण से युक्त कोई दो पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर-
ओज गुण से युक्त दो पंक्तियाँ इस प्रकार हैं-
“बुन्देले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥”
प्रश्न 6.
वीर रसपूर्ण काव्य में किस गुण की अधिकता रहती है?
उत्तर-
वीर रसपूर्ण काव्य में ओज गुण’ की अधिकता रहती है।
प्रश्न 7.
माधुर्य गुण युक्त काव्य में कैसे वर्णों का प्रयोग होता है?
उत्तर-
माधुर्य गुण युक्त काव्य में य,र,ल,ग,ज आदि कोमल वर्गों का प्रयोग होता है।
प्रश्न 8.
प्रसाद गुण युक्त काव्य में कैसे शब्दार्थ का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
प्रसाद गुण युक्त काव्य में सरल शब्दार्थ का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 9.
माधुर्य गुण किन रसों से युक्त काव्य में होता है?
उत्तर-
करुण, शृंगार या शान्त रसों से युक्त काव्य में माधुर्य गुण होता है।
(ग) लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संस्कृत के किस आचार्य की काव्य की परिभाषा अधिक मान्य है?
उत्तर-
संस्कृत के कई आचार्यों ने काव्य की परिभाषा दी है। किसी ने शब्द और अर्थ को, किसी ने अलंकार को तो किसी ने ध्वनि को महत्त्व दिया है। किन्तु आचार्य विश्वनाथ द्वारा दी
गई ‘वाक्यं रसात्मकं काव्यम्’ परिभाषा अधिकांशतः मान्य है।
प्रश्न 2.
काव्य की परिभाषा देते हुए उसके भेद बताइए। [2012]
उत्तर-
काव्य की परिभाषा लघु प्रश्न 1 का उत्तर देखें।
अथवा
काव्य के प्रमुख भेद कौन-से माने गये हैं?
उत्तर-
भारतीय आचार्यों ने काव्य के दो प्रकार माने हैं—
(i) श्रव्य काव्य,
(ii) दृश्य काव्य।
(i) श्रव्य काव्य-जिस काव्य की आनन्दानुभूति पढ़ने या सुनने से होती है, उसे श्रव्य काव्य कहते हैं। जैसे-कविता, कहानी आदि।
(ii) दृश्य काव्य-जिस काव्य की अनुभूति अभिनय आदि देखकर होती है, उसे दृश्य काव्य कहते हैं, जैसे- नाटक, प्रहसन आदि।
प्रश्न 3.
प्रबन्ध काव्य के प्रमुख भेद कौन-से हैं?
उत्तर-
प्रबन्ध काव्य के दो भेद माने गये हैं-
(i) महाकाव्य,
(i) खण्डकाव्य।
प्रश्न 4.
महाकाव्य का परिचय दीजिए।
अथवा
महाकाव्य किसे कहते हैं? उसके दो लक्षण भी लिखिए।
अथवा
आचार्य विश्वनाथ के अनुसार काव्य की परिभाषा लिखते हुए महाकाव्य के प्रमुख लक्षण बताइए। [2009]
उत्तर-
काव्य की परिभाषा-लघु प्रश्न 1 का उत्तर देखें।
महाकाव्य एवं उसके लक्षण-यह एक प्रबन्ध काव्य है। इसके अन्तर्गत किसी नायक विशेष की चरित्र विषयक विशेषताओं का उल्लेख होता है। इसके कलेवर में अनेक अध्याय (सर्ग), विभिन्न रस एवं छन्दों का प्रयोग किया जाता है। तुलसीदास कृत ‘रामचरितमानस’ अयोध्या सिंह हरिऔध द्वारा रचित ‘प्रिय प्रवास’ महाकाव्य की कोटि में आते हैं।
प्रश्न 5.
महाकाव्य एवं खण्डकाव्य में तीन अन्तर बताइए। [2014]
अथवा
महाकाव्य एवं खण्डकाव्य में दो अन्तर बताइए तथा दोनों काव्यों का एक-एक नाम लिखते हुए उनके रचनाकारों के नाम लिखिए।
अथवा [2009]
हिन्दी के दो खण्डकाव्य एवं उनके रचनाकारों के नाम लिखिए। [2016]
उत्तर-
(1) महाकाव्य का कलेवर वृहद् (विशाल) होता है,जबकि खण्डकाव्य का आकार सीमित होता है।
(2) महाकाव्य में जीवन का समग्ररूपेण अंकन होता है, जबकि खण्डकाव्य में जीवन के किसी एक खण्ड (पक्ष) का विवरण होता है।
(3) महाकाव्य में श्रृंगार, वीर अथवा शान्त रस में से किसी एक रस की प्रधानता होती है, जबकि खण्डकाव्य में अनेक रस असमग्र रूप से प्रवाहमान रहते हैं या रस विशेष का चित्रण पूर्णरूपेण चित्रित होता है।
महाकाव्य- रामचरितमानस (तुलसीदास)व कामायनी (जयशंकर प्रसाद)।
खण्डकाव्य-मेघदूत (कालिदास) व पंचवटी (मैथिलीशरण गुप्त)।
प्रश्न 6.
प्रबन्ध काव्य तथा मुक्तक काव्य में अन्तर बताइए।
उत्तर-
प्रबन्ध काव्य में छन्दों का पूर्वापर सम्बन्ध होता है। इसमें छन्दों का क्रम बदलना सम्भव नहीं है जबकि मुक्तक काव्य में प्रत्येक छन्द का स्वतः पूर्ण अर्थ होता है। ये किसी क्रम से संचालित नहीं होते हैं। रामचरितमानस,प्रिय प्रवास प्रबन्ध काव्य हैं तथा बिहारी सतसई,सूर सागर मुक्तक रचनाओं के ग्रन्थ हैं।
प्रश्न 7.
मुक्तक काव्य की दो विशेषताएँ बताते हुए एक मुक्तक काव्य रचना का नाम लिखिए।
उत्तर-
मुक्तक काव्य की दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं
(i) मुक्तक काव्य के प्रत्येक छन्द का अर्थ स्वयं में पूर्ण होता है। इसके छन्दों का पूर्वापर सम्बन्ध नहीं होता है।
(ii) मुक्तक काव्य के छन्द किसी क्रम से संचालित नहीं होते हैं। ‘बिहारी सतसई’ हिन्दी की श्रेष्ठ मुक्तक काव्य कृति है।।
प्रश्न 8.
गुण कितने प्रकार के होते हैं? इनके नाम बताइए।
अथवा
साहित्य में काव्य के प्रमुख गुण कितने माने गये हैं? ओज गुण की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
अथवा [2009]
माधुर्य गुण की परिभाषा लिखिए।
अथवा [2017]
ओज गुण तथा माधुर्य गुण का एक-एक उदाहरण लिखिए। [2012]
उत्तर-
गुण तीन प्रकार के माने गये हैं-
(i) माधुर्य,
(ii) ओज एवं
(iii) प्रसाद।
(i) माधुर्य-जिस काव्य के सुनने या पढ़ने से मन पुलकित हो उठे और कानों को मधुर प्रतीत हो, वहाँ माधुर्य गुण होता है।
उदाहरण-
“अनुराग भरे हरि बागन में, सखि रागत राग अचूकनि सों।”
(ii) ओज-जिस काव्य के सुनने या पढ़ने से चित्त की उत्तेजना वृत्ति जाग्रत हो,वह रचना ओज गुण सम्पन्न होती है।
उदाहरण-
“बुन्देले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।”
(iii) प्रसाद-जिस रचना के सुनने या पढ़ने से हृदय प्रभावित हो, बुद्धि निर्मल बने,मन खिल उठे,उसमें प्रसाद गुण होता है।
उदाहरण-
“तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर,प्रभु मेरा जीवन हो सुन्दर।’
प्रश्न 9.
रस की निष्पत्ति में सहायक तत्त्वों के नाम लिखिए। [2012]
उत्तर-
रस की निष्पत्ति में सहायक तत्त्व हैं-
(1) स्थायी भाव,
(2) विभाव,
(3) अनुभाव, तथा
(4) संचारी भाव।
प्रश्न 10.
स्थायी भाव व संचारी भाव (व्यभिचारी भाव) में क्या अन्तर है?
उत्तर-
मानव-हृदय (आश्रय) में सुषुप्त-रूप में रहने वाले मनोभावों को काव्य में ‘स्थायी भाव’ कहा जाता है। ये स्थायी रूप से हृदय में विद्यमान रहते हैं, इसलिए इनको स्थायी भाव कहते हैं। इन स्थायी भावों के साथ-साथ हृदय में अन्य अनन्त भाव जाग्रत तथा विलीन होते रहते हैं। इनको काव्य में संचारी या व्यभिचारी भाव कहते हैं। ये स्थायी भाव के सहायक के रूप में आते हैं।
प्रश्न 11.
अद्भुत रस को उदाहरण देकर समझाइए।
अथवा
अद्भुत रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। [2009]
उत्तर-
अलौकिक प्रसंग की प्रतीति से उत्पन्न विस्मय अद्भुत-रस की व्यंजना कराता है।
उदाहरण-
“सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है।
कि सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है।”
प्रश्न 12.
करुण रस की परिभाषा उदाहरण देते हुए लिखिए। [2009]
उत्तर-
सहृदय के हृदय में शोक नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव, संचारी भाव के साथ संयोग होता है,तो वह करुण रस का रूप ग्रहण कर लेता है।
उदाहरण-
“प्रिय वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है?
दुःख जलनिधि में डूबी का सहारा कहाँ है?
लख मुख जिसका आज जी सकी हूँ,
वह हृदय हमारा नयन तारा कहाँ है?”
प्रश्न 13.
रौद्र रस को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर-
अपना अनिष्ट या अनादर होने के फलस्वरूप उत्पन्न क्रोध से रौद्र रस की उत्पत्ति होती है।
उदाहरण-
“श्रीकृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।”
प्रश्न 14.
हास्य रस की परिभाषा सोदाहरण लिखिए। [2013, 15]
उत्तर-
अनोखी वेशभूषा, आकार,वाणी तथा कार्य को निहारकर जो हास का भाव उत्पन्न होता है,वही हास्य रस की अभिव्यक्ति कराता है।
उदाहरण-
“फादर ने बनवा दिए तीन कोट छ: पेण्ट।
बेटा मेरा हो गया कॉलेज स्टूडेण्ट॥”
प्रश्न 15.
वात्सल्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए। [2017]
उत्तर-
पुत्र,शिष्य आदि के प्रति स्नेह व्यक्त करने की दशा में वात्सल्य रस माना जाता है।
उदाहरण-
‘जसोदा हरि पालने झुलावै।’
प्रश्न 16.
शान्त रस की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए। [2009]
अथवा
शान्त रस का उदाहरण लिखिए। [2014]
उत्तर-
संसार की निस्सारता तथा इसकी वस्तुओं की नश्वरता का अनुभव करते हृदय में वैराग्य या निर्वेद भाव उत्पन्न होता है। यही निर्वेद स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव के संयोग से शान्त रस के रूप में परिणत होता है।
उदाहरण-
“मन रे ! परस हरि के चरण
सुभग सीतल कमल कोमल,
त्रिविधि ज्वाला हरण।”
प्रश्न 17.
भयानक रस की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए।
अथवा
भयानक रस का उदाहरण दीजिए। [2016]
उत्तर-
भय नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव,संचारी भाव से संयोग होता है, तब वह भयानक रस का रूप ग्रहण कर लेता है।
उदाहरण-
लपट कराल, ज्वाल, माल चहुँ दिशि।
धूम अकुलाने,पहिचाने कौन काहि रे।
प्रश्न 18.
छन्द की परिभाषा देते हुए उसके भेद बताइए।
उत्तर-
वर्ण, मात्रा, यति, गति, तुक आदि का ध्यान रखकर की गई शब्द रचना छन्द कहलाती है। इससे कविता में प्रवाह,संगीतात्मकता तथा प्रभावशीलता आ जाती है। वर्ण तथा मात्रा के आधार पर छन्द दो-वर्णिक एवं मात्रिक प्रकार के होते हैं। वर्णिक छन्दों में वर्गों की गणना की जाती है तथा मात्रिक छन्दों में मात्राओं की गणना की जाती है।
प्रश्न 19.
अलंकार की परिभाषा देते हुए उसके भेद बताइए।
उत्तर-
आचार्य दण्डी ने लिखा है-‘काव्य शोभाकरान्त धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते’ अर्थात् काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने वाले धर्म अलंकार कहलाते हैं।
शब्द और अर्थ के आधार पर अलंकारों के तीन प्रकार माने गये हैं-
(i) शब्दालंकार,
(ii) अर्थालंकार व
(ii) उभयालंकार।
प्रश्न 20.
अलंकारों के प्रकारों पर प्रकाश डालिए। उत्तर-अलंकारों के तीन प्रकारों का परिचय इस प्रकार है
(1) शब्दालंकार जहाँ शब्द से काव्य की शोभा बढ़ती है, वहाँ शब्दालंकार होता है, जैसे-अनुप्रास, यमक,श्लेष आदि।
(2) अर्थालंकार-जिनमें अर्थ के कारण सौन्दर्य वृद्धि होती है,वे अर्थालंकार कहलाते हैं, जैसे-उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि।
(3) उभयालंकार-कुछ अलंकारों में शब्द और अर्थ दोनों का चमत्कार विद्यमान रहता है,वे उभयालंकार कहलाते हैं।
प्रश्न 21.
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा सोदाहरण लिखिए। [2015]
उत्तर-
परिभाषा-जिस रचना में व्यंजन वर्णों की आवृत्ति (आगमन) एक या दो बार से अधिक होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण-
चारु चन्द्र की चंचल किरणें।
खेल रही हैं जल-थल में।
यहाँ ‘च’ वर्ण की आवृत्ति कई बार होने के कारण अनुप्रास अलंकार है।
प्रश्न 22.
विभावना और विशेषोक्ति अलंकार में अन्तर उदाहरण सहित लिखिए।
अथवा [2010, 12]
विभावना अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण लिखिए। [2017]
उत्तर-
जहाँ कारण के बिना या कारण के विपरीत कार्य की उत्पत्ति का वर्णन किया जाये वहाँ विभावना अलंकार होता है,जबकि जहाँ कारण के उपस्थित होने पर भी कार्य नहीं होता, वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण :
विभावना-बिनु पद चलै, सुने बिनु काना,
कर बिनु करम करें विधि नाना।
विशेषोक्ति-जल बिच मीन पियासी।
प्रश्न 23.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार लिखिए
(i) देह धरे का गुन यही, देह देह कछु देह।
बहुरि न देही पाइये, अबकी देह सुदेह॥
(ii) ‘जे रहीम गति दीप की,कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो करै, बढ़े अँधेरो होय॥
(iii) गंगा क्यों टेढ़ी चलती हो,
दुष्टों को शिव कर देती हो।
(iv) राम साधु, तुम साधु सुजाना।
राम मातु भलि में पहिचाना॥
(v) मूरख हृदय न चेत,
जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम।
(vi) बिनु पद चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु करम करै बिधि नाना॥
उत्तर-
(i) यमक अलंकार,
(ii) श्लेष अलंकार,
(ii) व्याजस्तुति अलंकार,
(iv) व्याजनिन्दा अलंकार,
(v) विशेषोक्ति अलंकार,
(vi) विभावना अलंकार।
प्रश्न 24.
रोला छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। [2015]
उत्तर-
परिभाषा-इसके चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं तथा 11 और 13 मात्राओं पर यति होती है। इसके अन्त में प्रायः दो गुरु होते हैं।
उदाहरण-
निज उज्जवल जलधार, हार हीरक सी सोहति।
बिच-बिच छहरति बूंद,मध्य मुक्तामनि पोहति॥
लोल लहर लहि पवन, एक पै इक इमि आवत।
जिमि नरगन मन विविध,मनोरथ करत मिटावत॥
प्रश्न 25.
छप्पय छन्द को सोदाहरण परिभाषित कीजिए। [2009, 1])
उत्तर-
परिभाषा-इस विषम मात्रिक छन्द में छह चरण होते हैं। इसके प्रथम चार चरण रोला और दो चरण उल्लाला के होते हैं। रोला के प्रत्येक चरण में 11-13 की यति पर 24 मात्राएँ और उल्लाला के हर चरण में 15-13 की यति पर 28 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण
जहाँ स्वतन्त्र विचार न बदलें मन में मुख में,
जहाँ न बाधक बनें सबल निबलों के सुख में।
सबको जहाँ समान निजोन्नति का अवसर हो।
शान्तिदायिनी निशा, हर्षसूचक वासर हो।
सब भाँति सुशासित हों जहाँ, समता के सुखकर नियम।
बस उसी स्वशासित देश में जागे हे जगदीश हम॥
प्रश्न 26.
सवैया और कवित्त में कितने वर्ण होते हैं?
अथवा
सवैया छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। [2009, 14]
अथवा
कवित्त छन्द की परिभाषा व उदाहरण लिखिए। [2009, 16]
उत्तर-
सवैया-इसके अन्तर्गत 22 से लेकर 26 वर्ण प्रयक्त होते हैं। इसके कई प्रकार हैं। यहाँ दुर्मिल सवैया का उदाहरण दिया जा रहा है
उदाहरण-
पुर तें निकसीं रघुवीर बधू धरि धीर दये मग में डग द्वै।
झलकी भरि भालकनी जल की पुट सूखि गये मधुराधर वै।
फिर बूझति हैं चलनौ अब केतिक पर्णकुटी करिहौ कित है।
तिय की लखि आतुरता पिय की अँखियाँ अति चारु चली जलच्च।
कवित्त-इसके प्रत्येक चरण में 16 एवं 15 के विराम से 31 वर्ण प्रयुक्त किये जाते हैं। हर चरण का आखिरी वर्ण गुरु होता है।
उदाहरण-
झहरि-झहरि झीनी बूंद हैं परति मानो,
घहरि-घहरि घटा घेरी है गगन में।
आनि कयौ स्याम मोसों चलौ झूलिबे को आज,
फूलि न समानी भई, ऐसी हौं मगन में।
चाहति उद्योई उठि गयी सो निगोड़ी नींद,
सोय गए भाग मेरे जागि वा जगन में।
आँखि खोल देखौ तौ न घन हैं न घनस्याम,
वेई छाई बूंदें मेरे आँसू है दृगन में।
प्रश्न 27.
दुर्मिल सवैया की परिभाषा उदाहरण देते हुए लिखिए। [2009, 11]
अथवा
दुर्मिल सवैया के लक्षण लिखिए।
उत्तर-
दुर्मिल सवैया के हर चरण में आठ सगण पाये जाते हैं। वर्ण संख्या 24 मानी गयी है। इसका दूसरा नाम चन्द्रकला भी है।
उदाहरण-
इसके अनुरूप कहैं किसको, वह कौन सुदेश समुन्नत है।
समझे सुरलोक समान इसे,उनका अनुमान असंगत है।
कवि कोविद वृन्द बखान रहे,सबका अनुभूत यही मत है।
उपमान विहीन रचा विधि ने,बस भारत के सम भारत है।
प्रश्न 28.
मत्तगयंद सवैया की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। [2010, 17]
उत्तर-
इसके प्रत्येक चरण में सात सगण और दो गुरु होते हैं।
उदाहरण-
या लकुटी अरु कमरिया पर राज तिहुपुर को तज डारौं।
आठहुँ सिद्धि नवौं निधि को सुख नन्द की गाय चराइ विसारों।
रसखान कबौं इन आँखिन सौं ब्रज के वन बाग तड़ाग निहारौं।
कौटिक हूँ कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर बारौं।