MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 8 परोपकारः

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MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 8 परोपकारः

MP Board Class 6th Sanskrit Chapter 8 अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) के जलं वर्षन्ति? (जल कौन बरसाते हैं?)
उत्तर:
मेघाः (बादल)

(ख) कः देशरक्षां करोति? (देश की रक्षा कौन करता है?)
उत्तर:
सैनिकः

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(ग) का भोजनं पचति? (भोजन कौन पकाती है?)
उत्तर:
माता (माँ)

(घ) कः विद्याधनं ददाति? (विद्या और धन कौन देता है?)
उत्तर:
पिता (पिता)।

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) धनं किमर्थं भवति? (धन किसके लिए होता है?)
उत्तर:
धनं राष्ट्रविकासाय भवति। (धन राष्ट्र के विकास के लिए होता है।)

(ख) माता स्वपुत्र्यै किं यच्छति? (माता अपनी पुत्रियों को क्या देती है?)
उत्तर:
माता स्वपुत्र्यै सुसंस्कारं यच्छति। (माता अपनी पुत्रियों को सुसंस्कार देती है।)

(ग) परोपकाराय के फलानि यच्छन्ति? (परोपकार के लिए कौन फल देते हैं?)
उत्तर:
परोपकाराय वृक्षाः फलानि यच्छन्ति। (परोपकार के लिए वृक्ष फल देते हैं।)

प्रश्न 3.
उचितपरिवर्तनेन पूरयत (उचित परिवर्तन से पूरा करो)
(अ)
(क) परोपकारः………..।
(ख) जनकः ……….।
(ग) लाभ:………..।
(घ) विकासः………..।
(ङ) परिश्रमः……….।
उत्तर:
(क) परोपकाराय
(ख) जनकाय
(ग) लाभाय
(घ) विकासाय
(ङ) परिश्रमाय।

(आ)
(क) महिला……….।।
(ख) सरला………।
(ग) लता……….।
(घ) सुरक्षा……..।
(ङ) वसुधा ……….।
उत्तर:
(क) महिलायै
(ख) सरलायैः
(ग) लतायै
(घ) सुरक्षायै
(ङ) वसुधायै।

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(ङ)
(क) धनं………..।
(ग) फलं………..।
(ङ) स्वास्थ्यं………..।
(ख) ज्ञानं………..।
(घ) पुस्तकं………..।
उत्तर:
(क) धनाय
(ख) ज्ञानाय
(ग) फलाय
(घ) पुस्तकाय
(ङ) स्वास्थ्याय।

(ई)
(क) जननी………।
(ख) सखी ………..।
(ग) पुत्री………..।
(घ) शालिनी………..।
(ङ) नलिनी……….।
उत्तर:
(क) जनन्यै
(ख) सख्य
(ग) पुत्र्यै
(घ) शालिन्यै
(ङ) नलिन्यै।

प्रश्न 4.
बहुवचने परिवर्तयत (बहुवचन में बदलिए)
(क) पुत्राय
(ख) विकासाय
(ग) परिश्रमाय।
उत्तर:
(क) पुत्रेभ्यः
(ख) विकासेभ्यः
(ग) परिश्रमेभ्यः।

प्रश्न 5.
उचितपदेन रिक्तस्थानं पूरयत (उचित शब्द से रिक्त स्थानों को पूरा करो)
(क) मोहनः………… भोजनं ददाति। (भिक्षुकं/भिक्षुकाय)
(ख) धनं………….. भवति। (परोपकारेण/परोपकाराय)
(ग) शास्त्रं ………… अस्ति। (पण्डिताः/पण्डिताय)
(घ) भोजन …………. भवति। (स्वास्थ्यस्य/स्वास्थ्याय)
(ङ) महिला ………….. धनं ददाति। (निर्धने/निर्धनाय)
उत्तर:
(क) भिक्षुकाय
(ख) परोपकाराय
(ग) पण्डिताय
(घ) स्वास्थ्याय
(ङ) निर्धनाय।

प्रश्न 6.
प्रदत्तशब्दैः रेखाङ्कितशब्दान् आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (रेखांकित शब्दों को आधार बनाकर प्रश्न बनाओ)
(केभ्यः, किमर्थं, का, कानि)
(क) सूर्यः परोपकाराय तपति।
(ख) माता सर्वेभ्यः भोजनं पचति।
(ग) वृक्षेभ्यः फलानि जायन्ते।
(घ) प्रकृतिः सर्वेभ्यः सुखं ददाति।
उत्तर:
(क) सूर्य किमर्थं तपति?
(ख) माता केभ्यः भोजनं पचति?
(ग) वृक्षेभ्यः कानि जायन्ते?
(घ) का सर्वेभ्यः सुखं ददाति?

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योग्यताविस्तारः
1. ‘षष्ठी’-विभक्त्या सह ‘कृते’ शब्दस्य योगेन अपि चतुर्थी विभक्तिकार्यं भवति।
(षष्ठी विभक्ति के साथ ‘कृते’ शब्द के योग होने पर भी चतुर्थी विभक्ति का कार्य होता है।)
यथा-
रामस्य कृते – रामाय
बालिकायाः कृते – बालिकायै
वनस्य कृते – वनाय
छात्राणां कृते – छात्रेभ्यः
महिलानां कृते – महिलाभ्यः

2. श्लोकेभ्यः ‘चतुर्थी विभक्तिशब्दान्’ चिनुत। (श्लोकों से चतुर्थी विभक्ति के शब्दों को चुनो)
उत्तर:
चतुर्थी विभक्ति के शब्द :
(क)

  1. नागेन्द्रहाराय
  2. त्रिलोचनाय
  3. भमाङ्करागाय
  4. महेश्वराय
  5. नित्याय
  6. शुद्धाय
  7. दिगम्बराय
  8. तस्मै
  9. नकाराय
  10. शिवाय।

(ख)

  1. देव्यै
  2. महादैव्यै
  3. शिवायै
  4. प्रकृत्यै
  5. भद्रायै।

(ग)

  1. कुलितालकायै
  2. शेखराय
  3. दिव्याम्बरायै
  4. दिगम्बराय
  5. शिवायै
  6. शिवाय।

परोपकारः हिन्दी अनुवाद

परेषाम् उपकारः परोपकारः। सर्यः लोकहिताय तपति। नद्यः परोपकाराय वहन्ति। वृक्षाः परोपकाराय फलानि यच्छन्ति। मेघाः परोपकाराय जलं वर्षन्ति। वसुधा परोपकाराय भारं वहति। एवं प्रकृतिः परोपकाराय प्रेरयति। प्रकृत्यै वयं किं कुर्मः?

अनुवाद :
दूसरों की भलाई करना (ही) परोपकार होता है। सूर्य संसार के हित के लिए तपता है। नदियाँ परोपकार के लिए बहती हैं। वृक्ष दूसरों की भलाई के फल देते हैं। बादल दूसरों की भलाई के लिए जल को बरसाते हैं। पृथ्वी दूसरों की भलाई के लिए बोझा ढोती है। इसी तरह प्रकृति दूसरों की भलाई के लिए प्रेरणा देती है। प्रकृति के लिए हम क्या करें।

किं यूयं किश्चित् स्मरथ यत् एषा प्रकृतिः अस्मभ्यम् अहर्निशं सर्वं सुखं ददाति। यदा प्रकृत्याः सुरक्षायै वयं मानवाः किश्चिदपि कर्तुं शक्नुमः, तदा अस्माकं जीवन सुखकर भविष्यति। एतदर्थं जलसंरक्षणं, वायुसंरक्षणं, भूसंरक्षणम् च अवश्यमेव करणीयम्।

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अनुवाद :
क्या तुम्हें कुछ याद है कि यह प्रकृति हम सब को रात और दिन सभी सुखों को प्रदान करती है। जब प्रकृति की सुरक्षा के लिए हम सभी मनुष्य कुछ भी करने में समर्थ होते हैं, तब हमारा जीवन सुखकर होगा। इसके लिए जल संरक्षण, वायु-संरक्षण और भू-संरक्षण अवश्य ही करना चाहिए।

माता सर्वेभ्यः भोजनं पचति। भोजनं स्वाथ्यलाभाय भवति। स्वास्थ्यं ज्ञानायं परिश्रमाय च भवति। परिवारे पिता पुत्राय विद्याधनं ददाति। माता स्वपुत्र्यै सुसंस्कारं यच्छति।

अनुवाद :
माता सबके लिए भोजन पकाती है। भोजन स्वास्थ्य के लाभ के लिए होता है। स्वास्थ्य ज्ञान के लिए और परिश्रम के लिए होता है। परिवार में पिता पुत्र के लिए विद्या और धन दे देता है। माता अपनी पुत्रियों को सुसंस्कार देती है।

सैनिकः देशसुरक्षायै स्वशरीरस्य बलिदानं करोति। जनसेवकः समाजविकासाय सततं कार्यं करोति। परिश्रमः धनार्जनाय भवति। धनं राष्ट्रविकासाय, धर्माय, सुखाय च भवति। अतः परोपकारस्य विषये कथितम्-

परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः, परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
परोपकाराय दुहन्ति गावः, परोपकारार्थमिदं शरीरम्॥

अनुवाद :
सैनिक देश की सुरक्षा के लिए अपने शरीर का बलिदान करता है। जनसेवक समाज के विकास के लिए लगातार कार्य करता है। परिश्रम धन कमाने के लिए होता है। धन राष्ट्र के विकास के लिए, धर्म के लिए और सुख के लिए होता है। इसलिए परोपकार के विषय में कहा गया है

‘दूसरों की भलाई के लिए वृक्षों पर फल लगते हैं, दूसरों की भलाई के लिए नदियाँ बहती हैं। परोपकार के लिए गायों को दुहा जाता है, परोपकार के लिए ही यह शरीर होता है।’

परोपकारः शब्दार्थाः

वहन्ति = बहती हैं। फलन्ति = फल देती हैं। पचति = पकाती हैं। मेघाः = बादल। विनीतम् = विनम्र। दुहन्ति = दूध देती है। वर्षन्ति = बरसते हैं। सततम् = निरन्तर। यच्छति = देती है, देता है। धर्माय = धर्म के लिए। धनार्जनाय = धन कमाने के लिए। प्रकृत्यै = प्रकृति के लिए। प्रकृत्याः = प्रकृति की।

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