MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 3 मध्य प्रदेश की संगीत विरासत

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MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 3 मध्य प्रदेश की संगीत विरासत

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Chapter 3 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

Class 8 Hindi Chapter 3 Madhya Pradesh Ki Sangeet Virasat प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए
उत्तर
ध्रुपद = गायन की एक विशेष शैली; विरासत = उत्तराधिकार में प्राप्त; प्रणेता = रचनाकार; गुरुभाई = एक ही गुरु के शिष्य आपस में गुरुभाई कहलाते हैं; जीवन्त सजीव, जीवित।

MP Board Class 8 Hindi Chapter 3 प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
(क) मध्य प्रदेश में कौन-कौन से प्रमुख संगीतकारों ने संगीत की साधना की?
उत्तर
मध्य प्रदेश में सोलहवीं सदी के महान् गायक तानसेन, ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर, सन्तूर वादक उस्ताद अलाउद्दीन खाँ, कुमार गन्धर्व (वास्तविक नाम सिद्राम कोयकली) एवं स्वर कोकिला लता मंगेशकर आदि प्रमुख संगीतकारों ने संगीत की साधना की।

(ख) मध्य प्रदेश में संगीत की राज्य अकादमी किस महान् संगीतकारों के नाम से कहाँ स्थापित की गई है?
उत्तर
प्रख्यात सन्तूर वादक उस्ताद अलाउद्दीन खाँ की स्मृति में अलाउद्दीन खाँ अकादमी’ के नाम से मैहर में स्थापित की गई।

(ग) भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान संगीत के क्षेत्र में किसे दिया गया था?
उत्तर
भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ संगीत के क्षेत्र में लता मंगेशकर को दिया गया था।

(घ) कुमार गन्धर्व का वास्तविक नाम क्या था?
उत्तर
कुमार गन्धर्व का वास्तविक नाम सिद्राम कोयकली

(ङ) सरस्वती किस संगीतज्ञ के गले में विराजमान मानी जाती हैं?
उत्तर
संगीतज्ञ लता मंगेशकर के गले में सरस्वती स्वयं विराजमान मानी जाती हैं।

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Bhasha Bharti Class 8 Chapter 3 प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए

(क) संगीत का वास्तविक महत्त्व कब होता है ?
उत्तर
संगीत का वास्तविक महत्त्व तब होता है, जब संगीत की शास्त्रीयता साधना को महत्त्व देती है। संगीत की मिठास आत्मिक शान्ति देती है एवं जीवन को जीने की उमंग पैदा करती है। संगीत से सने गीतों को सुनकर आदमी अपने आप में थिरक उठता है। उसके हृदय में करुणा का भाव जाग उठता है और करुणा का भाव आँसुओं के रूप में बह निकलता है। इससे साधारण लोग प्रभावित हो उठते हैं। यही कारण है कि संगीत को सम्पूर्ण समाज महत्त्व देता है।

(ख) कुमार गन्धर्व ने कौन-कौन से रागों की रचना की?
उत्तर
कुमार गन्धर्व ने मालवी गीतों को राग दरबारी ढंग से गाकर नए आयाम दिए। उन्होंने महाकवि सूरदास, तुलसीदास, कबीर तथा मीरा के पदों को भी गाकर जनसामान्य तक स्वर-सरिता के माध्यम से प्रेषित किया। उन्होंने राग-मालवती, लग्न गंधार सहेली तोडी और गाँधी मल्हार रागों की रचना की। उन्होंने संगीत सम्बन्धी एक पुस्तक की रचना की जिसका नाम “असूप राग-विलास’ है। इसके माध्यम से संगीत प्रेमियों को संगीत की शिक्षा भी प्रदान की।

(ग) बादशाह अकबर के दरबार में तानसेन ने क्या चमत्कार कर दिखाया था ?
उत्तर
सोलहवीं सदी के संगीत सम्राट तानसेन से, बादशाह अकबर ने अपने दरबार में संगीत का प्रभाव दिखाने का हठ किया। तानसेन संगीत साधना में तन्मय हो गये। उन्होंने दीपक राग की साधना की। स्वर के आलाप धीरे-धीरे सिद्ध होते गये। इसका प्रभाव यह हुआ कि दरबार में रखे दीप जल उठे। इस प्रकार वहाँ मौजूद दरबारी लोग चमत्कृत हो उठे।

(घ) लता मंगेशकर को कौन-कौन से सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं ?
उत्तर
लता मंगेशकर ने हर भाव, धर्म और भाषा के गीतों में अपने स्वरों को सँजोया है। इसलिए उन्हें समूचे राष्ट्र की गायिका कहा जाता है। उनके गले में सरस्वती विद्यमान हैं। उनके गायन में अभी भी आकर्षण है। वे संगीत साधना में निरन्तर ही लीन रहती हैं। इसके कारण लता मंगेशकर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया। इसके अलावा उन्हें ‘दादा,साहब फालके’, ‘पद्मभूषण’, ‘पद्मविभूषण’ आदि पुरस्कार प्रदान किये गये।

(ङ) संगीत की महिमा अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर
संगीत की महिमा अनन्त है। संगीत में मौजूद शास्त्रीयता से साधना को महत्त्व दिया जाता है। संगीत में विद्यमान मधुरता से हमें आत्मिक शान्ति मिलती है तथा जीवन को जीने की उमंग व उत्साह भी उत्पन्न होता है। गीतों को संगीत में डालकर मनुष्य के पैर अपने आप ही थिरक उठते हैं। मनुष्य में करुणा का भाव पैदा हो जाता है जिससे उसकी आँखों से अनायास ही आँसू बह उठते हैं। यही संगीत का सामाजिक महत्त्व व प्रभाव है।

(च) पाठ में आए संगीतकारों में से आपको कौन-सा संगीतकार सबसे अच्छा लगा और क्यों ?
उत्तर
प्रस्तुत पाठ में आए संगीतकारों में से सबसे अच्छी संगीतकार लता मंगेशकर हैं। उनके गीतों में स्वर इस तरह पिरोया हुआ है कि हर भाव, धर्म और भाषा अपने स्वरूप में व्यंजित हो उठते हैं। इसी कारण वे समूचे राष्ट्र की गायिका हैं क्योंकि उनके गले में स्वयं सरस्वती विद्यमान हैं। लताजी की आयु बढ़ रही है, परन्तु इस मुकाम पर भी उनके गायन में आकर्षण है। इन सभी कारणों से मुझे लता मंगेशकर सबसे अच्छे संगीतकार के रूप में लगती हैं।

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भाषा भारती कक्षा 8 Solutions Chapter 3 प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनकर लिखिए
(क) तानसेन के गुरु थे
(1) बैजू बावरा
(2) स्वामी हरिदास
(3) राजा मानसिंह तोमर,
(4) पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर।
उत्तर
(2) स्वामी हरिदास

(ख) प्रख्यात संतूर वादक थे
(1) अलाउद्दीन खाँ
(2) कुमार गन्धर्व,
(3) तानसेन
(4) बिस्मिल्लाह खाँ।
उत्तर
(1) अलाउद्दीन खाँ।

Class 8 Hindi Bhasha Bharti Chapter 3 प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(अ) बाल गायक के रूप में ……………. अल्पायु में विख्यात हो गये थे।
(आ) …………….. संगीत सम्राट कहे जाते हैं।
(इ) संगीत नृत्य का अखिल भारतीय कार्यक्रम संगीतकार ……… की स्मृति में होता है।
(ई) जिस समाज में कला का स्थान नहीं, वह ………….. हो जाता है।
उत्तर
(अ) कुमार गन्धर्व
(आ) तानसेन
(इ) तानसेन,
(ई) प्राणहीन।

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भाषा-अध्ययन

Class 8 Hindi Chapter 3 Mp Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए और लिखिए
झंकृत, समृद्ध, अन्वेषण, ध्रुपद, अन्तर्राष्ट्रीय, शास्त्रीय,अक्षुण्ण, वैशिष्ट्य, श्रद्धांजलि।
उत्तर
विद्यार्थी उपर्युक्त शब्दों को ठीक-ठीक पढ़कर उनका शुद्ध उच्चारण करने का अभ्यास करें और फिर लिखें।

Madhya Pradesh Ki Sangeet Virasat प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से सामासिक शब्द छाँटकर, उनके समास का नाम लिखिए
(क) राजपुत्र प्रतिदिन माता-पिता को प्रणाम करता था।
(ख) पीताम्बर धारण किए कमलनयन भगवान प्रकट हुए।
(ग) राजभवन के रसोईघर एवं शयनकक्ष बहुत विशाल
उत्तर
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 3 मध्य प्रदेश की संगीत विरासत 1
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 3 मध्य प्रदेश की संगीत विरासत 2

MP Board Class 8th Hindi Chapter 3 प्रश्न 3.
पाठ के आधार पर निम्नलिखित शब्दों की सही जोड़ियाँ बनाइए
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 3 मध्य प्रदेश की संगीत विरासत 3
उत्तर
(क) → (3), (ख) + (4), (ग) → (1), (घ)→ (5), (ङ)→ (2)

Hindi Chapter 3 Class 8 Mp Board प्रश्न 4.
‘प्राण’ शब्द में ‘हीन’ जोड़कर ‘प्राणहीन’ शब्द बना है। इसी प्रकार ‘हीन’ जोड़कर पाँच अन्य शब्द बनाइये।
उत्तर
धन + हीन = धनहीन; रक्त + हीन = रक्तहीन; ज्ञान + हीन = ज्ञानहीन; जल + हीन = जलहीन; मान + हीन = मानहीन।

Class 8 Bhasha Bharti Chapter 3 प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद कीजिए और सन्धि का प्रकार भी लिखिए
दिसम्बर, उल्लास, सम्मान, इत्यादि।
उत्तर
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 3 मध्य प्रदेश की संगीत विरासत 4
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Mp Board Class 8 Hindi Bhasha Bharti Chapter 3 प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों के रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए शब्दों में से उचित शब्द छाँटकर कीजिए
(संगीत सम्राट, दीपक राग, स्वामी हरिदास, बाल गायक, भारत रत्न)
(अ) तानसेन ने तन्मय होकर ………. की साधना की।
(आ) लता मंगेशकर जी ने भारत का सर्वोच्च पुरस्कार …………….प्राप्त किया।
(इ) ………. तानसेन को कौन नहीं जानता है ?
(ई) तानसेन के गुरु …………… थे।
(उ) कुमार गन्धर्व सात वर्ष की आयु में ………… केरूप में विख्यात हुए।
उत्तर
(अ) दीपक राग
(आ) भारत रत्न
(इ) संगीत सम्राट
(ई) स्वामी हरिदास
(उ) बाल गायक।

मध्य प्रदेश की संगीत विरासत परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

(1) आराधना साधना और प्रार्थना ने संगीत को संजीवनी बनाया। अतीत से वर्तमान तक मध्य प्रदेश अपने इतिहास में संगीत के कीर्तिमान स्थापित करता चला आ रहा है। संगीत की शक्ति ‘से दीप जलाना और वर्षा कराना संगीत की साधना की विजय है।

शब्दार्थ-संजीवनी = जीवन देने वाली; अतीत =बीते हुए युग से; वर्तमान = मौजूदा युग; कीर्तिमान = प्रशंसनीय स्थान विजय = जीत; आराधना = स्तुति।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा-भारती के मध्य प्रदेश की संगीत विरासत’ नामक पाठ से अवतरित है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखकों ने संगीत के महत्त्व को. बताया है।

व्याख्या-संगीत जीवन देने वाली औषधि के समान है। इसका प्रयोग भक्तों ने आराधना (स्तुति) करने में, साधना करने में तथा अपने देव की प्रार्थना करने में लगातार किया है, जिससे संगीत का विकास और विस्तार हुआ। मध्य प्रदेश भारतवर्ष का एक महत्त्वपूर्ण प्रदेश है। यहाँ पर बीते हुए युग से लेकर मौजूदा समय तक संगीत की साधना की गई। मध्य प्रदेश के इतिहास में संगीत की साधना एक महत्त्वपूर्ण घटना है और इसे संगीत की प्रशंसा का सर्वोच्च स्थान प्राप्त करवाया। आज भी इस क्षेत्र में संगीत को उन्नत बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। संगीत की साधना सम्बन्धी पराकाष्ठा, दीप जला देने और बादलों के घुमड़ आने तथा वर्षा कराने में निहित है। इस सब से लगता है कि संगीत की साधना से सर्वत्र विजय प्राप्त की जा सकती है।

(2) ऋषि, मुनियों और साधकों की हजारों वर्षों की तपस्या एवं परिश्रम का प्रतिफल है-संगीत। कहा जाता है कि जिस समाज में कला का स्थान नहीं होता, वह समाज भी प्राणहीन हो जाता है।

शब्दार्थ-साधकों की = साधना करने वालों की; परिश्रम = मेहनत; प्रतिफल = नतीजा, परिणाम;
स्थान = महत्त्व, जगह; प्राणहीन = मृत, मरा हुआ।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-संगीत आदि ललित कलाओं को महत्त्व न देने वाला समाज मरा हुआ होता है।

व्याख्या-संगीत के विकास और उन्नति के लिए हमारे ऋषियों, मुनियों तथा संगीत कला की साधना करने वाले संगीतकारों ने तपस्या की। वे सभी एकचित्त होकर संगीत की साधना में लगे रहे। आज संगीत कला जिस मुकाम को प्राप्त हो गयी है, वह मुकाम उन सभी साधकों की तपस्या और उनकी मेहनत का नतीजा है, परिणाम है। यह कहावत सत्य है कि वह समाज मरा हुआ (मृत) होता है जिसमें संगीत आदि अनेक कलाओं को महत्त्व नहीं दिया जाता। अतः समाज की जीवन्तता के लिए आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है कि समाज के लोगों को कला के महत्त्व को समझना चाहिए और इसके विकास और उन्नति के लिए निरन्तर सहयोग देकर साधकों को उत्साहित करना चाहिए।

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(3) संगीत की महिमा अनंत है। संगीत की शास्त्रीयता जहाँ साधना को महत्त्व देती है, वहीं उसकी मधुरता, आत्मिक शान्ति और जीवन जीने की उमंग उत्पन्न करती है। संगीत में पगे गीतों को सुनकर जहाँ आदमी थिरक उठता है, वहीं करुणा में डूबकर आँसू बहाने पर विवश हो जाता है।

संगीत जब – जन-साधारण को प्रभावित करने लगता है, तब उसका सामाजिक महत्त्व बढ़ जाता है।

शब्दार्थ-महिमा = महत्त्व अनन्त = अन्तहीन; मधुरता = मिठास; आत्मिक शान्ति = आत्मा सम्बन्धी शान्ति; जीने = जीवित रहने उमंग = उत्साह; उत्पन्न = पैदा; पगे = सने हुए या युक्त; थिरक उठता है नाच उठता है; करुणा = दया; विवश = लाचार; जनसाधारण = साधारण लोगों को ; सामाजिक = समाज के रूप में।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-संगीत का सामाजिक महत्त्व बहुत अधिक है। इससे मनुष्य में जीवन को जीने का उत्साह पैदा होता है।

व्याख्या-संगीत के महत्त्व को बताते हुए लेखकों का मत है कि संगीत से, उसकी शास्त्रीयता से, साधना से और उसकी मिठास से आत्मा में शान्ति मिलती है। जीवन को किस तरह जीवित रखा जाय, इसके लिए भी उत्साह मिलता है। संगीत से सने गीत मनुष्यों में थिरकनें उत्पन्न करते हैं। मनुष्य में करुणा और सहानुभूति के भाव पैदा हो जाते हैं और आँसुओं की झड़ी लग जाती है। यह करुणा के भावावेश से भर उठता है। समाज का प्रत्येक व्यक्ति संगहीत से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। इससे संगीत के महत्त्व में बढ़ोत्तरी हो जाती है।

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