MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2

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प्रश्न 1.
एक मेज के ऊपरी पृष्ठ (सतह) का आकार समलंब जैसा है। यदि इसकी समांतर भुजाएँ 1 m और 1.2 m हैं तथा इन समांतर भुजाओं के बीच की दूरी 0.8 m है, तो इसका क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-1
हल:
यहाँ समान्तर भुजाएँ a = 1.2 मी
b = 1 मी
समान्तर भुजाओं के बीच की दूरी h = 0.8 मी
मेज के ऊपरी पृष्ठ का क्षेत्रफल = समलम्ब का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) समान्तर भुजाओं का योग x उनके बीच की दूरी
= \(\frac{1}{2}\)(a + b) x h
= \(\frac{1}{2}\) (1.2 मी. + 1 मी.) x 0.8 मी
= \(\frac{1}{2}\) x 2.2 x 0.8 वर्ग मी.
= 0.88 वर्ग मीटर।
अत: मेज के ऊपरी पृष्ठ का क्षेत्रफल = 0.88 वर्ग मीटर।

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प्रश्न 2.
एक समलम्ब का क्षेत्रफल 34 cm2 है और इसकी ऊँचाई 4 सेमी है। समान्तर भुजाओं में से एक की 10 cm लम्बाई है। दूसरी समान्तर भुजा की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल:
समलम्ब का क्षेत्रफल = 34 सेमी2
ऊँचाई = 4 सेमी
समलम्ब की एक समान्तर भुजा = 10 सेमी
माना कि दूसरी समान्तर भुजा = a सेमी
समलम्ब का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x समान्तर भुजाओं का योग x ऊँचाई
34 सेमी2 = \(\frac{1}{2}\) (10 + a) x 4
10 + a = \(\frac{34×2}{4}\) = 17
a = 17 – 10 = 7 सेमी
अतः समलम्ब की दूसरी समान्तर भुजा की लम्बाई = 7 सेमी।

प्रश्न 3.
एक समलम्ब के आकार के खेत ABCD की बाड़ की लम्बाई 120 m है। यदि BC = 48 m, CD = 17 m और AD = 40 m है, तो इस खेत का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। भुजा AB समान्तर भुजाओं AD तथा BC पर लंब है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-2
हल:
खेत ABCD की बाड़ की लम्बाई = 120 मी.
BC = 48 मी
CD = 17 मी और
AD = 40 मी
खेत की बाड़ की लम्बाई = AB + BC + CD + DA
120 मी = AB + 48 मी + 17 मी + 40 मी
120 मी = AB + 105 मी
AB = 120 मी – 105 मी = 15 मी
∴ समलम्ब का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) समान्तर भुजाओं का योग x उनके बीच की दूरी।
∴ समलम्ब का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x (48 + 40) x 15 वर्ग मीटर
= \(\frac{1}{2}\) x 88 x 15
= 660 वर्ग मीटर।
अतः खेत ABCD का क्षेत्रफल = 660 वर्ग मीटर।

प्रश्न 4.
एक चतुर्भुज आकार के खेत का विकर्ण 24 m है और शेष सम्मुख शीर्षों से इस विकर्ण पर खींचे गए लम्ब 8 m एवं 13 m हैं। खेत का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल:
यहाँ d= 24 मी
h1 = 13 मी, h2 = 8 मी
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-3
∴ खेत का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x d (h1 + h2)
∴ खेत का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x 24 x (13 + 8) मीटर2
\(\frac{1}{2}\) x 24 x 21 मीटर2 = 252 मीटर2
अतः चतुर्भुज आकार के खेत का क्षेत्रफल = 252 मीटर

प्रश्न 5.
किसी समचतुर्भुज के विकर्ण 7.5 cm एवं 12 cm हैं। इसका क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल:
यहाँ, समचतुर्भुज के विकर्ण = 7.5 सेमी और 12 सेमी हैं।
∴ समचतुर्भुज का क्षेत्रफल= \(\frac{1}{2}\) x विकर्णों का गुणनफल
समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x (7.5 x 12) वर्ग सेमी
= 45 वर्ग सेमी।
अतः समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = 45 वर्ग सेमी।

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प्रश्न 6.
एक समचतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए जिसकी भुजा 6 cm और शीर्ष लम्ब 4 cm है। यदि एक विकर्ण की लम्बाई 8 cm है तो दूसरे विकर्ण की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल:
समचतुर्भुज की भुजा = 6 सेमी
शीर्ष लम्ब = 4 सेमी
एक विकर्ण की लम्बाई =8 सेमी
दूसरे विकर्ण की लम्बाई =d सेमी
समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार x शीर्ष लम्ब
= 6 x 4वर्ग सेमी = 24 वर्ग सेमी।
∴ समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x विकर्णों का गुणनफल
∴ 24 वर्ग सेमी = \(\frac{1}{2}\) x 8 x d
∴ d = \(\frac{24×2}{2}\) = 6 सेमी
अतः समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = 24 वर्ग सेमी
दूसरे विकर्ण की लम्बाई = 6 सेमी।

प्रश्न 7.
किसी भवन के फर्श में समचतुर्भुज के आकार की 3000 टाइलें हैं और इनमें से प्रत्येक के विकर्ण 45 cm और 30 cm लम्बाई के हैं। ₹ 4 प्रति वर्ग मीटर की दर से इस फर्श को पॉलिश करने का व्यय ज्ञात कीजिए।
हल:
टाइल के विकर्ण = 45 सेमी और 30 सेमी
टाइलों की संख्या = 3000
पॉलिश का व्यय = ₹ 4 प्रति वर्ग मीटर
∴ 1 टाइल का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x विकर्णों का गुणनफल
= \(\frac{1}{2}\) x 45 x 30 वर्ग सेमी।
= 675 वर्ग सेमी
∴ 3000 टाइलों का क्षेत्रफल = 3000 x 675 वर्ग सेमी
= 2025000 वर्ग सेमी
= \(\frac{2025000}{100×100}\) वर्ग मीटर
= 202.5 वर्ग मीटर।
∴ फर्श का क्षेत्रफल = 202.5 वर्ग मीटर।
फर्श पर पॉलिश करने का व्यय = ₹ 4 x 202.5
= ₹ 810
अतः फर्श पर पॉलिश करने का व्यय = ₹ 810

प्रश्न 8.
मोहन एक समलम्ब के आकार का खेत खरीदना चाहता है। इस खेत की नदी के साथ वाली भुजा सड़क के साथ वाली भुजा के समान्तर है और लम्बाई में दुगुनी है। यदि इस खेत का क्षेत्रफल 10,500 m हैं और दो समांतर भुजाओं के बीच की लम्बवत् दूरी 100 m है, तो नदी के साथ वाली भुजा की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-4
हल:
खेत का क्षेत्रफल = 10,500 m2
माना कि सड़क के साथ वाली भुजा की लम्बाई = x मीटर
नदी के साथ वाली भुजा की लम्बाई = 2x मीटर
दोनों भुजाओं के बीच की दूरी = 100 मीटर
खेत का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\)
\(\frac{1}{2}\) x समान्तर भुजाओं का योग x उनके बीच की दूरी
10500 मी2 = \(\frac{1}{2}\) x (x + 2x) x 100
3x = \(\frac{10500×2}{100}\)
x = \(\frac{10500×2}{3×100}\)
= 70 मीटर
अतः नदी के साथ वाली भुजा की लम्बाई = 2x = 2 x 70
=140 मीटर।

प्रश्न 9.
एक ऊपर उठे हुए चबूतरे का ऊपरी पृष्ठ अष्टभुज के आकार का है जैसा कि आकृति में दर्शाया गया है। अष्टभुजी पृष्ठ का क्षेत्रफल ज्ञात कजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-5
हल:
अष्टभुजी पृष्ठ ABCDEFGH का क्षेत्रफल = समलम्ब ABGH का क्षेत्रफल + आयत BCFG का क्षेत्रफल + समलम्ब CDEF का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x (5 + 11) x 4 + 11 x 5 + \(\frac{1}{2}\) x (11 + 5) x 4 वर्ग मीटर
= 32 + 55 + 32 वर्ग मीटर
= 119 वर्ग मीटर।
अतः अष्ठभुजी पृष्ठ का क्षेत्रफल = 119 वर्ग मीटर।

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प्रश्न 10.
एक पंचभुज आकार का बगीचा है जैसा कि आकृति में दर्शाया गया है। इसका क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए ज्योति और कविता ने इसे दो विभिन्न तरीकों से विभाजित किया। दोनों तरीकों का उपयोग करते हुए इस बगीचे का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। क्या आप इसका क्षेत्रफल ज्ञात करने की कोई और विधि बता सकते हैं?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-6
हल:
ज्योति के आरेख द्वारापंचभुज आकार के बगीचे का क्षेत्रफल = 2 x समलम्ब ARCLका क्षेत्रफल
यहाँ, समलम्ब की समान्तर भुजाएँ = 30 मी और 15 मी
समान्तर भुजाओं के बीच की दूरी = \(\frac{15}{2}\) मी = 7.5 मी
अतः बगीचे का क्षेत्रफल = 2 x समान्तर भुजाओं का योग x उनके बीच की दूरी
= 2 x \(\frac{1}{2}\) (30 + 15) x 7.5 वर्ग मी
= 45 x 7.5 वर्ग मी
= 337.5 वर्ग मीटर।
अत: ज्योति के आरेख द्वारा पंचभुज आकार के बगीचे का क्षेत्रफल = 337.5 वर्ग मीटर।

कविता के आरेख द्वारा:

पंचभुज आकार के बगीचे का क्षेत्रफल = ∆ का क्षेत्रफल + वर्ग का क्षेत्रफल
यहाँ, त्रिभुज का आधार = 15 मीटर
त्रिभुज की ऊँचाई = 15 मीटर
वर्ग की भुजा = 15 मीटर
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-7
अतः बगीचे का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x आधार x ऊँचाई + वर्ग की भुजा
= \(\frac{1}{2}\) x 15 x 15 + (15)2 वर्ग मीटर
= \(\frac{225}{2}\) + 225 वर्ग मीटर
= 112.5 + 225 वर्ग मीटर
= 337.5 वर्ग मीटर।
अतः कविता के आरेख द्वारा बगीचे का क्षेत्रफल = 337.5 वर्ग मीटर।

अन्य विधि:

अभीष्ट क्षेत्रफल = आयत BDEG का क्षेत्रफल – 2 x ∆ABC का क्षेत्रफल
= 15 x 30 – 2 x \(\frac{1}{2}\) = \(\frac{15}{2}\) x 15 वर्गमीटर
= 450 वर्ग मी – 112.5 वर्गमीटर
= 337.5 वर्ग मीटर
अतः बगीचे का अभीष्ट क्षेत्रफल = 337.5 वर्ग मीटर

प्रश्न 11.
संलग्न पिक्चर फ्रेम के आरेख की बाहरी एवं अंतः विमाएँ क्रमशः 24 cm x 28 cm एवं 16 cm x 20 cm हैं। यदि फ्रेम के प्रत्येक खंड की चौड़ाई समान है, तो प्रत्येक – खंड का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-8
हल:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-9
खण्ड ABQP का क्षेत्रफल = खण्ड CDSR का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) x (AB + PQ) x 4 सेमी
= \(\frac{1}{2}\) ( 28 + 20) x 4 सेमी2
= 48 x 2 वर्ग सेमी
= 96 वर्ग सेमी।
खण्ड BCRQ का क्षेत्रफल = खण्ड APSD का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) (BC + QR) x 4 वर्ग सेमी
= \(\frac{1}{2}\) (24 + 16) x 4 वर्ग सेमी
= 40 x 2 = 80 वर्ग सेमी। उत्तर

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 187

ठोस आकार

प्रश्न 1.
ध्यान दीजिए कि कुछ आकारों में दो या दो से अधिक समरूप (सर्वांगसम) फलक हैं। उनको नाम दीजिए। कौन से ठीसों में सभी फलक सर्वांगसम हैं?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-10
हल:
ठोस आकारों में घनाभ, बेलन, घन और पिरामिड में दो या दो से अधिक फलक समरूप सर्वांगसम हैं। घन में सभी फलक सर्वांगसम हैं।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 188

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सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 11.2)

प्रश्न 1.
संलग्न आकृति में दर्शाए गए ठोस को बेलन कहना क्यों गलत है?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-11
हल:
बेलन में दो वृत्ताकार सर्वांगसम फलक होते हैं। लेकिन इस आकृति के फलक सर्वांगसम नहीं है।
अतः दिए गए ठोस को बेलन कहना गलत है। उत्तर

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 189

प्रयास कीजिए (क्रमांक 11.7)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित घनाभों (आकृति 11.32) का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-12
हल:
(i) लम्बाई l = 6 सेमी
चौड़ाई b = 4 सेमी
ऊँचाई R = 2 सेमी
∵ कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2(lb + bh + hl)
∵ कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (6 x 4 + 4 x 2 + 2 x 6) वर्ग सेमी
= 2 (24 + 8 + 12) वर्ग सेमी
= 2 x 44 वर्ग सेमी
= 88 वर्ग सेमी।

(ii) लम्बाई l = 4 सेमी
चौड़ाई b = 4 सेमी
ऊँचाई h = 10 सेमी
∵ कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2(lb + bh + hl)
∵ कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (4 x 4 + 4 x 10 + 10 x 4) वर्ग सेमी
= 2 (16 + 40 + 40) वर्ग सेमी
= 2 (96) वर्ग सेमी
= 192 वर्ग सेमी।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 190

इन्हें कीजिए (क्रमांक 11.3)

प्रश्न 1.
1. एकघनाभाकार डस्टर (जिसे आपके अध्यापक कक्षा में उपयोग करते हैं। के पार्श्व पृष्ठ को भूरे रंग के कागज़ की पट्टी से इस प्रकार ढकिए कि यह डस्टर के पृश्ठ के चारों ओर बिल्कुल ठीक बैठे। कागज़ को हटाइए। कागज़ का क्षेत्रफल मापिए। क्या यह डस्टर का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल है?
2. अपनी कक्षा के कमरे की लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई मापिए और निम्नलिखित को ज्ञात कीजिए

(a) खिड़कियों और दरवाजों के क्षेत्रफल को छोड़कर कमरे का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल।
(b) इस कमरे का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल।
(c) सफेदी किए जाने वाला, कमरे का कुल क्षेत्रफल।

हल:
1. हाँ, कागज का क्षेत्रफल डस्टर के पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल के बराबर है।

2. कक्षा के कमरे की लम्बाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई मापने पर,
लम्बाई = 6 मी
चौड़ाई = 5 मी तथा
ऊँचाई = 4 मी

(a) कमरे का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2(lb + bh + hl)
= 2(6 x 5 + 5 x 4 + 4 x 6) वर्ग मीटर।
= 2 (30 + 20 + 24) वर्ग मीटर
= 2 (74) वर्ग मीटर
= 148 वर्ग मीटर।

(b) कमरे का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (l + b)h
= 2 (6 + 5) x 4 वर्ग मीटर
= 2 x 11 x 4 वर्ग मीटर
= 88 वर्ग मीटर।

(c) सफेदी किए जाने वाला कमरे का कुल क्षेत्रफल = कमरे का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल + छत का क्षेत्रफल
= 88 वर्ग मीटर + 6 x 5 वर्ग मीटर
= 88 + 30 वर्ग मीटर
= 118 वर्ग मीटर।

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 11.3)

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प्रश्न 1.
क्या हम कह सकते हैं कि घनाभ का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल + 2 x आधार का क्षेत्रफल।
हल:
हाँ, हम कह सकते हैं कि घनाभ का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल + 2 x आधार का क्षेत्रफल
2 (l + b)h + 2 x lb = 2 (hl + bh + lb)
= 2 (1b + bh + hl)

प्रश्न 2.
यदि हम किसी घनाभ [ आकृति 11.33 (i)] की ऊँचाई और आधार की लम्बाई को परस्पर बदलकर एक दूसरा घनाभ [(आकृति 11.33 (ii)] प्राप्त करलें तो क्या = पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल बदल जाएगा?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-13
हल:
घनाभ (i) का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2 (l + b)h ….(1)
तथा घनाभ (ii) का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2 (h + b)l …(2)
स्पष्ट है कि दोनों पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल भिन्न हैं।
अतः ऊँचाई और आधार की लम्बाई को बदलने पर पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल बदल जाएगा।

इन्हें कीजिए (क्रमांक 11.4)

प्रश्न 1.
एक वर्गांकित कागज पर दर्शाए गए पैटर्न को खींचिए और उसे काटिए [ आकृति 11.34 (i)]। आप जानते हैं कि यह पैटर्न घन का जाल (नेट) है। इसे रेखाओं के अनुदिश मोडिए[आकृति 11.34 (ii)]और घन बनाने के लिए किनारों पर टेप लगाइए [ आकृति 11.34 (iii) ]।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-14
(a) इस घन की लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई क्या है? ध्यान दीजिए घन के सभी फलक वर्गाकार हैं। = इसलिए घन की लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई समान होती है (आकृति 11.35)।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-15
(b) प्रत्येक फलक का क्षेत्रफल लिखिए। क्या सभी फलकों के क्षेत्रफल समान हैं?
(c) इस घन का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल लिखिए।
(d) यदि घन की प्रत्येक भुजा है, तो प्रत्येक फलक का क्षेत्रफल क्या होगा [ आकृति 11:35 (ii)]। क्या हम कह सकते हैं कि । भुजा वाले घन का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल 612 है?
हल:
(a) क्योंकि घन के सभी फलक वर्गाकार आकृति के होते हैं।
अत: घन की लम्बाई = चौड़ाई = ऊँचाई = प्रत्येक 3 इकाई।

(b) प्रत्येक फलक का क्षेत्रफल = (भुजा)2
= (3)2 = 9 वर्ग इकाई।
हाँ, सभी फलकों के क्षेत्रफल समान हैं।

(c) घन का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 612 वर्ग इकाई
= 6 x (3)2
= 54 वर्ग इकाई।

(d) घन की प्रत्येक भुजा = l
∴ प्रत्येक फलक का क्षेत्रफल = l x l x l2
भुजा वाले घन का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (l x l + l x l + l x l)
= 2(l2 + l2 + l2)
= 2 x 3l2 = 6l2
हाँ, हम कह सकते हैं कि ! भुजा वाले घन का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल 612 है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 191

प्रयास कीजिए (क्रमांक 11.8)

प्रश्न 1.
घन A का पृष्ठीय क्षेत्रफल और घन B का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-16
हल:
घन A की लम्बाई = चौड़ाई = ऊँचाई = 10 सेमी घन का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 6l2
= 6 x (10)2 = 6 x 100
= 600 वर्ग सेमी
अतः घन A का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 600 वर्ग सेमी।
घन B की लम्बाई = चौड़ाई = ऊँचाई = 8 सेमी घन B का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2(l + l) x l
= 2 (8 + 8) x 8 वर्ग सेमी
= 2 x 16 x 8 वर्ग सेमी।
= 256 वर्ग सेमी।
अतः घन B का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल = 256 वर्ग सेमी।

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 11.4)

प्रश्न 1.
1. b भुजा वाले दो घनों को मिलाकर एक घनाभ बनाया गया है (आकृति 11.37) । इस घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल क्या है? क्या यह 1252 है? क्या ऐसे तीन घनों को मिलाकर बनाए गए घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल 1862 है? क्यों?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-17

2. न्यूनतम पृष्ठीय क्षेत्रफल का घनाभ निर्मित करने के लिए समान भुजा वाले 12 घनों को किस प्रकार व्यवस्थित करेंगे?

3. किसी घन के पृष्ठीय क्षेत्रफल पर पेंट करने के पश्चात् उस घन को समान विमाओं वाले 64 घनों में काटा जाता है (आकृति 11.38)। इनमें से कितने घनों का कोई भी फलक पेंट नहीं हुआ है? कितने घनों का 1 फलक पेंट हुआ है? कितने घनों के 2 फलक पेंट हुए हैं ? कितने घनों के तीन फलक पेंट हुए हैं?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-18
हल:
1. b भुजा वाले दो घनों को मिलाकर बने घनाभ की लम्बाई l = b + b = 2b इकाई, चौड़ाई = b इकाई तथा ऊँचाई = b इकाई इस घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (lb + bh + hl)
= 2 (2b x b + b x b + b x 2b)
= 2 (2b2 + b2 + 2b2)
= 2 x 5b2 = 10b2 वर्ग इकाई
अत: घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 10b2 वर्ग इकाई उत्तर नहीं, यह 12b2 नहीं है।
जब ऐसे तीन घनों को मिलाकर घनाभ बनाया जाता है, तब घनाभ की लम्बाई l = 3b, चौड़ाई = b, ऊँचाई = b इस घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (3b x b + b x b + b x 3b)
= 2 (3b2 + b2 + 3b2) वर्ग इकाई
= 2 x 7b2 = 14b2 वर्ग इकाई
नहीं, इस प्रकार बने घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल 18b2 नहीं है। क्योंकि घनाभ की चौड़ाई और ऊँचाई में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

2. प्रथम स्थिति:
घनाभ निर्मित करने के लिए समान भुजा वाले 12 घनों को लम्बाई में व्यवस्थित करने पर
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-19
इस स्थिति में, l = 12b
b = b
h = b
पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (12b x b + b x b + b x 12b)
= 2(12b2 + b2 + 12b2)
= 2 x 25b2 = 50b2

द्वितीय स्थिति:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-20
इस स्थिति में,
l = 6b
b = b
h = 2b
∴ इस घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2(6b x b + b x 2b + 2b x 6b)
= 2(662 + 2b2 + 12b2)
= 2 x 20b2 = 40b2

तृतीय स्थिति:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-21
इस स्थिति में,
l = 4b
b = b
h = 3b
∴ इस घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (4b x b + b x 3b + 3b x 4b)
= 2(4b2 + 3b2 + 12b2)
= 2 x 19b2 = 38b2
अतः न्यूनतम पृष्ठीय क्षेत्रफल का घनाभ निर्मित करने के लिए समान भुजा वाले 12 घनों को तृतीय स्थिति के अनुसार व्यवस्थित करना चाहिए।

3. घनों की संख्या जिनके कोई भी फलक पेंट नहीं हुए = 16
घनों की संख्या जिनका 1 फलक पेंट हुआ = 16
घनों की संख्या जिनके 2 फलक पेंट हुए = 24
घनों की संख्या जिनके 3 फलक पेंट हुए = 8

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 193

प्रयास कीजिए (क्रमांक 11.9)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित बेलनों का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए (आकृति : 11.39)
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.2 img-22
हल:
(i) त्रिज्या r = 14 सेमी
ऊँचाई h = 8 सेमी
बेलन का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πr (r + h)
= 2 x \(\frac{22}{7}\) 14 (14 + 8)
= 2 x 22 x 2 x 22 वर्ग सेमी
= 1936 वर्ग सेमी
अतः कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 1936 वर्ग सेमी

(ii) यहाँ, त्रिज्या r = \(\frac{2}{2}\) मी = 1 मी
ऊँचाई h = 2 मी
बेलन का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πr (r + h)
= 2 x \(\frac{22}{7}\) x 1 (1 + 2) वर्ग मी
= \(\frac{44}{7}\) x 3 वर्ग मी.
= \(\frac{132}{7}\) वर्ग मी.
= 186 वर्ग मी.
अत: बेलन का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 18\(\frac{6}{7}\) वर्ग मी

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 11.5)

प्रश्न 1.
नोट कीजिए कि किसी बेलन का पार्श्व पृष्ठीय (वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल) आधार की परिधि x बेलन की ऊँचाई के समान होता है। क्या हम घनाभ के पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल को आधार का परिमाप x घनाभ की ऊँचाई के रूप में लिख सकते हैं?
हल:
माना कि घनाभ की लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई क्रमशः l, b तथा h हैं, तब
घनाभ का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (l + b) x h
= आधार का परिमाप x ऊँचाई
अतः हम घनाभ के पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल को आधार का परिमाप – घनाभ की ऊँचाई के रूप में लिख सकते हैं।

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1

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प्रश्न 1.
जैसा कि संलग्न आकृति में दर्शाया गया है, एक आयताकार और एक वर्गाकार खेत के माप दिए हुए हैं। यदि इनके परिमाप समान हैं, तो किस खेत का क्षेत्रफल अधिक होगा?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-1
हल:
माना कि आयताकार खेत की चौड़ाई = b m है।
आयताकार खेत की लम्बाई = 80 m
वर्गकार खेत की भुजा = 60 m
वर्गाकार खेत का परिमाप = 4 x 60 m = 240 m
अब, प्रश्नानुसार, आयत का परिमाप – वर्ग का परिमाप
2(80 + b) = 240
80 + b = \(\frac{240}{2}\) = 120
b = (120 – 80) m = 40 m.
अतः आयत की चौड़ाई = 40 m.
अब, वर्गाकार खेत का क्षेत्रफल = (भुजा)2 = (60)2 m2
= 60 x 60 m2 = 3600 m2
आयताकार खेत का क्षेत्रफल = l x b = 80 m x 40 m
= 3200 m2
3600 m2 > 3200 m2
अतः वर्गाकार खेत का शेत्रफल अधिक है।

प्रश्न 2.
श्रीमती कौशिक के पास चित्र में दर्शाए गए मापों वाला एक वर्गाकार प्लॉट है। वह प्लॉट के बीच में एक घर बनाना चाहती हैं। घर के चारों ओर एक बगीचा विकसित किया गया है। ₹ 55 प्रति वर्ग मीटर की दर से इस बगीचे को विकसित करने का व्यय ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-2
हल:
वर्गाकार प्लॉट की भुजा = 25 m
वर्गाकार प्लॉट का क्षेत्रफल= (भुजा) = (25 m)2
= 25 m x 25 m = 625 m2
भीतरी आयत की लम्बाई l = 20 m, चौड़ाई = 15 m
भीतरी आयत का क्षेत्रफल = l x b = 20 m x 15 m
= 300 m2
∴ बगीचे का क्षेत्रफल = वर्गाकार प्लॉट का क्षेत्रफल – भीतरी आयत का क्षेत्रफल
= 625 m2 – 300 m2
= 325 m2
₹ 55 प्रति वर्ग मीटर की दर से बगीचे को विकसित करने का व्यय
= ₹ 55 x 325
= ₹ 17,875

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प्रश्न 3.
जैसा कि आरेख में दर्शाया गया है, एक बगीचे का आकार मध्य में आयताकार है और किनारों पर अर्धवृत्त के रूप में है। इस बगीचे का परिमाप और क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। (आयत की लम्बाई 20 – (3.5 + 3.5) मीटर है।)
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-3
हल:
आयत की लम्बाई = 20 – (3.5 + 3.5) मीटर
= (20 – 7) मीटर = 13 मीटर
आयत की चौड़ाई = 7 मीटर ; वृत्त की त्रिज्या
= \(\frac{7}{2}\) मीटर = 3.5 मीटर
बगीचे का परिमाप = 2 x आयताकार भाग की
लम्बाई + दो अर्धवृत्तों का परिमाप
2 x l + 2πr = 2 x 13 + 2 x \(\frac{7}{2}\) x 3.5 मीटर
= 26 + 22 मीटर
= 48 मीटर
अतः बगीचे का परिमाप = 48 मीटर
बगीचे का क्षेत्रफल = आयताकार भाग का क्षेत्रफल + 2 अर्धवृत्तों का क्षेत्रफल
= l x b + 2 x \(\frac{1}{2}\)πr2
= 13 x 7 + 2 x \(\frac{1}{2}\) x \(\frac{22}{7}\) x 3.5 x 3.5
= 91 + 38.5 मीटर2 = 129.5 मीटर2
अतः बगीचे का क्षेत्रफल = 129.5 मीटर2

प्रश्न 4.
फर्श बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली एक टाइल का आकार समान्तर चतुर्भुज का है जिसका आधार 24 cm और संगत ऊँचाई 10 cm है। 1080 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के एक फर्श को ढकने के लिए ऐसी कितनी टाइलों की आवश्यकता है? फर्श के कोनों को भरने के लिए आवश्यकतानुसार आप टाइलों को किसी भी रूप में तोड़ सकते हैं।
हल:
समान्तर चतुर्भुज का आधार = 24 सेमी
ऊँचाई = 10 सेमी।
एक टाइल का क्षेत्रफल = आधार x ऊँचाई
= 24 सेमी x 10 सेमी
= 240 सेमी2
फर्श का क्षेत्रफल = 1080 वर्ग मीटर
= 1080 x 100 x 100 वर्ग सेमी
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-4
= 45,000 टाइलें
अतः फर्श को ढकने के लिए आवश्यक टाइलों की संख्या = 45,000

प्रश्न 5.
एक चींटी किसी फर्श पर बिखरे हुए विभिन्न आकारों के भोज्य पदार्थ के टुकड़ों के चारों ओर घूम रही है।
भोज्य पदार्थ के किस टुकड़े के लिए चींटी को लम्बा चक्कर लगाना पड़ेगा? स्मरण रखिए, वृत्त की परिधि c = 2πr, जहाँ r वृत्त की त्रिज्या है, की सहायता से प्राप्त की जा सकती है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-5
हल:
दी गई आकृतियों पर बिन्दु A, B, C और D अंकित किए। माना कि चींटी प्रत्येक आकृति में भोज्य पदार्थों के टुकड़ों के चारों ओर घूमने के लिए बिन्दु A से प्रारम्भ करके पुनः उसी बिन्दु पर पहुँचती है।

1. भोज्य पदार्थ के (a) टुकड़े के लिए;
यहाँ r = \(\frac{2.8}{2}\) सेमी = 1.4 सेमी
चींटी द्वारा चली गई दूरी= चाप AB + दूरी BA
\(\frac{1}{2}\) x 2πr + BA
= \(\frac{1}{2}\) x 2 x \(\frac{22}{7}\) x 14 + 2.8 सेमी
= 4.4 + 2.8 = 7.2 सेमी

1. भोज्य पदार्थ के (b) टुकड़े के लिए,
चींटी द्वारा चली गई दूरी = चाप AB + दूरी BC + CD + DA
= \(\frac{1}{2}\) x 2πr + 1.5 सेमी + 2.8 सेमी + 1.5 सेमी
= \(\frac{1}{2}\) x 2 x \(\frac{22}{7}\) x 1.4 + 1.5 + 2.8 + 1.5 सेमी
= 4.4 सेमी + 5.8 सेमी
= 10.2 सेमी

3. भोज्य पदार्थ के (c) टुकड़े के लिए,
चींटी द्वारा चली गई दूरी = चाप AB + BC + CA
= \(\frac{1}{2}\) x 2πr + 2 सेमी + 2 सेमी
= \(\frac{22}{7}\) x 1.4 सेमी + 2 सेमी + 2 सेमी
= 4.4 सेमी + 4 सेमी = 8.4 सेमी
स्पष्ट है कि चींटी को भोज्य पदार्थ (b) टुकड़े के लिए लम्बा चक्कर लगाना पड़ेगा।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 180

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प्रयास कीजिए (क्रमांक 11.2)

प्रश्न 1.
नजमा की बहन के पास भी एक समलम्ब के आकार का प्लॉट है जैसा कि संलग्न आकृति में दर्शाया गया है। इसे तीन भागों में बाँटिए। दर्शाइए कि समलम्ब WXYZ का क्षेत्रफल = h \(\frac{a+b}{2}\).
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-6
हल:
माना कि Y और Z से लम्ब WX पर क्रमशः L तथा M पर मिलते हैं।
तब, समलम्ब WXYZ का क्षेत्रफल
= समकोण ∆LXY का क्षेत्रफल + आयत MLYZ का क्षेत्रफल + समकोण ∆WMZ का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) x LX x YL + ML x LY + \(\frac{1}{2}\) x WM x ZM
= \(\frac{1}{2}\) x d x h + h x h + \(\frac{1}{2}\) + x c x h
= \(\frac{1}{2}\)h (d + 2b + c)
= \(\frac{1}{2}\)h (2b + c + d)
= \(\frac{1}{2}\)h (b + b + c + d)
= \(\frac{1}{2}\)h (b + a)
(∴ a = b + c + d)
अतः समलम्ब WXYZ का क्षेत्रफल = h \(\frac{a+b}{2}\)

प्रश्न 2.
यदि h = 10 cm, c = 6 cm, b = 12 cm, d = 4cm, तो इसके प्रत्येक भाग का मान अलग-अलग ज्ञात कीजिए और WXYZ का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए इनका योग कीजिए। h, a तथा b का मान व्यंजक \(\frac{h(a+b)}{2}\) में रखते हुए इसका सत्यापन कीजिए।
हल:
यहाँ h = 10 cm, c = 6 cm, b = 12 cm, d = 4 cm.
समलम्ब WXYZ का क्षेत्रफल = समकोण ∆LXY का क्षेत्रफल + आयत MLYZ का क्षेत्रफल + समकोण ∆WMZ का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) x d x h + b x h + \(\frac{1}{2}\) x c x h
= \(\frac{1}{2}\) x 4 x 10 + 12 x 10 + \(\frac{1}{2}\) x 6 x 10
= 20 + 120 + 30 = 170 cm2
सत्यापन:
समलम्ब WXYZ का क्षेत्रफल = h \(\frac{a+b}{2}\)
यहाँ, a = c + b + d = 6 cm + 12 cm + 4 cm = 22 cm
∴ समलम्ब का क्षेत्रफल = 10 x \(\frac{22+12}{2}\) cm2
= 5 x 34 cm2 = 170 cm2
अतः सूत्र द्वारा क्षेत्रफल का सत्यापन होता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 181

इन्हें कीजिए (क्रमांक 11.1)

प्रश्न 1.
1. आलेख कागज (ग्राफ पेपर) के अन्दर कोई भी समलम्ब WXYZ खींचिए जैसाकि संलग्न आकृति 11.9 में दर्शाया गया है और इसे काटकर बाहर निकालिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-7
2. भुजा XY को मोड़कर इसका मध्य बिन्दु ज्ञात कीजिए और इसे A नाम दीजिए (आकृति 11.10)।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-8
3. भुजा ZA के साथ-साथ काटते हुए समलम्ब WXYZ को दो भागों में काटिए। ∆ZYA को ऐसे रखिए जैसा कि आकृति 11.11 में दर्शाया गया है जिसमें AY को AX के ऊपर रखा गया है। बड़े त्रिभुज के आधार की लम्बाई क्या है? इस त्रिभुज के क्षेत्रफल का व्यंजक लिखिए (आकृति 11.11)।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-9
4. इस त्रिभुज और समलम्ब WXYZ का क्षेत्रफल समान है। (कैसे)? त्रिभुज के क्षेत्रफल के व्यंजक का उपयोग करते हुए समलम्ब के क्षेत्रफल का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
हल:
3 बड़े त्रिभुज के आधार की लम्बाई
= WB = WX + XB
= WX + ZY
= a+b
∆WBZ का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x आधार x ऊँचाई
= \(\frac{1}{2}\) x WB x h
= \(\frac{1}{2}\) (a + b) x h
परन्तु समलम्ब WXYZ का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x (a + b) h
∴ समलम्ब का क्षेत्रफल = ∆WBZ का क्षेत्रफल अतः समलम्ब का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x त्रिभुज का आधार x इसकी ऊँचाई

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प्रयास कीजिए (क्रमांक 11.3)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित समलम्बों का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए (आकृति : 11.12)।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-10
हल:
(i) यहाँ, a = 9 सेमी
b = 7 सेमी तथा
h = 3 सेमी
∴ समलम्ब का क्षेत्रफल = h \(\frac{a+b}{2}\)
∴ समलम्ब का क्षेत्रफल = 3 x \(\frac{9+7}{2}\) वर्ग सेमी
= 3 x \(\frac{16}{2}\) वर्ग सेमी
= 24 वर्ग सेमी
अतः समलम्ब का क्षेत्रफल = 24 वर्ग सेमी

(ii) यहाँ, a = 10 सेमी
b = 5 सेमी तथा
h = 6 सेमी
समलम्ब का क्षेत्रफल = h \(\frac{a+b}{2}\)
समलम्ब का क्षेत्रफल = 6 x \(\frac{10+5}{2}\) वर्ग सेमी
= 3 x 15 = 45 वर्ग सेमी
अतः समलम्ब का क्षेत्रफल = 45 वर्ग सेमी

इन्हें कीजिए (क्रमांक 11.2)

प्रश्न 1.
1. कक्षा VII में हमने विभिन्न परिमापों लेकिन समान क्षेत्रफलों वाले समान्तर चतुर्भुजों की रचना करना सीखा है। क्या यह समलम्बों के लिए भी किया जा सकता है? जाँच कीजिए क्या विभिन्न परिमापों वाले निम्नलिखित समलम्ब क्षेत्रफल में समान हैं (आकृति 11.13)
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-11
2. हम जानते हैं। कि सभी सर्वांगसम आकृतियाँ क्षेत्रफल में समान होती हैं। क्या हम कह सकते हैं कि समान क्षेत्रफल वाली आकृतियाँ सर्वांगसम भी होती हैं? क्या ये आकृतियाँ सर्वांगसम हैं?
3. एक वर्गाकार शीट पर कम से कम तीन ऐसे समलम्ब खींचिए जिनके परिमाप समान हों परन्तु क्षेत्रफल विभिन्न हों।
हल:
1. हाँ, यह समलम्बों के लिए भी किया जा सकता है।
पहले समलम्ब का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\)h(a+b)
= \(\frac{a+b}{2}\) x 4 x (10 + 14) वर्ग इकाई
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-12
= 2 x 24 वर्ग इकाई
= 48 वर्ग इकाई।
दूसरे समलम्ब का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x (4 + 8) x 8 वर्ग इकाई
= 4 x 12 वर्ग इकाई
= 48 वर्ग इकाई
तीसरे समलम्ब का क्षेत्रफल = \(\frac{a+b}{2}\) x (6 + 10) x 6 वर्ग इकाई
= 3 x 16 वर्ग इकाई
= 48 वर्ग इकाई
पहले समलम्ब का परिमाप = 5 + 10 + 4 + 14 इकाई
= 33 इकाई
दूसरे समलम्ब का परिमाप = 8 + 4 + 8 + 8 इकाई
= 28 इकाई
तीसरे समलम्ब का परिमाप = 6 + 6 + 10 + 7 इकाई
= 29 इकाई
अतः स्पष्ट है कि विभिन्न परिमाप वाले समलम्ब क्षेत्रफल में समान हैं।
2. यह आवश्यक नहीं कि समान क्षेत्रफल वाली आकृतियाँ सर्वांगसम भी हों।
3. ऐसी आकृतियाँ जिनके परिमाप समान हैं परन्तु क्षेत्रफल विभिन्न हैं

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 182

प्रयास कीजिए (क्रमांक 11.4)

प्रश्न 1.
हम जानते हैं कि समान्तर चतुर्भुज भी एक चतुर्भुज है। आइए, इसे भी हम दो त्रिभुजों में विभक्त करते हैं और इन दोनों त्रिभुजों का क्षेत्रफल ज्ञात करते हैं। इस प्रकार समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल भी ज्ञात करते हैं। क्या यह सूत्र आपको पूर्व में ज्ञात सूत्र से मेल खाता है (आकृति 11.15)?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-13
हल:
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = ∆ABC का क्षेत्रफल + ∆BCD का क्षेत्रफल
\(\frac{1}{2}\) = x b x h + \(\frac{1}{2}\) x b x h
= \(\frac{1}{2}\) x (b + b) x h
\(\frac{1}{2}\) x 2b x h = b x h = bh
समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) (समान्तर भुजाओं का योग) – उनके बीच की दूरी
= \(\frac{1}{2}\) x (b + b) x h
\(\frac{1}{2}\) x 2b x h = bh
हाँ, यह सूत्र पूर्व में ज्ञात सूत्र से मेल खाता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 183

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 11.1)

प्रश्न 1.
समान्तर चतुर्भुज का विकर्ण खींचकर इसे दो सर्वांगसम त्रिभुजों में बाँटा जाता है। क्या समलम्ब को भी दो सर्वांगसम त्रिभुजों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
नहीं, समलम्ब को दो सर्वांगसम त्रिभुजों में नहीं बाँटा जा सकता है।

प्रयास कीजिए (क्रमांक 11.5)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित चतुर्भुजों का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए (आकृति 11.16)
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-14
हल:
(i) यहाँ d = 6 सेमी,
h1 = 3 सेमी,
h2 = 5 सेमी
चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x d x (h1 + h2)
चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x 6 x (3 + 5)
वर्ग सेमी = 3 x 8 वर्ग सेमी
= 24 वर्ग सेमी।

(ii) यहाँ, d1 = 7 सेमी तथा
d2 = 6 सेमी
चतुर्भुज PQRS का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) – विकर्णों का गुणनफल
= \(\frac{1}{2}\) x d1 x d2
समचतुर्भुज PQRS का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x 7 x 6 वर्ग सेमी
= 21 वर्ग सेमी।

(iii) चतुर्भुज MLNO का क्षेत्रफल = समान्तर चतुर्भुज MLNO का क्षेत्रफल
= 2 x ∆LMN का क्षेत्रफल
= 2 x \(\frac{1}{2}\) x LN x MP x
= 2 x \(\frac{1}{2}\) x 8 सेमी x 2 सेमी
= 16 वर्ग सेमी।

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 184

प्रयास कीजिए (क्रमांक 11.6)

प्रश्न 1.
1. निम्नलिखित बहुभुजों (आकृति 11.17) का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए इन्हें विभिन्न भागों (त्रिभुजों एवं समलम्बो) में विभाजित कीजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-15
2. बहुभुज ABCDE को विभिन्न भागों में बाँटा गया है जैसा कि आकृति 11.18 में दर्शाया गया है। यदि AD = 8 cm, AH = 6cm, AG = 4cm, AF = 3cm और लम्ब BF = 2cm, CH = 3 cm, EG = 2.5 cm तो इसका क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
बहुभुज ABCDE का क्षेत्रफल = ∆AFB का क्षेत्रफल + …
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-16
∆AFB का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x AF x BF
= \(\frac{1}{2}\) x 3 x 2 = …..
समलम्ब FBCH का क्षेत्रफल = FH x \(\frac{(BH+CH)}{2}\) = 3 x \(\frac{(2+3)}{2}\)
[FH = AH – AF]
∆CHD का क्षेत्रफल = F x HD x CH = …, ∆ADE का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x AD x GE = …
इसलिए बहुभुज ABCDE का क्षेत्रफल = ….

3. यदि MP = 9 cm, MD = 7 cm, MC = 6 cm, MB=4cm, MA=2 cm तो बहुभुज MNOPQR(आकृति 11.19) का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। NA, OC, QD एवं RB विकर्ण MP पर खींचे गए लंब हैं।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-17
हल:
1. दिए गए बहुभुज EFGHI को निम्नांकित भागों में विभाजित किया गया है।
बहुभुज का क्षेत्रफल = ∆FGL का क्षेत्रफल + समलम्ब LGHN का क्षेत्रफल + ∆NHI का क्षेत्रफल + ∆EFI का क्षेत्रफल
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-18
= \(\frac{1}{2}\) x FL x GL + \(\frac{1}{2}\) (GL + HN) x LN + \(\frac{1}{2}\) x NI x HN + \(\frac{1}{2}\) x FI x ME
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Ex 11.1 img-19
बहुभुज MNOPQR को विभिन्न भागों में विभाजित किया गया है।
बहुभुज MNOPQR का क्षेत्रफल = ∆MTN का क्षेत्रफल + ∆OSN का क्षेत्रफल + समलम्ब OPUS का क्षेत्रफल + ∆PQU का क्षेत्रफल + ∆RVQ का क्षेत्रफल + समलम्ब MTVR का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) x NT x TM + \(\frac{1}{2}\) x SN x OS + \(\frac{1}{2}\) (OS + PU) x SU + \(\frac{1}{2}\) x UQ x PU + \(\frac{1}{2}\) x QV x VR + \(\frac{1}{2}\) = (TM X VR) x TV

2. यहाँ, AD = 8 सेमी
AH = 6 सेमी
AG = 4 सेमी
AF = 3 सेमी
लम्ब BF = 2 सेमी
CH = 3 सेमी
EG = 2.5 सेमी।
बहुभुज ABCDE का क्षेत्रफल = ∆AFB का क्षेत्रफल + समलम्ब FBCH का क्षेत्रफल + ∆CHD का क्षेत्रफल + ∆ADE का क्षेत्रफल
∆AFB का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x AF x BF
= 1 x 3 x 2 = 3 सेमी
समलम्ब FBCH का क्षेत्रफल = FH x \(\frac{(BF+CH)}{2}\)
= 3 x \(\frac{2+3}{2}\) = \(\frac{15}{2}\) सेमी2
= 7.5 सेमी2 (FH = AH – AF)
∆CHD का क्षेत्रफल= \(\frac{2+3}{2}\) x HD x CH
= \(\frac{1}{2}\) x 2 x 3 = 3 सेमी2 (HD = AD – AH)
∆ADE का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) x AD x BE = \(\frac{1}{2}\) x 8 x 2.5
= 10.0 सेमी2
इसीलिए बहुभुज ABCDE का क्षेत्रफल
= 3 सेमी2 + 7.5 सेमी2 + 3 सेमी2 + 10.0 सेमी2
= 23.5 सेमी2

3. यहाँ, MP= 9 सेमी
MD = 7 सेमी
MC = 6 सेमी
MB = 4 सेमी
MA = 2 सेमी।
बहुभुज MNOPQR का क्षेत्रफल = ∆MNA का क्षेत्रफल + समलम्ब ANOC का क्षेत्रफल + ∆OCP का क्षेत्रफल + AQDP का क्षेत्रफल + समलम्ब BDQR का क्षेत्रफल + ∆RBM का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) AM x MN + \(\frac{1}{2}\) x (AN + OC) x AC + \(\frac{1}{2}\) CP x OC + \(\frac{1}{2}\)DP x DQ + \(\frac{1}{2}\) (BN + DQ) – BD + \(\frac{1}{2}\) BM x BR
= \(\frac{1}{2}\) x 2 x 2.5 वर्ग सेमी + \(\frac{1}{2}\) 2x (2.5 + 3) x 4 वर्ग सेमी + \(\frac{1}{2}\) x 3 x 3 वर्ग सेमी + \(\frac{1}{2}\) x 2 x 2 वर्ग सेमी + \(\frac{1}{2}\) x (2.5 + 2) x 3 वर्ग सेमी + \(\frac{1}{2}\) x 4 x 2.5 वर्ग सेमी।
= 2.5 + 11.0 + 4.5 + 2 + 6.75 + 500 वर्ग सेमी
= 31.75 वर्ग सेमी।
(∴AC = MC – MA = 6 – 2 = 4 सेमी
CP = MP – MC = 9 – 6 = 3 सेमी
BD = MD – MB = 7 – 4 = 3 सेमी
DP = MP – MD = 9 – 7 = 2 सेमी)

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1

Find the values of the letters in each of the following and give reasons for the steps involved.
Question 1.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 1
Solution:
We have to find the values of A and B. We add the digits column-wise.
In C2 : A + 5 gives 2, that is, a number whose ones digit is 2 i.e., 12.
∴ A + 5 = 12 ⇒ A = 12 – 5 = 7
In C1 : 1 (Carry of C2) + 3 + 2 = B
⇒ 6 = B
∴ We get A = 7, B = 6.

Question 2.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 2
Solution:
We have to find the values of A, B and C.
We add the digits column-wise.
In C3 : A + 8 gives 3, that is, a number whose ones digit is 3 i.e., 13.
Therefore, A + 8 = 13 ⇒ A = 13 – 8 = 5
In C2 : 4 + 9 + 1 (Carry of C3) = 14 gives B = 4
In C1 : 1 (Carry of C2) = 1
Therefore, A = 5, B = 4, C = 1.

Question 3.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 3
Solution:
We have to find the value of A.
Since, the ones digit of A × A = A
⇒ A can be 0, 1, 5, 6
If A = 0, then 10 × 0 = 0 ≠ 90
If A = 1, then 11 × 1 = 11 ≠ 91
If A = 5, then 15 × 5 = 75 ≠ 95
If A = 6, then 16 × 6 = 96 = 96
Hence, A = 6.

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1

Question 4.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 4
Solution:
We have to find the values of A and B.
We add the digits column-wise.
In C2 : B + 7 – A …………… (i)
In C1 : A + 3 + carry = 6 …………. (ii)
Where, carry is the carry from (i)
Let carry = 0
∴ A + 3 = 6 or A = 3
Putting value of A in (i),
6 + 7 = 3 or 6 = – 4
But B can not be a negative number.
⇒ Carry = 1
In (ii), A + 3 + 1 = 6
⇒ A = 2
Putting value of A in (i), B + 7 = 2
But this is not possible
∴ 6 + 7 = 12 ⇒ 6 = 5.

Question 5.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 5
Solution:
We have to find the values of A, 6 and C.
Now, looking at ones place
B × 3 = 6
This is possible only when B = 0, 5
Now, writing the equation for multiplication as
3 × (10A + B) = 100C + 10A + B
⇒ 30A + 3B = 100C + 10A + B
⇒ 20A + 2B = 100C
⇒ 50C = 10A + B ………….. (i)
But R.H.S. is the number we multiplied by 3 to obtain CAB.
∴ AB is a multiple of 50.
⇒ B = 0
Equation (i) becomes,
50C = 10A ⇒ 5C = A
Since, A is a single digit number.
∴ C = 1 & A = 5
Hence, A = 5, B = 0, C= 1.

Question 6.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 6
Solution:
We have to find the values of A, B and C.
Now, looking at ones place
B × 5 = B
This is possible only when B = 0, 5
Also, writing the equation for multiplication
5 × (10A + B) = 100C + 10A + B
⇒ 50A + 5B = 100C + 10A + B
⇒ 40A + 4B = 100C
⇒ 25C = 10A + B ……………. (i)
But, RHS is the number we multiplied by 5 to obtain result CAB
AB is a multiple of 25.
⇒ B = 0 or 5
(1) Taking B = 0
EQ. (i) becomes
25C = 10A ⇒ 5C = 2A
The only integral one digit solution for this is A = 5, C = 2
(2) Taking B = 5
EQ. (i) becomes
25C = 10A + 5
or 5C = 2A +1
The integral one digit solutions are
A = 2, C = 1
or A = 7, C = 3
Hence, we have three solutions
A = 5, B = 0, C = 2
A = 2, B = 5, C = 1
A = 7, B = 5, C = 3

Question 7.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 7
Solution:
We have to find the values of A and B.
Writing the multiplication equation
6 × (10A + B) = 100B + 10B + B
⇒ 60A + 6B = 111B
⇒ 60A = 105B
⇒ 4A = 7B
The only integral one digit solution is
A = 7, B = 4

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1

Question 8.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 8
Solution:
We have to find the values of A and B. We add the digits column-wise.
In C2 : 1 + B = 10
⇒ B = 9
In C1 : A + 1 + 1 (Carry of C2) = B
⇒ A + 2 = 9
⇒ A = 7
∴ A = 7, B = 9

Question 9.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 9
Solution:
We have to find the values of A and B.
We add the digits column-wise.
In C3 : B + 1 = 8
⇒ B = 7
In C2 : A + B = 11 {∵ B is 7 and A can’t be negative}
⇒ A + 7 = 11 ⇒ A = 4
∴ A = 4, B = 7

Question 10.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 10
Solution:
We have to find the values of A and B.
We add the digits column-wise.
In C3: A + B = 9
In C2 : 2 + A = 10 (∵ A can’t be negative}
⇒ A = 8
∴ 8 + B = 9
⇒ B = 1
∴ A = 8, B = 1

MP Board Class 8th Maths Solutions

MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण

MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण

भाषा

अपनी बात कहने या दूसरे के विचार जानने के दो साधन हैं-वाणी या मौखिक तथा लिखित। इसे ही भाषा कहते हैं।

अतः भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा हम बोलकर या लिखकर अपने विचार प्रकट करते हैं और दूसरों के विचार जान सकते हैं। भाषा शब्दों और वाक्यों के शुद्ध प्रयोग का मेल है। अतः शब्द और वाक्य भाषा के महत्वपूर्ण अंग हैं।

MP Board Solutions

भाषा बातचीत का वह साधन है, जिसके द्वारा हम अपने भाव या विचार बोलकर या लिखकर दूसरों तक पहुँचाते हैं।

भाषा के रूप-
(क) मौखिक,
(ख) लिखित।

भाषा का मूल रूप मौखिक है। भाषा के लिखित रूप में अपने विचार प्रकट करते हैं और पढ़कर दूसरों के विचार ग्रहण करते हैं।

लिपि-भाषा के लिखित रूप का आधार लिपि होती है। भाषा के लिखने के ढंग को लिपि कहते हैं।

भारत की राष्ट्रभाषा व हमारी मातृभाषा हिन्दी है। हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है जो सदैव बाएँ से दाएँ लिखी जाती

अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन है। इसे भी बाएँ से दाएँ लिखा जाता है। उर्दू भाषा की लिपि फारसी है जो दाएँ से बाएँ लिखी जाती है। संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है।

व्याकरण-व्याकरण वह शास्त्र है, जिसके द्वारा हमें भाषा के शुद्ध रूप का तथा नियमों का ज्ञान होता है। वर्ण-मुख से निकलने वाली छोटी से छोटी ध्वनि वर्ण कहलाती है। इसके टुकड़े नहीं किए जा सकते।

वर्णमाला-वर्गों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।

वर्ण के प्रकार-वर्ण दो प्रकार के होते हैं-
(क) स्वर,
(ख) व्यंजन।

स्वर-हिन्दी वर्णमाला में ग्यारह स्वर होते हैं जो निम्नलिखित हैं
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ। .

व्यंजन-हिन्दी वर्णमाला में कुल अड़तीस (33 + 2 + 3) व्यंजन हैं।
क, ख, ग, घ, ङ।। च, छ, ज, झ, ञ।। ट, ठ, ड, (ड),। ढ (ढ़), ण।। त, थ, द, ध, न।। प, फ, ब, भ, म।। य, र, ल, व।। श, ष, स, ह।। क्ष, त्र, ज्ञ (संयुक्त व्यंजन)

संयुक्त अक्षर-संयुक्त अक्षर का अर्थ है-मेल या जोड़। अक्षर का अर्थ है-वर्ण। दो वर्ण मिलकर जिस वर्ण या अक्षर को बनाते हैं उसे संयुक्त अक्षर कहते हैं। संयुक्त अक्षर और उनसे बनने वाले शब्द हैं-

  • क् + ष = क्ष,
  • त् + र = त्र,
  • ज् + अ = ज्ञ,
  • श् + र = श्र।

शब्दों के शुद्ध रूप-भाषा को शुद्ध पढ़ने-लिखने के लिए उसके शुद्ध रूप और शुद्ध उच्चारण का ज्ञान बहुत आवश्यक है। हिन्दी भाषा में हम जैसा बोलते हैं, उसी रूप में हम लिखते भी

संज्ञा

परिभाषा-किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, भाव या अवस्था के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे-रवि, सुभाष, गीता, पूजा, भारत, दिल्ली, पुस्तक, कलम, खुशी, दुःख, प्रेम, बुढ़ापा, बचपन, जवानी आदि।

संज्ञा के भेद-

  1. जातिवाचक-जिस शब्द से किसी सम्पूर्ण जाति का बोध होता हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-छात्र, छात्राएँ, वृक्ष, स्त्री आदि।
  2. व्यक्तिवाचक-किसी विशेष स्थान या वस्तु का बोध कराने वाले शब्द को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-गंगा, जयपुर, मोहन लाल।
  3. भाववाचक संज्ञा-जिस शब्द से किसी अवस्था, धर्म, भाव, गुण और दोष का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-बुढ़ापा, सुपुत्र, सत्यता, मिठास, खटास।

3. लिंङ्ग हिन्दी भाषा में लिंङ्ग दो प्रकार के हैं-

  • पुल्लिङ्ग,
  • स्त्रीलिङ्ग।

पुरुष जाति का पता पुल्लिङ्ग से और स्त्री जाति का पता स्त्रीलिङ्ग से चलता है। लिङ्ग का अर्थ होता है-चिह्न अथवा निशान। संज्ञा की पहचान लिङ्ग से होती है। स्त्री या पुरुष जाति के रूप की जानकारी भी लिङ्ग से होती है।

वचन

वचन का सम्बन्ध संख्या से होता है। संख्या के आधार पर संज्ञा शब्द-एकवचन और बहुवचन होते हैं। एक का बोध कराने वाले एकवचन तथा एक से अधिक का बोध कराने वाले बहुवचन होते हैं।

सर्वनाम

परिभाषा-संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्द सर्वनाम कहे जाते हैं। जैसे-तुम, हम, मैं आदि।

सर्वनाम के भेद-

  1. पुरुषवाचक सर्वनाम-किसी व्यक्ति के बदले बोले जाने वाले शब्द पुरुषवाचक सर्वनाम कहे जाते हैं; जैसे-तुम, हम, मैं आदि। पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन पुरुष होते हैं-
    • उत्तम पुरुष-जो शब्द बात कहने वाले व्यक्ति के लिए प्रयोग किए जाते हैं, वे उत्तम पुरुष के सर्वनाम होते हैं। जैसे-हम, हमारी, मैं, मेरा, मुझे।
    • मध्यम पुरुष-जिससे कोई बात कही जाती है, उसके लिए प्रयुक्त शब्द मध्यम पुरुष के होते हैं। जैसे-तुम, तुम्हारा, तू।
    • अन्य पुरुष-जिसके विषय में कुछ कहा जाता है, वह अन्य पुरुष का शब्द होता है। जैसे-वह, उन्हें, उनको।
  2. निश्चयवाचक सर्वनाम-निश्चित संज्ञाओं के लिए प्रयुक्त सर्वनाम निश्चयवाचक सर्वनाम कहे जाते हैं; जैसे-यह राम की पुस्तक है। मोहन की पुस्तक वह है। भिक्षुक आया है, उसे भिक्षा दो। इन वाक्यों में यह, वह, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
  3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम-किसी व्यक्ति या वस्तु का निश्चित बोध न हो; जैसे-कोई आ रहा है। कुछ कहते हैं। इन वाक्यों में कोई और कुछ अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।
  4. प्रश्नवाचक सर्वनाम-इस सर्वनाम का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए या कुछ जानकारी प्राप्त करने के लिए करते हैं; जैसे-क्या किया जा रहा है ? कौन आ रहा है ?
  5. सम्बन्धवाचक सर्वनाम-दो संज्ञाओं अथवा दो सर्वनामों का सम्बन्ध बताने वाले शब्द सम्बन्धवाचक सर्वनाम होते हैं; जैसे-यह वही कलम है जो मैंने कल दिया था। ‘जो’ शब्द सम्बन्धवाचक है।
  6. निजवाचक सर्वनाम-जो सर्वनाम वाक्य के कर्ता के लिए प्रयोग किए जाते हैं, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे-मैं स्वयं वहाँ गया। वे अपने-आप यह कार्य करेंगे।

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विशेषण

परिभाषा-संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द विशेषण कहे जाते हैं;
जैसे-

  1. छोटा बालक।
  2. वीर सिपाही। छोटा और वीर क्रमशः बालक और सिपाही की विशेषता बता रहे हैं। अतः ये शब्द विशेषण हैं।

विशेष्य-जिन शब्दों की विशेषता बतायी जाती है, वे विशेष्य होते हैं। ऊपर के वाक्य में ‘छोटा’ शब्द विशेषण है और बालक विशेष्य है।

विशेषण के भेद-

  1. गुणवाचक विशेषण-गुणवाचक विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम के गुण या दोष तथा रंग-अवस्था को प्रकट करता है; जैसे-चतुर छात्र, नीला कमल, सफेद बिल्ली। इनमें क्रमशः चतुर, नीला, सफेद शब्द गुणवाचक विशेषण हैं।
  2. संख्यावाचक विशेषण-संज्ञा या सर्वनाम की संख्या बताने वाले शब्द संख्यावाचक विशेषण कहे जाते हैं; जैसे- मेरे पास पाँच पुस्तकें हैं। पुस्तकों की संख्या पाँच हैं। अतः पाँच संख्यावाचक विशेषण है।
  3. परिमाणवाचक विशेषण-किसी संज्ञा या सर्वनाम की नाप या तौल बताने वाले शब्द परिमाणवाचक विशेषण कहे जाते हैं;  जैसे-
    • दो किलो चावल,
    • चार किलो दूध। इन वाक्यों में क्रमशः शब्द दो और चार किलो परिमाणवाचक विशेषण हैं।
  4. संकेतवाचक विशेषण-जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की ओर संकेत करते हैं, उन्हें संकेतवाचक विशेषण कहते हैं; जैसे-
    • यह फूल सुन्दर है।
    • वे आदमी खेल रहे हैं।
    • उस बगीचे में बालक खेल रहे हैं। इन वाक्यों में यह, वे और उस शब्द फूल, आदमी तथा बगीचे की ओर संकेत कर रहे हैं। अतः वे संकेतवाचक विशेषण हैं।
  5. व्यक्तिवाचक विशेषण-व्यक्तिवाचक संज्ञा से बने शब्द व्यक्तिवाचक विशेषण कहे जाते हैं; जैसे-मुझे कश्मीरी शॉल पसन्द है। इस वाक्य में ‘कश्मीरी’ व्यक्तिवाचक विशेषण है जो व्यक्तिवाचक संज्ञा ‘कश्मीर’ से बना है और शॉल की विशेषता बता रहा है।
  6. प्रश्नवाचक विशेषण-संज्ञा के विषय में किसी संज्ञा का बोध होता हो, तब वह शब्द प्रश्नवाचक विशेषण कहा जायेगा; जैसे-तुम्हारी कौन-सी कलम है ? इस वाक्य में कौन-सी’ शब्द प्रश्नवाचक विशेषण है जो कलम शब्द की विशेषता बता रहा है।

क्रिया

परिभाषा-जिन शब्दों से किसी काम का करना या होना पाया जाता है, उन्हें क्रिया कहते हैं। जैसे-मोहन पत्र लिखता है। इस वाक्य में लिखता है’ क्रिया है।

क्रिया के भेद-
(1) सकर्मक क्रिया-कर्ता के माध्यम से जिस क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ता है, वह सकर्मक होती है;
जैसे-

  • रवि पत्र लिखता है।
  • राजेश गेंद से खेलता है। इन वाक्यों में क्रमशः लिखता है, खेलता है क्रिया ‘सकर्मक’ है।

(2) अकर्मक क्रिया-जिस क्रिया का प्रभाव कर्त्ता तक ही सीमित हो, वह क्रिया अकर्मक होती है;
जैसे-

  • वह खाता है।
  • वह पढ़ता है। इन वाक्यों में खाता है, पढ़ता है क्रियाओं का प्रभाव उनके कर्ता ‘वह’ तक ही सीमित रहता है। अतः ये अकर्मक क्रियाएँ हैं। 8.

क्रिया-विशेषण

परिभाषा-जिस शब्द से किसी क्रिया पद की विशेषता बताई जाती है; उसे क्रिया-विशेषण कहते हैं; जैसे-राधा तेज चलती है। इस वाक्य में ‘तेज’ शब्द क्रिया-विशेषण है। ‘तेज’ शब्द ‘चलती है’ क्रिया की विशेषता है।

क्रिया-विशेषण के भेद

  1. स्थानवाचक क्रिया-विशेषण-‘क्रिया’ के किए जाने के स्थान को प्रकट करने वाले शब्द ‘स्थानवाचक क्रिया-विशेषण’ कहे जाते हैं। स्थानवाचक क्रिया-विशेषण निम्नलिखित हैं-बाहरी, भीतर, अन्दर, ऊपर, नीचे, यहाँ, वहाँ, दूर, निकट, आगे, पीछे आदि; जैसे-श्यामलाल अन्दर पढ़ रहा है। इस वाक्य में ‘अन्दर’ शब्द स्थानवाचक क्रिया-विशेषण है।
  2. कालवाचक क्रिया-विशेषण-क्रिया के किए जाने के समय (काल) को प्रकट करने वाले शब्द ‘कालवाचक क्रिया-विशेषण’ कहे जाते हैं; जैसे-वह अब रेलगाड़ी से आयेगा। इस वाक्य में अब’ कालवाचक क्रिया-विशेषण है।
  3. परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण-क्रिया की नापतौल अथवा परिमाण को प्रकट करने वाले शब्द ‘परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण’ कहे जाते हैं; जैसे-किशोर कम बोलता है। इस वाक्य में ‘कम’ ‘बोलता है’ क्रिया की विशेषता बताने के कारण क्रिया-विशेषण है।
  4. रीतिवाचक क्रिया-विशेषण-क्रिया की रीति या ढंग को प्रकट करने वाले शब्द ‘रीतिवाचक क्रिया-विशेषण’ कहे जाते हैं; जैसे-वह धीरे-धीरे चलता है। इस वाक्य में ‘धीरे-धीरे’ शब्द रीतिवाचक क्रिया-विशेषण है। इसके अन्य शब्द हैं-अचानक, तेज, सचमुच, एकाएक, धीरे-धीरे आदि।

सम्बन्ध बोधक

परिभाषा-जो संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का सम्बन्ध वाक्य के अन्य शब्दों से प्रकट करते हैं, वे सम्बन्ध बोधक कहे जाते हैं; जैसे-यह राम की पुस्तक है। इस वाक्य में ‘की’ शब्द से राम और पुस्तक के सम्बन्ध को प्रकट किया जा रहा है।

समुच्चय बोधक

परिभाषा-समुच्चय बोधक शब्द दो वाक्यों अथवा दो _ शब्दों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं अथवा अलग करते हैं। ये शब्द निम्नलिखित हैं-और, तथा, या, व, वा, अथवा, क्योंकि, यद्यपि, यदि, लेकिन, पर, मगर, परन्तु, अर्थात्, मानो, यानि इत्यादि; जैसे-राधाचरण और श्यामलाल गाँव के सम्पन्न किसान हैं। इस वाक्य में ‘और’ शब्द समुच्चयबोधक है। राधाचरण, श्यामलाल शब्दों को ‘और’ से जोड़ा गया है।

विस्मयादि

बोधक परिभाषा-जिन शब्दों से हर्ष, शोक, घृणा, आशीष, विस्मय, स्वीकार आदि प्रकट होते हैं, उन्हें विस्मय बोधक कहते हैं।

विस्मय बोधक शब्द निम्नलिखित हैं-
अहा !, वाह !, खूब !, शाबाश !, हाय !, राम रे !, छि:-छिः !, धिक्-धिक !, चिरंजीव रहो !, जीते रहो !, अरे !, जी जहाँ !, अच्छा।, हाँ-हाँ ! आदि। जैसे-हे राम ! यह तो बहुत गजब की बात है। इस वाक्य में ‘हे राम !’ शब्द विस्मयादिबोधक है।

काल

परिभाषा-क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का ज्ञान हो, उसे काल कहते हैं।
काल के भेद-काल के तीन भेद होते हैं-

  1. वर्तमान काल,
  2. भूत काल,
  3. भविष्य काल।

(1) वर्तमान काल-जिस क्रिया से किसी कार्य का अभी (मौजूदा समय में) किया जाना पाया जाए, उसे वर्तमान काल की क्रिया कहते हैं; जैसे-‘मोहन पढ़ रहा है’। इस वाक्य में पढ़ रहा है’ क्रिया वर्तमान काल की है।
(2) भूत काल-जिस क्रिया से बीते समय में काम का किया जाना या होना पाया जाए, तो उसे भूतकाल कहते हैं; जैसे-‘मैंने अपने वस्त्र धोए थे।’ इस वाक्य में ‘धोए थे’ भूत काल की क्रिया है।
(3) भविष्य काल-आगे आने वाले समय में किसी कार्य के होने या किए जाने की बात जिस क्रिया से प्रकट हो रही हो, यह भविष्य काल की क्रिया कही जाएगी; जैसे-मोहन कल (आने वाला दिन) दिल्ली जाएगा। इस वाक्य में जाएगा’ क्रिया भविष्य काल की है।

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वाच्य

परिभाषा-वाच्य से क्रिया में कर्ता अथवा कर्म अथवा भाव की प्रधानता को जाना जाता है।

वाच्य भेद-

  1. कर्तृवाच्य,
  2. कर्मवाच्य,
  3. भाववाच्य।

(1) कर्तृवाच्य-जिस क्रिया के लिङ्ग और वचन, कर्ता के अनुसार होते हैं, वह क्रिया कर्तृवाच्य की होती है; जैसे-मोहन जल पीता है। इस वाक्य में कर्ता पुल्लिङ्ग है, तो क्रिया भी ‘पीता है’ और वह एकवचन में कर्ता के अनुसार प्रयुक्त हुई है।
(2) कर्मवाच्य-किसी वाक्य की क्रिया अपने कर्म के लिङ्ग और वचन में प्रयुक्त हो, वह कर्मवाच्य की क्रिया कही जाती है; जैसे-“मोहन के द्वारा पत्र लिखा गया।” यहाँ कर्म के अनुसार लिङ्ग, वचन बदल गया।
(3) भाववाच्य-भाववाच्य की क्रिया पर कर्म और कर्ता का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। भाववाच्य की क्रिया एकवचन, पुल्लिङ्ग और अन्य पुरुष में रहती है; जैसे-सर्दी में बाहर निकला नहीं जाता। इस वाक्य में निकला जाता’ भाववाच्य की क्रिया है।

कारक

परिभाषा-संज्ञा और सर्वनाम के रूपों का सम्बन्ध वाक्यों के अन्य शब्दों को विशेष रूप से क्रिया से जाना जाता है, कारक कहा जाता है; जैसे-मोहन पुस्तक पढ़ता है। इस वाक्य में मोहन और पुस्तक में कारक प्रयुक्त है, इसका दोनों शब्दों का सम्बन्ध ‘पढ़ता है’ क्रिया से है।

विभक्ति-कारक का ज्ञान कराने वाले चिह्न विभक्ति कहे जाते हैं किन्तु कभी-कभी इन विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है।
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 1

  1. कर्ता कारक-कार्य करने वाला कर्ता होता है; जैसे-रवि पत्र लिखता है। इस वाक्य में ‘रवि’ कर्ता है।
  2. कर्म कारक-जिस पर क्रिया का प्रभाव कर्ता के माध्यम से पड़ता है, वह कर्म होता है; जैसे-रवि पत्र लिखता है। इस वाक्य में ‘पत्र’ पर ‘लिखता है’ ‘क्रिया का प्रभाव कर्ता रवि के माध्यम से पड़ता है।
  3. करण कारक-जिसके द्वारा या जिसकी सहायता से काम किया जाता हो, उसे करण कारक कहते हैं; जैसे-राम कलम से पत्र लिखता है। इस वाक्य में कलम से या कलम की सहायता से पत्र को लिखा जाता है। अतः इसमें ‘कलम’ में करण कारक है।
  4. सम्प्रदान कारक-जिसके लिए कर्ता कार्य करता है, वहाँ सम्प्रदान कारक होता है; जैसे-ममता बच्चों के लिए फल लाती है। इस वाक्य में बच्चों के लिए’ में सम्प्रदान कारक है।
  5. अपादान कारक-जिससे किसी वस्तु का अलग होना बताया जा रहा हो, वहाँ अपादान कारक होता है; जैसे-छत से बालक गिर पड़ा। इस वाक्य में ‘छत से’ में अपादान कारक है।
  6. सम्बन्ध कारक-एक वस्तु या व्यक्ति का दूसरी वस्तु या पुरुष से सम्बन्ध बताने पर सम्बन्ध कारक होता है; जैसे-यह मोहन की पुस्तक है। इस वाक्य में मोहन का अधिकार (सम्बन्ध) पुस्तक पर ‘की’ के द्वारा प्रकट होता है।
  7. अधिकरण कारक-वाक्य में संज्ञा का आधार जिसके द्वारा प्रकट होता है, वहाँ अधिकरण कारक होता है। जैसे-छात्र कक्षा में पढ़ता है। इस वाक्य में छात्र के पढ़ने का आधार कक्षा’ होने से कक्षा में अधिकरण कारक है।
  8. सम्बोधन कारक-किसी को पुकारा जाय या सावधान किया जाए, वहाँ सम्बोधन कारक होता है; जैसे-हे रवि ! तुम यहाँ आओ। इस वाक्य में ‘हे’ शब्द सम्बोधन कारक का है।

वाक्य विचार

परिभाषा-वाक्य ऐसे शब्द समूह को कहते हैं, जिनके, सुनने से कहने वाले की पूरी बात स्पष्ट रूप से समझ में आ जाए; जैसे-छात्रो ! तुम लिखो। इस वाक्य का आशय स्पष्ट हो जाता है कि छात्रों को लिखने के लिए कहा गया है।

वाक्य भेद-वाक्य भेद तीन प्रकार के होते हैं-

  1. साधारण वाक्य,
  2. मिश्रित वाक्य,
  3. संयुक्त वाक्य।

(1) साधारण वाक्य-जिस वाक्य में एक ही क्रिया हो और वह उस वाक्य के अर्थ को पूरा करती हो, तो वह वाक्य साधारण होगा; जैसे-राधा पुस्तक पढ़ती है। इस वाक्य में पढ़ती है’, एक क्रिया है और इस वाक्य के अर्थ को पूरा करती है। अतः यह साधारण वाक्य है।
(2) मिश्रित वाक्य-जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं। सामान्यतः प्रधान वाक्य और आश्रित उपवाक्य के बीच-कि, जो, जिसने, जिसे, तब, जहाँ-तहाँ जैसे संयोजक शब्द होते हैं। आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-संज्ञा आश्रित, विशेषण आश्रित और क्रिया-विशेषण आश्रित उपवाक्य।

  • संज्ञा आश्रित उपवाक्य-प्रधान उपवाक्य किसी संज्ञा के बदले में आने वाला उपवाक्य है। यह ‘कि’ संयोजक शब्द से जुड़ा रहता है; जैसे-मोहन कह रहा है कि वह कल नहीं आयेगा।
  • विशेषण आश्रित उपवाक्य-ये प्रधान उपवाक्य की संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं। ये उपवाक्य ‘जो’, ‘जिसे’, ‘जिसने’, ‘जिन्हें’ आदि शब्दों से जुड़े रहते हैं; जैसे-तुम्हारा पैन अच्छा लगता है, जो तुमने मुझे कल दिया था।
  • क्रिया-विशेषण आश्रित उपवाक्य-प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताने वाले उपवाक्य क्रिया-विशेषण उपवाक्य होते हैं। ऐसे वाक्यों में जब, जैसे, वैसे, जितना आदि संयोजक शब्द आते हैं; जैसे-जब हम टिकिट खरीदेंगे, तब प्लेटफार्म पर जाएँगे।

(3) संयुक्त वाक्य-संयुक्त वाक्य में एक प्रधान वाक्य और एक या अधिक उपवाक्य समानाधिकरण (समकक्ष) वाले होते हैं। संयुक्त वाक्य में दो उपवाक्य-और या अथवा, किन्तु, परन्तु आदि से जुड़े होते हैं; जैसे-वह गरीब है परन्तु ईमानदार भी है।

वाक्य रचना की विशेषताएँ।

शुद्ध वाक्य के गुण-वाक्य में कुछ गुण (विशेषताएँ) होती हैं। वे निम्नलिखित हैं

  • आकांक्षा-आकांक्षा का अर्थ है वाक्य में शब्दों का सम्बन्ध जानने की इच्छा। वाक्य का एक पद सुनते ही उसके विषय में जानने की इच्छा होती है; जब तक कि वाक्य पूरा हो जाता है।
  • योग्यता-वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में अर्थ प्रकट करने की योजना हो। जैसे-घोड़ा घास पीता है। (घास खाई जाती है-वह घास को पीता नहीं है।)
  • सार्थकता-वाक्य में निरर्थक शब्दों का प्रयोग न हो। जैसे-वह पैन वैन लेता है। (इस वाक्य में ‘वैन’ निरर्थक शब्द है।)
  • पद क्रम-वाक्य में शब्दों का एक विशेष पद क्रम होता है।
  • अन्वय-व्याकरण की दृष्टि से वचन, लिंग, कारक, क्रिया आदि की सम्बद्धता हो।
  • आसक्ति-बोलने और लिखने में वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में समीपता होनी चाहिए।

वाक्य के घटक तत्व-वाक्य के घटक तत्व दो होते हैं-

  • उद्देश्य,
  • विधेय।

वाक्य विग्रह (वाक्य विश्लेषण)
वाक्य विभिन्न अंगों से मिलकर बनता है। इन अंगों को अलग करके उनके सम्बन्ध को बताना ही वाक्य विश्लेषण या वाक्य विग्रह कहलाता है।

  1. वाक्य में जिनके विषय में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं।
  2. वाक्य में उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं। जैसे-गाँधी जी महान् पुरुष थे। इस वाक्य में ‘गाँधी जी’ उद्देश्य हैं और ‘महान् पुरुष थे’ यह विधेय है। उद्देश्य सदैव कर्त्ता होता है। वहाँ कर्ता के विशेषण आदि भी सम्मिलित रहते हैं। विधेय में कर्म, क्रिया, पूरक और उनकी विशेषता सूचक शब्द मिले रहते हैं।

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इन सबको अलग-अलग करके इनका सम्बन्ध बताना ही वाक्य विग्रह है।
(1) साधारण वाक्यों का विग्रह वाक्य-

  • वीर सुभाष चन्द्र बोस ने विदेशी शासन को उखाड़ने के लिए जान गवाँ दी।
  • दिल्ली का लाल किला दर्शनीय है।

MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 2

(2) मिश्रित वाक्यों का विग्रह
मिश्रित वाक्यों का विश्लेषण (विग्रह) करते समय क्रिया के आधार पर उपवाक्यों को अलग करके फिर उनके सम्बन्ध और स्थिति का विवेचन करना चाहिए;

जैसे-
(1) राम ने सीता को बहुत समझाया कि उन्हें वन में नहीं जाना चाहिए।
विश्लेषण-(अ) राम ने सीता को बहुत समझाया-प्रधान उपवाक्य।
(ब) उन्हें वन में नहीं जाना चाहिए-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
उपवाक्य (अ) के आश्रित ‘समझाया’ क्रिया का कर्म।
(स) कि-संयोजक। सम्पूर्ण वाक्य एक मिश्रित उपवाक्य है।

(2) मेरे पास एक कुत्ता है, जो बहुत होशियार है।
विश्लेषण-(अ) मेरे पास एक कुत्ता है-प्रधान उपवाक्य।
(ब) जो बहुत होशियार है-आश्रित विशेषण उपवाक्य। उपवाक्य
(अ) के आश्रित, कुत्ता की विशेषता बताता है। सम्पूर्ण वाक्य एक मिश्रित वाक्य है।

(3) संयुक्त वाक्यों का विग्रह
संयुक्त वाक्यों में प्रधान उपवाक्यों और उनके आश्रित उपवाक्यों को छाँटकर उनकी स्थिति और सम्बन्ध प्रकट करके उनका विश्लेषण किया जाता है; जैसे

वाक्य-आइए बैठिए, और कहिए कि विद्यार्थी जो आपसे = मिलना चाहता है, कितना बुद्धिमान है।

विश्लेषण-
(अ) आइए-प्रधान उपवाक्य।
(ब) बैठिए-प्रधान उपवाक्य। उपवाक्य ‘अ’ का समान पदी।
(स) और-संयोजक।
(द) देखिए-प्रधान उपवाक्य
(ब) का समान पदी।
(य) कि वह विद्यार्थी कितना बुद्धिमान है-आश्रित संज्ञा उपवाक्य। ‘देखिए’ क्रिया का कर्म।
(र) जो आपसे मिलना चाहता है-आश्रित विशेषण उपवाक्य। उपवाक्य ‘य’ में विद्यार्थी संज्ञा की विशेषता बताता है। सम्पूर्ण वाक्य संयुक्त वाक्य है।

अनुतान-जब हम बोलते हैं, तब हमारा लहजा बदलता रहता है। शब्दों को हमेशा एक ही लहजे में न बोलकर। उतार-चढ़ाव के साथ बोलते हैं। बोलने में आए इन उतार-चढ़ावों के अन्तर को सुर-परिवर्तन कहते हैं।

हिन्दी में सुर-परिवर्तन या सुर का उतार-चढ़ाव तो मिलता। है पर इसके कारण शब्दों का अर्थ नहीं बदलता। हिन्दी में ई सुर-परिवर्तन वाक्य के स्तर पर कार्य करता है, अर्थात् वाक्य का
अर्थ बदल देता है जब सुर-परिवर्तन से वाक्य का अर्थ बदल जाता है तब वह अनुतान कहलाता है; जैसे
मोहन जाएगा। (सामान्य कथन)
मोहन जाएगा ? (प्रश्नवाचक)
मोहन जाएगा ! (विस्मयसूचक)

विराम चिह्न

परिभाषा-वाक्य या वाक्यांश को बोलने के बाद अर्थ को स्पष्ट करते हुए जब हम रुकते हैं तो उसे विराम कहते हैं।
जैसे-

  • राधा ! कार्य करो।

भाषा के बोलने में और लिखने में उसके भाव और अर्थ को स्पष्टता देने के लिए विराम चिह्नों का प्रयोग करना आवश्यक है। मुख्य विराम चिह्न निम्नलिखित हैं
(1) अल्प विराम (,), (2) अर्द्ध विराम (;), (3) पूर्ण विराम (1), (4) संयोजक चिह्न (-), (5) निर्देशक चिह्न (:-), (6) प्रश्नवाचक चिह्न (?), (7) विस्मयादि बोधक चिह्न (!), (8) उद्धरण चिह्न (” “), (9) कोष्ठक चिह्न (()), __ (10) विवरण चिह्न (-)।

  • अल्प विराम ()-इसका प्रयोग बहुत कम समय रुकने के लिए किया जाता है; जैसे-राधा, मोहनी और नीना पढ़ती हैं।
  • अर्द्ध विराम चिह्न-अल्प विराम की अपेक्षा कुछ अधिक समय तक रुकने के लिए अर्द्ध विराम का प्रयोग करते हैं; जैसे-महात्मा गाँधी महापुरुष थे; सारा विश्व जानता है।
  • पूर्ण विराम चिह्न-वाक्य के अर्थ के पूर्ण होने पर वाक्य के अन्त में प्रयोग करते हैं; जैसे-वह आजकल इधर आता-जाता दिखाई नहीं देता है।
  • संयोजक चिह्न-दो प्रधान शब्दों के सम्बन्ध को प्रकट करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग करते हैं; जैसे-राम-लक्ष्मण, भाई-बहन।
  • निर्देशक चिह्न-इस चिह्न का प्रयोग संवाद, कथोपकथन, वार्तालाप के नाम के बाद किया जाता है; जैसे-मोहनकल तो वर्षा हो रही थी, मैं कैसे आता।
  • प्रश्नवाचक चिह्न-जिन वाक्यों में प्रश्न पूछने का भाव स्पष्ट होता हो, वहाँ प्रश्नवाचक चिह्न (?) प्रयोग किया जाता है; जैसे-तुम क्या करते हो ?
  • विस्मयादि बोधक चिह्न-हर्ष, विषाद, घृणा और आश्चर्य के भाव को प्रकट करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे-अरे ! इस तरह की धूप में चले आए।
  • ऊद्धरण चिह्न-किसी बात को ज्यों का त्यों दुहराने के लिए इस चिह्न का प्रयोग करते हैं; जैसे-बुद्ध ने कहा, “अहिंसा परम धर्म है।”
  • कोष्ठक चिह्न-वाक्य में किसी विशिष्ट पद को स्पष्ट करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग करते हैं। जैसे- मैं (राम प्रकाश) अब स्वयं उपस्थित हूँ।
  • विवरण चिह्न-किसी बात को आगे निर्दिष्ट करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग करते हैं; जैसे-आगे लिखे बिन्दुओं को समझकर अपनी भाषा में लिखो

अनुस्वार और आनुनासिक

अनुस्वार-अनुस्वार का अर्थ है स्वर के बाद आने वाली। ध्वनि। इसको नासिका व्यंजन कहते हैं। इसे स्वर या व्यंजन के ऊपर लगाते हैं। अनुस्वार शब्द के मध्य या अन्त में ही आ सकता है, शब्द के प्रारम्भ में नहीं। यह जिस व्यंजन के पहले आता है, उसी व्यंजन के वर्ग की (पंचम वर्ण) नासिका ध्वनि के रूप में इसका उच्चारण किया जाता है।

MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 3
आज मानक रूप में पंचम वर्ण के स्थान पर (‘) अनुस्वार का चिह्न मान्य है।

आनुनासिक-(*) यह चिह्न चन्द्र बिन्दु कहलाता है। इसका उच्चारण आनुनासिक होता है। आनुनासिक स्वरों का गुण है। जब इसका उच्चारण होता है, तब हवा मुख के साथ नाक से भी निकलती है।
ठाँव, हँस शब्द पर (*) लगा है।

चन्द्र बिन्दु (*) लगाने के निम्नलिखित नियम हैं-
(क) जिन स्वर मात्राओं का कोई भी हिस्सा शिरोरेखा से बाहर नहीं निकलता तो आनुनासिक के लिए (*) का प्रयोग करते हैं; जैसे-साँस, कुआँ, पाँव।
(ख) जिन स्वरों की मात्राओं का कोई भाग शिरोरेखा के ऊपर निकल जाता है, तब चन्द्र बिन्दु के स्थान पर () का ही प्रयोग होता है; जैसे-चोंच, कोंपल।

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सन्धि

परिभाषा-दो या दो से अधिक अक्षरों के मेल से जो विकार या परिवर्तन होता है, उसे सन्धि कहते हैं;
जैसे-

  • देव + आराधना = देवाराधना।

सन्धि भेद-सन्धि तीन होती हैं-

  1. स्वर सन्धि,
  2. व्यंजन सन्धि,
  3. विसर्ग सन्धि।

(1) स्वर सन्धि -स्वर (अ आ, इ ई, उ ऊ, ऋ, लु, ए ऐ, ओ औ) के आगे अन्य या समान स्वर के आने से जो विकार पैदा होता है, उसे स्वर सन्धि कहते हैं; जैसे-वन + औषधि = वनौषधि। विद्या + अर्थी = विद्यार्थी।

स्वर सन्धि के पाँच भेद होते हैं-वे निम्नलिखित हैं-

  1. दीर्घ सन्धि-हस्व या दीर्घ स्वर के बाद, उसी स्वर के आने पर उन दोनों के मेल से जो दीर्घ स्वर बनता है; उसे दीर्घ सन्धि कहते हैं; जैसे-राजा + आज्ञा = राजाज्ञा। वधू + उत्सव = वधूत्सव। रवि + इन्द्र = रवीन्द्र।।
  2. गुण सन्धि-अ या आ के बाद इ ई के आने पर (अ आ + इ ई) ए हो जाता है और अ या आ के बाद उ ऊ आने पर (अ आ + उ ऊ) ओ हो जाता है। अ आ के बाद ऋ के आने पर ‘अर्’ हो जाता है; जैसे-राघव + इन्द्र = राघवेन्द्र। हित + उपदेश = हितोपदेश। महा + इन्द्र = महेन्द्र। महा + ऋषि = महर्षि।
  3.  वृद्धि सन्धि-अ आ के बाद ए ऐ के आने पर ‘ऐ’ हो जाता है तथा अ आ के बाद ओ औ आए तो ‘औ’ हो जाता है। इस मेल को वृद्धि सन्धि कहते हैं; जैसे-तथा + एव = तथैव (आ + ए = ऐ); महा + ओध = महौध (आ + ओ = औ)।
  4. यण सन्धि-जब इ ई उ ऊ ऋ के आगे असमान स्वर आए, तो इ ई का ‘य’ उ ऊ का ‘व’ और ऋ का र् हो जाता है। इस मेल को ‘यण’ कहते हैं; जैसे-यदि + अपि = यद्यपि; इति + आदि = इत्यादि; सु + आगत = स्वागत; वधु + आगमन = वध्वागमन; मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा।
  5. अयादि सन्धि-यदि ए ऐ, ओ औ के बाद जब कोई भिन्न स्वर आता है, तो इनके स्थान पर क्रमशः अय्, अव्, आव् हो जाता है; जैसे-ने + अन = नयन; नै + अक = नायक; पो + अन = पवन; पौ + अक = पावक।

(2) व्यंजन सन्धि-एक व्यंजन के बाद दूसरे व्यंजन के आने पर या किसी स्वर के आने पर जो विकार पैदा होता है, उसे व्यंजन सन्धि कहते हैं; जैसे-जगत् + ईश = जगदीश; जगत् + नाथ = जगन्नाथ।

व्यंजन सन्धि के नियम-

  • किसी वर्ग के प्रथम अक्षर के बाद जब कोई स्वर, आए तो वर्ग के प्रथम अक्षर का उसी वर्ग के तृतीय अक्षर में परिवर्तन हो जाता है; जैसे-दिक् + अंबर = दिगम्बर (क् + अ = ग), सत् + आनन्द = सदानन्द (त् + आ = द्)।
  • यदि क, च, ट, त, प (वर्ग के प्रथम अक्षर) के बाद किसी भी वर्ग का तीसरा अथवा चौथा व्यंजन अथवा स्वर आए, तो वर्ग के प्रथम अक्षरों-क, च, ट, त, प का क्रमशः अपने ही वर्ग का तृतीय अर्थात् ग, ज, ड, द, ब हो जाता है; जैसे-सत् + जन् = सज्जन, दिक् + गज = दिग्गज।
  • यदि ‘त’ वर्ग के आगे ‘च’ वर्ग आए तो ‘त’ वर्ग का ‘च’ वर्ग हो जाता है; जैसे-सत् + चित् = सच्चित्।
  • ‘त्’ के आगे ‘ल’ आने पर त् का ल् हो जाता है; जैसे-तत् + लीन = तल्लीन।
  • यदि त्’ के आगे ‘श’ आए तो ‘त्’ का ‘च’ तथा ‘श’ का ‘छ’ हो जाता है; जैसे-सत् + शिष्य = सच्छिष्य।
  • यदि ‘छ’ के पहले कोई स्वर हो तो ‘छ’ के स्थान ‘च्छ’ हो जाता है; जैसे-वि + छेद = विच्छेद, आ + छादन = आच्छादन।
  • यदि किसी वर्ग के अक्षर से अनुस्वार प्रयुक्त हो तो वह अपने ही वर्ग का पाँचवाँ अक्षर हो जाता है; जैसे-सम् + चार = संचार, सम् + चय = संचय।
  • यदि त् या द् के बाद ट् या द आए तो त् या द् का ट् हो जाता है; जैसे-तत् + टीका = तट्टीका।
  • यदि त् या द् के बाद ड् या द आए तो त् या द् का ड हो जाता है; जैसे-उत् + डयन = उड्डयन।
  • जब त् या द् के बाद ‘ह’ आए तो ह का द् होकर ‘त’ वर्ग का चतुर्थ हो जाता है; जैसे-उत् + हरण = उद्धरण।
  • यदि ‘स’ से पहले ‘इ ई’ स्वर आए तो स का ‘ष’ हो जाता है। जैसे-वि + सम = विषम, अभि + सेक = अभिषेक।

(3) विसर्ग सन्धि-विसर्ग (:) में स्वर या व्यंजन का मेल होता है, तो इस होने वाले विकार (परिवर्तन) को विसर्ग सन्धि कहते हैं; जैसे-मनः + रम = मनोरम।

विसर्ग सन्धि के नियम-

  1. विसर्ग (:) के बाद ‘च’ या ‘छ’ के आने पर विसर्ग का ‘श्’ हो जाता है; जैसे-निः + चय = निश्चय।
  2. यदि विसर्ग से पहले ‘अ’ और बाद में व्यंजन वर्गों का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ अथवा य र ल व आए तो विसर्ग का ‘ओ’ हो जाता है; जैसे-मनः + ज = मनोज, मनः + रथ = मनोरथ।
  3. विसर्ग के बाद ‘र’ व्यंजन के आने पर उसका पहला स्वर दीर्घ हो जाता है और विसर्ग (:) का लोप हो जाता है; जैसे-निः + रोग = नीरोग, निः + रव = नीरव, निः + रज = नीरज।
  4. विसर्ग से पूर्व स्वर या ‘ड’ होने पर और विसर्ग (:) के आगे क ख फ होने पर विसर्ग (:) का ‘ष्’ हो जाता है; जैसे-दुः+ कर्म = दुष्कर्म, निः + काम = निष्काम। –
  5. विसर्ग के पहले अ आ को छोड़कर कोई अन्य स्वर आए और उसके बाद किसी भी व्यंजन वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवाँ अक्षर आए अथवा य र ल व आए तो विसर्ग का ‘र’ हो जाता है; जैसे-निः + गत = निर्गत, निः + गुण = निर्गुण।
  6. यदि विसर्ग (:) के बाद. ‘अ’ को छोड़कर अन्य कोई भी स्वर आए तो विसर्ग लुप्त हो जाता है; जैसे-अतः + एव = अतएव।
  7. विसर्ग (:) के बाद श ष स आएँ तो विसर्ग का श् ष स हो जाता है; जैसे-निः + शेष = निश्शेष, निः + संकोच = निस्संकोच।

उपसर्ग

परिभाषा-अपने स्वतन्त्र अर्थ से रहित वे शब्दांश जो किसी सार्थक शब्द से पहले जोड़ दिए जाने पर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं।
उदाहरण-
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 4

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प्रत्यय

परिभाषा-जो पद शब्द के अन्त में प्रयुक्त होकर नए शब्द की रचना करते हैं और उससे अर्थ में परिवर्तन हो जाता है, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
उदाहरण-
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 5

समास

परिभाषा-दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जो नया शब्द बनता है, उसे उस शब्द समूह का समास कहते हैं।

समास भेद-
(1) अव्ययीभाव समास-जिस सामासिक पद में पूर्वपद की प्रधानता हो तथा वह अव्यय भी हो, तो वहाँ। अव्ययीभाव समास होता है।

जैसे-
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 6

(2) तत्पुरुष समास-जिस सामासिक पद में दूसरे पद की। प्रधानता होती है और प्रथमा विभक्ति को छोड़कर सभी विभक्तियों पंचगवम् का विग्रह करने पर संकेत मिलता है, वहाँ तत्पुरुष समास होता है;
जैसे-
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 7

(3) द्विगु समास-जिस समास पद में पहला पद संख्यावाचक विशेषण हो और दूसरा पर विशेष्य हो, तो उस पद में द्विगु समास होता है;

जैसे-
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 8

(4) कर्मधारय समास-जिस समास पद में विशेषण और विशेष्य का योग हो, वहाँ कर्मधारय समास होता है;

जैसे-
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 9

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(5) बहुब्रीहि समास-जिस समास पद में अन्य पद की प्रधानता होती है। वहाँ बहुब्रीहि समास होता है;

जैसे-
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 10

(6) द्वन्द्व समास-जिस समास पद में सभी पद प्रधान हों तथा विग्रह चलने पर ‘और’ से जुड़ा हो, वहाँ द्वन्द्व समास होता है;

जैसे-
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 11

अलंकार

(1) उपमा-समानता के कारण जहाँ दो वस्तुओं में तुलना। की जाय, वहाँ उपमा अलंकार होता है। उपमा के चार अंग होते

  • उपमेय-जिस व्यक्ति या वस्तु की किसी अन्य से तुलना की जाती है, उसे उपमेय कहा जाता है।
  • उपमान-जिस प्रसिद्ध व्यक्ति या वस्तु से उपमेय की समानता (तुलना) की जाए उसे उपमान कहा जाता है।
  • साधारण धर्म-उपमेय और उपमान में पाया जाने वाला समान गुण साधारण धर्म है।
  • वाचक शब्द-वाचक वे शब्द हैं जो उपमेय और उपमान में पाए जाने वाले गुण की समानता प्रकट करते हैं। समानता बताने के लिए-सी, जैसा, सम, सरिस, तुल्य आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण-

“नन्दन वन सी फूल उठी वह छोटी सी कुटिया मेरी”;

इस पंक्ति में कुटिया उपमेय है। ‘नन्दन वन’ उपमान है। ‘फूल। उठी’ साधारण धर्म है तथा ‘सी’ वाचक शब्द है।

(2) रूपक-उपमेय और उपमान के अभेद वर्णन को। रूपक अलंकार कहते हैं अर्थात् जब उपमेय को उपमान का रूप दे दिया जाता है, तो वहाँ रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण-

‘अति आनन्द उमगि अनुरागा।
चरन सरोज पखारन लागा॥’

इन पंक्तियों में चरन-सरोज (उपमेय और उपमान) में अभेद आरोप लगाया है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

(3) उत्प्रेक्षा-जहाँ एक वस्तु में दूसरी वस्तु (उपमेय में उपमान) की सम्भावना (होने की भावना) प्रकट की जाए, तो – वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उदाहरण-

‘सोहत ओढ़े पीत पटु स्याम सलोने गात।
मनहु नीलमणि सैल पर, आतप परयौ प्रभात॥’

कवि ने इन पंक्तियों में श्रीकृष्ण के साँवले शरीर पर धारण किये हुए पीले वस्त्र से नीलमणि के पर्वत पर सुबह के समय पड़ने वाली धूप की उत्प्रेक्षा की है।

(4) अनुप्रास-जिस पद्य में व्यंजन वर्णों (शब्दों) की। आवृत्ति बार-बार हो और वे कविता की सुन्दरता को बढ़ावा दे रहे हों तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण-

तुलसी मनरंजन रंजित अंजन नैन सुखंजन जातक से।
सजनी सीस में समसील उभै नवनील सरोरुह ले विकसे॥’

इन पंक्तियों में ‘ज’ तथा ‘स’ की आवृत्ति अनेक बार होने के कारण अनुप्रास अलंकार है।

रस

परिभाषा-रस काव्य की आत्मा है। काव्य के पढ़ने से, सुनने और देखने से (नाटक आदि) जिस आनन्द की अनुभूति होती है उसे ‘रस’ कहते हैं। तात्पर्य यह है कि स्थायी भाव के साथ विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।

रस के अंग-रस के अंग चार होते हैं-

  • स्थायी भाव,
  • विभाव,
  • अनुभाव,
  • संचारी भाव।

रस दस प्रकार के होते हैं-
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 12

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छन्द विधान

छन्द रचना की जानकारी देने वाले शास्त्र को पिंगल शास्त्र कहते हैं।
छन्द-निश्चित गति और यति के क्रम से जो काव्य रचना होती है, उसे छन्द कहते हैं। ‘गति’ का अर्थ ‘प्रवाह’ और ‘यति’ का अर्थ ‘विराम’ होता है।

छन्द के प्रकार-छन्द दो प्रकार के होते हैं-
(1) मात्रिक,
(2) वार्णिक (वर्णवृत्त)।

  • मात्रिक छन्द-इनकी रचना मात्राओं की गिनती के आधार पर होती है।
  • वर्णवृत्त (वार्णिक) छन्द-वर्णवृत्त छन्दों में वर्ण (अक्षर) की गणना का नियम रहता है।

छन्द के अंग-चरण, यति, गति, मात्रा, तुक, गण छन्द के अंग हैं।

  • चरण-छन्द पंक्तियों में बँटा रहता है और पंक्ति चरण में अर्थात् छन्द की पंक्ति के एक भाग को चरण कहते हैं।
  • यति-छन्द में जहाँ अल्प समय के लिए रुकना पड़े,। वह यति कहलाती है।
  • गति-छन्द के प्रवाह को गति कहते हैं।
  • तुक-छन्द के चरणों के अन्त में समान वर्ण आने को। तुक कहते हैं।
  • तुकान्त-जब चरणान्त में समान वर्ण आएँ तब तुकान्त। स्थिति होती है।
  • अतुकान्त-छन्द के अन्त में असमान वर्ण आते हैं तब। अतुकान्त स्थिति होती है।
  • मात्रा-किसी स्वर के उच्चारण में जो समय लगता। है, उसे मात्रा कहते हैं।

मात्राएँ दो प्रकार की होती हैं-

  • ह्रस्व और
  • दीर्घ।

ह्रस्व मात्रा (लघु)-इसके उच्चारण में कम समय लगता। है। ह्रस्व स्वर की एक मात्रा गिनी जाती है। इसका चिह्न।’ है।। अ, इ, उ, ऋ स्वर की मात्रा ह्रस्व है।
दीर्घ मात्रा (गुरु)-ह्रस्व स्वर से दीर्घ मात्रा के उच्चारण में। दुगुना समय लगता है। इसकी दो मात्राएँ गिनी जाती हैं। इसका। चिह्न ‘इ’ है। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ स्वर की मात्राएँ दीर्घ मात्राएँ होती हैं।

पाठ्यक्रम में निर्धारित मात्रिक छन्द-दोहा, सोरठा, चौपाई,। रोला तथा कुण्डलियाँ हैं।
(1) दोहा-यह मात्रिक छन्द है। इसमें चार चरण होते हैं।। इसके विषम चरणों (पहले और तीसरे) में 13-13 मात्राएँ तथा सम चरणों (दूसरे और चौथे) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।

उदाहरण-
।ऽ ऽ। ऽ ऽ।ऽ ऽऽ ऽऽ ऽ। = (13-11)
हरी डारि ना तोड़िए, लागै छूरा बान।
ऽ। ।ऽऽ ऽ।। ।। ऽ ऽ ऽ ऽ। = (13-11)
दास मलूका यों कहै, अपना सा जी जान।

(2) सोरठा-यह मात्रिक छन्द, दोहा का उल्टा है। इसके विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ तथा सम चरणों में 13-13 मात्राएँ। होती हैं।
उदाहरण-
ऽ।। । । । । ऽ। । । । । ऽ । । । । । । ।
फूलहि फलहि न बेंत, जदपि सुधा बरषहिं जलद।
(पहला चरण-11 मात्राएँ) (दूसरा चरण 13 मात्राएँ)
ऽ।। ।।। । ऽ। ऽ।।। । । । । । । । ।
मूरख हृदय न चेत, जो गुरु मिलहिं विरंचि सम।।
(तीसरा चरण-11 मात्राएँ) (चौथा चरण-13 मात्राएँ)

(3) चौपाई-यह मांत्रिक छन्द है। इसमें चार चरण होते हैं। तथा प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण-
मंजु विलोचन मोचन वारी। बोली देखि राम महतारी।।
ऽ। ।ऽ। । ऽ।। ऽऽ +ऽऽऽ। ऽ। ।।ऽ (16 + 16)
तात सुनहु सिय अति सुकुमारी। सास-ससुर परिजनहि पियारी।
ऽ। । । । । । । । । । ।ऽऽ+ऽ ।।।। ।।।।। ऽऽ (16 + 16)

(4) रोला-यह मात्रिक छन्द है। इसमें चार-चार चरण होते हैं, इसके प्रत्येक चरण में 11, 13 पर यति देकर 24 मात्राएँ होती हैं। दो चरणों के अन्त में तुक रहती है।
उदाहरण-

नीलाम्बर परिधान, हरित पट पर सुन्दर है।
सूर्य चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर हैं।
नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मण्डल हैं।
बन्दीजन खगवृन्द, शेष फन सिंहासन है।

(5) कुण्डलियाँ-दोहा और रोला मिलकर कुण्डलियाँ छन्द बनता है। इसमें दोहा का अन्तिम चरण, रोला का प्रथम चरण होता है तथा कुण्डलियाँ जिस शब्द से प्रारम्भ होती है, उसी से वह समाप्त होती है। दोहा के विषम चरणों में 13-13 तथा सम चरणों में 11-11 मात्राएँ होती हैं तथा रोला में 11-13 तथा यति देकर 24 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण-

दौलत पाइ न कीजिए, सपने में अभिमान।
चंचल जल दिन चारिको, ठाँउं न रहत निदान॥
ठाँउं न रहित निदान, जियत जग में जस लीजै।
मीठे वचन सुनाइ, विनय सबही सौं कीजै॥
कह गिरधर कविराय, अरे यह सब घट तौलत।
पाहुन निस दिन चारि, रहत सब ही के दौलत॥

शब्द-युग्म

युग्म का अर्थ होता है दो या जोड़। ‘शब्द-युग्म’ में परस्पर मिलते-जुलते या विपरीत अर्थ वाले अथवा सार्थक-निरर्थक और पुनरुक्त शब्द आते हैं। देखिए

  • समानार्थी शब्द-युग्म-गरमा-गरम, काम-काज बाल-बच्चे।
  • विरोधार्थी शब्द-युग्म-आना-जाना, सुख-दुःख, लाभ-हानि।
  • निरर्थक शब्द-युग्म-पानी-वानी, चाय-वाय।
  • पुनरुक्त शब्द-युग्म-धीरे-धीरे, बूंद-बूंद, आस-पास।

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शब्द-युग्म (समोच्चारित)
बोलने में समान लगने वाले शब्द अर्थ में भिन्न होते हैं। इस तरह मिलते-जुलते शब्दों को भिन्नार्थक समोच्चारित शब्द, युग्म-पद, श्रुतिसम शब्द भी कहते हैं।
उदाहरण-
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 13
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 14
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 15
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 16
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 17

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

शब्द समूह – एक शब्द
1. जिसके आर–पार देखा जा सके – पारदर्शक
2. वह धरती जो उपजाऊ हो – उर्वरा
3. वह जो रोगी न हो – नीरोग।
4. जो याद रखने योग्य हो – स्मरणीय
5. जिसका ईश्वर में विश्वास हो – आस्तिक
6. जिस पर विश्वास किया जा सके – विश्वसनीय
7. जिसका वर्णन न किया जा सके – अवर्णनीय
8. जिसमें दया न हो – निर्दयी
9. सब कुछ जानने वाला – सर्वज्ञ
10. वह जो मर्म को स्पर्श करे – मर्मस्पर्शी
11. जिसका मन एक विषय में लगा हो – एकाग्रचित
12. जिसकी तुलना न हो सके – अतुलनीय
13. जिसका जन्म हम से बहुत पहले पूर्वज – हुआ हो
14. जिसकी आयु लम्बी हो – दीर्घायु
15. जो अपने पर ही निर्भर हो – आत्मनिर्भर
16. अधिक बोलने वाला – वाचाल
17. वह मनुष्य जिसकी पत्नी मर गई हो – विधुर
18. अपने निश्चय से न डिगने वाला – अविचल
19. जो पुरुष लोहे के समान सुदृढ़ हो – लौहपुरुष
20. हाथी को हाँकने के लिए प्रयुक्त हुक – अंकुश
21. घृणा करने योग्य – घृणित
22. छात्रों के रहने का स्थान – छात्रावास
23. जिसका कभी अन्त न हो – अनन्त
24. जिसका पति मर गया हो – विधवा
25. जो समय के अनुसार उचित हो – यथोचित
26. शक्ति के अनुसार जितना हो सके – यथाशक्ति
27. शरण में आया हुआ – शरणागत
28. जो एक भी अक्षर न जानता हो – निरक्षर
29. जिसने इन्द्रियों को जीत लिया हो – जितेन्द्रिय
30. जिसकी इच्छाएँ बहुत ऊँची हों। – महत्त्वाकांक्षी
31. प्रार्थना करने वाला – प्रार्थी
32. मन में जलने वाला – ईर्ष्यालु
33. दोपहर के बाद का समय – अपराह्न
34. जिसका शोषण किया हो – शोषित
35. सभी जनता से सम्बन्धित – सार्वजनिक
36. सिक्के ढालने का कारखाना – टकसाल
37. दूर की बात पहले ही समझ लेने दूरदर्शी – वाला
38. उपासना करने वाला – उपासक
39. भगवान के चक्र का नाम – सुदर्शन चक्र
40. जिसे अपने काम में सफलता मिले – सफल
41. बहुत बढ़ा–चढ़ाकर कही हुई बात – अत्युक्ति
42. जिसका आकार न हो – निराकार
43. जिसका आचरण अच्छा हो – सदाचारी
44. बहुत कम जानने वाला – अल्पज्ञ
45. एहसान न मानने वाला – कृतघ्न
46. मार्ग दिखाने वाला – मार्गदर्शक
47. जो शुद्ध न किया गया हो – अशुद्ध
48. पूजा करने योग्य – पूजनीय
49. माँस खाने वाला – माँसाहारी
50. श्रद्धा रखने वाला – शृद्धालु
51. दोपहर से पूर्व का समय – पूर्वाह्न
52. दर्शन करने योग्य – दर्शनीय
53. जिसे जीता न जा सके – अजेय
54. जो दिखाई न दे – अदृश्य
55. जल में रहने वाला जीव – जलचर
56. थल पर रहने वाला जीव – थलचर
57. अपना लाभ चाहने वाला – लाभार्थी
58. विचार करने योग्य – विचारणीय
59. बिना वेतन काम करने वाला – अवैतनिक
60. जो देश पर मर मिटे – शहीद
61. जो सबसे ऊँचा हो – सर्वोच्च
62. सौ वर्ष का समय – शताब्दी
63. अवसर के अनुकूल काम करने वाला – अवसरवादी
64. परीक्षा देने वाला – परीक्षार्थी
65. रखने के लिए दी गई वस्तु – धरोहर
66. रक्षा करने वाला – रक्षक
67. हाथ से लिखा हुआ – हस्तलिपि
68. ईश्वर को न मानने वाला – नास्तिक
69. निरीक्षण करने वाला – निरीक्षक
70. जिसका उत्साह नष्ट हो गया हो – हतोत्साहित
71. जो नीति का ज्ञाता हो – नीतिज्ञ
72. जिसके हाथ में वीणा हो – वीणापाणि

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पर्यायवाची शब्द

परिभाषा-समान अर्थ को प्रकट करने वाले शब्द पर्यायवाची (समानार्थक) शब्द कहे जाते हैं।

शब्द – पर्यायवाची शब्द
(1) आकाश’ – नभ, आसमान, अम्बर, गगन, व्योम, शून्य।
(2) वायु – हवा, अनिल, बयार, समीर, पवन, मारुत।
(3) गंगा – भगीरथी, सुरसरिता, देवनदी, मन्दाकिनी, जाह्नवी।
(4) पृथ्वी – भू, धरा, भूमि, मही, वसुधा, धरती।
(5) जल – नीर, सलिल, वारि, पय, तोय, अम्बु, पानी।
(6) गणेश – गजानन, लम्बोदर, विनायक, गजबदन, गण–पति।
(7) पत्थर – प्रस्तर, शिला, पाहन, पाषाण।
(8) अमृत – सोम, सुधा, पीयूष, अमी, सुरभोग।
(9) शिव – महेश, शंकर, चन्द्रशेखर, महादेव, पशुपति।
(10) पक्षी – खग, द्विज, शकुनि, पतंग, विहंग।
(11) नृपति – भूपति, नरेश, नृप, महीपति, राजा।
(12) अनल – अग्नि, पावक, कृशानु, दहन, आग।
(13) शशांक – इन्दु, मयंक, निशाकर, राकेश, सुधाकर।
(14) सूर्य – भानु, दिनेश, रवि, प्रभाकर, भास्कर, दिनकर, दिवाकर।।
(15) वन – कानन, जंगल, विपिन, अरण्य।
(16) मोर – मयूर, शिखी, केकी, ध्वजी।
(17) पेड़ – तरु, वृक्ष, पादप, द्रुम।
(18) नेत्र – आँख, लोचन, नयन, दृग, चख, चक्षु, अक्षि।
(19) इन्द्र – पुरन्दर, देवेश, शचीपति, सुरेश, मधवा।
(20) कमल – पंकज, अम्बुज, सरोज, नीरज, जलज।
(21) जग – जगत, विश्व, भव, संसार, लोक।
(22) देवता – अमर, सुर, देव, निर्जर, आदित्य।
(23) घर –निकेत, धाम, सदन, गृह, भवन।
(24) नारी – स्त्री, अबला, महिला, औरत, ललना, कान्ता।
(25) ब्रह्मा – चतुरानन, विधाता, अज, स्वयंभू।
(26) लक्ष्मी – कमला, इन्दिरा, श्री, रमा, कल्याणी, विष्णु प्रिया।
(27) सिंह – शेर, केसरी, ब्याघ्र, नाहर, केहरी।
(28) स्वर्ग – सुरलोक, देवलोक, परलोक, इन्द्रपुरी।
(29) सरस्वती – वीणापाणि, शारदा, गिरा, हंसवादिनी, शुभ्र वस्त्रा, ईश्वरी।
(30) असुर – राक्षस, निशाचर, रजनीचर, तमीचर, दैत्य, दानव।
(31) बादल – धन, मेघ, जलधर, वारिद, नीरद, पयोधर, जलद।
(32) वस्त्र – कपड़ा, वसन, अम्बर, परिधान, पट, दुकूल।
(33) अश्व – तुरंग, घोड़ा, बाजि, हय, घोटक, सैन्धव।।
(34) हिमालय – नगाधिराज, नागेश, पर्वतराज, हिमाद्रि, हिमांचल।
(35) प्रेम – स्नेह, अनुराग, हित, प्रीति, रति।
(36) गाय – सुरभि, धेनु, गऊ, गौ।
(37) कनक – स्वर्ण, कंचन, सवर्ण, जातरूप, सोना।

विलोम शब्द

परिभाषा-किसी शब्द के विपरीत अर्थ का बोध कराने वाला शब्द विपरीतार्थक (विलोम) शब्द कहा जाता है। संज्ञा शब्द के लिए संज्ञा और विशेषण के लिए विशेषण ही विलोम शब्द होना चाहिए।
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 18
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 19

तद्भव एवं तत्सम शब्द

MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 20
MP Board Class 8th Special Hindi व्याकरण 21

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मुहावरे

परिभाषा-शब्द के अर्थ से भिन्न अर्थ देने वाले पद मुहावरे कहे जाते हैं।

1. आकाश से बातें करना-बहुत ऊँचा होना।
प्रयोग-हिमालय की बहुत-सी चोटियाँ आकाश से बातें करती हैं।

2. आग बबूला होना-बहुत क्रोध करना।
प्रयोग-अंगद की खरी-खोटी बातें सुनकर रावण आग बबूला हो गया।

3. आँखें दिखाना-क्रोध से घूरना।
प्रयोग-मुझे आँखें मत दिखाओ, मैंने कोई गलती नहीं की है।

4. आड़े हाथों लेना-खरी-खोटी सुनाना।
प्रयोग-चुनाव आने पर नेताओं को जनता आड़े हाथ लेती

5. आस्तीन का साँप-कपटी मित्र।
प्रयोग-मोहन तो आस्तीन का साँप है। स्वार्थ सिद्ध होने पर उसने तो खबर ही न ली।

6. आटे दाल का भाव मालूम होना-दुःख उठाना।
प्रयोग-दुर्योधन को भीम की गदा के प्रहार से आटे दाल का भाव मालूम हो गया।

7. आँख से उतर जाना-सम्मान नष्ट होना।
प्रयोम-मेरे मित्र ने मुझे गलत सूचना दी और इस झूठे व्यवहार से वह मेरी आँखों से उतर गया है।

8. आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना।
प्रयोग-रेलगाड़ी में एक यात्री ने मेरी आँखों में धूल झोंककर मेरा बटुआ चुरा लिया।

9. ईद का चाँद होना-बहुत दिन बाद दिखाई देना।
प्रयोग-राजीव कहाँ रहते हो ? तुम तो अब ईद के चाँद हो गए हो।

10. एक आँख से देखना-बराबर का व्यवहार।
प्रयोग-माता-पिता अपनी सन्तान को एक आँख से देखते हैं।

11. कलेजे पर साँप लोटना-ईर्ष्या करना।
प्रयोग-भाषण प्रतियोगिता में सुधा के प्रथम आने पर वीणा के कलेजे पर साँप लोटने लग गया है।

12. कलई खोलना-भेद बता देना।
प्रयोग-रवि परीक्षा में नकल करता हुआ पकड़ा गया; इस तरह उसके चरित्र की कलई खुल गई।

13. कन्धे डालना-निष्क्रिय हो जाना, कमजोर हो जाना।
प्रयोग-व्यापार में असफल होने पर उसने कन्धे डाल दिए।

14. काला अक्षर भैंस बराबर-अनपढ़।
प्रयोग-भारतीय किसान अभी भी काला अक्षर भैंस बराबर हैं।

15. कोल्हू का बैल-दिन रात काम में लगे रहना।
प्रयोग-आर्थिक समस्याओं के कारण वह अभी भी कोल्हू का बैल बना हुआ है।

16. खून-पसीना एक करना-कठोर परिश्रम करना।
प्रयोग-प्रतियोगिता में सफल होने के लिए खून-पसीना एक करना पड़ता है।

17. गढ़े मुर्दे उखाड़ना-पुरानी बातें ले बैठना।
प्रयोग-अब तो भविष्य की चिन्ता करो, गढ़े मुर्दे उखाड़ने से अब क्या लाभ ?

18. गले उतरना-समझ में आना।
प्रयोग-सज्जन की सलाह प्रायः दुष्ट के गले नहीं उतरती।

19, गागर में सागर भरना-थोड़े शब्दों में अधिक महत्त्व की बात करना।
प्रयोग-बिहारीलाल ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।

20. गुदड़ी का लाल-गरीब लेकिन गुणवान।
प्रयोग-श्री लालबहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे।

21. गंगा बहना-सहज प्राप्ति।
प्रयोग-विद्यालयों के खुल जाने से हमारे शहर में शिक्षा की गंगा बहने लग गई है।

22. घाव पर नमक छिड़कना-दुःखी को और दुःखी करना।
प्रयोग-रवि ने व्यापार में घाटा देकर अपने पिता के घाव पर नमक छिड़क दिया है।

23. घाट-घाट का पानी पीना-अधिक अनुभवी होना।
प्रयोग-राजेन्द्र कहीं भी धोखा नहीं खा सकता क्योंकि वह तो घाट-घाट का पानी पीए हुए है।

24. घी के दिए जलाना-प्रसन्नता प्रकट करना।
प्रयोग-क्रिकेट मैच में जीतने पर देशवासियों ने घी के दिये जलाए।

25. चकमा देना-धोखा देना।
प्रयोग-चोर तो पुलिस को भी चकमा दे गया।

26. छक्के छुड़ाना-हरा देना।
प्रयोग-भारतीय सैनिकों ने युद्ध में लड़ते हुए दुश्मनों के। छक्के छुड़ा दिए।

27. छाती पर मूंग दलना-दिल दुखाना।
प्रयोग-तुम जो भी काम करो, परन्तु मेरी छाती पर मूंग। मत दलो।

28. छाती पर पत्थर रखना-चुपचाप कष्ट सहन करना।
प्रयोग-सुमित्रा ने अपने पुत्र को वन में भेजकर छाती पर पत्थर रख लिया।

29. छोटा मुँह बड़ी बात-बढ़-चढ़कर बातें करना।
प्रयोग-मोहन तो परीक्षा पास करते ही, बड़ों से तर्क-वितर्क करता है, वह तो छोटा मुँह बड़ी बात करके अच्छा नहीं कर रहा है।

30. डींग मारना-झूठी तारीफ करना। प्रयोग-डींग मारना एक बहुत भद्दी आदत है। 31. तीन तेरह होना-बिखर जाना।
प्रयोग-मोहन को व्यापार में घाटा क्या हुआ, उसकी योजनाएँ तीन तेरह हो गईं।

32. तलवे चाटना-खुशामद करना।
प्रयोग-स्वार्थ के लिए लोग अपने अधिकारियों के तलवे चाटते हैं।

33. दाँत खट्टे करना-बुरी तरह हराना।
प्रयोग-भारतीय क्रिकेट टीम ने पाकिस्तानियों के दाँत खट्टे कर दिए।

34.धुन का पक्का-पक्की लगन वाला। प्रयोग-धुन का पक्का व्यक्ति सदैव सफल होता है। 35. नाक कटाना-इज्जत गवाँ बैठना।
प्रयोग-बुरी संगति में पड़कर लोग अपने परिवार की नाक कटा लेते हैं।

36. नौ दो ग्यारह होना-चुपचाप भाग जाना। प्रयोग-पुलिस को देखकर चोर नौ दो ग्यारह हो गया। 37. बाल बाँका न होना-थोड़ी भी हानि न होना।
प्रयोग-ईश्वर की कृपा होने से उसके भक्तों का कोई भी बाल बाँका नहीं कर सकता।

38. बहती गंगा में हाथ धोना-अवसर का लाभ उठाना।
प्रयोग-पड़ोस में भगवत-कीर्तन हो रहा है; मैंने भी इस तरह बहती गंगा में हाथ धो लिए।

39. मुँह की खाना-बुरी तरह परास्त होना।
प्रयोग-भारत-पाक युद्ध में पाक-सेना को मुँह की खानी पड़ी।

40. नाक में दम करना-परेशान होना।
प्रयोग-आतंकवादियों के कारनामे सरकार की नाक में दम किए हुए हैं।

41. टूट पड़ना-तेज आक्रमण करना।
प्रयोग-राणा प्रताप के सैनिक मुगल सेना पर भूखे शेर की तरह टूट पड़े।

42. आँख का तारा होना-बहुत प्यारा होना।
प्रयोग-श्रीकृष्ण अपने माता-पिता की आँखों के तारे थे।

43. श्रीगणेश करना शुरू करना।।
प्रयोग-आज से मैंने अपने प्रकाशन का श्रीगणेश किया है।

44. दिन दूनी रात चौगुनी-जल्दी तरक्की कर जाना।।
प्रयोग-अंकुर सेठ ने औषधियों के व्यापार में दिन दूरी रात चौगुनी तरक्की की है।

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लोकोक्तियाँ

परिभाषा-लोक में प्रचलित उक्तियाँ किसी भी कथन को प्रभावशाली बना देती हैं। इनका प्रयोग स्वतन्त्र वाक्य के रूप में किया जाता है।

1. अधजल गगली छलकत जाए-ओछा आदमी अधिक दिखावा करता है।
प्रयोग-ताल और लय की जानकारी से सोहन स्वयं को। संगीतज्ञ मानता है। ऐसा व्यवहार तो अधजल गगरी छलकत जाए जैसा है।

2. अन्धी पीसे कुत्ता खाए-मूर्ख के द्वारा कमाए धन से चतुर लाभ पाते हैं।। प्रयोग-लाला सोहनलाल दिन-रात परिश्रम करके धन
कमाते हैं परन्तु उसके भाई उस धन से मौज करते हैं। यह तो ‘अन्धी पीसे कुत्ता खाए’ कहावत चरितार्थ हो रही है।

3. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता-एक आदमी बड़ा काम नहीं कर सकता।
प्रयोग-रिश्वतखोरों के दफ्तर में अनिल किस तरह क्रान्ति ला सकेगा। क्या अकेला चना भाड़ फोड़ सकता है ?

4. अब पछताए क्या होत, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत-काम के बिगड़ जाने पर पछताना व्यर्थ है।
प्रयोग-पूरे साल पढ़ाई न करने से फेल हो गये तो तुम्हें। दु:खी नहीं होना चाहिए क्योंकि अब पछताए क्या होत, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत।

5. अन्धों में काना राजा-मूों में अल्पज्ञ भी सम्मान। पाता है।
प्रयोग-अपने गाँव में चौ. श्यामलाल पाँचवीं कक्षा पास हैं। वे सबसे अधिक पढ़े-लिखे व्यक्ति का सम्मान अन्धों में काना राजा होकर प्राप्त कर रहे हैं।

6. आ बैल मुझे मार-जान-बूझकर मुसीबत में पड़ना।
प्रयोग-इस वर्ष के चुनावों में रणवीर के विरुद्ध प्रचार करके मैंने ‘आ बैल मुझे मार’ की कहावत चरितार्थ की है।

7. आटे के साथ घुन भी पिसता है-दोषी के साथ निरपराधी भी मारा जाता है।
प्रयोग-जुआरियों की संगति में बैठा सुधीर भी पुलिस की मार खाते हुए आटे के साथ घुन की तरह पिस गया।

8. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे-निर्दोष को दोषी बताना।
प्रयोग-रजनीश ने वृद्ध को टक्कर मार दी और ऊपर से उसे गाली भी देने लगा। यह तो वही बात हुई कि उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे।

9. ऊँची दुकान फीका पकवान-सार कम आडम्बर ज्यादा।
प्रयोग-स्कूल की इमारत बहुत आकर्षक है परन्तु पढ़ाई ठीक न होने से ऊँची दुकान फीका पकवान लगता है।

10. एक पंथ दो काज-एक ही प्रयास में दो कार्य सिद्ध करना।
प्रयोग-सरकारी काम से वह जबलपुर गया, साथ ही वहाँ के पर्यटन स्थलों को देख आने से उसने एक पंथ दो काज कर ही लिए।

11. खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे-लज्जित होने पर क्रोध करना।
प्रयोग-ललित अपने ध्येय में असफल हो गया तो वह मित्रों पर खीजकर खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे वाली कहावत चरितार्थ करने लगा।

12. ओछे की प्रीत, बालू की मीत-ओछे व्यक्ति की मित्रता अस्थायी होती है।
प्रयोग-महीपाल का व्यवहार अच्छा नहीं है क्योंकि ओछे की प्रीत, बालू की मीत होती है।

13. खोदा पहाड़ निकली चुहिया-अधिक परिश्रम से कम लाभ होना।
प्रयोग-साँची के स्तूप को देखने के लिए की गई लम्बी यात्रा और व्यय निश्चय ही ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ के समान है।

14. घर का भेदी लंका ढावे-आपस की फूट से हानि होती है।
प्रयोग-जयचन्द ने मुहम्मद गौरी की सहायता की और पृथ्वीराज चौहान को हराकर हिन्दू राष्ट्र को नष्ट करवाया। इस तरह घर के भेदी ने लंका को ढहा दिया।

15. जो गरजते हैं, वह बरसते नहीं-कहने वाले कार्य नहीं करते।
प्रयोग-अमेरिका की धमकियाँ भारत को कोई हानि नहीं। पहुँचा सकती क्योंकि जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं हैं।

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MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 3

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions विविध प्रश्नावली 3

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(1) सही जोड़ी बनाइए
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 3 1
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 3 2
उत्तर-
(क) → (4)
(ख) → (5)
(ग) → (1)
(घ) → (3)
(ङ) → (2)

(2) सही विकल्प चुनिए
(1) सिर घोट-मोट पर चुटिया थी लहराती, थी तोंद लटककर घुटनों को छू जाती। पंक्ति में कौन-सा रस है ?
(क) अद्भुत,
(ख) हास्य,
(ग) शान्त,
(घ) करुण।

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(2) ‘वन’ का पर्यायवाची शब्द है
(क) गिरि,
(ख) अरण्य,
(ग) तटिनी,
(घ) अचल।

(3) सूर्य की परिक्रमा लगभग ……………………………. दिनों में पूरी करती है
(क) 360 दिन
(ख) 306 दिन,
(ग) 365 दिन,
(घ) 365 दिन।

(4) इतिहास से सम्बन्धित शब्द के लिए प्रयुक्त होगा
(क) इतिहासिक,
(ख) ऐतिहासिक,
(ग) इतिहासिक,
(घ) येतिहासिक।
उत्तर-
(1) (ख) हास्य,
(2) (ख) अरण्य,
(3) (ग) 365 दिन,
(4) (ख) ऐतिहासिक।

(3) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए,,
(1) सम्राट विक्रमादित्य ने ……………………………. संवत् का प्रचलन प्रारम्भ किया था।
(2) महेश्वर को सूर्यवंश के राजा ……………………………. ने बसाया था।
(3) भगवान राम ……………………………. से ही विजय प्राप्त करने पर बल देते हैं।
(4) रौद्र रस का स्थायी भाव ……………………………. है।
(5) महाराजा की बातों से ………. विश्वास हो गया।
उत्तर-
(1) विक्रम,
(2) मान्धाता,
(3) धर्मरथ,
(4) क्रोध,
(5) पक्का

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti अति लघु उत्तरीय प्रश्न

(1) धर्मरथ के चार घोड़े कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
पाठ-18 के (ख) अभ्यास के बोध प्रश्न प्रश्न 4 के खण्ड (घ) को देखिए।

(2) महेश्वर पर किन-किन सभ्यताओं का प्रभाव पड़ा
उत्तर-
महेश्वर पर मौर्य, सातवाहन और गुप्तकालीन सभ्यता का प्रभाव पड़ा है।

(3) ‘बुक ऑफ इण्डियन बर्ड्स’ पुस्तक के लेखक का नाम बताओ।
उत्तर-
‘बुक ऑफ इण्डियन बर्ड्स’ पुस्तक के लेखक का नाम सलीम अली है। सलीम अली का पूरा नाम सली भाईजुद्दीन अब्दुल अली था।

(4) मोहन ने गाँधीजी की किस बात पर चलने का प्रयास किया है?
उत्तर-
मोहन ने गाँधीजी की अन्याय के सामने सिर न झुकाने की बात पर चलने का प्रयास किया है।

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti लघु उत्तरीय प्रश्न

(1) रावण की मृत्यु किस कारण हुई थी ?
उत्तर-
रावण लंका का राजा था। उसने अपने राज्य को धन-धान्य आदि से सुसम्पन्न बना दिया था। वह बहुत शक्तिशाली राजा था। उसकी सेना विशाल और सभी प्रकार के हथियार आदि से सुसज्जित थी। स्वयं रावण भी विद्वान एवं विज्ञानी था, परन्तु वह राम के विरुद्ध हुए युद्ध में मारा गया। इसका एकमात्र कारण था-उसमें घमण्ड और अभिमान की अधिकता। रावण में सत्य-शील, यम-नियम, दम, दया आदि का नामोनिशान नहीं था। इसी कारण वह युद्ध में मारा गया।

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(2) तलवार के पराक्रमी वीरों के नाम बताइए।
उत्तर-
भारतवर्ष में अनेक पराक्रमी वीर हुए हैं जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने पराक्रम को तलवार के द्वारा दिखाया। इन तलवार के पराक्रमी वीरों में महाराज शिवाजी और महाराणा प्रताप सिंह का नाम प्रसिद्ध है।

(3) पूर्णिमान्त और अमान्त किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उत्तर भारत में माह का आरम्भ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से होता है और पूर्णिमा से अन्त होता है, अतः इसे पूर्णिमान्त कहते हैं परन्तु दक्षिण भारत में माह का आरम्भ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से होता है और अन्त अमावस्या को होता है, अतः इसे अमान्त कहते हैं।

(4) शारदीय और बासन्तीय नवरात्रि किसे कहते हैं ?
उत्तर-
शरद ऋतु में आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक का समय शारदीय नवरात्रि का होता है जबकि बासन्तीय नवरात्रि का समय चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक का समय हुआ करता है।

(5) सुन्दरता की मृगतृष्णा किन दृश्यों से पता चलती है?
उत्तर-
दूर्वादल, सरिता और सरोवरों, पर्वतों, वनों तथा बावड़ियों और सुन्दर झरनों से सुन्दरता की मृगतृष्णा का पता चलता है।

(6) वसीयतनामे के न्याय को जाते समय मिली युवती ने राजा को अन्धा क्यों कहा?
उत्तर-
वसीयतनामे के न्याय को जाते समय मिली युवती ने राजा को अन्धा इसलिए कहा कि वह जवान हो गयी थी। वह विवाह करना भी चाहती थी परन्तु उसके विवाह के लिए किसी “वर’ की खोज नहीं कर पा रहा था।

(7) शेरसिंह ने मोहन और बच्चों से किस बात पर शर्मिंदगी व्यक्त की?
उत्तर-
शेरसिंह ने मोहन के ऊपर अकारण ही हाथ उठाकर, उस पर अत्याचार किया था। अपने इसी व्यवहार के लिए उसने मोहन और बच्चों से शर्मिंदगी व्यक्त की।

(8) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-
प्रथम, सफलता, अनुराग, माँग, सम्मुख।
उत्तर-
शब्द – विलोम
प्रथम – अन्तिम
सफलता – असफलता
अनुराग – विराग
माँग – पूर्ति
सम्मुख – विमुख

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(1) धर्मरथ के माध्यम से रचनाकार हमें क्या शिक्षा देना चाहता है ? समझाइए।
उत्तर-
धर्मरथ के माध्यम से रचनाकार हमें शिक्षा देना चाहता है कि हमारे अन्दर शौर्य, धैर्य, सत्य और शील के क्रमशः दो पहिए एवं ध्वजा-पताकाएँ हैं। रथ को खींचने वाले चार घोड़े-बल, विवेक, यम और परोपकार होते हैं। इन चार घोड़ों को क्षमा, दया, समता की रस्सी से जोता हुआ होता है। ईश्वर का भजन ही श्रेष्ठ ज्ञान से सम्पन्न सारथी होता है। संसार युद्ध में प्रयुक्त हथियार (ढाल, तलवार, फरसा, शक्ति, धनुष) के रूप में हमें वैराग्य, सन्तोष, दान, बुद्धि तथा श्रेष्ठ विज्ञान का प्रयोग करना चाहिए। तरकश रूपी निर्मल और अडिग मन तथा यम-नियम और संयम के बाण; ब्राह्मणों तथा गुरु की पूजा का कवच है, तो निश्चय ही हमें अपने बाहरी और आन्तरिक शत्रुओं पर विजय अवश्य मिलेगी। उपर्युक्त सद्गुण रूपी धर्मरथ मनुष्य को अपराजेय शक्ति देता है।

(2) गुड़ी पड़वा किस उपलक्ष्य में तथा किस प्रकार मनाया जाता है ?
उत्तर-
गुड़ी पड़वा का अर्थ ध्वज या झण्डी प्रतिपदा होता है। लोक परम्परा के अनुसार माना जाता है कि इसी दिन श्रीरामचन्द्रजी ने किष्किन्धा के राजा बाली का वध करके उसके स्वेच्छाचारी राज का अन्त किया था। बाली वध के पश्चात् वहाँ की प्रजा ने पताकाएँ फहराकर उत्सव मनाया था। इन पताकाओं को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा कहते हैं। आजकल वहाँ आँगन में बाँस के सहारे गुड़ी खड़ी की जाती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा कहते हैं।

(3) शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ पथिक से क्या कहना चाहते हैं ? समझाइए।
उत्तर-
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ पथिक से कहना चाहते हैं कि उसे अपने मार्ग से कहीं भी भटक नहीं जाना चाहिए। उसके मार्ग में कठिनाइयों-बाधाओं के काँटे आ सकते हैं; अनेक सौन्दर्यपूर्ण दृश्य सामने आकर तुम्हें प्रलोभित कर सकते हैं, लेकिन वे वास्तविक रूप से वैसे नहीं हैं जो दीखते हैं। उनकी सुन्दरता मृगतृष्णा के समान है। भ्रम है।

पथिक को अपने कर्तव्य पालन के कठिन कर्म के मार्ग पर आगे ही आगे बढ़ते जाना चाहिए। अपनी कल्पनाओं को (स्वप्नों को) साकार करो। यदि तुम्हें प्रथम प्रयास में असफलता मिले भी तो निराश होकर मार्ग भटक मत जाना।

कर्त्तव्य पालन के मार्ग में हमारे शत्रु बाधक बन सकते हैं। उत्तरदायित्व के निर्वाह में कदम-कदम पर बाधाएँ आयेंगी। तुम्हें अपने छोड़ जायेंगे। अकेले रह सकते हो, लेकिन कर्त्तव्य पथ का त्याग मत करना।

उत्तरदायित्व के निर्वाह में प्रेम बाधक नहीं बन जाए, इसका तुम्हें ध्यान रखना होगा। स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए भारत माँ माँग कर रही है कि आहुति दो। उस समय तुम्हें दुविधा (असमंजस) में नहीं पड़ना चाहिए। अपने कर्त्तव्य पथ पर अग्रसर होते जाना ही परमधर्म है।

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(4) रूपक अलंकार को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर-
रूपक अलंकार-उपमेय और उपमान के अभेद वर्णन को रूपक अलंकार कहते हैं अर्थात् जब उपमेय को उपमान का रूप दे दिया जाता है, तो वहाँ रूपक अलंकार होता है।

उदाहरण-

“अति आनन्द उमगि अनुरागा।
चरन सरोज पखारन लागा॥”

इन पंक्तियों में ‘चरन सरोज’ उपमेय और उपमान हैं। इनमें । अभेद आरोप प्रस्तुत किया गया है, अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

(5) निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए-
“किसी लोलुप नजर ने यदि हमारी मुक्ति को देखा।
उठेगी तब प्रलय की आग जिस पर क्षार सोई है।”
उत्तर-
भारत देश के हम नागरिकों ने अपने देश की सीमा को विस्तृत करना कभी नहीं चाहा है। साथ ही, हमने किसी अन्य देश की धन सम्पत्ति पर भी अपना कब्जा जमाने की इच्छा नहीं की है, लेकिन बिना किसी चूक के यह बात करने से नहीं रुकेंगे तथा कभी रुके भी नहीं हैं कि हम खून दे सकते हैं, लेकिन अपने प्रिय राष्ट्र (भारत) की जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं देंगे। यदि किसी लालच भरी दृष्टि वाले देश ने इस पर आक्रमण करने की अथवा हमारे देश की आजादी को कुचलने की कोशिश की भी तो तत्काल ही विनाश की आग फूट पड़ेगी यद्यपि युद्ध की आग राख के अन्दर छिपी हो सकती है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे अपने प्रिय देश पर किसी लालची दृष्टि वाले शत्रु-देश ने आक्रमण करने की कुचेष्टा की तो उस समय विनाश लीला की अग चारों ओर फैल जायेगी यद्यपि हम युद्ध नहीं चाहते। हम तो सदैव से शान्ति दूत रहे हैं।

(6) निम्नलिखित पंक्ति को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए
“राधा का मुख मानो कमल समान अति सुन्दर”
(1) पंक्ति में उपमेय क्या है ?
(2) पंक्ति में उपमान क्या है ?
(3) वाचक शब्द क्या है ?
(4) प्रयुक्त अलंकार का नाम लिखिए।
उत्तर-
(1) पंक्ति में ‘राधा का मुख’ उपमेय है।
(2) पंक्ति में ‘कमल’ उपमान है।
(3) मानो समान अति सुन्दर’ वाचक शब्द है।
(4) पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार ‘उत्प्रेक्षा’ है।

(7) ‘अपना स्वरूप’ कहानी का सार अपने शब्दों में लिखिए। उक्त पाठ वर्तमान में पाठ्य-पुस्तक से हटा दिया गया है।
उत्तर-
कहानीकार विजय गुप्ता ने इस कहानी में बहुत सफलता से यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि मनुष्य अपने विचारों की छाया दूसरों में देखता है। अच्छे विचारों वाले व्यक्ति को सभी लोग अच्छे लगते हैं और बुरे विचार वाले आदमी को सभी आदमियों में अनेक बुराइयाँ दीखती हैं। अतः हमें अपने स्वभाव को उत्तम से उत्तम बनाना चाहिए। इस तरह हम पूर्ण रूप से गुणवान बन सकते हैं।

बीरबल नामक व्यक्ति अपने सुन्दर वातावरण वाले गाँव से किसी शहर में जाता है। शहर में घूमते-घूमते उसने एक दुकान पर कोई वस्तु ऐसी देखी जिसमें वहाँ से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति की परछाईं दिखाई पड़ती थी। दुकानदार ने उसको बताया कि यह दर्पण है। उस दर्पण को लेकर वह घर लौट पड़ता है। अपनी पत्नी के लिए माला भी लाता है। पत्नी माला को पहनती है। लालचवश वह दर्पण को देखती है। उसमें वह अपनी परछाईं देखकर अचम्भित हो उठती है और वह सोचती है कि उसका पति सौतन लेकर आया है। उसकी सास और ससुर भी अपनी आकृति देखकर बहू के कथन से सहमत नहीं होते हैं। अन्त में बीरबल सबको बताता है कि यह दर्पण है। इसमें प्रत्येक आदमी को परछाईं वैसी ही दीखती है जैसा वह होता है।
इसलिए हमें अपने विचारों से उत्तम बनना चाहिए, अच्छे से अच्छा दिखने के लिए।

(8) ‘नन्हा सत्याग्रही’ पाठ से क्या शिक्षा मिलती है ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अन्याय और अत्याचार को चुपचाप सहन नहीं करना चाहिए बल्कि उसके विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए। यदि उसके लिए संघर्ष भी करना पड़े तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। उक्त पाठ वर्तमान में पाठ्य-पुस्तक से हटा दिया गया है।

(9) शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ द्वारा रचित ‘पथिक से कविता के कम से कम दो पद्यांश लिखिए।
उत्तर-
पाठ 16 के ‘सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या’ शीर्षक के अन्तर्गत देखें।

(10) ‘वसीयतनामे का रहस्य’ कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर-
पाठ 17 के आधार पर विद्यार्थी स्वयं लिखें।

(11) रेडक्रास संस्था के उद्देश्यों को लिखिए।
उत्तर-
रेडक्रास संस्था के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. युद्धकाल में घायल एवं बीमार सैनिकों को चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराना।
  2. नर्सिंग एवं एम्बूलैन्स कार्य।
  3. मातृत्व एवं शिशु देखभाल।
  4. विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण विस्थापित लोगों को सहायता प्रदान करना।
  5. विभिन्न देशों के मध्य शान्ति की स्थापना करना एवं उसे बनाये रखना।

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(12) निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए
विद्यालय में छात्र का चरित्र निर्माण होता है। निष्कपट और नि:स्वार्थ भाव से सेवा करने का पाठ भी यहीं सीखता है। गुरु की आज्ञा का पालन और राष्ट्रप्रेम का सन्देश भी यहीं मिलता है। यथाशक्ति मानवता को पोषित करने का भाव भी यहीं मिलता है। वास्तव में विद्यालय व्यक्तित्व निर्माण की कार्यशाला और राष्ट्रधर्म को अंकुरित करने की पौधशाला है।
(1) गुरु की आज्ञा मानने का सन्देश कहाँ मिलता
(2) रेखांकित शब्दों की सन्धि-विच्छेद कीजिए।
(3) पंक्तियों में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए।
(4) विद्यालय में छात्र क्या-क्या सीखता है ?
उत्तर-
(1) गुरु की आज्ञा मानने का सन्देश विद्यालय में ही मिलता है।
(2) विद्यालय- विद्या + आलय, निष्कपट-नि: + कपट, नि + स्वार्थ = निः + स्वार्थ, राष्ट्रप्रेम = राष्ट्र + प्रेम, यथाशक्ति = यथा + शक्ति, राष्ट्रधर्म = राष्ट्र + धर्म, पौधशाला = पौध + शाला।
(3) यथाशक्ति, कार्यशाला, राष्ट्रधर्म।

MP Board Class 8th Hindi Solutions

MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः

MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः

1. संज्ञा-शब्द-रूपाणि

किसी वस्तु अथवा व्यक्ति के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे-राम, सीता, पुस्तक, कलम इत्यादि। संज्ञा शब्दों के रूपों में तीनों लिंग (पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुंसकलिंग) सभी विभक्तियाँ (प्रथमा से सम्बोधन तक) एवं तीनों वचन (एकवचन, द्विवचन, बहुवचन) होते हैं। जिन संज्ञा शब्दों के अन्त में स्वर हो उन्हें स्वरान्त (अजन्त) कहते हैं; जैसे-राम, रमा, पितृ, मधु इत्यादि और जिन संज्ञा शब्दों के अन्त में व्यंजन हो उन्हें व्यञ्जनान्त (हलन्त) कहते हैं; जैसे-चन्द्रमस, मरुत, राजन, महत् इत्यादि। नीचे पाठ्यक्रम में निर्धारित एवं अन्य महत्वपूर्ण शब्द रूप दिये जा रहे हैं-

I. अजन्त पुल्लिङ्ग

अकारान्तः पुल्लिङ्ग ‘राम’ शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 1

विशेषः :
‘राम’ के समान ही बालक, नर, गज, वानर, नृप, छात्र, मनुष्य, सिंह, पुत्र इत्यादि अकरान्त पुल्लिग। शब्दों के रूप चलेंगे।

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इकारान्तः पुल्लिङ्ग हरि’ (विष्णु) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 2

विशेषः :
‘हरि’ के समान ही कपि, मुनि, रवि, नृपति, अग्नि, ऋषि इत्यादि इकारान्त पुल्लिग शब्द के रूप चलेंगे।

उकारान्तः पुल्लिङ्ग ‘भानु’ (सूर्य) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 3

विशेषः :
‘भानु’ शब्द के समान ही गुरु, शिशु, तरु, पशु, साधु, विष्णु इत्यादि उकारान्त पुल्लिग शब्दों के रूप चलेंगे।

ऋकारान्तः पुल्लिङ्ग ‘पितृ’ (पिता) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 4

विशेष: :
‘पितृ’ शब्द के समान ही भ्रातृ, जामातृ, इत्यादि ऋकारान्त पुल्लिग शब्दों के रूप चलेंगे।

ऋकारान्तः पुल्लिङ्ग कर्तृ’ (करने वाला, कर्ता) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 5

विशेषः :
कर्तृ’ शब्द के समान ही धातृ, दातृ, सवितृ, नेतृ इत्यादि शब्दों के रूप चलेंगे।

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II. अजन्त स्त्रीलिंग

आकारान्तः स्त्रीलिङ्ग ‘रमा’ (लक्ष्मी) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 6

विशेषः :
‘रमा’ शब्द के समान ही सीता, लता, कन्या, बालिका, माला, विद्या, पाठशाला इत्यादि आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के रूप चलेंगे।

इकारान्त स्त्रीलिङ्ग ‘मति’ ( बुद्धि) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 7

विशेष :
‘मंति’ शब्द के समान ही भूमि, शान्ति, बुद्धि, भक्ति, मूर्ति, कीर्ति इत्यादि इकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के रूप चलेंगे।

इकारान्त स्त्रीलिङ्ग ‘नदी’ (नदी) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 8

विशेषः :
‘नदी’ शब्द के समान ही पृथ्वी, जननी, कुमारी, भगिनी, सखी, स्त्री, पत्नी, नारी इत्यादि इकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के रूप चलेंगे।

ऋकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘मातृ’ (माता) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 9

विशेषः :
‘मातृ’ शब्द के रूप ‘पितृ’ के समान ही चलते हैं। अन्तर केवल इतना है कि द्वितीया के बहुवचन में ‘पितृन्’ होता है, किन्तु ‘मातृ’ में ‘मातृः’।

III. अजन्त नपुंसकलिंग

अकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘फल’ (फल) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 10

विशेषः :
‘फल’ शब्द के समान ही मित्र, पुस्तक, गृह, उद्यान, वस्त्र, पुष्प, नेत्र, नगर, जल, पत्र इत्यादि अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूप चलेंगे।

इकारान्तः नपुंसकलिंग ‘वारि’ (जल) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 11

विशेष :
‘वारि’ शब्द के समान ही सुरभि (सुगन्धित), शुचि (स्वच्छ) इत्यादि इकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूप चलेंगे।

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उकारान्तः नपुंसकलिङ्ग ‘मधु’ (शहद) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 12

विशेष: :
‘मधु’ शब्द के समान ही वपु, वस्तु, अम्बु, अश्रु! इत्यादि उकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूप में चलेंगे।

IV. हलन्त पुल्लिंग

सकारान्तः पुल्लिङ्ग ‘चन्द्रमस्’ (चन्द्रमा) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 13

तकारान्तः पुल्लिङ्ग ‘मरुत’ (वायु) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 14

हलन्तः पुल्लिङ्ग ‘राजन्’ (राज) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 15

हलन्तः पुल्लिङ्ग ‘महत्’ (बड़ा) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 16

V. हलन्त स्त्रीलिंग

हलन्तः स्त्रीलिङ्गः ‘महती’ (बड़ा) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 17

VI. हलन्त नपुंसकलिंग

हलन्तः नपुंसकलिङ्गः ‘महत्’ (बड़ा) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 18

विशेषः :
‘महत्’ नपुंसकलिंग के शेष तृतीया से सप्तमी तक के रूप पुल्लिंग के समान चलते हैं। सम्बोधनम् हे महत् हे महती! हे महान्ति!

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2. सर्वनाम-शब्द-रूपाणि

जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर होता है, उन्हें सर्वनाम कहते हैं, जैसे-मैं (अहम्), तुम (त्वम्), वह (सः, सा, तत्), कौन (कः, का, किम्) इत्यादि।

सर्वनाम शब्दों में सम्बोधन नहीं होता। इनके रूप केवल सप्तमी विभक्ति तक ही चलते हैं।

पुल्लिङ्गः ‘सर्व’ (सब) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 19

स्त्रीलिङ्गः ‘सर्व’ (सब) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 20

नपुंसकलिङ्गः ‘सर्व’ (सब) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 21

विशेषः :
‘सर्व’ नपुंसकलिंग के शेष तृतीया से सप्तमी विभक्ति तक के रूप पुल्लिग के समान ही चलते हैं।

‘कति’ (कितने) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 22

विशेष: :
‘कति’ शब्द के रूप केवल बहुवचन में चलते हैं तथा पुल्लिग, स्त्रीलिंग एवं नपुसंकलिंग में एक समान ही चलते हैं।

दकारान्तः पुल्लिङ्ग तद्’ (वह, उस, वे, उन) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 23

दकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘तद्’ (वह, उस, वे, उन) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 24

दकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘तद्’
(वह, उस, वे, उन) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 25

विशेषः :
‘तद्’ नपुंसकलिंग के शेष तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के रूप पुल्लिग के समान ही चलते हैं।

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सकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘अदस्’ (वह) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 26

सकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘अदम’ (वह) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 27

सकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘अदस्’ (वह) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 28

विशेष: :
‘अदस्’ नपुंसकलिंग के शेष तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के रूप पुल्लिंग के समान ही चलते हैं।

मकारान्तः पुल्लिङ्गः ‘अयम्’ (यह) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 29

मकारान्तः स्त्रीलिङ्गः ‘इदम्’ (यह) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 30

मकारान्तः नपुंसकलिङ्गः ‘इदम्’ (यह) शब्दः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 31

विशेषः :
‘इदम्’ नपुंसकलिंग के शेष तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के रूप पुल्लिंग के समान ही चलते हैं।

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3. धातुरूपाणि

I. परस्मैपदम्

‘पठ्’ (पढ़ना) धातुः
लट्लकारः (वर्तमानकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 32

लङ्लकारः (भूतकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 33

लुट्लकारः (भविष्यकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 34

लोट्लकारः (आज्ञा सूचक)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 35

विधिलिङ्गकारः (चाहिए अर्थ में)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 36

‘गम्’ (जाना) धातुः, विधिलिङ्गलकारः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 37

‘वद्’ (बोलना) धातुः, विधिलिङ्गकारः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 38

‘लिख्’ (लिखना) धातुः विधिलिङ्लकारः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 39

विशेष: :
इसी प्रकार जीव, स्मृ, हस्, खाद्, क्रीड्, पत्, रक्ष्, नम्, दृश्, पा इत्यादि धातुओं के रूप चलेंगे।

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II. आत्मनेपदम्

‘लभ’ (पाना) धातुः
लट्लकारः (वर्तमानकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 40

लङ्लकारः (भूतकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 41

लुट्लकारः (भविष्यकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 42

‘सेव्’ (सेवा करना) धातुः
लट्लकारः (वर्तमानकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 43

लङ्लकारः (भूतकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 44

लुट्लकारः (भविष्यकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 45

‘वृध्’ (बढ़ना) धातुः
लट्लकारः (वर्तमानकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 46

लङ्लकारः (भूतकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 47

लुट्लकारः (भविष्यकाले)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 48

विशेषः :
इसी प्रकार रुच्, रम्, भाष्, सह, शिक्ष, वृत्, शुभ, यत् इत्यादि धातुओं के रूप चलते हैं।

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4. संस्कृतसंख्या

MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 49

5. सन्धि -परिचय

सन्धि का अर्थ है-‘मिलाना’। दो या दो से अधिक वर्णों का मेल सन्धि है। दो वर्णों या बहुत से वर्गों के संयोग से जो रूप परिवर्तन होता है, वह सन्धि है।
सन्धि के भेद :
सन्धि तीन प्रकार की होती है-
(क) स्वर-सन्धिः या अच्-सन्धिः
(ख) व्यंजन-सन्धिः या हल-सन्धिः
(ग) विसर्ग-सन्धिः।

विशेष :
छठी और सातवीं कक्षा में छात्र ने स्वर एवं व्यंजन सन्धि को विस्तृत रूप से पढ़ा है। अतः आठवीं कक्षा में स्वर और व्यंजन सन्धि संक्षेप में और विसर्ग सन्धि विस्तार से पाठ्यक्रम में है।

(क) स्वर-सन्धिः

दीर्घ-सन्धिः
विद्या + आलय = विद्यालयः (आ + आ = आ)
देव + आश्रमः = देवाश्रमः (अ + आ = आ)
मुनि + इन्द्रः = मुनीन्द्रः (इ + इ = ई)
नदी + ईशः = नदीशः (ई + ई = ई)
साधु + उक्तिः = साधूक्तिः (उ+ उ = ऊ)
पितृ + ऋणम् = पितृणम् (ऋ + ऋ = ऋ)

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गुण-सन्धिः
गज + इन्द्रः = गजेन्द्रः (अ + इ = ए)
महा + ईशः = महेशः (आ + ई = ए)
महा + उत्सवः = महोत्सवः (आ + उ = ओ)
सूर्य + उदयः = सूर्योदयः (अ + उ = ओ)
देव + ऋषिः = देवर्षिः (अ+ ऋ = अर्)
तव + लृकारः = तवल्कारः (अ + लृ = अल्)

वृद्धि-सन्धिः
एक + एकम् = एकैकम् (अ + ए = ऐ)
राज + ऐश्वर्यम् = राजैश्वर्यम् (अ + ऐ = ऐ)
तथा + एव = तथैव (आ + ए = ऐ)
जल + ओघः = जलौघः (अ+ ओ = औ)
तव + औषधम् = तवौषधम् (अ+ औ = औ)
सुख + ऋतः = सुखार्तः (अ + ऋ = आर्)

यण-सन्धिः
यदि + अपि = यद्यपि (इ को य्)
सु + आगतम् = स्वागतम् (उ को व्)
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा (ऋ को र्)

अयादि-सन्धिः
चे + अनमू = चयनम् (ए को अय्)
नै + अकः = नायकः (ऐ को आय्)
भो + अनम् = भवनम् (ओ को अव्)
भौ + उकः = भावुकः (औ को आव्)

पूर्वरूप-सन्धिः
वने + अपि = वनेऽपि (ए के बाद अ को ऽ)
रामो + अपि = रामोऽपि (ओ के बाद अकोऽ)

(स्व) व्यजन-सन्धिः

श्चुत्व-सन्धिः
(हरिः) हरिस् + शेते = हरिश्शेते (स् को श्)
सत् + चरित्रम् = सच्चरित्रम् (त् को च्)
सत् + जनः = सज्जनः (त् को ज्)

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ष्टुत्व-सन्धिः
(रामः) रामस् + षष्ठः = रामष्षष्ठः (स् को ए)
(दुः) दुष् + तः = दुष्टः (त् को ट्)
उत् + डीनः = उड्डीनः (त् को ड्)

जशत्व-सन्धिः
सत् + आचारः = सदाचारः (त् को द्)
अच् + अन्तः = अजन्तः (च को ज्)
दिक् + गजः = दिग्गजः (क् को ग्)
षट् + दर्शनम् = षड्दर्शनम् (ट् को ड्)

चव-सन्धिः
सद् + कारः = सत्कारः (द् को त्)
तद् + परः = तत्परः (द् को त्)

अनुस्वार-सन्धिः
धर्मम् + चर = धर्मंचर (म् को)
पुस्तकम् + पठति = पुस्तकं पठति (म् को)

अनुनासिक-सन्धिः
जगत् + नाथः = जगन्नाथः (त् को न्)
एतत् + मुरारिः = एतन्मुरारिः (त् को न्)

लत्व-सन्धिः
तत् + लयः = तल्लयः (त् को ल्)
उत् + लेखः = उल्लेखः (त् को ल्)

(ग) विसर्ग-सन्धि

परिभाषा :
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन का मेल होने से जो विकार (परिवर्तन) होता है, वह विसर्ग सन्धि है, जैसे
मनः + रथः = मनोरथः।
मनः + हरः = मनोहरः।

विसर्ग-सन्धि के नियम :
नियम 1.
विसर्ग के बाद ‘च’ या ‘छ्’ हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘श्’ होता है।
उदाहरण :
रामः + चलति = रामश्चलति
बालकः + चलति = बालकश्चलति

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नियम 2.
यदि विसर्ग के बाद ‘त्’ अथवा ‘थ्’ हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘स्’ हो जाता है।
उदाहरण :
रामः + तिष्ठति = रामस्तिष्ठति
नमः + ते = नमस्ते नियम

नियम 3.
यदि विसर्ग से पहले और बाद में ‘अ’ हो तो विसर्ग और ‘अ’ के स्थान पर ‘ओ’ हो जाता है तथा ‘अ’ के स्थान पर अवग्रह (ऽ) हो जाता है।
उदाहरण :
कः + अयम् = कोऽयम्
कः + अपि = कोऽपि

नियम 4.
यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ हो तथा बाद में ह्रस्व ‘अ’ को छोड़कर अन्य कोई भी स्वर वर्ण हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है।
उदाहरण :
कः + आगच्छति = क आगच्छति
देवः + इति = देव इति

नियम 5.
यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ हो और बाद में कोई मृदु व्यजन वर्ण हो अर्थात् किसी भी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण तथा य, र, ल, व्, छ हो तो पूर्व ‘अ’ के स्थान पर ‘ओ’ हो जाता है।
उदाहरण :
शिवः + वन्द्यः = शिवो वन्द्यः
रामः + गच्छति = रामो गच्छति

नियम 6.
यदि विसर्ग से पहले ‘आ’ हो और बाद में कोई स्वर अथवा कोई मृदु व्यंजन हो अर्थात् किसी भी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण य, र, ल, व्, ह होता है तो विसर्ग का लोप हो जाता है।
उदाहरण :
देवाः + आगताः = देवा आगताः
नराः + यान्ति = नरा यान्ति

नियम 7.
विसर्ग से पहले ‘अ’,’आ’ वर्गों को छोड़कर कोई स्वर होता है तथा विसर्ग के बाद कोई स्वर या मृदु व्यञ्जन वर्ण अर्थात् किसी भी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण य, र, ल, व्, ह होता है तो विसर्ग के स्थान पर ‘र’ होता है। यदि बाद में स्वर होता है तो ‘र’ स्वर के साथ मिलता है तथा बाद में व्यंजन वर्ण होता है तो ‘र’ वर्ण का ऊर्ध्वगमनं (रेफा) होता है।
उदाहरण :
भानुः + उदेति = भानुरुदेति
कवेः + गमनम् = कवेर्गमनम्

नियम 8.
‘स:’ और ‘एषः’ इन दोनों विसर्ग के बाद व्यंजन वर्ण होता है तो विसर्ग का लोप होता है।
उदाहरण :
सः + पठति = स पठति
सः + लिखित = स लिखति

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6. समास-परिचय

दो या दो से अधिक शब्दों की विभक्ति हटाकर और उन्हें एक साथ जोड़कर एक शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं। इस प्रकार मिला हुआ पद ‘समस्त पद’ कहलाता है।

समास का अर्थ है’संक्षेप’ करना, अर्थात् दो या दो से अधिक शब्दों को इस प्रकार रख देना, जिससे उनके आकार में कुछ कमी हो जाय और अर्थ पूरा-पूरा निकले। जैसे-
राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः
(राजा का पुरुष) = (राजपुरुष)

समास के भेद-समास के छ: भेद होते हैं-
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 50

संस्कृत के एक याचक की उक्ति में इन सभी समासों का नाम आ गया है। यह उक्ति बहुत प्रसिद्ध है-
द्वन्द्वो द्विगुरपि चाहं मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः।
तत्पुरुष कर्मधारय येनाहं स्याम् बहुव्रीहिः॥

1. तत्पुरुषः-समासः

परिभाषा :
प्रायेण उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुषः।
जहाँ पूर्व पद (पहला शब्द) द्वितीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक होता है उत्तर पद (दूसरा शब्द) प्रथम विभक्ति में होता है वहाँ (व्यधिकरण) तत्पुरुष समास होता है। पूर्व पद की विभक्ति के अनुसार ही समास का नामकरण होता है। जैसे-

(क) द्वितीया तत्पुरुषः-इसमें पहला पद द्वितीया विभक्ति का होता है तथा समासावस्था में उसका लोप हो जाता है।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 51

(ख) तृतीया तत्पुरुषः :
इसमें पहला पद तृतीया विभक्ति का होता है तथा समासावस्था में उसका लोप हो जाता है।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 52

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(ग) चतुर्थी तत्पुरुषः :
इसमें पहला पद चतुर्थी विभक्ति का होता है तथा समासावस्था में उसका लोप होता है।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 53

(घ) पञ्चमी तत्पुरुषः :
इसमें पहला पद पंचमी विभक्ति का होता है तथा समासावस्था में उसका लोप होता है।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 54

(ङ) षष्ठी तत्पुरुषः :
इसमें पहला पद षष्ठी विभक्ति का होता है तथा समासावस्था में उसका लोप होता है।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 55

(च) सप्तमी तत्पुरुषः :
इसमें पहला पद सप्तमी विभक्ति का होता है और समासावस्था में उसका लोप हो जाता है।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 56

2. द्विगु-समासः

परिभाषा :
सङ्ख्यापूर्वो द्विगुः।
जहाँ पहला पद संख्यावाची होता है तथा दूसरे पद की विशेषता बताता है वहाँ द्विगु समास होता है। द्विगु समास में समूहवाचक अर्थ होता है।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 57

3. कर्मधारयसमासः

परिभाषा :
स चासौ कर्मधारयः।
जहाँ प्रथम पद विशेषण या उपमान तथा द्वितीय पद विशेष्य या उपमेय होता है वहाँ कर्मधारय समास होता है।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 58

4. द्वन्द्वसमासः

परिभाषा :
प्रायेणोभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः।
जहाँ सभी पदों की प्रधानता होती है वहाँ द्वन्द्व समास होता है। ‘चार्थे द्वन्द्वः’ अर्थात् ‘च’ (और) अर्थ में द्वन्द्व समास होता है।’
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 59

5. बहुब्रीहिसमासः

परिभाषा :
प्रायेण अन्यपदार्थप्रधानो बहुब्रीहि।-
जहाँ सामासिक पदों से अन्य का बोध होता है, वह बहुब्रीहि समास होता है। बहुब्रीहि समास के अन्त में ‘यस्य सः’ (जिसका वह) अथवा ‘येन’ (जिसके द्वारा) शब्द होता है।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 60

6. अव्ययीभावसमासः

परिभाषा :
प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावः।
जहाँ प्रथम पद प्रधान होता है तथा प्रथम पद अव्यय होता है और द्वितीय पद संज्ञावाचक होता है, वह अव्ययीभाव समास होता है।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 61

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7. कारक-परिचयः

परिभाषा :
क्रियान्वयित्वं कारकम् –
अर्थात् जिस पद का सम्बन्ध साक्षात् क्रिया से होता है, वह ‘कारक’ कहलाता है। कारक छह होते हैं ‘सम्बन्ध’ कारक नहीं है, किन्तु विभक्तियाँ सात होती हैं। कारकों के विषय में कहा गया है कि-

कर्ता कर्म च कारणं न सम्प्रदानं तथैव च।
अपादानाधिकरणमिव्याहुः कारकाणि घट्॥
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 62

विशेष :
सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति होती है।

कर्ताकारकम् (प्रथमाविभक्तिः) :
क्रिया के करने वाले को कर्ता कहते हैं। कर्ता कारक में प्रथमा विभक्ति होती है। जैसे-

  1. बालकः गच्छति। (बालक जाता है।)
  2. राम पठति। (राम पढ़ता है।)

कर्मकारकम् (द्वितीया विभक्तिः) :

  • कर्ता जिसको सबसे अधिक चाहता है, वह कर्म कारक’ कहा जाता है। कर्म कारक में द्वितीया विभक्ति होती है। जैसे-
    1. रामः पत्रम् लिखति। (राम पत्र लिखता है।)
    2. बालक पुस्तकम् पठति। (बालक पुस्तक पढ़ता है।) कर्मकारक में यह विशिष्ट नियम है’
  • अभितः, परितः, समया, निकषा, प्रति, अनु, विना इत्यादि के योग में भी ‘द्वितीया विभक्ति’ होती है। जैसे-
    1. ग्रामम् अभितः वृक्षाः सन्ति। (गाँव के दोनों ओर वृक्ष हैं।)
    2. ज्ञानम् विना मुक्तिः नास्ति। (ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं है।)
  • ‘गति’ अर्थ वाली धातुओं के योग में ‘द्वितीया विभक्ति’ होती है। जैसे-
    1. सः विद्यालयं गच्छति। (वह विद्यालय जाता है।)
    2. वानरः वृक्षम् आरोहति। (वानर वृक्ष पर चढ़ता है।)

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करणकारकम् (तृतीया विभक्तिः) :

  • जिस साधन से कर्ता अपना कार्य पूर्ण करता है, उस साधन को करण कारक कहते हैं। करण कारक में तृतीया विभक्ति होती है। जैसे-
    1. छात्रः कन्दुकेन क्रीडति। (छात्र गेंद से खेलता है।)
    2. कृष्णः यानेन गच्छति। (कृष्ण विमान से जाता है।) करण कारक में यह विशेष नियम है
  • ‘सह, साकम्, समम्, सार्धम्, अलम् इत्यादि के योग में भी तृतीया विभक्ति होती है। जैसे-
    1. बालकः जनकेन सह गच्छति। (बालक पिता के साथ जाता है।)
    2. अलम् अति रुदितेन। (बहुत ज्यादा मत रोओ।)
  • शरीर के जिस अंग में विकार हो उसमें तृतीया विभक्ति होती है। जैसे-
    1. भिक्षुकः पादेन खञ्जः अस्ति। (भिक्षुक पैर से लँगड़ा है।)
    2. सत्र नेत्रेणः काणः अस्ति।(वह आँख से काना है।)
  • करणबोधक (साधन) शब्दों में तृतीया विभक्ति होती है। जैसे-
    1. श्रमेण सफलता मिलति। (परिश्रम से सफलता मिलती है।)
    2. विद्यया यशः प्राप्यते। (विद्या से यश मिलता है।)

सम्प्रदानकारकम् (चतुर्थी विभक्तिः) :

  • जिसके लिए कोई वस्तु दी जाए अथवा जिसके लिए कोई कार्य किया जाए, वह सम्प्रदान कारक कहलाता है। सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है। जैसे-
    1. गीता पुत्राय दुग्धं ददाति।। (गीता पुत्र को दूध देती है।)
    2. बालकः पठनाय विद्यालयं गच्छति।। (बालक पढ़ने के लिए विद्यालय जाता है।)
      सम्प्रदान कारक में यह विशेष नियम है।
  • नमः, स्वस्ति, स्वाहा, स्वधा, अलम्, वषट् के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है। जैसे-
    1. श्री गणेशाय नमः। (श्री गणेश को प्रणाम)
    2. विप्रेभ्यः स्वस्ति। (विप्रों का कल्याण हो)
  • ‘रुचि’ अर्थ वाली धातुओं के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है। जैसे-
    1. बालकाय मोदकं रोचते। (बालक को लड्डू अच्छा लगता है।)

अपादानकारकम् (पञ्चमी विभक्तिः) :

  • जिस वस्तु से किसी का अलग होना पाया जाता है, उस वस्तु की अपादान संज्ञा होती है। अपादान कारक में पंचमी विभक्ति होती है। जैसे-
    1. वृक्षात् पत्रं पतति। (पेड़ से पत्ता गिरता है।)
    2. युवकः अश्वात् पतति। (युवक घोड़े से गिरता है।)
      अपादान कारक के ये विशेष नियम हैं।
  • भय, रक्ष्, अर्थ वाली धातुओं के योग में भी पंचमी विभक्ति होती है। जैसे-
    1. बालकः सिंहात् विभेति। (बालक शेर से डरता है।)
  • जुगुप्सा, विरम, प्रमाद अर्थ वाली धातुओं के योग में पंचमी विभक्ति होती है। जैसे-
    1. गुरुः पापात् विरमति। (गुरु पाप से रोकता है।)
  • अन्य, आरात्, इतर, ऋते इत्यादि के योग में पंचमी विभक्ति होती है। जैसे-
    ज्ञानात् ऋते मुक्तिः नास्ति। (ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं है।)
  • दूरम्, अन्तिकम् (पास) अर्थ में पंचमी या षष्ठी विभक्ति होती है। जैसे-
    1. ग्रामस्य ग्रामात् वा अन्तिकम्। (गाँव के पास)

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सम्बन्धः (घष्टी विभाजन) :
हेतु शब्द के प्रयोग में षष्ठी विभक्ति होती है। जैसे-
भिक्षुकः अन्नस्य हेतोः वसति। (भिक्षुक अन्न के लिए रहता है।)

अधिकरणकारकम् (नामी विभक्तिः)

  • आधार को अधिकरण कारक कहते हैं। अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है। जैसे-
    1. सिंहः वने वसति। (शेर वन में रहता है।)
  • साधुः, असाधुः शब्द के प्रयोग में भी सप्तमी विभक्ति होती है। जैसे-
    1. अहं मित्रेषु साधुः शत्रुषु च असाधुः अस्मि। (मैं, मित्रों के लिए अच्छा और शत्रुओं के लिए बुरा हूँ।)

8. प्रत्ययपरिचयः

परिभाषा :
‘प्रतीयते विधीतते अनेन इति प्रत्ययः।’
धातु अथवा प्रातिपदिक शब्द के अन्त में जुड़कर विशेष अर्थ का जो बोध कराता है वह ‘प्रत्यय’ है।
अथवा
प्रातिपदिक शब्दों या धातुओं के अन्त में जो प्रयुक्त होते – हैं, वे प्रत्यय हैं।
यथा-
कृ + क्तवतु = कृतवान् (किया)
लघु + तरप् = लघुतरः (अधिक छोटा)

प्रत्यय के भेद-प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं-
I. कृत् प्रत्यय :
जो धातुओं के अन्त में जोड़े जाते हैं, वे ‘कृत्-प्रत्यय’ कहलाते हैं। जैसे-क्त्वा, ल्यप्, क्तवतु, तुमुन्, क्त, तव्यत्, अनीयर् इत्यादि।

II. तद्धित प्रत्यय :
जो प्रत्यय प्रातिपदिक शब्दों के अन्त में जोड़े जाते हैं, वे ‘तद्धित प्रत्यय’ कहलाते हैं। जैसे-तरप्, तमप् अण् इत्यादि।

I. कृत्प्रत्ययः :

क्त्वा प्रत्यय :
जब एक क्रिया को समाप्त करके दूसरी क्रिया की जाती है, तब समाप्त होने वाली क्रियार्थक धातु से क्त्वा प्रत्यय होता है। इसका हिन्दी अर्थ ‘करके’ या ‘कर’ है।
उदाहरण :
रामः जलं पीत्वा लिखति ।(राम जल पीकर लिखता है।)

ल्यप् प्रत्यय :
जब धातु से पूर्व कोई उपसर्ग या उपसर्ग-स्थानीय पद प्रयुक्त होता है, तो क्त्वा के स्थान पर ‘ल्यप्’ प्रत्यय का प्रयोग होता है।
उदाहरण :
कृष्णः आगत्य पठति। (कृष्ण आकर पढ़ता है।)

क्त, क्तवतु प्रत्यय :
ये दोनों भूतकाल में प्रयुक्त होते हैं। क्त प्रत्यय का प्रयोग कर्मवाच्य या भाववाच्य में होता है तथा क्तवतु प्रत्यय का प्रयोग कर्तृवाच्य में होता है।
उदाहरण :
मयाः ग्रन्थः लिखितः (मेरे द्वारा ग्रन्थ लिखा गया।)
बालकः लेखं लिखितवान्। (बालक ने लेख लिखा।)

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तुमुन् प्रत्यय :
जाना, जाने को, जाने के लिए, जाने का, जाने में आदि निमित्त अथवा प्रयोजन को प्रकट करने के लिए ‘तुमुन्’ प्रत्यय का प्रयोग होता है। यह चतुर्थी विभक्ति के अर्थ में भी प्रयुक्त होता है।
उदाहरण :
रामः पठितुम् विद्यालयं गच्छति। (राम पढ़ने के लिए विद्यालय जाता है।)

तव्यत्, अनीयर् प्रत्यय :
इन दोनों प्रत्ययों का प्रयोग विधिलिंग लकार का अर्थ प्रकट करने के लिए एवं ‘योग्य’ अर्थ में होता है।
उदाहरण :
रामेण ग्रन्थः ‘पठितव्यः (या) पठनीयः।’ (राम के द्वारा ग्रन्थ पढ़ा जाना चाहिए।)
मध्यप्रदेशः दर्शनीयः अस्ति। (मध्य प्रदेश देखने योग्य है।)
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 63

II. तद्धित-प्रत्ययः

तरप्, तमप् प्रत्यय :
विशेषण शब्दों के भाववर्धन के लिए तरप् (तर) और प्रत्ययों का प्रयोग होता है। विशेषण शब्दों की तीन अवस्थाएँ होती हैं-
(क) सामान्य अवस्था-सुन्दरः रामः सुन्दरः बालकः अस्ति।
(ख) उत्तर-अवस्था-सुन्दरतरः रामः मोहनात् सुन्दरतरः अस्ति।
(ग) उत्तम-अवस्था-सुन्दरतमः रामः सर्वेषु बालकेषु सुन्दरतमः अस्ति।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 64
ठक् (इक्) प्रत्यथ इस प्रत्यय का प्रयोग भवावचक संज्ञा बनाने के लिए होता हैं।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 65

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9. अव्ययपरिचयः

सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु सर्वासु च विभक्तिषु।
वचनेषु च सर्वेषु यन्नव्येति तदव्ययम्॥

अर्थात् जिन शब्दों में लिंग, कारक और वचन के कारण किसी प्रकार का विकार (परिवर्तन) नहीं होता और जो प्रत्येक दशा में एक समान रहते हैं, उन्हें अव्यय शब्द कहते हैं।

अव्ययों के भेद-
अव्ययों के पाँच भेद हैं-
(I) उपसर्गः
(II) क्रियाविशेषणम्
(III) चादिः
(IV) समुच्चयबोधकः
(V) विस्मयादिबोधकः

I. उपसर्गः
धातु अथवा धातु से बने अन्य शब्दों (संज्ञा, विशेषण) आदि के पूर्व लगने वाले निम्नलिखित 22 शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 66

II. क्रियाविशेषणम्
जिन शब्दों से क्रिया के काल, स्थान आदि विशेषताओं का बोध होता है, उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं। ये अव्यय हैं, इनके रूप नहीं बनते हैं।
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 67
इत्यादि

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III. चादिः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 68
इत्यादि

IV. समुच्चयबोधका:
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 69
इत्यादि

V. विस्मयादिबोधकाः
MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 70
इत्यादि

10. विलोमशब्दपरिचयः

MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 71

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11. पर्यायवाचीशब्दपरिचयः

MP Board Class 8th Sanskrit व्याकरण-खण्डः 72

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Intext Questions

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Intext Questions

MP Board Class 8th Maths Chapter 11 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 177-178

प्रश्न 1.
यह एक आयताकार बगीचे की आकृति है जिसकी लम्बाई 30 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर है। (आकृति 11.2)
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Intext Questions img-1

  1. इस बगीचे को चारों ओर से घेरने वाली बाड़ की लम्बाई क्या है?
  2. कितनी भूमि बगीचे द्वारा व्याप्त है?
  3. बगीचे के परिमाप के साथ-साथ अन्दर की तरफ एक मीटर चौड़ा रास्ता है जिस पर सीमेंट लगवाना है। यदि 4 वर्ग मीटर (m2) क्षेत्रफल पर सीमेंट लगवाने के लिए एक बोरी सीमेंट चाहिए तो इस पूरे रास्ते पर सीमेंट लगवाने के लिए कितनी सीमेंट की बोरियों की आवश्यकता है?
  4. इस बगीचे में फूलों की दो आयताकार क्यारियाँ हैं जिनमें से प्रत्येक का आकार 1.5 m x 2m है और शेष बगीचे के ऊपर घास है। घास द्वारा घिरा हुआ क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।

हल:
1. बगीचे की लम्बाई 1 = 30 m,
चौड़ाई b = 20 m
बगीचे को चारों ओर से घेरने वाली बाड़ की लम्बाई
= बाग का परिमाप
= 2 x (लम्बाई + चौड़ाई)
= 2 x (30 m + 20 m)
= 2 x 50 m = 100 m

2. बगीचे द्वारा व्याप्त भूमि = बाग का क्षेत्रफल
= l x b
= 30 m x 20 m = 600 m2

3. यहाँ, बाग की लम्बाई AB = 30 m
चौड़ाई BC = 20 m
बाग ABCD का क्षेत्रफल = l x b
= 30 m x 20 m = 600 m2
अब, लम्बाई PQ = 30 m – 2 m = 28 m
चौड़ाई QR = 20 m-2 m = 18 m
PQRS का क्षेत्रफल = l x b
रास्ते पर सीमेंट लगवाने के बाद क्षेत्रफल
= 28 m x 18 m = 504 m2
अब, सीमेंट वाले रास्ते का क्षेत्रफल
= ABCD का क्षेत्रफल – PQRS का क्षेत्रफल
= 600 m2 – 504 m2
= 96 m2
सीमेंट की बोरियों की संख्या
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Intext Questions img-2
अतः उपयोग किए जाने वाले सीमेंट की बोरियों की संख्या = 24

4. 1.5 m x 2 m आकार की 2 फूलों की आयताकार
क्यारियों का क्षेत्रफल = 2 x लम्बाई x चौड़ाई
= 2 x 1.5 m x 2 m = 6 m2
घास द्वारा घिरा हुआ क्षेत्रफल = PQRS का क्षेत्रफल
– 2 फूलों की क्यारियों का क्षेत्रफल
= (504 – 6)m2 = 498 m2
अत: घास द्वारा घिरा हुआ क्षेत्रफल = 498 m2

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 178

प्रश्न 1.
1. निम्नलिखित का स्मरण करने और मिलान करने का प्रयत्न कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Intext Questions img-3
2. क्या आप उपर्युक्त आकारों में से प्रत्येक के परिमाप का सूत्र लिख सकते हैं?
उत्तर:

1.

(a) (i) → (iv) ax b
(b) (ii) → (i) ax a
(c) (iii) → (iv) \(\frac{1}{2}\) b x h
(d) (iv) → (ii) b x h
(e) (v) → (iii) πb2.

2. हाँ, हम इन आकारों में से प्रत्येक के परिमाप सूत्र लिख सकते हैं –

(a) आयत का परिमाप = 2 (a + b)
(b) वर्ग का परिमाप = 4a
(c) त्रिभुज का परिमाप = त्रिभुज की तीनों भुजाओं की लम्बाइयों का योग
(d) समान्तर चतुर्भुज का परिमाप = 2 x संलग्न भुजाओं की लम्बाइयों का योग
(e) वृत्त का परिमाप = 2nb

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 179

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प्रयास कीजिए (क्रमांक 11.1)

प्रश्न (a)
निम्नलिखित आकृतियों का उनके क्षेत्रफलों से मिलान कीजिए:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 11 क्षेत्रमिति Intext Questions img-4
(b) प्रत्येक आकार का परिमाप लिखिए।
उत्तर:
(a)

(a’) → (iii)
(b’) → (ii)
(c’) → (i)
(d’) → (ii)
(e’) → (i).

(b) प्रत्येक आकार का परिमाप:
आकृति (a’) का परिमाप = 2(14 + 7) = 2 x 21
= 42cm
आकृति (b’) का परिमाप = (πr + 14)
= (\(\frac{22}{7}\) x 7 + 14) = 36 cm
आकृति (c’) का परिमाप = (a + b + c)
= (11 + 14+ 9)
= 34 cm
आकृति (d’) का परिमाप = 2(l + b)
=2(14 + 7) cm
=2 x 21 cm
=42 cm
आकृति (e’) का परिमाप = 4 x भुजा
= 4 x 7
= 28 cm

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.3

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.3

प्रश्न 1.
क्या किसी बहुफलक के फलक नीचे दिए अनुसार हो सकते हैं?

  1. 3 त्रिभुज
  2. 4 त्रिभुज
  3. एक वर्ग और चार त्रिभुज।

हल:

  1. नहीं, किसी बहुफलक के फलक 3 त्रिभुज नहीं हो सकते।
  2. हाँ, किसी बहुफलक के फलक 4 त्रिभुज हो सकते हैं।
  3. हाँ, किसी बहुफलक के फलक एक वर्ग और चार त्रिभुज हो सकते हैं।

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प्रश्न 2.
क्या ऐसा बहुफलक सम्भव है जिसके फलकों की संख्या कोई भी संख्या हो?
(संकेत: एक पिरामिड के बारे में सोचिए।)
हल:
हाँ, यह सम्भव है जबकि फलकों की संख्या 4 या उससे अधिक हो।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-कौन प्रिज्म है?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.3 img-1
हल:

(i) और (iii) प्रिज्म नहीं है।
(ii) और (iv) प्रिज्म हैं।

प्रश्न 4.

  1. प्रिज्म और बेलन किस प्रकार एक जैसे हैं?
  2. पिरामिड और शंकु किस प्रकार एक जैसे हैं?

हल:

  1. एक प्रिज्म बेलन का रूप ले लेता है, जब आधार की भुजाओं की संख्या बड़ी तथा और बड़ी होती जाती है।
  2. एक पिरामिड शंकु का रूप ले लेता है, जब आधार की भुजाओं की संख्या बड़ी और बड़ी होती जाती है।

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प्रश्न 5.
क्या एक वर्ग प्रिज्म और एक घन एक ही होते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
हल:
हाँ, एक वर्ग प्रिज्म और एक घन एक ही होते हैं। यह एक घनाभ भी हो सकता है।

प्रश्न 6.
इन ठोसों के लिए ऑयलर सूत्र का सत्यापन कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.3 img-2
हल:
1. F = 7
V = 10
E = 15
ऑयलर सूत्र – F + V – E = 2
L.H.S. = 7 + 10 – 15 = 17 – 15 = 2 = R.H.S.
अतः ऑयलर सूत्र सत्यापित होता है।

2. F = 9
V = 9
E = 16
L.H.S. = 9 + 9 – 16 = 18 – 16 = 2 = R.H.S.
अतः ऑयलर सूत्र सत्यापित होता है।

प्रश्न 7.
ऑयलर सूत्र का प्रयोग करते हुए, अज्ञात संख्या को ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.3 img-3
हल:
∵ फलक = किनारे + 2 – शीर्ष
(∵ F + V – E = 2)
∴ फलक = 12 + 2 – 6 = 14 – 6 = 8
∴ शीर्ष = किनारे + 2 – फलक
∴ शीर्ष = 9 + 2 – 5 = 11 – 5 = 6
∴ किनारे = फलक + शीर्ष – 2
∴ किनारे = 20 + 12 – 2 = 32 – 2 = 30

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प्रश्न 8.
क्या किसी बहुफलक के 10 फलक, 20 किनारे और 15 शीर्ष हो सकते हैं?
हल:
यहाँ, फलक F = 10
शीर्ष V = 15 तथा
किनारे E = 20
ऑयलर सूत्र से,
F + V – E = 2
L.H.S. = 10 + 15 – 20
= 25 – 20 = 5 + 2
∴ F + V – E #2
अतः किसी बहुफलक के 10 फलक, 20 किनारे और 15 । शीर्ष नहीं हो सकते हैं।

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MP Board Class 8th Special Hindi Model Question Paper

MP Board Class 8th Special Hindi Model Question Paper

समय : 3 घण्टा
पूर्णांक : 100

1. सही विकल्प चयन कर लिखिए-
(अ) महेश्वर नगरी नदी के तट पर है
(क) नर्मदा,
(ख) चम्बल,
(ग) सोन,
(घ) बेतवा।
उत्तर-
(क) नर्मदा,

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(आ) सिकन्दर की छाती दहलती थी
(क) हिन्दुस्तान की तलवार से,
(ख) बिजली के गरजने से,
(ग) अपनी प्रजा से,
(घ) गीत-संगीत से।
उत्तर-
(क) हिन्दुस्तान की तलवार से,

(इ) ‘खेड़ा सत्याग्रह’ नाम पड़ा
(क) अंग्रेजों के विरुद्ध बखेड़ा करने से,
(ख) खेड़ा के किसानों के लगान के कारण,
(ग) अंग्रेजों को खड़ा करने के कारण,
(घ) अन्याय के विरोध में।
उत्तर-
(ख) खेड़ा के किसानों के लगान के कारण,

(ई) मन, वचन और काया से इन्द्रियों को अपने वेश में रखना कहलाता है
(क) अहिंसा,
(ख) अस्तेय,
(ग) ब्रह्मचर्य,
(घ) अपरिग्रह।
उत्तर-
(ग) ब्रह्मचर्य,

(उ) ‘सत्याग्रह’ शब्द का सन्धि विच्छेद है
(क) सत्य + ग्रह,
(ख) सत्य + आग्रह,
(ग) सत्या + ग्रह,
(घ) सत्याग + रह।
उत्तर-
(ख) सत्य + आग्रह।

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(अ) अधिक फूल खिलने के कारण पटना का नाम ……………………………………… भी था।
(आ)मुण्डा जनजाति में ‘सिंग’ का अर्थ है ………………………………………।
(इ) एक समय में सौ प्रकार की बातें सुनकर दोहराने वाले व्यक्ति ………………………………………” कहलाते हैं।
(ई) शान्ति निकेतन की स्थापना ……………………………………… ने की थी।
(उ) गुप्तवंश भारतीय इतिहास में ……………………………………… के नाम से। विख्यात है।
(ऊ) धनुरासन में शरीर की आकृति ……………………………………… के समान हो। जाती है।
(ए) ईश्वर में विश्वास करने वाला ………………………………………” कहलाता है।
उत्तर-
(अ) कुसुमपुर,
(आ) सूर्य,
(इ) शतावधानी,
(ई) रवीन्द्रनाथ टैगोर,
(उ) स्वर्णयुग,
(ऊ) धनुष,
(ए) आस्तिक।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए(अ) ‘गाँव’ में रहने वाले व्यक्ति के लिए एक शब्द लिखिए।
उत्तर-
ग्रामीण।

(आ) ‘विचार’ और ‘हस्तक्षेप’ शब्द के लिए आगत (विदेशी शब्द) लिखिए।
उत्तर-
विचार-ख्याल, हस्तक्षेप-दखल।

(इ) नारी तथा पुरुष शब्द में ‘त्व’ प्रत्यय जोड़कर नए शब्द लिखिए।
उत्तर-
नारी + त्व = नारीत्व; पुरुष + त्व = पुरुषत्व।

(ई) ‘नारी’ और ‘जल’ शब्दों में उचित विशेषण जोड़कर लिखिए।
उत्तर-
सुन्दर नारी; स्वच्छ जल।

(उ) उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
“सोहत ओढ़े पीतपट स्याम सलोने गात।
मनहु नीलमणि सैल पर, आतप परयौ प्रभात।।”

(ऊ) निम्नलिखित शब्दों के लिंग परिवर्तन कर लिखिएपण्डित, आत्मज, तरुणी, पत्नी।
उत्तर-
पण्डित-पण्डितानी; आत्मज-आत्मजा;
तरुणी-तरुण; पत्नी-पति।।

(ए) जुगुप्सा किस रस का स्थायी भाव है?
उत्तर-
जुगुप्सा वीभत्स रस का स्थायी भाव है।

(ऐ) मोहन जायेगा? इस सम्बन्ध में से यदि वाक्य प्रश्नवाचक बन जाए तो इस आरोह-अवरोह को क्या कहेंगे?
(i) बलाघात,
(ii) अनुतान,
(iii) मात्रा सन्तुलन।
उत्तर-
(i) अनुतान।

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4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 3 से 5 वाक्यों में दीजिए-

(अ) जब बहू ने दर्पण देखा तो वह व्याकुल हो गई?
उसके अनुभव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
जब बीरबल की पत्नी (बहू) कामकाज से निवृत्त हो गई तो उसने सोचा कि वह अब देखेगी कि उसका पति अपने लिए शहर से क्या वस्तु लाया है। उस बहू ने सन्दूक खोला, तो दर्पण देखा। उसमें झाँकते ही, उसे अपनी आकृति दिखाई दी। आकृति देखकर उसे लगा कि उसका पति अपने लिए एक दूसरी सुन्दर-सी पत्नी लेकर आया है, जो उसी की तरह सजी-धजी है और एक जादू से छिपाकर रख ली है। वे मुझे बहुत प्यार करने का नाटक करते हैं परन्तु वे शहर से मेरी सौत लेकर आए हैं। उसने अपनी सास को जोर से आवाज देते हुए पुकारा और कहा कि हे अम्मा! देखो-ये (बीरबल उसका पति) उसकी
सौतन शहर से ले आये हैं।

(आ) बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी में सालिम को कैसे अनुभव हुए?
उत्तर-
‘बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ में सालिम अली ने पक्षियों के शरीरों में भूसा भरकर रखे गये तरह-तरह के पक्षियों को देखा। वह अचम्भे में रह गया। श्री मिलार्ड ने किसी भी भारतीय वयस्क को इतने उत्साह से भरा नहीं देखा जो पक्षियों के बारे में जानना चाहता हो। उसने सीखना शुरू कर दिया कि पक्षियों को किस तरह पहचाना जाता है। साथ ही उसने यह भी सीख लिया कि मरे हुए पक्षी के शरीर में भूसा भरकर किस तरह सुरक्षित रखा जा सकता है।

(इ) संगीत का सामाजिक महत्त्व कब और क्यों बढ़ जाता है?
उत्तर –
संगीत का वास्तविक महत्त्व तब होता है, जब संगीत की शास्त्रीयता साधना को महत्त्व देती है। संगीत की मिठास आत्मिक शान्ति देती है एवं जीवन को जीने की उमंग पैदा करती है। संगीत से सने गीतों को सुनकर आदमी अपने आप में थिरक उठता है। उसके हृदय में करुणा का भाव जाग उठता है और करुणा का भाव आँसुओं के रूप में बह निकलता है। इससे साधारण लोग प्रभावित हो उठते हैं। यही कारण है कि संगीत को सम्पूर्ण समाज महत्त्व देता है।

(ई) कारकों के चिह्न (परसर्ग) कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
अध्याय 4 व्याकरण में शीर्षक 14 ‘कारक’ का अवलोकन करें।

(उ) “मोहन पढ़ने में चतुर है और मोहन गाना गाता है” को जोड़कर संयुक्त वाक्य बनाइए।
उत्तर-
मोहन गाना गाता है लेकिन (वह) पढ़ने में भी चतुर है।

(ऊ) ‘वसीयतनामे का रहस्य’ अथवा ‘याचक और दाता’ नामक कहानी में से किसी एक का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
“वसीयतनामे का रहस्य”
इस कहानी में गाँव के एक वयोवृद्ध किसान की न्यायप्रियता, दूरदर्शिता, ईमानदारी, निष्पक्षता और बुद्धिचातुर्य से परिचित कराया गया है। लोग शिक्षित होकर भी बुद्धिमान नहीं होते। उस ग्रामीण ने अपनी जायदाद को तीन पुत्रों में बाँट दिए जाने के लिए वसीयत लिखी। वस्तुतः वह चाहता था कि परिश्रमी और ईमानदार पुत्र ही उसकी वसीयतनामे के हकदार हों। राजा ने भी बड़ी चतुराई से उस समस्या का समाधान खोज निकाला। चार पुत्र होने पर जायदाद का विभाजन तीन में ही हो; इस पहेली को राजा ने प्रत्येक पुत्र से किए प्रश्नों के उत्तर के माध्यम से सुलझा दिया। तात्पर्य यह है कि बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान बुद्धि के कौशल से सम्भव है।’

अथवा

वृद्धा ने सेठजी के घर जाकर मोहन के माथे पर हाथ फेरा। मोहन ने हाथ को पहचान लिया; उसने अपनी आँखें तुरन्त खोल दी। कहने लगा, ‘माँ’, तुम आ गईं। वृद्धा कहने लगी, “हाँ बेटा, तुम्हें छोड़कर कहाँ जा सकती हूँ। उसने मोहन का सिर गोद में रखा, थपथपाया। मोहन की नींद आ गई। कुछ दिन बाद मोहन स्वस्थ हो गया। जो काम दवाइयाँ, डॉक्टर और हकीम नहीं कर सके, वह काम वृद्धा माँ की ममता ने कर दिखाया।”

1. अब वह वृद्धा माँ वापस लौटने लगी तो सेठजी ने उससे कहा कि वे मोहन के ही पास रुक जाएँ, लेकिन वे नहीं मानी। सेठजी हाँडी के रुपये न देने के लिए क्षमा माँगने लगे और वह हाँडी लौटाने लगे तो वृद्धा ने कहा कि यह तो मैंने मोहन के लिए जमा किये थे। उसी को दे देना।

वृद्धा ने सेठजी की धरोहर (मोहन) ईमानदारी से लौटा दी। अब वह उसे यहाँ छोड़कर अपनी लाठी का सहारा लेकर चलती हुई अपनी झोपड़ी में लौट गई। उसके नेत्रों से आँसू बह रहे थे, परन्तु यह आँसू फूलों के पराग से, ममता की महक से महक रहे थे। वृद्धा माँ का ममत्व सेठ बनारसीदास के धन से अधिक गरिमावान सिद्ध हुआ। इस तरह सेठजी याचक थे और वृद्धा माँ दाता के रूप में महान और उदारता की साक्षात् मूर्ति सिद्ध हुई।

(ए) पाषाण युग का मानव किस प्रकार का जीवन जीता था?
उत्तर-
पाषाण युग का मानव जंगलों, पर्वतों और नदी घाटियों में विचरण करता था। कन्दमूल, फल और पशुओं का शिकार कर अपना पेट भरता था तथा पहाड़ों की गुफाओं में रहता था।

(ए) प्राणायाम के लाभ बताइए।
उत्तर-
प्राणायाम के लाभ-

  • प्राणायाम से शरीर के सभी विकार दूर होते हैं।
  • इसमें प्राणशक्ति में वृद्धि होती है।
  • गले से सम्बन्धित रोग दूर होते हैं। स्वर मधुर बनता
  • थायरॉइड सम्बन्धी बीमारियाँ ठीक होती हैं।
  • आन्तरिक एवं मानसिक शान्ति मिलती है।
  • स्मृति बढ़ाने में सहायक है।
  • शरीर सुन्दर, सुडौल, शक्तिशाली एवं तेजस्वी बनता है।
  • शरीर में स्फूर्ति रहती है।
  • पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।

(ओ) सत्याग्रह-आश्रमवासियों को किन नियमों का पालन करना पड़ता था?
उत्तर-
आश्रमवासियों को सादे वस्त्र और सादे भोजन से सन्तोष करना पड़ता था। भोजन के पदार्थों में मिर्च-मसाले नहीं डाले जाते थे, दूध बहुत कम दिया जाता, परन्तु फल और मेवे अधिक दिये जाते थे। आश्रमवासियों को छुट्टियाँ नहीं दी जाती थीं। उन्हें अपने हाथ से ही सारा काम करना पड़ता था। उनसे किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं ली जाती थी। जो अतिथि आते थे, उन्हें भी आश्रम के नियमों का पालन करना होता था।

(औ) निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए”मेरे स्वराज्य का ध्येय अपनी सभ्यता की विशेषता को अक्षुण्य बनाए रखना है। मैं बहुत-सी नई बातों को लेना चाहता हूँ, पर उन सबको भारतीयता का जामा पहनाना होगा। भारत ने पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त कर ली है। ऐसा तभी कहा जा सकेगा, जब जनता यह अनुभव करने लगेगी कि उसे अपनी उन्नति करने तथा रास्ते पर चलने की आजादी है।”

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प्रश्न-
(i) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ii) स्वराज्य का ध्येय क्या है?
(ii) पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त कर ली है’, ऐसा कब कहा जा सकेगा?
उत्तर-
(i) स्वराज्य का ध्येय’ उपयुक्त शीर्षक है।
(ii) स्वराज्य का ध्येय है कि हम अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति को निरन्तर बनाए रखें। हम अपनी सभ्यता और संस्कृति में बाहर की बहुत-सी बातों को ग्रहण कर लेना तो चाहते हैं परन्तु उन्हें भारतीयता में बदलकर।
(iii) भारतवर्ष एक स्वतन्त्र देश है। इसने पूर्ण आजादी प्राप्त कर ली है।’ ऐसा तो तभी कहा जा सकेगा जब हम अपनी उन्नति करने में भी आजाद हों। साथ ही, हमें उन उपायों की भी जानकारी होनी चाहिए, जिन पर चलकर हम उन्नति कर सकें और अपनी आजादी की रक्षा कर सकें।

5. (अ) अपने प्रधानाध्यापक को साँची घूमने जाने के
लिए तीन दिवस के अवकाश हेतु आवेदन-पत्र लिखिए।
अथवा
अपनी माताजी को एक पत्र लिखकर शाला की
बालदिवस की गतिविधियों के बारे में बताइए।
उत्तर-
‘पत्र लेखन’ नामक अध्याय का अवलोकन करें।

(आ) निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबन्ध लिखिए-
(1) गणतन्त्र दिवस,
(2) तुलसीदास,
(4) कम्प्यूटर,
(4) मेरा प्रिय शिक्षक।
उत्तर-
‘निबन्ध लेखन’ नामक अध्याय का अवलोकन करें।

(इ) गाँधी जी ने फिनिक्स आश्रम की स्थापना क्यों की?
उत्तर-
गाँधी जी रस्किन की पुस्तक (अपटू दिस लास्ट) में विशेष रुचि रखते थे। वे इसे एक उत्साहवर्धक एवं प्रभावशाली पुस्तक ठहराते थे। इस पुस्तक के सर्वोदयी विचार से प्रभावित होकर पुस्तक में वर्णित भावों एवं विचारों को मूर्त रूप देने के लिए डर्बन में सौ एकड़ भूमि लेकर फिनिक्स आश्रम की नींव डाली। इस प्रकार गाँधी जी पुस्तक में वर्णित विचारों को साकार रूप देने में सफल रहे।

6.
(अ) निम्नलिखित पद्यांशों में किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिएन इसका अर्थ हम पुरुषत्व का बलिदान कर देंगे। न इसका अर्थ हम नारीत्व का अपमान सह लेंगे। रहे इंसान चुप कैसे कि चरणाघात सहकर जब,
उमड़ उठती धरा पर धूल, जो लाचार सोई है।
उत्तर-
कवि यह बताते चलते हैं कि हम हिन्दुस्तानियों ने ही सदैव संसार को शान्ति का सन्देश दिया है तथा अहिंसा का उपदेश देकर मन, कर्म और वचन से सत्य का आचरण करने के लिए पूरे संसार को सलाह दी है। इसका यह अर्थ नहीं लगा लेना चाहिए कि हम अहिंसा का आचरण अपनाकर वीरता का त्याग कर देंगे और कायर बन जायेंगे और इसका यह अर्थ भी नहीं लगा लेना चाहिए कि हम नारीपन (स्त्रीत्व) के लिए किए गये अपमान को सह लेंगे। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि धरती पर पैरों के नीचे दबी कुचली धूल भी पैरों की ठोकर खाने पर आकाश में उमड़कर चारों ओर छा जाती है। वह (स्त्री रूपी धूल) किसी वजह से अपनी लाचारी की दशा में अपनी शक्ति को पहचानती नहीं रही है। यह उसकी सुप्त अवस्था थी, अज्ञानता थी, उसकी अशिक्षा थी।

अथवा
पकड़ वारि की धार झूलता है मेरा मन, आओ रे सब मुझे घेरकर गाओ सावन। इन्द्रधनुष के झूले में झूलें मिल सब जन, फिर-फिर आए जीवन में सावन मन भावन॥
उत्तर-
प्रसंग-कवि कामना करता है कि सावन जीवन में बार-बार आये।

व्याख्या-कवि कहता है कि मेरा मन जल की धार को पकड़कर अनेक कल्पनाओं के झूले में झूलने लगता है। आप सब के सब सामूहिक रूप से मिलकर आओ। मुझे चारों ओर से – घेरकर खड़े हो जाओ तथा सावन के गीत गाओ। सभी लोग वर्षा ऋतु में आकाश में दिखने वाले इन्द्रधनुष के झूले में झूलें। इन्द्रधनुष। के अनेक रंगों की तरह अनेक कल्पनाओं में डूब जाओ। इस तरह मन को अच्छा लगने वाला (मन में अच्छे-अच्छे भाव पैदा करने वाला) सावन प्रत्येक प्राणी के मन में अनेक बार आता रहे, ऐसी मैं आशा करता हैं।

(आ) निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए। “ऋषि मुनियों और साधकों की हजारों वर्षों की तपस्या एवं परिश्रम का प्रतिफल है संगीत। कहा जाता है कि जिस। समाज में कला का स्थान नहीं होता, वह समाज भी प्राणहीन हो जाता है।”
उत्तर-
संगीत के विकास और उन्नति के लिए हमारे ऋषियों, मुनियों तथा संगीत कला की साधना करने वाले संगीतकारों ने तपस्या की। वे सभी एकचित्त होकर संगीत की साधना में लगे रहे। आज संगीत कला जिस मुकाम को प्राप्त हो गयी है, वह मुकाम उन सभी साधकों की तपस्या और उनकी। मेहनत का नतीजा है, परिणाम है। यह कहावत सत्य है कि वह समाज मरा हुआ (मृत) होता है जिसमें संगीत आदि अनेक कलाओं को महत्त्व नहीं दिया जाता। अतः समाज की जीवन्तता – के लिए आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है कि समाज के लोगों को कला के महत्त्व को समझना चाहिए और इसके विकास
और उन्नति के लिए निरन्तर सहयोग देकर साधकों को उत्साहित। करना चाहिए।

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अथवा

“चाँद आता है तो चाँदी जैसी चमक उठती हैं, सूरज। आता है तो उस जैसी ही तप उठती हैं।”
उत्तर-
नदी का जल बड़े आकार वाली चट्टानों को डुबाता हुआ बहता है। जल के नीचे डूबी हुई चट्टानों के ऊपर छोटी-छोटी घास उग रही है। जाड़ा, गर्मी और बरसात के मौसम को निरन्तर सहती रहती हैं। इन चट्टानों को यदि काटने का प्रयास किया जाय, तो वे कट तो अवश्य जायेंगी परन्तु झुकती नहीं हैं। ये चट्टानें लगातार ही आगे तक बढ़ती जाती हैं अर्थात् बहुत दूरी तक ये चट्टानें नदी के अथाह तल के नीचे और किनारों पर लगातार अपने मस्तक को उठाये हुए आगे तक बहते जल के साथ बढ़ती हुई जाती हैं। उनकी पवित्रता धीमी नहीं होती, मन्द नहीं पड़ती। चन्द्रमा की चाँदनी में चाँदी की तरह ही चमचमाती रहती हैं। सूर्य के उदय होते ही, उसके तेज से एकदम तपने लगती हैं, परन्तु जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है, तब यहाँ घना अन्धकार छा जाता है, फिर भी इनकी धवलता लिए हुए चमक, निर्मलता, उनकी पवित्रता समाप्त नहीं होती। यह वास्तव में तपस्या ही है। अन्य कुछ भी नहीं।

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.2

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.2

प्रश्न 1.
एक नगर के दिए हुए मानचित्र को देखिए। निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(a) इस मानचित्र में इस प्रकार रंग भरिए –
नीला – जल; लाल – फायर-स्टेशन; नारंगी – लाइब्रेरी; पीला – स्कूल; हरा – पार्क; गुलाबी – कॉलेज बैंगनी – अस्पताल; भूरा – कब्रिस्तान।
(b) सड़क C और नेहरू रोड के प्रतिच्छेदन पर एक हरा ‘X’ तथा गाँधी रोड़ और सड़क A के प्रतिच्छेदन पर एक हरा ‘Y’ खींचिए।
(c) लाइब्रेरी से बस डिपो तक एक छोटा सड़क मार्ग लाल रंग से खींचिए।
(d) कौन अधिक पूर्व में है-सिटी पार्क या बाज़ार?
(e) कौन अधिक दक्षिण में है – प्राइमरी स्कूल या सीनियर सेकण्डरी स्कूल?

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.2 img-1
हल:
(a), (b) और (c) के लिए विद्यार्थी अभीष्ट मानचित्र में दिये गये निर्देशानुसार स्वयं रंग भरें। (d) ‘सिटी पार्क’ अधिक पूर्व में है। (e) सीनियर सेकण्डरी स्कूल अधिक दक्षिण में है।

प्रश्न 2.
उचित पैमाने और विभिन्न वस्तुओं के लिए संकेतों का प्रयोग करते हुए, अपनी कक्षा के कमरे का एक मानचित्र खींचिए।
हल:
कक्षा के कमरे का मानचित्र –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.2 img-2

प्रश्न 3.
उचित पैमाने और विभिन्न विशेषताओं (वस्तुओ) जैसे खेल का मैदान, मुख्य भवन, बगीचा इत्यादि के लिए संकेतों का प्रयोग करते हुए, अपने विद्यालय परिसर (compound) का एक मानचित्र खींचिए।
हल:
विद्यालय परिसर का मानचित्र –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.2 img-3

प्रश्न 4.
अपने मित्र के मार्ग दर्शन के लिए एक मानचित्र खींचिए ताकि वह आपके घर बिना किसी कठिनाई के पहुँच जाए।
हल:
\(\frac{1}{2}\) किमी.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.2 img-4
जानकारी के लिए निर्देश –

  1. सिटी सेण्टर से अकबर रोड पर आइए।
  2. अकबर पर आगे बढ़िए, लाइब्रेरी तक आइए।
  3. लाइब्रेरी के सामने नेहरू रोड पर आइए।
  4. कुछ कदम आगे आइए, दाहिनी ओर पुलिस थाना आयेगा।
  5. पुलिस थाना से आगे आइए, कुछ दूरी चलकर दाहिने मुड़िए।
  6. आगे प्राइमरी स्कूल तक आइए।
  7. प्राइमरी स्कूल के सामने चलिए।
  8. हरी मिष्ठान से आगे बढ़िए और दाहिनी ओर मुड़िए।
  9. फायर स्टेशन से आगे सीधी सड़क पर चलिए।
  10. लगभग आधा किलोमीटर चलकर आप मेरे घर पर होंगे।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 173

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फलक, किनारे और शीर्ष

पहेली:
मेरा कोई शीर्ष नहीं है। मेरा कोई सपाट फलक नहीं हैं। मैं कौन हूँ?
उत्तर:
किनारा।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 175

इन्हें कीजिए (क्रमांक 10.4)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित बहुफलकों के लिए फलकों (faces), किनारों (edges) और शीर्षों (vertices) की संख्याओं को सारणीबद्ध कीजिए (यहाँ Vशीर्षों की संख्या, F फलकों की संख्या तथा E किनारों की संख्या प्रदर्शित करता है)।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.2 img-5
आप अन्तिम दो स्तम्भों से क्या निष्कर्ष निकालते हैं? क्या प्रत्येक स्थिति में आप F + V = E + 2, अर्थात् F + V – E = 2 प्राप्त करते हैं? यह सम्बन्ध ऑयलर सूत्र (Euler’s Formula) कहलाता है। वास्तव में, यह सूत्र प्रत्येक बहुफलक के लिए सत्य है।
हल:
यहाँ, V- शीर्षों की संख्या, F – फलकों की संख्या तथा E किनारों की संख्या है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.2 img-6
अन्तिम दो स्तम्भों से यह निष्कर्ष निकलता है कि F + V = E + 2,
अर्थात् F + V – E = 2
यह सूत्र ऑयलर सूत्र कहलाता है जो प्रत्येक बहुलक के लिए सत्य है।

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सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए

प्रश्न 1.
यदि किसी ठोस में से कोई टुकड़ा काट दिया जाए, तो F, V और E में क्या परिवर्तन होता है ? (प्रारम्भ करने के लिए, एक प्लास्टिसीन का घन लीजिए तथा उसका एक कोना काटकर इसकी खोज कीजिए।)
हल:
माना कि ABCDEFGH एक प्लास्टिसीन का घन है। इस घन में से एक टुकड़ा XYZ एक कोने से काटकर अलग किया गया है। यहाँ, X, Y तथा Z सह किनारों क्रमशः FE, FG तथा FB के बिन्दु हैं।
स्थिति 1:
घन ABCDEFGH से,
फलकों की संख्या F = 6
शीर्षों की संख्या V = 8
किनारों की संख्या E= 12
अब – F + V = 6 + 8 = 14
= 14 + 2 = E + 2
अतः यहाँ ऑयलर सूत्र का सत्यापन होता है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.2 img-7
स्थिति 2:
जब कि घन से एक टुकड़ा समतल XYZ द्वारा काट दिया जाता है –
फलकों की संख्या, F = 7
शीर्षों की संख्या, V = 10
किनारों की संख्या, E= 15
अब, F + V = 7 + 10 = 17
= 15 + 2 = E + 2
अतः, यहाँ ऑयलर सूत्र का सत्यापन होता है।

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