MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 20 हट्टभ्रमणम्

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 20 हट्टभ्रमणम्

MP Board Class 8th Sanskrit Chapter 20 अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) ग्रीष्मावकाशे स्वग्रामं कः आगतवान्? (गरमी की छुट्टियों में अपने गाँव कौन आया?)
उत्तर:
गिरिराजनायकः। (गिरिराज नायक)

(ख) कस्मिन् ग्रामें हट्टः भवति? (किस गाँव में हाट होती है।)
उत्तर:
मेलखेडाग्रामे। (मेलखेड़ा गाँव में)

(ग) हट्टः कस्मिन् दिवसे भवति? (हाट किस दिन होती है?)
उत्तर:
मङ्गलवासरे। (मंगलवार को)

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(घ) विक्रेतारः कुत्र आपणान् आयोजयन्ति? (दुकानदार कहाँ परं दुकानों को लगाते हैं?)
उत्तर:
वृक्षच्छायायाम्। (पेड़ की छाया में)

(ङ) हट्टदिने के आगच्छन्ति? (हाट के दिन कौन आते हैं?)
उत्तर:
ग्रामीणाः। (गाँववासी)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत- (एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) ग्रामम् परितः के सन्ति? (गाँव के चारों ओर क्या हैं?)
उत्तर:
ग्रामम् परितः लघु-लघु ग्रामाः सन्ति। (गाँव के चारों ओर छोटे-छोटे गाँव हैं।)

(ख) पञ्चशाकानां नामानि लिखत? (पाँच सब्जियों के नाम लिखो।)
उत्तर:
पञ्चशाकानां नामानि आलुकम्, पलाण्डुः, कूष्माण्डम्, शिम्बाम् मूलिका च इति सन्ति। – (पाँच सब्जियों के नाम आलू, प्याज, कहू, सेम और मूली हैं।)

(ग) पञ्चनाम् अन्नानां नामानि लिखत? (माँच अन्नों के नाम लिखो।)
उत्तर:
पञ्चानाम् अन्नानां नामानि गोधूमाः, चणकाः, यवाः तण्डुलानि द्विदलानि च इति सन्ति। (पाँच अन्नों के नाम गेहूँ, चना, जौ, चावल और दाल हैं।)

(घ) ग्रामीणाः परस्परम् मिलित्वा किं कुर्वन्ति? (ग्रामीण परस्पर मिलकर क्या करते हैं?)
उत्तर:
ग्रामीणाः परस्परम् मिलित्वा मुदिताः भवन्ति। (ग्रामीण परस्पर मिलकर प्रसन्न होते हैं।)

(ङ) हट्टस्थाने के के वृक्षाः सन्ति? (हाट की जगह पर कौन-कौन से पेड़ हैं?)
उत्तर:
हट्टस्थाने जम्बुः, कदम्ब, वटः, पिप्पलस्य च वृक्षाः सन्ति। (हाट की जगह पर जामुन, कदम्ब, बरगद और पीपल के पेड़ हैं।)

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प्रश्न 3.
रिक्तस्थानानि पूरयत(रिक्त स्थान भरो-)
(क) अहं ग्रीष्मावकाशे …………. आगतवान्।
(ख) अत्रागत्य पश्यतु …………
(ग) ……….. हट्टम् भवति।
(घ) हट्टस्थानं विस्तृतं रमणीयं …………..।
(ङ) परस्परम् मिलित्वा …………. मुदिताः भवन्ति।
उत्तर:
(क) स्वग्रामम् ह्यः
(ख) ग्राम्यजीवनम्
(ग) प्रतिमङ्गलवासरे
(घ) चास्ति
(ङ) सर्वे।

प्रश्न 4.
अर्थानुसारं योजयत(अर्थ के अनुसार जोड़ो-)
MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 20 हट्टभ्रमणम् 1
उत्तर:
(क) → (ii)
(ख) → (i)
(ग) → (v)
(घ) → (iii)
(ङ) → (iv)

प्रश्न 5.
निम्नलिखितपदानाम् मूलशब्दं विभक्ति वचनं च लिखत (नीचे लिखे शब्दों के मूल शब्द, विभक्ति और वचन लिखो-)
उत्तर:
MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 20 हट्टभ्रमणम् 2

प्रश्न 6.
निम्नांकित अव्ययानां वाक्ये प्रयोगं कुरुत (नीचे दिये अव्ययों का वाक्यों में प्रयोग करो-)
यथा- तत्र जनाः आगच्छन्ति।
(क) ह्यः
(ख) अत्र
(ग) च
(घ) अपि
(ङ) प्रति।
उत्तर:
MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 20 हट्टभ्रमणम् 3

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(डाकिया दरवाजे पर बिजली की घण्टी को बजाता है। विभु दरवाजा खोलता है। डाकिये से पत्र लेकर पिता को प्रसन्नता से बताता है-हे पिताजी! मेरे मित्र गिरिराज का यह पत्र आया है। यह सुनकर पिताजी उससे कहते हैं तो सुनाओ। वह जोर से पत्र पढ़ता है।)

हट्टभ्रमणम्हि न्दी अनुवाद

साठखेडाग्रामतः
दिनाङ्क : २०-६-२००६

प्रिय मित्र विभो!
सप्रेम नमस्कारः
अहं ग्रीष्मावकाशे स्वग्रामंह्य आगतवान्। स्वगृहे स्थित्वा ग्राम्यजीवनस्य आनन्दम् अनुभवामि। प्रार्थयामि यत् भवान् अपि नगरीयकोलाहलात् किञ्चित् कालम् अत्रागत्य पश्यतु ग्राम्यजीवनम्।

अनुवाद :

साठखेड़ा गाँव
दिनाङ्क : 20-06-2006

प्रिय मित्र विभु!
सप्रेम नमस्कार
मैं गर्मी की छुट्टियों में कल अपने गाँव आया हूँ। अपने घर में रहकर गाँव के जीवन का आनन्द अनुभव कर रहा हूँ। प्रार्थना करता हूँ कि आप भी नगरीय कोलाहल (शोर) से कुछ समय यहाँ आकर गाँव के जीवन को देखो।

मम ग्रामस्य समीपे एव मेलखेडा नाम्नि ग्रामे प्रतिमङ्गलवासरे हट्टः भवति। ग्रामम् परितः लघु-लघु ग्रामाः सन्ति। तत्रत्याः ग्रामीणाः मित्रैः परिवारैश्च सह हट्टदिने अत्रागच्छन्ति। हट्टस्थानं विस्तृतं रमणीयं चास्ति। अस्मिन् हटे जम्बुः, कदम्बः, वटः, पिप्पलस्य च वृक्षाः सन्ति। विक्रेतारः वृक्षच्छायायाम् आपणान् आयोज्य गोधूमाः, चणकाः, यवाः तण्डुलानि, द्विदलानि इत्यादीनि धान्यानि विक्रीणन्ति। एतद् अतिरिक्तम् अन्येषां वस्तूनाम अपि विक्रयणम् अत्र भवति।

अनुवाद :
मेरे गाँव के पास में ही मेलखेड़ा नामक गाँव में प्रत्येक मंगलवार को हाट होती है। गाँव के चारों ओर छोटे-छोटे गाँव हैं। वहाँ के गाँववासी मित्रों और परिवारों के साथ हाट के दिन वहाँ आते हैं। हाट का स्थान विस्तृत और सुन्दर है। इस हाट में जामुन, कदम्ब, बरगद और पीपल के पेड़ हैं। दुकानदार पेड़ों की छाया में दुकानों को लाकर गेहूँ, चना, जौ, चावल, दालें इत्यादि धान्य बेचते हैं। इनके अलावा अन्य वस्तुओं की भी बिक्री होती है।

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अत्र मोदकम्, कुण्डलीम्, अमृतीम्, रसगोलकम् इत्यादीनि मिष्ठान्नानि च मिलन्ति। मिष्ठान्नानि मा रोचन्ते। शाकानाम्, फलानां चापि अत्र हट्टे विक्रयः भवति। तेषु आलुकम्, पलाण्डुः, कूष्माण्ड, शिम्बाम्, मूलिका, कर्कटिकादीनि शाकानि तथा च कदलीफलम्, आम्रम्, खर्जूरादीनि बहूनि फलानि प्राप्नुवन्ति। अत्र लौहकारस्य, कुम्भकारस्य, स्वर्णकारस्य चापि आपणाः भवन्ति। एवम् बहवः आपणाः अत्र सन्ति।

अनुवाद :
यहाँ लड्डू, जलेबी, इमरती और रसगुल्ला इत्यादि मिठाइयाँ मिलती हैं। मिठाइयाँ मुझे अच्छी लगती हैं। सब्जी और फलों की भी यहाँ हाट में बिक्री होती है। उनमें आलू, प्याज, कडू, सेम, मूली, ककड़ी आदि सब्जियों और केला, आम, खजूर आदि बहुत से फल मिलते हैं। यहाँ लुहार, कुम्हार, सुनार की भी दुकानें होती हैं। इस प्रकार बहुत-सी दुकानें यहाँ हैं।

अस्य हट्टस्य महत्त्वपूर्णपक्षोऽयं यत् अत्र दूर-दूराद् आगत्य ग्रामीणजनाः परस्परम् मिलन्ति। ते अत्र संवादं वार्तालापं च कुर्वन्ति। एवं ते परम्परम् मिलित्वा सर्वे मुदिताः भवन्ति।

मित्र! त्वम् अत्र अवश्यमेव आगच्छ। अस्तु, पत्रं समापयामि। स्वकीयपितृपादेषु मम प्रणतिं समर्पय। मम गृहे सर्वे कुशलिनः सन्ति।
प्रतीक्षायाम्।

भवदीयः
गिरिराजनायकः

अनुवाद :
इस हाट का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि यहाँ दूर-दूर से आकर गाँववासी परस्पर मिलते हैं। वे यहाँ चर्चा और बातचीत करते हैं। इस प्रकार वे सभी परस्पर मिलकर प्रसन्न होते हैं।

मित्र! तुम यहाँ अवश्य ही आओ। अच्छा, पत्र समाप्त करता हूँ। अपने पिताजी के चरणों में मेरा प्रणाम समर्पित करना। मेरे घर में सभी कुशल हैं।
प्रतीक्षा में।

आपका
गिरिराज नायक

हट्टभ्रमणम्श ब्दार्थाः

आगत्यः = आकर। हट्टः= हाट। तत्रत्याः = वहाँ के। परितः = चारों ओर। आपणः = दुकान। द्विदलम् = दाल। कुण्डली = जलेबी। रसगोलकम् = रसगुल्ला। अमृती = इमरती। गोधूमाः = गेहूँ। शिम्बः =सेम। कूष्माण्डः = कट्छ। कर्कटिकाककड़ी।

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