MP Board Class 9th Hindi Navneet Solutions कहानी Chapter 2 ताई (कहानी, विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’)
ताई अभ्यास
बोध प्रश्न
ताई अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
“ताऊजी हमें रेलगाड़ी ला दोगे।” यह वाक्य किसने और किससे कहा?
उत्तर:
“ताऊजी हमें रेलगाड़ी ला दोगे।” यह वाक्य मनोहर ने अपने ताऊ रामजीदास ने कहा।
प्रश्न 2.
मनोहर और रामेश्वरी का क्या रिश्ता था?
उत्तर:
मनोहर रामेश्वरी देवी के देवर का बेटा था तथा वह उसकी ताई है।
प्रश्न 3.
रामेश्वरी के मन में किस चीज की कामना थी?
उत्तर:’
रामेश्वरी के मन में निजी सन्तान की कामना थी।
प्रश्न 4.
‘ताई’ कहानी का प्रमुख उद्देश्य एक वाक्य में लिखिए।
उत्तर:
‘ताई’ कहानी का प्रमुख उद्देश्य प्रेम द्वारा घृणा को जीतना है।
प्रश्न 5.
कहानी से उन दो प्रमुख स्थलों को लिखिए जिसमें नायिका में मार्मिक भाव जागता है।
उत्तर:
कहानी का एक स्थल है-शाम का समय था। रामेश्वरी खुली छत पर बैठी हवा खा रही थी। मनोहर तथा उसकी बहिन भी खेल रहे थे। मनोहर की बहिन खिलखिलाती हुई दौड़कर रामेश्वरी की गोद में आ गिरी। उसके पीछे-पीछे मनोहर भी दौड़ा हुआ आया और वह भी ताई की गोद में जा गिरा। रामेश्वरी उस समय द्वेष भूल गई। उन्होंने दोनों बच्चों को उसी प्रकार हृदय से लगा लिया जिस तरह वह मनुष्य लगाता है जो कि बच्चों के लिए तरस रहा हो।
दूसरा स्थल है :
छत पर रामेश्वरी खड़ी है। तभी मनोहर छत पर आ जाता है। आकाश में पतंगें उड़ रही हैं। पतंगें देखकर मनोहर ताई से पतंग मँगाने की बात कहता है पर ताई उसे अनसुना कर देती है। थोड़ी देर में एक पतंग कटकर उसी छत पर आती है। मनोहर उसे पकड़ने के लिए दौड़ता है तभी उसका पैर फिसल जाता है। पैर फिसलने पर वह मुंडेर को पकड़ लेता है और ‘ताई’ को बचाव के लिए पुकारता है। पहले तो ताई अनसुना कर देती है फिर दुबारा पुकारने पर उसका हृदय पसीज जाता है और वह मनोहर को बचाने के दौड़ती है लेकिन तभी मनोहर के हाथ से मुंडेर छूट जाती है और वह धड़ाम से नीचे गिर जाता है। इसी समय रामेश्वरी भी चीख मारकर छज्जे पर गिर पड़ी। अपनी बीमारी की दशा में होश आने पर वह मनोहर का ही हाल-चाल पूछती है।
प्रश्न 6.
विशम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ की दो प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कौशिक की दो प्रमुख कहानियाँ हैं-‘इक्केवाला’ और ‘अशिक्षित छन्द’।
ताई लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
रामेश्वरी ममता और त्याग की प्रतिमूर्ति हैं, कहानी के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
रामेश्वरी एक साधारण स्त्री है। उसे भी सन्तानहीनता का दुःख सताता है लेकिन हृदय से वह उदार एवं ममतामयी है। इस कहानी में दो घटनाएँ ऐसी हैं जिनसे उसके ममत्व और त्याग की पहचान होती है। एक दिन शाम के समय वह खुली छत पर बैठकर हवा खा रही थी। दोनों बच्चे भी छत पर खेल रहे थे। रामेश्वरी उनके खेलों को देख रही थी। इस समय रामेश्वरी को उन बच्चों का खेलना-कूदना बड़ा भला मालूम हो रहा था। हवा में उड़ते हुए उनके बाल, कमल की तरह खिले हुए उनके नन्हे-नन्हे मुख, उनकी प्यारी-प्यारी तोतली बातें, उनका चिल्लाना, भाग जाना, लोट जाना इत्यादि क्रीड़ाएँ उनके हृदय को शीतल कर रही थी। सहसा मनोहर अपनी बहन को मारने दौड़ा। वह खिलखिलाती हुई दौड़कर रामेश्वरी की गोद में आ गिरी। उसके पीछे-पीछे मनोहर भी दौड़ता हुआ आया और वह भी ताई की गोद में जा गिरा। रामेश्वरी इस समय सारा द्वेष भूल गई। उन्होंने दोनों बच्चों को उसी प्रकार हृदय से लगा लिया जिस तरह वह मनुष्य लगाता है जो कि बच्चों के लिए तरस रहा हो।
दूसरी घटना मनोहर के छज्जे से गिरने की है। “वह अत्यन्त भय तथा करुण नेत्रों से रामेश्वरी की ओर देखकर चिल्लाता है-“अरी ताई।” रामेश्वरी की आँखों से मनोहर की आँखें आ मिली। मनोहर की वह करुण दृष्टि देखकर रामेश्वरी का कलेजा मुँह को आ गया। उन्होंने व्याकुल होकर मनोहर को पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। उसका हाथ मनोहर के हाथ तक पहुँचा भी नहीं था कि मनोहर के हाथ से मुंडेर छूट गई। वह नीचे आ गिरा, रामेश्वरी चीख मारकर छज्जे पर गिर पड़ी। दोनों घटनाओं से यह ज्ञात होता है कि रामेश्वरी ममता और त्याग की प्रतिमूर्ति थी।
प्रश्न 2.
पूर्ण स्वस्थ होने के बाद ताई के हृदय में क्या परिवर्तन हुआ?
उत्तर:
एक दिन रामेश्वरी अपने घर की छत पर टहल रही थी। उसी समय मनोहर वहाँ आ जाता है। आकाश में उड़ती हुई पतंगों को देखकर उसका मन भी पतंग उड़ाने के लिए ललचा जाता है। अत: वह ताई से पतंग मँगाने की बात कहता है परन्तु रामेश्वरी उसे अनसुना कर देती है। तभी एक पतंग टूटकर आती है। मनोहर उसे पकड़ने के लिए छत पर दौड़ लगाता है। पर उसका पैर फिसल जाता है। वह गिरते समय छज्जे की मुंडेर पकड़ लेता है। वह बचाव के लिए ताई को आवाज लगाता है पर रामेश्वरी उनको अनसुना कर देती है।
तब फिर वह दुबारा बचाने की प्रार्थना करता है। मनोहर की डबडबाई आँखें देखकर उसके मन में ममता की भावना हिलोरें लेने लगती हैं तभी उसे बचाने के लिए जैसे ही वह कदम बढ़ाती है, उससे पूर्व ही मनोहर गिर पड़ता है। इस दृश्य को देखकर वह अपने मन को धिक्कारती है तथा चेतना शून्य होकर छत पर गिर जाती है। होश आने पर उसकी ईर्ष्या की भावना ममता में परिवर्तित हो जाती है। अब वे मुन्नी से भी बात करने लगती हैं। अब मनोहर उन्हें प्राणों से भी अधिक प्यारा लगने लगा।।
प्रश्न 3.
“ताई हमें प्याल नहीं करती” वाक्य में मनोहर ने किसकी बात की ओर संकेत किया है?
उत्तर:
“ताई हमें प्याल नहीं करती” इस वाक्य में मनोहर ने ताई के व्यवहार की ओर संकेत किया है।
प्रश्न 4.
मनोहर की बाल सुलभ चेष्टाएँ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
मनोहर रामजीदास के छोटे भाई का पुत्र है। वह लगभग पाँच वर्ष का है। वह एक अबोध तथा सरल हृदय वाला बालक है।
मनोहर की चेष्टाएँ बाल सुलभ हैं। अन्य बालकों के समान वह अपने ताऊ एवं ताई से खिलौने एवं पतंग लाने का आग्रह करता है। वह यह बात अच्छी तरह जानता है कि उसकी ताई उससे प्रेम नहीं करती है पर फिर भी वह ताई से पतंग मँगाने का आग्रह करता है।
ताऊ द्वारा यह पूछे जाने पर कि रेल में वह किन-किन को बैठायेगा तो वह सहज रूप में कह देता है कि वह रेल में ताऊ को बैठायेगा और ताई को नहीं। ताऊ द्वारा यह पूछे जाने पर कि वह ताई को क्यों नहीं बैठायेगा तो वह सहज भाव से कह देता है कि ताई मुझे प्यार नहीं करती है।
ताई दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
रामेश्वरी, मनोहर, रामजीदास के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
रामेश्वरी का चरित्र-रामेश्वरी ‘ताई’ कहानी की प्रमुख पात्र है। उसके चरित्र की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-रामेश्वरी बाबू रामजीदास की पत्नी है। वह नि:सन्तान है। इसी कारण वह प्रायः खिन्न रहती है। सन्तान के लिए उसके मन में तीव्र अभिलाषा है। इस बात का उलाहना वह अपने पति को भी देती है।
बाबू रामजीदास का अपने भाई के पुत्र-पुत्री से विशेष स्नेह है जबकि रामेश्वरी का नहीं। रामेश्वरी जब भी अपने पति को उन बच्चों से प्यार करते देखती है तो उसके मन में उन बच्चों के प्रति द्वेष भावना उत्पन्न हो जाती है। रामेश्वरी का हृदय ममता से शून्य नहीं है। एक दिन खेलते-खेलते जब ये बच्चे उसकी गोद में आ जाते हैं तो वह उन्हें बहुत प्यार करती है। मनोहर के छत से गिरने पर उसको आघात लगता है, वह चीखकर बेहोश हो जाती है और जब होश में आती है तभी वह मनोहर का हाल-चाल पूछती है। होश में आने तथा स्वस्थ होने पर वह मनोहर को हृदय से लगा लेती है और बेहद प्यार करने लग जाती है।
मनोहर का चरित्र :
मनोहर रामजीदास के छोटे भाई का पुत्र है। वह लगभग पाँच वर्ष का है। वह एक अबोध एवं सरल हृदय का बालक है। कहानी का आरम्भ ही ‘ताऊजी हमें लेलगाड़ी ला दोगे।’ के वाक्य से होता है।
वह जब जान लेता है कि उसकी ताई उसे प्रेम नहीं करती है तो वह सहज रूप में ताऊ द्वारा पूछने पर कह देता है कि वह रेल में ताऊ को तो बैठायेगा पर ताई को नहीं। क्योंकि ताई उसे प्यार नहीं करती है।
वह बालकों के समान ही कभी ताऊ से तो कभी ताई से रेल एवं पतंग लाने का आग्रह करता है। वह ताई की नीरसता एवं ताऊ के लाड़-प्यार को भली-भाँति जानता है।
रामजीदास का चरित्र :
रामजीदास यद्यपि नि:सन्तान हैं पर वे अपने छोटे भाई के बच्चों को भी अपना बच्चा समझते हैं और उनसे बहुत प्यार करते हैं। यद्यपि उनके इस प्यार से कभी-कभी उनकी पत्नी नाराज हो जाती है। पर वह अपनी पत्नी को भी इन बच्चों से प्यार करने की बात कहता है। वे अपनी पत्नी का भी ध्यान रखते हैं और संयुक्त परिवार की भावना को समझाते हैं।
प्रश्न 2.
ताई के हृदय में उठने वाले द्वन्द्वों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
ताई रामेश्वरी नि:सन्तान हैं। वह कहानी के आरम्भ से अन्त तक द्वन्द्वों से घिरी रहती हैं। जब वह द्वन्द्व से बाहर आती हैं वह अपने भतीजे एवं भतीजी को प्रेम करने लग जाती हैं।
उसका मन बच्चों से प्रेम तो करना चाहता है पर अपने-पराये की भावना से ग्रसित होने पर वह उनसे उपेक्षा करने लग जाती है। जब रामजीदास मनोहर को उसकी गोद में बैठाते हैं तो वह ईर्ष्या से जलने लग जाती है।
एक बार खेलते-खेलते जब मुन्नी और मनोहर उसकी गोद में आ जाते हैं तो वह उन्हें भरपूर प्यार करने लग जाती है लेकिन रामजीदास को देखकर वह उन्हें गोद से हटाकर फटकार देती है।
रामेश्वरी का हृदय प्रेम शून्य नहीं है लेकिन द्वन्द्व में फँसी | होने के कारण वह बच्चों को भरपूर स्नेह नहीं दे पाती है। कहानी
के अंतिम भाग में जब पतंग पकड़ने के बहाने मनोहर छत से गिर पड़ता है तो इस दृश्य को देखकर उनका हृदय परिवर्तित हो जाता है और फिर वह बच्चों को बहुत प्यार करने लग जाती हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
(अ) मनुष्य का हृदय ………….. उससे प्रेम करता है।
उत्तर:
सन्दर्भ :
यह गद्यांश ‘ताई’ नामक कहानी से अवतरित है। इसके लेखक विशम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ हैं।
प्रसंग :
इस गद्यांश में कहानीकार ने यह बताया है कि मानव तभी किसी से प्रेम करता है जब वह उसे अपना समझता है।
व्याख्या :
कहानीकार कहता है कि मानव किसी के प्रति तभी प्रेम करता है जब उसके हृदय में उसके प्रति ममता की भावना हो। जब उसे यह ज्ञात हो जाता है कि वह वस्तु विशेष या व्यक्ति विशेष उसका अपना न होकर पराया है तो उसके प्रति वह अपनेपन की भावना नहीं रखता है। इसके विपरीत यदि किसी अनुपयोगी या भद्दी से भद्दी वस्तु को भी वह अपना प्यार देता है जब उससे उसका अपनेपन का नाता जुड़ जाता है। अतः प्रेम के लिए अपनापन होना बहुत आवश्यक है।
(ब) रामेश्वरी की आँखों………मुंडेर छूट गई।”
उत्तर:
सन्दर्भ :
पूर्ववत्।
प्रसंग :
जिस समय कटी पतंग पकड़ने के लिए मनोहर दौड़ा तो उसका पैर फिसल गया और वह मुंडेर पकड़कर लटक गया। मदद के लिए उसने ताई को पुकारा, तब ताई ने उसकी ओर जो देखा, उसी का यहाँ वर्णन है।
व्याख्या :
छत पर कटी हुई पतंग को पकड़ने के लिए मनोहर दौड़ा। तभी उसका पैर फिसल गया। उसने सहायता के लिए ताई को पुकारा। रामेश्वरी ने पहले तो उसकी बात को अनसुना कर दिया लेकिन दूसरी बार पुकारने पर उसका हृदय पिघल जाता है
और वह जैसे ही मनोहर को पकड़ने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाती है, उससे पहले ही मनोहर के हाथ से मुंडेर छूट जाती है और वह नीचे गिर जाता है। इस घटना से रामेश्वरी को बड़ा आघात लगता है। वह संज्ञा शून्य होकर छज्जे पर ही गिर जाती है। उसके मन में यह अपराध बोध जन्म ले लेता है कि उसकी उपेक्षा के कारण ही मनोहर छज्जे से गिरा है। इसका उसे बहुत दुःख होता है।
प्रश्न 4.
‘ताई’ कहानी का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
एक दिन संध्या के समय रामेश्वरी छत पर घूम रही थीं तभी मनोहर उनका भतीजा वहाँ आ गया। आकाश में पतंगें उड़ रही थीं। पतंगों को देखकर उसने ताई रामेश्वरी से पतंग दिलाने को कहा पर रामेश्वरी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। उसी समय आसमान से एक पतंग कटकर छत के छज्जे की ओर गई। मनोहर उस पतंग को पकड़ने के लिए छज्जे की ओर दौड़ा। इसी समय मनोहर का पैर अचानक फिसल गया और गिरते समय उसने दोनों हाथों से मुंडेर को पकड़ लिया था।
वह ‘ताई’ को मदद के लिए चीखा। पहले तो रामेश्वरी ने उसकी चीख की ओर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके दुबारा पुकारने पर रामेश्वरी का हृदय पिघल गया और वह पकड़ने के लिए भागी लेकिन तब तक मनोहर के हाथ से मुंडेर छूट गयी और वह धड़ाम से नीचे गिर गया। इस दृश्य को देखकर रामेश्वरी भी चीखकर छज्जे पर गिर पड़ी। एक सप्ताह तक वह बुखार से पीड़ित रही तथा मूर्छित रही। जब उन्हें होश आया तो उसने सबसे पहले मनोहर की कुशलता पूछी। इसके बाद स्वस्थ होने पर प्रेम से अभिभूत होकर उसने मनोहर को गले लगा लिया और अब मनोहर उसे प्राणों से भी अधिक प्यारा हो गया है। यहीं कहानी समाप्त हो जाती है।
ताई भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी रूप लिखिए-
परवाह, मुबारक, चुहलबाजी, गुस्सा।
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग एवं प्रत्यय पहचानकर अलग कीजिए-
मूल्यवान, अपरिचित, तत्पश्चात्, समझता, मेहनती, पराई, अपशब्द, प्रसन्नता, असह्य।
उत्तर:
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिएनेत्र, आकाश, हृदय, चिराग, प्रार्थना, माँ।
उत्तर:
नेत्र – चक्षु, अक्षि।
आकाश – गगन, अम्बर।
हृदय – दिल, अन्त:करण।
चिराग – दीपक, दीप।
प्रार्थना – विनती, आराधना।
माँ – माता, जननी।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित लोकोक्तियों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
आँखों का अंधा नाम नैन सुख, चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात।
उत्तर:
(क) आँखों का अंधा नाम नैन सुख (नाम के विपरीत काम होना)-घर में फूटी कौड़ी नहीं है नाम है कुबेर सिंह। इसे ही कहते हैं आँख के अंधे नाम नैन सुख।
(ख) चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात (अल्पकाल के लिए सुख मिलना)-उत्तर प्रदेश में बेरोजगारों को मिलने वाला बेरोजगारी भत्ता ऐसे ही है जैसे चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात।
प्रश्न 5.
मुहावरा और लोकोक्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मुहावरे और लोकोक्तियों में मुख्य अन्तर यह है कि मुहावरा वाक्यांश है जबकि लोकोक्ति पूरा वाक्य है।
ताई पाठ का सारांश
बाबू रामजीदास एक सम्पन्न परिवार के मुखिया हैं। उनकी पत्नी का नाम राजेश्वरी है। रामजीदास नि:सन्तान हैं इस कारण उनकी पत्नी रामेश्वरी खिन्न रहती है। रामजीदास के छोटे भाई के यहाँ एक पुत्र और एक पुत्री है। रामजीदास अपने भतीजे तथा भतीजी को बहुत प्यार करते हैं। उनका यह प्रेम उनकी पत्नी को अच्छा नहीं लगता है। उनके भतीजे रामजीदास को ही सब कुछ मानते थे। जब भी वे घर में घुसते बालक उन्हें पकड़ लेता और तरह-तरह की फरियाद करता है। एक दिन बालक ने ताऊजी से रेलगाड़ी लाने की फरियाद की। ताऊ ने पूछा कि उस रेल में किन-किनको बिठायेगा तो बालक सहज स्वभाव से कह देता है कि ताऊ जी को। जब ताऊजी ने यह पूछा कि वह अपनी ताई को नहीं बैठायेगा तो बालक ने सहज रूप में कह दिया कि वह ताईजी को रेल में नहीं बैठायेगा क्योंकि ताई उसे प्यार नहीं करती हैं।”
रामेश्वरी अपने नि:सन्तान जीवन पर दुःखी र्थी पर कभी इन बच्चों की किलकारियों में खेल-कूद से वे बहुत अधिक प्रसन्न भी हो जाया करती थीं।
एक दिन संध्या के समय रामेश्वरी छत पर घूम रही थीं तभी मनोहर उनका भतीजा वहाँ आ गया। आकाश में पतंगें उड़ रही थीं। पतंगों को देखकर उसने ताई रामेश्वरी से पतंग दिलाने को कहा पर रामेश्वरी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। उसी समय आसमान से एक पतंग कटकर छत के छज्जे की ओर गई। मनोहर उस पतंग को पकड़ने के लिए छज्जे की ओर दौड़ा। इसी समय मनोहर का पैर अचानक फिसल गया और गिरते समय उसने दोनों हाथों से मुंडेर को पकड़ लिया था। वह ‘ताई’ को मदद के लिए चीखा।
पहले तो रामेश्वरी ने उसकी चीख की ओर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके दुबारा पुकारने पर रामेश्वरी का हृदय पिघल गया और वह पकड़ने के लिए भागी लेकिन तब तक मनोहर के हाथ से मुंडेर छूट गयी और वह धड़ाम से नीचे गिर गया। इस दृश्य को देखकर रामेश्वरी भी चीखकर छज्जे पर गिर पड़ी। एक सप्ताह तक वह बुखार से पीड़ित रही तथा मूर्छित रही। जब उन्हें होश आया तो उसने सबसे पहले मनोहर की कुशलता पूछी। इसके बाद स्वस्थ होने पर प्रेम से अभिभूत होकर उसने मनोहर को गले लगा लिया और अब मनोहर उसे प्राणों से भी अधिक प्यारा हो गया है। यहीं कहानी समाप्त हो जाती है।