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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 16 तुम वही दीपक बनोगे (दिवाकर वर्मा)
तुम वही दीपक बनोगे पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
तुम वही दीपक बनोगे लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कवि प्रतिपल सजग रहने की सलाह क्यों देता है?
उत्तर
कवि प्रतिपल सजग रहने की सलाह देता है। यह इसलिए कि वायुमण्डल विषैला हो गया है।
प्रश्न 2.
विषधरों को कीलने के लिए कवि कौन-सी युक्ति सुझाता है?
उत्तर
विषधरों को कीलने के लिए कवि मधुर-मादक-मत्त ध्वनि-सी युक्ति सुझाता है।
प्रश्न 3.
कवि को ऐसा क्यों लगता है कि प्राण आहादित नहीं है?
उत्तर
आज रागिनी बेसुरी है। संवेदनाएँ क्षत-विक्षत हैं और मन की बाँसुरी चुप है। इसलिए कवि को ऐसा लगता है कि प्राण आहादित नहीं है।
प्रश्न 4.
दामन बचाना कवि को कठिन क्यों लगता है?
उत्तर
दामन बचाना कवि को कठिन लगता है। यह इसलिए कि चारों ओर अग्नि की ज्वाला जल रही है।
प्रश्न 5.
कवि चारों दिशाओं में जलन क्यों अनुभव करता है?
उत्तर
कवि चारों दिशाओं में जलन अनुभव करता है। यह इसलिए कि मन मरुस्थल बन रहे हैं और तन की प्यास नहीं बुझ रही है।
तुम वही दीपक बनोगे लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
अमावस की कालिमा से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर
अमावस की कालिमा से कवि का तात्पर्य है-द्वैष और अविश्वास का अंधकार।
प्रश्न 2.
‘पोटली विष की भरी है’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पोटली विष की भरी है’ का आशय है। ईया, द्वेष, नफ़रत, स्वार्थ आदि का विस्तृत वातावरण।
प्रश्न 3.
वर्तमान स्थिति में मानव-संबंध के बारे में कवि के विचारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
वर्तमान स्थिति में मानव-संबंध के बारे में कवि के विचार सुस्पष्ट हैं। उसका यह मानना है कि आज चारों ओर द्वैष और अविश्वास का इतना विषेला वातावरण फैल चुका है कि उससे निजात पाना न केवल कठिन है, अपितु अपने-आप में एक बहुत बड़ी चुनौती भी है।
प्रश्न 4.
जमाने के चलन को सुधारने के लिए कवि की युवाओं से क्या अपेक्षाएँ हैं?
उत्तर
जमाने के चलन को सुधारने के लिए कवि की युवाओं से अपेक्षाएँ हैं कि वे अमृतमयी मनुहार से प्राण संपादित करके बासंती बनेंगे।
तुम वही दीपक बनोगे भाषा-अनुशीलन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
अमावस्या, मधुर, मूक, अमृत।
उत्तर
शब्द – विलोम
अमावस्या – पूर्णिमा
मधुर – कठोर
मूक – वाचाल
अमृत – विष।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह कर समासों के नाम लिखिए
विषधर, वायुमण्डल, क्षत-विक्षत, अग्नि-ज्वाला, चतुर्दिश।
उत्तर
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखिए
उत्तर
वाक्यांश – एक शब्द
जो विष से भरा – विषैला
बसंत से सम्बंधित – वासंती
जहाँ कुछ उगता नहीं – मरुस्थल
अँधेरे से भरी रात्रि। – अमावस्या।
तुम वही दीपक बनोगे योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1.
युवाओं को संबोधित कवियों की रचनाओं का संग्रह कीजिए एवं कक्षा में सुनाइए।
प्रश्न 2.
‘युवा देश की तस्वीर बदलते हैं’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
प्रश्न 3.
आकाशवाणी और दूरदर्शन के ‘युवा कार्यक्रम’ को देखिए और उस में भाग लीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।
तुम वही दीपक बनोगे परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘तुम वही दीपक बनोगे’ कविता का प्रतिपाय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘तुम वही दीपक बनोगे’ कविता कविवर दिवाकर वर्मा की एक मार्मिक और हृदयस्पर्शी कविता है।
प्रस्तुत कविता देश की वर्तमान युवा पीढ़ी को समर्पित और संबोधित है। कवि का यह मानना है कि वर्तमान में चारों ओर द्वैष और अविश्वास का अंधकार छाया हुआ है। उसको भेदकर युवा वर्ग ही दीप-सा प्रकाश दे सकता है। कवि को यह पूरा-पूरा विश्वास है कि युवा वर्ग आज के विषैले समाज को अपने मधुर राग से, त्रसित मानवता को मलय । पवन के समान शीतलता से, खण्डित रिश्तों को प्रेम के सेतु से, तीक्ष्ण ताप से प्रताड़ित मानव को प्रेमपूर्वक तथा प्यासे हुए प्राणों को बासंती स्पंदन से अमृतदान दे सकता है।
प्रश्न 2.
कवि युवा वर्ग को कौन-सा दीपक बनने के लिए कह रहा है?
उत्तर
कवि युवा वर्ग को अमावस्या की कालिमा को धूप के समान उजियार कर देने वाला दीपक बनने के लिए कह रहा है।
प्रश्न 3.
आज मनुष्य के संबंध परस्पर कैसे हो रहे हैं?
उत्तर
आज मनुष्य के संबंध परस्पर खटाई पड़ने से फटे हए ध के समान हो रहे हैं।
प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए।
1. है मुझे विश्वास दृढ़, तुम बन वही ………….. जलोगे। (आग, दीपक)
2. पोटली ………….. की भरी है। (अमृत, विष)
3. …………… भी बेसुरी है। (बाँसुरी, रागिनी)
4. …………… मन की बाँसुरी है। (प्राण, मूक)
5. …………… ही बस फट रहे हैं। (बम, संबंध)
उत्तर
1. दीपक
2. विष
3. रागिनी
4. मूक
5. संबंध।
प्रश्न 5.
दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. दिवाकर वर्मा का जन्म हुआ था-
1.1 जनवरी को,
2. 25 दिसम्बर को,
3. 20 जनवरी को,
4. 20 दिसम्बर को।
उत्तर
2. 25 दिसम्बर को
2. दिवाकर वर्मा की मुख्य विधा है
1. गीत
2. नवगीत
3. दोनों
4. कोई नहीं।
उत्तर
3. दोनों
3. दिवाकर वर्मा का नाटक है
1. रत्नावली
2. चंदनवन में आग
3. सुंदर बन
4. अब तो खामोशी तोड़ो।
उत्तर
4. दिवाकर वर्मा का जन्म हुआ था
1. 1920 में
2. 1930 में
3. 1940 में
4. 1941 में
उत्तर
4. 1941 में
5. दिवाकर वर्मा को पुरस्कार मिला है
1.कलश-सम्मान
2. कला-मंदिर
3. भोपाल का पवैया
4. उपर्युक्त सभी।
उत्तर
4. उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 6.
सही जोड़ी का मिलान कीजिए।
कन्यादान – तुलसीदास
एक कंठ विषपापी – डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
जानकी मंगल – महावीर प्रसाद द्विवेदी
कला और संस्कृति – दुष्यंत कुमार
अद्भुत आलाप – सरदार पूर्ण सिंह।
उत्तर
कन्यादान – सरदार पूर्ण सिंह
एक कंठ विषपापी – दुष्यंत कुमार
जानकी मंगल – तुलसीदास
कला और संस्कृति – डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
अद्भुत आलाप – महावीर प्रसाद द्विवेदी
प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए।
1. वायुमण्डल विषैला है।
2. प्राण आह्लादित हैं।
3. प्रतिपल सजगता चाहिए।
4. आज दूरियाँ घट रही हैं।
5. आज आदमी अंगार बनता जा रहा है।
उत्तर
- सत्य
- असत्य
- सत्व
- असत्य
- सत्य।
प्रश्न 8. एक शब्द में उत्तर दीजिए
1. विष की क्या भरी है?
2. रागिनी भी क्या है?
3. आज क्षत-विक्षत क्या हैं?
4. आज क्या बढ़ रही हैं।
5. कौन अंगार बनता जा रहा है।
उत्तर
- पोटली
- बेसुरी
- संवेदनाएँ
- दूरियाँ
- आदमी।
तुम वही दीपक बनोगे लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किसका किससे विश्वास है?
उत्तर
कवि का आज के युवावर्ग से विश्वास है।
प्रश्न 2.
संजीवन जगाने के लिए कवि ने युवा वर्ग से क्या कहा है?
उत्तर
संजीवन जगाने के लिए कवि ने युवा वर्ग से तन में प्राण फूंकने के लिए कहा है।
प्रश्न 3.
आज क्या फट रहे हैं?
उत्तर
आज संबंध ही बस फट रहे हैं।
प्रश्न 4.
जमाने का चलन क्या हो गया है?
उत्तर
प्राण में कोकर उग रहे हैं। यही जमाने का चलन हो गया है।
तुम वही दीपक बनोगे कवि-परिचय
जीवन-परिचय-हिन्दी साहित्य के विशिष्ट सर्जक के रूप में दिवाकर वर्मा का सुनाम है। आपका जन्म 25 दिसंबर, 1941 को उत्तर-प्रदेश के सोरो, जिला एटा में हुआ था। शिक्षा-प्राप्ति के समय से ही आप साहित्य-रचना के क्षेत्र में सक्रिय हो गए। आपका साहित्य क्षेत्र मुख्य रूप से भारतीय संस्कृति और साहित्य है। इसके अतिरिक्त समाज और दर्शन भी आपके साहित्य की रचना की परिधि में आते हैं।
रचनाएँ-दिवाकर वर्मा की प्रमुख विधा गीत और नवगीत हैं। गीत रचनाओं में आस्था के स्वर, सूर्य के वंशज सुनो, और उलझते गए जाल में आदि उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त सुंदरवन (बालगीत), अब तो खामोशी तोड़ो (गजल-संग्रह), चंदनवन में आग (दोहा-संग्रह) और रत्नावली (नाटक) भी उनकी सृजनात्मकता की उपलब्धियाँ हैं।
भावपक्ष-चूँकि दिवाकर वर्मा कवि हैं अतएव उनकी भावधारा सरल, सरस और सपाट है। उसमें तेज है, गति है, निरंतरता है और ताजगी है। इससे प्रस्तुत हुआ कथ्य अपने तथ्य को आसानी से स्पष्ट कर पाया है। इस प्रकार दिवाकर वर्मा का भावपक्ष रोचक और आकर्षक है।
कलापक्ष-दिवाकर वर्मा का कलापक्ष अलंकृत और चमत्कृत है। रसों में वीर रस और श्रृंगार रस के अधिक प्रवाह हैं। अलंकारों में अनुप्रास, रूपक, प्रतीक, उठोक्षा, मानवीकरण आदि अधिक प्रयुक्त हुए हैं। बिंबों और प्रतीकों को यथास्थान दिया गया है। मक्तक छंद की योजना सटीक और यथोचित रूप में है।
साहित्य में स्थान-दिवाकर वर्मा के साहित्य में ‘मानस’ की गंभीरता के साथ ही ‘मानव’ की उदारता का विशिष्ट गुण है। वे जीवन और काव्य में छद्म के स्थान पर सच्चाई के पक्षधर हैं। उन्होंने साहित्य, समाज और दर्शन पर गंभीर आलेख प्रस्तुत किए हैं, उनकी काव्य-रचनाएँ और समीक्षाएँ हिन्दी में विशेष ख्यात हुई हैं।
दिवाकर के महत्त्वपूर्ण साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन का रंजन कलश सम्मान, कला-मंदिर, भोपाल का पवैया, पुरस्कार एवं अन्य संस्थाओं से ‘रत्न भारती’ तथा ‘कला गुरु साहित्य सम्मान’ प्रदान किए गए हैं। दिवाकर वर्मा अपनी सतत साहित्य, रचनाधर्मिता के कारण अनेक संस्थाओं से संबद्ध रहकर साहित्य और संस्कृति की सेवा कर रहे हैं।
तुम वही दीपक बनोगे कविता का सारांश
कविवर दिवाकर वर्मा विरचित कविता ‘तुम वही दीपक बनोगे’ वर्तमान युवा-पीढ़ी के सोए हुए भावों को जगाने वाली कविता है। कवि को यह आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आज का युवा वर्ग ही चारों ओर फैले हुए अंधकार को दूर करने के लिए वही दीपक बनकर प्रकाश फैलायेगा। वही आज के विषधरों को कील देने वाले बीन से ध्वनि करेगा। वही आज क्षत-विक्षत हो रही संवेदना को प्राण फूंक देने वाले संजीवन जगाने हेतु मलय समीर के समान चलेगा। वही बढ़ रही विजन की बस्ती बनाने के लिए आगे पैर रखोगे। वही शमन पर होला-हवाला और अंगार बनते जा रहे आदमी के लिए ताप का मर्दन करोगे। आज चारों ओर हो रहे जलन में अमृतमयी मनुहार से प्राण स्पदित करने वाले बसंती हवा बनोगे।
तुम वही दीपक बनोगे संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या
1. जो अमा की कालिमा भी
धूप सी उजियार कर दे
है मुझे विश्वास दृढ़, तुम बन वही दीपक जलोगे!
वायुमण्डल है विषेला विषधरों की भी बहुलता,
पोटली विष की भरी है,
चाहिए प्रतिपल सजगता,
मधुर-मादक-मत्त ध्वनि से विषधरों को कील दे जो
है मुझे विश्वास तुम उस बीन से निश्चित बजोगे!
शब्दार्व-अमा-अमावस्या। विषधर-साँप।
संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ 10वीं में संकलित कवि दिवाकर वर्मा विरचित कविता ‘तम वही दीपक बनोगे’ से है।
प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने आज के युवावर्ग से वर्तमान समय में फैले हुए अंधकार के लिए दीपक बनने का विश्वास रखते हुए कहा है कि
व्याख्या-अमावस्या की काली रात को तुम धूप की तरह उजाला से भर दो। मुझे दृढ़ विश्वास है कि तुम इस प्रकार का अवश्य दीपक बनोगे। कवि का पुनः कहना है कि आज सारा वातावरण विषैला हो चुका है। इससे विषधरों की भरमार हो रही है। विष की पोटली भर चुकी है। इसके प्रति हर क्षण सजग रहने की आवश्यकता है। आज मधुर मादक मत्त ध्वनि से इन फैले हुए विषधरों को कील देने की आवश्यकता है। मुझे विश्वास है कि तुम उस बीन से निश्चित ध्वनि निकालोगे।
विशेष-
- सामयिक दशा पर ज्वलंत विचार प्रस्तुत है।
- भाषा लाक्षणिक है।
सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर
(क) भाव-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-स्वरूप ओजस्वी है। समय की बदलती तीखी दशा का तीव्रोल्लेख है। आज विषैले वातावरण पर सीधा प्रकाश डालकर कवि ने समय की नब्ज को न केवल पहचानने की कोशिश की है, अपितु उसको दूर करने की भी प्रेरणा दी है।
(ख) शिल्प-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्यक्त पयांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य मिश्रित शब्दों का है। संपूर्ण कथ्य सरल, सपाट और सटीक भाषा में प्रस्तुत है। व्यंजना शब्दावली से प्रस्तुत हुई व्यंजनात्मक शैली प्रभावशाली रूप में है।
विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश का मुख्य भाव लिखिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का मुख्य भाव आज के विषैले वातावरण को समाप्त करके शांत और सुखद वातावरण की स्थापना का है। इसके लिए कवि ने आज के युवा वर्ग के प्रति दृढ़ विश्वास व्यक्त कर उन्हें प्रेरित करने का प्रयास किया है।
2. प्राण आहादित नहीं औ’
रागिनी भी बेसुरी है,
क्षत-विक्षत संवेदनाएँ हैं,
मूक मन की बाँसुरी है,
आज संजीवन जगाने
फूंक दे जो प्राण तन में
है मुझे विश्वास दृढ़ तुम मलय-मारुत सम चलोगे!
बढ़ रही हैं दूरियाँ
औ’ वर्ग नित नव बन रहे हैं,
व्याख्या-अमावस्या की काली रात को तुम धूप की तरह उजाला से भर दो। मुझे दृढ़ विश्वास है कि तुम इस प्रकार का अवश्य दीपक बनोगे।
कवि का पुनः कहना है कि आज सारा वातावरण विषैला हो चुका है। इससे विषधरों की भरमार हो रही है। विष की पोटली भर चुकी है। इसके प्रति हर क्षण सजग रहने की आवश्यकता है। आज मधुर मादक मत्त ध्वनि से इन फैले हुए विषधरों को कील देने की आवश्यकता है। मुझे विश्वास है कि तुम उस बीन से निश्चित ध्वनि निकालोगे।
विशेष-
- सामयिक दशा पर ज्वलंत विचार प्रस्तुत है।
- भाषा लाक्षणिक है।
सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर
(क) भाव-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-स्वरूप ओजस्वी है। समय की बदलती तीखी दशा का तीव्रोल्लेख है। आज विषैले वातावरण पर सीधा प्रकाश डालकर कवि ने समय की नब्ज को न केवल पहचानने की कोशिश की है, अपितु उसको दूर करने की भी प्रेरणा दी है।
(ख) शिल्प-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्यक्त पयांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य मिश्रित शब्दों का है। संपूर्ण कथ्य सरल, सपाट और सटीक भाषा में प्रस्तुत है। व्यंजना शब्दावली से प्रस्तुत हुई व्यंजनात्मक शैली प्रभावशाली रूप में है।
विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश का मुख्य भाव लिखिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का मुख्य भाव आज के विषैले वातावरण को समाप्त करके शांत और सुखद वातावरण की स्थापना का है। इसके लिए कवि ने आज के युवा वर्ग के प्रति दृढ़ विश्वास व्यक्त कर उन्हें प्रेरित करने का प्रयास किया है।
3. किस तरह दामन बचायें
प्रज्वलित है अग्निज्वाला,
तीलियाँ तो संवरित हैं
शमन पर हीला-हवाला,
आदमी अंगार बनता जा रहा ।
ऐसे समय में
है मुझे विश्वास तुम ही ताप का मर्दन करोगे!
उग रहे मन-प्राण में कीकर
जमाने का चलन है,
मन बने मरुस्थल, तृषित तन
औ’ चतुर्दिश ही जलन है,
प्राण स्पंदित करे
अमृतमयी मनुहार से जो
है मुझे विश्वास दृढ़ तुम पवन बासंती बनोगे!
शब्दार्च-दमन-वस्त्र। शमन-शांति। ताप-गर्मी। मर्दन-नाश। कीकर-चुभन । चतुर्दिश-चारों दिशाओं। तृषित-प्यासा। स्पंदित-गतिशील । मनुहार-मनाना।
संदर्भ-पूर्ववत्।
प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-आज की कठिन स्थिति यह है कि आज चारों ओर दखों और विषमताओं की अग्निज्वाला प्रज्वलित हो रही है। शांति के नाम पर होला-हवाला हो रहा है। आज आदमी एक-दूसरे के प्रति अंगार बनते जा रहा है। ऐसे समय में मुझे पूरा भरोसा है कि तुम ही अपेक्षित ताप का नाश कर डालोगे। आज यह भी हो रहा है कि चारोंओर मन-प्राण में कीकर उग रहे हैं। शायद यही जमाने का प्रचलन हो गया है। आज प्रायः मन मरुस्थल बन गया है, जिससे तन की प्यास बुझ नहीं पा रही है। इस प्रकार चारों दिशाओं में प्यास की जलन बढ़ रही है। आज प्राणों की अमृतमयी मनुहार से जो गतिशील कर सकता है, तो केवल तुम्हीं कर सकते हो। मुझे पूरा-पूरा भरोसा है कि तुम्हें बसंत हवा बनकर इस तीखे वातावरण को रसमग्न कर सकोगे।
विशेष-
- वर्तमान समाज की विडंबनाओं का सपाट चित्र है।
- व्यंग्यात्मक शैली है।
सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर
(क) भाव-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-योजना तत्सम प्रधान तद्भव शब्दों से पुष्ट है। भावों की क्रमबद्धता, सहजता, प्रवाहमयता और उपयुक्त देखते ही बनती है। ये भाव बड़े ही सुपरिचित और विश्वसनीय ढंग से प्रस्तुत किए गए हैं। इसलिए रोचक बन गए हैं।
(ख) शिल्प-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का भाषा-शैली लाक्षणिक और अलंकृत है। व्यंजना शब्द-शक्ति की प्रधानता है तो रूपक और अनुप्रास अलंकार का मण्डन देखने योग्य है। करुण और वीर रस का मिला-जुला प्रवाह भाव और भाषा की सजीवता में वृद्धि कर रहा है।
विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश के भाव को सस्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश में कवि ने आज के मनहूस, विषम और दुखद वातावरण का चित्र खींचते हुए कठिन जीवन के विविध पक्षों को सामने लाने का प्रयास किया है। इस प्रकार की विडंबनापूर्ण जिंदगी को सखद बनाने के लिए वर्तमान युवा पीढ़ी को प्रेरित करते हुए आत्म-विश्वासपूर्वक आह्वान किया है।