MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 10 महर्षिः पाणिनिः

In this article, we will share MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 10 महर्षिः पाणिनिः PDF, Sanskrit Class 7 Chapter 10, These solutions are solved subject experts from the latest edition books.

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 10 महर्षिः पाणिनिः

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 10 अभ्यासः

Class 7 Sanskrit Chapter 10 MP Board प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो-
(क) हरिकृष्णस्य भ्राता किं पठति? [हरिकृष्ण के भाई क्या पढ़ते हैं?]
उत्तर:
माहेश्वर सूत्राणि

(ख) अष्टाध्यायिग्रन्थे कति अध्यायाः सन्ति? [अष्टाध्यायी ग्रन्थ में कितने अध्याय हैं?]
उत्तर:
अष्टाध्यायाः

(ग) पाणिनेः पितुः नाम किम्? [पाणिनी के पिता का नाम क्या था?]
उत्तर:
पाणी

MP Board Solutions

(घ) माहेश्वरसूत्रेषु किं विज्ञानम् अस्ति? [माहेश्वर सूत्रों में कौन-सा विज्ञान है?]
उत्तर:
स्वरविज्ञानम्

(ङ) शलातुर ग्रामः कुत्र अस्ति? [शलातुर गाँव कहाँ है?]
उत्तर:
पाकिस्तान देशे।

MP Board Class 7 Sanskrit Chapter 10 प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) पाणिनिः कः? [पाणिनि कौन थे?]
उत्तर:
पाणिनिः संस्कृत व्याकरणस्य नियमानां रचयिता। [पाणिनि संस्कृत व्याकरण के नियमों के रचयिता थे।]

(ख) त्रयः मुनयः के? [तीन मुनि कौन थे?]
उत्तर:
त्रयः मुनयः सन्ति-प्रथमः सूत्रकारः पाणिनिः, द्वितीयः वाक्यकार: वररुचिः, तृतीयः च भाष्यकार: पतञ्जलि। [तीन मुनि हैं- पहले सूत्रकार पाणिनि, दूसरे वाक्यकार वररुचि और तीसरे भाष्यकार पतञ्जलि।]

(ग) पाणिनेः जन्मस्थानं किम्? [पाणिनि का जन्म स्थान क्या है?]
उत्तर:
पाणिनेः जन्मस्थानं पाकिस्तान देशस्य शलातुर नामकं ग्रामम् अस्ति। [पाणिनि का जन्म स्थान पाकिस्तान देश का शलातुर नामक गाँव है।]

(घ) पाणिनेः कालः कः? [पाणिनि का क्या समय है?]
उत्तर:
पाणिनेः कालः प्रायः ईसा पूर्व ५२० तः ४६० पर्यन्तम् आसीत्। [पाणिनि का समय प्राय:५२० से ४६० ईसा पूर्व था।]

Class 7 Sanskrit Chapter 10 प्रश्न 3.
उचित मेल करो-
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 10 महर्षिः पाणिनिः img 1
उत्तर:
(क) → (2)
(ख) → (3)
(ग) → (4)
(घ) → (5)
(ङ) → (1)

MP Board Solutions

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 10 प्रश्न 4.
कोष्ठक के शब्दों का प्रयोग करके रिक्त स्थानों को भरो (चत्वारः, ढक्कात्, पाणिनिः, तक्षशिला, व्याकरणम्)
(क) व्याकरण नियमानां रचयिता …………. ।
(ख) …………. विश्वविख्यातम् अध्ययनकेन्द्रमासीत्।
(ग) प्रत्येकस्मिन् अध्याये ………….. पादाः सन्ति।
(घ) कृत्स्नं …………. प्रोक्तं तस्मै पाणिनये नमः।
(ङ) ताण्डवसमये महेश्वरः ………… एतानि सूत्राणि निःसृतानि।
उत्तर:
(क) पाणिनिः
(ख) तक्षशिला
(ग) चत्वारः
(घ) व्याकरणम्
(ङ) ढक्कात्।

Class 7 Sanskrit Chapter 10 Question Answer प्रश्न 5.
उचित को लिखो
(क) विशिष्टं ज्ञानम्
(ख) पाणेः पुत्रः
(ग) महेश्वरादागतानि सूत्राणि
(घ) अष्टाध्यायाः अत्र सन्तीति।
(ङ) पाणिनिः, वररुचिः, पतञ्जलिः।
उत्तर:
(क) विज्ञानम्
(ख) पाणिनिः
(ग) माहेश्वरसूत्राणि
(घ) अष्टाध्यायी
(ङ) त्रयः मुनयः।

महर्षिः पाणिनिः हिन्दी अनुवाद

रमणः :
अइउण् ………… हल्

हरिकृष्णः :
भ्रातः! किं पठसि? वेदघोष इव श्रूयते।

रमणः :
माहेश्वरसूत्राणि पठामि।

हरिकृष्णः :
एतानि सूत्राणि महेश्वरेण रचितानि किम्?

रमणः :
शिवताण्डवसमये महेश्वरस्य ढक्कातः निस्सृतानि सूत्राणि एतानि। एवं महेश्वरात् आगतानि सन्ति, अतः माहेश्वरसूत्राणि इति कथ्यन्ते। पाणिनिना रचितानि सन्ति।

MP Board Solutions

हरिकृष्ण: :
क: अयं पाणिनिः। रमणः-पाणिनिः संस्कृतव्याकरणस्य नियमानां रचयिता। हरिकृष्णः-व्याकरणस्य नियमाः के?

रमण: :
प्रायः ४००० व्याकरणनियमाः सन्ति। तान्येव पाणिनीयसूत्राणि इति कथ्यन्ते। एतेषां सूत्राणां सङ्ग्रहग्रन्थः एव ‘अष्टाध्यायी’ इति।

अनुवाद :
रमण: :
अइउण् ………… हल्।

हरिकृष्ण :
भाई! क्या पढ़ रहे हो? वेद की स्वरध्वनिसी सुनाई देती है।

रमण :
माहेश्वर सूत्रों को पढ़ रहा हूँ।

हरिकृष्ण :
इन सूत्रों की क्या महेश्वर ने रचना की थी?

रमण :
शिव के ताण्डव के समय महेश्वर के डमरू से निकले हुए ये सूत्र हैं। इस प्रकार महेश्वर से आये हुए हैं, अतः महेश्वर सूत्र कहे जाते हैं। पाणिनि के द्वारा इनकी रचना की गई है।

हरिकृष्ण ;
ये पाणिनि कौन थे?

रमण :
पाणिनि संस्कृत व्याकरण के नियमों के रचयिता थे।

हरिकृष्ण :
व्याकरण के क्या नियम हैं?

रमण :
प्रायः चार हजार (४०००) व्याकरण के नियम हैं। वे ही पाणिनि के सूत्र कहे जाते हैं। इन सभी सूत्रों का संग्रह ग्रन्थ ही ‘अष्टाध्यायी’ है।

हरिकृष्ण :
किम् अत्र अष्ट अध्यायाः सन्ति?

MP Board Solutions

रमण :
आम्! अत्र अष्ट अध्यायाः सन्ति! प्रत्येकस्मिन् अध्याये चत्वारः पादाः भवन्ति। आहत्य प्रायः ४००० सूत्राणि।

हरिकृष्ण :
अग्रज! पाणिनेः जन्मविषये ज्ञातुम् इच्छामि।

रमण :
पाणिनेः जन्म वर्तमान पाकिस्तानस्य शलातुर ग्रामे अभवत्। सः ग्रामः तक्षशिला नगरस्य समीपे अस्ति। तक्षशिला विश्वविख्यातम्-अध्ययनकेन्द्रमासीत्।

हरिकृष्णः :
पाणिनेः कालः कदा आसीत्?

रमण :
विद्वांसः वदन्ति पाणिनेः कालः प्रायः ईसा पूर्व ५२० तः ४६० पर्यन्तम् आसीदिति।

अनुवाद :
हरिकृष्ण :
क्या इसमें आठ अध्याय हैं?

रमण :
हाँ! इसमें आठ अध्याय हैं। प्रत्येक अध्याय में चार पाद होते हैं। कुल मिलाकर ४००० (चार हजार) सूत्र हैं।

हरिकृष्ण :
हे बड़े भाई! पाणिनि के जन्म के विषय में जानना चाहता हूँ।

रमण :
पाणिनि का जन्म पाकिस्तान के शलातुर गाँव में हुआ था। वह गाँव तक्षशिला नगर के पास है। तक्षशिला विश्व में प्रसिद्ध अध्ययन केन्द्र था।

हरिकृष्ण :
पाणिनि का समय कब था?

रमण :
विद्वान बतलाते हैं कि पाणिनि का सम प्रायः ईसा पूर्व ५२० से ४६० तक था।

हरिकृष्णः :
पाणिनेः मातापित्रोः नाम किम्?

MP Board Solutions

रमणः :
मातुः नाम दाक्षिः, पितुः नाम पाणी इति। सोऽयं दाक्षीपुत्रः पाणिनिः एव महावैयाकरणः त्रिषु मुनिषु अन्यतमः अस्ति।

हरिकृष्णः :
त्रयः मुनयः के?

रमणः :
प्रथमः सूत्रकारः पाणिनिः द्वितीयः वाक्यकार: वररुचिः तृतीयः तु भाष्यकार: पतञ्जलिः इति एते त्रयः मुनयः व्याकरणस्य प्रवर्तकाः।

हरिकृष्णः :
भ्रातः व्याकरणं नाम किम्?

रमणः :
व्याकरणं नाम एक विशिष्टं शास्त्रम् अस्ति। यत्र बहुविशिष्टं ज्ञानं वर्तते।

अनुवाद :
हरिकृष्ण :
पाणिनि के माता-पिता का नाम क्या था?

रमण :
माता का नाम दाक्षी, पिता का नाम पाणी था। ऐसा यह दाक्षीपुत्र पाणिनि ही व्याकरण का महान ज्ञाता तीन मुनियों में श्रेष्ठ है।

हरिकृष्ण :
तीन मुनि कौन से हैं?

रमण :
पहले (मुनि) सूत्रकार पाणिनि, दूसरे वाक्यकार वररुचि तथा तीसरे भाष्यकार पतञ्जलि थे, ये तीन मुनि व्याकरण के प्रवर्तक थे।

हरिकृष्ण :
भाई! व्याकरण किसे कहते हैं?

रमण :
व्याकरण एक विशेष शास्त्र है, जिसमें एक बहुत ही विशेष प्रकार का ज्ञान मौजूद है।

हरिकृष्णः :
किं किं विशिष्टं ज्ञानम्?

रमणः :
विशिष्टज्ञानम् एव विज्ञानम्। माहेश्वरसूत्रेषु स्वर. विज्ञानम्, पाणिनीयसूत्रेषु गणितविज्ञानञ्च विद्यते।

MP Board Solutions

हरिकृष्णः :
भ्रातः! तर्हि पाणिनीयं व्याकरणं प्राचीनं विश्वप्रसिद्धं भारतीय विज्ञानं खलु।

रमणः :
सत्यं प्रोक्तम्। अतः तं विश्वप्रसिद्ध-व्याकरणसूत्रप्रणेतारं महर्षि पाणिनि भारतीयाः विदेशीयाश्च विज्ञानिनः सर्वदा स्मरन्ति नमन्ति च।

वयमपि शिरसा नमामः मनसा स्मरामः च-
“येनाक्षरसमाम्नायमधिगम्य महेश्वरात्।
कृत्स्नं व्याकरणं प्रोक्तं तस्मै पाणिनये नमः॥”

अनुवाद :
हरिकृष्ण :
क्या-क्या विशेष ज्ञान होता है?

रमण :
विशेष ज्ञान ही विज्ञान होता है। महेश्वर सूत्रों में स्वर विज्ञान, पाणिनी के सूत्रों में गणित और विज्ञान विद्यमान है।

हरिकृष्ण :
हे भाई! तब तो पाणिनी का व्याकरण प्राचीन है और विश्वप्रसिद्ध भारतीय विद्वान भी है।

रमण :
सत्य कहा गया है। इसलिए उस विश्वप्रसिद्ध व्याकरण सूत्र के रचयिता महर्षि पाणिनि को भारतीय और विदेशी वैज्ञानिक सदा स्मरण करते हैं और नमस्कार करते हैं।

हम भी सिर से झुककर नमस्कार करते हैं और मन से स्मरण करते हैं

“जिसने महेश्वर से वेद को समझकर समग्र व्याकरण को बतलाया (कहा) उस पाणिनि को नमस्कार है।

महर्षिः पाणिनिः शब्दार्थाः

नियमानाम् = नियमों के। व्याकरणस्य = व्याकरण के। अष्ट = आठ। चत्वारः = चार। आहत्य = कुल मिलाकर। अग्रज : = बड़ा भाई। विश्वविख्यातम् = विश्वप्रसिद्ध। पर्यन्तम् = तक। वैयाकरणः = व्याकरण के ज्ञाता।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

Leave a Comment