MP Board Class 8 Hindi Sugam Bharti Chapter 7 Ham bhi Sikhe Question and Answer

In this article, we will share MP Board Class 8th Hindi Book Solutions Chapter 7 हम भी सीखें PDF download, Class 8 Hindi Chapter 7, These solutions are solved subject experts from the latest edition books.

Class 8 Hindi Sugam Bharti Chapter 7 Ham bhi Sikhe Question Answer MP Board

Hindi Sugam Bharti 8 Solutions Chapter 7 Ham bhi Sikhe Question Answers MP Board

सुगम भारती कक्षा 8 पाठ 7 हम भी सीखें प्रश्न उत्तर

प्रश्न-अभ्यास

अनुभव विस्तार

MP Board Class 8 Hindi Chapter 7 प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(क) सही जोड़ी बनाइए
(अ) सूरज हमें रोशनी देता – 1. निर्मल जल दिन-रात बहाते
(ब) बिन अभिमान पेड़ देते हैं – 2.अन्न उगाती धरती प्यारी
(स) गहरी नदियाँ, निर्झर नाले – 3. बीज, फल, फूल, ठण्डी छाया
(द) सबका पालन करने वाली – 4. तारे शीतलता बरसाते
उत्तर-
(अ) – 1
(ब) – 2
(स) – 3
(द) – 4

(ख) दिए गए विकल्पों से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(अ) अपने लिए सभी जीते हैं …………………………………. मरना सीखें। (औरों के हित, दूसरों के हित)
(ब) चाँद बाँटता …………………………………. सबको, बादल वर्षा जल दे जाते। (अमृत, चाँदनी)
(स) ऊँचे-नीचे …………………………………. ही तो, इन सोतों के जनक कहाते। (पहाड़, पर्वत)
(द) ऐसे ही त्यागी बनकर हम, बूंद-बूंद कर …………………………………. सीखें। (घटना, झरना।)
उत्तर-
(अ) औरों के हित,
(ब) अमृत,
(स) पर्वत,
(द) झरना।

MP Board Solutions

Class 8 Hindi Chapter 7 MP Board प्रश्न 2.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ) कुदरत हमें क्या सिखाती है?
(ब) तारे हमें क्या देते हैं?
(स) धरती क्या कार्य करती है?
उत्तर-
(अ) कुदरत हमें परोपकार करना सिखाती है।
(ब) तारे हमें शीतलता देते हैं।
(स) धरती सबका पालन-पोषण करती है।

MP Board Class 8th Hindi Chapter 7 प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न

(अ) पर्वतों को सोतों का जनक क्यों कहा गया है?
उत्तर-
पर्वतों से बड़ी-बड़ी गहरी नदियाँ निकलती हैं। पर्वतों से कई प्रकार के छोटे-बड़े झरने निकलते हैं। यही नहीं पर्वतों से ही कई प्रकार के छोटे-बड़े नाले निकलते हैं। इन नदियों, झरनों और नालों में रात-दिन स्वच्छ जल बहता रहता है। इस प्रकार पर्वतों से नदियों, झरनों और नालों के निकलने के कारण पर्वतों को इनका जनक कहा गया है।

(ब) पेड़ों को दधीचि क्यों माना गया है?
उत्तर-
पेड़ हर युग में अपना सब कुछ न्यौछावर परोपकार के लिए करते रहते हैं। चाहे कोई मौसम अर्थात् कठिन समय क्यों न हो, वे परोपकार करने से पीछे नहीं हटते हैं। चूँकि इनका त्याग – बलिदान महर्षि दधीचि के ही समान होता है। इसलिए उन्हें महर्षि दधीचि माना गया है।

(स) जुगनू से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर-
यद्यपि जुगनू आकर-प्रकार में बहुत ही छोटा होता है। फिर भी हमें रोशनी थोड़ा-थोड़ा करके ही सही, देने से कभी पीछे नहीं हटता है। इस प्रकार वह अंधकार को दूर करके हमें प्रकाश देने में लगा रहता है। फलस्वरूप हमें उससे यह सीख मिलती है कि परोपकार करने के लिए बड़े-छोटे का महत्त्व नहीं होता है। दूसरी बात यह कि हमें जितना भी हो सके, परोपकार करते ही रहना चाहिए।

MP Board Solutions

भाषा की बात

Hindi Chapter 7 Class 8 MP Board प्रश्न 1.
बोलिए और लिखिएकुदरत, अमृत, दधीचि, निर्मल, पर्वत, त्यागी।
उत्तर-
कुदरत, अमृत, दधीचि, निर्मल, त्यागी।

Class 8 Hindi Bhasha Bharti Chapter 7 प्रश्न 2.
सही वर्तनी वाले शब्दों पर गोला लगाइए
1. सिखती, सखाती, सिखाती, सीखाति
2. वरषा, वरीषा, वर्षा, वार्ष
3. जुगनू, जुगन, जुगुन, जूगनू,
4. अंधकर, अंधाकार, अंधकार, अधंकारा।
उत्तर-
सही वर्तनी
1. सिखाती,
2. वर्षा,
3. जुगनू,
4. अंधकार।

Class 8 MP Board Hindi Chapter 7 प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थान पर अनुनासिक के चिह्न () का प्रयोग कीजिए

माग, टाग, जाच, तागा, ऊट, नदिया, बाटना।

उत्तर-

माँग, टाँग, जाँच, ताँगा, ऊँट, नदियाँ, बाँटना।

Chapter 7 Hindi Class 8 MP Board प्रश्न 4.
कोष्ठक में दिए गए शब्द की आवृत्ति से शब्द बनाकर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
…………………………… चलता भैया। (आगे)
…………………………… आई गया। (पीछे)
…………………………… लो घास खिलाई। (हरी)
…………………………… उसने वह खाई। (खुशी)
उत्तर-
आगे-आगे – चलता भैया।
पीछे-पीछे – आई गैया।
हरी-हरी – लो घास खिलाई।
खुशी-खुशी – उसने वह खाई।

Class 8 Chapter 7 Hindi MP Board प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थी शब्द लिखिएअग्रज, सुगंध, आदि, आदान।
उत्तर-
शब्द – विपरीतार्थी शब्द
अग्रज – अनुज
सुगंध – दुर्गंध
आदि – अंत
आदान – प्रदान

Class 8th Hindi Chapter 7 MP Board प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों में ‘अभि’ उपसर्ग का प्रयोग करते हुए नए शब्द बनाइए-
ज्ञान, नंदन, यान, रूचि, नेता, मत
उत्तर-
MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Chapter 7 हम भी सीखें 1

MP Board Solutions

♦ प्रमुख पद्यांशों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ

1.

कुदरत हमको रोज सिखाती, जग-हित में कुछ करना सीखें।
अपने लिए सभी जीते हैं, औरों के हित मरना सीखें।

शब्दार्थ-कुदरत-प्रकृति। जगह-हित-संसार की भलाई। औरों-दूसरों। हित के लिए।

संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) के भाग-8 के पाठ-7 ‘हम भी सीखें से ली गई हैं। इन पंक्तियों के कवि श्री गोपाल कृष्ण कौल हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने प्रकृति से प्रेरणा लेने का उपदेश देते हुए कहा है कि

व्याख्या-प्रकृति हमें यह रोज-ही-रोज पाठ पढ़ाती रहती है कि हम संसार में एक खास उद्देश्य से आए हैं। वह यह कि हम इस संसार के लिए कुछ करना सीखें। यह तो हम जानते हैं कि अपनी भलाई के लिए तो सभी कछ-न-कछ करते रहते हैं। लेकिन दूसरों की भलाई के लिए शायद ही कोई कुछ करता है। इसलिए हमें प्रकृति की तरह दूसरों की भलाई के लिए अपने जीवन को लगाना चाहिए।

विशेष-

  • परोपकार करने की सीख दी गई है।
  • तुकांत शब्दावली है।

2.

सूरज हमें रोशनी देता, तारे शीतलता बरसाते,
चाँद बाँटता अमृत सबको, बादल वर्षा-जल दे जाते।
जुगनू ज्यों थोड़ा-थोड़ा ही, अंधकार हम हरना सीखें।

शब्दार्थ-रोशनी-प्रकाश। शीतलता-ठंढ़क, आनंद। संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने सूरज, तारे, चाँद, बादल और जुगनू से परोपकार करने की प्रेरणा लेने की सीख देते हुए कहा है कि-

व्याख्या-सूरज हमें रोशनी (प्रकाश) देकर जीवन प्रदान करता है, तो तारे हमें शीतलता प्रदान करते हैं। इसी प्रकार चाँद अपनी किरणों से हमें अमृत प्रदान करता है, तो बादल जल की बरसा कर हमारी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। जुगनू भले ही थोड़ी-थोड़ी और कहीं-कहीं रोशनी करता है, फिर भी वह अंधकार को दूर करने में लगा ही रहता है। इस प्रकार प्रकृति के इन स्वरूपों से प्रेरणा लेकर हमें भी परोपकार करना चाहिए।

विशेष-

  • परोपकार करने की सीख आकर्षक रूप में है।
  • उदाहरण शैली है।

3.

बिन अभिमान पेड़ देते हैं, बीज, फूल, फल ठण्डी छाया।
ये दधीचि बनकर हर युग में, न्यौछावर कर देते काया।।
मौसम चाहे कैसा भी हो, तरु की तरह निखरना सीखें।

शब्दार्थ-अभिमान-घमंड। बिन-बिना, अकारण। न्यौछावर -त्याग। काया-शरीर। एक पौराणिक कथा के अनुसार दधीचि ऋषि ने अस्त्र बनाने के लिए अपनी हड्डियाँ तक देवताओं को दान कर दी थीं। इन हड्डियों से वज्र बनाया गया जिससे इंद्र ने राक्षसों को परास्त किया।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने प्रकृति की ही बिना किसी घमंड करके परोपकार करने की सीख देते हुए कहा है कि

व्याख्या-हम यह रोज ही देखते हैं कि पेड़-पौधे बिना किसी घमंड के ही हमें बीज, फूल और फल देते रहते हैं। यही नहीं वे बड़ी सुखद ठंडी छाया भी हमें देते रहते हैं। इसी प्रकार वे महर्षि दधीचि की तरह हरेक समय में अपना सब कुछ परोपकार में लगाते रहते हैं। मौसम चाहे जो कुछ भी बुरा और खराब क्यों न हो हमें तो पेड़ की तरह ही परोपकार करना नहीं भूलना चाहिए।

विशेष-

  • पेड़-पौधों की तुलना महर्षि दधीचि से की गई है।
  • लय और संगीत का सुंदर मेल है।

4.

गहरी नदियाँ, निर्झर, नाले, निर्मल जल दिन-रात बहाते।
ऊँचे-नीचे पर्वत ही तो, इन सातों के जनक कहाते।
ऐसे ही त्यागी बनकर हम, बूंद-बूंद कर झरना सीखें।

शब्दार्थ-निर्झर-झरने। निर्मल-स्वच्छ। स्रोतों-झरनों। जनक-पिता, जन्म देने वाला।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने गहरी नदियों, नालों और झरनों के त्याग को बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या-बड़ी-बड़ी नदियाँ, नाले और झरने रात-दिन दूसरों के लिए ही साफ और सुंदर जल बहाते रहते हैं। इनको जन्म देने वाले बड़े-बड़े ऊँचे-ऊँचे पर्वत ही तो हैं। इनकी तरह त्यागी-बलिदानी बनकर हम दूसरों को सुख और जीवन देने के लिए अपने जीवन-रस की एक-एक बूँद को टपकाते रहना चाहिए।

विशेष-

  • हमेशा ही परोपकार करते रहने की सीख दी गयी है।
  • भाषा सरल है।

MP Board Solutions

5.

सबका पालन करने वाली, अन्न उगाती धरती प्यारी।
उथल-पुथल खुद ही सह लेती, महकाती जीवन फुलवारी।
जीवन देती प्राणवायु बन, चारों ओर विचरना सीखें।।

शब्दार्थ-उगाती-पैदा करती। उथल-पुथल-उलट-पुलट,. हेर-फेर। महकाती-सुगंध देती। प्राणवायु-संजीवनी। विचरना-घूमना, फिरना।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने धरती को माँ के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा है कि-

व्याख्या-धरती सचमुच में प्यारी माँ की तरह है। यह सबका पालन-पोषण करने के लिए ही तरह-तरह के अनाज को पैदा करती है। जब कभी कोई उलट-फेर अर्थात् कठिन और दुखद घटना होती है, उसे यह स्वयं ही सह लेती है। लेकिन सबके जीवन की फुलवारी को सुगंधित करने से नहीं रुकती है। इस प्रकार यह सबको हमेशा ही संजीवनी देती रहती है। हमें चारों ओर स्वतंत्र रूप से विचरने-घूमने की शिक्षा इससे अवश्य लेनी चाहिए।

विशेष-

  • धरती को प्यारी माँ की तरह महत्त्व दिया गया है।
  • यह अंश उपदेशात्मक है।

MP Board Class 8 Hindi Sugam Bharti Question Answer

Leave a Comment