MP Board Class 9th Special Hindi काव्य बोध

MP Board Class 9th Special Hindi काव्य बोध

प्रश्न 1.
कविता की परिभाषा और विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
परिभाषा-कविता को परिभाषित करते हुए सुप्रसिद्ध समालोचक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा है

“कविता वह साधन है जिसके द्वारा सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक सम्बन्ध की रक्षा और निर्वाह होता है।”

विशेषताएँ-उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार कविता की तीन विशेषताएँ दिखाई देती हैं

  1. कविता मानव एकता की प्रतिष्ठा करने का साधन है और यही उसकी उपयोगिता है।
  2. कविता में भावों और कल्पना की प्रधानता रहती है।
  3. कविता में कवि की अनुभूति की अभिव्यक्ति रहती है।

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प्रश्न 2.
कविता के स्वरूप के कौन-से पक्ष होते हैं?
उत्तर-
कविता का बाह्य स्वरूप-कविता के दो पक्ष होते हैं

  1. अनुभूति,
  2. भिव्यक्ति।

(1) अनुभूति के पक्ष का सम्बन्ध कविता के आन्तरिक स्वरूप से है।
(2) अभिव्यक्ति का सम्बन्ध कविता के बाह्य रूप से है। कविता के बाह्य रूप के निर्धारण में निम्नलिखित कारकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है-

  • लय,
  • तुक,
  • छन्द,
  • शब्द योजना,
  • काव्य भाषा,
  • अलंकार,
  • काव्य गुण।

कविता का आन्तरिक स्वरूप-

  1. कविता के आन्तरिक स्वरूप से रसात्मकता, अनुभूति की तीव्रता, भाव और विचारों का समावेश तथा कल्पना की सृजनात्मकता से उत्पन्न सौन्दर्य बोध का सम्बन्ध हुआ करता है।
  2. कविता के स्वरूप के अन्तर्गत भाव सौन्दर्य, विचार सौन्दर्य, नाद सौन्दर्य तथा अप्रस्तुत योजना का सौन्दर्य सम्मिलित हुआ करता है।

प्रश्न 3.
काव्य भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
काव्य-भेद-

  1. दृश्य काव्य,
  2. श्रव्य काव्य।

(1) दृश्य काव्य को हम आँखों से देखते हैं और कानों से सुनते हैं।
(2) श्रव्य काव्य को सुनकर ही उसका रसास्वादन किया जाता है। शैली के आधार पर काव्य भेद-शैली के आधार पर काव्य भेद दो हैं

  1. प्रबन्ध काव्य,
  2. मुक्तक काव्य।

(1) प्रबन्ध काव्य-प्रबन्ध काव्य में महाकव्य, खण्डकाव्य तथा आख्यानक गीतियाँ आती हैं।
(2) मुक्तक काव्य—मुक्तक काव्य में पाठ्य मुक्तक, गेय मुक्तक शामिल हैं।

प्रश्न 4.
महाकाव्य के लक्षण बताइए और उसकी कथा की विशेषता लिखिए।
उत्तर-
महाकाव्य-महाकाव्य के लक्षण (परिभाषा) निम्न प्रकार है

  1. इसमें जीवन की विशद् व्याख्या होती है।
  2. इसकी कथा इतिहास प्रसिद्ध होती है।
  3. महाकाव्य का नायक उदात्त चरित्र, धीर-वीर और गम्भीर होता है।
  4. महाकाव्य में श्रृंगार, शान्त और वीर रस में से कोई एक रस प्रधान रस होता है। शेष रस गौण होते हैं।
  5. महाकाव्य सर्गबद्ध होता है। इसमें कम-से-कम आठ सर्ग होते हैं।

महाकाव्य की कथा की विशेषता-

  1. महाकाव्य की कथा धारा-प्रवाही मार्मिक प्रसंगों पर आधारित होती है।
  2. मूलकथा के साथ-साथ अन्य सहायक कथांश भी इसमें प्रारम्भ से अन्त तक आकर अपनी भूमिका का निर्वाह करते हैं।
  3. सहायक कथांशों से मूलकथा परिपुष्ट होती है।

प्रश्न 5.
हिन्दी के प्रसिद्ध महाकाव्य और उनके रचयिताओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
हिन्दी के प्रसिद्ध महाकाव्य और उनके रचयिता
महाकाव्य – रचयिता

  1. रामचरितमानस – गोस्वामी तुलसीदास
  2. पद्मावत मलिक – मुहम्मद जायसी
  3. साकेत – मैथिलीशरण गुप्त
  4. कामायनी – जयशंकर प्रसाद
  5. उर्वशी – रामधारीसिंह ‘दिनकर’

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प्रश्न 6.
खण्डकाव्य किसे कहते हैं? हिन्दी के प्रसिद्ध खण्डकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर-
खण्डकाव्य-खण्डकाव्य वह रचना है जिसमें जीवन का कोई एक भाग, एक घटना अथवा एक चरित्र का चित्रण होता है। खण्डकाव्य अपने आप में एक पूर्ण रचना होती है। सम्पूर्ण रचना एक ही छन्द में पूर्ण होती है।

हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध खण्डकाव्य-पंचवटी, जयद्रथ वध, नहुष, सुदामा-चरित, पथिक, हल्दीघाटी इत्यादि।

प्रश्न 7.
आख्यानक कृतियाँ किसे कहते हैं? स्पष्ट लिखिए।
उत्तर-
आख्यानक कृतियाँ-महाकाव्य और खण्डकाव्य से भिन्न पदबद्ध कहानी ही आख्यानक कृति है। इसमें वीरता, साहस, पराक्रम, प्रेम और बलिदान, करुणा आदि से सम्बन्धित प्रेरक घटना प्रसंगों को कथा के माध्यम से अभिव्यक्त किया जाता है। इसकी भाषा सरल, स्पष्ट और रोचक होती है। गीतात्मकता और नाटकीयात्मकता इसकी विशेषता है। झाँसी की रानी, रंग में भंग, तुलसीदास आदि आख्यानक कृतियों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 8.
मुक्तक काव्य किसे कहते हैं? इसके दो प्रकार भी बताइए।
उत्तर-
मुक्तक काव्यं-मुक्तक काव्य में एक अनुभूति, एक भाव और एक ही कल्पना का चित्रण होता है। मुक्तक काव्य की भाषा सरल एवं स्पष्ट होती है। वर्ण्य विषय अपने आप में पूर्ण होता है। इसका प्रत्येक छन्द स्वतन्त्र होता है। उदाहरण-बिहारी, रहीम, वृन्द, सूर, मीरा के दोहे और पद।

मुक्तक काव्य दो प्रकार के होते हैं-

  1. पाठ्य मुक्तक,
  2. गेय मुक्तक।

पाठ्य मुक्तक-पाठ्य मुक्तक में विषय की प्रधानता होती है। प्रसंगानुसार भावानुभूति व कल्पना का चित्रण होता है तथा किसी विचार या रीति का भी चित्रण होता है।

गेय मुक्तक-इसे गीति या प्रगीति काव्य भी कहते हैं। इसमें-

  1. भाव प्रवणता,
  2. सौन्दर्य बोध,
  3. अभिव्यक्ति की संक्षिप्तता,
  4. संगीतात्मकता,
  5. लयात्मकता की प्रधानता होती है।

रस

प्रश्न 1.
रस किसे कहते हैं? इसकी परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
रस को काव्य की आत्मा बताया गया है। जिस तरह आत्मा के बिना शरीर का कोई मूल्य नहीं होता, उसी तरह रस के बिना काव्य भी निर्जीव माना गया है। ‘रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्’ अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।

यदि काव्य की तुलना मनुष्य से की जाए तो शब्द और अर्थ को काव्य का शरीर, अलंकारों को आभूषण, छन्दों को उसका बाह्य परिधान तथा रस को आत्मा कह सकते हैं। काव्य में रस का अर्थ आनन्द बताया गया है। साहित्यशास्त्र में ‘रस’ का अर्थ अलौकिक या लोकोत्तर आनन्द होता है। अतः “काव्य के पढ़ने, सुनने अथवा उसका अभिनय देखने में पाठक, श्रोता या दर्शक को जो आनन्द मिलता है, वही काव्य में रस कहलाता है।”

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प्रश्न 2.
रस के अंगों (रस को आस्वाद योग्य बनाने में सहायक अवयव) को स्पष्ट रूप से बताइए।
उत्तर-
रस के अंग चार होते हैं-

  • स्थायीभाव,
  • विभाव,
  • अनुभाव,
  • संचारीभाव।

विभाव के दो भेद होते हैं-

  • आलम्बन,
  • उद्दीपन।

आलम्बन भी दो प्रकार का होता है-

  • आशय,
  • विषय।

प्रश्न 3.
रस के भेद बताइए तथा प्रत्येक रस के स्थायी भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
रस – स्थायी भाव

  1. शृंगार – रति
  2. हास्य – हास
  3. करुण – शोक
  4. रौद्र – क्रोध
  5. वीभत्स – जुगुप्सा
  6. भयानक – भय
  7. अद्भुत – विस्मय
  8. वीर – उत्साह
  9. शान्त – निर्वेद

विशेष-आचार्य भरत ने नाटक में आठ रस माने हैं। परवर्ती आचार्यों ने शान्त रस को अतिरिक्त स्वीकृति देकर कुल नौ रस निश्चित कर दिए। काव्य में महाकवि सूरदास ने वात्सल्य प्रधान मधुर पदों की रचना की तो एक अन्य रस-‘वात्सल्य रस’ की भी स्थापना हो गई। आजकल भक्ति को भी रस रूप में स्वीकृति दिये जाने का आग्रह चल रहा है।

प्रश्न 4.
शृंगार रस की परिभाषा, भेद और उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
शृंगार रस की निष्पत्ति ‘रति’ स्थायी भाव के संयोग से होती है। इसके दो भेद हैं-

  • संयोग शृंगार,
  • वियोग शृंगार।

संयोग शृंगार रस में नायक-नायिका के संयोग (मिलन) की स्थिति का वर्णन होता है।

उदाहरण-
“बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय।
सौंह करें, भौंहनि हंसै, दैन कहे नटि जाय॥”

वियोग श्रृंगार रस में नायक-नायिका के बिछुड़ने का तथा दूर देश में रहने की स्थिति का वर्णन, वियोग श्रृंगार की व्यंजना करता है-
उदाहरण-
“आँखों में प्रियमूर्ति थी, भूले थे सब भोग।
हुआ योग से भी अधिक, उसका विषम वियोग॥”

प्रश्न 5.
हास्य, करुण और रौद्र रस की परिभाषा सोदाहरण लिखिए।
उत्तर-
हास्य रस-किसी व्यक्ति के विकृत वेश, आकृति तथा वाणी आदि को देख व सुनकर हँसी उत्पन्न हो उठती है, वैसा ही वहाँ का वर्णन होता है, तो वहाँ हास्य रस की निष्पत्ति होती है।

उदाहरण-
“जब धूमधाम से जाती है बारात किसी की सजधज कर।
मन करता धक्का दे दूल्हे को, जा बैतूं घोड़े पर।
सपने में ही मुझको अपनी, शादी होती दिखती है।
वरमालाले दुल्हन बढ़ती, बस नींद तभी खुल जाती है।”

करुण रस-प्रिय वस्तु के विनाश अथवा अनिष्ट के होने से चित्त में आती हुई विकलता करुण रस को उत्पन्न करती है।

उदाहरण-
“अभी तो मुकुट बँधा था माथ,
हुए कल ही हल्दी के हाथ,
खुले भी न थे लाज के बोल,
खिले भीनचुम्बन-शून्यकपोल,
हाय ! रुक गया यहीं संसार,
बना सिंदूर अंगार।।”

रौद्र रस-जब क्रोध नामक स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से पुष्ट हआ रस दशा को प्राप्त होता है, तो वहाँ रौद्र रस की निष्पत्ति होती है।

उदाहरण-
सुनत लखन के वचन कठोरा।
परसु सुधारि धरेउ कर घोरा॥
अब जनि देउ दोष मोहि लोगू।
कटु वादी बालक वध जोगू॥

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित रसों के स्थायी भाव सहित परिभाषा लिखिए और प्रत्येक का उदाहरण भी दीजिए-
(1) वीर रस,
(2) भयानक रस।
उत्तर-
(1) वीर रस-वीर रस का स्थायी भाव उत्साह होता है। वीर रस की निष्पत्ति ओजस्वी वीर घोषणाओं या वीर गीतों को सुनकर अथवा उत्साह बढ़ाने वाले कार्यकलापों को देखने से होती है।
उदाहरण-
“वह खून कहो किस मतलब का,
जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का,
जिसमें जीवन की रवानी नहीं॥”

(2) भयानक रस-भयानक रस का स्थायी भाव ‘भय’ है। प्रकृति के डरावने दृश्यों, अथवां बलवान शत्रु के प्राणनाशक बोलों को सुनकर भय की उत्पत्ति होने पर भयानक रस की निष्पत्ति होती है।

उदाहरण-
‘हाहाकार हुआ कन्दन मय,
कठिन वज्र होते थे चूर।
हुए दिगन्त बधिर भीषण
रव बार-बार होता था क्रूर॥

अलंकार

प्रश्न 1.
अलंकार का क्या तात्पर्य है? अलंकार की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
अलंकार से तात्पर्य है-शृंगार करना या सजाना या आभूषित करना। जिस तरह एक नारी आभूषणों से अपने शरीर की सज्जा करती है, उसी तरह अलंकार वे तत्व हैं जिनसे काव्य की शोभा बढ़ती है। आचार्य विश्वनाथ के शब्दों में, “अलंकार शब्द-अर्थ स्वरूप काव्य के अस्थिर धर्म हैं और भावों और रसों का उत्कर्ष करते हुए वैसे ही काव्य की शोभा बढ़ाते हैं, जैसे हार आदि आभूषण नारी की सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं।”

प्रश्न 2.
अलंकार के भेद बताओ और प्रत्येक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
अलंकार के भेद तीन होते हैं-

  1. शब्दालंकार,
  2. अर्थालंकार,
  3. उभयालंकार।

(1) शब्दालंकार-शब्द विशेष के चमत्कार द्वारा जो अलंकार कविता का सौन्दर्य बढ़ाएँ, वे शब्दालंकार होते हैं।
(2) अर्थालंकार-काव्य में जहाँ अर्थ के द्वारा चमत्कार उत्पन्न करते हैं, वे अर्थालंकार कहलाते हैं।
(3) उभयालंकार-शब्द एवं अर्थ दोनों में चमत्कार पैदा करके काव्य की शोभा बढ़ाते हैं, वे उभयालंकार होते हैं।

प्रश्न 3.
शब्दालंकार के भेद बताइए और प्रत्येक की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर-
शब्दालंकार के प्रमुख तीन भेद हैं-

  1. अनुप्रास,
  2. यमक,
  3. श्लेष।

(1) अनुप्रास-जिस काव्य रचना में व्यंजन वर्ण की दो या दो से अधिक बार आवृत्ति होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
जैसे-
“तरनि तनूजा तट तमाल, तरुवर बहु छाए।”

यहाँ ‘त’ वर्ण की आवृत्ति की गई है, अतः अनुप्रास अलंकार है।

(2) यमक-यमक अलंकार में एक शब्द बार-बार आए, किन्तु उसका अर्थ हर बार अलग-अलग हो, तो वहाँ यमक अलंकार होता है।
जैसे
“माला फेरत जुग गया, गया न मन को फेर।
करका मनका डारि के मनका मनका फेरि॥”

यहाँ मनका शब्द के दो अर्थ हैं-पहले मन का अर्थ ‘मोती’ तथा दूसरे मन का अर्थ ‘हृदय’ से है।

(3) श्लेष अलंकार-श्लेष अलंकार में एक ही शब्द के दो या दो से अधिक अर्थ होते हैं।

जैसे-
चिरजीवी जोरी जुरै क्यों न सनेह गंभीर।
को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर॥

वृषभानुजा = वृषभानु की पुत्री अर्थात् राधा। वृषभ की अनुजा = गाय। हलधर = कृष्ण के भाई बलराम। हलधर = हल को धारण करने वाला बैल।।

प्रश्न 4.
अर्थालंकार के भेद बताइए और प्रत्येक की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर-
अर्थालंकार के तीन भेद होते हैं-

  1. उपमा,
  2. रूपक,
  3. उत्प्रेक्षा।

(1) उपमा-जहाँ एक वस्तु अथवा प्राणी की तुलना अत्यन्त सादृश्य के कारण प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाती है, तब वहाँ उपमा अलंकार होता है।
जैसे-
“सिंधु सा विस्तृत है अथाह,
एक निर्वासित का उत्साह।”

उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं-

  • उपमेय-जिस व्यक्ति या वस्तु की समानता की जाती है।
  • उपमान-जिस व्यक्ति या वस्तु से समानता की जाती है।
  • साधारण धर्म-वह गुण या धर्म जिसकी तुलना की जाती है।
  • वाचक शब्द-वह शब्द जो रूप-रंग, गुण और धर्म की समानता दर्शाता है। जैसे-सा, सी, सम, समान आदि।

(2) रूपक अलंकार-काव्य में जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप होता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है। इसमें वाचक शब्द का लोप होता है।
जैसे-
“चरण-सरोज पखारन लागा।”

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(3) उत्प्रेक्षा अलंकार-काव्य में जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना व्यक्त की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। जनु, जानो, मानो, मानहुँ आदि वाचक शब्द उत्प्रेक्षा अलंकार की पहचान हैं।

जैसे-
“जनु अशोक अंगार दीन्ह मुद्रिका डारि तब।”
“मानो, झूम रहे हैं, तरू भी मंद पवन के झोकों से।”

छन्द

प्रश्न 1.
छन्द की परिभाषा बताइए।
या
छन्द किसे कहते हैं?
उत्तर-
कविता के शाब्दिक अनुशासन का नाम छन्द

इस तरह काव्यशास्त्र के नियम के अनुसार, जिस कविता या काव्य में मात्रा, वर्ण, गण, यति, लय आदि का विचार करके शब्द योजना की जाती है, उसे छन्द कहते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित के विषय में जानकारी दीजिएयति, लय, गति, तुक।
उत्तर-

  • यति-छन्द का पाठ करते समय जहाँ थोड़ी देर रुका जाता है, उसे यति कहते हैं।
  • लय-छन्द के पढ़ने की शैली को लय कहते हैं।
  • गति-गति का अर्थ है प्रवाह, अर्थात छन्द को पढ़ते समय प्रवाह एक-सा हो।
  • तुक-पद के चरणों के अन्त में जो समान स्वर आते हैं तथा साम्य बैठाने के लिए, लिये जाते हैं, उन्हें तुक कहते हैं।

प्रश्न 3.
छन्द के भेद बताइए और उनका परिचय दीजिए।
उत्तर-
छन्ददो प्रकार के होते हैं-

  1. वार्णिक छन्द,
  2. मात्रिक छन्द।

(1) वार्णिक छन्द-वार्णिक छन्दों में वर्गों की गणना की जाती है तथा वर्णों की संख्या के आधार पर छन्द का निर्धारण किया जाता है।
(2) मात्रिक छन्द-मात्रिक छन्दों में मात्राओं की गणना की जाती है।

नोट-दोहा, चौपाई मात्रिक छन्द हैं।

प्रश्न 4.
दोहा और चौपाई छन्द के लक्षण उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर-
दोहा-दोहा छन्द के प्रथम और तृतीय चरणों में 13-13 और द्वितीय तथा चतुर्थ चरणों में 11-11 मात्राएँ होती हैं। इसके सम चरणों के अन्त में तगण अथवा जगण का होना जरूरी है।

उदाहरण-
MP Board Class 9th Special Hindi काव्य बोध img 1
जा तन की झाँई, परै, स्याम हरित दुति होय॥ चौपाई-चौपाई एक सम मात्रिक छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।

उदाहरण-
MP Board Class 9th Special Hindi काव्य बोध img 2

प्रश्न 5.
गण के स्वरूप को समझाइए।
उत्तर-
तीन वर्गों के समूह को गण कहते हैं। वार्णिक छन्दों में वर्ण की गणना की जाती है। उन वर्णों की लघुता और गुरुता के विचार से गुणों के आठ रूप होते हैं।

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प्रश्न 6.
गणों के आठ रूप कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर-
गणों के आठ रूप और मात्राएँ निम्न प्रकार हैं

  • यगण (।ऽऽ)
  • मगण (ऽऽऽ)
  • तगण (ऽऽ।)
  • रगण (ऽ।ऽ)
  • जगण (।ऽ।)
  • भगण (ऽ।।)
  • नगण (।।।)
  • सगण (।।ऽ)

महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान पूर्ति

1. कविता के द्वारा सृष्टि के साथ मनुष्य के ……………………… सम्बन्ध की रक्षा होती है। (रागात्मक/विवादात्मक)
2. अनुभूति के पक्ष का सम्बन्ध कविता के ……………………… स्वरूप से (बाह्य/आन्तरिक)
3. पद्मावत के रचयिता ……………………… हैं। (रहीम/मलिक मुहम्मद जायसी)
4. ‘रस’ को काव्य की ……………………… बताया गया है। (आत्मा/शरीर)
5. अर्थालंकार के ……………………… भेद हैं। (तीन/पाँच)
उत्तर-
1. रागात्मक,
2. आन्तरिक,
3. मलिक मुहम्मद जायसी,
4. आत्मा,
5. तीन।

सही विकल्प चुनिए

1. काव्य भेद हैं
(क) दृश्य काव्य
(ख) श्रव्य काव्य
(ग) दृश्य और श्रव्य काव्य
(घ) नाट्य और कथ्य काव्य।
उत्तर-
(ग) दृश्य और श्रव्य काव्य

2. ‘कामायनी’ के रचयिता हैं
(क) तुलसीदास
(ख) मीराबाई
(ग) जयशंकर प्रसाद’
(घ) पन्त।
उत्तर-
(ग) जयशंकर प्रसाद’

3. ‘रस’ के बिना काव्य माना जाता है-
(क) सजीव
(ख) निर्जीव
(ग) व्यर्थ
(घ) सार्थक।
उत्तर-
(ख) निर्जीव

4. ‘रस’ के भेद हैं
(क) नौ
(ख) बारह
(ग) पाँच
(घ) सात।
उत्तर-
(क) नौ

5. श्रृंगार रस के भेद होते हैं
(क) दो
(ख) चार
(ग) आठ
(घ) सात।
उत्तर-
(क) दो

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 9th Special Hindi काव्य बोध img 3
उत्तर-
(i) → (ख),
(ii) → (क),
(iii) → (ङ),
(iv) → (ग),
(v) → (घ)।

सत्य असत्य

1. तीन वर्गों के समूह को ‘गण’ कहते हैं।
2. छन्द के पढ़ने की शैली को गति कहते हैं।
3. कविता के शाब्दिक अनुशासन का नाम छन्द है।
4. प्रबन्ध और मुक्तक काव्य-शैली के आधार पर काव्य भेद होते हैं।
5. ‘रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्’ (रसयुक्त वाक्य ही काव्य होता है)।
उत्तर-
1. सत्य,
2. असत्य,
3. सत्य,
4. सत्य,
5. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक सम्बन्ध की रक्षा का साधन बताइए।
उत्तर-
काव्य।

2. एक ही छन्द में रचित एक घटना का चित्रण पूर्ण रूप से करने वाली रचना को क्या कहते हैं?
उत्तर-
खण्डकाव्य।

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3. रसयुक्त वाक्य को क्या नाम दिया गया है?
उत्तर-
कविता।

4. ‘सिन्धु सा विस्तृत है अथाह, ‘एक निर्वासित का उत्साह’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर-
उपमा।

5. पद के चरणों के अन्त में समान स्वर में साम्य बैठाने के लिए गृहीत पद क्या कहे जाते हैं?
उत्तर-
तुक।

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