MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 5 लघु कथाएँ

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MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 5 लघु कथाएँ (लघुकथा, संकलित)

लघु कथाएँ पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

लघु कथाएँ लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बालक ने दयालु महिला से क्या सवाल किया?
उत्तर:
बालक ने दयालु महिला से सवाल किया कि “इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा।”

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प्रश्न 2.
रोगग्रस्त महिला को देखकर डॉक्टर की आँख में चमक-सी क्यों आ गई?
उत्तर:
रोगग्रस्त महिला को डॉक्टर ने पहचान लिया था। ‘दूध का मूल्य’ चुकाने का समय आया देखकर डॉक्टर की आँखों में चमक-सी आ गई।

प्रश्न 3.
रवींद्रनाथ टैगोर क्या जानने के लिए उत्सुक थे?
उत्तर:
रवींद्रनाथ टैगोर ‘सौंदर्य क्या है?’ यह जानने के लिए उत्सुक थे।

प्रश्न 4.
मोमबत्ती बुझाने पर चाँदनी कहाँ-कहाँ फैल गई?
उत्तर:
मोमबत्ती बुझाने पर चाँदनी दरवाजे और खिड़की से होती हुई कमरे में फैल गई।

लघु कथाएँ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दयालु महिला ने बालक को क्या उत्तर दिया?
उत्तर:
बालक ने दयालु महिला से सवाल किया था कि वह इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाएगा। इस पर महिला ने बालक को उत्तर दिया कि इस दूध के लिए उसे कुछ भी नहीं चुकाना होगा; क्योंकि सद्भाव से किए गए काम से कीमत की अपेक्षा नहीं की जाती।

प्रश्न 2.
डॉक्टर ने महिला को पत्र में क्या लिखा?
उत्तर:
डॉक्टर ने महिला को पत्र में लिखा-“बिल का भुगतान वर्षों पहले हो चुका, एक गिलास दूध ।” नीचे हस्ताक्षर थे-आपका दूधवाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है।

प्रश्न 3.
मोमबत्ती बुझाने के बाद परिवेश में क्या परिवर्तन हुआ?
उत्तर:
मोमबत्ती बुझाने के बाद पूर्णिमा के चाँद की चाँदनी दरवाजे और खिड़की से झाँकती हुई पूरे कमरे में फैल गई। सारा परिवेश प्रकाशमय हो गया। चाँद यह कहता जान पड़ा कि “मैं बहुत देर से तुम्हें याद कर रहा था।” चाँदनी की दूधिया रोशनी में सारा परिवेश जगमगा उठा था।

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प्रश्न 4.
रवींद्रनाथ टैगोर को सौंदर्य की अनुभूति कैसे हुई?
उत्तर:
ठंडी हवा का झोंका आया और रवींद्रनाथ टैगोर का पूरा शरीर चंद्रमा की चाँदनी में नहा गया। वे प्राकृतिक सौंदर्य में इतने डूब गए कि उनके मुख से निकल पड़ा कि “यह है सौंदर्य!” इस प्रकार से उन्हें सौंदर्य की अनुभूति हुई।

लघु कथाएँ भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का भाव पल्लवन कीजिए

प्रश्न 1.
सदाशयता किसी कीमत की अपेक्षा नहीं करती।
उत्तर:
भारतीय संस्कृति की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है कि सद्भाव के लिए किए गए किसी कार्य के लिए किसी प्रकार के मूल्य की अपेक्षा नहीं की जाती है। यह जीवन का आदर्श मूल्य है। मानव की प्रवृत्ति है कि वह इस प्रकार के कार्य करता रहता है। दीन-दुखियों की सेवा करना, भूखे को रोटी खिलाना आदि कार्य इसी श्रेणी में आते हैं। परोपकार के लिए किए गए कार्यों के पीछे भी यही भावना सक्रिय रहती है।

प्रश्न 2.
केवल शब्द पर ठहरकर अनुभूति नहीं होती।
उत्तर:
केवल शब्दों में लिखित सौंदर्य को पढ़कर सुंदरता की अनुभूति संभव नहीं है। शब्द तो सौंदर्य को व्यक्त करने के साधन मात्र हैं। शब्द अनुभूति कराने में असमर्थ हैं। सौंदर्य की अनुभूति तो अनुभव करने से होती है। मनःस्थिति बदलकर यह अनुभव प्राप्त किया जा सकता है।

लघु कथाएँ भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों के वाक्य बनाइए –
अंक, मूल्य, कर, वर्ण, रस।
उत्तर:

  • अंक – परीक्षा में तुम्हें कुल कितने अंक प्राप्त हुए?
    इस नाटक में पाँच अंक हैं।
  • मूल्य – इस रेडियो का मूल्य कितना है?
    सत्य बोलना आदर्श जीवन का मूल्य है।
  • कर – हमें समय पर कर चुकाना चाहिए।
    श्रीकृष्ण के कर में मुरली शोभायमान है।
  • वर्ण – पहले भारतीय सामाजिक व्यवस्था चार वर्णों पर आधारित थी।
    हिंदी में वर्ण दो प्रकार के होते हैं-स्वर और व्यंजन।
  • रस – भारतीय काव्य-शास्त्र में नौ रस माने गए हैं।
    मौसमी का रस रोगी के लिए लाभप्रद होता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित भिन्नार्थक समोच्चरित शब्दों का अंतर स्पष्ट कीजिए।
दिन-दीन, उतर-उत्तर, शांत-श्रांत, नींद-निन्द्य।
उत्तर:

  • दिन – दिन में तारे दिखाई नहीं देते।
    दीन – हमें दीन-दुखियों की सेवा करनी चाहिए।
  • उतर – स्टेशन आने पर सवारियाँ गाड़ी से उतर गयीं।
    उत्तर – भारत की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत है।
  • शांत – कृपया शांत होकर नाटक का आनंद लीजिए।
    श्रांत – श्रमिक श्रांत होकर आराम कर रहा है।
  • नींद – चिंता में नींद नहीं आती।
    निन्द्य – दुराचार निन्य कर्म होता है।

प्रश्न 3.
अहा! यह है सौंदर्य’ यह विस्मयादिबोधक वाक्य है। इस वाक्य को निषेधवाचक और प्रश्नवाचक वाक्यों में परिवर्तित कीजिए।
उत्तर:
निषेधवाचक – यह सौंदर्य नहीं है।
प्रश्नवाचक – क्या यही सौंदर्य है?

लघु कथाएँ योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
ऐसे महापुरुषों की सूची बनाइए जो अभावों में पलकर महान् बने। उनके आदर्शों पर चलने का प्रयत्न कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
लघुकथाओं की प्रायोजना पुस्तिका बनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 3.
किसी घटना को आधार मानकर एक लघुकथा लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

लघु कथाएँ परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
असहाय बालक छोटी-मोटी चीजें बेचता था ताकि वह ………………
(क) घर का खर्च चला सके
(ख) अपनी पढ़ाई जारी रख सके
(ग) अपनी बीमार माँ का इलाज करा सके
(घ) अपने शौक पूरे कर सके
उत्तर:
(ख) अपनी पढ़ाई जारी कर सके।

प्रश्न 2.
घर का दरवाजा खोला था –
(क) नौकर ने
(ख) लड़की ने
(ग) महिला ने
(घ) गृह स्वामी ने
उत्तर:
(ग) महिला ने।

प्रश्न 3.
महिला को सामने देखकर बालक का जाग उठा …………..
(क) आत्मसम्मान
(ख) लालच
(ग) क्रोध
(घ) भय
उत्तर:
(क) आत्मसम्मान।

प्रश्न 4.
महिला ने बालक को दिया –
(क) एक गिलास दुध
(ख) एक गिलास पानी
(ग) एक गिलास पानी और दूध
(घ) एक गिलास लस्सी
उत्तर:
(क) एक गिलास दूध।

प्रश्न 5.
बालक ने महिला से क्या सवाल किया?
(क) इस दया का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?
(ख) इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?
(ग) इस रोटी का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?
(घ) इस ममता का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?
उत्तर:
(ख) इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?

प्रश्न 6.
रवींद्रनाथ टैगोर किस विषय पर पुस्तक पढ़ रहे थे?
(क) काव्यशास्त्र पर
(ख) नाट्यशास्त्र पर
(ग) तर्कशास्त्र पर
(घ) सौंदर्यशास्त्र पर
उत्तर:
(घ) सौंदर्यशास्त्र पर

प्रश्न 7.
रवींद्रनाथ टैगोर ने मोमबत्ती क्यों बुझा दी?
(क) वे श्रांत हो गए थे
(ख) वे ऊब गए थे
(ग) उन्हें नींद आने लगी थी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न 8.
कौन-सा सिद्धांत जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है?
(क) अध्ययन का
(ख) अनुभव का
(ग) शब्द का
(घ) बुद्धिमानी का
उत्तर:
(ख) अनुभव का

प्रश्न 9.
‘दूध का मूल्य’ का उद्देश्य है –
(क) नई पीढ़ी में मानवीय भावनाओं का विकास करना
(ख) नई पीढ़ी में कृतज्ञता का भाव उत्पन्न करना
(ग) नई पीढ़ी में अपने ऊपर उपकार को याद रखने का
(घ) नई पीढ़ी में आदर्श जीवन-मूल्यों को स्थापित करना
उत्तर:
(क) नई पीढ़ी में मानवीय भावनाओं का विकास करना।

प्रश्न 10.
‘शब्द और अनुभूति’ कहानी से लेखक का मानना है कि –
(क) सौंदर्य देखने की वस्तु है
(ख) सौंदर्य अनुभव की वस्तु है
(ग) सौंदर्य नष्ट होने वाली वस्तु है
(घ) सौंदर्य बेकार की वस्तु है
उत्तर:
(ख) सौंदर्य अनुभव की वस्तु है।

प्रश्न 11.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कब फूंक मारकर मोमबत्ती की रोशनी बुझा दी?
(क) जब चाँदनी झाँकती हुई उनके कमरे में घुस गई।
(ख) जब उन्हें नींद आने लगी थी।
(ग) जब सारा वातावरण ज्योतिर्मय हो उठा।
(घ) जब वे यह जानने को उत्सुक हो उठे कि सौन्दर्य क्या है?
उत्तर:
(ख) जब उन्हें नींद आने लगी थी।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए –

  1. ………. बालक ने सोचा कि अगर जीना है तो अगले घर से रोटी माँगकर खांनी होगी। (समझदार लाचार)
  2. महिला भीतर गई और बालक को पीने के लिए एक गिलास – ………. दे दिया। (पानी, दूध)
  3. ………. जीवन पाकर महिला बहुत खुश थी। (स्वस्थ, नया)
  4. रवीन्द्रनाथ टैगोर ………. पर एक पुस्तक पढ़ रहे थे। (सौन्दर्यशास्त्र, तर्कशास्त्र)
  5. अंत में ………. काम आता है। (वल, अनुभव)

उत्तर:

  1. लाचार
  2. दूध
  3. नया
  4. सौन्दर्यशास्त्र
  5. अनुभव।

III. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए –

  1. असहाय बालक अपनी नौकरी जारी रखने के लिए गली-गलियारों 5 में घूमता।
  2. गृहिणी ने दरवाजा खोला और सवाल किया, “तुम कौन हो?”
  3. बालक की बात सुनकर महिला ने कहा, “इस दूध के लिए तुम्हें कुछ भी नहीं चुकाना होगा।”
  4. चिट्ठी में लिखा था-“बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका, एक गिलास दूध।”
  5. यात्रा के आरंभ में अनुभव अवश्य हैं, पर अंत नहीं हो सकते।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. असत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 5 लघु कथाएँ img-1
उत्तर:

(i) (ग)
(ii) (घ)
(iii) (ङ)
(iv) (ख)
(v) (क)।

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V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
लाचार बालक ने क्या सोचा?
उत्तर:
लाचार बालक ने सोचा कि जीना है तो अगले घर से रोटी माँगकर खानी होगी।

प्रश्न 2.
गृहिणी ने बालक से क्या सवाश किया?
उत्तर:
गृहिणी ने बालक से सवाल किया, “क्या है?”

प्रश्न 3.
बालक ने महिला से क्या सवाल किया?
उत्तर:
बालक ने महिला से सवाल किया, “इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?”

प्रश्न 4.
महिला किसकी शिकार हो गई?
उत्तर:
महिला एक गंभीर बीमारी की शिकार हो गई।

प्रश्न 5.
रवीन्द्रनाथ टैगोर क्या पढ़ रहे थे?
उत्तर:
रवीन्द्रनाथ टैगोर सौन्दर्यशास्त्र पर एक पुस्तक पढ़ रहे थे।

लघु कथाएँ लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बालक छोटी-मोटी चीजें क्यों वेचता था?
उत्तर:
बालक अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए छोटी-मोटी चीजें वेचता था।

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प्रश्न 2.
बालक ने रोटी माँगकर खाने का निर्णय क्यों किया?
उत्तर:
बालक भूखा-प्यासा था। भूख मिटाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। इसलिए जीने के लिए उसने रोटी माँगकर खाने का निर्णय किया।

प्रश्न 3.
बालक ने घर का दरवाजा क्यों खटखटाया था?
उत्तर:
वालक ने रोटी माँगने के लिए घर का दरवाजा खटखटाया था।

प्रश्न 4.
सौंदर्य ग्रहण करने की क्षमता का विकास कैसे होता है?
उत्तर:
सौंदर्य ग्रहण करने की क्षमता का विकास स्वयं के अनुभव के द्वारा होता है।

प्रश्न 5.
रवींद्रनाथ टैगोर ‘सौंदर्य क्या है?’ का उत्तर किसमें खोज रहे थे?
उत्तर:
रवींद्रनाथ टैगोर ‘सौंदर्य क्या है’ का उत्तर पुस्तक में खोज रहे थे।

प्रश्न 6.
डॉक्टर ने महिला को कैसे पुनः जीवन प्रदान किया?
उत्तर:
डॉक्टर ने महिला का ऑपरेशन किया और उसकी देखभाल करके उसे पुनः जीवन प्रदान किया।

लघु कथाएँ परिचय प्रश्न

प्रश्न 1.
लघुकथा के स्वरूप और विकास का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
लघुकथा हिंदी साहित्य की सबसे नई विधा है। यह विधा बड़ी तेजी से विकसित हो रही है। आज छोटी और बड़ी अनेक पत्र-पत्रिकाएँ लघुकथाओं को प्रकाशित कर रही हैं। बड़े-बड़े स्थापित कहानीकार भी लघुकथा लेख के प्रति अपनी अभिरुचि व्यक्त कर रहे हैं। आज के व्यस्तताभरे युग में पाठक को लंबी कहानी पढ़ने का न तो समय है और न उनमें वैसी मानसिकता। इसीलिए कम समय में जीवन का संदेश या निष्कर्ष देने वाली लघुकथा अति अनुकूल होने के कारण आज बड़ी तेजी से विकसित हो रही हैं। उनमें भाषा और शिल्प की नवीनता एवं सरसता दिखाई देती है।

लघुकथा का उद्भव और विकास-लघुकथा का उद्भव 1901 में माधवराव सप्रेम द्वारा लिखित ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ से माना जा सकता है। यह हिंदी की पहली लघुकथा के रूप में चर्चित हुई। तब से लेकर आज तक सैकड़ों रचनाकारों ने लघुकथा की रचनात्मक शक्ति को उभारने का प्रयत्न किया है। वरिष्ठ कहानीकार विष्णु नागर के तीन लघुकथा-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी भूमिका में नागरजी ने स्वीकार किया है कि जयशंकर प्रसाद, सुदर्शन, उपेंद्रनाथ अश्क आदि जैसे कथाकार पहले से ही लघुकथा लिख रहे थे। यह अलग बात है कि उस समय लघुकथा का नामकरण नहीं हुआ था। सन् 1972-73 में कई प्रांतों से लघुकथाओं के संकलन प्रकाशित हुए, जिनके माध्यम से लघुकथा के स्वरूप को निर्धारित करने का प्रयास हुआ।

लघुकथा का स्वरूप-विगत तीन-चार दशकों में विभिन्न पत्रिकाओं के लघुकथा विशेषांक प्रकाशित हुए। इन पत्रिकाओं में इस विधा को नए कथ्य और शिल्प से मंडित किया गया। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित चित्रा मुद्गल का लघुकथा-संग्रह ‘बयान’ बहुचर्चित हुआ। आज हिंदी की प्रतिष्ठित लघुकथा के मर्म और धर्म रूपांतरित हो रहे हैं। अभी उसके स्वरूप का निर्धारण होना शेष है।

चूँकि लघुकथा साहित्य की नवीनतम विधा है इसलिए इसके लिए एक नए आलोचना-शास्त्र की आवश्यकता है। अभी तक लघुकथाकार ही अपनी रचनाओं की समीक्षा करते थे, किंतु अब इस विधा के लिए आलोचना दृष्टियाँ निश्चित हो रही हैं। समीक्षकों ने लघुकथाओं को दो भागों में विभाजित कर दिया है-(1) व्यावसायिक, (2) अव्यावसायिक। व्यावसायिक लघुकथाओं में व्यंग्यात्मकता मुख्य होती है। जबकि अव्यावसायिक लघुकथाओं में समसामयिक विषयानुभूति और कलात्मक यथार्थता होती है। लघुकथा में प्रभावात्मकता और अभिव्यंजना होना वांछनीय है।

लघु कथाएँ पाठ का सारांश

प्रश्न 2.
‘दूध का मूल्य’ और ‘शब्द और अनुभूति’ लघुकथाओं का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘दूध का मूल्य’ का सार-एक असहाय बालक अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए घूम-घूमकर छोटी-मोटी चीजें बेचता है। एक दिन वह भूख-प्यास और तेज गर्मी से व्याकुल होकर एक पेड़ के नीचे बैटकर सोचने लगता है कि यदि जीना है, तो रोटी माँगकर खानी होगी। उसने एक दरवाजा खटखटाया। एक स्त्री ने दरवाजा खोला और पूछा-“क्या है?” – स्त्री को सामने देखकर उसका आत्मसम्मान जाग उठा। उसने उससे केवल पानी माँगा। महिला ने उसे एक गिलास दूध दे दिया दूध पीकर बोला, “इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा।”

बहुत वर्षों के बाद वह महिला बीमार होकर राजधानी के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए पहुँची। डॉक्टर के सामने उस महिला रोगी के कागजात लाए गए। डॉक्टर को उसके शहर का नाम बताया गया। कुछ दिन के बाद वह महिला ठीक हो गई। ठीक होने के बाद उसने बिल माँगा, तो उसे एक लिफाफा दिया गया। उसमें एक चिट्ठी थी। उसमें लिखा था-“बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका एक गिलास दूध।” नीचे हस्ताक्षर थे-आपका दूधवाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है।

शब्द और अनुभूति का सार-रवींद्रनाथ टैगोर यह जानने के लिए पुस्तक पढ़ रहे थे कि सौंदर्य क्या है? आधी रात बीत जाने पर भी वे समझ नहीं पा रहे थे कि सौंदर्य क्या है। ऊबकर मोमबत्ती की रोशनी बुझा दी। मोमबत्ती बुझाते ही चंद्रमा की चाँदनी दरवाजे और खिड़की से कमरे में घुस गई। सारा वातावरण प्रकाशमय हो उठा। खिड़की से बाहर देखा तो उन्हें लगा कि चाँद जैसे कह रहा हो, “मैं बहुत देर से तुम्हें याद कर रहा था।”

ठंडी हवा का झोंका आया और उनका तन-बदन चाँदनी में नहा गया। टैगोर इस प्राकृतिक दृश्य को देखकर इतने अभिभूत हो गए कि उनके मुख से निकल पड़ा कि-‘यह है सौन्दर्य ।’ वे कमरे से बाहर निकलकर चाँदनी की झील में उतर पड़े। उनकी समझ में आया कि सौंदर्य अनुभव की वस्तु है। मनःस्थिति बदलकर ही उसे पाया जा सकता है।

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लघु कथाएँ संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
महिला को सामने देखकर भूख से जूझ रहे बालक का आत्मसम्मान जाग उठा। उसने रोटी माँगने की बजाय सिर्फ प्यास बुझाने के लिए पानी माँगा। भूखे-प्यासे बालक की दशा देखकर महिला घर के भीतर गई और बालक को पीने के लिए एक गिलास दूध दे दिया। चकित बालक ने उस दयालु महिला का चेहरा देखा और बिना कुछ कहे धीरे-धीरे दूध पी लिया। उसकी आँखों में आदर और कृतज्ञता का भाव भर आया था। उसने विनम्रता से उस महिला से सवाल किया-“इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?” बालक की बात को सुनकर महिला ने कहा- “इस दूध के लिए तुम्हें कुछ भी नहीं चुकाना होगा।” हमारे बुजुर्गों ने सिखाया है कि सदाशयता के किसी काम के लिए किसी भी तरह की कीमत की अपेक्षा नहीं करना चाहिए। कृतज्ञ बालक उस महिला को सश्रद्ध निहारता चला गया। (Page20)

शब्दार्थ:

  • जूझना – संघर्ष करना।
  • आत्मसम्मान – अपनी प्रतिष्ठा का ध्यान।
  • दशा – स्थिति।
  • चकित – हैरान।
  • कृतज्ञता – उपकार मानने का।
  • विनम्रता – नम्रता के साथ।
  • सदाशयता – सद्भाव।
  • कीमत – मूल्य, दाम।
  • सश्रद्ध – श्रद्धा के साथ।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश ‘दूध का मूल्य’ लघुकथा से लिया गया है। इसमें एक ऐसे बालक का उल्लेख है कि भूख-प्यास और गर्मी से व्याकुल बालक ने जीने के लिए रोटी माँगकर खाने का निर्णय कर, एक घर का दरवाजा खटखटाया। एक महिला ने दरवाजा खोला, तो बालक का आत्मसम्मान जाग उठा। इससे उसका रोटी माँगकर । खाने का विचार बदल जाता है। उसके बदले हुए विचार को इस गद्यांश में व्यक्त किया गया है।

व्याख्या:
महिला को सामने देखकर भूख की व्याकुलता से संघर्षरत बालक का आत्मसम्मान जाग उठा। इससे माँगकर रोटी खाने का उसका इरादा बदल गया। उसने महिला से रोटी माँगने की अपेक्षा केवल अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी माँगा। भूख-प्यास से व्याकुल बालक की दयनीय स्थिति देखकर वह महिला घर के अंदर गई और बालक को देने के लिए एक गिलास दूध ले आई। उसने वह दूध से भरा गिलास बालक को दे दिया। चकित बालक ने दूध से भरा गिलास हाथ में लेकर उस दयालु स्त्री का मुख देखा और बिना कुछ बोले धीरे-धीरे दूध पी लिया।

उसकी आँखों में उस महिला के प्रति सम्मान और कृतज्ञता के भाव भर गए। उस बालक ने उस महिला से अत्यंत विनयपूर्वक प्रश्न किया कि मैं इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा? बालक की बात सुनकर महिला ने उससे कहा कि इस दूध के लिए तुम्हें कुछ भी नहीं देना पड़ेगा। हमारे बड़े-बूढ़ों ने हमें सिखाया है कि सद्भाव से किए गए किसी भी काम के लिए किसी भी प्रकार की मूल्य की आशा नहीं की जाती और न ही करनी चाहिए। क्योंकि सद्भाव के लिए किया गया काम सेवाभाव से किया जाता है। उस महिला के उपकार को मानता हुआ वह बालक उसे श्रद्धा के साथ देखता हुआ वापस चला गया।

विशेष:

  1. बालक के स्वाभिमान के साथ-साथ महिला की दयालुता का भी वर्णन हुआ है।
  2. इससे यह संदेश भी मिलता है कि मनुष्य को कृतज्ञ होना चाहिए।
  3. भाषा सरल, स्पष्ट और सुबोध है।
  4. भाषा पात्रानुकूल और भावानुकूल है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
महिला को सामने देखकर बालक में क्या परिवर्तन आया और क्यों?
उत्तर:
असहाय बालक भूख से जूझ रहा था। उसने रोटी माँगकर खाने का निर्णय करके एक घर के दरवाजे पर दस्तक दी। एक महिला ने दरवाजा खोला। महिला को देखकर बालक का निर्णय बदल गया। उसने रोटी माँगकर खाने का विचार छोड़ लघुकथाएँ दिया; क्योंकि उसका आत्मसम्मान जाग उठा। शायद उसने सोचा कि यदि उसने एक बार माँगकर रोटी खा ली, तो वह जीवन में कुछ नहीं बन पाएगा।

प्रश्न (ii)
हमारे बुजुर्गों ने हमें क्या सिखाया है?
उत्तर:
हमारे बुजुर्गों ने हमें सिखाया है कि सदाशयता के लिए किए गए किसी भी काम की किसी भी तरह की कीमत की आशा नहीं करनी चाहिए।

प्रश्न (iii)
बालक की आँखों में आवर और कृतज्ञता का भाव क्यों उभर आया?
उत्तर:
बालक भूख-प्यास से व्याकुल था। उसने गृहिणी से प्यास बुझाने के लिए एक गिलास पानी माँगा था, लेकिन गृहिणी ने उसकी दशा देखकर उसे पीने के लिए एक गिलास दूध दिया। दूध पीकर बालक ने पूछा- “मैं इसका कर्ज कैसे चुकाऊँगा?” तो महिला ने उत्तर में कहा कि तुम्हें इसका कर्ज चुकाने की आवश्यकता नहीं है। इसी कारण बालक की आँखों में महिला के प्रति आदर और कृतज्ञता का भाव उभर आया।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्त संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
बालक ने महिला से रोटी माँगने की अपेक्षा पानी का गिलास क्यों माँगा?
उत्तर:
यद्यपि बालक भूख-प्यास से व्याकुल था, किंतु महिला को सामने देखकर उसका आत्मसम्मान जाग उठा। इसलिए उसने रोटी माँगने की बजाय, सिर्फ प्यास बुझाने के लिए एक गिलास पानी माँगा।

प्रश्न (ii)
महिला ने बालक को दूध का गिलास क्यों दिया?
उत्तर:
महिला दयालु स्वभाव की थी। उसको भूखे-प्यासे बालक की दशा देखकर दया आ गई। इसलिए उसने बालक को पीने के लिए एक गिलास दूध दे दिया।

प्रश्न (iii)
बालक ने दूध पीकर महिला से क्या पूछा?
उत्तर:
बालक ने दूध पीकर महिला से पूछा कि “इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?”

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प्रश्न 2.
नया जीवन पाकर महिला बहुत खुश थी। उसने अस्पताल के स्टाफ से भुगतान के लिए बिल माँगा। तो कुछ देर बाद उसके हाथ में एक लिफाफा आया। भारी बिल की आशंका से महिला का दिल धड़क-सा रहा था। लिफाफा खोलते ही उसमें एक चिट्ठी मिली जिसमें लिखा था-“बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका, एक गिलास दूध।” नीचे हस्ताक्षर थे-आपका दूधवाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है। (Page 20)

शब्दार्थ:

  • स्टाफ – कर्मचारी।
  • भारी बिल – भुगतान हेतु बड़ी राशि।
  • दिल धड़कना – हृदय का तेज गति से चलना।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश ‘दूध का मूल्य’ लघुकथा से लिया गया है। वह महिला एक गंभीर रोग से पीड़ित होकर राजधानी के एक अस्पताल में उपचार कराने पहुंची। डॉक्टर ने महिला को स्वस्थ कर दिया। वह महिला नया जीवन पाकर प्रसन्न थी। उसने अस्पताल से बिल माँगा। इसके बाद की घटना का उल्लेख इस गद्यांश में किया गया है।

व्याख्या:
गंभीर रोग से पीड़ित महिला डॉक्टर के समुचित उपचार से. एकदम स्वस्थ हो गई। नया जीवन पाकर वह बहुत खुश थी। अस्पताल से घर लौटते समय उसने अस्पताल के कर्मचारी से हिसाब-किताब का ब्यौरा माँगा ताकि उसका भुगतान किया जा सके। कुछ देर के बाद अस्पताल के कर्मचारी ने उसके हाथ में एक लिफ़ाफा दे दिया। अत्यधिक देयराशि की आशंका से महिला का हृदय तेजी से धड़कने लगा था। उसने लिफ़ाफा खोला, तो उसे बिल के स्थान पर एक पत्र मिला। उस पत्र में लिखा था-“बिल का भुगतान तो बरसों पहले हो चुका, एक गिलास दूध।” “अर्थात् वर्षों पहले आपने एक भूखे-प्यासे बालक को एक गिलास दूध पिलाकर इस बिल का भुगतान कर दिया था। उस पत्र के नीचे हस्ताक्षर था आपका दूधवाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है।” इस प्रकार उस बालक ने एक गिलास दूध का मूल्य चुकाया।

विशेष:

  1. मनुष्य को अपने ऊपर किए गए छोटे-से उपकार को नहीं भूलना चाहिए। अवसर प्राप्त होते ही उपकारी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना सच्ची मानवता है।
  2. भाषा सरल, स्पष्ट और सुबोध है। भाषा में कसावट है।
  3. भाषा पात्रानुकूल व भावानुकूल है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
‘दूध का मूल्य’ कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
“दूध का मूल्य’ कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य को अपने ऊपर किए गए छोटे-से उपकार को भी नहीं भूलना चाहिए। अवसर प्राप्त होते ही उपकारी के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना ही सच्ची मानवता है।

प्रश्न (ii)
बालक ने ‘दूध का मूल्य’ किस प्रकार चुकाया?
उत्तर:
बालक को दूध का गिलास पिलाने वाली महिला गंभीर रोग से पीड़ित होकर, उस अस्पताल में पहँची, जहाँ वह बालक डॉक्टर था। उसने महिला को पहचान लिया। उसने उस महिला का ऑपरेशन करके नया जीवन दिया। उस डॉक्टर बने बालक ने उस महिला से अस्पताल का बिल नहीं लिया। इस प्रकार उसने ‘दूध का मूल्य’ चुकाया।

प्रश्न (iii)
महिला के खुश होने का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महिला गंभीर रोग से पीड़ित थी। स्थानीय डॉक्टरों ने राजधानी के विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज एवं ऑपरेशन कराने का परामर्श दिया। उसे बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने उस महिला का ऑपरेशन करके उसे स्वस्थ कर दिया। वह नया जीवन पाकर अत्यंत खुश थी।

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प्रश्न (i)
महिला का दिल किस आशंका से धड़क-सा रहा था?
उत्तर:
महिला को अस्पताल में नया जीवन मिला था। वह बहुत खुश थी। उसने अस्पताल के स्टाफ से भुगतान करने के लिए बिल माँगा, तो भारी बिल की आशंका से महिला का दिल धड़क रहा था।

प्रश्न (ii)
महिला को हाथ में बिल के स्थान पर क्या मिला था?
उत्तर:
महिला के हाथ में बिल के स्थान पर एक लिफाफा दिया गया था। उस लिफाफे में एक पत्र था, जिसमें लिखा था कि ‘बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका, एक गिलास दूध।’ नीचे हस्ताक्षर थे, आपका दूधवाला बच्चा, जो आज एक डॉक्टर है।

प्रश्न 3.
ठंडी हवा का झोंका आया और उनका तन-बदन चाँदनी में नहा गया। इस प्राकृतिक मनोहारी सौंदर्य को देख वे इतने अभिभूत हो गए कि उनके मुख से अकस्मात् निकल पड़ा कि-‘यह है सौंदर्य!’ वे कक्ष से बाहर निकल छत पर आ गए। उन्हें लगा जैसे वे चाँदनी की झील में उतर गए हों। अब समझ में आया कि शब्द तो माध्यम हैं मुख्य बात तो अनुभव की है, जिससे गुजरना होता है। केवल शब्द पर ठहरकर अनुभूति नहीं होती। इसलिए यात्रा के आरंभ में शब्द अवश्य हैं, पर अंत नहीं हो सकते। अंत में अनुभव काम आएगा और यही सिद्धांत जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है। (Page 20)

शब्दार्थ:

  • मनोहारी सौंदर्य – मन को हरने वाली सुंदरता।
  • अभिभूत – डूबना, संलग्नता।
  • अकस्मात् – अचानक।
  • कक्ष – कमरा।
  • अनुभूति – अनुभव, परिज्ञान।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश ‘शब्द और अनुभूति’ लघुकथा से लिया गया है। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जानना चाहते थे कि सौंदर्य क्या है? इसके लिए वे बहुत देर तक पुस्तक पढ़ते रहे, लेकिन उन्हें यह ज्ञात नहीं हो सका कि सौंदर्य क्या है। उन्होंने मोमबत्ती बुझा दी, तो पूर्णिमा के चंद्रमा की चाँदनी कमरे में घुस गई। उन्हें ज्ञात हुआ कि सौंदर्य क्या है। इस सौंदर्य के ज्ञात होने की प्रक्रिया का वर्णन ही इस गद्यांश में किया गया है।

व्याख्या:
ठंडी हवा का एक झोंका आया और टैगोर का पूरा शरीर पूर्णिमा के चाँद की चाँदनी में सराबोर हो गया। वे मन को हरने वाली प्रकृति की इस सुंदरता को देखकर, उसकी सुंदरता में इतने डूब गए कि अचानक उनके मुँह से निकल गया कि यही सौंदर्य है। उन्हें लगा कि यही वह सौंदर्य है, जिसे वे जानने के लिए व्याकुल थे। वे इस प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के लिए अपने कमरे से निकलकर खुली छत पर आ गए। छत पर आने पर उन्हें अनुभव हुआ जैसे, वे चाँदनी की झील में उतर गए हों। अब उनकी समझ में आया कि सौंदर्य को व्यक्त करने के लिए शब्द तो साधन मात्र हैं।

मुख्य बात तो सौंदर्य को अनुभव करने की होती है। विना अनुभव के सौंदर्य को नहीं जाना जा सकता। केवल शब्दों में पड़कर सौंदर्य का अनुभव नहीं हो सकता। अतः सौंदर्य को जानने की यात्रा के प्रारंभ शब्द अवश्य हैं, किंतु वे इसका अंत नहीं बन सकते। अंत में तो केवल अनुभव ही काम आता है। अनुभव के अभाव में सौंदर्य को नहीं जाना जा सकता और यही सिद्धांत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में लागू होता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भी अनुभव ही काम आता है।

विशेष:

  1. सौंदर्य अनुभव की वस्तु है और प्रकृति से तादात्म्य हुए बिना उसे नहीं जाना जा सकता। कथाकार ने यह तथ्य बड़े तार्किक ढंग से समझाया है।
  2. सौंदर्य को मनःस्थिति बदलकर ही पाया जा सकता है।
  3. भाषा परिमार्जित और कसावट लिये हुए है।
  4. भाषा भावानुकूल है।

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प्रश्न (i)
रवींद्रनाथ टैगोर किस सौंदर्य को देखकर अभिभूत हो गए?
उत्तर:
रवींद्रनाथ टैगोर यह जानना चाहते थे कि सौंदर्य क्या है। चाँदनी रात में जब वे खिड़की से बाहर झाँक रहे थे तभी एक ठंडी हवा का झोंका आया और उनका तन-बदन चंद्रमा की चाँदनी में नहा गया। इस प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर वे बड़े अभिभूत हुए और उनके मुख से अकस्मात् निकल पड़ा कि यह है सौंदर्य।

प्रश्न (ii)
शब्दों के संबंध में रवींद्रनाथ टैगोर के क्या विचार हैं?
उत्तर:
शब्दों के संबंध में रवींद्रनाथ टैगोर के विचार हैं कि शब्द तो केवल माध्यम हैं। शब्दों से सौंदर्य की अनुभूति नहीं हो सकती। यात्रा के आरंभ में शब्द अवश्य होते हैं, परंतु सौंदर्य तो अनुभव की वस्तु है, शब्दों की नहीं।

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प्रश्न (i)
कक्ष से बाहर छत पर आने पर रवींद्रनाथ टैगोर को क्या अनुभव हुआ?
उत्तर:
कक्ष से बाहर छत पर आने पर रवींद्रनाथ टैगोर को अनुभव हुआ जैसे वे चाँदनी की झील में उतर आए हैं। उनके चारों ओर प्राकृतिक मनोहारी सौंदर्य फैला हुआ था। उन्हें सौंदर्य का अनुभव हुआ।

प्रश्न (ii)
रवींद्रनाथ को सौंदर्य की अनुभूति कब हुई?
उत्तर:
रवींद्रनाथ को सौंदर्य की अनुभूति उस समय हुई जब वे चाँदनी रात में छत पर आए। छत पर ठंडी हवा के झोंके का स्पर्श तथा चाँदनी में तन-बदन का नहाना उन्हें सौंदर्य की अनुभूति करा गया।

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