MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 13 Opportunity for Youth
Opportunity for Youth Textual Exercises
Word Power
A. Match the words with their meanings.
(सुमेलित की जिए।)
Answer:
1. → (b)
2. → (C)
3. → (d)
4. → (a)
B. Use the following words in sentences of your own.
(निम्न शब्दों को वाक्यों में उपयोग कीजिए)
Answer:
dependent – They hate being dependent on their parents.
refuge – It was raining too heavily so I took refuge under the nearby shade.
credit – Your account has been credited with the amount owed.
invention – Invention of electricity changed our way of living.
setback – Falling share prices are a setback for the troubled economy.
C. Use the suffix ‘graphy’ and make five words.
(प्रत्यय ‘graphy’ से पाँच नये शब्द बनाओ)
Answer:
- Geography
- Autobiography
- Histography
- Pictography
- Cryptography.
D. Fill in the blanks using the suitable words from brackets.
[protect, instinctive, autobiography, inner, integration]
- An ………. is the story of a person’s life written by himself.
- People have the right to ……… themselves, if somebody attacks them.
- The actions which happen automatically in order to protect ourselves, are known as ……… actions.
- Happiness is an …….. state of mind.
- ……… of personality can be achieved through co-ordination of thoughts.
Answer:
- autobiography
- protect
- instinctive
- inner
- Integration.
How Much Have I Understood?
Answer these questions. (One or two sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।)
Question 1.
Why did Pt. Nehru write ‘The Discovery of India’?
(व्हाय डिड पं. नेहरू राईट ‘द डिस्कवरी ऑफ इण्डिया’?)
पण्डित नेहरू ने ‘डिस्कवरी ऑफ इण्डिया’ क्यों लिखी?
Answer:
Pt. Nehru wrote ‘Discovery of India’ because he wanted a proper reconciliation between his activity and his thought. He was engaged in the quest long before he wrote the book.
(पण्डित नेहरू रोट ‘डिस्कवरी ऑफ इण्डिया’ बिकॉज ही वॉण्टेड अ प्रॉपर रिकन्सिलिएशन बिटवीन हिज़ एक्टिविटी एण्ड हिज थॉट। ही वॉज़ एंगेज्ड् इन द क्वैस्ट लाँग बिफोर ही रोट द बुक।)
पण्डित नेहरू ने ‘डिस्कवरी ऑफ इण्डिया’ पुस्तक लिखी क्योंकि वे अपने कार्यों व विचारों में सामंजस्य लाना चाहते थे। वे पुस्तक लिखने से बहुत पहले उसकी खोज में लगे थे व उसका विचार कर चुके थे।
Question 2.
What is the role of action and thoughts in our happiness?
(व्हॉट इज़ द रोल ऑफ एक्शन एण्ड थॉट्स इन अवर हैप्पिनेस?)
हमारी खुशी में हमारे कार्यों व विचारों की क्या भूमिका है?
Answer:
Happiness is achieved when thought and action are co-ordinated. Then there is no inner conflict between wish to do something and inability to act, or between thinking one way and acting in another.
(हैप्पिनेस इज़ अचीव्ड् व्हेन थॉट एण्ड एक्शन आर कोऑर्डिनेटिड। देन देयर इज नो इनर कॉन्फ्लिक्ट बिटवीन विश टू डू समथिंग एण्ड इनेबिलिटी टू एक्ट, और बिटवीन थिंकिंग वन वे एण्ड एक्टिंग इन अनअदर।)
खुशी विचार व कर्म के सामंजस्य से मिलती है। तब किसी कार्य को करने की इच्छा व उसे न कर पाने का अन्तर्द्वन्द्व नहीं होता, या एक प्रकार की सोच व दूसरे प्रकार का कार्य नहीं होता।
Question 3.
Who is the happiest man according to Pt. Nehru?
(हू इज द हैप्पिएस्ट मैन एकॉर्डिंग टू पं. नेहरू?)
पं. नेहरू के हिसाब से सबसे खुश व्यक्ति कौन है?
Answer:
According to Pt. Nehru, the happiest man is he whose thinking and action are co-ordinated.
(एकॉर्डिंग टू पं. नेहरू, द हैप्पिएस्ट मैन इज़ ही हूज थिंकिंग एण्ड एक्शन आर को-ऑर्डिनेटिड।)
पं. नेहरू के हिसाब से सबसे खुश व्यक्ति वह है जिसकी सोच व कार्य में सामंजस्य है।
Question 4.
What is needed to achieve the integration of personality?
(व्हॉट इज़ नीडेड टू अचीवद इन्टिग्रेशन ऑफ पर्सनैलिटी?)
व्यक्ति के समन्वय के लिए क्या आवश्यक है?
Answer:
Co-ordination of one’s thought and action is needed to achieve the integration of personality.
(को-ऑर्डिनेशन ऑफ वन्स थॉट एण्ड एक्शन इज़ नीडेड टू अचीव द इन्टिग्रेशन ऑफ पर्सनैलिटी।)
व्यक्ति के विचारों व कार्यों का सामंजस्य उसके व्यक्तित्व के समन्वय के लिए आवश्यक है।
Question 5.
What is the folly in which the people of every country indulge?
(व्हॉट इज़ द फॉली इन व्हिच द पीपल ऑफ एवी कण्ट्री इन्डल्ज?)
सभी देशों के लोग क्या मूर्खता करते हैं?
Answer:
People in every country indulge in the folly that their country is the greatest because they are born there.
(पीपल इन एव्री कण्ट्री इन्डल्ज इन द फॉली दैट देयर कण्ट्री इज द ग्रेटेस्ट बिकॉज़ दे आर बॉर्न देयर।)
हर देश के लोग यह सोचने की मूर्खता करते हैं कि उनका देश महान् है क्योंकि वे वहाँ जन्मे हैं।
Question 6.
What is appropriate, to seek evil in others or to find good in them? Why?
(व्हॉट इज़ एप्रॉप्रिएट, टू सीक इविल इन अदर्स और टू फाइण्ड गुड इन देम? व्हाय?)
क्या सही है, दूसरों में बुराई या अच्छाई देखना? क्यों?
Answer:
It is appropriate to find good in people rather than seeking evil in them because by this the other people would try to be good and they would feel ashamed in doing something wrong. It would therefore be profitable to ourselves as well as others.
(इट इज़ एप्रोप्रिएट टू फाइण्ड गुड इन पीपल रादर दैन सीकिंग ईविल इन दैम बिकॉज़ बाइ दिस द अदर पीपल वुड ट्राइ हूं बी गुड एण्ड दे वुड फील अशेम्ड् इन डूइंग समथिंग राँग। इट वुड देयरफोर बी प्रॉफिटेब्ल् टू अवरसेल्व्स एज़ वेल एज अदर्स।)
दूसरे व्यक्तियों में अच्छाई देखना ज्यादा अच्छा है क्योंकि इससे वे अच्छे होने का प्रयास करेंगे और कुछ बुरा करने में शर्मिन्दगी महसूस करेंगे। अतः यह हमारे व दूसरे दोनों के लिए फायदेमन्द होगा।
Question 7.
What is reading?
(व्हॉट इज़ रीडिंग?)
पढ़ना क्या है?
Answer:
Reading is getting other people’s thought. Any reading that makes one to think is useful reading.
(रीडिंग इज गेटिंग अदर पीपल्स थॉट। एनी रीडिंग दैट मेक्स वन टू थिंक इज़ यूज़फुल रीडिंग।)
पढ़ना दूसरों के विचारों का लेना है। जो पढ़ने से व्यक्ति सोचने पर मजबूर हो जाये वह ही उपयोगी है।
Question 8.
Which type of people were not liked by Pt. Nehru?
(व्हिच टाइप ऑफ पीपल वर नॉट लाइक्ड बाइ पं. नेहरू?)
किस प्रकार के लोग पं. नेहरू को पसन्द नहीं थे?
Answer:
Pt. Nehru did not like people who have no pride and ambition and are just sloppy people.
(पं. नेहरू डिड नॉट लाइक पीपल हू हैव नो प्राईड एण्ड एम्बिशन एण्ड आर जस्ट स्लॉपी पीपल्।)
पं. नेहरू को वे लोग पसन्द नहीं थे जिनमें गौरव व महत्वाकांक्षा नहीं होती तंथा वे सिर्फ लापरवाह व्यक्ति होते हैं।
Question 9.
What is the silliest pride?
(व्हॉट इज द सिलिएस्ट प्राईड?)
सबसे मूर्खतापूर्ण गर्व कौन-सा है?
Answer:
Pride of getting money is the silliest pride.
(प्राइड ऑफ गेटिंग मनी इज़ द सिलिएस्ट प्राईड।)
पैसा पाने का गर्व सबसे मूर्खतापूर्ण गर्व है।
Question 10.
What makes us great?
(व्हॉट मेक्स अस ग्रेट?)
हमें क्या महान् बनाता है?
Answer:
The mere act of aiming at something great makes one great.
(द मिअर एक्ट ऑफ एमिंग एट समथिंग ग्रेट मेक्स वन ग्रेट।)
सिर्फ महान् बनने का लक्ष्य ही व्यक्ति को महान् बनाता है।
B. Answer these questions. (Three or four sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में दीजिए।)
Question 1.
Describe the views of Pt. Nehru about calling a country good or bad?
‘(डिस्क्राइब द व्यूज ऑफ पं. नेहरू अबाऊट कॉलिंग अ कण्ट्री गुड और बैड।)
पं. नेहरू के किसी देश को अच्छा या बुरा कहने के विषय में विचारों का वर्णन कीजिए।
Answer:
Pt. Nehru thought that everybody likes one’s own country but it is wrong to imagine that one’s country is the best in the world. Every country and every people have something admirable in them. They have great achievements and also have bad periods so nobody is perfect.
(पं. नेहरू थॉट दैट एवीबडी लाइक्स वन्स ओन कण्ट्री बट इट इज़ राँग टू इमैजिन दैट वन्स कण्ट्री इज द बेस्ट इन द वर्ल्ड। एव्री कण्ट्री एण्ड एव्री पीपल् हैव समथिंग एडमिरेबल इन देम। दे हैव ग्रेट अचीवमेन्ट्स एण्ड ऑल्सो हैव बैड पीरिअड्स सो नोबडी इज़ परफेक्ट।)
पं. नेहरू सोचते थे कि हर व्यक्ति अपने देश को पसन्द करता है। मगर यह सोचना गलत है कि व्यक्ति का अपना देश दुनिया में सबसे अच्छा है। हर देश व उसके नागरिकों में कुछ-न-कुछ सराहनीय होता है। उनकी महान् उपलब्धियाँ होती हैं व बुरा समय भी होता है। अतः कोई भी सबसे अच्छा नहीं है।
Question 2.
Which quality of Mahatma Gandhi is described by Pt. Nehru? What did Mahatma Gandhi do?
(व्हिच क्वालिटी ऑफ महात्मा गाँधी इज़ डिस्क्राइब्ड बाइ पं. नेहरू? व्हॉट डिड महात्मा गाँधी डू?)
पं. नेहरू ने महात्मा गाँधी के कौन-से गुण का वर्णन किया है? महात्मा गाँधी ने क्या किया?
Answer:
Pt. Nehru described that Mahatma Gandhi had the quality of drawing out the good in another person. He somehow spotted the good in a person and laid emphasis on it. The result was that the man would try to be good and would feel ashemed on doing wrong.
(पं. नेहरू डिस्क्राइब्ड दैट महात्मा गाँधी हैड द क्वॉलिटी ऑफ ड्राइंग आऊट द गुड इन अनअदर पर्सन। ही समहाउ स्पॉटेड द गुड इन अ पर्सन एण्ड लेड एम्फसिस ऑन इट। द रिजल्ट वॉज दैट द मैन वुड ट्राइ टू बी गुड एण्ड वुड फील अशेम्ड् ऑन डूइंग राँग।)
पं. नेहरू ने महात्मा गाँधी के दूसरे में अच्छाई जाग्रत करने के गुण का वर्णन किया। वे किसी तरह एक व्यक्ति में अच्छाई ढूँढ लेते थे व उस पर जोर देते थे। परिणामतः व्यक्ति अच्छा बनने की कोशिश करता था व कुछ बुरा करने में शर्मिन्दगी महसूस करता था।
Question 3.
What should we think about according to Pt. Nehru?
(व्हॉट शुड वी थिंक अबाऊट एकॉर्डिंग टू पं. नेहरू?)
पं. नेहरू के हिसाब से हमें किस विषय पर विचार करना चाहिए?
Answer:
According to Pt. Nehru we should think of the vast opportunities that the world offers to those who are keen of mind, strong of character and fleet of foot. We should also think of the opportunities that India offers.
(एकॉर्डिंग टू पं. नेहरू वी शुड थिंक ऑफ द वास्ट अपॉर्च्युनिटीज दैट द वर्ल्ड ऑफर्स टु दोज़ हू आर कीन ऑफ माइन्ड, स्ट्राँग ऑफ कैरेक्टर एण्ड फ्लीट ऑफ फुट। वी शुड ऑल्सो थिंक ऑफ द अपॉर्च्युनिटीज़ दैट इण्डिया ऑफर्स।)
पं. नेहरू के हिसाब से हमें विश्व के उन विशाल अवसरों के बारे में सोचना चाहिए जो उन लोगों को उपलब्ध हैं जो दिमाग से तेज हैं, चरित्रवान तथा द्रुतगामी हैं। हमें उन अवसरों के विषय में भी सोचना चाहिए जो भारत हमें प्रदान करता है।
Question 4.
How should our engineers and other technicians be trained?
(हाउ शुड अवर एन्जिनियर्स एण्ड अदर टेक्निशियन्स बी ट्रेन्ड?)
हमारे अभियान्त्रिकों व तकनीकी विशेषज्ञों को किस प्रकार प्रशिक्षित किया जाना चाहिए?
Answer:
Our engineers and technicians need to be trained in two ways. They must be trained in mind, and have some vision and understanding of the world picture. Then they must be trained in particular jobs which they can do well, whether it be science or engineering or medicine or education.
(आवर एन्जिनियर्स एण्ड टेक्निशियन्स नीड टू बी ट्रेन्ड इन टू वेज़। दे मस्ट बी ट्रेन्ड इन माइन्ड, एण्ड हैव सम विज़न एण्ड अण्डरस्टैण्डिंग ऑफ द वर्ल्ड पिक्चर। देन दे मस्ट बी ट्रेन्ड् इन पर्टिक्यूलर जॉब्स व्हिच दे कैन डू वेल, वैदर इट बी साइन्स और एन्जिनियरिंग और मेडिसिन और एजुकेशन।)
हमारे अभियान्त्रिकों व तकनीकी विशेषज्ञों को दो प्रकार से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्हें मानसिक रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए व उनमें दुनिया की समझ होनी चाहिए। उसके पश्चात उन्हें किसी कार्य विशेष में प्रशिक्षित करना चाहिए जिसमें कि वे निपुण हो सकें चाहे वह विज्ञान हो, अभियान्त्रिकी हो, चिकित्सा हो अथवा शिक्षा हो।
Question 5.
Discuss the importance of pride and ambition in youth.
(डिसकस द इम्पॉर्टेन्स ऑफ प्राइड एण्ड एम्बिशन इन यूथ।)
जवानों में गर्व व महत्वाकांक्षा के महत्व की चर्चा कीजिए।
Answer:
Pride and ambition in youth is important to do something worthwhile and big. Pride should consist in doing a job in the best possible manner and one can become great if he has great ambition. Aiming at something big makes one big.
(प्राईड एण्ड एम्बिशन इन यूथ इज इम्पॉर्टेन्ट टू डू समथिंग वर्थव्हाइल एण्ड बिग। प्राईड शुड कन्सिस्ट इन डूइंग अ जॉब इन द बेस्ट पॉसिब्ल मैनर एण्ड वन कैन बिकम ग्रेट इफ ही हैज़ ग्रेट एम्बिशन। एमिंग एट समथिंग बिग मेक्स वन बिग।)
गर्व व महत्वाकांक्षा जवानों के लिए महत्वपूर्ण है। उसी के कारण वे कुछ बड़ा व महत्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं। अपने कार्य को सबसे बेहतर तरीके से करना ही गर्व को दर्शाता है व कोई व्यक्ति महान् तभी बन सकता है जब उसकी वैसी ही महत्वाकांक्षा हो। कोई बड़ी महत्वाकांक्षा ही बड़ा बना सकती है।
Question 6.
How have the people who have achieved greatness become so? Explain.
(हाउ हैव द पीपल हू हैव अचीव्ड ग्रेटनेस बिकम सो? एक्सप्लेन?)
जो व्यक्ति महान् हैं वे वहाँ कैसे पहुंचे हैं? समझाइए।
Answer:
The people who have achieved greatness became so because apart from having some virtue and ability they had some ambition and pride. They had high ambition and tried to do big things.
(द पीपल हू हैव अचीव्ड् ग्रेटनेस बिकेम सो बिकॉज़ अपार्ट फ्रॉम हैविंग सम वर्दू एण्ड एबिलिटी दे हैड सम एम्बिशन एण्ड प्राइड। दे हैड हाइ एम्बिशन एण्ड ट्राइड टू डू बिग थिंग्स।)
जिन व्यक्तियों ने महानता हासिल की है वह इसीलिए क्योंकि उनमें काबिलियत के अलावा महत्वाकांक्षा व गर्व भी था। उनमें उच्च महत्वाकांक्षा थी और उन्होंने बड़े कार्य करने की कोशिश की।
Language Practice
Put the verbs in present perfect or past simple as required.
(रिस्त स्थान भरो।)
- I was very tired, so I ………. down on the bed and went to sleep. (lie)
- Anuj ………. me his address but I’m afraid 1 ……… it. (give, lose).
- Is Abhilasha still here? No, she ……… out. (just go)
- (a)Look! somebody ……… (spill) coffee on the carpert.
(b) Well, it ……….(not/be) me. I ………. it. (not/do) - What do you think of my English? Do you think I ……? (improve)
- I wanted to phone Pallav last night but I ……… (forget).
Answer:
- lied
- gave, lost
- just went
- (a) has spilled, (b) is not, have not done
- have improved
- forgot
Listening Time
The teacher will read aloud the following words with proper pronunciation and the students will repeat them
(निम्न शब्दों को दोहशओ।)
Answer:
The teacher will read the given passage and students will listen to it. There are two columns under the passage. Students will tick (✓) the words that they listen.
(गद्यांश में आये शब्द चिह्नित करे।)
Answer:
Speaking Time
You visited a fair last month. Describe to the class.
Answer:
I visited my village fair last month. My village is near Indore. I visited there during my summer holidays in June. There were a great variety of shops of toys, clothes, sports etc. All kinds of toys were available. There were also showrooms of electrical and electronics items. There were also shops of vehicles at discount rates and modern variety of furniture was also available. There were a large number of swings and merry-go-rounds. Children were enjoying there a lot. We also sat on a swing. It was an enjoyable ride. There was also a magic show by a renowned magician. There was large crowd in it. Children were clapping and shouting on his magic tricks. There were many stalls of snacks and various other eatables. They were quite clean, covered and hygienic. Also, the taste of the eatables was too good. I liked the fruit chat and bhelpuri a lot. The fruits were too fresh and the chat was spicy. I really enjoyed the fair and didn’t want to come home.
Writing Time
Read the given passage and make notes in your notebook.
(दिये गये गद्यांश को पढ़ो व नोट्स बनाओ।)
Answer:
Law-making in Britain
1. Proposal of Laws :
- Start in House of Lord or Commons
- Proposed by Govt.
2. Passing of Bill :
- Proposal of bill
- Act of Parliament
- Bill rejected govt. resigns
- No Vote-Committee stage
- Reported to the House
- Report stage
- Passed Bill to Other House
3. Royal Assent of passed Bill
4. Becomes law
Things to do
Find out how Bills are introduced in the Indian Parliament and finally become law. Write all the stages in your project file and develop a flow chart. Take the help of your teacher of social studies.
Answer:
Law-making in India
The basic function of Parliament is to make laws. All legislative proposals have to be brought in the form of Bills before Parliament. A Bill is a statute in draft and cannot become law unless it has received the approval of both the Houses of Parliament and the assent of the President of India.
The process of law making begins with the introduction of a bill in either House of Parliament. A bill can be introduced either by a minister or a member other than a minister. In the former case, it is called a government bill and in the latter case, it is known as a private member’s bill.
A bill undergoes three readings in each House, i.e., the Lok Sabha and the Rajya Sabha before it is submitted to the President for assent.
After a bill has been finally passed by the Houses of Parliament, it is submitted to the President for his assent. After a bill has received the assent of the President, it becomes the law.
Flow Chart :
Opportunity for Youth Difficult Word Meanings
Opportunity for Youth Summary, Pronunciation & Translation
You know that I once wrote a book called The Discovery of India. I was engaged in that quest long before I wrote that book. It was not mere curiosity that led me to that quest. I was engaged in many activities and I wanted a proper reconciliation between my activity and my thought. Thought without action is abortion. Action without thought is folly.
Of course, we sometimes act on some impulse or irrepressible urge. If suddenly you throw a brick at me and my hand goes up to protect myself, it is an automatic, instinctive action and not a result of deliberate thought. Our living is conditioned by a series of automatic actions from morning till night. Anything we do outside that common range of actions, however, has to be preceded by some measure of thinking. The more action and thought are allied and integrated, the more effective they become and the happier you grow. There will then be no inner conflict between wish to do something and inability to act, or between thinking one way and acting in another. The happiest man is he whose thinking and action are co-ordinated.
(यू नो दैट आई वन्स रोट अ बुक कॉल्ड द डिस्कवरी ऑफ इण्डिया. आई वॉज एन्गेज्ड इन दैट क्वेस्ट लॉन्ग बिफोर आई रोट दैट बुक. इट वॉज़ नॉट मेअर क्यूरिऑसिटी दैट लेड मी टू दैट क्वेस्ट. आई वॉज एन्गेज्ड इन मैनी एक्टिविटीज़ ऐण्ड आई वाण्टिड अ प्रॉपर रीकन्सिलिएशन बिटवीन माई एक्टिविटी ऐण्ड माई थॉट. थॉट विदाऊट ऐक्शन इज़ अबॉरशन. ऐक्शन विदआऊट थॉट इज फॉली.
ऑफ कोर्स, वी समटाईम्स ऐक्ट ऑन सम इम्पल्स ऑर इरेप्रिसिबल अर्ज. इफ सडन्ली यू थ्रो अब्रिक ऐट मी ऐण्ड माई हैण्ड गोज अप टू प्रोटेक्ट माईसेल्फ, इट इज ऐन ऑटोमेटिक, इन्सटिंक्टिव ऐक्शन ऐण्ड नॉट अ रिजल्ट ऑफ डेलिबरेट थॉट. आवर लिविंग इज कन्डीशन्ड बाई ऐक्शन्स फ्रॉम मॉर्निंग टिल नाईट. एनीथिंग वी डू आऊटसाइड दैट कॉमन रेंज ऑफ ऐक्शन्स, हाऊएवर, हैज टू बी प्रिसीडिड बाई सम मैजर ऑफ थिंकिंग. द मोर ऐक्शन ऐण्ड थॉट आर एलाईड ऐण्ड इंटिग्रेटिड, द मोर इफेक्टिव दे बिकम ऐण्ड द हैप्पियर यू ग्रो. देयर बिल देन बी नो इनर कन्फ्लिक्ट बिटवीन विश टू डू समथिंग ऐण्ड इन्ऐबिलिटी टू ऐक्ट, और बिटवीन थिंकिंग वन वे ऐण्ड ऐक्टिंग इन अनदर. द हैप्पियस्ट मैन इज़ ही हूज थिंकिंग ऐण्ड ऐक्शन ऑफ कोऑर्डिनेटिड।
अनुवाद :
तुम्हें मालूम होगा कि मैंने एक पुस्तक लिखी थी ‘भारत की खोज’. वो पुस्तक लिखने से काफी पहले से मैं इस खोज में लगा था। और इस खोज का कारण केवल जिज्ञासा नहीं थी। मैं कई प्रकार के क्रियाकलापों में व्यस्त था और मैं : अपने क्रियाकलापों एवं विचारों में एक उचित सामंजस्य चाहता था। बिना क्रिया के विचार निष्फल होता है और विचार के बिना क्रिया मूर्खता।
यह सत्य है कि हम कभी-कभी क्षणिक आवेग में या किसी तीव्र न दबाए जा सकने वाले इच्छा के अनुसार कार्य करते हैं। यदि अचानक तुम मेरी तरफ कोई पत्थर फेंको तो मेरा हाथ स्वतः ही स्वयं को बचाने से लिए उठेगा। यह एक स्वाभाविक सहज-ज्ञान प्रेरित क्रिया है, किसी सोचे-समझे विचार का परिणाम नहीं। सुबह से रात तक प्रतिदिन हम कितनी ही ऐसी स्वाभाविक क्रियाएँ करते हैं। इन साधारण स्वाभाविक क्रियाओं से इतर यदि हम कुछ भी करते हैं तो उससे पूर्व उसमें कुछ मात्रा में सोच-विचार अवश्य होता है। जितना अधिक कार्य एवं विचार सम्बद्ध व एकीकृत होंगे उतना ही अधिक असरकारक होंगे और आप उतने ही खुश। तब किसी प्रकार का अन्तर-विरोध नहीं होगा किया कार्य को करने की आपकी इच्छा में और उसको कार्य रूप में परिणत करने की अक्षमता में या फिर सोच और क्रिया में अन्तर होने पर। सबसे प्रसन्न व्यक्ति वो है जिसके विचार एवं क्रियाएँ समन्वित हैं।
Happiness, after all, is an inner state of mind. It is little dependent on outside environment. Happiness has very little to do, for instance, with whether you are rich or not rich. Some of the most miserable persons I have come across in my life are the rich people. It is true that poverty makes one miserable in a very acute way. But my point is that it is not wealth but co-ordination of one’s thought and action which removes inner conflicts. It is in that way that integration of personality is achieved.
(हैप्पिनेस, आफ्टर ऑल, इज ऐन इनर स्टेट ऑफ माईण्ड., इट. इज लिटल डिपेण्डेण्ट ऑन आऊटसाइड एन्वायरमेण्ट. हैप्पिनेस हैज़ वेरी लिटल टू डू, फॉर इन्स्टेन्स, विद वेदर यू आर रिच ऑर नॉट रिच. सम ऑफ द मोस्ट मिजरेबल पर्सन्स आई। हैव कम अक्रॉस इन माई लाईफ ऑर द रिच पीपल. इट इज ट्र दैट पॉवर्टी मेक्स वन मिज़रेबल इन अ वेरी एक्यूट वे. बट माई पॉईण्ट इज दैट इट इज़ नॉट वेल्थ बट कोऑर्डिनेशन ऑफ वन्स थॉट ऐण्ड ऐक्शन व्हिच रिमूव्ज़ इनर कन्फ्लिक्ट्स इट इज़ इन दैट वे दैट इण्टिग्रेशन ऑफ पर्सनैलिटी इज़ अचीव्ड.)
अनुवाद :
प्रसन्नता आखिर हमारे मन की एक आन्तरिक स्थिति है। यह बाहर के हालात पर निर्भर नहीं है। उदाहरण के लिए प्रसन्नता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आप धनी हैं या नहीं। कुछ सबसे ज्यादा दयनीय दुखी व्यक्ति जो मेरे सामने मेरे जीवन में आए वे धनी लोग थे। यह सत्य है कि गरीबी किसी को बहुत ही ज्यादा दयनीय, दीन स्थिति में ला देती है। परन्तु मेरा आशय है कि धन नहीं वरन विचारों एवं क्रियाओं का समन्वय हमारे अन्तर विरोधों को दूर करता है। इस तरह से ही हमारे व्यक्तित्व का एकीकरण हो पाता है।
We were engaged, as you know, in a very great movement in India. Because that movement was intimately concerned with the freedom of India, I was led to wonder what exactly India is. I knew, of course, the geography of India. I knew many other odd facts about India, too. I was not prepared to accept it on faith that because I was born in India, therefore India was the greatest country in the world. That is the kind of folly in which the people of every country indulge.
There are quite enough people in India who think that India is obviously the greatest country. In the days when we were politically subject and could not take much pride in our political condition, we prided ourselves on our spiritual greatness. Having nothing else to get hold of we took refuge in spirituality.
(वी वर एन्गेज्ड, ऐज़ यू नो, इन अ वेरी ग्रेट मूवमेण्ट इन इण्डिया. बिकॉज दैट मूवमेंट वॉज़ इंटिमेटली कन्सर्ट्स विद द फ्रीडम ऑफ इण्डिया, आई वॉज़ लेड टू वण्डर व्हॉट एक्जैक्टली इण्डिया इज. आई न्यू, ऑफ कोर्स, द ज्यॉग्राफी ऑफ इण्डिया. आई न्यू मैनी अदर ऑड फैक्ट्स अबाउट इण्डिया, टू. आई वॉज़ नॉट प्रिपेअर्ड टू एक्सेप्ट इट ऑन फेथ दैट बिकॉज़ आई वॉज़ बॉर्न इन इण्डिया, देयरफोर इण्डिया वॉज़ द ग्रेटेस्ट कंट्री इन द वर्ल्ड. दैट इज़ द काईण्ड ऑफ फॉली इन व्हिच द पीपल ऑफ एवरी कंट्री इन्डल्ज।
देयर आर क्वाईट एनफ पीपल इन इण्डिया हू थिंक दैट इण्डिया इज़ ऑबविअसली द ग्रेटेस्ट कंट्री. इन द डेज़ व्हेन वी वर पॉलिटिकली सब्जेक्ट ऐण्ड कुड नॉट टेक मच प्राइड इन आवर पॉलिटिकल कन्डीशन, वी प्राइडिड आवरसेल्व्स ऑन आवर स्पिरिचुअल ग्रेटनेस. हैविंग नथिंग एल्स टू गैट होल्ड ऑफ वी टुक रिफ्यूज इन स्पिरिटुएलिटी.)
अनुवाद :
हम लोग बहुत महान आंदोलन में व्यस्त थे। क्योंकि वह आंदोलन भारत की आजादी से बहुत घनिष्ठ रूप से संबंधित था, इससे मैं इस सोच में पड़ गया कि भारत आखिर है क्या। मैं भारत का भूगोल तो जानता था। इसके अतिरिक्त मैं और भी बहुत से तथ्य जानता था भारत के बारे में। मैं केवल आस्था के आधार पर यह स्वीकार करने को तैयार नहीं था कि क्योंकि मैं भारत में जन्मा हूँ इसलिए भारत दुनिया का महानतम देश है। इस प्रकार की गलती या मूर्खता सभी देशों के लोग करते हैं। भारत में काफी सारे लोग हैं जो यह सोचते हैं कि भारत निश्चित रूप से दुनिया का महानतम देश है। जिन दिनों हम राजनैतिक रूप से पराधीन थे और अपनी राजनैतिक दशा पर गर्व नहीं कर पाते थे, उन दिनों में हम अपनी आध्यात्मिक श्रेष्ठता पर गर्व करते थे। कुछ और न होने पर हमने आध्यात्मिकता में आश्रय ढूँढ़ा।
If you go to other countries. I shall not name them as I do not wish to cause offence-you will find the people there think that their country is the chosen country, the torch bearer of civilization, the most advanced country, the most revolutionary country, the country with the biggest buildings, the country with something unique, some mission or the other. It is natural for one to like one’s own country and one’s own people. It would be unnatural not to do so. It is good to be a little proud of one’s own country. But it is wrong to start imagining that we are the highest and the best in the world. The fact is that every country and every people have admirable points about them; they have great achievements to their credit, and they have also bad periods in their history. This applies not to countries only but to individuals also. Nobody is perfect; he has weaknesses and failings. Nobody is thoroughly bad either. We are all mixtures of good and evil. But we should try to further the good in ourselves and in others.
(इफ यू गो टू अदर कन्ट्रीज-आई शैल नॉट नेम देम ऐज़ आई डू नॉट विश टू कॉज ऑफेन्स-यू विल फाइण्ड द पीपल देयर थिंक दैट देयर कंट्री इज द चोज़न कंट्री, ट टॉर्च बीयरर ऑफ सिविलाइजेशन, द मोस्ट एडवान्स्ड कंट्री, द मोस्ट रिवोल्यूशनरी कंट्री, द कंट्री विद द बिगेस्ट बिल्डिंग्स, द कंट्री विद समथिंग यूनीक, सम मिशन और द अदर। इट इज़ नैचुरल फॉर वन टू लाइक वन्स ओन कंट्री ऐण्ड वन्स ओन पीपल. इट वुड बी अननैचुरल नॉट टू डू सो. इट इज़ गुड टू बी अ लिटल प्राउड ऑफ वन्स ओन कंट्री। बट इट इज़ रॉन्ग टू स्टार्ट इमैजिनिंग दैट वी आर द हाईएस्ट एण्ड द बेस्ट इन द वर्ल्ड. द फैक्ट इज दैट एवरी कंट्री ऐण्ड एवरी पीपल हैव एडमिरेबल पॉईण्ट्स अबाउट दैम, दे हैव ग्रेट अचीवमेण्ट्स टू देयर क्रेडिट एण्ड दे हैव ऑल्सो बैड पीरियड्स इन देयर हिस्ट्री. दिस अप्लाईज़ नॉट टु कंट्रीज़ ओनली बट टू इंडिविजुअल्स ऑल्सो. नोबडी इज़ परफैक्ट; ही हैज वीकनेसेस एण्ड फेलिंग. नोबडी इज थॉरोली बैड आईदर. वी आर ऑल मिक्सचर्स ऑफ गुड एण्ड ईविल. बट वी शुड ट्राय टू फर्दर द गुड इन आवरसेल्व्ज ऐण्ड इन अदर्स.)
अनुवाद :
यदि आप अन्य देशों में जाएँ-मैं उन देशों का नाम नहीं लूंगा। क्योंकि उनका अपमान करना मेरा उद्देश्य नहीं है-आप वहाँ पाएँगे कि लोग सोचते हैं कि उनका देश है चुना हुआ (ईश्वर द्वारा या प्रकृति द्वारा), सभ्यता के ध्वज वाहक या पथ प्रदर्शक सबसे प्रगतिशील देश, सबसे क्रान्तिकारी बदलावों का देश, सबसे बड़ी, ऊँची इमारतों का देश, ऐसा देश जिसमें कुछ विशेष बात है जिसका कुछ ध्येय या मिशन है। किसी के लिए भी अपने देश और उसके लोगों को पसन्द करना स्वाभाविक है। परन्तु यह सोचना कि हम सबसे उच्च, सबसे श्रेष्ठ हैं, गलत है। सच्चाई यह है कि सभी देशों में सभी लोगों में कुछ न कुछ प्रशंसनीय बात होती है, महान उपलब्धियाँ होती हैं एवं बुरा समय भी होता है उनके इतिहास में। और यह सिर्फ देशों पर ही लागू नहीं होता वरन व्यक्तियों पर भी। कोई भी दोषहीन परिपूर्ण नहीं होता। उसमें कमजोरियों एवं कमियाँ होती हैं। कोई भी पूरी तरह से बुरा भी नहीं होता। हम सभी अच्छाई व बुराई का मिश्रण है। परन्तु हमारी कोशिश अपनी व और लोगों की अच्छाइयों को बढ़ाने की होनी चाहिए।
Most of you probably did not see Gandhiji at close quarters. He had amazing qualities. One of these qualities was that he managed to draw out the good in another person, The other person may have had plenty of evil in him. But he some how spotted the good and laid emphasis on that good. The result was that the poor man had to try to be good. He could not help it. He would feel a little ashamed when he did something wrong.
(मोस्ट ऑफ यू प्रोबैबली डिड नॉट सी गाँधीजी ऐट क्लोज क्वॉटर्स. ही हैड अमेजिंग क्वालिटीज़. वन ऑफ दीज़ क्वालिटीज़ वॉज़ दैट ही मैनेज्ड टू ड्रॉ आउट द गुड इन अनदर पर्सन. द अदर पर्सन मे हैव हैड प्लेण्टी ऑफ ईविल इन हिम. बट ही समहाऊ स्पॉटिड द गुड ऐण्ड लेड एम्फैसिस ऑन दैट गुड. द रिज़ल्ट वॉज़ देट द पूअर मैन हैड टू ट्राई टू बी गुड. ही कुड नॉट हैल्प इट. ही वुड फील अ लिटल अशेम्ड व्हेन ही डिड समथिंग रॉन्ग.)
अनुवाद :
आप में से ज्यादातर लोगों ने गाँधीजी को पास से नहीं देखा उनमें गजब की खूबियाँ थीं। ऐसी ही एक उनकी खूबी थी कि वे किसी दूसरे के भीतर से उसकी अच्छाई को बाहर निकाल लाते थे। दूसरे में बेशक बहुत-सी बुराईयाँ होंगी। परन्तु गाँधीजी किसी-न-किसी प्रकार उसकी अच्छाई को पहचान लेते गे थे और फिर उसी को महत्व देते थे। परिणाम यह होता था कि दूसरे को अच्छा होने का प्रयत्न करना ही पड़ता था। उसके पास और कोई चारा नहीं होता था। कुछ गलत कर देने पर शर्मिन्दा भी होता था।
People who always seek evil in others find it. This applies to nations as well as individuals. Go to a foreign country. You are likely to find many things that you do not like. Are you going to spend your time finding out the evil in other countries, or rather in finding out the good in them, and profiting yourself and others by your contact?
We are all much too apt to look at the evil in other individuals and countries rather than the good. Perhaps some of you know the saying in the Bible about the person who could not see the beam in his own eye and saw the mote in the other’s eye. I am sorry if you think I am rambling. But this is, I might inform you in secret, a very clever attempt to get behind your mind. I am at least being frank with you.
(पीपल हू ऑलवेज़ सीक ईविल इन अदर्स फाइण्ड इट. दिस अलाईज टू नेशन्स ऐज़ वैल ऐज़ इंडिविजुअल्स. गो टू अ फॉरन कंट्री. यू आर लाइक्ली टू फाइण्ड मैनी थिंग्स दैट यू डू नॉट लाइक. आर यू गोइंग टू स्पेन्ड यॉर टाईम फाइण्डिंग आऊट द ईविल इन अदर कंट्रीज, ऑर रादर इन फाइण्डिंग आउट द गुड इन दैम, एण्ड प्रॉफिटिंग यॉरसेल्फ ऐण्ड अदर्स बाई यॉर कॉण्टेक्ट?
वी आर ऑल मच टू एप्ट टू लुक ऐट द ईविल इन अदर इंडिविजुअल्स ऐण्ड कंट्रीज रादर दैन द गुड. परहैप्स सम ऑफ यू नो द सेइंग इन द बाईबल अबाऊट द पर्सन हू कुड नॉट सी द बीम इन हिज़ ओन आई ऐण्ड सॉ द मोट इन द अदर्स आई. आई ऐम सॉरी इफ यू थिंक आई ऐम रैम्बलिंग बट दिस इज़, आई माईट इन्फॉर्म यू इन सीक्रेट, अ वेरी क्लेवर अटेम्प्ट टु गैट बिहाइण्ड यॉर माईण्ड. आई ऐम ऐट लीस्ट बीईंग फ्रेंक विद यू.)
अनुवाद :
जो लोग हमेशा दूसरों में बुराइयाँ ढूँढ़ते रहते हैं उन्हें बुराई मिल जाती है। यह देशों व व्यक्तियों दोनों पर लागू होता है। किसी दूसरे देश में जाइए। आपको वहाँ अनेक ऐसी चीजें मिलने की सम्भावना है जो आपको पसन्द नहीं होंगी। क्या आप अपना समय यह जानने में लगाएंगे वहाँ की बुराइयाँ क्या हैं अथवा यह पता लगाने में वहाँ अच्छाइयाँ क्या हैं, और स्वयं भी लाभान्वित हों और अन्य को भी लाभ पहुँचाएँ जो आपके सम्पर्क में आएँ?
हम दूसरे व्यक्तियों और देशों की बुराइयाँ ढूँढ़ने में कुछ अधिक ही योग्य हैं बजाए उनकी अच्छाइयों के। शायद आप में से कुछ बाइबल की उस उक्ति के बारे में जानते होंगे उस व्यक्ति के बारे में जो अपने नेत्रों में सहतीर नहीं देख पाता था परन्तु दूसरे की आँख में पड़ा धूल का कण उसे दिखाई दे जाता था। मुझे क्षमा करना यदि आपको लगे कि मैं अनर्गल प्रलाप कर रहा हूँ। परन्तु मैं आपको गुप्त रूप से जानकारी दे दूँ कि यह आपके मन में झाँकने का एक चतुर प्रयास है। मैं कम से कम आपसे स्पष्ट कह रहा हूँ।
Having got the larger frame, I looked more closely at my own country and wrote The Discovery of India. In it I concentrated on my country’s past and the story of its development.
I am trying to explain to you how my thinking developed in these matters. The more I thought and the more I learnt the more I saw how little I knew and how much more there was to learn. One of my regrets today is that I have no time to pursue these studies properly by reading or thinking or writing, because writing for me is essentially an aid to thinking. In trying to write, one has to think more concisely than otherwise.
(हैविंग गॉट द लार्जर फ्रेम, आई लुक्ड मोर क्लोज़ली ऐट माई ओन कंट्री ऐण्ड रोट द डिस्कवरी ऑफ इण्डिया. इन इट आई कन्सनेट्रैटिड ऑन माई कंट्रीज पास्ट ऐण्ड द स्टोरी ऑफ इट्स डेवलपमेंट।
आई एम ट्राईंग टू एक्स्प्ले न टू यू हाउ माई थिंकिंग डेवलप्ड इन दीज़ मैटर्स. द मोर आई थॉट ऐण्ड द मोर आई लर्ट द मोर आई सॉ हाऊ लिटल आई न्यू ऐण्ड हाऊ मच मोर देयर वॉज़ टु लन. वन ऑफ माई रीग्रेट्स टुडे इज़ दैट आई हैव नो टाईम टु परस्यू दीज़ स्टडीज़ प्रॉपर्ली बाई रीडिंग ऑर थिंकिंग ऑर राइटिंग, बिकॉज़ राईटिंग फॉर मी इज़ एसेन्शियली ऐन एड टू थिंकिंग. इन ट्राईंग टू राईट, वन हैज़ टू थिंक मोर कन्साईज़ली दैन अदरवाईज.)
अनुवाद :
वृहद सोच रखने के कारण मैंने अपने देश का ही बहुत बारीकी से अध्ययन किया और ‘भारत की खोज’ पुस्तक लिखी। इसमें मैंने अपनी लेखनी को अपने देश के इतिहास एवं उसके विकास की कहानी पर केन्द्रित किया है।
मैं आपको यह समझाने का प्रयास कर रहा हूँ कि इन मामलों में मेरी सोच कैसे विकसित हुई। जितना अधिक मैंने सोचा उतना ही अधिक मैंने जाना और उतना ही अधिक मैंने देखा कि मैं कितना कम जानता था और कितना कुछ है जानने के लिए। आज मेरा एक खेद इस बात को लेकर है कि मेरे पास अब समय नहीं है इन खोजों को ठीक से जारी रखने का पठन, मनन एवं लेखन द्वारा क्योंकि मेरे लिए लेखन असल में मनन की सहायक हैं। लिखते समय व्यक्ति को कहीं अधिक स्पष्ट रूप से सोचना पड़ता है।
I suppose I must not complain of my present lot. What I would like you to do first of all is to think. Thinking is something which does not come automatically to a person. Gossiping with a neighbour is not thought. If you repeat something which somebody else has said, it is not thought. I do not expect all of you to become mighty thinkers, though some of you may. But I would like all of you to think and to develope the art of thinking.
Nothing is more helpful to thinking than reading, that is, reading intelligently, because thereby you get other people’s thoughts, and by weighing them you can think yourself. I have often said that it is very unfortunate that people think and read so little nowadays, especially in India. I do not call newspaper-reading · But any reading which makes you think is useful reading, even if it is a very good novel. Great novels always make one think, because they are pictures of life painted by great minds.
(आई सपोज़ आई मस्ट नॉट कम्प्लेन ऑफ माई प्रेजेण्ट लॉट. व्हॉट आई वुड लाइक यू टू डू फर्स्ट ऑफ ऑल इज़ टू थिंक. थिंकिंग इज़ समथिंग व्हिच डज़ नॉट कम ऑटोमैटिकली टु अ पर्सन, गॉसिपिंग विद अ नेबर इज नॉट थॉट. इफ यू रिपीट समथिंग व्हिच समबडी एल्स हैज सेड, इट इज़ नॉट थॉट आई डू नॉट एक्सपेक्ट ऑल ऑफ यू टू बिकम माईटी थिंकर्स, दो सम ऑफ यू मे. बट आई वुड लाइक ऑल ऑफ यू टू थिंक ऐण्ड टू डेवलप द आर्ट ऑफ थिंकिंग.
नथिंग इज़ मोर हैल्पफुल ट्र थिंकिंग दैन रीडिंग, दैट इज़, रीडिंग इन्टेलिजेण्टली, बिकॉज़ देयरबाई थू गैट अदर पीपल्ज़ थॉट्स, ऐण्ड बाई वेईंग दैम यू कैन थिंक यॉरसेल्फ. आई हैव ऑफन सेड दैट इट इज़ वेरी अनफॉरचुनेट दैट पीपल थिंक ऐण्ड रीड सो लिटल नाओअडेज़, एस्पेशियली इन इण्डिया. आई डू नॉट कॉल न्यूज़पेपर रीडिंग. बट एनी रीडिंग व्हिच मेक्स यू थिंक इज़ यूज़फुल रीडिंग, ईवन इफ इट इज़ उन वेरी गुड नॉवल. ग्रेट नॉवल्स ऑलवेज मेक वन थिंक, बिकॉज दे आर पिक्चर्स ऑफ लाइफ पेण्टिड बाई ग्रेट माईण्ड्स.)
अनुवाद :
मुझे लगता है कि अपने भाग्य पर शिकायत नहीं करनी चाहिए। मैं सर्वप्रथम आप सब लोगों से यह अपेक्षा करता हूँ कि आप विचार करें, मनन करें। विचार करने, मनन करने की कला किसी में स्वाभाविक रूप से विद्यमान नहीं होती। पड़ोसी से गपशप सोचना-विचारना नहीं है। यदि आप किसी की कही हुई बात दोहराते हैं तो यह विचार नहीं है। मैं आप सब लोगों से प्रकाण्ड विचारक बनने की अपेक्षा नहीं करता, हालांकि आप में से कुछ हो भी जाएँगे। परन्तु मैं यह चाहूँगा कि आप सब सोचे-विचारें और विचार करने की कला विकसित करें।
इस कार्य में पठन से अधिक कुछ भी सहायक नहीं है अर्थात् बुद्धिमतापूर्ण पठन, क्योंकि पढ़ने से ही आपको दूसरों के विचार पता चलते हैं और उनको तोलकर आप स्वयं सोच सकते हैं। मैंने यह अक्सर कहा है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजकल लोग इतना कम सोचते हैं और पढ़ते हैं विशेषकर भारत में। मैं अखबार पढ़ने को पढ़ना नहीं मानता। परन्तु कोई भी पठन जो आपको सोचने पर मजबूर करे उपयोगी पढ़ाई है यहाँ तक कि कोई अच्छा उपन्यास भी। श्रेष्ठ उपन्यास हमेशा व्यक्ति को सोचने पर मजबूर करते हैं क्योंकि वे श्रेष्ठ मस्तिष्कों द्वारा चित्रित जीवन के चित्र हैं।
If you think about the Five-Year Plans, you will find what a vital part the engineer plays in them. We shall require tens of thousands of engineers and hundreds of thousands of overseers, mechanics, and other technicians for our Plans. The whole world is becoming more and more a world of trained people. They need to be trained in two ways. They must be trained in mind, and have some vision and understanding of the world picture. Then they must be trained in particular jobs which they can do well, whether it be science or engineering or medicine or education. Such are the skills which will build India.
ड्रफ यू थिंक अबाऊट द फाइव-यीअर प्लान्स, यू विल फाइण्ड व्हॉट अ वाईटल पार्ट द इंजीनियर प्लेज़ इन दैम. वी शैल रिक्वायर टैंन्स ऑफ थाऊजेण्ड्स ऑफ इंजीनियर्स एण्ड हन्ड्रेड्स ऑफ थाऊजेण्ड्स ऑफ ओवरसीअर्स, मैकेनिक्स, ऐण्ड अदर टेक्निशियन्स फॉर आवर प्लान्स. द होल वर्ल्ड इज़ बिकमिंग मोर एण्ड मोर अ वर्ल्ड ऑफ ट्रेण्ड पीपल. दे नीड टू बी ट्रेण्ड इन टू वेज़. दे मस्ट बी ट्रेण्ड इन माइण्ड, ऐण्ड हैव सम विजन ऐण्ड अण्डरस्टैण्डिंग ऑफ द वर्ल्ड पिक्चर. देन दे मस्ट बी ट्रेण्ड इन पर्टिकुलर जॉब्स, व्हिच दे कैन डू वैल, वेदर इट बी साइंस और इंजीनियरिंग और मेडिसिन ऑर एजुकेशन. सच आर द स्किल्स व्हिच विल बिल्ड इण्डिया.)
अनुवाद :
यदि आप पंचवर्षीय योजनाओं के बारे में सोचें, आप पायेंगे कि अभियंता (इंजीनियर) इनमें कितना महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। हमें हजारों की संख्या में अभियन्ताओं की आवश्यकता होगी, लाखों में निरीक्षकों की, मिस्त्रियों (मैकेनिक) एवं तकनीशियनों की हमारी इन योजनाओं के लिए। पूरा विश्व अधिक से अधिक प्रशिक्षित लोगों का विश्व बनता जा रहा है। उनको दो प्रकार से प्रशिक्षित किये जाने की आवश्यकता है। उन्हें मानसिक रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि उनमें दूरदर्शिता का विकास हो एवं बदलते विश्व परिदृश्य के प्रति सचेत हों। फिर उनको कार्य विशेष के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए जो वे बेहतर कर सकते हों मसलन विज्ञान या अभियांत्रिकी या चिकित्सा या शिक्षा। इसी प्रकार के कौशलों से भारत का निर्माण होगा।
Frankly, the job of the politician will not build India, although I speak as a politician. A politician is a useful person in his own way, though it is conceivable that in a perfect society the politician will fade away. But it is not conceivable that the experts will fade away. There will always be need for the engineer and the scientist. They cannot fade away even if the politician may fade away. However, I do not think the time is near when the politician will fade away.
You are young. I should like you to have the pride of youth and the ambition of youth to do something worthwhile and big. All of you may not be geniuses, but some of you might yet do worthwhile things in some department of human activity or the other. I do not like people who have no pride and ambition and are just sloppy people.
(फ्रक्ली, द जॉब ऑफ द पॉलिटीशिन्यस विल नॉट बिल्ड इण्डिया, ऑल्दो, आई स्पीक ऐज़ अ पॉलिटीशियन्स. अ पॉलिटीशियन इज़ अ यूज़फुल पर्सन इन हिज़ ओन वे, दो इट इज़ कन्सीवेबल दैट इन अ पर्फेक्ट सोसायटी द पॉलिटीशियन विल फेड अवे. बट इज नॉट कन्सीवेबल दैट द एक्सपर्ट्स विल फेड अवे. देयर विल आलवेज़ बी नीड फॉर द इंजीनियर ऐण्ड द साइन्टिस्ट. दे कैननॉट फेड अवे ईवन इफ द पॉलिटीशियन मे फेड अवे, हाउएवर आई डू नॉट थिंक द टाईम इज नीयर व्हेन दे पॉलिटीशियन विल फेड अवे।
यू आर यंग. आई शुड लाइक यू टू हैव द प्राइड ऑफ यूथ एण्ड द ऐम्बिशन ऑफ यूथ टू डू समथिंग वर्थव्हाइल ऐण्ड बिग. ऑल ऑफ यू मे नॉट बी जीनियसिस, बट सम ऑफ यू माईट यट डू वर्थव्हाईल थिंग्स इन सम डिपार्टमेण्ट ऑफ ह्यूमन ऐक्टिविटी ऑर द अदर, आई डू नॉट लाइक पीपल हू हैव नो प्राइड ऐण्ड ऐम्बिशन एण्ड आर जस्ट स्लॉपी पीपल.)
अनुवाद :
स्पष्ट रूप से कहूँ तो राजनीतिज्ञों के कार्यों से भारत का निर्माण नहीं होगा। हालांकि मैं स्वयं यह बात एक राजनीतिज्ञ के रूप में कह रहा हूँ। राजनीतिज्ञ अपने आप में एक उपयोगी व्यक्ति होता है हालांकि यह भी कल्पनीय है कि एक परिपूर्ण समाज में राजनीतिज्ञ लुप्त हो जाएगा। परन्तु यह कल्पनीय नहीं है कि अलग-अलग विधाओं के विशेषज्ञ लुप्त हो जायेंगे। अभियन्ताओं और वैज्ञानिकों की आवश्यकता हमेशा रहेगी। वे लुप्त नहीं होंगे चाहे राजनीतिज्ञ एक बार को लुप्त हो जाएँ। फिर भी, मैं नहीं सोचता कि राजनीतिज्ञों के लुप्त होने का समय निकट है।
तुम युवा हो। मैं यह चाहता हूँ कि तुम में युवावस्था का अभिमान हो और महत्वाकांक्षा हो कुछ बड़ा कुछ महत्वपूर्ण करने की। तुम में से सभी अपूर्व प्रतिभाशाली तो शायद नहीं हो, परन्तु तुम में से कुछ लोग ऐसा कुछ कर सकते हैं किसी क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण हो। मुझे ऐसे लोग पसन्द नहीं हैं जिनमें न अभिमान हो न महत्वाकांक्षा एवं आलसी हों।
I am not using the words ‘pride’ and ‘ambition’ in small personal sense. I do not mean the pride of getting money, which is the silliest of all types of pride. Pride should consist in doing your job in the best possible manner. If you are a scientist, think of becoming an Einstein, not merely a reader in your university. If you are a medical man, think of some discovery which will bring healing to the human race. If you are an engineer, aim at some new invention. The mere act of aiming at something big makes you big.
If my colleagues and I and others who function on the public stage today appear big leaders to you, look back on how we became so. We may have had some virtue and some ability, but essentially we became what we were because we had some ambition and pride, because we hitched our wagon to a star, because we tried to do big things and in so trying our stature increased a little.
(आई एम नॉट यूजिंग द वर्ड्स ‘प्राईड’ एण्ड ‘ऐम्बिशन’ इन अ स्मॉल पर्सनल सेन्स. आई डू नॉट मीन द प्राइड ऑफ गैटिंग मनी, व्हिच इज़ द सिलिएस्ट ऑफ ऑल टाईप्स ऑफ प्राइड. प्राइड शुड कन्सिस्ट इन डूइंग यॉर जॉब इन द बेस्ट पॉसिबल मैनर. इफ यू आर अ साइन्टिस्ट, थिंक ऑफ बिकमिंग ऐन आईन्स्टीन, नॉट मेअरली अ रीडर इन यॉर यूनिवर्सिटी. इफ यू आर अ मेडिकल मैन, थिंक ऑफ सम डिस्कवरी व्हिच विल ब्रिग हीलिंग टू द ह्यूमन रेस. इफ यू आर ऐन इंजीनियर, एम ऐट सम न्यू इन्वेन्शन. द मिअर ऐक्ट ऑफ एमिंग ऐट समथिंग बिग मेक्स यू बिग.
इफ माई कलीग्ज़ एण्ड आई एण्ड अदर्स हू फंक्शन ऑन द पब्लिक स्टेज टुडे अपीयर बिग लीडर्स टू यू, लुक बैक ऑन हाऊ वी बिकेम सो. वी मे हैव हैड सम वयूं ऐण्ड सम एबिलिटी, बट एसेन्शियली वी बिकेम व्हॉट वी वर बिकॉज़ वी हैड सम ऐम्बिशन ऐण्ड प्राइड, बिकॉज वी हिच्ड आवर वैगन टू अ स्टार, बिकॉज वी ट्राईड टू डू बिग थिंग्स ऐण्ड इन सो ट्राईंग आवर स्टेचर इन्क्रीस्ड अ लिटिल.)
अनुवाद :
मैं इन शब्दों ‘अभिमान’ एवं ‘महत्वाकांक्षा’ का प्रयोग किसी क्षुद्र निजी इच्छा के संदर्भ में नहीं कर रहा हूँ। मैं धन। के अभिमान की बात नहीं कर रहा हूँ जो कि सबसे मूर्खतापूर्ण अभिमान है। अभिमान अपने कार्य को सबसे अच्छे ढंग से निष्पादित करने का होना चाहिए। यदि तुम एक वैज्ञानिक हो। तो अल्बर्ट आइन्स्टीन जैसा बनने की सोचो न कि केवल अपने विश्वविद्यालय के प्रवक्ता भर। यदि तुम चिकित्सा के क्षेत्र में हो तो ऐसी कोई खोज करने की सोचो जिससे मनुष्य जाति का भला हो, रोग या रोगों का उपचार हो। यदि तुम अभियंता (इंजीनियर) हो तो किसी नए आविष्कार को अपना लक्ष्य बनाओ। सिर्फ अपना लक्ष्य बड़ा करने की क्रिया मात्र ही तुम्हें बड़ा बना देती है।
यदि मेरे सहयोगी, सहकर्मी और मैं व अन्यं जो आज सार्वजनिक मंच पर कार्य कर रहे हैं तुम्हें बड़े नेता प्रतीत होते हैं तो थोड़ा पीछे नजर डालो कि हम ऐसे कैसे बने। हम सब में कुछ गुण एवं क्षमताएँ रही होंगी परन्तु हकीकत में हम ऐसे बन पाए क्योंकि हमारे भीतर कुछ अभिमान था कुछ महत्वाकांक्षाएँ थी, क्योंकि हम सफलता प्राप्त करने हेतु सफल लोगों के सम्पर्क में रहे, क्योंकि हमने बड़े कार्य करने के प्रयास किये और इस कोशिश में हमारा कद थोड़ा बढ़ गया।
It is not what you say that matters, but what you do. Think therefore of the vast opportunities that the world offers to those who are keen of mind, strong of character and fleet of foot. Think of the opportunities that India offers. I know better than you of the difficult problems of India, the suffering and misery of numberless people. We are trying to meet those problems and solve them, not by magic but by strong will and hard work.
There is no magic in this world except the occasional magic of human personality and the human mind. It takes time and perseverance to do big things. It will not do to be faint-hearted. One meets with failure occasionally, but one has yet to go on. Success does not come suddenly or without setbacks. So you have these great opportunities in India. Prepare yourself for them; grow strong in mind and body. Have that inner urge to do big things and I have no doubt that you will do big things. (Abridged)
(इट इज नॉट व्हॉट यू से दैट मैटर्स, बट व्हॉट यू डू. थिंक देयरफोर ऑफ द वास्ट ऑपरचुनिटीज़ दैट द वर्ल्ड ऑफर्स टू दोज़ हू आर कीन ऑफ माइण्ड, स्ट्रॉन्ग ऑफ कैरेक्टर ऐण्ड फ्लीट ऑफ फुट. थिंक ऑफ द ऑपरचुनिटीज दैट इण्डिया ऑफर्स. आई नो बैटर दैन यू ऑफ द डिफिकल्ट प्रॉब्लम्स ऑफ इण्डिया, द सफरिंग ऐण्ड मिज़री ऑफ नम्बरलैस पीपल. वी आर ट्राईंग टु मीट दोज़ प्रॉब्लम्स ऐण्ड सॉल्व दैम, नॉट बाई मैजिक बट बाई स्ट्रॉन्ग विल एण्ड हार्ड वर्क.
देयर इज़ नो मैजिक इन दिस वर्ल्ड एक्सेप्ट द अकेज़नल मैजिक ऑफ ह्यूमन पर्सनैलिटी ऐण्ड द ह्यूमन माइण्ड. इट टेक्स टाइम एण्ड परसिवरेन्स टू डू बिग थिंग्स. इट विल नॉट डू टू बी फेण्ट-हार्टिड. वन मीट्स विद फेल्यर अकेज़नली, बट वन हैज़ यह टू गो ऑन। सक्सेस डज़ नॉट कम सडन्ली ऑर विदाऊट सैटबैक्स. सो यू हैव दीज़ ग्रेट ऑपरचुनिटीज़ इन इण्डिया. प्रिपेयर यॉरसेल्फ फॉर दैम; ग्रो स्ट्रॉन्ग इन माइण्ड एण्ड बॉडी. हैव दैट इनर अर्ज टू डू बिग थिंग्स ऐण्ड आई हैव नो डाऊट दैट यू विल डू बिग थिंग्स (एब्रिज्ड)।
अनुवाद :
महत्व तुम जो कहते हो उसका नहीं वरन तुम जो करते हो उसका है। इसलिए उन असंख्य अवसरों के बारे में सोचो जो यह दुनिया प्रदान करती है उनको जो तीव्र बुद्धि के हैं, दृढ़ चरित्र के हैं और चपल हैं। भारत में जो अवसर हैं उनके बारे में सोचो। मैं भारत की मुश्किल समस्याओं और अनगिनत लोगों की पीड़ाओं व दुर्भाग्य को तुमसे बेहतर जानता हूँ। हम लोग उन समस्याओं का सामना करने की व उनका निदान करने की कोशिश कर रहे हैं, जादू से नहीं वरन् दृढ़ इच्छाशक्ति व कठोर श्रम से।
यदा-कदा दिखने वाले मानव व्यक्तित्व और मानव मस्तिष्क के जादू के अलावा अन्य कोई जादू नहीं है दुनिया में। बड़े कार्य करने में समय, धीरज व दृढ़ता की जरूरत होती है। कमजोर-दिल व इच्छाशक्ति होने से काम नहीं चलता। बीच-बीच में असफलता भी मिलती है परन्तु हमें निरन्तर आगे बढ़ना होता है। सफलता अचानक नहीं मिल जाती न बिना बाधाओं के। तो तुम्हारे पास यह महान अवसर है भारत में। स्वयं को इनके लिए तैयार करो, मन व शरीर से मजबूत बनो। अपने भीतर बड़े. कार्य करने की तीव्र इच्छा रखो और मुझे कोई सन्देह नहीं है कि तुम बड़े-बड़े कार्य करोगे। (संक्षिप्त रूप)।