MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 10 क्या ऐसा नहीं हो सकता?
MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 10 पाठ का अभ्यास
MP Board Class 6th Hindi Chapter 10 प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए
(क) नहाने के बाद मुझे देना होगा
(i) नाश्ता
(ii) आराम
(iii) टॉवेल
(iv) पुस्तक।
उत्तर
(iii) टॉवेल
(ख) चादर के अनुसार पसारना चाहिए
(i) बाहें
(ii) पैर
(iii) मुँह
(iv) जीभ
उत्तर
(क)
(ii) पैर।
Class 6 Hindi Chapter 10 MP Board प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) तुम अपने फटे …………..को चादर से ढक देते हो।
(ख) बिखरी हुई पुस्तकों को …………से लगा देते हो।
(ग) हम सबके चेहरे पर अभावों की ……………….. छाई हुई है।
(घ) सुख-दुःख के इस ….. में से ही अभावों की कश्ती के पार होने का मार्ग गया है।
उत्तर
(क) बिस्तर
(ख) करीने
(ग) धुंध
(घ) समन्दर।
Bhasha Bharti Class 6 Chapter 10 प्रश्न 3.
एक या दो वाक्यों में उत्तर लिखिए
(क) धुंध से लेखक का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर
धुंध से लेखक का यह अभिप्राय है कि अपनी कमियों के अन्धकार की छाया प्रत्येक मनुष्य के चेहरे पर छाई हुई है। अर्थात् उन कमियों को किसी भी व्यक्ति के बाहरी चेहरे के हाव-भाव से पहचाना जा सकता है।
(ख) मित्र अपने फटे बिस्तर को कैसे छिपाता है ?
उत्तर
मित्र अपने फटे बिस्तर को उजली चादर को बि. छाकर छिपाता है।
(ग) अव्यवस्थाओं के होते हुए भी मित्र लेखक से रुकने का आग्रह क्यों करता है?
उत्तर
अव्यवस्थाओं के होते हुए भी मित्र लेखक से रुकने का आग्रह इसलिए करता है कि इन अभावों को दिखावे की चादर से न ढकते हुए. हे मेरे मित्र ! तू मेरे पास बैठ। प्रेमपूर्वक अपने परिवार से सम्बन्धित दुःख-सुख की बातें कर, जिससे मन का बोझ कुछ हल्का हो सके और आडम्बर के बोझ के नीचे अपनी आत्मा को कुचलने से बचा ले।
(घ) लेखक ने मित्र को राजनीति और साहित्य के बदले कौन-सी बात करने की सलाह दी?
उत्तर
लेखक अपने मित्र को सलाह देता है कि वह राजनीति और साहित्य की बातें न करे। उसे तो अपने बाल-बच्चों से सम्बन्धित, घर और गृहस्थी की बातें करनी चाहिए जिससे
जीवन के सुख और दु:ख के महासागर को पार करने का उपाय निकल सके।
MP Board Class 6 Hindi Chapter 10 प्रश्न 4.
चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए
(क) लेखक के लिए मित्र किस तरह सुविधाएँ जुटाता है? लिखिए।
उत्तर
लेखक के लिए मित्र घर में घी और शक्कर के न होने पर घी-शक्कर छिपाकर लेकर आता है। इन चीजों को किसी से उधार भी लेकर आता है। फटे बिस्तर को नई चादर से ढक देता है। पड़ौसी के स्वच्छ दर्पण को माँग लाता है। भोजन कर लेने पर बच्चे से पान मँगाकर रख देता है। बाल-बच्चों और गृहस्थी की बातें न करते हुए राजनीति और पत्र-पत्रिकाओं के साहित्य की बातों में उलझा देता है। टूटे कप की चाय को स्वयं उठा लेता है। सही नए कप में लेखक को चाय देता है। इस तरह की अनेक सुविधाओं को जुटाता है।
(ख) लेखक को मित्र के चेहरे पर निश्चिन्तता का भाव दिखाई क्यों नहीं दिया ?
उत्तर
लेखक को मित्र के चेहरे पर निश्चिन्तता का भाव इसलिए दिखाई नहीं दिया क्योंकि उसके घर में गृहस्थी की चीजों का अभाव था। घी-शक्कर का इन्तजाम लेखक से छिपकर करता है, पड़ौस से दर्पण और तौलिया लाकर रखता है। फटे बिस्तर को नई चादर से छिपाता है। बच्चे को भेजकर लेखक के लिए पान मँगाकर रखता है। खूटी पर बेतरतीब रखे कपड़ों को और बिखरी पुस्तकों को करीने से लगा देता है। घर-गृहस्थी की बातें न करके राजनीति और साहित्य की बातें करने लग जाता है।
(ग) लेखक की अपने मित्र से क्या अपेक्षाएँ हैं?
उत्तर
लेखक अपने मित्र से अपेक्षा करता है कि वह अपने फटे बिस्तर को वैसे ही बने रहने देता। टूटे हत्थे वाली कुर्सी पर ही लेखक को बैठने देता। धुंधले दर्पण और फटे गन्दे तौलिए को ही लेखक को नहाने के बाद बदन पोंछने के लिए देता। बाल-बच्चों और गृहस्थी की बातें खुलकर करता। उजली चादर से बिस्तर को ढकने को तथा टूटे हत्थे वाली कुर्सी को बीच की दीवार न बनने देता। हृदय में बसे सच्चे प्रेम को इस बनावटी व्यवहार से ढकने न देता।
(घ) लेखक मित्र को किस तरह के व्यवहार की सलाह देता है? कोई तीन बिन्दु लिखिए।
उत्तर
लेखक निम्नलिखित रूप के व्यवहार की सलाह देता है
- हम दोनों मित्र ठीक वैसे ही मिलें जैसे हम हैं। बनावटी दिखने का प्रयत्न बन्द करें।
- जैसी सूखी रोटी तुम खाते हो, वैसी ही मुझे खिलाओ। राजनीति और साहित्य में मत उलझाओ।
- जिस फटे तौलिए से अपना शरीर पोंछते हो, उसी से मुझे भी अपना शरीर पोंछने दो। साथ ही चाय पीते समय जिस टूटे हुए कप को तुम मुझसे बदल देते हो, उसे मेरे ही पास रहने दो।
Class 6 Hindi Chapter 10 प्रश्न 5.
सोचिए और बताइए
(क) अपने लिए कष्ट उठाकर व्यवस्था जुटाते अपने मित्र को देखकर आपके मन में कैसे विचार उत्पन्न होंगे, बताइए।
उत्तर-अपने लिए कष्ट उठाते हुए व्यवस्था जुटाने में लगे मित्र को देखकर मेरे मन में यह विचार आता है कि मेरा मित्र सामान्य रूप से वही रूखी-सूखी रोटी खिलाता, जो वह स्वयं खाता है। उजले चादर से फटे बिस्तर को ढकने के लिए, टूटे हत्थे वाली कुर्सी को हटाते हुए, गन्दे फटे तौलिए का प्रयोग कर लेने देने के लिए, उजले साफ दर्पण का पड़ौस से इन्तजाम न करने की बात कहता। सच्चे प्रेम भरे व्यवहार को आडम्बर से छिपाने की बात न करने की सोचता।
(ख) मित्र अपने फटे बिस्तर को चादर से क्यों छिपाने का प्रयास करता है?
उत्तर
मित्र अपने फटे बिस्तर को चादर से छिपाने का प्रयास करता है ताकि उसकी असल स्थिति का आभास लेखक को न हो सके। मित्र की अभावों भरी गृहस्थी का आभास लेखक को होगा, तो उसे कष्ट होगा। अपनी वस्तुस्थिति से लेखक को परिचित न होने देने का मित्र प्रयास करता है।
MP Board Class 5 Hindi Bhasha Bharti Solution Chapter 10 प्रश्न 6.
अनुमान और कल्पना के आधार पर उत्तर दीजिए
(क) मान लीजिए आपके घर अचानक मेहमान आ जाते हैं और आपके माता-पिता घर पर नहीं हैं। घर में अनेक अव्यवस्थाएँ हैं। ऐसी स्थिति में आप अतिथि का स्वागत कैसे करेंगे?
उत्तर
घर में अव्यवस्थाओं के चलते, माता-पिता के घर पर न होने की दशा में जो भी कुछ सरलता से कर सकता हूँ, करूँगा। बैठने के लिए कहूँगा। शुद्ध ताजा पानी पीने को दूँगा और फिर प्रयास करूंगा कि मैं अपने माता-पिता को उनके आगमन की सूचना दूँ। सम्भवतः आगन्तुक मेहमान उस स्थिति में मेरी प्रार्थना के अनुसार रुकें और माता-पिता के आगमन तक प्रतीक्षा करें। उनके लिए घर में जो भी कुछ वस्तु होगी, मैं उनके लिए प्रस्तुत करके उनका आतिथ्य करूँगा।
(ख) आपकी दृष्टि में उधार लेकर अथवा मांगकर व्यवस्था जुटाना कहाँ तक उचित है ?
उत्तर
मेरी दृष्टि में उधार लेकर या माँगकर व्यवस्था जुटाना बिल्कुल भी उचित नहीं है। अपनी परिस्थिति के अनुसार जो भी सम्भव हो सके, उसी से अतिथि सत्कार की व्यवस्था करना उचित है। किसी भी तरह के आडम्बर का व्यवहार सच्चे प्रेम को छिपा देता है जिसकी चिन्ता चेहरे पर झलक उठती है।
(ग) किसी के घर जाने पर आप फटे बिस्तर पर ध्यान देंगे या उनके स्नेह को प्राथमिकता देंगे?
उत्तर
फटे बिस्तर पर ध्यान देने का कोई अर्थ नहीं है। स्नेह की पवित्रता महत्वपूर्ण है और उसी का प्राथमिकता से ध्यान रखना आनन्ददायी है।
भाषा की बात
Class 6 Hindi Chapter 10 Question Answer प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए और लिखिए
स्वागत, व्यवस्था, दृष्टि, निर्निमेष, निश्चिन्तता।
उत्तर
कक्षा में अपने अध्यापक महोदय की सहायता से शुद्ध उच्चारण करें और अभ्यास करें।
Class 6th Hindi Chapter 10 Question Answer प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की सही वर्तनी लिखिए
राज्यनीती, आवकाश, विशबास, दृश्टी।
उत्तर
राजनीति, अवकाश, विश्वास, दृष्टि।
Class 6 Chapter 10 Hindi प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को बहुवचन में बदलिए
(क) बालक स्कूल जा रहा है।
(ख) गाय चर रही है।
(ग) नदी में बाढ़ आई है।
(घ) वह पुस्तक पड़ रहा है।
उत्तर
(क) बालक स्कूल जा रहे हैं।
(ख) गायें चर रही हैं।
(ग) नदियों में बाढ़ आई है।
(घ) वे पुस्तक पढ़ रहे हैं।
Chapter 10 Hindi Class 6 प्रश्न 4.
निम्नलिखित मुहावरों और लोकोक्तियों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(क) पलकों पर वैवना
(ख) कलेजे पर साँप लोटना
(ग) आम के आम गुठलियों के दाम।
(घ) कंगाली में आटागीला।
उत्तर
(क) बलकों पर बैठाना-रवि अपने मेहमानों को पलकों पर बैठाता फिरता है।
(ख) कलेजे पर साँप लोटना-मेरे पुत्र के द्वारा परीक्षा उत्तीर्ण कर लेने पर, मेरे पड़ौसी के कलेजे पर साँप लोट गया।
(ग) आम के आम गुठलियों के दाम-मैं गया तो था इन्दौर एक उत्सव में, लेकिन पास में ही ओउम्कारेश्वर के दर्शन भी करके आम के आम गुठलियों के दाम भी प्राप्त कर लिए।
(घ) कंगाली में आटा गीला-मैंने सोचा था कि अपने पुराने इंजन की मरम्मत कराके पानी की समस्या हल हो जाएगी, लेकिन साथ में पाइप लाइन का टूट जाना मेरे लिए कंगाली में आटा गीला हो जाना है।
Hindi Class 6 Chapter 10 प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में से अकर्मक और सकर्मक क्रियाएँ छाँटिए
(क) तुम धुंधले काँच को छिपाते हो।
(ख) मैं तुम्हारे साथ रहता हूँ।
(ग) तुम क्यों रो रहे हो ?
(घ) कोयल आकाश में उड़ रही है।
उत्तर
(क) छिपाते हो-सकर्मक।
(ख) रहता हूँअकर्मक।
(ग) रो रहे हो-अकर्मक।
(घ) उड़ रही है-अकर्मक।
Bhasha Bharti Class 5 Solutions Chapter 10 प्रश्न 6.
अपने मित्र को पत्र लिखकर गणतन्त्र दिवस की बधाई दीजिए।
उत्तर
‘पत्र लेखन’ खण्ड में देखिए।
क्या ऐसा नहीं हो सकता परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या
(1) मैं जब तक स्नान करता हूँ तब तक तुम अपने फटे बिस्तर को, नई चादर से ढक देते हो, धुंधले आईने की जगह पड़ोसी से माँगा हुआ साफ आईना सजा देते हो और खूटियों पर लटकते बेतरतीब से कपड़ों तथा बिखरी हुई पुस्तकों को करीने से लगा देते हो।
सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘भाषा भारती’ के ‘क्या ऐसा नहीं हो सकता ?’ नामक पाठ से ली गई हैं। इस पाठ के लेखक ‘रामनारायण उपाध्याय’ हैं।
प्रसंग-लेखक ने इन पंक्तियों के माध्यम से स्पष्ट किया है कि लोग सच्चाई को छिपाने का प्रयत्ल करते हैं, बाहरी आडम्बरों में उलझकर सहज प्रेम की महत्ता को समझ नहीं पाते हैं।
व्याख्या-एक मित्र अपने मित्र को पत्र लिखता है; लेखक उस पत्र लेखक मित्र के भावों को स्पष्टता देता है कि जब मैं तुम्हारे घर जाता हूँ तब तक वहाँ स्नान करता हूँ, तब उसी मध्य तुम अपने फटे बिस्तर को किसी नई चादर से ढक देते हो जो दर्पण तुम्हारे घर में है वह धुंधला हो गया है, उसके स्थान पर अपने पड़ोसी के साफ उजले दर्पण को ले आते हो और सजा देते हो। यह दर्पण माँगा हुआ होता है। कमरे में इधर-उधर बिना तरतीब ही खूटी पर लटकते कपड़ों को ठीक तरह लगा देते हो, साथ ही इधर-उधर पड़ी हुई, बिखेर दी गई पुस्तकों को उसी दरम्यान ठीक क्रम से लगा देते हो। यह तुम्हारा बनावटीपन और दिखावा है जो प्रेम की सहज भूमि पर औपचारिकता मात्र है। हम मिलन के वास्तविक दु:ख से रहित हो जाते हैं।
(2) तुम जब मुझे विदा करते हो, तब भी तुम्हारा ध्यान मेरे रवाना होने के बाद किये जाने वाले कामों में लगा रहता है लेकिन मैं जब तक तुम्हारी दृष्टि से ओझल नहीं हो जाता, तुम तब तक मेरी ओर निर्निमेष दृष्टि से निहारते हो, मानो अपनी पलकों पर बिठाकर तुम मुझे विदाई देते हो। मैं जानता हूँ, तुम्हारी उस दृष्टि में कितना दर्द, कितनी लाचारी, कितना स्नेह समाया हुआ है।
सन्दर्भ-पूर्व की तरह।
प्रसंग-लोगों के आम व्यवहार में भी सच्चाई छिपी होती है। स्नेह भरे दिलों में दर्द की टीसन और दिखावे की लाचारी भर दी है।
व्याख्या-लेखक कहता है कि वह जब अपने मित्र से विदा लेता है, तो उस मित्र का ध्यान उसके प्रस्थान करने के बाद किये जाने योग्य सभी कामों में उलझा रहता है। वह जब तक उसकी आँखों से पूर्णत: ओझल नहीं हो जाता, तब तक अपनी एकटक निगाहों से उसे देखता रहता है। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो वह उसे (लेखक को) अत्यन्त आदर भाव के साथ प्रेमपूर्वक विदा कर रहा है। लेखक अपने उस मित्र की निगाहों में समाये हुए दर्द को, उसकी लाचारी को प्रदर्शित कर रहा था। लेकिन उसके हृदय में गहरा स्नेह समाया हुआ था।
(3) क्या यह नहीं हो सकता कि हम जैसे हैं, ठीक वैसे ही मिलें और जो हम नहीं हैं, वैसा दिखने का प्रयत्न बन्द कर दें? जैसी सूखी रोटी तुम खाते हो, वैसी ही मुझे खिलाओ। जिस फटे टॉवेल से तुम अपना शरीर पोंछते हो, उसी से मुझे भी अपना शरीर पोंछने दो। चाय पीते समय जिस टूटे हुए कप को तुम मुझसे बदल लेते हो, उसे मेरे ही पास रहने दो।
सन्दर्भ-पूर्व की तरह।
प्रसंग-लेखक अपने मित्र के दिखावपूर्ण व्यवहार पर अपने हृदय की वेदना को व्यक्त करता है।
व्याख्या-लेखक स्पष्ट करता है कि हम सभी दिखावे के व्यवहार को छोड़ कर सच्चाई के आधार पर अपने व्यवहार को विकसित करें। क्या यह सम्भव नहीं है ? निश्चय ही, यह हो सकता है। जैसे हम नहीं हैं, उस स्थिति में अपने आपको दिखाने का जो प्रयत्न है, उसे छोड़ दें। अर्थात् आडम्बरपूर्ण व्यवहार का रूप समाप्त कर देना चाहिए। अपनी स्वाभाविक स्थिति में हमारा वह साधारण रूप में खिलाया गया भोजन वस्तुत: असली प्रेम को प्रदर्शित करने वाला होगा।
भोज्य वस्तुओं में दिखावट पसन्द नहीं है। तुम जिस फटे अंगोछे से स्नान के बाद अपने अंग पोछते हो, वही अंगोछा अपने मित्र को दीजिए, व्यर्थ के दिखावे में जीवन की मौलिकता नष्ट होती है। टूटे कप (प्याले) में दी गई चाय को तुरन्त हटा देते हो और स्वयं उस टूटे कप की चाय पीने लगते हो और मुझे अपना वाला अन्य कप देकर हृदय की सरलता भरे प्रेम को बनावटी प्यार के आवरण से ढकने की कोशिश करते हो। ऐसा व्यवहार प्रेम के सात्विक स्वरूप को समाप्त कर देता है।
(4) अपने फटे हुए बिस्तर को तुम उजली चादर से मत उको और कुर्सी के टूटे हुए हत्थों को बीच में आने दो ताकि वे हमारे बीच दीवार न बन सकें और इन सबसे बचे हुए समय में तुम जब भी मेरे पास बैठो, बजाय राजनीति और साहित्य के, अपनी घर-गिरस्ती की, बाल-बच्चों की, सुख-दुःख की बातें करो। विश्वास रखो, सुख-दुःख के इस समन्दर में से ही हमारे अभावों की किश्ती के पार होने का मार्ग गया है।
सन्दर्भ-पूर्व की तरह।
प्रसंग-लेखक अपने मित्र को दिखावपूर्ण व्यवहार को बन्द करने और सच्चाईपूर्ण, आडम्बररहित व्यवहार को अपनाने का अच्छा परामर्श देता है।
व्याख्या-अपने मित्र को लिखे अपने पत्र के अन्त में लेखक लिखता है कि हे मेरे मित्र फटे हुए अपने बिस्तर को तुम साफ चादर से ढकने की कोशिश मत करो। टूटे हुए हत्थे वाली कुर्सी पर ही मुझे बैठने दो। मेरे और तुम्हारे बीच जो मित्रता का पवित्र भाव है, उसे बनावट के व्यवहार की चादर से मत डको। मैं चाहता हूँ कि इस बनावट के रिश्ते चलाने में जो समय नष्ट होता है, उस समय को बचाकर तुम मेरे समीप बैठो।
राजनीति और साहित्य की बातें मत करो। घर और परिवार की समस्याओं सम्बन्धी बातें करो। अपनी आने वाली पीढ़ी-बाल-बच्चों से सम्बन्धित बातें करो। इस तरह अपने अन्त:करण में व्याप्त सुख और दुःख से प्राप्त होने और उसके निवारण सम्बन्धी उपार्यों की बातें ही सच्चे व्यवहार से सम्बन्धित हैं। तुम्हें यह विश्वास रखना होगा कि हमारी कमियों की नौका ही सुख-दुःख के महासागर को पार कर हमारी सहायक हो सकती है। अर्थात् अभावों को दूर करो और दुःख अपने आप मिट जायेंगे।