भाषा भारती कक्षा 6 पाठ 8 संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास प्रश्न उत्तर हिंदी

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Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 8 Sangeet Shiromani Swami Haridas Question Answer Solutions

MP Board Class 6th Hindi Chapter 8 Sangeet Shiromani Swami Haridas Questions and Answers

MP Board Class 6 Hindi Chapter 8 प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) सम्राट अकबर के नौ रत्नों में से एक थे
(i) मोहन
(ii) तानसेन
(iii) रूपा
(iv) अल्लादीन।
उत्तर
(ii) तानसेन

(ख) दीपक को प्रज्ज्वलित करने वाला राग है
(i) दीपक राग
(ii) ठुमरी,
(iii) राग भैरवी
(iv) मियाँ मल्हार।
उत्तर
(i) दीपक राग

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Bhasha Bharti Class 6 Chapter 8 प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) तानसेन के गुरु का नाम ……..था।
(ख) अकबर ने स्वामी हरिदास को ………….. की उपाधि प्रदान की।
(ग) रूपा ने ………….गाकर तानसेन के प्राणों की रक्षा की।
(घ) गुरु जी …………में संगीत कभी नहीं सुना सकते।
उत्तर
(क) स्वामी हरिदास
(ख) संगीत शिरोमणि
(ग) मेघ मल्हार
(घ) राजमहल।

Class 6 Hindi Chapter 8 MP Board प्रश्न 3.
बताइए, किसने किससे कहा

(क) “तानसेन ! यह हमारी खुशकिस्मती है कि हम इस मुल्क के बादशाह हैं।”
(ख) “क्या बहन को भाई पर तरस नहीं आता ? भाई के प्राणों की रक्षा बहन नहीं करेगी ?”
(ग) “तानसेन ! राजमहल का सम्मान और नवरत्नों में स्थान मिल जाना सदा सुखकारी नहीं होता।”
उत्तर
(क) सम्राट अकबर ने तानसेन से
(ख) तानसेन ने अपनी गुरु बहन रूपा से
(ग) स्वामी हरिदास ने अपने शिष्य तानसेन से।

Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 8 प्रश्न 4.
चार से पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए

(क) सम्राट अकबर किस पवित्र जमीन को सलाम करते हैं और क्यों?
उत्तर
सम्राट अकबर हिन्दुस्तान की पवित्र जमीन को सलाम करते हैं। यह देश संसार के सभी देशों में अनोखा है। यहाँ के रीति-रिवाज, कला, संगीत एवं यहाँ की अनेक बोलियों में मिठास है। यहाँ का संगीत पूर्ण रूप से विकसित है, नृत्य में भी भावों को साकार किया जाता है। साथ ही यहाँ के ग्रन्थों में अद्वितीय ज्ञान भरा पड़ा है। इसलिए यहाँ की यह भूमि पवित्र है। अत: इस पवित्र जमीन को वह सलाम करता है।

(ख) दीपक राग प्राणों को संकट में डाल सकता है, कारण बताइए।
उत्तर
दीपक राग प्राण लेवा राग है। इस राग से गायक के तन में गर्मी बहुत बढ़ जाती है। दीपक राग के गाने का मतलब सीधा मृत्यु को ही निमन्त्रण है। इस दीपक राग के गाने से पहले मेघ मल्हार गीत गाए जाने का प्रबन्ध कर लेना चाहिए। जब दीपक राग गायक के शरीर में आग पैदा करने लगे, तब मेघ मल्हार गाकर, गायक के प्राणों की रक्षा करनी पड़ती है।

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(ग) स्वामी हरिदास संगीत की शिक्षा को ‘समाज’ क्यों | कहते थे?
उत्तर
स्वामी हरिदास ने संगीत को समाज से जोड़ दिया है क्योंकि उनके संगीत में जो मिठास है, वह अत्यन्त प्रभावकारी है। सभी लोग इस संगीत शिरोमणि के संगीत से प्रभावित हो उठते हैं, इसका केवल यही कारण है कि उन्होंने संगीत की शिक्षा को समाज से जोड़कर देखा है। संगीत के लाभ स्वयं अपने स्वार्थ के लिए नहीं, अपनी प्रसिद्धि और सम्मान के लिए नहीं-संसार के स्वामी जगन्नियंता को रिझाने के लिए वे गाते हैं। अत: उन्होंने संगीत की शिक्षा को ‘समाज’ कहा है।

(घ) दीपक राग सुनने के पीछे सम्राट् का क्या भाव था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
दीपक राग सुनने के पीछे सम्राट् का भाव यह था कि वह तानसेन के साथ ही उसके गुरु स्वामी हरिदास को भी अपने राज दरबार में सम्मानित ‘नवरत्न’ के रूप में नियुक्त कर लेगा जिससे दीपक राग को सुनने के लिए मेघ मल्हार के गाने की पूर्ति स्वामी हरिदास से हो जाएगी। परन्तु ऐसा नहीं हो सका क्योंकि स्वामी हरिदास ने तो अपने संगीत को ब्रज विहारी कृष्ण को समर्पित कर दिया था। वे कृष्ण की भक्ति में ही गीत गाते थे। किसी राज दरबार में स्वार्थ या लोभ के कारण नहीं। वास्तविकता तो यह भी थी कि राजा अकबर स्वामी हरिदास की परीक्षा लेना चाहता था कि वे स्वार्थ और लोभ के कारण तो संगीत की शिक्षा नहीं देते।

(ङ) तानसेन और स्वामी हरिदास के गायन में मुख्य अन्तर क्या था ?
उत्तर
तानसेन का गायन भी अच्छा था लेकिन स्वामी हरिदास के गायन का कोई जवाब नहीं था। अर्थात् तानसेन और हरिदास के गायन की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि तानसेन को तो अपना गीत हिन्दुस्तान के शहंशाह की खुशी के लिए गाना पड़ता था जिससे उसके संगीत में पराधीनता, परवशता आ जाती थी जबकि स्वामी हरिदास जी तो संसार के स्वामी को रिझाने के लिए गाते थे अर्थात् वे अपना गीत गाने के लिए स्वाधीन थे। जब वे चाहते थे, तो गाते थे। किसी के आदेश पर नहीं। यही अन्तर था तानसेन और स्वामी हरिदास के गायन में।

Class 8 Chapter 6 Hindi Bhasha Bharti प्रश्न 5.
सोचिए और बताइए

(क) तानसेन ने अपने गुरु को अन्तर्यामी क्यों कहा?
उत्तर
तानसेन को गुरुदेव स्वामी हरिदास ने बहुत उदास देखा, उसका चेहरा उतरा हुआ था। ऐसा गुरुदेव के द्वारा पूछे जाने पर कि ऐसी क्या बात है जिससे तुम दुःखी प्रतीत हो रहे हो? इसका उत्तर देते हुए तानसेन ने अपने गुरु को निवेदन किया कि हे गुरुदेव, आप तो अन्तर्यामी हो। ऐसा कहते हुए स्पष्ट किया कि सम्राट् अकबर मुझसे (तानसेन से) दीपक राग सुनना चाहते हैं, वह भी आज ही रात को। मुझे बताइए मेघ मल्हार का प्रबन्ध किए बिना दीपक राग कैसे सुनाया जा सकता है। मेरी इस चिन्ता को आपने समझ लिया है, आप वस्तुतः अन्तर्यामी हैं।

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(ख) अकबर ने सम्राट होते हुए स्वयं को बदकिस्मत क्यों कहा?
उत्तर
अकबर ने तानसेन से कहा कि उसने (राजा अकबर ने) तुमसे (तानसेन से) दीपक राग सुनने की फरमाईश इसलिए की थी कि स्वामी हरिदास जी का मेघ मल्हार सुनने का मौका मिलेगा, पर बीच में रूपा के आ जाने से हम आपके गुरु से मेघ मल्हार सुनने से वंचित रह गए। तुम्हारे गुरु की गायकी सुनने की मन में इच्छा है, लेकिन हमारी बदकिस्मती है कि हमारी प्रार्थना उन्होंने स्वीकार नहीं की क्योंकि वे राज भवन में संगीत नहीं गा सकते।

(ग) अकबर ने स्वामी हरिदास के संगीत को ‘जन्नत का संगीत’ क्यों कहा है ?
उत्तर
स्वामी हरिदास ने अपने आश्रम में संगीत सुनाते हुए सेवक वेषधारी सम्राट् अकबर को और तानसेन को उनके हाव-भावों से सही रूप में पहचान लिया। तब स्वामी हरिदास के चरण स्पर्श करते हुए अकबर ने कहा कि आपके संगीत को सुनने का मौका किसी अन्य तरीके से मिलना कठिन था। आज इस अपने नाटक द्वारा तानसेन और उसके सेवक बने अकबर ने उनका संगीत सुन लिया। सचमुच ही गुरुदेव आपका संगीत जन्नत का संगीत है।

Class 6 Bhasha Bharti Chapter 8 प्रश्न 6.
अनुमान और कल्पना के आधार पर उत्तर दीजिए

(क) यदि निपुण गायिका रूपा तानसेन की मदद न करती, तो क्या हो सकता था ?
उत्तर

  • तानसेन की मदद रूपा द्वारा न किए जाने पर वह दीपक राग नहीं गाता तो नवरत्नों में से उसे अपमानित करके निकाला जा सकता था।
  • यदि रूपा मदद नहीं करती, और राजहठ के चलते, तानसेन दीपक राग गाता तो उस राग की सिद्धि पर तानसेन के शरीर में अग्नि जल उठती और उसके प्राणों पर संकट आ पड़ता।

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(ख) तानसेन के स्थान पर यदि आप होते, तो प्राणों पर संकट के बाद भी क्या सम्राट् की आज्ञा का पालन करते ?
उत्तर
तानसेन के स्थान पर मेरे होने की स्थिति में तथा प्राणों पर संकट के बाद भी मैं सम्राट् की आज्ञा का पालन करता। क्योंकि मुझे अपने सम्मान का अधिक ख्याल होता। इतने समय तक राजभवन में ‘नवरत्न’ के पद पर रहते हुए परीक्षा की घड़ी आने पर मैं किस प्रकार पीछे हटता। यह तो मेरे स्वाभिमान का प्रश्न बन गया होता।

भाषा की बात

Class 6 Hindi Bhasha Bharti Chapter 8 प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए और लिखिए
दृश्य, यशस्वी, सम्राट, वृन्दावन, भैरवी, सिद्धि।
उत्तर
अपने अध्यापक महोदय की सहायता से कक्षा में शुद्ध उच्चारण करने का प्रयास कीजिए और अभ्यास कीजिए। बाद में अपनी पुस्तिका में लिखिए।

Bhasha Bharti Class 8 Chapter 6 प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए
(1) अन्तयामी, (2) निमनत्रण, (3) प्रतिक्छा, (4) संमान।
उत्तर

  1. अन्तर्यामी
  2. निमन्त्रण
  3. प्रतीक्षा
  4. सम्मान

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MP Board Class 6 Hindi प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में विशेषण और विशेष्य बताइए
शब्द-निपुण राधिका, अच्छा भाग्य, सम्राट अकबर, नव
उत्तर
विशेष्य-राधिका, भाग्य, अकबर, रत्न।
विशेषण-निपुण, अच्छा, सम्राट, नव।

भाषा भारती कक्षा 8 Solutions Chapter 6 प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के साथ ‘उप’ उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाइए
(1) स्थित, (2) करण, (3) लब्ध, (4) न्यास, (5) वास।
उत्तर

  1. उप + स्थित = उपस्थित
  2. उप + करण = उपकरण
  3. उपलब्ध- उपलब्ध
  4. उप + न्यास- उपन्यास
  5. उप + वास = उपवास।

तानसेन का जीवन परिचय प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(1) संगीत, (2) विधाता, (3) दीवाना, (4) प्रभात।
उत्तर

  1. संगीत-स्वामी हरिदास का संगीत वास्तव में जन्नत का संगीत था।
  2. विधाता-जन्म और मृत्यु तो विधाता का नियम है।
  3. दीवाना-तानसेन के संगीत ने राजदरबार में सभी श्रोताओं को दीवाना बना दिया।
  4. प्रभात-‘प्रभात’ बेला में आश्रम का वातावरण मन को हरने वाला था।

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तानसेन पर प्राणों का संकट क्यों आ गया था प्रश्न 6.
दिए गए अनुच्छेद में यथास्थान विराम चिन्हों का प्रयोग कीजिए
(क) तो इसमें भय कैसा दीपक राग तो तुम्हें आता है सुना देना चिन्ता की क्या बात है
(ख) दीपक राग तो मुझे आता है गुरुदेव आपने ही मल्हार की छत्रछाया में मुझे इस राग का अभ्यास कराया है अगर मल्हार का प्रबन्ध किए बिना दीपक राग सुनाया तो मैं स्वयं भस्म हो जाऊँगा।
उत्तर
(क) तो इसमें भय कसा ? दीपक राग तो तुम्हें आता है; सुना देना। चिन्ता की क्या बात है?
(ख) दीपक राग तो मुझे आता है। गुरुदेव ! आपने ही मल्हार की छत्रछाया में मुझे इस राग का अभ्यास कराया है। अगर मल्हार का प्रबन्ध किए बिना दीपक राग सुनाया, तो मैं स्वयं ही भस्म हो जाऊँगा।

 संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

(1) राजमहल का सम्मान और नवरत्नों में स्थान मिल जाना हमेशा सुखकारी नहीं होता। कभी-कभी वह संकट भी खड़ा कर देता है। जब तुमने दरबारी जीवन का आनंद लिया है तो प्राण-घातक कष्ट भी झेलो।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘भाषा भारती’ के पाठ संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास’ से ली गई हैं। इस पाठ के लेखक ‘जयपाल तरंग’ हैं।

प्रसंग-स्वामी हरिदास तानसेन को बताते हैं कि राजदरबारी जीवन सुख और दुःख दोनों को देने वाला है।

व्याख्या-स्वामी हरिदास ने तानसेन को अपनी अनुभूति से बताया कि किसी को यदि राजभवन से सम्मान मिलता है और तुम्हें वहाँ के नवरत्नों में जो स्थान मिला है, वह सदा ही सुख देने वाला नहीं हो सकता। यह दिया गया सम्मान और पद कभी-कभी किसी प्रकार का संकट भी पैदा कर देता है। नतीजा यह होता है कि दरबारी एवं नवरत्नों में स्थान पाने वाले व्यक्ति का जीवन कष्टमय हो जाता है। परन्तु क्योंकि तुमने एक दरबारी का जीवन स्वीकार किया है और उसका आनन्द भी लिया है, तो तुम्हें अवश्य ही प्राणों का नाश करने वाला कष्ट (दुःख) भी भोगना ही चाहिए।

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(2) मैं तुम्हारे यशस्वी होने की कामना करता हूँ। मृत्यु तो विधाता का लेख है। वह अवश्यम्भावी है फिर भी दरबारी जीवन की सत्य-कथा तो समझ ही गए हो ? राजा, जोगी, अग्नि और जल की प्रीति उलटी होती है। इनसे बचकर रहना ही हितकर है।

सन्दर्भ- पूर्व की तरह।

प्रसंग-स्वामी हरिदास तानसेन को यशस्वी होने का आशीर्वाद देते हैं। उन्हें राजा, योगी, अग्नि और जल (इन चार वस्तुओं) से सदैव बचकर रहने की सलाह देते हैं।

व्याख्या-स्वामी हरिदास तानसेन को आशीर्वाद देते हैं कि उसका यश बना रहे। साथ ही यह कामना भी करते हैं कि उसका यश भरा जीवन सदा सुरक्षित रहे। लेकिन मृत्यु के विषय में बताते हैं कि यह तो निश्चित है जो विधाता ने अवश्य ही होने वाली बात बतलायी। लेकिन उन्होंने बताया कि राजदरबार का जीवन कैसा होता है, उसकी सच्ची कहानी तो तुम जान गए होगे। तुम्हें यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि राजा, जोगी, अग्नि और जल से प्रेम करते हो, तो इनका तुम्हारे प्रति उल्टा (कष्टदायी) व्यवहार भी होगा। अर्थात् जो इनके पास रहेगा, उसे ही ये लोग कष्ट देंगे, जलाएँगे और गलाएँगे। अत: इनसे जितना हो सके दूर ही रहना चाहिए।

(3) यह हमारी खुशकिस्मती है कि हम इस मुल्क के बादशाह हैं जिसका दुनिया में कोई जवाब नहीं। हम इस मुल्क की कला को, इसके संगीत को, इसकी मीठी-मीठी बोलियों को, इसकी पुरानी किताबों में छिपे ज्ञान को सबको समझना चाहते हैं।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-राजा अकबर तानसेन से कहते हैं कि वह स्वयं को बड़ा भाग्यशाली मानते हैं कि संसार के अद्वितीय देश हिन्दुस्तान के राजा हैं।

व्याख्या-राजा अकबर तानसेन को अपने मन की बात स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि वह स्वयं को बहुत बड़ा भाग्यशाली मानते हैं कि वह एक ऐसे देश का राजा है जिस देश के मुकाबले का संसार में कोई भी देश नहीं है। राजा ने अपने हृदय की इच्छा प्रकट करते हुए कहा कि वह इस देश की कला, संगीत एवं यहाँ की अनेक बोलियों की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। इस देश की बोलियों में अनोखी मिठास है। यहाँ पुराने ग्रन्थों में छिपे ज्ञान की जानकारी लेकर, उस ज्ञान को अच्छी तरह समझना चाहते हैं।

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(4) स्वामी जी, हम हिन्दुस्तान के रीति-रिवाज और कलाओं की इज्जत करते हैं। उन्हें ऊँचा दर्जा देते हैं। हमें फन है हिन्दुस्तान पर। हम इस पवित्र जमीन को सलाम करते हैं। स्वामी जी ! यह मुल्क संगीत, नृत्य और ज्ञान का भरपूर खजाना है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-राजा अकबर ने स्वामी हरिदास जी से अपन मन की बात स्पष्ट कह दी कि वह इस देश हिन्दुस्तान पर बहुत गर्व अनुभव करता है।

व्याख्या-स्वामी हरिदास जी से राजा अकबर ने कहा कि वह इस देश के रीति-रिवाजों, तीज-त्यौहारों और कलाओं का बड़ा सम्मान करता है। उन्हें उच्च दर्जे पर रखता है। वह इसकी पवित्र भूमि को बार-बार प्रणाम करता है। वह अचम्भा करते हुए कहता है कि इस देश में संगीत, नृत्य और उच्चकोटि का ज्ञान वास्तव | में अनोखा है, इन सभी से भरपूर यह देश विश्व में अकेला है।

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